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Sunday, September 14, 2014

2.10 ईमानदार चोर


               मूल रूसी - फ्योदर दस्तयेव्स्की (1821-1881)    
               मगही अनुवाद - नारायण प्रसाद

एक रोज सुबहे जब हम दफ्तर जाय लगी निकलहीं वला हलूँ कि हमर घर में आल अग्राफ़ेना - जे हल हमर खाना बनवे वली, कपड़ा साफ करे वली, आउ घर के देखभाल करे वली, आउ हमरा ई बात के अचरज होल कि ऊ हमरा साथ गपशप करे लगल ।

अभी तक तो ई एतना गुमशुम, सीधी-सादी औरत, हलइ कि रोज दिन खाना बनावे के बखत की बनावल जाय ई शब्द के अलावे गत छो साल में ऊ आउ लगभग कोय दोसर शब्द कभी नयँ बोलले हल । कम से कम हम तो ओकरा से कुछ नयँ सुनलूँ हल ।

"हुजूर, हम अपने भिर अइलिए ह", अचानक ऊ शुरू कइलकइ, "ई निवेदन करे लगी कि छोटका कोठरिया जरी किराया पर देथिन हल ।"
"कइसन कोठरी ?"
"भनसा भित्तर के नगीच वला, आउ कउन ?"
"काहे लगी ?"
"काहे लगी ! ई लगी कि लोग किराया पर घर तो दे हथिन । ई सबके मालूम हइ कि काहे लगी ।"
"लेकिन केऽ कोठरियाके किराया पर लेवे वला हकइ ?"
"केऽ लेतइ ! किराएदार लेतइ । ई सबके मालूम हकइ कि केऽ ।"
"लेकिन हमर माय, हुआँ बिछौना डाले के नयँ, काहे कि सकेता जग्गह हइ । केकरा अइसन जग्गह में रहे के हइ ?"
"हुआँ रहे के की जरूरत हकइ ! कइसूँ हुआँ खाली सुत्ते के हकइ; आउ ऊ खिड़किया पर रह सकऽ हइ ।"
"कउन खिड़किया पर ?"
"ई सबके मालूम हइ कि कउन खिड़किया पर, अइसे पुच्छऽ हथिन जइसे अपने के मालुमे नयँ हकइ ! ओकरा पर जे बइठकावा में हकइ । ऊ हुआँ बइठतइ, कुछ सीतइ चाहे आउ कुछ करतइ । हो सकऽ हइ कि ऊ कुरसिया पर बइठतइ । ओकरा पास कुरसी हकइ, आउ टेबुलवो हकइ, सब कुछ हकइ ।"
"लेकिन ऊ हइ केऽ ?"
"बिलकुल अच्छा, दिन-दुनियाँ देखल अदमी । हम ओकरा लगी खाना बनइबइ । आवास आउ भोजन खातिर महिन्ना में चानी के तीन रूबल लेबइ ..."

आखिर लम्बा प्रयास के बाद हमरा मालूम पड़ल कि एगो कोय अधवइस अदमी अग्राफ़ेना के मनइलक, चाहे कइसूँ राजी करइलक कि ओकरा रसोई-घर में किरायेदार आउ टुकड़खोर के रूप में रहे दे । एक तुरी अग्राफ़ेना के दिमाग में कोय चीज घुस गेल, तब तो ऊ होवहीं के चाही, नयँ तो हमरा मालूम हल कि ऊ हमरा चैन से रहे नयँ देत । अइसन हालत में, अगर ओकर मन मोताबिक कुछ नयँ होल, त ऊ तुरते सोच में डूब जा हल, गहरा विषाद ओकरा घेर ले हलइ, आउ अइसन हालत दु-तीन सप्ताह तक चल्लऽ हलइ । एतना समय में भोजन खराब हो जा हल, पोशाक गायब, फर्श पे पोछा नयँ लगावल रहऽ हल - एक शब्द में, बहुत सारा अप्रिय घटना हो जा हल । बहुत पहिलहीं हमरा देखे में आल कि ई गुमशुम रहेवली औरत कोय फैसला करे के हालत में नयँ हल, अपन खुद के कोय विचार सुनिश्चित नयँ कर पावऽ हल । लेकिन अगर ओकर कमजोर दिमाग में कइसूँ कोय प्रकार के विचार घर कर गेल, कि ई कार्य करे के चाही, तो ओकरा एकर क्रियान्वयन में अनुमति नयँ देवे के मतलब होवऽ हलइ - एकरा कुछ समय लगी नैतिक रूप से मार डालना । ओहे से अप्पन शान्ति खातिर हम ओकर प्रस्ताव से सहमत हो गेलूँ ।

"ओकरा पास कम से कम पासपोर्ट-उसपोर्ट तो हकइ न ?"
"की बात करऽ हथिन ! जरूर हकइ । एगो बहुत अच्छा अदमी हकइ, दिन-दुनियाँ देखल, तीन रूबल चुकावे के वादा कइलके ह ।"

दोसरे दिन हमर साधारण कुँआरा के मकान में नयका किरायेदार आल, लेकिन हम बिलकुल नयँ झुँझलइलूँ, बल्कि हम खुश होलूँ । हम बिलकुल अकेल्ले रहे वला अदमी, बिलकुल संन्यासी के जिनगी गुजारे वला । हमर परिचित लोग नयँ के बराबर, बाहर विरले जाय वला । दस बरस तित्तिर नियन जिनगी गुजारला के बाद, हम एकान्त वास के आदी हो गेलूँ हल । लेकिन दस-पनरह बरस, शायद आउ जादहीं, ओइसने एकाकी जीवन, ओइसने अग्राफ़ेना के साथ, ओहे कुँआरा के मकान में - वास्तव में नीरस भविष्य के द्योतक हल ! ओहे से अइसन परिस्थिति में एगो शांत आउ विनम्र व्यक्ति के उपस्थिति हमरा लगी एगो वरदान हल !

अग्राफ़ेना झूठ नयँ कहलके हल - किरायेदार दिन-दुनियाँ देखल अदमी हलइ । ओकर पासपोर्ट से मालूम पड़लइ कि ऊ एगो रिटायर कइल सैनिक हलइ । ई बात हम ओकर पासपोर्ट के तरफ बिना नजर डालले पहिले तुरी ओकर खाली चेहरा देखके समझ गेलिए हल । ई असानी से जानल जा सकऽ हलइ । अस्ताफ़ी इवानविच, हमर किरायेदार, सैनिक सब में एगो बेहतरीन अदमी हलइ । हमन्हीं अच्छा से रहे लगलिअइ । लेकिन सबसे बेहतर हलइ ई बात कि अस्ताफ़ी इवानविच कभी-कभी कहानी सुनवऽ हलइ, जे ओकर अपने जिनगी के घटना रहऽ हलइ । हमर हमेशा के बोरियत वला रहन-सहन में अइसन कहानी सुनावे वला एगो बड़गो निधि हलइ । एक तुरी हमरा अइसने कहानी सुनइलक । ई हमरा पर एक प्रकार के प्रभाव डाललक । लेकिन पहिले ऊ घटना जेकरा चलते ई कहानी के प्रसंग उठल ।

एक दिन हम अपन घर में अकेल्ले हलूँ - अस्ताफ़ी आउ अग्राफ़ेना अपन-अपन काम पर गेल हल । अचानक दोसरका भितरा दने से सुनाय पड़ल कि कोय तो अन्दर घुसल, आउ हमरा लगल कि ई कोय अजनबी होवे के चाही । हम बहरसी गेलूँ - वास्तव में ड्योढ़ी में एगो अजनबी खड़ा हल, थोड़े छोटगर कद के, खाली एगो फ्रॉक कोट पेन्हले, जबकि कड़ाकेदार ठंढी हलइ ।

"की चाही ?"
"सरकारी क्लर्क अलिक्सान्द्रोव से मिल्ले के हइ । हिएँ रहऽ हथिन ?"
"अइसन कोय अदमी हियाँ पर नयँ रहऽ हको, भाय । तूँ जा ।"
"दरबान तो बतइलक कि हिएँ रहऽ हका", अजनबी बोललइ, सवधानी से दरवजवा तरफ जइते ।
"जा, जा, भाय । जा ।"

दोसर दिन दुपहर के भोजन के बाद, जब अस्ताफ़ी इवानविच हमर फ्रॉक कोट वापस देलक, जे ओकरा हीं मरम्मत लगी देलूँ हल, त फेर कोय तो ड्योढ़ी में घुसल । हम दरवाजा खोललूँ ।

कल्हे वला महाशय हमर आँख के सामनहीं अराम से हैंगर से हमर छोटका कोट उतारके अपन काँख तर दाबलक आउ भाग गेल । अग्राफ़ेना लगातार ओकरा पर नजर रखले हल, अचरज में अपन मुँह फाड़ले, आउ कोट के वापस लावे खातिर कुछ नयँ कइलक । अस्ताफ़ी इवानविच ऊ बदमाश के पीछू दौड़ल आउ दस मिनट के बाद वापस आल, हाँफते-फाँफते खाली हाथ । ऊ अदमी गायब हो गेल हल !

"हूँ, कामयाबी नयँ मिलल, अस्ताफ़ी इवानविच । ई गनीमत हके कि ओवरकोट बच गेल ! नयँ तो ई दगाबाज हमरा आफत में डाल देत हल !"

लेकिन ई सब के असर अस्ताफ़ी इवानविच पर अइसन पड़लइ कि ओकरा तरफ देखके हम चोरी के बातो भुला गेलूँ । ऊ सामान्य स्थिति में आ नयँ रहल हल । मिनट-मिनट पर अपन काम छोड़ देब करऽ हल, जेकरा में ऊ लग्गल हल, आउ फेन दोबारा ई बतावे लगऽ हल कि कइसे ई सब घटल, ऊ कइसे खड़ी हल, कइसे अँखिया के सामने, दुइए डेग पर, ऊ बदमाश कोटवा उतारलक आउ ले पुड़ी घसक देलक, आउ ओकरा पकड़ियो नयँ सकल । बाद में फेनुँ ऊ काम पर लग जाय, आउ फेनुँ एकरा छोड़ दे, आउ हम देखलूँ कि आखिर ऊ दरबान के तरफ बढ़ल ई कहे लगी आउ ओकरा बुरा-भला सुनावे लगी कि ई कइसन दरबानी करऽ हँ कि अइसन काम करे खातिर चोर के छुट्टा छोड़ दे हँ ।

बाद में ऊ जब लौटलइ तब अग्राफ़ेना के फटकारे लगलइ । बाद में फेर ऊ काम पर बइठ गेलइ आउ बहुत देर तक अपना बारे बड़बड़इते रहलइ कि कइसे ई सब कुछ हो गेल, कइसे ऊ हुआँ खड़ी हल, आउ हमहूँ हुएँ हलूँ, आउ कइसे अँखिया के सामनहीं, दुइए डेग पर कोटवा उतारके लेके भाग गेल, इत्यादि ... इत्यादि । एक शब्द में, अस्ताफ़ी इवानविच, हलाँकि ई जानऽ हल कि कोय काम कइसे कइल जा हइ, लेकिन ऊ छोटगर-छोटगर बात पर बड़ी बेचैन रहऽ हल ।

"हमन्हीं के मूर्ख बनइलक, अस्ताफ़ी इवानिच !", सँझिया के हम ओकरा कहलूँ, चाय के एगो गिलास बढ़इते, आउ बोरियत दूर करे खातिर चोरी चल गेल कोट के बारे फेर से कहानी चालू करे के इच्छा से, जे कइएक तुरी दोहरावल गेला से आउ कहानी सुनावे वला के बिलकुल निष्कपटता के चलते हास्यास्पद हो गेले हल ।

"हाँ हुजूर ! हमन्हीं मूर्ख बन गेलूँ । हलाँकि पोशाक हम्मर चोरी नयँ गेल, तइयो हमरा गोस्सा बरऽ हके, दुर्भावना पैदा होवऽ हके । आउ हमर विचार में, दुनियाँ में चोर से जादे नीच कोय नयँ होवऽ हइ । दोसर कोय फोकट के ले ले हइ, जबकि ई तोर मेहनत, पसेना, ओकरा लगी बहावल हको, तोर समय आउ परिश्रम चोरा ले हको ... नीच, नराधम, थू ! बोले के मन नयँ करऽ हके, दुर्भावना पैदा होवऽ हके । हुजूर, तोहरा कइसे अफसोस नयँ होवऽ हको ?"

"हाँ, ई बात तो सच हइ, अस्ताफ़ी इवानिच । हमर समान के कोय चोरा ले, एकरा से बेहतर तो ई होतइ कि एकरा जरा देल जाय । कोय चोर चोरा ले, ई तो बरदास नयँ होत, अइसन हम चाहम नयँ ।"
"हाँ, अइसन केऽ चाहतइ ! लेकिन हाँ, चोरो कइएक तरह के होवऽ हइ ... आउ श्रीमान, हमरा साथ एगो घटना घट्टल हल जेकरा में एगो ईमानदार चोर से पाला पड़ल हल ।"
"की, ईमानदार चोर ! कउन चोर ईमानदार हो सकऽ हइ, अस्ताफ़ी इवानिच ?"
"ई बात सच हकइ श्रीमान ! कउन चोर ईमानदार होवऽ हइ, अइसन कभी नयँ होवऽ हइ । हमर कहे के मतलब हलइ कि ऊ अदमिया, लगऽ हइ, ईमानदार हलइ, लेकिन चोरी कइलकइ । हमरा ओकरा लगी खेद होलइ ।"
"ई कइसे होलइ, अस्ताफ़ी इवानिच ?"

“हाँ श्रीमान, ई घटना करीब दू साल पहिले घटले हल । ऊ बखत करीब एक साल हमरा बिना काम के रहे पड़ल हल, आउ जब हम अभियो काम पर हलूँ, त हमरा एगो बिलकुल बेकार अदमी से भेंट होल । भेंट एगो भोजनालय में होल । अइसन पियक्कड़, लम्पट, परजीवी, पहिले कहीं तो नौकरी करऽ हलइ, लेकिन ओकर पिये के आदत के चलते ओकरा बहुत पहिलहीं नौकरी से निकाल देल गेले हल । अइसन बेकार अदमी ! भगमान जाने, कइसे ऊ जिन्दा हलइ ! कभी सोचिअइ, कि कोटवा के अन्दर कोय कमीजो हइ कि नयँ; ऊ सब कुछ जे ओकरा हाथ लगऽ हलइ, बेच-बाच के पी जा हलइ । लेकिन ऊ गुण्डा नयँ हलइ, बल्कि स्वभाव से ऊ बहुत मातदिल, एतना दयालु, अच्छा, हलइ; केकरो से कुछ नयँ माँगऽ हलइ, लजालु किसिम के हलइ । लेकिन खुद्दे देखबऽ कि ऊ बेचारा के पीये लगी चाही, आउ लाके देबऽ । आउ अइसीं हमन्हीं के बीच हिल्लत-मिल्लत हो गेलइ, मतलब कि ऊ हमरा से चिपक गेलइ ... हमरा लगी तो सब कुछ बराबर हलइ । ऊ अदमियो हलइ त कइसन ! एगो पिल्ला नियन चिपकल, तूँ हुआँ गेलऽ कि तोरा पिछुअइले ओहो गेलो । आ ई सब कुछ पहिलहीं भेंट के बाद, आउ ऊ हलइ कइसन सुक्खल-साखल लकड़ी नियन ! पहिले तुरी तो 'हमरा रतिया गुजारे द' - आउ हम ओकरा रात गुजारे खातिर घरवा पर रहे देलिअइ । देखऽ ही कि ओकर पासपोर्टो ठीक-ठाक हइ, अदमी में कोय शंका के जगह नयँ ! बाद में दोसरो दिन ओकरा रात गुजारे के नौबत, फेर तेसरो दिन आ गेल, सारा दिन खिड़की पर बइठल रहल आउ रतियो के ठहर गेल ।

“हूँ, सोचऽ हूँ, ऊ तो हमरा से चिपक गेल । अब ओकरा खिलावऽ-पिलावऽ आउ रातो गुजारे लगी दऽ । हम खुद्दे हकूँ गरीब अदमी, आउ उप्पर से एगो परजीवी कन्हा पर बइठल हके । लेकिन पहिलहूँ ऊ हमरे जइसन एगो नौकरियाहा अदमी हीं जइते रहऽ हलइ, ओकरा से हमरे नियन चिपक गेले हल, ओकन्हीं दुन्नु साथे पीयऽ हलइ; लेकिन ऊ कोय शोक के मारे एतना जादे पिये लगलइ कि जल्दीए मर गेलइ । आउ एकर नाम हलइ इमिल्यान इल्यिच । हम सोचलूँ, खूब सोचलूँ - एकरा साथ की सलूक करूँ ? एकरा निकाल बाहर कर देल जाय ?  हमर आत्मा नयँ माने, हमरा ओकरा लगी खेद होल, कइसन दयनीय हालत वला आउ कम्बख्त अदमी हलइ, कि भगवान ओकरा सहारा देथिन ! आउ अइसन मूक, कुछ माँगवो नयँ करऽ हलइ, खाली बइठल रहइ, खाली पिल्ला नियन अँखिया तरफ निहारइ । त शराब के लत कोय अदमी के अइसे बरबाद कर दे हइ ! अपना बारे सोचऽ हूँ - हम ओकरा कइसे कहूँ कि 'तूँ हमरा भिर से चल जो इमिल्यान, तूँ हियाँ रहके की करमँऽ, हमर अइसन हालत हकउ कि जल्दीए हमरे खाय-पीए के कोय ठेकान नयँ रहतउ, हम तोरा कइसे रखिअउ अपने पेट पर लात मार के ?' बइठल सोचऽ हकूँ, कि ऊ की करत, जब हम ओकरा ई सब बताम ?

“हूँ, आउ खुद हम देखऽ (कल्पना करऽ) हूँ, कि ऊ केतना देर तक हमरा तरफ देखत, जब ओकरा हमर अवाज सुनाय देत, ऊ देर तक बइठत, बिना एक्को शब्द समझले, आउ बाद में जब ओकरा समझ में आत त खिड़किया पर से उठ जात, अपन मोटरी लेत, जइसन कि हम अभी देखऽ हूँ, लाल धारीदार, भूड़े-भूड़ होल, जेकरा में भगमान जाने कि की छिपइले रहऽ हल, आउ जेकरा अपन साथ लेले चलऽ हल, कि कइसे ऊ अपन पुरनका-झुरनका ओवरकोट के ठीक-ठाक करऽ हल ताकि ऊ जरी निम्मन देखे में लगे, गरम रहे, आउ भूड़-भाड़ नयँ देखाय दे - अदमी जरी भावुक हलइ ! आउ बाद में ऊ कइसे दरवाजा खोलत आउ कइसे आँख में लोर बहइते सिड़हिया पर से बाहर होत । हूँ, की अदमी के ई तरह से बिलकुल बरबाद होवे ल छोड़ देल जाय ... हमरा ओकरा खातिर खेद होल ! आ तुरते बाद हम सोचऽ हूँ, हमर खुद्दे कइसन हालत हके ! ‘ठहर’, हम अपने आप के बोलऽ हूँ - 'इमिल्यान, हमरा हीं जादे दिन मौज नयँ कर पइमँऽ, जल्दीए हम हियाँ से जाय वला हकिअउ, आउ तब हमरा खोज नयँ सकमँऽ ।' हाँ, त श्रीमान, हम सब हुआँ से रवाना होलूँ । तब हमर मालिक, अलिक्सान्द्र फ़िलिमोनविच (अब स्वर्गीय; भगवान उनकर आत्मा के शान्ति देथिन), बोलऽ हथिन, 'तोरा से हम बहुत संतुष्ट हिअउ, अस्ताफ़ी, गाँव से हम जरूर लौटबउ, हम तोरा नयँ भुलइबउ, फेर से अपना हीं रख लेबउ ।' आउ हम उनका हीं खानसामा के रूप में रहलूँ - मालिक बहुत अच्छा इंसान हला, लेकिन ओहे साल गुजर गेला ।
“त उनका विदा कइला के बाद, हम अपन बोरिया-बिस्तर बान्हनूँ, आउ थोड़े मनी जे पइसा बचइलूँ हल, ओकरा से सोचलूँ कि अपन बाकी जिनगी अराम से काटम, आउ हम एगो बुढ़ी औरत के पास गेलूँ, जाहाँ हम एगो कोना में अपन डेरा जमइलूँ, खाली ओहे कोना ओकर कोठरी में खाली हलइ । ऊ केकरो हीं एगो आया के काम करऽ हलइ, आउ अब अकेल्ले रहऽ हलइ, ओकरा पेंशन मिलऽ हलइ । हूँ, त अब हम सोचऽ हूँ, अलविदा इमिल्यान, प्यारे भाई, तू अब फिर हमरा नयँ खोज पइमँऽ ! त श्रीमान, अपने की सोचऽ हथिन ? हम साँझ के लौटलूँ (एगो परिचित अदमी सें भेंट करे गेलूँ हल), त सबसे पहिले हमर नजर इमिल्यान पर पड़ल, जे हमर सन्दूक पर बइठल हल, आउ ओकर चेकदार मोटरी ओकरे बगल में हल । ऊ अपन पुरनका कोट पेन्हले बइठल हल आउ हमर इंतजार कर रहल हल । आउ अपन बोरियत दूर करे खातिर बुढ़िया से गिरजाघर के एगो प्रार्थना-पुस्तक ले लेलक हल, आउ अपन गोड़वा पर उलटे मुँहे रखले हल । ऊ हमर पता लगा लेलक हल ! हमर दिल बइठ गेल । हम सोचे लगलूँ - "अब कुछ नयँ कइल जा सकऽ हइ । ओकरा पहिलहीं काहे नयँ निकाल बाहर कइलूँ ?" आउ ओकरा सीधे पूछ देलूँ - "पास्पोर्ट लइलँऽ हँ, इमिल्यान ?"

“श्रीमान, हम हुएँ बइठ गेलूँ आउ सोचे लगलूँ - ई अवारा अदमी हमरा जादे तकलीफ तो नयँ देत न ? आउ हमर दिमाग में एहे आल कि एकरा चलते कुछ विशेष तकलीफ नयँ होत । हम सोचऽ हूँ - लेकिन ओकरा खाय के तो चाही । कोय बात नयँ, सुबह में एगो पावरोटी, आउ कुछ बेहतर स्वाद खातिर एगो पियाज खरीद देबइ । दूपहर के ओकरा लगी फेर पावरोटी आउ पियाज देवे के आउ सँझियो के क्वास के साथ पियाज, आउ पावरोटी, अगर ओकरा एकर इच्छा रहइ तब । आउ कुछ बंदगोभी के शोरबा (रसा) मिल जाय त हमन्हीं दुन्नु एतना रज-रज के खइअइ कि गियारी तक ठेक जाय । हम तो बहुत जादे नयँ खा ही, आउ पियक्कड़ अदमी तो, जइसन कि सब कोय जानऽ हइ, कुच्छो नयँ खा हइ - ओकरा तो खाली पिये लगी चाही आउ हरियर वोदका । पिये के मामले में तो ऊ हमरा बरबाद कर देत, हम सोचलूँ, आउ एहे बखत, श्रीमान, हमर दिमाग में दोसर बात सूझल, जे हमरा पर बहुत गहरा असर डाललक । एतना कि अगर इमिल्यान चल जात, त हम जिनगी में खुश नयँ रह सकम ...

“त ई तरह हम ओत्ते तखनिएँ निश्चय कर लेलिअइ कि हम ओकर पालक पिता बनबइ । ओकरा हम दारू के लत से बाहर करबइ, हम सोचलूँ, आउ ओकरा हम दारू के गिलास के आदो भुलवा देबइ ! इमिल्यान, हमरा पास रह सकऽ हँ, लेकिन ठीक से रह आउ हमरा हीं अपन चाल-चलन ठीक रख, हमर कहना मान ! आउ हम सोचऽ ही - ओकरा अब कोय काम करे खातिर ट्रेनिंग शुरू करम, लेकिन अचानक नयँ । शुरू में ओकरा थोड़े-बहुत मस्ती करे दे हिअइ, आउ ई दौरान एद्धिर-ओद्धिर देखी हइ कि इमिल्यान कउन काम खातिर ठीक-ठाक हइ । काहे कि, श्रीमान, हरेक काम में कोय न कोय विशेष क्षमता आउ योग्यता के जरूरत होवऽ हइ । आउ चुपचाप हम ओकरा पर नजर रक्खे लगलूँ । देखऽ ही - इमिल्यान एगो निराशाजनक अदमी हकइ ! श्रीमान, हम शुरू में अच्छे शब्द से चालू कइलिअइ - ई आऊ बात समझइलिअइ, कहलिअइ, इमिल्यान इल्यिच, अपने ऊपर ध्यान दे आउ अपना के सुधार ।

"बहुत हो गेलउ तोर मौज-मस्ती ! देख, कइसन गेंदरी-चेथरी पेन्हले एने-ओने बुलल चलऽ हँ ! तोर कोटवा तो, अगर क्षम्य रूप में कहल जाव, चलनी के काबिल हकउ । ई ठीक बात नयँ हकउ ! अब समय आ गेलो ह कि खुद के सम्हाल ।"

हमर इमिल्यान बइठल हमर बात के ध्यान से चुपचाप सुन रहल ह, मूड़ी गोतले । हमर बात पर विश्वास करथिन श्रीमान ! दारू के ओकरा पर अइसन बुरा असर पड़ले हल कि ओकर जीभ मानूँ बन हो गेलइ, मुँह से एगो स्पष्ट बात नयँ निकसइ ।  ओकरा से बात करहो ककड़ी के, त ऊ जवाब देतो सींभ के बारे ! ऊ हमर बात सुन्नऽ हल, देर तक सुनते रहऽ हल, आउ बाद में गहरा साँस ले हल ।

"तूँ उच्छ्वास काहे लगी ले रहलँऽ हँ, इमिल्यान इल्यिच ?" हम ओकरा पुच्छऽ ही ।
"अइसहीं जी, कोय बात नयँ हइ, अस्ताफ़ी इवानिच, चिन्ता नयँ करथिन । अस्ताफ़ी इवानिच, आज दू गो औरत गलिया में लड़ब करऽ हलइ । ओकरा में से एगो दोसर के क्रेनबेरी से भरल बेंत के बट्टा गलती से गिरा देलके हल ।"
"त एकरा से की ?"
"आउ दोसरकी पहिली औरतिया के क्रेनबेरी के बटवा जानबूझ के उलट देलकइ, आउ ओकरा गोड़वा से रौंदे लगलइ ।"
"त एकरा से की, इमिल्यान इल्यिच ?"
कोय बात नयँ, अस्ताफ़ी इवानिच, अइसहीं बतइलिअइ ।"
"अइसहीं !  ए ! हमरा लगऽ हउ, इमिल्यान कि दारू के चलते तूँ अपन दिमाग खो देलऽ हँ ।" हम अपने आप से बोललूँ ।

"आउ एगो भद्र पुरुष के हाथ से गोरखोवी रोड पर, नयँ नयँ, सदोवी रोड पर एगो नोट गिर पड़लइ । एकरा एगो देहाती किसान देखलकइ आउ बोललइ - 'ई हमर किस्मत हके !' आउ ओहे बखत दोसर अदमी देखलकइ आउ बोललइ - 'नयँ, ई हम्मर किस्मत हके ! हम एकरा तोरा से पहिले देखलियो ह ....' "

"बहुत हो गेलउ, इमिल्यान इल्यिच !"
"आउ दुन्नु किसनमन आपस में लड़े लगलइ, अस्ताफ़ी इवानिच । आ एगो सिपाही अइलइ, नोटवा उठा लेलकइ आउ एकर मलिकवा के दे देलकइ आउ दुन्नु किसनमन के जेल में डाल देवे के धमकी देलकइ ।"
"त एकरा से की ? एकरा में शिक्षाप्रद की हकइ, इमिल्यान ?"
"नयँ, कुछ नयँ, श्रीमान । लोग हँस पड़लइ, अस्ताफ़ी इवानिच ।"
"ए ! ए इमिल्यान ! एकरा में लोग से की मतलब ! तू अपन आत्मा के एगो तामा के पइसा में बेच देलँऽ हँ । आ जानऽ हँ, इमिल्यान इल्यिच, कि हम तोरा की कहबउ ?"
"की श्रीमान अस्ताफ़ी इवानिच ?"
"कोय काम-धंधा पकड़ ले, सच में हम कहऽ हिअउ, पकड़ ले । हम सौमाँ तुरी कहि हउ, कोय काम धर ले, अपने आप पर तरस खो !"
"हम कउन काम कर सकि हइ, अस्ताफ़ी इवानिच ? हम नयँ मालूम, कि कउन काम-धंधा पकड़ूँ । हमरा तो कोय काम पर नयँ लेत, अस्ताफ़ी इवानिच ।"
"एहे से तो तोरा नौकरी से निकाल देल गेलउ, इमिल्यान, कि तूँ पियक्कड़ अदमी हकँऽ !"
"आउ जानऽ हथिन, अस्ताफ़ी इवानिच, कि आझ बैरा व्लास के दफ्तर में बोलावल गेलइ ?"
"हम ई पुच्छऽ हिअउ इमिल्यान कि ओकरा काहे लगी दफ्तर बोलावल गेलइ ?"
"आ एहे तो हमरा नयँ मालूम, अस्ताफ़ी इवानिच, कि ओकरा काहे लगी बोलावल गेलइ । लगऽ हइ, ओकर हुआँ जरूरत हलइ, ओहे से ओकरा बोलावल गेलइ ..."
"ओहो !", हम सोचे लगलूँ, "हमरा तोरा जइसन अदमी से पाला पड़ल, इमिल्यान ! भगमान हमन्हीं दुन्नु के पाप के सजा दे रहलथन हँ !" अपनहीं बताथिन श्रीमान, कि अइसन अदमी के साथ की कइल जा सकऽ हइ !

ऊ पक्का धूर्त हलइ ! ऊ हमर बात सुन्नऽ हल, सुनते रहऽ हल । लेकिन आखिर शायद ऊ बोर हो गेलइ । जइसहीं ऊ देखे कि हम गोस्सा करे लगलूँ, कि ऊ अपन कोट ले आउ खिसक जाय - पतो नयँ चले कि काहाँ उड़क देलक ! दिन भर अइसीं भटकल चले आउ सँझिया के पी-पा के आवे । के ओकरा पिलइलक, काहाँ से पइसा लइलक, ई तो भगमाने जाने । ओकरा में हमर कोय हाथ नयँ रहे !

आखिर हम ओकरा चेतावनी देलिअइ - "नयँ, इमिल्यान इल्यिच, तोर खैरियत नयँ हकउ ! अब बहुत हो गेलउ तोर पीना-वीना, समझलहीं न, बहुत हो गेलउ ! दोसर तुरी अगर पी-पा के अइलँऽ, त बाहर सिड़हिए पर रात गुजारिहँऽ । अन्दर नयँ घुस्से देबउ !"

ई चेतावनी सुनके इमिल्यान एक दिन घर बइठल, फेर दोसरा दिन, तेसरा दिन फेर घसक देलक । हम इंतज़ार करते रहलूँ, लेकिन ऊ आल नयँ ! आउ हम, ई बात स्वीकार करऽ ही, कि हम डर गेलूँ, लेकिन हमरा ओकरा पर तरस आल । 'ओकरा खातिर हम की कर सकऽ हलिअइ !', हम सोचलूँ । हम ओकरा डरा देलिए हल । हूँ, त ई कमबख्त काहाँ गेल होत ? हे भगमान, कहीं ऊ रस्ता तो नयँ भुला गेलइ ! रात हो गेलइ, लेकिन अभी तक नयँ आ रहले ह । सुबह में हम बाहर निकलके ड्योढ़ी पर गेलूँ, त देखऽ ही कि ऊ ड्योढ़ी में सुत्तल हके । ऊ सिड़हिया पर माथा रखके पड़ल हल । कड़ाके के ठंढी से ऊ ठिठुर गेले हल ।

"की बात हउ, इमिल्यान ? भगमान तोर रक्षा करे ! तू कन्ने फँस गेलँऽ हल ?"
"अँ अपने, की कहल आवे, अस्ताफ़ी इवानिच, हमरा से नराज हो गेलथिन हल, दुखी होके प्रतिज्ञा कइलथिन हल कि हमरा ड्योढ़ी पर सुतइथिन । ओहे से, की कहल आवे, हमरा अन्दर जाय के हिम्मत नयँ होलइ, अस्ताफ़ी इवानिच, आउ हम हिएँ पड़ गेलिअइ ... "

हमरा जरूर ओकरा पर गोस्सा आल हल आउ खेदो होल हल !

"इमिल्यान, हियाँ सिड़ही अगोरे के अपेक्षा तूँ आउ कोय काम-धंधा शुरू कर सकऽ हँ । ..."
"लेकिन दोसर कउन काम-धंधा, अस्ताफ़ी इवानिच ?"

हमरा एतना गोस्सा बर गेल ! हम कह बइठलूँ - "अरे नीच ! दर्जी-उर्जी के काम तो सीख सकऽ हँ । अरे अपन  कोट के हालत तो देख ! ई कम हउ कि ई भूड़े-भूड़ होल हउ, आउ एकरा से तूँ सिड़हिया के साफ कर रहलऽ हँ ! तूँ एगो सूय लेके एकरा रफू तो कर सकऽ हलँऽ, जेरा से ई जरी निम्मन दिखे । ए, पियक्कड़ कहीं के !"

श्रीमान, त अपने की सोचऽ हथिन ! ऊ वास्तव में सूय पकड़लकइ - हम तो मजाक में बोललिए हल, लेकिन ऊ डरके सूय धरिए लेलकइ । अपन कोटवा उतार लेलकइ आउ सुइया में धागा डाले लगलइ । हम ओकरा तरफ देखऽ ही, जइसन कि असानी से समझल जा सकऽ हइ, ओकर आँख पनिआय लगलइ आउ लाल हो गेलइ, हथवा कँपे लगलइ, ओकरा से काम कुछ नयँ ओरिआय ! धगवा सुइया के छेदवा में घुसावे के कोरसिस करते रहल, करते रहल, लेकिन धागा ओकरा में हेलिये नयँ रहल हल । ऊ अँखिया पर जरी जोर देके, धगवा के भिंगाके आउ अंगुरिया से रगड़के सीधा करके हेलावे के कोरसिस करते रहल - लेकिन काम नयँ बन्नल ! ऊ ई काम बन कर देलक आउ हमरा दने देखलक ।

"हूँ, इमिल्यान, ई तूँ तो अच्छा अनुग्रह कइलँऽ हमरा पर ! अगर लोग के नजर पड़ जात हल, त मालूम नयँ, हम की कर बइठतूँ हल ! हम अइसन बात मजाक में बोल देलियो हल, आउ ई गुनी कि हम तोरा से नराज हलिअउ ... जो, तोरा भगमान रक्षा करे तोर गलती से ! शान्ति से रह, आउ कोय शरमनाक काम मत कर, सिड़हिया पर रात मत गुजार, हमरा हँसी के पात्र नयँ बनाव !"

“त हम की करूँ, अस्ताफ़ी इवानिच, हम तो ई खुद्दे जानऽ हूँ, कि हम हमेशे पीके धुत्त रहऽ ही आउ कोय काम के नयँ ही ! हम तोरा जइसन भलमानुस के खामखाह दिल दुखावऽ ही ...”

एतने पर ओकर नीला ठोर अचानक कँपे लगलइ, ओकर उज्जर गाल पर लोर ढरक पड़लइ आउ ओकर गर-बनावल दाढ़ी कम्पन करे लगलइ । आउ हमर इमिल्यान के लोर अइसन बह चललइ मानूँ एक अंजुरी भर जइतइ ... अरे बाप ! मानूँ कोय हमर छाती में चाकू घुसा देलक !  

"ए भावुक अदमी, हम तो अइसन बिलकुल नयँ सोचलियो हल ! केऽ जान सकऽ हलइ ? केऽ अइसन अनुमान लगा सकऽ हलइ ? ... नयँ, हम सोचलूँ, इमिल्यान, तोरा से हम दूरे रहबउ । जो जन्ने तोर मन करउ, तूँ कोय काम के नयँ हकँऽ !"

श्रीमान ! एकरा में आउ लम्मा खींचके की कहे के रहले ह ! सब कुछ अइसन बकवास हकइ, कि एकरा बारे आउ कुछ कहना बेकार हइ । अपने तो श्रीमान दू गो फुट्टल कउड़ियो एकरा नयँ देथिन हल, लेकिन हम तो बहुत कुछ देतिए हल, अगर हमरा पास बहुत होते हल, ताकि अइसन घटना नयँ घटते हल ! हमरा पास, श्रीमान, घुड़सवारी वला पतलून हलइ, चुल्हा में जाय ई, निम्मन पतलून, नीला रंग के चेक वला । एकरा एगो जमींदार मँगवइलके हल, जे हियाँ अइले हल, लेकिन बाद में ई ओकरा पसीन नयँ पड़लइ, बोललइ - ई हमरा सक्कत होवऽ हके । त ई तरह से ई हमरे पास रह गेलइ । हम सोचलूँ - ई बेशकीमती चीज हके ! पुरनका समान के बजार में, शायद, कोय पाँच चानी के रूबल देत, नयँ तो ओकरा में से पितिरबुर्ग के भद्रपुरुष खातिर हम दू गो पतलून बनवा सकऽ ही, आउ ओकरो में कुछ बच जात जेकरा से हमर फतूही (वेस्टकोट) के फुदना के काम आत । अपने समझ सकऽ हथिन कि हमन्हीं जइसन गरीब अदमी खातिर ई सब कुछ ठीक हकइ ! आउ ओहे बखत इमिल्यान के बुरा समय चल रहले हल । हम देखऽ ही - ऊ एक दिन बिलकुल नयँ पीयऽ हइ, दोसरो दिन नयँ, तेसरा दिन ऊ एको बून अपन मुँह में नयँ ले हइ, बिलकुल मनझान, अइसन कि ओकरा पर तरस आवे, सोच के मुद्रा में बइठल । त हम सोचऽ ही - या तो तोरा पास पइसा नयँ हकउ, चाहे तूँ खुद्दे भगमान के रस्ता पर चल पड़लँऽ, ई सोच के कि बहुत हो गेल; विवेक से काम लेलँऽ । त श्रीमान अइसन सब कुछ हमन्हीं के साथ होल । आउ ओहे समय एगो बड़गर उत्सव अइलइ । हम संध्या-वन्दना खातिर गेलूँ, आउ जब वापस अइलूँ त देखऽ हूँ - इमिल्यान खिड़की पर बइठल हके, पी-पाके, आउ ओकर देह झुल रहल ह ।

"आह !", हम सोचऽ हूँ, "त अइसन हकँऽ तूँ बच्चे !" आउ हम सन्दूक से कुछ लावे खातिर गेलूँ । देखऽ ! घुड़सवारी वला पतलून गायब ! ... हम एद्धिर-ओद्धिर तलाशी कइलूँ, लेकिन ऊ नयँ मिल्लल ! हम सगरो छान मारलूँ, तइयो नहिएँ देखाय देलक - हमरा लगल जइसे कोय हमर दिल के खुरच देलक !

हम दौड़के बुढ़िया भिर गेलूँ आउ पहिले तो ओकरा बुरा-भला सुनावे लगलूँ, पाप कइलूँ; आ इमिल्यान पर तो, हलाँकि सबूत हलइ कि ऊ पीके धुत्त बइठल हलइ, कोय शंका नयँ गेल !

"नयँ", बुढ़िया बोललइ, “भगमान तोहर भला करे, हमर अश्वारोही मालिक, हमरा लगी घुड़सवारी वला पतलून कउन काम के, की ओकरा हम पेन्हबइ ! हालहीं में हमर साया एगो तोहरे नियन नेक अदमी के चलते गुम हो गेल ... एकरा बारे हमरा कुछ पता नयँ, कुछ जनकारी नयँ ।”
"हियाँ केऽ आके गेलउ ? अन्दर केऽ अइलो हल ?" हम पुछलिअइ ।
"हियाँ तो कोय नयँ अइले हल, श्रीमान । हम तो हिएँ हलिअइ । इमिल्यान इल्यिच बाहर गेलो आउ बाद में फेर अइलो । अउका बइठल हको ! ओकरा पुछहो न ।" ऊ बोललइ ।
हम ओकरा पुछलिअइ, "इमिल्यान, कहीं कोय जरूरत के चलते तूँ तो हमर नयका पतलून नयँ लेलहीं ? तोरा आद हउ न कि एकरा हम जमींदार खातिर बनइलिए हल ?"
"नयँ, अस्ताफ़ी इवानिच, हम तो जी एकरा नयँ छूलिए ह ।"

की मुसीबत हइ ! फेर से ढूँढ़े लगलूँ, ढूँढ़लूँ-ढूँढ़लूँ - कहीं नयँ ! आउ एन्ने इमिल्यान बइठल हके आउ झूल रहल ह । हम, श्रीमान, ओकरे सामने चुक्को-मुक्को बइठ गेलूँ सन्दुकवा तरफ झुक्कल, आउ अचानक ओकरा पर तिरछा नजर डाललूँ ... ओह ! सोचऽ हूँ । हमर दिल लगल कि जल रहल ह, हमर चेहरो तमतमा गेल । आउ अचानक इमिल्यान भी हमरा तरफ देखलक ।

ऊ बोलल - "नयँ, अस्ताफ़ी इवानिच, हम तो अपने के पतलून, की कहल आवे, ... शायद अपने सोचऽ हथिन कि हम्मे लेलिए ह, लेकिन हुजूर हम तो एकरा नयँ लेलिए ह ।"
"त इमिल्यान इल्यिच, ई गेलइ काहाँ ?"
"नयँ अस्ताफ़ी इवानिच, हम तो जी बिलकुल नयँ देखलिए ह ।"
"त इमिल्यान इल्यिच, एकरा से की ई समझल जाय कि ई अपरूपी गायब हो गेलइ ?"
"हो सकऽ हइ, अस्ताफ़ी इवानिच ।"

जब हम ओकर बात सुन रहलूँ हल, त बिना कपड़ा बदलले हम उठ गेलूँ, खिड़किया तरफ गेलूँ, बत्ती जलइलूँ आउ कपड़ा सीये के काम में लग गेलूँ । नीचे वला तल्ला पर रहे वला एगो क्लर्क के कपड़ा के हम रफू कर रहलूँ हल । आ हमर छाती में जलन आउ टीस होब करऽ हल । हमरा जरी हलकापन महसूस होत हल, अगर हम अनवारी में धइल सब्भे कपड़ा-लत्ता के आग लगा देतूँ हल । लगऽ हइ कि इमिल्यान के भान हो गेलइ कि हमर दिल कइसे जल रहल ह । अगर कोय अदमी दोषी रहऽ हइ, श्रीमान, त ऊ दूर के भविष्य में आवे वला मुसीबत के भाँप ले हइ, ओइसहीं जइसे कि आवे वला गरजवला तूफान के असमान में उड़ेवला पंछी ।

"बात ई हइ, अस्ताफ़ी इवानिच", इमिल्यान बोले लगल (आ ऊ बेचारा के बोली लड़खड़ा रहल हल), "आझ कम्पोटर अन्तिप प्रोखोरिच, डलेवर के घरवली से शादी कर लेलकइ, ऊ डलेवर हाल में मर गेले हल ..."

हम ओकरा तरफ कुछ अइसे देखलिअइ, कहल जा सकऽ हइ कि बुरा नजर से देखलिअइ ... इमिल्यान समझ गेलइ । हम देखऽ हिअइ - ऊ उठलइ, पलंग के पास गेलइ आउ ओकर आसपास कुछ तो ढूँढ़े लगलइ । हम इंतजार करते रहलिअइ - ऊ देर तक व्यस्त रहलइ आउ बकते रहलइ, "नयँ एज्जा नयँ हकइ, ई शैतान काहाँ गायब हो गेल होत !" हम इंतजार करके देखते रहलूँ, कि अब की होवऽ हइ । देखऽ ही कि इमिल्यान अपन हाथ-गोड़ के बल पलंग के नीचे रेंगके गेल । हमरा से ई सहन नयँ होल ।

हम ओकरा पुछलिअइ - "इमिल्यान इल्यिच, तूँ काहे लगी गोड़-हाथ के बल रेंगब करऽ ह ?"
"हियों पतलून नयँ हइ, अस्ताफ़ी इवानिच । ई देखे लगी निच्चे घुसलिअइ कि कहीं ओद्धिर तो नयँ गिर-उर गेले ह ।"

हम खीज में ओकरा आदरपूर्वक सम्बोधित करके बोले लगलिअइ - "लेकिन काहे लगी, श्रीमान, हमरा जइसन गरीब सीधा-साधा अदमी खातिर तकलीफ करऽ हथिन ? ऊहो गोड़-हाथ के बल रेंगके !"
"कोय बात नयँ, अस्ताफ़ी इवानिच, हम देख ले हिअइ ... हो सकऽ हइ, खोजे से कहीं मिल जाय ।"
"हूँ ...", हम बोललिअइ, "सुन इमिल्यान इल्यिच !"
"की अस्ताफ़ी इवानिच ?"
"की तूँ एकरा खाली एगो चोर-डाकू जइसन चोरा लेलँऽ हँ, हमर रोटी-नमक खाके नमकहरामी कइलँऽ हँ ?"

श्रीमान, हमरा ओकरा पर नराजगी होल कि हमरा सामने ऊ पलंगवा के निच्चे रेंगके झूठ-मूठ के देखावा करके हमरा मूरख बनाब करऽ हल ।

"नयँ जी ... अस्ताफ़ी इवानिच ... "
आउ खुद ओइसहीं पलंगवा के निच्चे पट्टे पड़ल रहलइ । बड़ी देर तक पड़ल रहलइ आउ बाद में सरकते बाहर निकसलइ । देखऽ ही - ऊ अदमी के चेहरा बिलकुल पीयर पड़ल हइ, अनमन बेडशीट जइसन । ऊ उठलइ आउ हमरा पास खिड़किया पर बइठ गेलइ । अइसीं कोय दस मिनट तक बइठल रहलइ ।

"नयँ अस्ताफ़ी इवानिच", ऊ बोललइ आउ अचानक उठ खड़ा होलइ आउ हमरा तरफ अइलइ । अब हम देखऽ ही कि ऊ भयंकर लग रहल रहल । "नयँ अस्ताफ़ी इवानिच, हम अपने के पतलून नयँ लेलिए ह ..."
ऊ खुद पूरा काँप रहल हल, अपन हिल रहल उँगली से छाती थपथपा रहल हल, आउ ओकर बोली अइसन लड़खड़ा रहल हल, कि हम तो श्रीमान खुद डर गेलिअइ आउ खिड़की के सीट से लगभग चिपक गेलिअइ ।

"खैर इमिल्यान इल्यिच, अगर हम तोरा मूर्खतावश खाली-पीली दोष देलियो ह, त हमरा माफ करिहँऽ । आ पतलून के चिंता बिलकुल छोड़ दे, ओकरा बिना काम चल जात । हमरा भगमान के किरपा से हाथ-गोड़ हके, ओहे से चोरी-उरी के काम नयँ करे जाम ... आउ अनजान गरीब अदमी के हियाँ भीख नयँ माँगम, अपन रोटी खुद अर्जित करम ।"

इमिल्यान हमर सब बात ध्यान से सुन लेलक, हमरा सामने खड़ी रहल, खड़ी रहल । ओकरा तरफ देखलूँ त ऊ बइठ गेल । ओइसीं ऊ साँझ तक बइठल रहल, कुछ हिल-डुल नयँ कइलक । आखिर हम सुत्ते लगी चल गेलूँ, तइयो इमिल्यान ओज्जी पर बइठल रहल । सुबहे खाली, देखऽ हूँ, कि ऊ बिन बिछौना के फर्श पर पड़ल हके, अपन पुरनका फट्टल-फुट्ल कोट में देह सिकुड़इले । ऊ अपमान के एतना दिल पे ले लेलके हल कि ऊ बिछौना पर सुत्ते लगी नयँ आ पइलइ । श्रीमान, ऊ पल से हम ओकरा बिलकुल पसीन नयँ करऽ हलिअइ, हियाँ तक कि पहिला कुछ दिन तक तो ओकरा से घृणा करऽ हलिअइ । हमरा अइसन लगल कि मानूँ हमर बेटवे हमरा लूट लेलक आउ हमर दिल पर चोट पहुँचइलक । "आह !", हम सोचे लगलूँ, “इमिल्यान, इमिल्यान !” आउ श्रीमान, इमिल्यान दू सप्ताह तक बिना नागा के पीतहीं रहलइ । मतलब कि ऊ बिलकुल उन्मत्त हो गेले हल, कुछ बहुत जादहीं पीयऽ हलइ । सुबहे जाय आउ देर रात के लौटइ । मोसकिल से कउनो शब्द ओकर मुँह से सुनाय पड़ऽ हलइ । मतलब, शायद, ऊ बखत शोक ओकर दिल के कचोट रहले हल, नयँ तो अपने-आप के बारे जाने के कोशिश करब करऽ हलइ । आखिर, लगऽ हइ कि बहुत हो गेल समझ के ऊ ई सब बन्द कर देलक, आउ फेर से खिड़की पे बइठे ल चालू कर देलक । हमरा आद आवऽ हके कि ऊ चुपचाप तीन दिन तक बइठल, अचानक देखऽ हूँ कि ऊ अदमी कन रहल ह । मतलब श्रीमान, बइठल कन्नब करऽ हके ! कनबो कर रहले हल कइसे ! ओकर आँख से तेज धारा बहऽ हलइ, आउ ओकरा ई पते नयँ कि ऊ कन्नब करऽ हइ । आउ श्रीमान, एगो सयान अदमी के कनते देखना केतना मोसकिल काम हइ, ओकरो पर इमिल्यान जइसन बुढ़गर अदमी के, जे विपत्ति आउ उदासी के कारण कन्ने ल चालू कर दे हलइ । 

"की बात हउ, इमिल्यान ?" हम पुछलिअइ ।
आउ ऊ पूरा कँप्पे लगलइ । आउ ऊ चौंकियो गेलइ । ऊ साँझ के बाद हम पहिले तुरी ओकरा से कुछ बोललिए हल ।
"कुछ नयँ ... अस्ताफ़ी इवानिच ।"
"भगमान तोरा भला करे, इमिल्यान, जे बीत गेलउ ओकरा बिसार दे । ई उल्लू नियर काहे लगी बइठल हकँऽ ?" हमरा ओकरा पर तरस आ रहल हल ।
"अइसहीं जी, अस्ताफ़ी इवानिच, कोय बात नयँ हइ जी । कहीं कोय काम-धंधा धर लेवे ल चाहऽ हिअइ, अस्ताफ़ी इवानिच ।"
"आउ ई कइसन काम हो सकऽ हइ, इमिल्यान इल्यिच ?"

