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Thursday, October 20, 2016

रूसी उपन्यास "आझकल के हीरो" ; भाग-2 ; 2. राजकुमारी मेरी - अध्याय-19



रूसी उपन्यास – “आझकल के हीरो”
भाग-2
2. राजकुमारी मेरी - अध्याय-19

हमरा किला एन. में रहते अब डेढ़ महिन्ना हो चुकल ह । माक्सीम माक्सीमिच शिकार पर चल गेला ह ... हम अकेल्ले हकूँ । खिड़की भिर बैठल हकूँ । धूसर बादर पर्वत के तलहटी तक ढँक लेलके ह । कुहरा के बीच से सूरज एगो पीयर धब्बा नियन लगऽ हइ । ठंढा हइ, हावा सायँ-सायँ करब करऽ हइ आउ शटर के हिलाब करऽ हइ ... केतना उबाऊ हइ ! हम अपन डायरी जारी रखबइ, जे बहुत सारा विचित्र घटना के चलते बीच में बाधित हो गेलइ । हम अंतिम वला पृष्ठ फेर से पढ़ऽ हिअइ - केतना हास्यास्पद हइ ! हम सोचलिए हल कि मर जइबइ । ई असंभव हलइ । हम अभियो तक दुख-तकलीफ के कप खाली नयँ कइलिए हल, आउ अभी हमरा लगऽ हइ, कि हमरा अभियो लम्मा समय तक जीए के हइ । सब अतीत केतना स्पष्ट आउ तीक्ष्ण रूप से हमर स्मृति में ढल गेले ह! समय एक्को लाइन, एक्को छटा के नयँ मिटा सकलइ !

हमरा आद पड़ऽ हइ, कि द्वंद्वयुद्ध के ठीक पहिलौका रात हम एक्को मिनट नयँ सुत पइलूँ । हम देर तक लिख नयँ सकलूँ । एगो रहस्यमय बेचैनी हमरा में घर कर गेल हल । करीब एक घंटा तक हम चहलकदमी करते रहलूँ, फेर बैठ गेलूँ आउ वाल्टर स्कॉट (Walter Scott) के उपन्यास खोललूँ, जे हमर टेबुल पर पड़ल हले - ई हलइ "The Scottish Puritans" [1] । शुरू-शुरू हम प्रयासपूर्वक पढ़लूँ, फेर चमत्कारिक (तिलस्मी) कपोल-कल्पना के संसार में खुद के भूल गेलूँ ...की वास्तव में, परलोक में स्कॉटिश भाट (bard) के हरेक सुखमय पल खातिर, जे ई पुस्तक प्रदान करऽ हइ, पारिश्रमिक नयँ देल जा होतइ ? …

आखिर भोर होल । हमर स्नायु (nerves) शांत हो गेल हल । हम दर्पण में खुद के देखलूँ - एगो हलका सन पीलापन हमर चेहरा पर छाल हल, जे कष्टकारी अनिद्रा के बच्चल चिन्हा हलइ । लेकिन आँख, जेकरा पर हलाँकि भूरा छटा हलइ, तइयो अभिमानपूर्वक आउ क्रूरतापूर्वक चमक रहले हल । हम खुद से संतुष्ट हलूँ ।

घोड़ा के जीन लगावे के औडर देके, हम पोशाक पेन्हलूँ आउ स्नानगृह दने दौड़ल गेलूँ । ठंढा-ठंढा बुदबुदा रहल करज़ान पानी में डुबकी लगइलूँ, हम अनुभव कइलूँ, कि हमर शारीरिक आउ मानसिक शक्ति लौट रहल ह । स्नानगृह से हम ताजा आउ स्फूर्तिमान रूप में बाहर निकसलूँ, मानूँ हम बॉल नृत्य लगी जाय के तैयारी में हकूँ । एकरा बाद ई कहो, कि आत्मा शरीर पर निर्भर नयँ करऽ हइ ! ...

