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Thursday, July 13, 2017

रूसी उपन्यास - "कप्तान के बिटिया" ; अध्याय-1

अलिक्सांद्र सिर्गेयेविच पुश्किन
कप्तान के बिटिया

अपन मान-सम्मान के सुरक्षा बचपन से करे के चाही ।
               - कहावत
   
अध्याय - 1
गार्ड-सेना के सर्जेंट

ऊ गार्ड-सेना में तो कल्हिंएँ हो जइते हल कप्तान ।
- एकर जरूरत नयँ; सेना में सेवा करे देल जाय ।
- ठीके कहल गेलइ ! ओकरा तकलीफ झेले देवल जाय ...
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आउ ओकर बाप केऽ हइ ?

हमर पिताजी, अन्द्रेय पित्रोविच ग्रिनेव अपन जवानी में काउंट म्यूनिख़ [2] के अधीन सेना में सेवा कइलथिन हल आउ सन् 17-- में फ़स्ट मेजर [3] रैंक में सेवानिवृत्त (रिटायर) होलथिन हल । ऊ बखत से ऊ सिम्बिर्स्क प्रान्त के अपन गाँव में रहऽ हलथिन, जाहाँ परी ऊ कुमारी अवदोत्या वसील्येव्ना यू॰ से शादी कर लेलथिन, जे हुआँ के एगो गरीब कुलीन के बेटी हलथिन । हमन्हीं नो भाय-बहिन हलिअइ । लेकिन हमर सब्भे भाय-बहिन के बचपने में मौत हो गेलइ ।
हम अभी माय के पेटे में हलिअइ कि हमन्हीं के नजदीकी रिश्तेदार राजकुमार बी॰ के मेहरबानी से, जे गार्ड सेना में मेजर हलथिन, हमरा सिम्योनोव्स्की रेजिमेंट में सर्जेंट के रूप में दर्ज कर लेल गेलइ [4] । अगर हरेक आशा के विपरीत माय लड़की के जन्म देते हल, त पिताजी ड्यूटी पर रिपोर्ट नयँ करे वला सर्जेंट के मौत के बारे सूचना उचित स्थान पर दे देथिन हल, आउ मामला हुएँ खतम हो जइते हल । पढ़ाई समाप्त होवे तक हमरा छुट्टी पर मानल गेलइ । ऊ जमाना में हमन्हीं के शिक्षा-दीक्षा आझकल नियन नयँ देल जा हलइ । पाँच साल के उमर में हमरा साईस सावेलिच के हाथ में सौंप देल गेलइ, जेकरा मद्यसंयमी आचरण के कारण पुरस्कार के रूप में हमर व्यक्तिगत नौकर बना देवल गेले हल । ओकर देख-रेख में बारह बरिस के उमर तक हम रूसी भाषा में पढ़े-लिक्खे लगी सीख गेलिअइ आउ बोर्ज़्वा [5] नर कुत्ता के गुण निम्मन से परख सकऽ हलिअइ। एहे समय पिताजी हमरा लगी एगो फ्रांसीसी, मौँस्य बोप्रे (Monsieur Beaupre) [6], के शिक्षक के रूप में नियुक्त कइलथिन, जेकरा शराब आउ जैतून के तेल के वार्षिक भंडार के साथ मास्को से औडर कइल गेले हल । ओकर आगमन सावेलिच के बिलकुल नयँ पसीन पड़लइ । "भगमान के किरपा से", ऊ खुद से बड़बड़इलइ, "लगऽ हइ, बुतरुअन के नेहावल-धोवल जा हइ, कंघी कइल जा हइ, खिलावल जा हइ । फेर फालतू के पैसा खरच करे के आउ मौँस्य के नियुक्त करे के कीऽ जरूरत हइ, मानूँ अपनहीं लोग काफी नयँ हलइ!"
बोप्रे अपन देश में नउआ हलइ, फेर प्रुशिया (Prussia) में सैनिक, फेर ' पुर एत्र उचितेल '  [pour être outchitel - (फ्रेंच) शिक्षक बन्ने लगी] रूस चल अइलइ, जबकि ई शब्द ( उचितेल ) के ठीक से मतलबो ओकरा नयँ मालुम हलइ । ऊ एगो निम्मन अदमी हलइ, लेकिन चंचल आउ हद दर्जा के दुराचारी हलइ । ओकर सबसे बड़गो कमजोरी हलइ औरत जात के प्रति अनुराग; अकसर अपन हरक्कत लगी ओकर पिटम्मस होवऽ हलइ, जेकरा चलते पूरे दिन ओह-आह करते रहऽ हलइ । एकरा अलावे, (ओकरे अभिव्यक्ति के अनुसार) ऊ बोतल  के दुश्मन भी नयँ हलइ, मतलब (रूसी में कहल जाय तो) कुछ जादहीं गटकना पसीन करऽ हलइ । लेकिन चूँकि हमन्हीं हीं शराब खाली दुपहर के भोजन के बखत परसल जा हलइ, आउ ओहो खाली एक-एक गिलास, लेकिन अकसर शिक्षक के परसे में चूक जइते जा हलइ, त हमर बोप्रे बहुत जल्दीए रूसी शराब के आदी हो गेलइ आउ अपन देश के शराब के अपेक्षा ओकरा पेट खातिर अधिक उपयोगी समझके कहीं जादे पसीन करे लगलइ । हमन्हीं बीच तुरतम्मे पटरी बैठ गेलइ, आउ हलाँकि ठेका के मोताबिक ऊ हमरा फ्रेंच, जर्मन आउ सब विषय पढ़ावे लगी कर्तव्यबद्ध हलइ, लेकिन ऊ जल्दी से जल्दी हमरा से रूसी भाषा में कइसूँ बतियाय लगी सीखना बेहतर समझलकइ - आउ फेर हमन्हीं दुन्नु में से हरेक अपने काम में लीन हो गेते गेलिअइ । हमन्हीं घुल-मिलके रहऽ हलिअइ । हम आउ कोय दोसर शिक्षक नयँ चाहऽ हलिअइ । लेकिन जल्दीए भाग्य हमन्हीं के अलगे-अलगे कर देलकइ, आउ अइकी ई घटना के चलते ।
मोटक्कर आउ चेचकरू (pock-marked) लौंडिया धोबिनियाँ पलाश्का आउ कानी गोबरनियाँ अकुल्का कइसूँ एक्के साथ हमर माय के गोड़ पर गिर जाय के फैसला कइलकइ, अपन पापपूर्ण दुर्बलता स्वीकार कर लेते गेलइ आउ रोते-कनते मौँस्य पर इलजाम लगइलकइ, जे ओकन्हीं के अनाड़ीपन के चलते फुसला लेलके हल । हमर माय के ई बात के हलका में लेना पसीन नयँ पड़लइ आउ पिताजी के शिकायत कर देलकइ । उनकर सख्त कदम छोटगर हलइ । ऊ तुरतम्मे बदमाश फ्रेंच के बोलवा पठइलथिन । उनका बतावल गेलइ कि मौंस्य हमरा अपन पाठ पढ़ाब करऽ हइ । पिताजी हमर कमरा में चल अइलथिन । ई बखत बोप्रे पलंग पर एगो भोला-भाला के नीन लेब करऽ हलइ । हम अपन काम में लीन हलिअइ । ई बात के उल्लेख करना आवश्यक हइ कि हमरा लगी मास्को से भूगोल के एगो मानचित्र मँगवावल गेले हल । ई देवाल पर बिन कोय उपयोग के टँग्गल हलइ आउ कागज के साइज आउ गुण हमरा बहुत पहिलहीं से ललचाब करऽ हलइ । हम ओकरा से एगो तिलंगी बनावे के फैसला