विजेट आपके ब्लॉग पर

Wednesday, March 18, 2020

भूदासत्व से मुक्ति तक - अध्याय 7

[*28]
7. पितिरबुर्ग से पिताजी के वापसी के बाद
ई पूरे समय तक पिताजी से बुरा समाचार हमन्हीं के मिल्लऽ हलइ। ऊ सकुशल पितिरबुर्ग पहुँच गेलथिन हल, छोटकुन्ना काउंट के गार्जियन लोग द्वारा उनका निम्मन स्वागत कइल गेले हल, लेकिन जल्दीए उत्तरी जलवायु के खुद पर मारक प्रभाव अनुभव कइलथिन। ऊ बेमार पड़े लगलथिन, लंबा समय तक सहन कइलथिन, आखिरकार, माय के लिखलथिन कि उनकर राहत के एक्के आशा हइ - यथाशीघ्र मातृभूमि, घर लौट जाना।
सितम्बर के आधा महिन्ना गुजरला पर हमन्हीं के झोपड़ी भिर दूरदराज के यात्रा के सब तरह के लक्षण वला किबित्का (घोड़ागाड़ी) रुकलइ। ओकरा में पड़ल हलथिन पिताजी, एतना क्लांत दशा में, कि उनका हाथ के सहारा देके कमरा के अन्दर लावल गेलइ। मइया तो सुबकते उनका तरफ दौड़ल अइलइ, ई पक्का विश्वास कइले कि ओकरा खाली उनकर आँख बन्द करे पड़तइ। लेकिन मातृभूमि के हवा में एतना संजीवनी शक्ति हलइ कि एक सप्ताह के बाद पिताजी बिछौना पर से उठ गेलथिन, आउ जल्दीए खुद अपन गोड़ पर बिलकुल खड़ी हो गेलथिन। लेकिन पूरा स्वास्थ्य उनका फेर से लौट नञ् पइलइ। उनकर हाथ आउ गोड़ में फोड़ा हो गेलइ, जे कभी ठीक हो जाय, त कभी फेर से उभर आवइ, आउ उनका हमेशे खुद के ध्यान रक्खे पड़लइ। ऊ अपन इलाज खुद करऽ हलथिन। उनका पास चिकित्सा संबंधी कइएक पुस्तक से कुछ सार अंश के संग्रह हलइ, आउ खुद के आउ अनकर अनुभव से प्राप्त कइएक तरह के नोट हलइ। ई सब के आधार पर, ऊ अधिकतर जड़ी-बूटी से दवाय तैयार करऽ हलथिन, जे क्षेत्रीय औषधि निर्माता के हियाँ उपलब्ध दवाय से बत्तर नञ् हलइ। ई तरह से खुद के आउ अनकर आवश्यकता खातिर यथेष्ट परिपूर्ण घरेलू प्राथमिक सहायता के सेट (first-aid kit) बना लेलथिन। ऊ कभी केकरो सहायता करे से इनकार नञ् कइलथिन, आउ उनकर सलाह - हमेशे मोफत - कइएक तरह के ग्रामीण अजटिल रोग लगी उद्धारक (रक्षक) साबित होवऽ हलइ।
पिताजी के आर्थिक स्थिति बहुत कम सुधरलइ। लेकिन पितिरबुर्ग में ऊ मुख्य चीज पा लेलथिन, जे ऊ चाहऽ हलथिन - सम्पूर्ण दोषमुक्ति। उनका बारे छानबीन उनकर खुद के बयान के पुष्टि कइलकइ। गार्जियन लोग में से एक, सिनेटर अलिक्सेयेव, उनकर भाग्य के निर्णय में सक्रिय भाग लेलकइ। ऊ अनुकूल ढंग से पिताजी के देल गेल स्पष्टीकरण सुनलकइ, कइएक तुरी अनौपचारिक रूप से आउ साफ-साफ बोललइ आउ अन्त में उनका पितिरबुर्ग में हीं रहे के प्रस्ताव रखलकइ, जाहाँ परी उनका स्थापित होवे में सहायता करे के आश्वासन देलकइ। निस्संदेह ई पिताजी के भाग्य बदल दे सकऽ हलइ, आउ हमन्हिंयों सब के, लेकिन खराब स्वास्थ्य उनका वापिस मातृभूमि