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Thursday, January 01, 2015

अपराध आउ दंड - भाग – 2 ; अध्याय – 1




अपराध आउ दंड

भाग – 2

अध्याय – 1

अइसीं ऊ बहुत देर तक पड़ल रहलइ । बीच-बीच में, लगऽ हलइ कि ओकर नीन खुल जा हलइ, आउ अइसन क्षण में ओकरा देखे में लगऽ हलइ, कि रात बहुत बीत गेल ह, लेकिन उट्ठे के बात ओकर दिमाग में नयँ आवऽ हलइ । आखिरकार ऊ देखलकइ कि दिन उट्ठल नियन प्रकाश छा गेल ह । ऊ सोफा पर चित पड़ल हलइ, अभियो हाल के विस्मृति से स्तंभित होल । सड़क से भयभीत, निराशा भरल चीख कर्कश रूप में ओकरा भिर आ रहले हल, जे लेकिन ओकरा रोज रात के अपन खिड़की से दू आउ तीन बजे के बीच सुनाय दे हलइ । ओकरे चलते अब ओकर नीन टुटलइ । "ओह ! अइकी कलाली से निसा में चूर सब निकस रहले ह", ऊ सोचलकइ, "दू से उपरे हो गेल", आउ अचानक उछल पड़लइ, मानूँ ओकरा कोय सोफा पर से घींचके उठइलकइ । "की ! दू से उपरे हो गेलइ !" ऊ सोफा पर बइठ गेलइ, आउ तुरते ओकरा सब कुछ आद पड़ गेलइ ! अचानक, एक पल में सब कुछ आद पड़ गेलइ !

पहिले क्षण तो ऊ सोचलकइ कि ऊ पागल होल जा रहल ह । ओकरा भयंकर ठिठुरन पकड़ लेलकइ; लेकिन ठिठुरन बोखारो के चलते हलइ, जे बहुत पहिले ओकरा नीन में चालू होले हल । अब तो अचानक अइसन थरथरी ओकरा उठलइ, कि दाँत लगभग उछलके बाहर आवे लगलइ आउ ओकर पूरा देह हिल रहले हल । ऊ दरवाजा खोललकइ आउ अकाने लगलइ - घर में सब कोय सुत्तल हलइ । अचरज से ऊ अपने ऊपर आउ कोठरी में चारो तरफ नजर डललकइ, आउ ओकरा ई समझ में नयँ अइलइ - कइसे कल्हे अन्दर आके ऊ सिटकिनी लगाना भूल गेलइ आउ सोफा पर पड़ गेलइ, खाली बिन कपड़े बदलले नयँ, बल्कि टोप लगइलहीं - ई लुढ़क गेले हल आउ निच्चे फर्श पर पड़ल हलइ, तकिया के पास में । "अगर कोय अन्दर आ जइते हल, त की सोचते हल ? कि हम पीयल हकिअइ, लेकिन ..." ऊ खिड़की तरफ लपकलइ । काफी रोशनी हलइ, आउ ऊ जल्दी-जल्दी खुद के सिर से पाँव तक ध्यान से देखे लगलइ, अपन सब कपड़ा-लत्ता के - कहीं कोय निशान तो नयँ रह गेल ह ? लेकिन अइसे काम नयँ होवे वला हलइ - कनकन्नी से काँपते, अपन देह से सब कुछ उतारते आउ फेर से अच्छा से चारो तरफ जाँचे लगलइ । ऊ सब कुछ उलट-पलट देलकइ, एक-एक धागा आउ पेउँद (पेवंद) तक के, आउ अपने ऊपर भरोसा नयँ करके, तीन तुरी जाँच दोहरइलकइ । लेकिन लगलइ कि कुच्छो निशान नयँ हलइ; खाली ऊ जगह पर, जाहाँ पतलून निच्चे में उधड़ल (घिस्सल) हलइ आउ फुचड़ा नियन लटकल हलइ, ई फुचड़ा में जमल खून के मोटगर निशान रह गेले हल । ऊ एगो बड़गर खटकेदार चाकू लेलकइ आउ फुचड़ा के काट देलकइ । आउ लगलइ कि कुछ नयँ रह गेल ह । अचानक ओकरा आद पड़लइ, कि बटुआ आउ बाकी समान, जे बुढ़िया के सन्दूक में से निकसलके हल, अभियो तक ओकर जेभी में पड़ल हकइ ! ऊ सब समान के निकासे आउ छिपा देवे के बारे अभियो तक ऊ सोचवो नयँ कइलके हल ! ऊ सब के बारे ओकरा तभियो नयँ आद पड़लइ, जब ऊ अपन कपड़ा-लत्ता के जाँच कर रहले हल ! ओकरा की हो गेले ह ? क्षण भर में ऊ झपटके ऊ सब चीज के निकासे आउ टेबुल पर फेंके लगलइ । सब कुछ निकासके, जेभिया के उलटियो के, ताकि ई बात के दिलजमई हो जाय कि कुच्छो ओकरा में नयँ रह गेल ह, ऊ पूरा ढेर के कोनमा में लइलकइ । हुआँ, बिलकुल कोनमा में, निच्चे, एक जगह पे देवाल से कागज अलगे होके फट गेले हल - तुरते ऊ ई कागज के पीछू के भुड़वा में सब कुछ ठुँस्से लगलइ । "अन्दर चल गेलइ ! सब कुछ आँख से ओझल, आउ बटुओ !" ऊ खुशी से सोचलकइ, थोड़े सन उठके आउ जड़ भाव से कोनमा में हमेशा के अपेक्षा जादे अधिक उभरल भुड़वा तरफ देखते । अचानक ऊ खौफ से पूरा थरथरा गेलइ - "हे भगमान !", ऊ निराशा में फुसफुसइलइ, "हमरा की हो गेल ह ? की वास्तव में ई छिप्पल हइ ? की वास्तव में अइसीं छिपावल जा हइ ?"

ई सच बात हइ, कि ऊ पहिले समान-उमान के बारे हिसाब नयँ लगइलके हल; ऊ सोचलके हल, कि खाली पइसा होतइ, आउ ओहे से पहिलहीं से कोय जग्गह के तैयारी नयँ कइलके हल । "लेकिन अभी, अब हम कउन बात पर खुश हो रहलूँ हँ ?", ऊ सोचलकइ । "की वास्तव में अइसीं छिपावल जा हइ ? वास्तव में बुद्धि हमर काम नयँ कर रहल ह !" थकावट के चलते ऊ सोफा पर बइठ गेलइ, आउ तुरते ओकरा असहनीय कँपकँपी फेर से पकड़ लेलकइ । पास में एगो कुरसी पर पड़ल अपन पहिले के छात्र-जीवन के शीत ऋतु वला गरम, लेकिन अब करीब-करीब चिथड़ा होल, कोट यन्त्रवत् घींच लेलकइ, खुद के ढँक लेलकइ, आउ नीन आउ बड़बड़ाहट (delirium) ओकरा एक तुरी आउ दबोच लेलकइ । ऊ विस्मृति में चल गेलइ । अभी करीब पाँचो मिनट से जादे नयँ होले हल, कि ऊ फेर से उछलके खड़ी हो गेलइ आउ तुरते आवेश में फेर से अपन पोशाक तरफ झपटलकइ ।  "हम फेर से सुत कइसे पइलूँ, जबकि कुच्छो नयँ कइल हकइ ! बिलकुल, बिलकुल - कोटवा के अन्दर कँखिया भिर वला फाँस के अभियो तक नयँ निकासलूँ ! भूल गेलूँ, अइसन महत्त्वपूर्ण काम भूल गेलूँ ! अइसन सबूत !" ऊ फाँस के घींच लेलकइ आउ फुरती से एकरा फाड़के रुगदी-रुगदी करे लगलइ, आउ तकिया के निच्चे के चेथरी सब के बीच में ठूँस देलकइ । "फट्टल कपड़ा के टुकड़ा सब से कोय शक नयँ पैदा होत; हमरा तो अइसने लगऽ हके, अइसने लगऽ हके !" ऊ दोहरइलकइ, कोठरी के बीच में खड़ी-खड़ी, आउ दरद के हद तक तनाव भरल ध्यान से फेनुँ चारो तरफ जाँच करे लगलइ, फर्श पर आउ सगरो, कि कहीं आउ कुछ भूल तो नयँ गेल ह । ई विश्वास, कि सब कुछ, हियाँ तक कि स्मृति आउ सामान्य सोचे के शक्ति, ओकर साथ छोड़ रहल ह, ओकरा असहनीय यातना देवे लगलइ । "की, वास्तव में चालुओ हो गेले ह, वास्तव में ई अब दंड आहीं वला हइ ? एहे, एहे, बिलकुल एहे बात हइ !" वस्तुतः, फुचड़ा के कतरन, जेकरा ऊ पतलून से कटलके हल, अइसहीं फर्श पर पड़ल हलइ, कोठरी के बीच-बीच में, जेकरा आवे वला पहिलउको अदमी देख लेतइ ! "अरे, ई हमरा की हो गेल ह !" ऊ फेर से चिल्ला उठलइ, बिलकुल हताश नियन ।