कइलिअइ, आउ बोप्रे के नीन के फयदा उठइते, काम में लग गेलिअइ । पिताजी ओहे समय अंदर अइलथिन, जब हम केप ऑफ़ गुड होप के साथ बास्ट (bast) के पूँछ लगाब करऽ हलिअइ । भूगोल में हमर ई अभ्यास के देखके पिताजी हमर कान ऐंठलथिन, फेर बोप्रे दने लपकल गेलथिन, ओकरा बहुत बेपरवाही से जगइलथिन आउ फटकार के झड़ी लगावे लगलथिन । हड़बड़ाल बोप्रे उट्ठे लगी चहलकइ लेकिन उठ नयँ सकलइ - अभागल फ्रांसीसी पीके मत्तल हलइ । सात आफत के एक इलाज । पिताजी ओकरा अर्धचन्द्र देके पलंग पर से उठइलथिन, धक्का देके दरवाजा के बाहर कर देलथिन आउ ओहे दिन घर से निकास देलथिन, जेकरा से सावेलिच के अवर्णनीय प्रसन्नता होलइ । ई तरह हमर शिक्षा-दीक्षा के अंत हो गेल ।
कबुत्तर के पीछू-पीछू दौड़ते आउ नौकरवन के बुतरुअन साथ मेढ़क-कूद (leapfrog) खेलते हम एगो अनाड़ी के जिनगी जीए लगलूँ । एहे दौरान हम सोल्लह साल के हो गेलूँ । हियाँ परी हमर भाग्य बदल गेल ।
पतझड़ ऋतु में एक दिन अतिथिकक्ष में हमर माय मध के मुरब्बा बना रहले हल, आउ उबलते झाग (फेन) के देख-देखके हमर मुँह में पानी आ रहल हल । पिताजी खिड़की बिजुन बैठल कोर्ट कैलेंडर [7] पढ़ रहलथिन हल, जे ऊ हर साल मँगावऽ हलथिन । ई पुस्तक के उनका पर हमेशे बड़गो प्रभाव पड़ऽ हलइ - ऊ बिन विशेष दिलचस्पी के कभी नयँ एकरा पढ़ऽ हलथिन, आउ ई पठन उनका में हमेशे पित्त के आश्चर्यजनक उत्तेजना पैदा करऽ हलइ । उनकर रुचि आउ आदत से निम्मन से परिचित हमर माय हमेशे ई अशुभ पुस्तक के यथासंभव दूर नुकाऽ देवे के कोशिश करऽ हलइ, आउ ई तरह कोर्ट कैलेंडर कभी-कभी पूरे महिन्ना भर तक उनका नजर नयँ आवऽ हलइ । लेकिन जब संयोगवश ऊ उनका मिल जा हलइ, त पूरे घंटा भर ऊ अपन हाथ से अलगे नयँ करऽ हलथिन । ई तरह, पिताजी कोर्ट कैलेंडर पढ़ रहलथिन हल, बीच-बीच में अपन कन्हा झटकऽ हलथिन आउ धीरे से दोहरावऽ हलथिन - "लेफ़्टेनेंट जेनरल ! ... ऊ हमर कंपनी में सर्जेंट हलइ ! ... दुन्नु उच्चतम पदक (ऑर्डर) से सम्मानित ! ... आउ कीऽ बहुत दिन हो गेलइ जब हमन्हीं दुन्नु ... " आखिर पिताजी कैलेंडर के सोफा पर बिग देलथिन आउ सोच में डूब गेलथिन, जे कुच्छो निम्मन शकुन नयँ हलइ ।
अचानक ऊ माय दने मुखातिब होलथिन - "अवदोत्या वसील्येव्ना, पित्रुशा ('प्योत्र' के ऊनार्थक) के केतना उमर हो गेले ह ?"
"अइकी सतरहमा साल चल रहले ह", माय उत्तर देलकइ । "पित्रुशा ओहे साल पैदा होले हल, जब मौसी नस्तास्या गेरासिमोव्ना एक आँख खो देलके हल, आउ जब ..."
"अच्छऽ, अच्छऽ", पिताजी बीच में टोकते बोललथिन, "अब ओकरा मिलिट्री सेवा करे के बखत हो गेलइ । अब बहुत हो गेलइ नौकरानी लोग के घर के आसपास ओकर दौड़ना आउ कबुत्तरखाना पर चढ़ना ।"
हमरा से अलग होवे के विचार से मइया के मन पर अइसन झटका लगलइ कि ओकर हाथ से चम्मच छूटके कड़ाही में गिर गेलइ आउ ओकर चेहरा पर से लोर बहे लगलइ । एकर विपरीत, हमर खुशी के वर्णन करना मोसकिल हइ । मिलिट्री सेवा के विचार हमरा में अजादी के विचार आउ पितिरबुर्ग के जीवन के विचार से घुलमिल गेलइ । हम खुद के गार्ड सेना के अफसर के रूप में कल्पना कइलिअइ, जे, हमर विचार में, मानवीय सुख के पराकाष्ठा हलइ ।
पिताजी के न तो अपन इरादा बदलना पसीन हलइ, आउ न एकर कार्यान्वयन के स्थगित करना । हमर प्रस्थान के दिन तय कर देल गेलइ । प्रस्थान करे के पूर्वसंध्या के घोषणा कइलथिन, कि उनकर इरादा हमरा साथ हमर भावी कमांडर के पत्र भेजना हलइ, आउ कागज-कलम के माँग कइलथिन ।
"अन्द्रेय पित्रोविच", माय कहलकइ, "राजकुमार बी॰ के हमरा तरफ से भी अभिवादन करना नयँ भूलथिन; हमरा आशा हइ, कि ऊ पित्रुशा पर अपन कृपादृष्टि से वंचित नयँ करथिन ।"
"कइसन बकवास हइ !" पिताजी नाक-भौं सिकोड़ते उत्तर देलथिन । "हम काहे लगी भला राजकुमार बी॰ के लिखबइ ?"
"तूँहीं तो कहलहो कि पित्रुशा के कमांडर के पत्र लिक्खे जाब करऽ हो ।"
"ठीक हइ, लेकिन ओकरा से की ?"
"लेकिन पित्रुशा के कमांडर तो राजकुमार बी॰ हथिन । आउ पित्रुशा के नाम तो सिम्योनोव्स्की रेजिमेंट में दर्ज हइ ।"
"दर्ज हइ ! लेकिन हमरा एकरा से की मतलब कि ओकर नाम दर्ज हइ ? पित्रुशा पितिरबुर्ग नयँ जइतइ । पितिरबुर्ग में मिलिट्री सेवा में रहते ऊ की सीखतइ ? फिजूलखर्ची करतइ आउ मस्ती मारतइ ? नयँ, ओकरा फौज में काम करे देल जाय, आउ कोल्हू के बैल नियन काम करे देल जाय, आउ जरी बारूद के गन्ह लेवे देल जाय, आउ एगो सैनिक बन्ने देल जाय, निकम्मा नयँ । गार्ड सेना में दर्ज ! ओकर पासपोर्ट [8] कन्ने हइ ? लाके एन्ने दे ।"
माय हमर पासपोर्ट खोजलकइ, जे एकरा हमर नामकरण के समय के कमीज के साथ पेटी में संजोगके रखले हलइ, आउ अपन कँपते हाथ से एकरा पिताजी के सौंप देलकइ । पिताजी ओकरा ध्यान से पढ़ गेलथिन, फेर अपन सामने टेबुल पर रख देलथिन आउ अपन पत्र लिखना शुरू कइलथिन ।
उत्सुकता हमरा यातना देब करऽ हल - हमरा कन्ने भेजल जइतइ, अगर पितिरबुर्ग नयँ तो ? हम पिताजी के कलम से, जे काफी धीरे-धीरे चल्लब करऽ हलइ, अपन नजर नयँ हटइलिअइ । आखिर ऊ लिखना समाप्त कइलथिन, पास्पोर्ट के साथ पत्र के एगो लिफाफा में बंद कइलथिन, चश्मा उतार लेलथिन, आउ हमरा बोलाके कहलथिन - "हले ले ई हमर पुरनका साथी आउ मित्र अन्द्रेय कार्लोविच आर॰ के नाम पत्र । तोरा उनकर अधीन सेवा करे खातिर ओरेनबुर्ग [9] जाय के हउ ।"
आउ ई तरह हमर सब्भे मधुर आशा पर पानी फिर गेल ! पितिरबुर्ग के खुशी भरल जिनगी के बदले हमरा सूनसान आउ दूर-दराज के क्षेत्र में उबाऊपन हमर इंतजार कर रहल हल । फौजी सेवा, जेकरा बारे हम मिनट भर पहिले एतना हर्षातिरेक से सोच रहलूँ हल, हमरा अब एगो भारी दुर्भाग्य प्रतीत हो रहल हल । लेकिन कुच्छो बहस नयँ कइल जा सकऽ हलइ ! दोसर दिन सुबहे ड्योढ़ी पर यात्रा के किबित्का [10] लावल गेलइ; एकरा में ट्रंक, चाय-सेट के साथ यात्रा के दौरान खाय-पीए लगी अरतन-बरतन के पेटी, आउ रोल आउ पाई (rolls and pies) के बंडल रख देल गेलइ, जे घरेलू लाड़-प्यार के आखिरी निशानी हलइ । माता-पिता हमरा आशीर्वाद देलथिन । पिताजी हमरा कहलथिन - "अलविदा, प्योत्र । जिनकर प्रति निष्ठा के शपथ लेना, उनकर निष्ठापूर्वक सेवा करना; कमांडर लोग के आज्ञा के पालन करना; उनकर अनुग्रह पावे लगी पीछू नयँ पड़ना; अपन पहल करके सेवा नयँ करना; सेवा से मुँह नयँ मोड़ना; आउ ई कहावत के आद रखना - 'नावा पोशाक के, आउ बचपन से सम्मान के सुरक्षित (बनइले) रखना' ।" लोर बहइते माय हमरा अपन सेहत के खियाल रक्खे के हिदायत कइलकइ, आउ सावेलिच के बुतरू के (मतलब हमर) देखभाल करे के । हमरा खरगोश के खाल के कोट पेन्हावल गेलइ, आउ ओकर उपरे लोमड़ी के फ़र-कोट । हम सावेलिच के साथ किबित्का में बैठलिअइ आउ लोर बहइते यात्रा लगी प्रस्थान कइलिअइ ।
ओहे रात हम सिम्बिर्स्क पहुँचलिअइ, जाहाँ परी जरूरी समान खरीदे लगी एक दिन ठहरना जरूरी हलइ, जे काम सावेलिच के सौंप देल गेले हल । हम एगो सराय में ठहरलिअइ । सावेलिच सुबहे दोकान सब के चक्कर लगावे लगी रवाना हो गेलइ । खिड़की से गंदा-संदा गल्ली दने देखते-देखते ऊब गेला पर हम सब्भे कमरा में चहलकदमी करे लगलिअइ । बिलियर्ड कक्ष में प्रवेश कइला पर हमरा एगो कोय पैंतीस साल के लमगर मोंछ वला एगो उँचगर कद के ठाकुर (रईस) देखाय देलकइ, जे ड्रेसिंग-गाउन पेन्हले हलइ आउ जेकर हाथ में बिलियर्ड खेले के डंडा आउ दाँत में पाइप हलइ । ऊ मार्कर [marker - (फ्रेंच) खेल के हिसाब-किताब रक्खे वला] के साथ खेलब करऽ हलइ, जे जब-जब जीत जाय, त ओकरा एक गिलास वोदका पीये लगी मिल्लइ; आउ जब-जब हारइ, त ओकरा चौपाया नियन बिलियर्ड टेबुल के निच्चे से रेंगे पड़इ । हम ओकन्हीं के खेल देखे लगलिअइ। जेतने लमगर ई खेल बढ़ते गेलइ, मार्कर के चौपाया नियन रेंगना ओतने जादे अकसर होवे लगलइ, जब तक कि आखिर ऊ टेबुल के निचहीं नयँ रह गेलइ । ई ठाकुर अंत्येष्टि भाषण के रूप में ओकरा पर कुछ जोरदार शब्द उच्चारित कइलकइ आउ हमरा एक दाँव खेले के प्रस्ताव रखलकइ । चूँकि हमरा खेले नयँ आवऽ हलइ, हम इनकार कर देलिअइ । ई ओकरा शायद विचित्र लगलइ । ऊ हमरा तरफ मानूँ अफसोस से देखलकइ; लेकिन हमन्हीं बातचीत करे लगलिअइ । हमरा मालुम होलइ कि ओकर नाम इवान इवानोविच ज़ूरिन हइ, कि ऊ *** हुस्सार रेजिमेंट के कप्तान हइ, कि अभी सिम्बिर्स्क में रंगरूट के भरती करे लगी अइले ह आउ सराय में ठहरल हइ । ज़ूरिन हमरा अपन साथ, भगमान भरोसे जे कुछ मिल जाय, ऊ भोजन पर सैनिक ढंग से खाय लगी आमंत्रित कइलकइ । हम खुशी से राजी हो गेलिअइ । हमन्हीं टेबुल भिर बैठते गेलिअइ । ज़ूरिन बहुत जादे पीयऽ हलइ आउ हमरो पीए लगी कहलकइ, ई बोलते, कि सैनिक सेवा के अभ्यस्त होवे पड़ऽ हइ; ऊ हमरा फौजी जिनगी के कइएक हास्यजनक किस्सा सुनइलकइ, जेकरा से हम लगभग हँसते-हँसते लोटपोट हो गेलिअइ, आउ हमन्हीं टेबुल भिर से बिलकुल पक्का दोस्त के रूप में उठते गेलिअइ । हियाँ परी ऊ स्वेच्छा से हमरा बिलियर्ड खेले लगी सिखावे खातिर सामने अइलइ । "ई", ऊ बोललइ, "हमन्हीं फौजी भाय लगी जरूरी हइ । अभियान में, मसलन, एगो छोटगर जगह पर पहुँच जा हो - की काम में खुद के व्यस्त रखभो ? हमेशे यहूदी लोग के पीटते तो नयँ रह सकऽ हो । जाने-अनजाने सराय जइबहो आउ बिलियर्ड खेले लगबहो; आउ एकरा लगी खेले लगी तो आवे के चाही !" हमरा पक्का अकीन हो गेलइ आउ हम बड़ी लगन से सिक्खे लगलिअइ। ज़ूरिन हमरा बहुत प्रोत्साहित कइलकइ, हमर त्वरित प्रगति पर आश्चर्चकित होवऽ हलइ, आउ कुछ पाठ के बाद हमरा पैसा पर खेले के सलाह देलकइ, एक तुरी में खाली आधा कोपेक पर, लाभ सोचके नयँ, बल्कि ई सोचके कि खाली बेकार में खेले के नयँ, जे ओकर विचार से एगो सबसे खराब आदत हइ । हम एकरो पर राजी हो गेलिअइ, आउ ज़ूरिन पंच [punch - (सं॰ ?) पानी, फल के रस, मसाला आदि के साथ शराब के मिश्रण से बनावल एक पेय] के औडर देलकइ आउ हमरा एरा अजमावे लगी राजी कइलकइ, ई बात के दोहरइते कि फौजी सेवा लगी एकर अभ्यस्त होवे के चाही; आउ बिना पंच के फौजी सेवा के की अर्थ ! हम ओकर बात मान लेलिअइ । एहे दौरान हमन्हीं के खेल चलते रहलइ । जेतने जादे हम अपन गिलास से शराब के चुश्की ले हलिअइ, ओतने जादे साहसी होते जा हलिअइ । हमर बॉल सब लगातार बोर्ड (cushion) से होके हमरा तरफ उड़-उड़ जा हलइ; हम उत्तेजित हो रहलिए हल, मार्कर के कोसब करऽ हलिअइ, जे भगमान जाने कइसे स्कोर के गिनती करऽ हलइ; घंटे-घंटे हम अपन दाँव बढ़ाब करऽ हलिअइ, एक शब्द में - (माय-बाप के लगाम से) मुक्त छोकरा नियन व्यवहार कर रहलिए हल । ई दौरान समय के पता नयँ चललइ । ज़ूरिन अपन घड़ी पर नजर डललकइ, अपन डंडा रख देलकइ आउ हमरा बतइलकइ कि हम सो रूबल हार चुकलिए ह । ई बात हमरा जरी परेशानी में डाल देलकइ । हमर सब पैसा सावेलिच के पास हलइ । हम माफी माँगे लगलिअइ । ज़ूरिन हमरा बीच में टोकलकइ - "कोय बात नयँ ! फिकिर मत करऽ ! हम इंतजार कर सकऽ हिअइ, आउ अभी तो अरिनुश्का हीं चल्लल जाय ।"
हम करिए की सकऽ हलिअइ ? दिन हम ओइसीं बेवकूफी से खतम कइलिअइ जइसे शुरू कइलिए हल । हमन्हीं रात के भोजन अरिनुश्का हीं करते गेलिअइ । ज़ूरिन लगातार  हमर जाम भरते जा हलइ, ई बात दोहरइते, कि फौजी जिनगी के अभ्यस्त होवे के चाही । टेबुल भिर से उठला पर हम मोसकिल से अपन गोड़ पर खड़ी हो पावऽ हलिअइ; अधरात के ज़ूरिन हमरा सराय वापिस ले गेलइ ।
सावेलिच हमन्हीं के ड्योढ़ी पर मिललइ । सैनिक सेवा खातिर हमर अशंकनीय उत्साह के लक्षण देखके ऊ आह भरलकइ । "ई तोरा की हो गेलो ह, छोटे मालिक ?" ऊ दयनीय स्वर में हमरा कहलकइ, "काहाँ परी तूँ एतना चढ़ा लेलऽ ? हे भगमान ! जनम से अभी तक अइसन दुष्कर्म नयँ होलो हल !" - "चुप, बुड्ढे !" हम हकलइते ओकरा उत्तर देलिअइ; "तूँ पक्का नशा में हँ, जो सुत जो ... आउ हमरा पलंग पर लिटा दे ।"
अगले दिन हम जगलिअइ त हमर सिर में दरद हलइ, कल के सब घटना धुँधला-सन आद पड़लइ । हमर विचार शृंखला तब टूट गेलइ जब सावेलिच चाय के कप लेले कमरा के अंदर अइलइ । "बहुत जल्दीए, प्योत्र अन्द्रेइच", ऊ सिर हिलइते हमरा कहलकइ, "बहुत जल्दीए रंगरेली मनावे लगलऽ । आउ केकरा पर तूँ गेलऽ ? लगऽ हइ, न तो तोर पिताजी आउ न  तो तोर दादाजी पियक्कड़ हलथुन; माताजी के बारे में तो कुछ कहे लायक हइए न हको - जनम से क्वास [11] के सिवा मुँह से कुछ लगइलथुन नयँ । आउ ई सब खातिर केऽ दोषी हइ ? ऊ अभिशप्त मौँस्य । जब न तब ऊ अन्तिप्येव्ना भिर दौड़ल जा हलइ - 'मादाम, ज वू प्री, वोद्क्यू !' [(रूसीकृत फ्रेंच) मैडम, हम अपने के निवेदन करऽ हिअइ, वोदका !] त तोरो लगी हको एहे 'ज वू प्री !'  कुछ कहे के जरूरत नयँ हइ - तोरा निम्मन सिखाऽ देलको ह, ऊ कुत्ता के पिल्ला । आउ जरूरत हलइ अइसन विदेशी काफिर के शिक्षक नियुक्त करे के, मानूँ मालिक के पास अप्पन लोग के कमी होवइ !"
हमरा शरम लगलइ । हम मुँह फेर लेलिअइ आउ ओकरा कहलिअइ - "हियाँ से चल जो, सावेलिच; हमरा चाय नयँ चाही ।" लेकिन सावेलिच जब कभी उपदेश देवे लगऽ हलइ तो ओकरा से छुटकारा पाना मोसकिल होवऽ हलइ । "त अइकी देखऽ हो न, प्योत्र अन्द्रेइच, शराब पीए के कइसन नतीजा होवऽ हइ । सिर भारी-भारी आउ खाय के तो मन नयँ करऽ हइ । पियक्कड़ अदमी कोय काम के नयँ होवऽ हइ ... मध मिल्लल खीरा के अचार के पानी पी लऽ, चाहे सबसे निम्मन जहर के दवाय जहर, मतलब, आधा गिलास शराब । लेके अइयो ?"
तखनिएँ एगो बुतरू अंदर अइलइ आउ हमरा ई॰ ई॰ ज़ूरिन के नोट लेके अइलइ । हम एकरा खोललिअइ आउ निम्नलिखित पंक्ति पढ़लिअइ -
"प्रिय प्योत्र अन्द्रेयेविच, किरपा करके हमर लड़का के साथ हमरा सो रूबल भेजवा दऽ, जे तूँ कल्हे हमरा से हारलऽ हल । हमरा पैसा के बहुत जरूरत हके ।
                                                          सेवा लगी तैयार
                                                          इवान ज़ूरिन"
कुछ नयँ कइल जा सकऽ हलइ । हम उदासीन मुद्रा धारण कर लेलिअइ, आउ सावेलिच से मुखातिब होके, जे 'हमर पैसा, कपड़ा-लत्ता, सब मामला के बड़ी ध्यान से देखभाल करे वला' [12] हलइ, लड़कावा के सो रूबल देवे के औडर देलिअइ । "की ? काहे लगी ?" - आश्चर्यचकित होल सावेलिच पुछलकइ । "हम ई पैसा ओकरा धारऽ हिअइ" - हम सब तरह से संभव उदासीनता के साथ उत्तर देलिअइ । "ओकरा धारऽ हो !" - सावेलिच एतराज कइलकइ, जेकर अचरज मिनट-मिनट बढ़ रहले हल । "लेकिन कब से ओकर ऋणी हो गेलहो, मालिक? मामला कुछ तो गड़बड़ हको । चाहे जे कहो, मालिक, लेकिन हम तो पैसा नयँ देबइ" ...
हम सोचलिअइ कि अगर एहे निर्णायक क्षण में अड़ियल बुढ़उ के तर्क से नयँ शांत करबइ, त आगू जाके हमरा ओकर अभिभावकता से मुक्त होना मोसकिल होतइ, आउ ओकरा तरफ बड़ी गर्व से नजर डालते कहलिअइ - "हम तोर मालिक हिअउ, आउ तूँ हमर नौकर । पैसा हम्मर हके । हम ऊ हरलिअइ, काहेकि हम अइसन चहलिअइ । आउ हम तोरा सलाह दे हिअउ कि जादे अकलमंदी नयँ देखाव आउ ओहे कर जे तोरा कहल जाव।"
हमर ई बात से सावेलिच के दिल पर अइसन चोट लगलइ कि ऊ हाथ झटकलकइ आउ स्तब्ध रह गेलइ । "तूँ खड़ी काहे लगी हकहीं !" हम गोस्सा से चिल्लइलिअइ । सावेलिच कन्ने लगलइ । "प्यारे प्योत्र अन्द्रेइच", ऊ कँपते स्वर में बोललइ, "हमरा शोक-संतप्त करके मत मारऽ । तूँ हमर रोशनी हकऽ ! हमर, ई बुढ़उ के, बात सुन्नऽ - ई डाकू के लिक्खऽ कि हम मजाक कइलियो हल, कि हमरा पास एतना पैसा तो हइए नयँ हको । सो रूबल ! हे कृपालु भगमान ! ओकरा बता देहो, कि तोरा माता-पिता जूआ खेले से सख्त मना कइलथुन हल, सिवाय गिरीदार फल (nuts) के ..." - "बहुत बकवास हो गेलउ", हम टोकते कड़ाई से बोललिअइ, "एद्धिर पैसा दे, नयँ तो अर्द्धचन्द्र देके बाहर कर देबउ ।"
सावेलिच हमरा तरफ गहरा दुख से देखलकइ आउ हमर ऋण के रकम लावे लगी चल गेलइ । हमरा बेचारा बुढ़उ पर तरस अइलइ; लेकिन हम अजाद होवे आउ ई देखा देवे लगी चाहऽ हलिअइ कि हम अभी बुतरू नयँ धइल हिअइ । पैसा ज़ूरिन के दे देवल गेलइ । सावेलिच हमरा ई अभिशप्त (मनहूस) सराय से दूर ले जाय के जल्दीबाजी कइलकइ । ऊ ई खबर के साथ प्रकट होलइ कि घोड़ा(-गाड़ी) तैयार हइ । बिन अपन गुरु से बिदाई लेले आउ फेर ओकरा से कभी नयँ मिल्ले के बात सोचते, अशांत अंतःकरण आउ मूक पश्चात्ताप के साथ हम सिम्बिर्स्क से रवाना होलिअइ ।

अनूदित साहित्य                                 सूची            अप्पन बात 

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