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Friday, August 24, 2018

चेख़व के हास्य कहानी - 1. खुशी


1.  खुशी
(मूल रूसी - Радость )
रात के बारह बज रहले हल ।
मित्या कुलदारोव, जेकर बाल उझरल हलइ, जोश में अपन माय-बाप के फ्लैट में गेलइ आउ तेजी से सब्भे कमरा में घुम्मे लगलइ । ओकर माय-बाप सुत चुकले हल । बहिन बिछौना पर पड़ल हलइ आउ उपन्यास के अंतिम पृष्ठ पढ़ रहले हल । स्कूल जाय वलन ओकर भाय सब सुत्तल हलइ ।
"काहाँ से आब करऽ हीं ?" अचरज से ओकर माय-बाप पुछलकइ । "तोरा की हो गेलो ह ?"
"ओह, नयँ पुच्छऽ ! हमरा बिलकुल आशा नयँ हले ! नयँ, हम बिलकुल आशा नयँ करऽ हलिअइ ! ई ... ई तो विश्वास के लायक नयँ हइ !"
मित्या जोर से हँस्से लगलइ आउ अराम कुरसी में बैठ गेलइ, खुशी के मारे ऊ अपन गोड़ पर स्थिर खड़ी नयँ रह पा रहले हल ।
"ई तो बिलकुल अविश्वसनीय हइ ! तोहन्हीं तो कल्पनो नयँ कर सकऽ हो ! देखहो !"
ओकर बहिन बिस्तर पर से उछल पड़लइ आउ कंबल ओढ़के भइवा भिर अइलइ । स्कूल जाय वला भइवन जग गेलइ ।
"तोरा की हो गेलो ह ? तोर चेहरा तो पीयर पड़ गेलो ह !"
"अइसन तो हमरा खुशी के मारे हो गेले ह, माय ! अब तो हमरा समुच्चे रूस जानऽ हइ ! समुच्चे ! पहिले खाली तोहन्हिंएँ जन्नऽ हलहो कि ई दुनियाँ में एगो कॉलेज रजिस्ट्रार द्मित्री कुलदारोव हइ, लेकिन अब तो एकरा बारे समुच्चे रूस जन्नऽ हइ ! प्यारी माय ! हे भगमान !"
मित्या उछल पड़लइ, सब्भे कमरा में दौड़ल गेलइ आउ फेर से बैठ गेलइ ।
"अरे तोरा की हो गेलो ह ? साफ-साफ बता न !"
"तोहन्हीं तो जंगली जनावर नियन रहऽ हो, अखबार-उखबार नयँ पढ़ऽ हो, प्रकाशित सामग्री पर कोय ध्यान नयँ दे हो, लेकिन अखबार में केतना सारा रोमांचक चीज होवऽ हइ ! अगर कुछ होवऽ हइ, त अब सब कुछ मालुम पड़ जा हइ, कुच्छो छिप्पल नयँ रहऽ हइ ! हम केतना भगसाली (भाग्यशाली) हकूँ ! हे भगमान ! अखबार में तो नामी-गिरामी लोग के बारे छापल जा हइ, आउ हियाँ परी हम्मर बात लेते गेलइ आउ हमरा बारे छापते गेलइ !"
"की बोलब करऽ हीं ? काहाँ परी ?"
ओकर प्यारा बाप तो पीयर पड़ गेलइ । प्यारी मइया प्रतिमा (image) दने तकलकइ आउ क्रॉस कइलकइ । इस्कुलिया भइवन उछल पड़ते गेलइ, आउ जइसन हलइ - रात के छोटका कमीज में - ओइसीं अपन बड़का भइवा बिजुन अइते गेलइ ।
"जी हाँ ! हमरा बारे छपले ह ! अब हमरा बारे समुच्चे रूस जानऽ हइ ! तूँ, माय, (अखबार के) ई अंक के आदगार के रूप में नुकाके रख ! कभी पढ़ते जइबइ । देखहीं !"
मित्या अपन जेभी से अखबार के अंक निसलकइ, बाऊजी के देलकइ आउ नीला पेंसिल से घेरल जगहा भिर अँगुरी से इशारा कइलकइ ।
"पढ़हो !"
ओकर बाप चश्मा चढ़इलकइ ।
"पढ़हो तो !"
मइया प्रतिमा दने तकलकइ आउ क्रॉस कइलकइ । बाऊ खोंखलकइ आउ पढ़े लगलइ -
"29 दिसंबर, रात के एगारऽ बजे कॉलेज रजिस्ट्रार द्मित्री कुलदारोव ..."
"देखलहो, देखऽ हो ? आगू !"
"... कॉलेज रजिस्ट्रार द्मित्री कुलदारोव, मालयऽ ब्रोन्नयऽ स्ट्रीट में कोज़िख़िन के घर में बीयर के कलाली से निकसते बखत आउ पीके नीसा में धुत्त ..."
"ई हम्मे हलिअइ, सिम्योन पित्रोविच के साथ ... सब कुछ, छोट्टे से छोट्टे बात, के विस्तृत विवरण देल हइ ! जारी रखहो ! आगू ! सुनहो !"
"... आउ पीके नीसा में धुत्त, फिसल गेलइ आउ हियाँ परी खड़ी घोड़वा के निच्चे गिर पड़लइ, जेकर मालिक हइ कोचवान इवान द्रोतोव, जे दुरिकिना गाम, यूख़नोव्स्की जिला के एगो किसान हइ । भयभीत होल घोड़वा, कुलदारोव के उपरे से छलाँग लगाके आउ बरफगाड़ी (sleigh) के ओकरा पर से होते घसीटते स्ट्रीट पर तेजी से चल गेलइ । ऊ बरफगाड़ी में दोसरका गिल्ड (guild) के मास्को के बेपारी स्तेपान लुकोव हलइ । ई गाड़ी के दरबान लोग रोकलकइ । कुलदारोव के, जे शुरूआत में बेहोशी के हालत में हलइ, थाना ले जाल गेलइ आउ डागडर ओकरा जाँच कइलकइ । जे चोट ओकर माथा के पीछू लगले हल ... "
"ई चोट हमरा गाड़ी के बम से लगले हल, बाऊजी । आगू ! आगू पढ़हो !" (बम - गाड़ी के आगू दने निकसल लकड़ी आदि के लट्ठा जेकरा से घोड़ा के जोतल जा हइ)
"... जे चोट ओकर माथा के पीछू लगले हल, ऊ हलका हलइ । ई घटना के बारे रपट तैयार कइल गेलइ । दुर्घटनाग्रस्त के चिकित्सा सहायता देल गेलइ ..."
"हमर माथा के पिछला हिस्सा पर ठंढा पानी से भिंगावे के औडर कइल गेलइ । पढ़लहो न अभी ? अयँ ? त ई बात हलइ ! त ई समाचार समुच्चे रूस में फैल गेलइ ! हियाँ द हमरा !"
मित्या अखबार धर लेलकइ, एकरा मोड़के तह कइलकइ आउ जेभी में रख लेलकइ ।
"दौड़ल मकरोव हियाँ जइबइ आउ ओकरा देखइबइ ... हमरा इवानित्स्की के भी देखावे के हइ, नताल्या इवानोव्ना, अनिसीम वसिल्यिच के ... दौड़ल जा हियो ! अलविदा !"
मित्या बैज लगल टोपी पेन्हलकइ, आउ विजयी, प्रफुल्लित होल स्ट्रीट पर दौड़ल चल गेलइ ।
                                                             प्रथम प्रकाशित – 1883

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