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Monday, August 10, 2015

अपराध आउ दंड - भाग – 5 ; अध्याय – 4



अपराध आउ दंड

भाग – 5

अध्याय – 4

रस्कोलनिकोव सोनिया लगी लूझिन के विरुद्ध सक्रिय आउ साहसी अधिवक्ता (advocate) के रूप में काम कइलके हल, एकर बावजूद कि ऊ खुद्दे अपन दिल पर बहुत सारा खुद के भय आउ कष्ट झेल रहले हल । लेकिन सुबहे एतना सारा कष्ट झेलला पर, ऊ मानूँ खुद के संवेदना में परिवर्तन के संयोग मिलला से खुश हलइ, जे संवेदना ओकरा लगी असह्य हो रहले हल, ई बात के बारे बिन कुछ कहले, कि ओकरा सोनिया के बचाव खातिर ओकर इच्छा में केतना सारा व्यक्तिगत आउ हार्दिक भावना हलइ । एकरा अलावे, सोनिया के साथ आगामी भेंट ओकर दिमाग में हलइ आउ ओकरा भयंकर रूप से कष्ट दे रहले हल, विशेष करके कोय-कोय क्षण - ओकरा सोनिया के बतावहीं के हलइ कि केऽ लिज़ावेता के हत्या कइलकइ, आउ ओकरा अपना खातिर भयंकर पीड़ा के पूर्वाभास होब करऽ हलइ, आउ जेकरा ऊ मानूँ हाथ से झटकके खुद से दूर करे के कोशिश कर रहले हल। आउ ओहे से, जब ऊ कतेरिना इवानोव्ना के हियाँ से बाहर निकसते बखत अपन उद्गार प्रकट कइलके हल - "अच्छऽ, सोफ़िया सिम्योनोव्ना, अपने के अब की कहे के हइ ?", तब, स्पष्टतः, साहस, चुनौती आउ लूझिन पर हाल के विजय के कारण अभियो एक प्रकार के बाह्य रूप से उत्तेजित स्थिति में हलइ । लेकिन ओकरा साथ विचित्र बात होलइ । जब ऊ कापेरनाउमोव के फ्लैट भिर पहुँचलइ, तब अपन मन में आकस्मिक दुर्बलता आउ भय अनुभव कइलकइ । ऊ विचारमग्न होल दरवाजा के सामने एगि विचित्र सवाल के साथ ठहर गेलइ - "की ई जरूरी हइ बताना, कि केऽ लिज़ावेता के हत्या कइलकइ ?" सवाल विचित्र हलइ, काहेकि ऊ अचानक तखनहीं महसूस कइलकइ, कि नयँ खाली नयँ बताना असंभव हइ, बल्कि ई क्षण के, तात्कालिक रूप से भी काहे नयँ होवे, स्थगित करना असंभव हइ । ओकरा अभियो तक नयँ मालूम हलइ कि काहे ई असंभव हइ; ऊ खाली अइसन महसूस करऽ हलइ, आउ अवश्यंभावी के सामने अपन दुर्बलता के ई कष्टप्रद आभास ओकरा लगभग कुचलके रख देलके हल । अब आउ जादे सोच-विचार नयँ करे आउ यातना नयँ झेले खातिर, ऊ तेजी से दरवाजा खोल लेलकइ आउ दहलीजे पर से सोनिया तरफ देखे लगलइ । ऊ टेबुल पर केहुनी के टेकके हाथ से चेहरा छिपइले बइठल हलइ, लेकिन रस्कोलनिकोव के देखके, तेजी से उठ खड़ी होलइ आउ स्वागत करे खातिर ओकरा तरफ बढ़लइ, मानूँ ऊ ओकर इंतजार कर रहल होवे ।

"अपने के बगैर नयँ मालूम हमरा की होत हल !" कमरा के बीच ओकरा से मिलते ऊ तेजी से बोल गेलइ । स्पष्टतः ओकरा जल्दी से जल्दी एहे बात रस्कोलनिकोव के कहे के हलइ । एकरे खातिर ऊ ओकर इंतजार कर रहले हल ।

रस्कोलनिकोव टेबुल भिर तक गेलइ आउ कुरसी पर बइठ गेलइ, जेकरा पर से सोनिया अभी-अभी उठले हल । ऊ ओकरा सामने दू डेग के दूरी पर खड़ी रहलइ, बिलकुल कल्हे नियन ।

"की, सोनिया ?" ऊ कहलकइ आउ अचानक महसूस कइलकइ, कि ओकर अवाज में कंपन हलइ, "वस्तुतः सब बात तो 'सामाजिक स्थिति आउ एकरा से संबंधित आदत पर' आधारित हलइ । हाल के ई बात अपने के समझ में अइलइ ?"
ओकर चेहरा पर दुख के छाया देखाय देलकइ ।
"कल्हे नियन खाली हमरा से नयँ बात करथिन !" ऊ बीच में ओकर बात टोकलकइ । "मेहरबानी करके, ई बात शुरू नयँ करथिन । अइसूँ दरद काफी हके ..."
ऊ जल्दी से मुसका देलकइ, ई डर से, कि शायद ओकरा ई ओलहन पसीन नयँ पड़इ ।
"हुआँ से निकसके चल जाना हमर बेवकूफी हलइ । हुआँ अभी की हो रहले ह ? अभिए जाय के सोचब करऽ हलिअइ, लेकिन सोचते हलिअइ, कि अइकी ... अपने पहुँच जइथिन ।"

ऊ ओकरा बतइलकइ, कि अमालिया इवानोव्ना ओकन्हीं के फ्लैट से निकासब करऽ हइ, कि कतेरिना इवानोव्ना कहीं "सच्चाई के खोज में" भाग गेलइ ।
"हे भगमान !" सोनिया दुख प्रकट करते उठ गेलइ, "तुरतहीं चल्लल जाय ..."
आउ ऊ अपन दुपट्टा पकड़ लेलकइ ।
"हमेशे ओहे बात !" रस्कोलनिकोव चिढ़के चिल्ला उठलइ । "अपने के खाली विचार में रहऽ हइ - ओकन्हीं ! हमरा साथ कुछ देर ठहरथिन ।"
"लेकिन ... कतेरिना इवानोव्ना ?"
"आ कतेरिना इवानोव्ना के तो अपने के बगैर काम नयँ चलतइ, खुद्दे अपने के पास अइता, काहेकि घर से भागके चल गेला ह", ऊ चिड़चिड़ा होके आगू बोललइ । "अगर ऊ अपने के हियाँ परी नयँ पइता, त अपनहीं एकरा लगी दोषी होथिन ..."

सोनिया दर्दनाक अनिर्णय से कुरसी पर बइठ गेलइ । जमीन तरफ एकटक देखते आउ विचारमग्न होल रस्कोलनिकोव चुप्पी साधले रहलइ ।

"मान लेल जाय, कि लूझिन अभी अपने के कुछ करे लगी नयँ चाहऽ हलइ", ऊ शुरू कइलकइ, सोनिया तरफ बिन नजर कइले । "लेकिन अगर ऊ चाहते हल, चाहे कइसूँ अपन हिसाब-किताब के चिंता करते हल, त ऊ अपने के जेल तो भेजा के रखते हल, अगर हुआँ संयोगवश हम आउ लिबिज़्यातनिकोव नयँ आ पहुँचतिए हल ! हइ न ?"
"हाँ", ऊ धीमे स्वर में बोललइ, "हाँ !" अन्यमनस्क आउ भयभीत होल ऊ दोहरइलकइ ।
"आउ वस्तुतः हम हुआँ नहिंयों आ सकऽ हलिअइ ! आउ लिबिज़्यातनिकोव - ओहो बिलकुल संयोगवश आ पहुँचलइ ।"
सोनिया चुप रहलइ ।
"अच्छऽ, आउ अगर अपने जेल में होथिन हल, त की होते हल ? अपने के आद हइ, कि हम कल्हे की कहलिए हल ?"
अबरियो ऊ जवाब नयँ देलकइ । ऊ (रस्कोलनिकोव) इंतजार करते रहलइ ।

"आउ हम सोचब करऽ हलिअइ, कि अपने फेर से चिल्लइथिन - 'आह, मत करथिन ई सब बात, बस करथिन !'" रस्कोलनिकोव हँस पड़लइ, लेकिन कइसूँ प्रयास करके । "की बात हइ, फेर से चुप्पी ?" मिनट भर के बाद ऊ फेर से पुछलकइ । "वस्तुतः कोय चीज के बारे बात तो करे के चाही ?" अइकी हमरा ई जाने में दिलचस्पी होतइ, कि अपने कइसे एक 'प्रश्न' के समाधान करथिन - जइसन कि लिबिज़्यातनिकोव के कहना हइ । (अइसन लग रहले हल कि ऊ उलझन में पड़े लगले हल ।) नयँ, वास्तव में, हम गंभीर हिअइ । कल्पना करथिन, सोनिया, कि अपने लूझिन के सब्भे इरादा के पहिलहीं से भाँप गेलथिन होत, ई जान लेथिन हल (मतलब, निश्चित  रूप से), कि जेकरा चलते कतेरिना इवानोव्ना बिलकुल बरबाद हो चुकता हल, आउ बुतरुअनो; आउ साथे-साथ अपनहूँ (काहेकि अपने खुद के कुच्छो नयँ लगावऽ हथिन, ओहे से साथे-साथ) । पोलेच्का ओइसीं ... काहेकि ओकरा लगी ओहे मार्ग रह जा हइ । अच्छऽ जी; अइकी ई बात - अगर अचानक अब सब कुछ के फैसला अपने पर छोड़ देल जाय - ओकरा, कि ओकन्हीं के संसार में जीए के चाही, मतलब, लूझिन जीअइ आउ अपन बेहूदगी करते रहइ, कि कतेरिना इवानोव्ना मर जाय ? तब अपने कइसे फैसला करथिन - ओकन्हीं में से केकरा मर जाय के चाही ? हम अपने के पुच्छऽ हिअइ ।"

सोनिया बेचैनी से ओकरा दने देखलकइ - ओकरा ई अनिश्चित आउ दूर से कोय चीज के पास अइते बोली में कुछ तो विशेष बात लगलइ ।
"हमरा आशंका हलइ, कि अपने कुछ तो अइसने पुछथिन", ऊ ओकरा दने जिज्ञासा भरल दृष्टि से देखते बोललइ।
"ठीक हइ, जाय देथिन; लेकिन तइयो, एकर फैसला कइसे कइल जाय ?"
"काहे लगी अपने पुच्छऽ हथिन, जे नयँ हो सकऽ हइ ?" घृणापूर्वक सोनिया कहलकइ ।
"मतलब, बेहतर एहे हइ कि लूझिन जीअइ आउ बेहूदगी करते रहइ ! त अपने एकरो बारे कोय फैसला करे के साहस नयँ करथिन ?"

"लेकिन हम परमात्मा के विधान तो जान नयँ सकऽ हिअइ ... आउ काहे लगी अपने पुच्छऽ हथिन, जे पुच्छे के चाहवे नयँ करी ? काहे लगी अइसन निरर्थक प्रश्न ? ई कइसे हो सकऽ हइ, कि ई हम्मर निर्णय पर निर्भर होवे? आउ केऽ हमरा ई मामला के निर्णायक बनाके बइठइलकइ - केकरा जीए के हइ, आउ केकरा नयँ जीए के ?"
"एक तुरी परमात्मा के विधान घुसा देवल जाय, तब तो कुच्छो कइले नयँ जा सकऽ हइ", खिन्नचित्त रस्कोलनिकोव बड़बड़इलइ ।

"बेहतर होतइ, कि अपने सीधे-सीधे बोल देथिन जे अपने चाहऽ हथिन !" सोनिया दुखपूर्वक चिल्लइलइ, "अपने फेर से ई मामला के कहीं आउ ले जा रहलथिन हँ ... की अपने खाली तकलीफ देवे लगी अइलथिन हँ !"
ऊ बरदास नयँ कर पइलकइ आउ अचानक जोर से कन्ने लगलइ । ऊ (रस्कोलनिकोव) अंधकारमय उदासी में ओकरा दने तक रहले हल । करीब पाँच मिनट गुजर गेलइ ।

"वास्तव में तूँ सही हकऽ, सोनिया", आखिरकार ऊ शांत स्वर में बोललइ । ऊ अचानक बदल गेलइ; ओकर देखावटी ढिठाई आउ दुर्बल चुनौतीपूर्ण स्वर (tone) गायब हो गेलइ । ओकर अवाज भी अचानक कमजोर पड़ गेलइ । "हम कल्हिंएँ तोरा कहलियो हल, कि हम माफी माँगे लगी नयँ अइबो, लेकिन लगभग एहे बात से शुरू कइलियो, कि हम माफी माँगऽ हियो ... ई हम लूझिन आउ परमात्मा के विधान के बारे अपना खातिर बोललियो ... ई हम माफी माँग रहलियो हल, सोनिया ..."

ऊ मुसकाय के प्रयास कइलकइ, लेकिन ओकर पीयर मुसकान कुछ तो दुर्बल आउ अधूरापन सूचित कर रहले हल । ऊ अपन सिर झुका लेलकइ आउ दुन्नु हाथ से अपन चेहरा झाँप लेलकइ । आउ अचानक, सोनिया के प्रति एक तरह के कटु घृणा के अप्रत्याशित संवेदना ओकर दिल से होके गुजरलइ । खुद अइसन संवेदना से मानूँ अचंभित आउ भयभीत होके, ऊ अचानक सिर उठइलकइ आउ ओकरा तरफ एकटक देखे लगलइ; लेकिन ओकरा सोनिया के बेचैन आउ कष्टप्रद हद तक चिंतित नजर ही देखाय देलकइ; हियाँ प्यार हलइ; ओकर घृणा भूत-प्रेत नियन गायब हो गेलइ । ई ऊ नयँ हलइ; ऊ एक भावना के दोसर भावना समझ लेलके हल । एकर मतलब खाली ई हलइ, कि ऊ क्षण आ चुकले हल ।

फेर से ऊ दुन्नु हाथ से अपन चेहरा झाँप लेलकइ आउ सिर निच्चे झुका लेलकइ । अचानक ओकर रंग पीयर पड़ गेलइ, कुरसी पर से उठलइ, सोनिया तरफ देखलकइ, आउ बिन कुछ बोलले ओकर बिछौना पर जाके बइठ गेलइ ।
ओकर संवेदना में, ई क्षण भयंकर रूप से ऊ क्षण नियन हलइ, जब ऊ बुढ़िया के पीछू खड़ी हलइ, कुल्हाड़ी के फंदा में से छोड़ाऽ चुकले हल, आउ महसूस कर रहले हल, कि "अब आउ एक्को पल बरबाद करे के नयँ चाही" ।

"अपने के की हो गेले ह ?" भयंकर रूप से भयभीत होल सोनिया पुछलकइ ।
ऊ कुच्छो नयँ बोल पइलइ । ऊ बिलकुल, बिलकुल अइसन तरह से घोषित करे के नयँ इरादा कइलके हल, आउ ओकरा खुद्दे नयँ समझ में आ रहले हल, कि अभी ओकरा साथ की हो रहले ह । सोनिया शांतिपूर्वक ओकरा भिर अइलइ, बगल में बिछौनमा पर बइठ गेलइ आउ, ओकरा पर से अपन नजर बिन हटइले, इंतजार करे लगलइ । सोनिया के दिल धड़धड़ाय आउ शांत हो जाय । स्थिति असह्य हो गेलइ - ऊ अपन मौत नियन पीयर होल चेहरा ओकरा सामने कइलकइ; कुछ तो बोले खातिर प्रयास करते ओकर होंठ शक्तिहीन रूप से विकृत होलइ । सोनिया के दिल में भय समा गेलइ ।

"अपने के की हो गेले ह ?" ओकरा से कुछ दूर हटते ऊ दोहरइलकइ ।
"कुछ नयँ, सोनिया । डरऽ मत ... बकवास हइ ! वास्तव में, अगर सोचऽ त ई बकवास हइ", ऊ सरसामी हालत के व्यक्ति नियन चेहरा बनइले बड़बड़इलइ । "काहे लगी हम तोहरा खाली सतावे लगी अइलिअइ ?" ओकरा तरफ देखते ऊ आगू बोललइ । "वास्तव में, काहे लगी ? हम ई सवाल खुद से करते रहऽ ही, सोनिया ..."

ऊ शायद पनरह मिनट पहिले खुद से ई सवाल कइलके हल, लेकिन अभी बिलकुल शक्तिहीन रूप से बोल रहले हल, मोसकिल से खुद के बारे बोध रहते, आउ अपन पूरा शरीर में लगातार कंपन के अनुभव करते ।

"ओह, अपने केतना तकलीफ झेल रहलथिन हँ !" ओकरा तरफ गौर से देखते, दुखी होते ऊ बोललइ ।
"सब कुछ बकवास हइ ! ... अइकी बात ई हइ, सोनिया (ऊ अचानक कोय कारणवश मुसकइलइ, एक तरह के पीयर आउ दुर्बल मुसकान, करीब दू सेकंड तक), तोहरा आद हको, कि हम कल्हे की कहे लगी चाहऽ हलियो ?"
सोनिया बेचैनी से इंतजार कइलकइ ।
"हम जइते बखत कहलियो हल, कि शायद, हम हमेशे लगी अलविदा हो रहलयो ह, लेकिन अगर आझ हम अइबो, त हम तोरा बतइबो ... कि केऽ लिज़ावेता के हत्या कइलकइ ।"

सोनिया अचानक पूरे शरीर से कँप्पे लगलइ ।
"त अइकी, हम बतावे लगी अइलियो ह ।"
"त अपने ई वास्तव में कल्हे ...", ऊ मोसकिल से फुसफुसा पइलइ, "अपने के कइसे मालूम ?" मानूँ तुरते होश अइला पर, ऊ जल्दी-जल्दी पुछलकइ ।
सोनिया मोसकिल से साँस ले पावे लगलइ । ओकर चेहरा लगातार पीयर आउ पीयर हो जाल रहले हल ।
"हमरा मालूम हकइ ।"

सोनिया एक मिनट तक चुप रहलइ ।
"की, ओकन्हीं खोज लेते गेलइ ?" ऊ सहमल पुछलकइ ।
"नयँ, ओकन्हीं नयँ खोज पइलकइ ।"
"त अपने के एकरा बारे कइसे मालूम ?" फेर से मोसकिल से सुनाय देवे वला अवाज में ऊ पुछलकइ, आउ फेर से लगभग एक मिनट के चुप्पी के बाद ।
ऊ ओकरा तरफ मुड़लइ आउ ओकरा एकटक-एकटक देखे लगलइ ।
"अंदाज लगावऽ", ऊ पहिलहीं नियन विकृत आउ दुर्बल मुसकान के साथ बोललइ ।
मानूँ एगो कंपन ओकर पूरे शरीर में दौड़ गेलइ ।
"लेकिन अपने ... हमरा ... हमरा काहे लगी एतना ... डराब करऽ हथिन ?" बुतरू नियन मुसकइते ऊ बोललइ।

