रूसी
उपन्यास – “आझकल के हीरो”
भाग-2
2.
राजकुमारी मेरी - अध्याय-8
3
जून
हम
अकसर खुद के पुच्छऽ हिअइ - काहे लगी हम एतना दृढ़संकल्प होके एगो अइसन अल्पवयस्क तरुणी
के प्यार पावे के प्रयास करऽ हिअइ, जेकरा हम बहकावे लगी नयँ चाहऽ हिअइ आउ न जेकरा से
हम कभी शादी करबइ ? ई औरतानी नखरेबाजी काहे लगी ? वेरा हमरा जादे प्यार करऽ हइ, बनिस्पत
राजकुमारी मेरी कभी प्यार कर पइता । अगर ऊ हमरा अजेय सुंदरी लगता हल, त शायद, हम, ई
उपक्रम (enterprise) के कठिनाई से, प्रलोभित हो जइतिए हल ... लेकिन अइसन बिलकुल नयँ
हइ ! ओहे से, ई, प्रेम के ऊ कष्टदायक आवश्यकता नयँ हइ, जे हमन्हीं के जवानी के शुरुआती
दौर में यातना दे हइ, आउ एक औरत से दोसरा दने ढकलऽ हइ, जब तक कि हमन्हीं के अइसन औरत
नयँ मिल जा हइ, जे हमन्हीं के सहन नयँ कर सकऽ हइ - आउ हियाँ परी हमन्हीं के एकनिष्ठता
शुरू होवऽ हइ - एगो वास्तविक असीम प्रेमभावना, जेकरा गणितीय रूप में एगो सरल रेखा से
व्यक्त कइल जा सकऽ हइ, जे एगो बिंदु से समष्टि (space) में जा हइ । ई असीमितता के रहस्य
हइ - केवल उद्देश्य, अर्थात् अंत, के प्राप्त करे में असंभवता । फेर काहे लगी हम एतना
दौड़धूप करऽ हिअइ ? ग्रुशनित्स्की के प्रति ईर्ष्या के कारण ? बेचारा ! ऊ तो बिलकुल
एकर योग्य नयँ हइ (अर्थात् ईर्ष्या होवे लायक ऊ कुछ कइलके ह नयँ) । कि ई, ऊ घटिया,
लेकिन अजेय, भावना के परिणाम हइ ?, जे पड़ोस के मधुर भ्रांत धारणा के नष्ट करे लगी हमन्हीं
के प्रेरित करऽ हइ, जब ऊ हताश होल पुच्छऽ हइ, कि ओकरा कउची में विश्वास करे के चाही,
त ओकरा एगो क्षुद्र संतुष्टि मिल्ले खातिर ई बात कहे लगी - "हमर दोस्त, हमरो साथ
ठीक ओहे होले हल, लेकिन तइयो तूँ देखऽ हो कि हम दुपहर के भोजन करऽ हिअइ, रात के भोजन
करऽ हिअइ, आउ बिलकुल चैन से नीन ले हिअइ, आउ आशा करऽ हिअइ, कि बिन कोय चीख आउ आँसू
के हम मर सकिअइ !"
आउ
फेर असीम आनंद हइ - तरुण आउ मोसकिल से खिल्लल आत्मा पर अधिकार जमावे में ! ई एगो फूल
नियन हइ, सूरज के पहिला किरण के स्वागत करे लगी जेकर सबसे निम्मन सुगंध निकसऽ हइ ।
एकरा ओहे पल तोड़ लेवे के चाही, आउ जी भर सूँघके, रस्ता पर फेंक देवे के चाही - शायद
कोय तो उठा लेतइ ! हम खुद में ई अतृप्य लिप्सा के अनुभव करऽ हिअइ, जे रस्ता में मिल्लल
सब कुछ के निगल जा हइ । हम दोसर लोग के कष्ट आउ प्रसन्नता के खाली खुद के संबंध में
देखऽ हिअइ, मानूँ ई भोजन हइ जे हमर आत्मिक शक्ति के पोषण करऽ हइ । भावावेश के प्रभाव
में हम खुद आउ विवेकहीन कार्य करे में सक्षम नयँ । परिस्थिति हमर महत्त्वाकांक्षा के
कुचल देलकइ, लेकिन ई दोसरा रूप में प्रकट हो गेलइ, काहेकि महत्त्वाकांक्षा आउ दोसर
कुछ नयँ हइ, बल्कि शक्ति के लिप्सा हइ, आउ हमर पहिला खुशी हइ - ऊ सब कुछ के अपन इच्छा
के अधीन करना; खुद के तरफ प्रेम, निष्ठा आउ भय के भावना जागृत करना - की ई शक्ति के
पहिला लक्षण आउ सबसे बड़गर जीत नयँ हइ ? केकरो लगी कष्ट आउ खुशी के कारण बनना, एकरा
लगी बिन कोय सकारात्मक अधिकार के, की ई हमन्हीं के अभिमान के मधुरतम भोजन नयँ हइ ?
आउ खुशी की हइ ? तृप्त अभिमान । अगर संसार में हम खुद के सबसे निम्मन आउ शक्तिशाली
समझलिअइ, त हम खुश होबइ; अगर हमरा सब कोय प्यार कइलकइ, त हम खुद में प्यार के असीम
स्रोत पइबइ । बुराई बुराई के जन्म दे हइ । पहिला कष्ट, दोसरा के यातना देवे में आनंद
के अनुमान दे हइ । बुराई के कल्पना मनुष्य के मस्तिष्क में तब तक नयँ घुस सकऽ हइ, जब
तक कि ऊ वास्तव में ओकरा कहीं व्यवहार में लावे लगी नयँ चाहतइ । कल्पना जैविक सृजन
हइ - अइसन बात कोय तो कहलके ह । ओकर जन्म ओकर रूप प्रदान करऽ हइ, आउ ई रूप क्रिया
(action) हइ । जेकर मस्तिष्क में अधिक कल्पना उत्पन्न होलइ, ऊ दोसर लोग के अपेक्षा
अधिक सक्रिय होतइ । ओहे से कोय प्रतिभाशाली व्यक्ति, जे ऑफिस के टेबुल से जकड़ल रहऽ
हइ, या तो मर जइतइ चाहे पगलाऽ जइतइ, ठीक ओइसीं, जइसे बैठल रहे वला जिनगी बितावे वला
आउ नम्र व्यवहार वला एगो बरियार काठी के अदमी मिरगी (अपस्मार) के दौरा से मरऽ हइ ।
भावावेश
(passions) आउ दोसर कुछ नयँ हइ, बल्कि अपन विकास के प्रथम चरण के कल्पना हइ । ऊ हृदय
के तरुणावस्था के विशेषता हइ, आउ ऊ मूरख हइ, जे सोचऽ हइ, कि समुच्चे जिनगी एकरा से
उत्तेजित रहतइ । कइएक नद्दी क्षुब्ध जलप्रपात से प्रारंभ होवऽ हइ, लेकिन ओकरा में से
एक्को गो, ठीक समुद्र तक पहुँचे तक, उछलते आउ फेनइते नयँ जा हइ । लेकिन ई शांति अकसर
एगो बड़गर, यद्यपि गुप्त, शक्ति होवऽ हइ; भावना आउ विचार के पूर्णता आउ गहराई भावनोद्रेक
(violent upsurges) के आवे नयँ दे हइ । कष्ट आउ आनंद अनुभव करते बखत आत्मा खुद के सब
कुछ के लेखा-जोखा दे हइ आउ ई बात से आश्वस्त हो जा हइ, कि अइसीं होवे के चाही । ऊ जानऽ
हइ, कि बिन गरज वला तूफान के सूरज के लगातार गरमी ओकरा सुखाऽ देतइ । ऊ अपन खुद के जिनगी
के साथ घुस्सऽ हइ, खुद के दुलारऽ हइ आउ दंड दे हइ, दुलरुआ बुतरू नियन । आत्मज्ञान के
खाली ई सर्वोच्च स्थिति में व्यक्ति दैवी न्याय के मूल्यांकन कर सकऽ हइ ।
ई
पृष्ठ के दोबारे पढ़ते बखत, हम नोटिस करऽ हिअइ, कि हम अपन विषय से दूर हट गेलिए ह
... लेकिन एकरा से की ? ... हम तो अपने लगी अपन डायरी लिख रहलिए ह, आउ ओहे से ऊ सब
कुछ, जे हम एकरा में घुसेड़बइ, समय के साथ हमरा लगी बहुमूल्य स्मृति होतइ ।
ग्रुशनित्स्की
अइलइ आउ हमर गरदन से लिपट गेलइ । ओकर प्रोन्नति अफसर में हो गेले हल । हमन्हीं दुन्नु
शैम्पेन पीते गेलिअइ । डाक्टर वेर्नर ओकर पीछू अइलथिन ।
"हम
अपने के बधाई नयँ दे हिअइ", ऊ ग्रुशनित्स्की के कहलथिन ।
"काहे
?"