हियाँ पर ओकर दिमाग में एगो विचित्र विचार अइलइ - कि शायद ओकर सब्भे पोशाक खून से लथपथ हइ, कि शायद बहुत सारा धब्बा हइ, लेकिन जेकरा ऊ देख नयँ पा रहल ह, जे ध्यान में नयँ आ रहल ह, काहेकि ओकर सोचे के शक्ति दुर्बल हो गेले ह, छिन्न-भिन्न हो रहले ह ... बुद्धि धुंधला रहले ह ... अचानक ओकरा आद पड़लइ, कि बटुओ पर खून हलइ । "अरे ! तब तो शायद जेभियो में खून होवे के चाही, काहेकि हम बटुआ जब जेभिया में रखलिए हल, तखनहूँ ऊ गीलगर हलइ !" पलक झपकते ऊ जेभिया के उलट लेलकइ, आउ एहे बात हइ - जेभिया के अस्तरवा पर हइ निशान, धब्बा ! "मतलब, विवेक हमरा अभी तक बिलकुल साथ नयँ छोड़लक ह, मतलब, चिन्तन-शक्ति आउ स्मृति सही-सलामत हके, अगर हम खुद्दे अचानक आद कर लेलूँ आउ अन्दाज लगा लेलूँ !" ऊ विजय-गर्व के साथ सोचलकइ, गहरा आउ खुशी के साथ पूरा छाती फुलाके उच्छ्वास लेके । "खाली बस बोखार के कमजोरी हके, कुछ क्षण के बड़बड़ाहट ।" आउ ऊ पतलून के बामा जेभी के पूरा अस्तर के फाड़ डललकइ । ओहे क्षण सूरज के किरण ओकर बामा बूट के प्रकाशित कर देलकइ - पेताबा पर, जे बूट के बाहर हुलक रहले हल, कुछ निशान नियन देखाय देलकइ । ऊ बूट निकासके फेंक देलकइ - "वास्तव में निशान ! पेताबा के नोक पूरा खून से लथपथ"; शायद, ओकर लात ऊ खून के पोखरी में अनचित के पड़ गेले होत .... "लेकिन अब एकरा की कइल जाय ? ई पेताबा, फुचड़ा, जेभी के कन्ने रक्खूँ ?"

ऊ ई सब कुछ के हाथ में बटोर लेलकइ आउ कोठरी के बीच में खड़ी हो गेलइ । "स्टोव में ? लेकिन सबसे पहिले तो ओकन्हीं स्टोवे में ढूँढ़तइ । जला दूँ ? लेकिन जारूँ कइसे ? सलइयो तो नयँ हके । नयँ, सबसे अच्छा कहीं बाहर जाके एकरा फेंक दूँ । हाँ ! सबसे अच्छा फेंक देना !" ऊ दोहरइलकइ, फेर से सोफा पर बइठते, "आउ अभिये, एहे पल, बिन कोय देरी कइले ! ..." लेकिन एकर बजाय ओकर माथा फेर से तकिया पर टिक गेलइ; फेर से असहनीय कँपकँपी ओकरा बरफ नियन सरद कर देलकइ; फेर से ऊ अपन उपरे ओवरकोट डाल लेलकइ । आउ बहुत देरी तक, कइएक घंटा, ओकरा बीच-बीच में रुकके लगातार प्रतीत होलइ, कि "अइकी अभिये, बिन देरी कइले, कहीं जाम आउ सब कुछ फेंक देम, ताकि आँख से कइसूँ ओझल हो जाय, जल्दी से, जल्दी से !" ऊ कइएक तुरी सोफा पर से उट्ठे के कोशिश कइलकइ, लेकिन बन नयँ पइलइ । आखिरकार दरवाजा पर के जोरदार खटखटाहट ओकरा जगइलकइ ।
"अरे खोलऽ, जिन्दा हकऽ कि नयँ ? जब देखऽ तब खर्राटे भरते रहऽ हइ !" दरवजवा खटखटइते नस्तास्या चिल्लइलइ । "दिन-दिन भर कुत्ता नियन खर्राटा भरते रहऽ हइ ! बिलकुल कुत्ता हइ ! खोलऽ ह कि नयँ । दस से उपरे बज गेलो ।"
"शायद, घरवे पर नयँ हकइ !" एगो मरदाना के अवाज अइलइ ।
"अरे ! ई अवाज तो दरबान के हकइ ... ओकरा की चाही ?"

ऊ उछल पड़लइ आउ सोफा पर बइठ गेलइ । दिल अइसन धड़क रहले हल कि दरदो होवऽ हलइ ।
"आउ सिटकिनी के लगइलकइ ?" नस्तास्या एतराज कइलकइ । "देखहो, अब ऊ अन्दर से सिटकिनी लगावे ल चालू कइलके ह ! मानूँ ओकरा कोय अपहरण करके ले चल जइतइ ? खोलऽ, नासमझ कहीं के, उट्ठऽ !"
"ओकन्हीं के की चाही ? दरबान काहे लगी अइले ह ? सब कुछ मालूम पड़ गेलइ । मोकाबला करूँ, कि खोल दूँ ? भाड़ में जो ..."

ऊ थोड़े सन उठलइ, आगे तरफ झुकलइ आउ सिटकिनी खोल देलकइ ।
ओकर पूरा कोठरी अइसन माप के हलइ कि बिस्तर से बिन उठलहीं सिटकिनी खोलल जा सकऽ हलइ ।
एहे बात हइ - सामने दरबान आउ नस्तास्या खड़ी हइ ।

नस्तास्या अजीब ढंग से ओकरा तरफ घूर रहले हल । ऊ दरबान तरफ चुनौतीपूर्ण आउ मायूसी भरल निगाह से देख रहले हल । ऊ (दरबान) चुपचाप ओकरा तरफ एगो भूरा रंग के, दोबरावल, आउ बोतल के लाख के मुहर लगल कागज बढ़ा देलकइ ।

"दफ्तर से नोटिस", कागज देते ऊ बतइलकइ ।
"कउन दफ्तर से ? ..."
"मतलब, पुलिस के दफ्तर में बोलाहट हको । तोहरा मालूम हको, कि कउन दफ्तर ।"
"पुलिस थाने ! ... काहे लगी ? ..."
"हमरा कइसे मालूम होतइ ? बोलाहट हको, त जाहो ।" ऊ ओकरा तरफ ध्यान से देखलकइ, चारो तरफ नजर दौड़इलकइ आउ जाय खातिर मुड़लइ ।
"लगऽ हइ कि बिलकुल बेमार हका", नस्तास्या के लउकलइ, जे ओकरा पर से नजर नयँ हटइलके हल । दरबानो एक पल खातिर अपन सिर मोड़ लेलकइ ।
"कल्हे से बोखार हकइ", ऊ आगे बोललइ ।

ऊ कोय जवाब नयँ देलकइ आउ कागज के बिना खोललहीं हथवा में रखले रहलइ ।
"अरे, उठऽ मत", नस्तास्या अपन बात जारी रखलकइ, सहानुभूतिपूर्वक आउ ई देखके, कि ऊ सोफा पर से गोड़ निच्चे कर रहले ह । "बेमार हकऽ, ओहे से जाय के जरूरत नयँ - कोय जल्दी नयँ हकइ । तोर हथवा में की हको ?"
ऊ देखलकइ - ओकर दहिना हाथ में काटल फुचड़ा के टुकड़ा, पेताबा आउ जेभी के रुगदी-रुगदी कइल अस्तर हकइ । अइसीं ऊ सब लेलहीं सुत गेले हल । बादो में, एकरा बारे सोचला पर आद अइलइ, कि बोखार में निनारू में ऊ ई सबके कसके दबोच ले हलइ आउ अइसीं फेर सुत जा हलइ ।
"देखहो, कइसन चिथड़ा जामा कइलका ह आउ एहे सब लेले सुत्तऽ हका, मानूँ कोय खजाना हकइ ...", आउ नस्तास्या अपन उन्मत्त हँसी के साथ खिखिया उठलइ । पलक झपकते ऊ सब कुछ ओवरकोट के अन्दर घुसेड़ लेलकइ आउ नजर गड़ाके ओकरा तरफ एकटक देखलकइ । हलाँकि ऊ क्षण ऊ बहुत कम पूरा अर्थ में समझ-बूझ सकऽ हलइ, लेकिन ऊ महसूस कइलकइ, कि अइसन अदमी के साथ अइसे पेश नयँ आवल जा सकऽ हइ, जब ओकरा गिरफ्तार कइल जाय वला होवे । "लेकिन ... पुलिस ?"
"चाह पीबऽ ? मन करऽ हको ? लाके देबो; कुछ बच्चल हको ..."
"नयँ ... हम जाम - हम अभी जाम", ऊ बड़बड़इलइ, गोड़ पर खड़ी होते ।
"जा, लेकिन ज़ीना से उतरियो नयँ पइबऽ ।"
"हम जाम ..."
"जइसन तोहर मर्जी ।"

नस्तास्या दरबान के पीछू-पीछू बाहर चल गेलइ ।
तुरतम्मे ऊ लपकके रोशनी तरफ गेलइ, पेताबा आउ फुचड़ा के जाँचे खातिर - "धब्बा तो हइ, लेकिन असानी से बिलकुल नयँ देखाय दे हइ; सब कुछ गंदा हो गेले ह, घिस गेले ह, आउ बदरंग हो गेले ह । जेकरा पहिले से मालूम नयँ हइ, ओकरा कुछ पता नयँ चलतइ । नस्तास्या, मतलब, दूर से कुछ नयँ देख पइलकइ, एहे खैरियत हके !" तब काँपते हाथ से ऊ नोटिस पर लगल सील तोड़के पढ़े लगलइ; देर तक ऊ पढ़लकइ आउ आखिर बात समझ गेलइ । ई लोकल पुलिस विभाग से एगो सधारण नोटिस हलइ, जेकरा अनुसार ओकरा आझे साढ़े नो बजे पुलिस सुपरिन्टेंडेंट के दफ्तर में हाजिर होवे के हलइ ।

"लेकिन अइसन होलइ कब ? पुलिस से हमरा कोय वास्ता नयँ रहल ह ! आउ बिलकुल आझे काहे ?" ऊ कष्टदायक आश्चर्य में सोचलकइ । "हे भगमान ! जल्दी से ई निपट जाय !" ऊ प्रार्थना करे खातिर टेहुना मोड़के बइठहीं वला हलइ, लेकिन खुद हँसियो पड़लइ - प्रार्थना पर नयँ, बल्कि खुद पर । ऊ जल्दीबाजी में कपड़ा पेन्हे लगलइ । "अगर हमर सत्यानाश होवे के हइ त हो जाय, परवाह नयँ ! पेताबा तो पहन लूँ !" अचानक ओकर दिमाग में अइलइ । "धूरी में आउ जादे धूमिल हो जइतइ, आउ निशान सब गायब हो जइतइ ।" लेकिन जइसीं ऊ पेन्हलकइ, ओइसीं घृणा आउ खौफ से एकरा उतार देलकइ । उतरलकइ, लेकिन ई समझके कि आउ दोसर तो हके नयँ, एकरा उठइलकइ आउ फेर से पेन्ह लेलकइ - आउ फेर हँस पड़लइ । "ई सब कुछ प्रतिबन्धी (conditional), सब कुछ सापेक्ष (relative), सब कुछ एक प्रकार के रूप हइ", ई विचार ओकरा सुझलइ, चिन्तन के खाली एक हिस्सा के साथ, जबकि ओकर पूरा देह कँप रहले हल । "अइकी हम तो पेन्ह लेलूँ ! अइकी हम आखिर पेन्हिये लेलूँ !" लेकिन हँसी तुरतम्मे निराशा में बदल गेलइ । "नयँ, हमर बूता के बाहर हके ...", ओकर दिमाग में विचार अइलइ । ओकर गोड़ थरथरा रहले हल । "भय के चलते", ऊ अपने ऊपर बड़बड़इलइ । माथा चकरा रहले हल आउ बोखार चढ़ल हलइ । "ई चाल हकइ ! ओकन्हीं कोय तिकड़म से हमरा फुसलावे आउ अचानक सगरो से पटकुनियाँ देवे ल चाहऽ हइ", ऊ अपना बारे सोचना जारी रखलकइ, ज़ीना पर उतरते । "सबसे खराब बात तो ई हके, कि हम लगभग उन्माद में हकूँ ... हमर मुँह से कोय बेवकूफी वला बात निकस जा सकऽ हके ..."

ज़ीना पर ओकरा आद पड़लइ, कि सब चीज तो ऊ अइसीं छोड़के जा रहले ह, देवाल-कागज के पीछू वला भूड़ में । "आ एद्धिर, हो सकऽ हइ, जानबूझके ओकर पीछू में तलाशी होबइ", आद कइलकइ आउ ठिठक गेलइ । लेकिन अइसन निराशा आउ, अगर कहल जा सकइ तो, अइसन सत्यानाश के अवहेलना (cynicism) ओकरा दबोच लेलकइ, कि ऊ हावा में हाथ लहरइते आगू बढ़ते रहलइ ।
"जल्दी से जल्दी कइसूँ खाली ममला निपट जाय ! ..."

बाहर में फेर असहनीय गरमी हलइ; एतना दिन तक मोसकिल से कुछ बून बरसले हल । फेर से धूरी, अइँटा आउ चूना, फेर से दोकान आउ कलाली के दुर्गन्ध, फेर से जब न तब पियक्कड़ से भेंट, फिनलैंड के फेरीवाला सबन आउ आधा टुट्टल-फुट्टल घोड़ागाड़ी । सूरज के तेज चमक ओकर आँख में अइसन पड़लइ, कि ओकरा नजर डाले में तकलीफ होवऽ हलइ आउ ओकर सिर बिलकुल चकराय लगलइ । ओकरा बोखार से पीड़ित अइसन रोगी नियन संवेदना हो रहले हल, जे अचानक तेज रौदगर दिन में बाहर आ जा हइ ।

कल्हे वला सड़क के ऊ मोड़ पे पहुँचला पर ऊ कष्टदायक बेचैनी से ओकरा तरफ नजर डललकइ, ऊ घर पर ... आउ तुरते नजर फेर लेलकइ । "अगर हमरा पुच्छल जइतइ, त, शायद, हम बता देबइ ।" ऊ सोचलकइ, जब ऊ थाना के पास पहुँच रहले हल ।

थाना ओकरा भिर से एक चौथाई विर्स्ता दूर हलइ । ओकरा अभी-अभी नयका इमारत के चौठा मंजिल पर के एगो नयका फ्लैट में स्थानान्तरित कइल गेले हल । ऊ पहिलउका दफ्तर में थोड़े देर खातिर गेले हल, लेकिन बहुत समय पहिले । फाटक से अन्दर घुसते समय ऊ दहिना तरफ ज़ीना देखलकइ, जेकरा पर से होके एगो देहाती अदमी हाथ में एगो किताब लेले उतर रहले हल - "दरबान होतइ; मतलब कि एहे दफ्तर हकइ", आउ ऊ एहे अन्दाज से ज़ीना से उपरे चढ़े लगलइ । ऊ केकरो से कुच्छो बारे नयँ पुच्छे लगी चाहऽ हलइ ।

"हम अन्दर जइबइ, घुटना टेक देबइ आउ सब कुछ बता देबइ ...", ऊ सोचलकइ, चौठा मंजिल पर प्रवेश करते- करते ।

ज़ीना संकीर्ण, ढालू आउ गंदा पानी से पूरा गीला हलइ । चारो मंजिल पर के सब्भे फ्लैट के भनसा घर के दरवाजा एहे ज़ीना पर खुल्लऽ हलइ आउ लगभग पूरे दिन अइसीं खुल्ले रहऽ हलइ । एकरा चलते भयंकर उमस आउ घुटन रहऽ हलइ । ज़ीना पर से काँख में किताब दबइले चपरासी, संदेशवाहक, पुलिस कर्मचारी, आउ तरह-तरह के औरत-मरद लोग चढ़ते-उतरते रहऽ हलइ - भेंटकर्ता या आगन्तुक । खास दफ्तर के दरवाजा भी पूरा खुल्लल हलइ । ऊ अन्दर गेलइ आउ ड्योढ़ी पर रुक गेलइ । हियाँ कइएक देहाती लोग खड़ी-खड़ी इंतजार कर रहले हल । हियों बहुत जादे घुटन हलइ, आउ एकरा अलावे, हाले के पेंट कइल कमरा से उलटी लावे वला, ताजा, बिन ठीक से सुक्खल, बिसायँध शोषक (जल्दी से सुखावे वला) तेल मिलाके बनावल, पेंट के दुर्गन्ध ओकर नथुनमा में वार कइलकइ । थोड़े देर इंतजार कइला के बाद, ऊ आउ आगू, अगला कमरा में जाय के फैसला कइलकइ । सब्भे कमरा छोटगर-छोटगर आउ नीचगर छत (ceiling) वला हलइ । बहुत जादे अधीरता ओकरा लगातार आगू घींचते रहलइ । कोय ओकरा पर ध्यान नयँ देलकइ । दोसरा कमरा में कुछ किरानी बइठल लिख रहले हल, जे मोसकिल से ओकरा से थोड़े बेहतर पोशाक में हलइ, आउ देखे में विचित्र प्रकार के अदमी लगऽ हलइ । ओकन्हीं में से एगो के पास ऊ गेलइ ।

"तोहरा की चाही ?"
ऊ दफ्तर के नोटिस देखइलकइ ।
"छात्र हकऽ ?" नोटिस पर नजर डालके ऊ पुछलकइ ।
"हाँ, पूर्व छात्र ।"
किरानी ओकरा तरफ देखलकइ, लेकिन बिन कोय कौतूहल के । ई एक प्रकार के विशेष रूप से बिखरल बाल वला आउ जइसे-तइसे बस्तर पेन्हले, आउ नजर से एक्के स्थिर विचार वला अदमी हलइ ।
"एकरा से कोय काम नयँ बनत, काहेकि एकरा लगी सब कुछ एक समान हइ", रस्कोलनिकोव सोचलकइ ।
"ओद्धिर जा, मैनेजर के पास", किरानी बोललइ आउ अँगुरी से आगे तरफ इशारा कइलकइ, जे सबसे अन्तिम वला कमरा तरफ इंगित कर रहले हल ।

