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Thursday, December 31, 2009

12. मासिक पत्रिका "अलका मागधी" (2009) में प्रयुक्त मगही शब्द

अमा॰ = मगही मासिक पत्रिका "अलका मागधी"; सम्पादक - डॉ॰ अभिमन्यु मौर्य, पटना
ई सन्दर्भ में पहिला संख्या संचित (cumulative) अंक संख्या; दोसर पृष्ठ संख्या, तेसर कॉलम संख्या आउ चौठा (बिन्दु के बाद) पंक्ति संख्या दर्शावऽ हइ । उदाहरण -
जुलाई 1995 खातिर संचित अंक संख्या = 1;

दिसम्बर 1995 खातिर संचित अंक संख्या = 6;
दिसम्बर 1996 खातिर संचित अंक संख्या = 6 + 12 = 18;

दिसम्बर 2007 खातिर संचित अंक संख्या = 6 + (2007-1995) X 12 = 6 + 12 X 12 = 150;
दिसम्बर 2009 खातिर संचित अंक संख्या = 6 + (2009-1995) X 12 = 6 + 14 X 12 = 174;

जनवरी 2009 खातिर संचित अंक संख्या = 6 + (2008-1995) X 12 + 1 = 6 + 13 X 12 + 1 = 163.
अप्रैल 2009 खातिर संचित अंक संख्या = 6 + (2008-1995) X 12 + 4 = 6 + 13 X 12 + 4 = 166.


1 अँकवारना (अमा॰173:18:2.31)
2 अँकुरना (अँकुरला पर) (अमा॰172:11:1.19)
3 अँकुरा (दू-तीन दिन के बाद सोनी के आँठी से ~ बाहर हुलक रहल हल) (अमा॰163:13:2.25, 27, 29, 30, 31)
4 अँटकना (अँटकल) (अमा॰167:8:1.6)
5 अँटाना (खाली माथा में अँटावहीं से काम चले के नऽ हो) (अमा॰165:18:1.17)
6 अइसन-वइसन (अमा॰173:10:1.21)
7 अइसहीं (अमा॰170:18:1.11)
8 अईंटा (अमा॰173:1:2.11)
9 अकबकाना, अकबका जाना (अमा॰166:8:1.5; 173:15:1.1)
10 अकास (= आकाश) (अमा॰163:13:2.20)
11 अखनी (अमा॰174:13:2.17)
12 अगल-बगल (अमा॰173:13:1.4)
13 अगुआई-बरतुआई (अमा॰165:15:2.18)
14 अगे (अमा॰165:10:2.13)
15 अच्छत (अमा॰165:12:1.2)
16 अजनिया-बजनिया (अमा॰167:9:2.1)
17 अजमाना (अमा॰173:10:1.10)
18 अजाद (= आजाद) (अमा॰172:3:2.15; 173:9:2.10)
19 अजादी (= आजादी) (अमा॰164:9:2.25; 170:5:1.26; 172:5:2.5)
20 अटर-पटर (अमा॰165:10:1.26, 29)
21 अड़ोस-पड़ोस (अमा॰169:14:1.1)
22 अड़ोसी-पड़ोसी (अमा॰173:11:1.12)
23 अदना (~ माहटर) (अमा॰174:7:1.12)
24 अदमी (अमा॰173:15:1.10)
25 अदरा (= आर्द्रा नक्षत्र) (अमा॰174:12:1.16)
26 अधवैस (कत्ते लड़की तिलक-दहेज के चलते अधवैस हो जाहे, कत्ते बूढ़-सूढ़ दोवाहा के साथे बिआहल जाहे) (अमा॰165:6:2.4)
27 अनछपल (अमा॰170:6:2.12)
28 अनता-मनता (रमेसर भइया के बियाह होला जब पाँच बरिस बीत गेल आउ एक्को लइकन-फइकन न भेल, तब सब लोग चिंता में डूबे लगलन । फिन दू साल तक खूब ~ मानल गेल । बाकि अफसोस...) (अमा॰173:19:1.3)
29 अन्धार (अमा॰166:14:2.25; 174:9:1.1)
30 अन्हरचटकी (पूछल चाहऽ ही - हमनी के दुनिया के ~ काहे लगल हे, जे पूरब के बजाय पच्छिम जा रहल हे ?) (अमा॰171:13:1.6)
31 अन्हरा (~ खातिर आँख ओतना महत्वपूर्ण नञ् हल, जेतना हमरा ले मिसिर जी के ई प्रस्ताव) (अमा॰166:8:1.17)
32 अन्हरिया (~ रात में) (अमा॰172:12:1.18; 174:13:1.2)
33 अफजाई (उनखो लोग उपहार देके उनखर हौसला ~ करऽ हथ) (अमा॰174:7:2.2)
34 अफरात (अमा॰168:8:2.18, 10:2.2)
35 अबकी (~ भर) (अमा॰173:19:2.31, 20:1.9)
36 अबरी (अमा॰166:14:2.22)
37 अबहियों (अमा॰170:12:1.34)
38 अबादी (= आबादी) (अमा॰174:6:2.6)
39 अभास (= आभास) (अमा॰169:9:2.10)
40 अमगूरा (~, अँचार आउ अमावट के घर में कोई कमी नञ रहत) (अमा॰163:14:1.2)
41 अमदनी (उपरवार ~) (अमा॰171:7:1.22)
42 अमावट (अमगूरा, अँचार आउ अमावट के घर में कोई कमी नञ रहत) (अमा॰163:14:1.2)
43 अरग (= अर्घ्य) (हम्मर बउआ के दुख हर लेबऽ तो हम एतवार करबुअ आउ तोरा दोहरे सूप से अरग देबुअ) (अमा॰165:10:1.9)
44 अर-बर (~ बकना) (अमा॰165:12:1.16)
45 अरमन्ना (~ के साधन) (अमा॰168:5:1.16)
46 अराम (सिंचाई विभाग के नोकरी में तो ~ आउ छुट्टिये-छुट्टी रहऽ हे) (अमा॰173:19:1.14)
47 अलकतरा (~ करिया बुझाइत हई गे । गोड़वा तो लगऽ हई अलकतरा में डूबल हई ।) (अमा॰167:9:1.3)
48 अलचार (= लाचार) (बेमार अदमी, बूढ़ा अदमी, ~ के देख के महात्मा बुद्धो डिप्रेशन में आ गेलन हल) (अमा॰169:10:2.18)
49 अलता (= अरउता) (गोड़ के एँड़ी में लाल-लाल ~ के जगह बेआय के दाग गहरायल जा रहल हल) (अमा॰166:8:2.27; 167:14:1.9)
50 अल-बल (मोबाइल पर एक-दूसरा से घंटो ~ बतिआइत रहऽ हे) (अमा॰170:7:1.29)
51 अलोप (= लुप्त) (पुरनकन चीज जइसे चकचन्दा-गीत पहिले भादो में गावल जा हल, बाकि अब ई अलोप होल जा रहल हे) (अमा॰163:6:2.18)
52 अवाज (अमा॰165:19:1.4; 171:10:1.8; 172:14:2.11)
53 असलोक (= श्लोक) (अमा॰167:17:2.8)
54 असिरवादी (अमा॰174:7:1.18)
55 अस्तर (केकरो तन पर बस्तर नञ, घरवालियो के फट्टल साड़ी पर ~ नञ, मुदा ताड़ के छिलकोइयो से बत्तर जिनगी) (अमा॰173:16:1.15)
56 अहमियत (अमा॰174:6:1.15)
57 अहरा (अहरे पोखरिये करहे नदिये तलइये नाले, हरि-हरि जलवा मछलिया बगुला सोहाहै रे हरी ।) (अमा॰169:18:2.1)
58 आँठी (आम के ~) (अमा॰163:13:1.25, 27, 2.1, 2)
59 आंधर (= अन्धा) (अमा॰165:22:1.33)
60 आगू (देवी स्थान के ~ एगो चबूतरा बनावल जाएत) (अमा॰173:6:1.19)
61 आगू-पीछू (~ होल बुलना) (अमा॰173:13:1.20)
62 आजिज (अमा॰166:14:2.12)
63 आजीज (सब बुतरुन कपड़ा पेन्हयते-पेन्हयते आजीज-आजीज हो गेलन, तब कहीं जाके सफल होलन) (अमा॰173:18:1.29)
64 आझ (= आज) (आझो, आझे) (अमा॰166:7:1.31, 2.3; 174:5:2.16)
65 आझकल (अमा॰164:6:2.23)
66 आन (अइसे तो समाज में ई धारणा हे कि ठाकुर लोग अप्पन आन, बान आउ शान के चलते जउन काम भी करतन, ओकरा खराब न कहल जायत) (अमा॰173:7:2.21)
67 आना-कानी (रुपइया देवे में ~ करना) (अमा॰173:6:1.20)
68 आर (आर तर छप-छप चले कुदार) (अमा॰169:1:1.5)
69 आरी (खेत में काम के समय बाबूजी अरियो पर बइठ के योगेन्द्र के हिम्मत देल करऽ हलन) (अमा॰166:16:1.10)
70 आसिन (अमा॰167:14:2.11)
71 आहर (अमा॰168:8:2.21)
72 इंगोरा (अमा॰165:13:2.2)
73 इंजोर (दीया के ~) (अमा॰166:17:1.6)
74 इंजोरिया (अमा॰169:17:1.32)
75 इजहार (लोग एक-दूसरा से गला मिलके प्यार-मोहब्बत के ~ करऽ हथ) (अमा॰171:3:1.22)
76 इन्तजाम (अमा॰174:8:2.1)
77 इन्नर (~ के परी) (अमा॰167:9:1.6)
78 इरादा (अमा॰174:7:2.3)
79 इलिमबाज (अमा॰168:6:1.2)
80 इस्कूल (अमा॰172:5:1.17; 173:6:1.18)
81 ईंजोर (अमा॰168:8:2.23)
82 ईंटा (पकिया ~) (अमा॰173:13:1.13)
83 ईंटा-गिट्टी (अमा॰166:7:1.15)
84 उँचगर, ऊँचगर (अमा॰163:8:2.18; 172:14:2.32; 173:3:1.9)
85 उगटना (अमा॰166:14:2.7)
86 उघारना (आज के जुग में मोडरन माने होवऽ हे - .. रिस्ता-नाता, ऊँच-नीच, लोक-लाज के तनिक्को फिकिर न करे । फैसन में सउँसे देह उघारले चले ।) (अमा॰170:10:1.32)
87 उजबुज (~ में पड़ना) (जगत जी के परान बरसात के देख के सूख गेल आउ ऊ ~ में पड़ गेलन) (अमा॰168:11:2.27)
88 उजूर (इन्दर भगवान से करम ~) (अमा॰174:12:1.15)
89 उज्जर (आँख पर चसमा, गोड़ में चप्पल, उज्जर धोती, कुरता आउ बंडी - एहि हल उनकर भेस-भूसा) (अमा॰169:6:1.18)
90 उतरी (मरला पर ठौरिये गंगा में लास जलाके अपने उतरी पेन्हले नन्दनामा दम-दाखिल होलन) (अमा॰170:6:1.33, 2.2)
91 उदवास (= दुर्व्यवहार) (आज सुनरी पढ़-लिख के मास्टरनी बन गेल हे । उ एकर सारा श्रेय मइया पानो के देवऽ हे, भले मइया के ~ ही ओकर सफलता के कुंजी बनल ।) (अमा॰163:12:2.30)
92 उनइस-बीस (~ के बाते न हे) (अमा॰174:5:1.29)
93 उनखर (अमा॰173:13:1.27)
94 उपजल (~ अगहन) (अमा॰174:12:1.1)
95 उपरवार (~ अमदनी) (अमा॰171:7:1.22)
96 उबियाना (गाँवे-गाँव घुमे ला उबियावइत हे धनियाँ, से भर जयतइ बोझा से सउँसे खरिहनियाँ ।) (अमा॰174:12:2.9)
97 उमरगर (अमा॰170:11:2.26)
98 उमरदराज (अमा॰163:8:1.16)
99 उराही (= उड़ाही) (पोखर आउ पईन के ~) (अमा॰173:5:2.4)
100 उरेबी (आज तलक केकरो से उरेबी सुने के ई मौका न देलक) (अमा॰163:15:1.8)
101 उलाना-पकाना (अमा॰174:11:1.2)
102 ऊड़िस (अमा॰170:8:1.32; 172:7:1.21, 29, 8:2.5, 6)
103 ऋषि (अमा॰163:7:1.1, 32, 2.21)
104 एकछत्तर (~ राज स्थापित करना) (अमा॰166:7:1.25)
105 एकारसी (तरे-तरे गुड़-चुड़ा, ऊपरे से एकारसी) (अमा॰172:12:1.4)
106 एखन्हीं (अमा॰173:18:2.28)
107 एजगुन्ने (= इसी जगह पर) (अमा॰166:7:2.2)
108 एतवार (~ के तीन बजे दिन में) (अमा॰163:14:1.20; 165:10:1:8)
109 एत्ते (~ जोर से) (अमा॰171:9:1.3)
110 एन्ने (एन्ने .... ओन्ने) (अमा॰173:16:2.30)
111 एन्ने-ओन्ने (अमा॰163:13:1.20, 15:2.15; 166:9:2.9; 169:5:2.23; 173:13:1.31)
112 एसो (एसो भी नइहर गेली त, न देलऽ हल साड़ी । झुट्ठो कहलऽ नोकरी लगतइ, बेचम न खेंसाड़ी ।।) (अमा॰172:20:1.21)
113 ओइजे (अमा॰166:16:2.19)
114 ओक (देवलोक के राह से चल गेलन सुरलोक । कविता के आलोक से चकमक उनकर ओक ।।) (अमा॰174:16:1.4)
115 ओकील, ओकिल (= वकील) (अमा॰169:19:1.19, 2.20)
116 ओकीली (= वकीली, वकालत) (अमा॰169:17:2.4)
117 ओजनदार (= वजनदार) (अमा॰163:9:2.32)
118 ओजय (= वहीं, ओज्जे) (अमा॰173:1:1.21)
119 ओजा (हरजोतवा बैल के जोड़ा ~ इलाका भर में नञ हल) (अमा॰173:13:1.11)
120 ओजे (अमा॰163:14:2.2; 166:10:2.26; 172:5:1.21)
121 ओझाई (अमा॰165:10:2.27, 11:2.28)
122 ओतिये (~ घड़ी) (अमा॰173:12:1.26)
123 ओती (ओती घड़ी = उस घड़ी) (ओती घड़ी गुड्डु चउदह साल के हल आउ गउरी एगारह साल के) (अमा॰172:14:1.6)
124 ओन्ने (एन्ने .... ओन्ने) (अमा॰173:16:2.30)
125 ओफ्फोह (ओफ्फोह ! एतना गरमी ! बाप रे बाप ! तड़ातड़ पसेना छूट रहल हे ।) (अमा॰165:7:1.15)
126 ओरिया (होतई भकचोंधर आउ का ? ~ भर तिलक भी लेतन आउ इन्नर के परी दुल्हन भी ?) (अमा॰167:9:1.5)
127 ओरी (ओरी चूके गोठहुल भींगल, जरना हो गेल बोथा । काट-काट के सुखा के घर में, धरली हल जे मोथा ।।) (अमा॰172:20:1.7)
128 औंझ-पौंझ (कानून-बेवस्था ~ हो गेल हे) (अमा॰171:10:1.33)
129 औंधी-पौंधी (अमा॰166:14:1.25)
130 औकात (अमा॰169:12:1.32)
