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Sunday, April 26, 2015

अपराध आउ दंड - भाग – 3 ; अध्याय – 6



अपराध आउ दंड

भाग – 3

अध्याय – 6

"... हम नयँ विश्वास करऽ हूँ ! हम विश्वास करिए नयँ सकऽ हूँ !" हैरान होल रज़ुमिख़िन दोहरइलकइ, रस्कोलनिकोव के तर्क के यथाशक्ति खंडन करे के प्रयास करते ।

ओकन्हीं बकलेयेव के मकान के नगीच पहुँच चुकले हल, जाहाँ पर पुलख़ेरिया अलिक्सांद्रोव्ना आउ दुन्या बहुत देर से ओकन्हीं के इंतजार में हला । बहस के जोश में आके, रज़ुमिख़िन रस्तावा में मिनट-मिनट पर रुक जा हलइ, ई बात से सकुचाल आउ उत्तेजित, कि ओकन्हीं पहिले तुरी एकरा बारे खुलके बात कर रहते जा हलइ ।

"मत विश्वास करऽ !" भावशून्य आउ लपरवाह मुसकान के साथ रस्कोलनिकोव जवाब देलकइ, "तूँ तो अपन आदत के मोताबिक कुच्छो पर ध्यान नयँ दे रहलऽ हल, लेकिन हम हरेक शब्द के तौल रहलिए हल ।"
"तूँ तो शंकालु हकऽ, ओहे से हरेक शब्द के तौल रहलऽ हल ... हूँ ... वास्तव में, हम सहमत हियो, पोरफ़िरी के बात करे के लहजा अजीब हलइ, आउ खास करके ई नीच ज़म्योतोव ! ... तूँ सही कहऽ हो, ओकरा में कुछ तो हलइ - लेकिन काहे ? काहे लगी ?"
"राते भर में अपन राय बदल लेलकइ ।"
"लेकिन बात उलटे हइ, उलटा ! अगर ओकन्हीं के ई बेवकूफी भरल विचार रहते हल, त ओकन्हीं यथाशक्ति एकरा छिपावे के कोशिश करते हल आउ अपन पत्ता सब गुप्त रखते हल, ताकि तोरा बाद में पकड़ल जा सकइ ... लेकिन अभी - ई ढिठाई आउ लपरवाही हलइ !"

"अगर ओकन्हीं के पास तथ्य होते हल, मतलब वास्तविक तथ्य, चाहे कुच्छो पक्का सन्देह, तब ओकन्हीं वास्तव में अपन खेल के छिपावे के कोशिश करते हल - आउ बड़गर जीत के आशा में (लेकिन, ई हालत में बहुत पहिलहीं तलाशी ले चुकते हल !) । लेकिन ओकन्हीं के पास कोय तथ्य नयँ हइ - एक्को गो नयँ - सब कुछ मृगमरीचिका हइ, सब कुछ दू छोर पर, बस उड़ रहल विचार - ओहे से ओकन्हीं हमरा ढिठाई से उखाड़े के कोशिश कर रहले ह । आउ शायद, ऊ खुद्दे गोसाल हइ, कि तथ्य नयँ हके, आउ झुंझलाहट में अपन बात उगल देलकइ । चाहे शायद, कुछ ओकर दिमाग में हइ ... ऊ अदमी, लगऽ हइ, बुद्धिमान हइ ... शायद, ई बात से डरा रहले हल, कि ऊ बात जानऽ हइ ... हियाँ, भाय, अपन मनोविज्ञान हइ ... तइयो, ई सब के सफाई देवे में घृणा आवऽ हइ । छोड़ऽ ई सब बात के !"

"आउ ई अपमानजनक हइ, अपमानजनक ! हम तोरा समझऽ हियो ! लेकिन ... चूँकि हमन्हीं अब खुले तौर पे बातचीत करे लगी शुरू कर देलिए ह (आउ ई बहुत निम्मन बात हइ, कि आखिरकार खुले तौर पे बातचीत शुरू कर देलिए ह, हमरा खुशी हइ !) - ओहे से अभी तोरा से सीधे ई स्वीकार करके कहऽ हियो, कि ई बात ओकन्हीं में हम बहुत पहिलहीं नोटिस कर लेलिए हल, ई विचार, ई पूरे अवधि के दौरान, जाहिर हइ, बिलकुल छोटगर रूप में, रेंगते रूप में, लेकिन काहे लगी खाली रेंगते रूप में ! ओकन्हीं के हिम्मत कइसे होवऽ हइ ? काहाँ, काहाँ ओकन्हीं के जड़ छिप्पल हइ ? काश, तोरा मालूम होतो हल कि हम केतना उबलते रहलूँ ! कइसे - खाली ई वजह से, कि एगो गरीब छात्र, अपन गरीबी आउ रोगभ्रम (hypochondria) के बेमारी से विकलांग होल, सरसाम सहित क्रूर बेमारी से ठीक पहिले, जे ओकरा में शुरुओ हो चुकले होत (ई बात ध्यान देवे लायक हइ !), रोगभ्रमी (hypochondriac), स्वाभिमानी, अपन महत्त्व के जानकार, आउ छो महिन्ना तक अपन कोना में केकरो नयँ देखल, चिथड़ा में आउ बिन तलवा (sole) वला जुत्ता में – कुछ लोकल सिपाही के आगू खड़ी हइ आउ ओकन्हीं के गारी सहब करऽ हइ; आउ हियाँ अप्रत्याशित करजा नाक के सामने, कोर्ट काउंसिलर चेबारोव से बिलंबित वचनपत्र (overdue promissory note), बिसायँध पेंट, तीस डिग्री रोमर (= 37.5 डिग्री सेंटीग्रेड) तापमान, घुटन भरल हावा, लोग के भीड़, एक दिन पहिले होल एगो व्यक्ति के हत्या के कहानी, आउ ई सब कुछ भुक्खल पेट ! त कइसे अइसन हालत में मूर्छित नयँ होतइ ! आउ एकरे पर, एकरे पर सब कुछ आधारित करना ! शैतान ओकरा धरइ ! हम समझऽ हिअइ, कि ई तोरा लगी केतना कष्टदायी होतो, लेकिन तोहर जगह पे, रोदका, हम तो ओकन्हीं के अँखिया के सामने ओकन्हीं पर ठठाके हँसतिए हल, चाहे बेहतर - सबके थोपड़ा पर थु-क-ति-ए हल, आउ थूक-थूकके मोटगर परत जमा देतिए हल, आउ सगरो बीसो तुरी थू-थू करतिए हल - बुद्धिमानी से, जइसन कि ओकन्हीं के साथ हमेशे करे के चाही, आउ एकरे से अंत होते हल । थूक द ओकन्ही पर ! जरी चेहरा पर मुसकान लावऽ ! कइसन शरमनाक बात हइ !"

