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Friday, March 02, 2018

इवान मिनायेव के बिहार यात्राः 4.2 पटना में



गया में वस्तुतः बिहार के यात्रा हम पूरा कइलिअइ । हियाँ से हम पटना लगी रवाना हो गेलिअइ । पटना में चाहे प्राचीन शहर पाटलिपुत्र में, अभी के अबादी 158,900 मानल जा हइ, आउ एकर पचमा हिस्सा से कुछ अधिक मुसलमान लोग के अबादी हइ । न तो कुच्छो प्राचीन या न तो कइसनो प्रकार के अद्भुत ई शहर में हकइ ।  शहर के आसापास गोल (गोलघर) या गुंबद के आकार के उँचगर अन्न-भंडार देखावल जा हइ, जेकर निर्माण अंग्रेज द्वारा गत शताब्दी के अंत में कइल गेले हल । खुद शहर गंदा हइ आउ सुंदर नयँ ।
पटना में सबसे रोचक हइ, लेकिन महत्त्वपूर्ण बिलकुल नयँ, अबादी के कुछ हिस्सा । हमर कहे के मतलब हइ वाहबीत, जेकरा साथ लेकिन न तो मिललिअइ आउ न जेकरा देखलिअइ ।  वाहबीत, जइसन कि लोग के निम्मन से मालुम हइ, स्पष्ट रूप से अंग्रेज के दुश्मन हइ । ओकन्हीं जीयऽ हइ, ई बात के पूरा विश्वास के साथ कि ओकन्हीं के पैगंबर सैयद अहमद लौटके अइथिन सब्भे काफिर लोग के नाश करथिन; आउ ई दौरान जिहाद के तैयारी करब करऽ हइ, ओकन्हीं पवित्र युद्ध खातिर विशेष कोष (fund) एकत्र करब करऽ हइ । हरेक धनी व्यक्ति ई कोष में अपन आमदनी के कोय निश्चित प्रतिशत योगदान करऽ हइ । जमींदार लोग हरेक फसल से एकरे में अढ़ाय प्रतिशत के दान करऽ हइ । अइसने टैक्स कसाई, शिल्पी आउ भिखारियो पर भी लादल जा हइ; ई अंतिम लोग अपन अल्प भोजन में से एक-एक मुट्ठी दान करऽ हइ ।
पटना से हम नेपाल रवाना हो गेलिअइ ।

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