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Friday, May 31, 2019

पितिरबुर्ग से मास्को के यात्रा ; अध्याय 2. सोफ़िया


[*4]                                                                                        सोफ़िया
चारो तरफ सन्नाटा। विचार में लीन, हम नञ् देख पइलूँ कि हमर किबित्का बिन घोड़वन के बहुत देर से खड़ी हके। हमरा हुआँ पहुँचावे वला ड्राइवर विचारमग्नता से हमरा बाहर निकासलक।
"मालिक बाबू, वोदका खातिर कुछ।"
हलाँकि ई वसूली गैरकानूनी हइ, तइयो खुशी से सब कोय ओकरा देते जा हइ ताकि यात्रा के कष्टप्रद अध्यादेश से बच्चल जाय। बीस कोपेक से काम चल गेल। जे डाक से यात्रा कइलके ह, ओकरा मालुम हइ कि यात्रापत्र एगो रक्षात्मक पत्र हइ, जेकरा बेगर हरेक बटुआ लगी, जेनरल (सेनापति) के शायद छोड़के, हानिकारक सिद्ध होतइ। एकरा जेभी से निकासके, हम एकरा लटकइले गेलूँ जइसे कभी-कभी लोग खुद के रक्षा खातिर क्रॉस रखले रहऽ हइ।
डाक स्टेशनमास्टर के हम घोंघर पारते देखलिअइः ओकर कन्हा के हम स्पर्श कइलिअइ।
"तोरा शैतान धइले हको? रात में शहर के बाहर जाय के ई कइसन तरीका हइ? घोड़ा उपलब्ध नञ्; अभियो बहुत जल्दी हको; जा सराय के अन्दर, चाय पीयऽ, चाहे सुत जा।" एतना कहके महाशय स्टेशनमास्टर देवाल दने करवट बदललका आउ फेर से खर्राटा भरे लगला। की कइल जाय? फेर से हम स्टेशनमास्टर के कन्हा हिलइलिअइ।
"की मुसीबत हके, घोड़ा [*5] उपलब्ध नञ्, हम पहिलहीं कहलियो न।" आउ कंबल से सिर ढँकके महाशय स्टेशनमास्टर हमरा दने से मुँह मोड़ लेलका।
"अगर सब घोड़ा बाहर हइ", हम सोचलिअइ, "त स्टेशनमास्टर के नीन खराब करना ठीक नञ् हइ। लेकिन अगर घोड़वन अस्तबल में हइ ..."
हम ई जाने लगी मन में ठान लेलिअइ कि महाशय स्टेशनमास्टर सच कह रहला ह कि नञ्। हम प्रांगण में आके अस्तबल खोजलिअइ आउ ओकरा में करीब बीस घोड़ा देखलिअइ; हलाँकि सच कहल जाय तो ओकन्हीं के हड्डी देखाय दे हलइ, लेकिन हमरा अगला स्टेशन तक घींचके तो लेइए जा सकऽ हलइ। अस्तबल से हम फेर स्टेशनमास्टर भिर अइलिअइ; ओकर कन्हा धरके पहिलहूँ से जादे जोर से हिलइलिअइ। हमरा लगलइ कि ई बात के हमर अधिकार हइ, काहेकि स्टेशनमास्टर के झूठ पकड़ लेलिए हल। ऊ तेजी से उछल पड़लइ, आउ बिन आँख खोलले [*6] पुछलकइ, केऽ अइलऽ ह ... लेकिन होश में अइला पर हमरा देखके हमरा कहलकइ, "तगड़ा नवजवान, लगऽ हको कि तोरा पहिलौका नियन ड्राइवर के साथ व्यवहार करे के आदत हको। ओकन्हीं के डंडा से पिट्टल जा हलइ; लेकिन अब पहिलौका समय नञ् हइ।"
गोसाल महाशय स्टेशनमास्टर बिछौना पर सुत गेला। हमर मन कइलकइ कि ओकरा साथ ओइसीं व्यवहार करिअइ जइसे कि पहिले ड्राइवर सब के साथ कइल जा हलइ, जब ओकन्हीं के धोखा देते पावल जा हलइ; लेकिन शहरी ड्राइवर के वोदका लगी टिप देवे के उदारता सोफ़िया के ड्राइवर सब के जल्दीए घोड़ा जोते लगी प्रेरित कइलकइ, आउ तखनिएँ, जब हम स्टेशनमास्टर के पीठ पर अपराध करे के इरादा करब करऽ हलिअइ, प्रांगण में घंटी के अवाज सुनाय देलकइ। हम एगो निम्मन नागरिक बन्नल रह गेलिअइ। आउ ई तरह बीस ताम्र-कोपेक बचा लेलकइ एगो शांतिप्रिय व्यक्ति के नतीजा भुगते से, हमर बुतरुअन के अनियंत्रित क्रोध के उदाहरण बने से, आउ हमरा मालुम होलइ कि विवेक अधीरता के दास हइ।
घोड़वन हमरा तेजी से ले जा रहल ह; हमर ड्राइवर गीत चालू कर देलक ह, हमेशे नियन [*7] करुण गीत। जे रूसी लोकगीत के स्वर जानऽ हइ, ऊ स्वीकार करऽ हइ कि ओकरा में कुछ तो आत्मिक वेदना होवऽ हइ। लगभग सब्भे अइसन गीत के स्वर में कोमल सुर होवऽ हइ। लोग के एहे संगीतात्मक प्रवृत्ति के अनुसार शासन स्थापित करे लगी सीखऽ। ई गीत सब में हमन्हीं के लोग के आत्मा के गठन (constitution) मिलतो। रूसी व्यक्ति पर ध्यान देहो; ओकरा विचारमग्न देखभो। अगर ऊ अपन उदासी दूर करे लगी चाहतइ, चाहे जइसन की ऊ खुद्दे कहऽ हइ, अगर जरी दिल बहलावे के इच्छा होतइ, त ऊ कलाली (tavern) जइतइ। अपन खुशी में ऊ जोशीला, साहसी, झगड़ालू होवऽ हइ। अगर कुछ ओकर मन मोताबिक नञ् होवऽ हइ, त तुरतम्मे बहस चाहे झगड़ा चालू कर दे हइ। मूड़ी गोतले कलाली जाय वला आउ मार के चलते खून से लथपथ वापिस आवे वला गोनिया (barge-hauler) अभी तक रूस के इतिहास में बहुत कुछ उलझावे वला पहेली के सुलझा सकऽ हइ!
[*8] हमर ड्राइवर गा रहल ह। अधरात के बाद तेसरा घंटा चल रहले हल। पहिले के घंटी नियन अब हमरा ओकर गीत से नीन पड़ गेल। ओ प्रकृति, व्यक्ति के जन्म के बखत ओकरा दुख के चद्दर से ढँकके, ओकरा जिनगी भर भय, उकताहट आउ शोक के कठोर मेरुदंड से होके घसीटते, तूँ ओकरा खुशी के रूप में नीन देलहीं हँ। सुत गेलइ कि सब कुछ खतम हो गेलइ। जागरण अभागल लगी असहनीय होवऽ हइ। ओह, मौत ओकरा लगी केतना सुखद हइ ! लेकिन की ई दुख के अन्त हइ? परम कल्याणकारी पिता, की तूँ अपन नजर दयनीय अस्तित्व के समाप्त करे वला के तरफ से मोड़ लेबऽ? सब तरह के कल्याण करे वला तोहरा लगी ई बलिदान हको। तूहीं एगो अकेल्ले सहारा दे हकहो, जब प्रकृति काँपऽ आउ हिल्लऽ हइ। ई पिता के पुकार हइ जे अपन बुतरू के अपना तरफ बोलावऽ हइ। तूँ हमरा जिनगी देलऽ, तोहरे ई वापिस करऽ हियो; धरती पर ई बेकार हो चुकलो ह। 

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