"ऊ लेकिन एकरा बहुत अच्छा से प्रतिपादित कइलकइ", रस्कोलनिकोव सोचलकइ ।
"ओकन्हीं पर थुक्कल जाय ? आउ बिहान फेर से पूछताछ !" ऊ कड़वाहट से बोललइ, "की वस्तुतः हम ओकन्हीं साथ सफाई देते फिरूँ ? हमरा एहो बात से झुंझलाहट हो रहल ह, कि हमरा कल्हे कलाली में ज़म्योतोव के सामने खुद के नीचा देखावे पड़ल ..."
"भाड़ में जाय ! हम पोरफ़िरी के पास खुद जइबइ ! आउ रिश्तेदार के नाते सब्भे बात ओकरा से उगलवा लेबइ; ऊ हमरा सब कुछ जड़ से साफ-साफ बतावे ! आउ रहलइ ज़म्योतोव के बात ..."
"आखिरकार तो भाँप गेलइ !" रस्कोलनिकोव सोचलकइ ।

"ठहरऽ !" अचानक ओकर कन्हा पकड़के रज़ुमिख़िन चिल्लइलइ, "ठहरऽ ! तूँ गलत कह रहलऽ हल ! हम समझ गेलियो ह - तोहर कहना गलत हको ! ई कइसन गंदा चाल हलइ ? तूँ कहऽ हो, कि मजूरवन के बारे सवाल एगो चाल हलइ ? जरी समझहो - अगर तूँ ई करतहो हल, त की तूँ ई बतइतहो हल, कि हाँ, हम देखलिए हल फ्लैट के पोताय करते ... आउ मजूरवन के ? बल्कि एकर विपरीत - कुच्छो नयँ देखलहो हल, अगर देखवो कइलहो होत तइयो ! केऽ अपने विरुद्ध कबूल करतइ ?"
"अगर हम ई काम करतिए हल, त हम निश्चित रूप से बता देतिए हल, कि मजुरवनो के देखलिए हल, आउ फ्लैटो के", अनिच्छा से आउ स्पष्ट घृणा से रस्कोलनिकोव अपन उत्तर जारी रखलकइ ।
"लेकिन अपने विरुद्ध काहे लगी कुच्छो बोले के ?"

"काहेकि, खाली किसाने, चाहे बिलकुल अनुभवहीन नौसिखिए, पूछताछ के दौरान सीधे आउ लगातार सब कुछ के मामले में इनकार करऽ हइ । कुच्छो विकसित आउ अनुभवी अदमी अवश्य आउ यथासंभव सब्भे बाहरी आउ अपरिहार्य तथ्य के स्वीकार करे के प्रयास करऽ हइ; खाली ऊ सब लगी कारण कुछ आउ ढूँढ़ऽ हइ, अप्पन अइसन बात के ऊ विशेष आउ अप्रत्याशित ढंग से घुमावऽ हइ, जे ओकरा बिलकुल दोसरे मतलब देतइ आउ दोसरे प्रकाश में प्रस्तुत करतइ । पोरफ़िरी के एहे उमीद होतइ, कि हम पक्का ओइसीं जवाब देबइ आउ पक्का ई बतइबइ, कि देखलिए हल, ताकि लगइ कि एकरा में विश्वसनीयता हइ आउ एकर साथे-साथ कुछ तो सफाई खातिर मोड़ दे देबइ ..."

"तब तो ऊ तोरा तुरतम्मे कह देतो हल, कि दू दिन पहिले तो मजुरवन हुआँ होइए नयँ सकऽ हलइ, आउ मतलब कि तूँ खास हत्या के दिनमे सात आउ आठ बजे के बीच में हलहो । आउ ई छोटकुन्ने बात पे तोहरा उखाड़ फेंकतो हल !"
"हाँ, आउ एहे बात पे तो ऊ उमीद लगाके बइठल हलइ, कि हमरा सोचे के मौका नयँ मिल्ले, आउ हम पक्का अधिक सच्चा लगे वला उत्तर देवे में जल्दीबाजी करबइ, आउ ई भूल जइबइ, कि दू दिन पहिले तो मजुरवन हुआँ होइए नयँ सकऽ हलइ ।"

"लेकिन ई बात भुलिए कइसे जाल सकऽ हलइ ?"
"बहुत असान बात हइ ! अइसने सबसे छोटगर बात में तो चलाँक लोग सबसे असानी से फँस जा हइ । अदमी जेतने जादे चलाँक होवऽ हइ, ओतने कम ओकरा ई बात के शक्का रहऽ हइ, कि ऊ छोटगर बात में फँस जा सकऽ हइ । सबसे चलाँक अदमी के सबसे छोटगर बात पर फँसा देवल जा सकऽ हइ । पोरफ़िरी ओतना बेवकूफ नयँ हइ, जेतना तूँ समझऽ हो ..."
"अइसन बात हइ, त ऊ कमीना हइ !"

रस्कोलनिकोव अपन हँसी नयँ रोक पइलकइ । लेकिन ओहे क्षण ओकरा अपन सजीवता आउ इच्छा विचित्र लगलइ, जेकरा से अपन अंतिम सफाई देलकइ, जबकि ऊ अपन पहिलौका सब्भे बातचीत ऊ बड़ी उदास आउ घृणा के भाव से करते रहले हल, जाहिर हइ कोय उद्देश्य से आउ आवश्यकता के चलते ।      
"कुछ बिंदु पे हमरा मजा आवे लगल ह !" ऊ मने-मन सोचलकइ ।

लेकिन लगभग ओहे क्षण ऊ कइसूँ अचानक बेचैन होवे लगलइ, मानूँ ओकरा कोय अप्रत्याशित आउ चिंताजनक विचार दिमाग में आ गेल होवे । ओकर बेचैनी बढ़ते गेलइ । ओकन्हीं बकलेयेव के मकान के प्रवेशद्वार के पास पहुँच चुकले हल ।
"अकेल्ले जा", अचानक रस्कोलनिकोव कहलकइ, "हम अभिए वापिस आवऽ हियो ।"
"तूँ कन्ने जा रहलऽ ह ? हमन्हीं सब तो पहुँच चुकलिए ह !"
"हमरा जरूर जाय पड़त, जरूर; काम हके ... आध घंटा के बाद अइबो ... हुआँ बता दिहो ।"
"तोर मर्जी, लेकिन हमहूँ तोरा साथ चलबो !"

"ई की बात होलइ, तूहूँ हमरा सतावे लगी चाहऽ ह !" ऊ अइसन कड़वा चिड़चिड़ाहट के साथ चिल्लइलइ, आँख में अइसन निराशा के साथ, कि रज़ुमिख़िन के हाथ निच्चे लटक गेलइ । ऊ थोड़े देर तक ड्योढ़ी भिर खड़ी रहलइ आउ उदास भाव से देखते रहलइ, कि कइसे ऊ तेजी से अपन बगल के गली दन्ने डेग बढ़इते चलल जाब करऽ हइ। आखिरकार, दाँत पीसते आउ मुट्ठी भींचते, ओज्जे परी ऊ कसम खइलकइ, कि आझे पोरफ़िरी के पूरा लेमू नियन निचोड़के रख देतइ, आउ ओकन्हीं के एतना लमगर गैरहाजिरी के चलते परेशान होल पुलख़ेरिया अलिक्सांद्रोव्ना के दिलासा देवे खातिर उपरे तरफ चल गेलइ ।

जब रस्कोलनिकोव घर पर पहुँचलइ, ओकर कनपट्टी पसेना से तर हलइ आउ ओकरा साँस लेवे में दिक्कत हो रहले हल । ऊ तेजी से ज़ीना पर चढ़लइ, अपन खुल्लल फ्लैट में घुसलइ आ तुरते सिटकिनी लगा लेलकइ । फेनु डरल आउ पागल नियन ऊ कोना के तरफ झपट के गेलइ, ओहे दरार जाहाँ पर देवार के कागज के पीछू में ओकर समान सब पड़ल हलइ, ऊ दरार में अपन हाथ डललकइ आउ कइएक मिनट तक ओकरा में सवधानी से हाथ से टटोलते रहलइ, सब्भे दरार आउ कागज के हरेक सिलवट के चेक कइलकइ । कुच्छो नयँ मिलला पर ऊ उठ खड़ी होलइ आउ गहरा साँस लेलकइ । जब ऊ बकलेयेव के ड्योढ़ी के पास पहुँचलइ, त ओकरा अचानक दिमाग में अइलइ, कि कहीं कोय चीज, कोय चेन (सिकरी), कोय कालर बोताम, चाहे कोय कागज के पुरजो, जेकरा में सब समान लपेटल हलइ, आउ जेकरा पर बुढ़िया के हाथ से कुछ लिक्खल हलइ, हो सकऽ हइ कि कइसूँ सरकके गिर पड़ल होत आउ कोय छेद में गुम हो गेल होत, आउ बाद में अचानक हमरा सामने अप्रत्याशित रूप से आउ एगो दुर्निवार प्रमाण के रूप में काम करे ।
ऊ विचारमग्न होल जइसे खड़ी रहलइ, आउ विचित्र, अपमानित, अर्ध-निरर्थक मुसकान ओकर होंठ पर छाल रहलइ । आखिरकार ऊ अपन टोपी लेलकइ आउ चुपके से कमरा से निकस गेलइ । ओकर विचार सब उलझल हलइ । विचारमग्न अवस्था में ऊ प्रवेशमार्ग तक गेलइ ।

"अइकी ऊ खुद्दे हथुन !" एगो उँचगर अवाज अइलइ; ऊ अपन सिर उठइलकइ ।
दरबान अपन कोठरी के दरवाजा भिर खड़ी हलइ आउ एगो नटगर अदमी के सीधे ओकरा तरफ इशारा कर रहले हल, जे देखे में व्यापारी लग रहले हल आउ ड्रेसिंग गाउन जइसन लमगर कोट आउ वास्कट पेन्हले हलइ आउ दूर से देखे में बिलकुल औरत जइसन लगऽ हलइ । ओकर सिर, तेल से चिकटल टोपी में, आगू तरफ निच्चे झुक्कल हलइ आउ पूरा-पूरा देहिया कुब्बड़ लगऽ हलइ । ओकर शिथिल, झुर्रीदार चेहरा से ऊ पचास के उपरे उमर के लगऽ हलइ; ओकर छोटगर-छोटगर, सुज्जल आँख से उदासी, कठोरता आउ असंतोष प्रकट हो रहले हल।

"की बात हइ ?" दरबान भिर जाके रस्कोलनिकोव पुछलकइ ।
व्यापारी ओकरा तरफ नाक-भौं सिकोड़ते तिरछा नजर डललकइ आउ ओकरा तरफ एकटक आउ ध्यान से, बिन कोय हड़बड़ी कइले देखलकइ; फेनु धीरे-धीरे मुड़लइ आउ बिन कुच्छो एक्को शब्द बोलले, मकान के फाटक से बाहर निकसके रोड दन्ने चल गेलइ ।

"की बात हइ !" रस्कोलनिकोव चिल्लइलइ ।
"अइकी एगो कोय अदमी पूछ रहले हल, कि की हियाँ कोय छात्र रहऽ हइ, तोहर नाम लेलकइ, आउ पुछलकइ केकर किरायेदार हइ । ओहे बखत तूँ अइलहो, हम इशारा कइलिअइ, आउ ऊ चल गेलइ । बस एतने बात हइ ।"
दरबानो कुछ हैरान हलइ, लेकिन ओतना नयँ, आउ कुछ देर सोचला के बाद मुड़लइ आउ वापिस अपन कोठरी में चल गेलइ ।

