जो मगही की बात करेगा वही मगध पर राज करेगा
19 Jan 2009, 08:49 pm
शेखपुरा : जो मगही की बात करेगा वही मगध पर राज करेगा। यह एलान मगही मंडप ने आसन्न लोकसभा चुनाव को लेकर किया है। इस बाबत मगही मंडप के जिला अध्यक्ष रामचन्द्र ने बताया कि आसन्न लोकसभा चुनाव को लेकर इस पूरे क्षेत्र में मगही भाषा की हो रही राजनीतिक उपेक्षा को चुनावी मुद्दा बनाया जायेगा। रामचन्द्र ने बताया कि इसी मुद्दे को अमलीजामा पहनाने के लिए तथा रणनीति तैयार करने के लिए 25 जनवरी को शेखोपुरसराय में खास आयोजन मगही मंडप द्वारा किया गया है। रामचन्द्र ने कहा कि लोकसभा चुनाव में जो प्रत्याशी मगही भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए अपने समर्थन की घोषणा करेगा क्षेत्र में उसी को वोट दिया तथा दिलाया जायेगा। रामचन्द्र ने बताया कि मगही भाषी मतदाता बिहार के नवादा, जमुई, मुंगेर, नालंदा, पटना, गया, जहानाबाद तथा औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र के साथ झारखंड के भी 5 जिलों में चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। रामचन्द्र ने इस पूरे क्षेत्र के सांसदों तथा विधायकों पर आरोप लगाया कि मगही भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक उपेक्षा के कारण ही मगही भाषा को आजतक संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है। इस उपेक्षा से आहत करोड़ों मगही भाषी लोकसभा चुनाव में अपने गुस्से का इजहार करेगे। उन्होंने कहा कि सिर्फ बिहार में मगही भाषा बोलने वाले 3.5 करोड़ लोग हैं।
5 comments:
सच तो यह है की मगही को सम्मान दिलाने का सार्थक प्रयास ही नहीं हो सका. मगही मंडप को धन्यवाद कि उसने इस दिशा में पहल की है. हमें भी इस प्रयास में साथ समझें.
इस जाल-स्थल पर भेंट देकर अपनी प्रतिक्रिया अभिव्यक्त करने के लिए धन्यवाद । मगही में प्रकाशित बहुत कुछ है, परन्तु लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है । अन्तरजाल (इंटरनेट) एक सशक्त माध्यम है जिससे मगही भाषा और साहित्य का प्रचार-प्रसार किया जा सकता है । परन्तु इस लाइन में रुचि रखनेवालों की अभी बहुत कमी है । इसी महीने मुझे पटना, बिहारशरीफ और सोहसराय के कई मगही लेखकों से मिलने का अवसर मिला । पटना के मगही लेखक बाबूलाल मधुकर जी से भी चर्चा हुई । पता चला कि उनके उपन्यास "रमरतिया" (प्रथम संस्करण 1968, नवम संस्करण 2008) का रूसी अनुवाद भी हुआ है ।
क्षेत्रीय भाषाओं को बचाने के लिए इस प्रकार का पहल बहुत ही अनुकरणीय है ... अच्छज्ञ लगा पढकर।
बड़े भाई
सादर प्रणाम
आपके ब्लॉग पर एक बार पहले भी आया था .
ब्लॉग जगत में मगह और मगही के तौर पर शामिल होने की प्रेरणा मिली
मगह क्षेत्र बिहार की धुरी होने के बाद भी आज तक उपेछित रहा है.मगही लोग ,संस्कृति और मगही भाषा पहचान और सम्मान से मरहूम रही है.
कई मायनों में बिहार का इतिहास मगध का इतिहास रहा है . मगही लोग और और मगह का भूगोल , युध्हों और बदलाब का थिएटर रहा है.
निजी तौर पर मगह के ढेरों सवालों से जूझता रहा हूँ .
अगर हम सब सहकर्मी और सहधर्मी बनें तो द्रिघ्कालीन लक्ष्य बनाया और प्राप्त किया जा सकता है.
मेरे ब्लॉग मगह्देस .ब्लागस्पाट.कॉम और patnagandhimaidan.ब्लागस्पाट.कॉम पर सादर आमंत्रित हैं
मेरा ईमेल ईद - kaushalkishorejnu@yahoo.कॉम
दनियावां स्टेशन से पश्चिम - तोप मेरे पुरखों का गांव है .
सादर
कौशल
कौशल जी,
प्रणाम !
आपके ब्लॉग "मगह देस" के बारे में आज ही पता चला । इस पर भेंट भी दी । अन्य ब्लॉग भी बाद में देखूँगा । पटना में हाल में ही (दिनांक १६-२-०९ को) मगही लोगों के साथ भेंट एवं वार्ता हुई । मगही के पुरोधा डॉ॰ राम प्रसाद सिंह और प्रसिद्ध मगही उपन्यास "रमरतिया" के लेखक बाबूलाल मधुकर जी भी उपस्थित थे । पहले ज्ञात होने पर आपसे भी भेंट करता ।
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