131 कउची (कउची-कउची के) (अमा॰167:8:2.23; 174:15:1.4)
132 कखनी (अमा॰169:12:2.24)
133 कखने (अमा॰166:10:1.15)
134 कचरस (अमा॰168:8:2.11)
135 कछटना (जिनगी कछट-कछट के बिततउ, ई सब सोचले ?) (अमा॰165:22:2.10)
136 कड़कड़ (पाकिट ~ रहना) (अमा॰174:8:2.21)
137 कत्ते (अमा॰166:11:1.24)
138 कद-काठी (अमा॰169:6:1.14)
139 कनेमा (~ करिया बुझाइत हई गे । गोड़वा तो लगऽ हई अलकतरा में डूबल हई ।) (अमा॰167:9:1.2)
140 कन्ने (हमरा छोड़ के कन्ने चल गेलऽ हो बाबूजी !) (अमा॰171:10:1.17)
141 कबाड़ना (अमा॰166:14:2.7)
142 कबारना (एक दिन तेतर भगत के लत्तर धनेसर कबार देलक) (अमा॰169:13:2.17)
143 कमाल (बुद्धि के ~) (अमा॰174:7:2.7)
144 कमियाँ (रोपनी लेतइ झुल्ला-साड़ी, आउ कमियाँ नचतै-गइतै) (अमा॰169:1:1.14)
145 कय (= कई) (एगो कुइयाँ पर कय गो जनानी नहा रहलन हल) (अमा॰173:15:1.14)
146 कय (= कितना ?) (तूँ की करऽ ह बाबू, आउ कय गो भाई बहिन ह ?) (अमा॰165:5:1.25)
147 करकराना (जेठ-मास में पहिला फुहार, मट्टी के सोन्हा महक आउ करकरावल जा रहल घीउ के महक जइसन) (अमा॰166:8:1.28)
148 करकासिन (अमा॰166:14:2.16)
149 करगा (चिलकोरिया भी मरल-पड़ल एकरे ~ लग के सुतल हे) (अमा॰173:16:1.21)
150 करजा-पइंचा (अमा॰169:9:1.7)
151 करहा (अहरे पोखरिये करहे नदिये तलइये नाले, हरि-हरि जलवा मछलिया बगुला सोहाहै रे हरी ।) (अमा॰169:18:2.1)
152 कराही (~ के कारिख) (अमा॰166:8:2.26)
153 करिअट्ठी (बचपन में ओकरा संगी-साथी अपना साथे खेले भी न दे हलन । करिअट्ठी-करिअट्ठी कहके चिढ़ावऽ हलन ।) (अमा॰167:9:2.23)
154 करुआ (~ तेल) (अमा॰166:5:2.26)
155 कलपना-कलटना (कोई लड़की दहेज के चलते कलपे-कलटे नञ) (अमा॰165:6:2.16)
156 कलह-कलकान (दरअसल गाँव लड़ाई-भिड़ाई ~ से दूर हल) (अमा॰169:13:2.12)
157 कल्ह (~ परमुख के भोट पड़तय) (अमा॰173:1:1.12)
158 कल्हे (= कल) (कल्हे यानी एतवार के तीन बजे दिन में दाऊदनगर के गर्ल हाई इस्कूल के मैदान में देस के भावी प्रधानमंत्री के आगमन होइत हे) (अमा॰163:14:1.19, 25)
159 कसइनी (ई कसइनी, हत्यारिन हमरा सड़ल-गलल खाना दे देवऽ हल) (अमा॰163:15:2.31)
160 कहनाम (अमा॰171:5:2.33, 7:1.11; 172:15:2.2)
161 कहाउत (मगही के खाँटी मुहावरा आउ कहाउत) (अमा॰172:12:2.4)
162 कहिया (अमा॰172:10:2.5)
163 कहियो (= कभी, किसी दिन) (कहियो तो रउदा करे निज बादरकट्टु रामा, हरि-हरि कहियो निरन्तर झड़िया लगावे रे हरी ।; रोज कइसहूँ चूल्हा पर, सेंकऽ ही हम रोटी । कहियो जे देरी होवऽ हे, फोड़ऽ ह नरेटी ।।) (अमा॰169:18:1.19; 172:20:1.6)
164 का जानी (अमा॰170:11:2.7)
165 काँटा-कुस (अमा॰174:13:1.9)
166 काजर-बीजर (~ मत बन तिलेसरी ! जमाना मार देतउ । अइसन सिंगार-पटार बड़कन के बेटी करऽ हे । ओखनी एसनो-पाउडर, काजर-बीजर करऽ हे, त सोहऽ हे । तों करबे, तब लोग तोरा रंडी-पतुरिया कह देतउ ।) (अमा॰168:9:2.2)
167 काड़ा (जल्दी पुंज लगत ~ से भरलै खरिहनियाँ, से भर जयतइ बोझा से सउँसे खरिहनियाँ ।) (अमा॰174:12:2.5)
168 कातो (देखइत ह न तोहनी सभे, गंगा नेहाए से पवित्तर हो जयतन कातो ।; सुनऽ एकर बात ! एहि समझदार हे हमरा से कातो ।; कन्हइया के बाँसुरी के अवाज सुनके उनकर गाय सब ~ आ जा हलइ; हे भगवान ! ~ पइसा ला लोग छोट-छोट बचवन के अपहरन करऽ हथ; ~ नोकरिया बाप के मरला पर मइया के आठ लाख रुपइया मिललइ हल) (अमा॰163:15:2.16; 165:7:2.28, 9:1.11; 171:11:2.16; 173:11:1.22, 2.2)
169 कान-कोतर (पहिले समाज में सब निबह जा हलई, ~, लुल्हा-लंगड़ा सब । अब लोग बेदर्द हो गेलन हे । नीमन-नीमन तो मारल चलइत हथ । सब के चाही गोर, सुत्थर, इन्नर के परी मेहरारू, ऊपर से ढेर मानी दहेज भी ।) (अमा॰167:10:1.34)
170 कानना (= रोना) (अमा॰171:9:2.21)
171 काम-किरिया (अमा॰166:8:2.18; 171:8:2.20)
172 काम-धाम (अमा॰173:19:1.29)
173 काहे कि (अमा॰173:13:2.21, 25, 16:1.2)
174 किदोड़ा (आस-पास कास फूले धान खेते झूला झूले, हरि-हरि पनियाँ ~ फरियावे रे हरी ।) (अमा॰169:18:2.19)
175 किरछा (मंजुआ बाप-बेटी लुगा पसार रहल हल ~ में) (अमा॰173:1:1.4)
176 किरपा (अमा॰173:4:1.18; 174:12:1.25)
177 किरिया (~ खाना) (अमा॰166:7:2.18)
178 किरिया-करम (अमा॰163:11:2.8; 166:15:1.4, 16:1.25; 171:18:2.21)
179 किसिम (किसिम-किसिम के बेमारी) (अमा॰173:3:2.31)
180 कीर्तनिया (कीर्तनियन) (अमा॰168:8:1.7)
181 कुइयाँ (अमा॰166:7:1.9; 173:15:1.13)
182 कुकरम (अमा॰170:12:1.28; 173:11:1.29)
183 कुटुम (सरबत पी ल ~ ! पियास लगल होतो ।) (अमा॰173:15:1.26)
184 कुट्टी (~ काटना) (ओकर दिन तो गाय-भईंस के चरावे, चारा लावे, ~ काट के खिलावे आउ दूध दुहवावे में बीत जा हल) (अमा॰163:12:2.1; 165:13:1.1)
185 कुत्ता-बिलाई (अमा॰173:16:2.25)
186 कुदार (आर तर छप-छप चले कुदार) (अमा॰169:1:1.5)
187 कुदारी (अमा॰173:21:2.15)
188 कुबेर (= कुबेला) (~ होना) (अमा॰169:17:2.28)
189 कुरमाली (अमा॰163:5:2.12)
190 केंका (तनि बुन्द छेंका रइनी अउरो भयावन रामा, हरि-हरि बेंगवा के केंका ठनके नगिनियाँ रे हरी ।) (अमा॰169:18:2.4)
191 केंचुलाना (केंचुलाल साँप) (अमा॰174:6:1.31)
192 केंवाड़ी (अमा॰165:17:1.7)
193 केतारी (बेचारी के नस-नस तो ~ के डाँढ़ जइसन पेरा गेलइ हल, खाली खोइये तो बचलइ हे) (अमा॰168:8:2.10; 173:16:1.8)
194 केन्ने (= कन्ने) (अमा॰165:19:1.13; 166:9:2.33)
195 केल्हुआरी (अमा॰171:17:1.11; 172:20:1.22)
196 केवाल (सउँसे भरमजाल के एक्के झटका में राय-छितिर करके मिसिर जी हमरा यथार्थ के ढेलगर ~ खेत में उठा के पटक देलन) (अमा॰166:8:1.4)
197 कैटिआयल (ओकर सुक्खल मुँह, ~ ठोर आउ पीयर देह देखे के हमरा तनिक्को फुरसत नञ् हल) (अमा॰166:9:2.13)
198 कोट-कचहरी (अमा॰174:13:2.19)
199 कोना-टुकड़ी (कोना-टुकड़िया-आधा खाके) (अमा॰166:14:2.20)
200 कोनासी (~ घर) (सउँसे घर-अंगना में सन्नाटा फैल गेल । मरेवला रोवाई ~ घर से गूंजे लगल ।) (अमा॰167:9:1.27)
201 कोनिया-भीतर (अमा॰166:8:2.21)
202 कोय (= कोई) (अमा॰170:5:1.11, 2.5; 174:5:1.3)
203 कोरसिस (अमा॰167:4:2.16)
204 कौपी (एक मिनट सोच के एगो किताब आउ ~ निकाल लेलक) (अमा॰173:21:1.13, 16)
205 खँचिया (खँचिये भर धान के गरमी से, ऐसन मिजाज बगद जाहो) (अमा॰174:13:2.3)
206 खँस्सी-पठरू (अमा॰173:12:1.2)
207 खइनी (रग्घू महतो के दलान पर ~, बीड़ी, तम्बाकू, सिगरेट आदि बिलकुल्ले नईं रहे) (अमा॰168:8:2.8; 173:10:2.16)
208 खखुआना (ऊ रुपइया का देत, उल्टे बुदबुदायत, भुनभुनायत आउ खखुआ के बोलत) (अमा॰173:21:1.31)
209 खटकिन (= झगड़ालू औरत) (सास अइसन खटकिन कि अप्पन मरद के सेवा तो नहियें करे, सेवा करेओली पुतोहियो के गंदा-गंदा गारी देवे) (अमा॰171:8:1.7)
210 खटमिट्टी (~ खटाई) (अमा॰173:22:1.23)
211 खटाई (अमा॰173:1:1.6)
212 खट्टरस (खान-पान में भात आउ सांभर के उपयोग होवऽ हे आउ सब ढंग के भोजन में इमली आउ ~ के प्रचलन हे) (अमा॰163:8:1.30)
213 खढ़ी (तीन सौ रुपइया ले आव, तब ~ वला जमीन छोड़बउ; हम्मर घरवा के पीछे वला खढ़िया पर तीस गो रुपइया लावऽ । बेटा पेड़ पर से गिर गेल हे ।) (अमा॰163:11:1.34)
214 खनदान (अमा॰165:9:2.1; 173:7:1.17)
215 खपड़पोस (हर, पालो, चउकी, नारन-जोती, भूसा आदि लागी अलगे ~ बनल हल; ~ मकान) (अमा॰168:8:1.31; 173:13:1.14)
216 खर-खन्दान, खर-खंदान, खर-खनदान (अमा॰172:15:1.12, 2.3)
217 खरिहान (अमा॰173:13:2.32; 174:12:1.23)
218 खरीहन (कुछ ~ रक्खम, कुछ बीहन रक्खम) (अमा॰174:12:1.13)
219 खलासी (ड्राइवर-खलासी) (अमा॰173:10:2.30)
220 खलीफा (नामी-गिरामी ~) (अमा॰173:5:1.3)
221 खाँटी (मगही के खाँटी मुहावरा आउ कहाउत) (अमा॰172:12:2.4)
222 खाय-पानी (मलकिनी भी हरसठे बेमारे रहऽ हथ । ~ बनावे के दिक्कत हे । उनकर कहनाम हे कि लइकी बेस रहत तो पइसा के महत्व न देम ।) (अमा॰172:15:2.1)
223 खाली (= केवल) (अमा॰173:15:1.6)
224 खिस्सा (अमा॰173:16:2.10)
225 खुदा-न-खास्ते (ऊ यदि रोवे के बहाना करथ, तो भइंसिया हमड़ले-घुमड़ते दउड़ल आवे आउ उनका निकट ~ अगर कोई पकड़ा जाय, त ओकरा चीर खाय) (अमा॰171:11:1.17)
226 खुदी (= कुद्दी) (माय पाँच ~ लगैलक - तीनो भाई, बहिन आउ अप्पन) (अमा॰173:11:2.3)
227 खुरपी (हँसुआ के बिआह में ~ के गीत) (अमा॰165:17:1.17)
228 खुसुर-फुसुर (अमा॰167:9:1.2)
229 खेत-बधार (अमा॰166:9:2.6)
230 खेसाड़ी, खेंसाड़ी (नेवारी के पुंज दू-दू, तीन-तीन गो, सामने खलिहान के ऊपरे ऊँचाई पर पुआल के गाँज अलग । ~ आउ मसुरी के गाँज पहाड़ नियन ।) (अमा॰168:8:2.2; 172:20:1.21)
231 खोंखड़ (हाई स्कूल में पढ़े ला सुरू कइली, त फाउण्टेन पेन खरीदली । ऊ प्लास्टिक के बनल हल जेकर सरीर ~ रहऽ हल । ~ भाग में सियाही भरल जा हल ।) (अमा॰167:17:1.22)
232 खोइया (बेचारी के नस-नस तो केतारी के डाँढ़ जइसन पेरा गेलइ हल, खाली खोइये तो बचलइ हे) (अमा॰173:16:1.8)
233 खोट्टा (खोरठा के खोट्टाली, खोट्टाई, खोट्टा नाम खोरठांचल में सेखे आउ सुने खातिर मिलऽ हे) (अमा॰163:5:2.30)
234 खोट्टाई (खोरठा के खोट्टाली, खोट्टाई, खोट्टा नाम खोरठांचल में सेखे आउ सुने खातिर मिलऽ हे) (अमा॰163:5:2.30)
235 खोट्टाली (खोरठा के खोट्टाली, खोट्टाई, खोट्टा नाम खोरठांचल में सेखे आउ सुने खातिर मिलऽ हे) (अमा॰163:5:2.30)
236 खोदाई (= खुदाई) (अमा॰173:5:2.6)
237 खोरठा (खोरठा के खोट्टाली, खोट्टाई, खोट्टा नाम खोरठांचल में सेखे आउ सुने खातिर मिलऽ हे) (अमा॰163:5:2.12, 30)
238 खोरठांचल (खोरठा के खोट्टाली, खोट्टाई, खोट्टा नाम खोरठांचल में सेखे आउ सुने खातिर मिलऽ हे) (अमा॰163:5:2.30)
239 गँड़ासा (अमा॰173:17:2.18)
240 गँतगर (सोनी अप्पन टुकड़ी ~ देख के सिहा गेल) (अमा॰163:13:1.26)
241 गंजन (अमा॰166:11:2.11)
242 गंडी (बाँध, गंडी, आहर, पोखर, पइन, सब ठिकाने सजल-बँधल खुलते रहल) (अमा॰168:8:2.21)
243 गगन-मगन (सोनी अपन आँठी से निकलल अँकुरा देख के ~ हो रहल हल) (अमा॰163:14:1.7)
