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Friday, February 05, 2010

31. धन के अभाव में मगही रचनाएँ नहीं हो पातीं प्रकाशित

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_6160868.html

05 Feb 2010, 09:41 pm

बिहारशरीफ: स्थानीय रामचन्द्रपुर स्थित अप-टेक एजुकेशन के सभागार में शुक्रवार को अखिल भारतीय मगही मंडप के तत्त्वावधान में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष डा. किरण शर्मा ने कहा कि मगही साहित्यकारों के संकीर्ण दायरे में सिमट जाने के कारण मगही रचनाएँ लगभग अप्राप्य हैं। साहित्यकारों पर लक्ष्मी की कृपा नहीं होती है जिसके कारण उनकी उत्कृष्ट रचनाएँ अप्रकाशित रह जाती हैं और जन सामान्य तक नहीं पहुँच पाती हैं। मंडप के सचिव उमेश प्रसाद ने कहा कि आज मगध की धरा में ही मगही उपेक्षित है। मगही बोलना-लिखना-पढ़ना हमारे लिए शर्म नहीं अपितु गौरव का विषय है। मगध साम्राज्य के उत्कर्ष के वक्त मगही ही राजभाषा थी, लेकिन आज मगही बेजार हो रही है; अपने सपूतों को ढूँढ़ रही है। जननी, जन्मभूमि के साथ ही हम अपनी मातृभाषा का भी ऋण आजीवन ढोते हैं। जिस भाषा में हमारे संस्कार पल्लवित, पुष्पित हुए हैं, उसे कौन सजायेगा। इसलिए चिंतन व मनन करने की जरूरत है। इस अवसर पर जयनंदन शर्मा ने कहा कि मगही के अनमोल साहित्य (जो बख्तियार खिलजी के नापाक इरादे से राख हो चुके) की छटा आज भी यत्र-तत्र सर्वत्र बिखरी पड़ी है। उसे सहेजना है। इस धरोहर को भावी पीढ़ी को सौंपने का गुरुतर दायित्व आज की पीढ़ी पर है। उस दायित्व के निर्वाह के लिए तमाम साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों और श्रद्धालुओं के सहयोग की आवश्यकता है। धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के प्रबंधक एस.के. मुकेश ने किया। इस अवसर पर संस्थान के संजीव कुमार, कुमार शशि, रजनी, सुनिधि, रत्‍‌नम, सोनी, पूनम, मुन्ना सहित कई छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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