रूसी
उपन्यास – “आझकल के हीरो”
भाग-2
2.
राजकुमारी मेरी - अध्याय-18
16
जून
आझ
सुबह कुआँ के पास खाली एहे बात के चर्चा हलइ, कि रात में चेर्केस लोग के हमला होले
हल । निर्दिष्ट (prescribed) गिलास के संख्या के नरज़ान पानी पी लेला के बाद, लिंडेन
के लमगर वृक्षवीथि (avenue) से लगभग दस चक्कर काटके, हम वेरा के पति से भेंट कइलिअइ,
जे पितिगोर्स्क से अभी-अभी वापिस अइले हल । ऊ हमरा अपन हाथ से पकड़ लेलकइ, आउ हमन्हीं
रेस्तोराँ में नाश्ता करे लगी रवाना होते गेलिअइ । ऊ अपन पत्नी के बारे बहुत चिंतित
हलइ । "ऊ पिछले रात केतना भयभीत हो गेले हल !" ऊ बोललइ, "आउ ई होवो
कइलइ तखने, जब हम हियाँ अनुपस्थित हलिअइ ।" हमन्हीं नाश्ता करे लगी ऊ कोना वला
कमरा के दरवाजा बिजुन बैठलिअइ, जाहाँ कोय दस नवयुवक जामा हलइ, जेकरा में ग्रुशनित्स्की
भी हलइ । भाग्य दोसरा तुरी हमरा छिपके बातचीत सुन्ने के अवसर प्रदान कइलकइ, जे ओकर
भाग्य के निर्णय करे वला हलइ । ऊ हमरा नयँ देख सकऽ हलइ, आउ परिणामस्वरूप, हम ओकर इरादा
पर शंका नयँ कर सकऽ हलिअइ, लेकिन ई हमर नजर में ओकर गुनाह खाली बढ़इवे कइलकइ ।
"की
ई वास्तव में चेर्केस लोग हलइ ?" कोय तो कहलकइ, "कोय ओकन्हीं के देखलके हल
?"
"हम
तोहन्हीं सब के पूरा कहानी बतावऽ हियो", ग्रुशनित्स्की उत्तर देलकइ, "खाली,
किरपा करके, दोसरा के हमरा बारे नयँ बतइते जइहऽ, कि ई बात हम बतइलियो ह । त अइकी बात
ई हलइ - कल्हे एगो अदमी, जेकर नाम हम नयँ बतइबो, हमरा भिर आवऽ हइ आउ कहऽ हइ, कि ऊ शाम
के नो आउ दस बजे के बीच देखलकइ कि कोय तो लिगोव्स्काया परिवार के घर में चोरी से घुसलइ
। तोहन्हीं के हमरा ई बात बतावे के चाही, कि बड़की राजकुमारी हियाँ हलथिन, आउ छोटकी
राजकुमारी घर पर । त अइकी हम आउ ऊ दुन्नु मिलके ऊ भाग्यशाली अदमी के घात में खिड़की
के निच्चे पहुँचलिअइ ।
हम
कबूल करऽ हिअइ, कि हम डर गेलिए हल, हलाँकि हमर साथी (वेरा के पति) अपन नाश्ता में बहुत
व्यस्त हलइ । ऊ अपना लगी काफी अप्रिय बात सुन सकऽ हलइ, अगर जाने-अनजाने ग्रुशनित्सकी
सच के अंदाज लगा लेते हल; लेकिन ईर्ष्या से आन्हर होल, ऊ एकर शंका नयँ कर पइलकइ ।
"त
अइकी देखहो", ग्रुशनित्स्की बात जारी रखलकइ, "हमन्हीं रवाना होलिअइ, साथ
में खाली (empty) कारतूस बोजल बन्दूक लेले, खाली डेरावे खातिर । रात के दू बजे तक इंतजार
करते रहलिअइ । आखिरकार, भगमान जाने कन्ने से ऊ प्रकट होलइ, लेकिन खाली खिड़की से तो
नयँ, काहेकि ऊ खुल्ला नयँ रहऽ हलइ, लेकिन हो सकऽ हइ, कि ऊ काच वला दरवाजा से बाहर निकसलइ,