244 गछना (लचार अदमी कसूर गछ के माफी माँगऽ हे) (अमा॰169:14:1.17)
245 गछल (~ वादा के अनुसार) (अमा॰164:10:2.23)
246 गट्ठर (खइनी के ~) (अमा॰173:10:2.16)
247 गड़ी-छोहाड़ा (अमा॰166:5:1.8)
248 गढ़गर (नाटक आउ रंगमंच में खूबे ~ रिस्ता हे) (अमा॰168:5:2.4)
249 गते-गते (अमा॰164:3:1.7; 167:9:2.3)
250 गबड़ा (अमा॰169:12:2.1)
251 गबड़ा (~ भरा जाना = मर जाना) (बेटी-बेटा मिलाके तेरह गो में छौ गो तो गबड़े भरा गेलन) (अमा॰173:16:1.13)
252 गबर-गबर (~ चाभना) (अमा॰171:9:2.31)
253 गमकना, गमक जाना (अमा॰165:8:1.22; 166:10:2.9)
254 गमछा (अमा॰171:11:1.20)
255 गमछी (बूँद से गेल गमछिया तीत) (अमा॰169:1:1.10; 173:1:1.5)
256 गरई (~ मछली) (अमा॰166:9:1.4)
257 गरमजरुआ (जउन जमीन पर सूरज बाबू मकान बनयलन हे, ऊ ~ हे आउ मालगुजारी के रसीद जाली हे) (अमा॰172:11:2.1)
258 गलथेथरी (अमा॰170:10:2.5)
259 गलबात (अमा॰166:17:1.2; 173:15:2.18)
260 गलमोछी (दारू के निसा में सराबोर होके रात के अंधेरिया में ~ बाँध के अप्पन चाचा, चाची आउ चचेरा भाई के हत्या कर देलक) (अमा॰173:17:2.29)
261 गलिया (संदूक में ~ लगा के दहा देना) (अमा॰173:12:1.24)
262 गल्ला-पानी (~उगाहना) (अमा॰163:15:1.16)
263 गहना-गिरो (= गहना-गुरिया) (अमा॰165:11:2.26)
264 गहिड़ा (पतन के ~ में गिराना) (अमा॰172:12:2.11)
265 गहिरा (सब अपना के कउनो न कउनो फ्रंट पर असुरक्षित, ~ में गिरल ,हसूस कर रहलन हे) (अमा॰169:10:2.22)
266 गाँज (नेवारी के पुंज दू-दू, तीन-तीन गो, सामने खलिहान के ऊपरे ऊँचाई पर पुआल के ~ अलग । खेसाड़ी आउ मसुरी के ~ पहाड़ नियन ।) (अमा॰168:8:2.2)
267 गाँती (बउआ खाली गाँती बाँधे, न हइ टोपी-सूटर) (अमा॰172:20:1.17)
268 गाँव-गिराँव (अमा॰169:5:2.3; 174:10:2.16)
269 गाँव-जेवार (अमा॰165:19:1:2; 166:6:1.9; 168:8:2.30; 173:7:1.22)
270 गाछ (गाछे-गाछे = गाछ-गाछ पर) (अमा॰169:18:1.8)
271 गाछ-बिरिछ (अमा॰173:15:1.5)
272 गाभी (गाभी मार के बोलना) (बउआ खाली गाँती बाँधे, न हइ टोपी-सूटर । गाभी मार बोललथुन भउजी, छौंड़ा के हम्मर टूअर ।।) (अमा॰172:20:1.18)
273 गाम (= गाँव) (बात हम्मर गामे के हे आउ आँखिन देखल हे) (अमा॰171:11:1.7; 173:13:1.3)
274 गारजीयन (अमा॰170:7:2.9)
275 गारी (~ बकना) (अमा॰173:1:2.6)
276 गिटपिट (इनका पहिले जे विदेस से, होके भारत आयल । ठाट-बाट में रहके ~, बासा में बतिआयल ।।) (अमा॰169:8:1.18)
277 गियारी (अमा॰166:8:2.22; 168:12:1.25)
278 गिरगिराना (= गिड़गिड़ाना, घिघियाना) (अमा॰173:7:1.4)
279 गिरथैनी (अमा॰166:8:2.19)
280 गिरमिट (खुफिया पुलिस रहल पीछे पर, कोई न डर के भागल । बंद कैल गेल ~ परथा, देख के जनता जागल ।।) (अमा॰169:8:2.32)
281 गिरह (~ बान्हना) (ई बात के ~ बान्ह ले आझ) (अमा॰165:13:2.3, 18:2.22)
282 गिलौरी (जीजा जी पान खाय लगलन । खयबो कयलन त अइसन-वइसन नऽ, एगो मुँह से निबटे न कि दूसर ~ मुँह के अन्दर ।) (अमा॰173:10:1.22)
283 गुंडई (अमा॰165:12:1.26)
284 गुनी (इहे गुनी = इसी कारण) (अमा॰171:10:1.34)
285 गुने (एहि गुने = इसी कारण) (अमा॰171:11:2.29)
286 गुरुपिंडा (अमा॰167:17:1.4)
287 गुहा-गिंजरी (बात साफ-साफ रहला से ठीक होवऽ हे । नयँ तो आगे चल के ~, माको-धीकी बढ़ियाँ नञ होवे ।) (अमा॰165:6:1.19)
288 गेठरी (अमा॰165:11:2.30)
289 गेनरा (कोठा के ऊपर एगो कोठरी में चउकी पर ~ बिछा के ऊ घर के भीतर चल गेलथिन) (अमा॰173:15:1.21)
290 गेन्हाना, गेन्हा जाना (अमा॰166:10:2.9)
291 गेयनगर (अमा॰163:12:1.3)
292 गेहुम (= गोहूम, गेहूँ) (अमा॰171:17:2.5)
293 गोइंठा (अमा॰173:21:2.29)
294 गोजी (बीड़ी फूँकइत खोंखइत गोजी लेके कंधा पर कुदारी रख के खेत में से घास निकाले ला चल गेलन) (अमा॰173:21:2.14)
295 गोठहुल (ओरी चूके गोठहुल भींगल, जरना हो गेल बोथा । काट-काट के सुखा के घर में, धरली हल जे मोथा ।।) (अमा॰172:20:1.7)
296 गोतिया-नइया (अमा॰163:14:1.3; 165:7:2.8)
297 गोबर-गोइंठा (अमा॰174:11:2.33)
298 गोर (= गोड़) (अमा॰173:8:1.20)
299 गोरैया बाबा (अमा॰166:17:1.5)
300 गोवाही (= गवाही) (अमा॰166:7:1.13)
301 गोसाना, गोसा जाना (अमा॰165:22:1.30)
302 गोस्सा (~ में कह बइठना) (अमा॰173:6:2.5, 9:1.17, 10:1.24)
303 गोहटा (~ काटना) (अमा॰168:8:2.16)
304 गोहूम (गोहुमा धोके रजुआ के कोठा पर पसार आव) (अमा॰163:12:2.19)
305 घइला (मट्टी के ~ लेवे घड़ी भी ठोक-बजा के देख लेवल जाहे । चार गो बेटी हे, त का शराबी-जुआरी के हाथ धरा दीं ?) (अमा॰173:10:1.12)
306 घठाना, घठा जाना (पेट के मार ओकरा अइसन नुक्कड़ पर लाके पटक देलक हे, जहाँ अदमी के जिनगी घठा जा हे) (अमा॰168:9:1.9)
307 घरनी (कहलक घरनी मरदाना से, बउआ भेल सयान । एकरा अब पढ़ावे लागी करऽ कुछ इन्तजाम ।।) (अमा॰172:20:1.1)
308 घर-बार (अमा॰163:8:1.1)
309 घरवाली (अमा॰173:16:1.2)
310 घरुआरी (= घरवाली) (अमा॰170:11:1.23)
311 घसकना (अमा॰173:13:2.8)
312 घामा (चाम पका देवे ओला ~ पड़ रहल हल) (अमा॰173:18:1.23)
313 घिढारी (अमा॰166:11:2.3)
314 घिना-घिना के गारी देना (अमा॰166:14:2.9)
315 घीउ (अमा॰163:15:1.23; 173:5:2.26)
316 घुघनी (अमा॰168:8:2.14)
317 घुरना-घारना (घुर-घार के चल आना) (अमा॰173:14:1.10)
318 घोंघर (पेट में बड़गो ~ हो, ई कहिओ भरेवाला नैं हो । कोय तो ठीके ने कहलके हल - पेट बड़ी चंडाल हो, दुनिया में हर इन्सान के । सुबहे भर द तइयो फेन मांगतो सांझ के ।।) (अमा॰171:9:1.19)
319 घोंघा (ऊ ~ लेखा लिबिर-लिबिर आँख से हमरा देखलक) (अमा॰173:16:1.22)
320 घोरना (जिनगी में जहर ~) (अमा॰173:9:2.15)
321 घोलटना (हम चउकी पर गोलटल हलूँ) (अमा॰173:15:1.27)
322 घोलटना-पोलटना (घोलट-पोलट के) (अमा॰173:12:1.9)
323 चंठ (सुनरी के भाई पनेसर बड़ी ~ निकल गेल । खाली खेलइत रहऽ हल ।) (अमा॰163:12:2.8)
324 चइता (फागुन में फगुआ गावल जाहे आउ चइत में चइता आउ घाँटो । ई ऋतु लोकगीत के रूप में जानल जाहे ।) (अमा॰163:6:2.10)
325 चउका-बरतन (कपड़ा-लत्ता, ~ करइत साँझ हो जाए) (अमा॰163:12:2.3)
326 चउकियाना (अमा॰168:8:2.16)
327 चउकी (चार चास करके ~ देना) (अमा॰169:1:1.4)
328 चउगिरदा (अमा॰166:7:1.17)
329 चउदहमा (अमा॰173:16:1.6)
330 चउबाहा (हवा चउबाहा बहे गछिया-बिरिछिया रामा, हरि-हरि डाँढ़े-पाते झुकऽ है हहाहै रे हरी ।) (अमा॰169:18:1.33)
331 चउल (~ करना) (हमरा खूब इयाद हे कि जब हम उनका हीं जा हली, त हमरा से ऊ खूब ~ करऽ हलन) (अमा॰173:19:1.25)
332 चउहट (भादो में चउहट आउ सावन में कजरी गावल जाहे) (अमा॰163:6:2.8)
333 चकचक (इतिहास एकर हे ~) (अमा॰174:1:1.11)
334 चकचन्दा (पुरनकन चीज जइसे चकचन्दा-गीत पहिले भादो में गावल जा हल, बाकि अब ई अलोप होल जा रहल हे) (अमा॰163:6:2.17)
335 चमरढोल (अमा॰171:5:1.17)
336 चरवाही (अमा॰171:11:1.12)
337 चलनसार (अमा॰163:5:2.9)
338 चलाँक (अमा॰165:9:1.30)
339 चाँपाकल (अमा॰165:8:1.26)
340 चाउर (अमा॰173:21:2.25)
341 चान (चार ~ लगना) (हम्मर जिनगी में चार चान लग गेल मास्टर साहेब !) (अमा॰165:18:1.27)
342 चानी (~ के बिछिया; सोना-चानी) (अमा॰166:7:1.28; 173:13:1.14)
343 चापाकल (अमा॰173:1:2.14, 17)
344 चास (चार चास करके चउकी देना) (अमा॰169:1:1.4)
345 चाह (= चाय) (अमा॰170:5:1.17)
346 चिक्कन-चाकन (अमा॰174:11:2.19)
347 चिक्का (~ पार हो जाना) (अमा॰165:18:1.21)
348 चिचिआना (गोस्सा में चिचिआ के कहना) (अमा॰173:9:1.17)
349 चितरा (= चित्रा नक्षत्र) (अमा॰174:12:1.16)
350 चिनिया-बेदाम (अमा॰173:14:2.2)
351 चिन्ता-फिकिर (अमा॰171:7:1.2)
352 चिन्हा (अमा॰164:5:1.31, 10:1.23; 166:9:2.28)
353 चिलकोरिया (~ भी मरल-पड़ल एकरे ~ लग के सुतल हे) (अमा॰173:16:1.20)
354 चीभना (अमा॰168:8:2.11)
355 चुटकटवा (अमा॰172:11:1.12)
356 चुनना-बीछना (चुन-बीछ के) (अमा॰173:10:1.18)
357 चुनेटल (~ मकान) (अमा॰163:15:1.25)
358 चुमौना (जइसे-तइसे ~ के बाद बीच अंगना में दुल्हन के मुँह उघारल गेल । देख के लोग के ठकमुरकी लग गेल । ... साक्षात् काली माई । कुरूपता के मुरती ।) (अमा॰167:9:1.16)
359 चुल्हा-चउका (हे भगवान, दिन-ब-दिन माला के ई का होयल जा रहल हे ? झाड़ू-बुहारू, चुल्हा-चउका, हम्मर माय के तेल-कूँड़ से फुरसते नञ् हे आउ हम ...?) (अमा॰166:8:2.31)
360 चुल्हा-चक्की (अमा॰174:8:2.9)
361 चुल्हानी (अमा॰173:21:2.25)
362 चूड़ा (चूड़ा, भूँजा, गुड़, सरबत आदि के कहियो कमी न रहे) (अमा॰168:8:2.9; 174:12:1.2)
363 चेला-चाटी (अमा॰167:17:2.17)
364 चेहरा-मोहरा (हुनखर धिया-पुता के चेहरवो-मोहरवो डब्बूए-छोलनिए जइसन बनल हल) (अमा॰173:16:1.16)
365 चोकर (अमा॰166:5:1.24)
366 चोट-चाट (अमा॰173:18:1.32)
367 चोटाहा (~ साँप कभी भी बदला ले सकऽ हे) (अमा॰170:7:2.24)
368 चोरी-चमारी (अमा॰174:11:1.9)
369 चौपाल (अमा॰164:3:2.31)
370 छइंटी (बैला मुँह ताकइत हउ । जाके दू ~ भूँसा दे देहीं ।) (अमा॰173:21:2.19)
371 छकरित (= चकित, बिहारशरीफ के मगही में 'छपित') (ऊ घड़ी सउँसे बिहार, बंगाल आउ उड़ीसा में एक्के गो कलकत्ता विश्वविद्यालय हलइ, से उहाँ के बंगाली सब इनका देख के ~ हलन) (अमा॰169:17:2.2)
372 छठ (अमा॰169:20:1.1)
373 छपाक (~ से दुन्नो भाई के गरदन भूमि पर गिर गेल) (अमा॰173:11:2.31)
374 छमा (= क्षमा) (अमा॰165:15:2.8)
375 छरबिन्हा (अमा॰170:6:2.11)
376 छव-पाँच (~ करना) (गाँव के लोग उनका चन्दा देवे में ~ करे लगलन) (अमा॰173:5:2.16)
377 छहुँरा (अमा॰166:5:2.3; 171:17:1.32)
378 छाँटल (~ चाउर) (अमा॰166:5:1.21)
379 छाँहुर (बादर के ~) (अमा॰169:1:1.8)
380 छान-पगहा (दुन्नो भाई थाना में केस करे लागि लगलन ~ तुड़ावे) (अमा॰173:5:2.23)
381 छानी (छप्पर टूटल छानी टूटल, गिरऽ हे धसान । एजी सुनऽ, बढ़िया एगो बनवऽ तूँ मकान ।।) (अमा॰172:20:1.3)
