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Monday, November 09, 2015

अपराध आउ दंड - भाग – 6 ; अध्याय – 7



अपराध आउ दंड

भाग – 6

अध्याय – 7

ओहे दिन, लेकिन साँझ हो चुकले हल, छो बजे के बाद, रस्कोलनिकोव अपन माय आउ बहिन के फ्लैट तरफ जा रहले हल - बकल्येयेव के मकान के ठीक ओहे फ्लैट में, जाहाँ रज़ुमिख़िन उनकन्हीं लगी किराया पर ले देलके हल । ज़ीना पर के प्रवेश सड़क पर से हलइ । रस्कोलनिकोव अपन कदम के रफ्तार लगातार कम करते पास आ रहले हल, आउ मानूँ हिचकिचइते - अंदर जाऊँ कि नयँ ? लेकिन चाहे कुच्छो हो जाय, ऊ वापिस लौटे वला नयँ हलइ; ओकर अंतिम निर्णय लेल हलइ । "एकरा अलावे, कोय बात नयँ हइ, उनकन्हीं के अभियो कुछ मालूम नयँ हइ", ऊ सोच रहले हल, "उनकन्हीं हमरा सनकी समझे के अभ्यस्त हो चुकला ह ...।" ओकर पोशाक भयंकर हलइ - पूरा गंदा, सारी रात बारिश में रहल फट्टल, तार-तार होल । थकान, खराब मौसम, शारीरिक क्लांति आउ लगभग चोबीस घंटा से खुद से संघर्ष करते रहे के कारण ओकर चेहरा लगभग विकृत होल हलइ । ई सारी रात ऊ अकेल्ले गुजरलके हल, भगमान जाने काहाँ । लेकिन, कम से कम, ऊ अपन इरादा तो पक्का कर लेलके हल ।

ऊ दरवाजा खटखटइलकइ; ओकर माय दरवाजा खोललकइ । दुनेच्का घरे नयँ हलइ । नौकरानी भी संयोग से ऊ बखत नयँ हलइ । पुलख़ेरिया अलिक्सांद्रोव्ना शुरू-शुरू तो खुशी भरल अचरज से हक्का-बक्का रह गेला; बाद में ओकरा हाथ से पकड़के कमरा के अंदर ले गेला ।

"अच्छऽ, त तूँ हकँऽ !" खुशी से लड़खड़ात बोली में ऊ शुरू कइलकइ । "हमरा से नराज नयँ होइहँऽ, रोद्या, कि हम तोरा अइसन बेवकूफी से स्वागत कर रहलियो ह, आँख में लोर बहइते - हम हँस रहलियो ह, कन नयँ रहलियो ह । तूँ सोचऽ हीं कि हम कन रहलिए ह ? नयँ, हम खुश हिअउ, लेकिन हमरा ई खराब आदत हकउ - आँख में लोर ढरके लगऽ हउ । अइसन तोर बाप के मौत के समय से होवऽ हउ, सब कुछ में हमरा रोना आ जा हउ । बइठ जो, बबुआ, लगऽ हउ, तूँ थक गेलँऽ हँ । ओह, तोर देह-बस्तर कइसन गंदा हो गेलो ह ।"

"हम कल्हे बारिश में पकड़ा गेलियो हल, माय ...", रस्कोलनिकोव शुरू कइलकइ ।
"ओह, नयँ, नयँ !" पुलख़ेरिया अलिक्सांद्रोव्ना ओकर बात काटते बोल पड़लइ, "तूँ सोचऽ होतँऽ, कि हम तोरा तुरते पूछताछ करे लगी चालू कर देबउ, औरतानी पहिलौका आदत से लचार होके, लेकिन फिकिर नयँ कर । हम समझऽ हिअउ, सब कुछ समझऽ हिअउ, अब हमरा हियाँ के रहन-सहन के ढर्रा मालूम हो गेलो ह, आउ सचमुच, खुद्दे देखऽ हिअउ, कि हियाँ जादे समझदारी हइ । अब एक्के तुरी हमेशे लगी फैसला कर लेलियो ह - तोर विचार हमरा काहाँ से समझ में अइतउ आउ तोरा से जवाब तलब करबउ ? शायद भगमाने जानऽ हथुन, कि कइसन-कइसन काम आउ प्लान तोर दिमाग में हउ, चाहे कइसन प्रकार के विचार पैदा होवऽ हउ; आउ हम तोर हथवा पकड़के पुछिअउ - की बारे तूँ सोच रहलहीं हँ ? अइकी हम ... हे भगमान ! लेकिन काहे लगी हम एन्ने-ओन्ने भाग रहलूँ हँ, पागल नियन ... अइकी हम, रोद्या, पत्रिका में प्रकाशित तोर लेख तेसरा तुरी पढ़ रहलियो ह, हमरा द्मित्री प्रोकोफ़िच लाके देलका ह । हम जइसीं देखलिअइ, हमर मुँह से 'आह' निकस गेलइ - त अइकी हम अइसन बेवकूफ हिअइ, हम अपन बारे सोचऽ हिअइ, त अइकी ऊ अइसन-अइसन काम में व्यस्त हइ, त ई हइ सब कुछ के समाधान ! शायद ओकर दिमाग में अभी नयका-नयका विचार हइ; ऊ ई सब के बारे सोचब करऽ हइ, आउ हम ओकरा तंग आउ भ्रमित करऽ हिअइ । हम पढ़ रहलियो ह, बेटा, आउ जाहिर हइ, बहुत कुछ हमरा समझ में नयँ आवऽ हइ; लेकिन अइसने होवे के चाही - हमरा काहाँ समझ में अइतइ ?"
"हमरा देखाहो तो, माय ।"