"अइसीं कइसनो जी । शायद कोय पहिले नियन कोय नौकरी मिल जइतइ जी । हम फ़िदोसेय इवानिच किहाँ से होके अइलिए ह ... हमरा अपने पर बोझ बने में खराब लगऽ हइ । जब हमरा कोय काम-धंधा मिल जइतइ, अस्ताफ़ी इवानिच, तब हम सब कुछ वापस कर देबइ - खाना वगैरह पर आल खरचा के चुकता कर देबइ ।

"बहुत हो गेलउ, इमिल्यान, बहुत हो गेलउ । जे बीत गेलउ ओकर बात छोड़ ! मार गोली ई सब बात के ! पहिलहीं नियन खुद जी आउ जीये दे ।"
"नयँ जी, अस्ताफ़ी इवानिच, अपने कुच्छो सोच सकऽ हथिन, ओकरा बारे ... लेकिन हम तो जी अपने के पतलून नयँ छूलिए ह ..."
"अच्छऽ, जइसन तोर मर्जी, भगमान तोर खियाल रखे, इमिल्यान !"
"नयँ जी, अस्ताफ़ी इवानिच । हम तो अब पक्का अपने के घर में नयँ रह सकऽ हिअइ । हमरा माफ करथिन, अस्ताफ़ी इवानिच ।"
"भगमान तोर खियाल रखे । हम तोरा पुच्छऽ हिअउ इमिल्यान इल्यिच, केऽ तोरा अपमान कर रहलो ह, केऽ तोरा घरवा से निकले लगी कह रहलो ह ? हम्मे की ?"
"नयँ जी, अपने के साथ हमरा रहना ठीक नयँ हइ, अस्ताफ़ी इवानिच ... अच्छा होतइ कि हम निकल जइअइ जी ..."

मतलब ऊ एतना अपमानित महसूस कर रहले हल, कि ऊ अदमी पक्का मन बना लेलके हल । हम ओकरा तरफ देखलूँ, आउ सच्चे में ऊ उठ खड़ा होलइ, आउ अपन कोटवा कन्हवा पर डाल लेलकइ ।

"लेकिन तूँ काहाँ जा रहलँऽ हँ, इमिल्यान इल्यिच ? जरी दिमाग लगाके देख - की होलउ ? तूँ काहाँ जइमँऽ ?"
"नयँ, अलविदा अस्ताफ़ी इवानिच । अब हमरा नयँ रोकथिन (फेर से ऊ ठुनके लगलइ) । हम अब चल जाम, अस्ताफ़ी इवानिच । अब अपने पहिले जइसन नयँ रहलथिन ।"
"पहिले जइसन नयँ मतलब कइसन नयँ ? हम तो ओइसने हकूँ ! लेकिन तूँ विवेकहीन फोहवा बुतरू जइसन, अकेल्ले बरबाद हो जइमँऽ, इमिल्यान इल्यिच ।"

"नयँ, अस्ताफ़ी इवानिच, अपने जब कभी बाहर जा हथिन त सन्दुकवा में ताला लगा दे हथिन, आउ हम, अस्ताफ़ी इवानिच, देखऽ ही आउ कन्नऽ ही ... नयँ, बेहतर होत कि हमरा जाय द, अस्ताफ़ी इवानिच, आउ हमरा चलते ऊ सब तकलीफ लगी माफ कर देथिन, जे हमरा साथ रहे के कारण अपने के झेले पड़ले ह ।"

फेर की होलइ श्रीमान कि ऊ अदमी चलिए गेलइ । हम एक दिन इंतजार कइलिअइ आउ सोचलिअइ कि सँझिया के ऊ वापस चल अइतइ - लेकिन नयँ ! दोसरो दिन नयँ, तेसरो दिन नयँ । हम तो डर गेलिअइ, आउ हमरा उदासी छा गेलइ - न पीऊँ, न खाँव, न सुत्तूँ । ऊ अदमी तो मानूँ हमरा बिलकुल हथियारहीन कर देलक हल ! चौठा दिन हम ओकर खोज में निकललूँ, सब ढाबा, कलाली में हुलकके देखलूँ, पुछलूँ - नयँ, इमिल्यान कनहूँ नजर नयँ आल ! हम सोचऽ हूँ, "कहीं तूँ अपन आदत के चलते भारी नुकसान तो नयँ उठइलँऽ ? शायद शराब कुछ जादहीं पीके परलोक सिधार गेलँऽ आउ अब सड़ल लकड़ी के कुन्दा नियन कहीं पड़ल हकँऽ ।" हम घर वापस अइलूँ - न तो हम जिन्दा हलूँ न मरल । दोसरो दिन हम ओकरा ढूँढ़े ल निकसलूँ । आउ हम अपने आप के कोसे लगलूँ कि ओकरा हम काहे लगी जाय देलूँ, कि ऊ मूरख अदमी अपने मन से हमरा हीं से चल गेल । पचमा दिन (जब अवकाश के दिन हल) हम देखऽ हूँ कि दरवाजा चरचर कर रहल ह । देखऽ हूँ कि इमिल्यान अन्दर घुस्सल - ओकर चेहरा नीला पड़ गेल हल आउ ओकर केश धूरी-गरदा से भरल, मानूँ ऊ गल्ली में सुत्तल हल । ऊ बनायतरी दुबराल हल, खपची नियन । ऊ अपन कोटवा उतार लेलक आउ हमर सामने सन्दुकवा पर बइठ गेल, आउ हमरा दने देखे लगल ।

हमरा ओकरा देखके खुशी होल, लेकिन पहिले के अपेक्षा कुछ जादहीं उदासी हमर दिल में घर कर गेल । श्रीमान, अइसन ई बात से समझल जा सकऽ हइ - मान लेथिन कि हमरा से अइसन पाप हो जइते हल, त हम सच में कुत्ता के मौत मर जइतिए हल, लेकिन वापस नयँ अइतिए हल । लेकिन इमिल्यान आ गेलइ ! ई स्वाभाविक हइ कि अइसन परिस्थिति में इंसान के देखना मोसकिल हइ । हम ओकर देखभाल करे लगलिअइ, दुलार करे लगलिअइ, आउ सांत्वना देलिअइ ।

"खैर, इमिल्यान, हमरा खुशी होलउ कि तूँ वापस आ गेलँऽ । आवे में आउ थोड़े देरी कर देतँऽ हल, त आझ हम तोरा कलाली-उलाली में खोजे लगी चल जइतियो हल । तूँ खइलँऽ हँ कि नयँ ?" हम बोललिअइ ।
"हाँ जी, अस्ताफ़ी इवानिच ।"

"सच ? खइलँऽ हँ ? देख भाय, कल के थोड़े सन बंदगोभी के शोरबा बचल हकउ; एकरा में मांस हलइ, सादा-सुदा नयँ । आउ इका पावरोटी आउ पियाज हउ । खा ले । ई तोर सेहत खातिर ठीक रहतउ ।" हम बोललिअइ ।
ओकरा लगी परसलिअइ आउ देखलिअइ कि शायद तीन पूरे दिन तक ऊ बिलकुल नयँ खइलके हल - अइसन ओकर भूख से लग रहले हल । मतलब कि ई भूखे हलइ जे ओकरा हमरा बिजुन आवे लगी लचार कर देलके हल । हमर दिल ऊ प्यारे के देखके पिघल गेलइ । हमर दिमाग में अइलइ कि अभी दौड़के शराबखाना चल जाँव, आउ ओकर दिल के संतुष्ट करके मामला हिएँ खतम कर देँव ! अब हमरा तोरा खातिर आउ कोय रंजिश नयँ हउ, इमिल्यान ! हम वोदका लइलूँ । आउ बोललूँ, "इमिल्यान इल्यिच, ई अवकाश के बखत दुन्नु के मिलके पीयल जाय ! पीये के मन करऽ हउ ? ई तोर सेहत लगी निम्मन हकउ ।"

ऊ अपन हाथ बढ़इलकइ, एतना ललक से बढ़इलकइ, ऊ एकरा पकड़हीं वला हलइ कि रुक गेलइ । थोड़े देर ठहरलइ, देखऽ हिअइ कि लेलकइ आउ मुँहमा से लगइलकइ, ओकर आस्तीन पर वोदका टघर गेलइ । नयँ, मुँहमा तक तो ले गेलइ, लेकिन तुरते टेबुलवा पर रख देलकइ ।

"की बात हउ, इमिल्यान ?"
"कुछ नयँ, अइसीं ... अस्ताफ़ी इवानिच ।"
"नयँ पीमँऽ की ?"
"नयँ, अस्ताफ़ी इवानिच, ... आउ अब हम नयँ पीयम, अस्ताफ़ी इवानिच ।"
"ई की ? तूँ पीये लगी बिलकुल छोड़ देलँऽ की इमिल्यान ? कि खाली आझे नयँ पीये ल चाहँऽ हँ ?"
ऊ थोड़े देर चुप रहल । देखऽ हूँ कि एक मिनट के बाद अपन सिर के हथवा पर रख लेलक ।
"की बात हउ ? तबीयत ठीक नयँ हउ की, इमिल्यान ?"
"जी हाँ, हमर तबीयत ठीक नयँ हके, अस्ताफ़ी इवानिच ।"

ओकरा पकड़के हम बिछौना पर लेटा देलिअइ । हम देखलिअइ कि वास्तव में ऊ बेमार हइ - ओकर सिर जल रहले हल, आउ ऊ बोखार से कँप रहले हल । हम ओकरा बिजुन समुच्चे दिन बइठल रहलिअइ । रतिया के ओकर तबीयत आउ खराब हो गेलइ । हम ओकरा खातिर मक्खन आउ पियाज मिलाके क्वास तैयार कइलिअइ, आउ पावरोटी के साथ देलिअइ । ओकरा से कहलिअइ, "कुर्या (क्वास में पियाज, दूध या पानी, मक्खन आदि से बनावल शोरबा) थोड़े सनी ले ले, त तबीयत थोड़े सुधर जइतउ !" ऊ सिर हिलइलकइ आउ बोललइ, "नयँ, आझ हम कुछ नयँ खाम, अस्ताफ़ी इवानिच ।" ओकरा लगी चाय बनइलिअइ, बुढ़िया नौकरानी के फेनु बहुत व्यस्त रखलिअइ । लेकिन हालत में कोय सुधार नयँ होलइ । सोचऽ हूँ, हालत खराब हइ ! तेसर दिन सुबहे डागडर के पास गेलिअइ । पासे में एगो परिचित डागडर कोस्तोप्रावोव रहऽ हलथिन । पहिलहीं, जब हम उँचगर घराना के बोसोम्यागिन लोग के हियाँ काम करऽ हलिअइ, तब इनखा से परिचय होले हल - ई हमरा इलाज कइलथिन हल । डागडर साहेब अइला, देखलका । ऊ बोलला, "ओकर हालत बहुत खराब हकइ । हमरा बोलावे से कोय फइदा नयँ । खैर, ओकरा एगो फक्की देल जा सकऽ हइ ।" लेकिन ऊ फक्की तो नयँ देलिअइ । हम सोचलिअइ कि डागडर अइसीं अपन औपचारिकता निभा रहला ह । आउ पचमा दिन आ गेलइ ।

श्रीमान, ऊ हमरा सामने पड़ल मर रहले हल । हम खिड़की पर बइठल हलिअइ, हाथ में अपन काम लेले । बुढ़िया स्टोव गरम कर रहले हल । हम सब कोय चुप्पी साधले हलिअइ । श्रीमान, हमर दिल तो ऊ अवारा खातिर टूट रहल हल - हमरा लग रहल हल कि हम अपन बेटा के दफना रहलूँ हँ । हमरा मालूम हल कि इमिल्यान हमरा तरफ सुबहे से देख रहल हल, कुछ कहे ल चाह रहल हल, लेकिन कह नयँ पा रहल हल ।

आखिर हम ओकरा तरफ दृष्टि डललिअइ - हम ऊ बेचारा के आँख में केतना उदासी देखलिअइ ! ऊ हमरा एकटक से देख रहल हल, लेकिन ऊ जब देखलकइ कि हम ओकरा तरफ नजर कइले हकिअइ त ऊ अपन नजर नीचे तरफ कर लेलकइ ।

"अस्ताफ़ी इवानिच !"
"की इमिल्यान !"
"मान लेल जाय कि हमर कोटवा के पुरनका बजार में ले जाल जाय, त एकरा बदले बहुत कुछ मिलतइ, अस्ताफ़ी इवानिच ?"
"हमरा मालूम नयँ कि एकरा बदले केतना मिलतउ । हो सकऽ हउ, तीन रूबल के नोट देउ, इमिल्यान इल्यिच ।"

लेकिन अगर वास्तव में हम एकरा लेके जइतिए हल, त एकर बदले कुच्छो नयँ देते हल । एतने नयँ, हमर चेहरे पर हँसते हल, अइसन चेथरी बेचे लगी ले गेला पर । हम तो खाली ऊ सीधा-सादा बेचारा इंसान के मन रक्खे लगी अइसन बोल देलिअइ ।

"लेकिन हम तो सोच रहलिए हल, अस्ताफ़ी इवानिच, कि एकरा बदले चानी के तीन रूबल मिलतइ; ई कपड़ा के हकइ, अस्ताफ़ी इवानिच । कपड़ा के कोट के खाली तीन रूबल के नोट ?"
"हमरा मालूम नयँ, इमिल्यान इल्यिच", हम कहलिअइ, "अगर एकरा बेचे ल बजार ले जाय ल सोचऽ हँ, त वस्तुतः शुरू-शुरू में चानी के तीन रूबल के माँग कर सकऽ हँ ।"

इमिल्यान थोड़े देर तक चुप रहलइ । बाद में फेनु बोलऽ हइ -
“अस्ताफ़ी इवानिच !”
"की इमिल्यान ?" हम पुच्छऽ हिअइ ।
"हमरा मरला पर ई कोटवा के बेच देथिन, लेकिन हमरा एकरा में नयँ दफनइथिन । हम अइसहीं लेटे ल चाहऽ ही । ई वस्तु कीमती हइ । ई अपने के कुछ काम आ सकऽ हइ ।"

श्रीमान, ओकर ई बात सुनके हमर दिल में केतना दरद होल, ई हम व्यक्त नयँ कर सकऽ ही । देखऽ ही कि ओकर चेहरा पर मृत्युपूर्व उदासी छा रहल ह । हमन्हीं कुछ देर फेर चुप्पी साधले रहलिअइ । अइसीं एक घंटा गुजर गेलइ । ओकरा तरफ फेर से देखलिअइ । ऊ एकटक हमरा तरफ देख रहल हल आउ जब ओकर नजर हमरा साथ मिल्लल, त फेर से ऊ अपन नजर निच्चे कर लेलक ।

"तोरा पीये ल पानी चाही, इमिल्यान इल्यिच ?"
"देथिन, अस्ताफ़ी इवानिच । भगमान अपने के भला करथिन !"
ओकरा हम पीये लगी पानी देलिअइ । ऊ पी लेलकइ ।
"धन्यवाद, अस्ताफ़ी इवानिच !" ऊ बोललइ ।

"तोरा आउ कुछ चाही, इमिल्यान ?"
"नयँ, अस्ताफ़ी इवानिच, कुछ नयँ चाही । लेकिन हम ..."
"की ?"
"हम खाली ..."
"की इमिल्यान ?"

"अपने के पतलुनमा .... हम एकरा अपने हीं से तब चोराऽ लेलिए हल .... अस्ताफ़ी इवानिच ...."
"खैर, भगमान तोरा माफ कर देथुन, इमिल्यान !", हम कहलिअइ, "हे दुखिया जीव ! शान्ति से परलोक सिधार ...."

आउ श्रीमान, हमरो मुँह अवरुद्ध हो गेल आउ आँख से लोर झरझराय लगल । एक मिनट लगी तो हम मुँह फेर लेलूँ ।
“अस्ताफ़ी इवानिच …”

देखऽ ही कि इमिल्यान हमरा से कुछ कहे ल चाह रहल ह; खुद्दे उठके बइठे के कोरसिस कर रहल ह, बोले के प्रयास कर रहल ह, ओकर ठोर हिल रहल ह ... ओकर चेहरा अचानक लाल हो गेल, ऊ हमरा तरफ नजर कइलक ... अचानक देखऽ हूँ कि ओकर चेहरा फेर उज्जर होल जा रहल ह, उज्जर होल जा रहल ह । पल भर में ... ओकर सिर पीछे गिर गेल, एक तुरी साँस लेलक आउ भगमान के अपन आत्मा सौंप देलक ...

प्रथम प्रकाशित - 1848
 

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