382 छिछिआना (छिछिआएल चलना) (अमा॰163:15:2.15)
383 छिनराही (अमा॰166:14:2.8)
384 छिलकोइया (केकरो तन पर बस्तर नञ, घरवालियो के फट्टल साड़ी पर अस्तर नञ, मुदा ताड़ के छिलकोइयो से बत्तर जिनगी) (अमा॰173:16:1.15)
385 छुच्छे (छुच्छे-सुक्खल रोटी) (अमा॰165:8:1.11)
386 छुट्टिये-छुट्टी (सिंचाई विभाग के नोकरी में तो अराम आउ ~ रहऽ हे) (अमा॰173:19:1.15)
387 छेंका (कहऽ हलथिन - 'जानऽ हऽ, पानी पीयल जाहे छान के, लड़की देल जाहे जान के ।' एही से पापा छेंका करके भी साल-साल भर छोड़ दे हलथिन । अगर मालूम हो गेल कि लड़का सिगरेट, पान, तम्बाकू, शराब इया एकरा में से कोई भी एगो लत से ग्रसित हे, त शादी न करऽ हलथिन ।) (अमा॰173:10:1.6)
388 छेंका (तनि बुन्द छेंका रइनी अउरो भयावन रामा, हरि-हरि बेंगवा के केंका ठनके नगिनियाँ रे हरी ।) (अमा॰169:18:2.3)
389 छोटका (अमा॰171:7:1.3)
390 छोट-छोट (अमा॰173:11:1.23)
391 छोट-मोट (~ गाँव) (अमा॰168:8:1.28)
392 छोटहन (मगध में बोधगया एगो ~ बिदेसे हे, जहाँ घुमे घड़ी केतनन बिदेसी मुखड़ा पर नजर पड़ जाहे) (अमा॰164:6:1.12)
393 छौ-पाँच (~ करना) (अमा॰173:16:1.18)
394 जँतगर (आम तो एक्के गो हे जे बगल के घर से बैना आयल हल, हलाकि अमवाँ अच्छे बड़गो आउ जँतगर हल) (अमा॰163:13:1.11)
395 जकत (अपमान के घूँट ओकर करेजा में बिख ~ घुल गेल हल; करिअट्ठी ! ऊ सब तो गोर हई, दीया ~ बरइत । तोरा छुआए से करिया हो जयतई ।; एक तो करिअट्ठी, ओकरा पर सकल-सूरत भी वनमानुष ~; तोरो धृतराष्ट्र ~ कुकरम के फल भोगे पड़तउ) (अमा॰167:9:2.19, 10:1.1, 7; 173:11:1.29)
396 जखनी (अमा॰168:3:1.22)
397 जखनी ... तखनी (माय खाय ला बेर-बेर टोके, तब अमित कहे - "तूँ खा ले । हमरा जखनी भूख लगत तखनी खा लेम । ..") (अमा॰172:13:1.28)
398 जखने (अमा॰166:10:1.19)
399 जगउनी (अमा॰172:4:1.30)
400 जगरना (रात भर के ~) (अमा॰173:16:1.5)
401 जजमान (अमा॰163:15:1.16; 165:6:2.23, 7:1.8)
402 जतरा (~ खराब कर देना) (मलकीनी कस के खिसिअयलन आउ कहलन - "भोरहीं अयले हें ? जो भाग ! हम्मर आज के जतरा खराब कर देले।") (अमा॰163:10:1.6)
403 जदि (अमा॰171:8:2.24)
404 जनाना (= जानकारी देना) (अमा॰169:18:2.9)
405 जनाना (= देखाय देना) (दिनो के तरेगन जनाय लगल) (अमा॰173:16:1.10)
406 जनावर (अमा॰167:3:1.4)
407 जन्नी (अमा॰166:11:2.3)
408 जम के खाना-पीना (अमा॰171:3:1.23)
409 जमलगोटा (ऊ ~ खाके एगो नाद में पैखाना करे लगल) (अमा॰169:14:2.17)
410 जर-जलपान (अमा॰173:6:1.28)
411 जरना (= जारन, जलावन) (ओरी चूके गोठहुल भींगल, जरना हो गेल बोथा । काट-काट के सुखा के घर में, धरली हल जे मोथा ।।) (अमा॰163:10:2.7, 9, 10; 172:20:1.7)
412 जरनि, जरनी (~ बुझाना) (अमा॰169:18:1.2)
413 जरिक्को (अमा॰167:17:2.6)
414 जरी-जिद्दी (~ से पड़ना) (हमरा पर नतिया-राड़िन जरी-जिद्दी से पड़ल हे) (अमा॰165:10:1.21, 2.5, 11:1.29)
415 जलम (~ आउ मउअत; ~ दिन) (अमा॰173:16:2.29; 174:8:1.17)
416 जलमजात (अमा॰172:9:1.22)
417 जलमल (अमा॰163:5:1.2)
418 जलमाना (कुतिया नीयर आठ-आठ गो बाल-बच्चा हमरे ला जलमौले हे ?) (अमा॰163:10:1.22)
419 जलमौती (अमा॰169:5:2.9)
420 जवान-जुहान (घर में ~ लइकी के रक्खले गुनाह मानल जाहे) (अमा॰165:16:2.18)
421 जहरकनइली (~ के झाड़ी) (अमा॰167:10:1.25)
422 जहिना (अमा॰167:11:1.3)
423 जहिया ... तहिया (अमा॰171:7:1.19-20)
424 जात-भाय (अमा॰173:1:2.3)
425 जानल-पहचानल (अमा॰167:8:1.15)
426 जिकिर (जिक्र) (जब भी हमनी के देस भारतवर्ष के जिकिर होवऽ हे, हरमेसा एकरा दुनिया भर में सुख आउ शान्ति के पक्षधर देस के रूप में गिनल जाहे) (अमा॰170:3:1.1)
427 जिनगी (अमा॰166:5:1.7, 6:2.35)
428 जिम्मेवारी (अमा॰167:3:2.30)
429 जुकुर (अमा॰166:4:1.6; 167:3:1.9)
430 जुदागी (बाप के मरला के बाद दुन्नो भाई में ~ हो गेल) (अमा॰171:8:1.27)
431 जेजा-जेजा ... ओजा-ओजा (अमा॰173:1:2.20)
432 जेन्ने ... ओन्ने (अमा॰171:7:1.7-8)
433 जेन्ने-तेन्ने (= जन्ने-तन्ने) (अमा॰165:12:1.12; 167:18:2.2)
434 जेभी (अमा॰166:7:1.29, 8:1.34)
435 जेमाना (पुरोहित जेमयबइ) (अमा॰174:12:1.3)
436 जेवार (अमा॰173:7:1.28)
437 जेहल (अमा॰164:9:2.27)
438 जोकरई (अमा॰165:3:1.6)
439 जोगाड़ (अमा॰164:9:2.28; 168:12:1.10)
440 जोतिस (= ज्योतिष) (अमा॰166:7:2.12)
441 जोरन (अमा॰172:11:1.1)
442 जौरे (= साथ में) (लइकन ~ मिलके) (अमा॰166:20:1.13; 167:8:2.12)
443 झंझुआना (मलकीनी झंझुआ के कहलन - "ई हरवाहा का रखले हथ कि हम्मर जान के जंजाल होयल हे । ..") (अमा॰163:10:1.20)
444 झकझक (~ लउकना) (अमा॰173:1:2.18)
445 झपसी (चमके बिजुलिया मलके चम-चम चम-चम, हरि-हरि ठनका ठनके झपसी लगावे रे हरी ।) (अमा॰169:18:1.32)
446 झमकना, झमक जाना (अकास में बादल संगरे लगल । एक दिन तो संझकी बेरिया झमक गेल।) (अमा॰163:13:2.21)
447 झमठगर (~ पेड़) (अमा॰169:12:1.26)
448 झाँपना, झाँप देना (आँठी के घर के अँगना के एगो कोना में मट्टी तर झाँप देलक) (अमा॰163:13:2.19)
449 झिर-झिर (~ टपकना) (अमा॰169:17:2.26)
450 झुट्ठो (= झूठ-मूठ के) (अमा॰172:20:1.22)
451 झुल्ला-साड़ी (रोपनी लेतइ झुल्ला-साड़ी, आउ कमियाँ नचतै-गइतै) (अमा॰169:1:1.14)
452 टन...टना...टन (अमा॰173:16:2.3)
453 टह-टह टहकना (अमा॰166:12:1.5)
454 टाँगी (अप्पन गोड़ में अपने टाँगी मारना) (अमा॰165:9:1.26)
455 टिटिहियाँ (~ नीयर टाँग अड़ाना) (अमा॰165:15:1.16)
456 टील्हा (चेहरा पर कहीं-कहीं मस्सा के ~, ओठ मोट-मोट लटकल) (अमा॰167:9:1.21)
457 टीसन (= स्टेशन) (अमा॰170:5:1.14)
458 टुंगना (नोह ~) (अमा॰167:14:1.8)
459 टुकड़ी (मइया पिरदाँय से आम के तीन टुकड़ी कयलन) (अमा॰163:13:1.18, 22; 165:22:2.29)
460 टुकुर-टुकुर (~ देखना) (अमा॰173:9:1.2, 11:2.7; 174:15:2.12)
461 टुभकना (अमा॰173:19:1.22)
462 टुभ-टुभ (~ बोलना) (अमा॰170:14:2.22)
463 टोना-टाना (पूरा सरीर टो-टा के आउ आला लगा के देखऽ हथ) (अमा॰165:12:2.13)
464 टोला (अमा॰173:1:1.1)
465 टोला-टाटी (अमा॰173:1:1.14)
466 टोहा (हमर माय, बहिन आउ टोहा नियन बुतरुन सब !) (अमा॰171:10:1.28)
467 ठकमुरकी (~ लग जाना) (जइसे-तइसे ~ के बाद बीच अंगना में दुल्हन के मुँह उघारल गेल । देख के लोग के ठकमुरकी लग गेल । ... साक्षात् काली माई । कुरूपता के मुरती ।) (अमा॰165:23:1.29; 167:9:1.17)
468 ठनकना (चमके बिजुलिया मलके चम-चम चम-चम, हरि-हरि ठनका ठनके झपसी लगावे रे हरी ।) (अमा॰169:18:1.31; 174:13:2.6)
469 ठनका (चमके बिजुलिया मलके चम-चम चम-चम, हरि-हरि ठनका ठनके झपसी लगावे रे हरी ।) (अमा॰169:18:1.31; 174:13:2.6)
470 ठिसुआना (ठिसुआयल) (अमा॰165:23:1.20)
471 ठेकाना (अपने खाय के ~ न हई, ऊ तोरा कहाँ से खिलयतो ?) (अमा॰165:22:2.7)
472 ठेलम-ठेला (अमा॰163:1:1.11)
473 ठौरे (= पास में) (मरला पर ठौरिये गंगा में लास जलाके अपने उतरी पेन्हले नन्दनामा दम-दाखिल होलन) (अमा॰170:6:1.33)
474 डंड-बइठकी (अमा॰169:11:2.2)
475 डउँघी (अमा॰169:20:1.5)
476 डब्बू-छोलनी (हुनखर धिया-पुता के चेहरवो-मोहरवो डब्बूए-छोलनिए जइसन बनल हल) (अमा॰173:16:1.16)
477 डभकाना (खिचड़ी ~) (अमा॰173:16:2.16)
478 डहुरी (अमा॰166:11:1.29)
479 डाँढ़ (अमा॰166:13:1.21)
480 डाँढ़ (बेचारी के नस-नस तो केतारी के ~ जइसन पेरा गेलइ हल, खाली खोइये तो बचलइ हे) (अमा॰173:16:1.8)
481 डाँढ़-पात (हवा चउबाहा बहे गछिया-बिरिछिया रामा, हरि-हरि डाँढ़े-पाते झुकऽ है हहाहै रे हरी ।) (अमा॰169:18:1.33)
482 डाभ (अमा॰163:9:1.1)
483 डीढ़ (~ गड़ना) (दूध पर एकर ~ गड़ जाएत तब हम्मर राजा बाबू बेमार पड़ जाएत) (अमा॰163:15:2.26)
484 डीह (अमा॰169:12:1.7)
485 डेओढ़िया-सवइया (अमा॰174:12:1.8)
486 डेकची (अमा॰172:6:2.3)
487 ढन...ढना...ढन (अमा॰173:16:2.4)
488 ढिबरी (अमा॰172:20:1.12)
489 ढुकना (ढुकल, ढुकलइ) (अमा॰166:14:2.11, 12)
490 ढुकाना (अमा॰164:8:1.9)
491 ढेंगरियाना, ढेंगरिया देना, ढेंगरा देना (फिर कविता लिख के तो ढेंगरिया देलन) (अमा॰169:17:2.13)
492 ढेकार (अमा॰173:5:2.8)
493 ढेढ़ैला (कुछ कहताहर सूप ~ , से न भागत ऊँट । कुछ लोभी लालच में आके, डाल रहल हल फूट ।।) (अमा॰169:8:1.7)
494 ढेना-ढेनी (तोरा पहिलहीं नसबंदी करा लेवे के चाहतियो हल, खाली ~ जलमौला से की होयत ?) (अमा॰173:16:1.26)
495 ढेलगर (सउँसे भरमजाल के एक्के झटका में राय-छितिर करके मिसिर जी हमरा यथार्थ के ~ केवाल खेत में उठा के पटक देलन) (अमा॰166:8:1.4)
496 ढेलवा गोसाईं (अमा॰166:17:1.5)
497 ढौंसा (~ बेंग) (अमा॰164:13:1.18)
498 तइयो (अमा॰164:3:1.32; 165:6:1.17; 166:3:1.16, 5:1.33, 6:1.25; 169:10:2.16; 173:7:1.13)
499 तखनिये (अमा॰173:1:1.6)
500 तजबीज (~ करना) (अमा॰165:11:1.16)
501 तड़ातड़ (ओफ्फोह ! एतना गरमी ! बाप रे बाप ! तड़ातड़ पसेना छूट रहल हे ।) (अमा॰165:7:1.16)
502 तनिक्को (अमा॰165:10:1.22)
503 तपिस (अमा॰173:15:1.1)
504 तबहियें (अमा॰170:12:1.33)
505 तरकारी (अमा॰172:20:1.23)
506 तरेगन (दिनो के ~ जनाय लगल) (अमा॰173:16:1.10)
507 तलक (आज तलक केकरो से उरेबी सुने के ई मौका न देलक) (अमा॰163:15:1.7)
508 तलुक (तों पहिले जाके बुतरू के सत-गत करऽ, तब ~ हम ओकरा लागी खिचड़ी बनाके ले आयम ।) (अमा॰173:16:2.21)
509 तहिया (अमा॰166:8:1.7, 13)
510 ताखा (अमा॰166:8:2.21; 173:21:1.28)
511 ताजिनगी (अमा॰169:17:2.5)
512 तितकी (~ लेस देना) (अमा॰173:11:2.21; 174:13:2.7)
513 तिसरका (~ बियाह) (अमा॰173:20:1.18)
514 तिसरकी (अमा॰173:20:1.11)
515 तीतना, तीत जाना (= भींगना, भींग जाना) (अमा॰169:1:1.10)
516 तीरबवोख (तेतर भगत रूपकलिया के शादी करे ला बेचैन होवे लगलन । गाँव के लोग उनका ~ देवे लगलथिन) (अमा॰169:13:2.3)
517 तुम्बा (फूल के तुम्बा होना) (अमा॰173:5:2.2)
518 तुरी (हम कययक तुरि राड़िन के टोकली कि अगे दीदबइठी, ...) (अमा॰165:10:2.12)
