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Friday, November 27, 2015

रूसी उपन्यास "कालापानी" - भाग-1 ; अध्याय-3: प्रथम राय (2)



कालापानी
(साइबेरिया में जेल के जिनगी)

भाग-1; अध्याय-3: प्रथम राय (2)

जइसीं एम्-त्स्की [1] (ओहे पोलिस्तानी, जे हमरा साथ बतियाऽ रहले हल) बहरसी गेलइ, कि गाज़िन, जे बिलकुल पीयल हलइ, भनसाघर में आ धमकलइ ।

नशा में धुत्त कैदी, दिन-दहाड़े, काम के दिन, जब सब्भे कोय काम लगी बाहर जाय हेतु कर्तव्यबद्ध हलइ, अनुशासन के मामले में कठोर मेजर के शासन में, जे कउनो पल जेल में आ सकऽ हलइ; सर्जेंट के नियंत्रण में, जे जेल के प्रभारी हलइ आउ हमेशे जेल में उपस्थित रहऽ हलइ, संतरी आउ अपंग पूर्वसैनिक के उपस्थिति में - एक शब्द में, ई सब्भे कड़ाई के रहतहूँ, कैदी के रहन-सहन के बारे पहिलौका उत्पन्न होल हमर राय आउ विचार के बिलकुल उलझा देलकइ । आउ हमरा जेल में लम्मा समय तक रहे पड़लइ, एकर पहिले कि हम खुद के ऊ सब तथ्य के समझा पइलिअइ, जे हमरा लगी हमर जेल के शुरुआत के दिन में एतना पहेली नियन लगऽ हलइ ।

हम पहिलहीं उल्लेख कर चुकलिए ह, कि कैदी सब के पास खुद के अप्पन काम होवऽ हलइ आउ ई काम - जेल के जिनगी के स्वाभाविक आवश्यकता हलइ; कि, ई आवश्यकता के अतिरिक्त, कैदी भावावेश के साथ पइसा से प्यार करऽ हइ आउ एकरा सब कुछ से जादे महत्त्व दे हइ, लगभग स्वतंत्रता के समान स्तर पर, कि ओकरा संतुष्टि आउ सांत्वना मिल जा हइ, अगर ओकर जेभी में ई खनकऽ हइ । एकर विपरीत, ऊ दुखी, उदास, बेचैन आउ हतोत्साह हो जा हइ, अगर ओकरा पास पइसा नयँ रहऽ हइ, आउ तब ऊ चोरियो करे पर उतारू हो जा हइ आउ चाहे जइसे होवे, ऊ एकरा पावे के कोशिश करऽ हइ । लेकिन, ई बात के बावजूद, कि जेल में पइसा एतना बहुमूल्य रहऽ हलइ, कि ई कभियो जे भाग्यशाली के पास रहऽ हलइ, ओकरा हीं जादे समय तक ठहर नयँ पावऽ हलइ । पहिला, ओकरा संजोगके रखना मोसकिल हलइ, काहेकि या तो चोरा लेल जा हलइ, चाहे जब्त कर लेल जा हलइ । अगर मेजर के औचक निरीक्षण में ई मिल जा हलइ, त तुरतम्मे जब्त कर लेल जा हलइ । शायद, ऊ कैदी सब के भोजन में सुधार लावे लगी एकर उपयोग करऽ हलइ; कम से कम ओकन्हीं हियाँ से जब्त कइल पइसा ओकरा हीं लावल जा हलइ । लेकिन सबसे जादे संभावना चोरी जाय के रहऽ हलइ - केकरो पर विश्वास नयँ कइल जा सकऽ हलइ । बाद में हमन्हीं के एक तरीका मालूम पड़लइ, जेकरा से पइसा बिन कोय खतरा के पूरा सुरक्षित रक्खल जा सकऽ हलइ । एकरा एगो वृद्ध प्राचीन आस्तिक (Old Believer) के हियाँ देल जा हलइ, जे स्तारोदूब्ये बस्ती से अइले हल, जाहाँ के लोग कभी वेतका द्वीप के वासी हलइ [2] ... लेकिन हमरा ओकरा बारे कुछ बतइले बगैर नयँ रहल जा हइ, हलाँकि विषय से ई पृथक् हइ ।

ई लगभग साठ साल के एगो वृद्ध हलइ, नटगर, उज्जर केश वला । पहिलहीं नजर में हमरा पर ओकर तीव्र प्रभाव पड़लइ । ओकर दोसर कैदियन से ओतना कुछ समानता नयँ हलइ - ओकर दृष्टि में कुछ तो एतना निश्चिंतता आउ शांति हलइ, कि हमरा आद पड़ऽ हइ, बारीक कांतिमान झुर्री से घिरल ओकर उज्जवल आउ चमकदार आँख तरफ एक प्रकार से विशेष आनंद के साथ हम देखऽ हलिअइ । हम ओकरा साथ अकसर बातचीत करऽ हलिअइ आउ विरले हमरा ओतना दयालु, सहृदय जीव से अपन जिनगी में भेंट होल ह । हियाँ ओकरा एगो अति गंभीर अपराध लगी लावल गेले हल । स्तारोदूब्ये के प्राचीन आस्था वला में से लोग के धर्मपरिवर्तन करावल जाय लगलइ । सरकार ओकन्हीं के अत्यधिक प्रोत्साहन दे हलइ आउ दोसरा असहमत (भिन्नमतावलंबी) लोग के भी धर्मपरिवर्तन में पूरा जोर लगावे लगलइ । ई वृद्ध, दोसरउको धर्मान्ध (fanatics) के साथ-साथ, "अपन विश्वास पर अड़ल रहे के" निर्णय कइलकइ, जइसन कि ऊ अभिव्यक्त करऽ हलइ । सहधर्मी (co-religionist) गिरजाघर के निर्माण चालू कइल गेलइ, जेकरा ओकन्हीं आग लगा देलकइ । दुष्प्रेरक (उसकावे वला) लोग में से एक के रूप में ई वृद्ध के कठोर सश्रम कारावास के दंड के निर्णय के साथ ओकरा हियाँ भेजल गेलइ । ऊ एगो संपन्न व्यापारी हलइ; घर पर घरवली आउ बाल-बच्चा के छोड़ देलकइ; लेकिन ऊ दृढ़संकल्प होके निर्वासन लगी रवाना होलइ, काहेकि आँख मूनके एकरा "विश्वास खातिर कष्ट भोगे" के बात मानऽ हलइ ।

कुछ समय तक ओकरा साथ रह लेला के बाद, स्वाभाविक रूप से अपने आप से प्रश्न करतहो हल - अइसन नम्र, बुतरू नियन सीधा-सादा अदमी विद्रोही कइसे हो सकऽ हलइ ? हम कइएक तुरी ओकरा साथ "विश्वास (धर्म)" के बारे बातचीत कइलिअइ । ऊ अपन दृढ़ विश्वास से बिलकुल नयँ डिगलइ; लेकिन ओकर आपत्ति चाहे असहमति में कभियो कोय क्रोध, कोय घृणा नयँ झलकऽ हलइ । आउ तइयो ऊ एगो गिरजाघर के बरबाद कइलके हल आउ ई बात के अस्वीकार नयँ करऽ हलइ । लगऽ हलइ, कि अपन दृढ़ धारणा के अनुसार, अपन क्रियाकलाप आउ ओकरा लगी "कष्ट भुगते" के एगो गौरव के बात समझलके होत । लेकिन हम केतनो नगीच से ओकरा काहे नयँ देखलिअइ, केतनो ओकर अध्ययन काहे नयँ कइलिअइ, तइयो कभियो कइसनो अहंकार चाहे गर्व ओकरा में नयँ देखलिअइ । हमन्हीं के जेल में आउ दोसरो प्राचीन आस्तिक (Old Believers) हलइ, अधिकतर साइबेरिया के । ई हलइ बहुत अधिक विकसित (शिक्षित) लोग, चलाँक कृषक लोग, विस्मयकारी किताबी ज्ञान वला आउ शब्दवादी (वितण्डी, निरर्थक दलील करे वला), आउ अपने तरह से बड़गो तर्क-वितर्क करे वला; घमंडी, अहंकारी, धूर्त्त आउ हद दर्जा के असहनशील लोग । ई वृद्ध बिलकुल दोसरा तरह के अदमी हलइ । ओकन्हीं में, शायद,  सबसे अधिक शिक्षित, ऊ कोय तरह के तर्क से कतराऽ हलइ । ऊ उच्च श्रेणी के अभिव्यक्तिशील (communicative) मनोवृत्ति के हलइ । ऊ खुशमिजाज हलइ, अकसर हँस्सऽ हलइ - दोसर अभियुक्त नियन रूक्ष आउ सनकी हँसी में नयँ, बल्कि स्पष्ट आउ सादगी वला हँसी, जेकरा में बहुत कुछ बाल-सुलभ सादगी रहऽ हलइ आउ कइसूँ ओकर बाल के सफेदी से मेल खा हलइ । हो सकऽ हइ, कि हमरा गलतफहमी रहइ, लेकिन हमरा लगऽ हइ, कि हँसी के आधार पर एगो व्यक्ति के जानल जा सकऽ हइ, आउ अगर तोहरा पहिलहीं मोलकात में बिलकुल अनजान लोग में से केकरो हँसी निम्मन लगऽ हको, त विश्वास के साथ कह सकऽ हकहो, कि ई अदमी निम्मन हकइ ।