जे खंभा के पीछू हइ - आखिरकार, हम कहऽ हियो, हमन्हीं देखऽ हिअइ, कि कोय तो बालकोनी
से उतरब करऽ हइ ... छोटकी राजकुमारी के चाल-चलन कइसन हइ? अयँ ? खैर, हम कबूल करऽ हिअइ,
मास्को के ठकुराइन सब ! एकरा बाद कउची पर विश्वास कइल जाय ? हमन्हीं ओकरा पकड़े लगी
चहलिअइ, लेकिन ऊ खुद के छोड़ा लेलकइ, आउ एगो खरहा नियन, झाड़ी में तेजी से घुस गेलइ ।
हियाँ परी हम ओकरा दने फायर कर देलिअइ ।"
ग्रुशनित्स्की
के आसपास अविश्वास के भुनभुनाहट सुनाय पड़लइ ।
"त
तोहन्हीं के विश्वास नयँ होवऽ हको ?" ऊ बात जारी रखलकइ, "हम कसम से तोहन्हीं
के कहऽ हियो, कि ई सब कुछ बिलकुल सच हइ, आउ सबूत के नाम पर, अगर चाहभो, त हम ई महाशय
के नाम बता सकऽ हियो ।"
"बोलऽ,
बोलऽ, केऽ हइ ऊ !" सगरो दने से अवाज सुनाय देलकइ ।
"पिचोरिन",
ग्रुशनित्स्की उत्तर देलकइ ।
एहे
क्षण ऊ अपन नजर उपरे कइलकइ - हम ओकरा सामने दरवाजा पर खड़ी हलिअइ । ओकर चेहरा भयंकर
रूप से लाल हो गेलइ । हम ओकरा भिर गेलिअइ आउ धीरे-धीरे आउ साफ-साफ कहलिअइ –
"हमरा
खेद हइ, कि सबसे बड़गो तोहमत के समर्थन में अपने के कसम से वचन देला के बाद हम अंदर
अइलिअइ । हमर उपस्थिति अपने के फालतू के कमीनापन से बचइते हल ।"
ग्रुशनित्स्की
अपन जगह से उछलके खड़ी हो गेलइ आउ लगभग भड़क गेलइ ।
"हम
निवेदन करऽ हिअइ", हम ओहे तान (टोन) में बात जारी रखलिअइ, "हम अपने के निवेदन
करऽ हिअइ, कि अपन वचन अभिए वापिस ले लेथिन । अपने बहुत अच्छा से जानऽ हथिन, कि ई गढ़ल
बात हइ । हमरा नयँ लगऽ हइ, कि अपने के भव्य गुण के प्रति एगो औरत के भावशून्यता अइसन
भयंकर प्रतिशोध के योग्य हइ । जरी निम्मन से सोचथिन । अपन विचार पर कायम रहे से अपने
कुलीन व्यक्ति के नाम के अधिकार से वंचित हो जइथिन आउ अपन जिनगी के जोखिम उठइथिन ।"
ग्रुशनित्स्की
नजर निच्चे कइले अत्यंत क्षुब्ध होल हमर सामने खड़ी हलइ । लेकिन अंतःकरण आउ स्वाभिमान
के बीच के संघर्ष जादे देरी नयँ रहलइ । सेना के कप्तान, जे ओकरा भिर बैठल हलइ, ओकरा
केहुनी से धकिअइलकइ । ऊ चौंक गेलइ आउ नजर बिन उपरे कइले, तेजी से हमरा उत्तर देलकइ
–
"प्रिय
महोदय, जब हम कुछ कहऽ हिअइ, त हम अइसीं सोचवो करऽ हिअइ आउ एकरा दोहरावे लगी तैयार रहऽ
हिअइ ... हम अपने के धमकी से नयँ डरऽ हिअइ आउ सब कुछ लगी तैयार हिअइ ..."
"ई
अंतिम बात के तो अपने पहिलहीं साबित कर देलथिन", हम ओकरा रूखाई से जवाब देलिअइ,
आउ सेना के कप्तान के हाथ से पकड़के, कमरा के बाहर हो गेलिअइ ।
"अपने
के कीऽ चाही ?" कप्तान पुछलकइ ।
"अपने
ग्रुशनित्स्की के प्यारा दोस्त हथिन - आउ, शायद, उनकर सहायक (second) होथिन
?"
कप्तान
बहुत आदरपूर्वक अभिवादन कइलकइ ।
"अपने
सही अंदाज लगइलथिन", ऊ जवाब देलकइ, "हम ओकर सहायक होवे लगी कर्तव्यबद्ध हिअइ,
काहेकि जइसन अपमान ओकरा कइल गेले ह, ऊ हमरो पर लागू होवऽ हइ । कल रात हम ओकरा साथ हलिअइ",
ऊ आगू बोललइ, अपन झुक्कल कन्हा के सीधा करते ।
"ओह
! त ई अपने हलथिन, जिनकर सिर पर हम एतना कष्टदायक रूप से प्रहार कइलिअइ ?"
ऊ
जरी पीयर पड़ गेलइ, फेर तनी नीला । गुप्त घृणा ओकर चेहरा पर प्रकट हो गेलइ ।
"अपने
के पास आझ अपन सहायक के भेजे के हमरा सम्मान मिलतइ", हम बात आगू बढ़इलिअइ, बहुत
नम्रता से अभिवादन करते आउ ई देखइते, मानूँ ओकर क्रोध पर हमर ध्यान नयँ हइ ।
रेस्तोराँ
के सायबान (पोर्च) पर हमरा वेरा के पति से भेंट होलइ । लगऽ हइ, ऊ हमर इंतजार कर रहले
हल । ऊ हमर हाथ अइसन भावना के साथ धइलकइ, जे हर्षावेश (rapture) नियन हलइ ।
"उदार
नवयुवक !" आँख में अश्रु के साथ ऊ कहलकइ । "हम सब कुछ सुनलिअइ । कइसन कमीना
हइ ! कृतघ्न ! ... कोय सभ्य व्यक्ति अपन घर में ओकन्हीं के कइसे घुस्से देतइ ! भगमान
के किरपा, हमरा बेटी नयँ हके ! लेकिन अपने के ऊ पुरस्कृत करतइ, जेकरा लगी अपने अपन
जिनगी के जोखिम उठा रहलथिन हँ । अभी लगी तो हमर विनम्रता में विश्वास कर सकऽ हथिन
(अर्थात् जे कुछ अभी घटलइ, ओकर चर्चा केकरो भिर नयँ करबइ)", ऊ बात जारी रखलकइ
। "हम खुद कभी नवयुवक हलिअइ आउ मिलिट्री में सेवा कइलिए हल । हम जानऽ हिअइ, कि
अइसन मामला में दखल नयँ देवे के चाही । अलविदा ।"
बेचारा
! ओकरा ई बात के खुशी हइ, कि ओकरा बेटी नयँ हइ ...
हम
सीधे वेर्नर हियाँ रवाना होलिअइ, ऊ घरवे पर हलथिन आउ उनका हम सब कुछ बतइलिअइ - वेरा
आउ छोटकी राजकुमारी के साथ हमर संबंध आउ चुपके से सुन्नल बातचीत, जेकरा से ई महाशय
लोग द्वारा खाली कारतूस बोजल पिस्तौल से द्वंद्वयुद्ध करवाके हमरा मूरख बनावे के इरादा
के बारे मालूम हो गेलइ । लेकिन अभी मामला मजाक के सीमा से बाहर चल गेलइ । ओकन्हीं,
शायद, अइसन परिणाम के अपेक्षा नयँ करते गेले हल ।
डाक्टर
हमर सहायक होवे लगी सहमत हो गेलथिन । हम उनका द्वंद्वयुद्ध संबंधी कुछ शर्त बतइलिअइ
। उनका ई बात पर दृढ़ रहे के चाही, कि ई मामला यथासंभव गुप्त रहइ, काहेकि हम कभी भी
मौत के सामना करे लगी तैयार हिअइ, लेकिन ई संसार में हमेशे खातिर अपन पूरा भविष्य बरबाद
करे के हमर इच्छा नयँ हइ ।
एकर
बाद हम घर चल गेलिअइ । एक घंटा के बाद डाक्टर अपन अभियान से वापिस आ गेलथिन ।
"अपने
के विरुद्ध पक्का षड्यंत्र हइ", ऊ कहलथिन । "हम ग्रुशनित्स्की के घर में
सेना के कप्तान के पइलिअइ, आउ, आउ एगो महाशय के, जेकर पारिवारिक नाम हमरा आद नयँ ।
हम एक मिनट लगी प्रवेशकक्ष में रुकलिअइ, दस्ताना उतारे खातिर । ओकन्हीं बीच भयंकर शोरगुल
आउ वाद-विवाद हो रहले हल ..."’
