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Friday, May 31, 2019

पितिरबुर्ग से मास्को के यात्रा ; अध्याय 4. ल्युबानी


[*14]                                                                ल्युबानी

हम जाड़ा में यात्रा कइलूँ चाहे गरमी में, तोहरा लगी हमर विचार से एक्के बात हको । शायद जाड़ा आउ गरमी दुन्नु में । यात्री लोग के साथ अइसन विरला नञ् होवऽ हइ कि रवाना होवऽ हका तो स्लेज (बर्फगाड़ी) से आउ वापिस आवऽ हका गाड़ी से । गरमी में । लट्ठा के जोड़के बनावल रोड हमरा यातना देब करऽ हले; हम किबित्का से उतर गेलूँ आउ पैदल चल पड़लूँ । किबित्का में पड़ल-पड़ल हमर विचार असीम संसार में मुड़ल हलइ । आत्मिक रूप से धरती पर से अलगे हो गेलिअइ, हमरा लगलइ कि किबित्का के हिचकोला हमरा लगी कहीं बेहतर हलइ । लेकिन आत्मिक कसरत हमन्हीं के हमेशे शारीरिक रूप से विचलित नञ् करऽ हइ; आउ शरीर के रक्षा हेतु हम पैदल चल पड़लिअइ । रोड से कुछ कदम के दूरी पर हम एगो कृषक के खेत जोतते देखलिअइ । मौसम गरम हलइ । हम घड़ी दने देखलिअइ । बारह बजके चालीस मिनट । हम सनिच्चर के रवाना होलिए हल । आझ एतवार हइ । [*15] खेत जोत रहल किसान एगो जमींदार के अधीन हलइ, जे ओकरा से मुक्ति लगान[1] (commutation tax)  स्वीकार नञ् करऽ हलइ । किसान बड़ी सवधानी से खेत जोत रहले हल । खेत वस्तुतः ओकर मालिक के नञ् हलइ । हल के ऊ आश्चर्यजनक आसानी से उलट रहले हल ।
"भगमान तोहर मदत करथुन", हरवहवा भिर जाके हम कहलिअइ, जे बिना रुकले शुरू कइल लीक के पूरा कर रहले हल । "भगमान तोहर मदत करथुन", हम बात दोहरइलिअइ ।
"धन्यवाद मालिक", हमरा हरवहवा बोललइ, हरवा से मट्टी झाड़ते आउ हरवा के नयका लीक पर लइते ।
"तूँ अवश्य विधर्मी[2] (Dissenter) होवऽ, काहेकि तूँ एतवार के खेत जोतब करऽ ह।"
" नञ् मालिक, हम क्रॉस के ठीक से चिह्न बनावऽ ही", ऊ कहलकइ, हमरा तीन अंगुरी के एक साथ मिलाके देखइते ।[3]
"आउ भगमान दयालु हथिन, हमन्हीं के भूख से मरे नञ् दे हथिन, जब तक शक्ति आउ परिवार हइ।"
"त की तोरा पूरे सप्ताह तोरा अप्पन काम करे के समय नञ् मिल्लऽ हको कि तूँ एतवारो के अराम नञ् करऽ ह आउ ओहो बिलकुल झरक में?"
"एक सप्ताह में तो मालिक छो दिन होवऽ हइ, आउ हम सब सप्ताह में छो तुरी अपन मालिक के खेत पर काम करे लगी जा हिअइ[4]; [*16] आउ साँझ के जंगल में रहल-सहल पोवार के ढोके मालिक के घर पर ले जइते जा हिअइ, अगर मौसम निम्मन रहऽ हइ; आउ छुट्टी के दिन औरतियन आउ लड़कियन टहलते जंगल में खुमी (मशरूम) आउ बेरी लगी जा हइ । भगमान करे", ऊ क्रॉस करते बात जारी रखलकइ, "कि आझ शाम के बारिस होवे । मालिक, अगर तोहरा खुद के मुझीक (कृषक) होतो त ओकन्हिंयों एहे लगी भगमान के प्रार्थना कर रहल होतो ।"
"हमर मित्र, हमरा पास मुझीक नञ् आउ ओहे से कोय हमरा सराप नञ् दे हके । तोहर परिवार बड़गो हको की?"
"तीन बेटा आउ तीन बेटी । पहिलौका दस बरिस के हको ।"
"त तूँ रोटी के इंतजाम कइसे कर पावऽ हो, अगर खाली छुट्टी के दिन स्वतंत्र मिल्लऽ हको?"
"खाली छुटिए नञ्, रतियो हमर होवऽ हइ । अगर आसकत नञ् करे, त भुक्खल नञ् मरतइ । देखवे करऽ हो कि एक घोड़ा अराम कर रहले ह; आउ जब ई थक जइतइ, त दोसर ले लेबइ; काम हो जा हइ ।"
"त अइसीं अपन मालिक लगी काम करऽ हकहो?"
"नञ् मालिक, अइसीं काम करना पाप होतइ । उनकर खेत में [*17] एक मुँह लगी सो हाथ हइ, जबकि हमरा सात मुँह लगी दुइए हाथ हके, तूँ खुद ई हिसाब समझऽ हो । केतनो मेहनत मालिक खातिर करहो, कोय धन्यवाद नञ् देवे वला । मालिक हरेक व्यक्ति के अनुसार नञ् भुगतान करऽ हका; लेकिन एक्को भेड़, न लिनेन (linen) , न एक्को मुरगी, न मक्खन छोड़े वला । कृषक सब के जिनगी बहुत बेहतर होवऽ हइ जब मालिक ओकन्हीं से मुक्ति लगान (commutation tax) स्वीकार करऽ हइ, आउ ओहो बराहिल (कारिंदा) के दखलंदाजी के बेगर । ई सच हइ कि कभी-कभी निमनो मालिक प्रति व्यक्ति तीन रूबल से भी जादे लेते जा हथिन; लेकिन तइयो ई बेगार (अर्थात् मालिक के खेत में काम करे) से बेहतर हइ । अब तो जनविश्वास हो गेले ह कि गाम के यथाकथित पट्टा पर दे देल जाय । लेकिन हमन्हीं एकरा सिर के फंदा समझऽ हिअइ । कृषिहीन ठेकेदार मुझीक लोग के चमड़ी उधेड़ ले हइ; हियाँ तक कि सबसे निम्मन (ठेकेदार) हमन्हीं के खुद के काम लगी कोय बखत नञ् छोड़ऽ हइ । जाड़ा में ऊ न तो हमन्हीं के गाड़ी से ढुलाई करे के अनुमति दे हइ, आउ न शहर में काम करे के; सब काम ओकरे लगी करहो, काहेकि ऊ हमन्हीं लगी प्रति व्यक्ति के हिसाब से (head tax) भुगतान करऽ हइ । ई शैतान के सोच हइ कि अपन कृषक लोग के अनजान के काम लगी लगा देल जाय। एगो खराब बराहिल के विरुद्ध शिकायत कइल जा सकऽ हइ, [*18] लेकिन एगो खराब ठेकेदार के विरुद्ध केकरा भिर?
"हमर दोस्त, तोरा गलतफहमी हको, लोग के यातना देना कानूनन मनाही हइ ।"
"यातना देना? सच हइ; लेकिन फिकिर नञ् करऽ मालिक, तूँ खुद के हमर परिस्थिति में रक्खे लगी तो नञ् चाहवऽ ।" एहे दौरान हरवहवा हर में दोसरका घोड़वा के जोतलकइ आउ नयका लीक शुरू करके हमरा अलविदा कहलकइ ।
ई कृषक के बातचीत हमरा में कइएक विचार जागृत कइलकइ । कृषक के परिस्थिति में असमानता के विचार हमरा पहिले अइलइ । हम सरकारी कृषक के, जमींदार के कृषक से तुलना कइलिअइ । दुन्नु गाम में रहऽ हइ; लेकिन पहिलौका कोय निश्चित रकम के भुगतान करऽ हइ, जबकि दोसरका  के ऊ रकम चुकावे लगी तैयार रहे के चाही जे ओकन्हीं के मालिक चाहऽ हइ । पहिलौका के फैसला अपन बराबर के लोग से कइल जा हइ; लेकिन दोसरका कानूनन मरल हइ, खाली अपराध मामला के छोड़के । समाज के सदस्य के जनकारी रक्षा करे वला सरकार के तभिए मिल्लऽ हइ, जब ऊ सामाजिक बन्धन के तोड़ दे हइ, जब ऊ अपराधी बन जा हइ! ई विचार से हमर पूरा खून खौल उठलइ ।
"थर्रा जो, [*19] ऐ निर्दय जमींदार! तोर किसान सब में से हरेक के निरार पर हम तोर दंड के आदेश देखऽ हिअउ ।"
ई सब विचार में मग्न हमरा अचानक अपन नौकर पर नजर चल गेलइ, जे किबित्का में हमर सामने बैठल एक दने से दोसरा दने झूल रहले हल । अचानक हम अपन नस में बह रहल खून में सिहरन महसूस कइलिअइ, जे गरमी के चोटी तरफ दूर भगइते ओकरा चेहरा तक फैले लगी बाध्य कर देलकइ । हम आन्तरिक रूप से एतना लज्जित होलूँ कि हम रोवे-रोवे के हालत में हो गेलूँ । "तूँ अपन गोस्सा में", हम खुद के कहलिअइ, "धावा बोलऽ हीं ऊ अभिमानी मालिक पर, जे खेत में अपन किसान पर अत्याचार करऽ हइ; लेकिन की तूँ ओहे, चाहे बल्कि ओकरो से जादे खराब नञ् करऽ हीं? बेचारा तोर पित्रुश्का कउन अपराध कइलको ह कि तूँ ओकरा नीन नञ् लेवे दे हीं, जे हमन्हीं के विपत्ति के आनन्द हइ आउ अभागल लगी प्रकृति के सबसे बड़गो तोहफा हइ? ओकरा मिलऽ हइ वेतन, भरपेट भोजन, कपड़ा, ओकरा हम कभी नञ् [*20] चाभुक या डंडा से पिट्टऽ हिअइ। (ओ संयमी व्यक्ति!) आउ तूँ सोचऽ हीं कि एक टुकरी रोटी आउ कपड़ा के एगो चिथड़ा तोरा अधिकार दे हउ तोरा नियन एगो जीव के एगो नट्टू नियन व्यवहार करे के, आउ तूँ खाली डींग हाँकऽ हीं कि तूँ ओकरा अकसर चाभुक नञ् लगामऽ हीं जब ऊ नच्चब करऽ हइ । तूँ जानऽ हीं कि मौलिक कोड (कानून) में हरेक के दिल में की लिक्खल हइ ? अगर हम केकरो पर प्रहार करऽ हिअइ त ओहो हमरा पर प्रहार कर सकऽ हइ । ऊ दिन के आद करहीं जब पित्रुश्का पीयल हलउ आउ तोरा पोशाक से सज्जित करे लगी बखत पर नञ् आ पइलउ । आउ करहीं कि ओकर गाल पर कइसे थप्पड़ मरलहीं हल । काश अगर ऊ तखने, पीयल होलो पर, होश में आ गेलो होत, आउ तोर सवाल के ओइसीं जवाब दे देतो हल ! "आउ केऽ तोरा ओकरा पर अधिकार देलकउ?" - "कानून।" - "कानून? आउ तूँ ई पवित्र नाम के बदनाम करऽ हीं? अभागल कहीं के! ... हमर आँख में अश्रु आ गेल; आउ अइसन हालत में डाक के मरियल टट्टू हमरा घींचके अगला स्टेशन तक पहुँचा देलक।



[1] मुक्ति लगान (रूसी में "ओब्रोक" - commutation tax) - पैसा चाहे उपज, जे एगो बंधुआ मजूर (serf) अपन मालिक के दे हलइ ताकि ओकरा अपन मालिक के खेत में काम नञ् करे पड़े । "ओब्रोक" के भुगतान मालिक के खेत में काम करे से कम कष्टकर समझल जा हलइ ।
[2] विधर्मी  (रूसी में "रस्कोलनिक" - Dissenter) - 1654 ई॰ में मास्को में चर्च काउंसिल द्वारा लेल गेल निर्णय के अस्वीकार करे वला के "रस्कोलनिक" कहल जा हलइ । कइएक निर्णय के अलावे एक निर्णय ई हलइ कि क्रॉस के संकेत दू अंगुरी के बदले तीन अंगुरी से कइल जाय के चाही । "रस्कोलनिक" लोग में कइएक सबसे दलित आउ असंतुष्ट कृषक लोग में से हलइ। सरकार आउ जमींदार के विरुद्ध कृषक विद्रोह में अकसर रस्कोलनिक लोग के नेतृत्व रहऽ हलइ ।
[3] तीन अंगुरी ई दर्शावऽ हइ कि ऊ सनातनी (orthodox) हइ ।
[4] जमींदार के बड़गो जमीन-जायदाद पर बन्नल बड़गर हवेली से जुड़ल जमीन (manorial fields) में काम करना (रूसी में "बार्षिना") बंधुआ मजूर (serf) लगी एगो अनिवार्य आउ बेगार वला काम होवऽ हलइ। बार्षिना साधारणतः भूदासत्व (serfdom) के सबसे खराब आउ कष्टकर रूप समझल जा हलइ । जब कभी भूदासत्व के बात उट्ठऽ हलइ त एकर अर्थ साधारणतः बार्षिना समझल जा हलइ ।

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