"मतलब, हम ओकर बड़गो दोस्त होतिअइ ... अगर हम जानऽ हिअइ", रस्कोलनिकोव बात जारी रखलकइ, ओकर चेहरा पर से नजर हटइले बेगर ओकरा देखते, मानूँ ओकरा पर से नजर हटावे के ताकत नयँ हलइ, "ऊ ई लिज़ावेता के ... हत्या करे लगी नयँ चाहऽ हलइ ... ऊ ओकर ... संयोगवश हत्या कर देलकइ ... ऊ तो बुढ़िया के जान मारे लगी चाहऽ हलइ ... जब ऊ अकेल्ले रहइ ... आउ अइलइ ... आउ हियाँ परी लिज़ावेता अंदर आ गेलइ ... ऊ हियाँ परी ... ओकरो मार देलकइ ।"

एगो आउ डरावना मिनट गुजर गेलइ । दुन्नु लगातार एक दोसरा के देखते रहलइ ।
"त अंदाज नयँ न लगा सकऽ हो ?" ऊ अचानक पुछलकइ, अइसन भावना के साथ, मानूँ ऊ घंटाघर से निच्चे कुद्दे लगी चाह रहल होवे ।
"न-नयँ", मोसकिल से सुनाय देवे वला अवाज में सोनिया फुसफुसइलइ ।
"अच्छा से देखहो ।"

आउ जइसीं ऊ ई बात कहलकइ, ओइसीं फेर से एगो पहिलौका, परिचित संवेदना ओकर आत्मा के अचानक बरफ बना देलकइ - ऊ ओकरा तरफ देखलकइ आउ अचानक, ओकर चेहरा में, ओकरा लिज़ावेता के चेहरा के आभास होलइ । ओकरा लिज़ावेता के चेहरा के भाव सजीव रूप से आद पड़ गेलइ, जब ऊ तखने कुल्हाड़ी के साथ ओकरा तरफ बढ़ रहले हल, आउ ऊ (लिज़ावेता) ओकरा से पीछू देवलिया तरफ घसक रहले हल, अपन दुन्नु हथवा आगू तरफ तानले, आउ चेहरा पर बिलकुल बुतरू नियन भय के भाव के साथ, बिलकुल ठीक छोटकुन्ना बुतरू नियन, जब ऊ अचानक कोय चीज से डरे लगऽ हइ, आउ निर्निमेष आउ बेचैनी से डरावे वला चीज देखते रहऽ हइ, आउ अपन छोटकुन्ना हथवन के आगू मुँहें तानले सिमटके पीछू तरफ  हटते जा हइ, आउ कन्ने लगे के हद तक पहुँच जा हइ । लगभग ओहे बात अब सोनिया के साथ होलइ - ओइसीं दुर्बलता से, ओइसने भय से, ऊ ओकरा तरफ कुछ बखत तक देखते रहलइ, आउ अचानक, अपन बामा हथवा के आगू तानके, हलका सनी, मोसकिल से, ओकर छाती पर अपन अँगुरी के रखलकइ आउ धीरे-धीरे बिछौना पर से उट्ठे लगलइ, लगातार ओकरा से दूर आउ दूर हटते गेलइ, आउ लगातार अपन नजर ओकरा पर टिकइले रहलइ । ओकर भय अचानक रस्कोलनिकोव के समझ में आ गेलइ - बिलकुल ओइसने भय ओकरो चेहरा पर उभर अइलइ, आउ बिलकुल ओइसीं ओहो सोनिया तरफ तक्के लगलइ, आउ लगभग ओइसने बचकाना मुसकान के साथ ।

"अंदाज लग गेलो ?" आखिरकार ऊ फुसफुसइलइ ।
"हे भगमान !" ओकर सीना से एगो भयानक चीख निकस गेलइ । ऊ बेबस होके बिछौना पर गिर पड़लइ, चेहरा निच्चे तरफ तकिया के उपरे कइले । लेकिन एक क्षण के बाद तेजी से उठ गेलइ, तेजी से ओकरा भिर अइलइ, ओकरा दुन्नु हाथ से पकड़ लेलकइ, आउ शिकंजा नियन कसके अपन पातर-पातर अँगुरी से ओकरा दबइलकइ, आउ फेर से ओकर चेहरा तरफ एकटक तक्के लगलइ, मानूँ ओकर आँख ओकरा से चिपकल होवे । ई अंतिम निराशा के दृष्टि से, ऊ अपना लगी कम से कम कोय अंतिम आशा के खोजे आउ पकड़े लगी चहलकइ । लेकिन कोय आशा नयँ हलइ; कोय शक्का नयँ रह गेलइ; सब कुछ ओइसीं हलइ ! बादो में, आगू चलके, जब ओकरा ई क्षण के आद पड़लइ, त ओकरा ई बात विचित्र आउ अद्भुत दुन्नु लगलइ - ठीक-ठीक कइसे ओकरा ऊ बखत तुरते समझ में आ गेलइ, कि अब कोय शक्का नयँ रह गेले ह ? वस्तुतः ऊ बता नयँ सकऽ हलइ, उदाहरणार्थ, कि ओकरा कुच्छो ई प्रकार के कोय पूर्वाभास होले हल । लेकिन तइयो, अब, जइसीं ऊ ओकरा ई बात कहलकइ, तब ओकरा अचानक लगलइ, कि वास्तव में ओकरा मानूँ एहे पूर्वाभास होले हल ।

"बस, सोनिया, बहुत हो गेलो ! हमरा नयँ सतावऽ !" दुख से व्याकुल होके ऊ निवेदन कइलकइ ।
ऊ ओकरा अइसे बात खोले के बारे बिलकुल, बिलकुल नयँ सोचलके हल, लेकिन ई अइसीं हो गेलइ ।

मानूँ खुद के खियाल नयँ कइले, ऊ उछलके खड़ी हो गेलइ, आउ अपन हाथ मलते कमरा के बीच तक गेलइ; लेकिन तेजी से वापिस आ गेलइ आउ ओकर बगल में बइठ गेलइ, लगभग ओकर कन्हा में कन्हा सटइले । अचानक, मानूँ ओकरा छूरा भोंक देल गेल होवे, ऊ अचंभित हो गेलइ, चीखलइ आउ खुद्दे नयँ जानते कि काहे, ओकरा सामने टेहुना टेकके बइठ गेलइ ।

"ई अपने, ई अपने खुद के की हालत बना लेलथिन हँ !" सोनिया निराशा में ओकरा से बोललइ, आउ अपन टेहुना से उछलके झपटके ओकर गरदन से लग गेलइ, ओकरा चुमलकइ आउ कस-कसके ओकरा अपन बाँह में जकड़ लेलकइ ।

रस्कोलनिकोव झटका देके खुद के छोड़इलकइ, आउ उदास मुसकान के साथ ओकरा तरफ देखते रहलइ ।
"तूँ केतना अजीब हकऽ, सोनिया - हमरा आलिंगन करऽ ह आउ चुंबन ले ह, जबकि हम तोरा एकरा बारे बता देलियो । तोरा खुद के खियाल नयँ हको ।"
"नयँ, तोरा से जादे दुखी आउ कोय अभी दुनिया भर में नयँ होतइ !" ऊ उन्माद भरल स्वर में चिल्लइलइ, ओकर टिप्पणी के बिन सुनले, आउ अचानक जोर-जोर से, मानूँ भावोन्मत्त होल, कन्ने लगलइ ।

लंबा समय से ओकरा (रस्कोलनिकोव) लगी अपरिचित रहल भावना के लहर ओकर दिल में उमड़ पड़लइ आउ ओकरा (दिल के) एक्के तुरी अचानक पिघला देलकइ । ऊ एकर विरोध नयँ कइलकइ - ओकर आँख से लोर के दू बून ढरक पड़लइ आउ पिपनी (बरौनी) पर अटक गेलइ ।

"त तूँ हमरा छोड़ तो नयँ देबऽ, सोनिया ?" ऊ बोललइ, ओकरा तरफ लगभग आशा के साथ देखते ।
"नयँ, नयँ; कभी नयँ आउ कहूँ नयँ !" सोनिया चिल्लाके बोललइ, "तोहर पीछू-पीछू जइबो, सगरो जइबो ! हे भगमान ! ... ओह, हम अभगली हकूँ ! ... आउ हम तोहरा काहे, काहे नयँ पहिले जान पइलूँ ! तूँ आउ पहिले काहे नयँ अइलऽ ? हे भगमान !"
"अइकी अब तो अइलियो ।"
"अभी तो न ! ओ, अभी की कइल जा सकऽ हइ ! ... साथ में, साथ में !" ऊ दोहरइते रहलइ, मानूँ बेसुध अवस्था में होवे आउ फेर से ओकरा आलिंगन कर लेलकइ, "तोहरा साथ कालापानी (कठोर श्रम वला कारागार) जइबो!"

