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Friday, July 16, 2010

17.2 मगही कथा-काव्य "रुक्मिन के पाती" में प्रयुक्त ठेठ मगही शब्द

रुपा॰ = "रुक्मिन के पाती" (मगही कथा-काव्य) - बाबूलाल मधुकर; प्रथम संस्करण 2008; प्रकाशकः सीता प्रकाशन, 105, स्लम, लोहियानगर, पटना-20; मूल्य - 101/- रुपये; कुल 144 पृष्ठ ।


देल सन्दर्भ में पहिला संख्या सम्वाद, दोसर संख्या पृष्ठ, आउ तेसर संख्या पंक्ति दर्शावऽ हइ ।

(वर्णक्रमानुसार त से म तक)

304 तनि-मनि (हम तो अनपढ़ गमार हियो, छूछे लवार हियो, तनि-मनि पढ़ल हियो, दिन-रात दुसमन मुदइया से लङऽ हियो ।) (रुपा॰2:31.2)
305 तरवा (पढ़ि-पढ़ि तोहर पतिया, हम्मर तरवा के गोसा कपार चढ़ि गेलो ।) (रुपा॰5:58.29)
306 तरहारा (~ भराना) (जदि सुनि जान पइतइ राजा कंसवा, बाले-बच्चा के तरहारा भरइतइ, बाघ लेखा हमरा पर दउड़तइ, पीसतइ दँतवा, कच्चे चिवइतइ ।) (रुपा॰1:19.11)
307 तरान (= त्राण; बचाव, रक्षा; फसल में अन्न अधिक होना) (एके समान सभ रहऽ हइ, कहिं कोई, चीज के नहिं तनिको अभाव हइ, चोर चाँय, लूजा-लफङ्गा-लफन्दर, आउ जुआड़िअन के तनिको नञ तरान हइ ।) (रुपा॰3:40.14)
308 तहे-तहे (~ खोलना) (सले-सले बोलऽ हलो, तहे-तहे खोलऽ हलो, सिनेहिया के बँधल गेठरिया, अधिमिसी निसवत रतिया ।) (रुपा॰1:17.23)
309 ताजिन्नगी (करवो दिवास आउ तोहरे गोहरइवो, ताजिन्नगी तोहरा से हिरदा जुड़इवो । तोहर वियोग में विरहा ठनकवो, रहि-रहि बुतरू सन ठुनकवो ।) (रुपा॰2:30.10)
310 तामा (= ताँबा, ताम्र) (सोना चान्दी हीरा मोती मानिक, के खान हम्मर मगध देसवा, लोहा-लक्कड़ पीतल-तामा अबरख के, पहाड़ हकइ हम्मर मगध देसवा ।) (रुपा॰3:39.23)
311 तितकी (~ नेसना) (भइया रूकमी के घेंचिया पकड़ि के, बोरा लेखा फेकि देलहु, भौजी सुव्रता आउ हम्मर देहिया में, जइसे कोई तितकी नेसि देलहु ।) (रुपा॰1:14.30; 10:100.18)
312 तितना (= तीतना, भींगना) (नेहाइ-नेहाइ अइलिअइ अरार पर, तितल-भीङ्गल लुगवा धइलिअइ कपार पर ।) (रुपा॰3:36.7)
313 तुलमतुल (मगध के हाल-चाल तोहर अनुकूल हो, कमल कुमुदिन के खिलल सगर फूल हो । तोहनि के लगन तुलम तुल हो ।) (रुपा॰9:95.6)
314 तेरह (न ~ में नञ तीन में होना) (अउरत विनु पुरुषवा होवइ सिरी हीन, रहऽ हइ अतृप्त-दीन-हीन । रहइ नहिं तेरह में नञ तीन में, कटइ जिन्नगी छीन-छीन में ।) (रुपा॰10:102.3)
315 थकल-फेदाल (तोरे संघे विपत्ति गमइवो, थकल-फेदाल जब रहबऽ, गोदिया में लेके अचरा से, बेनिया डोलइवो ।) (रुपा॰3:43.23; 7:85.18)
316 दन (दुनिया के हित लागि, सभे के प्रीत लागि, दिन-रात रहऽ हकइ पागल । खाय के नञ पिए के दन कभी, आठो पहर रहऽ हकइ जागल ।) (रुपा॰7:79.20)
317 दन-सन (बढ़ना फेके के बहाने अँगना से, दनसन बाहर बहरइलइ ।) (रुपा॰5:52.14)
318 दप-दप (सभे अङ्ग लगइ दप-दप, सोना रङ्ग मुरतिया, गढ़ल सुरतिया ।) (रुपा॰11:103.5; 17:134.1)
319 दपना (रुक्मिन के खिलि गेलइ मनझान मनमा, सोलहो सिंगार दपइ तनमा ।) (रुपा॰16:132.29)
320 दरोकार (= दरकार) (रूखल-सूखल रोटिए पर, करवइ गुजारा । जिए खातिर आउरो, कउचि दरोकार ।) (रुपा॰7:83.27)
321 दहसना (रह-रह के दहसऽ हइ, दहलइ हम्मर परान, मुफ्ते जइतइ जान, करतइ कउन तरान ।) (रुपा॰4:46.18; 5:57.30)
322 दहाड़ (बाढ़-~) (सामन्ती इन्नर के कोपवा से, जान-माल के बचावऽ हइ । बढ़वा-दहड़वा से: उबारे खातिर, सुनऽ हिअइ कानी अड़्गुरी पर, परवत-पहड़वा उठावऽ हइ ।) (रुपा॰5:54.8)
323 दिन-दुपहरिया (तोरे खातिर करथिन एकादसी, करऽ हथिन सभे ऐतवरिया । देउता देवी पुजऽ हथिन, दिन-दुपहरिया ।) (रुपा॰8:92.3)
