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Monday, June 10, 2019

पितिरबुर्ग से मास्को के यात्रा ; अध्याय 6. स्पास्कयऽ पोलेस्त - भाग 1


[*41]                                    स्पास्कयऽ पोलेस्त - भाग 1

हम अपन मित्र के पीछू-पीछू एतना तेजी से सरपट घोड़ा दौड़वइते गेलिअइ कि अगला डाक स्टेशन पर पकड़ लेलिअइ । उनका पितिरबुर्ग वापिस आ जाय के समझावे के प्रयास कइलिअइ, उनका साबित करे के प्रयास कइलिअइ कि समाज में छोटगर आउ विशेष अव्यवस्था एकर बन्धन के नञ् बरबाद कर सकऽ हइ, जइसे एगो कंकड़ समुद्र के विस्तार में गिरला पर पानी के सतह के अस्तव्यस्त नञ् कर सकऽ हइ । लेकिन ऊ हमर बात काटते कहलका - "अगर एगो कंकड़ के रूप में तल में पहुँच जइतिए हल, त फ़िनलैंड के खाड़ी में निश्चय हीं तूफान नञ् पैदा होते हल, आउ हम सील (seals) के साथ रहे लगी चल जइतिए हल ।" आउ हमरा तरफ एगो गोस्सा के नजर से अलविदा कहके अपन किबित्का में पड़ गेला आउ तेजी से प्रस्थान कर गेला ।
घोड़ा पहिलहीं से जोतल हल; आउ हम किबित्का में पड़ जाय लगी कदम रखहीं जा रहलूँ हल कि अचानक बारिश होवे लगल । "कोय बड़गो आफत नञ्", हम सोचलूँ; "हम चटाई से खुद के ढँक लेम [*42] आउ भिंगम नञ् ।" लेकिन ई विचार मोसकिल से हमर दिमाग में अइलइ कि लगलइ मानूँ हमरा बरफ के छेद में हमरा घुसाड़ देवल गेल । आसमान हमर बिन इजाजत के बादर फैला देलकइ आउ मूसलाधार बारिश होवे लगलइ । मौसम से बहस नञ् कर सकऽ हो; कहावत के अनुसार "जेतना धीरे जइबऽ, ओतने जादे दूर पहुँचबऽ" - किबित्का से हम उतरलिअइ आउ हम पहिलौका झोपड़ी में दौड़के घुस गेलिअइ । मालिक सुत चुकले हल आउ झोपड़ी में अन्हेरा हलइ । लेकिन अन्हरवो में हम खुद के सुखावे के अनुमति प्राप्त कइलिअइ । हम भिंगल कपड़ा उतार लेलूँ आउ जे सुक्खल हले ओकरा सिर पर डालके बेंच पर तुरतम्मे सुत गेलूँ । लेकिन बिछौना रोमिल (रोएँदार) नञ् हल, जादे देर तक निम्मन से नञ् सुत पइलूँ । जगला पर हमरा फुसफुसाहट सुनाय देलक । हम दू अवाज पछान पइलिअइ, जे आपस में बतिआब करऽ हलइ ।
"अच्छऽ पति जी, सुनावऽ", एगो औरत के अवाज सुनाय देलकइ ।
"सुन घरवली । एक समय ..."
"ई तो परी के कहानी नियन लगऽ हको; लेकिन परी-कथा में कइसे विश्वास कइल जाय", घरवली जरी धीमे अवाज में बोललइ, निनारू में जम्हाई लेते; [*43] की हम ई विश्वास करबो कि पोलकान हलइ, चाहे बोवा या बुलबुल डाकू (Nightingale the Robber) हलइ?"[1]
"त केऽ तोरा गरदनियाँ देब करऽ हउ, विश्वास करे के हउ त कर । लेकिन ई बात तो सच हइ कि पुराना जमाना में शारीरिक शक्ति के आदर देल जा हलइ, आउ बलशाली ओकरा बुरा नीयत से इस्तेमाल करऽ हलइ । उदाहरण लगी तोरा भिर पोलकान हउ । आउ बुलबुल डाकू के बारे, माय, पढ़ ऊ लोग के जे रूसी पुरनका जमाना के बारे बतावऽ हथिन । ओकन्हीं तोरा बतइथुन कि ओकरा बुलबुल कहल जा हलइ ओकर वाक्पटुता (eloquence) के कारण । हमर कहानी के बीच में नञ् टोक । त एक समय कहीं पर गवर्नर-जेनरल (वायसराय)[2] हलइ । जवानी में ऊ विदेश में घुमले हल, शुक्ति (oysters) खाय लगी सीख लेलके हल, आउ ओकरा एकर लत लग गेले हल । जब तक ओकरा पास खुद के कुछ पैसा हलइ, तब तक ऊ अपन लत के नियंत्रण में रखलकइ, एक तुरी में दस खा हलइ आउ ओहो जब ऊ पितिरबुर्ग में हलइ । जइसीं ऊ रैंक के सिड़ही चढ़े लगलइ, त ओकर टेबुल पर शुक्ति के संख्या बढ़े लगलइ । आउ जब ऊ गवर्नर-जेनरल हो गेलइ आउ ओकरा खुद के पास [*44] बहुत पैसा हो गेलइ, आउ बहुत सरकारी निधि भी ओकर नियंत्रण में हो गेलइ, तब ऊ शुक्ति के कामना एगो दोपस्ता औरत नियन करे लगलइ । सुत्तल रहे चाहे जग्गल, ऊ खाली शुक्ति खाय के बारे सोचे । जब ओकर ऋतु आ जाय त केकरो चैन नञ् रहइ । सब अधीनस्थ शहीद बन गेलइ । चाहे जे कुछ हो जाय, ओकरा पास शुक्ति पहुँचहीं के चाही । ऊ ऑफिस में औडर भेजऽ हइ कि तुरतम ओकरा पास कुरियर भेजल जाय, जेकरा महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट के साथ पितिरबुर्ग भेजे के हइ । सब कोय के मालुम हइ कि कुरियर के शुक्ति लावे खातिर भेजल जइतइ, लेकिन ऊ कहीं जाय ओकर यात्रा के खरचा के अनुमोदित करवा ले हइ । सरकारी पैसा में कइएक छेद होवऽ हइ।  कुरियर के यात्रा परमिट आउ पैसा देल जा हइ; पूरे तरह से तैयार हइ आउ जैकेट आउ घुड़सवारी वला पैंट (riding breeches) में महामहिम के पास हाजिर हो गेलइ।
"जल्दी से ले जा, हमर दोस्त", मेडल से सज्जल ओकरा कहऽ हइ, "ई पैकेट के बृहत् मोर्स्कयऽ (Great Morskaya) पहुँचाव"।
"जी किनका हीं?"
"पता पढ़ ले ।"
"सेवा में, महामहिम ... महामहिम ..."
[*45] "तूँ ठीक से नञ् पढ़ब करऽ हँऽ ।"
"सेवा में, आदरणीय हमर आद..."
"गलत ... सेवा में, मिस्टर कोरज़िनकिन, आदरणीय दोकनदार, सांक्त पितिरबुर्ग, बृहत् मोर्स्कयऽ ।"
"जी जानऽ हिअइ, महामहिम ।"
"त जल्दी कर दोस्त आउ जइसीं मिल जाव, तुरतम लौट, कोय देरी नञ् होवे के चाही; हम तोरा बहुत धन्यवाद देबउ।"
आउ अइकी सरपट जा हइ, सरपट जा हइ; जेतना तेजी से ओकरा त्रोयका ले जा हइ, सीधे पितिरबुर्ग, सीधे कोरज़िनकिन के प्रांगण।
"स्वागत! कइसन जोकर महामहिम हथुन कि एगो एतना छोटगर चीज हजार विर्स्ता दूर से लावे लगी भेजऽ हथुन । लेकिन मालिक बड़ी निम्मन हथुन । उनकर सेवा करे में हमरा खुशी होवऽ हइ । अइकी अभी बजार के बिलकुल ताजा शुक्ति हको । कह दिहऽ कि 150 प्रति बैरेल से कम में हम नञ् बेच सकऽ हियो; हमरा खुद्दे बहुत महँग में मिलल । हम महामहिम के साथ हिसाब कर लेबइ ।"
बैरेल के किबित्का में लोड कइल गेलइ; कुरियर (गाड़ी के) बम मोड़के फेर से सरपट दौड़ पड़लइ; मोसकिल से [*46] सराय में रुकलइ आउ दू कप वोदका पिलकइ ।
टन-टन ... जइसीं शहर के गेट भिर डाक के घंटी के अवाज सुनाय देलकइ, ड्यूटी पर के अफसर दौड़ल गवर्नर-जेनरल भिर आवऽ हइ, (ई सबसे निम्मन बात हइ कि हियाँ सब कुछ व्यवस्थित हइ) आउ ओकरा रिपोर्ट करऽ हइ कि किबित्का दूर में देखाय पड़ले ह आउ घंटी के अवाज सुनाय देलके ह । ऊ रिपोर्ट पूरो नञ् कर पइलके हल कि लऽ देखऽ, कुरियर तो दरवाजा पर पहुँचियो गेल ।
"ले अइलिअइ, महामहिम ।"
"बिलकुल सही बखत पर।" (उपस्थित लोग के तरफ मुड़केः) "वास्तव में आदमी योग्य, कर्तव्यनिष्ठ हइ आउ पियक्कड़ नञ् । अभी केतना साल होले ह, साल में दू तरी पितिरबुर्ग के यात्रा करऽ हइ; आउ मास्को के कइएक तुरी, हमरा आद नञ् कि केतना तुरी। सचिव, अनुशंसा (recommendation) लिख । "एकर कुरियर के रूप में कइएक मिशन खातिर आउ ओकर सामयिक कार्यान्वयन के कारण एकरा पदोन्नति के अनुशंसा करऽ हिअइ । ...
खजाँची के खरचा बही में लिक्खल हइः "महामहिम के [*47] अनुशंसा के अनुसार कुरियर N. N. के, जेकरा अत्यंत महत्त्वपूर्ण संदेश के साथ सांक्त पितिरबुर्ग भेजल गेले हल, तीन घोड़ा से दुन्नु तरफ के यात्रा करे के खरचा विशेष निधि से स्वीकार कइल गेलइ ... " खजाँची के खरचा बही लेखा-परीक्षा (audit) से गुजरलइ, लेकिन एकरा में शुक्ति के गन्ध नञ् हइ
जेनरल महोदय आउ अन्य अधिकारी द्वारा औडर देल गेलइ – “सर्जेंट N. N. के सूबेदार में पदोन्नति देल जाय ...”
" घरवली", मरदानी अवाज बोललइ, "देखहीं, कइसे लोग पदोन्नति प्राप्त करते जा हइ, आउ हमरा की फयदा होवऽ हइ जब हम ईमनदारी से सेवा करऽ हिअइ  आउ एक अंगुरी आगू नञ् बढ़ पावऽ हिअइ नियम के अनुसार, निम्मन सेवा खातिर हमरा पुरस्कार मिल्ले के चाही हल लेकिन सम्राट् कृपालु हथिन, जबकि कुत्ताखाना (श्वानालय) के रखवाला नञ् अइसने हथिन हमर महाशय खजाँची; दोसरा तुरी हइ जब हमरा उनकर अनुशंसा पर फौजदारी अदालत (criminal court) में भेजल जा रहले अगर हम उनकर साथ सहमत होतिए हल, एगो सामान्य जिनगी नञ् होते हल बल्कि कार्निवाल उत्सव "
"आउ ... बहुत हो गेलो क्लिमेन्तिच, बकवास बन्द करऽ! जानऽ हो, तोरा काहे नञ् मानऽ हको ? काहेकि तूँ सब्भे से मुद्रा विनिमय में कमीशन[3] [*48] ले हो आउ ओकरा साथ शेयर नञ् करऽ हो "
"जरी धीरे कुज़मिनिचना, जरी धीरे; कोय सुन ले सकऽ हउ " दुन्नु अवाज शान्त हो गेलइ आउ फेर से सुत गेलइ।
सुबह में हमरा मालुम चललइ कि हमरा साथ झोपड़ी में रात बितइलके हल जूरी के एगो सदस्य (पंच) अपन पत्नी के साथ, जे भोर होला पर नोवगोरद लगी रवाना हो गेते गेलइ दौरान जबकि हमर गाड़ी में घोड़ा जोतल जा रहले हल, एगो आउ किबित्का पहुँचलइ, एगो त्रोयका के साथ जोतल ओकरा सेबाहर अइलइ बड़गो ओवरकोट में एगो अदमी, आउ चौड़गर किनारा वला टोप ओकर सिर से जरी निच्चे झुक्कल हलइ, जे से ओकर चेहरा देखे में बाधा हो रहले हल बिन यात्रापत्र के घोड़ा के माँग कइलकइ; आउ जब कइएक ड्राइवर ओकरा घेरले मोलजोल करब करऽ हलइ, ओकन्हीं के मोलजोल के अन्त के इंतजार कइले बेगर ओकन्हीं में से एगो के अधीर होल कहलकइ - "जल्दी से घोड़ा जोत, हम तोरा हरेक विर्स्ता पर चार कोपेक देबउ "
ड्राइवर घोड़ा लावे लगी दौड़ल गेलइ दोसर सब देखके कि मोलजोल करना [*49] अब बेकार हके, ओकरा भिर से चल गेते गेलइ
हम ओकरा से पाँच साझिन[4] से जादे दूर पर नञ् हलिअइ । ऊ हमरा भिर आके आउ बिन टोपी उतारले कहलकइ - "प्रिय महोदय, ई अभागल के कुछ तो देथिन।"
एकरा से हमरा बड़गो अचरज होलइ, आउ हमरा ओकरा कहे बेगर नञ् रहल गेलइ कि हमरा ओकर सहायता के निवेदन से अचरज होवऽ हइ काहेकि ऊ मोलजोल करे लगी नञ् चहलके हल, जबकि दोसर लोग के अपेक्षा दोगना देब करऽ हलिअइ।
"लगऽ हइ", ऊ हमरा कहलकइ, "कि अपने कि जिनगी में कुच्छो विपरीत नञ् घटले ह ।"
अइसन दृढ़ उत्तर हमरा बड़ी पसीन पड़लइ, आउ अपन बटुआ से तुरतम कुछ निकासके ... "माफ करिहऽ", हम कहलिअइ, "एकरा से जादे हम अभी मदत नञ् कर सकऽ हकियो, लेकिन अगर हम अपन गन्तव्य स्थान पर पहुँच जइबो त शायद कुछ अधिक मदत कर सकबो ।" एकरा पीछू हमर इरादा हलइ कि ऊ खुला मन से बात करइ; आउ हमरो [*50] गलतफहमी नञ् हलइ ।
"लगऽ हइ", ऊ हमरा कहलकइ, "कि अपने के पास उदार भावना हइ, कि उच्च समाज में रहलो पर आउ अपन व्यक्तिगत लाभ से मतलब रखलो पर ओकरा अपन हृदय में प्रवेश करे में बाधा नञ् डललथिन । हमरा अपन गाड़ी में बैठे देथिन, आउ अपन नौकर के हमर गाड़ी में बैठ के औडर देथिन ।"
एहे दौरान हमर घोड़ा के भी जोतल जा चुकले हल, हम ओकर इच्छा के पूरा कइलिअइ - आउ हमन्हीं चल पड़लिअइ । "ओह, महोदय, हम कल्पनो नञ् कर सकऽ हिअइ कि हम अभागल ही । एक सप्ताह से जादे पहिले के बात नञ् हइ कि हम खुश हलिअइ, संतुष्ट हलिअइ, कोय कमी महसूस नञ् करऽ हलिअइ, हम लोग के चहेता हलिअइ, चाहे अइसन लगऽ हलइ; काहेकि हमर घर दिन भर अइसन लोग से भरल रहऽ हलइ, जे सम्मान के बिल्ला प्राप्त कइले हलथिन; हमर टेबुल हमेशे एक प्रकार से शानदार विजयोत्सव नियन लगऽ हलइ। लेकिन अगर अहंकार के एतना संतुष्टि हलइ त हमर आत्मा  भी एगो सच्चा परमानंद के अनुभव करऽ हलइ। पहिले कइएक निष्फल प्रयास, प्रयत्न [*51] आउ विफलता के बाद हम ऊ औेरत के पत्नी के रूप में प्राप्त कर लेलिअइ जेकरा हम चाहऽ हलिअइ । हमन्हीं के परस्पर प्रेम, हमन्हीं के भावना आउ आत्मा दुन्नु के संतुष्ट करते, सब कुछ हमन्हीं लगी स्पष्ट रूप से ठीक-ठाक चल रहले हल । कोय बदली वला दिन नञ् देखते गेलिअइ। हमन्हीं के आनंद के पराकाष्ठा प्राप्त हो चुकले हल । हमर पत्नी गर्भवती हलइ आउ ओकर प्रसूति के समय नगचिया रहले हल । लेकिन ई सब आनंद के भाग्य एक्के पल में नष्ट कर देवे के निश्चय कर चुकले हल ।
हमरा हीं भोज हलइ आउ कइएक तथाकथित मित्रगण जमा होके हमर खरचा पर अपन फालतू भूख के शांत कर रहला हल । हुआँ परी उपस्थित लोग में से एगो, जे हमरा अंदर-अंदर नञ् पसीन करऽ हलइ, अपन बगल में बैठल के साथ बोले लगलइ, हलाँकि फुसफुसाहट में लेकिन यथेष्ट उच्च स्वर में, ताकि हमर पत्नी आउ कइएक दोसर लोग के सुनाय देइ । "की तोहन्हीं के नञ् मालुम हको कि फौजदारी अदालत में हमन्हीं के मेजबान के फैसला हो चुकले ह?"