"हम
कउनो हालत में सहमत नयँ होबइ !" ग्रुशनित्स्की बोललइ, "ऊ हमरा सरेआम बेइज्जत
कइलकइ । पहिले बिलकुल दोसर बात हलइ ..."
"तोरा
की मतलब हउ ?" कप्तान उत्तर देलकइ, "हम सब कुछ अपने ऊपर ले लेबउ । हम पाँच-पाँच
द्वंद्वयुद्ध में सहायक (second) हलिअइ आउ हम जानऽ हिअइ कि एकर इंतजाम कइसे कइल जा
हइ । हम सब प्लान कर लेलियो ह । मेहरबानी करके, हमर काम में खाली दखल मत दे । भयभीत
करना खराब बात नयँ हइ । आउ खुद के काहे लगी जोखिम में डालल जाय, अगर एकरा से बच्चल
जा सकऽ हइ ? ..." एहे क्षण हम प्रवेश कइलिअइ । ओकन्हीं चुप हो गेते गेलइ । हमन्हीं
के वार्ता काफी देर तक जारी रहलइ । आखिरकार हमन्हीं मामला के फैसला ई तरह करते गेलिअइ
- हियाँ से करीब पाँच विर्स्ता दूर एगो सूनसान दर्रा हइ । ओकन्हीं बिहान सुबह चार बजे
जइते जइतइ, आउ हमन्हीं बाहर होते जइबइ ओकन्हीं अपेक्षा आध घंटा बाद । अपने दुन्नु एक
दोसरा तरफ फायर करते जइथिन छो कदम के दूरी पर - ई शर्त ग्रुशनित्स्की के हलइ । जे कोय
मारल जइतइ - ओकर श्रेय चेर्केस के देल जइतइ । अभी अइकी हमरा शंका हइ - ओकन्हीं, मतलब
सहायक लोग, हो सकऽ हइ कि अपन पहिलौका प्लान बदल देते गेले ह आउ खाली ग्रुशनित्स्की
के पिस्तौल में गोली बोजे लगी चाहते जा हइ । ई जरी हत्या नियन हइ, लेकिन युद्ध के समय
में, आउ विशेष करके एशियाई युद्ध में, चलबाजी जायज हइ । खाली ग्रुशनित्स्की, लगऽ हइ,
अपन साथी लोग के अपेक्षा अधिक उदार हइ । अपने के की विचार हइ ? की हमन्हीं के ओकन्हीं
के बता देवे के चाही, कि हमन्हीं के ओकन्हीं वला प्लान के अंदाज लग चुकले ह
?"
"कइसनो
हालत में नयँ, डाक्टर ! बेफिकिर रहथिन, हम ओकन्हीं के जाल में नयँ फँसबइ ।"
"अपने
की करे लगी चाहऽ हथिन ?"
"ई
हमर रहस्य हइ ।"
"ई
बात पर ध्यान रखथिन कि कहीं फँस नयँ जाथिन ... आद रखथिन, खाली छो कदम पर !"
"डाक्टर,
हम बिहान अपने के चार बजे इंतजार करबइ । घोड़ा तैयार रहतइ ... अलविदा ।"
हम
शाम तक घर में ताला लगाके अंदर बैठल रहलिअइ । एगो नौकर के माध्यम से हमरा बड़की राजकुमारी
के हियाँ बोलाहट अइलइ । हम ओकरा कहे लगी बतइलिअइ, कि हम बेमार हिअइ ।
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रात
के दू बजल ह ... नीन नयँ आ रहल ह ... लेकिन सुतना जरूरी हइ, ताकि बिहान हमर हाथ नयँ
काँपे । तइयो, छो कदम पर निशाना चूकना मोसकिल हइ । आह ! मिस्टर ग्रुशनित्स्की ! अपने
के धोखेबाजी सफल नयँ होतइ ... हमन्हीं अपन-अपन भूमिका अदल-बदल कर लेते जइबइ । अब हम
अपने के पीयर चेहरा पर गुप्त भय के लक्षण खोजबइ । काहे लगी अपने खुद ई निर्णायक (घातक)
छो कदम निश्चित कइलथिन ? अपने सोचऽ हथिन, कि हम बिन कोय बहस के अपन निरार के अपने के
आगू सौंप देबइ ... लेकिन हमन्हीं ओद्दी-सुक्खी करबइ ! ... आउ तखने ... तखने ... की
होतइ, अगर ओकर भाग्य हमर अपेक्षा भारी पड़तइ ? अगर हमर नक्षत्र आखिरकार हमरा धोखा देतइ
? ... आउ ई अचरज के बात नयँ हइ । अभी तक तो ई हमर सनक के विश्वासपूर्वक सेवा कइलके
ह । स्वर्ग में पृथ्वी पर के अपेक्षा अधिक स्थिरता नयँ हइ ।
एकरा
से की ? मरना हइ त मरना हइ ! संसार लगी ई घाटा बड़गो नयँ होतइ । आउ हम खुद्दे काफी बोर
हो चुकलूँ हँ । हम ऊ अदमी नियन हकूँ, जे बॉल नृत्य में उबासी ले रहले ह, आउ जे ई कारण
से सुत्ते लगी घर नयँ जाब करऽ हइ, कि ओक्कर करेता (घोड़ागाड़ी) अभी तक हुआँ नयँ पहुँचले
ह । लेकिन अभी करेता तैयार हइ ... अलविदा ! ...
हमर
पूरा अतीत स्मृति में घूम जा हइ आउ जाने-अनजाने खुद के पुच्छऽ हिअइ - हम काहे लगी जीलूँ
? कउन उद्देश्य से पैदा होलूँ ? ... आउ, ई उद्देश्य के अस्तित्व अवश्य रहले होत, आउ,
हमर लक्ष्य उँचगर रहले होत, काहेकि हम अपन आत्मा में असीम शक्ति के अनुभव करऽ हिअइ
... लेकिन हम ई उद्देश्य के अंदाज नयँ लगा पइलिअइ । हम खोखला आउ अकृतज्ञ भावना के प्रलोभन
में बह गेलिअइ । ओकन्हीं के अग्नि परीक्षा से हम लोहा नियन कठोर आउ ठंढा होके बाहर
निकसलिअइ, लेकिन उदार अभिलाषा के उत्साह हमेशे लगी खो देलिअइ, जिनगी के सर्वोत्कृष्ट
पुष्पकाल खो देलिअइ । ऊ क्षण से केतना तुरी हम भाग्य के हाथ में कुल्हाड़ी के भूमिका
अदा कर चुकलिए ह ! मृत्युदंड के हथियार के रूप में, हम मरणासन्न शिकार के सिर पर टूट
पड़ऽ हलिअइ, अकसर बिन कोय द्वेष के, हमेशे बिन कोय सहानुभूति के ... हमर प्यार केकरो
खुशी नयँ लइलकइ, काहेकि ओकन्हीं लगी कुच्छो नयँ बलिदान देलिअइ, जेकरा हम प्यार कइलिअइ
। हम खुद लगी प्यार करऽ हलिअइ, अपन खुद के आनंद लगी । हम खाली अपन दिल के विचित्र आवश्यकता
के संतुष्ट करऽ हलिअइ, ओकन्हीं के भावना, खुशी आउ तकलीफ के लालच से निंगलऽ हलिअइ -
आउ कभियो हम तृप्त नयँ होवऽ हलिअइ, बिलकुल ऊ अदमी नियन जे भूख के यातना से थकावट में
सुत जा हइ आउ खुद के सामने शानदार भोजन आउ बुदबुदा रहल शराब देखऽ हइ । ऊ आनंदातिरेक
में कल्पना के आसमानी उपहार के निंगलऽ हइ, आउ ओकरा हलका महसूस होवऽ हइ, लेकिन जइसीं
जगलइ, कि सपना गायब हो जा हइ ... ओकर भूख आउ निराशा दोगना हो जा हइ !
आउ,
हो सकऽ हइ, हम कल मर जइअइ ! ... आउ पृथ्वी पर एक्को अइसन जीव नयँ रहतइ, जे हमरा पूरा
तरह से समझ सकले होत । जइसन हम वास्तव में हिअइ, ओकर अपेक्षा कुछ लोग हमरा बत्तर समझते
जा हइ, त दोसर लोग बेहतर ... कुछ लोग कहते जइतइ - ऊ निम्मन अदमी हलइ, जबकि दोसर लोग
कहतइ - कमीना । ई चाहे ऊ, दुन्नु, गलत होतइ । अइसन हालत में जीए से कुछ फयदा हइ ? आउ
तइयो अदमी जीयऽ हइ - उत्सुकतावश । कुछ तो नावा के अपेक्षा करऽ हइ ... हास्यास्पद आउ
कष्टदायक !
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