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Sunday, September 02, 2018

चेख़व के हास्य कहानी - 3. क्लर्क के मौत


3.  क्लर्क के मौत
(मूल रूसी - Смерть чиновника)
एगो निम्मन शाम के इवान द्मित्रिच चिर्याकोव, जे कोय कम निम्मन ऑफिस मैनेजर नयँ हलइ, स्टॉल के दोसरा कतार में बैठल हलइ आउ ऑपरा (गीति-नाट्य) ग्लास से "कोर्नेविल के घंटा" [फ्रेंच संगीतकार रोबेर प्लांकेत (Robert Planquette, 1843-1903) के एगो लोकप्रिय ऑपरा (गीति-नाट्य) - अनु॰] देख रहले हल। ऊ देख रहले हल आउ परमानंद के अनुभव कर रहले हल । लेकिन अचानक ... कहनियन में अकसर ई "अचानक" से पाला पड़ऽ हइ । लेखक लोग सहिए कहऽ हथिनः जिनगी आकस्मिकता से भरल हइ ! लेकिन अचानक ओकर चेहरा पर झुर्री पड़ गेलइ, आँख लुढ़क गेलइ, साँस रुक गेलइ ... आँख पर से ऊ ऑपरा ग्लास उतरलकइ, जरी झुक गेलइ आउ ... आक्-छी !!! छींक देलकइ, जइसन कि देखऽ हथिन । छींक केकरो लगी कहूँ परी मनाही नयँ हइ । देहाती लोग भी छिंक्कऽ हइ आउ पुलिस सुपरिंटेंडेंट लोग भी, आउ कभी-कभी निजी सलाहकार (प्रिवी काउंसिलर) लोग भी । सब लोग छिंकते जा हइ । चिर्याकोव के कोय घबराहट नयँ होलइ, रूमाल से अपन चेहरा पोछलकइ, आउ एगो नम्र व्यक्ति नियन अपन अगल-बगल देखलकइ कि कहीं ऊ अपन छींक से केकरो परेशान तो नयँ कर देलकइ । लेकिन अब ओकरा घबराय पड़लइ । ऊ देखलकइ कि ओकर आगू में स्टॉल के पहिला कतार में बैठल एगो वृद्ध सज्जन अपन चांदिल माथा आउ गरदन के दस्ताना से सावधानीपूर्वक पोछब करऽ हथिन आउ कुछ बुदबुदाब करऽ हथिन । ऊ वृद्ध सज्जन के चिर्याकोव पछान लेलकइ कि ऊ सिविल जेनरल ब्रिज़झालोव हथिन, जे यातायात विभाग (Department of Transport) में सेवा में हथिन ।
"हम उनका पर छिंट्टा डाल देलिअइ !" चिर्याकोव सोचलकइ । "ऊ हम्मर विभाग के हेड नयँ हथिन, बल्कि दोसर के, तइयो ई ठीक नयँ हइ । हमरा माफी माँगे के चाही ।"
चिर्याकोव खोंखलकइ, अपन समुच्चे देह के आगू झुकइलकइ आउ जेनरल के कान में फुसफुसइलइ -
"माफ करथिन, महामहिम, हमरा से छिंट्टा पड़ गेलइ ... हम अनजान में ..."
"कोय बात नयँ, कोय बात नयँ ..."
"भगमान खातिर, माफ करथिन । हम वास्तव में ... अइसन नयँ चाहऽ हलिअइ !"
"ओह, बैठ जाथिन, मेहबानी करके ! हमरा सुन्ने देथिन !"
चिर्याकोव सकपका गेलइ, मूरख नियन मुसकइलइ आउ स्टेज दने देखे लगलइ । ऊ देख रहले हल, लेकिन अब कोय परमानंद के अनुभव नयँ करब करऽ हलइ । ओकरा बेचैनी होवे लगलइ । मध्यान्तर (इंटर्वल) के दौरान ऊ ब्रिज़झालोव दने बढ़लइ, उनकर बगल में चलके अइलइ आउ अपन शरमिंदगी पर काबू करके बुदबुदइलइ-
"हम अपने पर छींक के छिंट्टा डाल देलिअइ, महामहिम ... माफ करथिन ... हम वास्तव में ... नयँ चाहऽ हलिअइ कि ..."
"आह, बहुत हो गेलो ... हम तो भूल गेलियो हल, लेकिन तूँ हमेशे ओहे के ओहे बात !" जेनरल कहलथिन आउ अधीरतापूर्वक अपन निचला होंठ हिलइलथिन ।
"भूल गेलथिन, लेकिन आँख में खटास (खट्टापन) हइए हइ", चिर्याकोव सोचलकइ, जेनरल तरफ शंका से तकते। "आउ बोले लगी नयँ चाहऽ हथिन । उनका समझावे पड़तइ कि हम बिलकुल नयँ चाहऽ हलिअइ ... कि ई तो प्रकृति के नियम हइ, नयँ त ऊ सोचथिन कि हम वास्तव में थुक्के लगी चाहऽ हलिअइ । अभी नयँ सोचथिन, त बाद में सोचथिन ! ..."
घर आके चिर्याकोव अपन अनाड़ीपन के बारे घरवली के बतइलकइ । ओकरा लगलइ कि घरवली ई घटना के हलके में लेलकइ; ओकर घरवली जरी डर गेलइ, लेकिन बाद में जब जनलकइ कि ब्रिज़झालोव "दोसर विभाग के" हथिन, त शांत पड़ गेलइ ।
"तइयो, तूँ जाहो, माफी माँग लेहो", ऊ कहलकइ । "नयँ त सोचथिन कि तूँ खुद्दे पब्लिक के बीच ठीक से आचरण करे लगी नयँ जानऽ हो !"
"एहे तो बात हइ ! हम माफी मँगलिअइ, लेकिन ऊ त अजीब ढंग से पेश अइलथिन ... ऊ एक्को शब्द निम्मन नयँ बोललथिन । आउ ठीक से बात करे के मोक्को नयँ मिललइ ।"
दोसरा दिन चिर्याकोव नयका वरदी पेन्हलकइ, बाल छँटवइलकइ आउ ब्रिज़झालोव भिर स्पष्टीकरण खातिर रवाना होलइ ... जेनरल के स्वागतकक्ष में प्रवेश कइला पर हुआँ परी ऊ कइएक याचिकाकर्ता (petitioners) के देखलकइ, आउ याचिकाकर्ता के बीच खुद जेनरल के भी, जे याचिका के स्वीकार करे लगी शुरू कर चुकलथिन हल । कुछ याचिकाकर्ता के साथ पूछताछ कर चुकला के बाद ऊ आँख उपरे दने कइलथिन आउ चिर्याकोव दने देखलथिन ।
"कल्हे ‘अर्कादिया’ में, अगर अपने के आद पड़ऽ हइ, महामहिम", ऑफिस मैनेजर बात शुरू कइलकइ, "हम जी छींक देलिए हल आउ ... जाने-अनजाने अपने पर छिंट्टा पड़ गेले हल ... माफ ..."
"कइसन बकवास ... भगमान जाने ! तोरा की चाही ?" जेनरल अगला याचिकाकर्ता के संबोधित कइलथिन ।
"बोले लगी तैयार नयँ हथिन !" चिर्याकोव सोचलकइ आउ ओकर चेहरा पीयर पड़ गेलइ । "लगऽ हइ, गोसाल हथिन ... नयँ, ई बात के अइसे नयँ छोड़े के चाही ... हम उनका समझइबइ ..."
जब जेनरल आखरी याचिकार्ता के साथ बात खतम कर चुकलथिन आउ फ्लैट के अंदरूनी हिस्सा दने जाय लगलथिन, त चिर्याकोव उनका दने पग बढ़इलकइ आउ बुदबुदइलइ -
"महामहिम ! अगर हम महामहिम के कष्ट देवे के जुर्रत कर सकऽ हिअइ, त ई बस खेद के अहसास के साथ कह सकऽ हिअइ ! ... जान-बूझके नयँ, खुद अपने जी जानऽ हथिन !"
जेनरल के चेहरा रुआँसा हो गेलइ आउ ऊ हाथ लहरइलथिन ।
"तूँ बस हमर मजाक उड़ाब करऽ ह, सर जी !" दरवाजा के पीछू गायब होते ऊ कहलथिन ।
"एकरा में हम की मजाक करब करऽ हिअइ ?" चिर्याकोव सोचलकइ । "एकरा में कइसनो मजाक नयँ हइ ! जेनरल हका, लेकिन समझ में नयँ आवऽ हइ ! अगर अइसन बात हइ त हम ई अहंकारी के सामने माफी नयँ माँगबइ ! भाड़ में जइता ! हम इनका एगो चिट्ठी लिखबइ, लेकिन पास नयँ जइबइ ! भगमान कसम, नयँ जइबइ !"
घर जइते-जइते चिर्याकोब अइसन सोचब करऽ हलइ । चिट्ठी तो जेनरल के ऊ नयँ लिखलकइ । सोचलकइ, सोचलकइ, आउ ई चिट्ठी के बारे नयँ सोच पइलकइ ।  दोसरा दिन समझावे लगी ओकरा खुद जाय पड़लइ ।
"हम कल्हे अपने के कष्ट देवे लगी अइलिए हल, महामहिम", ऊ बुदबुदइलइ, जब जेनरल ओकरा दने सवालिया नजर से देखलथिन, "त हम मजाक नयँ कइलिए हल, जइसन कि अपने कहे के कृपा कइलथिन । हम माफी ई बात लगी मँगलिअइ कि छींकते बखत जी अपने के उपरे छिंट्टा पड़ गेलइ ..., आउ हम तो मजाक के बात सोचवो नयँ कइलिअइ । की हम मजाक करे के जुर्रत कर सकऽ हिअइ ? अगर हमन्हीं मजाक करे लगबइ, त एकर मतलब हइ कि लोग के प्रति कोय आदर ... नयँ रह जइतइ ... "
"चल निकस !" काँपते जेनरल चिल्लइलथिन, जिनकर चेहरा नीला पड़ गेले हल ।
"जी कीऽ ?" भय से मूर्छित होल फुसफुसाहट में चिर्याकोव पुछलकइ ।
"चल निकस !!" गोड़ पटकते जेनरल दोहरइलथिन ।
चिर्याकोव के पेट में कुछ तो चटक गेलइ । बिन कुछ देखले, बिन कुछ सुनले, ऊ दरवाजा दने मुड़ गेलइ, बाहर निकस गेलइ आउ खुद के कइसूँ घसीटले चल गेलइ ... यांत्रिक रूप से (mechanically) घर आके, बिन अपन वरदी बदलले, सोफा पर पड़ गेलइ आउ ... मर गेलइ ।
1883

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