ले अइलइ। लेकिन ओहे सिनेटर के सहायता से उनका वोतचिना प्राधिकारी से पूर्ण स्वतंत्रता मिल गेलइ आउ जाहाँ दिल करे हुआँ रहे के। उनका ऊ जगह से घृणा हो गेलइ, जाहाँ परी उनका एतना अपमान सहे पड़ले हल, आउ ऊ कहीं लघु रूसी लोग के बीच जाके बस जाय के सोचलथिन, जेकन्हीं के मास्को सभ्यता अभी तक स्पर्श नञ् कइलके हल। पितिरबुर्ग में निवास उनका लगी एगो दोसरो संतुष्टि लइलकइ। मिल के मामले में मोकदमा के निर्णय भी उनकर पक्ष में गेलइ - मिल के पार्टनर सब के कोर्ट औडर देलकइ कि ऊ सब के हमर पिताजी के ऊ सब लाभ आउ खर्च के रकम चुकता करे के चाही, जे उनकर खुद के हिसाब के अनुसार अइतइ। ई सब मिलाके एगो काफी बड़गो रकम हलइ। लेकिन पिताजी के पार्टनर, जे हलाँकि धनगर लोग हलइ, उनकर दिल एतना पिघला देलकइ कि ऊ पूरा रकम खाली चार सो रूबल के बैंक नोट के रूप में स्वीकार करे लगी सहमत हो गेलथिन।
[*29] पिताजी के लोग पैसा निवेश करे लगी सलाह देते गेलइ। घास के कटनी के खरीद करे के फैसला कइल गेलइ, ताकि बाद में काटल घास के नफा पर बेचल जा सकइ। दुर्भाग्यवश, पिताजी के पैसा निवेश करके व्यापार करे के बारे बहुत कम ज्ञान हलइ, एगो धूर्त उद्यमी के बात पर विश्वास कर लेलथिन, जे एक नंबर के चालबाज निकसलइ। पूरा पैसा पार्टनर के पाकिट में गेलइ, आउ पिताजी के हाथ में रह गेलइ खाली विभिन्न मैदान में सड़ल घास के ढेर।
लेकिन आर्थिक मामले में ई विफल कारबार के अपन निम्मन पहलू हलइ। एकरा चलते हमरा पिताजी के साथ बाहर गाम-गाम आउ मैदान-मैदान में आनन्ददायक यात्रा करे के अवसर मिललइ, जाहाँ परी हमन्हीं अकसर खुल्लल असमान के निच्चे रात गुजारते जा हलिअइ, ताजा-ताजा काटल सुगंधित घास पर।
रात के बसेरा हमरा पर एगो अमिट छाप छोड़लकइ। कोय कलम ऊ शांत स्तेप (घास के विस्तृत मैदान) के दृष्य के मनोहरता के वर्णन नञ् कर सकऽ हइ, जेकर हम ऊ जमाना में साक्षी हलिअइ। चारो तरफ सब कुछ भव्य सरलता के श्वास ले हलइ आउ पूरा दुर्ग्राह्य सौन्दर्य से भरल हलइ, जेकरा हम सम्पूर्ण रूप से अनुभव करऽ हलिअइ। सुगंधित घास पर टिड्डा (grasshoppers) के झंकार, साँझ के गोधूलि वेला में उड़ते पंछी के डैना के फड़फड़ाहट, बटेर के एकसुरा चीख, घास काटे वला द्वारा लगावल आग के धधक, पारदर्शी असमान में तरिंगन के टिमटिमाहट आउ आखिरकार धीरे-धीरे आवाज के शांत हो जाना आउ गरम दक्षिणी रात्रि के औपचारिक शांति में मिल जाना - ई सब हमर किशोर हृदय पर अवर्णनीय प्रभाव डालऽ हलइ। तरिंगन के शांत चमक में हम केतना मिठगर नीन ले हलिअइ! केतना ताजा आउ स्फूर्तिमान होल हम जागऽ हलिअइ, जब सूर्य के पहिला किरण, बिन कोय देवाल आउ पर्दा के बाधा के, हमर चेहरा पर पड़ऽ हलइ!