"ई
कारण से, कि सैनिक ओवरकोट अपने के बहुत फब्बऽ हइ, आउ ई बात स्वीकार करथिन, कि पैदल
सेना के अफसर के वरदी, हियाँ परी स्पा के स्थान में सीयल, अपने के कुच्छो रोचक नयँ
देतइ ... अपने देखऽ हथिन, अपने अभी तक अपवाद हलथिन, लेकिन अब अपने पर सामान्य नियम
(general rules) लागू होतइ ।"
"बोलथिन,
बोलथिन, डाक्टर ! अपने हमर खुशी में बाधा नयँ डाल सकऽ हथिन । ऊ नयँ जानऽ हथिन",
ग्रुशनित्स्की हमर कान में आगू बोललइ, "ई स्कंधिका (epaulettes) हमरा केतना आशा
देलके ह ... ओह, स्कंधिका, स्कंधिका ! तोर तरिंगन सब पथप्रदर्शक तरिंगन हउ ... नयँ
! हम अभी बिलकुल आनंदित हकूँ ।"
"तूँ
हमन्हीं साथे खाई दने टहले लगी आ रहलऽ ह ?" हम ओकरा पुछलिअइ ।
"हम,
कइसनो हालत में हम खुद के छोटकी राजकुमारी के नयँ देखइबइ, जब तक कि हमर वरदी तैयार
नयँ हो जाय ।"
"तूँ
अपन खुशी के बात के उनका बतावे के अनुमति दे हो ? .."
"नयँ,
किरपा करके, नयँ बताहो ... हम उनका अचंभित करे लगी चाहऽ हिअइ ..."
"लेकिन
तइयो हमरा एतना तो बतावऽ, कि तोरा उनका साथ कइसन निभ रहलो ह ?"
ऊ
सकुचा गेलइ आउ विचारमग्न हो गेलइ; ऊ डींग हाँके आउ झूठ बोले लगी चहलकइ, लेकिन ओकरा
शरम लगलइ, आउ एकर साथे-साथ वास्तव में स्वीकार करना शरम के बात होते हल ।
"तूँ
की सोचऽ हो, की ऊ तोरा प्यार करऽ हथुन ?"
"हमरा
प्यार करऽ हथिन ? हे भगमान, पिचोरिन, तोहर कइसन-कइसन कल्पना रहऽ हको ! ... एतना जल्दी
ई कइसे संभव हइ ? ... आउ अगर ऊ प्यारो करऽ होथिन, त एगो भद्र महिला ई बात के बतावे
वली नयँ ..."
"ठीक
हको ! आउ शायद, तोहर मत में, एगो भद्र पुरुष के अपन भावावेश के बारे चुप रहे के चाही
? ..."
"ए
भाय ! सब कुछ के तरीका होवऽ हइ; बहुत कुछ बोलल नयँ जा हइ, बल्कि समझे के रहऽ हइ
..."
"ई
सच हइ ... लेकिन प्यार, जे हमन्हीं आँख में पढ़ते जा हिअइ, कउनो औरत के कोय बात के बंधन
में नयँ डालऽ हइ, जबकि शब्द ... सावधान, ग्रुशनित्स्की, ऊ तोरा मूरख बना रहलथुन हँ
..."
"ऊ
? ...", ऊ उत्तर देलकइ, आँख असमान दने उठाके आउ आत्मसंतुष्टि के साथ मुसकाके,
"हमरा तोरा पर तरस आवऽ हको, पिचोरिन ! ..."
