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Sunday, April 26, 2015

अपराध आउ दंड - भाग – 3 ; अध्याय – 6



अपराध आउ दंड

भाग – 3

अध्याय – 6

"... हम नयँ विश्वास करऽ हूँ ! हम विश्वास करिए नयँ सकऽ हूँ !" हैरान होल रज़ुमिख़िन दोहरइलकइ, रस्कोलनिकोव के तर्क के यथाशक्ति खंडन करे के प्रयास करते ।

ओकन्हीं बकलेयेव के मकान के नगीच पहुँच चुकले हल, जाहाँ पर पुलख़ेरिया अलिक्सांद्रोव्ना आउ दुन्या बहुत देर से ओकन्हीं के इंतजार में हला । बहस के जोश में आके, रज़ुमिख़िन रस्तावा में मिनट-मिनट पर रुक जा हलइ, ई बात से सकुचाल आउ उत्तेजित, कि ओकन्हीं पहिले तुरी एकरा बारे खुलके बात कर रहते जा हलइ ।

"मत विश्वास करऽ !" भावशून्य आउ लपरवाह मुसकान के साथ रस्कोलनिकोव जवाब देलकइ, "तूँ तो अपन आदत के मोताबिक कुच्छो पर ध्यान नयँ दे रहलऽ हल, लेकिन हम हरेक शब्द के तौल रहलिए हल ।"
"तूँ तो शंकालु हकऽ, ओहे से हरेक शब्द के तौल रहलऽ हल ... हूँ ... वास्तव में, हम सहमत हियो, पोरफ़िरी के बात करे के लहजा अजीब हलइ, आउ खास करके ई नीच ज़म्योतोव ! ... तूँ सही कहऽ हो, ओकरा में कुछ तो हलइ - लेकिन काहे ? काहे लगी ?"
"राते भर में अपन राय बदल लेलकइ ।"
"लेकिन बात उलटे हइ, उलटा ! अगर ओकन्हीं के ई बेवकूफी भरल विचार रहते हल, त ओकन्हीं यथाशक्ति एकरा छिपावे के कोशिश करते हल आउ अपन पत्ता सब गुप्त रखते हल, ताकि तोरा बाद में पकड़ल जा सकइ ... लेकिन अभी - ई ढिठाई आउ लपरवाही हलइ !"

"अगर ओकन्हीं के पास तथ्य होते हल, मतलब वास्तविक तथ्य, चाहे कुच्छो पक्का सन्देह, तब ओकन्हीं वास्तव में अपन खेल के छिपावे के कोशिश करते हल - आउ बड़गर जीत के आशा में (लेकिन, ई हालत में बहुत पहिलहीं तलाशी ले चुकते हल !) । लेकिन ओकन्हीं के पास कोय तथ्य नयँ हइ - एक्को गो नयँ - सब कुछ मृगमरीचिका हइ, सब कुछ दू छोर पर, बस उड़ रहल विचार - ओहे से ओकन्हीं हमरा ढिठाई से उखाड़े के कोशिश कर रहले ह । आउ शायद, ऊ खुद्दे गोसाल हइ, कि तथ्य नयँ हके, आउ झुंझलाहट में अपन बात उगल देलकइ । चाहे शायद, कुछ ओकर दिमाग में हइ ... ऊ अदमी, लगऽ हइ, बुद्धिमान हइ ... शायद, ई बात से डरा रहले हल, कि ऊ बात जानऽ हइ ... हियाँ, भाय, अपन मनोविज्ञान हइ ... तइयो, ई सब के सफाई देवे में घृणा आवऽ हइ । छोड़ऽ ई सब बात के !"

"आउ ई अपमानजनक हइ, अपमानजनक ! हम तोरा समझऽ हियो ! लेकिन ... चूँकि हमन्हीं अब खुले तौर पे बातचीत करे लगी शुरू कर देलिए ह (आउ ई बहुत निम्मन बात हइ, कि आखिरकार खुले तौर पे बातचीत शुरू कर देलिए ह, हमरा खुशी हइ !) - ओहे से अभी तोरा से सीधे ई स्वीकार करके कहऽ हियो, कि ई बात ओकन्हीं में हम बहुत पहिलहीं नोटिस कर लेलिए हल, ई विचार, ई पूरे अवधि के दौरान, जाहिर हइ, बिलकुल छोटगर रूप में, रेंगते रूप में, लेकिन काहे लगी खाली रेंगते रूप में ! ओकन्हीं के हिम्मत कइसे होवऽ हइ ? काहाँ, काहाँ ओकन्हीं के जड़ छिप्पल हइ ? काश, तोरा मालूम होतो हल कि हम केतना उबलते रहलूँ ! कइसे - खाली ई वजह से, कि एगो गरीब छात्र, अपन गरीबी आउ रोगभ्रम (hypochondria) के बेमारी से विकलांग होल, सरसाम सहित क्रूर बेमारी से ठीक पहिले, जे ओकरा में शुरुओ हो चुकले होत (ई बात ध्यान देवे लायक हइ !), रोगभ्रमी (hypochondriac), स्वाभिमानी, अपन महत्त्व के जानकार, आउ छो महिन्ना तक अपन कोना में केकरो नयँ देखल, चिथड़ा में आउ बिन तलवा (sole) वला जुत्ता में – कुछ लोकल सिपाही के आगू खड़ी हइ आउ ओकन्हीं के गारी सहब करऽ हइ; आउ हियाँ अप्रत्याशित करजा नाक के सामने, कोर्ट काउंसिलर चेबारोव से बिलंबित वचनपत्र (overdue promissory note), बिसायँध पेंट, तीस डिग्री रोमर (= 37.5 डिग्री सेंटीग्रेड) तापमान, घुटन भरल हावा, लोग के भीड़, एक दिन पहिले होल एगो व्यक्ति के हत्या के कहानी, आउ ई सब कुछ भुक्खल पेट ! त कइसे अइसन हालत में मूर्छित नयँ होतइ ! आउ एकरे पर, एकरे पर सब कुछ आधारित करना ! शैतान ओकरा धरइ ! हम समझऽ हिअइ, कि ई तोरा लगी केतना कष्टदायी होतो, लेकिन तोहर जगह पे, रोदका, हम तो ओकन्हीं के अँखिया के सामने ओकन्हीं पर ठठाके हँसतिए हल, चाहे बेहतर - सबके थोपड़ा पर थु-क-ति-ए हल, आउ थूक-थूकके मोटगर परत जमा देतिए हल, आउ सगरो बीसो तुरी थू-थू करतिए हल - बुद्धिमानी से, जइसन कि ओकन्हीं के साथ हमेशे करे के चाही, आउ एकरे से अंत होते हल । थूक द ओकन्ही पर ! जरी चेहरा पर मुसकान लावऽ ! कइसन शरमनाक बात हइ !"

"ऊ लेकिन एकरा बहुत अच्छा से प्रतिपादित कइलकइ", रस्कोलनिकोव सोचलकइ ।
"ओकन्हीं पर थुक्कल जाय ? आउ बिहान फेर से पूछताछ !" ऊ कड़वाहट से बोललइ, "की वस्तुतः हम ओकन्हीं साथ सफाई देते फिरूँ ? हमरा एहो बात से झुंझलाहट हो रहल ह, कि हमरा कल्हे कलाली में ज़म्योतोव के सामने खुद के नीचा देखावे पड़ल ..."
"भाड़ में जाय ! हम पोरफ़िरी के पास खुद जइबइ ! आउ रिश्तेदार के नाते सब्भे बात ओकरा से उगलवा लेबइ; ऊ हमरा सब कुछ जड़ से साफ-साफ बतावे ! आउ रहलइ ज़म्योतोव के बात ..."
"आखिरकार तो भाँप गेलइ !" रस्कोलनिकोव सोचलकइ ।

"ठहरऽ !" अचानक ओकर कन्हा पकड़के रज़ुमिख़िन चिल्लइलइ, "ठहरऽ ! तूँ गलत कह रहलऽ हल ! हम समझ गेलियो ह - तोहर कहना गलत हको ! ई कइसन गंदा चाल हलइ ? तूँ कहऽ हो, कि मजूरवन के बारे सवाल एगो चाल हलइ ? जरी समझहो - अगर तूँ ई करतहो हल, त की तूँ ई बतइतहो हल, कि हाँ, हम देखलिए हल फ्लैट के पोताय करते ... आउ मजूरवन के ? बल्कि एकर विपरीत - कुच्छो नयँ देखलहो हल, अगर देखवो कइलहो होत तइयो ! केऽ अपने विरुद्ध कबूल करतइ ?"
"अगर हम ई काम करतिए हल, त हम निश्चित रूप से बता देतिए हल, कि मजुरवनो के देखलिए हल, आउ फ्लैटो के", अनिच्छा से आउ स्पष्ट घृणा से रस्कोलनिकोव अपन उत्तर जारी रखलकइ ।
"लेकिन अपने विरुद्ध काहे लगी कुच्छो बोले के ?"

"काहेकि, खाली किसाने, चाहे बिलकुल अनुभवहीन नौसिखिए, पूछताछ के दौरान सीधे आउ लगातार सब कुछ के मामले में इनकार करऽ हइ । कुच्छो विकसित आउ अनुभवी अदमी अवश्य आउ यथासंभव सब्भे बाहरी आउ अपरिहार्य तथ्य के स्वीकार करे के प्रयास करऽ हइ; खाली ऊ सब लगी कारण कुछ आउ ढूँढ़ऽ हइ, अप्पन अइसन बात के ऊ विशेष आउ अप्रत्याशित ढंग से घुमावऽ हइ, जे ओकरा बिलकुल दोसरे मतलब देतइ आउ दोसरे प्रकाश में प्रस्तुत करतइ । पोरफ़िरी के एहे उमीद होतइ, कि हम पक्का ओइसीं जवाब देबइ आउ पक्का ई बतइबइ, कि देखलिए हल, ताकि लगइ कि एकरा में विश्वसनीयता हइ आउ एकर साथे-साथ कुछ तो सफाई खातिर मोड़ दे देबइ ..."