रस्कोलनिकोव व्यापारी के पीछू-पीछू लपकल गेलइ आउ तुरतम्मे ओकरा देखलकइ, जे रोड के दोसरा पट्टी से जा रहले हल, पहिलौके समरूप गति से आउ बिन कोय जल्दीबाजी के डेग भरते जा रहले हल, जमीन तरफ नजर गड़इले आउ मानूँ कुछ सोचते । थोड़िक्के देर में ओकरा भिर पहुँच गेलइ, लेकिन थोड़े देरी तक ओकर पीछू-पीछू चलते गेलइ; आखिरकार ओकर बराबर तक पहुँचके तिरछे नजर से ओकर चेहरवा दने देखलकइ । ऊ अदमिया एकरा तुरते नोटिस कर लेलकइ, तेजी से एकरा तरफ देखलकइ, लेकिन फेर से अपन नजर निच्चे कर लेलकइ, आउ अइसीं दुन्नु, मिनट भर तक चलते रहलइ, दुन्नु एक दोसरा के अगले-बगल आउ बिन एक्को शब्द बोलले ।

"अपने हमरा बारे पूछ रहलथिन हल ... दरबान से ?" आखिरकार रस्कोलनिकोव बोललइ, लेकिन कइसूँ बहुत धीमे स्वर में ।
ऊ व्यापारी कोय जवाब नयँ देलकइ आउ न ओकरा तरफ नजर कइलकइ । फेर थोड़े देर दुन्नु चुप रहलइ ।
"ई की बात होलइ ...पुच्छे लगी आवऽ हथिन ... आउ चुप्पी साधले रहऽ हथिन ... एकर की मतलब हइ ?"
रस्कोलनिकोव अटक-अटकके बोललइ, आउ जइसे शब्द ओकर मुँह से साफ-साफ नयँ निकस रहले हल ।
अबरी व्यापारी अपन नजर उपरे कइलकइ आउ रस्कोलनिकोव तरफ अशुभ आउ उदास दृष्टि से देखलकइ ।
"हत्यारा !" ऊ अचानक धीमे अवाज में, लेकिन स्पष्ट आउ परिस्फुट (clear and distinct) स्वर में बोललइ ...
     
रस्कोलनिकोव ओकर साथ-साथ चलते रहलइ । ओकर गोड़ में अचानक भयंकर रूप से कमजोरी महसूस होवे लगलइ, ओकर मेरुदंड में शीत लहर दौड़ गेलइ, आउ ओकर दिल के धड़कन मानूँ पल भर लगी बन हो गेलइ; बाद में अचानक धड़धड़ाय लगलइ, मानूँ हुक से अजाद हो गेल होवे । अइसीं ओकन्हीं करीब सो डेग तक चलते रहलइ, पास-पास आउ बिलकुल चुपचाप ।
व्यापारी ओकरा तरफ नजर नयँ कइलकइ ।
"अपने के कहे के की मतलब हइ ... की ... के हइ हत्यारा ?" मोसकिल से सुनाय पड़े वला अवाज में रस्कोलनिकोव बड़बड़इलइ ।

"तूँ हत्यारा", ऊ बोललइ, आउ साफ-साफ आउ प्रभावशाली ढंग से, आउ मानूँ विजय के घृणा भरल मुसकान के साथ, आउ फेर सीधे रस्कोलनिकोव के पीयर पड़ल चेहरा आउ ओकर मरल नियन आँख तरफ देखलकइ । तखने दुन्नु एगो चौक तक पहुँच चुकले हल । व्यापारी चौक के बामा तरफ के सड़क दने बिन पीछू तरफ देखले मुड़ गेलइ । रस्कोलनिकोव ओज्जे परी ठहर गेलइ आउ ओकरा जइते पीछू से देखते रहलइ । ऊ देखलकइ, कि ऊ कोय पचास डेग आगू जाके पीछू मुड़के ओज्जे परी खड़ी-खड़ी बिन हिलले-डुलले  एकरा तरफ देखलकइ । ठीक से ओकरा देखना तो मोसकिल हलइ, लेकिन रस्कोलनिकोव के लगलइ, कि अभियो ओकर होंठ पर शीत घृणा आउ विजय के मुसकान हलइ ।

धीमा, कमजोर डेग भरते आउ थरथरइते टेहुना के साथ आउ मानूँ भयंकर रूप से ठंढाल, रस्कोलनिकोव वापिस मुड़लइ आउ उपरे चढ़के अपन कमरा में गेलइ । ऊ अपन टोपी उतार लेलकइ आउ ओकरा टेबुल पर रख देलकइ आउ ओकर बगल में करीब दस मिनट तक बिन हिलले-डुलले खड़ी रहलइ । फेनु ऊ कमजोरी के हालत में सोफा पर पड़ गेलइ आउ बेमार नियन एगो हलका कराह के साथ ओकरा पर पूरा देह पसार लेलकइ; ओकर आँख बन हलइ । अइसीं ऊ करीब आध घंटा तक पड़ल रहलइ । ऊ कुच्छो चीज के बारे नयँ सोच रहले हल । अइसीं कोय तरह के विचार, चाहे विचार के अंश हलइ, कोय तरह के अव्यवस्थित आउ बिन आपस में कोय संबंध के - अइसन लोग के चेहरा, जेकरा कभी बचपन में देखलके हल, चाहे जेकरा से कहीं पर खाली एक तुरी भेंट होले हल, आउ जेकरा बारे ओकरा कभी आदो नयँ अइले हल; वे॰ गिरजाघर के घंटाघर (belfry); एगो शराबखाना के बिलियर्ड के टेबुल आउ बिलियर्ड खेलते कोय अफसर, कोय तहखाना में तमाकू के दोकान में सिगार के गन्ह, कलाली, बिलकुल अन्हार कार ज़ीना, जेकरा पर धोवन-धावन वला गंदा पानी आउ अंडा के छिलका भरल, आउ कहीं से एतवार के बजते घंटा के अवाज आ रहल ह ... एक के बाद एक चीज अइते रहलइ आउ चक्रवात नियन चक्कर काटते रहलइ । ओकरा में से कुछ ओकरा अच्छो लग रहले हल, आउ ऊ ओकरा से चिपके ल चहलकइ, लेकिन ऊ धुंधला होते-होते गायब हो जा हलइ, आउ सामान्यतः कुछ तो ओकरा अंदर से दबाव डाल रहले हल, लेकिन बहुत जादे नयँ । कभी-कभी ओकरा अच्छो लगऽ हलइ ... हलका सिहरन नयँ जा रहले हल, लेकिन एकरो ऊ लगभग अच्छा अनुभव कर रहले हल ।

ओकरा रज़ुमिख़िन के तेज कदम के आहट आउ ओकर अवाज सुनाय देलकइ, ऊ अपन आँख बन कर लेलकइ आउ सुत्तल होवे के ढोंग कइलकइ । रज़ुमिख़िन दरवाजा खोललकइ आउ कुछ देरी तक चौकठिए भिर खड़ी रहलइ, मानूँ कुछ सोच रहल होवे । बाद में चुपके से कमरा में डेग बढ़इते अइलइ आउ सवधानी से सोफा भिर अइलइ । नस्तास्या के फुसफुसाहट सुनाय देलकइ -
"उनका जगाहो मत; सुत्ते देहो; बाद में खाना खा लेथिन ।"
"सही बात हइ", रज़ुमिख़िन जवाब देलकइ ।
दुन्नु सवधानी से बाहर निकस गेलइ आउ दरवाजा बन कर देलकइ । करीब आध घंटा आउ गुजर गेलइ । रस्कोलनिकोव आँख खोललकइ आउ फेर से चित होके लेट गेलइ, अपन दुन्नु हाथ के सिर के पीछू करके ।

"ऊ केऽ हइ ? ई अदमी केऽ हइ, जे जमीन के अंदर से बाहर अइले ह ? काहाँ हलइ ऊ, आउ की देखलकइ ? ऊ सब कुछ देखलकइ, एकरा में तो कोय शंका नयँ हइ । तखने ऊ काहाँ खड़ी हलइ आउ काहाँ से देख रहले हल ? काहे ऊ अभिए फर्श के निच्चे से बाहर आवऽ हइ ? आउ ऊ कइसे देख पइलकइ - की ई वास्तव में संभव हइ ? ... हूँ ...", रस्कोलनिकोव सोचते रहलइ, ओकर देह ठंढा पड़ गेलइ आउ ऊ काँप उठलइ, "आउ ऊ डिबिया, जे निकोलाय के दरवजवा के पीछू मिललइ - की एहो संभव हइ ? सबूत ? एक लाख में एगो छोट्टे गो चीज के अनदेखी कइल जा सकऽ हइ - लेकिन ई तो मिस्र के पिरामिड नियन बड़गो सबूत हइ ! एगो मक्खी उड़के गेलइ, आउ देख लेलकइ ! अइसन की संभव हइ ?"

आउ ऊ अचानक नफरत के साथ महसूस कइलकइ, कि ऊ केतना कमजोर हो गेले हल, शारीरिक रूप से केतना कमजोर हो गेले हल ।
"ई हमरा जाने के चाही हल", ऊ कटु मुसकान के साथ सोचलकइ, "आउ खुद के जानते, अपना बारे पूर्वाभास होतहूँ, हम कइसे हिम्मत कइलूँ कुलहाड़ी लेके खून बहावे के ! हमरा पहिलहीं समझ लेवे के चाही हल ... अरे ! हमरा तो पहिलहीं से मालूम हलइ ! ..." निराशा में ऊ फुसफुसइलइ ।

कभी-कभी ऊ कोय विचार पर स्थिर रूप से अटकल रह जा हलइ –
"नयँ, अइसन लोग ई तरह के नयँ बनवल रहऽ हइ; सच्चा प्रशासक, जेकरा सब कुछ के छूट रहऽ हइ - तूलोन के तबाह कर दे हइ, पेरिस में कत्ले-आम मचा दे हइ, मिस्र में अपन फौज के भूल जा हइ, मास्को अभियान में पाँच लाख लोग (सैनिक) के खो दे हइ, आउ विलनो में हँसी-मजाक में समय गुजारऽ हइ; आउ ओकरे लगी, मौत होला पर, स्मारक बनावल जा हइ - मतलब कि सब कुछ के छूट मिल जा हइ [1] । नयँ, अइसन अदमी के शरीर, वस्तुतः, मांस के नयँ, बल्कि काँसा के बन्नल होवऽ हइ !"          

एगो अचानक विचित्र विचार ओकर दिमाग में अइलइ, जे ओकरा लगभग हँसा देलकइ -
"नेपोलियन, पिरामिड, वाटरलू - आउ एगो मरियल दुष्ट, रजिस्ट्रार के विधवा, बुढ़िया, समान गिरवी रक्खेवली, जेकर पलंग के निच्चे लाल सन्दूक हलइ - ई सब के पोरफ़िरी पित्रोविच कइसे हजम कर पइतइ ! ... ओकन्हीं के ई हजम नयँ होवे वला ! ... सौन्दर्य एकरा में बाधा डालतइ - 'नेपोलियन कहीं एगो बुढ़िया के पलंग के निच्चे रेंगके जा हइ' ! ओह, की बकवास हइ ! ..."
कोय पल ओकरा लगऽ हलइ, कि जइसे ऊ बड़बड़ाब करऽ हइ - ऊ ज्वरपीडित उल्लासपूर्ण मिजाज में पड़ गेले ह।

"बुढ़िया तो बकवास हइ !" ऊ उत्तेजित होके आउ अचानक सोचलकइ, "बुढ़िया तो शायद एगो गलती हलइ, लेकिन ओकरा में कोय बात नयँ हइ ! बुढ़िया खाली एगो बेमारी हलइ ... हमरा हद पार करे के जल्दी हले ... हम एगो व्यक्ति के हत्या नयँ कइलिअइ, बल्कि एगो सिद्धान्त के हत्या कइलिअइ ! सिद्धान्त के तो हत्या कर देलिअइ, लेकिन हम हद नयँ पार कर पइलिअइ, हम एहे पट्टी रह गेलिअइ ... खाली हम हत्या कर पइलिअइ । लेकिन ओहो हम नयँ कर पइलिअइ, अइसन लगऽ हइ ... सिद्धान्त ? हाल में ऊ बेवकूफ रज़ुमिख़िन समाजवादी लोग के गरियाब काहे लगी कर रहले हल ? ऊ परिश्रमी आउ कारोबारी लोग होवऽ हइ; ‘सार्वजनिक सुख’ ओकन्हीं के उद्देश्य हइ ... नयँ, हमरा जिनगी खाली एक तुरी मिल्लल ह, आउ आगू कभी नयँ रहत - हम ‘सार्वजनिक सुख’ के इंतजार में नयँ रहे ल चाहऽ ही । हम खुद्दे जीये लगी चाहऽ ही, अन्यथा बेहतर तो ई हइ कि जीने बेकार हइ । तब की ? हम ई नयँ चाहम कि हमर माय भुक्खल मरल जा रहल होवे आउ हम ओकरा भिर से अपन जेभी में रूबल रखले ‘सार्वजनिक सुख’ के इंतजार में गुजर जाऊँ । ई कहना कि 'हम एगो अइँटा सार्वजनिक सुख खातिर ढो रहलूँ हँ आउ ओकरा से मन के शांति अनुभव हो रहल ह' [2] । हा-हा ! त तोहन्हीं सब हमरा काहे लगी छोड़ देते गेलहो ? हमरा खाली एक्के जिनगी हके, आउ हमहूँ चाहऽ हूँ ... ओह, हम एगो संवेदनशील चिल्लड़ (जूँ) हकूँ, आउ एकरा से जादे कुछ नयँ ।" अचानक ऊ पागल नियन हँसते-हँसते बोललइ । "हाँ, हम वास्तव में एगो चिल्लड़ हकूँ", ऊ बात जारी रखलकइ, पैशाचिक आनंद के साथ ई विचार से चिपकते, ओकरा उलटते-पुलटते, एकरा से खेलते आउ आनंद लेते, "आउ ई खाली एकरा चलते, कि पहिला, हम ई तर्क कर सकऽ हूँ कि हम चिल्लड़ हकूँ; आउ दोसरा ई कारण से, कि पिछला एक महिन्ना से हितैषी नियति के परेशान कर रहलूँ हँ, ई बात के गोवाह बन्ने खातिर कि हम अपन दैहिक आउ कामुक लालसा के संतुष्टि लगी नयँ, बल्कि एगो भव्य आउ उदात्त उद्देश्य लगी ई काम के बीड़ा उठा रहलूँ हँ - हा-हा ! तेसरा, ई कारण से कि ई काम के निभावे में यथासंभव न्यायपूर्ण ढंग अपनइलिअइ, भार, माप आउ अंकगणित - सबसे बेकार चिल्लड़ के चुनलिअइ, आउ ओकरा मारके, ओकरा हीं से ठीक ओतने लेवे के निर्णय कइलिअइ, जेतना हमरा पहिला कदम में जरूरत हलइ, आउ न जादे, न कम (आउ बाकी बचलइ ऊ तो अइसीं मठ में जइवे करतइ, ओकर वसीयत के मोताबिक - हा-हा !) ... काहेकि, काहेकि हम तो आखिरकार एगो चिल्लड़ हकिअइ", ऊ दाँत पीसते आगू बोललइ, "काहेकि हम खुद्दे, शायद, ऊ चिल्लड़ से जादे नीच आउ घिनौना हकिअइ, जेकरा हम मार देलिअइ, आउ ई हमरा पहिलहीं से आभास हो रहले हल, कि हम खुद से एहे कहबइ, जइसीं ओकरा हम मार देबइ ! की वास्तव में अइसन भयंकरता से कोय चीज के तुलना हो सकऽ हइ ! ओह, कइसन ओछापन ! ओह, कइसन नीचता ! ... ओह, हम घोड़ा पर सवार 'पैगंबर' के केतना अच्छा से समझ सकऽ हूँ । अल्लाह के हुकुम हइ - 'ए काँपते जीव' [3] हुकुम मान ! सही हइ, ठीक हइ 'पैगंबर', जब ऊ सड़क के कहीं चौक पर नि-म्म-न लश्कर के खड़ी कर दे हइ आउ बेगुनाह आउ गुनहगार दुन्नु के सफाया कर दे हइ, बिन कोय वजह बतइले कि ऊ काहे अइसन कइलकइ ! हुकुम मान, काँपते जीव, आउ कोय कामना नयँ कर, काहेकि ई तोर काम नयँ हउ ! ... ओह, कभियो, कभियो हम ऊ बुढ़िया के माफ नयँ करबइ !"

ओकर केश पसेना से भिंग्गल हलइ, ओकर काँपइत होंठ सूख गेले हल, ऊ एकटक नजर से छत तरफ निहार रहले हल ।
"माय, बहिन - केतना प्यार करऽ हलिअइ ओकन्हीं से ! अब ओकन्हीं से काहे नफरत करऽ हिअइ ? हाँ, हम ओकन्हीं से नफरत करऽ हूँ, शारीरिक रूप से हम घृणा करऽ हूँ, ओकन्हीं के हमरा पास रहना बरदास नयँ होवऽ हके ... हाल में हम पास जाके मइया के चुम्बन लेलूँ, हमरा आद हके ... आलिंगन करूँ आउ सोचूँ, कि अगर ओकरा मालूम पड़ जाय, तो ... त की ओकरा वास्तव में बता दूँ ? ई हमरा से हो सकऽ हइ ... हूँ ! ओहो ओइसने होतइ, जइसन हम हकूँ", ऊ दिमाग पर जोर लगाके सोचलकइ, मानूँ सरसाम के शिकार हो रहल ऊ एकरा से संघर्ष कर रहल होवे ।

"ओह, ऊ बुढ़िया से अभी हमरा केतना नफरत हके ! लगऽ हके, कि अगर ऊ पुनर्जीवित हो जाय, त ओकारा दोबारा मार दिअइ ! बेचारी लिज़ावेता ! ऊ काहे लगी ओज्जा आ गेलइ ! ... हलाँकि, विचित्र बात हइ, कि काहे ओकरा बारे लगभग सोचवे नयँ करऽ हिअइ, जइसे ओकर हम हत्या करवे नयँ कइलिए हल ? ... लिज़ावेता ! सोनिया ! बेचारी, सीधी-सादी, सादगी भरल आँख वली ... प्यारी ! ... काहे ओकन्हीं नयँ कन्नऽ हइ ? काहे ओकन्हीं नयँ कराहऽ हइ ? ... ओकन्हीं सब कुछ दे दे हइ ... सीधी-सादी नियन आउ शांतिपूर्वक दृष्टि डालऽ हइ ... सोनिया, सोनिया ! शांत सोनिया ! ..."