[*52] "अपने के विचित्र प्रतीत होतइ", हमर सहयात्री बोलला, अपन शब्द हमरा तरफ संबोधित करते "कि एगो अइसन व्यक्ति के, जे सरकारी सेवा में नञ् हइ आउ हमर वर्णन कइल परिस्थिति में, आपराधिक अभियोग लग सकऽ हइ । आउ हम अइसे लमगर अवधि तक सोचते रहलूँ, आउ तबहिंयों जब हमर केस निचला अदालत में चल रहल हल, आउ उपरका अदालत में पहुँच गेल । त अइकी ई अइसे होलइ - हमर रजिस्ट्रेशन व्यापारी वर्ग में होल हलइ; अपन मूलधन के परिचालन में रखके हम एगो प्राइवेट पट्टा (लीज़) में भागीदार (पार्टनर) हो गेलिअइ । हमर अनुभवहीनता ई बात के कारण बनलइ कि हम एगो बेईमान अदमी पर विश्वास कर लेलिअइ, जे व्यक्तिगत रूप से अपराध में पकड़ा गेले हल, ओकरा लीज़ से बाहर कर देल गेलइ, आउ ओकर लेखा-जोखा के साक्षी के अनुसार ओकरा पर स्पष्ट रूप से बड़गो कर्जा हलइ । ऊ छिप गेलइ, हम सामने हलिअइ आउ कर्जा हमरा से वसूल कइल गेलइ । हम यथासंभव जाँच कइलिअइ, पइलिअइ कि हम्मर नाम पर या तो बिलकुल कुछ कर्जा नञ् हलइ, चाहे बहुत कम हलइ, आउ ओहे से हम याचिका दायर कइलिअइ कि  हमर हिस्सा देल जाय; [*53] काहेकि एकरा बारे हम जामिन (गारंटर) हलिअइ । लेकिन हमर याचिका के स्वीकार करे के बदले हमरा से बकाया भी वसूलल जाय के औडर देल गेलइ । ई पहिला अन्याय हलइ । लेकिन एकरे साथ दोसरो जोड़ल गेलइ । ऊ बखत जब हम लीज़ लगी जामिन होलिअइ, हमरा पास कोय भू-सम्पत्ति नञ् हलइ, लेकिन सामान्य नियम के अनुसार भू-सम्पत्ति बेचे पर प्रतिबंध के औडर सिविल कोर्ट में भेज देवल गेले हल । विचित्र बात ई कि बेचे से मनाही ऊ चीज के जे अपन नाम पर हइए नञ् ! ओकर बाद हम एगो घर खरदलिअइ आउ कुछ दोसर-दोसर प्राप्ति कइलिअइ । ओहे समय में भाग्यवश हमरा रैंक के उपलब्धि से व्यापारी वर्ग से अभिजात वर्ग में प्रवेश करे के अवसर मिललइ । अपन फयदा देखके हम अपन घर के बेचे लगी लाभप्रद स्थिति मालुम कइलिअइ, बिक्री दस्तावेज के ओहे कोर्ट में पास कर देलिअइ जाहाँ परी निलम्बलेख (escrow) फाइल कइल हलइ । एकरा हमरा विरुद्ध अपराध समझल गेलइ; काहेकि अइसन लोग हलइ जेकर खुशी पर हमर खुशी के चलते ग्रहण लग गेलइ । [*54] सरकारी वकील हमर विरुद्ध रिपोर्ट कइलकइ कि हम राजकोष के बकाया चुकावे से बचके घर बेचलिअइ, सिविल कोर्ट के धोखा देलिअइ, खुद के वर्तमान स्थिति बताके, न कि जे स्थिति में हम घर खरीदे बखत हलिअइ । बेकारे में हम बोललिअइ कि जे भू-सम्पत्ति हइए नञ् हइ ओकरा बेचे में मनाही नञ् कइल जा सकऽ हइ, हम व्यर्थ में बोललिअइ कि कम से कम जायदाद के बाकी हिस्सा के पहिले बेचल जाय के चाही आउ ई बिक्री से कर्जा के निपटावल जाय के चाही, आउ फेर दोसर कदम उठावे के चाही; कि हम अपन स्थिति के नञ् छिपइलिए हल, काहेकि घर खरीदे बखत हम अभिजात वर्ग में हलिअइ । ई सब कुछ अस्वीकार कर देल गेलइ, घर के बिक्री रद्द कर देल गेलइ, हमरा कपट व्यवहार लगी रैंक से वंचित कर देवे के दंड देल गेलइ, आउ अभी चाहते जा हथिन", कहानीकार बोलला, "हियाँ के मेजबान के सम्मन देल गेले ह कि केस के निपटारा तक हिरासत में रक्खल जाय ।"
[*55] अंतिम भाग सुनाते बखत कहानी सुनावे वला अपन अवाज तेज कर लेलकइ हमर पत्नी सुनतहीं हमरा गले लगाके चीख पड़लइ - "नञ्, हमर दोस्त, हमहूँ तोरे साथ हियो " एकरा से जादे बोल नञ् पइलइ ओकर सब अंग कमजोर हो गेलइ आउ बेहोश होके हमर अकवार में गिर पड़लइ हम ओकरा कुरसी पर से उठइलिअइ आउ ओकरा शयनकक्ष में ले अइलिअइ आउ हमरा नञ् मालुम कि भोज कइसे समाप्त होलइ
कुछ समय के बाद होश में अइला पर ऊ दरद महसूस कइलकइ, जे हमन्हीं बीच के प्रेम के फल के आसन्न उत्पत्ति के घोषणा कइलकइ । लेकिन ऊ केतनो कठोर रहइ, ई विचार कि हम हिरासत में रहबइ, ओकरा लगी एतना कष्टकारक ठहरलइ कि ऊ खाली दोहरइते रहलइ - "हमहूँ तोरा साथ जइबो।" ई अप्रिय घटना बुतरू के जनम के पूरे एक महिन्ना पहिले कर देलकइ, आउ मदत लगी बोलावल गेल दाई आउ डाक्टर के सब्भे प्रयास व्यर्थ सिद्ध होलइ आउ हमर पत्नी के एक दिन के बाद बुतरू के जनम देवे से नञ् रोक पइते गेलइ । ओकर आत्मा के हलचल नञ् खाली [*56] बुतरू के पैदा लेवे से शान्त नञ् होलइ, बल्कि एकरा बहुत बढ़ाके ओरा बोखार चढ़ा देलकइ । ई कहानी के जादे बढ़इला से की फयदा ? हमर पत्नी बुतरू के पैदा होवे के तेसरा दिन मर गेल । ओकर तकलीफ देखके, तूँ विश्वास कर सकऽ हो, कि ओकरा हम एक्को मिनट लगी नञ् छोड़लिअइ । अपन केस आउ एकर फैसला के ई शोक में हम बिलकुल भूल गेलिअइ । अपन प्रेयसी के मौत के एक दिन पहिले, हमन्हीं के प्यार के अपरिपक्व फल भी मर गेल । ओकर माय के बेमारी हमरा बिलकुल व्यस्त रखलकइ, आउ ई क्षति हमरा लगी तखने बड़गो नञ् प्रतीत होलइ । कल्पना करहो, कल्पना करहो", अपन दुन्नु हाथ से केश नोचते हमर कहानी सुनावे वला बोललइ, "हमर स्थिति के कल्पना करहो, जब हम देखलिअइ कि हमर प्रेयसी हमरा से हमेशे लगी जुदा हो गेलइ। हमेशे लगी !", ऊ चीखते बोललइ । "लेकिन हम काहे लगी भागब करऽ हिअइ ? ओकन्हीं हमरा जेल में डाल दे; हम तो संवेदनहीन हो चुकलिए ह; हमरा यातना दे, हमर जान ले ले । ए बर्बर, बाघ, [*57] भयंकर साँप, हमर ई हृदय छेद दे, एकरा में अपन मन्द जहर डाल दे । हमर आवेश के क्षमा करऽ, हमरा लगऽ हके कि हमर दिमाग जल्दीए काम करना बंद कर देत । जब कभी हम ऊ पल के बारे सोचऽ हूँ जब हमर प्रेयसी हमरा से जुदा होल, त हम सब कुछ भूल जा ही आउ हमर आँख में अन्हेरा छा जा हके । लेकिन हम अपन कहानी समाप्त कर देबो । एतना गम्भीर निराशा