पिताजी, जइसन कि हम पहिलहीं उल्लेख कर चुकलिए ह, शिकार करना बहुत पसीन करऽ हलथिन। ऊ पितिरबुर्ग से अंग्रेजी राइफल के साथ शिकार यंत्र आउ शिकारी कुत्ता लइलथिन। कभियो ऊ ओतना जोश में नञ् होवऽ हलथिन, खुश भी नञ्, जेतना कि जंगल में नदी आउ झील के किनारे कबूतर चाहे जंगली बत्तख के पीछा करते, जाहाँ परी ऊ सब सरपत के बीच बड़गो संख्या में घोंसला बनावऽ हलइ। हिएँ परी मिल्लऽ हलइ हमन्हीं के चेरी बाग के लुटेरा पंछी - मैना, जेकर स्वादिष्ट मांस के हम सब बहुत प्रशंसा करऽ हलिअइ। शिकार के सीज़न में पिताजी द्वारा बन्दूक से शिकार कइल पंछी के बनावल मांस, बोर्ष (borsch) आउ सूप हमन्हीं के टेबुल भिर से समाप्त नञ् होवऽ हलइ, आउ माय लगी घरेलू मामले में ई एगो बड़गो मदत के बात होवऽ हलइ। हम लगभग हमेशे पानी आउ जंगल में पिताजी के शिकार अभियान में भाग ले हलिअइ। कभी-कभी हम सब सारंग (bustards) आउ तिलोर (little bustards) के शिकार खातिर  स्तेप में दूर-दूर तक चल जा हलिअइ। देर तक चलते रहे के कारण थक्कल-माँदल, हम सब पहिले तुरी भेंटल मधु वाटिका (apiary) चाहे तरबूज के खेत में ठहर जा हलिअइ, दादाजी (पहरेदार) के कुरेन (झोपड़ी) में बैठ जइते जा हलिअइ, पोटली से खाना निकासऽ हलिअइ आउ सब मिलके भूख मेटावऽ हलिअइ। दादाजी हमन्हीं के भोजन में पूरक के रूप में मध चाहे सूरज के गरमी से सोना नियन चमक रहल गरम, पक्कल तरबूज मिला दे हलथिन।
ई सब अभियान के दौरान परम सुख के अनुभव करऽ हलिअइ, हलाँकि हमर भूमिका असान नञ् हलइ। हमरा एगो भार ढोवे वला खच्चर बन्ने पड़ऽ हलइ, एतना हमर कन्हा आउ हाथ में शिकार कइल पंछी आउ हर तरह के बोझ रहऽ हलइ। कभी-कभी हमरा हाल के फसल के कटनी कइल खेत से जाय पड़ऽ हलइ (, जे हमर नंगे पाँव खातिर तकलीफदेह हलइ)। हियाँ परी हमर नंगे पाँव खातिर तकलीफदेह हलइ, काहेकि एकरा में काटल फसल के काँटेदार खुँट्टी से खरोंच आ जाय से खून तक निकस जा हलइ। लेकिन ई सब छोटगर बात हलइ ऊ खुशी के [*30] तुलना में, जे हमरा आउ (शिकारी कुत्ता) वालेत्का के गोली से मारल मैना चाहे सरपत में गिरल बत्तख के दौड़के पकड़े में मिल्लऽ हलइ।
अकसर हमन्हीं झंझावात में पकड़ा जा हलिअइ। दम घुट रहले ह, कोय अवाज नञ्, कोय चहल-पहल नञ्। सक्रिय जीवन थकाऊ शिथिलता पैदा करऽ हइ - प्रकृति तनावपूर्ण घटना के प्रत्याशा में हइ। दूर क्षितिज के एक छोर पर नीला-धूसर (blue-gray) बादर सरक रहले ह। ई बढ़ रहले ह, घुड़मुड़ा रहले ह, आउ क्षितिज के आसपास फैल रहले ह। एकरा पर विद्युत् के वक्राकार बाण एन्ने-ओन्ने उमड़-घुमड़ रहले ह - लगातार आउ जादे नगीच, आउ जादे चमकीला होल जा हइ। विद्युत् के मंद ध्वनि लगातार तीव्रतर आउ अधिकाधिक आकस्मिक होल जा हइ - आउ अचानक सिर के उपरे बहिर बना देवे वला कड़क, चौंधिया देवे वला विद्युत् के निरंतर धारी। बारिश के धार तोरा पर पड़े लगऽ हको - मुसलधार बारिश में आसपास के कुछ नञ् देखाय दे हको। हम सब लगी तो ई भयंकर आउ आनंददायक दुन्नु हइ ...