519 तेंगा (गौना दोंगा तेंगा होयत) (अमा॰167:14:2.1)
520 तेरहा (शास्त्री जी उतरी पेन्हले घर से लापता हो गेलन । अइलन तब, जब ~ बीत गेल ।) (अमा॰170:6:2.2)
521 तेल-कूँड़ (हे भगवान, दिन-ब-दिन माला के ई का होयल जा रहल हे ? झाड़ू-बुहारू, चुल्हा-चउका, हम्मर माय के तेल-कूँड़ से फुरसते नञ् हे आउ हम ...?) (अमा॰166:8:2.31)
522 तेल-पानी (~ करना) (अब एकरो देख-रेख, तेल-पानी करे के भार सुनरिये पर आ गेल) (अमा॰163:12:1.28)
523 तोहफा (अमा॰174:7:2.14)
524 थक-हार के (अमा॰170:18:1.8)
525 थक्कल (अमा॰165:7:1.2)
526 थोड़े-थाक (हमरो से ~ बतिअयले जा हथ) (अमा॰169:9:2.21)
527 थोबड़ा (अइसन ओजनदार जवाब सुनके नेताजी शर्मिन्दगी के चद्दर ओढ़ले, थोबड़ा लटकौले चमचन के साथे आगे बढ़ गेलन) (अमा॰163:9:2.33)
528 दफे (दू ~) (अमा॰174:3:2.14)
529 दमाद (= दामाद) (अमा॰173:8:2.2)
530 दरकार (अमा॰163:1:1.4)
531 दरखास (अमा॰164:10:1.4)
532 दर-दुनिया (ई ~ में तूहीं तो खाली हम्मर देवरे ह) (अमा॰173:19:1.26)
533 दरिद्दर (अमा॰169:9:1.3, 12:1.32)
534 दलकी (अमा॰169:1:1.8)
535 दलान (अमा॰173:6:1.3)
536 दलाल (अमा॰173:1:2.5)
537 दसकोसी (ई दसकोसी में हम्मर खानदान के अप्पन अलग इतिहास हे) (अमा॰173:7:1.24)
538 दह-दह (~ पीयर आम) (अमा॰163:13:1.4)
539 दाई-लउँड़ी (अमा॰170:10:2.12)
540 दाढ़ी-मोछ (अमा॰165:19:1.19)
541 दामी (= कीमती) (हमरा ला साड़ी बनारसी लइहऽ दामी) (अमा॰174:12:2.12)
542 दालमोट (अमा॰173:14:2.7)
543 दीदबइठी (हम कययक तुरि राड़िन के टोकली कि अगे दीदबइठी, जब हम तोहनी के लइकवन पर नजर न गड़ावऽ हियउ, त तोहनी हम्मर लइकवा पर नजर काहे ला गड़ावऽ हें ?) (अमा॰165:10:2.13)
544 दुआरी (अमा॰173:1:1.21)
545 दुबर-पातर (अमा॰169:6:1.14)
546 दुसरका (अमा॰173:6:2.13; 174:3:2.29)
547 दुसरकी (अमा॰173:20:1.11)
548 दुसरकी (~ बहिन) (अमा॰173:10:1.27)
549 दूरा-दलान (कभी दूरे-दलान घर के इज्जत मानल जा हल) (अमा॰168:8:1.1)
550 देखताहर (अमा॰166:14:1.11)
551 देन्ने (= दन्ने) (चारो ~ से अवाज आ रहल हे) (अमा॰165:19:1.24)
552 देवाल (भसकल ~) (अमा॰166:7:2.30)
553 देवास (अमा॰165:12:1.10)
554 दोंगा (गौना दोंगा तेंगा होयत) (अमा॰167:14:2.1)
555 दोकनदार (अमा॰165:6:1.14)
556 दोकान (अमा॰170:11:1.29; 173:14:1.30, 2.3)
557 दोयम (~ दरजा) (अमा॰170:5:2.8)
558 दोवाहा (कत्ते लड़की तिलक-दहेज के चलते अधवैस हो जाहे, कत्ते बूढ़-सूढ़ दोवाहा के साथे बिआहल जाहे) (अमा॰165:6:2.5; 173:14:2.1)
559 दोसरका (अमा॰173:18:1.28)
560 धउगना (अमा॰169:9:1.17)
561 धउगल (अमा॰169:12:2.10)
562 धनकटनी (~ के गीत) (अमा॰174:12:1.19)
563 धरमधजा (= धर्मध्वजा) (अमा॰166:7:1.11)
564 धिकना (= गरम होना) (ओकिल भीतरे-भीतर धिकइत हलन, एक-ब-एक खदबदएलन - 'ऐं जी ! सब्भे में दोष-पाप हमरे ?') (अमा॰169:19:2.20)
565 धिया-पुता (अमा॰173:16:1.16)
566 धुर-जानवर (~ के देखभाल करना) (अमा॰163:15:1.17, 19)
567 धूरा (जाड़ा में ~ भी तापे ला जलावल जा हे) (अमा॰168:8:1.14)
568 धूरी (अमा॰166:6:1.22)
569 धूरी-गनउरा (अमा॰169:6:1.9)
570 धूरी-गरदा (अमा॰169:7:1.16)
571 धेयान (अमा॰165:19:1.7)
572 धैल (= धइल, धरल, रक्खल) (अमा॰165:9:2.26)
573 धोकड़ी (अमा॰167:17:1.14; 173:17:2.14)
574 न जानी (अमा॰173:12:1.4, 14:2.17)
575 नइहर (अमा॰167:9:2.15; 172:5:1.13, 20:1.21; 173:7:1.10)
576 नईं (= नञ, नयँ) (अमा॰168:8:1.6)
577 नगद-नरायन (अमा॰165:15:1.11)
578 नगपुरिया (अमा॰163:5:2.16)
579 नजर-गुजर (~ लगना) (अमा॰165:10:2.17)
580 नजरचढ़ू (~ मत बन तिलेसरी ! जमाना मार देतउ । अइसन सिंगार-पटार बड़कन के बेटी करऽ हे । ओखनी एसनो-पाउडर, काजर-बीजर करऽ हे, त सोहऽ हे । तों करबे, तब लोग तोरा रंडी-पतुरिया कह देतउ ।) (अमा॰168:9:1.30)
581 नञ (अमा॰163:1:1.1, 3, 15; 173:5:1.5)
582 नञ् (= नञ, नयँ) (अमा॰163:18:2.18, 19, 20; 173:5:2.4, 6:2.2)
583 नतिया-राड़िन (हमरा पर नतिया-राड़िन जरी-जिद्दी से पड़ल हे) (अमा॰165:10:1.21, 2.12, 11:1.28)
584 नधाना, नधा जाना (अमा॰173:1:2.20)
585 नन्हें (अमा॰172:5:1.14)
586 नयँ (रस्ता में गाछ-बिरिछ ~ हल, खाली खजूर के पेड़ हल) (अमा॰173:15:1.5)
587 नयका (अमा॰173:6:2.13; 174:12:1.2)
588 नरेटी (अमा॰166:10:2.16; 173:18:2.3)
589 नसबंदी (तोरा पहिलहीं ~ करा लेवे के चाहतियो हल, खाली ढेना-ढेनी जलमौला से की होयत ?) (अमा॰173:16:1.26)
590 नहकार (पइसा ला नहकार सुन के सर्वा भाई के आँख तर अंधेरा छा गेल) (अमा॰163:11:1.14)
591 नहकारना, नहकार जाना (अमा॰173:13:2.31)
592 नाउन (~ नोहवा हम्मर टुंगतइ, अलता से गोड़वा भर देतइ, दाई घर से सउरी लिपतइ) (अमा॰167:14:1.8)
593 नाक-भोभुन (~ टूट जाना) (अमा॰173:12:2.14)
594 नाकुर-नुकुर (~ करना) (अमा॰173:19:2.18)
595 नागपुरी (अमा॰163:5:2.12)
596 नाधा (~ में जोतना) (तूँ तो धूर फाँकइते ह, बाकि बुतरुआ के काहे ला अप्पन नाधा में जोत रहलऽ हे ?) (अमा॰165:14:1.20)
597 नामी-गिरामी (~ डॉक्टर, ~ खलीफा) (अमा॰165:20:1.33; 166:15:2.9; 173:3:1.30, 5:1.3)
598 नारन-जोती (हर, पालो, चउकी, ~ , भूसा आदि लागी अलगे खपड़पोस बनल हल) (अमा॰168:8:1.30)
599 निकसना (= निकलना) (अमा॰166:8:2.12, 9:1.8)
600 निकसना (निकसल) (अमा॰166:7:2.6)
601 निकौनी (अमा॰173:22:2.33)
602 निचिंत (अमा॰171:8:2.22)
603 नितराना (जादे धन होला पर नितराय के न चाही) (अमा॰173:14:2.13)
604 निसा (दारू के ~ में सराबोर) (अमा॰173:17:2.29, 22:2.29)
605 निहचिन्त (अमा॰174:14:2.21)
606 निहोरा (अमा॰163:6:2.23, 9:1.18; 171:13:2.2)
607 नीमक (जरल पर ~ जइसन परपराना) (अमा॰173:12:2.20)
608 नीमन (अमा॰173:7:1.19, 22:1.25)
609 नून-रोटी (अमा॰166:9:1.34; 172:13:1.4)
610 नेग-जोग (अमा॰167:9:2.1)
611 नेमानी (होतइ नयका चूड़ा के नेमानी, सुख से रहबइ सभे परानी) (अमा॰174:12:1.2)
612 नेवारी (अमा॰168:8:2.1)
613 नै (= नञ, नयँ) (अमा॰170:5:1.11, 2.5)
614 नैं (= नञ, नयँ) (पेट में बड़गो घोंघर हो, ई कहिओ भरेवाला नैं हो) (अमा॰171:9:1.20, 26, 2.3, 4)
615 नोकरिया (कातो ~ बाप के मरला पर मइया के आठ लाख रुपइया मिललइ हल) (अमा॰173:11:2.2)
616 नोकरी (अमा॰171:7:1.24)
617 नोख (अमा॰167:17:1.10)
618 नोन-मिचाई (अमा॰173:1:1.6)
619 पँचतल्ला (अमा॰170:11:1.28)
620 पँवलग्गी (~ करना) (अमा॰165:15:1.2)
621 पंचइती (जब कभी गाँव में कोई ~ होवे, गोबरधन काका एगो पंच जरूर बनावल जा हलन) (अमा॰173:5:1.12, 15, 2.30, 6:1.1, 2.20, 22:2.8)
622 पंचपरगना (राँची के पंचपरगना सिल्ली, बुन्डु, तमाड़, रासे आउ बरदा में बढ़िया से बोलल जाहे) (अमा॰163:6:1.3)
623 पंचपरगनिया (अमा॰163:5:2.13)
624 पइंचा (~ मांगना) (अमा॰173:13:2.30, 32)
625 पइन, पईन (अमा॰168:8:2.21; 173:5:2.3)
626 पइसा-कउड़ी (अमा॰166:5:1.2)
627 पक्कल (~ ईंटा के मकान) (अमा॰163:15:1.24)
628 पढ़ताहर (अमा॰172:12:2.6)
629 पढ़ल-गुनल (अमा॰173:1:2.3)
630 पढ़वाना (पढ़वयलक) (अमा॰173:1:2.13)
631 पढ़ाय (= पढ़ाई) (अमा॰170:5:1.26)
632 पत्थल (अमा॰166:7:1.27)
633 पपड़िआना (अमा॰174:13:2.25)
634 परपराना (जरल पर नीमक जइसन ~) (अमा॰173:12:2.20)
635 परब-तेओहार (बेटा-बेटी के जलम दिन, सतइसा, मुड़ना, सादी-बिआह, परब-तेओहार जइसन अनेको मौका पाके उपहार जुटावे के जोगाड़ में लोग लग जा हथ) (अमा॰174:8:1.18)
636 परमुख (= प्रमुख) (~ परमुख के भोट पड़तय) (अमा॰173:1:1.12)
637 परसउती (अमा॰173:16:1.5)
638 परसादी (अमा॰165:19:1.7)
639 पराती (सबेरे चार बजे भोर में पराती गावल जाहे आउ बारहमासा में नायिका के दुख के तस्वीर खींचल जाहे) (अमा॰163:6:2.13)
640 पलंगरी (अमा॰168:8:1.11)
641 पवनिया-पजहरिया (~ के आसा पुरयबइ) (अमा॰174:12:1.4)
642 पवित्तर (देखइत ह न तोहनी सभे, गंगा नेहाए से पवित्तर हो जयतन कातो ।) (अमा॰165:7:2.28)
643 पहिरोपा (अमा॰169:1:1.13)
644 पहिलका (~ अक्षर) (अमा॰164:5:1.7)
645 पहिलकी (अमा॰173:20:1.10)
646 पहिलौंठ (अमा॰169:5:2.8)
647 पांजा (एही बीच नरेश जी एक ~ माला लेके आ गेलन) (अमा॰169:6:2.31)
648 पाटी (अमा॰170:5:2.5, 9)
649 पातर (कभी भइंस पेसाब करे तो छींटा पड़े, कभी गाय के पातर गोबर से कपड़ा लेटा जाय; हालत ~ होना) (अमा॰170:8:1.33; 172:2:1.12)
650 पारना (गाँव के जीत पहलवान कंधा पर लाठी पारले आवइत हलन) (अमा॰163:10:2.17)
651 पालो (हर, ~, चउकी, नारन-जोती, भूसा आदि लागी अलगे खपड़पोस बनल हल) (अमा॰168:8:1.30)
652 पिछुत्ती (अमा॰167:10:1.25)
653 पिछुलना (समय गरई मछली नियन हाथ से पिछुलल जा रहल हल) (अमा॰166:9:1.4)
654 पिरदाँय (जो, पिरदाँय लेले आव । एगो आम आउ तीन गो बुतरू । आखिर काटिए के न मिलतउ ?) (आम तो एक्के गो हे जे बगल के घर से बैना आयल हल, हलाकि अमवाँ अच्छे बड़गो आउ जँतगर हल) (अमा॰163:13:1.15, 17, 18)
655 पिलना (मोती अब बूढ़ा हो चललन, पर अप्पन काम में आजो पिलले रहऽ हथ) (अमा॰163:15:1.33)
656 पिलसिन (सिलेट-पिलसिन) (सांझ के तूहूँ ~ लेके रात ओला इसकूल में पढ़े जा) (अमा॰165:18:2.19)
657 पुंज (नेवारी के ~ दू-दू, तीन-तीन गो, सामने खलिहान के ऊपरे ऊँचाई पर पुआल के गाँज अलग) (अमा॰168:8:2.1; 174:12:2.5)
658 पुच-पुच (जीजा जी पान खाय लगलन । ... भर दिन ~, सब वाशिंग बेसिन लाल हो जाहे ।) (अमा॰173:10:1.22)
659 पुनपुना (~ नदी) (अमा॰170:12:2.7)
660 पुरनका (अमा॰173:6:2.16)
661 पुरवारी (पुनपुन नदी के पुरवारी किनार पर बसल हे ई गाँव) (अमा॰163:7:2.4)
662 पुस्तैनी (अमा॰172:15:2.6)
663 पेटकुनिए (अमा॰165:4:2.4)
664 पेन्हना (अमा॰174:12:2.13)
665 पेन्हाना, पेन्हा देना (अमा॰166:7:1.28, 10:1.3)
666 पेवन (तूँ का जानबऽ कइसे हम, थूके सतुआ सानित ही ? फट्टल गुदड़ी सड़िया पर, कइसे पेवन साटित ही ?) (अमा॰172:20:1.20)
667 पेहानी (का इयार, न नेवता, न ~, कर लेले बिआह) (अमा॰166:9:1.12)
668 पोखर (~ आउ पईन के उराही) (अमा॰173:5:2.3)
669 पोखरी (अहरे पोखरिये करहे नदिये तलइये नाले, हरि-हरि जलवा मछलिया बगुला सोहाहै रे हरी ।) (अमा॰169:18:2.1)
670 प्रातकाली (अमा॰170:6:1.10)
671 फट्टल (= फटा हुआ) (अमा॰172:20:1.18; 173:16:1.14)
672 फट्टल-चिट्टल (अमा॰173:16:1.19)
673 फयदा (अमा॰172:11:1.20)
674 फरना (एकरा से हम आम के गाछ बनयबउ । गाछ में ढेरमानी आम फरतउ ।) (अमा॰163:13:2.12, 14:1.1)
675 फरना-फुलाना (उनकर रोपल मगही बिरुआ अब फरे-फुलाय लगल हे) (अमा॰169:17:2.21)
676 फरहर (लइकाइये से खेलकूद में हर-हर, पढ़े-लिखे में ~) (अमा॰169:17:1.9)
677 फराक (= frock) (अमा॰163:8:1.15; 173:16:2.28)
678 फरिछ, फरीछ (~ होना) (अमा॰169:17:2.25)
679 फरियाना (फरिया के; फरिया देना) (अमा॰165:6:1.11; 169:5:2.18, 19:2.25)
680 फलना (अमा॰170:7:1.11)
681 फलना-फलनी (अमा॰173:19:1.17, 19)
682 फागुन (अमा॰167:14:2.13)
683 फारनी (~ करना) (अमा॰169:1:1.3)
684 फिन (= फिर) (अमा॰173:15:1.6, 18:1.8, 2.4, 19:1.3)
685 फींचना (लुगा ~) (अमा॰173:1:1.2)
686 फुनकाना (नाक फुनका-फुनका के रोना) (उनका मरला पर उनकर मेहरारू आउ छोटका बेटा नाक फुनका-फुनका के रोवे लगलन) (अमा॰171:8:1.13)
687 फुर-फुर (पुरवा ~ बहे बयार) (अमा॰169:1:1.5)
688 फूटल-भांगल (अमा॰171:9:1.7)
689 फूलना (फूल के तुम्बा होना) (अमा॰173:5:2.2)
690 फेंकाना (अमा॰173:12:2.6)
691 फेन (= फिर) (अमा॰173:15:2.28)
692 फैसला (अमा॰173:6:1.4)
693 बंडी (आँख पर चसमा, गोड़ में चप्पल, उज्जर धोती, कुरता आउ बंडी - एहि हल उनकर भेस-भूसा) (अमा॰169:6:1.18)
694 बंस-खूँट (गोतिया के बंस अप्पन ~ नयँ कहा हे की ?) (अमा॰168:10:2.10)
695 बइठा-बइठी (जब ~ न रहऽ हल, तब ऊ गाँव में कहीं न बइठऽ हलन । लेकिन जब ~ रहऽ हल तब ऊ अप्पन उमर के लोग के बीच घंटो बइठ के इधर-उधर गाँव-जेवार के सर-समाचार लेवल करऽ हलन) (अमा॰166:15:1.6, 7)
696 बउआ (अमा॰163:15:1.27; 167:8:1.28, 2.19; 172:20:1.1, 17)
697 बउराहा (अमा॰165:8:1.29)
698 बकझक (उचित मांग मनावे खातिर, करे पड़इत हे ~) (अमा॰174:1:1.12)
699 बखरा (अमा॰166:14:2.21)
700 बखरा (हिस्सा-बखरा) (अमा॰172:12:1.8)
701 बगदना (मिजाज ~) (खँचिये भर धान के गरमी से, ऐसन मिजाज बगद जाहो) (अमा॰174:13:2.3)
702 बगबग, बकबक (~ करना) (अमा॰169:20:1.17; 170:11:1.29)
703 बचल-खुचल (अमा॰173:13:2.13)
704 बचल-बचावल (अमा॰169:18:2.8)
705 बजार (अमा॰165:15:2.28)
706 बड़का (बड़का-बड़का पुलिस पदाधिकारी; ~ घर के बेटा; हम तोरा ~ डागडर से इलाज करयबो) (अमा॰164:8:2.25; 166:6:1.35, 9:2.30; 173:11:1.10)
707 बड़का-छोटका (अमा॰174:13:1.29)
708 बड़गर (अमा॰ 163:8:2.6, 13:1.23; 164:5:2.20; 171:5:2.26; 172:18:2.11)
709 बड़गो (= बड़गर) (अमा॰163:13:1.11, 13)
710 बड़ी (~ मोसकिल से) (अमा॰173:16:1.5)
711 बड़ेरी (ऊ अप्पन घर के रूम में जाके ~ से रस्सी लटका के अप्पन गियारी में फंदा लगा लेलन) (अमा॰168:12:1.24)
712 बड्ड (एन्ने-ओन्ने ~ खोजलूँ-ढूँढ़लूँ, कुछ हाथ नञ् लगल) (अमा॰166:9:2.9)
713 बढ़नी (= झाड़ू) (अमा॰163:9:2.22)
714 बतकही (कुछ लोग तरह-तरह के ~ करके आग में घीउ के काम करे लगलन) (अमा॰173:5:2.25)
715 बत्तर (= बदतर) (केकरो तन पर बस्तर नञ, घरवालियो के फट्टल साड़ी पर अस्तर नञ, मुदा ताड़ के छिलकोइयो से ~ जिनगी) (अमा॰173:16:1.15, 2.19)
716 बबूर (= बबूल) (अमा॰168:16:1.1)
717 बमकना, बमक जाना (अमा॰167:8:2.6)
718 बरत (= व्रत) (अमा॰169:20:1.1)
719 बरतुहार (अमा॰165:5:1.1)
720 बरतुहारी (अमा॰168:11:2.17)
721 बरना (सिहरी ~) (भोर खनी सिहरी बरे जाड़ा बुझा करे-करे, हरि-हरि रसे-रसे जुलुम अंगावे रे हरी ।) (अमा॰169:18:2.10)
722 बरबराना (= बड़बड़ाना) (तूँ फिन बरबराय लगले ?) (अमा॰165:14:1.8)
723 बरमहल (रामाधार सिंह आधार 'मगही अकादमी, गया' आउ 'भारतीय मगही मंडल, बिक्रम, पटना' के अधिवेसन में ~ मिलते रहऽ हलन, जेकरा चलते काफी अपनापन हो गेल हल) (172:4:1.18)
724 बरही (बरही के बनावल खटिया) (अमा॰165:8:1.16)
725 बराती (= बारात) (बराती एक दिन आवऽ हल, दुसरका दिन रुकऽ हल, फिर तिसरका दिन बिदाई होवऽ हल । बीच वला दिन के मरजाद कहल जा हल । मरजाद के रात में धरम-संस्कृति आउ शादी के विधान हल ।) (अमा॰171:5:1.18, 22, 27)
726 बराती-सराती (अमा॰171:5:1.27)
727 बरिस (अमा॰172:5:2.5)
728 बलिस्टर (= बैरिस्टर) (जज-बलिस्टर) (अमा॰165:14:1.16)
729 बलुक (अमा॰166:3:1.5, 8)
730 बस्तर (केकरो तन पर ~ नञ, घरवालियो के फट्टल साड़ी पर अस्तर नञ, मुदा ताड़ के छिलकोइयो से बत्तर जिनगी) (अमा॰173:16:1.14)
731 बहरसी (= बाहर) (अमा॰166:9:1.8)
732 बहिर (कान ~ होना) (अमा॰168:3:1.7, 2.16)
733 बांझ-मराछ (बच्चा पैदा होना तो औरत के सोहाग-भाग हे । हम ~ न-न कहलइली ।) (अमा॰168:10:2.16)
734 बांझिन (अमा॰173:19:1.20)
735 बाइस (अमा॰174:6:1.23)
736 बाउ जी (= बाबू जी) (अमा॰166:8:2.18)
737 बाजा-गाजा (अमा॰168:3:1.10)
738 बात (देवर जी के बात ! धन-संपत्ति खाली रहिए के का करतई ।) (अमा॰173:19:2.8)
739 बात-बतकही (ऊ दुन्नो के ~ से अइसन बुझाएल कि कम इया बेस दुन्नो भाई दोषी हथ) (अमा॰173:6:1.6)
740 बात-विचार (गाँव के लोग के ~ से ओकरा अइसन बुझाएल कि अब मुखिया जी के साथ देवे लागि गाँव के एक अदमी भी तइयार नञ् हे) (अमा॰173:6:1.35)
741 बादर (~ के छाँहुर) (अमा॰169:1:1.8)
742 बादरकट्टु (कहियो तो रउदा करे निज बादरकट्टु रामा, हरि-हरि कहियो निरन्तर झड़िया लगावे रे हरी ।) (अमा॰169:18:1.19)
743 बान (अइसे तो समाज में ई धारणा हे कि ठाकुर लोग अप्पन आन, बान आउ शान के चलते जउन काम भी करतन, ओकरा खराब न कहल जायत) (अमा॰173:7:2.21)
744 बारहमासा (सबेरे चार बजे भोर में पराती गावल जाहे आउ बारहमासा में नायिका के दुख के तस्वीर खींचल जाहे) (अमा॰163:6:2.14; 174:1:2.4)
745 बारा (फूल के बारा) (अमा॰163:1:1.4; 164:13:1.20)
746 बाल-बच्चा (अमा॰170:7:1.16)
747 बाल-बुतरू (अमा॰163:14:1.1; 173:5:1.17)
748 बिआह (अमा॰166:6:1.12)
749 बिगड़-सिगड़ (ऊ लोग अप्पन बाबूजी पर गाँजा पीये खातिर बड़ी ~ कयलन) (अमा॰166:15:1.21)
750 बिगना (= फेंकना) (अमा॰173:18:1.31)
751 बिछिया (चानी के ~) (अमा॰166:7:1.28)
752 बिजुरी (अमा॰173:6:2.25)
753 बिदमान (= विद्वान) (अमा॰170:12:1.21, 23)
754 बिदोरना (दीदा बिदोर-बिदोर के देखना) (अमा॰165:10:1.23)
755 बिरतांत (= वृतान्त) (अमा॰172:13:2.9)
756 बिरुआ (उनकर रोपल मगही बिरुआ अब फरे-फुलाय लगल हे) (अमा॰169:17:2.21)
757 बिरेक (= ब्रेक) (अमा॰168:9:1.12)
758 बिलौक (= ब्लॉक) (अमा॰173:1:2.5)
759 बिहरी-चन्दा (अमा॰173:5:2.15)
760 बीहन (अमा॰169:20:1.10; 174:12:1.13)
761 बुढ़भेस (ई उमर में बिआह ! बुढ़ारी में ~ लगलो हे की माधो ?) (अमा॰168:10:2.6)
762 बुढ़ारी (अमा॰173:5:1.25, 12:1.12)
763 बुतरू (अमा॰166:5:2.18)
764 बुतरू-बानर (अमा॰167:17:1.15; 169:5:2.14)
765 बुधगर (लुरगर-बुधगर) (अमा॰170:14:2.23)
766 बुनिया-पूरी (अमा॰171:7:1.5)
767 बुरबक (अमा॰166:18:2.16)
768 बुरबक, बुड़बक (तूँ चुप रह । अभियो बुरबक जजमान के कमी नञ् हे दुनिया में ।) (अमा॰165:9:1.28)
769 बुलना (बुलल चलना; आगू-पीछू होल ~) (अमा॰173:13:1.20, 24)
770 बूँट-मसुरी (अमा॰168:8:2.13)
771 बून (अमा॰166:10:1.8)
772 बेओहार (= व्यवहार) (अमा॰173:6:1.34)
773 बेकतित्व (= व्यक्तित्व) (अमा॰170:5:1.24)
774 बेनिआव (= अन्याय) (अमा॰170:12:1.28)
775 बेपार (= व्यापार) (अमा॰165:14:2.28)
776 बेपारी (= व्यापारी) (अमा॰168:18:2.14)
777 बेमन (पारो ~ से उठलक, खाय लगल) (अमा॰173:1:1.8)
778 बेमार (अमा॰173:13:2.20)
779 बेमारी (अमा॰167:17:1.26)
780 बेर-बेर (= बार-बार) (माय खाय ला ~ टोके, तब अमित कहे - "तूँ खा ले । हमरा जखनी भूख लगत तखनी खा लेम । ..") (अमा॰172:13:1.27)
781 बेरी (संझकी बेरिया) (अकास में बादल संगरे लगल । एक दिन तो संझकी बेरिया झमक गेल।) (अमा॰163:13:2.21)
782 बेवस्था (अमा॰164:3:2.21, 25; 167:3:1.22; 171:5:1.12, 10:1.32)
783 बेस (= अच्छा) (अमा॰165:19:1.16)
784 बेसुमार (इन्दर जी के किरपा से बरखा ~ भेल) (अमा॰174:12:1.25)
785 बैठका (दूरा भिर नीम आउ पीपर के छहुँरा में टोला भर ~ जमाएम) (अमा॰171:17:1.33)
786 बैना (आम तो एक्के गो हे जे बगल के घर से बैना आयल हल, हलाकि अमवाँ अच्छे बड़गो आउ जँतगर हल) (अमा॰163:13:1.10)
787 बैना-पेहानी (अमा॰174:12:1.6)
788 बोखार (अमा॰164:9:1.6; 165:11:1.8)
789 बोझा (अमा॰174:12:2.5)
790 बोडर (= बोर्डर) (छुट्टी में घरे आयल हल ~ पर से) (अमा॰166:9:1.11)
791 बोथा (ओरी चूके गोठहुल भींगल, जरना हो गेल बोथा । काट-काट के सुखा के घर में, धरली हल जे मोथा ।।) (अमा॰172:20:1.7)
792 बोरसी (अमा॰166:14:2.6; 168:8:1.14)
793 बोरा (अमा॰168:8:1.11)
794 बोरिया-बिस्तर (~ बांध के चल देना) (अमा॰170:3:1.22)
795 बौंखना (बौंखल) (अमा॰166:9:1.35)
796 भइया-भउजी (अमा॰171:1:1.8)
797 भक (~ होना) (ललिता जी अप्पन गला के धागा हाथ में बाँध के सभे चूड़ी फोड़ देलन । सभे महिला ~ होके उनका देखते रह गेलन ।) (अमा॰172:5:2.32)
798 भकचोंधर (होतई भकचोंधर आउ का ? ~ भर तिलक भी लेतन आउ इन्नर के परी दुल्हन भी ?) (अमा॰167:9:1.5)
799 भकचोन्हर (~ कहीं के !) (अमा॰165:8:1.32)
800 भकभक (~ उज्जर) (अमा॰167:12:2.4, 17)
801 भगमान (= भगवान) (अमा॰169:9:1.28, 11:2.36)
802 भर (= 1 तोला या 10 ग्राम) (आम तौर से उहाँ के महिला सोना के सिकड़ी अवश्य पहिनऽ हथ । कम से कम दू भर से पाँच भर तक के सिकड़ी पहनऽ हथ ।) (अमा॰163:8:1.26)
803 भरनठ (हमर धरम ~ हो गेल) (अमा॰165:7:2.7, 8:2.7)
804 भविस (अमा॰173:4:1.20)