ओकरा मानूँ अचानक ऐंठन अनुभव होलइ, पहिलौका, घृणात्मक आउ लगभग ढीठ मुसकान ओकर होंठ पर उभर अइलइ ।
"हम तो, सोनिया, शायद अभियो कालापानी जाय लगी नयँ चाहऽ ही", ऊ कहलकइ ।
सोनिया तेजी से ओकरा तरफ एक नजर देखलकइ ।

ऊ अभागल के प्रति पहिला भावात्मक आउ कष्टदायक सहानुभूति के बाद फेर से हत्या के भयावह विचार ओकर मस्तिष्क में प्रहार कइलकइ । ओकर शब्द के बदलल लहजा में अचानक ओकरा आभास होलइ कि ऊ हत्यारा के शब्द सुन रहले ह । ऊ अचरज से ओकरा दने तक्के लगलइ । ओकरा अभी तक कुछ मालूम नयँ हलइ, कि ई जे कुछ होलइ ऊ काहे, कइसे आउ काहे लगी होलइ । अब ई सब्भे प्रश्न अचानक ओकर चेतन अवस्था में भड़क उठलइ। आउ ओकरा फेर से विश्वास नयँ होलइ - "ऊ, ऊ हत्यारा हइ ! की ई वास्तव में संभव हइ ?"

"आखिर ई सब की हइ ! आउ हम काहाँ खड़ी हकूँ !" ऊ गंभीर किंकर्तव्यविमूढ़ता में बोललइ, मानूँ ओकर अभियो होश ठिकाने नयँ हलइ, "लेकिन कइसे अपने, अपने अइसन ... अइसन निर्णय कर पइलथिन ? ... आखिर ई सब की हइ !"
"देखऽ, वास्तव में लुट्टे लगी । छोड़ऽ ई बात के, सोनिया !" ऊ एक तरह से थक गेलइ आउ मानूँ झुंझलाहट में भी जवाब देलकइ ।

सोनिया मानूँ हक्का-बक्का होल खड़ी हलइ, लेकिन अचानक चिल्लइलइ - "तूँ भुक्खल हलऽ ! तूँ ... अपन माय के मदत करे लगी ई सब कइलऽ ? हइ न ?"
"नयँ, सोनिया, नयँ", ऊ बड़बड़इलइ, मुड़के आउ अपन मूड़ी गोतले, "हम ओतना भुक्खल नयँ हलूँ ... हम वास्तव में मइया के मदत करे लगी चाहऽ हलिअइ, लेकिन ... एहो बात बिलकुल सही नयँ हइ ... हमरा मत सतावऽ, सोनिया !"
सोनिया अपन दुन्नु हाथ के उपरे करके आपस में जकड़ लेलकइ ।

"लेकिन, की, की ई सब वास्तव में सच हइ ! हे भगमान, ई कइसन सच्चाई हइ ! केऽ ई बात में विश्वास कर सकऽ हइ ? ... आउ कइसे, कइसे अपने खुद आखिरी पाई तक दान दे दे हथिन, लेकिन लुट्टे लगी हत्या कर दे हथिन ! आह ! ...", ऊ अचानक चिल्ला उठलइ, "ऊ पइसा, जे कतेरिना इवानोव्ना के दे देलथिन ... ऊ पइसा ... हे भगमान, की वास्तव में ओहे पइसा ..."

"नयँ, सोनिया", जल्दी से ऊ बात काटते बोललइ, "ई पइसा ओहे नयँ हलइ, फिकिर मत करऽ ! ई पइसा हमरा माय भेजलका हल, एगो व्यापारी के माध्यम से, आउ एकरा हम पइलिए हल तब, जब हम बेमार हलिअइ, आउ ओहे दिन हम दे देलिए हल ... रज़ुमिख़िन देखलके हल ... हमरा तरफ से ओहे पइसवा लेलके हल ... ई पइसा हम्मर हलइ, हम्मर खुद के, असली हम्मर ।"

सोनिया ओकर बात अचरज से सुन रहले हल आउ कुछ तो समझे के भरपूर कोशिश कर रहले हल ।
"आउ ऊ पइसा ... हमरा एहो तक मालूम नयँ कि ओकरा में कोय पइसा हइयो हलइ कि नयँ", ऊ धीमे स्वर में आउ मानूँ विचारमग्न हालत में आगू बोललइ, "हम तखने ओकर गरदन से एगो बटुआ लेलिए हल, स्वेड चमड़ा के बन्नल ... भरल, बहुत ठूँस-ठूँस के भरल बटुआ ... लेकिन हम अंदर में नयँ देखलिअइ; शायद हमरा देखे के मौका नयँ मिललइ ... आउ जे चीज हलइ, ऊ एक तरह से सब्भे कफ़-बटन, कॉलर-बटन, आउ छोटगर-छोटगर सिकरी (चेन) हलइ - ई सब चीज आउ बटुआ हम, व॰ प्रोस्पेक्त (राजपथ) पर अवस्थित एगो अनजान अहाता में, एगो पत्थल के निच्चे छिपा देलिए हल, अगलहीं सुबह ... सब कुछ अभियो ओज्जे परी पड़ल हइ ..."

सोनिया पूरा जोर लगाके (अर्थात् पूरा ध्यान लगाके) सुन रहले हल ।
"अच्छऽ, त कइसे ... कइसे अपने कहलथिन - ई सब काम लुट्टे लगी हलइ, आउ खुद कुच्छो नयँ लेलथिन ?" ऊ जल्दी-जल्दी पुछलकइ, तिनका के सहारा लेते ।
"हमरा मालूम नयँ ... हम अभियो तक फैसला नयँ कर पइलिअइ - कि ई पइसा लेल जाय, कि नयँ लेल जाय", फेर से मानूँ विचारमग्न होल ऊ बोललइ, आउ अचानक आद अइला पर, तेजी से आउ पल भर लगी हलका सनी मुसका देलकइ । "ओह, हम अभी कइसन बकवास कइलिअइ, अयँ ?"

सोनिया के दिमाग में विचार कौंधलइ - "कहीं पागल तो नयँ हइ ?" लेकिन तुरतम्मे एकरा दिमाग से निकास देलकइ - नयँ, हियाँ परी बात कुछ दोसर हलइ । हियाँ परी ओकरा कुच्छो, कुच्छो नयँ समझ में अइलइ !
"मालूम हको, सोनिया", ऊ अचानक एक प्रकार के प्रेरणा से कहलकइ, "ई बात जान ल, जे हम कह रहलियो ह - अगर हम खाली ई वजह से हत्या करतिए हल, कि हम भुक्खल हलिअइ", ऊ बात जारी रखलकइ, हरेक शब्द पर जोर देते आउ रहस्यमय ढंग से किन्तु सच्चाई के साथ ओकरा दने देखते, "त हम अभी ... खुश रहतिए हल ! तूँ ई बात जान ल !"

"आउ तोरा की मतलब हको, तोरा एकरा से की मतलब हको", एक पल के बाद एक तरह से निराशा के साथ भी चिल्लइलइ, "तोरा एकरा से की मतलब हको, अगर हम अभी ई मानियो लिअइ, कि हम दुष्कर्म कइलिअइ? तोरा ई हमरा पर खोखला विजय पाके की मिलतो ? आह, सोनिया, की हम तोरा हीं एहे काम लगी अभी अइलूँ हल !"

सोनिया फेर कुछ तो कहे लगी चाह रहले हल, लेकिन चुप्पी साधले रहलइ ।
"ओहे से कल हम तोरा साथ में चल्ले लगी कह रहलियो हल, कि तूँहीं एगो हमरा पास बच गेलऽ ह ।"
"काहाँ चल्ले लगी ?" भीरुता से सोनिया पुछलकइ ।

"न कुछ चोरावे लगी आउ न हत्या करे लगी, फिकिर मत करऽ, अइसन काम लगी नयँ", ऊ कटुतापूर्वक मुसकइलइ, "हमन्हीं अलग तरह के लोग हिअइ ... आउ जानऽ ह, सोनिया, हमरा अभिए, खाली एहे क्षण समझ में आल - कि हम तोहरा काहाँ बोलाब करऽ हलियो ? आउ कल्हे, जब बोला रहलियो हल, हमरा खुद्दे नयँ समझ में आ रहल हल कि काहाँ । हम एक्के बात लगी बोलावऽ हलियो, एक्के बात लगी अइलियो हल - कि तूँ हमरा छोड़ऽ नयँ । हमरा छोड़ तो नयँ देबऽ न, सोनिया ?"

सोनिया ओकर हाथ दबइलकइ ।
"आखिर काहे, काहे लगी हम ओकरा बता देलिअइ, काहे लगी ओकरा सामने प्रकट कर देलिअइ !" एक मिनट बाद ऊ निराशा में चिल्ला उठलइ, ओकरा तरफ असीम पीड़ा से देखते,  "अब तूँ हमरा से स्पष्टीकरण लगी प्रतीक्षा करब करऽ ह, सोनिया, तूँ बइठल हकऽ आउ इंतजार करब करऽ ह, हम ई देख रहलियो ह; लेकिन हम तोरा की कहियो ? कुच्छो तोरा एकरा में समझ में नयँ अइतो, आउ खाली तोरा दुख-तकलीफ मिलतो ... हमरा चलते ! आउ अइकी, तूँ रो रहलऽ ह आउ फेर से हमरा गले लगावऽ ह - लेकिन हमरा काहे लगी गले लगावऽ ह? की ई कारण से, कि हम खुद एकरा बरदास नयँ कर पइलिअइ आउ दोसरा पर ई भार लादे लगी अइलिअइ - 'तूँहूँ तकलीफ झेलऽ, हमरा जरी राहत मिल्लत !' आउ तूँ अइसन नीच के प्यार कर सकऽ ह ?"
"लेकिन की तूँहूँ  तकलीफ नयँ भुगत रहलऽ ह ?" सोनिया चिल्लइलइ ।

फेर से ओहे भावना ओकर दिल में उमड़ पड़लइ आउ फेर से क्षण भर लगी सोनिया के दिल के हलका कइलकइ।
"सोनिया, हमर दिल काला हको, तूँ ई बात आद रखिहऽ - एकरा से बहुत सन बात के स्पष्टीकरण मिल जइतो । हम काहे लगी अइलियो, काहेकि हम खराब अदमी हकियो । अइसनो लोग हइ, जे नयँ अइतो हल । लेकिन हम कायर हियो आउ ... कमीना ! लेकिन ... जाय द ई बात के ! असल बात ई नयँ हको ... अब बता देना जरूरी हको, लेकिन शुरू नयँ कर पावऽ हियो ..."
ऊ रुक गेलइ आउ सोचे लगलइ ।

"आ-आह, हमन्हीं अलग लोग हकिअइ !" ऊ फेर से चिल्लइलइ, "हमन्हीं बीच कोय जोड़ी नयँ हइ । आउ काहे, काहे लगी हम अइलिअइ ! हम खुद के एकरा लगी माफ नयँ कर पइबइ !"
"नयँ, नयँ, ई निम्मन बात हइ, कि तूँ अइलऽ !" सोनिया उच्च स्वर में अपन भावोद्गार प्रकट कइलकइ, "ई बेहतर बात हइ, कि हमरा मालूम पड़इ ! बहुत बेहतर !"
ऊ कातर दृष्टि से ओकरा तरफ देखलकइ ।
"आउ ओकरा से की, अगर वास्तव में ई बात हलइ !" ऊ बोललइ, मानूँ अच्छा से सोच-विचार कर लेलके हल, "वस्तुतः एहे बात हलइ ! देखऽ - हम नेपोलियन बन्ने लगी चाहऽ हलिअइ, ओहे से हम हत्या कइलिअइ ... अच्छऽ, अब तो समझ में अइलो ?"
"न-नयँ", भोलापन आउ भीरुता से सोनिया फुसफुसइलइ, "खाली ... बोलऽ, बोलते जा ! हम समझ जइबो, हम खुद्दे सब कुछ समझ जइबो !" ऊ ओकरा निवेदन करते रहलइ ।
"समझ जइबऽ ? अच्छऽ, ठीक हइ, देखल जाय !"
ऊ चुप हो गेलइ आउ देर तक सोचते रहलइ ।

"बात हकइ ई - हम खुद से एक तुरी अइसन सवाल कइलिअइ, कि अगर, मसलन, नेपोलियन हमर जगह पर होते हल, आउ ओकरा अपन जीवनवृत्ति (career) चालू करे खातिर न तूलोन होते हल, आउ न मिस्र (Egypt), आउ न पार करे लगी मोन-ब्लान (Mont Blanc) [1], बल्कि ई सब शानदार आउ स्मारकीय (monumental) वस्तु के जगह पर खाली बिलकुल साधारण एगो कोय हास्यास्पद बुढ़िया, लेगिस्त्रार (रजिस्ट्रार ?) के विधवा, होते हल, जेकरा साथे-साथ हत्या करे के जरूरत होते हल, ताकि ओकर सन्दूक से पइसा निकास सकइ (जीवनवृत्ति खातिर, समझऽ हो न ?), तब की, ऊ अइसन करे के फैसला कर पइते हल, अगर आउ कोय दोसर चारा नयँ रहते हल ? की ऊ ई बात से नयँ हिचकिचइते हल, कि ई काम बिलकुल स्मारकीय नयँ हइ आउ ... आउ पाप के काम हइ ? अच्छऽ, हम तोरा से कहऽ हियो, कि हम ई 'सवाल' पर भयंकर रूप से लम्मा समय तक कष्ट झेललिअइ, कि हमरा बहुत जादे शरम लगलइ, जब आखिरकार हम भाँप गेलिअइ (अचानक कइसूँ), कि ऊ नयँ खाली नयँ हिचकिचइते हल, बल्कि ओकर दिमाग में भी नयँ घुसते हल, कि ई काम स्मारकीय नयँ हइ ... आउ ओकरा बिलकुल नयँ समझ में अइते हल - कि आखिर एकरा में हिचकिचाय के बात की हइ ? आउ अगर ओकरा पास आउ कोय रस्ता नयँ होते हल, त ऊ ओकरा गला घोंट देते हल, कि ओकरा चिल्लाय के मौका भी नयँ देते हल, बिन कुछ सोचले-उचले ! ... आउ हमहूँ ... सोच से बाहर आ गेलिअइ ... गला घोंट देलिअइ ... प्राधिकारी (authority) के उदाहरण पर चलके ... आउ ई बिलकुल अइसहीं होले हल ! तोरा हास्यास्पद लगऽ हको ? हाँ, सोनिया, एकरा में सबसे जादे हास्यास्पद बात ई हइ, कि शायद ठीक अइसीं होलइ ..."

सोनिया के ई हास्यास्पद बिलकुल नयँ लग रहले हल ।
"बेहतर होतइ कि अपने सीधे हमरा बताथिन ... बिन कोय उदाहरण देले", आउ अधिक भीरुता से आउ मोसकिल से सुनाय देवे लायक स्वर में ऊ निवेदन कइलकइ ।
ऊ ओकरा तरफ मुड़लइ, उदास भाव से ओकरा दने देखलकइ आउ ओकर हाथ थाम लेलकइ ।

"तूँ फेर सही हकऽ, सोनिया । ई सब कुछ बकवास हइ, लगभग एगो गप ! देखऽ हो - हमर माय के पास, जइसन कि वास्तव में जानऽ हो, लगभग कुच्छो नयँ हइ । बहिन के शिक्षा संयोग से होलइ, आउ ओकर किस्मत में गवर्नेस (बुतरुअन के देखभाल करे वली) के नौकरी बद्दल हलइ । ओकन्हीं के सब उमीद खाली हमरा पर टिक्कल हलइ । हम पढ़ाय कर रहलिए हल, लेकिन विश्वविद्यालय के खरचा नयँ जुटा पइलिअइ, आउ कुछ समय खातिर हमरा लचारी में छोड़ देवे पड़लइ । अगर अइसूँ ई सिलसिला चालू रहते हल, त लगभग दस-बारह बरिस में (अगर परिस्थिति ठीक-ठाक रहते हल) हम तइयो कोय शिक्षक, चाहे कोय किरानी बन जइतिए हल, एक हजार रूबल के (सलाना) वेतन पर ... (ऊ अइसे बोल रहले हल, मानूँ सब कुछ रट लेलक होवे) । लकिन तब तक माय चिंता-फिकिर आउ शोक से सूख जइते हल, आउ तइयो हम ओकरा शांति नयँ दे पइतिए हल, लेकिन बहिन ... बहिन के साथ तो कुछ तो आउ बत्तर होते हल ! ... आउ ई बात से की फयदा कि जिनगी भर सब कुछ के सामने से निकसे देल जाय आउ सब कुछ से मुँह मोड़ लेवल जाय, माय के बारे भूल जाल जाय, आउ बहिन के अपमान, मसलन, नम्रतापूर्वक बरदास करते रहल जाय ? काहे लगी ? की ई लगी, कि ओकन्हीं के दफनाके, नयकन प्राप्त कइल जाय - घरवली आउ बाल-बच्चा, आउ बाद में बिन ग्रोश (आधा कोपेक के सिक्का) आउ बिन रोटी के टुकरी के छोड़ देल जाय ? त ओहे से ... ओहे से हम फैसला कइलूँ कि बुढ़िया के पइसा हथिया लेऊँ, अपन माय के बिन कोय तकलीफ देले, शुरुआत के कुछ साल तक, विश्वविद्यालय के खरचा-बरचा खातिर, आउ विश्वविद्यालय के बाद के कुछ कदम खातिर ई पइसा के उपयोग करूँ - आउ ई सब व्यापक रूप से, आउ बुनियादी तौर पे करूँ ताकि  बिलकुल नयका जीवनवृत्ति (career) स्थापित कर सकूँ आउ नयका, स्वतंत्र रस्ता पर खड़ी हो सकूँ ... त ... त, बस एहे बात हइ ... हाँ, जाहिर हइ, कि जे हम बुढ़िया के मार देलिअइ - ई हम खराब काम कइलिअइ ... त, बस एतना काफी हो गेलइ !"

एक प्रकार के शक्तिहीनता में ऊ अपन खिस्सा के अंतिम छोर तक घिंचलकइ आउ मूड़ी गोत लेलकइ ।
"ओह, अइसन बात नयँ हइ, अइसन नयँ हइ", दुख के स्वर में सोनिया चिल्लइलइ, "आउ की वास्तव में ओइसन हो सकऽ हइ ... नयँ, ओइसन नयँ हइ, नयँ हइ !"
"खुद्दे समझऽ हो, कि अइसन बात नयँ हइ ! ... लेकिन हम तो वास्तव में दिल के बात बता देलियो, सच !"
"लेकिन ई कइसन सच्चाई हइ ! हे भगमान !"
"हम तो बस खाली एगो ढिल्ला (जूँ) के मरलिए ह, सोनिया, एगो बेकार, नीच, हानिकारक ढिल्ला के ।"
"ई इंसान एगो ढिल्ला हइ !"
"ई तो वस्तुतः हमहूँ जानऽ हिअइ, कि ढिल्ला नयँ हइ", ऊ जवाब देलकइ, विचित्र ढंग से ओकरा तरफ देखते । "लेकिन तइयो, हम झूठ बोल रहलियो ह, सोनिया", ऊ आगू बोललइ, "हम बहुत अरसा से झूठ बोलऽ हिअइ ... ई सब ऊ नयँ हइ; तूँ सच कहऽ हो । बिलकुल, बिलकुल, बिलकुल हियाँ परी दोसरे कारण हइ ! ... हम एगो जमाना से केकरो से कुछ नयँ बोललिए ह, सोनिया ... अभी हमर माथा बहुत जोर से पिराऽ रहल ह ।"

ओकर आँख ज्वर के अग्नि में जल रहले हल । ऊ लगभग सरसाम में बक्के लगी चालू कर देलकइ; ओकर होंठ पर अशांत मुसकान दौड़ रहले हल । ओकर मस्तिष्क के उत्तेजित अवस्था से भयंकर शक्तिहीनता देखाय दे रहले हल । सोनिया महसूस कइलकइ कि ऊ केतना तकलीफ झेल रहले ह । ओकरो सिर चकराय लगलइ । आउ ऊ एतना विचित्र तरह से बोलब करऽ हलइ - लगऽ हलइ कि कुछ-कुछ तो समझ में आवऽ हइ, लेकिन ... "लेकिन ई की हइ ! ई की हइ ! हे भगमान !" आउ सोनिया निराश होके अपन हाथ मरोड़े लगलइ ।

"नयँ, सोनिया, ई बात नयँ हइ !" अचानक ऊ सिर उठाके फेर से शुरू कइलकइ, मानूँ विचार के आकस्मिक मोड़ ओकर मस्तिष्क में प्रहार कइलक होवे, आउ नावा तरीका से ओकरा जागृत कइलक होवे, "बात ई नयँ हइ ! बल्कि बेहतर ... मान ल (हाँ ! ई वास्तव में बेहतर हइ !), मान ल, कि हम स्वाभिमानी, ईर्ष्यालु, दुष्ट, नीच, प्रतिशोधी (revengeful), आउ ... आउ शायद पागलपन के प्रवृत्ति वला हकिअइ । (सब्भे कुछ पर एक्के तुरी विचार कइल जाय ! पागलपन के बारे बात तो पहिलहीं कइल जा चुकले ह, ई हम नोटिस कइलिए ह !) हम अभी तोहरा कह चुकलियो ह, कि हम विश्वविद्यालय के खरचा नयँ जुटा सकऽ हलिअइ । आ तोहरा मालूम हको, कि हम, शायद, जुटाइयो सकऽ हलिअइ ? माय हमरा भेज सकऽ हला, जे कुछ फीस के जरूरत हलइ, आउ जुत्ता, पोशाक आउ खाय-पीए खातिर हम खुद अर्जित कर सकऽ हलिअइ; ई तो पक्का हइ ! टिसनी के काम मिल्लऽ हलइ; आधा रूबल के हिसाब से टिसनी के काम हमरा मिल रहले हल । रज़ुमिख़िन तो ई काम करवे करऽ हइ ! लेकिन हमरा ई काम से चीढ़ बरऽ हलइ आउ हम अइसन काम करे लगी नयँ चाहऽ हलिअइ । बिलकुल सही, हमरा चीढ़ बरऽ हलइ (ई शब्द जादे अच्छा हइ !) । तखने हम मकड़ा नियन एगो कोना में खुद के सिमटा लेलिए हल । तूँ तो हमर कुत्ताखाना में अइलऽ ह, देखवे कइलऽ होत ... आ मालूम हको, सोनिया, कि निचगर छत आउ सकेत (संकीर्ण) कमरा आत्मा आउ बुद्धि दुन्नु के संकीर्ण बना दे हइ ! ओह, ई कुत्ताखाना से हम केतना नफरत करऽ हलूँ ! आउ तइयो ओकरा से बाहर निकसे लगी नयँ चाहऽ हलिअइ । जान-बूझके हम नयँ चाहऽ हलिअइ ! कइएक दिन तक हम बाहर नयँ निकसऽ हलिअइ, आउ काम करे लगी नयँ चाहऽ हलिअइ, आउ खाहूँ लगी नयँ चाहऽ हलिअइ, बस खाली पड़ल रहऽ हलिअइ । नस्तास्या कुछ लावइ - त खा लिअइ, नयँ लावइ - त अइसीं दिन गुजर जाय; चीढ़ के चलते जान-बूझके नयँ माँगऽ हलिअइ ! रात के कोय रोशनी नयँ रहइ, अन्हरवे में रहिअइ, आ मोमबत्ती खरीदे लगी पइसा अर्जित करे लगी नयँ चाहिअइ । पढ़ाय करे के जरूरत हलइ, लेकिन किताब सब बेच देलिअइ; आउ हमर टेबुल पर हमर कागज आउ नोटबुक पर अभियो धूरी के अँगुरी भर मोटगर परत पड़ल हइ । हमरा पड़ल-पड़ल सोचते रहना जादे अच्छा लगऽ हलइ । आउ हम सोचते रहऽ हलिअइ ... आउ अइसन विचित्र-विचित्र आउ तरह-तरह के हमरा सपना अइते रहऽ हलइ, ई सब बतावे से कोय फयदा नयँ कि कइसन-कइसन ! लेकिन खाली ओहे बखत हम कल्पना करे लगलिअइ, कि ... नयँ, अइसन बात नयँ हइ ! हम फेर सही-सही नयँ बता रहलियो ह ! देखहो, तखने हम खुद के सवाल करते रहऽ हलिअइ –हम काहे एतना बेवकूफ हकूँ, कि अगर दोसर लोग बेवकूफ हइ आउ अगर हम ई पक्का जानऽ हूँ, कि ओकन्हीं बेवकूफ हकइ, त खुद काहे नयँ आउ जादे समझदार बन्ने लगी चाहऽ हूँ ? तब हमरा समझ में आल, सोनिया, कि अगर हम सब लोग के समझदार बन्ने के इंतजार कइलूँ, त बहुत देर हो जात ... तब हमरा आउ समझ में आल, कि अइसन कभी नयँ होतइ, कि लोग कभी नयँ बदलतइ, आउ कोय ओकन्हीं के बदल नयँ पइतइ, आउ एकरा में मेहनत करना बेकार हइ ! हाँ, ई सच हइ ! ई ओकन्हीं के नियम हइ ... नियम-कानून, सोनिया ! ई सच हइ ! ... आउ अब हम जानऽ हिअइ, सोनिया, कि जे मस्तिष्क आउ आत्मा से दृढ़ आउ शक्तिशाली हइ, ओहे ओकन्हीं पर राज करतइ ! जे बहुत साहसी हइ, ओहे ओकन्हीं के दृष्टि में सही होतइ । जे सबसे बड़गर के थूक दे हइ, ओहे ओकन्हीं के नियमकर्ता होतइ, आउ जे सबसे अधिक साहसी होतइ, ओहे सबसे जादे सही होतइ ! अब तक अइसीं होते अइले ह, आउ हमेशे अइसीं होते रहतइ ! खाली आन्हर अदमी एकरा देख नयँ पावऽ हइ !"

हलाँकि ई सब कहते बखत रस्कोलनिकोव सोनिया तरफ देख रहले हल, लेकिन ओकरा अब आउ एकर फिकिर नयँ हलइ - कि ओकरा (सोनिया के) समझ में आ रहले ह कि नयँ । बोखार पूरा तरह से ओकरा धर लेलके हल । ऊ एक प्रकार के निराशापूर्ण हर्षोन्माद में हलइ । (वास्तव में, ऊ बहुत अरसा तक केकरो से बात नयँ कइलके हल !) सोनिया समझ गेलइ, कि ई निराशापूर्ण प्रश्नोत्तरी (catechism) ही ओकर विश्वास आउ कानून बन चुकले ह ।

"तखने हम महसूस कइलिअइ, सोनिया", ऊ हर्षोन्माद के साथ कहते रहलइ, "कि शक्ति खाली ओकरे मिल्लऽ हइ, जे झुकके ओकरा लेवे के साहस करऽ हइ । हियाँ परी एक्के बात हइ, एक्के - खाली साहस करे के चाही ! हमरा ऊ बखत एक विचार दिमाग में अइलइ, जिनगी में पहिले तुरी, जे हमरा से पहिले कोय नयँ आउ कभियो नयँ सोचलकइ ! कोय नयँ ! हमरा अचानक सूरज नियन उज्ज्वल आउ स्पष्ट हो गेलइ, कि काहे कोय, ई सब बेतुकी बात के सामने से गुजरते, अभी तक साहस नयँ कइलकइ आउ न करऽ हइ, कि सीधे ई सब के दुम पकड़के शैतान तरफ झटक देय ! हम ... हम साहस करे लगी चहलिअइ आउ मार देलिअइ ... खाली हमहीं साहस करे लगी चहलिअइ, सोनिया, बस एहे एतना कारण हलइ !"

"ओह, चुप रहथिन, चुप रहथिन !" अपन दुन्नु हाथ उपरे करके ओकरा आपस में जकड़ते सोनिया चिल्लइलइ । "अपने भगमान से विमुख हो गेलथिन, आउ भगमान अपने पर प्रहार कइलका, आउ शैतान के सुपुर्द कर देलका ! ..."
"संयोगवश, सोनिया, जखने हम अन्हार में पड़ल रहऽ हलिअइ आउ हम ई सब कुछ कल्पना कर रहलिए हल, तब कीऽ हमरा शैतान परेशान कर रहले हल ? अयँ ?"
"चुप रहथिन ! हँसथिन नयँ, ईश्वर-निंदक, अपने के कुच्छो नयँ, कुच्छो नयँ समझ में आवऽ हइ ! हे भगमान ! कुच्छो तो, कुच्छो तो इनका नयँ समझ में अइतइ !"  
"चुप रहऽ, सोनिया, हम बिलकुल नयँ हँसब करऽ हिअइ, हम तो खुद्दे जानऽ हिअइ, कि हमरा शैतान घींच रहले हल । चुप रहऽ, सोनिया, चुप रहऽ !" ऊ निराशापूर्वक आउ आग्रहपूर्वक दोहरइलकइ । "हम सब कुछ जानऽ हिअइ । ई सब कुछ हम पहिलहीं कइएक तुरी सोच चुकलिए ह आउ अपने आप से फुसफुसइते रहलिए ह, जब हम तखने अन्हार में पड़ल रहऽ हलिअइ ... ई सब कुछ हम अपने आप से विवाद करते रहलिए ह, आखिरी छोटगर से छोटगर बात पर, आउ हम सब कुछ जानऽ हिअइ, सब कुछ ! आउ तखने ई सब बकवास से हम केतना तंग आ गेलिअइ, केतना तंग आ गेलिअइ ! हम सब कुछ भूल जाय लगी आउ फेर से शुरू करे लगी चाहऽ हलिअइ, सोनिया, आउ बकबक बन करे लगी ! आउ तूँ की वास्तव में सोचऽ हकहो, कि हम बेवकूफ नियन बिन सोचले-समझले ई सब कुछ कइलिअइ ? हम एगो चलाँक अदमी नियन आगू बढ़लिअइ, आउ एकरे चलते तो हम तबाह हो गेलिअइ ! आउ तूँ की वास्तव में सोचऽ हकहो, कि हम नयँ जानऽ हलिअइ, मसलन, अगर हम खुद से प्रश्न आउ परिप्रश्न करे लगी शुरू कइलिअइ - की हमरा शक्ति रक्खे के अधिकार हइ ? - त, मतलब ई होलइ, कि हमरा शक्ति रक्खे के अधिकार नयँ हइ ? चाहे कि अगर हम प्रश्न करिअइ - की अदमी ढिल्ला (जूँ) हइ ? - त, एकर मतलब, हमरा लगी, अदमी ढिल्ला तो नयँ हइ, बल्कि ढिल्ला ओकरा लगी हइ, जेकर दिमाग में ई नयँ आवऽ हइ आउ जे बिन कोय प्रश्न कइले सीधे आगू जा हइ ... आउ अगर हम एतना दिन तक खुद के यातना देलिअइ - नेपोलियन आगू बढ़ते हल कि नयँ ? - त हम अच्छा से अनुभव करऽ हलिअइ, कि हम नेपोलियन नयँ हिअइ ... सब्भे, ई सब्भे बकवास के सब्भे यातना हम सहलिअइ, सोनिया, ई सब के हम कन्हा से झटक देवे लगी चाहऽ हलिअइ - हम बिन कोय धर्माधर्मविचार के हत्या करे लगी चाहऽ हलिअइ, सोनिया, अपने लगी हत्या करे लगी चाहऽ हलिअइ, खाली अपने लगी ! एकरा बारे हम खुद से भी झूठ बोले लगी नयँ चाहऽ हलिअइ! हम हत्या ई लगी नयँ कइलिअइ, कि हम अपन माय के मदत करे लगी चाहऽ हलिअइ - ई बकवास हइ ! हम हत्या ई लगी नयँ कइलिअइ, कि साधन आउ शक्ति पाके हम मानवता के भलाय करे लगी चाहऽ हलिअइ । बकवास ! हम बस हत्या कइलिअइ; अपना खातिर हत्या कइलिअइ, खाली अपना लगी - आउ अइसन कइला पर हम केकरो परोपकारी बनबइ, कि सारी जिनगी, एगो मकड़ा नियन, सबके अपन जाल में फँसइबइ आउ ओकन्हीं के जीवन-रस चूसबइ, हमरा लगी ऊ बखत सब कुछ बराबर हलइ ! ... आउ हम जखने हत्या कइलिअइ, तखने हमरा मुख्य रूप से पइसा के जरूरत नयँ हलइ, सोनिया; हमरा पइसा के ओतना जरूरत नयँ हलइ, जेतना कुछ दोसर चीज के ... ई हम अभी सब कुछ जानऽ हिअइ ... हमरा समझे के कोशिश करऽ - शायद, ओहे रस्ता पर चलते रहला पर, हम आउ कभी हत्या नयँ करिअइ । हमरा दोसर कुछ मालूम करे के हलइ, दोसर कुछ हमरा हमर बाँह से धकेल रहले हल - तखने हमरा ई जाने के हलइ, आउ जल्दी से जल्दी जाने के हलइ, कि सब्भे नियन हमहूँ ढिल्ला हिअइ, कि इंसान ? की हम हद लाँघ सकऽ हिअइ, कि नयँ ! की हम साहस कर सकबइ, कि झुकिअइ आउ ले लिअइ, कि नयँ ? की हम कँप्पे वला जीव हिअइ, कि हमरा अधिकार हइ ..."

"हत्या करे के ? हत्या करे के अधिकार मिलतइ ?" सोनिया दुन्नु हाथ उपरे करके जकड़ लेलकइ (clasped) ।
"आ-आह, सोनिया !" ऊ चिढ़के चिल्लइते बोललइ, ओकरा साथ कुछ एतराज करे वला हलइ, लेकिन घृणापूर्वक चुप रहलइ । "बीच में टोकऽ मत, सोनिया ! हम तोहरा एक्के चीज साबित करे लगी चाहऽ हलियो - हमरा तखने शैताने घींच रहले हल, लेकिन बाद में हमरा समझइलकइ, कि  हमरा हुआँ जाय के अधिकार नयँ हलइ, काहेकि हम ओइसने ढिल्ला हिअइ, जइसन कि बाकी सब लोग ! ऊ हमर मजाक उड़इलकइ, त अइकी हम अब तोहरा भिर अइलियो ह ! अपन मेहमान के स्वागत करऽ ! अगर हम ढिल्ला नयँ होतिए हल, त की हम तोहरा भिर अइतियो हल ? सुनऽ, जब हम ऊ बुढ़िया भिर गेलिअइ, त हम खाली अजमावे खातिर गेलिए हल ... ई तूँ जान ल !"
"आउ हत्या कर देलथिन ! हत्या कर देलथिन !"
"लेकिन हम कइसे हत्या कइलिअइ ? की वास्तव में अइसीं हत्या कइल जा हइ ? की अइसीं हत्या करे लगी जाल जा हइ, जइसे हम ऊ बखत गेलिए हल ! हम कभी तोहरा बतइबो, कि हम कइसे गेलिए हल ... की वास्तव में हम बुढ़िया के हत्या कइलिअइ ? हम खुद के हत्या कइलिअइ, न कि बुढ़िया के ! बस एक्के तुरी में जड़ से खुद के सफाया कर देलिअइ, हमेशे लगी ! ... आ ई बुढ़िया के तो शैतान मार देलकइ, हम नयँ ... बहुत हो गेलो, बहुत हो गेलो, सोनिया, बहुत हो गेलो ! हमरा छोड़ द !" ऊ अचानक उत्तेजक विषाद में चिल्लइलइ, "हमरा छोड़ द !"

ऊ अपन केहुनी के टेहुना पर टिका देलकइ, आउ अपन दुन्नु हथेली से सिर के शिकंजा नियन जकड़ लेलकइ ।
"केतना दुख !" सोनिया के मुँह से कष्टदायक चीख निकस गेलइ ।
"लेकिन, अब की कइल जाय, बतावऽ !" ऊ पुछलकइ, अचानक अपन सिर उठाके आउ घोर निराशा के कारण विकृत चेहरा बनइले ओकरा तरफ देखते ।

"की कइल जाय !" अचानक अपन जगह से उछलते ऊ चिल्ला उठलइ, आउ अब तक लोर से भरल ओकर आँख अचानक चमक उठलइ । "उट्ठऽ ! (ऊ ओकरा कन्हा से पकड़ लेलकइ; आउ ऊ लगभग अचरज से ओकरा तरफ देखते उठ गेलइ ।) अभी चल जा, एहे पल, चौराहा पर खड़ी हो जा, झुक जा, पहिले ऊ धरती के चूम ल, जेकरा तूँ अपवित्तर कइलऽ ह, आउ तब समुच्चे संसार के सामने झुक जा, चारो बगली, आउ सबके जोर से बतावऽ - "हम हत्या कइलिअइ !" तब भगमान तोहरा फेर से जिनगी भेजथुन । जइबऽ ? जइबऽ ?" ऊ ओकरा पुछलकइ, पूरे देह से दौरा नियन कँपते, ओकरा दुन्नु हाथ से पकड़के कसके अपन खुद के हाथ से दबइते आउ ओकरा तरफ दहकते आँख से देखते ।

रस्कोलनिकोव आश्चर्यचकित हो गेलइ आउ ओकर आकस्मिक हर्षोन्माद से प्रभावित भी होलइ ।

"ई तूँ कालापानी (सश्रम कारावास) के बारे की बात कर रहलहो ह, सोनिया ? की हम आत्मसमर्पण कर दिअइ?" ऊ उदासी से पुछलकइ ।
"पीड़ा के स्वीकार करे आउ प्रायश्चित्त करे के चाही - बस एहे जरूरत हको ।"
"नयँ ! हम ओकन्हीं भिर नयँ जाम, सोनिया ।"

"आ जिनगी, जिनगी कइसे बसर करबऽ ? कउची से जिनगी बसर करबऽ ?" सोनिया उच्च स्वर में बोललइ । "की वास्तव में अब संभव हइ ? आउ माय के साथ कइसे बात करबऽ ? (ओह, उनकन्हीं के साथ, उनकन्हीं के साथ अब की होतइ !) लेकिन हम की बात करब करऽ हिअइ ! वस्तुतः तूँ तो अपन माय आउ बहिन के छोड़ देलहो ह । वास्तव में छोड़ चुकलहो ह, छोड़ चुकलहो ह । हे भगमान !" ऊ चिल्लइलइ, "इनका तो पहिलहीं से खुद्दे सब कुछ मालूम हइ ! लेकिन कइसे, कइसे के बिन कोय अदमी के जीयल जा सकऽ हइ ! तोहरा साथ अब की होतो !"

"बुतरू नियन बात नयँ करऽ, सोनिया", ऊ शांत स्वर में बोललइ । "ओकन्हीं सामने हम कइसे दोषी हिअइ ? काहे जइबइ ? हम ओकन्हीं के की कहबइ ? ई सब खाली एगो छलावा हइ ... ओकन्हीं खुद्दे लाखो लोग के बरबाद करऽ हइ, आउ तइयो एकरा सद्गुण समझते जा हइ । ओकन्हीं धोखेबाज आउ कमीना लोग हइ, सोनिया ! ...हम नयँ जाम । आउ हम कहबइ की - कि हत्या कइलिअइ, लेकिन पइसा लेवे के हिम्मत नयँ कइलिअइ, पत्थल के निच्चे छिपा देलिअइ ?"  कटु मुसकान के साथ बात जारी रखलकइ । "ओकन्हीं तो बस हमरा पर हँसतइ, कहतइ - बेवकूफ हकँऽ, कि लेलँऽ नयँ । कायर आउ बेवकूफ ! कुच्छो नयँ, कुच्छो नयँ समझतइ ओकन्हीं, सोनिया, आउ समझे के योग्य भी नयँ हइ । काहे लगी हम जइबइ ? नयँ जइबइ । बुतरू नियन मत बात करऽ, सोनिया ..."
"तोहरा बहुत कष्ट होतो, बहुत कष्ट होतो", निराश निवेदन के साथ अपन हाथ ओकरा तरफ बढ़इते ऊ दोहरइलकइ ।
"हम शायद पहिलहीं खुद पर तोहमत लगा चुकलिए ह", मानूँ विचारमग्न होल, ऊ उदासी के साथ टिप्पणी कइलकइ, "शायद हम अभियो अदमी हकिअइ, आउ ढिल्ला नयँ आउ खुद के दोषी ठहरावे में जल्दीबाजी कइलिअइ ... हम अभियो संघर्ष करबइ ।"

एगो घमंड भरल मुसकान ओकर होंठ पर उभर अइलइ ।
"अइसन कष्ट भुगतना ! आउ जिनगी भर, जिनगी भर ! ..."
"हमरा आदत पड़ जात ...", ऊ उदासी से आउ विचारमग्न होल बोललइ । "सुनऽ", ऊ मिनट भर के बाद शुरू कइलकइ, "रोना-धोना काफी हो गेलइ, अब काम के बात कइल जाय - हम तोहरा कहे लगी अइलियो ह, कि हमरा अब ढूँढ़ रहते गेलो ह, आउ हमरा पकड़ लेतो ..."
"आह !", सोनिया डरके चिल्लइलइ ।

"अच्छऽ, त तूँ चिल्लइलऽ ! खुद्दे चाहऽ ह, कि हम कालापानी जाऊँ, आउ अभी डर गेलऽ ? बात खाली ई हइ - हम ओकन्हीं भिर आत्मसमर्पण नयँ करबइ । हम अभियो ओकन्हीं साथ संघर्ष करबइ, आउ कुच्छो नयँ कर पइतइ । ओकन्हीं के पास कुच्छो असली सबूत नयँ हइ । कल्हे हम बड़गो खतरा में हलूँ, आउ सोच रहलूँ हल, कि हम मर गेलूँ; लेकिन आझ तो मामला सुधर गेल ह । ओकन्हीं के सब्भे सबूत दुधारी हइ, मतलब ओकन्हीं के दोषारोपण के हम अप्पन पक्ष में बदल दे सकऽ हिअइ, समझऽ हो ई बात ? आउ हम बदल देबइ; काहेकि अब हमरा मालूम हो गेले ह ... लेकिन ई पक्का हइ कि हमरा जेल में डाल देल जइतइ । अगर एगो घटना नयँ हो जइते हल, त शायद, आझो अंदर कर देल जइते हल, वस्तुतः आझो, शायद, अंदर कर देल जा सकऽ हइ ... लेकिन एकरा से कुछ फरक नयँ पड़ऽ हइ, सोनिया - हम ओज्जा बइठबइ, आउ फेर हमरा छोड़ियो देल जइतइ ... काहेकि ओकन्हीं के पास एक्को गो ठोस सबूत नयँ हइ आउ न होतइ, हम वचन दे हियो । आउ जे कुछ ओकन्हीं के पास हकइ, ओकर आधार पर केकरो सलाख पीछू (behind bars) नयँ रक्खल जा सकऽ हइ । खैर, बहुत हो गेलो ... हम खाली ई चाहऽ हलियो कि तोहरा मालूम पड़ जाय ... बहिन आउ माय के साथ हम कुछ अइसन करे के कोशिश करबइ, कि उनकन्हीं के विश्वास बदल जाय आउ डरइअइ नयँ ... लेकिन बहिन खातिर तो अब, लगऽ हइ, परवरिश के इंतजाम हो चुकले ह ... मतलब, माय लगी भी ... त ई हइ सब बात । तइयो सवधान रहिहऽ । की तूँ जेल में हमरा से मिल्ले लगी अइबऽ, जब हम हुआँ रहबइ ?"

"ओह, अइबो ! जरूर अइबो !"

दुन्नु उदास आउ टुट्टल नियन पास-पास बइठल हलइ, मानूँ तूफान के बाद लहर से ठेलाल-ठेलाल निर्जन तट पर अकेल्ले आ लगल होवे । ऊ सोनिया तरफ देखलकइ आउ महसूस कइलकइ, कि ओकरा पर ओकर केतना अधिक प्यार हलइ, आउ अजीब बात हलइ, ओकरा ई बात से अचानक भारी-भारी आउ दर्दनाक महसूस होलइ, कि ओकरा एतना प्यार कइल जा हइ । हाँ, ई एगो विचित्र आउ भयानक संवेदना हलइ ! सोनिया हीं जइते बखत ऊ महसूस कर रहले हल, कि ओकरे में ओकर सब्भे आशा आउ परिणाम निर्भर हकइ; ऊ अपन यातना के कम से कम आंशिक रूप से कम करे के बारे सोच रहले हल, आउ अचानक, अब, जबकि सोनिया के पूरा दिल ओकरा तरफ मुड़ गेले हल, त ऊ अचानक अनुभव कइलकइ आउ ओकरा मालूम पड़लइ, कि ऊ पहिले के अपेक्षा अनुपम रूप से अधिक अभागल हइ ।

"सोनिया", ऊ कहलकइ, "बेहतर एहे होतो कि तूँ हमरा से मिल्ले लगी नयँ अइहऽ, जब हम जेल में रहबो ।"
सोनिया कोय जवाब नयँ देलकइ, ऊ कन रहले हल । कइएक मिनट गुजर गेलइ ।
"तोहर गियारी में क्रॉस हको ?" अचानक अप्रत्याशित ढंग से सोनिया पुछलकइ, जइसे ओकरा अचानक आद आ गेल होवे ।
पहिले तुरी तो ओकरा ई सवाल समझ में नयँ अइलइ ।

"नयँ न, वास्तव में नयँ न ? अइकी, ई ल, साइप्रेस के लकड़ी के बन्नल । हमरा पास आउ दोसर हइ, तामा के, लिज़ावेता के । लिज़ावेता आउ हम एक दोसरा के क्रॉस के अदला-बदली कइलिए हल, ऊ हमरा अप्पन क्रॉस, आउ हम ओकरा अप्पन एगो छोट्टे गो प्रतिमा (icon) देलिअइ । हम अभी लिज़ावेता के देल क्रॉस अपन गियारी में पेन्हबइ, आउ ई तोहरा लगी । ल ... वास्तव में ई हम्मर हइ ! वास्तव में हम्मर हइ !" ऊ आग्रह कइलकइ । साथे में दुख झेले लगी जइबइ, आउ साथे में क्रॉस भी ढोबइ ! ..."
"दे द !" रस्कोलनिकोव बोललइ ।

ऊ सोनिया के निराश करे लगी नयँ चाहऽ हलइ । लेकिन ऊ क्रॉस लेवे खातिर अपन आगू बढ़ावल हाथ तुरतम्मे पीछू घींच लेलकइ ।
"अभी नयँ, सोनिया । बेहतर होतइ कि बाद में लिअइ ।" ओकरा सांत्वना देवे खातिर ऊ आगू बोललइ ।
"हाँ, हाँ, बेहतर, बेहतर", उत्साह से ऊ हामी भरलकइ, "जब तकलीफ झेले लगी जाय लगबऽ, तखनिएँ पेन्हिहऽ। हमरा भिर अइहऽ, हम तोरा पेन्हा देबो, प्रार्थना करबइ आउ चल जइबइ ।"

एहे पल कोय तो तीन तुरी दरवाजा पर दस्तक देलकइ ।
"सोफ़िया सिम्योनोव्ना, हम अपने हीं आ सकऽ हिअइ ?" केकरो तो बहुत जानल-पछानल विनम्र अवाज सुनाय देलकइ ।
सोनिया डरते-डरते दरवाजा तरफ लपकलइ । मिस्टर लिबिज़्यातनिकोव के हलका पीयर शारीरिक आकृति कमरा के अन्दर हुलक रहले हल ।

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