02 Apr 2011, 08:11 pm
शेखपुरा, जागरण प्रतिनिधि : मगही भाषा के विकास को लेकर शनिवार को मगही साहित्यकारों की कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यशाला का आयोजन बिहार साहित्यकार संगम के बैनर तले आयोजित किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता संगम के अध्यक्ष लालमणि विक्रांत ने की। कार्यशाला में बड़ी संख्या में मगही रचनाकारों तथा साहित्यकारों के अलावा देश-विदेश के विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किसान कृष्णमुरारी सिंह, अधिवक्ता उपेन्द्र प्रसाद प्रेमी, अभय कुमार, कुशवाहा कृष्ण, मनोज कुमार आदि शामिल हुए। कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए लालमणि विक्रांत ने कहा कि मगही भाषा के विकास में मगही के तथाकथित मठाधीश ही बाधक बने हैं। विक्रांत ने कहा कि वर्ण के मानकीकरण का बखेड़ा खड़ा करने तथा कथित मठाधीश मगही के विकास में रोड़ा अटका रहे हैं। कार्यशाला में विश्व विख्यात किसान कृष्ण मुरारी सिंह किसान ने कहा कि मगही भाष विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में एक है। पहले मगही की लिपि कैथी थी, जिसे आज बदलाव से प्रभावित होकर मगही की लिपि देवनागरी कर दी गयी है।
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