सोहर - १
ललना हे, कहऽमा से अइतन पाँचो पंडितऽ, अउरे नारदऽ मुनि हे ।
ललना हे, कहऽमा से अइतन भगऽवानऽ, जनकऽपुर में जय जय बोलइ हे ।।
ललना हे, गोखुला से अइतन पाँचो पंडितऽ, अउरे नारदऽ मुनि हे ।
ललना हे, अजुधा से अइतन भगऽवानऽ, जनकऽपुर में जय जय बोलइ हे ।।
ललना हे, कहऽमा उतारब पाँचो पंडितऽ, अउरे नारदऽ मुनि हे ।
ललना हे, कहऽमा उतारब भगऽवानऽ, जनकऽपुर में जय जय बोलइ हे ।।
ललना हे, मड़ऽबा उतारब पाँचो पंडितऽ, अउरे नारदऽ मुनि हे ।
ललना हे, कोहऽबर उतारब भगऽवानऽ, जनकऽपुर में जय जय बोलइ हे ।।
[नोटः अवग्रह चिह्न 'ऽ' के मतलब हइ कि पूर्व अकारान्त व्यंजन के अन्तर्निहित (inherent) अकार के पूरा-पूरा उच्चारण करे के चाही ।
जैसे -
भगवान = "भग्वान्" (bhagvaan), भगऽवानऽ = "भगवान" (bhagavaana);
ओइसहीं,
जनकपुर = "जनक्पुर्" (janakpur), जनकऽपुर = "जनकपुर्" (janakapur)]
No comments:
Post a Comment