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Sunday, May 15, 2011

10. मगही के प्रथम उपन्यासकार जयनाथपति (1890-1939)


मगही के प्रथम उपन्यासकार जयनाथपति की जीवनी हेतु देखें श्री अशोक प्रियदर्शी का दिनांक 08 मई 2011 को पोस्ट किया गया लेख "हस्तलिखित अखबार निकालते थे मोख्तार जयनाथपति" ।

Friday, May 13, 2011

58. मगही के विकास में क्रांति लायेगा मगहिया डिलक्स एलबम



11 May 2011 08:55 pm

बिहारशरीफ, नगर संवाददाता : बिहार का मध्यवर्ती क्षेत्र जहां की मुख्य बोलचाल की भाषा मगही है, जो पूरे देश में अभी तक लोगों की जानकारी में नहीं है। मगही भाषा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की टीस लंबे अर्से से थी। देशवासियों को इस भाषा से अवगत कराने की बीड़ा पिछले तीन वर्षो से उठाये घूम रहा था। लेकिन कोई भी एलबम निर्माता कंपनी घाटा होने के डर से तैयार नहीं हो रही थी। देर से ही सही, परिश्रम का फल मिला। मुम्बई की सबरंग म्यूजिक कंपनी ने मगही भाषा में एलबम बनाने की हामी भरी जो आज धरातल पर आ गया है, मगहिया डिलक्स के नाम से छह गानों का बेजोड़ संग्रह तैयार हो चुका है। जो एक-दो दिनों में बाजार में उपलब्ध हो जायेगा। ये बातें बुधवार को बिहारशरीफ में भोजपुरी गीत सम्राट सुमीत बाबा ने संवाददाता से एक मुलाकात के दौरान कहीं। उन्होंने बताया कि वे खुद पड़ोसी जिले नवादा के मूल निवासी हैं। लेकिन मगही भाषा को मात्र क्षेत्रीय भाषा बनकर रहते देख उन्हें काफी कष्ट अनुभूति होती थी। वे लगभग डेढ़ सौ भोजपुरी पिक्चर में गाना गा चुके हैं। जिसमें मुख्य रूप से 'गंगा' जिसके किरदार अभिताभ बच्चन, हेमामालिनी, रविकिशन एवं मनोज तिवारी रहे हैं, उसमें खुद की बनायी गाने 'लिट्टी चोखवा बनल बा बड़ा मजेदार' गीत गाये थे। जो लोगों ने काफी पसंद किया। उसी प्रकार विधाता, भोजपुरी भईया, जोगी जी धीरे-धीरे .., किशन-अर्जुन एवं रामपुर का लक्ष्मण आदि फिल्मों में भी गाना गाये थे। भोजपूरी की तरह मगही भाषा को अपने गीत के माध्यम से पूरे देश में पहचान दिलाने के प्रति दृढ़ संकल्पित हैं। अभी तो शुरुआत हुआ है, इसकी सफलता मिलते ही आने वाले समय में कई एलबम बनाने वाली कंपनियां आगे आयेगी और संभव होगा तो मगही भाषा में फिल्म भी बनाने के प्रति प्रयासरत रहेंगे।

Friday, May 06, 2011

57. मगही के लिए एकजुटता जरूरी




मगही के लिए एकजुटता जरूरी
बिहटा । प्रखंड के विलाप गांव में शुक्रवार को मगही कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से मगही भाषा और उसके महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में प्रो.रामनाथ शर्मा उर्फ बाबाने कहा कि मगही भाषा के उत्थान के लिए सबको एकजुट होना होगा। जिस प्रकार अन्य भाषाओं की अपेक्षित हिस्सेदारी के लिए लोग प्रयास कर रहे हैं, उसी प्रकार मगही भाषियों को भी सार्थक प्रयास करने होंगे। वक्ताओं ने कहा कि मगही को सम्मानजनक स्थान दिया जाना चाहिए। कवियों ने अपनी उम्दा रचनाएं भी पेश कीं। इस मौके पर कवियों में मो. मोईन तकीद, सिद्धनाथ शर्मा, घमंडी राम, शशिभूषण यादव आदि मौजूद थे। (ए॰सं)