रूसी भारतविद् इवान मिनायेव के बिहार यात्रा (1875)
अनुवादक के भूमिका
रूसी भारतविद् इवान पावलोविच मिनायेव (1840-1890) सन्
1875 में बिहार के यात्रा कइलथिन हल, जेकर संस्मरण "Очерки Цейлона и
Индии" (1878) अर्थात् "सिलोन आउ भारत के रूपरेखा" (1878) नामक शीर्षक
से दू खंड में प्रकाशित पुस्तक में से पहिला खंड के पृ॰187-230 (अर्थात् कुल 44 पृष्ठ)
में छपले हल । जहाँ तक हमरा जनकारी हइ, एकर अभी तक अंग्रेजी चाहे कउनो भारतीय भाषा
में अनुवाद नयँ होले ह, जबकि बिहार के बारे
फ्रांसिस बुकानन के 1811-1812 में कइल गेल सर्वेक्षण के 1925 में प्रकाशित रिपोर्ट,
फेर किट्टो के 1847 के रिपोर्ट आउ बाद में कनिंघम के 1862-1863 में कइल गेल सर्वेक्षण
के 1871 में प्रकाशित रिपोर्ट, ब्रोडली के 1872 के रिपोर्ट अंग्रेजी में उपलब्ध हकइ
।
इवान मिनायेव के संस्मरण के ऐतिहासिक आउ पुरालेखागारीय
महत्त्व हइ । अतः एकर अनुवाद करे के बारे कइएक बरस पहिले से हमर विचार हलइ । बिहार
के अपने संस्मरण में इवान मिनायेव बिहार (अर्थात् बिहारशरीफ), बड़गाँव, राजगीर, गिरियक,
पावापुरी, गया, बोधगया आउ पटना के तत्कालीन भौगोलिक, सामाजिक आउ राजनीतिक परिस्थितिय
के वर्णन कइलथिन हँ । ऊ कनिंघम
(4 बार), ब्रोडली (2 बार), तारानाथ (3 बार), चीनी यात्री फ़ाशियान (Faxian,
法顯) (4 बार) आउ श्वानचांग (Xuanzang, 玄奘) (5 बार) [भारत में लोग के बीच क्रमशः फ़ाहियान और ह्वेन-सांग के नाम से प्रसिद्ध],
मोहम्मद
बख़्तियार (1 बार) के नाम के उल्लेख कइलथिन हँ ।
प्रस्तुत हइ
- ई यात्रा- वृत्तांत
के मगही अनुवाद । एकरा में आयताकार कोष्ठक के अंतर्गत तारांकित चिह्न के बाद के संख्या
प्रकाशित मूल रूसी पाठ के पृष्ठ संख्या निर्दिष्ट करऽ हइ ।
No comments:
Post a Comment