लेकिन हमन्हीं के झंझावात के पूर्वानुमान हलइ आउ पहिलहीं से एगो मधुमक्खी-पालक के घर में आश्रय खोज लेलिए हल। आउ झंझावात के बाद केतना आनंददायक हलइ! हवा में केतना ताजगी आउ स्वच्छता! जंगल आउ मैदान केतना सुगंधित! घास आउ पत्ता नवीनीकृत हरियाली से चमकऽ हइ। फेर से टिड्डा झंकारऽ हइ आउ तितली एन्ने-ओन्ने उड़ान भरऽ हइ, फेर से पंछी चहचहाय लगऽ हइ - तोहरा लगतो कि जइसे नयका वसंत के अनुभव कर रहलऽ ह। हमेशे एकरा देखल जा सकऽ हइ, तइयो ई विस्मयकारी दृश्य से मन नञ् भरतइ - सुनल जा सकऽ हइ, तइयो बिन शब्द के ई सब अवाज के नञ्, बल्कि पूर्ण खुशहाल जीवन के सुनके मन नञ् भरतइ! अब हम काटल घास के मैदान के यात्रा के तरफ लौटऽ हिअइ। अइसन एक यात्रा हमरा लगी लगभग प्राणघातक साबित होलइ। पिताजी एगो फुरतीला घोड़ा खरदलथिन हल, जेकरा दुपहिया गाड़ी में जोतके यात्रा करऽ हलथिन। हम दुन्नु साथ यात्रा करते जा हलिअइ। हमरा अगला सीट पर बैठके घोड़ा हाँके के बड़गो मन कइलकइ। पिताजी, साधारणतः, हमर इच्छा के आगू नञ् झुक्कऽ हलथिन, लेकिन अबरी भाग्यवश मान गेलथिन। ऊ हमरा लगाम दे देलथिन, आउ हम, अवर्णनीय खुशी के साथ, अगला सीट पर बैठ गेलिअइ। हल में बारिश होले हल आउ गाड़ी के अगला सीट बहुत फिसलनदार हो गेले हल। घोड़वा के हाँकते ओकरा पर से हम कइसूँ फिसल गेलिअइ आउ पल भर में, लगाम सहित, हम गाड़ी के निच्चे गिर गेलिअइ। घोड़वा कम उम्र के आउ जोशीला हलइ। कुछ तो अनहोनी के आशंका अनुभव करके, ऊ एक तरफ दौड़ पड़लइ आउ तीर के गति से मैदान से गुजरे लगलइ। पिताजी तो भय से सन्न हो गेलथिन। ऊ हमर चीख सुनलथिन, लेकिन हमरा देख नञ् पा रहलथिन हल। हमर कपड़ा गाड़ी के एक कील में फँस गेले हल, आउ हम मैदान से घसटाल जा रहलिए हल। घोड़वा के कइसूँ रोकल नञ् जा सकऽ हलइ - हम भय से लगाम के कसके पकड़ लेलिअइ आउ ओकरा हाथ से नञ् छोड़लिअइ। भाग्यवश, भयभीत जीव खाली दौड़ल जाब करऽ हलइ आउ खुर से हमरा पर प्रहार नञ् कर रहले हल - नञ् तो हमर खैरियत नञ् हलइ। आखिरकार, एगो जोरदार धक्का हमरा जमीन पर फेंक देलकइ - कील टूट गेलइ; घोड़वा अब खाली बम (shafts) के साथ लगभग आधा विर्स्ता दौड़ल चल गेलइ आउ फेर खुद्दे रुक गेलइ। हमरा लगी भय से आतंकित होल, पिताजी गाड़ी से उछलके निच्चे चल अइलथिन, ई पूरा विश्वास के साथ, कि ऊ हमर खाली लाश उठइथिन, लेकिन ऊ हमरा पहिलहीं अपन गोड़ पर खड़ी देखलथिन, लगभग बिन घायल होल, हलाँकि बहुत भयभीत। उनका अपन आँख पर विश्वास नञ् होलइ आउ देर तक हमरा स्पर्श करके जाँचते रहलथिन कि हम वास्तव में सुरक्षित हिअइ। हमर एक्को अंग घायल नञ् होले हल, खाली बामा गाल जरी सुन कट गेले हल आउ बामे गोड़ में पथलवा से टकराय से गहरा खरोंच आ गेले हल। कइसूँ कील के मरम्मत करवइलिअइ, गाड़ी के बम आउ अगला धूरा (front axle) से जोड़लिअइ, आउ पड़ोस के गाम तक पैदल गेते गेलिअइ, जाहाँ परी अराम आउ हार्दिक स्वागत मिललइ।