"तब तो ऊ तोरा तुरतम्मे कह देतो हल, कि दू दिन पहिले तो मजुरवन हुआँ होइए नयँ सकऽ हलइ, आउ मतलब कि तूँ खास हत्या के दिनमे सात आउ आठ बजे के बीच में हलहो । आउ ई छोटकुन्ने बात पे तोहरा उखाड़ फेंकतो हल !"
"हाँ, आउ एहे बात पे तो ऊ उमीद लगाके बइठल हलइ, कि हमरा सोचे के मौका नयँ मिल्ले, आउ हम पक्का अधिक सच्चा लगे वला उत्तर देवे में जल्दीबाजी करबइ, आउ ई भूल जइबइ, कि दू दिन पहिले तो मजुरवन हुआँ होइए नयँ सकऽ हलइ ।"

"लेकिन ई बात भुलिए कइसे जाल सकऽ हलइ ?"
"बहुत असान बात हइ ! अइसने सबसे छोटगर बात में तो चलाँक लोग सबसे असानी से फँस जा हइ । अदमी जेतने जादे चलाँक होवऽ हइ, ओतने कम ओकरा ई बात के शक्का रहऽ हइ, कि ऊ छोटगर बात में फँस जा सकऽ हइ । सबसे चलाँक अदमी के सबसे छोटगर बात पर फँसा देवल जा सकऽ हइ । पोरफ़िरी ओतना बेवकूफ नयँ हइ, जेतना तूँ समझऽ हो ..."
"अइसन बात हइ, त ऊ कमीना हइ !"

रस्कोलनिकोव अपन हँसी नयँ रोक पइलकइ । लेकिन ओहे क्षण ओकरा अपन सजीवता आउ इच्छा विचित्र लगलइ, जेकरा से अपन अंतिम सफाई देलकइ, जबकि ऊ अपन पहिलौका सब्भे बातचीत ऊ बड़ी उदास आउ घृणा के भाव से करते रहले हल, जाहिर हइ कोय उद्देश्य से आउ आवश्यकता के चलते ।      
"कुछ बिंदु पे हमरा मजा आवे लगल ह !" ऊ मने-मन सोचलकइ ।

लेकिन लगभग ओहे क्षण ऊ कइसूँ अचानक बेचैन होवे लगलइ, मानूँ ओकरा कोय अप्रत्याशित आउ चिंताजनक विचार दिमाग में आ गेल होवे । ओकर बेचैनी बढ़ते गेलइ । ओकन्हीं बकलेयेव के मकान के प्रवेशद्वार के पास पहुँच चुकले हल ।
"अकेल्ले जा", अचानक रस्कोलनिकोव कहलकइ, "हम अभिए वापिस आवऽ हियो ।"
"तूँ कन्ने जा रहलऽ ह ? हमन्हीं सब तो पहुँच चुकलिए ह !"
"हमरा जरूर जाय पड़त, जरूर; काम हके ... आध घंटा के बाद अइबो ... हुआँ बता दिहो ।"
"तोर मर्जी, लेकिन हमहूँ तोरा साथ चलबो !"

"ई की बात होलइ, तूहूँ हमरा सतावे लगी चाहऽ ह !" ऊ अइसन कड़वा चिड़चिड़ाहट के साथ चिल्लइलइ, आँख में अइसन निराशा के साथ, कि रज़ुमिख़िन के हाथ निच्चे लटक गेलइ । ऊ थोड़े देर तक ड्योढ़ी भिर खड़ी रहलइ आउ उदास भाव से देखते रहलइ, कि कइसे ऊ तेजी से अपन बगल के गली दन्ने डेग बढ़इते चलल जाब करऽ हइ। आखिरकार, दाँत पीसते आउ मुट्ठी भींचते, ओज्जे परी ऊ कसम खइलकइ, कि आझे पोरफ़िरी के पूरा लेमू नियन निचोड़के रख देतइ, आउ ओकन्हीं के एतना लमगर गैरहाजिरी के चलते परेशान होल पुलख़ेरिया अलिक्सांद्रोव्ना के दिलासा देवे खातिर उपरे तरफ चल गेलइ ।

जब रस्कोलनिकोव घर पर पहुँचलइ, ओकर कनपट्टी पसेना से तर हलइ आउ ओकरा साँस लेवे में दिक्कत हो रहले हल । ऊ तेजी से ज़ीना पर चढ़लइ, अपन खुल्लल फ्लैट में घुसलइ आ तुरते सिटकिनी लगा लेलकइ । फेनु डरल आउ पागल नियन ऊ कोना के तरफ झपट के गेलइ, ओहे दरार जाहाँ पर देवार के कागज के पीछू में ओकर समान सब पड़ल हलइ, ऊ दरार में अपन हाथ डललकइ आउ कइएक मिनट तक ओकरा में सवधानी से हाथ से टटोलते रहलइ, सब्भे दरार आउ कागज के हरेक सिलवट के चेक कइलकइ । कुच्छो नयँ मिलला पर ऊ उठ खड़ी होलइ आउ गहरा साँस लेलकइ । जब ऊ बकलेयेव के ड्योढ़ी के पास पहुँचलइ, त ओकरा अचानक दिमाग में अइलइ, कि कहीं कोय चीज, कोय चेन (सिकरी), कोय कालर बोताम, चाहे कोय कागज के पुरजो, जेकरा में सब समान लपेटल हलइ, आउ जेकरा पर बुढ़िया के हाथ से कुछ लिक्खल हलइ, हो सकऽ हइ कि कइसूँ सरकके गिर पड़ल होत आउ कोय छेद में गुम हो गेल होत, आउ बाद में अचानक हमरा सामने अप्रत्याशित रूप से आउ एगो दुर्निवार प्रमाण के रूप में काम करे ।
ऊ विचारमग्न होल जइसे खड़ी रहलइ, आउ विचित्र, अपमानित, अर्ध-निरर्थक मुसकान ओकर होंठ पर छाल रहलइ । आखिरकार ऊ अपन टोपी लेलकइ आउ चुपके से कमरा से निकस गेलइ । ओकर विचार सब उलझल हलइ । विचारमग्न अवस्था में ऊ प्रवेशमार्ग तक गेलइ ।

"अइकी ऊ खुद्दे हथुन !" एगो उँचगर अवाज अइलइ; ऊ अपन सिर उठइलकइ ।
दरबान अपन कोठरी के दरवाजा भिर खड़ी हलइ आउ एगो नटगर अदमी के सीधे ओकरा तरफ इशारा कर रहले हल, जे देखे में व्यापारी लग रहले हल आउ ड्रेसिंग गाउन जइसन लमगर कोट आउ वास्कट पेन्हले हलइ आउ दूर से देखे में बिलकुल औरत जइसन लगऽ हलइ । ओकर सिर, तेल से चिकटल टोपी में, आगू तरफ निच्चे झुक्कल हलइ आउ पूरा-पूरा देहिया कुब्बड़ लगऽ हलइ । ओकर शिथिल, झुर्रीदार चेहरा से ऊ पचास के उपरे उमर के लगऽ हलइ; ओकर छोटगर-छोटगर, सुज्जल आँख से उदासी, कठोरता आउ असंतोष प्रकट हो रहले हल।

"की बात हइ ?" दरबान भिर जाके रस्कोलनिकोव पुछलकइ ।
व्यापारी ओकरा तरफ नाक-भौं सिकोड़ते तिरछा नजर डललकइ आउ ओकरा तरफ एकटक आउ ध्यान से, बिन कोय हड़बड़ी कइले देखलकइ; फेनु धीरे-धीरे मुड़लइ आउ बिन कुच्छो एक्को शब्द बोलले, मकान के फाटक से बाहर निकसके रोड दन्ने चल गेलइ ।

"की बात हइ !" रस्कोलनिकोव चिल्लइलइ ।
"अइकी एगो कोय अदमी पूछ रहले हल, कि की हियाँ कोय छात्र रहऽ हइ, तोहर नाम लेलकइ, आउ पुछलकइ केकर किरायेदार हइ । ओहे बखत तूँ अइलहो, हम इशारा कइलिअइ, आउ ऊ चल गेलइ । बस एतने बात हइ ।"
दरबानो कुछ हैरान हलइ, लेकिन ओतना नयँ, आउ कुछ देर सोचला के बाद मुड़लइ आउ वापिस अपन कोठरी में चल गेलइ ।

रस्कोलनिकोव व्यापारी के पीछू-पीछू लपकल गेलइ आउ तुरतम्मे ओकरा देखलकइ, जे रोड के दोसरा पट्टी से जा रहले हल, पहिलौके समरूप गति से आउ बिन कोय जल्दीबाजी के डेग भरते जा रहले हल, जमीन तरफ नजर गड़इले आउ मानूँ कुछ सोचते । थोड़िक्के देर में ओकरा भिर पहुँच गेलइ, लेकिन थोड़े देरी तक ओकर पीछू-पीछू चलते गेलइ; आखिरकार ओकर बराबर तक पहुँचके तिरछे नजर से ओकर चेहरवा दने देखलकइ । ऊ अदमिया एकरा तुरते नोटिस कर लेलकइ, तेजी से एकरा तरफ देखलकइ, लेकिन फेर से अपन नजर निच्चे कर लेलकइ, आउ अइसीं दुन्नु, मिनट भर तक चलते रहलइ, दुन्नु एक दोसरा के अगले-बगल आउ बिन एक्को शब्द बोलले ।

"अपने हमरा बारे पूछ रहलथिन हल ... दरबान से ?" आखिरकार रस्कोलनिकोव बोललइ, लेकिन कइसूँ बहुत धीमे स्वर में ।
ऊ व्यापारी कोय जवाब नयँ देलकइ आउ न ओकरा तरफ नजर कइलकइ । फेर थोड़े देर दुन्नु चुप रहलइ ।
"ई की बात होलइ ...पुच्छे लगी आवऽ हथिन ... आउ चुप्पी साधले रहऽ हथिन ... एकर की मतलब हइ ?"
रस्कोलनिकोव अटक-अटकके बोललइ, आउ जइसे शब्द ओकर मुँह से साफ-साफ नयँ निकस रहले हल ।
अबरी व्यापारी अपन नजर उपरे कइलकइ आउ रस्कोलनिकोव तरफ अशुभ आउ उदास दृष्टि से देखलकइ ।
"हत्यारा !" ऊ अचानक धीमे अवाज में, लेकिन स्पष्ट आउ परिस्फुट (clear and distinct) स्वर में बोललइ ...
     