ऊ ई कमरा (क्रम में चौठा) में घुसलइ, जे छोटगर हलइ आउ सामान्य लोग से ठसाठस भरल हलइ, जाहाँ के लोग पहिलउका कमरा वला लोग के अपेक्षा थोड़े जादे साफ कपड़ा पेन्हले हलइ । भेंटकर्ता लोगन में दू गो महिला भी हलइ । एगो मातम में, मामूली कपड़ा पेन्हले, मैनेजर के टेबुल के सामने बइठल हलइ आउ ऊ ओकर कहे मोताबिक कुछ तो लिख रहले हल । आउ दोसरकी महिला, जे बहुत मोटगर आउ तगड़ी, किरमिजी-लाल दाग वली हलइ, बहुत शानदार पोशाक में, छाती पर चाय वला बड़गर कश्तरी नियन ब्रोच (जड़ाऊ पिन) लगइले, एक तरफ खड़ी हलइ, आउ कोय काम लगी इंतजार कर रहले हल । रस्कोलनिकोव अपन नोटिस मैनेजर के सामने प्रस्तुत कइलकइ । ऊ ओकरा पर एगो सरसरी निगाह डललकइ, आउ बोललइ - "जरी स ठहरऽ", आउ मातमदार महिला के काम में लगल रहलइ ।

ऊ चैन के साँस लेलकइ । "पक्का, ऊ बात नयँ हकइ !" धीरे-धीरे ओकरा में साहस आवे लगलइ, ऊ साहस बटोरे आउ सचेत होवे खातिर पूरा जोर लगाके खुद के ढाढ़स बन्हइते रहलइ ।

"कउनो बेवकूफी, कइसनो बिलकुल ममूली-सन लपरवाही, आउ हम खुद के पूरा सत्यानाश कर दे सकऽ हूँ ! हूँ ... अफसोस, कि हियाँ हावा नयँ हकइ", ऊ मने-मन बात जारी रखलकइ, "घुटन हकइ ... माथा आउ जादे चकरा रहल ह ... आउ बुद्धि भी ..."

ऊ अपने अन्दर भीषण अव्यवस्था अनुभव कइलकइ । ओकरा अपने आप पर नियंत्रण खो देवे के भय सता रहले हल । ऊ कोय चीज पर ध्यान केन्द्रित करे आउ कोय बिलकुल असंबंधित चीज के बारे सोचे के कोशिश कर रहले हल, लेकिन एकरा में ऊ बिलकुल नयँ सफल हो पइलइ । मैनेजर के तरफ, लेकिन, बहुत अधिक दिलचस्पी पैदा होलइ - ओकरा लगातार मन कर रहले हल, कि ओकर चेहरा से कुछ अनुमान लगा लूँ, कुछ भाँप लूँ । ई एगो बिलकुल नौजवान हलइ, कोय बाईस बरस के, सामर आउ लचीला बदन, अपन उमर से कुछ जादे उमरदार लग रहल, फैशनदार आउ छैला नियन पोशाक पेन्हले, सिर पर मांग फाड़ले, अच्छा से कंगही आउ अंगराग (pomade) कइले, ब्रश से साफ कइल उजरका अँगुरियन पर कइएक मुँदरी आउ अँगूठी आउ वास्कट (waistcoat) पर सोना के चेन । हुआँ पर उपस्थित एगो विदेशी के दू शब्द फ्रेंच में कहलकइ, आउ बहुत कुछ संतोषजनक रूप से ।

"लुइज़ा इवानोव्ना, किरपा करके बइठ जाथिन", ऊ सरसरी तौर पर शानदार पोशाक पेन्हले किरमिजी-लाल चेहरा वली महिला से कहलकइ, जे अभी तक खड़ी हलइ, मानूँ ओकरा बइठे के साहस नयँ कर पा रहल होवे, हलाँकि कुरसी बगले में हलइ ।    

"इश् डांकऽ" (धन्यवाद), ऊ बोललइ आउ चुपचाप ऊनी सरसराहट के साथ कुरसी पर बइठ गेलइ । उज्जर लैसदार (lacy) ओकर हलका नीला (असमानी) रंग के पोशाक, अनमन हवा भरल बैलून, कुरसी के चारो तरफ फैल गेलइ आउ लगभग आधा कमरा छेंक लेलकइ । इत्र के महँक आ रहले हल । लेकिन महिला स्पष्ट रूप से ई बात से अटपटा महसूस कर रहले हल, कि ऊ आधा कमरा छेंकले हलइ, कि ओकरा से एतना इत्र के महँक आब करऽ हलइ, हलाँकि ओकर मुसकान में कायरता आउ ढिठाई दुन्नु साथ-साथ हलइ, लेकिन स्पष्ट बेचैनी के साथ । आखिरकार मातमदार महिला के काम खतम हो गेलइ आउ ऊ उट्ठे लगलइ । अचानक कुछ शोरगुल के साथ बिलकुल अकड़ते आउ हर कदम के साथ विशेष तरह से अपन कन्हा के फिरइते एगो अफसर घुसलइ, कलगी लगल छज्जेदार टोपी टेबुल पर फेंक देलकइ आउ एगो अरामकुरसी पर बइठ गेलइ ।    शानदार महिला ओकरा देखके अपन सीट से अइसीं उछल पड़लइ, आउ एक प्रकार के विशेष हर्षावेश में एक गोड़ आगू करके घुटना टेकके अभिवादन करे लगलइ; लेकिन अफसर ओकरा पर तनिक्को ध्यान नयँ देलकइ, आ ऊ ओकर सामने फेर बइठे के हिम्मत नयँ कइलकइ । ई लेफ्टेनेंट हलइ, पुलिस चीफ के सहायक, जेकर लाल-भूरा मोंछ क्षैतिज दिशा में दुन्नु तरफ निकसल हलइ, आउ चेहरा के नाक-नक्शा में हर चीज बेहद छोटगर, जेकरा से धृष्टता के अलावा आउ कुच्छो विशेष नयँ प्रकट होवऽ हलइ । ऊ कनखियाके आउ गोस्सा से रस्कोलनिकोव तरफ देखलकइ - ओकर पोशाक बहुत घटिया किसिम के हलइ, आउ पूरा विनम्रता के बावजूद, ओकर चाल-ढाल ओकर पोशाक से मेल नयँ खा रहले हल; रस्कोलनिकोव लपरवाही से बहुत सीधे आउ देर तक ओकरा तरफ एकटक देखते रहलइ, जेकरा चलते ऊ नराजो हो गेलइ ।

"की चाही तोरा ?" ऊ चिल्लइलइ, शायद ई बात पर ओकरा अचरज हो रहले हल, कि अइसन गुदड़िया ओकर बिजली नियन दृष्टि से भी ऊ अपना के तुच्छ नयँ समझऽ हइ ।
"हमरा बोलावल गेले ह ... नोटिस भेजके ...", रस्कोलनिकोव कइसूँ जवाब देलकइ ।
"ई पइसा के वसूली के बारे केस हइ, छात्र से", मैनेजर कागजात से अपन ध्यान हटाके हड़बड़ी में बोललइ । "हियाँ, जी !" आउ ऊ दस्तावेज रस्कोलनिकोव तरफ बढ़ा देलकइ, ओकरा में खास जगह पर इशारा करते, "ई पढ़ऽ !"

"पइसा ? कइसन पइसा ?" रस्कोलनिकोव सोचलकइ, "लेकिन ... मतलब, ई पक्का ऊ ममला नयँ हइ !" आउ ऊ खुशी से चौंक उठलइ । ऊ अचानक बड़गो, वर्णनातीत राहत महसूस कइलकइ । ओकर कन्हा से सब भार उतर गेलइ ।
"आउ तोरा केतना बजे आवे के आदेश हलो, बाबू साहेब ?" मैनेजर चिल्लइलइ, नयँ मालूम काहे लगातार जादे आउ जादे अपमानित महसूस करते, "तोहरा नो बजे आवे के आदेश हको, आउ अभी एगारह से जादे बज गेलो ह !"

"हमरा पास नोटिस बस पनरह मिनट पहिले पहुँचले हल", अपना लगी प्रतीत होल अचानक आउ अप्रत्याशित क्रोध में आउ ई बात में एक प्रकार के खुशी भी पाके, रस्कोलनिकोव उँचगर स्वर में अपना तरफ पीठ कइले अफसर के उत्तर देलकइ । "एहो की कम हइ, कि बोखार से पीड़ित होलो पर हम हियाँ हाजिर हो गेलिअइ ।"
"किरपा करके चिल्ला मत !"
"हम चिल्ला नयँ रहलिए ह, बल्कि बिलकुल ठीक ढंग से बोल रहलिए ह; उलटे अपने हमरा पर चिल्ला रहलथिन हँ; हम छात्र हकिअइ आउ केकरो अपने ऊपर चिल्लाय के इजाजत नयँ दे हिअइ ।"

सहायक गोस्सा से एतना भड़क गेलइ, कि पहिला एक मिनट तो ऊ कुछ स्पष्ट बोल नयँ पइलइ, आउ ओकर मुँह से खाली एक प्रकार के छींटा उड़ते रहलइ । ऊ अपन सीट से उछल पड़लइ ।

"जरी चु..प  र..हऽ ! तूँ सरकारी दफ्तर में हकऽ । बद..त..मी..जी  म..त क..रऽ, बाबू साहेब !"
"लेकिन अपनहूँ सरकारी दफ्तर में हथिन", रस्कोलनिकोव चिल्लइलइ, "आ एकरा अलावे, चिल्ला हथिन, सिगरेट पीयऽ हथिन, मतलब, हमन्हीं सब्भे के तौहीन कर रहलथिन हँ ।"
एतना कहके, रस्कोलनिकोव वर्णनातीत आनन्द के अनुभव कइलकइ ।
किरानी मुसकान सहित ओकन्हीं तरफ देख रहले हल । गरमाल लेफ्टेनेंट स्पष्टतया हक्का-बक्का हो गेलइ ।

"एकरा से तोरा कोय मतलब नयँ हको, जी !", आखिरकार ऊ कइसूँ अस्वाभाविक रूप से उँचगर स्वर में चिल्लइलइ । "आ जवाब देवे के किरपा करहो, जे तोहरा से माँग कइल जा रहलो ह । इनका देखा देहीं, अलिक्सान्द्र ग्रिगोरियेविच । तोहरा खिलाफ शिकायत हको ! पइसा नयँ चुकावऽ हो ! देख, कइसन भड़कीला बाज उड़के आल ह !"

लेकिन रस्कोलनिकोव ऊ सब बात अब नयँ सुन रहले हल आउ उत्सुकता से पेपर झटक लेलकइ, जल्दी से जल्दी समाधान खोजे के प्रयास करते । एक तुरी पढ़लकइ, दोसरा तुरी, आउ ओकरा समझ में नयँ अइलइ ।
"ई की हकइ ?" ऊ किरानी से पुछलकइ ।
"ई करजा के वचनपत्र के मोताबिक तोहरा से पइसा वसूली के माँग हकइ । खयँ तो सारा खरचा, जुरमाना वगैरह के साथ तोरा भुगतान करे के चाही, खयँ लिखके दे देवे के चाही कि कब भुगतान कर सकऽ हो, आउ साथे-साथ ई इकरारनामो, कि भुगतान होवे के पहिले रजधानी छोड़के नयँ जइबहो, आउ अपन जयदाद न बेचबहो आउ न छिपइबहो । आ करजा देवे वला के तोहर जयदाद के बेचे के, आ तोहर खिलाफ कनूनी कार्रवाई  करे के छूट होतइ ।"
"लेकिन हम तो ... केकरो करजदार नयँ हकिअइ !"

"एकरा से तो हमरा कोय मतलब नयँ । आ ई हमन्हीं के पास पहुँचलो ह वसूली खातिर, मियाद पूरा होल आउ कानूनन पक्का कइल, एक सो पनरह रूबल के करजा के वचनपत्र, जे तूँ नो महिन्ना पहिले कॉलेजिएट असेसर के विधवा पत्नी ज़ारनित्सिना के देलहो हल, आउ जे विधवा ज़ारनित्सिना कोर्ट के भुगतान खातिर काउंसिलर चेबारोव के दे देलके हल, जेरा चलते हमन्हीं तोहरा जवाब देवे लगी बोलइलियो ह ।"
"लेकिन ई तो हमर मकान-मालकिन हइ !"
"तोहर मकान-मालकिन होला से की होलइ ?"

किरानी ओकरा तरफ सहानुभूति के कृपालु मुसकान के साथ देखलकइ, आउ साथे-साथ एक प्रकार के विजय के भावना के साथ, जइसे कि अइसन नौसिखुआ पर, जेकरा पर अभी-अभी गोली दागे ल चालू कइल गेल होवे - "अच्छऽ", मानूँ ऊ कह रहल होवे, "अभी कइसन लग रहलो ह ?" लेकिन ओकरा अब करजा के वचनपत्र से, वसूली से की लेना-देना हलइ ? की अब ई लायक हलइ कि कोय फिकिर कइल जाय, अपना तरफ से कउनो तरह के ध्यानो देल जाय ! ऊ खड़ी रहलइ, पढ़लकइ, सुनलकइ, जवाब देलकइ, खुद्दे पुछवो कइलकइ, लेकिन ई सब कुछ यंत्रवत् । आत्मसुरक्षा के विजय, बड़गर खतरा से बचाव - एहे ऊ बखत ओकर पूरे आत्मा में व्याप्त हलइ, बिन दूरदर्शिता के, बिन विश्लेषण के, बिन भविष्य के पू्र्वानुमान आउ समाधान के, बिन शंका आउ बिन प्रश्न के । ई सम्पूर्ण, प्रत्यक्ष आउ स्वाभाविक, बिलकुल जैविक प्रसन्नता के क्षण हलइ । लेकिन एहे क्षण दफ्तर में एक प्रकार के गरज आउ बिजली जइसन घटना होलइ । लेफ्टेनेंट, जे अभियो तक अपमान के चलते बिलकुल मर्माहत आउ बिलकुल आग होल हलइ, आउ प्रत्यक्षतः अपन आहत प्रतिष्ठा के बनइले रहे के कामना कर रहले हल, ऊ, बेचारी "शानदार महिला" पर पूरा गोला-बारूद के साथ झपट पड़लइ, जे ओकरा दफ्तर में घुसहीं के समय से बेवकूफी भरल मुसकान के साथ देखब करऽ हलइ ।

"आउ तूँ, जइसन-तइसन आउ अइसन", ऊ पूरा गला फाड़के अचानक चिल्लइलइ (मातमदार महिला निकस चुकले हल), "तोरा हीं पिछले रात की होलउ ? अयँ ? फेर से ओहे बदनामी, पूरे गल्ली तक हंगामा करऽ हँ । फेर से लड़ाय-झगड़ा आउ नशाखोरी । सुधार-घर जाय ल सपनाऽ हीं ! तोरा हम कह चुकलियो ह, तोरा दस तुरी चेतावनी दे चुकलियो ह, कि तोरा एगरहमा तुरी नयँ छोड़बउ ! आ तूँ फेर से, फेर से, जइसन-तइसन तूँ अइसन !”

कगजवो रस्कोलनिकोव के हथवा से गिर पड़लइ, आउ ऊ संकोच भाव से ऊ शानदार महिला तरफ देखलकइ, जेकरा साथ अइसन अभद्र व्यवहार कइल जा रहले हल - लेकिन जल्दीए ओकरा समझ में आ गेलइ, कि की बात हइ, आउ तुरते ओकरा ई सब किस्सा में बहुत मजो आवे लगलइ । ऊ खुशी से सुन्ने लगलइ, एतना कि ओकरा ठहाका लगाके हँस्से के मन कइलकइ, ठहाका, ठहाका ... ओकर सब्भे स्नायु (nerves) फड़क रहले हल ।
"इल्या पित्रोविच !" किरानी चिंतित होके कुछ कहे ल शुरू कइलकइ, लेकिन बीच में रुक गेलइ आउ समय के इंतजार करे लगलइ, काहेकि गरमाल लेफ्टेनेंट के बल के अलावा आउ कोय दोसर उपाय से रोकल नयँ जा सकऽ हलइ, जे ओकरा अपन अनुभव से मालूम हलइ । जाहाँ तक शानदार महिला के संबंध हइ, तो ऊ शुरुए में गरज आउ बिजली से एतना जादे काँपे लगले हल; लेकिन विचित्र बात हलइ - गारी जेतने जादे, आउ कड़रगर होल जा हलइ, ओतने जादे ऊ विनम्र होल जा हलइ, ओतने जादे भयंकर लेफ्टेनेंट तरफ बिखेरल ओकर मुसकान मनोहर होल जा हलइ । ऊ अपन जगहिया पर टुघर रहले हल आउ लगातार झुक-झुकके सलाम कर रहले हल, बड़ी बेसब्री से मौका के ताक में रहते, कि आखिरकार ओकरा अपन बात कहे लगी अनुमति मिल जइतइ, आउ अइसन मौका मिल गेलइ ।

"हमरा हीं कइसनो शोरगुल आउ लड़ाय-झगड़ा नयँ हलइ, मिस्टर कपितेन (कप्तान)", ऊ अचानक टरटर करे लगलइ, केराय के दाना गिरे जइसन, जोरदार जर्मन लहजा में, हलाँकि धाराप्रवाह (fluently) रूसी में बोल रहले हल, "आउ कोय, कोय हंगामा आउ बदनामी के बात नयँ हलइ, आउ साहेब पीके अइला हल, आउ ई सब कुछ हम बतइबइ, मिस्टर कपितेन, आउ हम्मर कोय गलती नयँ हइ ... हमर घर शरीफ लोग के घर हकइ, मिस्टर कपितेन, आउ शरीफ चाल-चलन, मिस्टर कपितेन, आउ हम हमेशे, हमेशे खुद नयँ कोय हंगामा चहलिअइ । आ ऊ बिलकुल निसा में धुत्त अइला हल आउ फेर से तीन बोतल मँगलका, आउ बाद में एक गोड़ उठइलका आउ गोड़वे से पियानो बजावे लगला, आउ ई शरीफ के घर में बिलकुल खराब बात हइ, आउ ऊ पियानो बिलकुल तोड़ देलका, आउ बिलकुल, हुआँ बिलकुल शिष्टाचार नयँ बरतलका, आउ ई बात हम बतइलइ । आउ ऊ बोतल ले लेलका आउ सब्भे के पीछू से बोतल से ढकले लगला । आउ तुरते हम दरबान के बोलइलइ आउ कार्ल अइलइ, ऊ कार्ल के पकड़ लेलका आउ ओकर आँख पर चोट कइलका, आउ हेनरिएत के भी आँख पे मालका, आउ हमरा पाँच तुरी गाल पर थप्पड़ लगइलका । आउ ई एगो शरीफ के घर में बिलकुल अशिष्ट व्यवहार हइ, मिस्टर कपितेन, आउ हम तो चिल्लाय लगलिअइ । आउ ऊ नहर तरफ के खिड़की खोल देलका आउ खिड़की से होके छोट्टे गो सूअर के माफिक केकियाय लगला; आउ ई शरम के बात हइ । आउ छोटगर सूअर नियन खिड़की से सड़क तरफ केकियाना ? छिः छिः छिः ! आउ कार्ल पीछू से उनकर फ्रॉक-कोट घींच लेलकइ, आउ हियाँ ई बात सच हइ, मिस्टर कपितेन, कि उनकर फ्रॉक-कोट फट गेलइ । आउ तब ऊ चिल्लाय लगला, कि उनका जुरमाना के रूप में चानी के पनरह रूबल भुगतान करे के चाही । आउ हम खुद्दे, मिस्टर कपितेन, चानी के पाँच रूबल उनका फ्रॉक-कोट खातिर भुगतान कइलिअइ । आउ ई शरीफ मेहमान नयँ हका, मिस्टर कपितेन, आउ सब तरह के बदनामी वला काम कइलका ! ऊ बोलला, हम तोरा बारे बड़गो व्यंग्य अखबार में छपवा देबो, काहेकि हम सब्भे अखबार में तोहरा बारे कुछ भी लिख सकऽ हियो ।"

"मतलब, ऊ लेखक में से हका ?"
"जी, मिस्टर कपितेन, आउ ई कइसन असभ्य मेहमान हका, मिस्टर कपितेन, जब एगो शरीफ के घर में ..."
"अच्छऽ-अच्छऽ-अच्छऽ ! बहुत हो गलो ! तोहरा हम बता चुकलियो ह, बता चुकलियो ह, हम वास्तव में तोहरा बता चुकलियो ह ..."
"इल्या पित्रोविच !" फेर से किरानी अर्थपूर्ण ढंग से बोललइ ।
लेफ्टेनेंट तेजी से ओकरा तरफ एक नजर देखलकइ; किरानी थोड़े-सन सिर हिला देलकइ ।
" ... त ई, अति आदरणीय लविज़ा इवानोव्ना, तोहरा लगी हमर आखिरी वचन हको, आउ ई अन्तिम तुरी", लेफ्टेनेंट बात जारी रखलकइ, "कि अगर तोहर शरीफ वला घर में एक्को तुरी आउ हंगामा होलो, त हम तोहरा, जइसन कि उच्च घराना में बोलल जा हइ, अन्दर कर देबो । सुन लेलऽ ? त एगो साहित्यकार, लेखक अपन कोट के पिछला हिस्सा फट जाय के कारण एगो ‘शरीफ वला घर’ में चानी के पाँच रूबल वसूल कर लेलकइ ? त अइसन होवऽ हका ऊ, लेखक सब !", आउ ऊ रस्कोलनिकोव पर तिरस्कार भरल नजर डललकइ । "परसुन एगो कलालियो के खिस्सा हइ - खा तो लेलकइ, लेकिन पइसा चुकावे ल नयँ चाहऽ हइ; कहऽ हइ - 'नयँ तो हम तोरा बारे व्यंग्य लिख देबो' । स्टीमर पर एगो दोसर व्यक्ति, पिछले सप्ताह, एगो इज्जतदार घराना के स्टेट काउंसिलर, उनकर घरवली आउ बेटी के साथ बहुत अश्लील भाषा में पेश अइलइ । आउ हाले में मिठाय के एगो दोकान से एगो के धक्का देके निकास देवल गेलइ । अइसने होवे करऽ हका ई लेखक, साहित्यकार, छात्र, शहर के ढोलहा पिट्टे वला सब ... छिः ! आउ तूँ चल हियाँ से ! हम खुद तोरा हीं रुकके मुआइना करबउ ... तब जरी खियाल रखिहँऽ ! सुनलँऽ ?"

लुइज़ा इवानोव्ना त्वरित शिष्टाचार के साथ सब दिशा में झुक-झुकके सलाम करे लगलइ, आउ अइसे सलाम करतहीं पीछू हटते-हटते दरवाजा तक पहुँच गेलइ; लेकिन दरवाजा पर, खिल्लल ताजा चेहरा आउ शानदार घना सुनहरा गलमोंछी वला एगो मशहूर अफसर से पीठ तरफ से टकरा गेलइ । ई खुद निकोदिम फ़ोमिच, पुलिस चीफ, हलथिन । लुइज़ा इवानोव्ना जल्दी से लगभग फर्श तक झुकके सलाम कइलकइ आउ जल्दी-जल्दी छोटगर-छोटगर डेग भरते, फुदकते, दफ्तर से उड़न-छू हो गेलइ ।

"फेर से धमाका, फेर से गरज आउ बिजली, आँधी, तूफान !", निकोदिम फ़ोमिच शरीफ आउ दोस्ताना अंदाज में इल्या पित्रोविच के संबोधित कइलथिन, "फेर अपन दिल के परेशान कइलऽ, फेर से गरमाल हकऽ ! हमरा ज़ीना पर से ही सुनाय देलक ।"

"जी, को...य  बा...त  न...यँ  ह...ल...इ !" इल्या पित्रोविच जरी शरीफाना लपरवाही से बोललइ, कुछ कागज लेके, हरेक कदम पर अकड़ से कन्हा के झटकते ऊ दोसरा टेबुल भिर चल गेलइ - जाहाँ कदम, हुएँ कन्हा; "ई सर, जरी किरपा करके देख लेथिन - श्रीमान लेखक, मतलब छात्र, तथाकथित पूर्वछात्र, पइसा भुगतान नयँ करऽ हथिन, वचनपत्र देलथिन हल, फ्लैट खाली नयँ करऽ हथिन, लगातार इनका बारे शिकायत अइते रहऽ हइ, आउ श्रीमान के इनकर सामने हमरा सिगरेट पीये पर एतराज हइ ! ऊ खुद्दे तो कमीना नियन हरकत करऽ हथिन, आउ अइकी सर, उनका तरफ जरी देखथिन - अइकी खुद्दे अभी कइसन सुन्दर लगऽ हथिन !"

"गरीबी कोय दोष नयँ हकइ, दोस्त, अइसे जे कहऽ ! हमरा मालूम हइ, पोरोख़, तूँ अपमान सहन नयँ कर सकलऽ । तूँ शायद कोय बात पर उनका से नराज हो गेलऽ होत आउ खुद बोले बगैर नयँ रहल गेलो होत", रस्कोलनिकोव के साथ शिष्टता से संबोधित करते निकोदिम फ़ोमिच अपन बात जारी रखलथिन, "लेकिन तूँ बेकारे एतना नराज होलऽ - ऊ बहुत ... बहुत ... उदार ... व्यक्ति हका, हम तोरा से कह रहलियो ह, लेकिन पोरोख़ (शाब्दिक अर्थ 'बारूद'), पोरोख़ ! ऊ लहर जा हका, भड़क उठऽ हका, जर जा हका - आउ फेर कुछ नयँ ! सब कुछ खतम ! आउ नतीजतन खाली दिल के सोना ! रेजिमेंट में भी इनका लोग 'लेफ्टेनेंट-पोरोख़' के नाम से पुकारऽ हलइ ..."

"आउ ई कइसन रे-रे-रेजिमेंट हलइ !", इल्या पित्रोविच चिल्ला उठलइ, ई बात से बहुत खुश होके, कि ओकरा एतना अच्छा से रिझावल गेलइ, लेकिन अभियो तक रुष्ट रहलइ ।
रस्कोलनिकोव के अचानक मन कइलकइ कि ओकन्हीं सब्भे के कुछ तो असामान्य रूप से आनन्दप्रद बात कहे ।

"माफ करथिन, कप्तान साहेब", ऊ बिलकुल निस्संकोच अचानक निकोदिम फ़ोमिच के संबोधित करके कहे लगलइ, "हमर परिस्थिति पर भी जरी गौर करथिन ... हम उनका से माफी माँगे लगी तैयार हकिअइ, अगर हमरा से कोय बेअदबी होले ह । हम गरीब आउ बेमार छात्र हकूँ, गरीबी से हतोत्साह (ऊ अइसहीं बोललइ - 'हतोत्साह') । हम पूर्वछात्र हकूँ, काहेकि हम अभी अपन खरचा नयँ चला सकऽ हूँ, लेकिन हमरा पइसा मिल्ले वला हके ... हमरा – (फलना) प्रान्त में माय आउ बहिन हके । हमरा ओकन्हीं पइसा भेजता, आउ हम ... भुगतान कर देम । हमर मकान-मालकिन बड़ी दयालु औरत हइ, लेकिन ऊ एतना हद तक गोसाल हइ, काहेकि हमर टीसनी के काम छूट गेल ह आउ हम पिछले चार महिन्ना से भुगतान नयँ कर पा रहलूँ हँ, आउ ऊ हमरा हीं खनमो नयँ भेजऽ हके ... आउ हमरा बिलकुल समझ में नयँ आवऽ हके, कि ई कइसन वचनपत्र हकइ ! अब ऊ ई करजा के वचनपत्र के अधार पर हमरा हीं से माँग करऽ हइ, हम कइसे ओकरा भुगतान करिअइ, अपनहीं विचार करथिन ! ..."

"लेकिन एकरा से तो हमन्हीं के कोय संबंध नयँ हइ ...", किरानी फेर अपन राय देलकइ ...

"जी, जी, हम अपने से सहमत हकिअइ, लेकिन हमरो बात साफ करे देथिन", रस्कोलनिकोव फेर बोललइ, किरानी के संबोधित करके नयँ, बल्कि लगातार निकोदिम फ़ोमिच के, लेकिन पूरा साहस बटोरके इल्या पित्रोविच के भी संबोधित करे के प्रयास करते, हलाँकि ऊ दृढ़संकल्प होके अइसन देखा रहले हल, कि ऊ कागजात उलटे-पलटे में लगल हइ आउ तिरस्कारपूर्वक ओकर उपेक्षा कर रहले ह । "जी, हमरो अपना तरफ से बात स्पष्ट करे देथिन, कि हम ओकरा हीं तीन साल से रह रहलिये ह, अपन प्रान्त से आवे के समय से, आउ पहिले ... पहिले ... लेकिन हमरा अपना तरफ से ई बात स्वीकार कर लेवे में हरजे की हइ, कि शुरुए में हम वचन देलिअइ, कि हम ओकर बेटी के साथ शादी कर लेबइ, मौखिक वचन, बिलकुल अपन मर्जी से ... ई लड़की ... हलइ, तइयो हमरा ऊ बड़ी पसीनो हलइ ... हलाँकि हमरा ओकरा से प्यार नयँ हलइ ... एक शब्द में, जवानी, मतलब हम ई कहे लगी चाहऽ हिअइ, कि मकान-मालकिन ऊ बखत हमरा बहुत कुछ उधार दे हलइ आउ हमर जिनगी कुछ-कुछ अइसे चल रहले हल ... हम बहुत लपरवाह हलिअइ ...

"तोहरा से अइसन घनिष्ठता के बात बिलकुल नयँ माँगल जा रहले ह, बाबू साहेब, आउ एकरा लगी हमन्हीं के पास समइयो नयँ हइ", बड़ी रुखाई आउ विजय के भाव से इल्या पित्रोविच बिच्चे में टोकलकइ, लेकिन रस्कोलनिकोव गरमाहट के साथ ओकरा रोक देलकइ, हलाँकि ओकरा अचानक बोले में बहुत जादे दिक्कत होलइ ।
"जी, जी, लेकिन हमरा जरी सब कुछ बतावे तो देथिन, ... कि की बात हलइ आउ ... अपना तरफ से ... हलाँकि ई बताना जरूरी नयँ हकइ, हम तोहरा से ई बात से सहमत हिअइ - लेकिन एक साल पहिले ई लड़की  टाइफस से मर गेलइ । आउ हम किरायेदार के रूप में हुआँ पहिलहीं जइसन रहते रहलिअइ, आउ मकान-मालकिन जब अखनी वला फ्लैट में अइलइ, त हमरा कहलकइ ... आउ मित्रवत् कहलकइ ... कि ऊ हमरा पर पूरा भरोसा करऽ हइ आउ सब कुछ ... लेकिन हम ओकरा एक सो पनरह रूबल करजा के वचनपत्र लिखके दे दिअइ, जे ओकर हिसाब से कुल मिलाके ओकरा हम धारऽ हलिअइ । सर, ऊ ठीक-ठीक अइसीं बोललइ, कि जइसीं हम ओकरा ई कागज दे देबइ, ओइसीं ऊ फेर से जेतना चाहबइ ओतना करजा दे देतइ, आउ ऊ अपना तरफ से कभियो, कभियो, - ई ओकर अपन शब्द हलइ, - ई कागज के इस्तेमाल नयँ करतइ, जब तक कि हम खुद्दे भुगतान नयँ कर दे हिअइ ... आउ अब देखऽ, जब हमर टीसनी के काम छूट गेल ह, आउ हमरा पास कुछ नयँ हके, तब ऊ वसूली के अर्जी पेश करऽ हइ ... त अब हम की कहिअइ ?"

"ई सब भावुक विवरण से, बाबू साहेब, हमन्हीं के कोय सरोकार नयँ हइ", रुखाई से इल्या पित्रोविच बात काटके बोललइ, "तोहरा उत्तर देवे के चाही आउ प्रतिज्ञापत्र, आउ तोर प्यार-व्यार आउ सब ई दुख-दरद वला घटना से हमन्हीं के कोय संबंध नयँ ।"

"जाय द, ... तूँ जरूरत से जादे सख्ती कर रहलऽ ह ...", टेबुल के पास बइठते आउ दसखत के काम चालू करते निकोदिम फ़ोमिच बड़बड़इलथिन । ऊ एक प्रकार से शर्मीन्दगी महसूस कर रहलथिन हल ।

"लिखऽ तो", किरानी रस्कोलनिकोव से कहलकइ ।
"की लिखिअइ ?" ऊ एक तरह से विशेष रुखाई से पुछलकइ ।
"हम बतावऽ हियो ।"

रस्कोलनिकोव के लगलइ, कि ओकर स्वीकारोक्ति के बाद किरानी ओकरा साथ जादे लपरवाह आउ तिरस्कारपूर्ण रवैया अपना लेलक ह, लेकिन ई अजीब बात हलइ कि ऊ केकरो कइसनो विचार अचानक बिलकुल उदासीन भाव से देखे लगले हल, आउ ई परिवर्तन कइसूँ पलक झपकते, एक पल में हो गेले हल । अगर ओकरा जरिक्को सन सोचे के मन करते हल, त ओकरा वास्तव में अचरज होते हल, कि एक्के मिनट पहिले ऊ कइसे ओकन्हीं साथ बोल पइलके हल, आउ अपन भावना के ओकन्हीं पर थोपवो कइलके हल ? आउ ई सब भावना पैदा काहाँ से होले हल ? एकर विपरीत, अब अगर अचानक कमरा पुलिस वलन से नयँ, बल्कि ओकर निकटतम मित्र लोग से भरल होते हल, तइयो, लगऽ हइ, कि ओकन्हीं खातिर ओकरा एक्को मानवीय शब्द नयँ मिलते हल, एतना हद तक ओकर दिल अचानक खाली हो चुकले हल । कष्टदायक अनन्त अकेलापन आउ विलगाव के निराशापूर्ण संवेदना अचानक चैतन्य रूप से ओकर आत्मा पर प्रभाव डललकइ । न तो इल्या पित्रोविच के सामने ओकर व्यक्त कइल गेल भावोद्गार के नीचता, आउ न तो लेफ्टेनेंट के ओकरा पर विजय के नीचता अचानक ओकर दिल के अस्तव्यस्त कइलकइ । ओह, अब ओकर खुद के नीचता, ई सब अहंकार के बात, लेफ्टेनेंट, जर्मन औरतियन, पइसा के वसूली, दफ्तर वगैरह वगैरह से ओकरा की लेना-देना हलइ ! अगर ऊ क्षण ओकरा जला देवे के सजा भी सुनावल जइते हल, तइयो ऊ बखत ऊ विचलित नयँ होते हल, सजा के फैसला के भी शायदे ध्यान से सुनते हल । ओकरा साथ कुछ तो ओकरा लगी बिलकुल अनजान, नया, अचानक आउ पहिले कभी अनुभव नयँ कइल, हो रहले हल । अइसन बात नयँ हलइ कि ओकरा समझ में आ रहले हल, लेकिन ऊ स्पष्ट रूप से अनुभव कर रहले हल, कि हाले नियन केवल भावावेश से ही नयँ, बल्कि आउ कउनो प्रकार से भी, ओकरा लगी पुलिस दफ्तर में ई सब लोग के आउ संबोधित करना संभव नयँ हलइ, आउ चाहे ओकर भाय-बहिन सब ही काहे नयँ होवे, आउ पुलिस दफ्तर के लेफ्टेनेंट नयँ, तइयो ऊ कउनो बात खातिर ओकन्हीं साथ अइसे संबोधित बिलकुल नयँ कर सकते हल, चाहे जिनगी के कइसनो परिस्थिति रहे । ऊ ई पल के पहिले कभियो अइसन विचित्र आउ भयंकर संवेदना अनुभव नयँ कइलके हल । आउ सबसे जादे जे कष्टदायक हलइ - ऊ हलइ बोध, चाहे विचार के अपेक्षा कहीं जादे संवेदना; प्रत्यक्ष संवेदना, जिनगी में अभी तक ओकर अनुभव कइल संवेदना में से सबसे अधिक कष्टदायक संवेदना । किरानी ओकरा से अइसन परिस्थिति वला वसूली से संबंधित जवाब खातिर सामान्य रूप के फॉर्म भरवावे लगलइ, अर्थात्, हम अभी भुगतान करे में लचार ही, फलना-फलना समय तक (कउनो दिन) भुगतान करे के वादा करऽ हिअइ, शहर से बाहर नयँ जइबइ, अपन जयदाद न तो केकरो बेचबइ, न केकरो नाम करबइ, वगैरह वगैरह ।

"तोरा से तो लिक्खल नयँ जा रहलो ह, तोर हथवा से तो कल्लम ससर रहलो ह", किरानी बोललइ, उत्सुकता से रस्कोलनिकोव तरफ देखते । "बेमार हकऽ की ?"
"जी ... सिर में चक्कर आब करऽ हके ... आगे बोलऽ !"
"बस हो गेलो; दसखत कर देहो ।"
किरानी कागज ले लेलकइ आउ दोसर काम में लग गेलइ ।

रस्कोलनिकोव कलम वापिस कर देलकइ, लेकिन उठके जायके बजाय अपन दुन्नु केहुनी टेबुल पर टिका देलकइ आउ अपन सिर के दुन्नु हाथ से कसके थम लेलकइ । ओकरा अइसन लगलइ जइसे ओकर सिर पे कील ठोकल जा रहले ह । विचित्र विचार अचानक ओकर दिमाग में अइलइ - अभीये उठके निकोदिम फ़ोमिच के पास जाम आउ कल्हे वला सब घटना के बारे बता देम, सब कुछ एकदम विस्तार से, बाद में ओकन्हीं साथ फ्लैट में जाम आउ कोनमा के भुड़वा में रक्खल सब समान देखा देम । आवेश एतना तीव्र हलइ, कि ऊ जगह पर से ओकरा पूरा करे खातिर उठ खड़ी होलइ । "की, कम से कम एक मिनट सोच नयँ लेवे के चाही ?" ओकर दिमाग में बिजली नियन ई विचार कौंधलइ । "नयँ, सबसे अच्छा बिन सोचले-समझले, आउ कन्हा से भार उतर जात !" लेकिन अचानक ऊ रुक गेलइ, जगह पे मानूँ स्तम्भित होल - निकोदिम फ़ोमिच गरमाल इल्या पित्रोविच के कुछ कह रहलथिन हल, आउ उनकर शब्द ओकर कान तक उड़के अइलइ –

"ई नयँ हो सकऽ हइ, दुन्नु के छोड़ देवल जइतइ ! पहिला - सब कुछ विरुद्ध हकइ; जरी सोचहो - ओकन्हीं दरबान के काहे लगी बोलाके लइते हल, अगर ई ओकन्हीं के काम होते हल ? खुद के बारे में रिपोर्ट करे खातिर की ? की आँख में धूल झोंके लगी ? नयँ, ई तो बहुत जादे चलाकी के बात होतइ ! आउ, आखिर में, छात्र पेस्त्र्याकोव के ठीक फाटक पे दुन्नु दरबान आउ फेरीवला के घरवली ठीक ओहे समय देखलके हल, जब ऊ अन्दर घुसले हल - ऊ तीन दोस्त के साथ आ रहले हल आउ ओकन्हीं से ठीक फाटके पर अलगे होले हल, आउ निवास के बारे दरबान के तब पुछलके हल, जब ओकर दोस्त सब साथे हलइ । अब तूहीं बतावऽ, कि अइसनका अदमी निवास के बारे पुछतइ, अगर अइसन इरादा से जा रहले हल ? आउ कोख़, ऊ तो बुढ़िया हीं जाय के पहिले, निच्चे चानी के व्यवसाय करे वला सोनरवा हियाँ आधा घंटा तक बइठल हलइ आउ ठीक पौने आठ बजे ओकरा हीं से बुढ़िया के हियाँ जाय लगी उपरे तरफ रवाना होलइ । त अब सोचहो ..."

"लेकिन, माफ करथिन, ओकन्हीं के वक्तव्य से ई कइसन विरोध पैदा होलइ - ओकन्हीं खुद्दे विश्वास देलावऽ हइ, कि ओकन्हीं दरवजवा खटखटइलके हल आउ ई बात कि दरवजवा में अन्दर से बन हलइ, आउ तीन मिनट के बाद, जब दरबान के साथ अइलइ, त मालूम पड़ऽ हइ कि दरवाजा खुल्लल हकइ ?"

"एहे तो असली बात हइ - हत्यारा पक्का हुआँ बइठल हलइ आउ सिटकिनी लगइले हलइ; आउ ऊ पक्का पकड़ा जइते हल, अगर कोख़ बेवकूफ़ी नयँ करते हल, खुद्दे दरबान के बोलावे खातिर नयँ जइते हल । आउ ऊ (हत्यारा) ठीक एहे अन्तराल में ज़ीना पर से होके उतर जाय में सफल हो गेलइ, आउ ओकन्हीं के कइसूँ चकमा देके ओकन्हीं के बीच से घिसक गेलइ । कोख़ दुन्नु हाथ से क्रॉस करऽ हइ आउ कहऽ हइ - 'अगर हम हुआँ रह जयतूँ हल, त ऊ झपटके हमरा कुल्हाड़ी से जान मार देत हल ।' आउ ऊ रूसी सार्वजनिक पूजा करावे ल चाहऽ हइ, हे-हे-हे ! ..."

"आउ हत्यारा के कोय नयँ देख पइलकइ ?"
"लेकिन कइसे कोय देख पइते हल ? ई घर की हइ - नोआ के नौका (Noah's Ark) हइ ।" किरानी अपन राय देलकइ, जे अपन जगह से सब कुछ सुन रहले हल ।
"मामला स्पष्ट हइ, मामला स्पष्ट हइ !" निकोदिम फ़ोमिच बड़ी जोश में अपन बात दोहरइलथिन ।
"नयँ, मामला बहुत अस्पष्ट हइ ।" इल्या पित्रोविच दृढ़तापूर्वक बोललइ ।

रस्कोलनिकोव अपन हैट उठइलकइ आउ दरवाजा तरफ बढ़लइ, लेकिन दरवाजा तक नयँ पहुँच पइलइ ...

जब ऊ होश में अइलइ, त देखलकइ, कि ऊ कुरसी पर बइठल हइ, कि दहिना तरफ से कोय अदमी ओकरा सहारा देले हइ, कि बामा तरफ दोसर अदमी खड़ी हइ, पीयर पानी से भरल एगो पीयर गिलास लेले हइ, आउ निकोदिम फ़ोमिच ओकरा सामने खड़ी हथिन आउ एकटक ओकरा तरफ देख रहलथिन हँ; ऊ कुरसी पर से उठ गेलइ ।

"बात की हको, बेमार हकऽ ?" निकोदिम फ़ोमिच तीक्ष्ण स्वर में पुछलथिन ।
"ऊ दसखत करे घड़ी कलम्मा मोसकिल से पकड़ पा रहलथिन हल", किरानी बोललइ, अपन स्थान पर बइठते आउ फेर से कागज के काम में लगते ।
"आ बहुत दिन से बेमार हकऽ ?" इल्या पित्रोविच अपन जगह से पुछलकइ आउ अपन कागज उलटते-पुलटते । वस्तुतः ओहो रोगी के देख रहले हल, जब ऊ बेहोश हलइ, लेकिन तुरते ऊ चल गेलइ, जब ऊ होश में आ गेलइ ।
"कल्हे से ...", जवाब में रस्कोलनिकोव बड़बड़इलइ ।
"आउ कल अहाता से बाहर निकसलऽ हल ?"
"निकसलूँ हल ।"
"बेमार रहलो पर ?"
"बेमारे हालत में ।"
"केतना बजे ?"
"साँझ के सात बजे के बाद ।"
"की हम पूछ सकऽ हियो, कि काहाँ ?"
"सड़क पर ।"
"संक्षिप्त आउ स्पष्ट ।"

चेहरा के रंग बिलकुल सफेद पड़ल, आउ इल्या पित्रोविच के नजर के सामने अपन कार-कार सूजल आँख के पलक बिन गिरइले, रस्कोलनिकोव तीक्ष्ण स्वर में आउ रुक-रुक के जवाब देलकइ ।
"ऊ मोसिकल से अपन गोड़ पर खड़ी हो पा रहला ह, आउ तूँ ...", निकोदिम फ़ोमिच बोलना शुरू कइलथिन ।
"कोय-बात-नयँ-हइ !" एक प्रकार के विशेष ढंग से इल्या पित्रोविच जवाब देलकइ ।

निकोदिम फ़ोमिच कुछ आउ कहे वला हलथिन, लेकिन, किरानी तरफ देखके, जेहो बड़ी एकटक नजर से ओकरा देख रहले हल, चुप हो गेलथिन । सब कोय अचानक चुप्पी साध लेलकइ । बड़ी विचित्र बात हलइ ।
"अच्छऽ जी, ठीक हको जी", इल्या पित्रोविच अपन बात समाप्त करते बोललइ, "हम तोहरा नयँ रोकबो ।"

रस्कोलनिकोव बाहर निकस गेलइ । ओकरा बाहर गेला पर एगो गरमागरम बातचीत चालू होलइ, जे ओकरा अभियो सुनाय दे रहले हल, जेकरा में निकोदिम फ़ोमिच के प्रश्नात्मक स्वर सबसे अधिक सुनाय देब करऽ हलइ ... सड़क पर ऊ पूरा होश में आ गेलइ ।

"तलाशी, तलाशी, अभी तलाशी !" घर तरफ जइते ऊ मने-मन दोहरइलकइ । "डाकू सब ! शक कर रहले ह !" हाल वला भय ओकरा फेर से पूरा तरह से दबोच लेलकइ, सिर से पैर तक ।


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