805 भविसबानी (अमा॰169:5:2.2)
806 भसकना (भसकल देवाल) (अमा॰166:7:2.30)
807 भहराना (फिन अबकी बेटा होवे के आशा के पुल लोग के दिल में बनल, बाकि बेटी होवे से भहरा गेल) (अमा॰173:20:1.26)
808 भाग (= भाग्य) (हाय रे ~ !) (अमा॰166:9:1.31; 173:20:1.6)
809 भाय (= भाई) (अमा॰170:5:1.29; 172:11:1.13)
810 भिजुन (अमा॰165:10:2.22)
811 भिनकना (मन ~) (हमरा तोरा से मन भिनक गेल) (अमा॰165:23:1.5, 6)
812 भिनसरवे (अमा॰166:6:2.15)
813 भुंजना (भुंजल बूँट) (अमा॰173:21:2.25)
814 भुक्खड़ (ई सब नेतवन तो हमनियो से बड़का ~ हथ) (अमा॰163:14:2.19)
815 भुक्खे-पियासे (अमा॰167:9:2.12)
816 भुच्च (~ देहात) (अमा॰167:8:2.1)
817 भुजफट्टी (पानो सुनरी के तीन-चार सटक्का पीठ पर देइत बोलल -'भुजफट्टी, आज के बाद जहाँ कुच्छो बोले कि देह के खाले खींच लेबउ') (अमा॰163:12:2.16)
818 भूँजा (अमा॰168:8:2.9)
819 भूर (हम सब के गरदन पर छुरी चलाके तोहर ~ न भरबउ) (अमा॰173:11:2.18)
820 भेंकुराना (बने-बने गाछे-गाछे आमे कटहरवे तूँते, हरि-हरि फरे-फूले बरखा भेंकुरावे रे हरी ।) (अमा॰169:18:1.9)
821 भैंसुर (अमा॰166:14:2.7)
822 भैलू (= value) (ऊ अब बुढ़ारी में सिपाही जी के कोई ~ न देवऽ हलन) (अमा॰171:7:2.15)
823 भोंकार (~ पाड़ के रोना, ~ पार के रोना/ कानना) (माय के मरला पर भुनेसर के पूरा परिवार ~ पाड़ के रोवे लगलन) (अमा॰171:8:2.14, 9:1.3; 173:8:1.27)
824 भोट (= वोट) (~ देना) (अमा॰166:18:2.11)
825 भोरे (मुखिया जी ~ की समझा रहलखुन हल ?) (अमा॰173:1:1.10)
826 मंगजरउनी (हम्मर बउआ तनिक्को ठीक रहऽ हे, त मंगजरउनी दीदा बिदोर-बिदोर के देखे लगऽ हे) (अमा॰165:10:1.23)
827 मंगनी (~ में = मुफ्त में) (अमा॰174:7:1.19)
828 मंगिया (ननदी के ~ पर बोरसी, सांझे-बिहने उलटऽ हे) (अमा॰166:14:2.6)
829 मंगिया-धोवउनी (अमा॰165:10:2.4)
830 मंजधार (ले डूबऽ हे एक पापी नाव के ~ में) (अमा॰174:6:2.35)
831 मंझली (~ बहिन) (अमा॰169:17:2.6)
832 मइया-बप्पा (न करतई बिआह कउनो, त ~ का अँचार लगयतई एकरा ? आजतक कउनो बेटी कुँआर रहल हे ?) (अमा॰167:10:1.30)
833 मइल-कुचइल (अमा॰173:16:1.19)
834 मउअत (जलम आउ ~) (अमा॰173:16:2.29)
835 मउगी (अमा॰163:18:1.11)
836 मगह (= मगध) (अमा॰166:7:1.1)
837 मच्छड़ (अमा॰170:8:1.31)
838 मच्छड़दानी (अमा॰170:8:1.31)
839 मजमा (अमा॰174:11:1.12)
840 मजूर (अमा॰163:5:1.26; 165:22:1.27)
841 मटकुइयाँ (मुद्रिका सिंह के कहानी में जे घटना उजागर भेल हे, ऊ बलुआही ~ के पानी नियन हे । अगरचे ओकरा छान के पियल जाय, त ठंढा भी लगत आउ मिट्ठा भी) (अमा॰172:12:2.15)
842 मड़वा (चट मड़वा पट बिआह) (अमा॰171:5:1.29; 172:5:2.20)
843 मति-गति (~ सब तोरो मर गेल, बिन निसा के सनक गेलऽ) (अमा॰174:13:2.5)
844 मध (जब तक छत्ता में ~ रहऽ हे तबे तक मधुमक्खी छत्ता में रहऽ हे) (अमा॰173:8:1.8)
845 मनिता (~ मानना) (अमा॰167:14:2.18)
846 मने-मने (अमा॰167:17:2.11)
847 ममोरना (मूड़ी ममोर देना) (अमा॰173:11:1.26, 12:1.21, 22)
848 मरजाद (बराती एक दिन आवऽ हल, दुसरका दिन रुकऽ हल, फिर तिसरका दिन बिदाई होवऽ हल । बीच वला दिन के ~ कहल जा हल । ~ के रात में धरम-संस्कृति आउ शादी के विधान हल ।) (अमा॰171:5:1.20)
849 मरदे (छुच्छे-सुक्खल रोटी कइसे खाई रे मरदे ?) (अमा॰165:8:1.11)
850 मरनी (अमा॰163:15:1.13)
851 मरनी-सराध (शास्त्री जी जात-पाँत, तिलक-दहेज, ~ के भोज के खिलाफ हलन) (अमा॰170:6:1.26)
852 मरनी-हरनी (अमा॰166:11:1.7)
853 मरलका (~ लइका) (अमा॰173:16:2.26)
854 मर-हेरा जाना (अमा॰165:7:2.8)
855 मरी (अमा॰163:15:1.12)
856 मलकना (चमके बिजुलिया मलके चम-चम चम-चम, हरि-हरि ठनका ठनके झपसी लगावे रे हरी ।) (अमा॰169:18:1.30)
857 मलकीनी, मलकिनी (अमा॰163:10:1.5, 18, 20; 172:15:2.1)
858 मलेटरी (अमा॰171:7:1.24)
859 मसला (जउन जमीन पर सूरज बाबू मकान बनयलन हे, ऊ गरमजरुआ हे आउ मालगुजारी के रसीद जाली हे । कउनो तरह ऊ ले-दे के मसला हल करऽ हथ ।) (अमा॰172:11:2.2)
860 मसुरी (नेवारी के पुंज दू-दू, तीन-तीन गो, सामने खलिहान के ऊपरे ऊँचाई पर पुआल के गाँज अलग । खेसाड़ी आउ ~ के गाँज पहाड़ नियन ।) (अमा॰168:8:2.3)
861 महतवाई (अमा॰168:8:2.20)
862 महतो-महतवाइन (अमा॰168:8:1.2)
863 महरानी (अमा॰173:20:1.20)
864 महादेथान (बिहारशरीफ के मगही में 'महादेथन') (अमा॰165:8:1.21)
865 महिन्ना (= मासिक वेतन) (एक समय हल कि रामधनी भइया के औरत दूसर के खेत में ~ करऽ हलन । जहिना न तो अपना खेत हलइन, न पुलिस के जादे महिन्ने मिल्लऽ हलइ ।) (अमा॰171:7:2.1)
866 माउग (अमा॰163:12:1.2)
867 माको-धीकी (बात साफ-साफ रहला से ठीक होवऽ हे । नयँ तो आगे चल के गुहा-गिंजरी, ~ बढ़ियाँ नञ होवे ।) (अमा॰165:6:1.19)
868 माथा (ई बात सुनलन, त उनकर तो मथे चकरा गेल) (अमा॰173:7:1.6)
869 माथा-चोटी (~ करना) (अमा॰173:1:2.9)
870 मान-मरजाद (अमा॰173:1:2.3)
871 मामला (~ सलटाना) (दुन्नो भाई पंचइती में ~ सलटावे पर राजी हो गेलन) (अमा॰173:5:2.31)
872 माय (अमा॰171:7:1.1)
873 मारल चलना (अमा॰170:12:1.18-19)
874 माहटर (अमा॰174:7:1.12)
875 मिंझाना (दीया मिंझाय से पहिले भभके हे) (अमा॰166:9:2.34)
876 मिचाई (अमा॰172:13:1.13)
877 मिजाज (खँचिये भर धान के गरमी से, ऐसन मिजाज बगद जाहो) (अमा॰174:13:2.3)
878 मिट्ठा (~ बोलना) (अमा॰173:21:2.21)
879 मिठगर (~ भासा) (अमा॰171:13:1.22)
880 मिलौनावला (~ रोटी) (अमा॰173:1:1.5)
881 मीटिंग-सिटिंग (अमा॰174:11:1.1)
882 मीठ ... तीत (तूँ ई सब जे बोलइत ह, एकरा चलते बेमतलब के जेकरा से मीठ ह, ओकरो से तीत हो जयबऽ) (अमा॰165:10:2.9-10)
883 मुँहफट (अमा॰164:20:1.8)
884 मुखचूमन (अमा॰172:9:1.33)
885 मुड़ना (बेटा-बेटी के जलम दिन, सतइसा, मुड़ना, सादी-बिआह, परब-तेओहार जइसन अनेको मौका पाके उपहार जुटावे के जोगाड़ में लोग लग जा हथ) (अमा॰174:8:1.18)
886 मुड़ना-बिआह (अमा॰166:11:2.1)
887 मुदा (अमा॰173:13:1.26)
888 मुहलुकाने (अमा॰166:15:1.4)
889 मूड़ी (माला के मूड़ी अप्पन गोदी में उठाके हम ~ में बइठ गेलूँ) (अमा॰165:10:1.3; 166:9:2.22, 10:1.7; 173:11:1.26)
890 मूनना (आँख ~) (एकर पढ़ाई में आँख मून के लग जा) (अमा॰165:18:1.18)
891 मेहनतकस (~ मजदूर) (अमा॰164:3:1.12)
892 मैना-मैनी (जेहो दू-चार मन के असरा हे, उहो ससुरी ~ खाइए जइतो) (अमा॰173:16:2.14)
893 मोंछ (अमा॰165:7:1.4)
894 मोकदमा (अमा॰173:12:1.34)
895 मोछ (अमा॰173:17:2.18)
896 मोटरी (अमा॰173:1:1.20, 16:1.20)
897 मोताबिक (अमा॰172:12:2.5; 174:3:2.24)
898 मोरी (= हम्मर, मेरी) (सइयाँ परदेसवा मोरी सूनी सेजरिया रामा) (अमा॰169:18:2.5)
899 मोरी (रोहनियाँ ~) (अमा॰169:1:1.1)
900 मोसमात (मोसमतिया के) (अमा॰168:10:2.9; 172:14:1.15)
901 मोहाल (जीना ~ हो जाना) (अगर 'जल परदूसन' आउ 'वायु परदूसन' के न रोकल गेल तब अदमी के तो जीना ~ हो जायत) (अमा॰168:3:2.19)
902 रंगदारी (अमा॰172:11:1.26)
903 रउदा (कहियो तो रउदा करे निज बादरकट्टु रामा, हरि-हरि कहियो निरन्तर झड़िया लगावे रे हरी ।) (अमा॰165:7:1.9; 169:18:1.19)
904 रजधानी (= राजधानी) (अमा॰166:7:1.1)
905 रसे-रसे (= धीरे-धीरे) (अमा॰166:8:2.25, 9:1.22; 169:12:2.27; 173:13:2.7)
906 राँड़ी (अमा॰166:14:2.5)
907 राड़ (~ न माने प्यार के बात) (अमा॰164:20:1.8; 166:13:1.16)
908 राड़िन (हमरा पर नतिया-राड़िन जरी-जिद्दी से पड़ल हे) (अमा॰165:10:1.21, 2.12)
909 राता-राती (अमा॰170:7:1.21)
910 राफ-साफ (केस ~ करना) (अमा॰173:6:2.8)
911 राय-छितिर (सउँसे भरमजाल के एक्के झटका में ~ करके मिसिर जी हमरा यथार्थ के ढेलगर केवाल खेत में उठा के पटक देलन) (अमा॰166:8:1.3)
912 रावा (~ के सरबत) (अमा॰173:15:1.24)
913 रेकड (अमा॰164:9:2.15)
914 रेवाज (= रिवाज) (अमा॰173:8:2.9; 174:7:1.5)
915 रोग-बेमारी (अमा॰165:20:2.3)
916 रोपनियाँ (अमा॰168:8:2.16)
917 रोपनी (अमा॰169:1:1.14)
918 रोपल (उनकर ~ मगही बिरुआ अब फरे-फुलाय लगल हे) (अमा॰169:17:2.21)
919 रोपा (अमा॰169:1:1.2)
920 रोहनिया, रोहनियाँ (~ मोरी) (अमा॰169:1:1.1)
921 लंठगिरी (एन्ने बिन्दा छौंड़न के संगे रहके ~ करे लगल हल) (अमा॰173:13:2.9)
922 लइकन-फइकन (अमा॰173:19:1.2)
923 लकड़सुंघवा (अमा॰172:12:1.3)
924 लगउनी-बझउनी (सालो से जे एतना ~ हे, ऊ कइसे वसूल होयत) (अमा॰174:8:1.22)
925 लगहर (~ गाय) (अमा॰163:15:1.22)
926 लचार (~ अदमी कसूर गछ के माफी माँगऽ हे) (अमा॰169:14:1.17)
927 लचारी (अमा॰165:14:1.28, 16:2.16; 170:6:1.6)
928 लजौनी (धनेसरा ~ के पौधा जइसन लजा गेल) (अमा॰169:14:1.15)
929 लट्ठा (~ गिरावे ओला सिपाही के झट् से सौ-पचास के नोट धरा द, पट् से ओवर-लोडिंग कम जायत) (अमा॰164:8:2.1)
930 लठुआना (भौंरा भी फूल में तब ले लठुआल रहे हे, जब ले ओकरा में रस रहे हे) (अमा॰173:13:2.28)
931 लड़ाकिन (अमा॰166:14:2.1)
932 लदना (~ बैल) (अमा॰173:13:1.10)
933 लप्पड़-थप्पड़ (अमा॰167:17:1.10)
934 लफड़ा (अगर तूँ ई लफड़ा में पड़ल न चाहे हें, तब चुपडाप हरेक महीना में आधा पेंसन दे दिहें) (अमा॰164:10:1.11)
935 लमहर (अमा॰167:10:2.5; 173:3:2.9)
936 लवेदा (ई में ~ फँसे के डर न हे) (अमा॰174:6:2.9)
937 लहास (= लाश) (अमा॰168:11:1.8; 169:11:2.21)
938 लाज-गरान (अमा॰170:11:2.16)
939 लिखा-पढ़ी (पहिले पइसा ले जा, बाद में ~ करिहऽ) (अमा॰163:11:2.2)
940 लिताहर (अमा॰173:7:1.17, 18)
941 लिबिर-लिबिर (ऊ घोंघा लेखा ~ आँख से हमरा देखलक) (अमा॰173:16:1.22)
942 लुंगी (अमा॰163:8:1.21)
943 लुटेरा (अमा॰173:1:2.6)
944 लुरगर (लुरगर-बुधगर) (अमा॰170:14:2.23)
945 लूर-लच्छन (अमा॰166:14:2.13)
946 लेखा (= जैसा) (ऊ घोंघा ~ लिबिर-लिबिर आँख से हमरा देखलक) (अमा॰173:16:1.22)
947 लेटाना, लेटा जाना (= गंदा होना, गंदा हो जाना) (कभी भइंस पेसाब करे तो छींटा पड़े, कभी गाय के पातर गोबर से कपड़ा लेटा जाय) (अमा॰170:8:1.33)
948 लेमचूस (अमा॰173:14:2.7)
949 लेमो (= लेमू, निम्बू) (अमा॰172:4:1.22)
950 लेसना (= नेसना, जलाना) (तितकी लेस देना) (अमा॰173:11:2.21)
951 लोहमान-अगरबती (अमा॰172:10:1.1)
952 वजीफा (इनका पन्द्रह रुपइया महीना के सरकारी ~ भी मिले लगलइन) (अमा॰169:17:1.13)
953 वला (= वाला) (जब इंगलैण्ड वला इहाँ आवऽ हल, तब गाँव में एगो उत्सव करल जा हलइ आउ एक-दू रात नाटक; बीड़ी-सिगरेट पीये वला) (अमा॰170:6:2.28; 173:13:1.7)
954 वसूल (सालो से जे एतना ~ हे, ऊ कइसे वसूल होयत) (अमा॰174:8:1.22)
955 शान (अइसे तो समाज में ई धारणा हे कि ठाकुर लोग अप्पन आन, बान आउ शान के चलते जउन काम भी करतन, ओकरा खराब न कहल जायत) (अमा॰173:7:2.21)
956 संगरना, संगरे लगना (अकास में बादल संगरे लगल) (अमा॰163:13:2.21)
957 संगेरना (संगेर के रखे जुकुर लेख) (अमा॰166:4:1.6)
958 संघ (= संग) (जे हमरा से बिआह करत, हम ओकरे संघे रहम) (अमा॰168:10:2.29)
959 संझकी (~ बेरिया) (अकास में बादल संगरे लगल । एक दिन तो संझकी बेरिया झमक गेल।) (अमा॰163:13:2.21)
960 संस-बरक्कत (अमा॰165:11:1.26)
961 सउँसे (अमा॰164:9:1:27; 167:3:1.24, 9:2.1; 172:3:1.9, 2.27)
962 सउरी (~ लिपना) (अमा॰167:14:1.10)
963 सकड़पंच (~ में पड़ना) (उपहार के ई घिनौना रूप सामने आवे से उपहार देवे ओलन ~ में पड़ जा हथ) (अमा॰174:8:1.27)
964 सछात (= साक्षात्) (~ सरस्वती के धवल रूप) (अमा॰166:7:2.26)
965 सजाय (अमा॰170:7:1.19; 171:10:1.23)
966 सटक्का (पानो सुनरी के तीन-चार ~ पीठ पर देइत बोलल -'भुजफट्टी, आज के बाद जहाँ कुच्छो बोले कि देह के खाले खींच लेबउ') (अमा॰163:12:2.16)
967 सड़ल-गलल (ई कसइनी, हत्यारिन हमरा सड़ल-गलल खाना दे देवऽ हल) (अमा॰163:15:2.31)
968 सतइसा (बेटा-बेटी के जलम दिन, सतइसा, मुड़ना, सादी-बिआह, परब-तेओहार जइसन अनेको मौका पाके उपहार जुटावे के जोगाड़ में लोग लग जा हथ) (अमा॰174:8:1.18)
969 सत-गत (~ करना) (बेचारी सुगिया के कउन दोस ? तों पहिले जाके बुतरू के ~ करऽ, तब तलुक हम ओकरा लागी खिचड़ी बनाके ले आयम ।) (अमा॰173:16:2.21)
970 सधारन (= साधारण) (अमा॰169:6:1.14; 172:5:1.8)
971 सधुआना, सधुआ जाना (धनेसरा सधुआ गेल । ऊ अप्पन आधा सम्पत्ति गाँव के ठकुरबाड़ी में लिख देलक ।) (अमा॰169:14:1.21)
972 सन (ढेर सन नेता लोग जगत जी के घरे मातम-पुरसी खातिर पहुँच गेलन हल) (अमा॰168:12:2.11)
973 सनकना (मति-गति सब तोरो मर गेल, बिन निसा के सनक गेलऽ) (अमा॰174:13:2.5)
974 सनेस (अमा॰174:7:1.18)
975 सफाचट (अमा॰174:11:1.8)
976 सबुर (= सब्र) (अमा॰172:20:1.15; 173:7:2.11)
977 समधी (अमा॰171:5:1.26)
978 समान (= सामान) (अमा॰165:11:2.33)
979 समुच्चे (= समूचा ही) (अमा॰169:18:1.25)
980 समुल्लह (दुर्गा सप्तशती के ~ परायन) (अमा॰169:19:1.30)
981 सम्हरना, सम्हर जाना (अमा॰174:13:1.2)
982 सम्हारना (अमा॰173:16:1.5)
983 सरवा (= साला) (अमा॰173:16:2.9)
984 सर-समाचार (अमा॰166:15:1.9)
985 सर-समान (अमा॰165:11:2.28; 166:8:1.15)
986 सराती (रामायण के प्रसंग पर लोग वाद-विवाद करऽ हल, जेकरा से बराती आउ सराती पाटी के शिक्षा के स्तर के पता चलऽ हल) (अमा॰171:5:1.22, 27)
987 सराध (अमा॰171:7:1.1)
988 सरियाना (भादो भयावन करिया-करिया बदरिया रामा, हरि-हरि एक पर एक सरियावे रे हरी ।) (अमा॰169:18:1.29)
989 सरोकार (अमा॰171:5:2.6, 20)
990 सलटाना (मामला ~) (दुन्नो भाई पंचइती में ~ सलटावे पर राजी हो गेलन) (अमा॰173:5:2.31)
991 सलाई (अमा॰165:12:1.2)
992 सवदगर (= स्वादिष्ट) (अमा॰166:9:1.33)
993 सवासिन (माय हलथिन बिहार शरीफ के इमादपुर महल्ला के ~ आउ माय के ननिहाल हलइन बाढ़ भिर अगमानपुर) (अमा॰169:17:1.6)
994 ससुरी (जेहो दू-चार मन के असरा हे, उहो ~ मैना-मैनी खाइए जइतो) (अमा॰173:16:2.14)
995 सहकाना (छोटका बेटा भुनेसर अइसन कि बात-बात में गारी बात करे लगऽ हल आउ माय के सहकयला पर मारे-पीटेला भी तइयार हो जा हल) (अमा॰171:7:2.18)
996 साँझे-साँझ (~ लुगा समेट के मोटरी बाँधले तीनों घरे लउटलन) (अमा॰173:1:1.20)
997 सादी-बिआह (बेटा-बेटी के जलम दिन, सतइसा, मुड़ना, सादी-बिआह, परब-तेओहार जइसन अनेको मौका पाके उपहार जुटावे के जोगाड़ में लोग लग जा हथ) (अमा॰174:8:1.18)
998 सिंगार-पटार (~ मत बन तिलेसरी ! जमाना मार देतउ । अइसन सिंगार-पटार बड़कन के बेटी करऽ हे । ओखनी एसनो-पाउडर, काजर-बीजर करऽ हे, त सोहऽ हे । तों करबे, तब लोग तोरा रंडी-पतुरिया कह देतउ ।) (अमा॰163:12:1.7; 168:9:2.1)
999 सिंघा (अमा॰171:5:1.17)
1000 सिझाना (दूध में सिझा के) (अमा॰166:5:2.13)
1001 सिया जाना (कजरी के ससुर डेओढ़ी में हारल जुआरी जइसन बइठल रह गेलन, जइसे सबके मुँह सिया गेल होवे) (अमा॰167:9:1.31)
1002 सियार-मकार (अमा॰173:16:2.8)
1003 सिरहाना (माला के मूड़ी अप्पन गोदी में उठाके हम ~ में बइठ गेलूँ) (अमा॰166:8:2.12, 9:2.23)
1004 सिरिफ (= सिर्फ) (अमा॰163:9:1.28)
1005 सिरिस्ता (मोवक्किल अपने के सब फीस-फास पहिलहीं ~ में सबके सामने फरिया देलक हे) (अमा॰169:19:2.24)
1006 सिलेट (अमा॰167:17:1.6)
1007 सिलेट-पिलसिन (सांझ के तूहूँ ~ लेके रात ओला इसकूल में पढ़े जा) (अमा॰165:18:2.19)
1008 सिहरी (~ बरना) (भोर खनी ~ बरे जाड़ा बुझा करे-करे, हरि-हरि रसे-रसे जुलुम अंगावे रे हरी ।) (अमा॰169:18:2.10)
1009 सिहाना (सोनू आउ मोनू सिहा-सिहा अप्पन-अप्पन आम के हिस्सा खा गेल) (अमा॰163:13:1.31)
1010 सीरा घर (अमा॰169:12:1.2)
1011 सुआ-सुतरी (अमा॰174:13:2.12)
1012 सुक्खल (अमा॰165:7:1.9, 8:1.30)
1013 सुघर (अमा॰173:19:1.21)
1014 सुघरिन (~ पुतहु) (अमा॰166:14:1.1)
1015 सुतना (सुतिहऽ) (अमा॰173:15:1.31)
1016 सुतार (इन साल धनवाँ के पैदा ~ भेल) (अमा॰174:12:1.24)
1017 सुत्थर (अमा॰166:5:2.17)
1018 सुनताहर (अमा॰166:14:1.12)
1019 सुन्नर (= सुन्दर) (अमा॰165:22:1.26)
1020 सुपती (बिना कोई प्रतिरोध के माला एकटक से हमरा देन्ने ताकते रहल आउ हम ओकर ~ के सहलावित रहलूँ हल) (अमा॰166:8:2.7)
1021 सुस्ताना (अमा॰173:1:1.2)
1022 सूटर (= स्वेटर) (बउआ खाली गाँती बाँधे, न हइ टोपी-सूटर) (अमा॰172:20:1.17)
1023 सेंगरन (अमा॰169:17:2.12)
1024 सेनुर (अमा॰165:12:1.3)
1025 सेराना (सेरायल) (अमा॰167:8:2.4)
1026 सेहरी (= सहरगही) (अमा॰171:3:1.15)
1027 सोंटना (सोंटल शरीर) (अमा॰173:5:1.2)
1028 सोआरथ (= स्वार्थ) (~ साधना) (अमा॰172:11:2.22, 25)
1029 सोझ-समाठ (ओकर मरद बोधू ~, दुखवा केकरा से कहे।) (अमा॰173:1:1.3)
1030 सोना-चानी (अमा॰173:13:1.14, 2.8)
1031 सोन्हा (जेठ-मास में पहिला फुहार, मट्टी के ~ महक आउ करकरावल जा रहल घीउ के महक जइसन) (अमा॰166:8:1.28)
1032 सोभाव (= स्वभाव) (अमा॰163:14:2.7)
1033 सोमारी (अमा॰166:11:2.2)
1034 सोहनी-रोपनी (एक समय हल कि रामधनी भइया के औरत दूसर के खेत में ~ करऽ हलन । जहिना न तो अपना खेत हलइन, न पुलिस के जादे महिन्ने मिल्लऽ हलइ ।) (अमा॰171:7:1.28)
1035 सौख (= शौक) (अमा॰173:19:1.6)
1036 सौगात (अमा॰174:7:1.18)
1037 सौदा-दोकानी (अमा॰174:12:1.14)
1038 सौदेबाजी (अमा॰165:16:1.9)
1039 स्साला (मरे द सबके, ~ सब के सब एक्के तुरी मर जाइत हल, त अच्छा हलई) (अमा॰173:16:2.11)
1040 हँसुआ (~ के बिआह में खुरपी के गीत) (अमा॰165:17:1.17)
1041 हठरा (देखऽ ही कि ऊ खेत में मचान पर बइठ के ~ नियर बाल पर बाल पर बइठल सुग्गा-मैना के उड़ावे में हाल... होल... हाल... होल... करके टीना पीट रहल हे) (अमा॰173:16:2.1)
1042 हबर-दबर (आज के ताजा खबर, पढ़िये ~) (अमा॰171:10:1.6)
1043 हरजोतवा (चार गो लदना बैल हल आउ चार गो ~) (अमा॰173:13:1.11)
1044 हरवाहा (अमा॰169:1:1.9)
1045 हरसट्ठे (अमा॰164:9:1.6)
1046 हरसठे (मलकिनी भी ~ बेमारे रहऽ हथ । खाय-पानी बनावे के दिक्कत हे । उनकर कहनाम हे कि लइकी बेस रहत तो पइसा के महत्व न देम ।) (अमा॰172:15:2.1)
1047 हर-हर (लइकाइये से खेलकूद में ~, पढ़े-लिखे में फरहर) (अमा॰169:17:1.9)
1048 हरिजन (हरिजन माने भुइयाँ-चमार, डोम-दुसाध होवऽ हे, समझले ? माने कि नीच जात ।) (अमा॰165:7:2.2)
1049 हरियर (= हरा) (अमा॰167:1:1.10)
1050 हलाक (गोली मार के ~ कर देलन) (अमा॰173:18:1.2)
1051 हलाकि (= हालाँकि) (अमा॰173:8:2.11)
1052 हहाना (हवा चउबाहा बहे गछिया-बिरिछिया रामा, हरि-हरि डाँढ़े-पाते झुकऽ है हहाहै रे हरी ।) (अमा॰169:18:1.33)
1053 हाल... होल (देखऽ ही कि ऊ खेत में मचान पर बइठ के ~ नियर बाल पर बाल पर बइठल सुग्गा-मैना के उड़ावे में हाल... होल... हाल... होल... करके टीना पीट रहल हे) (अमा॰173:16:2.2-3)
1054 हाली-हाली (अमा॰166:17:1.17)
1055 हिआँ (अमा॰165:19:1.18; 171:18:1.5)
1056 हिआँ-हुआँ (अमा॰164:5:1.32)
1057 हिजरी (अमा॰174:6:1.17)
1058 हिजरीस्तान (अमा॰174:6:1.18)
1059 हित-कुटुम (अमा॰174:8:2.17)
1060 हित-कुटुम्ब (अमा॰171:7:1.4)
1061 हित-नाता (अमा॰167:9:2.1)
1062 हियाँ (अमा॰164:6:2.18, 19; 165:19:2.5)
1063 हुँकारी (कुछ देर लागी तो मइया के हुँकारिये बन्द हे गेल हल) (अमा॰168:9:2.26)
1064 हुँनखर (अमा॰173:16:1.6)
1065 हुंठा (अमा॰167:17:1.6)
1066 हुआँ-हुआँ (तइयो सरवा रात भर खेत में ~ करइत रहलो) (अमा॰173:16:2.9)
1067 हुज्जत (अमा॰163:1:1.7)
1068 हुनखर (अमा॰168:11:1.35; 173:16:1.16)
1069 हुनखा (अमा॰168:11:1.16)
1070 हुलकना (दू-तीन दिन के बाद सोनी के आँठी से अँकुरा बाहर हुलक रहल हल) (अमा॰163:13:2.25)
1071 हुलकी (~ मारना) (जीतला के बाद आझ तक महल्ला में कोई हुलकिओ मारे न अयलन) (अमा॰163:9:1.25)
1072 हेराना, हेरा जाना (अमा॰173:9:1.4)
1073 हेलना, हेल जाना (अमा॰166:9:1.16)
1074 होरहा (बूँटवा के ~ बनाएम) (अमा॰171:17:1.17)

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