रस्कोलनिकोव पत्रिका ले लेलकइ आउ अपन लेख पर सरसरी निगाह डललकइ । ई केतनो ओकर स्थिति आउ परिस्थिति के काहे नयँ विरुद्ध हलइ, लेकिन तइयो ऊ विचित्र आउ कटु-मधुर संवेदना अनुभव कइलकइ, जइसन कोय लेखक अनुभव करऽ हइ, जब पहिले तुरी अपन रचना छप्पल देखऽ हइ, एकर अलावे ऊ खाली तेइसे साल के हलइ । ई एक पल तक जारी रहलइ । कुछ पंक्ति पढ़ला के बाद, ऊ नाक-भौं सिकोड़ लेलकइ, आउ भयंकर उदासी ओकर दिल के ऐंठ देलकइ । पिछलौका कुछ महिन्ना के ओकर आत्मा के सब संघर्ष एक्के तुरी ओकर सामने उभर अइलइ । घृणा आउ झुंझलाहट में ऊ लेख के टेबुल पर फेंक देलकइ ।

"लेकिन, रोद्या, हम चाहे केतनो बेवकूफ रहिअइ, तइयो हम एतना तो समझ सकऽ हिअइ, कि तूँ बहुत जल्दीए, अगर हमन्हीं के वैज्ञानिक दुनिया में सबसे पहिला नयँ तो सबसे पहिला लोग में से एक तो होमहीं । आउ ओकन्हीं तोरा बारे ई सोचे के साहस कइलकइ, कि तूँ पगलाऽ गेलहीं हँ । हा-हा-हा ! तोरा नयँ मालूम हउ - लेकिन ओकन्हीं तो अइसन सोचऽ हलइ ! आह, नीच कीड़ा, ओकन्हीं के काहाँ समझ में अइतइ, कि बुद्धि की होवऽ हइ ! आउ वस्तुतः दुनेच्का भी लगभग विश्वास कर लेलकइ - कइसे ? तोर स्वर्गीय पिताजी दू तुरी पत्रिका में प्रकाशन लगी भेजलथुन हल - पहिले तुरी कविता (हमरा पास पांडुलिपि भी सुरक्षित हइ, हम कभी तोरा देखइबउ), आउ बाद में एगो पूरा लमगर कहानी (हम खुद्दे निवेदन कइलिए हल, कि ऊ हमरा एकरा नकल करे खातिर देता), आउ हमन्हीं दुन्नु केतना प्रार्थना कइलिअइ, कि प्रकाशन लगी ई स्वीकृत हो जाय - लेकिन नयँ स्वीकृत होलइ ! हम तो, रोद्या, कोय छो-सात दिन पहिले बहुत परेशान हो गेलियो हल, तोर कपड़ा-लत्ता देखके, तोर रहन-सहन, तोर खाना-पीना आउ कइसन पोशाक में घुम्मऽ-फिरऽ हीं । लेकिन अभी देखऽ हिअइ, कि अबरियो हम बेवकूफ हलिअइ, काहेकि जे कुछ तूँ चाहम्हीं, ऊ सब कुछ तोरा अपन बुद्धि आउ प्रतिभा से तुरते मिल जइतउ । मतलब, अभी खातिर तो तूँ नयँ चाहऽ हीं आउ बहुत महत्त्वपूर्ण काम में व्यस्त हकहीं ..."
"दुन्या घरे नयँ हइ, माय ?"
"नयँ, रोद्या । बहुत अकसर ओकरा हम घर पर नयँ देखऽ हिअउ, हमरा अकेल्ले छोड़ दे हउ । द्मित्री प्रोकोफ़िच, उनका धन्यवाद दे हिअइ, आके हमरा साथ बइठऽ हथुन आउ हमेशे तोरा बारे बात करऽ हथुन । उ तोरा प्यार आउ आदर करऽ हथुन, बबुआ । तोर बहिन के बारे हम ई नयँ कहि हउ, कि ऊ हमर मामले में बहुत ढीठ हलउ । हम ओकर शिकायत नयँ करऽ हिअउ । ओकर रहन-सहन के अप्पन ढंग हइ, आउ हमर अप्पन; एद्धिर कुछ समय से ऊ कुछ अप्पन बात छिपावे लगलो ह; लेकिन हमरा तोहन्हीं के बीच कोय भेद के बात नयँ हउ । वस्तुतः, हमरा पक्का विश्वास हइ, कि दुन्या बहुत बुद्धिमान हइ, आउ एकरा अलावे, ऊ हमरा आउ तोरा प्यार करऽ हउ ... लेकिन हमरा मालूम नयँ, कि ई सब के नतीजा की होतइ । तूँ तो हमरा खुश कर देलँऽ, रोद्या, कि हमरा से मिल्ले लगी अइलँऽ, लेकिन ओकरा तो तोरा से मोलकात नयँ हो पइलइ; जब ऊ अइतउ, त हम बता देबउ - तोर भैया अइलथुन हल, जखने तूँ बाहर हलहीं, आउ एतना देरी तक काहाँ समय गुजार रहलहीं हल ? आउ तूँ रोद्या, हमरा प्यार में एतना तो नयँ बिगाड़ - जब संभव होवउ - आके मिल ले, नयँ तो - कोय बात नयँ, हम इंतजार करते रहबउ । तइयो हम जानबउ कि तूँ हमरा से प्यार करऽ हँ, एतने हमरा लगी काफी हके । हम तोर रचना पढ़ते रहबउ, तोरा बारे सबसे सुनते रहबउ, लेकिन नयँ-नयँ - तूँ खुद तो बीच-बीच में अइते रहमँऽ जाने लगी, एकरा से अच्छा आउ की होतइ ? अइकी वस्तुतः तूँ अभी अइवो कइलँऽ हँ, माय के कलेजा ठंढा करे लगी, हम तो ई देखऽ हिअउ ..."
हियाँ परी पुलख़ेरिया अलिक्सांद्रोव्ना अचानक कन्ने लगला ।
"फेर से हम ! हमरा दने मत देख, ई बेवकूफ के ! हे भगमान, हम हियाँ बइठल काहे लगी हिअइ ?" अपन जगह से उछलते ऊ चिल्लइला, "कॉफी हइ, आउ तोरा हम नयँ दे रहलियो ह ! त अइकी एकरा बुढ़िया के स्वार्थ कहल जा सकऽ हइ । अभी, अभी !"
"माय, रहे द एकरा, हम अभिए निकस रहलियो ह । हम एकरा लगी नयँ अइलियो हल । किरपा करके हमर बात सुनऽ ।"
पुलख़ेरिया अलिक्सांद्रोव्ना डरते-डरते ओकरा भिर गेला ।
"माय, चाहे कुच्छो होवो, चाहे हमरा बारे कुच्छो सुनहो, हमरा बारे लोग चाहे कुच्छो बोलइ, की तूँ हमरा ओइसी प्यार करते रहबहो, जइसे अभी करऽ हो ?" ऊ अचानक सच्चे दिल से पुछलकइ, मानूँ अपन शब्द के बारे बिन सोचले आउ बिन ओकरा तौलले ।
"रोद्या, रोद्या, तोरा की हो गेलो ह ? तूँ एकरा बारे कइसे पूछ सकऽ हकहीं ? आउ केऽ तोरा बारे हमरा कुच्छो कहतइ ? हम तो केकरो पर विश्वास नयँ करबइ, चाहे कोय हमरा भिर आवइ, हम तो बस ओकरा भगा देबइ ।"

"हम तोहरा ई विश्वास देलावे लगी अइलियो ह, कि हम तोहरा हमेशे प्यार करऽ हलियो, आउ हमरा अभी खुशी हको, कि हमन्हीं अभी अकेल्ले हिअइ, एहो बात के खुशी हइ, कि दुनेच्का हियाँ नयँ हइ", ऊ ओहे भावावेग से बात जारी रखलकइ, "हम तोहरा ई बात सीधे बतावे लगी अइलियो ह, कि हलाँकि तूँ दुखी होबऽ, लेकिन तइयो जान ल, कि तोहर बेटा अभी खुद से भी जादे तोहरा प्यार करऽ हको, आउ ऊ सब कुछ, जे तूँ हमरा बारे सोचऽ हलहो, कि हम निर्दय हिअइ आउ तोहरा नयँ प्यार करऽ हिअइ, ई सब कुछ झूठ हलो । हम तोहरा प्यार करे लगी कभियो बन नयँ करबो ... बस, अब काफी हो गेलो; हमरा लगऽ हलो, कि अइसन करे के चाही आउ एकरा से शुरू करे के चाही ..."

पुलख़ेरिया अलिक्सांद्रोव्ना चुपचाप ओकरा गले से लगा लेलका, अपन छाती से चिपका लेलका आउ चुपके-चुपके कनते रहला ।
"तोरा की हो गेलो ह, रोद्या, हमरा मालूम नयँ", आखिरकार ऊ बोलला, "हम पूरे समय तक एहे सोचब करऽ हलिअउ, कि हमन्हीं खाली तोरा बोर करऽ हिअउ, लेकिन अभी सब बात से देखऽ हिअउ, कि तोरा कोय बड़गो शोक आवे वला हउ, ओहे से तूँ एतना दुखी हकँऽ । हमरा लम्मे समय से अइसन आभास हो रहलो ह, रोद्या । हमरा माफ कर दे, कि हम एकरा बारे बोल देलिअउ; हमेशे हम एकरा बारे सोचऽ हिअउ आउ रात भर हमरा नीन नयँ आवऽ हउ । तोर बहिनियो पिछलौका रात भर सरसाम में पड़ल हलउ आउ हमेशे तोरे नाम ले रहलो हल । हम कुछ तो सुनलिअउ, लेकिन हमरा कुछ नयँ समझ में अइलउ । आझ पूरे सुबह अइसन लगल, जइसे हमरा फाँसी पर लटकावे लगी ले जाल जा रहल ह, कुछ के तो इंतजार कर रहलूँ हल, कुछ तो आभास हो रहल हल आउ अइकी ई देखे लगी मिल्लल ! रोद्या, रोद्या, तूँ काहाँ जाब करँऽ हँ ? की तूँ कहीं बाहर जाब करँऽ हँ ?"

"हम बाहर जा रहलियो ह ।"
"हमहूँ एहे सोचब करऽ हलिअउ ! आउ हमहूँ तोरा साथ बाहर चल सकऽ हिअउ, अगर तोरा जरूरत होबउ । आउ दुन्या; ऊ तो तोरा प्यार करऽ हउ, ऊ तोरा बहुत प्यार करऽ हउ, आउ सोफ़िया सिम्योनोव्ना, शायद, हमन्हीं साथ आ सकऽ हकइ, अगर जरूरत हइ; देखऽ हीं, हम खुशी से ओकरा बेटी के रूप में अपना लेबइ । हमन्हीं के द्मित्री प्रोकोफ़िच सबके साथ जाय में मदत करता ... लेकिन ... तूँ काहाँ ... जा रहलहीं हँ ?"

"अलविदा, माय ।"
"की ! आझे !" ऊ चिल्ला उठला, मानूँ ओकरा हमेशे लगी खो रहला ह ।
"हम रुक नयँ सकऽ हियो, हमरा समय हो गेलो, हमरा बहुत जरूरी हको ..."
"आउ हम्मे तोरा साथ नयँ आ सकऽ हिअउ ?"
"नयँ, लेकिन तूँ टेहुना टेकके हमरा लगी भगमान से प्रार्थना करऽ । शायद, तोहर प्रार्थना सुनियो लेल जाय ।"
"कम से कम हम तोरा क्रॉस तो कर दिअउ, तोरा आशीर्वाद तो दे दिअउ ! एहे बात हइ, एहे बात हइ । हे भगमान, हमन्हीं ई की कर रहलिए ह !"
हाँ, ऊ खुश हलइ, ऊ बहुत खुश हलइ, कि कोय नयँ हलइ, कि ऊ अपन माय के साथ अकेल्ले हलइ । मानूँ ई सब भयंकर समय के बाद, एक्के तोरी ओकर हृदय कोमल हो गेले हल । ऊ उनका सामने गिर पड़लइ, ऊ उनकर गोड़ चुमलकइ, आउ दुन्नु एक दोसरा से लिपटके, कनते रहला । आउ उनका कोय अचरज नयँ होलइ आउ अबरी ऊ पूछताछ नयँ कर रहला हल । ऊ बहुत पहिलहीं समझ गेला हल, कि बेटा के साथ कुछ तो भयंकर हो रहल ह, आउ अभी ओकरा लगी कोय तो भयंकर घड़ी आ गेल ह ।

"रोद्या, हमर प्यारे, हमर पहिलौठ जलमल बुतरू", सिसकते ऊ बोलला, "तूँ अभियो ओइसने हकँऽ, जइसन छोटगर में, अइसीं तूँ आवऽ हलँऽ, आउ अइसीं हमरा चुम्मऽ हलँऽ; तभिए जब तोर पिताजी जिन्दा हलथुन आउ हमन्हीं के बुरा बखत चल रहले हल, तूँ हमन्हीं के खाली साथ में रहके धीरज बन्हावऽ हलँऽ, आउ जइसीं हम तोर पिताजी के दफनइलउ - त केतना तुरी अभिए नियन हमन्हीं दुन्नु उनकर कबर पर कनते रहऽ हलिअइ । आउ अगर हम लम्मे समय से कन्नऽ हिअउ, त ई कारण से कि ई माय के दिल विपत्ति के आभास कर लेलको हल। जब हम तहिया तोरा जइसीं पहिले तुरी देखलियो हल, साँझ के, आद हउ, जइसीं हमन्हीं हियाँ अइते गेलियो हल, त हम खाली तोर नजर से सब कुछ के अंदाज लगा लेलियो हल, तखनिएँ हमर दिल सिहर गेल, आउ आझ जइसीं तोरा लगी दरवाजा खोललिअउ, नजर डललिअउ, त हम सोचऽ ही, लगऽ हइ, घातक घड़ी आ गेलइ । रोद्या, रोद्या, तूँ अभिए तो वास्तव में नयँ जा रहलहीं हँ न ?"

"नयँ ।"
"तूँ फेर अइम्हीं ?"
"हाँ ... अइबो ।"
"रोद्या, नराज मत हो, हमरा सवालो करे के हिम्मत नयँ पड़ऽ हउ । हम जानऽ ही, कि हम हिम्मत नयँ करऽ ही, लेकिन हमरा खाली दुइए शब्द कह दे, दूर काहाँ तूँ जा रहलँऽ हँ ?"
"बहुत दूर ।"
"हुआँ की हउ, कोय नौकरी, कोय रोजगार हउ की ?"
"जे कुछ भगमान भेजता ... खाली हमरा लगी प्रार्थना करिहऽ ..."

रस्कोलनिकोव दरवाजा तरफ बढ़लइ, लेकिन ऊ ओकरा पकड़ लेलका आउ उदास नजर से ओकर आँख में आँख डालके देखे लगला । भय से उनकर चेहरा विकृत हो गेलइ ।

"बस हो गेलो, माय", रस्कोलनिकोव बोललइ, गहरा खेद महसूस करते कि ऊ काहे लगी आवे ल सोचलकइ ।
"हमेशे लगी नयँ न ? अभी तक तो हमेशे लगी नयँ न ? त पक्का तूँ अइमँऽ, अच्छऽ, बिहान अइम्हीं ?"
"अइबो, अइबो, अलविदा ।"
ऊ आखिरकार खुद के छोड़ा लेलकइ ।

शाम ताजा, हलका गरम आउ चमकीला हलइ; मौसम सबेरहीं से स्वच्छ हो गेले हल । रस्कोलनिकोव अपन फ्लैट में जा रहले हल; ऊ जल्दी में हलइ । सूर्यास्त होवे के पहिलहीं ऊ सब कुछ खतम कर लेवे लगी चाहऽ हलइ । आउ तब तक ऊ केकरो से भेंट करे लगी नयँ चाहऽ हलइ । उपरे अपन फ्लैट में चढ़ते बखत ऊ नोटिस कइलकइ, कि नस्तास्या समोवार छोड़के ओकरा तरफ एकटक नजर रखले हइ, आउ आँख से ओकरा पीछा कर रहले हल । "हमर कमरा में तो कोय नयँ हइ न ?" ऊ सोचलकइ । घृणापूर्वक ओकरा पोरफ़िरी के विचार अइलइ । लेकिन, अपन कमरा तक पहुँचके जब ऊ ओकरा खोललकइ, त दुनेच्का पर नजर पड़लइ । ऊ हुआँ अकेल्ले बइठल गहरा सोच में डुब्बल हलइ, आउ लगऽ हइ, देरी से ओकर इंतजार में हलइ । ऊ दहलीज पर रुक गेलइ । ऊ (दुन्या) डर के मारे सोफा पर से उठ गेलइ आउ सीधे ओकरा सामने खड़ी हो गेलइ । ओकर आँख से, जे रस्कोलनिकोव पर जम्मल हलइ, भय आउ अशम्य (unappeasable) दुख दृष्टिगोचर हो रहले हल । आउ ऊ एहे एक नजर में तुरंत समझ गेलइ, कि ओकरा सब कुछ मालूम हइ ।

"त की, हम अंदर तोरा भिर अइअउ, कि चल जइअउ ?" ऊ अविश्वास के साथ पुछलकइ ।
"हम दिन भर सोफ़िया सिम्योनोव्ना के साथ बइठल हलियो; हमन्हीं दुन्नु तोहर इंतजार कर रहलियो हल । हमन्हीं सोचब करऽ हलिअइ, कि तूँ हुआँ निश्चित अइबहो ।"
रस्कोलनिकोव कमरा में प्रवेश कइलकइ आउ थकान के चलते कुरसी पर बइठ गेलइ ।
"हम कइसूँ कमजोर अनुभव कर रहलियो ह; बहुत थक गेलियो ह; आउ कम से कम अभी लगी तो हमरा पूरे तरह से खुद के वश में रहे के इच्छा हके ।"
ऊ अविश्वास के साथ ओकरा तरफ नजर डललकइ ।

"रात भर तूँ काहाँ हलहो ?"
"हमरा ठीक से आद नयँ; देखऽ हीं, बहिन, हम आखिरकार हम पक्का फैसला करे लगी सोचलिअइ आउ कइएक तुरी नेवा नद्दी भिर गेलिअइ; एतना तो हमरा आद हइ । हम हुएँ खतम कर देवे लगी चहलिअइ, लेकिन ... पक्का फैसला नयँ कर पइलिअइ ...", ऊ फुसफुसइलइ, फेर से दुन्या तरफ अविश्वास से देखते ।
"भगमान के किरपा हइ ! आउ हमन्हीं एकरे बारे केतना भयभीत हलिअइ, हम आउ सोफ़िया सिम्योनोव्ना ! मतलब, तूँ अभियो जिनगी में विश्वास करऽ हो - भगमान के किरपा, भगमान के किरपा !"

रस्कोलनिकोव कटुता से मुसकइलइ ।
"हमरा विश्वास नयँ हलइ, लेकिन अभी माय के साथ, गले से लिपटके कन रहलिए हल; हमरा विश्वास नयँ, लेकिन हम उनका प्रार्थना करे लगी कहलिअइ । ई तो भगमाने जानऽ हथिन, कि ई सब कइसे काम करऽ हइ, दुनेच्का, आउ हमरा तो एकरा बारे कुछ नयँ समझ में आवऽ हइ ।"
"तूँ माय के पास गेलहो हल ? आउ तूँ उनका बता देलहो ?" भय के साथ दुन्या चिल्ला उठलइ । "की तूँ वास्तव में बता देवे के साहस कइलहो ?"

"नयँ, शब्द में तो ... नयँ बतइलिअइ; लेकिन ऊ बहुत कुछ समझ गेला । ऊ रतिया के सुन लेलका हल, कि तूँ कइसे बड़बड़ा रहलहीं हल । हमरा अकीन हइ, कि उनका आधा तो समझ में आवऽ हइ । हम, शायद, बेवकूफी कइलिअइ, कि हम उनका भिर गेलिअइ । हमरा एहो नयँ समझ में आवऽ हइ, हम गेवो कइलिअइ त काहे लगी। हम नीच अदमी हिअइ, दुन्या ।"
"नीच अदमी, तइयो कष्ट झेले खातिर जाय लगी तैयार हकहो ! की वास्तव में जा रहलहो ह ?"
"जा रहलिए ह । अभी । हाँ, एहे शरम से बच्चे खातिर तो हम पानी में डूबके मर जाय लगी चाहऽ हलिअइ, दुन्या, लेकिन सोचलिअइ, जबकि हम पानी के उपरे हलिअइ, कि अगर हम ई बखत तक खुद के बरियार समझलिए ह, त हम ई शरम से भी अब नयँ डरबइ", ऊ जल्दी-जल्दी में कहलकइ । "ई गर्व के बात हइ, दुन्या?"
"गर्व के ही बात हइ, रोद्या ।"

अइसन लगलइ, मानूँ ओकर निस्तेज आँख में अग्नि प्रज्वलित हो गेलइ; ओकरा मानूँ ई सोचके खुशी होलइ, कि ऊ अभियो स्वाभिमानी हइ ।
"आउ कहीं तूँ ई तो नयँ सोचऽ हीं, बहिन, कि हम बस पानी से डर गेलिअइ ?" ऊ ओकर चेहरा तरफ देखते अशोभनीय मुसकान के साथ पुछलकइ ।
"ओह, रोद्या, बहुत हो गेलो !" दुन्या कटुता के साथ चिल्लइलइ ।
लगभग दू मिनट तक मौन छाल रहलइ । ऊ मुँह लटकइले बइठल रहलइ आउ जमीन पर नजर गड़इले रहलइ; दुनेच्का टेबुल के दोसरा छोर पर खड़ी रहलइ आउ व्यथित भाव से ओकरा तरफ देखते रहलइ । अचानक ऊ उठ खड़ी होलइ -
"देर हो गेल, जाय के समय हो गेल । अब हम आत्मसमर्पण करे लगी जा रहलियो ह । लेकिन हमरा मालूम नयँ, कि काहे लगी हम आत्मसमर्पण करे जा रहलूँ हँ ।"
दुन्या के गाल पर मोटगर-मोटगर लोर ढरक पड़लइ ।

"तूँ कन रहलहीं हँ, बहिन, लेकिन तूँ हमरा साथ हाथ तो मिला सकऽ हीं न ?"
"आउ तोरा एकरा में शक्का हलो ?"
दुन्या ओकरा कसके गले से लिपट गेलइ ।
"की तूँ कष्ट झेले लगी जाके अपन अपराध के आधा हिस्सा पहिलहीं नयँ धो डललहो ह ?" ऊ चिल्लइलइ, ओकरा अपन बाँह में कसते आउ चूमते ।

"अपराध ? कइसन अपराध ?" ऊ अचानक चिल्ला उठलइ, एक प्रकार के आकस्मिक क्रोधावेश में आके, "ई, कि हम एगो घिनौनी, नुकसानदेह ढिल्ला (जूँ) के मार देलिअइ, एगो सूदखोर बुढ़िया के, जेकर केकरो जरूरत नयँ हलइ, जेकरा मारके चालीस पाप क्षमा कर देल जइतइ, जे गरीब लोग के जीवन-रस के चूस रहले हल, आउ ई अपराध हइ ? हम एकरा बारे नयँ सोचऽ हूँ, आउ न एकरा धोवे के बारे सोचऽ हूँ । आउ काहे सब कोय हमरा सगरो से अइसन बात चुभइते रहऽ हइ - 'अपराध, अपराध !' अब आके हमरा अपन अशक्तहृदयता के सारा बेतुकापन साफ देखाय दे रहल ह, अब, जबकि हम ई बेकार के बदनामी के स्वीकार कर लेवे लगी ठान लेलिए ह ! बस खाली हम अपन नीचता आउ प्रतिभाहीनता के कारण हम अइसन निर्णय कर रहलिए ह, आउ शायद ई कारण से भी, कि ई हमर हित में होवइ, जइसन कि सलाह देलकइ ई ... पोरफ़िरी ! ..."

"भैया, भैया, ई तूँ की बोल रहलहो ह ! लेकिन तूँ तो खून बहइलहो ह !" निराशा में दुन्या चिल्लइलइ ।
"जे सब कोय बहावऽ हइ", लगभग क्रोधावेश में ऊ ओकर बात पकड़के बोललइ, "जे बहावल जा रहले ह, आउ दुनियाँ में हमेशे बहावल गेले ह, जलप्रपात नियन; जेकरा शैम्पेन नियन उँड़ेलल जा हइ, आउ जेकरा लगी कपितोलिन में राजमुकुट पहनावल जा हइ आउ जेकरा बाद में मानवता के उद्धारक कहल जा हइ [1] । बस अधिक ध्यान से जरी देखहीं आउ एकटक देखहीं ! हम खुद लोग के भलाई चाहऽ हलिअइ आउ, ई एक्के गो मूर्खता के बदले, सैकड़ो, हजारो भलाई के काम करतिए हल, आउ ई मूर्खता भी नयँ हलइ, बल्कि बस अनाड़ीपन, काहेकि ई सब विचार कइसूँ ओइसन मूर्खतापूर्ण नयँ हलइ, जइसन कि अब ई विफल हो जाय के बाद प्रतीत होवऽ हइ ... (विफलता के बाद सब कुछ मूर्खता लगऽ हइ !) ई मूर्खता से हम बस अपना के एगो स्वतंत्र स्थिति में लावे लगी चाहऽ हलिअइ, पहिला कदम उठावे लगी, साधन जुटावे लगी, आउ तब जे, तुलनात्मक दृष्टि से, अमापनीय (immeasurable) उपयोगिता प्राप्त होते हल, ओकरा से सब कुछ ठीक हो जइते हल ... लेकिन हम, हम तो पहिलौके कदम सहन नयँ कर पइलिअइ, काहेकि हम - नीच हिअइ ! बस एतने बात हइ ! आउ तइयो हम तोहन्हीं के नजर से नयँ देखबइ - अगर हम अपन  योजना में सफल हो जइतिए हल, त हमरा ताज पेन्हावल जइते हल, लेकिन अभी तो जाल में !"

"लेकिन बात ई नयँ हइ, बात बिलकुल ई नयँ हइ ! भैया, ई की बोल रहलहो ह !"
“आह ! ई ऊ रूप नयँ हइ, सौंदर्यपरक रूप से (aesthetically) ई ओतना अच्छा रूप नयँ हइ ! खैर, हमर समझ में ई बिलकुल नयँ आवऽ हइ - काहे लोग के ऊपर, बाकायदा घेराबंदी करके, बम फेंक देना, जादे सम्मानजनक रूप हइ ? सौंदर्य के भय बलहीनता के पहिला संकेत हइ ! ... कभियो, कभियो हम एकरा बारे ओतना स्पष्ट रूप से अवगत नयँ हलूँ, जेतना कि अभी, आउ अपन अपराध हमरा पहिले कभियो के अपेक्षा आउ अधिक समझ में नयँ आवऽ हके ! कभियो, कभियो हम अधिक बरियार आउ आश्वस्त नयँ हलूँ, जेतना अभी ! ...”

 ओकर पीयर आउ मुरझाल चेहरा पर रंगत भी आ गेलइ । लेकिन, अंतिम विस्मयोद्गार व्यक्त करते समय, अप्रत्याशित रूप से ओकर नजर दुन्या के आँख पर पड़लइ, आउ ई नजर में ओकरा अपना खातिर एतना, एतना अधिक पीड़ा देखाय देलकइ, कि ऊ बरबस अपन होश में आ गेलइ । ऊ महसूस कइलकइ, कि कइसूँ ऊ ई दुन्नु औरतियन के दुख पहुँचइलके हल । निश्चित रूप से ओहे एकर कारण हलइ ...

"दुन्या, प्यारी बहिन ! अगर हम दोषी हिअइ, त हमरा माफ कर दे (हलाँकि हमरा माफ नयँ कइल जा सकऽ हइ, अगर हम दोषी हिअइ) । अलविदा ! अब बहस नयँ करते जइबइ ! समय हो गेलइ, बिलकुल समय हो गेलइ । हमरा पीछू नयँ अइहँऽ, हम तोरा विनती करऽ हिअउ, हमरा अभी आउ केकरो से मिल्ले के हके ... आउ अभी चल जो आउ तुरतम्मे माय के पास रह । एकरा बारे हम तोरा से विनती करऽ हिअउ ! ई आखिरी, सबसे बड़गर हमर तोरा से प्रार्थना हउ । उनका से कभियो दूर नयँ जइहँऽ; हम उनका अइसन चिंता में छोड़ देलिए ह, कि जेकरा ऊ मोसकिल से बरदास कर पइता - ऊ खयँ तो मर जइता, खयँ पगलाऽ जइता । ओहे से उनके साथ रहिहँऽ ! रज़ुमिख़िन तोहन्हीं साथ रहतो; हम उनका कह देलियो ह ... हमरा लगी कनिहँऽ नयँ - हम जिनगी भर साहसी आउ ईमानदार रहे के कोशिश करबउ, हलाँकि हम हत्यारा हिअउ । शायद, हमर नाम कभी तूँ सुनमँऽ । हम तोहन्हीं के कलंकित नयँ करबउ, देख लिहँऽ; हम अभियो साबित कर देबइ ... अभी लगी तो चलऽ हिअउ", ऊ जल्दी-जल्दी अपन बात खतम कइलकइ, फेर से अपन अंतिम शब्द आउ वादा पर दुन्या के आँख में कुछ विचित्र अभिव्यक्ति नोटिस कइलकइ । "तूँ अइसे काहे लगी कन्नब करऽ हीं ? मत कन, मत कन; हमन्हीं हमेशे लगी तो अलग नयँ हो रहलिए ह ! ... अरे, हाँ ! ठहर, हम तो भूलिए गेलिअउ ! ..."