ऊ
चल गेलइ ।
शाम
में कइएक लोग खाई दने पैदल रवाना होते गेलइ ।
हियाँ
के वैज्ञानिक के मतानुसार, ई खाई आउ कुछ दोसर चीज नयँ हइ, बल्कि एगो बुत्तल क्रेटर
हइ । ई माशूक पर्वत के ढलान पर स्थित हइ, शहर से करीब एक विर्स्ता दूर । झाड़ी आउ खड़ी
चट्टान के बीच एगो सँकरा पगडंडी एकरा तक जा हइ । पर्वत पर चढ़ते बखत, हम अपन हाथ छोटकी
राजकुमारी दने बढ़इलिअइ, आउ ऊ एकरा पूरे सैर-सपाटा तक छोड़लथिन नयँ ।
हमन्हीं
के बातचीत चुगली से चालू होलइ । हम उपस्थित आउ अनुपस्थित हमन्हीं के परिचित सब के आद
करे लगलिअइ । शुरू-शुरू में ओकन्हीं के हास्यास्पद पहलू के प्रकट कइलिअइ, आउ बाद में
ओकन्हीं के दुर्गुण पर । हमर पित्त उत्तेजित हो गेलइ । हम मजाक के साथ शुरू कइलिअइ
आउ अंत वास्तविक द्वेष से । शुरू में ई उनका मनोरंजन कइलकइ, लेकिन बाद में भयभीत कर
देलकइ ।
"अपने
तो खतरनाक व्यक्ति हथिन !" ऊ हमरा कहलथिन, "हम जंगल में छूरा के साथ एगो
हत्यारा के पाला में पड़ जाना बेहतर समझबइ, बनिस्पत अपने के तेज जिह्वा के ... हम अपने
के निवेदन करऽ हिअइ, बिन मजाक के, कि जब हमरा बारे कुछ खराब बात करे के विचार दिमाग
में आवइ, त बेहतर ई होतइ कि अपने छूरा से हमर गरदन रेत देथिन - हमरा लगऽ हइ, ई अपने
लगी बहुत कठिन नयँ होतइ ।"
"की
वास्तव में हम एगो हत्यारा नियन लगऽ हिअइ ? ..."
"अपने
तो ओकरो से बत्तर हथिन ..."
हम
एक मिनट सोचलिअइ आउ फेर गंभीर रूप से हृदय के स्पर्श कइल मुद्रा में कहलिअइ -
"हाँ,
अइसने हमर भाग्य हलइ बचपन से । सब कोय हमर चेहरा पर दुर्भावना के लक्षण पढ़ऽ हलइ, जे
नयँ हलइ, लेकिन जे मान लेवल गेले हल - आउ ऊ सब हमरा में पैदा हो गेलइ । हम विनम्र स्वभाव
के हलिअइ - हमरा पर धूर्तता के दोषारोपण कइल गेलइ । हम गोपनशील (secretive) हो गेलिअइ
। हम भला-बुरा के गहराई से समझऽ हलिअइ । कोय हमरा दुलार नयँ कइलकइ, सब कोय हमरा अपमानित
कइलकइ । हम प्रतिशोधी हो गेलिअइ । हम खिन्नचित्त हलिअइ - दोसर बुतरुअन खुशमिजाज आउ
बातूनी हलइ । हम ओकन्हीं के अपेक्षा खुद के श्रेष्ठ समझऽ हलिअइ - लेकिन हमरा निचगर
मानल गेलइ । हम ईर्ष्यालु हो गेलिअइ । हम समुच्चे संसार के प्यार करे लगी तैयार हलिअइ
- हमरा कोय नयँ समझलकइ - आउ हम घृणा करे लगी सीख लेलिअइ । खुद से आउ संसार से संघर्ष
में हमर रंगहीन यौवन बीत रहल हल । व्यंग्य के भय से, अपन श्रेष्ठ भावना के हृदय के
गहराई में दफन कर देलूँ - आउ ई हुएँ मर गेल । हम सच बोलऽ हलिअइ - हमरा पर लोग विश्वास
नयँ करते जा हलइ; हम धोखा देवे लगलिअइ । संसार के आउ समाज के प्रेरक शक्ति के निम्मन
से जानके हम जीवन के विज्ञान में निपुण होलिअइ आउ देखलिअइ, कि कइसे दोसर लोग बिन ऊ
निपुणता के सुखी हइ, मुफ्त में ऊ सब सुविधा के प्रयोग करते, जेकरा लगी हम एतना अथक
प्रयास कर रहलूँ हल । आउ तखने हमर दिल में उदासी छा गेल - ऊ उदासी नयँ, जेकर इलाज पिस्तौल
के नली से कइल जा हइ, बल्कि नम्रता आउ उदार मुसकान से आच्छादित, ठंढा आउ असहाय उदासी
। हम एगो नैतिक अपंग बन गेलिअइ । हमर आत्मा के आधा भाग अस्तित्व में नयँ हलइ, ई शुष्क
हो चुकले हल, भाफ बनके उड़ गेले हल, मर गेले हल । हम एकरा काटके फेंक देलिअइ, जबकि दोसरा
भाग में हलचल हो रहले हल आउ ई हरेक कोय के सेवा खातिर जी रहले हल, आउ एकरा कोय नयँ
नोटिस कइलकइ, काहेकि एकर मरल आधा भाग के अस्तित्व के बारे कोय नयँ जानऽ हलइ । लेकिन
अपने अभी ओकरा बारे स्मृति हमरा में जागृत कर देलथिन, आउ हम ओकर समाधिलेख (epitaph)
अपने के पढ़के सुना देलिअइ । कइएक लोग के साधारणतः सब समाधिलेख हास्यास्पद लगऽ हइ, लेकिन
हमरा लगी नयँ, खास करके जब हमरा ई बात के आद आवऽ हइ, कि ओकर निच्चे की पड़ल हइ । लेकिन
तइयो, हम अपन विचार के अपने के सहभागी होवे लगी निवेदन नयँ करऽ हिअइ । अगर हमर हरक्कत
अपने के हास्यास्पद लगऽ हइ, त किरपा करके हँसथिन । हम अपने के पूर्वसूचना दे हिअइ,
कि एकरा से हमरा तनिक्को कष्ट नयँ होतइ ।
एहे
क्षण हमर उनकर आँख पर नजर गेलइ - ओकरा में अश्रुकण दौड़ रहले हल; हमर हाथ पर टिक्कल
उनकर हाथ थरथरा रहले हल; गाल चमक (दहक) रहले हल । उनका हमरा पर तरस आ रहे हल ! सहानुभूति
- भावना, जेकरा सामने सब औरत बड़ी असानी से आत्मसमर्पण कर दे हइ, उनकर अनुभवहीन हृदय
में अपन पंजा घुसा देलके हल । पूरे सैर के दौरान ऊ अन्यमनस्क हलथिन, केकरो साथ नखरेबाजी
(coquetry) नयँ कइलथिन - आउ ई एगो बड़गो लक्षण (sign) हलइ !
हमन्हीं
खाई भिर अइलिअइ - महिला सब अपन-अपन साथीदार के छोड़ देते गेलथिन, लेकिन ऊ हमर हाथ नयँ
छोड़लथिन । स्थानीय छैला सब के चुटकुला उनका नयँ हँसइलकइ; खड़ी चट्टान के ढलान, जाहाँ
परी ऊ खड़ी हलथिन, उनका भयभीत नयँ कइलकइ, जबकि दोसर नवयुवती महिला सब चीखके अपन आँख
बन कर लेते गेलथिन ।
वापिस
आवे बखत, हम अपन करुणाजनक वार्ता के फेर नयँ छेड़लिअइ; लेकिन हमर सामान्य प्रश्न आउ
मजाक के ऊ संक्षेप में आउ अन्यमनस्क होल उत्तर देलथिन ।
"अपने
कभी प्रेम कइलथिन हँ ?" हम उनका आखिरकार पुछलिअइ ।
ऊ
हमरा दने एकटक देखलथिन, अपन सिर हिलइलथिन आउ फेर से विचारमग्न हो गेलथिन । ई बात साफ
हलइ, कि उनका कुछ तो कहे के मन कर रहले हल, लेकिन उनका समझ में नयँ आ रहले हल, कि कउची
से शुरू कइल जाय । उनकर छाती उत्तेजित हलइ ...
की
कइल जा सकऽ हलइ ! मलमल के आस्तीन एगो दुर्बल संरक्षण हलइ, आउ बिजली के चिनगारी हमर
हाथ से उनकर हाथ में दौड़ रहले हल । लगभग सब्भे भावावेश के शुरुआत अइसीं होवऽ हइ, आउ
हम सब अकसर खुद के बहुत धोखा देते जा हिअइ, ई सोचके, कि एगो औरत हमन्हीं के शारीरिक
चाहे नैतिक गुण के आधार पर प्यार करऽ हइ । वस्तुतः, ई गुण पवित्र अग्नि के स्वीकृति
लगी ओकर हृदय के तैयार करऽ हइ, लेकिन तइयो पहिला स्पर्श मामला के निर्णय करऽ हइ ।
"ई
सच हइ न कि आझ हम बहुत शिष्ट व्यवहार कइलिअइ ?" छोटकी राजकुमारी एगो विवश मुसकान
के साथ हमरा पुछलथिन, जब हमन्हीं सैर करके वापिस अइते जा रहलिए हल ।
हमन्हीं
विदा हो गेते गेलिअइ ।
ऊ
खुद से नराज हथिन - ऊ हमरा साथ हृदयहीनता से व्यवहार करे बद्दल खुद के दोषी समझऽ हथिन
... ओह, ई पहिला, मुख्य जीत हइ ! बिहान ऊ हमरा पुरस्कृत करे लगी चाहथिन । ई सब कुछ
हमरा कंठस्थ हइ - एहे तो बस उबाऊ (boring) हइ !
No comments:
Post a Comment