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Thursday, October 23, 2014

अपराध आउ दंड - भाग – 1 ; अध्याय – 2




अपराध आउ दंड

भाग – 1

अध्याय – 2

रस्कोलनिकोव के भीड़ के आदत नयँ हलइ आउ, जइसन कि पहिले बतावल जा चुकले ह, ऊ हर तरह के समाज से कतरा हलइ, खास तौर पे एद्धिर कुछ अरसा से । लेकिन अब ओकरा अचानक कुछ तो लोग के तरफ घींच रहले हल । ओकरा अंदर-अंदर कुछ तो नाया हो रहले हल, आउ एकरे साथ ओकरा लोग के साथ रहे के जरूरत महसूस हो रहले हल । पूरे एक महिन्ना तक अपन अइसन तीव्र विषाद आउ निराशापूर्ण बेचैनी से ऊ एतना थक चुकले हल कि चाहे एक्के मिनट खातिर, ऊ दोसर दुनिया में चैन के साँस लेवे ल चाह रहल हल, चाहे ऊ दुनिया कइसनो रहे, आउ चारो तरफ के गंदगी के बावजूद, ऊ खुशी से कलाली में अब ठहरल हलइ ।

कलाली के मालिक दोसर कमरा में हलइ, लेकिन अकसर कहीं से सिड़हिया से निच्चे उतरके बड़का कमरा में आ जा हलइ, आउ बाकी कोय चीज से पहिले देखाय दे हलइ ओकर तड़क-भड़क वला कार पालिश कइल आउ उपरका लाल रंग के मोड़ वला जुत्ता । ऊ लंबा कोट आउ बुरी तरह चिक्कट (soiled) कार साटन (satin) वास्कट [1] पेन्हले हलइ, बिन टाई के, आउ पूरा चेहरा मानूँ तेल से चुपड़ल, जइसे लोहा के ताला पर । काउंटर पर एगो करीब सोल्लह बरस के लड़का हलइ, आउ ओकरा से छोट्टे एगो दोसर लड़का हलइ, जे ऊ सब चीज लाके दे हलइ, जेकर माँग कइल जा हलइ । काउंटर पर कुछ कट्टल खीरा, कार सुक्खल डबल रोटी के कुछ टुकड़ा आउ मछली के छोट्टे-छोटे गुरिया - ई सब से बहुत खराब दुर्गंध आ रहले हल । हुआँ अइसन घुटन हलइ, कि बइठनो मोसकिल हलइ, आउ सब कुछ शराब के गंध से अइसन तर होल हलइ कि लगऽ हइ कि अइसन वातावरण में पाँचो मिनट रहला से निसा चढ़ जाय ।

कभी-कभी अइसन भेंट-मोलकात हो जा हइ, हमन्हीं लगी बिलकुल अनजानो लोग से, जेकरा में हमन्हीं के पहिलहीं नजर में दिलचस्पी हो जा हइ, कइसूँ अचानक, कोय शब्द मुँह से बोलहूँ के पहिले । रस्कोलनिकोव पर ठीक अइसने असर डललकइ ऊ अदमी, जे थोड़े दूर पर बइठल हलइ आउ देखे में रिटायर सरकारी किरानी लग रहले हल । बाद में नौजवान के ई असर कइएक तुरी आद पड़लइ आउ एकरा ऊ एगो पूर्वाभास के परिणाम भी मानऽ हलइ । ऊ एकटक ऊ किरानी तरफ देख रहले हल, स्पष्टतः ई कारण से कि ऊ खुद एकरा तरफ लगातार देख रहले हल, आउ ई बात साफ हलइ कि ओकरा बात शुरू करे के मन कर रहले हल । कलाली के मालिक के साथ-साथ हुआँ उपस्थित बाकी लोग के ऊ किरानी अइसे देख रहले हल मानूँ ओकन्हीं के साथ के आदी हो चुकल हो आउ उकता चुकल हो, आउ एकरा अलावे हैसियत आउ संस्कृति के दृष्टि से ओकन्हीं के अपना से नीच समझे के चलते ओकर मन में ओकन्हीं के प्रति कुछ उपेक्षा के भाव हलइ, जेकरा से ओकन्हीं साथ ओकरा कुछ बात करना बेकार हलइ । ई अदमी के उमर पचास के उपरे हलइ, मध्यम कद आउ मोटगर काठी, जगह-जगह सफेदी लेल बाल आउ सिर के बड़गर हिस्सा गंजा, लगातार दारू पीये के वजह से चेहरा फुल्लल, पीयर आउ कुछ-कुछ हरियर होल, आँख के पलक थोड़े सुज्जल, जेकर अंदर से ओकर पैना गुलाबी आँख अइसे चमकब करऽ हलइ मानूँ छोटगर-छोटगर दरार से हुलक रहल होवे । लेकिन ओकरा में कुछ तो विचित्र बात हलइ; ओकर आँख में हर्षोन्मादो के चमक हलइ - शायद चिंतन आउ बुद्धि हलइ, लेकिन साथ-साथ मानूँ पागलपन के झलक भी हलइ । ऊ पुराना आउ बिलकुल फट्टल-चिट्टल कार टेलकोट [2] पेन्हले हलइ, सब्भे बोताम झड़ल । खाली एक बोताम कइसूँ अभियो लगइले हलइ, शायद ई सोचके कि शालीनता बरकरार रहे । नानकीन (पीयरगर सूती कपड़ा) के वास्कट में से बाहर तरफ उभरल हलइ मनिश्का [3], बिलकुल सिलवट पड़ल, धब्बा लगल आउ छितराल ।

ओकर चेहरा (अर्थात् दाढ़ी-मोंछ) सफाचट कइल हलइ, किरानी के शैली में, लेकिन दाढ़ी बनइला कइएक दिन हो गेला से ओकर घना नीला-भूरा रंग के दाढ़ी खुट्टी नियन लगऽ हलइ । आउ ओकर चाल-ढाल में भी वस्तुतः कुछ तो पक्का सरकारी लगऽ हलइ । लेकिन ऊ बेचैन हलइ, अपन बाल बिखेर ले हलइ आउ कभी-कभी उदासी में अपन कोट के फट्टल-पुरान केहुनी के धब्बेदार आउ चिपचिपा टेबुल पर रखके अपन सिर के दुनहूँ हाथ के सहारे टिका दे हलइ । आखिर ऊ सीधे रस्कोलनिकोव तरफ देखलकइ आउ उँचगर आउ दृढ़ अवाज में कहलकइ –

"आदरणीय महोदय, की हम अपने के साथ विनम्र बातचीत करे के जुर्रत कर सकऽ हिअइ ? काहेकि चाहे अपने के बाहरी पहनावा उँचगर स्तर के नयँ होवे, लेकिन हमर अनुभव अपने में एगो पढ़ल-लिखल आउ शराब के बिन लत वला अदमी देखऽ हइ । हम हमेशे शिक्षा के आदर के दृष्टि से देखलिए ह, जब ई हार्दिक भावना से जुड़ल रहे, आउ एकर अलावे, हम पद से उपाधिधारी सलाहकार (टिट्युलर काउंसेलर) हकिअइ । मरमेलादोव - हमर उपनाम (सरनेम) । उपाधिधारी सलाहकार [4] । की हम ई जाने के जुर्रत कर सकऽ हिअइ कि अपने कोय सरकारी नौकरी में रहलथिन ह ?"

"जी नयँ, हम पढ़ऽ हिअइ ..." - नौजवान जवाब देलकइ, वक्ता द्वारा भाषा के विशेष आलंकारिक स्वर के व्यवहार से कुछ आश्चर्यचकित होके आउ एहो बात से कि ओकरा से सीधे आँख में आँख डालके संबोधित कइल गेले हल । हाल में ऊ कइसहूँ लोग के संगत (company) के जे क्षणिक इच्छा अनुभव कर रहले हल, ओकर बावजूद वास्तव में ओकरा साथ पहिले तुरी बात के साथ सम्बोधित कइला पर ऊ तुरते अपन आदत के मोताबिक ओहे अप्रिय आउ चिड़चिड़ाहट भरल अरुचि अनुभव कइलकइ, जे ऊ कउनो ओइसनका अजनबी के तरफ अनुभव करऽ हलइ, जे ओकर व्यक्तित्व से कोय वास्ता रखे वला, चाहे खाली ओकर व्यक्तित्व के स्पर्श करे लगी चाहे वला होवऽ हलइ । 

"मतलब छात्र, चाहे पूर्वछात्र ! [5]" किरानी उँचगर अवाज में बोललइ, "हमहूँ एहे बात सोच रहलिए हल ! अनुभव, आदरणीय महोदय, कइएक तुरी के अनुभव !" आउ ऊ आत्मप्रशंसा के रूप में एगो अँगुरी अपन निरार पर रखलकइ । "अपने छात्र रहलथिन ह, चाहे कोय शैक्षणिक संस्था के विभाग से जुड़ल रहलथिन ह ! लेकिन इजाजत देथिन ..." - ऊ उठके खड़ी हो गेलइ, थोड़े लड़खड़इलइ, अपन जग आउ गिलास उठइलकइ, आउ नौजवान के पास आके बइठ गेलइ, ओकरा से थोड़े तिरछे मुँहें । ऊ दारू के निसा में धुत्त हलइ, लेकिन ऊ धाराप्रवाह आउ निडर होके बोल रहले हल, खाली कभी-कभार ओकर बात के तार टूट जा हलइ आउ ओकरा अपन शब्द के खींचके बोले पड़ऽ हलइ । ऊ रस्कोलनिकोव पर अइसन लोलुपता से टूट पड़लइ, मानूँ पूरे महीने केकरो से बात नयँ कइलके हल ।

"आदरणीय महोदय", ऊ लगभग गंभीरतापूर्वक कहे लगलइ, "गरीबी कोय दोष नयँ हइ, ई बात सच हइ । लेकिन हम एहो जानऽ हिअइ कि नशाखोरी कोय गुण नयँ हइ, आउ एकरा में जादे सच्चाई हइ । लेकिन कंगाली, आदरणीय महोदय, कंगाली तो दोष हइ, जी । गरीबी में तो अपन जन्मजात भावना के श्रेष्ठता बरकरार रक्खल जा सकऽ हइ, लेकिन कंगाली में कभी नयँ, आउ कोय नयँ रख सकऽ हइ । कंगाली में तो खाली डंडे से नयँ खदेड़ देवल जा हइ, बल्कि झरुआ से मानव संगत से बाढ़के बाहर फेंक देल जा हइ, ताकि जेतना जादे हो सके ओतना अपमान होवे; आउ ई सहियो हइ, काहेकि कंगाली में हम खुद्दे पहिले खुद के अपमान करे लगी तैयार हो जा हिअइ । आउ हिएँ से कलाली ! आदरणीय महोदय, अभी एक महिन्ना पहिले श्रीमान लेबेज़ियातनिकोव हमर घरवली के पिटलका हल, लेकिन हमर घरवली ओइसन नयँ हइ जइसन हम ! समझऽ हथिन न जी ? हमरा अपने के एक बात पुच्छे के इजाजत देथिन, अइसीं खाली ई चाहे कौतूहलवश होवे - अपने कभी नेवा नद्दी पर रात गुजरलथिन ह, पोवार के नाय पर [6] ?"

