विजेट आपके ब्लॉग पर

Friday, November 22, 2019

पितिरबुर्ग से मास्को के यात्रा ; अध्याय 21. गोरोद्न्या


[*370]                      गोरोद्न्या (Gorodnya)
गाम में प्रवेश करते बखत, कविता के गान के नञ्, बल्कि हमर कान पर, औरतियन, बुतरुअन आउ बुढ़वन के हृदयविदारक रोदन के प्रहार पड़लइ। अपन किबित्का से उतरके हम एकरा डाक स्टेशन दने जाय लगी छोड़ देलिअइ, काहेकि हम रोड पर के शोरगुल के कारण जाने लगी उत्सुक हो गेलिअइ।
एक झुंड बिजुन गेला पर हमरा मालुम पड़लइ कि भरती कइल जा रहल काम हुआँ परी एकट्ठा होल कइएक लोग के विलाप आउ आँसू के कारण हलइ। सरकारी आउ जमींदारी दुन्नु वला कइएक गाम से, सेना में भरती[1] कइल जा रहल लोग हुआँ परी जामा होले हल।
एक दल में पचास साल के एगो बूढ़ी, बीस साल के एगो छोकड़ा के सिर पकड़ले, चीख रहले हल। "हमर दुलरुआ बेटा, हमरा केकरा पर छोड़ले जाहीं? अपन माय-बाप के घर-दुआर केकरा सौंपम्हीं? हमन्हीं के खेत में घास-भुस्सा भर जइतउ; आउ हमन्हीं के झोपड़ी काई से। हम, तोर बेचारी बूढ़ी माय, [*371] भीख माँगते फिरबउ। हमर बुढ़ाल देह के ठंढी से केऽ गरम करत, केऽ ओकरा गरमी से बचाबत? केऽ हमरा खिलावत-पिलावत? लेकिन सब हमर दिल पर ओतना भारी नञ् हउ; जब हम मर जाम, केऽ हमर आँख बन्द करत? केऽ हमर असीर्वाद लेत? केऽ हमर देह के हम सब लगी भिंगल धरती माय के सौंपत? केऽ हमर कबर भिर हमरा आद करे लगी आवत? ओकरा पर तोर गरम लोर नञ् गिर पइतउ; तोर खुशी हमरा नञ् मिल्लत।"
बुढ़िया बिजुन एगो लड़की खड़ी हलइ, जे जवान हो चुकले हल। ओहो कन्नब करऽ हलइ। "अलविदा, हमर दिली दोस्त, अलविदा हमर चमकीला सूरज। हमरा, तोर वाग्दत्ता (छेका होल) के, अब कोय अराम आउ खुशी नञ् मिल्लत। हमर सहेली सब हमरा पर डाह नञ् करत। सूरज हमर खुशी लगी नञ् उग्गत। तूँ हमरा शोक करे लगी छोड़ रहलऽ , जे तो विधवा (मसोमात) आउ विवाहित औरत रहतइ। चाहे बल्कि हमन्हीं के गाम के बुजुर्ग लोग हमन्हीं के शादी होवे देथिन हल; बल्कि तूँ, हमर प्रिय दोस्त, [*372] एक्को रात गुजारतऽ हल, हमर छाती भिर सुततऽ हल। शायद भगमान हमरा पर दया करता हल, आउ दिलासा देवे लगी हमरा एगो बुतरू देथन हल।
लड़कावा ओकन्हीं से बोललइ, "रोना-धोना बन्द करते जा, हमर दिल के चीरना बन्द करते जा। हमरा सम्राट् सेवा लगी पुकारऽ हथन। हमर बारी आल। भगमान के इच्छा हइ। जेकरा मरे के नञ् लिक्खल हइ, जिन्दा बचतइ। हो सकऽ हइ कि हम रेजिमेंट के साथ हम तोहन्हीं भिर जइयो। आउ एहो हो सकऽ हइ कि सेवा करके हम कोय पदवी पा जइअइ। दुखी मत हो प्यारी माय। हमरा लगी प्रस्कोव्या के देखभाल करिहँऽ।" रंगरूट के आर्थिक बस्ती से लेके चल गेते गेलइ।
बिलकुल दोसरहीं तरह के शब्द हमरा नगीच के खड़ी दोसर दल में सुनाय पड़लइ। ओकरा बीच हम एगो तीस साल के अदमी देखलिअइ, मँझोला कद के, जे सीधा खड़ी हलइ, आउ आनन्दपूर्वक अपन चारो दने के लोग के तक रहले हल।
"भगमान हमर प्रार्थना सुन लेलथन", बोललइ। "अभागल के आँसू सब लोग के सांत्वनाकर्ता तक पहुँच गेलइ। अब [*373] हम कम से कम जान तो पइबइ कि हमर किस्मत हमर निम्मन चाहे खराब आचरण पर निर्भर कर सकऽ हइ। अभी तक निर्भर हलइ औरतानी सनक (स्वेच्छार) पर। एगो विचार हमरा सांत्वना दे हके कि बिन अदालत के कार्रवाई के हमरा डंडा (कोड़ा) के मार से दंडित नञ् कइल जइतइ!"
ओकर कथन से जानके कि जमींदार हीं के भूदास (manorial serf) हलइ, हमरा ओकरा से ओकर असाधारण प्रसन्नता के कारण जाने के उत्सुकता होलइ। एकरा बारे हमर प्रश्न पर उत्त देलकइ - "प्रिय महोदय, अगर एक दने फाँसी के फंदा रक्खल रहइ, दोसरा दने एगो गहरा नद्दी आउ दुन्नु मौत के बीच, दहिना चाहे बामा दने जाय से बच नञ् सकऽ हलथिन, फंदा पर नञ् तो पानी में, अपने कीऽ चुनथिन हल, अपने के विवेक आउ भावुकता केकरा चुन्ने लगी प्रवृत्त करतइ? हमरा लगऽ हइ, हरेक कोय नद्दी में कूद जाय लगी चुनतइ, आशा से कि पैरके दोसरा किनारा तक पहुँचके खतरा से बच्चल जा सकऽ हइ। कोय भी जाँचे लगी सहमत नञ् होतइ [*374] कि अपन गरदन लगी फाँसी के फंदा बरियार हइ कि नञ्। अइसने हमर हालत हलइ। सैनिक जीवन कठिन हइ, लेकिन फाँसी के फंदा से बेहतर हइ। एहो निम्मन होतइ, जब एहे अन्त होवे, लेकिन बिलट-बिलटके मरना, डंडा के मार के अधीन, चाभुक के मार के अधीन, बेड़ी में, काल-कोठरी में, नंगे, खाली गोड़, भुक्खल-पियासल, दिन-रात गारी सुनते; प्रिय महोदय, चाहे भूदास के अपन जायदाद समझऽ होथिन, अकसर जानवरो से बत्तर, तइयो अपन अत्यंत कड़वा किस्मत के चलते ओकन्हीं भावना से वंचित तो नञ् हइ। हम देखऽ हिअइ कि अपने के अचरज हो रहले अइसन बात एगो कृषक के मुँह से सुनके; लेकिन सब सुनके काहे नञ् अपने के अचरज होवऽ हइ अपन बिरादरी, कुलीन लोग के क्रूरता से?"
आउ वास्तव में हमरा अइसन बात के प्रत्याशा नञ् हलइ, एगो धूसर कफ़्तान में आउ मूँड़ल सिर वला अदमी से। लेकिन अपन उत्सुकता के संतुष्टि लगी, हम ओकरा बतावे लगी कहलिअइ कि कइसे एतना कम हस्ती वला होइयो के, अइसन विचार कर सकलइ, जे अकसर लोग में भी नञ् पावल जा हइ, [*375] जेकरा अनुपयुक्त ढंग से भद्रलोक (nobles) कहल जा हइ।
अगर अपने के हमर कहानी सुन्ने में बोरियत नञ् हो रहले , हम अपने के बतइबइ कि हम दासता में पैदा होलिए हल; अपन पहिलौका मालिक के द्यादका (बुतरू के देखभाल करे आउ पढ़ावे-लिखावे वला निजी नौकर) के बेटा के रूप में। हमरा बात सोचके केतना खुशी होवऽ हइ कि हमरा अब कोय वानका[2] नाम से नञ् पुकारतइ, आउ कोय अपमानजनक नाम से, चाहे सीटी बजाके कुत्ता नियन। हमर बड़का मालिक, जे एगो सहृदय, बुद्धिमान आउ परोपकारी व्यक्ति हलथिन, आउ अकसर अपन दास लोग के किस्मत पर तरस खा हलथिन, हमर पिताजी के लमगर अवधि के सेवा के कारण हमरा लगी कुछ विशेष करे लगी चाहऽ हलथिन, ओहे से अपन बेटा के स्तर के शिक्षा हमरो देलइलथिन। हमन्हीं बीच मोसकिल से कोय अन्तर हलइ, सिवाय खाली कि शायद ओकर कोट के कपड़ा जरी जादे निम्मन रहऽ हलइ। हमर छोटका मालिक के जे कुछ पढ़ावल जा हलइ, ओहे हमरो पढ़ावल जा हलइ; हमन्हीं के सिखौनी सब कुछ में बिलकुल एक्के रहऽ हलइ, आउ बिन कोय शेखी के हम कहबइ कि कइएक बात में हम अपन छोटका मालिक से बेहतर हलिअइ।
[*376] "वन्यूशा[3]", बड़का मालिक हमरा कहऽ हलथिन, "तोर खुशी बिलकुल तोरे पर निर्भर हउ। तोरा हमर बेटा से कहीं अधिक पढ़े-लिक्खे आउ सदाचार के प्रवृत्ति हउ। ऊ हमरा नियन धनी होतइ, आउ ओकरा कउनो प्रकार के कमी के एहसास नञ् होतइ, जबकि तूँ अपन पैदाइश के बखत से हीं एकरा से परिचित हकहीं। ओहे से तोर लालन-पालन के हमर प्रयास के योग्य बने के प्रयत्न करिहँऽ।" जब हमर छोटका मालिक सतरह साल के हलथिन, उनका आउ हमरा दुन्नु के विदेश भेजल गेलइ, एगो निरीक्षक के साथ, जेकरा हिदायत कइल गेले हल कि हमरा साथ एगो सहयात्री जइसन व्यवहार कइल जाय, कि एगो नौकर नियन। भेजते बखत हमर बड़का मालिक कहलथिन - "हम आशा करऽ हिअउ कि तूँ हमरा आउ अपन माता-पिता के खुशी देवे नियन वापिस लौटमँऽ। दास