ऊ टेबुल भिर गेलइ, एगो मोटगर आउ धूरी भरल पुस्तक उठइलकइ, ओकरा खोललकइ आउ पन्ना के बीच से हाथीदाँत पर जलरंग (water-color) से बन्नल एगो छोटगर सन तस्वीर निकसलकइ । ई ओकर मकान-मालकिन के बेटी के तस्वीर हलइ, ओकर पूर्व मंगेतर के, जे बोखार के कारण मर गेले हल, ठीक ओहे विचित्र लड़की के, जे मठ (monastery) में जाय लगी चाहऽ हलइ । एक मिनट तक ऊ ई भावपूर्ण आउ बेमरियाहा चेहरा के एकटक देखते रहलइ, तस्वीर के चुमलकइ आउ दुनेच्का के दे देलकइ । "ओकरा साथ हम एकरो बारे बहुत बात करऽ हलिअइ, खाली ओकरे साथ", विचारमग्न होल ऊ बोललइ, "ओकर दिल के हम बहुत कुछ सूचित कर देलिए हल, जे बाद में एतना घृणित रूप में सच साबित होलइ । फिकिर मत कर", ऊ दुन्या तरफ मुड़लइ, "ऊ हमरा से सहमत नयँ हलइ, जइसे कि तूँ, आउ हमरा ई बात के खुशी हइ, कि ऊ अब जिंदा नयँ हइ। मुख्य बात, मुख्य बात ई हइ, कि सब कुछ अब नया ढंग से चलतइ, दू हिस्सा में टूट जइतइ", ऊ अचानक चिल्ला उठलइ, फेर से अपन निराश स्थिति में लौटके, "सब कुछ, सब कुछ, लेकिन की हम ओकरा लगी तैयार हिअइ ? की हम खुद्दे ई चाहऽ हिअइ ? लोग के कहना हइ, कि ई हमरा लगी एगो परीक्षा के रूप में जरूरी हइ! काहे लगी, काहे लगी, ई सब बेमतलब के परीक्षा ? ओकरा से की फयदा, की आझ के अपेक्षा तहिया हम बेहतर तरह से समझबइ, बीस साल के कड़ा मेहनत के सजा भुगत लेला के बाद, यातना आउ मूर्खता से कुचलाल, बुढ़ापा के दुर्बलता में ? आउ तखने हमरा जीए लगी की रहतइ ? आउ काहे लगी अभी हम ओइसे जीए लगी सहमत हिअइ ? ओह, हम जानऽ हलिअइ, कि हम नीच हिअइ, जब हम आझ सुबह में नेवा नद्दी के उपरे खड़ी हलिअइ !"

दुन्नु आखिरकार बाहर निकस गेते गेलइ । दुन्या लगी ई कठिन हलइ, लेकिन ऊ ओकरा प्यार करऽ हलइ ! ऊ प्रस्थान कर गेलइ, लेकिन लगभग पचास कदम गेला के बाद, ऊ फेर से ओकरा देखे लगी मुड़ गेलइ । ऊ अभियो दृष्टिगोचर हो रहले हल । लेकिन, कोना तक गेला पर, ओहो मुड़ गेलइ; अंतिम तुरी ओकन्हीं एक दोसरा दने देखलकइ; लेकिन ई नोटिस करके, कि ऊ ओकरा तरफ देखब करऽ हइ, ऊ अधीरतापूर्वक आउ चिढ़ के साथ ओकरा चल जाय के हाथ से इशारा कइलकइ, आउ खुद एकाएक कोना पर मुड़ गेलइ । "हम दुष्ट हिअइ, हम एहो देखऽ हिअइ", एक पल बाद दुन्या के अपन झुंझलाहट भरल हाथ के इशारा पर लज्जित होके, ऊ अपना बारे सोचलकइ । "लेकिन ओकन्हीं खुद्दे हमरा काहे लगी एतना प्यार करऽ हका, अगर हम एकर अयोग्य हकिअइ ! काश, हम अकेल्ले होतूँ हल, आउ हमरा कोय नयँ प्यार करत हल, आउ हमहूँ केकरो कभी प्यार नयँ करतूँ हल ! तब ई सब कुछ नयँ होत हल !  आउ ई उत्सुकता के बात हइ, की अगला पनरह-बीस साल में हमर आत्मा एतना नम्र हो जइतइ, कि हम आदर के साथ लोग के सामने पिनपिनइते रहबइ, आउ हरेक शब्द पर खुद के डाकू कहते रहबइ ? हाँ, ठीक एहे बात हइ, बिलकुल एहे बात हइ ! एकरे लगी तो हमरा ओकन्हीं निर्वासित कर रहले ह, एहे तो ओकन्हीं चाहऽ हइ ... देखऽ, कइसे ओकन्हीं सब्भे सड़क पर एन्ने से ओन्ने चहलकदमी कर रहले ह, आउ ओकन्हीं में से हरेक वास्तव में अपन स्वभावे से नीच आउ डाकू हइ; एकरो से बत्तर ई - कि बेवकूफ हइ ! लेकिन अगर हमरा ई निर्वासन से बच्चे के मौका मिल जाय, त ई सब्भे भद्र क्रोध से पगलाऽ जइते जइतइ ! ओह, एकन्हीं सब से हमरा केतना नफरत हइ !"

ऊ गंभीरतापूर्वक सोचे लगलइ - "ई कइसन प्रक्रिया से अइसन हो सकऽ हइ, कि ऊ आखिरकार ओकन्हीं सब के सामने बिन कोय तर्क-वितर्क के झुक रहले ह, विचारधारा के साथ झुक रहले ह ! त एकरा से की, काहे नयँ ? वस्तुतः अइसीं होवे के चाही । की वास्तव में बीस बरिस के अनवरत उत्पीड़न आखिरकार ओकरा खतम नयँ कर देतइ ? पानी पत्थल के घिस दे हइ । आउ ओकर बाद काहे लगी, काहे लगी जियल जाय, काहे लगी हम अभी जा रहलूँ हँ, जबकि हम खुद्दे जानऽ हूँ, कि ई सब कुछ बिलकुल ओइसीं होतइ, जइसन कि कोय किताब में लिक्खल होवइ, आउ दोसर तरह से नयँ !"

कल्हे साँझ से ऊ सोम्मा (सौवाँ) तुरी, शायद, खुद से ई सवाल कइलके हल, लेकिन तइयो ऊ जा रहले हल ।


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