"नयँ, कभी मौका नयँ मिलल", रस्कोलनिकोव उत्तर देलकइ । "ई की होवऽ हइ ?"
"ठीक हइ, जी, लेकिन हम तो हुएँ से अइलिए ह, आउ ई पचमा रात हइ, जी ..."
ऊ गिलास भर लेलकइ, पी गेलइ आउ सोचे लगलइ । वास्तव में ओकर कपड़वन में आउ बलियो में कहीं-कहीं पोवार के कुछ टुकड़ा चिपकल हलइ । लगऽ हलइ कि ऊ पाँच दिन तक अपन कपड़ा नयँ बदललके हल आउ न नहइलके-धोलके हल । खास करके ओकर हथवा गंदा-संदा, मोटगर, लाल आउ नोहवन कार हलइ ।

लगऽ हलइ, ओकर बातचीत में आम तौर पे दिलचस्पी तो लेल जा रहले हल, हलाँकि जोश के साथ नयँ । काउंटर पर काम करे वला लड़कन खिखिआय लगलइ । कलाली के मालिक ई “मसखरा” के बात सुन्ने के खास इरादे से उपरौका कमरा से निच्चे आ गेलइ, आउ थोड़े स दूर में बइठ गेलइ, जरी अलसाल ढंग से, लेकिन गरिमा से जम्हाय लेते । ई साफ मालूम पड़ऽ हलइ कि मरमेलादोव हियाँ पर बहुत पहिले से जानल-बूझल हलइ । आउ आलंकारिक भाषा में बातचीत के प्रवृत्ति, संभव हइ, ओकरा कलाली में अकसर तरह-तरह के अजनबी लोग से बातचीत करे के आदत के चलते हो गेले हल । ई आदत बदलके कुछ पियक्कड़ में एगो जरूरत बन जा हइ, खास करके ओइसनकन में से ऊ सबन के, जेकरा पर कड़ाई से नजर रक्खल जा हइ आउ जेकरा अँगुरी पर नचावल जा हइ । ओहे से पियक्कड़ लोग के संगत में ओकन्हीं हमेशे मानूँ अपन तरफदारी पावे के कोशिश करऽ हइ, आउ संभव होवे, त आदर भी ।

"ए जोकड़ !" मालिक उँचगर अवाज में बोललइ, "आ तूँ काम काहे नयँ करऽ हकऽ, काहे नयँ ड्यूटी पर जा हकऽ, अगर तोरा नौकरी लगल हको ?"

"हम ड्यूटी पर काहे नयँ हकिअइ, आदरणीय महोदय ?" मरमेलादोव ई बात पकड़के आगे बोललइ, खास करके रस्कोलनिकोव के संबोधित करते, मानूँ ओहे ओकरा सवाल कइलके हल, "काहे ड्यूटी पर नयँ हकिअइ ? की वास्तव में हमर दिल नयँ दुखऽ हइ, ई बात से कि हम बेकार में केकरो सामने नाक रगड़ऽ हकिअइ ? जब श्रीमान लेबेज़ियातनिकोव एहे एक महिन्ना पहिले हमर घरवली के अपन हाथ से पिटलका हल, लेकिन हम पीके धुत्त पड़ल हलूँ, त की हमरा दुख नयँ होल हल ? माफ करथिन, नौजवान, अपने के साथ कभी अइसन होले ह ... हूँ ... मतलब कि अपने करजा पर पइसा लगी कोय उमीद नयँ रहलो पर केकरो से फरियाद कइलथिन ह ?"

"हाँ होल ह ... लेकिन 'कोय उमीद नयँ रहलो पर' से तोहर की मतलब हको ?"
"हर माने में 'कोय उमीद नयँ रहलो पर' जी, जब पहिले से मालूम रहे कि एकरा से कुछ मिल्ले वला नयँ । जइसे समझ लेथिन कि अपने के पूरा यकीन हइ कि ई अदमी, ई सबसे निम्मन इरादा वला आउ सबसे उपयोगी नागरिक, कउनो हालत में अपने के पइसा नयँ देवे वला; काहेकि, हमरा पूछना हइ, काहे लगी ऊ देतइ ? काहेकि ओकरा पक्का मालूम हइ कि ओकरा हम ई पइसा वापिस नयँ करबइ । की तरस खाके देतइ ? लेकिन श्रीमान लेबेज़ियातनिकोव, जे नयकन-नयकन विचार के अनुसार चल्लऽ हका, हाल में समझइलका हल कि हमन्हीं के जमाना में तरस खाय पर विज्ञान भी निषेध कर देलके ह, आउ इंग्लैंड में तो अइसन होइयो रहले ह, जाहाँ पर राजनीतिक मितव्ययिता (कमखर्ची) हकइ । फेर काहे लगी, हमरा पूछना हइ, कि ऊ देता ? आउ तइयो इका, पहिलहीं से जानतहूँ, कि ऊ देवे वला नयँ, रस्ता पर निकस पड़ऽ हथिन आउ ..."

"अइसनका में काहे लगी जाय के ?" रस्कोलनिकोव बात काटते पुछलकइ ।

"आउ अगर दोसर कोय नयँ रहे जेकरा हीं जाल जा सकइ, जाय के आउ कोय ठेकाना नयँ रहइ ! ई जरूरी हइ कि हरेक अदमी के पास कहीं जाय के कोय ठेकाना तो रहे के चाही । काहेकि अइसन बखत आवऽ हइ जब अदमी के कहीं न कहीं जाहीं पड़ऽ हइ ! जब हमर एकलौती बेटी पहिले तुरी पीला पास [7] लेके बाहर गेलइ, आउ तब हमहूँ गेलिअइ ... (काहेकि हमर बेटी पीला पास पर जीविका चलावऽ हइ, जी ...)", ऊ बात के आउ स्पष्ट करते बोललइ, नौजवान के तरफ कुछ बेचैनी से देखते । "कोय बात नयँ, आदरणीय महोदय, कोय बात नयँ !" तुरते ऊ जल्दी-जल्दी आउ बाहरी तौर पे शांतिपूर्वक घोषणा कइलकइ, जब काउंटर पर काम करे वला लड़कवन खुखुआय लगलइ आउ खुद्दे मालिक मुस्कुराय लगलइ । "कोय बात नयँ, जी ! हमरा ओकन्हीं के सिर हिलइला से कोय उलझन नयँ होवऽ हइ, काहेकि सब्भे के सब कुछ मालूम हो चुकले ह, आउ जे कुछ छिप्पल हइ ओहो खुलके सामने आ जइतइ [8]; आउ ई सब हम तिरस्कार से नयँ, बल्कि विनम्रता से मानऽ हिअइ । अइसहीं सही ! अइसहीं सही ! ‘इका हकइ अदमी !’ [9] "  "माफ करथिन, नौजवान, की अपने अइसन कर सकऽ हथिन ... भलुक नयँ, हम अपन बात जादे जोरदार तरीका से आउ जादे साफ-साफ कहबइ : ‘अइसन कर सकऽ  हथिन’ नयँ, बल्कि अपने में ‘अइसन करे के हिम्मत हकइ’  कि अभिए हमरा तरफ देखके दावा के साथ कह सकऽ हथिन कि हम सूअर नयँ हकिअइ ?"

एकर जवाब में नौजवान एक शब्द नयँ बोललइ ।

"जी, खैर", भाषण करेवला कमरा में खी-खी के अवाज दब जाय के राह देखे के बाद एक तुरी फेर जमके आउ पहिले से जादे मर्यादा के साथ अपन बात चालू रखलकइ । "जी, खैर, हम सुअरे सही, लेकिन ऊ मेम साहिबा !  हमर सूरत तो जानवर के हकइ, लेकिन कतेरिना इवानोव्ना, हमर घरवली - एगो पढ़ल-लिखल महिला आउ जन्म से फ़ील्ड-अफसर के बेटी हकइ । मान लेलिअइ, मान लेलिअइ, हम लफंगा हिअइ, लेकिन ओकर दिल बहुत बड़ा हइ, आउ बढ़ियाँ लालन-पोषण के कारण भावना से भरल । तइयो ... काश, ऊ हमरा लगी कुछ दरद महसूस करते हल ! आदरणीय महोदय, आदरणीय महोदय, ई तो होहीं के चाही कि हरेक अदमी के पास कम से कम एगो अइसन ठेकाना रहे, जाहाँ लोग के दिल में ओकरा लगी दरद होवे ! आ कतेरिना इवानोव्ना हलाँकि दिल के बहुत बड़ी हइ, लेकिन अन्यायी हइ । आउ हलाँकि हम खुद समझऽ हकिअइ कि जब ऊ हमर झोंटा पकड़के तीरऽ हइ, त ऊ अइसन आउ दोसर कारण से नयँ बल्कि तरस खाके करऽ हइ (काहेकि, हमरा दोहरावे में कोय शरम नयँ आवऽ हइ, नौजवान, कि ऊ हमर झोंटा पकड़के तीरऽ हइ", एक तुरी फेर लोग के खी-खी सुनके ऊ विशेष मर्यादा के साथ एलान कइलकइ), "लेकिन, भगमान, अगर ऊ खाली एक तुरी ... लेकिन नयँ ! नयँ ! ई सब कुछ बेकार हइ, आउ बात कइला से कोय फयदा नयँ ! बात कइला से कोय फयदा नयँ ! ... काहेकि एक तुरी नयँ, कइएक तुरी हमर इच्छा के अनुसार होल, आउ कइएक तुरी हमरा पर तरस खाल गेल, लेकिन ... हमर किस्मते अइसन हकइ, आउ हम हकिअइ जन्मजात जानवर !"