324 दिनादिसती (दिनादिसती मुँहमे पर कहऽ हिअइ, जाके खूब लूतरी लगावऽ, हमरा आउ भइया से लड़ावऽ, गइया के सिंघिया बैला में मिलावऽ ।) (रुपा॰3:42.20)
325 दिनिया-दिनिया के (दिनिया-दिनिया के डगर दने, घुरिया-घुरिया आवऽ हइ । बाट-बटोहिया के देखि-देखि, मने-मने छगुनऽ हइ रुकमिन ।) (रुपा॰12:106.7)
326 दिवास (करवो दिवास आउ तोहरे गोहरइवो, ताजिन्नगी तोहरा से हिरदा जुड़इवो । तोहर वियोग में विरहा ठनकवो, रहि-रहि बुतरू सन ठुनकवो ।) (रुपा॰2:30.9)
327 दीदा (जिन्हकर साँवर सलोना रूपवा, हम्मर अँखिया के दीदवा में, आठो पहर रहइ सुवह साम ।) (रुपा॰3:35.9)
328 दुआरी (सभे के दुआरी पर पाघुर करइ, गाय-गोरू बच्छिया ।) (रुपा॰5:65.1)
329 दुपहरिया (लहकल ~) (रजल-गजल आज्झ सगर कुंडिलपुर धाम । लहकल दुपहरिया में भी, चलइ नहिं लू चुअइ नहिं घाम ।) (रुपा॰16:130.28)
330 दुमचना (मुदा कोइली के कूक हमरा लगइ हूक, देहिया के हुमचइ-दुमचइ चढ़ल जमनिया ।) (रुपा॰5:57.6)
331 दूरा-दलान (काउ-काउ करे लगलइ कउआ, महतारी के गोदिया किलके लगलइ बउआ, दूरा-दलनिया पर बूढ़-पुरनिया, गावऽ हथिन परतकाली, मारि-मारि ताली ।; कभी दूरा दलान, कभी गली-कूचि, कभी चढ़ि के अटारी, रुकमिन हिआवऽ हइ । मथुरा-दुआरिका से अभी तक, कोई नहिं आवऽ हइ, कान्हा के हेस नेस कोई नहिं लावऽ हइ ।) (रुपा॰1:25.2; 7:77.1)
332 देविथान (= देवीथान, देवीथन) (रुपा॰12:108.6)
333 देवीथान (= देवीथन, देवीस्थान) (कुब्जा तो साच्छात देवी भगवती हइ, ओकर टूटल मड़इया देवी थान हइ । अङ्गारक हकइ ओकर बिअहुआ, ओहु हमनि ला भगमान हइ ।) (रुपा॰5:62.27; 8:90.25)
334 दोपसता (= गर्भवती) (सीता जइसन तिरिया पवित्तर के, दोपसता के खेदऽ हइ वनमा । जुल्लू भर पनियो नञ डूबलइ, पता नहिं कइसन कुल खनदनमा ।) (रुपा॰7:82.12)
335 दोसतारे (= दोस्ती) (तोहर नाना उग्रसेन आउ हम्मर दादा कौसिक में रोटी-काटी दोसतारे हइ ।) (रुपा॰1:13.23; 8:88.23)
336 दोसती-मोहिम (= दोस्ती) (दोसती-मोहिममा के बुते, हम जिअ हिअइ । कभी जहर कभी, अमरित पिअ हिअइ ।) (रुपा॰9:97.1)
337 धच्चर (ताना मारइ सखियन, देखि हम्मर धच्चर, हम्मर करेजवा पर रोजे गिरइ बज्जर ।; देखि भौजी के धच्चरवा, मने-मने हँसऽ हिअइ, हमहु परझोवा माऽ हिअइ, कभी-कभी डँसऽ हिअइ ।) (रुपा॰3:40.24, 42.16)
338 धधकना (पकल-पकल पियर-पियर, आम कहिं टपकऽ हइ । टभकऽ हइ घाव कहिं, लहकऽ हइ आग कहिं, धधकऽ हइ सेज कहिं ।) (रुपा॰12:107.3)
339 धधकाना (आग ~) (हम्मर करममा में भइया, धधकाइ देलन अगिया । सुखि गेलइ बाबा के, बावनो पोखरिया ।) (रुपा॰12:110.7)
340 धधाना (= धधकना, उफनना, जोश दिखाना) (जीते जी बनइतइ हल, सभे के निरवंस उ । हलइ बड़ि धधाइल उ, अतताइ आउ अपाटी उ ।) (रुपा॰5:66.9)
341 धपना (लाली ~) (लाली धपइ पुरूब दिसा, होतइ भिनसार, दीनानाथ उगथिन, मिटतइ अन्हार ।) (रुपा॰3:44.21)
342 धमसना (मुदा मने-मन सोंचि-सोंचि मोहन, होवइ मनझान लगइ तनि धमसइ । मगध नरेस के बाहू-बल जानि के, रहि-रहि कभी-कभी खमसइ ।) (रुपा॰11:103.11)
343 धरल-धरावल (धरल-धरावल सभे अङ्गिया, ओकर देहिया में कसत होवऽ हइ । चढ़ल जमानी के एही पहचान हइ, जेकरा से भला कउन अनजान हइ ।) (रुपा॰6:69.13)
344 धांगना (गली-कुची ~) (सुनि मइया के डँहटवा, जइसे-तइसे भागऽ होतइ, खाँड़ी-कोला लाँघऽ होतइ, गली-कुची धांगऽ होतइ ।) (रुपा॰5:60.6)
345 धैल (~ नञ थम्हाना) (कूटि जइसन कूटि-कूटि काटि के, कौआ-चील-गिध के खिलइतइ । धैल नञ थम्हइतइ, खाली इतरइतइ, पनिया में आग लगइतइ ।) (रुपा॰6:74.7)
346 धोवन (जेकर गोड़ऽ के धोवनमा भी, लह-लह करइ, दप-दप करइ, जइसे अगिया में डाहल सोनमा ।) (रुपा॰17:133.6)