में हम अपन प्रेयसी के प्राणहीन देह पर पड़ल हलिअइ कि हमर एगो सच्चा मित्र दौड़ल आके हमरा कहलकइ - "तोरा गिरफ्तार करे लगी अइते गेलो ह, गिरोह प्रांगण में तोर इंतजार में हको । भाग जा हियाँ से, किबित्का पिछला दरवाजा भिर तैयार हको, मास्को चल जा, चाहे जाहाँ मन करो, आउ हुआँ रहऽ जब तक कि तोहर भाग्य (दंड) के हलका करना संभव नञ् हो जाय । हम ओकर बात पर ध्यान नञ् देलिअइ, लेकिन ऊ बलजोरी अपन अदमी सब के सहायता से उठाके ले गेल आउ हमरा किबित्का में पाड़ देलक; लेकिन ई आद करके कि हमरा पैसा के जरूरत पड़तइ, हमरा बटुआ देलक, जेकरा में खाली पचास [*58] रूबल हलइ । ऊ हमर अध्ययन कक्ष में अइलइ कि हुआँ (कुछ आउ) पैसा मिलतइ आउ हमरा दे देतइ; लेकिन हुआँ हमर शयनकक्ष में पहिलहीं से एगो अफसर के देखके खाली एतने समाद देवे खातिर अदमी पठइलकइ कि हम रवाना हो जइअइ । हमरा आद नञ् कि कइसे हमरा पहिला स्टेशन तक लावल गेलइ । हमर दोस्त के नौकर जे कुछ गुजरले हल बताके हमरा अलविदा कहलकइ, आउ हम अभी जा रहलूँ हँऽ, जइसन कि कहावत हइ, जने हमर भाग्य ले जाय ।"
हमर सहयात्री (हमसफर) के कहानी अवर्णनीय रूप से हमर हृदय के स्पर्श कर गेलइ । "की ई संभव हइ", हम खुद से कहलिअइ, "कि अइसन क्रूरता हमन्हीं के एतना दयालु राज्य में कइल जा सकऽ हइ? की ई संभव हइ कि एतना पागल जज हइ कि राजकोष के भरे लगी (वास्तव में सरकार के माँग के संतुष्टि खातिर जायदाद के हरेक अवैध जब्ती के अइसन नाम देल जा सकऽ हइ) लोग के जायदाद, इज्जत आउ जिनगी से वंचित कर देइ?" हम सोचे लगलिअइ कि कइसे ई घटना तरफ सर्वोच्च अधिकारी के ध्यान आकृष्ट कइल जाय। [*59] काहेकि हम ठीके सोचऽ हलिअइ कि राजतंत्रिक सरकार में खाली सर्वोच्च अधिकारी दोसर लोग के संबंध में निष्पक्ष हो सकऽ हइ । "लेकिन की हम ओकर रक्षा के भार खुद पर नञ् ले सकऽ हिअइ? हम उच्चतम प्राधिकारी के याचिका लिखबइ । हम सब घटना के विस्तृत विवरण देबइ आउ जज लोग के अन्याय आउ प्रतिवादी (मुद्दालेह, defendant) के निर्दोषता प्रस्तुत करबइ । लेकिन हमर याचिका स्वीकार नञ् कइल जइतइ । पुच्छल जइतइ, ओकरा में हमर की अधिकार हइ; हमरा से मुख्तारनामा (power of attorney) के माँग कइल जइतइ । हमर की अधिकार हइ ? भुक्तभोगी मानवता । जायदाद, प्रतिष्ठा से वंचित व्यक्ति, अपन आधा जिनगी से वंचित, अपमानित कारावास से बचाव खातिर स्वैच्छिक निर्वासन में। आउ एकरा लगी मुख्तारनामा चाही? केकरा हीं से? की ई कम हइ कि हमर सह-नागरिक (fellow citizen) कष्ट भुगत रहले ह? हाँ, ओकरो में जरूरत नञ् हइ । ऊ व्यक्ति हइ - ओकरे में हमर अधिकार हइ, ओकरे में हमर मुख्तारनामा हइ । ओ देवमनुष्य! काहे लगी तूँ अपन कानून [*60] बर्बर लोग खातिर लिखलऽ?
