Thursday, February 08, 2018

इवान मिनायेव के बिहार यात्राः अनुवादक के भूमिका


रूसी भारतविद् इवान मिनायेव के बिहार यात्रा (1875)

अनुवादक के भूमिका

रूसी भारतविद् इवान पावलोविच मिनायेव (1840-1890) सन् 1875 में बिहार के यात्रा कइलथिन हल, जेकर संस्मरण "Очерки Цейлона и Индии" (1878) अर्थात् "सिलोन आउ भारत के रूपरेखा" (1878) नामक शीर्षक से दू खंड में प्रकाशित पुस्तक में से पहिला खंड के पृ॰187-230 (अर्थात् कुल 44 पृष्ठ) में छपले हल । जहाँ तक हमरा जनकारी हइ, एकर अभी तक अंग्रेजी चाहे कउनो भारतीय भाषा में अनुवाद नयँ होले ह, जबकि बिहार के बारे  फ्रांसिस बुकानन के 1811-1812 में कइल गेल सर्वेक्षण के 1925 में प्रकाशित रिपोर्ट, फेर किट्टो के 1847 के रिपोर्ट आउ बाद में कनिंघम के 1862-1863 में कइल गेल सर्वेक्षण के 1871 में प्रकाशित रिपोर्ट, ब्रोडली के 1872 के रिपोर्ट अंग्रेजी में उपलब्ध हकइ ।

इवान मिनायेव के संस्मरण के ऐतिहासिक आउ पुरालेखागारीय महत्त्व हइ । अतः एकर अनुवाद करे के बारे कइएक बरस पहिले से हमर विचार हलइ । बिहार के अपने संस्मरण में इवान मिनायेव बिहार (अर्थात् बिहारशरीफ), बड़गाँव, राजगीर, गिरियक, पावापुरी, गया, बोधगया आउ पटना के तत्कालीन भौगोलिक, सामाजिक आउ राजनीतिक परिस्थितिय के वर्णन कइलथिन हँ । ऊ कनिंघम (4 बार), ब्रोडली (2 बार), तारानाथ (3 बार), चीनी यात्री फ़ाशियान (Faxian, 法顯) (4 बार) आउ श्वानचांग (Xuanzang, 玄奘) (5 बार) [भारत में लोग के बीच क्रमशः फ़ाहियान और ह्वेन-सांग के नाम से प्रसिद्ध], मोहम्मद बख़्तियार (1 बार) के नाम के उल्लेख कइलथिन हँ ।


प्रस्तुत हइ - ई यात्रा- वृत्तांत के मगही अनुवाद । एकरा में आयताकार कोष्ठक के अंतर्गत तारांकित चिह्न के बाद के संख्या प्रकाशित मूल रूसी पाठ के पृष्ठ संख्या निर्दिष्ट करऽ हइ ।

No comments:

Post a Comment