"सही कहऽ हीं !" मालिक जम्हाई लेते टिप्पणी कइलकइ ।
मरमेलादोव जोर से टेबुल पर मुक्का मालकइ ।

"हमर किस्मते अइसन हकइ ! जानऽ हथिन, जानऽ हथिन, महोदय, कि हम ओकर लमका मोजा तक बेचके पी गेलिअइ ? ओकर बश्माक [10] नयँ, जी, काहेकि ई कमोबेश ओतना बेजाय नयँ होते हल, बल्कि ओकर लमका मोजा, ओकर लमका मोजा बेचके पी गेलिअइ, जी ! बकरा के रोआँ के ओकर ओढ़नियो के बेचके पी गेलिअइ, जे ओकरा पहिले तोहफा में मिलले हल, ओकर अप्पन हलइ, हम्मर नयँ ; आउ हमन्हीं एगो ठंढगर कोठरी में ठिठुरके रहऽ हिअइ, आउ ई ठंढी के समय में ओकरा सर्दी पकड़ लेलकइ आउ खोंखे लगले ह, खूनो निकसऽ हइ । हमन्हीं के तीन गो बुतरू हकइ, आउ कतेरिना इवानोव्ना सुबह से रात तक काम में लगल रहऽ हइ; ऊ झाड़ू-बुहारू करऽ हइ, कपड़ा धोवऽ हइ आउ बुतरुअन के नहलावऽ-धोलावऽ हइ, काहेकि ओकरा बचपने से सफाय के आदत रहले ह, लेकिन ओकर सीना कमजोर हइ आउ तपेदिक के डर लगल रहऽ हइ, आउ ई सब हम अनुभव करऽ हिअइ । की अपने के लगऽ हइ कि हम ई सब नयँ अनुभव करऽ हिअइ ? आउ जेतने जादे हम पीयऽ हकूँ, ओतने जादे अनुभव करऽ हूँ । हम पीवो करऽ ही ई लगी कि पीए से हम सहानुभूति आउ संवेदना खोजऽ ही । खुशी नयँ, बल्कि खाली तकलीफ ढूँढ़ऽ ही ... पीयऽ ही, काहेकि खास करके हम कष्ट झेले ल चाहऽ ही !" आउ मानूँ विषाद में टेबुल पर ऊ अपन सिर टिका देलकइ ।

