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Monday, September 23, 2019

पितिरबुर्ग से मास्को के यात्रा ; अध्याय 15. ख़ोतिलोव


[*236]                                     ख़ोतिलोव
भावी परियोजना
हम सब प्रिय पितृभूमि के चरणबद्ध क्रम से समृद्ध दशा में, जेकरा में अभी हइ, लइते गेलिए ; मानव द्वारा जेतना संभव हइ ओतना विज्ञान, कला आउ हस्तशिल्प के उच्चतम स्तर पइलिए ; हमन्हीं के प्रदेश में मानव बुद्धि अपन पंख विस्तृत करते, बिन कोय बाधा आउ गलती के, महत्ता में उँचगर उड़ान भर रहले , आउ आझ सार्वजनिक नियम (public law) के विश्वसनीय संरक्षक बन चुकले ह। ओकर शक्तिशाली संरक्षण में हम सब के हृदय भी सर्वोच्च सृष्टिकर्ता के प्रार्थना खातिर उड़ान भरे लगी स्वतंत्र हइ। अनिर्वचनीय प्रसन्नता के साथ हम सब कह सकऽ हिअइ कि हमन्हीं के पितृभूमि भगमान खातिर एगो प्रिय निवास-स्थल हइ; काहेकि एकर काठी (constitution) पूर्वाग्रह आउ अंधविश्वास पर आधारित नञ् हइ, [*237] बल्कि हम सब के पिता के दया के हमन्हीं के आंतरिक भावना पर। हम सब के ऊ शत्रुता अनजान हइ, जे लोग के धार्मिक विश्वास के कारण ऊ सब के एतना अकसर अलगे कर देलके ह, हम सब लगी ओकरा (अर्थात् विश्वास) में बाध्यता भी अनजान हइ। ई स्वतंत्रता के बीच जन्म लेके हम सब वास्तव में एक दोसरा के एक्के परिवार के भाय मानते जा हिअइ, आउ जे सब के एक्के पिता, भगमान, हथिन।
विज्ञान के ज्योति, हमन्हीं के विधान (legislation) के प्रकाशित करऽ हइ, आउ आझ के कइएक देश के विधान से भिन्न हइ। भिन्न-भिन्न प्रशासनिक शक्ति के बीच संतुलन, जायदाद में समानता, सामाजिक असहमति (अनबन) के भी दूर कर दे हइ। दंड में ढिलाई सर्वोच्च प्रशासन के कानून के, कोमलहृदय माता-पिता के अप्पन बुतरुअन के देल आदेश नियन, आदर करे लगी बाध्य कर दे हइ, आउ सामान्य दुष्कर्म के भी रोक दे हइ। जायदाद के प्राप्ति आउ सुरक्षा के संबंध में स्थिति में स्पष्टता पारिवारिक झगड़ा रोक दे हइ। सीमा (आरी), जे एक नागरिक के जायदाद से [*238] दोसरा के जायदाद से अलगे करऽ हइ, बिलकुल स्पष्ट हइ, आउ सबके देखाय दे हइ, आउ सब कोय ओकर आदर करऽ हइ। व्यक्तिगत अपमान हमन्हीं बीच विरला हइ आउ मित्रभाव से सलटा लेल जा हइ। सार्वजनिक शिक्षा बात पर ध्यान देलके कि हम सब विनम्र होबइ आउ शांतिप्रिय नागरिक होबइ, लेकिन सबसे पहिले हम सब मानव होबइ।
आंतरिक शांति के आनंद प्राप्त करते, बिन कोय बाहरी शत्रु के, समाज के सिविल सह-अस्तित्व के सर्वोच्च आनंद तक समाज के पहुँचाके, कीऽ वास्तव में हम सब मानवता के संवेदना के प्रति एतना अजनबी होबइ, सहानुभूति के मानसिक आवेग के प्रति अजनबी, उदार हृदय के कोमलता के प्रति अजनबी, भ्रातृप्रेम के प्रति अजनबी होबइ आउ हम सब अपन आँख के सामनहीं हमेशे लगी अपना लगी तिरस्कार, दूर के पीढ़ी लगी अपमान - पूरा एक तिहाई[1] हमन्हीं के साथी, हमन्हीं के बराबर साथी नागरिक, प्रकृतिप्रिय भाय लोग के, दासता आउ पराधीनता के बेड़ी में  छोड़बइ? अपने नियन मानव के दास बनावे के पाशविक रिवाज, जे एशिया के उष्ण कटिबंध में [*239] पुनर्जीवित होले हल, एगो रिवाज जे असभ्य लोग खातिर उचित हइ, एगो अइसन रिवाज जेकर मतलब पत्थरदिल होवऽ हइ आउ आत्मा के बिलकुल अभाव, पृथ्वी पर तेजी से सगरो दूर-दूर तक फैल गेले ह। आउ हम सब स्लावा (अर्थात् यश) के पुत्र, पृथ्वी पर पैदा होवे वला लोग के बीच नाम आउ काम दुन्नु में यशस्वी, अज्ञानता के अंधकार में परास्त होल, ई रिवाज के अपना लेते गेलिए ह; आउ ई हमन्हीं लगी शरम के बात हइ, विगत शताब्दी लगी शरम के बात हइ, ई बुद्धिसंगत जमाना लगी शरम के बात हइ, कि अभियो तक एकरा अटल रखले हिअइ।
ई तोहर पितर लोग के क्रिया-कलाप से तोहरा मालुम हको, हमन्हीं के वर्षवृत्तांत से ई बात सब के मालुम हइ कि हमन्हीं के लोग के बुद्धिमान शासक, हार्दिक मानवप्रेम से प्रेरित होके, समाज के स्वाभाविक बंधन के समझके, ई सो सिर वला बुराई के समाप्त करे के प्रयास करते गेलथिन। लेकिन उनकन्हीं के शक्तिशाली उपलब्धि व्यर्थ हो गेलइ, जे हमन्हीं के राज्य में ऊ बखत के अपन गौरवशाली विशेषाधिकार वला पदवी के कारण, [*240] परन्तु जे अभी जीर्ण-शीर्ण आउ घृणित स्थिति में हइ, वंशानुगत कुलीनता (hereditary nobility) के नाम से प्रसिद्ध हलइ। हमन्हीं के राजकीय पूर्वज, अपन राजदण्ड (scepter)के प्रचंड शक्ति के बावजूद, सिविल दासता के बेड़ी के तोड़े में समर्थ नञ् हलथिन। नञ् खाली अपन कल्याणकारी इरादा के पूरा नञ् कर पइलथिन, बल्कि राज्य में पूर्वोक्त पदवी के दाँव-पेंच के चलते, उनकन्हीं अपन तर्क आउ हृदय के विरुद्ध, नियम के पालन करे लगी बाध्य हलथिन। हमन्हीं के पितर, शायद हार्दिक रूप से अश्रु के साथ, ई यातना देवे वलन के देखऽ हलथिन, जे समाज के सबसे उपयोगी सदस्य के बेड़ी के कसके जकड़के भारी करे वला हलइ। कृषक लोग अभियो हमन्हीं बीच दास हइ; हमन्हीं सब ओकन्हीं के अपन बराबरी के साथी नागरिक नञ् समझते जा हिअइ, भूल गेते गेलिए ह कि ओकन्हीं अदमी हइ। ऐ हमर प्रिय साथी नागरिक जन ! ऐ पितृभूमि के सच्चा सपूत! खुद के चारो तरफ देखऽ, आउ अपन गलती के समझऽ। शाश्वत भगमान के सेवक, समाज के कल्याण आउ मानव के खुशी लगी प्रवृत्त, हमन्हीं साथ सदृश विचार से, [*241] सबसे दयालु भगमान के नाम से, जेकरा में ऊ श्रद्धा रक्खऽ हथुन, तोहन्हीं के अपन उपदेश में स्पष्ट कइलथुन, कि उनकर (भगमान के) बुद्धिमत्ता आउ प्रेम के केतना विरुद्ध हइ तोहर पड़ोसी के उपरे मनमाना ढंग से शासन करना। ओकन्हीं प्रयास करते गेलथुन, प्रकृति से आउ हमन्हीं के हृदय से तर्क लेके, तोहन्हीं के क्रूरता, झूठ आउ पाप के प्रमाण देवे के। उनकन्हीं के अवाज, सजीव भगमान के मंदिर में दृढ़तापूर्वक आउ उच्च स्वर में प्रतिध्वनित होवऽ हइ - ऐ गुमराह, होश में आ, ऐ क्रूरहृदय, अपन हृदय कोमल कर; अपन भाय लोग के बेड़ी तोड़ दे, दासता के कारागार खोल दे, आउ अपना नियन साथी सब के सामाजिक जीवन के मिठास चक्खे दे, जे तोरे नियन ओकन्हिंयों लगी सबसे दयालु भगमान द्वारा प्रावधान कइल गेले ह। ओकन्हिंयों तोरे नियन हितकारी सूर्यकिरण के आनन्द उठइते जा हइ, तोरे नियन ओकन्हियों के अंग आउ संवेदना हइ, आउ ओकन्हिंयों के ऊ सब के प्रयोग करे के अधिकार होवे के चाही।
लेकिन अगर भगमान के सेवक लोग तोरा मानव के संबंध में दासता के अन्याय [*242] देखइते गेलथुन हँऽ, त हमन्हीं ई अपन कर्तव्य समझऽ हिअइ कि तोरा समाज में ओकर हानि आउ नागरिक के संबंध में ओकर अन्याय देखावे के चाही। चूँकि दर्शन (philosophy) के उदय एतना पहले हो चुकले ह, ई अनावश्यक लग सकऽ हइ कि तर्क के खोज कइल जाय आउ मानव के स्वाभाविक समानता आउ ओहे से नागरिक सब के समानता के बात दोहरावल जाय। स्वतंत्रता के संरक्षण में पालल-पोसल व्यक्ति लगी, जे उदार भावना से भरल हइ आउ कोय पूर्वाग्रह से नञ्, ओकर हृदय के सामान्य संवेदना ई मौलिक समानता के प्रमाण हइ। लेकिन पृथ्वी पर के मरणशील के ई दुर्भाग्य हइ - दिन के उजाला में भी पथभ्रष्ट हो जाना, आउ जे ओकर आँख के सामने हइ, ऊ नञ् देखना।
स्कूल में जब तूँ बिलकुल छोटगर हलहो त तोहरा स्वाभाविक नियम आउ सिविल नियम (law)  पढ़ावल गेलो हल। स्वाभाविक नियम तोहरा मानव के समाज से बाहर समझके देखावल गेलो, जे प्रकृति से समान काठी (constitution) प्राप्त कइलके हल, [*243] आउ ओहे से ओकरो ओहे अधिकार हलइ, आउ परिणामस्वरूप, सब कोय एक दोसरा के हर तरह से बराबर हलइ, आउ कोय भी दोसरा के अधीन नञ् हलइ। सिविल नियम तोहन्हीं के ओइसन अदमी के देखइलको, जे शांति से स्वतंत्रता के प्रयोग खातिर असीम स्वतंत्रता के विनिमय (अदला-बदली) करते गेले ह। लेकिन अगर ओकन्हीं सब्भे स्वतंत्रता के अपन सीमा निश्चित करते गेले ह, आउ अपन क्रिया-कलाप लगी नियम, त सब कोय अपन माय के गर्भ से स्वाभाविक स्वतंत्रता के मामले में बराबर होवे से, ओकरा सीमा में बान्हे पर भी बराबर होवे के चाही। परिणामस्वरूप कोय एक दोसरा के अधीन नञ् हइ। सर्वोच्च शासक समाज में कानून हइ, काहेकि ऊ सब्भे लगी एक्के हइ। लेकिन कइसन प्रेरक शक्ति हलइ जे समाज में प्रवेश कइलकइ, आउ क्रिया-कलाप में मनमाना सीमा लगा देलकइ? विवेक कहतइ, "अप्पन भलाई", हृदय कहतइ, "अप्पन भलाई", अविकृत सिविल कानून कहतइ, "अप्पन भलाई"। हम सब अइसन समाज में रहऽ हिअइ, जे उन्नति के कइएक चरण से गुजरले ह, ओहे से हम सब एकर प्रारंभिक स्थिति के [*244] भुला चुकलिए ह। लेकिन सब नयकन देश पर विचार करहो आउ प्रकृति के सब समाज पर भी, अगर अइसन कहल जा सकऽ हइ। पहिला, दासकरण (enslavement) अपराध हइ; दोसरा, खाली अपराधी चाहे दुश्मन पराधीनता के अनुभव करऽ हइ। अगर ई बात पर ध्यान देल जा हइ, त हम समझबइ कि हम सब समाज के उद्देश्य से केतना भटक गेलिए ह, सामाजिक खुशी के शीर्ष से अभियो केतना दूर हम सब हिअइ। जे कुछ हम कहलियो ह, ऊ सब से तोहन्हीं परिचित हकऽ, आउ अइसन नियम तोहन्हीं अपन माय के दूध के साथ आत्मसात् कर चुकलऽ ह। खाली एक पल के पूर्वाग्रह, खाली स्वार्थ (हमर शब्द से नराज मत होवऽ) , खाली स्वार्थ हमन्हीं के अंधा कर दे हइ, आउ अंधकार में भटक रहल पागल नियन बना दे हइ।
लेकिन हमन्हीं बीच केऽ बेड़ी धारण करऽ हइ, केऽ दासता के भार अनुभव करऽ हइ? कृषक! हमन्हीं के कृशता में अन्नदाता, हमन्हीं के भूख के शांत करे वला; ऊ जे हम सब के स्वास्थ्य प्रदान करऽ हइ, जे हमन्हीं के जीवन के [*245] बढ़ावऽ हइ, जे कुछ कमा हइ, जे कुछ पैदा करऽ हइ, ओकरा बेचे के ओकरा कोय अधिकार नञ् हइ। खेत पर केक्कर सबसे जादे अधिकार हइ, अगर ओकरा पर काम करे वला के नञ् हइ त? ई बात के कल्पना कइल जाय कि लोग निर्जन में अइते गेले ह समाज के स्थापित करे खातिर। जीविका के बारे सोचके ओकन्हीं घास से भरल जमीन के बँटवारा करऽ हइ। ई बँटवारा में केऽ हिस्सा पइतइ? कीऽ ऊ नञ् जे एकरा जोत सकऽ हइ; कीऽ ऊ नञ् जेकरा ई काम लगी काफी शक्ति आउ इच्छा हइ? बुतरू चाहे बूढ़ा, कमजोर, बेमार आउ लापरवाह लगी जमीन बेकार होतइ। ई परीत रहतइ, आउ हावा ओकरा पर के बाली पर नञ् सरसरइतइ। अगर ई एकरा पर काम करे वला (अर्थात् कृषक) लगी बेकार हइ, त समाजो लगी बेकार हइ; काहेकि काम करे वला अपन अतिरिक्त पैदावार समाज के नञ् देतइ, काहेकि ओकरा लगी आवश्यक भी नञ् होतइ। परिणामस्वरूप, समाज के शुरुआत में, जे खेत पर काम कर सकऽ हलइ, ओहे ओकर मालिक होवे के अधिकार रक्खऽ हलइ, आउ खाली ओकरा पर काम करे वला ओकर प्रयोग [*246] कर सकऽ हलइ। लेकिन मालिकाना हक के मामले में आदिकालीन सामाजिक स्थिति से हम सब केतना हद तक दूर चल गेलिए ह! हमन्हीं हीं, जे ओकरा पर स्वाभाविक अधिकार रक्खऽ हइ, नञ् खाली ओकरा से बिलकुल वंचित हइ, बल्कि दोसर के खेत पर काम करते ऊ अपन भरण-पोषण के दोसर के अधिकार में देखऽ हइ! तोहर प्रबुद्ध मस्तिष्क के ई सब सच्चाई दुर्बोध नञ् हो सकऽ हइ, लेकिन तोहर क्रिया-कलाप ई सब सच्चाई के कार्यान्वयन में बाधित हको, जइसन कि पहिलहीं बता चुकलियो ह, पूर्वाग्रह आउ स्वार्थ से। की वास्तव में तोहर हृदय, जे मानवप्रेम से भरल हको, हृदय के प्रसन्न करे वला भावना के छोड़के स्वार्थ के बेहतर मानतो? लेकिन एकरा में तोहर कइसन स्वार्थ? कीऽ अइसन राज्य, जाहाँ दू तिहाई[2] नागरिक नागरिकता से वंचित हइ, आउ आंशिक रूप से कानून के नजर में मृत हइ, सुखी कहल जा सकऽ हइ? कीऽ रूस में कृषक के नागरिकता के स्थिति निम्मन कहल जा सकऽ हइ? खाली अतृप्त रक्तचूषक कहतइ कि ऊ [*247] सुखी हइ, काहेकि ओकरा बेहतर स्थिति के कोय संकल्पना नञ् हइ।
अब हम सब अब, शासक लोग के ई सब क्रूर नियम के झूठ साबित करबइ, जइसे कि कभी हमन्हीं के पूर्ववर्ती लोग ओकर अपन क्रिया-कलाप से खंडन करते गेलथिन हल, लेकिन सफल नञ् हो पइलथिन हल। नागरिक के सुख के कइएक तरह से प्रस्तुत कइल जा सकऽ हइ। कहल जा हइ, राज्य सुखी होवऽ हइ, अगर हुआँ शांति आउ व्यवस्था राज करऽ हइ[3]। सुखी प्रतीत होवऽ हइ, जब खेत परती नञ् रहऽ हइ आउ शहर में गौरवशाली गगनचुम्बी इमारत होवऽ हइ। एकरा सुखी कहल जा हइ, जब अपन अस्त्र-शस्त्र के शक्ति के दूर-दूर तक फैलावऽ हइ आउ खुद से बाहर राज करऽ हइ, नञ् केवल अपन शक्ति से, बल्कि दोसर के विचार पर अपन शब्द के प्रभाव से। लेकिन ई सब सुख के बाहरी, क्षणिक, अस्थायी, निजी (व्यक्तिगत) आउ काल्पनिक कहल जा सकऽ हइ।
हमन्हीं के दृष्टि में आल सामने के घाटी पर एक नजर डालल जाय। हम सब कीऽ देखते जा हिअइ? एगो विस्तृत [*248] मिलट्री कैंप। ओकरा में सगरो शांति छाल हइ। सब योद्धा अपन-अपन जगह पर हका। ओकन्हीं के लाइन में सबसे बड़गो व्यवस्था देखाय दे हइ। एक आदेश, कमांडर के हाथ के एक इशारा, पूरा कैंप के गति में ला दे हइ, आउ ओकरा बिलकुल व्यवस्था में गति (orderly motion) दे हइ। लेकिन कीऽ हम कह सकऽ हिअइ कि योद्धा लोग खुश हइ? मिलिट्री अनुशासन के कड़ाई से कठपुतली में परिवर्तित ओकन्हीं के वंचित कर देल जा हइ अपन गति के स्वतंत्रता से, जे सजीव लगी एतना स्वाभाविक हइ। ओकन्हीं खाली कमांडर के आदेश जानऽ हइ, ओहे सोचते जा हइ, जे ऊ चाहऽ हइ, आउ ओहे दिशा में गतिमान होवऽ हइ, जद्धिर कमांडर आदेश दे हइ। राज्य के सबसे शक्तिशाली सेना के ऊपर भी कमांडर के नियंत्रण एतना सर्वोच्च शक्तिशाली होवऽ हइ। संगठित रूप में ओकन्हीं सब कुछ कर सकऽ हका, लेकिन असंगठित रूप में आउ अकेल्ले, ओकन्हीं जानवर नियन चरऽ हका, जाहाँ गरेड़िया चाहऽ हइ। स्वतंत्रता के कीमत पर संगठन हमन्हीं के खुशी लगी ओतने विरुद्ध हइ, जेतना कि वास्तविक बेड़ी। सो गो दास, जहाज के बेंच के साथ सिक्कड़ से बान्हल, जेकरा चप्पू से [*249] अपन रस्ता पर चलावल जा हइ, शांति से आउ व्यवस्थित रहते जा हइ; लेकिन लेकिन ओकन्हीं के दिल आउ आत्मा में देखहो। यातना, शोक, निराशा। ओकन्हीं अकसर जिनगी के मौत से बदले लगी चाहते जइतइ, लेकिन एकरो पर लोग एतराज करते जा हथिन। ओकन्हीं के कष्ट के अंत के समाप्ति ओकन्हीं लगी खुशी के बात होतइ, लेकिन खुशी आउ दासता परस्पर विरोधी हइ, आउ ओहे से ओकन्हीं जीवित हइ। आउ ओहे से राज्य के बाहरी शांति आउ व्यवस्था से हमन्हीं के अंधा नञ् होवे के चाही, आउ खाली एहे कारण से एकरा खुशहाल नञ् समझे के चाही। हमेशे साथी नागरिक के दिल में देखहो। अगर ओकरा में शांति देखाय दे हको, तब वास्तव में कह सकऽ हकहो - ई खुशहाल हइ।
यूरोपियन लोग अमेरिका के तबाह करके[4], अमेरिका में पैदा होल हियाँ के निवासी लोग के खून से हियाँ के खेत के उपजाऊ बनाके, अपन नयका लालच खातिर हत्या पर लगाम कसलकइ। ई गोलार्द्ध के प्रकृति के शक्तिशाली कायापलट से नवीनीकरण होल, वीरान पड़ल खेत, अनुभव कइलकइ कि हल (plough) ओकर अँतड़ी के चीर रहल ह। उपजाऊ मैदान पर जे घास [*250] बढ़ गेले हल, आउ बिन कोय फल के सूख गेले हल, तेज दराँती से खुद के जड़ के काटल जा रहल अनुभव कइलकइ। पर्वत पर भव्य वृक्ष पड़ल हइ, जे ओकर चोटी के अतिप्राचीन काल से आच्छादित कइले हलइ। बंजर जंगल आउ बेकार झाड़ी के फलदार खेत में परिवर्तित कइल जा हइ आउ अमेरिका में पावल जाल सैकड़ो तरह के पौधा से आच्छादित कर देल जा हइ, चाहे एकरा में सफलतापूर्वक बाहर से लावल पौधा के लगा देल जा हइ। उपजाऊ घास के मैदान असंख्य जानवर से रौंद देल जा हइ, जेकरा मानव द्वारा भोजन आउ काम खातिर निश्चित कइल हइ। सगरो कृषक के रचनात्मक हाथ दृष्टिगोचर होवऽ हइ, सगरो खुशहाली के दृश्य आउ व्यवस्था के बाहरी संकेत देखाय दे हइ। लेकिन केऽ एतना शक्तिशाली हाथ से कंजूस आउ आलसी प्रकृति के एतना प्रचुर मात्रा में अपन फल देवे लगी बाध्य करऽ हइ? एक झपट्टा में भारतीय लोग के जनसंहार करके, भगमान के नाम पर शांतिप्रेम के पाठ पढ़ावे वला, नम्रता आउ मानवप्रेम के शिक्षक, क्रूर यूरोपियन लोग, दास लोग के खरीदी करके, विजेता द्वारा कइल घोर हत्या के जड़ पर, दासता के निष्ठुर [*251] हत्या के कलम (graft) लगावऽ हइ। नाइजेर आउ सेनेगल (Niger and Senegal) के गरम तट के ई अभागल शिकार, अपन घर आउ परिवार से कट्टल, अनजान देश में भेजल, व्यवस्था के रखरखाव के भारी राजदण्ड (scepter) के निच्चे, अमेरिका के उपजाऊ लेकिन कड़र जमीन के जोतऽ हइ, लेकिन ओहे अमेरिका ओकन्हीं के मेहनत के घृणा के दृष्टि से देखऽ हइ। आउ हम सब विनाश के ई प्रदेश के खुशहाल कहऽ हिअइ ई वजह से कि एकर जमीन में काँटेदार झाड़ी नञ् फैलल हइ आउ एकर अन्न के खेत में विभिन्न प्रकार के पौधा के प्रचुरता हइ। हम सब ऊ देश के खुशहाल कहते जा हिअइ, जाहाँ सो नागरिक ऐशो-आराम में डुब्बल रहऽ हइ, जबकि हजारो के पास विश्वसनीय जीविका नञ् होवऽ हइ, आउ न गरमी आउ ठंढक से उचित बचाव । ओह, कहीं ई समृद्ध देश बाद में फेर से बंजर नञ् हो जाय! ओह, कहीं काँटेदार पेड़ आउ भटकटैया (thistles) गहराई तक अपन जड़ फैलाके अमेरिका के सब बहुमूल्य उत्पाद के नष्ट नञ् कर दे! ऐ हमर प्रिय जन, थर्रा जइते जा, कहीं तोरा बारे ई नञ् कह देते जाथुन - "खाली अपन नाम बदल लऽ, त ई कहानी तोरा पर लागू होतो" [5]
[*252] अभियो हम सब मिस्र के विशाल इमारत पर अचरज करऽ हिअइ। अद्वितीय पिरामिड लमगर अवधि तक मिस्र के लोग के साहसिक वास्तुकला के प्रमाण रहतइ। लेकिन काहे लगी ई मूर्खवत् पत्थर के ढेर तैयार कइल गेलइ? अहंकारी फ़ेरो (Pharaohs) के समाधि खातिर। ई अहंकारी शासक लोग, अमरता के पिपासु, मृत्यु के बादो अपन लोग के अपेक्षा बाहर-बाहर खुद के विशेषता देखावे लगी चाहते जा हलइ। ई तरह, इमारत के विशालता, जे समाज लगी बेकार हलइ, ओकर दासता के स्पष्ट प्रमाण हइ। नष्ट होल शहर सब के खंडहर में, जाहाँ परी सामान्य कल्याण कभी राज करऽ हलइ, हम सब देखऽ हिअइ स्कूल, अस्पताल, सराय, नहर, नाट्यशाला (थियेटर) आउ अइसने बिल्डिंग के खंडहर; शहरवने में, जाहाँ परी "हम" जादे प्रचलित हलइ, "हमन्हीं" नञ्, हम सब भव्य राजमहल, विस्तृत अस्तबल, जानवर के निवास-स्थल के खंडहर देखते जा हिअइ। दुन्नु के तुलना कइल जाय - हम सब के चयन (choice ) कठिन नञ् होतइ।
[*253] लेकिन विजय से प्राप्त यश में हीं हम सब कीऽ पावऽ हिअइ? ध्वनि, गड़गड़ाहट, अहंकार, आउ क्षय। हम ई यश के तुलना अठरहमी शताब्दी में आविष्कार कइल गुब्बारा (बैलून) से करबइ[6], जे तुरंत गरम हावा से फुला देल जा हइ, जे जे रेशमी कपड़ा से बन्नल होवऽ हइ आउ ध्वनि के वेग से उपरे उट्ठऽ हइ, ईथर (ether) के उच्चतम सीमा तक। लेकिन ऊ, जे ओकर शक्ति हलइ, लगातार महीन छिद्र से बाहर निकस रहले ह, ऊ भार, जे उपरे ले जाल गेले हल, प्राकृतिक रूप से निच्चे तरफ के रस्ता अख्तियार करके गिर रहले ह; आउ ऊ, जे तैयार होवे लगी महिन्नो के परिश्रम, सवधानी आउ खरचा लेलके हल, मोसकिल से दर्शक लोग के आँख के कुछहीं घंटा मनोरंजन कर सकऽ हइ।
लेकिन पुछहो कि विजेता के कीऽ चाही; ऊ की खोजब करऽ हइ आबाद देश के बरबाद करके चाहे निर्जन क्षेत्र के अपन राज्य में मिलाके? हमन्हीं के उत्तर मिल जइतइ सबसे क्रूर से, सिकन्दर से, महान कहलाय वला से; लेकिन वास्तव में ऊ महान अपन काम से नञ्, [*254] बल्कि अपन मनोबल आउ विनाशक शक्ति से। "ओ एथेन्स वासी लोग!", ऊ बोललइ, "तोहन्हीं सब के हमर प्रशंसा हमरा लगी केतना बेशकीमती हइ!" मूर्ख, देख तूँ काहाँ आ गेलँऽ हँ। तोर उड़ान के प्रचंड चक्रवात तोर प्रदेश से तेजी से गुजर रहलो ह, एकर वासी लोग के अपन चक्र में घींच रहलो ह, अपन गति के साथ राज्य के शक्ति के घींचते, अपन पीछू मरुभूमि आउ निष्प्राण क्षेत्र छोड़ले जा रहलो ह। तोरा समझ में नञ् आ रहलो ह, ऐ जंगली सूअर, कि अपन विजय से अपन भूमि के बरबाद कर देलँऽ हँ, तोर जित्तल जगह में तोरा कुछ नञ् सुख मिलतउ। अगर तूँ मरुभूमि पर कब्जा कइलँऽ हँ, त ई तोर साथी नागरिक सब लगी कब्र बन जइतउ, जेकरा में ओकन्हीं गायब हो जइतउ; नयका मरुभूमि के बसावे बखत उपजाऊ देश के तूँ बंजर बना देम्हीं। मरुभूमि के बसइला से कीऽ फयदा होतउ, अगर दोसर बस्सल बस्ती के मरुभूमि बना देम्हीं? अगर बस्सल देश पर कब्जा करऽ हीं, त कइल हत्या के गिनिहँऽ आउ भय से काँप उठिहँऽ। तोरा ऊ सब हृदय के नष्ट करे पड़तउ, [*255] जे तोर भयंकर प्रगति में तोरा से नफरत करे लगलो ह; ई नञ् आशा करिहँऽ कि ऊ लोग तोरा से प्रेम करतउ जे तोरा से डरे लगी बाध्य हो गेलो ह। बहादुर नागरिक लोग के संहार करके तोरा पास खाली डरपोक लोग अधीन रहतउ आउ तोर दासत्व के स्वीकार करे लगी तैयार रहतउ; लेकिन ओकरो में दबाव से प्राप्त कइल विजय के प्रति घृणा गहरा जड़ जमइतउ। खुद के धोखा नञ् दे - तोर विजय के फल हत्या आउ घृणा होतउ। भावी पीढ़ी के स्मृति में तूँ कष्टदाता के रूप में रहमँऽ; तूँ खुद के सोच से यातना पइमँऽ, ई जानके कि तोर नयका दास लोग तोरा से नफरत करतउ आउ तोर मौत लगी प्रार्थना करतउ।
लेकिन अपन नगीच के कृषक लोग के दशा पर विचार कइल जाय, हमन्हीं एकरा समाज लगी केतना हानिकारक पावऽ हिअइ। ई उत्पादन आउ लोग के वृद्धि के मामले में हानिकारक हइ, अपन उदाहरण के रूप में हानिकारक हइ, आउ खतरनाक हइ ई मामले में के ई अशांति पैदा करऽ हइ। मानव अपन स्वार्थ लगी उद्यम में प्रेरित होके, [*256] ऊ करतइ, जे नगीच या दूर के भविष्य में ओकरा लगी लाभदायक हो सकऽ हइ, आउ ऊ दूर रहतइ अइसन काम से, जेकरा में ओकरा लगी नगीच या दूर के भविष्य में लाभ नञ् मिलतइ। ई स्वाभाविक प्रोत्साहन के अनुसरण करके, खुद लगी हरेक चीज शुरू कइल काम, ऊ सब कुछ जे हम सब बिन कोय विवशता के करऽ हिअइ, हम सब सवधानी से, परिश्रमपूर्वक, निम्मन से करते जा हिअइ। एकर विपरीत, ऊ सब कुछ जे हम सब पराधीनतावश करते जा हिअइ, ऊ सब कुछ जे हम सब अपन लाभ लगी नञ् करऽ हिअइ, लपरवाही से करऽ हइ, आलस्यपूर्वक, आशंका से आउ जइसे-तइसे करऽ हिअइ। बिलकुल ओइसीं हमन्हीं अपन देश में कृषक लोग के पावऽ हिअइ। खेत ओकन्हीं के नञ् हइ, ओकर ऊपज ओकन्हीं के नञ् होवऽ हइ। ओहे से ओकन्हीं खेती आलस्यपूर्वक करऽ हइ, आउ ई बात के परवाह नञ् करऽ हइ कि जमीन परती रह जइतइ। ई खेत के तुलना अहंकारी मालिक के देल खेत से करहो, जे खेती करे वला के नाम मात्र के पेट भरे खातिर दे हइ। एकरा पर परिश्रम करे में कइसनो कष्ट के अनुभव नञ् करऽ हइ। कुच्छो ओकरा काम से नञ् भटकावऽ हइ। ऊ बहादुरी से समय के क्रूरता के [*257] सामना करऽ हइ; अराम लगी निश्चित कइल समय के परिश्रम में लगावऽ हइ; छुट्टी मनावे के निश्चित कइल दिन के भी भूल जा हइ। काहेकि ऊ खुद के फिकिर करऽ हइ, खुद लगी काम करऽ हइ, जे कुछ करऽ हइ खुद लगी करऽ हइ।  ओहे से ओकर खेत ओकरा लगी विशेष उपज देतइ; आउ ओहे से मालिक के खेत पर कइल काम के उपज मर जइतइ, चाहे बाद में फेर से नञ् उगतइ; जबकि उगवो करतइ आउ नागरिक लोग के तृप्ति खातिर जिंदो रहतइ, अगर खेती के काम सवधानी से कइल जइतइ, अगर अपन इच्छा से करे लगी देल जइतइ।
अगर जबरदस्ती करावल काम कमती उपज दे हइ, त जमीन के उत्पाद के अपन लक्ष्य पूरा नञ् होला पर ओतने आबादी के वृद्धि में भी बाधा आवऽ हइ। जाहाँ  कुछ नञ् हइ, हुआँ केकरो पास खाय लगी भी होतइ, त ऊ नञ् बचतइ; ऊ दुर्बलता से मर जइतइ। ई तरह से दासता के खेत पूरा फसल नञ् देला से नागरिक सब के मार देतइ, जबकि प्रकृति के प्रचुर फसल देवे के इरादा हलइ। लेकिन दासता में आबादी के वृद्धि में एहे एगो बाधा हइ? [*258] भोजन आउ वस्त्र के कमी के साथ-साथ असीम थकावट के हद तक के काम जोड़ देल गेलइ। मानव के कोमल से कोमल भावना में भी अहंकार के अपमान आउ शक्ति के कष्ट जोड़ देहो; तब आतंक के साथ विनाशक परिणाम देखभो दासता के, जेकर विजय आउ जीत से अंतर ई हइ कि ओकरा पैदा नञ् होवे दे हइ जेकरा जीत काट दे हइ। लेकिन एकरा से आउ जादे हानि हइ। हर कोय के ई देखना असान हइ कि एगो संयोगवश आउ तात्कालिक रूप से विनाश करऽ हइ, जबकि दोसरा लमगर अवधि तक आउ हमेशे; एगो जब ओकर विजय के उड़ान समाप्त होवऽ हइ, त अपन क्रूरता खतम कर दे हइ; दोसरा हुआँ परी शुरुए होवऽ हइ, जाहाँ परी पहिलौका खतम होवऽ हइ, आउ वास्तव में बदल नञ् सकऽ हइ, सिवाय हमेशे खतरनाक समुच्चे आंतरिक कायापलट के द्वारा।
लेकिन कुच्छो जादे हानिकारक नञ् हइ बनिस्पत दासता के चीज के हमेशे के दृष्टिकोण। एक तरफ तो अहंकार पैदा होवऽ हइ, त दोसरा तरफ भीरुता। हियाँ परी कोय आउ दोसर संबंध नञ् हो सकऽ हइ, सिवाय [*259] बल के। आउ ई, एगो छोटगर परिवेश में जामा होके, अपन दमनकारी निरंकुश क्रिया-कलाप कठोरता से सगरो फैलावऽ हइ। लेकिन दासता के समर्थक, जेकर हाथ में शासन के नोक रहऽ हइ, जे खुद्दे बेड़ी में डाल देवल जा सकऽ हइ, एकर सबसे प्रबल प्रचारक हो जा हइ। लगऽ हइ, स्वाधीनता के आत्मा दास लोग में एतना सूख जा हइ कि नञ् खाली अपन तकलीफ के दूर करे लगी नञ् चाहऽ हइ, बल्कि दोसरा के स्वाधीन देखना बरदास नञ् करऽ हइ। ओकन्हीं के अपन बेड़ी से लगाव हो जा हइ, अगर मानव के अपन खुद के नाश से प्रेम करना संभव हइ। हमरा लगऽ हइ कि ओकन्हीं में साँप देखाय दे हइ, जे पहिला मानव के पतन के कारण होले हल। शासन के काम के उदाहरण संक्रामक होवऽ हइ। हमन्हीं खुद के स्वीकार करे के चाही कि हमन्हीं साहस आउ प्रकृति के लाठी से हथियारबन्द हिअइ ऊ सो सिर वला राक्षस के नाश लगी, जे निगल जा हइ लोग के भोजन के, जेकरा तैयार कइल जा हइ लोग के भरण-पोषण लगी, हमन्हीं खुद्दे शायद भूल से एकतन्त्रीय क्रिया-कलाप (autocratic acts) में सम्मिलित हो गेते गेलिअइ, आउ हलाँकि हमन्हीं के इरादा हमेशे निम्मन हलइ आउ [*260] सबके कल्याण के प्रयास करते गेलिए ह, लेकिन हमन्हीं के निरंकुश व्यवहार के अपन उपयोगिता से न्यायसंगत नञ् कहल जा सकऽ हइ। ओहे से अभी अपने से क्षमा माँगऽ हिअइ अपन अनभिप्रेत धृष्टता लगी। कीऽ हमर प्रिय साथी नागरिक लोग, तोहन्हीं नञ् जानऽ हो, कि हमन्हीं लगी कइसन विनाश सामने खड़ी हइ आउ हमन्हीं पर कइसन खतरा मँड़रा रहले ह? दास लोग के सब्भे कठोर भावना, जेकरा स्वतंत्रता के उदार लहराव (gesture, waving) नञ् देखावल जा हइ, आंतरिक संवेदना के बरियार करऽ हइ आउ पूर्णता तक पहुँचावऽ हइ। ऊ धारा, जेकरा बहाव में रोक देल जा हइ, ऊ ओतने जादे बरियार हो जा हइ जेतना जादे कठोर बाधा से पाला पड़ऽ हइ। एक तुरी जब बाँध के तोड़ दे हइ, त ओकर बहाव के कुच्छो नञ् रोक सकऽ हइ। अइसने हमन्हीं के बन्धु लोग हथिन, जिनका हमन्हीं बेड़ी में रखले हिअइ। ओकन्हीं अवसर आउ समय के इंतजार कर रहलथिन हँ। घंटी बज्जऽ हइ। आउ ई पाशविकता के विनाशक शक्ति अत्यंत तेज गति से फूट पड़ऽ हइ। हम सब अपन चारो तरफ तलवार आउ जहर देखते जइबइ। मौत आउ अग्निदहन हमन्हीं के कठोरता आउ अमानवीयता लगी [*261] अवश्यंभावी हो जइतइ। आउ ओकन्हीं के बेड़ी ढीला करे में जेतने जादे हन्हीं देरी करबइ आउ जिद्दी बनल रहबइ, ओतने प्रचंड ओकन्हीं अपन बदला लेवे में होते जइतइ। पहिले के घटना के आद करते जाहो। बहकावा भी गोसाल दास लोग के अपन मालिक लोग के विनाश करे लगी उतारू कर देलकइ! असभ्य छद्मवेषी[7] द्वारा बहकावा में आके ओकर पीछू-पीछू चल्ले लगऽ हइ, आउ कुच्छो दोसर चीज नञ् चाहऽ हइ सिवाय अपन शासक (मालिक) लोग के गुलामी से छुटकारा पावे के; आउ अपन अज्ञानता में ओकन्हीं के जान मार देवे के सिवाय दोसर कुछ साधन नञ् सोच पावऽ हइ। ओकन्हीं न तो लिंग आउ न उमर के खियाल कइलकइ। ओकन्हीं बेड़ी के टुट्टे के लाभ से जादे बदला लेवे में खुशी खोजऽ हलइ।
त एहे हमन्हीं के सामने हइ, एहे हमन्हीं के आशा करे के चाही। विनाश के धीरे-धीरे तैयारी हो रहले ह, आउ खतरा हमन्हीं के सिर पर मँड़राय लगले ह। समय दराँती उठाके उचित अवसर के इंतजार में हइ, आउ पहिला चाटुकार चाहे मानवप्रेमी, जे अभागल लोग के जगावे के [*262] काम करतइ, ओकरा लहरावे में शीघ्रता करतइ। सावधान!
लेकिन अगर विनाश के आतंक आउ संपत्ति के नुकसान के खतरा तोहन्हीं में से कमजोर के प्रभावित कर सकऽ हइ, त कीऽ हमन्हीं एतना साहस नञ् जुटा सकऽ हिअइ कि अपन पूर्वाग्रह पर काबू पा लिअइ आउ अपन स्वार्थप्रेम के कुचल दिअइ, अपन बन्धु सब के दासता के बेड़ी से मुक्त कर दिअइ, आउ सब्भे लगी प्राकृतिक समानता बहाल कर दिअइ? अपन मूड जानके तोहन्हीं असानी से अइसन तर्क से ओकन्हीं के आश्वस्त कर सकऽ हो, जे मानवीय हृदय से प्राप्त कइल हइ, बनिस्पत स्वार्थप्रेम के हिसाब से, आउ एकरो से कहीं कम खतरा से। जइते जा हमर प्रिय लोग, अपन बन्धु लोग के घर जइते जा, ओकन्हीं के किस्मत में बदलाव के बारे घोषणा करते जाहो। हार्दिक संवेदना के साथ घोषणा करहो - अपन किस्मत पर तरस खाके हमन्हीं जइसन के साथ सहानुभूति दिखाके, हमन्हीं के साथ बराबरी समझके, आउ ई बात से आश्वस्त होके कि हमन्हीं के हित सामान्य (common) हइ, हम सब अपन बन्धु लोग के गले लगावे खातिर अइलिए ह। [*263] हम अभिमान भरल भेदभाव के त्याग कर देते गेलियो ह, जे तोहन्हीं से एतना समय तक अलग रखलको ह, हम हमन्हीं बीच के असमानता के भुला देते गेलियो ह, हम सब अपन पारस्परिक विजय के खुशी मनइते जा हिअइ, आउ आझ, एहे दिन हमन्हीं के प्रिय साथी नागरिक लोग के बेड़ी तोड़ देल जइतइ, आउ हमन्हीं के वर्षवृत्तांत में सबसे प्रसिद्ध दिन होतइ। हमन्हीं द्वारा तोहन्हीं पर पहिले के कइल अन्याय के भूल जइते जा, आउ हम सब एक दोसरा के दिल से प्यार करे लगी शुरू करते जाँव।
ई तोहर शब्द होतो; ई तोहर हृदय के अंदर में सुनाय देवे लगलो ह। देरी मत करते जा, हमर प्रिय लोग। समय तेजी से गुजर रहलो ह; हमन्हीं के दिन बिन कोय काम-धाम के गुजर रहलो ह। हम सब अपन जिनगी के खाली निम्मन इरादा के साथ नञ् गुजारते जाम, जेकरा हम सब पूरा नञ् करते गेलूँ हँ। एकर फयदा हमन्हीं के भावी पीढ़ी नञ् उठावे, आउ हमन्हीं के यश के ताज नञ् ले ले, आउ नफरत के साथ कहीं ई नञ् कहे - "ओकन्हीं हलथिन"।
त एहे हम पढ़लिअइ कादो में पड़ल ऊ कागज, जेकरा हम डाक स्टेशन के इज़्बा (लकड़ी के बन्नल झोपड़ी) के सामने से हम उठइलिए हल, [*264] जब हम किबित्का से उतर रहलिए हल।
इज़्बा में प्रवेश कइला पर हम पुछलिअइ कि हमरा से थोड़े सुन पहिले कउन-कउन यात्री हुआँ अइला हल। "यात्री लोग में से सबसे अंतिम", स्टेशनमास्टर बोललइ, "एगो कोय पचास साल के अदमी हलइ; यात्रापत्रक (traveling permit) के अनुसार पितिरबुर्ग जा रहले ह। ऊ भूलके कागज के एगो बंडल छोड़ देलकइ, जेकरा हम अभी ओकरा हीं अग्रेषित करब करऽ हिअइ।" हम स्टेशनमास्टर के निवेदन कइलिअइ कि ऊ हमरा ई कागज देखे लगी दे दे आउ ओकरा खोलला पर जनलिअइ कि जे कागज हमरा मिलले हल ओहो ओहे बंडल के हिस्सा हलइ। हम ओकरा बख्शीश देके, ई कागज ऊ हमरा दे दे, ई बात लगी ओकरा मना लेलिअइ। कागज के जाँच कइला पर हमरा मालुम पड़लइ कि ई हमर एगो प्रिय मित्र के हलइ, आउ ओहे से ई कागज के हथियावे के चोरी नञ् मनलिअइ। ऊ एकरा हमरा हीं से अभी तक नञ् मँगलथिन, आउ हमर इच्छा पर छोड़ देलथिन कि एक्कर हम जे चाहिअइ कर सकऽ हिअइ।
एहे दौरान, जबकि हमर घोड़वन के गाड़ी से जोतल जा रहले हल, हम बड़ी उत्सुकता से ई कागज के जाँच कइलिअइ [*265] जेकरा हम प्राप्त कइलिए हल। अधिकतर हम ओहे तरह के सामग्री पइलिअइ, जे हम पढ़लिए हल। सगरो हमरा मानवप्रेमी हृदय के मनोभाव पइलिअइ, सगरो भावी नागरिक के देखलिअइ। सबसे जादे ई स्पष्ट हलइ कि हमर मित्र विभिन सामाजिक स्थिति में विषमता से खिन्न हलथिन। कागज के पूरा पुलिंदा आउ कानून के मसौदा, रूस में दासता के उन्मूलन से संबंधित हलइ। लेकिन हमर मित्र, ई जानके कि सर्वोच्च प्रशासन (supreme power) अपन शक्ति में काफी नञ् हइ कि विचार में अचानक परिवर्तन के कार्यान्वित कर सकइ, अस्थायी कानून निर्माण के रूपरेखा तैयार कइलथिन हल ताकि चरणबद्ध क्रम से रूस में कृषक लोग के स्वाधीन कइल जा सकइ। हियाँ परी हम उनकर विचार के कार्यनीति (course) के देखा रहलिए ह। पहिला कानून संबंधित हइ ग्रामीण दासता आउ घरेलू दासता में भेद करे से। दोसरका के सबसे पहिले समाप्त कइल जा हइ, जमींदार लोग के मनाही हइ कोय कृषक के, चाहे गत जनगणना के दौरान गाम में रजिस्टर कइल कोय भी गाम के अदमी के घर में लावे के मनाही ह। अगर कोय जमींदार [*266] कोय कृषक के अपन घर में नौकर चाहे काम खातिर लावऽ हइ, त कृषक मुक्त या स्वाधीन हो जा हइ। कृषक लोग के विवाह करे लगी अपन मालिक के अनुमति लेवे के जरूरत नञ् होवे के चाही। विवाह फीस[8] वर्जित कर देवे के चाही। दोसरा कानून कृषक लोग के संपत्ति आउ रक्षा से संबंधित हइ। जे जमीन पर ओकन्हीं खेती करते जा हइ, ओकर ओकन्हीं के मालिकाना हक देल जाय के चाही; काहेकि एकरा लगी ओकन्हीं खुद्दे कर (capitation) चुकावऽ हइ। जे जायदाद कृषक खरीदे, ऊ ओकरे होवे के चाही; कोय नञ् ओकरा से मनमाना ढंग से वंचित करइ। कृषक के नागरिक के रूप में फेर से स्थापित करे के चाही। ओकर फैसला ओकर बराबर लोग द्वारा कइल जाय के चाही, अर्थात् रस्प्रावा[9] में, जेकरा में जमींदार के कृषक लोग के चयन कइल जाय के चाही। कृषक के अचल संपत्ति अर्जित करे के अनुमति देल जाय के चाही, मतलब जमीन खरीदे के। मुक्ति खातिर मालिक के एक निश्चित राशि के भुगतान करके स्वाधीनता प्राप्त करे लगी बिन बाधा के [*267] अनुमति देल जाय के चाही। बिन कानूनी कार्रवाई के मनमाना ढंग से दंड देना वर्जित करे के चाही। "गायब हो जो बर्बर रिवाज, व्याघ्र के राज्य के नाश होवो!" हमन्हीं के विधिकर्ता (कानून-निर्माता) (legislator) कहऽ हथिन ... एकरे साथ दासता के सम्पूर्ण विनाश हो जइतइ।
नागरिक लोग के समानता के पुनःस्थापित करे के संभावना से संबंधित कइएक अध्यादेश के बीच हमरा रैंक के तालिका (Table of Ranks) मिललइ। कोय भी खुद कल्पना कर सकऽ हइ कि ई आझ के जमाना में केतना अनुपयुक्त हइ, केतना असंगत हइ। लेकिन अभी त्रोयका के बिचला घोड़वा के दुगा[10] घंटी बजावे लगी शुरू कर चुकले ह आउ हमरा प्रस्थान करे लगी बोलाब करऽ हइ; आउ ओहे से हम तय कइलिअइ कि ई सोचना बेहतर होतइ कि डाकगाड़ी से जाय वला यात्री लगी कउची जादे लादायक हइ - घोड़वन दुलकी चाल से चल्ले कि मन्थर गति से; या डाकघोड़ा लगी की बेहतर होतइ, दुलकी चाल से चल्ले कि सरपट गति से? बनिस्पत खुद के व्यस्त रखना अइसन चीज में जेकर अस्तित्वे नञ् हइ।



[1] दे॰फुटनोट 103, पृ॰246.
[2] तु॰ पृ॰ [*238], जाहाँ परी एक तिहाई बतावऽ हथिन। वस्तुतः, 1783 के जनगणना के अनुसार, रूसी लोग के लगभग 94.5 प्रतिशत कृषक हलइ। एकरा में से, लगभग 55 प्रतिशत जमींदार के घर में कार्यरत दास (manorial serfs), 39 प्रतिशत राजघराना के दास (crown serfs), आउ 6 प्रतिशत मुक्त कृषक (free peasants) हलइ।
[3] दे॰ Adam Ferguson (1767): “An Essay on the History of the Civil Society”, pp.401-418.
[4] अमेरिका के उपनिवेशीकरण स्वदेशी आबादी, भारतीय लोग (Indians), के अमानवीय विध्वंस के साथ-साथ चललइ। लेकिन, कब्जा वला भूमि में बड़गो बगान के खेती लगी सस्ता मजूर के जरूरत हलइ, आउ 1619 में हब्शी (नीग्रो) दास लोग के पहिला समूह के उत्तरी अमेरिका (वर्जीनिया) लावल गेलइ। अठरहमी शताब्दी में, दास व्यापार, जे स्पेनी, पोर्तुगीज़, फ्रांसीसी, डच आउ मुख्य रूप से ब्रिटिश द्वारा संचालित कइल गेले हल, व्यापक पैमाना पर पहुँच गेलइ - 1680 से 1786 तक, अफ्रीका से 20 लाख से अधिक दास अंग्रेजी उपनिवेश में आयात कइल गेले हल। इंग्लैंड के साथ लंबा युद्ध (1775-1783) के परिणामस्वरूप, पूर्व उपनिवेश संयुक्त राज्य अमेरिका के स्वतंत्र गणराज्य बन गेलइ। 1780 के दशक के शुरुआत में लिक्खल अपन "स्वाधीनता के समर्पित सम्बोध-गीत" (Ode to Liberty) (छंद 45-46) में रादिषेव उत्साहपूर्वक नयका गणराज्य के स्वागत कइलथिन, जे अंग्रेजी राजशाही के खिलाफ संघर्ष में स्वाधीनता प्राप्त कइलके हल। लेकिन अगला दौर के घटना सब, जेकरा लेखक निकटता से देख रहलथिन हल, उनकर अमेरिका के प्रति दृष्टिकोण के बदल देलकइ। हलाँकि स्वतंत्रता के युद्ध के परिणामस्वरूप गणतंत्र के उत्तरी राज्य सब में दासता के समाप्त कर देल गेले हल, लेकिन दक्षिणी राज्य सब में ई जारी रहलइ आउ  हियाँ तक कि कपास, तंबाकू, चीनी, साइट्रस आउ दोसर बड़गो बगान के विकास के कारण एकर काफी विस्तार होलइ। बगान लगावे वलन आउ मध्यवर्ग (bourgeoisie)  के हित में नयका अमेरिकी संविधान, जेकर मसौदा 1787 में तैयार कइल गेलइ (आउ 1789 में लागू होलइ) , आखिरकार दक्षिणी राज्य सब में गुलामी के अस्तित्व स्थापित कइल गेलइ, जाहाँ अश्वेत के, जे आबादी में अधिसंख्यक हलइ, हैसियत पशुधन (livestock) के दर्जा तक आ गेलइ (संयुक्त राज्य अमेरिका में दासता 1861-1865 के गृहयुद्ध के परिणामस्वरूप औपचारिक रूप से समाप्त कर देल गेलइ)। एहे परिस्थिति रादिषेव के "ख़ोतिलोव" में अमेरिकी मध्यवर्ग "लोकतंत्र" पर एगो अभिशाप के साथ बोले लगी बाध्य कइलकइ। 

[5] तु॰ "Mutato nomine, de te fabula narratur"; Horace, Satires, I.i.69-70.
[6] पहिला गुब्बारा, कागज से बन्नल (जल्दीए रेशम से बदल देल गेलइ) आउ गरम हावा से भरल, फ्रांसीसी जोसेफ और एतियेन मौँगोल्फिये (Etienne Montgolfier) द्वारा आविष्कार कइल गेलइ आउ 5 जून 1783 के लॉन्च कइल गेलइ, आउ ओहे साल 27 अगस्त के हाइड्रोजन से भरल एगो गुब्बारा छोड़ल गेलइ, जेकर आविष्कार प्रोफेसर शार्ल (Charles) द्वारा कइल गेले हल। 21 नवंबर 1783 के पेरिस में, मौँगोल्फिये बन्धु द्वारा डिज़ाइन कइल गुब्बारा पर, पिलात्र द रोज़िये (Pilatre de Rosier) और मार्किस दारलाँ (Marquis d'Arlan) उड़ान भरलका; उड़ान 25 मिनट तक चललइ, आउ गुब्बारा 1000 मीटर के ऊँचाई पर पहुँचलइ। 1 दिसंबर के, एगो हाइड्रोजन गुब्बारा पर, शार्ल आउ रॉबर्ट दु तुरी दोगना ऊँचाई तक उठला आउ 2.5 घंटा तक हावा में रहला। जनवरी 1785 में, फ्रांसीसी ब्लाँशार (Blanchard) ला माँश (La Manche) से होते इंग्लैंड से फ्रांस के उड़ान भरलका। पितिरबुर्ग में, गुब्बारा के पहिला सार्वजनिक प्रदर्शन नवंबर 1783 में होले हल।
[7] इमिल्यान पुगाचोव (1742-1775); दे॰ एद्रोवो, फुटनोट 101.
[8] प्राचीन रूस में, जब एगो लड़की के दोसर गाम से विवाह करके लावे के होवऽ हलइ, त एकरा लगी विवाह फीस देवे पड़ऽ हलइ।
[9] रस्प्रावा - (रूस में अठरहमी शताब्दी के उत्तरार्द्ध आउ उनइसमी शताब्दी के पूर्वार्द्ध में) सरकारी कृषक लोग के न्यायपालिका (कोर्ट) के नाम; अइसन न्यायपालिका खातिर भवन।
[10] दुगा (shaft-bow) - त्रोयका (तीन घोड़ा से घिंच्चल जाय वला गाड़ी) में बीच वला घोड़वा के जे दुन्नु बम (पोल) के बीच में जोतल रहऽ हइ, ओकर अंत वला छोर पर ऊ घोड़वा के गरदन के उपरे दुन्नु बम के जोड़े वला धनुष के आकार के कमानी।