पूरे जेल में ई वृद्ध के प्रति सब कोय आदर के दृष्टि से देखऽ हलइ, लेकिन ई बात के ओकरा कोय अभिमान नयँ हलइ । कैदी लोग ओकरा "बाबा" (दादा) कहऽ हलइ आउ ओकर दिल कभियो नयँ दुखावऽ हलइ । हम आंशिक रूप से समझ गेलिअइ, कि अपन सहधर्मी लोग (co-religionists) पर ओकर कइसन प्रभाव हो सकऽ हलइ । लेकिन, ओकर स्पष्ट साहस के बावजूद, जेकरा से ऊ दंड सहन कर ले हलइ, ओकर दिल में गहरा, असाध्य विषाद छिप्पल हलइ, जेकरा ऊ सब्भे से छिपावे के प्रयास करऽ हलइ । हमन्हीं दुन्नु एक्के बैरक में रहऽ हलिअइ । एक रोज, रात में दू आउ तीन बजे के बीच, हमर नीन खुल गेलइ आउ हमरा ओकर शांत आउ नियंत्रित रुदन सुनाय देलकइ । वृद्ध स्टोव पर बइठल हलइ (ओहे स्टोव पर, जेकरा पर ऊ कैदी रतिया के बाइबिल के पाठ करके प्रार्थना करते रहऽ हलइ, जे मेजर के जान से मार देवे लगी चहलके हल) आउ अपन हस्तलिखित पुस्तक से प्रार्थना कर रहले हल । ऊ कन रहले हल, आउ हम सुन रहलिए हल, कि ऊ कइसे बीच-बीच में बोल रहले हल - "हे भगमान, हमर त्याग नयँ करिहऽ ! हे भगमान, हमरा शक्ति द ! हमर बुतरू सब छोटगर-छोटगर हके, हमर बुतरुअन प्यारा हके, हमन्हीं के कभी एक दोसरा के देखे के अवसर मिल्लत !" हम बता नयँ सकऽ हिअइ, कि हमरा केतना दुख होलइ ।

एहे वृद्ध के धीरे-धीरे लगभग सब्भे कैदी अपन-अपन पइसा सुरक्षित रक्खे लगी सौंपे लगलइ । जेल में लगभग सब्भे चोर हलइ, लेकिन अचानक सब कोय, कोय कारणवश विश्वास करे लगलइ, कि ई वृद्ध व्यक्ति कइसूँ चोरी नयँ कर सकऽ हइ । लोग जानऽ हलइ, कि ऊ कहीं तो ओकरा सौंपल पइसा के छिपावऽ हइ, लेकिन अइसन गुप्त जगह में, कि केकरो ओकरा खोजना संभव नयँ हलइ । बाद में हमरा आउ कुछ पोलिस्तानी के ऊ अपन राज बता देलकइ । छरदेवाली के एगो खंभा में एगो गाँठ हलइ, जे उपरे-उपरे देखे में अइसन लगऽ हलइ, कि ई लकड़ी के कुंदा में कसके फिट कइल हइ । लेकिन एकरा निकासल जा सकऽ हलइ, आउ लकड़ी में एगो बड़गो छेद मालूम पड़ऽ हलइ । हुएँ बाबा पइसा छिपा दे हला आउ बाद में फेर से गाँठ लगा दे हला, अइसन तरह से कि कोय भी कभियो कुच्छो खोज नयँ सकऽ हलइ ।

लेकिन हम अपन कहानी से अलगे बात कइलिअइ । हम ई बात पे आके रुक गेलिए हल - कि काहे कैदी के जेभी में पइसा नयँ ठहर पावऽ हलइ । लेकिन, ओकरा संजोगके रक्खे के अलावे, जेल में एतना उदासी (बोरियत) हलइ; कैदी तो, अपन स्वभाव के अनुसार, स्वतंत्रता के एतना हद तक पिपासु, आउ आखिर, अपन सामाजिक स्थिति के अनुसार, एतना लपरवाह आउ उच्छृंखल होवऽ हइ, कि शोरगुल आउ संगीत के साथ, ओकरा स्वाभाविक रूप से अचानक "सब कुछ के प्रदर्शन करे" लगी, अपन सब कमाई के उड़ाके रंगरेली मनावे लगी ऊ आकृष्ट हो जा हइ, ताकि, बल्कि एक्को मिनट लगी काहे नयँ होवे, ऊ अप्पन उदासी के भूल जाय । एहो देखके अचरज होवऽ हलइ, कि ओकन्हीं में से कुछ लोग अपन कन्हा बिन सीधा कइले काम करइ, कभी-कभी कइएक महिन्ना तक, खाली ई लगी, कि एक दिन में सब्भे कमाई उड़ा देय, बिलकुल एक-एक पाई तक, आउ बाद में फेर से, नयका रंगरेली तक, कइएक महिन्ना खून-पसेना एक करके कठोर परिश्रम करइ । ओकन्हीं में से कइएक लोग नयका पोशाक खरीदे लगी पसीन करऽ हलइ, आउ निस्संदेह विशेष फैंसी वला - कुछ अनौपचारिक (अर्थात् जेल में देल गेल सरकारी वरदी से भिन्न), करिया पतलून, ज़िप लगल रूसी कोट, साइबेरियाई वास्कट । सूती कमीज आउ तामा के बकसुआ (buckle) लगल चमोटी भी बहुत प्रचलन में हलइ । उत्सव (छुट्टी) के बखत कैदी लोग निम्मन-निम्मन पोशाक पेन्हऽ हलइ, आउ सज्जल-धज्जल आवश्यक रूप से सब्भे बैरक से होके गुजरते जा हलइ, खुद के दुनिया भर के देखावे लगी । निम्मन से पोशाक पेन्हले खुशी मनइते बचकाना हद तक पहुँच जा हलइ; आउ अधिकतर कैदी बिलकुल बुतरू बन जा हलइ । ई सच हइ, कि ई सब्भे निम्मन चीज कइसूँ अचानक एकर मालिक के हियाँ से गायब हो जा हलइ, कभी-कभी ओहे साँझ के गिरवी रखा जा हलइ आउ औने-पौने दाम में बिक जा हलइ । लेकिन, रंगरेली धीरे-धीरे विकसित होवऽ हलइ । एकरा साधारणतः या तो कोय उत्सव (छुट्टी) के दिन लगी, चाहे रंगरेली मनावे वला के जन्म दिन (नामकरण दिन) लगी स्थगित कर देल जा हलइ । नामकरण दिन वला कैदी, सुबहे उठके, प्रतिमा के सामने मोमबत्ती जलाके रक्खऽ हलइ आउ प्रार्थना करऽ हलइ; बाद में ऊ पोशाक में सज-धज जा हलइ आउ अपना लगी दुपहर के खाना के औडर दे हलइ । बीफ़, मछली खरदल जा हलइ, साइबेरियाई पिलमेनी [3] बनावल जा हलइ; ऊ बैल नियन खा हलइ, लगभग हमेशे अकेल्ले, विरले अपन साथी सब के साथ-साथ खाय लगी आमंत्रित करऽ हलइ । बाद में दारू आवऽ हलइ - अपन नामकरण दिन मनावे वला कैदी पीके नशा में धुत्त हो जा हलइ आउ आवश्यक रूप से बैरक सब में चहलकदमी करऽ हलइ, टगते-टुगते आउ ठोकर खइते, सबके देखइते, कि ऊ पीयल हकइ, कि ऊ "मौज उड़ा रहले ह", आउ ओहे से सामान्य रूप से आदर के पात्र हलइ । सगरो रूस में पीयल अदमी के प्रति एक प्रकार के सहानुभूति दर्शावल जा हइ; जेलवा में तो पीयल के आदर के दृष्टि से भी देखल जा हलइ ।

जेल में रंगरेली के अपन प्रकार के कुलीनता (aristocratism) हलइ  । रंगरेली के दौरान जोश में आके कैदी आवश्यक रूप से किराया पर संगीत के प्रबंध करऽ हलइ । जेल में एगो ठिगना पोलिस्तानी हलइ, एगो भगोड़ा सैनिक, बहुत्ते कमीना, लेकिन वायलिन वादक आउ अपन साथ एगो वाद्ययंत्र रखले – जे ओकर एकमात्र संपत्ति हलइ । ऊ कोय पेशेवर नयँ हलइ आउ ओकरा पास एहे एगो काम रहऽ हलइ, कि रंगरेली मनावे वला लगी मनोरंजक नृत्य करइ । ओकर ड्यूटी ई होवऽ हलइ, कि ओकरा अपन पीयल मालिक के पीछू-पीछू एक बैरक से दोसरा बैरक जाय पड़ऽ हलइ आउ अपन पूरा जोर लगाके वायलिन के तार छेड़े पड़ऽ हलइ । अकसर ओकर चेहरा पर बोरियत आउ उदासी दृष्टिगोचर होवऽ हलइ । लेकिन "बजाव, पइसा लेलहीं ह न !" चिल्लाहट ओकरा फेर से तार छेड़े पर लचार कर दे हलइ । रंगरेली मनावे लगी शुरू करते बखत कैदी के पक्का विश्वास रहऽ हलइ, कि अगर ऊ कुछ जादहीं चढ़ा लेतइ, त ओकर पक्का ध्यान रक्खल जइतइ, समय पर ओकरा सुता देवल जइतइ आउ हमेशे कइसूँ छिपा देल जइतइ, अगर कहीं कोय अधिकारी आ टपकतइ, आउ ई सब कुछ बिलकुल निःस्वार्थ भाव से होतइ । अपना तरफ से, सर्जेंट आउ अपंग पूर्वसैनिक भी, जे जेल में अनुशासन बरकरार रक्खे लगी रहऽ हलइ, बिलकुल चैन से रह सकऽ हलइ - नशा में धुत्त कैदी कइसनो उपद्रव  नयँ कर सकऽ हलइ । पूरा बैरक ओकरा पर ध्यान दे हलइ, आउ अगर ऊ कहीं शोरगुल करे लगते हल, विद्रोह पर उतर जइते हल - त ओकरा तुरतम्मे नियंत्रित कर लेल जइते हल, सीधे बान्हियो-छान्ह लेल जइते हल । आउ ओहे से जेल के निचला अधिकारी मद्यपान के अँगुरियन के बीच से देखऽ हलइ (अर्थात् उपेक्षा कर दे हलइ), आउ एकरा नोटिस करे लगी नयँ चाहऽ हलइ । ओकन्हीं के अच्छा से मालूम हलइ, कि अगर दारू पीए के अनुमति नयँ देल जाय, त एकरा से मामला आउ बत्तर होतइ । लेकिन दारू आखिर मिल कइसे जा हलइ ?

जेल में दारू तथाकथित "कलाली के नौकर" (tapsters) से खरदल जा हलइ । अइसनकन कइएगो हलइ, आउ अपन धंधा लगातार आउ सफलतापूर्वक करते रहऽ हलइ, ई बात के बावजूद, कि पीए वला आउ रंगरेली मनावे वला साधारणतः कमती लोग हलइ, काहेकि रंगरेली मनावे में पइसा लगऽ हलइ, आउ कैदी लोग के पइसा बड़ी कठिनाई से मिल्लऽ हलइ । ई धंधा शुरू होवऽ हलइ, चलावल जा हलइ आउ पूरा कइल जा हलइ एगो काफी मौलिक तरीका से । कोय कैदी के, मान लेल जाय कि, कोय खास पेशा मालूम नयँ हइ आउ एकरा लगी कोशिश भी करे लगी नयँ चाहऽ हइ (अइसन लोग हलइ), लेकिन पइसा बनावे लगी चाहऽ हइ आउ ई मामले में उताहुल हइ, जल्दीए से धनगर होवे लगी चाहऽ हइ । ओकरा पास धंधा शुरू करे लगी थोड़े सनी पइसा हइ, आउ ऊ दारू के धंधा करे के फैसला कर ले हइ - ई कारोबार करना जरी साहस के काम हइ, जेकरा में बड़गो जोखिम हइ । एकरा चलते ओकरा रीढ़ देके चुकावे पड़ सकऽ हइ (अर्थात् ओकरा पीठ पर कोड़ा के मार सहे पड़ सकऽ हइ) आउ ओकर धंधा के साथ-साथ पूरा जामा-पूँजी खतम हो जा सकऽ हइ । लेकिन तइयो कलाली के नौकर ई काम में आगू बढ़ऽ हइ । शुरुआत में ओकरा पास पइसा थोड़े सनी हइ, आउ ओहे से पहिले तुरी ऊ खुद्दे दारू जेल में ले जा हइ, आउ जाहिर हइ, ऊ एकरा नफा के साथ बेच दे हइ । ऊ अइसन काम दोसरा आउ तेसरा तुरी दोहरावऽ हइ, आउ अधिकारीवर्ग से नयँ पाला पड़ऽ हइ, त तेजी से अपन स्टॉक के दारू बेच दे हइ, आउ तभिए असली धंधा व्यापक पैमाना पर चालू होवऽ हइ - ऊ ठेकेदार, पूँजीपति बन जा हइ, ओकरा पास एजेंट आउ सहायक होवऽ हइ, जोखिम बहुत्ते कम होवऽ हइ, आउ जादे से जादे पइसा बनइते जा हइ । जे कुछ खतरा रहऽ हइ, त ओकर सहायक सब के ।
जेल में हमेशे अइसन बहुत्ते लोग रहऽ हइ, जे अपन सब कुछ, ताश के जुआ में, रंगरेली में, अपन अंतिम कोपेक तक बरबाद कर चुकले ह, बिन पेशा के लोग, दयनीय आउ चिथड़ा हालत में, लेकिन साहस आउ दृढ़संकल्पता जइसन गुण से बहुत हद तक संपन्न । अइसन अदमी के पूँजी के रूप में खाली एकमात्र ओकर पीठ (रीढ़) रहऽ हइ; ई कोय चीज लगी काम दे सकऽ हइ, आउ एहे तो रंगरेली मनावे वला के आखिरी पूँजी रह जा हइ, आउ एकरे आश्रय लेवे के फैसला करऽ हइ । ऊ ठेकेदार बिजुन जा हइ आउ ओकरा जेल में दारू के तस्करी (smuggling) लगी अपन सेवा के प्रस्ताव रक्खऽ हइ; धनगर मद्यविक्रेता के पास कइएक अदमी काम करे वला एजंट रहऽ हइ । जेल के बाहर कहीं तो अइसन अदमी रहऽ हइ - सैनिक, दोकनदार, कभी-कभी कोय लौंडिया या रंडी भी - जे ठेकेदार के पइसा से आउ कुछ विशेष कमीशन पर, अपेक्षाकृत बहुत जादहीं पर, कलाली में दारू खरदऽ हइ आउ ओकरा कहीं एकांत जगह में छिपा दे हइ, जाहाँ परी कैदी लोग काम पर जा हइ। लगभग हमेशे मुहय्या करावे वला (सप्लायर) सबसे पहिले वोदका (दारू) के गुणवत्ता के खुद्दे पीके जाँच कर ले हइ आउ निष्ठुरतापूर्वक पीयल हिस्सा एतना पानी मिला दे हइ; लेय चाहे नयँ लेय, लेकिन कैदी (गुणवत्ता के मामले में) बहुत जादे वाद-विवाद नयँ करऽ हइ - एहो गनीमत हके, कि हमर पइसा चोरी नयँ गेल आउ हमरा वोदका मिल गेल, बल्कि कइसनो रहे, तइयो ई वोदका तो हके । वोदका के एहे सप्लायर से मिल्ले लगी आवऽ हइ, जेल के ठेकेदार से पहिलहीं से ओकरा सूचित कइल आउ ओकरा भिर भेजल वोदका के तस्कर, बैल के अँतड़ी के साथ लेले । ई अँतड़ी के पहिले धो लेल जा हइ, फेर एकरा में पानी भर देल जा हइ, आउ ई तरह से, प्रारंभिक आर्द्रता आउ तन्यता (humidity and stretchibility or ductility) बन्नल रहऽ हइ, ताकि समय के साथ वोदका रक्खे में सुविधाजनक होवइ । ई अँतड़ी में वोदका भरके कैदी एकरा खुद के चारो तरफ लपेट ले हइ, यथासंभव अपन शरीर के सबसे गुप्त जगह में । जाहिर हइ, एकरा में एगो तस्कर (smuggler) के संपूर्ण निपुणता, संपूर्ण चौर्य धूर्तता प्रकट होवऽ हइ । ओकर मान-प्रतिष्ठा पर आंशिक रूप से आघात पहुँचऽ हइ; ओकरा अपन चलाकी से मार्गरक्षी (escort) आउ संतरी (गार्ड) दुन्नु के मात देवे पड़ऽ हइ । ऊ ओकन्हीं के धोखा दे हइ - एगो शातिर चोर के सामने मार्गरक्षी, जे कभी-कभी कोय खाली रंगरूट होवऽ हइ, हमेशे धोखा में आ जा हइ । जाहिर हइ, मार्गरक्षी के पहिलहीं से अध्ययन कर लेल जा हइ; एकरा अलावे, काम के समय आउ जगह पर भी विचार कर लेल जा हइ । कैदी, मसलन स्टोव मिस्त्री, स्टोव के उपरे चढ़ऽ हइ - केऽ देखतइ, कि ऊ हुआँ की करऽ हइ ? ओकरा पीछू मार्गरक्षी तो चढ़तइ नयँ । जेल में पहुँचे बखत ऊ अपन हाथ में पइसा लेले रहऽ हइ - चानी के पनरह चाहे बीस कोपेक, कि शायद कभी जरूरत पड़ जाय, आउ गेट पर लैंस-कार्पोरल (lance-coporal) के इंतजार करऽ हइ । काम पर से लौटे वला हरेक कैदी के ड्यूटी पर रहे वला कार्पोरल चारो बगली टो-टाके जाँच करऽ हइ आउ तभिए ओकरा लगी जेल के दरवाजा खोलऽ हइ । दारू के तस्करी करे वला साधारणतः ई आशा करऽ हइ, कि ओकर देह के कुछ हिस्सा में बहुत जादे कड़ाई से टटोलके जाँचे में कार्पोरल के शरम लगतइ । लेकिन कभी-कभी चलाँक कार्पोरल के हाथ अइसनो जगह में पहुँच जा हइ आउ टटोलके दारू के पता कर ले हइ। तब एक्के आखिरी उपाय रह जा हइ - तस्कर चुपचाप आउ मार्गरक्षी के दृष्टि से बचके, गुप्त रूप से, छिपाके रक्खल सिक्का कार्पोरल के हाथ में  घुसा दे हइ । कभी-कभी अइसन होवऽ हइ, कि अइसन चलबाजी के चलते, ऊ सफलतापूर्वक जेल में वोदका के साथ पहुँच जा हइ । लेकिन कभी-कभी चलबाजी सफल नयँ होवऽ हइ, आउ तब ओकरा अपन अंतिम पूँजी से हिसाब चुकता करे पड़ऽ हइ, मतलब पीठ से । मेजर के रिपोर्ट कइल जा हइ, ई पूँजी के कोड़ा से मारल जा हइ, आउ निर्दयतापूर्वक मारल जा हइ, दारू जब्त करके राजकोष में डाल देल जा हइ, आउ तस्कर सब कुछ अपने ऊपर ले ले हइ, ठेकेदार के साथ बिन विश्वासघात कइले, लेकिन ई बात नोट कइल जाय, कि अइसन ई कारण से नयँ, कि प्राधिकारी के रिपोर्ट करे से कतराऽ हलइ, बल्कि बस ई कारण से, कि रिपोर्ट करे से ओकरा कोय फयदा नयँ होवऽ हलइ - ओकरा तो खैर कइसूँ कोड़ा पड़वे करते हल; ओकरा बस एतने तसल्ली होते हल, कि दुन्नु के कोड़ा खाय पड़लइ । लेकिन ठेकेदार के ओकरा फेर जरूरत पड़तइ, हलाँकि रिवाज आउ पहिलौका करार के मोताबिक, कोड़ा के मार खाल तस्कर के ठेकेदार से एक्को कोपेक नयँ मिल्लऽ हइ। जाहाँ तक साधारणतः रिपोर्ट करे के संबंध हइ, त ई साधारणतः फलऽ-फुल्लऽ हइ । जेल में सूचक (informer) के जरिक्को सनी अपमान नयँ सहे पड़ऽ हइ; ओकरा पर क्रोध करना भी कल्पनातीत हइ । ओकरा से लोग कतराऽ हइ नयँ, ओकरा साथ दोस्ती गाँठल जा हइ, ई तरह कि अगर जेल में सूचना देवे के पूरा कमीनापन के साबित करे लगबहो, तो तोहर बात के कोय बिलकुल नयँ समझतो । कुलीन घराना के ऊ कैदी, लंपट आउ नीच, जेकरा से सब तरह के संबंध विच्छेद कर चुकलिए हल, मेजर के अर्दली फ़ेदका के साथ दोस्त जइसन बर्ताव करऽ हलइ, आउ ओकरा लगी गुप्तचर के काम करऽ हलइ, आउ ऊ कैदी लोग के बारे सुन्नल सब कुछ मेजर के बता दे हलइ । हमन्हीं बीच सब कोय ओकरा जानऽ हलइ, आउ कोय भी कभियो ई हरामजादा के दंडित करे के, चाहे बुरा-भला सुनावे के बारे नयँ सोचऽ हलइ ।

लेकिन हम विषय से भटक गेलिअइ । जाहिर हइ, कि अइसन होवऽ हइ, कि दारू सफलतापूर्वक पहुँच जा हइ; तब ठेकेदार लावल अँतड़ी के ले ले हइ, ओकरा लगी पइसा चुकाके, आउ हिसाब जोड़े लगऽ हइ । हिसाब कइला के बाद मालूम पड़ऽ हइ, कि ई धंधा ओकरा लगी बहुत महँगा पड़ गेले ह; ओहे से बड़गो मुनाफा लगी ऊ फेर से लगभग पचास प्रतिशत पानी मिलाके पतला कर दे हइ, आउ ई तरह तैयार होके खरीदार के इंतजार करे लगऽ हइ । पहिलौके छुट्टी के दिन, आउ कभी-कभी काम के दिन, खरीदार पहुँच जा हइ - ई कैदी होवऽ हइ, जे कइएक महिन्ना तक काम कइले रहऽ हइ, कोल्हू के बैल नियन, आउ कुछ कोपेक जामा कर चुकले ह, ताकि पहिलहीं से निश्चित कइल एक दिन एकरा पूरा पी-पाके फूँक देइ । ई दिन पहुँचे के बहुत पहिलहीं एकरा बेचारा श्रमिक सुत्तल में सपना में देखऽ हलइ, आउ काम के समय मनोहर दिवास्वप्न के रूप में, आउ जेल के जिनगी के बोरियत भरल कार्य के दौरान एकर आकर्षण ओकर जोश बनइले रहलइ । आखिरकार पूरब में उज्ज्वल दिन के भोर होवऽ हइ; पइसा के बचत हो जा हइ, बिन जब्त होल, बिन चोरी होल, आउ ऊ ओकरा लेके दारूविक्रेता के पास आवऽ हइ । ऊ ओकरा पहिले तुरी दारू दे हइ, यथासंभव निछक्का, मतलब कुल्लम दू तुरी पानी मिलाके पतला कइल; लेकिन पी लेला के बाद, खाली हो चुकल बोतल में नाप के मोताबिक फेर से तुरतम्मे पानी मिला देवल जा हइ । एक गिलास दारू के कीमत, कलाली में कीमत के तुलना में पाँच-छो गुना होवऽ हइ । कल्पना कइल जा सकऽ हइ, कि अइसन केतना गिलास दारू पीयल जाय आउ एकरा पर केतना पइसा चुकावल जाय, कि नशा में अदमी धुत्त हो जाय ! लेकिन, पीए के आदत छूट गेला से आउ पहिले से परहेज के चलते, कैदी काफी जल्दी धुत्त हो जा हइ आउ आम तौर पर तब तक पीते रहऽ हइ, जब तक कि ऊ अपन सब पइसा फूँक नयँ दे हइ । तब सब नयका पोशाक के बारी आवऽ हइ - दारूविक्रेता एगो सूदखोरो होवऽ हइ । सबसे पहिले ओकरा हीं नयका-नयका प्राप्त कइल व्यक्तिगत वस्तु सब पहुँचऽ हइ, बाद में पुरनकन समान, आउ आखिरकार, (जेल में देल गेल) सरकारी समान भी । जब पी-पाके अपन अंतिम चिथड़ा तक फूँक दे हइ, तब नशा में धुत्त कैदी सुत्ते लगी पड़ जा हइ आउ दोसरा दिन सिर में अनिवार्य पीड़ा के साथ जगला पर, व्यर्थ में दारूविक्रेता से अपन खुमार दूर करे लगी, बल्कि एक्को घूँट दारू खातिर, विनती करऽ हइ । दुखी होके ऊ अपन दुर्भाग्य के सहन करऽ हइ, आउ ओहे दिन फेर से काम पर लग जा हइ, आउ फेर से कइएक महिन्ना काम करते रहऽ हइ, अपन कन्हा बिन सीधा कइले, खुशी के रंगरेली के दिन के बारे सपनइते, जे अपुनर्लभ्य रूप से हमेशे लगी गायब हो गेलइ, आउ धीरे-धीरे हिम्मत बान्हे आउ ओइसने दिन के इंतजार करे लगी शुरू करके, जे अभियो बहुत दूर हइ, लेकिन जे तइयो कभी तो अपन बारी में अइवे करतइ । जाहाँ तक दारूविक्रेता के संबंध हइ, त आखिरकार बड़गो रकम के धंधा कर लेला के बाद, कुछ दस-दस रूबल के (अर्थात् बीस-तीस रूबल के), ऊ अंतिम तुरी दारू तैयार करऽ हइ आउ अब एकरा में पानी मिलाके पतला नयँ करऽ हइ, काहेकि ई अपने लगी रक्खऽ हइ; काफी धंधा हो गेलइ - अब टैम हइ खुद रंगरेली मनावे के ! चालू होवऽ हइ - रंगरेली, पीना, खाना, संगीत । साधन बहुत हइ; जेल के नजदीकी निम्न स्तर के अधिकारी सबके भी खोसामद कर लेल जा हइ । रंगरेली कभी-कभी कइएक दिन तक चल्लऽ हइ । जाहिर हइ, तैयार कइल दारू जल्दीए पी-पाके खतम कर देल जा हइ; तब रंगरेली मनावे वला दोसरा-दोसरा दारूविक्रेता के पास जा हइ, जेकन्हीं पहिलहीं से ओकर इंतजार करऽ हइ, आउ तब तक पीयऽ हइ, जब तक कि सब्भे पइसा आखिरी कोपेक तक पीके फूँक नयँ दे हइ । कैदी लोग रंगरेली मनावे वला पर केतनहूँ रखवाली करते जा हइ, तइयो कभी-कभी ऊ उच्च अधिकारी के नजर में आइए जा हइ, मेजर के, चाहे ड्यूटी पर के अधिकारी के (नजर में) । ओकरा कोर-द-गार्द (corps de garde, गार्ड-हाउस) ले जाल जा हइ, ओकर पूँजी जब्त कर लेल जा हइ, अगर ओकरा हीं पावल जा हइ, आउ अंतिम में ओकरा कोड़ा से पिट्टल जा हइ । अपन देह झार-झूरके, ऊ वापिस जेल आ जा हइ आउ कुछ दिन के बाद फेर से दारूविक्रेता के धंधा शुरू कर दे हइ ।

कुछ रंगरेली मनावे वला, जाहिर हइ धनगर लोग में से, नारी जाति के बारे भी सपनाऽ हइ । बड़गो रकम के बल पर ओकन्हीं कभी-कभी चोरी-चुपके, घूस के बल पे खरीदल मार्गरक्षी के साथ लेके, कोय एकांत जगह में, काम के स्थान के बदले, किला से कहीं बाहर उपनगरीय क्षेत्र में घुस जा हइ । हुआँ, कोय सूनसान घर में, शहर के कहीं दूर-दराज कोना में, बड़गो पैमाना पे मौज-मस्ती होवऽ हइ आउ वास्तव में एगो बड़गो रकम के अपव्यय कइल जा हइ ।  पइसा खातिर कैदी से भी घृणा नयँ कइल जा हइ; मार्गरक्षी के भी कइसूँ पहिलहीं से चुन लेल जा हइ, जेकरा सब बात के जनकारी रहऽ हइ । साधारणतः अइसन मार्गरक्षी खुद्दे जेल के भावी प्रत्याशी (उम्मीदवार) होवऽ हइ । तइयो, पइसा के बल पर कुच्छो कइल जा सकऽ हइ, आउ अइसन अभियान लगभग हमेशे एगो रहस्य बन्नल रहऽ हइ । ई बात आउ कहल जा सकऽ हइ, कि अइसन अभियान बहुत विरले होवऽ हइ; एकरा लगी बहुत पइसा के जरूरत होवऽ हइ, आउ नारी जाति के प्रेमी दोसर-दोसर तरीका अपनावऽ हइ, जे खतरा से बिलकुल बाहर होवइ ।

जेल में रहे के शुरुआते में एगो नौजवान कैदी, जे अत्यधिक सुंदर छोकरा हलइ, हमर मन में विशेष उत्सुकता जागृत कइलकइ । ओकर नाम सिरोत्किन हलइ । कइएक मामले में ऊ एगो काफी रहस्यमय जीव हलइ । सबसे प्रथम तो ओकर बहुत सुंदर चेहरा हमरा अचंभित कर देलकइ; ऊ तेइस बरिस से जादे के नयँ हलइ । ऊ जेल के "विशेष विभाग" में हलइ, अर्थात् बिन अवधि वला में (यानी, आजीवन कैदी), ओहे से ओकरा सबसे भयानक मिलिट्री अपराधी में से एक मानल जा हलइ । ऊ शांत आउ नम्र हलइ, बहुत कम बोलऽ हलइ, आउ विरले हँस्सऽ हलइ । ओकर आँख नीला हलइ, नाक-नक्शा ठीक-ठाक, चेहरा साफ आउ नाजुक, केश चमकीला सुनहरा । ओकर आधा मूँड़ल सिर भी ओकरा बहुत कम कुरूप कइलके हल - एतना सुंदर ऊ छोकरा हलइ । ओकरा खुद के कोय व्यवसाय नयँ हलइ, लेकिन थोड़हीं-थोड़हीं सही, लेकिन अकसर ओकरा पास पइसा कइसूँ उपलब्ध हो जा हलइ । देखे में तो ऊ आलसी हलइ, मैले-कुचैले पेन्हले बुल्लऽ हलइ । वस्तुतः कोय दोसरा अदमी ओकरा निम्मन कपड़ा पेन्हा देइ, कभी-कभी लाल कमीज भी, त सिरोत्किन स्पष्ट रूप से नयका बस्तर में खुश देखाय देइ - बैरक सब में घुम्मइ, आउ खुद के देखावइ । ऊ दारू नयँ पीयऽ हलइ, ताश के जुआ नयँ खेलऽ हलइ, लगभग केकरो से लड़ाय-झगड़ा नयँ करऽ हलइ । ऊ बैरक के पीछू घूमते रहऽ हलइ - हाथ जेभी में, शांत, विचारमग्न । ऊ कउची बारे सोचते रहऽ हलइ, कल्पनो करना मोसकिल हलइ । कभी ओकरा उत्सुकता से हँकइबहो, कुच्छो बारे पुछबहो, त ऊ तुरते जवाब देतो आउ कइसूँ आदरपूर्वक भी, कैदी नियन नयँ, बल्कि हमेशे संक्षेप में, बिन बकबक कइले; तोहरा तरफ एगो दस बरिस के बुतरू नियन एकटक देखतो । जब ओकरा पइसा मिल जाय - त ऊ अपना लगी कुच्छो जरूरी चीज नयँ खरदइ, अपन कोट मरम्मत करे लगी नयँ देइ, नयका बूट नयँ खरदइ, बल्कि कलाच खरदइ, केक खरदइ आउ अइसे खाय, मानूँ ऊ सात साल के बुतरू होवइ । "ए, सिरोत्किन !", ओकरा कैदी लोग बोलइ, "तूँ तो कज़ान के सिरोता लगऽ हीं !" [4] जब ओकर काम के समय नयँ होवऽ हलइ, त ऊ साधारणतः दोसर-दोसर बैरक में अइसीं घूमते-फिरते रहऽ हलइ; सब कोय अपन खुद के काम में व्यस्त रहऽ हलइ, खाली ओकरे कुच्छो करे लगी नयँ रहऽ हलइ । ओकरा लोग कुछ कहइ, लगभग हमेशे मजाक में (ओकरा पर आउ ओकर सथीवन पर अकसर लोग मजाक उड़इते रहऽ हलइ) - त ऊ एक्को शब्द बिन बोलले, मुड़ जाय आउ दोसर बैरक में चल जाय; आउ कभी-कभी अगर लोग बहुत जादे मजाक करइ, त ओकर चेहरा लाल हो जाय । हम अकसर सोचऽ हलिअइ - ई शांत, सीधा-सादा जीव जेल में कइसे पहुँच गेलइ ? एक तुरी हम अस्पताल के कैदी वार्ड में पड़ल हलिअइ । सिरोत्किन भी बेमार हलइ आउ हमर बगले में पड़ल हलइ; कइसूँ साँझ के हमन्हीं दुन्नु में बात होवे लगलइ; ऊ अप्रत्याशित रूप से सक्रिय हो उठलइ, प्रसंगवश, हमरा बतइलकइ, कि कइसे ऊ सेना में भरती होले हल, कइसे ओकर मइया ओकरा विदा करते ओकरा लगी कनले हल आउ ओकरा रंगरूट (नौसिखिया सिपाही) के रूप में केतना तकलीफ होले हल । ऊ आगू बतइलकइ, कि ऊ कइसहूँ रंगरूट के जिनगी बरदास नयँ कर पइलकइ - काहेकि हुआँ सब कोय ओकरा पर क्रोधित आउ कठोर हलइ, आउ कमांडर लोग ओकरा पर लगभग हमेशे असंतुष्ट रहऽ हलइ ...

"त अंत कइसे होलउ ?" हम पुछलिअइ । "तूँ हियाँ कइसे अइलहीं ? आउ ओकरो में ई विशेष विभाग में ... आह तूँ सिरोत्किन, सिरोत्किन (अनाथ) !"
"हाँ हम जी, अलिक्सांद्र पित्रोविच, हम कुल्लम एक साल बटालियन में रहलिअइ; आउ हम हियाँ ई वजह से अइलिअइ, कि हम अपन कंपनी कमांडर ग्रिगोरी पित्रोविच के हत्या कर देलिअइ ।"
"हम सुनलियो हल, सिरोत्किन, लेकिन हमरा विश्वास नयँ होवऽ हउ । अच्छऽ, तूँ केकरा मार सकऽ हलहीं ?"
"अइसन हो गेलइ, अलिक्सांद्र पित्रोविच । हमरा जीना असह्य हो गेल हल ।"
"लेकिन दोसर रंगरूट सब कइसे रहऽ हइ ? वास्तव में, शुरू-शुरू में दिक्कत होवऽ हइ, लेकिन बाद में अभ्यस्त हो जइते जा हइ, आउ देखऽ हीं, कि आखिरकार उत्तम सैनिक बन जा हइ । तोरा, शायद, मइया दुलार में बिगाड़ देलथुन; तोरा अठारह बरिस तक केक आउ दूध से पललथुन ।"

"मइया तो हमरा, सचमुच, बहुत मानऽ हलइ जी । जब हम रंगरूट के रूप में सेना में भरती होलिअइ, ऊ हमर पीछू खाट पकड़ लेलकइ, आउ सुन्ने में अइलइ कि ऊ फेर उठ नयँ पइलइ ... रंगरूट के ड्यूटी से आखिर हमर जिनगी बहुत कष्टमय हो गेल । कमांडर हमरा पसीन नयँ करऽ हलइ, आउ हमेशे सब बात पर हमरा सजा देइ - आउ कउन बात लगी जी ? हम सबके सामने आत्मसमर्पित कर दिअइ, समय के पाबंद रहिअइ; दारू के हाथ नयँ लगइअइ, हम केकरो हीं से कुछ उधार नयँ लिअइ; आउ ई, अलिक्सांद्र पित्रोविच, खराब मामला हो जा हइ, अगर अदमी कुच्छो उधार लेवे लगऽ हइ । सब्भे चारो बगली अइसन क्रूरहृदय हइ - केधरो कनहूँ के (रोवे के भी) जग्गह नयँ । शायद, कहीं एकांत कोना में जइबऽ, आउ हुएँ कन लेबऽ । आउ अइकी हम एक तुरी ड्यूटी पर हलिअइ । रात हो चुकले हल; हमरा पहरेदारी पर रक्खल गेले हल, राइफल-स्टॉक बिजुन । तेज हावा - शरद् ऋतु हलइ, आउ अन्हेरा अइसन, कि हमरा कुच्छो नयँ देखाय देय । आउ हमर जी मचलाय लगल, बहुत बोर होवे लगलूँ ! राइफल के हम गोड़ भिर कइलिअइ, संगीन (bayonet) अलगे कर देलिअइ, आउ एकरा बगली में रख देलिअइ; दहिना बूट के उतार देलिअइ, राइफल के नाल छाती पर रखलिअइ, एकरा टेक लेलिअइ आउ गोड़ के अँगूठा से घोड़ा दबा देलिअइ । देखऽ हिअइ – मिसफ़ायर (गोली चललइ नयँ) ! हम राइफल के चेक कइलिअइ, रंजक (primer) के साफ कइलिअइ, नयका बारूद भरलिअइ, चकमक (flint) के चिप्पी उड़ा देलिअइ आउ राइफल के फेर से अपन छाती पर रखलिअइ । की होलइ, जन्नऽ हथिन जी ? बारूद तो चमकलइ, लेकिन फेरो गोली नयँ चललइ ! सोचऽ हिअइ, ई की हो रहल ह ? हम बूट लेलिअइ आउ पेन्ह लेलिअइ, संगीन लगा देलिअइ, चुपचाप एन्ने-ओन्ने चहलकदमी करे लगलिअइ । तखनिएँ हम ई काम करे लगी तय कइलिअइ - चाहे कहीं जाय पड़े, लेकिन खाली ई रंगरूट के ड्यूटी से दूर ! आध घंटा के बाद कमांडर आवऽ हइ; मुख्य दौरा (round) के निरीक्षण (inspection) पर हलइ । सीधा हमरा भिर (अइलइ) - "की अइसीं पहरेदारी पर रहल जा हइ ?" हम राइफल हाथ में लेलिअइ, आउ पूरा संगीन, नाल (बैरल) तक ओकरा में घुसा देलिअइ । चार हजार (विर्स्ता) चललिअइ, आउ हियाँ हिअइ, विशेष विभाग में ..."

ऊ झूठ नयँ बोल रहले हल । आउ कइसन अपराध लगी ओकरा विशेष विभाग में भेजल जइते हल ? सामान्य अपराध लगी अपेक्षाकृत बहुत हलका दंड देल जा हइ । लेकिन, खाली एगो सिरोत्किन अपन सब्भे साथी के बीच एतना सुंदर हलइ । जाहाँ तक दोसरा सब के संबंध हइ, ओकरा नियन, जे हमन्हीं हीं कुल पनरह लोग हलइ, त ओकन्हीं देखे में बहुत विचित्र लगऽ हलइ - खाली दू-तीन लोग तइयो संतोषजनक हलइ; बाकी तो सब्भे प्रलंबकर्ण (lop-eared), कुरूप, मैला-कुचैला हलइ; कुछ तो पक्कल केश वला हलइ । अगर परिस्थिति अनुकूल होतइ, त हम कभी ई सब दल के बारे विस्तार से वर्णन करबइ । सिरोत्किन के तो अकसर गाज़िन के साथ पट्टऽ हलइ, ओहे कैदी से जेकर चर्चा हम ई अध्याय के शुरू में कइलिअइ, ई वर्णन करके, कि ऊ नीसा (नशा) में धुत्त होल भनसाघर में आ धमकलइ, आउ ई जेल के जिनगी के बारे हमर पहिलौका राय (विचार) के अस्तव्यस्त कर देलकइ ।  

ई गाज़िन एगो भयंकर जीव हलइ । सब कोय के दिमाग पर ओकर विचित्र आउ कष्टदायक छाप (impression) पड़ऽ हलइ । हमरा हमेशे अइसन लगऽ हलइ, कि कोय भी ओकरा से जादे भयंकर राक्षस नयँ हो सकऽ हलइ । तोबोल्स्क में हम अपन क्रूर कर्म से मशहूर डाकू कामेनेव के देखलिए हल; बाद में सोकोलोव के देखलिए हल, एगो अइसन कैदी जेकर विरुद्ध मोकदमा चल रहले हल, जे एगो भगोड़ा सैनिक आउ भयंकर हत्यारा हलइ । लेकिन ओकन्हीं दुन्नु में से कोय हमर मस्तिष्क पर ओइसन घृणास्पद छाप (repulsive impression) नयँ छोड़लक, जेतना कि गाज़िन । हमरा कभी-कभी लगइ, कि हम अपन सामने एगो बड़गो दैत्याकार मकरा (मकड़ा), अदमी के आकार के, देख रहलूँ हँ । ऊ एगो तातार हलइ; भयंकर रूप से बलवान, जेल में के सब कोय से अधिक; मध्यम से अधिक उँचगर, हर्क्यूलस के काठी वला, आउ कुरूप, बेमेल रूप से बड़गर सिर वला; कुबड़ा नियर चल्लऽ हलइ, आउ भौं चढ़ाके देखऽ हलइ । जेल में ओकरा बारे विचित्र-विचित्र अफवाह फैलल हलइ - लोग के मालूम हलइ, कि ऊ एगो सैनिक हलइ; लेकिन कैदी लोग आपस में बोलऽ हलइ, हमरा मालूम नयँ कि ई सच हइ कि नयँ, कि ऊ नेरचिन्स्क से भागके अइले हल; ओकरा साइबेरिया एक तुरी नयँ भेजल गेले हल, एक तुरी के भगोड़ा नयँ हलइ, नाम बदल ले हलइ आउ आखिरकार तो पकड़ाके हमन्हीं के जेल में आ गेलइ, विशेष विभाग में । ओकरा बारे एहो बोलते जा हलइ, कि पहिले ऊ छोटकुन्ना बुतरुअन के गला रेत देना पसीन करऽ हलइ, खाली एगो अपन मनोरंजन खातिर - बुतरुआ के कहीं कोय सुविधाजनक स्थान में ले जाय; शुरू-शुरू में ओकरा डेरावइ, सतावइ, आउ आतंकित होल आउ थरथरइते, बेचारा शिकार (victim) छोटकुन्ना के शांति से, धीरे-धीरे, मनोरंजन के साथ गला रेत देइ । ई सब कुछ, शायद, कैदी लोग के कल्पना हलइ, जे दर्दनाक छाप के कारण हलइ, जे गाज़िन अपना बारे सब पर पैदा कइलके हल, लेकिन ई सब कपोल-कल्पना ओकरा पर जँच्चऽ हलइ, आउ ओकर चेहरा के साथ मेल खा हलइ । लेकिन ई सब के बावजूद, जेल में, जब पीयल नयँ रहऽ हलइ, त साधारणतः ऊ बहुत अच्छा से व्यवहार करऽ हलइ । हमेशे शांत रहऽ हलइ, केकरो से कभियो नयँ झगड़ऽ हलइ आउ लड़ाय-झगड़ा से कतराऽ हलइ, लेकिन मानूँ दोसरा लोग से घृणा के चलते, मानूँ बाकी सब लोग के अपेक्षा खुद के उँचगर सोचके (अइसे करऽ हलइ); बहुत कम बोलऽ हलइ आउ कइसूँ जानबूझके गैरमिलनसार (reserved, uncommunicative) हलइ । ओकर सब गति (movements) मंद, शांत, आत्म-विश्वस्त हलइ । ओकर आँख से स्पष्ट हलइ, कि ऊ बहुत बुद्धिमान आउ अत्यधिक धूर्त्त हलइ; लेकिन ओकर चेहरा आउ मुसकान में कुछ तो हमेशे उच्च-उपहास आउ निर्दयता झलकऽ हलइ । ऊ दारू के धंधा करऽ हलइ आउ जेल में सबसे धनाढ्य दारूविक्रेता में से एक हलइ । लेकिन साल में करीब दू तुरी ऊ खुद दारू पीके नीसा में धुत्त हो जा हलइ, आउ तखनिएँ ओकर स्वभाव के सब पाशविकता प्रकट होवऽ हलइ । क्रमशः जइसे-जइसे नीसा चढ़े लगइ, ऊ पहिले लोग के व्यंग्य के साथ चिढ़ावे लगइ, बिलकुल घृणास्पद व्यंग्य के साथ, जे मानूँ बहुत पहिलहीं सोचल-समझल रहइ; आखिरकार, नीसा पूरा तरह से चढ़ गेला पर ऊ भयंकर क्रोधावेश में आ जाय, छूरी उठा लेइ आउ लोग पर टूट पड़इ । कैदी लोग ओकर भयंकर शक्ति के जानके ओकरा भिर से भाग जइते जा हलइ आउ नुक जा हलइ; जे कोय मिल जा हलइ ओकरा पर ऊ टूट पड़ऽ हलइ । लेकिन जल्दीए ओकर सामना करे के तरीका मालूम कर लेते गेलइ । ओकर बैरक के लगभग दस अदमी अचानक एक्के तुरी ओकरा पर टूट पड़इ आउ ओकरा पिट्टे लगइ । अइसन पिटाय से अधिक निर्दयता के बारे कल्पना नयँ कइल जा सकऽ हलइ - ओकरा पीटते जा हलइ - छाती पर, दिल पर, चमची (छाती आउ पेट के बीच के गड्ढा) पर, पेट पर; बहुत जादे आउ देरी तक पिटाय करते जा हलइ आउ अइसन करना तभिए बन करऽ हलइ, जब ऊ बेहोश हो जा हलइ आउ मुर्दा नियन पड़ जा हलइ । दोसरा कोय के अइसे पिट्टे के निर्णय नयँ करते जइते हल - अइसे पिटाय करे के मतलब हलइ जान से मार देना, लेकिन गाज़िन के मामले में ई बात नयँ हलइ । ओकर पिटाय के बाद, बिलकुल बेहोश होल ओकरा छोटका भेड़ के खाल के कोट में लपेट देते जा हलइ आउ पटरा के बिछौना पर पाड़ देल जा हलइ । "ठीक हो जइतइ !" ओकन्हीं बोलइ । आउ वास्तव में, सुबहे ऊ उठ जा हलइ, लगभग स्वस्थ, आउ चुपचाप उदास होल काम पर निकस जा हलइ । आउ हर तुरी, जब गाज़िन नीसा में धुत्त हो जा हलइ, त जेल में सब कोय समझ जा हलइ, कि ओकरा लगी दिन के अंत पक्का पिटाय के साथ होतइ । आउ ओहो खुद्दे ई बात जानऽ हलइ, लेकिन तइयो ऊ पीवे करऽ हलइ । अइसीं कुछ साल चलते रहलइ । आखिरकार, लोग नोटिस कइलकइ, कि गाज़िन अब झुक्के लगले ह । ऊ कइएक तरह के दरद के शिकायत करे लगलइ, स्पष्टतः ऊ दुर्बल होवे लगलइ; लगातार जादे से जादेतर ऊ अस्पताल जाय लगलइ - "अब तो टूट गेलइ !" कैदी लोग आपस में बोले लगलइ ।

ऊ (एक तुरी) ओहे ठिगना वायलिन वादक पोलिस्तानी के साथ लेके भनसाघर में घुसलइ, जेकरा रंगरेली मनावे वला कैदी अपन मस्ती के पूरा तरह से मौज लुट्टे लगी भाड़ा पर ले हलइ, आउ भनसाघर के बीच में ठहर गेलइ, आउ चुपचाप आउ ध्यान से उपस्थित लोग के घूरे लगलइ । सब कोय शांत हो गेलइ । आखिरकार, तखने हमरा आउ हमर साथी के देखके, ऊ घृणा आउ उपहास के दृष्टि से हमन्हीं दने देखलकइ, अपन जी भर मुसकइलइ, कुछ तो मानूँ खुद के बारे कल्पना कइलकइ, आउ टगते-टुगते हमन्हीं के टेबुल भिर अइलइ ।

"आउ हमरा पुच्छे के अनुमति देथिन", ऊ बोले लगलइ (ऊ रूसी में बोल रहले हल), "अपने कइसन अमदनी के बल पर चाय पीयऽ हथिन ?"
हमन्हीं दुन्नु साथी एक दोसरा दने नजर फेरलिअइ, ई समझके, कि सबसे निम्मन चुप रहे आउ ओकरा कुछ जवाब नयँ देवे के चाही । पहिलौके अंतर्विरोध (contradiction) पर ऊ क्रोधावेश में आ जा सकऽ हलइ ।
"मतलब, अपने के पास पइसा हइ ?" ऊ अपन सवाल जारी रखलकइ । "मतलब, अपने के पास बहुत पइसा हइ, हइ न ? त वास्तव में अपने ई जेल में ई लगी अइलथिन हँ, कि चाय पीथिन ? अपने चाय पीये लगी अइलथिन हँ ? बोलथिन न, कि अपने के ! ..."

लेकिन ई देखके, कि हमन्हीं चुप रहे के निर्णय कर लेलिए ह आउ ओकरा पर कोय ध्यान नयँ देबइ, त ओकर चेहरा लाल हो गेलइ आउ गोस्सा से कँप्पे लगलइ । ओकर बगली में, कोना में, एगो बड़गो किश्ती (ट्रे) पड़ल हलइ, जेकरा में पूरा कट्टल पावरोटी रक्खल जा हलइ, जे कैदी के दिन के चाहे रात के भोजन लगी तैयार कइल जा हलइ । ई एतना बड़गर हलइ, कि एकरा में आधा जेल के कैदी खातिर पावरोटी अँट जा हलइ; लेकिन अभी तो ई खाली हलइ । ऊ ओकरा दुन्नु हाथ से पकड़ लेलकइ आउ हमन्हीं के उपरे भाँजे लगलइ । आउ थोड़े देर होते हल, त ऊ हमन्हीं के सिर तोड़ देते हल । ई बात के बावजूद, कि हत्या चाहे हत्या के प्रयास, पूरे जेल के (कैदी) खातिर अत्यधिक कष्टदायक परिणाम के खतरा हलइ - जाँच (inquiries), खोजबीन (searches), आउ अधिक कड़ाई शुरू हो जइते हल, ओहे से कैदी लोग अपन पूरा जोर लगाके कोय घटना के अइसन पराकाष्ठा पर पहुँचे से रोकऽ हलइ - ई बात के बावजूद, अभी सब लोग शांत हो गेलइ आउ इंतजार करते रहलइ । हमन्हीं के बचाव में एक्को शब्द नयँ ! गाज़िन के तरफ एक्को चीख नयँ ! - त एतना हद तक ओकन्हीं के नफरत हमन्हीं पर हलइ ! स्पष्टतः हमन्हीं के ई खतरनाक परिस्थिति ओकन्हीं लगी खुशी के बात हलइ ... लेकिन मामला बिन कोय हादसा के सकुशल निपट गेलइ; जइसीं ऊ किश्ती के हमन्हीं पर पटके लगी चहलकइ, कि कोय तो ड्योढ़ी से चल्लइलइ - "गाज़िन ! दारू चोरी हो गेलो ! ..."

ऊ किश्ती के ढन्-न्-न् से फर्श पे गिरा देलकइ आउ पागल नियन भनसाघर से बाहर दौड़ते गेलइ ।
"अरे, भगमान बचा लेलकइ !" कैदी लोग आपस में बोललइ । आउ लम्मा समय तक ओकन्हीं ई बात बोलते रहलइ ।
हमरा बाद में पता नयँ चल पइलइ, कि वास्तव में दारू के चोरी के बात सच हलइ, कि वस्तुतः हमन्हीं के बचावे खातिर प्रसंगवश सोचल-समझल एगो युक्ति हलइ ।

साँझ के, जब अन्हेरा छा चुकले हल, बैरक बन होवे के पहिले, हम छरदेवाली के ईर्द-गिर्द घुम रहलूँ हल, आउ हमर आत्मा में एगो भारी उदासी छाल रहल, आउ बाद में कभियो अपन जेल के जिनगी में अइसन उदासी अनुभव नयँ कइलूँ । कारावास के पहिला दिन सहन करना बहुत कष्टदायक होवऽ हइ, चाहे कहूँ होवइ - जेल में, केसमेट (किला के छोटगर एकांत कमरा) में, चाहे सश्रम कारावास में ... लेकिन, हमरा आद पड़ऽ हइ, एक विचार हमर दिमाग के सबसे जादे व्यस्त रक्खऽ हलइ, जे बाद में हमरा जेल के पूरे जिनगी में लगातार अइते-जइते रहलइ, आंशिक रूप से असमाधेय विचार, जे अब तक हमरा लगी असमाधेय हइ - ई एक्के अपराध लगी दंड के असमानता (inequality) के  बारे हइ । ई बात सच हइ, कि एक अपराध के दोसरा से तुलना नयँ कइल जा सकऽ, स्थूल रूप से भी नयँ । मसलन - दू हत्यारा एगो अदमी के हत्या कइलकइ; दुन्नु के मामला के सब्भे परिस्थिति पर विचार कइल गेलइ; आउ पहिला आउ दोसरा मामला में लगभग एक्के दंड देल जा हइ । एकरा अलावे, देखहो, अपराध में केतना फरक हइ । एगो हत्यारा, मसलन, एगो अदमी के गला अइसीं रेत देलकइ, नगण्य बात लगी, एगो पियाज लगी - रस्ता पर बाहर निकसलइ, एगो गाड़ी से जा रहल किसान के गला रेत देलकइ, आउ ओकरा पास कुल्लम एगो पियाज मिललइ । "ई की, बाप ! तूँ तो हमरा भेजलऽ लूट के माल लावे लगी - अइकी हम किसनमा के गला रेत देलिअइ आउ हमरा तो ओकरा हीं से खाली एगो पियाज मिललइ ।" - "बेवकूफ ! एगो पियाज - एगो कोपेक के बराबर हइ ! सो गो आत्मा - सो गो पियाज, मतलब तोरा पास एक रूबल हो गेलउ !" (एगो जेल के किंवदंती) । आउ दोसरा हत्या कइलकइ, एगो कामुक अत्याचारी से अपन मंगेतर, बहिन, बेटी के रक्षा करते । एगो हत्या कइलकइ आवारागर्दी से, पुलिस के पूरा पलटन से घिर गेला पर, अपन स्वतंत्रता आउ जीवन के रक्षा करते, अकसर भूख के चलते मरते हालत में; आउ दोसरा गला रेत दे हइ छोटकुन्ना बुतरुअन के - गला रेते में जेकरा खुशी मिल्लऽ हइ, ओकन्हीं के गरम-गरम खून के अपन हाथ पर रखके अनुभव करऽ हइ, ओकन्हीं के आतंकित होल दशा पर, ओकन्हीं के छूरी से रेते पर अंतिम पंडुक नियन फड़फड़ाहट देखके आनंद मनावऽ हइ । आउ परिणाम की होवऽ हइ ? ई सब्भे के एक्के सश्रम कारावास में भेजल जा हइ । ई सच हइ, कि दंड के अवधि (periods) में भिन्नता रहऽ हइ । लेकिन ई सबमें भिन्नता अपेक्षाकृत जरी सुन हइ; आउ एक्के प्रकार के अपराध में अनगिनत अधिकता हइ । जेतने पात्र (characters), ओतने भिन्नता (अर्थात् जेतने तरह के अपराधी होवऽ हइ, ओतने तरह के अपराध होवऽ हइ) । लेकिन ई स्वीकार कइल जाय, कि (अपराध के विभिन्नता आउ दंड में अपेक्षाकृत समानता के) अंतर के समाधान करना, अंतर के पाटके समतल करना असंभव हइ, कि ई एक प्रकार के अपने आप में असमाधेय समस्या हइ - जइसे कि मानल जाय कि एगो वृत्त के क्षेत्रफल के आकलन [5] ! लेकिन अगर ई असमानता के अस्तित्व नहिंयों रहलइ - त देखहो दोसर अंतर तरफ, दंड के खास परिणाम के अंतर तरफ ... अइकी एगो अदमी हइ, जे जेल में मुरझाल जा हइ, मोमबत्ती नियन क्षीण होल जा हइ; आउ एद्धिर दोसरा हइ, जे जेल में आवे के पहिले एहो नयँ जानऽ हलइ, कि संसार में अइसनो खुशहाल जिनगी हइ, साहसी साथी लोग के अइसन मनोरम क्लब हइ । हाँ, जेल में अइसनो लोग अइते जा हइ । मसलन, अइकी एगो अइसन व्यक्ति के लेल जाय, जे शिक्षित, विकसित अंतःकरण के, बुद्धिमान, आउ दिल वला हइ । ओकर अपन दिल के बस एगो दरद, कउनो दंड के पहिलहीं, ओकरा अपन यातना से हीं मार डालतइ । ऊ अपन अपराध लगी खुद के दंड दे हइ, भयंकर से भयंकर कानून के अपेक्षा अधिक निर्दयतापूर्वक । आउ अइकी ओकर बगली में दोसरा हइ, जे अपन कइल हत्या के बारे, जेल के पूरे अवधि तक, एक्को तुरी नयँ सोचऽ हइ । ऊ बल्कि खुद के सच्चा (निर्दोष) समझऽ हइ । आउ अइसनो लोग हइ, जे जानबूझके अपराध करऽ हइ, ताकि ऊ जेल पहुँच जाय, आउ स्वतंत्र रहला पर अपेक्षाकृत आउ अधिक सश्रम कारावास नियन जिनगी गुजारे से दूर रहइ । हुआँ ऊ हद दर्जा के अपमानित जीवन गुजरलकइ, कभियो ओकरा भरपेट भोजन नयँ मिललइ आउ अपन ठेकेदार (मालिक) के हियाँ दिन-रात काम कइलकइ; जबकि जेल में काम, घर पर के अपेक्षा हलका रहऽ हइ, मनमाना पावरोटी मिल्लऽ हइ, आउ अइसन, जइसन ऊ कभियो नयँ देखलके हल; उत्सव (छुट्टी) के दौरान बीफ़ मिल्लऽ हइ, दान मिल्लऽ हइ, आउ कुछ कोपेक कमाय के अवसर रहऽ हइ । आउ संगत ? (कैदी) लोग चलाँक, कुशल, सब कुछ जाने वला; आउ अइकी ऊ अपन साथी लोग के तरफ आदरयुक्त विस्मय से देखऽ हइ; ऊ अइसन लोग के कभी नयँ देखलके हल; ऊ ओकन्हीं के सबसे उच्च समाज समझऽ हइ, जे संसार में केवल हो सकऽ हइ । की ई दुन्नु लगी दंड वास्तव में एक्के समान अनुभव कइल जा सकऽ हइ ? लेकिन असमाधेय प्रश्न पर काहे लगी माथा खपावल जाय ! ढोल बज रहले ह, आउ अब बैरक में लौटे के समय हो गेले ह ।


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