गया
में वस्तुतः बिहार के यात्रा हम पूरा कइलिअइ । हियाँ से हम पटना लगी रवाना हो गेलिअइ
। पटना में चाहे प्राचीन शहर पाटलिपुत्र में, अभी के अबादी 158,900 मानल जा हइ, आउ
एकर पचमा हिस्सा से कुछ अधिक मुसलमान लोग के अबादी हइ । न तो कुच्छो प्राचीन या न तो
कइसनो प्रकार के अद्भुत ई शहर में हकइ । शहर
के आसापास गोल (गोलघर) या गुंबद के आकार के उँचगर अन्न-भंडार देखावल जा हइ, जेकर निर्माण
अंग्रेज द्वारा गत शताब्दी के अंत में कइल गेले हल । खुद शहर गंदा हइ आउ सुंदर नयँ
।
पटना
में सबसे रोचक हइ, लेकिन महत्त्वपूर्ण बिलकुल नयँ, अबादी के कुछ हिस्सा । हमर कहे के
मतलब हइ वाहबीत, जेकरा साथ लेकिन न तो मिललिअइ आउ न जेकरा देखलिअइ । वाहबीत, जइसन कि लोग के निम्मन से मालुम हइ, स्पष्ट
रूप से अंग्रेज के दुश्मन हइ । ओकन्हीं जीयऽ हइ, ई बात के पूरा विश्वास के साथ कि ओकन्हीं
के पैगंबर सैयद अहमद लौटके अइथिन सब्भे काफिर लोग के नाश करथिन; आउ ई दौरान जिहाद के
तैयारी करब करऽ हइ, ओकन्हीं पवित्र युद्ध खातिर विशेष कोष (fund) एकत्र करब करऽ हइ
। हरेक धनी व्यक्ति ई कोष में अपन आमदनी के कोय निश्चित प्रतिशत योगदान करऽ हइ । जमींदार
लोग हरेक फसल से एकरे में अढ़ाय प्रतिशत के दान करऽ हइ । अइसने टैक्स कसाई, शिल्पी आउ
भिखारियो पर भी लादल जा हइ; ई अंतिम लोग अपन अल्प भोजन में से एक-एक मुट्ठी दान करऽ
हइ ।
पटना
से हम नेपाल रवाना हो गेलिअइ ।
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