तूँ खाली राज्य के सिमाना में हकँऽ, लेकिन ओकर बाहर तूँ अजाद हँऽ। हियाँ वापिस अइला पर तूँ अपन जन्म के आधार पर बेड़ी नञ् जकड़ल पइमँऽ।" हमन्हीं पाँच साल लगी दूर रहलिअइ, आउ फेनुँ रूस वापिस अइते गेलिअइ; हमर छोटका मालिक अपन पिता के देखे के खुशी में, [*377] लेकिन हम, स्वीकार करऽ हिअइ, मनमनाल कि हमरा देल गेल वचन के अनुसार मिल्लत। अपन पितृभूमि में प्रवेश करते बखत हमर दिल धड़धड़ कर रहल हल। आउ वास्तव में ओकर आशंका गलत नञ् हलइ। रीगा में हमर छोटका मालिक के अपन पिता के मौत के खबर मिललइ। एकरा से ऊ प्रभावित हो गेलथिन, हम तो निराश हो गेलूँ। काहेकि अपन छोटका मालिक के मित्रता आउ विश्वास जित्ते के हमर सब्भे प्रयास हमेशे व्यर्थ रहले हल। ऊ नञ् खाली हमरा नञ् मानऽ हला, शायद ईर्ष्या के कारण, जइसन कि क्षुद्र आत्मा लगी स्वाभाविक हइ, बल्कि हमरा से घृणा करऽ हला।
अपन पिता के मौत के खबर से हमरा में चिंता पैदा होल देखके हमरा बोलला कि हमरा देल गेल वचन के नञ् भूलता, अगर हम एकरा लगी योग्य होबइ। पहिले तुरी हमरा बात कहे के साहस कइलका, काहेकि अपन पिता के मौत के बाद स्वतंत्रता प्राप्त कइला पर, परिश्रम लगी उदारतापूर्वक भुगतान करके  अपन निरीक्षक के [*378] बर्खास्त कर देलका। हमर पूर्व मालिक लगी न्याय करे के चाही कि उनका पास कइएक निम्मन गुण हइ, लेकिन उनकर आत्मा के भीरुता आउ विचारहीनता सब के धुँधला कर दे हइ।
हमन्हीं के मास्को आगमन के एक सप्ताह बाद, हमर मालिक एगो देखे में पर्याप्त सुन्दर लड़की के प्यार में पड़ गेला; लेकिन जेकर शारीरिक सौन्दर्य के साथ आत्मा अत्यन्त कुरूप आउ दिल कठोर आउ क्रूर हलइ। अपन पृष्ठभूमि के अहंकार में पालित-पोषित, खाली बाह्याडम्बर, रैंक आउ धन-दौलत पर विचार करऽ हलइ। दू महिन्ना के बाद हमर मालिक के पत्नी बन गेलइ, आउ हमर मालकिन। तखने तक हम अपन हैसियत में कोय बदलाव अनुभव नञ् कइलिए हल, अपन मालिक के घर में उनकर साथी के रूप में रह रहलिए हल। हलाँकि ऊ हमरा कोय औडर नञ् दे हलथिन, लेकिन हमरा कभी-कभी उनकर इच्छा के आभास हो जा हलइ, काहेकि हमरा उनकर प्रभुता आउ अपन हैसियत के  अहसास हलइ। मोसकिल से छोटकी [*379] मालकिन घर के दहलीज पार कइलथिन, जेकरा में उनकर अपन हुकुम चलावे के बात साफ हलइ, कि हमरा अपन  भाग्य के गंभीरता के अनुभव होलइ। विवाह के पहिला शाम के आउ दोसरा दिन तक, जब हमर ओकरा साथ ओकर पति अपन साथी के रूप में परिचय करइलथिन, दुलहन के सामान्य रस्म-रिवाज में व्यस्त रहलइ; लेकिन शाम में जब काफी लोग आके टेबुल भिर एकत्र होते गेलथिन, आउ नयका विवाहित जोड़ी के साथ भोजन लगी बैठते गेलथिन, आउ हम अपन सामान्य निचला छोर पर के जगह में बैठलिअइ, नयकी मालकिन अपन पति से यथेष्ट उच्च स्वर में बोललइ कि अगर चाहऽ हका कि हम अतिथि लोग के साथ टेबुल भिर भोजन खातिर बैठिअइ, उनका कोय दास के हुआँ परी बैठे के अनुमति नञ् देवे के चाही। हमरा दने नजर डालके आउ ओकर कहना के मोताबिक नच्चे वला बन चुकल कठपुतली के रूप में, एगो अदमी के कहे लगी पठइलथिन कि हम टेबुल भिर से चल जइअइ आउ अपन कोठरी में जाके भोजन करिअइ। कल्पना करथिन, हमरा लगी केतना अपमानजनक हलइ! लेकिन तइयो अपन आँख में ढरक गेल [*380] लोर के रोकके हुआँ से चल गेलिअइ। दोसरा दिन हमरा मुँह देखावे के साहस नञ् होलइ। हमरा बिन कुछ कहले हमरा लगी दुपहर आउ रात के भोजन लावल गेलइ। एहे बात होलइ अगला कुछ दिन। विवाह के एक सप्ताह बाद, एक दिन, दुपहर के भोजन के बाद नयकी मालकिन घर के निरीक्षण करते आउ सब नौकर के ड्यूटी आउ रहे के क्वाटर निर्धारित करते, हमरो कोठरी में अइलइ। सब कोठरी के सजावट हमर वृद्ध मालिक द्वारा कइल गेले हल। हम घर पर नञ् हलिअइ। बात के हम नञ् दोहरइबइ कि कमरा में रहते हमरा पर व्यंग्य के रूप में कीऽ बोललइ, लेकिन, जब हम घर वापिस अइलिअइ हमरा ओकर औडर बतावल गेलइ कि हमरा निचला मंजिल के कोना वला भित्तर में अविवाहित नौकरानी लोग के बीच में भेज देल गेले हल; जाहाँ परी हमर बिछौना, हमर पोशाक आउ कपड़ा-लत्ता के साथ सन्दूक पहिलहीं डाल देल जा चुकले हल; बाकी सब समान हमर पहिलौका कमरा सब में छोड़ देवल गेले हल, जेकरा में अपन निजी नौकरानी लोग के रखलके हल।
सब बात सुनके हमर आत्मा में जे कुछ होलइ, ओकरा महसूस करना जादे असान हइ, अगर कोय अइसन कर सकऽ हइ, बनिस्पत एकर वर्णन करे के। लेकिन [*381] फालतू विवरण में अपने के व्यस्त नञ् करिअइ, एकरा लगी (संक्षेप में एतने कहबइ) - हमर मालकिन घर के प्रबन्धन के नियंत्रण में लेला पर आउ हमरा  सेवा के योग्य नञ् पाके, हमरा सामान्य नौकर-चाकर के दल में डाल देलकइ आउ हमरा वरदी पेन्हा देलकइ। ई ड्यूटी में लेशमात्र के काल्पनिक अनवधानता लगी चेहरा पर थप्पड़, मार-पीट, चाभुक के मार से गुजरे पड़ल। हे भगमान! अच्छा होत हल कि हम जनम नञ् लेतूँ हल! केतना तुरी हम अपन स्वर्गीय उदार मालिक पर गोस्सा निकसलिअइ, जे हमर हृदय के भावुक बना देलका हल। बेहतर होत हल कि हम अनपढ़ रूप में पालल-पोसल जइतूँ हल, त कभी सोचवो नञ् करतूँ हल कि सब्भे नियन हम एगो बराबर स्तर के अदमी हकूँ। बहुत पहिलहीं, बहुत पहिलहीं हम अपन घृणास्पद जीवन से छुटकारा पा लेतूँ हल, अगर सर्वोच न्यायाधीश मनाही करके हमरा रोक नञ् देथिन हल। हम अपन किस्मत के धीरज के साथ सहे लगी निश्चय कर लेलूँ। आउ नञ् खाली हम अपन देह के घाव सहन कइलूँ, बल्कि ओहो सब के जेकरा से हमर आत्मा के आहत कइलक हल। लेकिन लगभग हम अपन वचन के तोड़ देलिअइ आउ अपन दयनीय जीवन के नीरस अवशेष के लगभग समाप्त कर देलिअइ, [*382] जब हमर आत्मा पर एगो नयका आघात पहुँचलइ।
हमर मालकिन के भतीजा, लगभग अठारह साल के युवक, गार्ड सेना के सर्जेंट, मास्को छैला के फैशन में शिक्षित, अपन बूआ के एगो परिचारिका (chambermaid) के प्रेम में पड़ गेलइ, आउ जल्दीए ओकर कुशल गरमजोशी प्राप्त करके ओकरा माय बना देलकइ। अपन प्रेम प्रकरण में चाहे केतनो दृढ़ रहइ, लेकिन मामले में जरी घबरा गेलइ। काहेकि ओकर बूआ ई मामला के बारे जान गेला पर अपन परिचारिका के अपना भिर आवे से मना कर देलकइ; आउ अपन भतीजा के जरी सन डँटलकइ। उदार मालकिन लोग के फैशन के मोताबिक, ऊ ओकरा दंडित करे के इरादा कइलकइ, जे पहिले ओकर कृपा-पात्र हलइ, आउ ओकरा अस्तबल के कोय लड़का से शादी कर देवे लगी चहलकइ।  लेकिन चूँकि ओकन्हीं में से सब्भे पहिलहीं से शादी-शुदा हलइ, आउ चूँकि घर के इज्जत खातिर दोपस्ता (गर्भवती) लड़की लगी एगो शौहर के जरूरत हलइ, ओकरा हमरा से बत्तर कोय नौकर नञ् मिललइ। आउ एकरा बारे हमर मालकिन, अपन पति के मौजूदगी में हमरा सूचित कइलकइ, मानुँ हमरा पर विशेष कृपा कर रहल होवे। [*383] हम अइसन अपमान आउ नञ् सहन कर पइलिअइ। "निर्दयी औरत! तोर अधिकार हउ कि हमरा यातना दे आउ हमर शरीर के घायल कर; अपने सब बोलते जा हथिन कि कानून अपने सब के हमन्हीं पर अइसन अधिकार दे हइ। हमरा तो एकरा पर लेशमात्र विश्वास नञ्; लेकिन हम एतना पक्का जानऽ हिअइ कि कोय जोर-जबरदस्ती से शादी करे लगी बाध्य नञ् हइ।" हमर शब्द ओकरा में वहशी चुप्पी पैदा कर देलकइ। फेनुँ अपन पति दने मुड़के बोललइ - "मानवप्रेमी पिता के कृतघ्न पुत्र, तूँ उनकर वसीयतनामा (इच्छापत्र) के भूल गेलऽ, भूल गेलऽ अपन वचन के; लेकिन खुद से अधिक उदार आत्मा के