घर वापिस अइला पर हम डाक्टर के अपन घर पर पइलिअइ । ऊ धूसर बिरजिस (riding breeches), अर्ख़ालुक (काकेशियाई ओवरकोट) आउ चेर्केस टोपी धारण कइले हलथिन । हम ई छोटगर आकृति के अइसन बड़गर रोएँदार टोपी में देखके खिखिआ उठलिअइ । उनकर चेहरा तो एगो योद्धा के बिलकुल नयँ हइ, आउ ई तुरी तो आउ सामान्य से जादे लमगर हलइ ।

"अपने एतना उदास काहे लगी हथिन, डाक्टर ?" हम उनका कहलिअइ । "की अपने सैकड़ो तुरी अत्यंत भावशून्यता से लोग के परलोक जाय घड़ी विदा नयँ कइलथिन ? कल्पना करथिन, कि हमरा पित्तीय बोखार हइ; हम चंगा हो जा सकऽ हिअइ, हम मरियो सकऽ हिअइ; ई चाहे ऊ दुन्नु नैसर्गिक हइ । अपने हमरा एगो अइसन रोगी के हैसियत से देखथिन, जेकर रोग अपने लगी अभी तक अज्ञात हइ - त अपने के उत्सुकता उच्चतम स्तर तक जागृत होतइ । अपने हमरा पर अभी कुछ मुख्य शारीरिक प्रेक्षण (observations) कर सकऽ हथिन ... की हिंसात्मक मौत के अपेक्षा (expectation) एगो वास्तविक बेमारी नयँ हइ ?"
ई विचार डाक्टर के प्रभावित कइलकइ, आउ ऊ प्रसन्न हो गेलथिन ।

हमन्हीं घोड़ा पर सवार होलिअइ । वेर्नर दुन्नु हाथ से लगाम पकड़ लेलथिन, आउ हमन्हीं रवाना हो गेते गेलिअइ । पल भर में घोड़ा के सरपट दौड़इते उपनगरीय क्षेत्र के बीच किला भिर से गुजरते गेलिअइ, आउ ऊ दर्रा में प्रवेश करते गेलिअइ, जेकरा से होके ऊ रस्ता जा हलइ, जे उँचगर-उँचगर घास से आधा ढँक्कल हलइ आउ मिनट-मिनट शोरगुल मचावे वला नाला से प्रतिच्छेदित (intersected) हलइ, जेकरा पार करे पड़ऽ हलइ । डाक्टर ई बात से बड़ी हताश हो जा हलथिन, काहेकि उनकर घोड़वा हरेक तुरी पनिया में रुक-रुक जा हलइ ।

हमरा आउ अधिक नीला आउ ताजा सुबह के आद नयँ पड़ऽ हइ ! सूरज पर्वत के हरियर चोटी के पीछू से मोसकिल से अभी प्रकट होले हल, आउ एकर किरण के गरमी के साथ रात के ह्रासमान (waning) ठंढक के मिश्रण सब, भावना पर एक प्रकार के मधुर क्लांति उत्पन्न कर रहले हल । नवयुवक दिन के आनंदमय किरण अभियो दर्रा के अंदर प्रवेश नयँ कइलके हल । ई खाली हमन्हीं के उपरे दुन्नु दने के लटकल खड़ी चट्टान के शिखर के सुनहरा बना रहले हल । ओकर गहरा दरार सब में बढ़ल घना पत्ता वला झाड़ी हावा के न्यूनतम साँस लेलो पर हमन्हीं उपरे चानी के बारिश के बौछार कर रहले हल । हमरा आद पड़ऽ हइ - ई तुरी, कभियो पहिले के अपेक्षा अधिक, हम प्रकृति से प्यार कइलिअइ । केतना उत्सुकता से हरेक ओसकण के जाँच करऽ हलिअइ, जे चौड़गर द्राक्षा-पत्र पर काँपऽ हलइ आउ लाखो इंद्रधनुषी किरण के पतिबिंबित करऽ हलइ ! केतना लालच से हमर दृष्टि धुआँसा (smoky) दूरी में प्रवेश करे के प्रयास करऽ हलइ ! हुआँ रस्ता लगातार सँकरा आउ सँकरा होल जा हलइ, आउ खड़ी चट्टान अधिकाधिक नीला आउ भयंकर, आउ आखिरकार ऊ सब, लगऽ हलइ, एगो अभेद्य देवाल में जाके मिल जा हलइ । हमन्हीं चुपचाप जा रहलिए हल ।
" अपने अपन वसीयत बना लेलथिन हँ ?" अचानक वेर्नर पुछलथिन ।
"जी नयँ ।"
"आउ अगर मारल जइथिन ? ..."
"त उत्तराधिकारी लोग खुद्दे प्रकट हो जइथिन ।"
"की वास्तव में अपने के दोस्त लोग नयँ हथिन, जिनका अपन अंतिम विदाई के संदेश भेज सकथिन ? ..."
हम सिर हिलइलिअइ ।
"की वास्तव में ई दुनियाँ में अइसन कोय औरत नयँ हइ, जेकरा लगी अपने कुच्छो आदगारी के तौर पर छोड़ सकऽ हथिन ? ..."
"की अपने चाहऽ हथिन, डाक्टर", हम उनका जवाब देलिअइ, "कि हम अपन दिल अपने के सामने खोल दिअइ ? ... अपने देखऽ हथिन, हम जिनगी के अइसन उमर के दौर से बाहर हो चुकलिए ह, जब मरते बखत लोग अपन प्रेयसी के नाम ले हइ आउ अपन दोस्त के अंगराग लगावल (pomaded) चाहे बिन अंगराग लगावल केश वसीयत करऽ हइ । नगीच आउ संभावित मौत के बारे सोचते, हम खाली अपना बारे सोचऽ हिअइ - कुछ लोग एहो नयँ करऽ हइ । दोस्त लोग, जे बिहान हमरा भूल जइते जइता, चाहे एकरो से बत्तर, हमरा बारे, भगमान जाने, कइसन-कइसन ऊटपटाँग कहानी गढ़ते जइता; औरत लोग, जे दोसरा के आलिंगन करते बखत हमरा पर हँसते जइता, ताकि ओकरा में एगो मरल अदमी के प्रति ईर्ष्या नयँ पैदा करइ - भगमान ओकन्हीं के भला करइ ! जिनगी के तूफान से हम खाली कुच्छे विचार लेलिअइ - लेकिन भावना एक्को नयँ । लम्मा समय से, हम दिल से नयँ जीते अइलिए ह, बल्कि दिमाग से । हम अपन खुद के भावना आउ कृत्य के कठोर उत्सुकता से तौलऽ आउ विश्लेषण करऽ हिअइ, लेकिन बिन कोय सहानुभूति के । हमरा में दू व्यक्ति हइ - एगो ई शब्द के पूरे अर्थ में जीयऽ हइ, दोसरा ओकरा पर विचार करऽ हइ आउ निर्णय करऽ हइ; पहिलौका, शायद, एक घंटा के बाद अपने से आउ ई दुनियाँ से हमेशे लगी विदा हो जइतइ, लेकिन दोसरा ... दोसरा ? देखथिन, डाक्टर - की अपने के देखाय दे हइ, खड़ी चट्टान पर दहिना तरफ तीन कार आकृति ? ई, शायद, हमन्हीं के प्रतिद्वंद्वी हइ ? ..."

हमन्हीं दुलकी चाल में रवाना होते गेलिअइ ।
खड़ी चट्टान के तलहटी में झाड़ी में तीन गो घोड़ा बन्हल हलइ । हमन्हियों अपन घोड़वन के हुएँ बान्ह देते गेलिअइ, आउ हमन्हीं खुद सकेत रस्ता से उपरे चढ़ते ऊ छोटकुन्ना मैदान पर गेते गेलिअइ, जाहाँ परी ग्रुशनित्स्की सेना के कप्तान के साथ हमन्हीं के इंतजार करब करऽ हलइ, आउ अपन दोसरा सहायक के साथ, जेकर नाम हलइ इवान इग्नात्येविच । ओकर पारिवारिक नाम (surname) हमरा कभी सुन्ने में नयँ अइलइ ।
"हमन्हीं लमगर समय से अपने सब के इंतजार कर रहते गेलिए ह", व्यंग्यात्मक मुसकान के साथ सेना के कप्तान कहलकइ ।
हम अपन घड़ी निकसलिअइ आउ ओकरा देखइलिअइ ।
ऊ माफी मँगलकइ, ई कहते, कि ओकर घड़ी जरी तेज हइ ।
कुछ मिनट तो कष्टकर मौन में गुजरलइ । आखिरकार डाक्टर ई मौन के तोड़लथिन, ग्रुशनित्स्की के संबोधित करते।
"हमरा लगऽ हइ", ऊ कहलथिन, "कि दुन्नु लड़े के तैयारी देखा देला पर आउ ई तरह सम्मान के शर्त पूरा कर लेला के बाद, अपने महाशय, चर्चा करके ई मामला के मित्रभाव से (amicably) समाप्त कर ले सकऽ हथिन ।"
"हम तैयार हिअइ", हम कहलिअइ ।
कप्तान आँख से ग्रुशनित्स्की के इशारा कइलकइ, आउ ई सोचके कि हम डेराऽ गेलिए ह, अभिमान के मुद्रा धारण कर लेलकइ, हलाँकि ई पल तक हलका पीलापन ओकर गाल पर पसरल हलइ । हमन्हीं के अइला के बाद ऊ पहिले तुरी हमरा दने अपन आँख उठइलकइ; लेकिन ओकर नजर में एक प्रकार के बेचैनी हलइ, जे ओकर आंतरिक संघर्ष के प्रकट कर रहले हल ।
"अपन शर्त समझाथिन", ऊ कहलकइ, "ऊ सब कुछ, जे हम अपने लगी कर सकऽ हिअइ, ओकरा बारे निश्चिंत रहथिन ..."
"अइकी हमर शर्त हइ - अपने आझे आम जनता के बीच अपन तोहमत से इनकार करथिन आउ हमरा से माफी माँगथिन ..."
"आदरणीय महोदय, हमरा अचरज होवऽ हइ, अपने कइसे हमरा सामने अइसन बात के प्रस्ताव रक्खे के साहस करऽ हथिन? ..."
"एकरा अलावे हम अपने के सामने की प्रस्ताव रख सकऽ हलिअइ ? ..."
"हमन्हीं एक दोसरा पर फायर करते जइबइ ..."
हम अपन कन्हा उचकइलिअइ ।
"जइसन अपने के मर्जी; लेकिन जरी सोचथिन, कि हमन्हीं दुन्नु में से एगो पक्का मारल जइबइ ।"
"हम चाहऽ हिअइ, कि ई अपने होथिन ..."
"आउ हम पक्का हिअइ एकर ठीक विपरीत में ..."
ऊ संकोच में पड़ गेलइ, ओकर चेहरा लाल हो गेलइ, फेर ऊ देखावा लगी ठठाके हँस पड़लइ ।

कप्तान ओकरा हाथ से पकड़ लेलकइ आउ ओकरा एक बगल ले गेलइ । ओकन्हीं बीच देर तक कानाफूसी होलइ । हम अइलिए हल मन के काफी शांत अवस्था में, लेकिन ई सब प्रकरण हमरा गोस्सा में पागल बनावे लगलइ ।
हमरा भिर डाक्टर अइलथिन ।
"सुनथिन", ऊ स्पष्ट बेचैनी से कहलथिन, "अपने शायद ओकन्हीं के षड्यंत्र भूल गेलथिन ? ... हमरा पिस्तौल में गोली बोजे नयँ आवऽ हइ, लेकिन ई परिस्थिति में ... अपने विचित्र व्यक्ति हथिन ! ओकन्हीं के बता देथिन, कि अपने ओकन्हीं के इरादा जानऽ हथिन, आउ ओकन्हीं साहस नयँ करते जइतइ ... एकर की मतलब हइ ! ओकन्हीं एगो चिरईं नियन अपने के शूट कर देते जइतइ ..."
"कृपया चिंतित नयँ होथिन, डाक्टर, आउ जरी इंतजार करथिन ... हम सब कुछ के अइसन इंतजाम करबइ, कि ओकन्हीं के तरफ कइसनो फयदा नयँ होतइ । ओकन्हीं के कानाफूसी करे देथिन ..."
"भद्रजन (gentlemen), ई उबाऊ (अति) होब करऽ हइ !" हम ओकन्हीं के जोर से कहलिअइ, "लड़े के हइ, त लड़े के हइ; अपने सब के कल्हे राय-मशविरा करे के समय हलइ ..."
"हमन्हीं तैयार हिअइ", कप्तान बोललइ ।
"अपन-अपन जगह पर हो जाथिन, भद्रजन ! ... डाक्टर, छो कदम नापे के किरपा करथिन ..."
"अपन-अपन जगह पर !" चीं-चीं स्वर में इवान इग्नातिच दोहरइलकइ ।
"माफ करथिन !", हम कहलिअइ, "एगो आउ शर्त हइ । चूँकि हमन्हीं मौत तक लड़े वला हिअइ, त हमन्हीं ऊ सब कुछ, जे संभव हइ, करे के कर्तव्यबद्ध होते जइबइ, कि ई मामला एगो रहस्य रहइ आउ हमन्हीं के सहायक लोग (seconds) जिमेवार नयँ हो पाथिन । की अपने सब सहमत हथिन ? ..."
"बिलकुल सहमत हिअइ ।"

"त, अइकी ई बात हम सोचलिए ह । की अपने के ई बिलकुल खड़ी चट्टान के शिखर पर, दहिना दने, एगो सकेत मैदान देखाय दे हइ ? हुआँ से निच्चे तक कोय तीस साझेन (= 64 मीटर) के गहराई होतइ, अगर जादे नयँ तो; निच्चे नोकदार पत्थल सब हइ । हमन्हीं में से हरेक कोय मैदान के बिलकुल किनारे पर खड़ी होतइ; ई तरह से, एगो हलको घाव घातक सिद्ध होतइ । ई अपने के इच्छा के अनुरूप होतइ, काहेकि अपने खुद छो कदम निश्चित कइलथिन हल । जे घायल होतइ, ऊ पक्का सीधे उड़के निच्चे जइतइ आउ ओकर हड्डी पसली चूर हो जइतइ । डाक्टर गोली बाहर निकास लेथिन । आउ तब बड़ी असानी से ई अचानक मौत के 'दुर्भाग्यपूर्ण कूद' बताके स्पष्टीकरण देल जा सकतइ । हमन्हीं ओद्दी-सुक्खी करते जइबइ, कि केकरा पहिले गोली चलावे के अवसर देल जाय । हम ई अपन अंतिम निर्णय के रूप में घोषणा करऽ हिअइ, कि अन्यथा हम नयँ लड़बइ ।"

"एवमस्तु !" सेना के कप्तान कहलकइ, ग्रुशनित्स्की दने तीक्ष्ण दृष्टि डालते, जे सहमति में अपन सिर हिलइलकइ । ओकर चेहरा मिनट-मिनट बदल रहले हल । हम ओकरा एगो कष्टकर परिस्थिति में डाल देलिए हल । सामान्य शर्त के अनुसार लड़ते बखत, ऊ हमर गोड़ पर निशाना लगाके हमरा हलका सन घायल कर सकऽ हलइ आउ ई तरह से अपन बदला के प्यास के संतुष्ट कर सकऽ हलइ, अपन अंतःकरण पर बिलकुल कोय भार देले । लेकिन अभी ऊ या तो हावा में फायर कर सकऽ हलइ, चाहे हत्यारा बन सकऽ हलइ, चाहे आखिरकार, अपन नीच प्लान के त्याग दे सकऽ हलइ आउ हमरे नियन बराबर जोखिम उठा सकऽ हलइ । अइसन घड़ी में हम ओकर जगह पर होना नयँ चहतिए हल । ऊ कप्तान के बगल में ले गेलइ आउ ओकरा साथ कुछ तो बहुत गरमागरम बहस करे लगलइ । हम देखलिअइ, कि ओकर नीला होल ठोर काँपब करऽ हलइ । लेकिन कप्तान ओकरा भिर से घृणापूर्वक मुसकान के साथ मुड़ गेलइ ।

"मूरख कहीं के !" ऊ काफी जोर से ग्रुशनित्स्की के कहलकइ, "तोरा कुच्छो नयँ समझ में आवऽ हउ ! चलल जाय, महाशय लोग !"

सकेत रस्ता झाड़ी सब के बीच से होके ऊ खड़ी चट्टान (precipice) पर जा हलइ । टुट्टल पत्थल सब ई नैसर्गिक सीढ़ी (staircase) के अस्थिर सोपान (steps) हलइ । झाड़ी के सहारा लेते हमन्हीं उपरे चढ़े लगलिअइ । ग्रुशनित्स्की सबसे आगू जाब करऽ हलइ, ओकर पीछू-पीछू ओकर दुन्नु सहायक, आउ ओकर बाद हम आउ डाक्टर ।
"हम तो अपने से अचंभित हिअइ", हमर हाथ जोर से दबइते डाक्टर बोललथिन । "नब्ज देखे देथिन ! ... ओहो ! बोखार ! ... लेकिन चेहरा से कुछ पता नयँ चलऽ हइ ... खाली अपने के आँख सामान्य से जादे चमकऽ हइ ।"

अचानक कुछ छोटगर-छोटगर पत्थल शोर मचइते निच्चे हमन्हीं के गोड़ दने लुढ़कते अइलइ । ई की हइ ? ग्रुशनित्स्की लड़खड़ा गेले हल, ऊ डाढ़, जेकर सहारा लेले हलइ, टूट गेले हल, आउ ऊ पीठ के बल निच्चे लुढ़क जइते हल, अगर ओकर सहायक लोग ओकरा नयँ थामते जइते हल ।
"सावधान !" हम ओकरा दने चिल्लइलिअइ, "समय से पहिले निच्चे नयँ गिरथिन; ई अपशकुन हइ । जुलियस सीज़र के आद करथिन !" [2]


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