[*31] आसपास के कृषक साधारणतः हमर पिताजी के बहुत मानते जा हलइ। ओकन्हीं नञ् भुललइ कि ऊ ओकन्हीं के अधिकार आउ रुचि खातिर कष्ट झेललथिन हल। ओकन्हीं में से ग्रोमोवोय नामक एगो आदरणीय वृद्ध विशेष रूप से हमर स्मृति में अभियो हथिन, जे क्रिवायऽ बिर्योज़ा नाम के गाम में रहऽ हलथिन। उनका बेटा, बेटी, पोता आउ परपोता के बड़गो परिवार हलइ, जेकन्हीं बीच उनका एगो वास्तविक कुलपिता (patriarch) के हैसियत हलइ। नम्र आउ व्यवहार में जरी रोबदार के रूप में उनका अपन बड़गर परिवार में आदर के दृष्टि से देखल जा हलइ, जे उनका अपन मुखिया मानऽ हलइ आउ कभी अनुशासन के बाहर नञ् जा हलइ। उनकर सब्भे बेटवन पढ़ल-लिक्खल हलइ। एगो मिलिट्री सेवा में हलइ आउ अनायुक्त अफसर (non-commissioned officer) के रैंक प्राप्त कर चुकले हल। दोसरो बेटवा सेना में सेवा करे खातिर तैयारी कर रहले हल आउ हमर पिताजी के पास अध्ययन कर रहले हल। ग्रोमोवोय धनगर हलथिन। उनका पास गाय आउ भेड़ के झुंड (herds) हलइ, दू गो पवन-चक्की, एगो मधु वाटिका (apiary) आउ एगो विस्तृत बाग। हम पिताजी के साथ उनका हीं दिन-दिन भर समय गुजारऽ हलिअइ। ऊ हमन्हीं के स्वागत करऽ हलथिन आउ हमन्हीं के नगीची प्रिय दोस्त मानऽ हलथिन, आउ जब बिदा होवऽ हलिअइ त हमेशे हमर गाड़ी में अपन खेत, बाग आउ मधु वाटिका के हर संभव उत्पाद (products) से भरके लाद दे हलथिन।
घास के कारबार में विफलता फेर से हमर माता-पिता के बिन संसाधन के बना देलकइ। उनका पास अब न तो घर हलइ, न जमीन, आउ न शारीरिक परिश्रम से रोजी-रोटी कमाय के कइसनो प्रकार के औजार। पिताजी जायदाद के मैनेजर चाहे मोकदमा के प्रतिवक्ता (solicitor) के पद - ऊ कानून के निम्मन जानकार हलथिन। लेकिन कोय पद के अवसर नञ् मिल रहले हल। उनका फेर से अध्यापन के काम करे पड़लइ। जिज्ञासु लघु रूसी लोग अबरियो उनका बिन छात्र के नञ् रहे देते गेलइ। आउ फेर से हमन्हीं के दिन पहिलहीं नियन गुजरे लगलइ, लगातार के काम आउ गरीबी के संघर्ष में।
हमर बेचारी माय लगी जल्दीए एगो आउ नयका दुख के स्रोत उत्पन्न हो गेलइ। पिताजी के रोमांटिक आउ चंचल आत्मा, पिंजड़ा में बन्द एगो पंछी नियन, तंग माहौल में संघर्ष कर रहलथिन हल। ऊ लगातार कहीं तो लपकके जा हलथिन, कुछ तो खोजऽ हलथिन, आउ वांछित चीज नञ् पाके, हतोत्साह हो जा हलथिन आउ प्रचंड झुंझलाहट के शिकार हो जा हलथिन। उत्साही प्रकृति उनका घर के सीमा से बाहर आकृष्ट करऽ हलइ, आउ जब प्रलोभन कहीं अलगे प्रस्तुत होवऽ हलइ, त ऊ ओकरा नियंत्रित नञ् कर पावऽ हलथिन।
संयोग से उनका पड़ोस के फार्म के एगो अल्पवयस्क विधवा के साथ घनिष्ठता उत्पन्न हो गेलइ। ई एगो दक्षिणी प्रकार के असाधारण सुन्दरी हलइ, लंबोतरा, गहरा सुनहरा चेहरा वली, केश आउ आँख कार चमकीला, पूर्णतः शब्दशः अर्थ में, "दिन नियन साफ आउ रात नियन कार"। समझ में नञ् आवऽ हइ कि ऊ कइसे हमन्हीं के प्रदेश में पैदा लेलके हल - ओकरा तो सुदूर दक्षिण, अन्दलूसिया[1], के मूल निवासी (native) होवे के चाही हल। ऊ पितिरबुर्ग आउ मास्को में दू साल गुजरलके हल आउ हुआँ कोय नाजुकता प्राप्त कइलके हल, जेकरा से ओकर सौन्दर्य आउ प्राकृतिक लावण्य आउ बढ़ गेले हल। ओकर पति के सेहत बहुत बिगड़ गेले हल, आउ ऊ हमर पिताजी से सलाह मँगलकइ। ऊ तुतम्मे समझ गेलथिन कि रोगी बच नञ् पइतइ - ओकरा तपेदिक (टीबी) से पीड़ित हलइ। लेकिन, समय से पहिलहीं ऊ परेशान नञ् हो जाय, एकरा चलते पिताजी ओकरा हीं भेंट देवे लगलथिन आउ कोय तो जड़ी-बूटी के काढ़ा पीए लगी कहलथिन। एक तुरी ऊ हमरो साथ ले गेलथिन। संयोगवश, हमन्हीं जब पहुँचलिअइ त ऊ अपन अन्तिम साँस ले रहले हल। हियाँ परी हमरा पहिले तुरी मृत्यु से सीधे सामना होलइ, आउ ओकर मनझान आकृति हमरा पर अमिट छाप छोड़लकइ। मरणासन्न के [*32] घेरले हलथिन पुरोहित, हमर पिताजी आउ एगो आउ कोय व्यक्ति। पत्नी बिछावन के सिरहाना तरफ ओठंगके सुबक रहले हल। हम कमरा के कोना में बैठल हलिअइ आउ भय एवं उत्सुकता से, जे हो रहले हल, हम देख रहलिए हल। रोगी अभी-अभी अपन पाप-स्वीकृति आउ कम्युनियन (Communion) अथवा परम प्रसाद प्राप्त करे के चर्च के औपचारिकता पूरा कइलके हल। ओकर साँस भारी आउ अनियमित हलइ, देर तक ऊ बात करे लगी प्रयास कइलकइ मगर कर नञ् सकलइ। आखिरकार, पुरोहित के तरफ मुड़के बोललइ –
"आउ कुछ पूरा करे के बाकी हइ?"
ई ओकर प्रयास अन्तिम हलइ - ओकर आँख बन्द हो गेलइ, ओकर साँस बन्द हो गेलइ।
"सब कुछ समाप्त हो गेलइ", पिताजी बोललथिन, "एहे दर्शन (philosophy) हइ!" 'दर्शन' शब्द पर ऊ विशेष जोर देलथिन। पुरोहित बुद्धिमान आउ विद्वान हलथिन, आउ पिताजी उनका साथ अकसर चर्चा करऽ हलथिन आउ दर्शन विषय पर वाद-विवाद करऽ हलथिन। ई सब दृश्य में हमरा मरणासन्न के शांति आश्चर्यचकित कर देलकइ। मौत, ई तरह से, पहिले तुरी हमरा ओतना भयंकर रूप के नञ् लगलइ, जेतना गंभीर रूप के।
ओकर पति के मौत के बादो पिताजी सुंदरी विधवा के हियाँ भेंट देना जारी रखलथिन, जे उनका में एगो एकमात्र दोस्त के रूप में देखे के अभ्यस्त हो गेलइ। दुन्नु के बीच नगीची पैदा हो गेलइ, जे लमगर अवधि तक हमर मइया के जिनगी दयनीय बना देलकइ। लेकिन ऊ उदारतापूर्वक अपन दिल में दुख के छिपइले रखलकइ, न तो शिकायत आउ न झिड़की से अपन पति के पहिलहीं से हतोत्साह दिल के परेशान कइलकइ। पहिले नियन ऊ दुख झेलते रहलइ, शांति से, बिन कोय भुनभुनाहट के, अपन कर्तव्यपालन में आश्वासन खोजते। एहे दौरान हम अपन व्यक्तिगत जीवन में बिन कोय विशेष घटना के बड़ हो रहलिए हल, खाली ओहे सब आकस्मिक घटना के प्रभाव रहऽ हलइ, जे गरीबी जीवन में अनिवार्य हलइ, जाहाँ परी ठीक आउ सुव्यवस्थित ढंग से बुतरुअन के विकास नञ् कइल जा सकऽ हलइ। हियाँ लालन-पालन के छाया नञ् हलइ, बल्कि हलइ खाली जानल-बुझल परिस्थिति के प्रभाव के अन्तर्गत बढ़ंती। जे कुछ हमरा में विकसित होलइ, ऊ अपने आप होलइ, बिन कोय बाहरी प्रयास चाहे हस्तक्षेप के। हम बढ़लिअइ, जइसे जंगल में कोय छोटगर पौधा बढ़ऽ हइ - गरम आउ साफ दिन आवऽ हइ, त ओकरा में कोंपल फुट्टऽ हइ, हरा हो जा हइ; बहुत ठंढी पड़ऽ हइ - आउ पतवन मुरझा जा हइ, सिकुड़ जा हइ आउ जे फूल खिल्ले वला हइ, ऊ गिर जा हइ।
हमर नैतिकता के मामले में, सच हइ, मइया कुछ हद तक खियाल रक्खऽ हलइ, आउ हम, वस्तुतः, प्रतिष्ठा आउ कर्तव्य के प्रथम ज्ञान लगी माय के ऋणी हिअइ।  लेकिन मुख्य रूप से हम खुद पर आधारित हलिअइ आउ अधिकाधिक एकाग्र (अन्तर्मुखी) होवे लगलिअइ। केकरो साथ अप्रिय मुठभेड़ हो गेला पर हम हमेशे जल्दी से जल्दी दूर हो जा हलिअइ - हम कोठार (अन्न-भंडार) में दौड़ल चल जा हलिअइ, आउ पोवार में छिप जा हलिअइ, अपन तकलीफ हुएँ झेलऽ हलिअइ, फेर बिलकुल अविश्वसनीय हवाई किला बनावे लगऽ हलिअइ। बुतरुअन के शोरगुल वला खेल हमरा बहुत कम आकृष्ट करऽ हलइ - दोसर लड़कन के भीड़ में हम असहज आउ विस्मृत (lost) अनुभव करऽ हलिअइ। लेकिन अपन चुन्नल दोस्त लोग के बीच आमने-सामने हम सक्रिय, खुश, हाजिरदिमाग (inventive) रहऽ हलिअइ।
हमरा पढ़ाई के मामले में उत्कट अभिलाषा देखके, पिताजी हमरा गंभीर पुस्तक पढ़वावऽ हलथिन। लेकिन अइसन पुस्तक पढ़े में हमर रुचि तेजी से समाप्त हो गेलइ। ई पुस्तक सब अधिकतर शुष्क पाठ्य-पुस्तक हलइ, कभी-कभी हमर समझ के बाहर। मसलन, हमरा हाथ में डाल दे हलथिन रूसी इतिहास, जे पब्लिक स्कूल में निर्धारित रहऽ हलइ - "पढ़!", ऊ कहऽ हलथिन, "ई ऊ सब निम्न स्तर के पुस्तक से जादे उपयोगी होतउ आउ बाहर एन्ने-ओन्ने चक्कर लगावे से बेहतर होतउ।"
[*33] हम बैठिअइ आउ पढ़िअइ - पॉलिश आउ दोसर-दोसर स्लाविक जनजाति के बारे - द्रिव्ल्याने, क्रिविचे, व्यातिचे ... हम विचित्र-विचित्र नाम से आश्चर्यचकित हो जइअइ। पन्ना उलटते जइअइ - हियाँ परी लड़ाई पर लड़ाई के उल्लेख, राजकुमार लोग आपस में मर-कट रहले ह ... लेकिन हमर विचार बहुत पहिलहीं से एगो आजाद पंछी नियन मायावी राज्य (enchanted kingdom) में उड़ान भरऽ हइ, जाहाँ परी हम सर्वशक्तिमान आउ राजा हिअइ।



[1] अन्दलूसिया (Andalusia) - प्रायद्वीपीय स्पेन के सबसे दक्षिणी स्वायत्त प्रान्त-समूह, जेकरा में आठ प्रान्त सम्मिलित हइ आउ जेकर राजधानी हइ - सेविल (Seville) शहर।

No comments: