विजेट आपके ब्लॉग पर

Sunday, April 23, 2017

विश्वप्रसिद्ध रूसी नाटक "इंस्पेक्टर" ; अंक-2 ; दृश्य-5

दृश्य-5
(ख़्लिस्ताकोव अकेल्ले हइ ।)
ख़्लिस्ताकोव - (स्वगत) लेकिन ई तो खराब बात हइ, अगर ऊ हमरा कुच्छो खाय लगी नयँ दे हइ । हमरा जिनगी भर में कभी अइसन कसके भूख नयँ लगल हल । की अइसन नयँ हो सकऽ हइ कि अपन पोशाक के बदले में कुछ ले लूँ ? की पतलून बेच देल जाय ? नयँ, भुक्खल रहना बेहतर हइ, लेकिन घर तो पितिरबुर्ग के पोशाक में पहुँचे के चाही । अफसोस, योख़िम [11] हमरा करेता (घोड़ागाड़ी) किराया पर नयँ देलकइ, लेकिन, शैतान पकड़े, केतना निम्मन होबइ अगर हम करेता में, जलते लालटेन के साथ, घर अइअइ, हवा से बात करते सरपट दौड़इते कउनो पड़ोसी जमींदार के ड्योढ़ी पर, आउ ओसिप पीछू-पीछू, वरदी में । हम तो कल्पना कर सकऽ हिअइ, कि कइसन तहलका मच जइतइ - "केऽ हथिन, की बात हइ ?" आउ नौकर (ओसिप) अंदर जा हइ (खुद सीधे खड़ी हो जा हइ आउ नौकर के नकल करऽ हइ) - "पितिरबुर्ग से इवान अलिक्सांद्रोविच ख़्लिस्ताकोव - स्वागत करे लगी चाहथिन ?" ओकन्हीं देहाती भुच्चड़ हइ, ई नयँ जानऽ हइ, कि "स्वागत करे लगी चाहथिन ?" के की मतलब होवऽ हइ । अगर ओकरा दने घर के मालिक के कोय हंस कइसूँ हुआँ चल आवइ, त ऊ भालू नियन सीधे अतिथिगृह (ड्राइंग-रूम) में अनाड़ी नियन घुस जइतइ । हम घर के मालिक के कोय खूबसूरत बिटिया भिर जा हिअइ - "मिस, हम हिअइ ..." । (अपन हाथ रगड़ऽ हइ आउ जमीन के गोड़ से जरी रगड़ते चल्लऽ हइ ।) थू ! (थुक्कऽ हइ) हमरा भूख से तो डउरा लग गेल ह ।

  
सूची            पिछला                     अगला

No comments: