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Saturday, May 07, 2016

रूसी उपन्यास "कालापानी" ; भाग-2; अध्याय-5: ग्रीष्मकाल



कालापानी
(साइबेरिया में जेल के जिनगी)

भाग-2; अध्याय-5: ग्रीष्मकाल

लेकिन अइकी अप्रैल के प्रारंभ हो चुकले ह, त पवित्र सप्ताह [1] भी नगीच आ रहले ह । धीरे-धीरे ग्रीष्मकालीन काम भी शुरू हो जा हइ । सूरज दिन-ब-दिन अधिकाधिक गरम आउ देदीप्यमान होल जा हइ; हावा वसंत के गन्ह छोड़ऽ हइ आउ ई शारीरिक संरचना में उत्तेजक प्रभाव डालऽ हइ । आ रहल सुंदर दिन बेड़ी में जकड़ल कैदी के भी उत्तेजित कर दे हइ, ओकरो में इच्छा, उत्कंठा, विषाद उत्पन्न करऽ हइ । लगऽ हइ, उदास शीतकालीन चाहे शरत्कालीन दिन के अपेक्षा सूरज के चमकीला किरण में ओकरा स्वतंत्रता के आउ अधिक प्रबल आकांक्षा होवऽ हइ, आउ अइसन सब्भे कैदी में देखल जा हइ । ओकन्हीं मानूँ उज्ज्वल दिन के चलते खुश होवऽ हइ, लेकिन एकर साथे-साथ ओकन्हीं में एक प्रकार के अधीरता, तीव्रता प्रबल हो जा हइ । सचमुच, हम नोटिस कइलिअइ, कि वसंत में जेल में लड़ाय-झगड़ा मानूँ जादे अकसर हो जा हलइ । जादे अकसर शोर, चीख, हंगामा सुनाय दे हलइ, मुसीबत शुरू हो जा हलइ; आउ एकर साथे-साथ, कभी, अचानक देखबहो कहीं काम करते कुछ सोचते आउ नीला होते दूर तरफ एकटक देखते, केधरो ओन्ने, ईर्तिश के दोसरा किनारा दने, जाहाँ परी शुरू होवऽ हइ असीमित विस्तार, डेढ़ हजार विर्स्ता के, खुला किर्गिज़ स्तेप (घास के मैदान); केकरो पूरा छाती से गहरा उच्छ्वास लेते नोटिस करबहो, मानूँ अदमी ई दूर के स्वतंत्र हावा के साँस लेवे आउ दमन कइल, बेड़ी में जकड़ल, आत्मा के राहत देवे खातिर तरस रहल होवे । "ओह !" आखिरकार कैदी बोल उठऽ हइ, आउ अचानक, मानूँ खुद से सपना आउ सोच-विचार त्यागके, अधीरतापूर्वक आउ खिन्नचित्त होल कुदाल चाहे अइँटा उठा ले हइ, जेकरा एक जगह से दोसरा जगह ले जाय के हइ । एक मिनट के बाद ऊ अपन आकस्मिक संवेदना भूल जा हइ आउ हँस्से चाहे गारी-गल्लम करे लगऽ हइ, अपन चरित्र के अनुसार; नयँ तो, अचानक असाधारण, आवश्यकता से समानुपातिक (proportional) बिलकुल नयँ, उत्साह से काम पकड़ ले हइ, अगर ओकरा लगी ऊ काम निर्धारित कइल हइ, आउ करे लगी शुरू कर दे हइ - अपन पूरा ताकत लगाके, मानूँ खुद में काम के कुछ अइसन भार से दबा देवे लगी चाहऽ हइ, जे ठीक ओकरा अंदर से संकुचित कइले आउ दाबले हइ । ई सब लोग शक्तिशाली, अधिकतर अपन जीवन के पुष्प आउ शक्ति के अवस्था में होवऽ हइ ... अइसन अवस्था में बेड़ी भारी होवऽ हइ ! हम ई पल में कवित्व नयँ प्रदर्शित करब करऽ हिअइ आउ अपन प्रेक्षण के सच्चाई में आश्वस्त हिअइ । एकरा अलावे, गरमी में, देदीप्यमान सूरज के बीच, जब पूरे आत्मा से, अपन पूरे अस्तित्व से, अपन चारो तरफ, प्रकृति के असीम शक्ति से पुनर्जीवित होते सुन्नऽ आउ अनुभव करऽ हो, त बन (बंद) जेल, मार्गरक्षी (convoy) आउ दोसर के इच्छा आउ जादे कष्टदायक लगऽ हइ; एकरा अलावे, ई वसंतकाल में साइबेरिया आउ पूरे रूस में, पहिला भरत (skylark) के साथ, पदयात्रा आउ अवारागर्दी (tramping) चालू होवऽ हइ - ईश्वरीय लोग जेल से पलायन कर जा हइ आउ जंगल में शरण ले हइ । दमघोंटू कालकोठरी के बाद, कोर्ट-कचहरी, बेड़ी आउ डंडा (के फटका) के बाद, ओकन्हीं अपन इच्छा के मोताबिक स्वच्छंद घुम्मऽ हइ, जाहाँ कहीं मन करऽ हइ, जाहाँ देखे में अधिक आकर्षक आउ बेफिक्र लगऽ हइ; पीयऽ हइ आउ खा हइ, जाहाँ जे कुछ मिल जा हइ, जे भगमान भेज दे हइ, आउ रात के शांतिपूर्वक सो जा हइ कहीं जंगल चाहे खेत में, बिन कोय बड़गो चिंता-फिकिर के, बिन कोय जेल के उदासी के, जंगल के पंछी नियन, भगमान के आँख के अधीन, रात में खाली आकाश के तरिंगन सब के अलविदा कहके । केऽ बोलऽ हइ ! "जेनरल (सेनापति) कुकुश्किन के अधीन सेवा करना" कभी-कभी कष्टकारी, भुखमरी आउ श्रांतिदायक जीवन हो सकऽ हइ । कभी दिनो भर एगो रोटी देखे लगी भी ममोसर नयँ हो सकऽ हइ; सब लोग से नुकके, खुद के दफनाके रहे पड़ऽ हइ; चोरी करे पड़ऽ हइ, छिन्ना-छोरी करे पड़ऽ हइ, आउ कभी-कभी गला भी काटे पड़ सकऽ हइ । "निर्वासित एगो बुतरू नियन होवऽ हइ - जेकरा पर ओकर नजर पड़ऽ हइ, ओकरे ऊ हथिया ले हइ", जइसन कि साइबेरिया में निर्वासित लोग के बारे कहल जा हइ । ई कहावत पूर्ण रूप से आउ कुछ अतिरिक्त जोड़के भी अवारा लोग के बारे में लागू कइल जा सकऽ हइ । अइसन विरले होवऽ हइ कि अवारा डाकू नयँ रहऽ हइ आउ लगभग हमेशे चोर होवऽ हइ, जाहिर हइ, रुचि अनुसार के अपेक्षा आवश्यकता अनुसार अधिक । पक्का अवारा भी होवऽ हइ । कुछ लोग पलायन कर जा हइ, ओइसनकन भी जे कारावास के अपन अवधि पूरा कर चुकले ह, आउ आवासन (settlements) में हइ । अइसन लग सकऽ हलइ, कि ऊ आवासन पर संतुष्ट आउ खुशहाल होतइ, लेकिन नयँ ! हमेशे कुछ तो कधरो ओकरा आकर्षित करऽ हइ, कधरो ओकरा बोलावऽ हइ । जंगल के जिनगी, दयनीय आउ भयानक, लेकिन स्वच्छंद आउ साहसपूर्ण जिनगी में कुछ तो मोहक रहऽ हइ, एक प्रकार के रहस्यपूर्ण मनोहरता ओकन्हीं लगी होवऽ हइ, जे एकरा एक तुरी अनुभव कर चुकले ह, आउ देखहो - अदमी भाग गेलइ, एगो विनयशील, नियमनिष्ठ, जे वचन देलके हल कि ऊ एगो निम्मन स्थायी व्यक्ति आउ समझदार गृहस्थ बनके रहतइ । कोय शादियो कर ले हइ, बच्चो पैदा कर ले हइ, करीब पाँच साल एक्के जगह साथे गुजारऽ हइ आउ अचानक एक सुंदर सुबह में कहीं गायब हो जा हइ, घरवली, बाल-बुतरू आउ जाहाँ ओकरा बसावल गेले हल ऊ पूरे बस्ती (settlement) के किंकर्तव्यविमूढ़ छोड़के । हमन्हीं के जेल में हमरा अइसनकन भगोड़ा में से एगो के निर्दिष्ट कइल गेलइ । ऊ कइसनो विशेष अपराध नयँ कइलके हल, कम से कम हमरा तो ओकरा बारे अइसन तरह के कुछ सुन्ने में नयँ अइलइ, लेकिन ऊ हमेशे भागते रहलइ, अपन जिनगी भर भागते रहलइ । ऊ रूस के दखिनी सीमा पर डैन्यूब नदी के पार तक हो अइले हल, आउ किर्गीज़ स्तेप, पूरबी साइबेरिया, काकेशिया में भी - सगरो हो अइले हल । केऽ जानऽ हइ, हो सकऽ हइ, आउ दोसर परिस्थिति में अपन भ्रमण के धुन में ऊ एक प्रकार के रॉबिन्सन क्रूसो [2] हो जा सकऽ हलइ । लेकिन, ई सब कुछ ओकरा बारे हमरा दोसर लोग बतइते गेलइ; ऊ खुद जेल में कम बातचीत करऽ हलइ, आउ ऊ खाली कुच्छो अत्यावश्यक बाते बोलऽ हलइ । ऊ एगो छोटगर किसान हलइ, उमर करीब पचास हो चुकले हल, चेहरा अत्यंत विनीत, अत्यंत शांत आउ भावशून्य भी, मूर्खता के हद तक शांत । गरमी में ऊ धूप में बइठे लगी पसीन करऽ हलइ आउ अपने आप में कइसनो गीत गुनगुनइते रहइ, लेकिन एतना धीमे अवाज में, कि पाँचे डेग आगू पर ओकर गुनगुनाहट सुनाय नयँ पड़इ । ओकर चेहरा के मुद्रा एक प्रकार से काठ नियन हलइ; ऊ कमती खा हलइ, अधिकतर पावरोटी; ऊ कभियो कलाचा नयँ खरदलके हल, न एक्को श्कालिक (60 मि॰ली॰ क्षमता के शराब के गिलास) शराब; ओकरा पास मोसकिल से कभी पइसा रहऽ हलइ, एहो बात में शक्का हलइ कि ओकरा गिनहूँ आवऽ हलइ । ऊ सब कुछ के साथ बिलकुल शांतिपूर्वक व्यवहार करऽ हलइ । जेल के कुतवन सब के कभी-कभी अपन हाथ से खिलावऽ हलइ, आउ हमन्हीं हीं आउ कोय नयँ जेल के कुत्ता के खिलावऽ हलइ । रूसी व्यक्ति साधारणतः कुत्ता के खिलाना नयँ पसीन करऽ हइ । लोग के कहना हइ, कि ऊ शादी-शुदा हलइ, आउ ओहो दू तुरी; कहल जा हलइ, कि ओकर कहीं तो बाल-बुतरू हइ ... कउन कारण से ऊ जेल में चल अइलइ, हमरा बिलकुल नयँ मालूम । हमन्हीं हीं के सब कैदी के प्रत्याशा हलइ, कि ऊ हमन्हिंयों हीं से उड़क देतइ; लेकिन या तो ओकर समय अभी नयँ अइले हल, चाहे ओकर उमर हो गेले हल, लेकिन ऊ अपन जिनगी जीते रहलइ, कइसूँ अपन चारो तरफ के ई विचित्र वातावरण पर विचारमग्न होल । लेकिन, कइसूँ विश्वास नयँ कइल जा सकऽ हलइ; हलाँकि, लग सकऽ हलइ, कि ऊ काहे लगी भागते हल, ओकरा की फयदा होते हल ? आउ तइयो, कुल मिलाके, जंगली, अवारा जिनगी - जेल के अपेक्षा स्वर्ग हइ । ई एतना स्पष्ट हइ; कोय तुलना भी नयँ हो सकऽ हइ । हलाँकि कष्टकारी भाग्य हइ, लेकिन तइयो अपन स्वच्छंदता हइ । ओहे से हरेक कैदी रूस में, बल्कि ऊ कउनो जेल में रहइ, वसंत के पहिलौका स्वागत भरल सूर्य किरण में ऊ कइसूँ बेचैन हो उठऽ हइ । हलाँकि हरेक कोय में भागे के प्रवृत्ति नयँ होवऽ हइ - निश्चयपूर्वक कहल जा सकऽ हइ, कि कठिनाई आउ जवाबदेही पर विचार कइला पर, सो गो में से कोय एगो एकर साहस करऽ हइ; लेकिन बाकी निनानबे हलाँकि ई बात के सपना देखऽ हइ, कि भाग जाना कइसे संभव हो सकतइ आउ काहाँ भागल जा सकऽ हइ; हलाँकि अपन आत्मा के संतुष्ट कर सकऽ हइ एगो कामना से, संभावना के एगो कल्पना से । कोय-कोय हलाँकि आद करऽ हइ, कि कइसे ऊ कभी भागऽ हलइ ... हम अभी दंड सुनावल कैदी लोग के बारे बोलब करऽ हिअइ । लेकिन, जाहिर हइ, बहुत अकसर आउ सबसे जादे ओकन्हीं पलायन करे के बारे निश्चय करऽ हइ जेकरा पर मोकदमा चालू हइ । जे दंड के अपन विशेष अवधि भुगत रहले ह ओइसनकन कैदी पलायन करे के बारे अगर निश्चय करवो करऽ हइ, त अपन जेल के जिनगी के शुरुआती दौर में हीं । जेल के जिनगी दू-तीन बरिस गुजार देला के बाद, कैदी ई गुजारल बरिस के महत्त्व देवे लगऽ हइ आउ धीरे-धीरे खुद के बारे ई विचार के स्वीकार कर ले हइ कि अपन सश्रम कारावास के अवधि कानूनन समाप्त करके आवासन पर जाना कहीं बेहतर हइ, बनिस्बत अइसन जोखिम उठावे के साहस करे के आउ विफलता के परिस्थिति में अइसन बरबादी के मौका देवे के । आउ विफलता एतना संभव हइ । शायद दस में से कोय एक अपन भाग्य बदले में  सफल होवऽ हइ । दंड सुना देल गेल कैदी लोग में से भी दोसर लोग के अपेक्षा जादे अकसर पलायन करऽ हइ ओकन्हीं, जेकरा बहुत लम्मा अवधि के दंड सुनावल गेले ह । पनरह-बीस साल ओकन्हीं के आजीवन प्रतीत होवऽ हइ, आउ अइसन अवधि के दंड सुनावल लोग हमेशे अपन भाग्य बदले के बारे सपना देखे लगी तैयार रहऽ हइ, चाहे ऊ दसो साल जेल में काहे नयँ बिता देलके होत । आखिरकार, अपराध खातिर दागल गेल निशान आंशिक रूप से पलायन के जोखिम उठावे में बाधा उत्पन्न करऽ हइ । अपन भाग्य बदलना - एगो तकनीकी शब्द हइ । ओहे से पूछताछ के दौरान, अगर पलायन करे के दोषी सिद्ध हो जा हइ, त कैदी जवाब दे हइ, कि ऊ अपन भाग्य बदले लगी चाहऽ हलइ । ई जरी पुस्तकीय अभिव्यक्ति ई केस में शब्दशः लागू होवऽ हइ । हरेक भगोड़ा के ई बात ध्यान में रहऽ हइ कि ऊ बिलकुल स्वच्छंद नयँ हो पइतइ - ऊ जानऽ हइ, कि ई लगभग असंभव हइ - लेकिन या तो कोय दोसर संस्था (जेल) में पड़ जाना, नयँ तो आवासन में भेज देल जाना, चाहे फेर से मोकदमा चलना, कोय दोसर अपराध के कारण - जे अवारागर्दी के दौरान कइल गेले हल - एक शब्द में, बल्कि जाहाँ कहीं होवइ, लेकिन खाली पुरनका, ओकरा ऊबा देवे वला स्थान पे नयँ, पहिलौका जेल में नयँ होवे के चाही । ई सब्भे भगोड़ा, अगर गरमी के दौरान अपना लगी कइसनो आकस्मिक, असाधारण स्थान नयँ खोज पावऽ हइ, जाहाँ जाड़ा गुजारल जा सकइ - अगर, मसलन, भगोड़ा के कोय शरण देवे वला संयोग से नयँ मिल पावऽ हइ, जेकरा अइसन काम से फयदा होवइ; अगर, आखिरकार, अपना लगी, कभी-कभी हत्या के माध्यम से, कइसनो पासपोर्ट नयँ मिल पावऽ हइ, जेकरा से सगरो जिनगी गुजारल जा सकऽ हइ - आउ ओकन्हीं सब शरत्काल (autumn) के पहिले तक अगर नयँ पकड़ा जा हइ, त अधिकतर शहर के भीड़-भाड़ इलाका में चल जा हइ आउ जेल में, अवारा के रूप में, आउ जेल में जाड़ा गुजारे खातिर, वस्तुतः गरमी में फेर से पलायन करे के बिन आशा के साथ नयँ ।

वसंत हमरो पर अपन असर डललकइ । हमरा आद पड़ऽ हइ, कि कइसे हम लालच भरल दृष्टि से कभी-कभी स्तंभ (paling) सब के बीच के दरार से देखऽ हलिअइ आउ देर तलक खड़ी रहऽ हलिअइ, जेल के छरदेवारी से सिर के टिकाके, एकटक आउ अतृप्य दृष्टि से देखते, कि कइसे हमन्हीं के किला के परकोटा पर घास हरियाऽ रहले ह, कइसे दूर के आकाश लगातार अधिकाधिक गाढ़ा नीला होब करऽ हइ । दिन-ब-दिन हमर बेचैनी आउ उदासी बढ़ते जाब करऽ हलइ, आउ जेल हमरा लगी अधिकाधिक घृणास्पद हो रहले हल । घृणा, जे हम अभिजात वर्ग के रूप में, कैदी लोग से जेल के पहिलौका कुछ साल तक लगातार अनुभव कइलिअइ, हमरा लगी असह्य हलइ, हमरा पूरे जिनगी जहर देते रहलइ । ई पहिलौका कुछ साल हमरा अकसर अस्पताल जाय पड़लइ, बिन कोय बेमारी के, अस्पताल में अकेल्ले पड़े लगी, ताकि हमरा जेल में नयँ रहे पड़े, ताकि हम ई स्थायी, कइसूँ शांत नयँ होवे वला सामान्य घृणा से दूर रहूँ । "तोहन्हीं - लोहा के नाक, तोहन्हीं सब हमन्हीं के चोंच मारऽ हलहो !" हमन्हीं के कैदी लोग बोलते जा हलइ, आउ जेल में आवे वला सामान्य लोग से हमरा केतना ईर्ष्या होवइ ! ओकन्हीं सबके साथ साथीदार बन जा हलइ । आउ ओहे से वसंत, स्वतंत्रता के भूत, प्रकृति में सामान्य आनंद, भी हमरा कइसूँ उदास आउ चिड़चिड़ा लगइ । चालीसा उपवास (Lent) के अंत में, शायद छठा सप्ताह में, हमरा उपवास करे पड़लइ । पूरा जेल, पहिलहीं सप्ताह से, सीनियर सर्जेंट,  चालीसा उपवास के सप्ताह संख्या के आधार पर, (बारी-बारी से) उपवास करे खातिर, कैदी लोग के सात समूह में बाँट देलके हल । हरेक समूह में, ई तरह से, लगभग तीस-तीस लोग हलइ । उपवास के सप्ताह हमरा बहुत पसीन पड़लइ । उपवास करे वलन के काम से छुट्टी दे देवल गेलइ । हमन्हीं गिरजाघर गेलिअइ, जे जेल से थोड़हीं दूर पर हलइ, दिन में दू-तीन तुरी । हम लम्मा समय से गिरजाघर नयँ गेलूँ हल । महा उपवास (Great Lent) के सेवा, जेकरा बारे अपन माता-पिता के घर में हमरा बचपने से जनकारी हलइ, उत्सवपूर्ण प्रार्थना, जमीन पर के नमन - ई सब हमर दिल में दूर-दूर के अतीत घटना के ताजा कर दे हलइ, बचपन के बितावल दिन के छाप (impressions) आद पड़ जा हलइ, आउ हमरा आद आवऽ हइ, हमरा बहुत खुशी होवऽ हलइ, जब कभी सुबह में, रात के बरफबारी से थोड़े सनी जम्मल बरफ वला जमीन से होके, हमन्हीं के लोड कइल राइफलधारी मार्गरक्षी (convoy) के अधीन भगमान के घर ले जाल जा हलइ । मार्गरक्षी, लेकिन, गिरजाघर के अंदर नयँ जा हलइ । गिरजाघर में हमन्हीं बिलकुल पास-पास जामा होल दल के रूप में ठीक दरवाजा बिजुन खड़ी रहऽ हलिअइ, बिलकुल आखिरी जगह में, ओहे से हमन्हीं खाली वस्तुतः जोर-जोर से चिल्लइते उपयाजक (deacon) के सुन सकऽ हलिअइ आउ कभी-कभार भीड़ में से पुरोहित के कार परिधान (vestment) आउ चांदिल माथा देखाय दे दे हलइ । हमरा आद पड़ऽ हइ, कि कइसे बचपने में, गिरजाघर में खड़ी-खड़ी, हम सामान्य लोग के तरफ कभी-कभी देखऽ हलिअइ, जे प्रवेशद्वार बिजुन भीड़ लगइले रहऽ हलइ आउ चापलूसी से (obsequiously) मोटगर स्कंधिका (epaulettes) के सामने, मोटगर मालिक (ठाकुर) अथवा सज्जल-धज्जल, लेकिन अत्यधिक धार्मिक मालकिन (ठकुराइन) के सामने हटके रस्ता दे दे हलइ, जेकन्हीं अनिवार्यतः पहिलौका स्थान हथियाऽ ले हलइ आउ पहिलौका स्थान लगी मिनट-मिनट लड़े लगी तैयार रहऽ हलइ । हुआँ, प्रवेशद्वार में, तखने हमरा लगऽ हलइ, कि ओकन्हीं ओइसे नयँ प्रार्थना करते जा हलइ, जइसे कि हमन्हीं हीं कइल जा हइ, ओकन्हीं शांतिपूर्वक प्रार्थना करऽ हलइ, उत्साहपूर्वक, जमीन तक झुकके, आउ कइसूँ अपन निम्न स्तर के पूर्ण बोध के साथ ।

अब हमरो अइसनके स्थान पर खड़ी होवे पड़लइ, बल्कि अइसनको स्थान पर नयँ; हमन्हीं बेड़ी से जकड़ल आउ बदनाम हलिअइ; हमन्हीं से लोग बचके रहऽ हलइ, हमन्हीं से सब कोय मानूँ डरऽ हलइ, हमन्हीं के हर तुरी दान देल जा हलइ, आउ आद पड़ऽ हइ, आउ ई हमरा लगी खुशी के बात भी हलइ, आउ ई विचित्र खुशी में एक प्रकार के परिष्कृत, विशेष संवेदना हलइ । "अगर अइसन हइ, त अइसने सही !" हम सोचलिअइ । कैदी लोग बहुत उत्साह के साथ प्रार्थना करऽ हलइ, आउ ओकन्हीं में से हरेक कोय हरेक तुरी गिरजाघर में अपन मोसकिल से बचावल एक कोपेक लावऽ हलइ - मोमबत्ती खातिर, नयँ तो गिरजाघर लगी निधि संग्रहण खातिर । "हमहूँ एगो व्यक्ति हकूँ", शायद, देते बखत ऊ सोचऽ होतइ चाहे अनुभव करऽ होतइ - भगमान के सामने तो सब कोय बराबर हइ ..." हमन्हीं के दुपहर के जल्दी के भोजन के बखत प्रभु-भोज (communion) देल गेलइ । जब पुरोहित कटोरा के साथ ई शब्द पढ़लथिन - " ... लेकिन चोर नियन हमरा स्वीकार करऽ", त लगभग सब्भे कैदी लोग जमीन पर गिर गेलइ, बेड़ी के झनझनइते, मानूँ ई शब्द के शब्दशः खुद के संबोधित कइले मान लेते गेले हल ।
लेकिन अइकी ईस्टर भी आ गेलइ । प्राधिकारी से हमन्हीं में से हरेक के एगो अंडा आउ एक टुकड़ा उज्जर पावरोटी मिललइ । शहर से जेल में फेर से दान के बाढ़ आ गेलइ । फेर से क्रॉस के साथ पुरोहित (पादरी) के आगमन, फेर से प्राधिकारी के आगमन, फेर से चरबीदार बंदागोभी के शोरबा, फेर से दारू के रंगरेली आउ अवारागर्दी - सब कुछ हू-ब-हू क्रिस्मस के बखत नियन, लेकिन ई अंतर के साथ, कि अभी जेल के प्रांगण में घुम्मल-फिरल जा सकऽ हलइ आउ रौदा में बइठके देह गरमाल जा सकऽ हलइ । जाड़ा के अपेक्षा अब कइसूँ जादे रोशनी, जादे विशाल हलइ, लेकिन कइसूँ जादे उदासीन हलइ । लम्मा, असीम गरमी के दिन छुट्टी के दौरान कइसूँ विशेष असह्य हो जा हलइ । काम के दिन में कम से कम काम के चलते दिन छोटगर लगऽ हलइ ।  

जाड़ा के अपेक्षा गरमी में काम वास्तव में बहुत जादे कठिन लगऽ हलइ । काम अधिकतर अभियांत्रिकी संरचना (engineering constructions) से संबंधित रहऽ हलइ । कैदी लोग निर्माण कार्य करऽ हलइ, जमीन के खुदाई करऽ हलइ; ओकन्हीं बीच कुछ दोसर लोग सरकारी बिल्डिंग के मरम्मत खातिर फिटर, बड़ही, चाहे रंगसाज (पेंटर) के काम करऽ हलइ । तेसर लोग  अइँटा फैक्ट्री (brickyard) में जाके अइँटा बनावे लगी गेते गेलइ । ई आखिरी काम के सबसे कठिन मानल जा हलइ । अइँटा फैक्ट्री किला से तीन-चार विर्स्ता के दूरी पर हलइ । रोज दिन गरमी के दौरान सुबह में, छो बजे, कोय पचास कैदी के पूरा टोली रवाना होवऽ हलइ, अइँटा बनावे खातिर। ई काम लगी चुन्नल जा हलइ अकुशल मजूर (unskilled labourers), मतलब न तो शिल्पकार आउ न तो कइसनो कारीगर । ओकन्हीं अपन साथ रोटी रख ले हलइ, काहेकि काम के जगह दूर होवे से दुपहर के खाना खातिर घर आना फायदेमंद नयँ हलइ, आउ ई तरह, लगभग आठ विर्स्ता फालतू के यात्रा करना, आउ जब साँझ हो चुकऽ हलइ तब खाना खइते जा हलइ, जेल में वापिस आके । ओकन्हीं के दिनभर के काम देल जा हलइ, आउ अइसन कि वस्तुतः कैदी के ऊ काम खतम करे में पूरा दिन लग जा हलइ । पहिला, खनके मट्टी ढोके लावे पड़ऽ हलइ, खुद्दे पानी ढोके लावे, खुद गड्ढा में अपन गोड़ से मट्टी के साने आउ आखिरकार ओकरा साँचा में डालके कुछ तो बहुत अधिक अइँटा, कोय दू सो, बल्कि अढ़ाइयो सो तक, पारे पड़ऽ हलइ । हम कुल्लम खाली दू तुरी अइँटा के फैक्ट्री गेलिअइ । फैक्ट्री से लोग साँझके थक्कल-माँदल वापिस आवऽ हलइ, लगातार पूरे गरमी के दौरान दोसरा लोग के ई बात के बुरा-भला सुनावऽ हलइ, कि ओकन्हीं के सबसे कठिन काम करे पड़ऽ हइ । ई शायद ओकन्हीं लगी एगो सांत्वना के काम करऽ हलइ । एकर बावजूद, कुछ लोग हुआँ एक प्रकार से उत्सुकतापूर्वक जइते जा हलइ - सबसे पहिले तो ई कारण से, कि काम शहर के बाहर हलइ; जगह खुल्लल, स्वच्छंद, ईर्तिश नदी के किनारे हलइ । कइसूँ खुशी से चारो दने नजर डालल जा सकऽ हलइ - हियाँ परी किला (जेल) के लाल फीताशाही नयँ हलइ ! स्वच्छंतापूर्वक धूम्रपान कइल जा सकऽ हलइ आउ बड़गो खुशी से आध घंटा पड़ल (लेटल) भी जा सकऽ हलइ । जाहाँ तक हम्मर संबंध हइ, हम पहिलहीं नियन या तो कारखाना जा हलिअइ, नयँ तो सिलखड़ी के काम खातिर, नयँ तो आखिरकार कहीं बिल्डिंग बन्ने के जगह पे अइँटा ढोवे के काम हमरा देल जा हलइ । ई अंतिम परिस्थिति में हमरा एक तुरी ईर्तिश के किछार से अइँटा ढोके कोय सत्तर साझेन (लगभग डेढ़ सो मीटर) दूर, किला के परकोटा के पार, बन रहल बैरक तक लावे पड़लइ, आउ ई काम करीब दू महिन्ना तक लगातार जारी रहलइ । हमरा ई पसीनो पड़लइ, हलाँकि रस्सी, जेकरा पर हमरा अइँटा ढोवे पड़ऽ हलइ, हमेशे हमर कन्हा रगड़ दे हलइ । लेकिन हमरा ई बात पसीन हलइ, कि काम से हमरा में स्पष्टतः शक्ति विकसित हो रहले हल । शुरू-शुरू में हम खाली आठ अइँटा ढो सकऽ हलिअइ, आउ हरेक अइँटा बारह-बारह पौंड (करीब साढ़े पाँच किलो) के हलइ । लेकिन बाद में हम बारह आउ पनरह अइँटा तक ढो सकऽ हलिअइ, आउ एकरा से हमरा बहुत खुशी होलइ । शारीरिक शक्ति जेल में नैतिक शक्ति से कम आवश्यक नयँ होवऽ हइ, ई अभिशप्त जिनगी के सब भौतिक असुविधा के सहन करे खातिर ।
आउ हम जेल के बादो जीए लगी चाहऽ हलिअइ ...
हम लेकिन अइँटा ढोना पसीन करऽ हलिअइ खाली ई लगी नयँ, कि ई काम से शरीर मजबूत होवऽ हइ, बल्कि एहो लगी, कि ई काम ईर्तिश के किछार पर होवऽ हलइ । हम ई वजह से अकसर ई किछार के उल्लेख करऽ हिअइ, कि खाली हिएँ परी से भगमान के दुनियाँ देखाय दे हलइ, साफ, स्पष्ट दूरी, बिन आबाद, मुक्त स्तेप (विस्तृत घास के मैदान), जे हमर मस्तिष्क पर अपन निर्जनता से विचित्र छाप (impressions) छोड़लके हल । खाली ई किछार भिर किला के तरफ पीठ करके खड़ी होल जा सकऽ हलइ आउ एकरा नयँ देखल जा सकऽ हलइ। हमन्हीं के काम के बाकी सब्भे जगह किला के अंदर हलइ, नयँ तो एकर बगल में । बिलकुल पहिलौके दिन से ई किला के प्रति हमरा घृणा हलइ आउ खास करके एकर कुछ बिल्डिंग के प्रति । हमन्हीं के मेजर के घर हमरा एक प्रकार के अभिशप्त, घृणास्पद जगह प्रतीत होलइ, आउ जब कभी हम एकरा भिर से गुजरऽ हलिअइ, त हरेक तुरी एकरा पर घृणा के दृष्टि डालऽ हलिअइ । किछार पर खुद के भूल जाना संभव हलइ - ई असीम, निर्जन विस्तार के देखबहो, जइसे एगो कैदी अपन जेल के खिड़की से अजादी के देखऽ हइ । हियाँ हमरा लगी सब कुछ प्यारा आउ मधुर हलइ - बिन कोय तल के नीला आकाश में तीव्र देदीप्यमान सूर्य आउ दूर-दराज के किर्गिज़ गीत जे किर्गिज़ किनारा से एन्ने पहुँच रहले हल । देर तक दूर तक नजर डालऽ हो आउ आखिरकार कउनो किर्गिज़ के कोय दयनीय, धूमिल यूर्ता [3] नजर पड़ऽ हको; यूर्ता के पास धुआँ नजर आवऽ हको, एगो किर्गिज़ औरत पर नजर जा हको, जे अपन दूगो भेड़ के साथ एन्ने-ओन्ने दौड़-धूप कर रहले ह । ई सब कुछ गरीब आउ जंगली हइ, लेकिन अजाद हइ । नीला, पारदर्शी हावा में कोय पंछी नजर आवऽ हको, आउ ओकर उड़ान के देर तक एकटक पीछा करऽ हो - अउकी ऊ पानी पर जरी सन डुबकी लगइलकइ, अउकी ऊ नीला आकाश में गायब हो गेलइ, अउकी फेर से एगो बिन्दु नियन मिरमिरइते देखाय देवे लगलइ ... क्षीण, मुरझाल फूल भी, जे हम वसंत के प्रारंभ में पथरीला किछार के दरार में खोजलिअइ, ओहो कइसूँ दर्दनाक रूप से हमर ध्यान आकर्षित कइलकइ । जेल के ई पहिलौका साल के विषाद असह्य हलइ आउ हमरा पर चिड़चिड़ा आउ कटु असर डललकइ। ई पहिलौका साल में ई विषाद से हम अपन चारो तरफ के माहौल में बहुत कुछ नोटिस नयँ कइलिअइ । हम आँख मून ले हलिअइ आउ देखे लगी नयँ चाहऽ हलिअइ । हमर द्वेषी, घृणास्पद साथी-कैदी सब के बीच हम निम्मन लोग के, सक्षम, विचारक आउ भावुक लोग के, नोटिस नयँ कर पइलिअइ, पूरा विकर्षक पटल (repellent crust) के बावजूद, जे ओकन्हीं के बाहर से आच्छादित कइले हलइ । कटु शब्द के बीच हम कभी-कभी मित्रतापूर्ण आउ स्नेहमय शब्द के नोटिस नयँ कर पावऽ हलिअइ, जे ई बात के चलते अधिक प्यारा हलइ, कि बिन कोय उद्देश्य के बोलल जा हलइ, आउ अकसर सीधे दिल से निकसऽ हलइ, जे शायद हमरा से जादे कष्ट झेललके आउ सहलके हल । लेकिन एकरा बारे काहे लगी विस्तृत चर्चा कइल जाय ? हम अत्यधिक प्रसन्न होवऽ हलिअइ, जब हम बहुत जादे थक्कल-माँदल घर वापिस आवऽ हलिअइ - शायद हमरा नीन तो आ जात ! काहेकि गरमी में हमन्हीं हीं सुत पाना एगो यातना हलइ, जाड़ा से भी बत्तर । सच हइ, कि सायंकाल कभी-कभी बहुत निम्मन होवऽ हलइ । सूरज, जे दिनभर जेल के प्रांगण से आड़ नयँ होवऽ हलइ, आखिरकार डूब जा हलइ । ठंढक आवऽ हलइ, आउ ओकर पीछू लगभग ठंढा (अपेक्षाकृत कहल जाय तो) स्तेप के रात । कैदी लोग, जे अंदर बन कइल जाय के इंतजार कर रहल होवइ, प्रांगण में चहलकदमी करते रहइ । सच हइ, कि ओकन्हीं में से मुख्य अंश अधिकतर भनसाघर में भीड़ लगावऽ हलइ । हुआँ हमेशे कइसनो प्रकार के अत्यावश्यक कारावासीय प्रश्न उट्ठइ, एकरा चाहे ओकरा बारे चर्चा कइल जाय, कभी-कभी कउनो अफवाह के चर्चा कइल जाय, जे अकसर बकवास होवइ, लेकिन दुनियाँ से पृथक्कृत ई लोग के बीच असाधारण ध्यान आकर्षित करइ; मसलन, समाचार अइलइ, कि हमन्हीं के मेजर के बाहर कइल जा रहले ह । कैदी लोग बुतरू नियन असानी से विश्वास कर लेते जा हइ; खुद्दे जानऽ हइ, कि समाचार - बकवास हइ, कि एकरा एगो जानल-बुज्झल बातूनी आउ "बेहूदा" अदमी - कैदी क्वासोव लइलके ह, जेकरा पर बहुत पहिलहीं फैसला कइल जा चुकले हल कि ओकरा पर विश्वास नयँ करे के चाही, कि ओकर हरेक शब्द बकवास होवऽ हइ - आउ तइयो सब्भे ओकरा समाचार पकड़ बइठऽ हइ, ओकरा पर बातचीत करऽ हइ, चर्चा करऽ हइ, खुद के मनोरंजन करऽ हइ, आउ अंत में खुद्दे खुद पर गोस्सा करऽ हइ, खुद्दे खुद पर ई बात से लज्जित होवऽ हइ, कि क्वासोव पर विश्वास कर लेते गेलइ ।

"केऽ ओकरा निकास बाहर करतइ !" एक कैदी चिल्ला हइ । "ओकर गरदन तो मोटगर हइ, मामला से निपट लेतइ !"
"लेकिन शायद ओकरा से उपरे वरिष्ठ लोग (superiors) तो हइ !" दोसरा एतराज करऽ हइ, जे एगो गरमजोश हइ आउ मूर्ख नयँ हइ, दुनियाँ देखले हइ, लेकिन अइसन वाद-विवाद (debate) करे वला हइ, जइसन संसार में पैदा नयँ होले ह ।
"एक कौआ दोसर कौआ के चोंच मारके आँख नयँ निकासतइ !" उदासी से, मानूँ अपने आप के एगो तेसरा अदमी बोलऽ हइ, जेकर केश उज्जर हो चुकले ह आउ जे अकेल्ले एगो कोना में अपन बंदागोभी के शोरबा अभी-अभी खतम कर चुकले ह ।
"आउ वरिष्ठ लोग जइसे तोरा भिर पुच्छे लगी अइते जइतउ - ओकर जगह पे दोसरा के रक्खल जाय कि नयँ ?" एगो चौठा कैदी भावशून्य मुद्रा में बात जारी रक्खऽ हइ, हलके से बलालइका के तार छेड़ते ।
"आउ हमरा काहे नयँ ?" गोस्सा से दोसरा एतराज करऽ हइ । "मतलब, अगर सब गरीब लोग निवेदन करतइ, त हम सब्भे के घोषित करे के चाही, अगर ओकन्हीं पूछताछ करे लगतइ । अइसे तो हमन्हीं हीं लोग चिल्ला हइ, लेकिन जब काम के बात आवऽ हइ, त पीछू हट जा हइ !"
"आउ तूँ की सोचलहीं ?" बलालाइका वादक बोलऽ हइ । "एहे लगी तो जेल हइ ।"
"आउ हाल में", वाद-विवाद करे वला उत्तेजित वक्ता के बात पर बिन ध्यान देले अपन बात जारी रक्खऽ हइ, "कुछ आटा रह गेलइ । बच्चल-खुच्चल जामा कर लेलिअइ, मतलब, जे जरी-मनी रह गेले हल; बेचे लगी भेज देलिअइ । लेकिन नयँ, ओकरा पता चल गेलइ; हमन्हीं के फोरमैन बता देलकइ; लेके चल गेते गेलइ; मतलब, कमखर्ची के बात हइ । ई न्यायसंगत हइ, कि नयँ ?"
"त तूँ केकरा से शिकायत करम्हीं ?"
"केकरा से ! खास इंस्पेक्टर से, जे आ रहले ह ।"
"कइसन इंस्पेक्टर ?"
"ई बात सच हइ, भाय लोग, कि इंस्पेक्टर आ रहले ह", एगो हँसमुख फुरतीला लड़का बोलऽ हइ, जे पढ़ल-लिक्खल, आउ एगो क्लर्क रह चुकले हल आउ "The Duchess of La Valliere" चाहे एहे तरह के कुछ पढ़ रहले हल । ऊ हमेशे प्रसन्नचित्त आउ मनबहलाव करे वला हइ, लेकिन व्यावहारिक आउ दुनियाँ के दुख-तकलीफ के ज्ञान के कारण ओकरा लोग आदर करऽ हइ । भावी इंस्पेक्टर के बारे उत्पन्न कइल सामान्य उत्सुकता पर बिन कोय ध्यान देले, ऊ सीधे स्त्र्यापका (अर्थात् रसोइया) भिर जा हइ, आउ ओकरा हीं से करेजी (लिवर) के माँग कइलकइ । हमन्हीं के स्त्र्यापका लोग अकसर अइसन चीज के धंधा करऽ हलइ । मसलन, अपन पइसा देके करेजी के एगो बड़गो टुकड़ा खरीद लेते जा हइ, ओकरा झौंस ले हइ आउ टुकड़ा-टुकड़ा करके कैदी लोग के बेचऽ हइ ।
"एक अद्धी (आधा कोपेक) के, कि दू अद्धी के ?" स्त्र्यापका पुच्छऽ हइ । "दू अद्धी के काट - लोग के हमरा से ईर्ष्या करे दे !" कैदी जवाब दे हइ ।
"जेनरल (सेनापति), भाय लोग, पितिरबुर्ग से जेनरल आ रहला ह, पूरा साइबेरिया के निरीक्षण करता । ई विश्वसनीय हइ, कमांडर के हियाँ लोग कह रहले हल ।"

ई समाचार असाधारण हलचल पैदा करऽ हइ । पनरह मिनट तक सवाल पर सवाल उट्ठऽ हइ - ठीक-ठीक कउन, कइसन जेनरल, कउन रैंक के आउ की हियाँ के जेनरल सब से वरिष्ठ ? रैंक के बारे, प्राधिकारी के बारे, ओकन्हीं में से कउन वरिष्ठ हकइ, कउन केकरा भिर झुकतइ आउ ओकन्हीं में से कउन खुद झुकतइ - कैदी लोग ई सब बात के भयंकर रूप से चर्चा करते जा हइ, आउ जेनरल के बारे तर्क-वितर्क आउ गारी-गल्लम भी करते जा हइ आउ लगभग झगड़ा पर उतारू हो जा हइ । अइसन लग सकऽ हइ, कि एकरा से की फयदा हइ ? लेकिन जेनरल सब के आउ सामान्य रूप से प्राधिकारी के बारे विस्तृत जानकारी व्यक्ति के ज्ञान, समझदारी आउ पहिलौका, जेल में आवे के पहिले, समाज में अदमी के हैसियत के मापदंड हइ । सामान्यतः उच्च प्राधिकारी के बारे चर्चा जेल में सबसे परिष्कृत आउ महत्त्वपूर्ण चर्चा मानल जा हइ ।

"मतलब, ई सच सिद्ध होवऽ हइ, भाय लोग, कि मेजर के बदले लगी आ रहते गेला ह", क्वासोव टिप्पणी करऽ हइ, जे एगो छोटगर, लाल चेहरा वला व्यक्ति, गरममिजाज आउ अत्यंत नासमझ हइ । ओहे तो मेजर के बारे सबसे पहिले समाचार लइलके हल ।
"उपहार से लाद देतइ !" (अर्थात् घूस देके बच जइतइ) उदासीन उज्जर केश वला कैदी रुक-रुकके बोलके अपन एतराज जतावऽ हइ, जे अब तक बंदागोभी के शोरबा पीना खतम कर चुकले हल ।
"आउ अइसन तो ऊ करवे करतइ", दोसर बोलऽ हइ । "बहुत कुछ लूट के पइसा बनइलके ह ! हमन्हीं के हियाँ आवे के पहिले ऊ बटालियन कमांडर हलइ । हाले में ऊ महाधर्माध्यक्ष (आर्चबिशप) के लड़की से शादी करे लगी चाह रहले हल ।
"लेकिन वास्तव में ऊ शादी कर नयँ पइलकइ - दरवाजा के रस्ता देखा देवल गेलइ; मतलब गरीब हइ । ऊ कइसन मंगेतर हइ ! अपन कुरसी पर से उठलइ - आउ ओकर सब मामला खतम । ईस्टर के बखत सब कुछ ताश में उड़ा देलकइ । फ़ेदका बतइलकइ ।"
"हाँ, लड़का तो फिजूलखर्ची नयँ हइ, लेकिन पइसा सब उड़ा देलकइ ।"
"ओह, भाय, अइकी हमहूँ तो शादी-शुदा हलिअइ । गरीब अदमी के शादी करना ठीक नयँ हइ - शादी करऽ, कि रात भी छोटगर लगतो !" स्कुरातोव टिप्पणी करऽ हइ, जे अभी-अभी बातचीत में भाग लेलके हल ।
"अरे हाँ ! तोरे बारे तो बात चल रहलो हल", निस्संकोच क्लर्क टिप्पणी करऽ हइ । "आउ तूँ क्वासोव, हम तोरा कहऽ हिअउ, बड़गो बेवकूफ हकँऽ । की तूँ वास्तव में सोचऽ हीं, कि ओइसन जेनरल के मेजर उपहार के बौछार करतइ आउ ओइसन जेनरल सोद्देश्य पितिरबुर्ग से मेजर के निरीक्षण करे लगी अइतइ ? तूँ बेवकूफ अदमी हकँऽ, एहे हम कहबउ ।"
"त एकरा से की होलइ ? की ऊ जेनरल हइ, ओहे से नयँ लेतइ की ?" भीड़ में से कोय संशयात्मक ढंग से (sceptically) टिप्पणी कइलकइ ।
"मालूम हइ, कि ऊ नयँ लेतइ, आउ अगर लेतइ, त मोटगर लेतइ ।"
"जाहिर हइ, मोटगर; अपन रैंक के अनुसार ।"
"जेनरल हमेशे ले हइ", दृढ़तापूर्वक क्वासोव टिप्पणी करऽ हइ ।
"त तूँ ओकरा देलहीं की ?" अचानक अंदर आल बकलूशिन तिरस्कारपूर्वक बोलऽ हइ । "हमरा तो ई बात के शक्का हउ कि तूँ कभी जेनरल के देखवो कइलँऽ होत ।"
"हम तो देखलिए ह ।"
"झूठ बोलऽ हँ ।"
"तूँ खुद झूठा हकँऽ ।"
"बच्चो, अगर ऊ देखलके ह, त ओकरा अभी सबके सामने बतावे देल जाय, कि कउन जेनरल के ऊ जानऽ हइ । अच्छ, बोल, काहेकि हम सब्भे जेनरल के जानऽ हिअउ ।"
"हम जेनरल ज़िबेर्त के देखलिए ह", कइसूँ कुछ हिचकिचइते क्वासोव जवाब दे हइ ।
"ज़िबेर्त ? अइसन कोय जेनरल नयँ हइ । शायद, ऊ ज़िबेर्त तोर पीठिया दने नजर फेरलकउ, जब ऊ शायद तभी खाली लेफ़्टेनेंट कर्नल होतउ, आउ तोरा भय से लगलउ कि ऊ जेनरल हइ ।"
"नयँ, हमर बात सुन्नऽ", स्कुरातोव चिल्ला हइ, "काहेकि हम शादी-शुदा अदमी हिअइ । वास्तव में अइसन जेनरल मास्को में हलइ, ज़िबेर्त नाम के, जर्मन वंश के, लेकिन रूसी हलइ । ऊ रूसी पादरी के पास हर साल उद्ग्रहण उपवास (Dormition fast) [4] के दौरान अपन पाप स्वीकारोक्ति (confession) खातिर जा हलइ, आउ लगातार, भाय लोग, पानी पीते रहऽ हलइ, बत्तख नियन । रोज दिन चालीस गिलास मास्को नदी के पानी पीयऽ हलइ । लोग के कहना हलइ, कि ऊ कोय बेमारी के इलाज लगी ई पानी पीयऽ हइ; हमरा ओकर खुद नौकर बतइलकइ ।"
"त पानी से पेट भर सुनहला कार्प (एक प्रकार के मछली) लइलऽ ?" बलालाइका वला कैदी टिप्पणी करऽ हइ । "खैर, बहुत हो गेलो ! हियाँ काम के बात चल रहले ह, आउ ओकन्हीं ... ई इंस्पेक्टर केऽ हइ, भाय लोग ?" टिप्पणी करऽ हइ उत्सुकतापूर्वक अधीर कैदी, मार्तिनोव, जे एगो सेवा-निवृत्त मिलिट्री वला आउ पूर्व-हुस्सार हलइ ।
"कइसन बकवास लोग करते जा हइ !" संशयवादी लोग (skeptics) में से एक कैदी टिप्पणी करऽ हइ । "काहाँ से लइते जा हइ आउ काहाँ डालऽ हइ ? आउ ओहो सब कुछ बकवास ।"
"नयँ, बकवास नयँ हइ !" हठधर्मितापूर्वक कुलिकोव टिप्पणी करऽ हइ, जे अभी तक शालीनता से चुप्पी साधले हलइ । ई एगो प्रभावशाली, पचास से कुछ कमती उमर के व्यक्ति हइ, जेकर चेहरा अत्यंत सुंदर हइ आउ जेकर आचार-व्यवहार एक प्रकार से घृणास्पद रूप से शानदार हइ । ओकरा ई बात के बोध हइ आउ एकरा पर गर्व हइ । ऊ आंशिक रूप से जिप्सी हइ, पशुचिकित्सक हइ, शहर में घोड़ा के इलाज करके पइसा कमा हइ, आउ हमन्हीं के जेल में दारू के धंधा करऽ हइ । ऊ बुद्धिमान अदमी हइ आउ बहुत कुछ दुनियाँ देखल हइ । अइसन शब्द ओकर मुँह से निकसऽ हइ, मानूँ रूबल देब करऽ हइ ।

"ई सही बात हइ, भाय लोग", ऊ शांतिपूर्वक बात जारी रक्खऽ हइ, "हम पिछलहीं सप्ताह सुनलिए हल; जेनरल आ रहला ह, बहुत प्रभावशाली लोग में से एक, पूरे साइबेरिया के निरीक्षण करे वला हका । ई बात जानल हइ, उनको लोग उपहार के बौछार करते जइतइ, लेकिन हमन्हीं के अठअँक्खा नयँ - ऊ तो उनका पास जाय के भी हिम्मत नयँ करतइ । जेनरल जेनरल में अंतर होवऽ हइ, भाय लोग । कइएक तरह के होवऽ हइ । खाली हम तोहन्हीं के बोल रहलियो ह, हमन्हीं के मेजर हरेक हालत में अपने जगह पर रहतइ । ई पक्का हइ । हम लोग तो बिन जबान के हिअइ, आउ प्राधिकारी लोग में से एक दोसरा के प्रति चुगलखोरी नयँ करे वला । इंस्पेक्टर जेल पर एक नजर डालतइ, आउ चल जइतइ, आउ रिपोर्ट देतइ कि सब कुछ ठीक पावल गेलइ ..."
"एहे तो बात हइ, भाय लोग, आउ मेजर तो डर गेले ह - सुबहीं से पीके नीसा में धुत्त हइ ।"
"आउ सँझिया के (वोदका लावे लगी) दोसरा गाड़ी हाँकतइ । फ़ेदका बतइलकइ ।"
"कार कुत्ता के धोके उज्जर नयँ कइल जा सकऽ हइ । ऊ पहिले तुरी पीके धुत्त हइ की ?"
"नयँ, त एकरा में की रक्खल हइ, अगर जेनरल भी कुछ नयँ कर पइतइ ! नयँ, बहुत हो गेलइ ओकन्हीं के नदानी के नकल करना !" उत्तेजित कैदी लोग आपस में बोलते जा हइ ।

इंस्पेक्टर के बारे समाचार क्षण भर में जेल भर में फैल जा हइ । लोग प्रांगण में चहलकदमी करब करऽ हइ आउ अधीरतापूर्वक एक दोसरा के समाचार दे दे हइ । कुछ दोसर लोग चुप रहऽ हइ, अपन भावशून्यता बनइले रहऽ हइ, आउ एकरे साथ स्पष्टतः खुद के अधिक महत्त्व देवे के प्रयास करऽ हइ । कुछ तेसरा लोग भावशून्य मुद्रा बनइले रहऽ हइ । बलालाइका के साथ वला कैदी लोग बैरक के ड्योढ़ी बिजुन बइठ जइते जा हइ । कुछ अन्य लोग गपशप जारी रखले रहऽ हइ । दोसर लोग गीत के राग अलापे लगऽ हइ, लेकिन सामान्यतः सब लोग ई शाम अत्यंत उत्तेजित अवस्था में हकइ ।

नो आउ दस बजे के बीच हमन्हीं सब के गिनती कइल गेलइ, बैरक में हाँक देल गेलइ आउ रात भर लगी ताला लगाके बन कर देल गेलइ । रात छोटगर हलइ - सुबह में चार आउ पाँच के बीच उठा देल जा हलिअइ आउ कभियो एगारह बजे के पहिले नयँ सुतते जा हलिअइ । तब तक हमेशे चहल-पहल रहइ, गपशप चलइ, आउ कभी-कभी, जाड़ा के दौरान नियन, मयदान भी होवइ । रात में असह्य गरमी आउ घुटन छा जाय । हलाँकि खिड़की के खुल्लल फ्रेम (sash) से रात के ठंढगर हावा के झोंका आ जा हइ, लेकिन कैदी लोग अपन पटरा के बिछौना पर रातो भर तेजी से देह एन्ने-ओन्ने झटकइते रहऽ हइ, मानूँ सरसाम में हइ ।  पिस्सू (fleas) हजारों के संख्या में झुंड के झुंड रहऽ हइ । हमन्हीं हीं जाड़ा में भी बहुत रहऽ हइ, आउ बहुत जादे संख्या में, लेकिन वसंत के शुरुआत से एतना अनगिनती बढ़ जा हइ, जेकरा बारे हम पहिलहूँ सुनलिए हल, लेकिन वास्तव में अनुभव नयँ कइला पर विश्वास नयँ करतिए हल । आउ गरमी जइसे-जइसे नगीच आवइ, ओइसे-ओइसे ई जादे भयंकर होल जाय । सच हइ, कि पिस्सू के अभ्यस्त हो जाल सकऽ हइ, हम खुद्दे एकर अनुभव कइलिअइ; लेकिन तइयो ई असानी से नयँ आवऽ हइ । एतना हद तक यातना देइ, कि आखिरकार पड़ल रहो, जइसे बोखार से तप रहलहो ह, आउ खुद्दे अनुभव करऽ हो, कि सुत्तल नयँ हकहो, बल्कि खाली सरसाम में हकहो । आखिरकार, जब ठीक सुबह होवे के बखत आखिरकार पिस्सू शांत पड़ जा हइ, मानूँ मूर्च्छित हो जा हइ, आउ जब सुबह के ठंढक में मानूँ वास्तव में मिठगर नीन लेवे लगऽ हो - कि अचानक जेल के गेट पर ढोल के निर्दय ढमढम सुनाय दे हइ आउ जगावे के बिगुल शुरू हो जा हइ । भेड़ के खाल के ओवरकोट में खुद के लपेटले, अभिशाप के साथ सुन्नऽ हो, जोर के, स्पष्ट अवाज, मानूँ ओकरा गिन्नऽ हो, आउ एहे दौरान नीन के बीच मस्तिष्क में असह्य विचार घुस जा हको, कि अइसीं बिहान, आउ परसुन, आउ लगातार कइएक साल, जेल से मुक्ति तक चलते रहतइ । आउ सोचऽ हो, कि कहिया ई मुक्ति मिलतइ आउ काहाँ हइ ई ? आउ एकरा अलावे उठहूँ के चाही; रोज वला चहलकदमी, भीड़-भड़क्का शुरू हो जा हइ ... लोग कपड़ा पेन्हे लगऽ हइ, आउ काम पर जल्दी-जल्दी चल पड़ऽ हइ । सच हइ, दुपहर के एक घंटा नीन लेल जा सकऽ हइ ।

इंस्पेक्टर के बारे सच कहते जा हलइ । अफवाह दिन पर दिन अधिकाधिक पक्का होल जा हलइ, आउ आखिरकार सब कोय के पक्का मालूम हो गेलइ, कि पितिरबुर्ग से एगो नामी जेनरल पूरे साइबेरिया के निरीक्षण लगी आ रहले ह, कि ऊ पहुँच चुकले ह, कि ऊ अभी तोबोल्स्क में हइ । रोज दिन नावा-नावा अफवाह जेल में पहुँच रहले हल । शहरो से समाचार आ रहले हल - सुनाय दे हलइ, कि सब कोय भयभीत हइ, दौड़-धूप कर रहले ह,  देखावा करे लगी चाहते जा हइ । कहल जा हलइ, कि उच्च प्राधिकारी लोग स्वागत, बॉल नृत्य, उत्सव के तैयारी कर रहते गेले ह । कैदी लोग के पूरे दल के दल भेजल जा रहले हल - किला में के रोड सबके समतल करे लगी, टीला सब के ढाह देवे लगी, छरदेवारी आउ खंभा सब के पेंट करे लगी, पलस्तर करे लगी आउ (देवाल सब के) चुनेटे (whitewash) लगी - एक शब्द में, एक्के पल में सब कुछ सुधारे लगी चाहऽ हलइ, जे सब के चेहरा के सामने देखावे के हलइ । हमन्हीं के लोग के ई सब मामला बहुत निम्मन से समझ में आ रहले हल आउ आपस में गरमजोशी आउ उत्साह के साथ चर्चा कर रहते गेले हल । ओकन्हीं के सनक (fantasy) विशाल सीमा तक पहुँच गेलइ । अपन माँग फेन प्रस्तुत करे के मन बना लेते गेलइ, अगर कहीं जेनरल संतुष्टि के बारे पूछ देइ । आउ एकरा अलावे आपस में वाद-विवाद आउ गारी-गल्लम करे लगलइ । मेजर चिंतित हलइ । जादे अकसर जेल में भेंट (visit) देइ, जादे अकसर चिल्लाय, जादे अकसर लोग पर झपटइ, जादे अकसर लोग के कोर-द-गार्द (गार्डहाउस) में बन कर देइ, आउ सफाई आउ भद्र व्यवहार पर जादे ध्यान देइ । एहे बखत, मानूँ सोद्देश्य, जेल में एगो छोटगर घटना घटलइ, जे हलाँकि मेजर के चिंतित नयँ कइलकइ, जइसन कि आशा कइल जा हलइ, बल्कि, एकर विपरीत, ओकरा प्रसन्नता होलइ । झगड़ा के दौरान एक कैदी दोसरा के छाती में एगो सूआ घुसा देलकइ, लगभग ठीक दिल के निच्चे । जे कैदी अपराध कइलके हल, ओकर नाम लोमोव हलइ; जेकरा घायल कइल गेले हल ऊ हमन्हीं हीं गावरिल्का नाम से जानल जा हलइ; ऊ एगो कट्टर अवारा हलइ । हमरा आद नयँ पड़ऽ हइ, कि ओकर कोय दोसरो नाम हलइ; हमन्हीं हीं ओकरा हमेशे गावरिल्का नाम से पुकारल जा हलइ ।

लोमोव के॰ प्रांत के ते॰ जिला के एगो समृद्ध किसान हलइ । सब्भे लोमोव लोग एक परिवार के रूप में रहऽ हलइ - बूढ़ा बाप, तीन गो बेटा आउ ओकन्हीं के चाचा, लोमोव । ओकन्हीं सब धनगर मुझिक (किसान) हलइ । पूरे प्रांत में लोग बोलते जा हलइ, कि ओकन्हीं के पास तीन लाख रूबल नगद (अर्थात् बैंकनोट के रूप में) हइ । ओकन्हीं खेती करऽ हलइ, चमड़ा कमा (तैयार करऽ) हलइ, व्यापार करऽ हलइ, लेकिन जादेतर सूदखोरी करऽ हलइ, अवारा लोग के आश्रय दे हलइ आउ चोरी के माल पचावऽ  हलइ आउ अइसने तरह के दोसर-दोसर धंधा करऽ हलइ । आधा जिला के किसान लोग ओकन्हीं के कर्जदार हलइ, ओकन्हीं के बन्हन में हलइ । ओकन्हीं बुद्धिमान आउ धूर्त मुझिक के रूप में मशहूर हलइ, लेकिन आखिरकार डींग हाँके लगलइ, खास करके जब एगो बहुत महत्त्वपूर्ण व्यक्ति ऊ क्षेत्र में अपन यात्रा के दौरान ओकन्हीं हीं ठहरे लगलइ, ऊ बुढ़उ से व्यक्तिगत रूप से परिचित होलइ आउ ओकर चतुराई आउ होशियारी लगी ओकर प्रशंसा करे लगलइ । ओकन्हीं के दिमाग में बइठ गेलइ, कि ओकन्हीं के कुछ नयँ कइल जा सकऽ हइ, आउ कइएक तरह के अवैध साहसिक काम में अधिकाधिक जोखिम उठावे लगलइ । सब कोय ओकन्हीं के विरुद्ध असंतोष प्रकट करे लगलइ; सब कोय कामना करऽ हलइ कि धरती ओकन्हीं के निंगल जाय; लेकिन ओकन्हीं अपन नाक अधिकाधिक उपरे आउ उपरे करे लगलइ (अर्थात् अहंकार से अपन सिर उपरे उठइते रहलइ) । पुलिस चीफ़, कर निर्धारक (assessors) के ओकन्हीं कुछ नयँ समझऽ हलइ । आखिरकार ओकन्हीं भटक गेलइ आउ बरबाद हो गेलइ, लेकिन कोय गलत काम के चलते नयँ, अपन कोय गुप्त अपराध के चलते नयँ, बल्कि मिथ्या आरोप के चलते । गाँव से लगभग बीस विर्स्ता दूर ओकन्हीं के एगो बड़गो फार्म हलइ, जेकरा साइबेरिया में ज़ाइम्का कहल जा हइ । हुआँ एक तुरी शरत्काल के शुरू होवे के पहिले ओकन्हीं के छो गो किर्गिज़-डाकू रह रहले हल, जे लम्मा समय से ओकन्हीं के बंधुआ मजूर हलइ । एक रात ई सब्भे किर्गिज़ मजूर के हत्या हो गेलइ । जाँच-पड़ताल शुरू होलइ । ई काम लम्मा समय तक जारी रहलइ। खोजबीन के दौरान कइएक दोसर-दोसर खराब बात प्रकट हो गेलइ । लोमोव लोग पर अपन मजूर सब के हत्या के आरोप लगलइ । खुद्दे ओकन्हीं एकरा बारे बतइलकइ, आउ समुच्चा जेल ई बात जानऽ हलइ - ओकन्हीं के बारे ई शक्का कइल जा हलइ, कि ओकन्हीं अपन मजुरवन के बहुत अधिक कर्जदार हलइ, आउ चूँकि, अपन बड़गो संपत्ति के बावजूद, कंजूस आउ लोभी होते जा हलइ, ओहे से किर्गिज़ लोग के हत्या कर देते गेलइ, ताकि ओकन्हीं के कर्जा लौटावे नयँ पड़इ । जाँच-पड़ताल आउ मोकदमा के दौरान ओकन्हीं के सब संपत्ति स्वाहा हो गेलइ । बुढ़उ मर गेलइ । बुतरुअन तितर-बितर हो गेते गेलइ । एक बेटा आउ ओकर चाचा के हमन्हीं के जेल में बारह बरिस लगी भेज देल गेलइ । आउ फेर की ? किर्गिज़ लोग के मौत में ओकन्हीं बिलकुल निर्दोष हलइ । हिएँ जेल में बाद में गावरिल्का अइलइ, जे मशहूर बदमाश आउ अवारा हलइ, एगो खुशमिजाज आउ साहसी, जे ई सब मामला के खुद अपने ऊपर ले लेलकइ । लेकिन, हमरा सुन्ने में नयँ अइलइ, कि ऊ खुद ई मामला में अपन अपराध स्वीकार कइलकइ कि नयँ, लेकिन पूरा जेल बिलकुल विश्वस्त हलइ, कि किर्गिज़ लोग के हत्या में ओकरे हाथ हलइ । जब अवारा हलइ, तब गावरिल्का लोमोव लोग के साथ लेन-देन करऽ हलइ । ऊ जेल छोटगर अवधि लगी अइले हल, एगो भगोड़ा सैनिक आउ अवारा के रूप में । किर्गिज़ लोग के ऊ तीन गो आउ दोसर अवारा लोग के साथ मिलके हत्या कइलके हल; ओकन्हीं फार्म लूटके बड़गो पइसा हथियावे के बारे सोचते गेले हल ।

लोमोव लोग के हमन्हीं हीं पसीन नयँ कइल जा हलइ, मालूम नयँ काहे । ओकन्हीं में से एगो, भतीजा, नौजवान हलइ, बुद्धिमान आउ मिलनसार व्यक्ति; लेकिन ओकर चाचा, जे गावरिल्का के सूआ घुसा देलके हल, एगो बेवकूफ आउ झगड़ालू मुझिक (किसान/देहाती) हलइ । ई घटना के पहिलहीं ऊ कइएक लोग के साथ झगड़ा कर चुकले हल, आउ ओकरा निम्मन से कुटम्मस करते गेलइ । गावरिल्का के हँसमुख आउ निम्मन चरित्र के होवे के कारण सब कोय ओकरा पसीन करऽ हलइ । हलाँकि लोमोव लोग के मालूम हलइ, कि ऊ झपराधी हइ, आउ ओकरे चलते ओकन्हीं के जेल आवे पङलइ, लेकिन ओकरा साथ लड़ाय-झगड़ा नयँ करते जा हलइ; परंतु, कभियो ओकरा से मेल-जोल नयँ रक्खऽ हलइ; आउ ओहो ओकन्हीं पर कोय ध्यान नयँ दे हलइ । आउ अचानक ओकरा साथ चाचा लोमोव के एगो बहुत घृणित लौंडिया के कारण झगड़ा हो गेलइ । गावरिल्का ओकर (लौंडिया के) कृपादृष्टि के डींग हाँके लगलइ; मुझिक (लोमोव) ओकरा से ईर्ष्या करे लगलइ आउ एक निम्मन दुपहर के ओकरा सूआ घुसेड़ देलकइ ।  

लोमोव लोग हलाँकि मोकदमा के चलते बरबाद हो चुकले हल, लेकिन जेल में धनी अदमी नियन रहऽ हलइ । ओकन्हीं के पास स्पष्टतः पइसा हलइ । ओकन्हीं सामोवार रक्खऽ हलइ, चाय पीयऽ हलइ । हमन्हीं के मेजर ई बात जानऽ हलइ आउ दुन्नु लोमोव के बहुत जादे हद तक घृणा करऽ हलइ । सब कोय के साफ देखाय दे हलइ कि ऊ ओकन्हीं (लोमोव) के दोष ढूँढ़ते रहऽ हलइ आउ सामान्यतः ओकन्हीं के सतइते रहऽ हलइ । लोमोव ई बात के अइसे समझावऽ हलइ कि मेजर ओकन्हीं हीं से घूस लेवे लगी चाहऽ हइ । लेकिन ओकन्हीं घूस नयँ दे हलइ ।

निस्संदेह, अगर लोमोव जरिक्को सनी सूआ आउ आगू घोंप देते हल, त ऊ गावरिल्का के मार देते हल । लेकिन मामला खाली एगो खरोंच के साथ निश्चयात्मक रूप से खतम हो गेलइ । मेजर के रिपोर्ट कइल गेलइ । हमरा आद पड़ऽ हइ, कि कइसे ऊ सरपट दौड़ते अइलइ, हँफते आउ स्पष्टतः खुश होल । ऊ विस्मयजनक स्नेहमय ढंग से, अपन सगा बेटा नियन, गावरिल्का के साथ व्यवहार कइलकइ । 
"की, दोस्त, अस्पताल तक चलके जा सकऽ ह, कि नयँ ? नयँ, बेहतर होतइ कि इनका लगी घोड़ा जोतल जाय । अभिए घोड़ा जोतल जाय !" ऊ हँफते-हँफते सर्जेंट से चिल्लइते बोललइ ।
"लेकिन, महामहिम, हमरा कुछ नयँ बुझा हइ । ऊ हमरा खाली हलके से घोंपलकइ, महामहिम ।"
"तूँ नयँ जानऽ ह, तूँ नयँ जानऽ ह, प्यारे; अइकी देखबऽ ... ई जगह खतरनाक हइ; सब कुछ जगह पर निर्भर हइ; ऊ खास दिल के पास चोट कइलकइ, डाकू ! आउ तोरा, तोरा", लोमोव के संबोधित करते ऊ गरजलइ, "अच्छऽ, अभी हम तोर खबर ले हिअउ ! ... कोर-द-गार्द (गार्डहाउस) में !"

आउ वास्तव में ऊ ओकरा निम्मन से खबर लेलकइ । लोमोव पर मोकदमा चललइ, आउ हलाँकि घाव बिलकुल हलका पावल गेलइ, लेकिन इरादा साफ हलइ । अपराधी के सश्रम कारावास के अवधि बढ़ा देल गेलइ आउ एक हजार फटका के दंड मिललइ । मेजर बिलकुल खुश हो गेलइ ...

आखिरकार इंस्पेक्टर भी अइलइ ।
शहर में अइला के दोसरहीं दिन हमन्हीं के जेल में भेंट देलकइ । छुट्टी के दिन हलइ । हमन्हीं हीं कइएक दिन पहिलहीं सब कुछ रगड़के, पॉलिश करके निम्मन से साफ कइल जा चुकले हल । कैदी लोग के फेर से हजामत कइल गेले हल । ओकन्हीं के पोशाक उज्जर आउ साफ हलइ । गरमी में सब कोय, नियम के मोताबिक, उज्जर छालटी के जैकेट आउ पतलून पेन्हऽ हलइ । हरेक के पीठ पर जैकेट में लगभग दू विर्शोक (9 सें॰मी॰) व्यास के एगो वृत्त सीयल हलइ । पूरे एक घंटा कैदी लोग के सिखावल गेलइ, कि कइसे जवाब देवे के चाही, अगर खुदा-न-खास्ते उच्च व्यक्ति संबोधित करइ । रेहल्सल (रिहर्सल, अभ्यास) करावल गेलइ । मेजर पागल नियन दौड़-धूप कर रहले हल । जेनरल के आवे के एक घंटा पहिले सब कोय अपन-अपन जगह पर हाथ के बगल में रखले मूर्ति नियन खड़ी हलइ । आखिरकार दुपहर के एक बजे अइलइ । ई एगो महत्त्वपूर्ण जेनरल हलइ, एतना महत्त्वपूर्ण, कि, लगऽ हइ, पूरे पश्चिमी साइबेरिया में ओकर आगमन से सब्भे प्राधिकारी के दिल में धड़की समा गेले होत । ऊ कठोर आउ भव्य ढंग से अंदर प्रवेश कइलकइ; ओकरा पीछू साथ-साथ क्षेत्रीय प्राधिकारी के बड़गो जत्था उमड़ पड़लइ; ओकरा में कइएक जेनरल आउ कर्नल हलइ । एगो असैनिक भलमानुस (civilian gentleman) हलइ, उँचगर आउ सुंदर, टेलकोट आउ बश्माक (कम उँचगर चमड़ा के जुत्ता) में, जेहो पितिरबुर्ग से अइले हल आउ अत्यंत सहज ढंग से आउ स्वतंत्रतापूर्वक व्यवहार कर रहले हल । जेनरल अकसर ओकरा संबोधित कर रहले हल, आउ बहुत आदरपूर्वक । ई बात कैदी लोग के मन में उत्सुकता जगा देलकइ - एगो असैनिक, आउ एतना आदर, आउ ओहो अइसन जेनरल के तरफ से ! बाद में ओकर पारिवारिक नाम आउ ऊ केऽ हइ, ई मालूम होलइ, लेकिन अफवाह बहुत हलइ । हमन्हीं के मेजर के, चुस्त वरदी, नारंगी रंग के कालर, खूनी आँख, गहरा लाल मुँहासेदार (कटहा भरल) चेहरा, लगऽ हइ, जेनरल पर कोय विशेष अनुकूल छाप नयँ छोड़ऽ हलइ । उच्च आगंतुक खातिर विशेष आदर हेतु ऊ बिन चश्मा के हलइ । ऊ दूर खड़ी हलइ, बिलकुल तनके, आउ ऊ अपन पूरे देह आउ मन से जइसे ऊ पल के ज्वरात्मक रूप से प्रतीक्षा कर रहले हल, जब कुछ लगी ओकर आवश्यकता पड़तइ, आउ महामहिम के इच्छा के उड़के जाके पूर्ति करतइ । लेकिन ओकर कुछ आवश्यकता नयँ पड़लइ । चुपचाप जेनरल बैरक सब के चक्कर लगइलकइ, भनसाघर में नजर डललकइ, शायद, बंदागोभी के शोरबा के जाँच कइलकइ । ओकरा हमरा तरफ इशारा कइल गेलइ आउ बतावल गेलइ - फलना फलना, कुलीन घराना से।

"ओह !" जेनरल जवाब देलकइ । "आउ ओकर अभी कइसन चाल-चलन हइ ?"
"अभी तो संतोषजनक हइ, महामहिम", ओकरा जवाब देल गेलइ ।

जेनरल सिर हिलइलकइ आउ दू मिनट बाद जेल से बाहर निकस गेलइ । कैदी लोग, वस्तुतः, चौंधियाल आउ हैरान हलइ, लेकिन तइयो कइसूँ किंकर्तव्यविमूढ़ होल रह गेलइ । मेजर के बारे कइसनो शिकायत के बात, जाहिर हइ, केकरो मुँह से नयँ निकस पइलइ । आउ मेजर भी ई मामले में पहिलहीं से बिलकुल आश्वस्त हलइ ।
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