निराशा में नञ् ढकेलऽ, सावधान!" आउ कुछ जादे हम नञ् कह पइलिअइ, काहेकि हमर मालकिन के आदेशानुसार, हमरा अस्तबल में ले जाल गेलइ, आउ हमरा निर्दयतापूर्वक चाभुक से पिट्टल गेलइ। दोसरा दिन, पिटाई के चलते हम मोसकिल से उठ पइलिअइ; आउ फेर से हमरा मालकिन के पास लावल गेलइ। "हम तोरा माफ कर देबउ", हमरा से बोललइ, "कल के तोर ढिठाई के; हमर मावरुश्का से शादी कर ले, तोरा से निवेदन करऽ हउ [*384] आउ चूँकि ओकरा हम ओकर अपराध कइलो पर मानऽ हिअइ, हम ओकरा लगी करे लगी चाहऽ हिअइ।" - "हमर उत्तर", हम ओकरा कहलिअइ, "अपने कल्हे सुन लेलथिन, दोसर हमरा पास नञ्। खाली एतने आउ जोड़बइ कि हम अपने के विरुद्ध प्राधिकारी के शिकायत करबइ, कि अपने हमरा करे लगी लचार करऽ हथिन, जेकर अधिकार अपने के नञ् हइ।" - "अच्छऽ, तब तोरा सैनिक बन्ने के समय आ गेलउ", हमर मालकिन चिल्लइलइ ... भयंकर रेगिस्तान में अपन भूल गेल रस्ता के यात्री कम खुश होतइ ओकरा फेर से पाके, बनिस्पत हम्मर खुशी के, जब हम ई शब्द सुनलिअइ - "एकरा सैनिक के रूप में पठावल जाय", ऊ दोहरइलकइ, आउ दोसरे दिन ई आदेश के पालन हो गेलइ। - "बेवकूफ़! ऊ सोचलकइ, कि कृषक लोग नियन सैनिक में भरती हमरा लगी एगो दंड हइ। हमरा लगी ई एगो खुशी के बात हल, आउ जइसीं हमर सिर मूँड़ल गेल, त हमरा लगल कि हमर पुनर्जन्म हो गेल। हमर शक्ति वापिस आ गेल। हमर विवेक आउ आत्मा फेर से काम करे लगल। ऐ आशा, अभागल लगी मधुर सांत्वना, हमरा साथ रह!" - भारी लोर, लेकिन [*385] शोक आउ निराशा के लोर नञ्, ओकर आँख से ढरक पड़लइ। - हम ओकरा अपन छाती में दबा लेलिअइ। ओकर चेहरा नयका खुशी में खिल उठलइ। - "सब कुछ नञ् समाप्त होल ह; तूँ हमर आत्मा के सुदृढ़ करऽ ह", ऊ हमरा से बोललइ, "दुख के विरुद्ध, हमरा ई अहसास करावे लगी कि हमर दुख-तकलीफ अन्तहीन नञ् हइ ..."
ई अभागल से हम एगो ऊ दल भिर गेलिअइ, जेकर बीच सबसे मजबूत लोहा के बेड़ी में जकड़ल तीन लोग के देखलिअइ। - "ई तो अचरज के बात हइ", हम खुद से कहलिअइ, ई कैदी लोग दने निहारते, "अभी ओकन्हीं दुखी, निराश, सहमल हइ, नञ् खाली सैनिक नञ् बन्ने लगी चाहऽ हइ, बल्कि अत्यन्त गंभीर निर्दयता के जरूरत होवे के चाही ओकन्हीं के अइसन हालत में डाले खातिर; लेकिन अइसन भारी काम के निष्पादन में अभ्यस्त हो गेला पर, ओकन्हीं स्फूर्तिमान आउ उद्यमशील हो जइतइ, आउ अपन पहिलौका स्थिति के बल्कि दूर से नमस्कार करतइ।" - हम बगल में खड़ी एगो अदमी से पुछलिअइ, जे अपन वरदी से एगो सरकारी किरानी लगऽ हलइ। - "वास्तव में, [*386] ई बात से डरके कि ओकन्हीं कहीं भाग नञ् जाय, ओकन्हीं के भारी बेड़ी में जकड़ देल गेले ह?" - "अपने ठीक अंदाज लगइलथिन। ओकन्हीं एगो जमींदार हीं हलइ, जेकरा एगो नयका करेता (घोड़ागाड़ी) लगी पैसा के जरूरत हलइ, आउ पैसा लगी, ऊ ओकन्हीं के सरकारी कृषक लोग के बेच देलकइ, सेना में भरती करे खातिर।"
हम - दोस्त, तोरा गलतफहमी हको, सरकारी कृषक लोग अपनहीं भाय लोग के खरीद नञ् सकऽ हइ।
ऊ - बिक्री लगी अइसन नञ् कइल जा हइ। ई अभागल लोग के मालिक, समझौता के मोताबिक पैसा प्राप्त कर लेला पर, ओकन्हीं के अजाद कर दे हइ; ओकन्हीं मानुँ स्वेच्छा से सरकारी कृषक (crown peasants)  के रूप में रजिस्टर कर लेल जा हइ, ऊ वोलस्त[4] में, जे ओकन्हीं लगी पैसा के भुगतान कइलकइ, आउ वोलस्त सामान्य समझौता के मोताबिक ओकन्हीं के सैनिक बन्ने लगी भेज दे हइ। ओकन्हीं के अभी मुक्ति दस्तावेज (emancipation papers) के साथ हमन्हीं के वोलस्त में रजिस्ट्रेशन लगी भेजल जा रहले ह।"
मुक्त लोग, कइसनो अपराध नञ् कइल लोग, बेड़ी में, जानवर नियन बेचल जा हइ! ऐ कानून! तोर बुद्धिमत्ता अकसर खाली तोरे [*387] फैशन में रहऽ हको! कीऽ ई अपने साथ स्पष्ट उपहास नञ् हइ? लेकिन एकरो से जादे, स्वतंत्रता के पवित्र नाम पर उपहास हइ। ओह! अगर दास लोग भारी बेड़ी से झुक्कल, अपन निराशा में गोसाल, जे ओकन्हीं के स्वतंत्रता में बाधा दे हइ ओहे लोहा से हमन्हीं के सिर तोड़ देइ, अपन मालिक के निर्दय सिर के, आउ हमन्हीं के खून से अपन खेत के लाल कर लेइ! अइसे कइला से देश कउची खोतइ? जल्दीए ओकन्हीं बीच से महान पुरुष निकस पड़थिन, पराजित (मारल) जाति (race) के स्थान लेवे लगी; लेकिन ओकन्हीं खुद के मामले में दोसरहीं विचार के आउ दोसरा के पीड़ित करे के अधिकार से वंचित। - ई सपना नञ् हइ, लेकिन हमर दृष्टि समय के ऊ घना परदा के चीरके घुस जा हइ, जे हमन्हीं के आँख से भविष्य के ढँकले हइ; हमरा समुच्चे शताब्दी के आर-पार देखाय दे हइ। - नफरत के साथ हम भीड़ से दूर चल गेलिअइ। लेकिन बेड़ी में जकड़ल कैदी लोग अब स्वतंत्र हइ। अगर ओकन्हीं में बल्कि जरिक्को सन दृढ़ता होवइ, त अपन अत्याचारी लोग के दमनकारी इरादा के व्यर्थ कर देते जाय ... वापिस लौटल जाय ... "हमर दोस्त", हम [*388] अपनहीं देश में युद्ध के कैदी लोग के कहलिअइ, "तोहन्हीं जानऽ हो कि अगर तोहन्हीं खुद्दे सेना में भरती होवे लगी नञ् चाहऽ हो, त तोरा एकरा लगी कोय नञ् लचार कर सकऽ हको?" - "दुखी लोग पर मजाक करे लगी छोड़हो मालिक। तोर मजाको के बेगर एगो के गरीब बाप से, दोसरा के कम उमर के बहिनियन से, तेसरा के जवान पत्नी से अलग होना कष्टदायक हलइ। हमन्हीं जानऽ हिअइ कि मालिक हजार रूबल में हमन्हीं के रंगरूट के रूप में बेच देलकइ।" - "अगर तोहन्हीं के अभी तक नञ् मालुम हलो, त जान लऽ कि रंगरूट के रूप में लोग के बेचे के मनाही हइ; कि कृषक, लोग के खरीद नञ् सकऽ हइ; कि तोहन्हीं के मालिक के तरफ से अजाद कर देल गेलो ह; कि तोहन्हीं के खरीदार तोहन्हीं के अपन वोलस्त में रजिस्टर करे लगी चाहऽ हथुन, मानुँ तोहन्हीं के अपन इच्छा से।" - "अच्छऽ, अगर अइसन बात हइ मालिक, त तोरा धन्यवाद; जब माप लेवे खातिर हमन्हीं के लाइन में खड़ी कइल जइतइ[5], त हमन्हीं सब कहते जइबइ कि हमन्हीं सैनिक बन्ने लगी नञ् चाहऽ ही, कि हम सब अजाद लोग ही।" - एकरा में आउ एहो बात कह दिहो [*389] कि तोहन्हीं के तोहर मालिक बेचलथुन, उकाज़ (अध्यादेश) के समय में नञ्, आउ तोहन्हीं के जबरदस्ती बेच रहलथुन हँ। (*) ई सब अभागल के चेहरा पर पसरल खुशी के असानी से कल्पना कइल जा सकऽ हइ। अपन जगह पर उछलके आउ जोश में अपन बेड़ी के झकझोड़ते, लगलइ कि ओकन्हीं ओकरा उतार देवे लगी अपन ताकत के अजमा रहले ह। लेकिन ई बातचीत हमरा बड़गो मुसीबत में डाल सकऽ हलइ, भरती करे वला अफसर सब हमर बात सुनके, गोस्सा से लाल होल, हमरा दने लपकते आके बोललइ, "महोदय, हमन्हीं के काम में दखल नञ् दऽ, हियाँ से निकस जा, एकर पहिले कि मामला गंभीर हो जाय"; आउ जब हम विरोध कइलिअइ त हमरा एतना जोर से ढकेले लगलइ कि हम ई भीड़ से जल्दी से जल्दी दूर चल जाय लगी लचार हो गेलिअइ।
(*) रंगरूट के भरती के बखत कृषक के बिक्री के मामले में कोय भी इकरारनामा बनावे के मनाही हइ।[6] [लेखक रादिषेव के टिप्पणी]
जब हम डाक स्टेशन दने आ रहलिए हल, त हम भरती लगी भेजल गेल लोग के एगो आउ दल के देखलिअइ, जेकन्हीं फट्टल-फुट्टल कोट में [*390] एगो अदमी के घेरले हलइ, जे जरी पीयल लग रहले हल आउ सामने खड़ी लोग दने मुँह बना रहले हल। लोग ओकरा दने तकते आँसू निकस जाय के हद तक ठहाका मारके हँस रहले हल।
"ई कीऽ हो रहले ह?", हम एगो लड़का के पुछलिअइ, "तोहन्हीं काहे लगी हँस्सब करऽ हीं?"
"अइकी एगो विदेशी रंगरूट हइ, रूसी में एक्को शब्द नञ् बोल सकऽ हइ।"
यदा-कदा बोलल ओकर कुछ शब्द से हम समझ गेलिअइ कि ऊ फ्रेंच हइ। हमर उत्सुकता आउ बढ़ गेलइ; आउ जाने लगी चहलिअइ कि कइसे एगो विदेशी के कृषक लोग द्वारा रंगरूट के रूप में शामिल कइल जा सकलइ। हम ओकर मातृभाषा में पुछलिअइ।
"हमर दोस्त, कइसन किस्मत के मारल तूँ हियाँ परी अइलऽ?"
फ्रेंच - किस्मते अइसन चाहऽ हलइ; जाहाँ निम्मन रहे, हुएँ रहे के चाही।
हम - लेकिन तूँ रंगरूट कइसे बन गेलऽ?
फ्रेंच - हमरा सैनिक जीवन पसीन हके, हम एकरा से परिचित हलूँ, हम खुद्दे चाहलूँ। [*391]
हम - लेकिन अइसन कइसे होलइ कि तोरा गाम से रंगरूट में देल जा रहलो ह? गाम से तो साधारणतः सैनिक के रूप में खाली कृषक लोग के लेल जा हइ, आउ रूसी लोग के; आउ हम देखऽ हियो कि तूँ न तो मुझीक (देहाती किसान) हकऽ, आउ न रूसी।
फ्रेंच - अइकी अइसे होलइ। पेरिस में हम बचपन से हेअरड्रेसर के काम सिखलिअइ। एगो भद्रजन के साथ हम रूस अइलिअइ। सालो भर पितिरबुर्ग में हम उनकर केश सँवारे के काम कइलिअइ। उनका पास हमरा भुगतान करे लगी पैसा नञ् हलइ। हम उनका छोड़ला के बाद कोय काम नञ् मिलला से भूख से लगभग मर गेलिअइ। भाग्यवश हमरा नाविक के काम एगो जहाज में मिल गेलइ, जे रूसी झंडा के अधीन जाब करऽ हलइ। समुद्र में प्रस्थान करे के पहिले हमरा रूसी नागरिक के रूप में शपथ लेवे पड़लइ, फेर ल्यूबेक (Lübeck) लगी प्रस्थान कइलिअइ। समुद्रयात्रा के दौरान अकसर कप्तान हमरा रस्सी से पिट्टऽ हलइ, ई वजह से कि हम आलसी हलिअइ। हमर लापरवाही के वजह से पोत के मस्तूल आउ पाल आदि के सहारा देवे वला रस्सी (rigging) से डेक (जहाज के बाहरी तल) पर गिर गेलिअइ आउ हमर तीन अँगुरी टूट गेलइ, जेकरा चलते हम हमेशे [*392] लगी हेअरड्रेसिंग के काम लगी बेकार हो गेलिअइ। ल्यूबेक पहुँचला पर प्रुशिया के रंगरूट के भरती करे वला अफसर के बीच पड़ गेलिअइ आउ हम कइएक रेजिमेंट में काम कइलिअइ। आलस्य आउ पीए के कारण हमरा अकसर डंडा से पिट्टल गेलइ। जब पीयल हालत में हम एगो साथी के छूरा घोंप देलिअइ, त हम मेमेल (Memel) से चल गेलिअइ, जाहाँ परी हम एगो गैरिसन (रक्षकसेना) में हलिअइ। हमरा आद पड़लइ कि शपथ से रूस के निष्ठा से बन्हल हिअइ; आउ पितृभूमि के विश्वासी पुत्र के हैसियत से पाकिट में हम दू थेलर (thalers ) के साथ रीगा लगी प्रस्थान कर गेलिअइ। रस्ता में हम दान पर जीयऽ हलिअइ। रीगा में भाग्य आउ प्रवीणता हमरा काम देलकइ; एगो सराय में हम बीस रूबल कमा ले हलिअइ आउ दस रूबल में एगो निम्मन ओवरकोट खरीदके, कज़ान के एगो व्यापारी के साथ ओकर नौकर के रूप में कज़ान रवाना हो गेलिअइ। मास्को से गुजरते बखत, हमरा दूगो अपन देशवासी से भेंट होल, जे हमरा सलाह देलक कि ई मालिक के छोड़के मास्को में अध्यापन कार्य खोजूँ। हम ओकन्हीं के कहलिअइ कि हमरा ठीक से पढ़े नञ् आवऽ हके। लेकिन ओकन्हीं हमरा जवाब देलकइ - "तूँ तो फ्रेंच बोलऽ हँऽ, [*393] त एतनो काफी हउ।" हमर मालिक हमरा नञ् देखलक कि कइसे हम गली में ओकरा से दूर हो गेलूँ, ऊ अपन रस्ता पर बढ़ते चल गेलइ, आउ हम मास्को में रह गेलूँ। हमर देशवासी हमरा लगी अध्यापन के काम खोज देते गेलइ, जेकरा में डेढ़ सो रूबल सलाना तनख्वाह के साथ-साथ एक पूद[7] चीनी (शक्कर), एक पूद कॉफ़ी, दस पौंड चाय, भोजन, नौकर आउ करेता (घोड़ागाड़ी) मिल्लऽ हलइ। लेकिन एकरा लगी हमरा गाम में रहे पड़ऽ हलइ। बेहतर हलइ। हुआँ परी पूरे साल ओकन्हीं के मालुम नञ् चललइ कि हमरा लिक्खे नञ् आवऽ हइ। लेकिन जेकरा हीं हम रहऽ हलिअइ, ऊ मालिक के कोय तो समधी, ओकरा हमर रहस्य बता देलकइ, आउ हमरा वापिस मास्को ले अइते गेलइ। अइसन दोसरा उल्लू नञ् मिल पइला से, अपन टुट्टल अँगुरी से केश सँवारे के काम नञ् कर पावे में असमर्थ होल, आउ भुक्खल मर जाय के डर से, हम खुद के दू सो रूबल में बेच देलिअइ। हमर नाम कृषकवर्ग में रजिस्टर कर लेल गेलइ आउ अब हमरा रंगरूट के रूप में भेजल जा रहले ह। "हम आशा करऽ हिअइ", ऊ शेखी बघारते बोललइ, "कि जइसीं युद्ध होतइ, अपन सेवा से हम जेनरल (सेनापति) के पद प्राप्त कर लेम; आउ अगर युद्ध नञ् होतइ, त अपन पाकिट भरम (अगर संभव होवे) [*394] आउ जयपत्र से अभिषिक्त (crowned with laurel) होके, चैन के जिनगी गुजारे लगी अपन देश चल जाम।"
ई अवारा के बात सुनके, कइएक तुरी हम अपन कन्हा उचकइलिअइ (shrugged), आउ भारी दिल के साथ किबित्का में पड़ रहलिअइ आउ अपन यात्रा पर चल पड़लिअइ।



[1] रादिषेव "यात्रा" (1790) जब लिखलथिन हल, त दू मोर्चा पर रूसी युद्ध चल रहले हल:  दक्षिण में तुर्क (1787-1791) के साथ, और उत्तर में स्वीडेन (1788-1790) के साथ, दुन्नु के साथ सन्धि होवे के पहिले।  27 अगस्त 1787 के, 500 आत्मा में से 2 रंगरूट के भरती के घोषणा कइल गेले हल आउ ओहे साल 25 नवंबर के 3 अतिरिक्त रंगरूट के; 1 जुलाई, 1788 से, भरती के स्वीकार कर लेल गेले हल, जेकरा जमींदार सब अपन मर्जी से पूरा करते गेले हल; 29 अगस्त 1788 के 500 आत्मा में से 5 रंगरूट के भरती के घोषणा कइल गेलइ; 27 अगस्त 1789 के घोषणा के अनुसार 4 गो के (P.S.Z., नंबर 16565, 16579, 16681, 16705, 16796).
[2] वानका - "इवान" नाम के अपमानसूचक ऊनार्थक रूप।
[3] वन्यूशा - "इवान" नाम के स्नेहमय ऊनार्थक रूप।
[4] वोलस्त - ऊ समय में जिला के सबसे छोटकर प्रशासनिक प्रादेशिक ईकाई।
[5] भरती के जगह पर रंगरूट लोग के पहुँचला के बाद, ओकन्हीं के ऊँचाई नापल जा हलइ, काहेकि सैनिक में चयन खातिर "उकाज़ के अनुसार निर्दिष्ट माप" - 2 अर्शीन 3.75 विर्शोक (लगभग 167.5 से.मी. अथवा साढ़े पाँच फुट) से निच्चे के नञ् लेल जा हलइ।
[6] Laws of September 29/October 10, 1766, P. S. Z., XVII, 997-1015, No. 12748; January 13/24, 1769, P. S. Z., XVIII, 800-801, No. 13229; July 20/31, 1770, P. S. Z., XIX, 87-90, No. 13483; October 22/November 2, 1789, P. S. Z., XXIII, 95-96, No. 16818.
[7] पूद - प्राचीन काल के रूसी मात्रा के एगो ईकाई, लगभग 16.38 कि॰ग्रा॰।

No comments: