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Sunday, January 01, 2017

विश्वप्रसिद्ध रूसी नाटक "इंस्पेक्टर" ; अंक-1; दृश्य-2



दृश्य-2
(ओहे सब आउ पोस्टमास्टर ।)

पोस्टमास्टर - बताथिन, भद्रजन, की कोय सरकारी अफसर आवे वला हइ ?
मेयर - आउ की अपने वास्तव में नयँ सुनलथिन ?
पोस्टमास्टर - प्योत्र इवानोविच बोबचिन्स्की से सुनलिअइ । ऊ अभी-अभी हमरा हीं पोस्ट ऑफिस में अइले हल ।
मेयर - अच्छऽ, तो ? अपने एकरा बारे की सोचऽ हथिन ?
पोस्टमास्टर - हम की सोचऽ हिअइ ? तुर्क लोग के साथ युद्ध होतइ ।
जज - सही बात ! हमहूँ खुद ओहे सोचब करऽ हलिअइ ।
मेयर - हूँ, दुन्नु आकाश में बात करते जा हथिन ।
पोस्टमास्टर - सचमुच, तुर्क के साथ युद्ध । ई सब कुछ फ्रेंच लोग के अफवाह फैलावल हइ । [4]
मेयर - तुर्क के साथ कइसन युद्ध ! एकरा से तो खाली हमन्हीं लगी खराब होतइ, तुर्क लगी नयँ । ई मालूम हो चुकले ह - हमरा पास चिट्ठी हइ ।
पोस्टमास्टर - आउ अगर अइसन बात हइ, त तुर्क के साथ युद्ध नयँ होतइ ।
मेयर - अच्छऽ अपने, अपने की सोचऽ हथिन, इवान कुज़मिच ?
पोस्टमास्टर - हम ? अपने की सोचऽ हथिन, अन्तोन अन्तोनोविच ?
मेयर - अच्छऽ, हम की सोचऽ हिअइ ? डर तो नयँ हइ, लेकिन अइसीं, जरी-मनी ... व्यापारी आउ शहर के लोग के चिंता हइ । ओकन्हीं के कहना हइ, कि हम ओकन्हीं साथ सख्ती से पेश अइलिअइ, लेकिन, भगमान कसम, हम केकरो से लेलिअइ, त वास्तव में, बिन कोय दुर्भाव के । हमरा लगवो करऽ हइ (ओकरा हाथ से पकड़के बगल में ले जा हका), हमरा लगवो करऽ हइ, कि कहीं हमरा विरुद्ध कोय रिपोर्ट तो नयँ कइल गेलइ। वस्तुतः काहे लगी हमन्हीं हीं इंस्पेक्टर अइतइ ? सुनथिन, इवान कुज़मिच, सामान्य रूप से हमन्हीं दुन्नु के भलाय खातिर, हरेक आवे आउ जाय वला ऊ चिट्ठी, जे पोस्ट ऑफिस में अपने के पास आवइ, समझऽ हथिन, जरी सुनी खोलके पढ़ नयँ ले सकऽ हथिन, कि एकरा में कइसनो शिकायत हइ कि खाली मामूली पत्राचार ? अगर कोय शिकायत नयँ रहइ, त एकरा फेर से सील कर दे सकऽ हथिन; लेकिन चिठिया के अइसीं खुल्ले भी दे दे सकऽ हथिन ।
पोस्टमास्टर - जानऽ हिअइ, जानऽ हिअइ ... एकरा बारे मत सिखाथिन, अइसन काम हम ओतना सुरक्षा के खियाल से नयँ करऽ हिअइ, जेतना कि उत्सुकतावश  - हमरा ई जाने के बहुत मन करऽ हइ, कि दुनियाँ में की-की हो रहले ह । हम अपने के बतावऽ हिअइ, कि अइसन पढ़ना बहुत दिलचस्प होवऽ हइ । कुछ पत्र तो पढ़े में आनंद आवऽ हइ - अइसन-अइसन तरह के वर्णन मिल्लऽ हइ ... आउ केतना शिक्षाप्रद रहऽ हइ ... "मास्को गज़ट" से भी बेहतर !
मेयर - त फेर, बताथिन, पितिरबुर्ग से कोय सरकारी अफसर के बारे पढ़लथिन हल ?
पोस्टमास्टर - नयँ, पितिरबुर्ग से कुछ नयँ, लेकिन कोस्त्रोमा आउ सरातोव से बहुत कुछ कहल जा हइ । लेकिन, खेद हइ, कि अपने चिट्ठी नयँ पढ़ऽ हथिन - बहुत सुंदर-सुंदर अंश (passages) रहऽ हइ । अइकी हाल में एगो लेफ्टेनेंट अपन दोस्त के लिखलके हल आउ अत्यंत विनोदपूर्ण ढंग से बॉल नृत्य के वर्णन कइलके हल ... बहुत, बहुत सुंदर - "हमर जिनगी, हमर दोस्त, एम्पीरिया में गुजरऽ हइ - ढेर सारी नवयुवती, संगीत बज्जऽ हइ, झंडा लहरा हइ ..." - बड़गो, बड़गो भावना के साथ वर्णन कइलके ह । हम जान-बूझके ओकरा अपने लगी रखलिए ह । की पढ़के सुनइअइ ?
मेयर - नयँ, अभी ओकर जरूरत नयँ । एक मेहरबानी करथिन, इवान कुज़मिच - अगर कोय शिकायत चाहे रिपोर्ट अपने के हाथ लगइ, त बिन कोय हिचक के एकरा रोक रखथिन ।
पोस्टमास्टर - बड़ी खुशी से ।
जज - जरी सवधान रहथिन, एकरा लगी अपने के कभी फटकार सुन्ने पड़ सकऽ हइ ।
पोस्टमास्टर - हे भगमान !
मेयर - कोय बात नयँ, कोय बात नयँ । ई दोसर बात होतइ, अगर अपने एकरा में से कुछ सार्वजनिक करथिन, लेकिन ई पारिवारिक मामला हइ ।
जज - हाँ, मामला तो गड़बड़ हइ ! आउ हम, स्वीकार करऽ हिअइ, अपने हीं आहीं वला हलिअइ, अन्तोन अन्तोनोविच, एगो पिल्ला भेंट करे लगी । ओहे कुतवा के सहोदर बहिन, जेकरा अपने जानऽ हथिन । वस्तुतः अपने सुनलथिन होत, कि चेपतोविच आउ वरख़ोविन्स्की एक दोसरा पर मोकदमा करते गेले ह, आउ अभी हमरा लगी निम्मन हइ - हम दुन्नु के जमीन पर खरगोश के शिकार करऽ हिअइ ।
मेयर - बाबू साहेब, हमरा अभी अपने के खरगोश प्रिय नयँ हइ - हमर सिर पर तो छद्मवेष में ऊ अभिशप्त बैठल हइ । अइसीं सकसकइते रहऽ, कि दरवाजा अब खुलतो, कि तब खुलतो आउ - अचानक ...
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