347 नउआ (झिर-झिर बहऽ हइ वसन्ती बेआर, लगइ जइसे लेके अइलइ नउआ नेआर ।) (रुपा॰3:38.25)
348 नज्जर (= नजर) (देखि हम्मर धच्चर, फेरि लेवऽ नज्जर ।) (रुपा॰6:72.17)
349 नधाना (तोहनी के डोलिया फइनइतइ, सिरा-घर से देवीथान-गोरइयाथान, सगर गीत-नाद नधइतइ ।) (रुपा॰8:90.26)
350 नफ्फर (लौंडी ~) (रुपा॰12:112.31; 16:130.22)
351 नमहस्सी (खाली तोहरा आउ अप्पन, खुदगरजी ला जहम कभी, नमहस्सी नञ करइवो, जगवा में हँसी नञ करइवो ।) (रुपा॰4:48.10)
352 नहिरा (= नइहर) (गौरा नियन हठी करिके, जाके नहिरा में जलवऽ ।) (रुपा॰6:73.21)
353 नामी-गरामी (दादा कौसिक भी हथिन, कुंडिलपुर के सरताज । उनकर नेआय से होवइ नहिं, कभी केकरो अकाज ।) (रुपा॰8:88.15)
354 निके-सुखे (तोहूँ अप्पन हेस-नेसदि दिहऽ, तनि देर मति करिहऽ, निके-सुखे रहिहऽ ।) (रुपा॰1:26.20)
355 निनेरना (तोरा जब देखलियो, अँखिया निनेर के, तूँ लगलऽ खिलल फूल जइसन ।) (रुपा॰2:29.4)
356 निपना (चूल्हा-चाकी ~ ) (चूल्हा-चाकी निपते, अदहन चढ़इते, ताना-वाना बुनते, मने-मने गुनते, जब उधिया होतइ चउरा ।) (रुपा॰5:59.25)
357 निमन (कुल-खनदान के रखतइ, जीते जी लाज उ । अप्पन मन से करतइ, अप्पन निमन काज उ ।) (रुपा॰17:136.8)
358 निरवंस (= निर्वंश) (जीते जी बनइतइ हल, सभे के निरवंस उ । हलइ बड़ि धधाइल उ, अतताइ आउ अपाटी उ ।) (रुपा॰5:66.8)
359 निरविघन (करऽ जोड़ि करऽ ही मिनती, जग्गवा के निरविघन होवे देहु । सिसुपाल आउ हम्मर भइया रुक्मी के, तनि समुझाइ देहु ।) (रुपा॰17:138.23)
360 निवाहना (= निर्वाह करना; पालन करना) (नेउता पेठइलथिन दादा कौसिक के नाम नेउता पुरावे खातिर, दोस्ती निवाहे खातिर, मथुरा नगरिया देखे खातिर) (रुपा॰1:14.8)
361 निसवत (= निसवद, निःशब्द) (सले-सले बोलऽ हलो, तहे-तहे खोलऽ हलो, सिनेहिया के बँधल गेठरिया, अधिमिसी निसवत रतिया ।) (रुपा॰1:17.25)
362 निसवद (= निःशब्द) (लिखऽ हियो पतिया, निसवद रतिया । कान्धा तनि कान दिहऽ, गुने के हो बतिया ।) (रुपा॰12:108.25)
363 नुनू (सुनऽ बेटा रूक्मी, सुनऽ तनि नुनू, नियति में कहिं नहिं अइसन विधान हइ ।) (रुपा॰18:142.2)
364 नेआर (= न्यार; विदाई के दिन निश्चित करने की पूर्व सूचना; बोलावन) (झिर-झिर बहऽ हइ वसन्ती बेआर, लगइ जइसे लेके अइलइ नउआ नेआर ।) (रुपा॰3:38.25)
365 नेउता-पेहानी (तोहर नाना उग्रसेन आउ हम्मर दादा कौसिक में रोटी-काटी दोसतारे हइ । काजे-पराजे दूनो में नेउता-पेहानी हइ ।) (रुपा॰1:14.2; 8:88.11)
366 नेवाना (घरऽऽ-घरऽऽ करि-करि, चले लगलइ कान्धा के रथवा । धइले रूकमिन के हथवा, हाथ जोड़ि नेवाबऽ हइ, हेमन्ती अप्पन मथवा ।) (रुपा॰18:144.11)
367 नेसना (= जलाना) (भइया रूकमी के घेंचिया पकड़ि के, बोरा लेखा फेकि देलहु, भौजी सुव्रता आउ हम्मर देहिया में, जइसे कोई तितकी नेसि देलहु ।) (रुपा॰1:14.30; 3:39.5; 10:100.18)
368 नैहिरा (= नइहिरा, नइहर) (एके राग रटऽ हइ पपीहरा, कि टिस मारइ गहिरा, पता नहिं काहे अब, नहिं नीक लगइ नैहिरा ।; रूकमिन आउर कान्धा, हाथ जोड़ि कुंडिलपुर के, करइ परनाम कि, मांगइ असीरवाद । नैहिरा आउ ससुरिया, रहइ सभे दिन अबाद ।) (रुपा॰3:39.9; 18:144.2)
369 पइरना (आज्झे भोरे-भोरे गेलियो हल, सखियन के सङ्ग बाबा के, पोखरिया नेहाय, ...जहाँ तइरऽ हिअइ, पइरऽ हिअइ, खेलऽ हिअइ छुआछूत के खेलवा ।) (रुपा॰3:35.21; 4:46.1, 48.29)
370 पउनिया (गाँव-गिरात के पउनिया, दौड़ि-दौड़ि लावइ रंगल-रंगल गांजा मउनिया ।) (रुपा॰16:130.23)
371 पकमान (= पकवान, पक्वान्न) (अममा सेनुरिया जइसन गाल, लगइ पुआ पकमान, ललचऽ हइ मनमा, तनमा भुखाल, ओहि रे सुरतिया पर हमरा गुमान ।) (रुपा॰4:48.2)
372 पजाना (मुँह ~) (भइया हम्मर मुँहमा पजावऽ हइ, मोछवा पर फेरइ ताउ, सुनिके खबरिया भौजी सुव्रता, घरवा में करइ काँउ-काँउ ।) (रुपा॰3:42.4)
373 पझाना (एके बुनऽ पनिया से पझाइ देलकइ, लहकल वदनमा के आग हम्मर ।) (रुपा॰18:140.15)
374 पटका (रहि-रहि मनमा में लगइ खटका, देवइ कइसे ओखनि के पटका । बड़ि कठिन लगइ ओखनि के, पछाड़े में, देवे में झटका ।) (रुपा॰11:104.2)
375 पटावल-परोड़ल (तिरिया चरितर तोरा सीखे पड़तो, हम्मर पठसलवा में तोरा पढ़े पड़तो । दूधवा से पटावल-परोड़ल अखड़वा में तोरा लड़े पड़तो ।) (रुपा॰12:112.20)
376 पढ़ल-गुनल (ढाढ़स बंधावइ हेमंती, काहे मनऽ करऽ ह मनझा रुक्मिन, पढ़ल-गुनल तोहरो बेकार । काहे रोवऽ ह माथा धुनि, अरे तोहर लाला कबे से जुमल हथुन ।) (रुपा॰16:132.19)
377 पतिअइल (जदि हहु तूँ गोपाल, तऽ ओहु हथिन गोरच्छनी । मथुरा में लड़लो जबे दूनो के नजरिया, साछात पतिअइल तूँ रूकमिन के पौरा । अतियाचारी कंस के भेइ गेलइ नास, अइसन सगुनिया हथिन सखि गौरा ।) (रुपा॰8:91.28)
378 पतिआना (उ तो हम्मर अँखिया के देखल आउ, हम्मर पतिआइल हइ । ओकरा पर तनिको नहिं सका-सुभा, उ तो हम्मर हिरदा में समाइल हइ ।) (रुपा॰5:60.27)
379 परझोवा (~ मारना ) (देखि-देखि हमरा मारइ परझोवा, कहऽ हलो - बाघ लेखा गरजऽ हइ, हाथी सन चिघाड़ऽ हइ, असमान फाड़ऽ हइ, साड़ जइसन अखड़ऽ हइ) (रुपा॰1:23.11; 3:42.18; 6:73.16)
380 परतकाली (काउ-काउ करे लगलइ कउआ, महतारी के गोदिया किलके लगलइ बउआ, दूरा-दलनिया पर बूढ़-पुरनिया, गावऽ हथिन परतकाली, मारि-मारि ताली ।) (रुपा॰1:25.3; 12:107.24)
381 परना (नदी-नाला बहऽ हकइ बहऽ हकइ झरना, छठी मइया के होवऽ हकइ खड़ना । नियम-धरम से दीनानाथ के होवइ अराधना, सभ कोई सरधा से करइ परना ।) (रुपा॰5:64.5)
382 परनाम (= प्रणाम) (रूकमिन आउर कान्धा, हाथ जोड़ि कुंडिलपुर के, करइ परनाम कि, मांगइ असीरवाद । नैहिरा आउ ससुरिया, रहइ सभे दिन अबाद ।) (रुपा॰18:143.29)
383 परवा (भइया रूकमी के घेंचिया पकड़ि के, बोरा लेखा फेकि देलहु, भौजी सुव्रता आउ हम्मर देहिया में, जइसे कोई तितकी नेसि देलहु । मुदा देखि तोहर सोहनी सुरतिया, हम्मर गोस्सवा उतरि गेलइ, चढ़ल परवा ससरी गेलइ, सगर सांति पसरी गेलइ ।) (रुपा॰1:15.3)
384 परसना (सगर सामन्तियन के, परसल जा हइ राज-पाट । राजतन्त्र के बोलवाला हइ, लोकतन्त्र के कहिं नञ निसान हइ ।) (रुपा॰10:99.12)
385 पवित्तर (= पवित्र) (कुल-परिवार-संस्कार से, परम पवित्तर हकइ रूकक्मिन ।; भइया-बहिनिया के रिस्ता, हकइ बड़ि रे पवित्तर ।) (रुपा॰9:96.7; 18:141.15)
386 पसरल-लथरल (सगर रेगनी के काँटा जइसन, पसरल-लथरल ओकरे वंस हइ ।) (रुपा॰10:100.8)
387 पांकड़ (अँचरा भरि लोरवा गिरावऽ हइ, मने-मने कान्धा के गोहरावऽ हइ । बूढ़वा पांकड़ भिर मूक केहानी गुनऽ हइ, रहि-रहि माथा अप्पन धुनऽ हइ ।) (रुपा॰12:106.14)
388 पियर (ओकरे ऊपर मैना-मैनी कुरचऽ हइ । उच्चरऽ हइ गीत कहिं, सुगा-सुगी, पकल-पकल पियर-पियर, आम कहिं टपकऽ हइ ।) (रुपा॰12:106.19)
389 पियासल (तोहरे ला जिअ हइ प्रान हम्मर, जइसे पानी के पियासल हरिनिया । तोहर नयनमा के जादू पेसल हम्मर हिरदा, तोहिं हम्मर नटवा, हम तोहर नटिनिया ।) (रुपा॰12:111.7)
390 पुनिया (= पूर्णिमा) (तोरा लागि टहकल पुनिया के रात हो ।) (रुपा॰8:87.32)
391 पुन्न (तपसिया के पुन्न के फलदायिनी; ओकर पुन्न परताप से मगध महान हइ ।) (रुपा॰2:27.9, 29.29; 5:63.23; 17:137.20)
392 पूजा-पाघुर (इहाँ हवा-पानी अगिन हथिन देवता, करइ सभे पूजा-पाघुर दे हइ सभे के नेउता ।) (रुपा॰5:64.9)
393 पूनिया (=पुनिया; पूर्णिमा) (तोहर गोरे-गोर वदनमा लगइ जइसे, भेलइ हे विनु चान के पूनिया ।) (रुपा॰2:32.9)
394 पेना (= पेंदा) (बिनु ~ के लोटा) (धरती पर धरे लागि पाँव, कहिं नहिं हकइ हमरा ठाँव । ... लगइ जइसे बिनु पेना के लोटा हिअइ, एने-ओने ढनकल चलऽ हिअइ ।) (रुपा॰6:71.19)
395 पेसना (तोहरे ला जिअ हइ प्रान हम्मर, जइसे पानी के पियासल हरिनिया । तोहर नयनमा के जादू पेसल हम्मर हिरदा, तोहिं हम्मर नटवा, हम तोहर नटिनिया ।) (रुपा॰12:111.8)
396 पेसाना (माढ़/ माँड़ ~) (खद-खद करऽ हको अदहन, मेरावल हको चउरा । समझऽ मढ़वो पेसावल हो, जदि करवऽ विलम तऽ सेरा जइतो । ओरिया जइतो, बसिया जइतो, टटका रहे पर जरि चौगर से खइबऽ ।) (रुपा॰12:112.8) 
397 पोटरी (अउरत होवइ सचमुच में, अमरित के खान आउ जहर के पोटरी । रहतइ नञ बंद कभी, कोना-सांधि-कोठरी ।) (रुपा॰18:140.22)
398 पोर (किसना के छेदइ छतिया, कि उठइ दरद पोर-पोर ।) (रुपा॰6:69.31)
399 पौरा (जदि हहु तूँ गोपाल, तऽ ओहु हथिन गोरच्छनी । मथुरा में लड़लो जबे दूनो के नजरिया, साछात पतिअइल तूँ रूकमिन के पौरा । अतियाचारी कंस के भेइ गेलइ नास, अइसन सगुनिया हथिन सखि गौरा ।) (रुपा॰8:91.28)
400 फइनाना (तोहनी के डोलिया फइनइतइ, सिरा-घर से देवीथान-गोरइयाथान, सगर गीत-नाद नधइतइ ।) (रुपा॰8:90.24)
401 फते (= फत्ते) (मथुरा में फते कइलिअइ भीसन रनमा) (रुपा॰2:30.25)
402 फरिआना (इ गुने करऽ नञ परवाह तूँ, अप्पन परिवार से फरिआवे दऽ, अभी जेतना सतावऽ हइ सतावे दऽ, भइया-भौजी के लड़ावे दऽ ।) (रुपा॰3:43.18)
403 फरिच्छ (पुरूब दिसा ललघँऊ होवे लगलइ, जलदी फरिच्छ होतइ रतिया, टोला-टाटी खोंखे लगलइ, बंद करऽ हियो हमहु अब पतिया ।) (रुपा॰1:25.10)
404 फारे-फारे (हमरा ऊपर लगल अइव-पाप, फारे-फारे तोहिं जानऽ हऽ ।) (रुपा॰4:51.6)
405 फुर-सन (पाइ के सुदामा के अहटवा मोहन, मगन मन होइ के फुर-सन उठि गेलइ ।) (रुपा॰6:68.2)
406 फुसुर-फुसुर (~ होना; ~ करके बात करना) (मथुरा नगरिया में, फुसुर-फुसुर होवे लगलो, अउरत-मरद बाल-बुतरु-बुढ़वन-जुआन, सभे तोहरा एकटक निहारे लगलो, सभे देखताहर तोहरा सराहे लगलो ।) (रुपा॰1:16.7; 2:30.4; 5:53.11; 5:67.27; 7:78.22)
407 फेनु (= फिन, फिर) (करिके बहाना कोई, गिरिव्रज भागतो ।  फेनु कभी नहिं, हुलकी भी मारतो ।; आगे-पीछे सोंच के, गौर-गट्ठा करिके, ताना-बाना बुनिके, फेनु पाती लिखिहऽ ।) (रुपा॰5:66.28; 6:76.29; 12:108.5)
408 फोहवा (टुह-टुह ~) (एगो गोरा, एगो घनसाम हइ, लगइ जइसे टुह-टुह फोहवा, कोमल-सुकोमल मुदा हकइ लोहवा ।) (रुपा॰1:16.26)
409 बंगट, बंगटा, बंगटाह, बंगटाहा (= टेढ़ा, हठी; बदमाश; अशिष्ट, तिरछोल) (एहि गुने तोहरा चेताइ दे हियो, भइया हम्मर बड़ी बंगट, कभी तोहरा से ओजिया पुरइतो, हको बड़ी लंगट ।) (रुपा॰1:15.15)
410 बउआ (काउ-काउ करे लगलइ कउआ, महतारी के गोदिया किलके लगलइ बउआ, दूरा-दलनिया पर बूढ़-पुरनिया, गावऽ हथिन परतकाली, मारि-मारि ताली ।) (रुपा॰1:25.1)
411 बकतौर (बाबा ~) (हाथ जोड़ि माथा टेकइ, बाबा बकतौर-ढिहवाल के । रहि-रहि गोहरावइ, देउता-देवि भूत-वैताल के ।) (रुपा॰12:108.20)
412 बकोटना (जादे सहजा नञ, तूँ हऽ बड़ि हुरचुलिया, जोर से बकोटऽ मति, लऽ बढ़ावऽ हियो गलिया ।; कान्धा के देवइ जवाब अइसन, कि लगतइ लोह-चुट्टी । अभी रहतइ हल पास तनि, बकोटि के काटि लेतिअइ चुट्टी ।) (रुपा॰3:44.27; 7:80.23)
413 बघुआना (अँखिया तरेरऽ हथिन, बघुआ हथिन,  मेअनमा से खिंचऽ हथिन तेगवा, भौजी हरदम लूतरी लगावऽ हथिन, गरिआवऽ हथिन, घिनावऽ हथिन ।) (रुपा॰1:24.1)
414 बच्छर (मिललो तोहर लिखल पाती, झटसन लगाइ लेलियो छाती ... जेकरे ला हलियो हकासल-पियासल, लगइ जइसे तोहरा निहारले बिती गेलइ बड़ी बच्छर ।) (रुपा॰2:27.16)
415 बजका (मथुरा में लगि गेलो तोहनी के, संगे-साथ चसका । एहि गुने सखि हम्मर मने-मने, रोजे-रोज पकावऽ हथिन बजका ।) (रुपा॰8:86.24)
416 बजड़ (= बज्जड़, वज्र) (आग लगइ बजड़ पड़इ, लगऽ हइ पहाड़ नियन दिनमा । उखिल-विखिल जान लगइ, गरमी के महिनमा ।) (रुपा॰5:55.32)
417 बड़गर (सुनऽ तनि धेआन से, जरासंध के पास धन बल कल हइ, मुदा हमनि के पास ओकरा से बड़गर, सत्-बल पल-पल हइ ।) (रुपा॰4:49.26)
418 बड़ेरी (मने-मने गुनऽ हिअइ, माथा अप्पन धुनऽ हिअइ, हिआवऽ हिअइ बड़ेरी कि गिनऽ हिअइ तारा ।) (रुपा॰2:32.13)
419 बढ़नी (भुनुर-भुनुर फुसुर-फुसुर, होवइ भइया-भौजी के भवनमा । हथवा में लेके बढ़निया अब, हमहु जइवो बुहाड़े ला अङ्गनमा ।) (रुपा॰5:67.29)
420 बतर (= बत्तर; बदतर) (तोरा कहना ठीके हइ इयरवा, पसु-पंछी से बतर होवइ अमदी । जेहि रे पतलवा में खा हइ, ओकरे में छेद करइ अमदी ।) (रुपा॰10:101.4)
421 बनगी (= वन्दगी) (सांसत में पड़ल हकइ, हम्मर टुअर-टापर जिन्नगी, लऽ, अङ्गीकार रुक्मिन, हम्मर सौ-सौ बनगी ।) (रुपा॰2:34.12)
422 बनार (गोले-गोले लेमुआ अनार, जड़ी-बूटी जड़िया के पूछऽ नञ बनार ।; कहाँ उपहल हेराल हे, हम्मर सखिया हेमन्ती । आउरो हिरदो के बतिया, रेसे-रेसे जनऽ हे वसंती । ओकरो पता नञ बनार हे, हो नञ हो लगऽ हे बीमार हे ।) (रुपा॰3:36.23; 5:55.23)
423 बरना (= जलना) (गम-गम करइ जइसे बेलिया-चमेलिया, लगइ जइसे भकसन बरल विजुरिया ।) (रुपा॰7:78.18)
424 बराहमन (= ब्राह्मण) (सरोतरी बराहमन के पुतवा, सुदामा हकइ मोर मन मीतवा ।) (रुपा॰2:33.22)
425 बरियार (देखऽ हिअइ सोअम्वर सभवा में, सजल ढाल-तलवार हइ । पता नञ कउन कमजोर, कउन बरियार हइ ।) (रुपा॰17:136.27)
426 बसियाना (= बासी होना) (खद-खद करऽ हको अदहन, मेरावल हको चउरा । समझऽ मढ़वो पेसावल हो, जदि करवऽ विलम तऽ सेरा जइतो । ओरिया जइतो, बसिया जइतो, टटका रहे पर जरि चौगर से खइबऽ ।) (रुपा॰12:112.10)
427 बासी-कुसी (अब लगलो भूख बड़ि जोर से, वासी-कुसी खाय दऽ । करे के हइ काम बहुत, एने-ओने जाय दऽ ।) (रुपा॰6:76.19)
428 बिअहुआ (हाथी के महउथवा, कुब्जा के बिअहुआ मरदवा, कर जोड़ि चरन छुई, कहे लगल कंस के) (रुपा॰1:19.2)
429 बिजे (= बिज्जे) (करऽ मति बात पीछे हिजे, तोरा जेमे खातिर करऽ हियो बिजे ।) (रुपा॰12:112.5)
430 बिहन-बाल (जोति-कोड़ि चौकिया के, बिहन-बाल बुने के ।) (रुपा॰5:60.19)
431 बुधगर (~ बात) (सुनि कुब्जा के बुधगर, आउ मरम भरल बतिया, अड़्गारक के गनक गेलइ देहिया, कुब्जा के साटि लेलकइ अप्पन हिया ।) (रुपा॰1:20.11)
432 बुल-सन (एहि बीचे भीड़वा के फाड़ि, मोर-मुकुटधारी कान्धा, बुल-सन निकललइ । जइसे बदरा के फाड़ि चान-सुरूजवा ।) (रुपा॰18:143.12)
433 बुहाड़ना (= बहाड़ना, बुहारना) (भुनुर-भुनुर फुसुर-फुसुर, होवइ भइया-भौजी के भवनमा । हथवा में लेके बढ़निया अब, हमहु जइवो बुहाड़े ला अङ्गनमा ।) (रुपा॰5:67.30)
434 बूढ़-पुरनिया (काउ-काउ करे लगलइ कउआ, महतारी के गोदिया किलके लगलइ बउआ, दूरा-दलनिया पर बूढ़-पुरनिया, गावऽ हथिन परतकाली, मारि-मारि ताली ।) (रुपा॰1:25.2)
435 बेकहल (= जो कहा न माने; अवज्ञाकारी) (दुनिया कहतइ कि, कइसन बेकहल हकइ, भीसमक के कनिया ।) (रुपा॰12:111.16)
436 बेनी (~ डोलाना) (तोरे संघे विपत्ति गमइवो, थकल-फेदाल जब रहबऽ, गोदिया में लेके अचरा से, बेनिया डोलइवो ।) (रुपा॰3:43.25)
437 बेवहार (तोहर बुधि-बल बेवहार से हैरान हो, मने-मने तोहरा मानऽ हो ।) (रुपा॰5:63.18)
438 बेसहुर (= बेसहूर; बिना सहूर के) (गली-कुचि कादो-किचड़ किदोड़ लगलो, अमदी आउ मानुस बेसहुर लगलो, एको नहिं बुधिगर, एको नहिं लूरगर, कोय के नञ तनि बोले के सहूर लगलो ।) (रुपा॰1:22.2)
439 बैठ हगनी (दूर-दूर के रिसता होवऽ हकइ अच्छा, घरवा के मुरगी दाल बरोबर । घरवा के बेटिया बैठ हगनी, कभी नहिं होवऽ हइ धरोहर ।) (रुपा॰7:84.18)
440 भक-भक (~ गोर) (सुनऽ तनि बात हम्मर, भक-भक गोर तूँ, चिजोर तूँ, कोनिया घर के इंजोर तूँ ।) (रुपा॰6:71.29)
441 भक-सन (सुदामा से सुनि-सुनि हलिया, मने-मने कुरचइ कि मुसकइ छलिया । अँखिया तर भकसन लौकि गेलइ, मथुरा में देखल चोली तर छिपल, गोल-गोल टुसा जइसन कलिया ।) (रुपा॰6:69.19; 7:78.18)
442 भगमान (कुब्जा तो साच्छात देवी भगवती हइ, ओकर टूटल मड़इया देवी थान हइ । अङ्गारक हकइ ओकर बिअहुआ, ओहु हमनि ला भगमान हइ ।) (रुपा॰5:62.29; 10:101.2)
443 भत्ता (= भात) (खाके भत्ता, उड़ा देलि पत्ता ।) (रुपा॰6:71.7)
444 भमोरना (कुंडिलपुर के हिरनी, लगइ जइसे सेरनी । बपा-भइवा के भमोरतइ, एक दिन बनिके विरनी ।) (रुपा॰7:79.3)
445 भरल-पुरल (हम कभी सपनो में भी नञ, सोंचऽ हलियो हल मोहन, कि वीच अँतरा में देवऽ धोखा । तन-मन से भरल-पुरल होवे पर भी, निकलल खाली खोखा ।) (रुपा॰7:81.16)
446 भाग (= भाग्य) (लगऽ हकइ जिन्नगी कुहाग हइ, पता नञ छिपल कहाँ हम्मर भाग हइ ।) (रुपा॰5:56.19)
447 भागल-फिरल (~ चलना) (वृन्दावन-नन्दगाँव-मथुरा में, कहेवाला कउन हइ । ओहि लोगन के खदेड़ल-भगावल, एने-ओने भागल-फिरल चलऽ हइ ।) (रुपा॰9:97.8)
448 भुअर (सचमुच में जलमे से, कान्धा हइ टुअर । सौरियो में लगलइ नञ तेलवा, एहि गुने लगइ कभी भुअर ।) (रुपा॰7:79.13)
449 भुनुर-भुनुर (भुनुर-भुनुर फुसुर-फुसुर, होवइ भइया-भौजी के भवनमा । हथवा में लेके बढ़निया अब, हमहु जइवो बुहाड़े ला अङ्गनमा ।) (रुपा॰5:67.27)
450 भुरूकवा (सन सन करइ नहिं रात अब, उगि गेलइ भुरूकवा, डुबलइ तरेगन, मधिम भेलइ चान अब ।) (रुपा॰1:24.25)
451 भूखल-पिआसल (अउरत होवइ लछमी, अउरत होवइ घरवा के रानी । भूखल-पिआसल रहे पर, भोजना परोसइ लेले लोटा भर पानी ।) (रुपा॰10:101.28)
452 भोकरना (चुकरइ कि भोकरइ गोसलवा में, गाय-गोरू-बछिया कि कड़िया, बसवेड़िया में कुचकुच करइ कुचकुचिया ।) (रुपा॰1:24.27)
453 भोथर (भोथर होलइ हम्मर तेगा-तलवरिया, कि टूटि गेलइ ढाल हम्मर । रुक्मिन के बुधिया के आगू, तनिको नञ चलइ वउसा हम्मर ।) (रुपा॰18:140.7)
454 भोराना (दही-मखन चोरावऽ हइ, संगे-साथी के खिलावऽ हइ । लइका-लइकी बुढ़वन-जुअनकन के, भोरावऽ हइ, हँसावऽ हइ ।) (रुपा॰5:54.18)
455 मंदिल (मारि गजनौटवा रूकमिन, चारो ओर हिआवऽ हइ, कुलदेवि के मंदिलवा में ।) (रुपा॰16:131.18, 132.13)
456 मउनी (गाँव-गिरात के पउनिया, दौड़ि-दौड़ि लावइ रंगल-रंगल गांजा मउनिया ।) (रुपा॰16:130.24)
457 मटिआना (पूजे लागि कुलदेवी, नगरदेवी, ढिहवाल आउ गोरइया के, लौंडी-नफ्फर दउरिया सजाबऽ हइ । गाँव-गिरात के पउनिया, दौड़ि-दौड़ि लावइ रंगल-रंगल गांजा मउनिया । तनिको नञ तनि कोई मटिआबऽ हइ ।) (रुपा॰16:130.25)
458 मतउनी (= मतौनी) (सगर रात जागि-जागि, हथिया मतावे खातिर, जड़ि-बूटी मतउनी के जड़िया, हथिया के खिलावे लगलइ ।) (रुपा॰5:61.20)
459 मताना (सगर रात जागि-जागि, हथिया मतावे खातिर, जड़ि-बूटी मतउनी के जड़िया, हथिया के खिलावे लगलइ ।) (रुपा॰5:61.19)
460 मतौनी (~ घास) (हम लावऽ हियो जड़ी-बूटी मतौनी घसिया, रात भर खिलइवइ कुवलयापीड़ के) (रुपा॰1:20.7)
461 मधिम (= मद्धिम) (सन सन करइ नहिं रात अब, उगि गेलइ भुरूकवा, डुबलइ तरेगन, मधिम भेलइ चान अब ।) (रुपा॰1:24.26)
462 मधुआ-तरास (महमह करइ महुआ, लगल हकइ मधुआ तरास । तोरा बिनु कउन बुझइतइ कान्हा, लगल हम्मर मधुआ-पियास ।) (रुपा॰5:57.8)
463 मधुआना (लगइ जइसे दुहरा धमकलइ फगुनमा, कमल लेखा खिलि गेलइ, हम्मर तनमा कि मनमा । अङ्ग-अङ्ग सिहरइ कि, मधुआ गेलो हम्मर वदनमा ।) (रुपा॰12:109.5)
464 मधुआ-पियास (महमह करइ महुआ, लगल हकइ मधुआ तरास । तोरा बिनु कउन बुझइतइ कान्हा, लगल हम्मर मधुआ-पियास ।) (रुपा॰5:57.10)
465 मनझा (ढाढ़स बंधावइ हेमंती, काहे मनऽ करऽ ह मनझा रुक्मिन, पढ़ल-गुनल तोहरो बेकार । काहे रोवऽ ह माथा धुनि, अरे तोहर लाला कबे से जुमल हथुन ।) (रुपा॰16:132.18)
466 मनझान (मुसकइत सुदामा कान्धा ओर, बढ़ाइ देलकइ रुक्मिन के पतिया । मनऽ मनझान मुरझल तनमा, कान्धा के हरखि गेलइ मनमा ।) (रुपा॰6:68.13; 11:103.11; 16:132.28)
467 मरनी-हरनी (कुंडिलपुर से चलऽ हइ, नेउता-पेहानी । मरनी-हरनी सदिया-बिअहवा में, एके चटइया में चलइ हुक्का-पानी ।) (रुपा॰8:88.12)
468 महूर (= महुर, जहर) (जहर-महूरवा खाइ मरतइ, रटि-रटि तोरे नाम तरतइ ।) (रुपा॰9:95.29)
469 माढ़ (= माँड़) (~ पेसाना) (खद-खद करऽ हको अदहन, मेरावल हको चउरा । समझऽ मढ़वो पेसावल हो, जदि करवऽ विलम तऽ सेरा जइतो । ओरिया जइतो, बसिया जइतो, टटका रहे पर जरि चौगर से खइबऽ ।) (रुपा॰12:112.8)
470 मातल (= मत्तल) (खिलल कमल फुलवा, गंधवा से मातल बहइ जहाँ, सले-सले वसन्ती बेअरवा) (रुपा॰3:36.2; 5:57.22)
471 माया-ममता (अनेति करेवाला पर तनिको, नञ करइ माया-ममता । दुधवा के दुधवा, पानी के पानी करइ, राजा हकइ, जोगी हकइ, हकइ रमता ।) (रुपा॰5:65.16)
472 माहुर (= जहर) (तोहरे नममा पर जहर-महुरवा खाइ मरवो, तोहरे नंइया लेइ-लेइ जरवो, गंउआ-गुदाल भी नञ करवो ।) (रुपा॰5:59.8)
473 मिठका (~ इनार) (सिरा-घर से देवीथान-गोरइयाथान, सगर गीत-नाद नधइतइ । कुरूखेत आउ मिठका इनार पर, मिलि-जुलि दलिया धोलइतइ ।) (रुपा॰8:90.27)
474 मिनती (एहि गुने कर जोड़ि करऽ हियो मिनती, गँउआ-गुदालमत करिहऽ, नञ तो होतइ हम्मर हिनती, तोहे कहे पर पहिले भेजऽ हियो पाती ।) (रुपा॰1:25.27; 17:138.22)
475 मुठान (रुकमिन के मधुर मुसकनमा, हिरदा में गड़ल मुठनमा ।) (रुपा॰6:70.23, 76.14)
476 मुड़िकटवा (कइसन निरदइ हकइ मुड़िकटवा, देखे में सुकोमल, मुदा हकइ पठवा) (रुपा॰1:23.19)
477 मुनरी (सुनि कुत्ता के अवजवा चकचेहइलइ, भीसमक के दुलरी, कुंडिलपुर के मुनरी ।) (रुपा॰5:52.16; 9:96.11)
478 मुनुर-मुनुर (= मुलुर-मुलुर) (एके पीठिया सहोदर हइ भइया, जे हमरा ला बनल हइ कसइया । ठुकुर-ठुकुर मुनुर-मुनुर, खाली ताकइ मइया ।) (रुपा॰5:56.22)
479 मेराना (चाउर ~) (मानलि कि चूल्हा पर चढ़ल, हलइ होवे लागि अदहन । मगर मेरावल कहाँ चाउर हलो, करऽ हलो कहाँ खौल-खौल ।; मेरावल हको चउरा; विधि के मेरावल विधान ।) (रुपा॰6:73.3; 12:112.7, 23)
480 मेहिआना (ओकरा के तोड़े पड़तइ, कोड़े पड़तइ, मेहिआवे, चौंकिआवे पड़तइ ।) (रुपा॰10:99.17)
481 मोछ (~ पर ताउ फेरना) (भइया हम्मर मुँहमा पजावऽ हइ, मोछवा पर फेरइ ताउ, सुनिके खबरिया भौजी सुव्रता, घरवा में करइ काँउ-काँउ ।; ओहि लोग फेरतइ, अप्पन-अप्न मोछवा पर ताउ । जेकरा हकइ कुछो नहिं, हिम्मत-हिआउ ।) (रुपा॰3:42.5; 5:67.4; 16:130.13)
482 मोटरी (ओकरे तूँ बाँधि लेलऽ गेठरी, अभी तक ढोवऽ हऽ मथवा पर मोटरी ।) (रुपा॰6:72.30)
483 मोरना (= मोड़ना) (चुको-मुको बइठ के, छाती-कमर मोर के, सले-सले बोल के, बाँचे लगलइ किसना के पाती ।) (रुपा॰7:78.28)
484 मौलना (तलवा-तलइया में मौलऽ होतइ, अब कुमुदिनी, छिपलइ तरेगन, मलिन भेलइ चाननी ।) (रुपा॰5:67.24)

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