"नौजवान", ऊ फेर सिर उठाके बोलना चालू कइलकइ, "अपने के चेहरा पर हमरा, मानूँ, कोय तकलीफ के झलक देखाय दे हइ । जइसीं अपने अन्दर अइलथिन, तइसीं हम ई पढ़ लेलिअइ, आउ ओहे से तखनिएँ अपने के संबोधित कइलिअइ । काहेकि, अपन जिनगी के कहानी अपने सामने खोलके ई निठल्ला लोग के सामने हम हँसी के पात्र बने लगी नयँ चाहऽ हिअइ, जेकरा सब कुछ पहिलहीं से मालूम हकइ, बल्कि एगो अइसन अदमी के ढूँढ़े खातिर जेकरा में सहानुभूति होवे आउ जे पढ़ल-लिखल होवे । त ई जान लेथिन कि हमर घरवली कुलीन वर्ग के प्रान्तीय संस्था में शिक्षा ग्रहण कइल हकइ आउ संस्था छोड़ते बखत गवर्नर आउ दोसर-दोसर हस्ती के सामने शाल-नृत्य [11] में भाग लेलके हल, जेकरा लगी ओकरा स्वर्ण पदक (मेडल) आउ प्रशस्ति-पत्र मिलले हल । मेडल ... खैर, मेडल तो बेच देवल गेलइ ... बहुत पहिलहीं ... हूँ ... प्रशस्ति-पत्र अभी तक ओकर सन्दूक में पड़ल हकइ, आउ बिलकुल हालहीं में ऊ मकान-मालकिन के एकरा देखइलके हल । आउ हलाँकि मकान-मालकिन से ओकरा हमेशे खटपट बनल रहऽ हइ, लेकिन तइयो ऊ केकरो सामने तो गौरवान्वित महसूस करे लगी चाहऽ हलइ आउ अपन पहिलौका खुशहाल दिन के बारे बतावे लगी चाहऽ हलइ । आउ हम ओकरा दोष नयँ दे हिअइ, दोष नयँ दे हिअइ, काहेकि एहे बित्तल खुशी के दिन के आदे ओकरा पास रह गेले ह, बाकी सब कुछ तो खाक में मिल गेलइ ! हाँ, हाँ, ऊ एगो उत्साही, अभिमानी आउ केकरो आगे सिर नयँ झुकावे वली महिला हकइ । ऊ फर्श के खुद्दे साफ करऽ हइ आउ कार रोटी पर जीयऽ हइ, लेकिन केकरो से अपमान सहन नयँ करे वली । ओहे से श्रीमान लेबेज़ियातनिकोव के अपमानजनक व्यवहार के ऊ उपेक्षा नयँ कर पइलकइ, आउ जब एकरा खातिर श्रीमान लेबेज़ियातनिकोव ओकरा पिटलका, त पिटाय से तो ओतना नयँ, लेकिन भावना पर ठेस पहुँचे के चलते ऊ खाट पकड़ लेलकइ । जब हम ओकरा से बियाह कइलिए हल, त ऊ एगो विधवा हलइ, तीन गो बुतरू के माय, तीनो एक से एक छोटगर । ऊ अपन पहिला पति से प्रेम-विवाह कइलके हल, जे पैदल सेना में एगो अफसर हलइ, आउ ओकरा साथे अपन बाप के घर से भाग गेले हल । ऊ अपन पति से बहुत प्यार करऽ हलइ, लेकिन ओकर पति के ताश (जूआ) खेले के लत पड़ गेलइ, आउ ओकरा कोर्ट जाय पड़लइ, आउ ओकरे चलते मर गेलइ । अन्तिम बखत ऊ ओकरा मार-पीट करे लगले हल; आ ओहो ओकरा नयँ छोड़ऽ हलइ, जेकरा बारे हमरा पक्का विश्वास हकइ आउ दस्तावेज से मालूम पड़ऽ हइ, लेकिन ऊ अभी तक ओकरा आद करऽ हइ त ओकर आँख में लोर आ जा हइ आउ ओकरा हमरा सामने प्रस्तुत करके ताना मारऽ हइ, आउ हमरा खुशी होवऽ हइ, हमरा खुशी होवऽ हइ, काहेकि कल्पने में सही, लेकिन ऊ ई तो देखऽ हइ कि कभी ओकर जिनगी खुशहाल हलइ । आउ ओकर मौत के बाद ऊ दूर-दराज के एगो बीहड़ जिला में तीन गो छोटगर-छोटगर बुतरू के साथ रह गेलइ, जाहाँ ऊ बखत हमहूँ हलिअइ, आउ ऊ अइसन घोर गरीबी में जिनगी गुजार रहले हल कि हम हर तरह के बहुत सारा उतार-चढ़ाव देखला के बावजूद हम ओकर वर्णन करे के हालत में नयँ हकिअइ । ओकर सब्भे रिश्तेदार ओकरा त्याग देलके हल । लेकिन ऊ अभिमानी हलइ, बहुत जादे अभिमानी ... आउ ऊ बखत आदरणीय महोदय, ऊ बखत हमहूँ विधुर हलिअइ, आउ पहिली घरवली से एगो चौदह साल के बेटी हलइ । हम ओकरा सामने बियाह के प्रस्ताव रखलिअइ, काहेकि हमरा से ओकर दयनीय हालत देखल नयँ पार लगऽ हल । अपने अंदाजा लगा सकऽ हथिन के केतना हद तक के गरीबी से ऊ गुजर रहले हल कि अइसन पढ़ल-लिखल, एतना अच्छा लालन-पालन होल, आउ नामी घराना के महिला हमरा से बियाह करे लगी तैयार हो गेलइ ! लेकिन बियाह तो कइलकइ ! रोते-सिसकते आउ हाथ मलते ऊ हमरा से बियाह तो कर लेलकइ ! काहेकि आउ कहीं जाय के कोय ठेकाना नयँ हलइ । समझऽ हथिन, की अपने समझऽ हथिन, आदरणीय महोदय, कि कीऽ मतलब होवऽ हइ, जब आउ कहीं जाय के कोय ठेकाना नयँ होवऽ हइ ? नयँ ! ई अपने के अभी तक नयँ समझ में आवऽ हइ ... आउ पूरे एक बरस तक हम निष्ठा से आउ धर्म समझके अपन कर्तव्य के पूरा कइलिअइ आउ एकरा हम बिलकुल नयँ छूलिअइ (आउ ऊ अँगुरिया से आधा श्तोफ़ [12] के बोतल के ठकठकइलकइ), काहेकि हम भावुक हकूँ । तइयो हम ओकरा खुश नयँ कर पइलूँ, आउ तब हमर नौकरियो छूट गेल, आउ ओहो हमर कोय गलती के चलते नयँ, बल्कि स्टाफ के हेर-फेर के कारण, आउ तब हम एकर स्पर्श कइलूँ ! ... भटकते-उटकते आउ कइएक मुसीबत झेलते हमन्हीं के आखिर ई शानदार आउ कइएक स्मारक से सज्जल-धज्जल रजधानी में पहुँचल अब डेढ़ साल हो जइतइ । आउ हियों हमरा एगो नौकरी मिल गेल ... मिल्लल आउ फेर छूट गेल । समझऽ हथिन जी ? अबरी अपन गलती के चलते नौकरी खो देलूँ, काहेकि हमर कमजोरी उभरके आ गेल हल ... हमन्हीं अभी मकान-मालकिन अमालिया फ्योदोरोव्ना लिप्पेवेख़ज़ेल के एक कोठरी के कोना [13] में रहऽ हिअइ, आउ हमन्हीं कइसे रहऽ हिअइ आउ कइसे किराया चुकावऽ हिअइ, ई हम नयँ जानऽ ही । हमन्हीं के अलावे हुआँ आउ कइएक अदमी रहऽ हइ ... पूरा शोर-गुल जी, बिलकुल अराजकता ... हूँ ... हाँ ... आउ एहे बीच पहिलौकी घरवली से पैदा होल हमर बिटिया बड़ हो गेलइ, आउ बड़ होते खनी ओकरा अपन सतेली मइया से की कुछ सहे पड़लइ, ई सब के बारे हमरा चुप्पे रहना बेहतर हइ । काहेकि हलाँकि कतेरिना इवानोव्ना दिल के उदार हइ, लेकिन ऊ गरम मिजाज के आउ चिड़चिड़ा स्वभाव के हइ, आउ गोस्सा तो मानूँ ओकर नकिए पर चढ़ल रहऽ हइ, गोस्सा से मानूँ चेहरा नोच लेतइ ... जी हाँ ! ऊ सब आद कइला से कोय फयदा नयँ ! जइसन कि अपने अंदाज लगा सकऽ हथिन, सोनिया के पढ़ाय-लिखाय नयँ हो पइलइ । हम कोय चार साल पहिले ओकरा भूगोल आउ दुनिया के इतिहास पढ़ावे के कोशिश कइलिअइ, लेकिन चूँकि हमरा खुद्दे ई सब विषय के ज्ञान कम हलइ, आउ ढंग के किताबो नयँ हलइ, काहेकि जे कुछ किताब हलइ ... हूँ ... आउ ओहो अभी नयँ रहलइ, त लिक्खे-पढ़े के बाते समाप्त हो गेलइ । हम सब फारस के बादशाह साइरस [14] तक पहुँच के रुक गेलिअइ । बाद में, ऊ जवान हो चुकलइ, त कुछ रोमांटिक पुस्तक पढ़लकइ, आउ कुछ समय पहिले, लेबेज़ियातनिकोव के माध्यम से, एक आउ किताब - ल्यूइस के "Physiology" (शरीरविज्ञान) [15], अपने तो, जी, जानऽ होथिन ई किताब के बारे ? - ऊ एकरा बड़ी रुचि लेके एकरा पढ़ले हल आउ हमन्हीं के एकर कुछ हिस्सा जोर से पढ़के सुनइवो कइलके हल - बस एतने हकइ ओकर कुल पढ़ाय । अब आदरणीय महोदय, अपने के अपन एगो निजी प्रश्न के साथ संबोधित कर रहलिए ह - अपने के विचार में, की एगो गरीब, लेकिन ईमनदार लड़की अपन ईमनदारी के मेहनत से बहुत कमा सकऽ हइ ? एक दिन में पनरहो कोपेक, महोदय, नयँ कमा पइतइ, ओहो बिना एक्को पल जिरइले, अगर ईमनदार हइ आउ कोय विशेष प्रतिभा (हुनर) नयँ हइ । एतने नयँ, सिविल काउंसेलर [16] इवान इवानोविच क्लोपश्तोक - ई नाम शायद अपने सुनलथिन होत ? - नयँ खाली आधा दर्जन हालैंड शर्ट बनावे खातिर ओकरा अभी तक पइसा नयँ चुकइलका ह, बल्कि अपमान करके ओकरा भगाइयो देलका, अपन गोड़ पटकते आउ गरिअइते, ई बहाना बनाके कि शर्ट के कालर नाप के मोताबिक नयँ हउ आउ टेढ़ा लगल हउ । आउ हियाँ पिलुअन (छोट्टे-छोट्टे गो बुतरुअन) भुक्खल ... आउ एन्ने कतेरिना इवानोव्ना, अपन हाथ ऐंठते, कमरा में चक्कर लगा रहल ह, आउ ओकर गाल तमतमाल, जइसन कि अइसन बेमारी में हमेशे हो जा हइ - "हमरा हीं रहऽ हँ", ऊ बोलऽ हइ, "हरामखोर कहीं के, खा हँ आउ पीयऽ हँ आउ गरम कमरा के मजा उठावऽ हँ ।" आ हियाँ खाय-पीये के की रक्खल हइ, जबकि पिलुअनो तीन-तीन दिन तक एक कोना रोटी तक नयँ देख पावऽ हइ ! ऊ बखत हम पड़ल हलिअइ ... ओकरा से की होवऽ हइ ! हम दारू के निसा में धुत्त हलिअइ जी, आउ सोनिया के बोलते सुन्नऽ हिअइ (ऊ जल्दी मुँह नयँ खोलऽ हइ, आउ ओकर गला के अवाज बहुत कोमल आउ मधुर हइ ... सुन्नर बाल वली, चेहरा हमेशे पीयर-पीयर आउ दुब्बर) । बोलऽ हइ - "की कतेरिना इवानोव्ना, की वास्तव में हमरा अइसन काम करे के चाही ?" आउ दार्या फ्रांत्सोव्ना जइसन बदचलन औरत, जेकरा पुलिस अच्छा से जानऽ हइ, दु-तीन तुरी पहिलहूँ मकान-मालकिन से भेंट कइलके हल । कतेरिना इवानोव्ना व्यंग्यपूर्वक उत्तर दे हइ, "त एकरा में हरजे की हकउ ? एकरा में बचा के रक्खे लगी कउची हकउ ? कोय खजाना ?" लेकिन ओकरा दोष नयँ देथिन, दोष नयँ देथिन, आदरणीय महोदय, दोष नयँ देथिन ! जे बखत ऊ ई सब बात बोललइ, ऊ अपन आपा में नयँ हलइ, आउ चिंतित भावुक अवस्था में, बेमारी के हालत में आउ जब भुक्खल बुतरुअन कन्नब करऽ हलइ, आउ ई सब ओकर मुँह से निकल गेलइ खाली ओकरा अपमानित करे खातिर, न कि कोय पक्का अर्थ में ... काहेकि कतेरिना इवानोव्ना के ई स्वभाव हइ, आउ जइसीं बुतरुअन कन्ने लगऽ हइ, चाहे भुक्खल रहे के चलते काहे नयँ होवे, ओइसीं ओकन्हीं के धुन्ने लगी चालू कर दे हइ । आउ देखऽ हूँ कि एहे कोय छे बजे, सोनेच्का (सोनिया) उठलइ, बुर्नूस [17] पेन्हलकइ आउ घर से रवाना हो गेलइ, आउ नो बजे वापिस आ गेलइ । अइलइ, आउ सीधे कतेरिना इवानोव्ना बिजुन चल गेलइ, आउ ओकर सामने के टेबुल पर चुपचाप चानी के तीस रूबल रख देलकइ । ओकर मुँह से एक्को वकार नयँ निकसलकइ, ओकरा तरफ देखवो तक नयँ कइलकइ, ऊ खाली हमर बड़का द्रा-द-दाम शाल लेलकइ (हमन्हीं सब खातिर एगो ओइसन शाल हइ - द्रा-द-दाम), आउ ओकरा से पूरा सिर आउ चेहरा ढँक लेलकइ आउ बिछौना पर पड़ गेलइ, चेहरा देवलिया तरफ करके, आउ ओकर कन्हा आउ समुच्चे देह कँप रहले हल ... आउ हम पहिले जइसन, ओइसीं पड़ल रहलिअइ जी ... आउ ऊ बखत हम देखलिअइ, नौजवान, हम देखलिअइ, कि कइसे बाद में कतेरिना इवानोव्ना, ओइसीं बिना कुछ बोलले, सोनेच्का (सोनिया) के बिछौनमा भिर गेलइ आउ पूरे साँझ तलुक अपन टेहुना के बल ओकर गोड़वा तर रहलइ, ओकर गोड़वा के चूमते रहलइ, उट्ठे के ओकरा मन नयँ करऽ हलइ, आउ बाद में ओइसीं दुनहूँ साथे सुत गेलइ, एक दोसरा से लिपटल ... दुनहूँ ... दुनहूँ ... जी, हाँ ... आउ हम ... निसा में धुत्त पड़ल रहलिअइ ।

मरमेलादोव अचानक चुप हो गेलइ, मानूँ ऊ बोल नयँ पा रहले हल । फेर अचानक फुरती-फुरती दारू ढरलकइ, पी गेलइ आउ गड़गड़ाके अपन गला साफ कइलकइ ।