ऊ सब तोर नाम पर क्रॉस करते जा हइ आउ बुराई के बेदी पर खूनी बलिदान देते जा हइ । काहे तूँ ओकन्हीं लगी दयालु हलऽ? भावी दंड के प्रतिज्ञा के स्थान पर  तोहरा वर्तमान दंड बढ़ावे के चाही हल, आउ ओकन्हीं के अंतःकरण के पापकर्म के अनुसार यातना देते ओकन्हीं के दिन चाहे रात शांति नञ् देवे के चाही हल जब तक कि कष्ट भोगके अपन सब्भे कइल दुष्कर्म लगी प्रायश्चित्त नञ् कर लेते जा हइ। अइसन विचार हमरा हमर देह के एतना निढाल कर देलक कि हम बड़ी गढ़गर नीन में सुत गेलिअइ आउ बहुत देर तक जग नञ् पइलिअइ । जब हम सुत्तल हलिअइ त लसीका (lymphs) हमर विचार से उत्तेजित होके हमर सिर दने वेगपूर्वक बढ़लइ, आउ हमर मस्तिष्क के कोमल संरचना के आलोडित करते, ओकरा में कल्पना जागृत कइलकइ। अनगिनत तस्वीर हमर स्वप्न में अवतरित होलइ, लेकिन हवा में हलका वाष्प नियन गायब हो गेलइ । आखिर, जइसन कि अकसर होवऽ हइ, मस्तिष्क के कोय तंतु, शरीर के आन्तरिक नस (वाहिका) से उत्पन्न होल वाष्प से प्रबल रूप से स्पर्श कइल गेला से, कुछ समय तक दोसर सब के अपेक्षा अधिक तीव्रता से कंपन कइलकइ, आउ अइकी ई सपना हम देखलिअइ ।



[1] रादिषेव साइबेरिया में निर्वासन के बाद अपन जागीर निम्त्सोवो (Nemtsovo) में बस गेलथिन हल (1797, 1799-1801) । जब ऊ निम्त्सोवो में रह रहलथिन हल तब ऊ रूसी काव्यात्मक परी कथा "बोवा कोरोलेविच" लिखलथिन । एकरा में दैत्य पोलकान खलनायक हइ जबकि बोवा नायक । बुलबुल डाकू एगो दुष्ट राक्षस हलइ जे सीटी बजाके लोग के वश में कर ले हलइ । बाद में नायक इल्या मुरोमेत्स द्वारा बन्दी बना लेवल गेलइ ।
[2] सन् 1775 में रूस के 40 गुबेर्निया (प्रान्त) में विभाजित कइल गेले हल, जेकर संख्या 1796 तक बढ़ाके 51 कर देल गेलइ । हरेक गुबेर्निया के प्रधान एगो गवर्नर होवऽ हलइ । दू-तीन-पाँच गुबेर्निया के मिलाके एगो प्रशासनिक क्षेत्र के नमेस्तनिचेस्त्वो (Namestnichestvo) कहल जा हलइ जेकर प्रशासन  अधिकारी नमेस्तनिक (Namestnik) होवऽ हलइ । नमेस्तनिक पद के उनइसमी शताब्दी में गवर्नर-जेनरल के नाम देल गेलइ ।
[3] 1780 के दशक के अन्त में प्रचलन में हलइ - स्वर्ण मुद्रा (10 रूबल आउ 5 रूबल); रजत मुद्रा - रूबल, 50 कोपेक, 25 कोपेक, 10 कोपेक, 5 कोपेक; ताम्र मुद्रा - 5 कोपेक, 1 कोपेक, आधा कोपेक; पेपर बैंकनोट - 100, 50, 25, 10 आउ 5 रूबल के । ताम्र मुद्रा आउ बैंकनोट के सस्ता आँकल जा हलइ आउ ओकरा रजत अथवा स्वर्ण मुद्रा में बदले लगी सरचार्ज (अधिशुल्क) लगऽ हलइ । जइसे-जइसे बैंकनोट के संख्या बढ़लइ, पेपर आउ ताम्र मुद्रा के कीमत बदलते गेलइ । विनिमय के कमीशन मक्कार लोग लगी पैसा कमाय के बड़गो मोक्का मिल गेलइ । 1780-90 के वर्ष में सरकारी राजस्व के बढ़ावे खातिर बड़गो परिमाण में बैंकनोट जारी कइल गेलइ । सन् 1787 में 1 रूबल नोट के कीमत चानी के 97 कोपेक के बराबर हलइ, जबकि शताब्दी के अन्त में कागजी रूबल के कीमत खाली 64 कोपेक रह गेलइ । (कुलाकोवा आउ ज़ापादोव, 1974:67-68)
[4] साझिन - लम्बाई के रूसी प्राचीन ईकाई; 1 साझिन = 2.13 मीटर । अतः 5 साझिन = 10.65 मी. ।

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