ऊ भुलक्कड़ हो गेलइ; ओकरा विचित्र लग रहले हल, कि ओकरा ई आदे नयँ हकइ, कि ऊ कइसे सड़क पर पहुँच गेलइ । देर साँझ हो चुकले हल । गोधूलि वेला गहराय लगले हल, पुनियाँ के चान के चमक तीव्रतर आउ तीव्रतर होते जा रहले हल; लेकिन हावा में कइसूँ विशेष घुटन हलइ । सड़कियन पर लोग के भीड़ हलइ; कारीगर आउ दफ्तर के लोग घर जाब करऽ हलइ, दोसर लोग टहल रहले हल; गारा, धूरी, आउ ठहरल पानी के गन्ह आब करऽ हलइ । रस्कोलनिकोव उदास आउ चिंता में डुब्बल जाब करऽ हलइ - ओकरा बहुत अच्छा से आद हलइ, कि ऊ घर से कोय तो विशेष उद्देश्य से निकसले हल, कि कुछ तो ओकरा करे के हलइ आउ एकर जल्दीबाजी हलइ, लेकिन ठीक कउची हलइ, ऊ भूल गेलइ । अचानक ऊ ठहर गेलइ आउ देखलकइ, कि रोड के दोसरा छोर के फुटपाथ पर एगो अदमी खड़ी हइ आउ ओकरा तरफ हाथ हिलाब करऽ हइ । ऊ रोड पार करके ओकरा तरफ गेलइ, लेकिन अचानक ई अदमी मुड़ गेलइ आउ मूड़ी गोतले बिन वापिस देखले अइसे आगे बढ़ गेलइ, जइसे कुछ होवे नयँ कइले हल, आउ ओकरा ऊ कोय इशारे नयँ कइलके हल । "लेकिन की वास्तव में ऊ हमरा इशारा कइलके हल ?" रस्कोलनिकोव सोचलकइ, आउ तइयो ऊ ओकरा पीछू-पीछू गेलइ । मोसकिल से ऊ दस डेग आगू गेले होत, कि ऊ अचानक ओकरा पछान लेलकइ आउ डर गेलइ; ई आझ वला ओहे व्यापारी हलइ, ओहे लमका कोट में आउ ओइसने कुब्बड़ । रस्कोलनिकोव ओकरा से कुछ दूरी बनाके जा रहले हल; ओकर दिल धड़धड़ कर रहले हल; दुन्नु एगो बगल के गल्ली में मुड़ गेते गेलइ - ऊ अदमी अभियो पीछू मुड़के नयँ देखलकइ । "की ओकरा मालूम हइ, कि ओकर पीछू-पीछू हम जा रहलिए ह ?" रस्कोलनिकोव सोचलकइ । ऊ व्यापारी एगो बड़का घर के फाटक में घुसलइ । रस्कोलनिकोव तेजी से फाटक भिर पहुँच गेलइ आउ हुलकके देखे लगलइ, कि कहीं ऊ ओकरा पीछू मुड़के बोलावऽ हइ कि नयँ । वास्तव में, प्रवेशमार्ग पूरा पार करके आउ अहाता के अंदर निकस गेला पर, ऊ अदमी अचानक मुड़के देखलकइ आउ फेर से लगलइ कि ओकरा हाथ से इशारा कइलकइ । रस्कोलनिकोव तुरतम्मे प्रवेशमार्ग पार कर गेलइ, लेकिन अहाता में ऊ व्यापारी देखाय नयँ देलकइ । मतलब, ऊ हियाँ अभिए पहिला ज़ीना पर चल गेले हल । रस्कोलनिकोव लपकके ओकर पीछू गेलइ । वास्तव में, दू ज़ीना उपरे केकरो नापल-जोखल (steady), अत्वरित (unhurried) कदम के आहट सुनाय देब करऽ हइ । विचित्र बात हलइ, कि ई ज़ीना जइसे ओकरा जानल-पछानल हलइ ! अइकी पहिला मंजिल पर के खिड़की हइ; चान के रोशनी एकर काँच से होके फीका आउ रहस्यमय रूप से आ रहले हल; आउ अइकी दोसरा मंजिल हइ । वाह ! ई तो ओहे फ्लैट हकइ, जेकरा में मजूरवन पोताय के काम कर रहले हल ... कइसे ऊ तुरतम्मे नयँ पछान पइलकइ ? उपरे जाय वला अदमी के कदम के आहट शांत पड़ गेलइ - "मतलब, ऊ रुक गेले होत, चाहे कहीं परी छिप गेले होत ।" अइकी अब तेसरा मंजिल हइ; की आउ आगू जाल जाय ? आउ हुआँ कइसन सन्नाटा हलइ, बल्कि भयानक भी ... लेकिन ऊ बढ़ते गेलइ । ओकर खुद के कदम के अवाज ओकरा डेराऽ रहले हल आउ चिंतित कर देलके हल । हे भगमान, कइसन अन्हेरा ! व्यापारी शायद कहीं कोना में छिप्पल होतइ । ओह ! फ्लैट तो ज़ीना तरफ पूरा खुल्ला हलइ, ऊ थोड़े देरी सोचलकइ आउ अंदर घुस गेलइ । ड्योढ़ी में बहुत अन्हेरा हलइ आउ खाली हलइ, एगो आत्मा तक नयँ हलइ, मानूँ सब कुछ हटा लेवल गेले हल; ऊ दबे पाँव अतिथि-गृह (drawing-room) में गेलइ - पूरा कमरा में तेज चाँदनी छिटकल हलइ; सब कुछ हियाँ पर पहिले जइसन हलइ - कुरसियन, दर्पण, पियरका सोफा, फ्रेम में लग्गल तस्वीर सब । खिड़कियन में से बड़का, गोल, तामा जइसन लाल चान सीधे झाँक रहले हल । "चान के वजह से एतना शांति हइ", रस्कोलनिकोव सोचलकइ, "ई शायद अभी कोय पहेली बुझा रहले ह ।" ऊ खड़ी होके इंतजार करे लगलइ, देरी तक इंतजार कइलकइ, आउ चान जेतने जादे शांत होल जा हलइ, ओतने जादे ओकर दिल के धड़कन तेज होल जा हलइ, हियाँ तक कि ओकरा दरद होवे लगलइ । आउ सन्नाटा लगातार छाल रहलइ । अचानक एगो सुक्खल टहनी के चटके जइसन क्षणिक अवाज सुनाय देलकइ, आउ फेर सब कुछ शांत हो गेलइ । एगो जग्गल मक्खी अचानक उड़के खिड़की के काँच से टकरइलइ आउ दरद से भिनभिनइते रहलइ । ठीक ओहे क्षण, कोनमा में, एगो छोटगर अलमारी आउ खिड़की के बीच में, देवलिया पर ओकरा मानूँ एगो औरतानी ओवरकोट लटकल देखाय देलकइ । "हियाँ ओवरकोट काहे हइ ?", ऊ सोचलकइ, "पहिले तो ई नयँ हलइ ...।" ऊ धीरे-धीरे पास गेलइ आउ ओकरा लगलइ, कि जइसे ओवरकोट के पीछू कोय तो छिप्पल हकइ । सवधानी से ऊ हाथ से ओवरकोट के अलगे कइलकइ आउ देखलकइ, कि हियाँ परी एगो कुरसी हइ, आउ कुरसी पर एक कोना में बुढ़िया बइठल हइ, बिलकुल कमर से दोहरी होल आउ मूड़ी गोतले, ई तरह से कि ऊ कइसहूँ ओकर चेहरा नयँ देख पइलकइ, लेकिन ई हलइ ओहे । ऊ खड़ी होल ओकरा उपरे से देखते रहलइ - "डर रहले ह !", ऊ सोचलकइ, आउ चुपके से कुलहाड़ी के फंदा से अलगे कइलकइ आउ बुढ़िया के सिर के चोटी पर प्रहार कइलकइ, एक तुरी आउ दोसरा तुरी । लेकिन विचित्र बात हलइ - ऊ जरी सनी हिलवो नयँ कइलकइ, जइसे ऊ लकड़ी के बन्नल होवे । ऊ डर गेलइ, झुकके आउ पास से ओकरा देखे लगलइ; लेकिन ओहो अपन सिर आउ निच्चे झुका लेलकइ । तब ऊ बिलकुल फर्श तक झुक गेलइ आउ ओकरा चेहरा तरफ निच्चे से देखलकइ, देखलकइ आउ मानूँ मरल नियन हो गेलइ - बुढ़िया बइठल हँस रहले हल - ऊ अइसन अश्रव्य (inaudible) हँसी हँस रहले हल आउ पूरा जोर लगाके कोशिश कर रहले हल कि ओकरा (रस्कोलनिकोव के) सुनाय नयँ दे । अचानक ओकरा अइसन लगलइ, कि शयनकक्ष से दरवजवा जरी सुनी खुललइ, कि हुओं से मानूँ हँस्से आउ फुसफुसाय के अवाज सुनाय पड़लइ । ओकरा बहुत गोस्सा अइलइ - पूरा जोर लगाके ऊ बुढ़िया के सिर पे प्रहार करे लगलइ, लेकिन हरेक प्रहार के साथ शयनकक्ष से हँस्सी आउ फसफुसाहट के अवाज तीव्रतर आउ तीव्रतर होल गेलइ, आउ बुढ़िया तो हँस्सी के मारे लोट-पोट हो रहले हल । ऊ भाग जाय लगी चहलकइ, लेकिन पूरा प्रवेशमार्ग अब लोग से भर चुकले ह, ज़ीना पर के दरवजवन पूरा के पूरा खुल्लल हइ, आउ चबूतरा (landing) पर, ज़ीना पर आउ हुआँ निच्चे तरफ - सगरो लोग के भीड़, सब्भे देखब करऽ हइ - लेकिन सब्भे कोय साँस रोकके इंतजार कर रहले ह, चुपचाप ... ओकर दिल बइठ गेलइ, गोड़ हिल्लब नयँ कर रहल ह, जम गेल ह ... ऊ चिल्लाय लगी चहलकइ आउ - जग गेलइ ।

ऊ गहरा साँस लेलकइ - लेकिन विचित्र बात हलइ, सपना मानूँ अभियो तक जारी हलइ - ओकर दरवाजा पूरा-पूरा खुल्लल हलइ, आउ दहलीज पर ओकरा लगी एगो बिलकुल अपरिचित अदमी खड़ी हलइ आउ एकटक ओकरा तरफ तक रहले हल । रस्कोलनिकोव अभी अपन अँखिया पूरा खोलियो नयँ पइलके हल कि तुरतम्मे फेर ओकरा मून लेलकइ । ऊ चित पड़ल हलइ आउ बिलकुल हिल-डुल नयँ रहले हल । "ई सपना अभी तक जारी हइ, कि नयँ ?" ऊ सोचलकइ, आउ एक झलक लेवे खातिर अपन पलक लगभग अदृश्य नियन थोड़े सनी उपरे उठइलकइ - अपरिचित ओहे जगुन खड़ी हलइ आउ ओकरा तरफ अभी तक घूर रहले हल । अचानक ऊ सवधानी से दहलीज पार कइलकइ, अपन पीछू दरवाजा सवधानी से बन कर लेलकइ, टेबुल भिर गेलइ, एक मिनट इंतजार कइलकइ - ई पूरा अवधि के दौरान ओकरा तरफ से बिन अपन नजर हटइले - आउ चुपचाप, बिन कोय अवाज कइले, सोफा के पास के कुरसी पर बइठ गेलइ; ऊ अपन टोपी बगल में फर्श पर रख देलकइ, आउ अपन ठुड्डी के हथवा पर झुकाके दुन्नु हथवा से छड़िया पर टिका लेलकइ । जाहिर हलइ कि ऊ देरी तक इंतजार करे लगी तैयार हलइ । पलक मिरमिरइते जेतना देखना संभव हलइ, ऊ अदमी जवानी पार कर चुकले हल, गठीला बदन के हलइ आउ ओकर दाढ़ी घनगर, हलका सुनहरा, लगभग उज्जर हलइ ...

दस मिनट गुजर गेलइ । अभियो उजेला हलइ, लेकिन बेर डुब्बे लगले हल । कमरा में बिलकुल सन्नाटा हलइ । ज़ीना से भी कोय अवाज नयँ आब करऽ हलइ । खाली एक प्रकार के बड़गर मक्खी भिभिनइते खिड़की के काँच से फड़फड़ाके टकराब करऽ हलइ । आखिरकार, ई बरदास के बाहर हो गेलइ - रस्कोलनिकोव अचानक उठके सोफा पर बइठ गेलइ ।

"अच्छऽ, बताथिन, अपने के की चाही ?"
"हमरा मालूम हलइ, कि अपने सुत्तल नयँ हथिन, आ खाली अइसन देखाब करऽ हथिन", अपरिचित शांत भाव से हँसते विचित्र ढंग से जवाब देलकइ । "हमरा अपन परिचय देवे के अनुमति देथिन - हम हकिअइ अर्कादी इवानोविच स्विद्रिगाइलोव ..."

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