"ऊ बखत से, महोदय," कुछ देर चुप रहला के बाद ऊ बात आगे बढ़इलकइ, "ऊ बखत से, एक अप्रिय घटना घट गेला से आउ कुछ बुरा चाहे वलन के कान भरे के चलते - जेकरा में खास करके भाग लेलकइ दार्या फ्रांत्सोव्ना, जेकर बहाना ई हलइ कि ओकरा यथोचित आदर नयँ देल गेलइ, - ऊ बखत से हमर बेटी, सोफिया सेम्योनोव्ना, के लचारी में पीला पास [7] लेवे परलइ, आउ अइसन हालत में ऊ हमन्हीं के साथ नयँ रह पइलइ । काहेकि मकान-मालकिन अमालिया फ्योदोरोव्ना भी ई मामला में माने लगी नयँ चाहऽ हलइ (जबकि ऊ खुद्दे दार्या फ्रांत्सोव्ना के बढ़ावा देलके हल), आउ श्रीमान लेबेज़ियातनिकोव भी ... हूँ ... सोनिये के चलते तो ओकरा आउ कतेरिना इवानोव्ना के बीच ई सब बखेड़ा होलइ । पहिले तो ऊ खुद सोनेच्का (सोनिया) पर डोरा डाल रहले हल, आउ अब अचानक ओकर दिमाग में रुतबा के खियाल घुस गेलइ आउ बोललइ, "हुँह, हम एतना पढ़ल-लिखल व्यक्ति होके, की अइसनका के साथ एक्के बिल्डिंग में रहम ?" आउ कतेरिना इवानोव्ना के ई बात नयँ बरदास होलइ, ऊ बीच में दखल देलकइ ... त ई हलइ सारा खिस्सा ... आउ सोनेच्का (सोनिया) जब कभी हमरा हीं आवऽ हइ त अन्हेरा हो गेला के बाद, आउ कतेरिना इवानोव्ना के हौसला दे हइ, आउ जे कुछ बन पड़ऽ हइ, दे जा हइ । ऊ दर्जी कापेरनाउमोव के घर में रहऽ हइ, एगो कमरा किराया पर लेलके ह । कापेरनाउमोव लांगड़ हकइ आउ बोले में हकला हइ, ओकर लमगर परिवार में सब्भे कोय हकला हइ । आउ ओकर घरोवली हकला हइ ... सब कोय एक्के कमरा में रहते जा हइ, लेकिन सोनिया के कमरा खास अपना लगी हकइ, जे आड़ लगाके बनावल गेले ह ... ऊँ, हाँ ... लोग बहुत गरीब आउ हकलाय वला ... हाँ ... जी, ऊ बखत हम सुबहे उठलिअइ, अपन फट्टल-चिट्टल कपड़ा पेन्हलिअइ, अपन हाथ असमान तरफ उपरे कइलिअइ आउ तत्रभवान् (हिज़ एक्सेलेंसी) इवान अफ़ानास्येविच किहाँ रवाना हो गेलिअइ । तत्रभवान् इवान अफ़ानास्येविच के तो जानऽ होथिन ? ... नयँ ? त अपने एगो भगमान नियन अदमी के नयँ जानऽ हथिन ! ऊ मोम हथिन ... भगमान के चेहरा के सामने बिलकुल मोम; मोम के तरह पिघलियो जा हथिन ! [18] ... हमर सब बात सुनके उनकर आँख डबडबा गेलइ । "मरमेलादोव", ऊ बोलऽ हका, "तूँ एक तुरी हमर उमीद पर पानी फेर चुकलँऽ हँ ... हम तोरा एक तुरी आउ अपन जिमेवारी पर रख ले हिअउ ।" एहे शब्द हलइ उनकर । "आद रखिहँऽ", ऊ बोलऽ हका, "आउ अब तूँ जा सकऽ हँ !" हम उनकर गोड़ के धूरी के चूम लेलिअइ, मने मन, काहेकि वास्तव में ऊ अइसे करे के अनुमति नयँ देथिन हल, काहेकि ऊ राजनेता हथिन आउ आधुनिक राजनीतिक आउ प्रगतिशील विचार के व्यक्ति हथिन । हम घर वापिस चल अइलिअइ, आउ जइसीं हम बतइलिअइ कि हमरा नौकरी पर फेर से रख लेल गेल ह आउ वेतन मिल्लत, ओइसीं खुशी के नजारा देखते बनऽ हलइ ! ...

मरमेलादोव फेर बहुत उत्तेजित होके रुक गेलइ । एहे बखत सड़क पर से पियक्कड़ लोग के एगो पूरा दल घुसलइ, जे सब पहिलहीं से पीयल हलइ, प्रवेशद्वार पर किराया पर लेल एगो बैरल-ऑर्गन के अवाज सुनाय पड़े लगलइ आउ सात साल के एगो बुतरू के कर्कश अवाज, जे रूसी कवि कोल्त्सोव के रचल गीत "छोटका गाँव" [19] गा रहले हल । शोर-गुल मच गेलइ । कलाली के मालिक आउ नौकरवन नयकन ग्राहक के साथ फँस गेते गेलइ । मरमेलादोव अभी-अभी घुस्सल आगन्तुक सब पर बिना कोय ध्यान देले अपन कहानी जारी रखलकइ । लग रहले हल कि ऊ बहुत कमजोर हो चुकले हल, लेकिन जेतने जादे पीयऽ हलइ, ओतने जादे बातूनी होल जा हलइ । हालहीं में नौकरी पावे में सफलता के अदगारी मानूँ ओकरा में एगो नयका जान डाल देलके हल, जे ओकर चेहरा पर के एक प्रकार के चमक से साफ पता चल रहले हल । रस्कोलनिकोव ध्यान लगाके सुनते रहलइ । "ई कोय पाँच सप्ताह पहिले के बात हइ, महोदय । हाँ ... कतेरिना इवानोव्ना आउ सोनेच्का (सोनिया) के जइसीं पता चललइ, हे भगमान, हमरा तो लगलइ कि हम स्वर्ग में पहुँच गेलूँ हँ ! पहिले अइसन होवऽ हलइ - जानवर नियन पड़ल रह, खाली गाली सुन ! आउ अब - दबे पाँव चलते जा हइ, बुतरुअन के चुप करावऽ हइ - "सिम्योन ज़ख़ारिच दफ्तर में काम करते-करते थक्कल हथिन, अराम कर रहलथिन हँ, श्श !" हमरा काम पर जाय से पहिले हमरा लगी कॉफ़ी बनाके देते जा हलइ, क्रीम उबालके दे हलइ ! हमरा लगी कहीं से असली क्रीम लावे लगलइ, सुन्नऽ हथिन ! आउ काहाँ से ओकन्हीं हमरा लगी ढंग के कपड़ा खातिर एगारह रूबल पचास कोपेक जुटइलकइ, हमरा समझ में नयँ आवऽ हके ! बूट, बेहतरीन सूती मनिश्का [3], वरदी - जी, सब कुछ साढ़े एगारह रूबल में एकदम से शानदार रूप में जुटइते गेलइ । पहिला दिन जब हम सुबह के दफ्तर के काम से घर अइलूँ, त देखऽ हूँ - कतेरिना इवानोव्ना दू-दू कोर्स के खाना तैयार कइलक ह, शोरबा (सूप) आउ मुरय के साथ निमक से परिरक्षित मांस (salt meat/ corned meat) [20], जेकर हम अभी तक कल्पनो नयँ कइलूँ हल । ओकरा ढंग के पोशाक तो नयँ हइ ... मतलब बिलकुल नयँ, जी, लेकिन हियाँ तो ऊ पक्का अइसन सज-सँवर गेलइ मानूँ कउनो पार्टी में जा रहल ह, अइसन बात नयँ हइ कि सज्जे-सँवरे के सरो-समान हलइ, बल्कि बिना कुछ रहलो ओकरा सज्जे-सँवरे के कला मालूम हइ - बाल अच्छा से झरलकइ, साफ-सुथरा कालर लगइलकइ, आस्तीन के सिरा पर कफ लगइलकइ, आउ बस बिलकुल विशेष व्यक्ति के रूप में बाहर निकसलइ, पहिले से जादे जवान आउ जादे खुबसूरत । सोनेच्का, हमर प्यारी बच्ची, खाली पइसा से मदत करऽ हल, आउ कहलक हल, "खुद अभी तो तोहरा पास अकसर आके मिलना अच्छा नयँ, हाँ अइसे अन्हेरा होला पर जबकि कोय देख नयँ सकइ ।" सुनऽ हथिन, सुनऽ हथिन ? खाना खाय के बाद हम झपकी लेवे खातिर अइलूँ, फेर की होलइ, जानऽ हथिन ? कतेरिना इवानोव्ना से बरदास नयँ होलइ - एक्के सप्ताह पहिले मकान-मालकिन अमालिया फ़्योदोरोव्ना के साथ कसके झगड़ा होले हल, आउ तइयो ऊ एक कप कॉफ़ी पीये लगी बोलइलकइ । दू घंटा ओकन्हीं बइठते गेलइ आउ आपस में खुसुर-फुसुर करते रहलइ । ऊ बोललइ - "सेम्योन ज़ख़ारिच के फेर नौकरी लग गेले ह आउ वेतन पावऽ हका, आउ ऊ तत्रभवान के पास खुद्दे गेला हल, आउ तत्रभवान् खुद बाहर अइलथिन, बाकी सब कोय के इंतज़ार करे ल कहलथिन, आउ सेम्योन ज़ख़ारिच के हाथ पकड़के सबके सामने से होते ऊ अपन काम करे के कमरा में ले गेलथिन हल ।" सुनऽ हथिन, सुनऽ हथिन ? "हमरा बिलकुल", ऊ बोलऽ हथिन, "सेम्योन ज़ख़ारिच, तोहर पिछलउका सेवा के देखते, आउ ऊ नदानी के कमजोरी के झुकाव के बावजूद, चूँकि तूँ अब वादा करऽ ह, आउ एकर अलावे चूँकि तोहरा बिना हमर काम ठीक से नयँ चल रहल ह" (सुनऽ हथिन, सुनऽ हथिन !), "ओहे से", ऊ बोलऽ हथिन, "अब जे तूँ एगो शरीफ अदमी नियन वादा कर रहलऽ ह, ओकरा पर हम भरोसा करऽ हियो ।" मतलब कि ई सब कुछ, हम अपने के बतावऽ हिअइ, ऊ अपने से सोचलके आउ गढ़लके हल, आउ सिर्फ नदानी से नयँ, सिर्फ डींग हाँके लगी नयँ, जी ! जी, नयँ, ओकरा ई सब कुछ में विश्वास हइ, ओकरा कल्पना के दुनिया में सैर करे में मजा आवऽ हइ, भगमान कसम, जी ! आउ एकरा लगी हम ओकरा दोष नयँ दे हिअइ, दोष नयँ दे हिअइ ! ... एहे जब छे दिन पहिले हम पहिला वेतन पूरा के पूरा लाके देलिअइ, कुल तेइस रूबल चालीस कोपेक, त हमरा ऊ प्यार से "प्यारे बच्चे !" कहके हमरा पुकरलकइ - "प्यारे बच्चे", ऊ बोललइ, "हम्मर प्यारे !" आउ जब खाली हमन्हीं दुन्नु हुआँ हलिअइ, जी, समझलथिन न ? लेकिन हमरा में कइसन सुन्दरता हइ, आउ हम कइसन पति हकिअइ, ई तो अपने समझ सकऽ हथिन न ? लेकिन, नयँ, ऊ हमर गाल पर चुट्टी कटलकइ आउ बोललइ - "केतना प्यारा बच्चा !"

मरमेलादोव बात करते-करते रुक गेलइ, मुस्काय लगी चहलकइ, लेकिन अचानक ओकर ठुड्डी फड़के लगलइ । लेकिन ऊ कउनो तरह से खुद के सम्हललकइ । ई कलाली, ऊ अदमी के खराब हालत, पोवार के नाय पर पाँच रात गुजारना, आउ आधा लीटर दारू, तइयो अपन बीवी आउ परिवार खातिर ई दरद भरल प्यार ओकर श्रोता के हक्का-बक्का कर देलकइ । रस्कोलनिकोव बड़ी ध्यान से सुन रहले हल, लेकिन बेचैनी अनुभव करब करऽ हलइ । ओकरा ई बात के चिढ़ हो रहले हल कि हम कने से कने हियाँ आ गेलूँ ।

"आदरणीय महोदय, आदरणीय महोदय !" मरमेलादोव खुद के सम्हालके उँचगर अवाज में बोललइ, "महोदय ! अपने के शायद ई सब कुछ हँसी के बात लग सकऽ हइ, जइसन कि आउ दोसर सब लगी, आउ हम अप्पन घरेलू जिनगी के ई छोट-मोट बात के विस्तृत विवरण देके अपने के हम खाली परेशान कर रहलिए ह, लेकिन हमरा लगी ई हँस्सी के बात नयँ हकइ ! काहेकि ई सब कुछ के हम अनुभव कर सकऽ हिअइ । आउ हमर जिनगी के ऊ सब सुनहरा दिन आउ ऊ सब शाम के दौरान हम एहे उड़ान भरते सपना बुनते रहऽ हलूँ कि कइसे हम सब चीज के बन्दोबस्त करम आउ बुतरुअन लगी अच्छा-अच्छा कपड़ा लाम, आउ अपन घरवली के अराम के मौका देम, आउ अपन सगी बेटी के बेइज्जती से उबारके परिवार के दिल में बसाम ... आउ एहे तरह के ढेर सारा बात ... ई सब अनुमान लगावल जा सकऽ हइ, महोदय । अच्छऽ, त महोदय (मरमेलादोव अचानक मानूँ चौंक पड़लइ, अपन सिर उठइलकइ आउ अपन श्रोता के आँख में आँख डालके देखे लगलइ), महोदय, आ दोसरे दिन, ई सब सपना के बाद (मतलब ठीक पाँच दिन पहिले), साँझ के, हम एगो चलाकी से तिकड़म भिड़ाके, रात में चोर के जइसन, कतेरिना इवानोव्ना के सन्दूक के कुंजी उड़ा लेलिअइ, आउ हमर लावल तनख्वाह में से जे कुछ बचले हल, कुल केतना हलइ हमरा अभी आद नयँ, ऊ सब्भे हम निकास लेलिअइ, आउ इकी श्रीमान, देखते जाथिन हमरा, अपने सब्भे ! हमरा घर छोड़ला आझ पचमा दिन हो गेलइ, आउ हुआँ हमरा सब खोज रहले होत, आउ नौकरी तो हमर खतमे हइ, आउ हमर वरदी एजिप्ट पुल (Egyptian Bridge) के पास के शराबखाना में पड़ल हइ, ओकरा बदले में हम ई कपड़ा लेलिए हल, जे अभी पेन्हले हकिअइ ... आउ एकरे साथ सब कुछ समाप्त हो गेलइ !"

मरमेलादोव मुक्का से अपन निरार पर प्रहार कइलकइ, दाँत पिसलकइ, आँख बन कर लेलकइ आउ केहुनी के भार पर अपन सिर टिका देलकइ । लेकिन कुछ पल के बाद ओकर चेहरा अचानक बदल गेलइ, आउ कुछ बनावटी चलाकी आउ देखावटी ढिठई के साथ एक नजर रस्कोलनिकोव पर डललकइ, हँस पड़लइ आउ बोललइ -
"आझ हम सोनिया के पास गेलिए हल, अपन तलब [21] मेटाबे खातिर कुछ पइसा माँगे लगी ! हि-हि-हि !"

"त की वास्तव में देलकउ ?" बाहर से अभी-अभी आवे वलन में से कोय जोर से चिल्लाके बोललइ, चिल्लइलइ आउ ठहाका मारके हँस पड़लइ ।

"ई आधा लीटर के बोतल ओकरे पइसा से खरीदल हकइ", मरमेलादोव खास करके रस्कोलनिकोव के संबोधित करते बोललइ । “ऊ तीस कोपेक निकास के हमरा देलके हल, अपन हाथ से, ओकरा पास जे कुछ हलइ से सब, हम खुद देखलिए हल ... ऊ कुछ नयँ बोललइ, खाली चुपचाप हमरा तरफ देखते रहलइ ... ई तरह धरती पर नयँ, बल्कि हुआँ ... लोग के बारे में दुखी होल जा हइ, रोवल जा हइ, लेकिन दोष नयँ देल जा हइ, दोष नयँ देल जा हइ ! लेकिन एकरा से जादे तकलीफ होवऽ हइ, जादे तकलीफ होवऽ हइ, जब दोष नयँ देल जा हइ ! ... तीस कोपेक, जी हाँ । हो सकऽ हइ कि ओकरे अभी एकर जरूरत होतइ, की ? अपने की सोचऽ हथिन, प्रिय महोदय ? काहेकि ओकरा बड़ी बनाव-सिंगार से रहे पड़ऽ हइ । आउ ई सब खास तरह के बनाव-सिंगार में पइसा लगऽ हइ, समझऽ हथिन ?  समझऽ हथिन ? आउ हुआँ पाउडर-क्रीम भी तो खरदे के चाही, ओकरा बेगैर तो काम चल्ले वला नयँ जी; कलफदार साया, जुत्ती अइसन जादे फैशनदार कि कीचड़ वला कोय गड्ढा पार करे परइ त ओकर पाँव देखाय देय । समझऽ हथिन श्रीमान, ई बनाव-सिंगार के की मतलब होवऽ हइ ? आउ श्रीमान हम हकिअइ सगा बाप, जे तीस कोपेक ओकरा हीं से ले लेलिअइ अपन तलब मेटावे खातिर ! आउ श्रीमान हम पीइयो रहलिए ह ! आउ श्रीमान पीवो कइलिए ह ! ... त हमरा नियन पर केकरा तरस अइतइ ? अयँ ? अपने के हमरा पर तरस आवऽ हइ, श्रीमान, कि नयँ ? बोलथिन, श्रीमान, हाँ कि नयँ ? हि-हि-हि !”

ऊ आउ दारू ढार लेते हल, लेकिन अब आउ कुछ बचवे नयँ कइले हल । बोतल खाली हो चुकले हल ।

"तोहरा पर काहे लगी कोय तरस खइतउ ?" कलाली के मालिक चिल्लइलइ, जे ओकन्हीं के पास फेर चल अइले हल ।

ठहाका सुनाय पड़लइ आउ गरियो । हँसी आउ गारी दुन्नु तरह के लोग के तरफ से आ रहले हल - सुन्ने वला से आउ नहियों सुन्ने वला से, जे खाली नौकरी से निकाल देल गेल ऊ किरानी के देख रहले हल ।

"तरस खाय ! काहे लगी हमरा पर लोग तरस खाय !" अचानक मरमेलादोव जोर से चिल्ला उठलइ, उठते आउ अपन हाथ आगे तरफ फइलइते, एक निश्चयात्मक उत्साह में, मानूँ ऊ अइसने टीका-टिप्पणी के प्रतीक्षा कर रहले हल । "काहे लगी तरस खाय, ई तोर कहना हइ न ? हाँ ! हमरा पर तरस बिलकुल नयँ खाल जाय के चाही ! हमरा शूली पर चढ़ा देवल चाही, क्रॉस पर शूली चढ़ा देल चाही, लेकिन तरस नयँ खाल जाय के चाही ! लेकिन इंसाफ करने वाले, हमरा शूली पर चढ़ा द, हमरा शूली पर चढ़ा द, आउ शूली पर चढ़ाके हमरा पर तरस खा ! आउ तब हम खुद शूली पर चढ़े लगी तोरा भिर आ जइबो, काहेकि हमरा खुशी नयँ चाही, बल्कि तकलीफ आउ आँसू ! ... ए दारू बेचे वला, की तूँ ई सोचऽ हीं कि ई तोर बोतल हमरा खुशी देलकइ ? तकलीफ, तकलीफ खोज रहलिए हल हम एकरा तले, तकलीफ आउ आँसू, जेकर हम सवाद लेलिअइ आउ खोजियो लेलिअइ; आउ हमन्हीं पर तरस खइतइ ऊ, जे सब पर तरस खइलके ह, सब कुछ समझलके ह, खाली ओहे, आउ ओहे इंसाफ करे वला हइ । ऊ दिन ऊ अइतइ आउ पुछतइ - "काहाँ हइ ऊ बेटी, जे बदमाश आउ तपेदिक (टीबी) से ग्रस्त सतेली मइया लगी, अनजान छोटगर-छोटगर बुतरुअन खातिर, अपन जिनगी कुर्बान कर देलकइ ? काहाँ हइ ऊ बेटी, जे अपन मरणशील, बेशरम पियक्कड़ बाप के दरिंदगी से बिना डरले ओकरा पर तरस खइलकइ ?" आउ कहतइ - "आ ! हम तोरा एक तुरी माफ कर चुकलियो ह ... तोरा एक तुरी माफ कर देलियो ह ... आउ अब तोर कइएक पाप के माफ कर देल जइतउ, काहेकि तूँ बहुत प्यार कइलँऽ हँ [22] ..." आउ ऊ हमर सोनिया के माफ कर देतइ, हमरा मालूम हइ कि माफ कर देतइ ... हम जब अभी ओकरा पास से होके अइलूँ, त हम दिल में अइसन अनुभव कर रहलूँ हल ! ... आउ ऊ इंसाफ करतइ आउ माफ कर देतइ - भला अदमी के आउ बदमाशो के, जे बुद्धिमान हइ ओकरो आउ जे नदान हइ ओकरो ... आउ जब ऊ सबके निबटा देतइ त हमन्हीं से कहे लगतइ - "अइते जा !", ऊ कहतइ, "आउ तोहन्हिंयों ! अइते जा पियक्कड़ लोग, अइते जा कमजोर सबन, अइते जा सब बेशरम लोग !" आउ हमन्हीं सब्भे आगे जइबइ, बिना कोय लाज-शरम के, आउ सामने खड़ी हो जइबइ । आउ ऊ कहतइ - "तोहन्हीं सब सूअर हकऽ ! जानवर के प्रतीक आउ ओकर साँचा में ढलल लोग हकऽ ! [23] तइयो तोहन्हिंयों अइते जा !" आउ बुद्धिमान लोग बोलतइ, समझदार लोग बोलतइ - "हे भगमान ! तूँ एकन्हीं सब के काहे लगी स्वागत कर रहलऽ ह ?" आउ तब ऊ कहतइ - "बुद्धिमान लोग, हम ओकन्हीं के ई गुनी स्वागत करब करऽ हिअइ, समझदार लोग, हम ओकन्हीं के ई गुनी स्वागत करब करऽ हिअइ, कि ओकन्हीं में से कउनो खुद के एकरा लगी लायक नयँ समझलकइ ..." आउ हमन्हीं तरफ ऊ अपन हाथ बढ़इतइ, आउ हमन्हीं ओकर गोड़ पर गिर पड़बइ ... आउ रोवे लगबइ ... आउ सब कुछ समझ जइबइ ! तब सब कुछ समझ में आ जइतइ ! ... आउ सब कोय समझ जइतइ ... कतेरिना इवानोव्ना ... ओहो समझ जइतइ ... हे भगमान, तोर राज्य आवे ! [24]"

आउ ऊ बिलकुल थकके चूर आउ कमजोर होल, केकरो तरफ बिना देखले, मानूँ अपन आसपास के वातावरण से बिलकुल बेखबर आउ गहरा सोच में बेंच पर बइठ गेलइ । ओकर शब्द के असर होले हल, कुछ पल खातिर खामोशी छाल रहलइ, लेकिन जल्दीए पहिलउका हँसी आउ गारी सुनाय देवे लगलइ -
"ई एक्कर सोच हकइ !"
"झूठ के पुल बन्हलकइ !"
"नौकरशाह जे हइ !"
वगैरह-वगैरह ।

"चलल जाय, श्रीमान", मरमेलादोव अचानक बोललइ, अपन सिर उठाके आउ रस्कोलनिकोव के संबोधित करते, "चलथिन हमरा साथ ... कोज़ेल के घर, अहाता के अंदर वला । समय हो गेले ह ... कतेरिना इवानोव्ना के पास ... ।" रस्कोलनिकोव के बहुत पहिलहीं से उठके चल जाय के मन कर रहले हल आउ ओकर मदत करे के विचार खुद्दे ओकर दिमाग में आ रहले हल । मरमेलादोव बोली के अपेक्षा गोड़ से बहुत जादहीं कमजोर लगब करऽ हलइ, आउ नौजवान के जोर से पकड़के सहारा लेले हलइ । जाय के खाली दुइए-तीन सो कदम हलइ । जइसे जइसे घरवा नगीच आ रहले हल, ओइसे ओइसे ऊ पियक्कड़ के संकोच आउ भय जादे सता रहले हल ।

"अब हमरा कतेरिना इवानोव्ना के डर नयँ हके", चिंता में ऊ बड़बड़इलइ, "आउ ई बात के नयँ कि ऊ हमर बाल नोचे लगत । बलिया के की चिंता ! ... भाड़ में जाय बाल ! ई हम कह रहलूँ हँ ! बल्कि ई बेहतर होत कि ऊ हमर बाल नोचे लगे, हमरा ई बात के भय नयँ हके ... हम ... हमरा भय लगऽ हके ओकर आँख से ... हाँ ... आँख ... ओकर गाल पर के लाल पित्ती से हमरा डर लगऽ हके ... आउ - ओकर साँस से भय लगऽ हके ... ।" कभी देखलऽ ह, कि कइसे अइसन बेमारी से ग्रस्त लोग साँस ले हइ ... व्याकुल अवस्था में ? बुतरुअन के कन्ना-रोहट से भी भय हके ... काहेकि अगर सोनिया ओकन्हीं के नयँ खिलइलके होत, त ... नयँ मालूम की होले होत ! नयँ मालूम ! आ घुस्सा-मुक्का से नयँ डरऽ हूँ ... ई जान लेथिन श्रीमान, कि हमरा ओइसन घुस्सा से नयँ खाली हमरा नयँ तकलीफ होवऽ हइ, बल्कि हमरा एकरा से आनन्द आवऽ हइ ... काहेकि एकरा बगैर हमरा नयँ रहल जा हइ । ई आउ बेहतर हइ । ऊ मारे हमरा, एकरा से ओकर दिल के चैन मिलऽ हइ ... ई बेहतर हइ ... अउका घरवा हकइ । कोज़ेल के घर । तालासाज, जर्मन, सेठ के ... ले चलऽ !"

अहाता पार करके ओकन्हीं अन्दर घुसके चौठा मंजिल पर पहुँचते गेलइ । जइसे-जइसे उपरे चढ़ते गेलइ, ज़ीना (सीढ़ी) पर अन्हेरा बढ़ते गेलइ । लगभग एगारह बज गेले हल, आउ हलाँकि पितिरबुर्ग में ई समय वास्तव में रात तो होवऽ हइ नयँ [25], लेकिन सबसे उपरे सीढ़ी पर बहुत अन्हेरा हलइ । ज़ीना के अन्त में, सबसे उपरे, कारिख से भरल एगो छोट्टे गो दरवाजा हलइ, जे पूरा खुल्ला हलइ । जलके लगभग खतम होल एगो मोमबत्ती से एगो बहुत गरीब-गुरबा के करीब दस डेग लम्बाई के कमरा में रोशनी हो रहले हल । दरवजवे पर से पूरा कमरा देखाय देब करऽ हलइ । सब कुछ एन्ने-ओन्ने फेंकल आउ अव्यवस्थित हलइ, खास करके बुतरुअन के कइएक तरह के फट्टल-चिट्टल कपड़ा सब । दूर वला सिरा पर भूड़े-भूड़ होल एगो बेडशीट फइलाके लटकावल  हलइ । ओकर पीछू में शायद बिछौना हलइ । ओहे कमरा में आउ कुछ नयँ, खाली दू गो कुरसी, आउ मोमजामा मढ़ल आउ बहुत जादे भूड़े-भूड़ होल एगो सोफा हलइ, जेकर सामने भनसा-घर के देवदार के एगो पुरनका टेबुल हलइ, जे न तो पेंट कइल हलइ आउ न कोय कपड़ा-उपड़ा से ढँकल हलइ । टेबुल के किनारे पे लोहा के शमादान में लगभग जल चुकल एगो मिरमिरइते मेदबत्ती (tallow candle, चरबी के बन्नल मोमबत्ती) जल रहले हल । लगऽ हलइ कि मरमेलादोव परिवार खातिर एगो पूरा कमरा हलइ, खाली एगो कमरा के हिस्सा नयँ, लेकिन ओकर कमरा बाकी सब रहे वला लगी एगो आवाजाही के रस्ता हलइ । एकर आगू में अमालिया लिप्पेवेख़ज़ेल के फ्लैट हलइ, जेकर कमरा चाहे काबुक सब के दरवाजा आधा खुल्लल हलइ । हुआँ से शोर-गुल आउ चिल्लाहट के अवाज आ रहले हल । लोग ठहाका मार रहले हल । शायद अन्दर लोग ताश खेलते जा रहले हल आउ चाह पी रहले हल । बीच-बीच में बिलकुल बेहूदा किसिम के बात सुनाय देब करऽ हलइ ।

रस्कोलनिकोव कतेरिना इवानोव्ना के तुरते पछान लेलकइ । ऊ बहुत जादे दुब्बर औरत हलइ - पतली, काफी लम्बी आउ सुडौल, तइयो सुन्दर गहरा सुनहरा रंग के बाल आउ गाल पर साफ ऊभरल लाल धब्बा । ऊ अपन हाथ के छाती पर दाबले अपन छोटका कमरा में आगू-पीछू चक्कर मार रहले हल, ओकर ठोर सुक्खल हलइ, साँस में अनियमितता आउ हँफनी हलइ । ओकर आँख अइसे चमक रहले हल जइसे बोखार चढ़ल में चमकऽ हइ, लेकिन दृष्टि तीक्ष्ण आउ निर्निमेष हलइ, आउ लगभग जलके समाप्त होल मोमबत्ती के झिलमिला रहल रोशनी में तपेदिक से ग्रस्त आउ व्याकुल ओकर चेहरा दर्दनाक आभास दे रहले हल । रस्कोलनिकोव के नजर में ऊ कोय तीस साल के लगलइ, आउ वास्तव में मरमेलादोव के साथ ओकर जोड़ी ठीक नयँ हलइ ... ओकन्हीं के प्रवेश करते न तो ऊ सुनलकइ आउ न देखलकइ; लग रहले हल कि ऊ विचारमग्न हलइ, न कुछ सुन रहले हल, न देख रहले हल । कमरा दमघोंटू हलइ, लेकिन ऊ खिड़की नयँ खोललके हल; ज़ीना पर से दुर्गंध आब करऽ हलइ, लेकिन ज़ीना तरफ के दरवाजा बन नयँ हलइ; अन्दर के कमरा से तमाकू के धुआँ के लहर आब करऽ हलइ, ऊ खोंखते रहलइ, तइयो दरवाजा नयँ बन कइलकइ । सबसे छोट बुतरू, करीब छे बरस के लड़की, अपन सिर के सोफा पर धरके आउ अपन देहिया के गठरी नियन बनाके फर्श पर बइठल हालत में सुत्तल हलइ । ओकरा से कोय एक साल बड़ एगो लड़का कोना में काँप रहले हल आउ कन्नब करऽ हलइ । शायद अभी-अभी ओकरा मार पड़ले हल । सबसे बड़गर लड़की, जे करीब नो साल के, लमगर आउ सलाय के काँटी नियन पातर हलइ, एगो महीन आउ सगरो फट्टल-फुट्टल कमीज पेन्हले हलइ आउ ओकर खुल्लल कन्हा पर एगो छोटकुन्ना पुराना द्रा-द-दाम बुर्नूस [17] डालल हलइ, जे शायद ओकरा लगी करीब दू साल पहिले सीयल गेले हल, काहेकि ऊ ओकर टेहुनमो तक नयँ पहुँच रहले हल । ऊ अपन छोटका भाय बिजुन कोना में खड़ी हलइ, आउ सलाय के काँटी नियन सुक्खल अपन लमगर बाँह के ओकर गरदनिया में लपेटले हलइ । लगऽ हइ कि ओकरा ऊ शांत करे के कोशिश कर रहले हल, ओकरा कुछ कान में कह रहले हल, लगातार ओकरा रोक रहले हल ताकि ऊ फेन ठुनके नयँ लगे, लेकिन साथे-साथ अपन बड़गर-बड़गर कार आँख से अपन मइया तरफ देखब करऽ हलइ । ओकर अँखिया, ओकर दुब्बर आउ सहमल चेहरा पर आउ बड़गर लग रहले हल । मरमेलादोव कमरा में बिना घुसले दरवजवे पर अपन टेहुना के बल पर स्थिर रहलइ आउ रस्कोलनिकोव के आगे ढकेल देलकइ । औरतिया एगो अजनबी के देखके ठिठकके ओकरा सामने खड़ी हो गेलइ, पल भर के बाद सँभलके मानूँ अचरज करे लगलइ - ई काहे लगी अन्दर अइलइ ? लेकिन शायद ऊ तुरते समझ गेलइ कि ओकरा दोसर कमरा में जाय के होतइ, काहेकि ओक्कर कोठरी तो अगला फ्लैट में जाय के रस्ता हलइ । एतना समझके ओकरा पर बिना ध्यान देले ऊ बाहर वला दरवाजा तरफ गेलइ ताकि ओकरा बन कर सकइ, आउ अचानक चीख पड़लइ, जब देखलकइ कि खास चौकठिये पर टेहुना के बल ओकर मरद खड़ी हकइ ।

"आह !" ऊ उन्माद में चिल्लइलइ, "आ गेलइ ! पापी ! पिशाच ! ... आउ पइसवा काहाँ हउ ? तोर धोकड़िया में की हकउ ? देखाव ! आउ पोशाक तो ऊ नयँ हकउ ? तोर पोशकवा कन्ने हकउ ? पइसवा काहाँ हकउ ? बोल ! ..."

आउ एतना बोलके ओकर तलाशी लगी झपट पड़लइ । मरमेलादोव तुरते आत्मसमर्पण करके नम्रतापूर्वक अपन हाथ बगल में पसार देलकइ, ताकि ओकर जेभी के तलाशी में असानी होबइ । पइसा के नाम पर एक्को कोपेक नयँ हलइ ।

"पइसवा काहाँ हउ ?" ऊ चिल्ला उठलइ, "हे भगमान, कहीं सबके पी तो नयँ गेलइ ! सन्हूकवा में तो चानी के बारह रूबल हलइ ! ..." - आउ अचानक गोस्सा में ऊ ओकर झोंटवा पकड़के कोठरिया में घसीटे लगलइ । मरमेलादोव ओकरा घसीटे के काम असान कर देलकइ, चुपचाप ओकर पीछू अपन टेहुना के बल खुद रेंगके ।

"आउ एकरा से हमरा खुशी होवऽ हइ ! एकरा से हमरा कोय दरद नयँ होवऽ हइ, बल्कि प्र-स-न्न-ता मिल्लऽ हइ, आ-द-र-णीय म-हो-द-य", ऊ चिल्लाके बोलते रहलइ, जब ओकरा झोंटवा पकड़के हिलावल जा रहले हल, आउ एक तुरी तो ऊ फर्श पर अपन निररवो के पटक देलकइ । फर्श पर सुत्तल बुतरू जग गेलइ आउ कन्ने लगलइ । कोनमा पर के लड़का के बरदास नयँ होलइ, कँप्पे आउ चिल्लाय लगलइ आउ बहुत डरल-सहमल, अइसे झपटके अपन बहिनी से लिपट गेलइ, मानूँ ओकरा दौरा पड़ल होवे । बड़की लड़की तो पत्ता नियन कँप रहले हल ।

"पी गेलइ ! सब्भे, सब्भे पी गेलइ !" निराश होके बेचारी औरत चिल्लइलइ, "आउ पोशाक ओहे नयँ हइ ! आउ हियाँ सब भुखले हइ, भुखले ! (आउ हथवा ऐंठते ऊ बुतरुअन तरफ इशारा कइलकइ) । "लानत हके ई जिनगी पर ! आउ तोहरा, तोहरा शरम-उरम नयँ हको !", अचानक ऊ रस्कोलनिकोव पर टूट पड़लइ, "सीधे कलाली से ! तूँ ओकरे साथ पीलँऽ ! तूहूँ ओकरे साथ पीलँऽ ! निकस हियाँ से !"

नौजवान बिना एको बकार निकासले बाहर निकसे खातिर जल्दी कइलकइ । एतने में अन्दर वला दरवाजा पूरा खुल गेलइ, आउ ओकरा से कुछ लोग कौतूहल से हुलकके देखे लगलइ । मुँह में सिगरेट आउ पाइप लगइले आउ सिर पर टोपी पेन्हले कुछ ढीठ लोग दरवजवा तक आ गेलइ । कुछ आकृति देखाय देवे लगलइ, सब्भे बोताम निकसल ड्रेसिंग गाउन में, देह पर गरमी के दिन वला शरमनाक हद तक नाम मात्र के पोशाक में, आउ दोसर कुछ लोग हाथ में ताश के साथ । ओकन्हीं के खास तौर पे मजा अइलइ, जब मरमेलादोव के झोंटा पकड़के घसीटल जा रहले हल, आउ ऊ कह रहले हल कि एकरा में ओकरा खुशी होवऽ हइ । कमरा के अन्दरो आवे लगते गेलइ; अन्त में एगो अनिष्ट-सूचक चीख सुनाय देलकइ - ई खुद अमालिया लिप्पेवेख़ज़ेल हलइ जे धक्का देके लोग के बीच से रस्ता बनइते अपन ढंग से शांति बनावे खातिर आगू आ रहले हल, आउ सोम्मा (सौवाँ) तुरी ऊ बेचारी औरत के गारी के लबज में औडर देते ई बात से डरावे खातिर कि कल्हूँएँ फ्लैट खाली कर दे । बाहर जाते-जाते रस्कोलनिकोव अपन धोकड़िया में हाथ डललकइ, आउ कलाली में रूबल के बदले ओकरा जे तामा के रेजकी मिलले हल, ओकरा में से अभी जे कुछ हाथ में अइलइ ऊ निकासके सबके आँख बचाके खिड़किया पर रख देलकइ । बाद में जब ऊ ज़ीना पर पहुँच चुकले हल, ओकर नीयत बदल गेलइ आउ ऊ वापस आवे के इरादा करे लगलइ ।  

"हम ई कइसन बेवकूफी कर बइठलूँ", ऊ सोचे लगलइ, "ओकन्हीं के पास तो सोनिया हकइ, आउ हमरा तो खुद्दे जरूरत हके ।" लेकिन ऊ ई सोचके कि अब वापिस लेना संभव नयँ होत आउ अइसहूँ हम वापिस नयँ लेतूँ हल, ऊ हाथ हवा में लहरइलकइ आउ अपन फ्लैट तरफ रवाना हो गेलइ । "सोनिया के तो क्रीम-पाउडर के भी जरूरत हकइ", रोड पर डेग बढ़इते ऊ आगे सोचलकइ, आउ व्यंग्यपूर्वक हँसलइ, "ई सज-धज में पइसा लगऽ हइ ... हूँ ! आ हो सकऽ हइ कि सोनेच्का (सोनिया) के पास खुद्दे पइसा नयँ रहइ, काहेकि एहो एगो जोखिम के काम हइ, बेशकीमती शिकार फाँसे में ... सोना के धंधा ... आउ हो सकऽ हइ कि हमर बिन पइसा के कल ओकन्हीं सबके सींभ पर शंख बजवे परइ (अर्थात् लगभग भुखले रहे परइ) ... शाबास सोनिया ! लेकिन कइसन सोना के खान खोद रखलक ह ओकन्हीं ! आउ फयदो उठाब करऽ हइ ! हाँ, बिलकुल ओकर फयदो उठाब करऽ हइ ओकन्हीं ! आउ एकर आदतो पड़ गेले ह ओकन्हीं के ! रोलकइ-धोलकइ, आउ अंगाऽ गेलइ । नीच मानव सब कुछ के आदी हो जा हइ !

ऊ विचार में खो गेलइ ।
"आउ अगर हमर सोच गलत होवे त ?", ऊ अचानक स्वाभाविक रूप से चिल्ला पड़लइ, "अगर वास्तव में अदमी नीच नयँ होवे, कोय भी आम अदमी, अर्थात् मानव जाति, त एकर अर्थ निकसऽ हइ कि शेष सब कुछ - अंधविश्वास, खाली पैदा कइल भय, आउ कहीं कोय रोक-टोक नयँ, आउ अइसने होवहूँ के चाही ! ..."



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