रस्कोलनिकोव ओकर साथ-साथ चलते रहलइ । ओकर गोड़ में अचानक भयंकर रूप से कमजोरी महसूस होवे लगलइ, ओकर मेरुदंड में शीत लहर दौड़ गेलइ, आउ ओकर दिल के धड़कन मानूँ पल भर लगी बन हो गेलइ; बाद में अचानक धड़धड़ाय लगलइ, मानूँ हुक से अजाद हो गेल होवे । अइसीं ओकन्हीं करीब सो डेग तक चलते रहलइ, पास-पास आउ बिलकुल चुपचाप ।
व्यापारी ओकरा तरफ नजर नयँ कइलकइ ।
"अपने के कहे के की मतलब हइ ... की ... के हइ हत्यारा ?" मोसकिल से सुनाय पड़े वला अवाज में रस्कोलनिकोव बड़बड़इलइ ।

"तूँ हत्यारा", ऊ बोललइ, आउ साफ-साफ आउ प्रभावशाली ढंग से, आउ मानूँ विजय के घृणा भरल मुसकान के साथ, आउ फेर सीधे रस्कोलनिकोव के पीयर पड़ल चेहरा आउ ओकर मरल नियन आँख तरफ देखलकइ । तखने दुन्नु एगो चौक तक पहुँच चुकले हल । व्यापारी चौक के बामा तरफ के सड़क दने बिन पीछू तरफ देखले मुड़ गेलइ । रस्कोलनिकोव ओज्जे परी ठहर गेलइ आउ ओकरा जइते पीछू से देखते रहलइ । ऊ देखलकइ, कि ऊ कोय पचास डेग आगू जाके पीछू मुड़के ओज्जे परी खड़ी-खड़ी बिन हिलले-डुलले  एकरा तरफ देखलकइ । ठीक से ओकरा देखना तो मोसकिल हलइ, लेकिन रस्कोलनिकोव के लगलइ, कि अभियो ओकर होंठ पर शीत घृणा आउ विजय के मुसकान हलइ ।

धीमा, कमजोर डेग भरते आउ थरथरइते टेहुना के साथ आउ मानूँ भयंकर रूप से ठंढाल, रस्कोलनिकोव वापिस मुड़लइ आउ उपरे चढ़के अपन कमरा में गेलइ । ऊ अपन टोपी उतार लेलकइ आउ ओकरा टेबुल पर रख देलकइ आउ ओकर बगल में करीब दस मिनट तक बिन हिलले-डुलले खड़ी रहलइ । फेनु ऊ कमजोरी के हालत में सोफा पर पड़ गेलइ आउ बेमार नियन एगो हलका कराह के साथ ओकरा पर पूरा देह पसार लेलकइ; ओकर आँख बन हलइ । अइसीं ऊ करीब आध घंटा तक पड़ल रहलइ । ऊ कुच्छो चीज के बारे नयँ सोच रहले हल । अइसीं कोय तरह के विचार, चाहे विचार के अंश हलइ, कोय तरह के अव्यवस्थित आउ बिन आपस में कोय संबंध के - अइसन लोग के चेहरा, जेकरा कभी बचपन में देखलके हल, चाहे जेकरा से कहीं पर खाली एक तुरी भेंट होले हल, आउ जेकरा बारे ओकरा कभी आदो नयँ अइले हल; वे॰ गिरजाघर के घंटाघर (belfry); एगो शराबखाना के बिलियर्ड के टेबुल आउ बिलियर्ड खेलते कोय अफसर, कोय तहखाना में तमाकू के दोकान में सिगार के गन्ह, कलाली, बिलकुल अन्हार कार ज़ीना, जेकरा पर धोवन-धावन वला गंदा पानी आउ अंडा के छिलका भरल, आउ कहीं से एतवार के बजते घंटा के अवाज आ रहल ह ... एक के बाद एक चीज अइते रहलइ आउ चक्रवात नियन चक्कर काटते रहलइ । ओकरा में से कुछ ओकरा अच्छो लग रहले हल, आउ ऊ ओकरा से चिपके ल चहलकइ, लेकिन ऊ धुंधला होते-होते गायब हो जा हलइ, आउ सामान्यतः कुछ तो ओकरा अंदर से दबाव डाल रहले हल, लेकिन बहुत जादे नयँ । कभी-कभी ओकरा अच्छो लगऽ हलइ ... हलका सिहरन नयँ जा रहले हल, लेकिन एकरो ऊ लगभग अच्छा अनुभव कर रहले हल ।

ओकरा रज़ुमिख़िन के तेज कदम के आहट आउ ओकर अवाज सुनाय देलकइ, ऊ अपन आँख बन कर लेलकइ आउ सुत्तल होवे के ढोंग कइलकइ । रज़ुमिख़िन दरवाजा खोललकइ आउ कुछ देरी तक चौकठिए भिर खड़ी रहलइ, मानूँ कुछ सोच रहल होवे । बाद में चुपके से कमरा में डेग बढ़इते अइलइ आउ सवधानी से सोफा भिर अइलइ । नस्तास्या के फुसफुसाहट सुनाय देलकइ -
"उनका जगाहो मत; सुत्ते देहो; बाद में खाना खा लेथिन ।"
"सही बात हइ", रज़ुमिख़िन जवाब देलकइ ।
दुन्नु सवधानी से बाहर निकस गेलइ आउ दरवाजा बन कर देलकइ । करीब आध घंटा आउ गुजर गेलइ । रस्कोलनिकोव आँख खोललकइ आउ फेर से चित होके लेट गेलइ, अपन दुन्नु हाथ के सिर के पीछू करके ।

"ऊ केऽ हइ ? ई अदमी केऽ हइ, जे जमीन के अंदर से बाहर अइले ह ? काहाँ हलइ ऊ, आउ की देखलकइ ? ऊ सब कुछ देखलकइ, एकरा में तो कोय शंका नयँ हइ । तखने ऊ काहाँ खड़ी हलइ आउ काहाँ से देख रहले हल ? काहे ऊ अभिए फर्श के निच्चे से बाहर आवऽ हइ ? आउ ऊ कइसे देख पइलकइ - की ई वास्तव में संभव हइ ? ... हूँ ...", रस्कोलनिकोव सोचते रहलइ, ओकर देह ठंढा पड़ गेलइ आउ ऊ काँप उठलइ, "आउ ऊ डिबिया, जे निकोलाय के दरवजवा के पीछू मिललइ - की एहो संभव हइ ? सबूत ? एक लाख में एगो छोट्टे गो चीज के अनदेखी कइल जा सकऽ हइ - लेकिन ई तो मिस्र के पिरामिड नियन बड़गो सबूत हइ ! एगो मक्खी उड़के गेलइ, आउ देख लेलकइ ! अइसन की संभव हइ ?"

आउ ऊ अचानक नफरत के साथ महसूस कइलकइ, कि ऊ केतना कमजोर हो गेले हल, शारीरिक रूप से केतना कमजोर हो गेले हल ।
"ई हमरा जाने के चाही हल", ऊ कटु मुसकान के साथ सोचलकइ, "आउ खुद के जानते, अपना बारे पूर्वाभास होतहूँ, हम कइसे हिम्मत कइलूँ कुलहाड़ी लेके खून बहावे के ! हमरा पहिलहीं समझ लेवे के चाही हल ... अरे ! हमरा तो पहिलहीं से मालूम हलइ ! ..." निराशा में ऊ फुसफुसइलइ ।

कभी-कभी ऊ कोय विचार पर स्थिर रूप से अटकल रह जा हलइ –
"नयँ, अइसन लोग ई तरह के नयँ बनवल रहऽ हइ; सच्चा प्रशासक, जेकरा सब कुछ के छूट रहऽ हइ - तूलोन के तबाह कर दे हइ, पेरिस में कत्ले-आम मचा दे हइ, मिस्र में अपन फौज के भूल जा हइ, मास्को अभियान में पाँच लाख लोग (सैनिक) के खो दे हइ, आउ विलनो में हँसी-मजाक में समय गुजारऽ हइ; आउ ओकरे लगी, मौत होला पर, स्मारक बनावल जा हइ - मतलब कि सब कुछ के छूट मिल जा हइ [1] । नयँ, अइसन अदमी के शरीर, वस्तुतः, मांस के नयँ, बल्कि काँसा के बन्नल होवऽ हइ !"          

एगो अचानक विचित्र विचार ओकर दिमाग में अइलइ, जे ओकरा लगभग हँसा देलकइ -
"नेपोलियन, पिरामिड, वाटरलू - आउ एगो मरियल दुष्ट, रजिस्ट्रार के विधवा, बुढ़िया, समान गिरवी रक्खेवली, जेकर पलंग के निच्चे लाल सन्दूक हलइ - ई सब के पोरफ़िरी पित्रोविच कइसे हजम कर पइतइ ! ... ओकन्हीं के ई हजम नयँ होवे वला ! ... सौन्दर्य एकरा में बाधा डालतइ - 'नेपोलियन कहीं एगो बुढ़िया के पलंग के निच्चे रेंगके जा हइ' ! ओह, की बकवास हइ ! ..."
कोय पल ओकरा लगऽ हलइ, कि जइसे ऊ बड़बड़ाब करऽ हइ - ऊ ज्वरपीडित उल्लासपूर्ण मिजाज में पड़ गेले ह।

"बुढ़िया तो बकवास हइ !" ऊ उत्तेजित होके आउ अचानक सोचलकइ, "बुढ़िया तो शायद एगो गलती हलइ, लेकिन ओकरा में कोय बात नयँ हइ ! बुढ़िया खाली एगो बेमारी हलइ ... हमरा हद पार करे के जल्दी हले ... हम एगो व्यक्ति के हत्या नयँ कइलिअइ, बल्कि एगो सिद्धान्त के हत्या कइलिअइ ! सिद्धान्त के तो हत्या कर देलिअइ, लेकिन हम हद नयँ पार कर पइलिअइ, हम एहे पट्टी रह गेलिअइ ... खाली हम हत्या कर पइलिअइ । लेकिन ओहो हम नयँ कर पइलिअइ, अइसन लगऽ हइ ... सिद्धान्त ? हाल में ऊ बेवकूफ रज़ुमिख़िन समाजवादी लोग के गरियाब काहे लगी कर रहले हल ? ऊ परिश्रमी आउ कारोबारी लोग होवऽ हइ; ‘सार्वजनिक सुख’ ओकन्हीं के उद्देश्य हइ ... नयँ, हमरा जिनगी खाली एक तुरी मिल्लल ह, आउ आगू कभी नयँ रहत - हम ‘सार्वजनिक सुख’ के इंतजार में नयँ रहे ल चाहऽ ही । हम खुद्दे जीये लगी चाहऽ ही, अन्यथा बेहतर तो ई हइ कि जीने बेकार हइ । तब की ? हम ई नयँ चाहम कि हमर माय भुक्खल मरल जा रहल होवे आउ हम ओकरा भिर से अपन जेभी में रूबल रखले ‘सार्वजनिक सुख’ के इंतजार में गुजर जाऊँ । ई कहना कि 'हम एगो अइँटा सार्वजनिक सुख खातिर ढो रहलूँ हँ आउ ओकरा से मन के शांति अनुभव हो रहल ह' [2] । हा-हा ! त तोहन्हीं सब हमरा काहे लगी छोड़ देते गेलहो ? हमरा खाली एक्के जिनगी हके, आउ हमहूँ चाहऽ हूँ ... ओह, हम एगो संवेदनशील चिल्लड़ (जूँ) हकूँ, आउ एकरा से जादे कुछ नयँ ।" अचानक ऊ पागल नियन हँसते-हँसते बोललइ । "हाँ, हम वास्तव में एगो चिल्लड़ हकूँ", ऊ बात जारी रखलकइ, पैशाचिक आनंद के साथ ई विचार से चिपकते, ओकरा उलटते-पुलटते, एकरा से खेलते आउ आनंद लेते, "आउ ई खाली एकरा चलते, कि पहिला, हम ई तर्क कर सकऽ हूँ कि हम चिल्लड़ हकूँ; आउ दोसरा ई कारण से, कि पिछला एक महिन्ना से हितैषी नियति के परेशान कर रहलूँ हँ, ई बात के गोवाह बन्ने खातिर कि हम अपन दैहिक आउ कामुक लालसा के संतुष्टि लगी नयँ, बल्कि एगो भव्य आउ उदात्त उद्देश्य लगी ई काम के बीड़ा उठा रहलूँ हँ - हा-हा ! तेसरा, ई कारण से कि ई काम के निभावे में यथासंभव न्यायपूर्ण ढंग अपनइलिअइ, भार, माप आउ अंकगणित - सबसे बेकार चिल्लड़ के चुनलिअइ, आउ ओकरा मारके, ओकरा हीं से ठीक ओतने लेवे के निर्णय कइलिअइ, जेतना हमरा पहिला कदम में जरूरत हलइ, आउ न जादे, न कम (आउ बाकी बचलइ ऊ तो अइसीं मठ में जइवे करतइ, ओकर वसीयत के मोताबिक - हा-हा !) ... काहेकि, काहेकि हम तो आखिरकार एगो चिल्लड़ हकिअइ", ऊ दाँत पीसते आगू बोललइ, "काहेकि हम खुद्दे, शायद, ऊ चिल्लड़ से जादे नीच आउ घिनौना हकिअइ, जेकरा हम मार देलिअइ, आउ ई हमरा पहिलहीं से आभास हो रहले हल, कि हम खुद से एहे कहबइ, जइसीं ओकरा हम मार देबइ ! की वास्तव में अइसन भयंकरता से कोय चीज के तुलना हो सकऽ हइ ! ओह, कइसन ओछापन ! ओह, कइसन नीचता ! ... ओह, हम घोड़ा पर सवार 'पैगंबर' के केतना अच्छा से समझ सकऽ हूँ । अल्लाह के हुकुम हइ - 'ए काँपते जीव' [3] हुकुम मान ! सही हइ, ठीक हइ 'पैगंबर', जब ऊ सड़क के कहीं चौक पर नि-म्म-न लश्कर के खड़ी कर दे हइ आउ बेगुनाह आउ गुनहगार दुन्नु के सफाया कर दे हइ, बिन कोय वजह बतइले कि ऊ काहे अइसन कइलकइ ! हुकुम मान, काँपते जीव, आउ कोय कामना नयँ कर, काहेकि ई तोर काम नयँ हउ ! ... ओह, कभियो, कभियो हम ऊ बुढ़िया के माफ नयँ करबइ !"

ओकर केश पसेना से भिंग्गल हलइ, ओकर काँपइत होंठ सूख गेले हल, ऊ एकटक नजर से छत तरफ निहार रहले हल ।
"माय, बहिन - केतना प्यार करऽ हलिअइ ओकन्हीं से ! अब ओकन्हीं से काहे नफरत करऽ हिअइ ? हाँ, हम ओकन्हीं से नफरत करऽ हूँ, शारीरिक रूप से हम घृणा करऽ हूँ, ओकन्हीं के हमरा पास रहना बरदास नयँ होवऽ हके ... हाल में हम पास जाके मइया के चुम्बन लेलूँ, हमरा आद हके ... आलिंगन करूँ आउ सोचूँ, कि अगर ओकरा मालूम पड़ जाय, तो ... त की ओकरा वास्तव में बता दूँ ? ई हमरा से हो सकऽ हइ ... हूँ ! ओहो ओइसने होतइ, जइसन हम हकूँ", ऊ दिमाग पर जोर लगाके सोचलकइ, मानूँ सरसाम के शिकार हो रहल ऊ एकरा से संघर्ष कर रहल होवे ।

"ओह, ऊ बुढ़िया से अभी हमरा केतना नफरत हके ! लगऽ हके, कि अगर ऊ पुनर्जीवित हो जाय, त ओकारा दोबारा मार दिअइ ! बेचारी लिज़ावेता ! ऊ काहे लगी ओज्जा आ गेलइ ! ... हलाँकि, विचित्र बात हइ, कि काहे ओकरा बारे लगभग सोचवे नयँ करऽ हिअइ, जइसे ओकर हम हत्या करवे नयँ कइलिए हल ? ... लिज़ावेता ! सोनिया ! बेचारी, सीधी-सादी, सादगी भरल आँख वली ... प्यारी ! ... काहे ओकन्हीं नयँ कन्नऽ हइ ? काहे ओकन्हीं नयँ कराहऽ हइ ? ... ओकन्हीं सब कुछ दे दे हइ ... सीधी-सादी नियन आउ शांतिपूर्वक दृष्टि डालऽ हइ ... सोनिया, सोनिया ! शांत सोनिया ! ..."

ऊ भुलक्कड़ हो गेलइ; ओकरा विचित्र लग रहले हल, कि ओकरा ई आदे नयँ हकइ, कि ऊ कइसे सड़क पर पहुँच गेलइ । देर साँझ हो चुकले हल । गोधूलि वेला गहराय लगले हल, पुनियाँ के चान के चमक तीव्रतर आउ तीव्रतर होते जा रहले हल; लेकिन हावा में कइसूँ विशेष घुटन हलइ । सड़कियन पर लोग के भीड़ हलइ; कारीगर आउ दफ्तर के लोग घर जाब करऽ हलइ, दोसर लोग टहल रहले हल; गारा, धूरी, आउ ठहरल पानी के गन्ह आब करऽ हलइ । रस्कोलनिकोव उदास आउ चिंता में डुब्बल जाब करऽ हलइ - ओकरा बहुत अच्छा से आद हलइ, कि ऊ घर से कोय तो विशेष उद्देश्य से निकसले हल, कि कुछ तो ओकरा करे के हलइ आउ एकर जल्दीबाजी हलइ, लेकिन ठीक कउची हलइ, ऊ भूल गेलइ । अचानक ऊ ठहर गेलइ आउ देखलकइ, कि रोड के दोसरा छोर के फुटपाथ पर एगो अदमी खड़ी हइ आउ ओकरा तरफ हाथ हिलाब करऽ हइ । ऊ रोड पार करके ओकरा तरफ गेलइ, लेकिन अचानक ई अदमी मुड़ गेलइ आउ मूड़ी गोतले बिन वापिस देखले अइसे आगे बढ़ गेलइ, जइसे कुछ होवे नयँ कइले हल, आउ ओकरा ऊ कोय इशारे नयँ कइलके हल । "लेकिन की वास्तव में ऊ हमरा इशारा कइलके हल ?" रस्कोलनिकोव सोचलकइ, आउ तइयो ऊ ओकरा पीछू-पीछू गेलइ । मोसकिल से ऊ दस डेग आगू गेले होत, कि ऊ अचानक ओकरा पछान लेलकइ आउ डर गेलइ; ई आझ वला ओहे व्यापारी हलइ, ओहे लमका कोट में आउ ओइसने कुब्बड़ । रस्कोलनिकोव ओकरा से कुछ दूरी बनाके जा रहले हल; ओकर दिल धड़धड़ कर रहले हल; दुन्नु एगो बगल के गल्ली में मुड़ गेते गेलइ - ऊ अदमी अभियो पीछू मुड़के नयँ देखलकइ । "की ओकरा मालूम हइ, कि ओकर पीछू-पीछू हम जा रहलिए ह ?" रस्कोलनिकोव सोचलकइ । ऊ व्यापारी एगो बड़का घर के फाटक में घुसलइ । रस्कोलनिकोव तेजी से फाटक भिर पहुँच गेलइ आउ हुलकके देखे लगलइ, कि कहीं ऊ ओकरा पीछू मुड़के बोलावऽ हइ कि नयँ । वास्तव में, प्रवेशमार्ग पूरा पार करके आउ अहाता के अंदर निकस गेला पर, ऊ अदमी अचानक मुड़के देखलकइ आउ फेर से लगलइ कि ओकरा हाथ से इशारा कइलकइ । रस्कोलनिकोव तुरतम्मे प्रवेशमार्ग पार कर गेलइ, लेकिन अहाता में ऊ व्यापारी देखाय नयँ देलकइ । मतलब, ऊ हियाँ अभिए पहिला ज़ीना पर चल गेले हल । रस्कोलनिकोव लपकके ओकर पीछू गेलइ । वास्तव में, दू ज़ीना उपरे केकरो नापल-जोखल (steady), अत्वरित (unhurried) कदम के आहट सुनाय देब करऽ हइ । विचित्र बात हलइ, कि ई ज़ीना जइसे ओकरा जानल-पछानल हलइ ! अइकी पहिला मंजिल पर के खिड़की हइ; चान के रोशनी एकर काँच से होके फीका आउ रहस्यमय रूप से आ रहले हल; आउ अइकी दोसरा मंजिल हइ । वाह ! ई तो ओहे फ्लैट हकइ, जेकरा में मजूरवन पोताय के काम कर रहले हल ... कइसे ऊ तुरतम्मे नयँ पछान पइलकइ ? उपरे जाय वला अदमी के कदम के आहट शांत पड़ गेलइ - "मतलब, ऊ रुक गेले होत, चाहे कहीं परी छिप गेले होत ।" अइकी अब तेसरा मंजिल हइ; की आउ आगू जाल जाय ? आउ हुआँ कइसन सन्नाटा हलइ, बल्कि भयानक भी ... लेकिन ऊ बढ़ते गेलइ । ओकर खुद के कदम के अवाज ओकरा डेराऽ रहले हल आउ चिंतित कर देलके हल । हे भगमान, कइसन अन्हेरा ! व्यापारी शायद कहीं कोना में छिप्पल होतइ । ओह ! फ्लैट तो ज़ीना तरफ पूरा खुल्ला हलइ, ऊ थोड़े देरी सोचलकइ आउ अंदर घुस गेलइ । ड्योढ़ी में बहुत अन्हेरा हलइ आउ खाली हलइ, एगो आत्मा तक नयँ हलइ, मानूँ सब कुछ हटा लेवल गेले हल; ऊ दबे पाँव अतिथि-गृह (drawing-room) में गेलइ - पूरा कमरा में तेज चाँदनी छिटकल हलइ; सब कुछ हियाँ पर पहिले जइसन हलइ - कुरसियन, दर्पण, पियरका सोफा, फ्रेम में लग्गल तस्वीर सब । खिड़कियन में से बड़का, गोल, तामा जइसन लाल चान सीधे झाँक रहले हल । "चान के वजह से एतना शांति हइ", रस्कोलनिकोव सोचलकइ, "ई शायद अभी कोय पहेली बुझा रहले ह ।" ऊ खड़ी होके इंतजार करे लगलइ, देरी तक इंतजार कइलकइ, आउ चान जेतने जादे शांत होल जा हलइ, ओतने जादे ओकर दिल के धड़कन तेज होल जा हलइ, हियाँ तक कि ओकरा दरद होवे लगलइ । आउ सन्नाटा लगातार छाल रहलइ । अचानक एगो सुक्खल टहनी के चटके जइसन क्षणिक अवाज सुनाय देलकइ, आउ फेर सब कुछ शांत हो गेलइ । एगो जग्गल मक्खी अचानक उड़के खिड़की के काँच से टकरइलइ आउ दरद से भिनभिनइते रहलइ । ठीक ओहे क्षण, कोनमा में, एगो छोटगर अलमारी आउ खिड़की के बीच में, देवलिया पर ओकरा मानूँ एगो औरतानी ओवरकोट लटकल देखाय देलकइ । "हियाँ ओवरकोट काहे हइ ?", ऊ सोचलकइ, "पहिले तो ई नयँ हलइ ...।" ऊ धीरे-धीरे पास गेलइ आउ ओकरा लगलइ, कि जइसे ओवरकोट के पीछू कोय तो छिप्पल हकइ । सवधानी से ऊ हाथ से ओवरकोट के अलगे कइलकइ आउ देखलकइ, कि हियाँ परी एगो कुरसी हइ, आउ कुरसी पर एक कोना में बुढ़िया बइठल हइ, बिलकुल कमर से दोहरी होल आउ मूड़ी गोतले, ई तरह से कि ऊ कइसहूँ ओकर चेहरा नयँ देख पइलकइ, लेकिन ई हलइ ओहे । ऊ खड़ी होल ओकरा उपरे से देखते रहलइ - "डर रहले ह !", ऊ सोचलकइ, आउ चुपके से कुलहाड़ी के फंदा से अलगे कइलकइ आउ बुढ़िया के सिर के चोटी पर प्रहार कइलकइ, एक तुरी आउ दोसरा तुरी । लेकिन विचित्र बात हलइ - ऊ जरी सनी हिलवो नयँ कइलकइ, जइसे ऊ लकड़ी के बन्नल होवे । ऊ डर गेलइ, झुकके आउ पास से ओकरा देखे लगलइ; लेकिन ओहो अपन सिर आउ निच्चे झुका लेलकइ । तब ऊ बिलकुल फर्श तक झुक गेलइ आउ ओकरा चेहरा तरफ निच्चे से देखलकइ, देखलकइ आउ मानूँ मरल नियन हो गेलइ - बुढ़िया बइठल हँस रहले हल - ऊ अइसन अश्रव्य (inaudible) हँसी हँस रहले हल आउ पूरा जोर लगाके कोशिश कर रहले हल कि ओकरा (रस्कोलनिकोव के) सुनाय नयँ दे । अचानक ओकरा अइसन लगलइ, कि शयनकक्ष से दरवजवा जरी सुनी खुललइ, कि हुओं से मानूँ हँस्से आउ फुसफुसाय के अवाज सुनाय पड़लइ । ओकरा बहुत गोस्सा अइलइ - पूरा जोर लगाके ऊ बुढ़िया के सिर पे प्रहार करे लगलइ, लेकिन हरेक प्रहार के साथ शयनकक्ष से हँस्सी आउ फसफुसाहट के अवाज तीव्रतर आउ तीव्रतर होल गेलइ, आउ बुढ़िया तो हँस्सी के मारे लोट-पोट हो रहले हल । ऊ भाग जाय लगी चहलकइ, लेकिन पूरा प्रवेशमार्ग अब लोग से भर चुकले ह, ज़ीना पर के दरवजवन पूरा के पूरा खुल्लल हइ, आउ चबूतरा (landing) पर, ज़ीना पर आउ हुआँ निच्चे तरफ - सगरो लोग के भीड़, सब्भे देखब करऽ हइ - लेकिन सब्भे कोय साँस रोकके इंतजार कर रहले ह, चुपचाप ... ओकर दिल बइठ गेलइ, गोड़ हिल्लब नयँ कर रहल ह, जम गेल ह ... ऊ चिल्लाय लगी चहलकइ आउ - जग गेलइ ।

ऊ गहरा साँस लेलकइ - लेकिन विचित्र बात हलइ, सपना मानूँ अभियो तक जारी हलइ - ओकर दरवाजा पूरा-पूरा खुल्लल हलइ, आउ दहलीज पर ओकरा लगी एगो बिलकुल अपरिचित अदमी खड़ी हलइ आउ एकटक ओकरा तरफ तक रहले हल । रस्कोलनिकोव अभी अपन अँखिया पूरा खोलियो नयँ पइलके हल कि तुरतम्मे फेर ओकरा मून लेलकइ । ऊ चित पड़ल हलइ आउ बिलकुल हिल-डुल नयँ रहले हल । "ई सपना अभी तक जारी हइ, कि नयँ ?" ऊ सोचलकइ, आउ एक झलक लेवे खातिर अपन पलक लगभग अदृश्य नियन थोड़े सनी उपरे उठइलकइ - अपरिचित ओहे जगुन खड़ी हलइ आउ ओकरा तरफ अभी तक घूर रहले हल । अचानक ऊ सवधानी से दहलीज पार कइलकइ, अपन पीछू दरवाजा सवधानी से बन कर लेलकइ, टेबुल भिर गेलइ, एक मिनट इंतजार कइलकइ - ई पूरा अवधि के दौरान ओकरा तरफ से बिन अपन नजर हटइले - आउ चुपचाप, बिन कोय अवाज कइले, सोफा के पास के कुरसी पर बइठ गेलइ; ऊ अपन टोपी बगल में फर्श पर रख देलकइ, आउ अपन ठुड्डी के हथवा पर झुकाके दुन्नु हथवा से छड़िया पर टिका लेलकइ । जाहिर हलइ कि ऊ देरी तक इंतजार करे लगी तैयार हलइ । पलक मिरमिरइते जेतना देखना संभव हलइ, ऊ अदमी जवानी पार कर चुकले हल, गठीला बदन के हलइ आउ ओकर दाढ़ी घनगर, हलका सुनहरा, लगभग उज्जर हलइ ...

दस मिनट गुजर गेलइ । अभियो उजेला हलइ, लेकिन बेर डुब्बे लगले हल । कमरा में बिलकुल सन्नाटा हलइ । ज़ीना से भी कोय अवाज नयँ आब करऽ हलइ । खाली एक प्रकार के बड़गर मक्खी भिभिनइते खिड़की के काँच से फड़फड़ाके टकराब करऽ हलइ । आखिरकार, ई बरदास के बाहर हो गेलइ - रस्कोलनिकोव अचानक उठके सोफा पर बइठ गेलइ ।

"अच्छऽ, बताथिन, अपने के की चाही ?"
"हमरा मालूम हलइ, कि अपने सुत्तल नयँ हथिन, आ खाली अइसन देखाब करऽ हथिन", अपरिचित शांत भाव से हँसते विचित्र ढंग से जवाब देलकइ । "हमरा अपन परिचय देवे के अनुमति देथिन - हम हकिअइ अर्कादी इवानोविच स्विद्रिगाइलोव ..."

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Sunday, April 05, 2015

अपराध आउ दंड - भाग – 3 ; अध्याय – 5

अपराध आउ दंड

भाग – 3

अध्याय – 5

ऊ (रस्कोलनिकोव) अब कमरा में प्रवेश कर रहले हल । ऊ अइसन सूरत लेले अंदर घुसलइ, जइसे खुद के अपन पूरा जोर लगाके नियंत्रित कइले हलइ, ताकि ओकर मुँह से कइसूँ ठहाका नयँ निकस जाय । ओकरा पीछू, बिलकुल उलटल आउ उग्र चेहरा-मुहरा के साथ, गुलाब (peony) नियन लाल, लमछड़ आउ बेढंगा नियन, लजइते रज़ुमिख़खिन अंदर अइलइ । ओकर चेहरा आउ समुच्चा देह-धच्चर वास्तव में ई पल में हास्यास्पद हलइ आउ रस्कोलनिकोव के हँसी के समर्थन कर रहले हल । रस्कोलनिकोव, जेकर अभियो तक परिचय नयँ करावल हलइ, कमरा के बीच में खड़ी आउ प्रश्नात्मक दृष्टि से ओकन्हीं के तरफ देख रहल मेजबान के तरफ झुकके अभिवादन कइलकइ, आउ अपन हाथ ओकरा सामने आगे बढ़इलकइ, जे अभियो तक स्पष्टतः अत्यधिक प्रयास से अपन आनंद के नियंत्रित कर रहले हल आउ कम से कम दू-तीन शब्द अपन परिचय के रूप में बोले ल चाह रहले हल । लेकिन मोसकिल से ऊ गंभीर मुद्रा धारण करे में आउ कुछ बोले में अभी सफल होल हल, कि अचानक मानूँ अनजाने में ओकर नजर फेर से रज़ुमिख़िन पर पड़ गेलइ आउ हियाँ पर ऊ खुद के नियंत्रित नयँ कर पइलकइ - हँसी के जेतने जोर से अब तक नियंत्रित करके रखले हलइ, ओतने ऊ आउ अनियंत्रित होके फूट पड़लइ । असाधारण भयंकरता, जेकरा साथ रज़ुमिख़िन ई "सहज" हँसी के ले रहले हल, ई पूरे दृश्य के अत्यंत वास्तविक आनंद, आउ मुख्य रूप से, स्वाभाविकता के वातावरण पैदा कर देलकइ । रज़ुमिख़िन, मानूँ जान-बूझके, ई वातावरण के मदद कर रहले हल ।

"उफ, शैतान कहीं के !" अपन हाथ घुमइते ऊ गरजलइ, आउ तुरते एगो छोटगर गोलगंटा टेबुल पर प्रहार कइलकइ, जेकरा पर एगो पीयल जा चुकल चाय के एगो खाली गिलास रक्खल हलइ । सब कुछ झनझनइते छिटक गेलइ ।
"लेकिन अपने सब कुरसियन काहे लगी तोड़ब करऽ हथिन, मिस्टर, ई तो सरकारी खजाना खातिर नुकसान हकइ !" पोरफ़िरी पित्रोविच मजाक में बोललइ ।

दृश्य कुछ ई प्रकार के हलइ - रस्कोलनिकोव अब हँसी के अंतिम छोर पर हलइ, अपन हाथ के मेजबान के हाथ में भुला देलके हल, लेकिन, सीमा के ध्यान में रखते, यथासंभव शीघ्र आउ स्वाभाविक रूप से ई सब समाप्त होवे के पल के प्रतीक्षा कर रहले हल । रज़ुमिख़िन, टेबुल के गिर जाय से आउ गिलास के टूट जाय से आखिर सकपकाल, उदास नजर से गिलास के टुकड़ा सब के तरफ थोड़े देर देखते रहलइ, थूक देलकइ आउ तेजी से खिड़की तरफ मुड़लइ, जाहाँ ऊ लोग के तरफ पीठ करके खड़ी रहलइ, भयंकर रूप से नाक-भौं चढ़इले, खिड़की तरफ नजर कइले रहलइ, लेकिन कुच्छो पर बिन ध्यान देलहीं । पोरफ़िरी पित्रोविच हँस रहले हल, आउ हँस्से लगी चाहऽ हलइ, लेकिन ई बात साफ हलइ, कि ओकरा एकरा लगी स्पष्टीकरण के जरूरत हलइ (अर्थात् ओकरा समझ में नयँ आ रहले हल कि ई सब की हो रहल ह) । कोना में कुरसी पर ज़म्योतोव बइठल हलइ, आउ अतिथि सब के अइला पर उठके आउ इंतजार में खड़ी, मुँह के फैलाके मुसकान में बदलके, लेकिन पूरा दृश्य के किंकर्तव्यविमूढ़ होल आउ मानूँ अविश्वास के साथ देख रहले हल, आउ रस्कोलनिकोव पर एक प्रकार से भौंचक भी होल हलइ ।

ज़म्योतोव के अप्रत्याशित उपस्थिति रस्कोलनिकोव के अच्छा नयँ लगलइ ।
"ई मामले में कुछ सोचे पड़त !" ऊ सोचलकइ ।
"किरपा करके क्षमा करथिन", बेहद सकपकाल ऊ शुरू कइलकइ, "रस्कोलनिकोव ..."
"एकरा में माफी के की बात हइ, अपने से मिलके बड़ी खुशी होलइ, आउ केतना खुशी-खुशी अंदर अइलथिन ... की बात हइ, ऊ रामो-सलाम नयँ करे लगी चाहऽ हका ?" पोरफ़िरी पित्रोविच रज़ुमिख़िन तरफ सिर हिलाके इशारा कइलकइ ।
"हे भगमान, मालूम नयँ, ऊ काहे लगी हमरा पर गोसाल हका । रस्तावा में हम उनका खाली एतने कहलिअइ, कि ऊ रोमियो लगऽ हका, आउ ... आउ साबित कइलिअइ, आउ लगऽ हइ, आउ कोय बात नयँ हलइ ।"
"सूअर कहीं के !" रज़ुमिख़िन बिन मुड़ले बोललइ ।
"मतलब, कोय बहुत गंभीर कारण हलइ, जेकरा चलते एक्के शब्द पर ऊ एतना गोस्सा करऽ हका",  पोरफ़िरी हँसते बोललइ ।
"ओह, तूँ ! अन्वेषक (investigator) ! ... भाड़ में जइते जा तोहन्हीं सब !" रज़ुमिख़िन झटाक से उत्तर देलकइ आउ अचानक खुद्दे हँसके, हँसमुख चेहरा लेले, मानूँ कुच्छो नयँ होले हल, पोरफ़िरी पित्रोविच के पास गेलइ ।

"बहुत हो गेलो ! हम सब्भे बेवकूफ हकूँ; अब काम के बात कइल जाय - ई हका हमर दोस्त - रोदियोन रोमानिच रस्कोलनिकोव, पहिला बात तो ई, कि ऊ तोहरा बारे सुनलका ह आउ तोहरा से मिल्ले लगी चाहऽ हला, आउ दोसर बात ई, कि तोहरा साथ एगो छोट्टे गो काम हइ । अरे ! ज़म्योतोव ! तूँ हियाँ कइसे ? त वास्तव में तोहन्हीं एक दोसरा से परिचित हकऽ ? की बहुत पहिलहीं से दोस्ती हको ?"

"एकर आउ की मतलब हो सकऽ हइ ?" रस्कोलनिकोव चिंतित होके सोचलकइ ।
ज़म्योतोव मानूँ सकपका गेलइ, लेकिन बहुत जादे नयँ ।
"कल्हे तो तोहरे से परिचय होले हल", ऊ सहज भाव से कहलकइ ।
"मतलब, तकल्लुफ से भगमान हमरा छुटकारा देला देलका - पिछले सप्ताह ऊ हमरा अत्यधिक निवेदन कर रहला हल, कि कइसूँ तोरा से, पोरफ़िरी, परिचित करावल जाय, लेकिन तोहन्हीं हमरा बगैर एक दोसरा के नगीच आ गेते गेलऽ ... तोहर तमाकू काहाँ हको ?"

पोरफ़िरी पित्रोविच घरेलू ड्रेसिंग गाउन में, बहुत साफ-सुथरा कमीज आउ घिस्सल चप्पल पेन्हले हलइ । ई व्यक्ति करीब पैंतीस साल के हलइ, कद मध्यम से जरी छोटगर, हट्ठा-कट्ठा आउ लेदहा भी, दाढ़ी सफाचट, बिन मोंछ आउ बिन गलमोंछी के, बाल बड़ी छोटगर काटल, सिर बड़गो आउ गोल, आउ खास करके पीछू तरफ चोटी भिर गोल उभरल । ओकर फुल्लल, गोल आउ जरी उट्ठल नाक वला चेहरा बेमरियाहा, गढ़गर पीयर रंग के हलइ, लेकिन काफी खुशमिजाज आउ हास्यास्पद भी हलइ । ई नेक स्वभाव के भी लगते हल, अगर अँखिया के भाव में बाधा नयँ डालते हल, जेकरा में गीला-गीला फीका चमक हलइ, आउ जे लगभग उजरका पिपनी से झँक्कल मटमटइते, जइसे केकरो आँख मार रहले हल । ई अँखियन के दृष्टि कइसूँ विचित्र ढंग से ओकर समुच्चे काठी (figure) से मेल नयँ खा हलइ, जे अपने आप में कुछ जनाना नियन लगऽ हलइ, आउ एकरा कुछ बहुत जादहीं गंभीर बना रहले हल, बनिस्पत कि जेकरा से प्रथमदृष्ट्या आशा कइल जइते हल । पोरफ़िरी पित्रोविच जइसीं सुनलकइ, कि अतिथि के ओकरा से "छोट्टे गो काम" हइ, त ओहे क्षण ओकरा सोफा पर बइठे लगी निवेदन कइलकइ, आ खुद दोसरा छोर पर बइठ गेलइ आउ अतिथि तरफ एकटक देखे लगलइ, काम के बात के त्वरित बयान के प्रत्याशा में, आउ अइसन उत्सुक आउ एतना जादे गंभीर ध्यान के साथ, कि जेकरा से पहिले पहल, खास करके कोय अजनबी, घुटन आउ घबराहट भी महसूस करे लगइ, आउ खास करके ऊ हालत में, जब जे मामला के बारे बात कर रहलऽ ह, अपन विचार में अइसन लगऽ हको कि एकरा में जरूरत से जादहीं महत्त्व आउ ध्यान देल जा रहले ह । लेकिन रस्कोलनिकोव संक्षेप में आउ क्रमबद्ध शब्द में, स्पष्ट रूप से आउ ठीक-ठीक अपन काम के बारे समझइलकइ आउ अपने आप से एतना संतुष्ट हलइ कि पोरफ़िरी तरफ काफी अच्छा से भर नजर देखे में सफल हो गेलइ । पोरफ़िरी पित्रोविच भी ई दौरान कभी अपन नजर ओकरा पर से एक्को तुरी नयँ हटइलकइ ।  रज़ुमिख़िन, जे सामने टेबुल के दोसरा तरफ बइठल हलइ, बड़ी जोश आउ अधीरता से काम के बात सुन रहले हल, आउ बीच-बीच में कभी एकरा पर त कभी ओकरा पर आउ फेर वापिस नजर डाल रहले हल, जे जरी जरूरत से जादहीं हो गेलइ ।

"बेवकूफ कहीं के !" रस्कोलनिकोव मने मन कोसलकइ ।
"अपने के पुलिस के ई बयान देवे के चाही", पोरफ़िरी बिलकुल कारोबारी ढंग से जवाब देलकइ, "कि ई घटना के जनकारी मिलला पर, मतलब ई हत्या के बारे, अपने स्वयं के तरफ से अन्वेषक, ई मामला के प्रभारी (in-charge), के ई सूचित करे लगी चाहऽ हथिन, कि फलना-फलना समान अपने के हकइ, कि ई सब के अपने छोड़ावे लगी चाहऽ हथिन ... चाहे हुआँ ... बल्कि अपने के लिखके देल जइतइ ।"

"एहे तो बात हइ, कि हमरा पास अभी", रस्कोलनिकोव खुद के यथासंभव सकपकाल देखावे के प्रयास कइलकइ, "पइसा बिलकुल नयँ हकइ ... आउ ई छोटगर रकम भी हम चुका नयँ सकऽ ही ... हम, अपने देखवे करऽ हथिन, एतने कहे लगी चाहबइ, कि ई सब समान हम्मर हकइ, लेकिन जब हमरा पास पइसा होतइ ..."

"जी, कोय बात नयँ हइ", पइसा के बारे में बयान के भावशून्य ढंग से लेते पोरफ़िरी पित्रोविच जवाब देलकइ, "लेकिन, अगर चाहऽ हथिन, त अपने सीधे हमरा लिख सकऽ हथिन, ओहे अर्थ में, कि ई बात के जनकारी मिलला पर आउ फलना-फलना हम्मर अप्पन समान के बारे घोषणा करते, हम निवेदन करऽ हिअइ ..."
"ई सब साधारण कागज पर ?" एक तुरी फेर ई कारोबारी मामला में पइसा वला पहलू में दिलचस्पी लेते रस्कोलनिकोव जल्दी से बीच में बात काटते बोललइ ।

"ओ, जी बिलकुल साधारण कागज पर !" आउ अचानक पोरफ़िरी पित्रोविच कइसूँ स्पष्ट रूप से व्यंग्यात्मक ढंग से ओकरा तरफ देखलकइ, अपन आँख के जरी सिकोड़ते आउ मानूँ ओकरा तरफ मटकी मारते । लेकिन ई शायद रस्कोलनिकोव के अइसन लगलइ, काहेकि अइसन खाली एक्के पल तक रहलइ । कम से कम कुछ तो अइसन हलइ । रस्कोलनिकोव भगमान के कसम लेके भी कह सकले हल, कि ऊ एकरा तरफ आँख मटकइलकइ, ई तो शैताने के मालूम कि काहे लगी ।

"ओकरा मालूम हकइ !" बिजली के तरह ओकर दिमाग में कौंध गेलइ ।
"माफ करथिन, कि ई सब छोटगर-मोटगर बात खातिर अपने के परेशान कइलिअइ", कुछ भ्रमित होल ऊ बात जारी रखलकइ, "हमर समान सब कुल पाँच रूबल के हइ, लेकिन हमरा लगी खास करके कीमती हइ, काहेकि हम ई सब आदगार के रूप में हमरा मिल्लल ह, आउ हम ई बात स्वीकार करऽ हिअइ, कि जइसीं हमरा पता चलल, हम डर गेलूँ ..."

"ओहे से तूँ एतना उछल पड़लहो हल कल्हे, जब हम ज़ोसिमोव के बतइलिअइ कि पोरफ़िरी गिरवी रक्खे वलन से पूछताछ कर रहले ह !" स्पष्ट इरादे से रज़ुमिख़िन बीच में बोल उठलइ ।
ई बात बरदास के बाहर हलइ । रस्कोलनिकोव के सहन नयँ होलइ आउ गोस्सा से अपन जलते आँख से ओकरा तरफ द्वेषपूर्वक देखलकइ । लेकिन तुरते अपना के सँभाल लेलकइ ।

"तूँ, भाय, लगऽ हको कि हमर कहीं मजाक तो नयँ उड़ाब करऽ ह ?" ऊ बनावटी चिड़चिड़ाहट के साथ ओकरा संबोधित कइलकइ । "हम मानऽ ही, कि शायद, तोहर विचार से, हम ई तुच्छ वस्तु सब खातिर बहुत जादहीं फिकिर करऽ ही; लेकिन तोहरा ई वजह से हमरा अहंकारी चाहे लालची नयँ मान लेवे के चाही, आउ हमर ई दुन्नु तुच्छ वस्तु हमरा लगी तुच्छ बिलकुल नयँ हो सकऽ हइ । हम तोरा अभी कह चुकलियो ह, कि ई एक ग्रोश (आधा कोपेक) के चानी के घड़ी, एकमात्र वस्तु हके, जे पिताजी के बाद हमरा हीं बच्चल हके । तूँ हमरा पर हँस सकऽ ह, लेकिन हमरा पास माय आल हके", ऊ अचानक पोरफ़िरी तरफ मुड़लइ, "आउ अगर ओकरा पता चललइ", तुरते फिर ऊ रज़ुमिख़िन तरफ मुड़लइ, खास करके प्रयास करते कि ओकर अवाज में कंपन होवे, "कि ई घड़ी हेरा गेले ह, त हम कसम खा हियो कि ऊ बड़ी निराश हो जइतइ ! आखिर औरत जात हइ !"

"लेकिन, अइसन बिलकुल नयँ हइ ! हमर कहे के मतलब ई बिलकुल नयँ हलइ ! बल्कि एकर बिलकुल उलटा !" दुखी होल रज़ुमिख़िन चिल्लइलइ ।
"त ई बात सही हलइ ? स्वाभाविक हलइ ? बढ़ा-चढ़ाके नयँ बोललिअइ ?" रस्कोलनिकोव काँपते स्वर में अपने आपके पुछलकइ । "हम काहे लगी  'आखिर औरत जात !' कहलिअइ ?"
"त अपने के माय पहुँचल हथिन ?" कोय कारण से पोरफ़िरी पित्रोविच पुछलकइ ।
"जी हाँ ।"
"ई कब के बात हइ, जी ?"
"कल साँझ के ।"

पोरफ़िरी थोड़े से रुक गेलइ, मानूँ कुछ सोच रहल होवे ।
"अपने के समान कोय हालत में नयँ खो सकतइ", ऊ शांत भाव से आउ भावशून्य मुद्रा में बात जारी रखलकइ । "वस्तुतः हम लम्मा अरसा से अपने के राह देख रहलिए ह ।"
आउ हलाँकि कोय बात नयँ हलइ, ऊ सवधानी से रज़ुमिख़िन तरफ राखदानी (ऐश-ट्रे) बढ़ा देलकइ, जे दरी पर अंधाधुंध सिगरेट के राख गिराके गंदा कर रहले हल । रस्कोलनिकोव चौंक गेलइ, लेकिन पोरफ़िरी मानूँ ओकरा तरफ नयँ देख रहले हल, जेकर ध्यान लगातार रज़ुमिख़िन के सिगरेट पर हलइ ।
"कीऽऽऽ ? राह देख रहलहो हल ! त की वास्तव में तोरा मालूम हलो, कि ऊ हुआँ पर अपन समान गिरवी पर रक्खऽ हला ?" रज़ुमिख़िन चिल्लइलइ ।

पोरफ़िरी पित्रोविच सीधे रस्कोलनिकोव के संबोधित कइलकइ - "अपने के दुन्नु चीज, अंगूठी आउ घड़ी, ओकर घर पे एगो कागज में लपेटल हलइ, आउ अपने के नाम पेंसिल से साफ-साफ लिक्खल हलइ, साथे-साथ तारीख आउ महिन्ना, जब ऊ सब समान अपने हियाँ से ऊ प्राप्त कइलके हल ..."

"अपने केतना ध्यान रक्खऽ हथिन ? ...", रस्कोलनिकोव बेढंगा तौर पे दाँत निपोरलकइ, खास करके ओकरा तरफ सीधे आँख में आँख डालके देखे के प्रयास करते; लेकिन अपना के नियंत्रित नयँ कर पइलकइ आउ अचानक बात आगू बढ़इलकइ - "हम अभी अइसे ई वजह से कहलिअइ, कि शायद हुआँ बहुत सन गिरवी के समान होतइ ... ओहे से ऊ सब्भे के अपने के आद रखना मोसकिल होतइ ... लेकिन अपने तो एकर विपरीत एतना निम्मन से सब्भे के आद कइले हथिन, आउ ... आउ ... (बेवकूफ ! कमजोर ! हमरा ई सब बतावे के की जरूरत हलइ ?)"

"लेकिन लगभग सब्भे गिरवी रक्खेवलन के पता चल चुकले ह, खाली अपनहीं एगो अइसन हथिन जे अभी तक भेंट नयँ देलथिन हल", मोसकिल से दृष्टिगोचर होवे लायक व्यंग्य के झलक के साथ पोरफ़िरी जवाब देलकइ ।
"हमर तबीयत बिलकुल ठीक नयँ हलइ ।"
"जी, ई बात के बारे सुनलिए हल । एहो सुनलिए हल, कि अपने कोय बात से बेहद परेशान हलथिन । अपने अभियो मानूँ पीयर लगऽ हथिन ।"
"नयँ, बिलकुल नयँ पीयर हकूँ ... एकर विपरीत, बिलकुल स्वस्थ हकूँ !" अचानक अपन तान (टोन) बदलते रुखाई आउ गोस्सा से झट से रस्कोलनिकोव जवाब देलकइ । ओकरा में गोस्सा उबल रहले हल, आउ ऊ ओकरा दबा नयँ पा रहले हल । "आउ गोस्से में कहीं हम कुछ भेद के बात नयँ उगल देऊँ !" ओकर दिमाग में फेर से कौंधलइ । "लेकिन ओकन्हीं हमरा काहे लगी सता रहला ह ! ..."

"पूरा स्वस्थ तो नयँ !" रज़ुमिख़िन बात के खंडन करते बोललइ । "हट, बकवास हको ! कल्हे तक तो लगभग विस्मृति में बड़बड़ा रहलऽ हल ...  अच्छऽ, पोरफ़िरी, विश्वास करबहो, खुद मोसकिल से अपन गोड़ पर खड़ी हो सकऽ हला, आउ खाली हमन्हीं, ज़ोसिमोव आउ हम, कल्हे मोसकिल से पीठ पीछू करते गेलिअइ, कि पोशाक पेन्हलका आउ चुपचाप ले पुड़ी घसक देलका, आउ न मालूम काहाँ-काहाँ घूमते रहला अधरात तक, आउ ई सब कुछ बिलकुल, हम तोरा कहऽ हियो, सरसाम में, तूँ कल्पनो कर सकऽ हकहो ! एगो अत्यधिक अद्भुत घटना !"

"वास्तव में बिलकुल सरसामी हालत में ? की कह रहलहो ह !" पोरफ़िरी एक प्रकार से जनाना इशारा में अपन सिर हिलइते बोललइ ।
"ए, सब बकवास हकइ ! इनका पर विश्वास नयँ करथिन ! तइयो, अपने तो अइसूँ नयँ विश्वास करऽ हथिन !" बहुत गोस्सा में रस्कोलनिकोव के मुँह से निकस पड़लइ । लेकिन पोरफ़िरी पित्रोविच मानूँ ई विचित्र शब्द के सुनवे नयँ कइलकइ ।
"हूँ, त फेर तूँ बाहर कइसे गेलहो, अगर सरसामी हालत में नयँ हलहो ?" अचानक रज़ुमिख़िन गरम हो गेलइ । "काहे लगी बाहर निकसलहो ? कउन उद्देश्य से ? ... आउ चोरी-छिपे काहे ? तखने तोहरा सहज बुद्धि (common sense) हलो ? अब, जबकि सब्भे खतरा टल गेलो ह, त हम तोरा से सीधे बात कह सकऽ हकियो!"

"ओकन्हीं से कल्हे हम ऊब गेलूँ हल", धृष्टतापूर्वक चुनौतीपूर्ण मुसकान सहित रस्कोलनिकोव अचानक पोरफ़िरी के संबोधित कइलकइ, "हम ओकन्हीं से दूर भाग गेलूँ, एगो फ्लैट किराया पर ठीक करे खातिर, ताकि ओकन्हीं हमरा ढूँढ़ नयँ सके, आउ अपन साथ में ढेर कुमा पइसा लेके गेलूँ हल । अइकी मिस्टर ज़म्योतोव हमर पइसा तो देखवे कइलका हल । आउ की, मिस्टर ज़म्योतोव, कल्हे हम बुद्धिमान हलिअइ, कि सरसाम में ? ई विवाद के निर्णय कर देथिन ।"
लग हइ, कि ई बखत ऊ ज़म्योतोव के गला घोंट देते हल । ओकर नजर आउ चुप्पी ओकरा बिलकुल नयँ अच्छा लग रहले हल ।
"हमर राय में तो, जी अपने बहुत बुद्धिमानी के बात कर रहलथिन हल, बल्कि होशियारी के भी, खाली कुछ जादहीं चिड़चिड़ा हलथिन", रुखाई से ज़म्योतोव घोषित कइलकइ ।

"आउ आझ हमरा निकोदिम फ़ोमिच बतइलका", पोरफ़िरी पित्रोविच बीच में बोललइ, "कि उनका अपने के साथ देर रात में भेंट होले हल, एगो सरकारी किरानी के फ्लैट में, जे घोड़वन से कुचला गेले हल ।
"अच्छऽ, तो ई सरकारी किरानिए सही !" रज़ुमिख़िन ई बात लेके बढ़लइ, "त ऊ किरानी के हियाँ तूँ पागलपन नयँ देखइलहो ? तूँ अपन आखिरी पइसा अंत्येष्टि क्रिया खातिर विधवा के दे देलहो ! अगर मदते करे के हलो, त पनरह रूबल दे सकऽ हलहो, बीस दे सकऽ हलहो, आउ कम से कम चानी के तीन रूबल तो अपना लगी रक्खे के चाही हल, लेकिन नयँ, पचीस के पचीसो रूबल अइसीं लुटा देलहो !"

"आ शायद हमरा कहूँ खजाना मिल गेल, आ तोहरा नयँ मालूम हको ? ओहे से हम कल्हे उदारतापूर्वक दान कर देलिअइ ... अइकी मिस्टर ज़म्योतोव जानऽ हथिन, कि हमरा खजाना मिल गेले ह ! ... किरपा करके, माफ करथिन", अपन काँपते होंठ से पोरफ़िरी के संबोधित कइलकइ, "कि हमन्हीं अपने के अइसन फजूल के बात से आध घंटा से अपने के परेशान कर रहलिए ह । वास्तव में हमन्हीं अपने के बोर तो नयँ कर देलिअइ ?"
"नयँ जी, बल्कि एकर विपरीत, बिलकुल वि-प-री-त ! काश अपने समझथिन हल, कि अपने के बात से हमरा केतना दिलचस्पी हइ ! देखे-सुन्ने दुन्नु में उत्सुकता हइ ... आउ हम, स्वीकार करऽ हिअइ, कि हमरा बहुत खुशी हइ कि आखिर अपने आवे के किरपा कइलथिन ..."
"खैर, कम से कम चाय तो पिलाथिन ! गला सूख गेल ह !" रज़ुमिख़िन चिल्लइलइ ।
"केतना अच्छा विचार ! शायद, सब कोय साथ देते जइता । लेकिन ई नयँ चाहऽ हो ... चाय के पहिले ... कुछ जादे जरूरी ?"
"ठीक हइ !"

पोरफ़िरी पित्रोविच चाय के औडर देवे लगी बाहर चल गेलइ ।
कइएक विचार रस्कोलनिकोव के दिमाग में चक्रवात नियन घूम रहले हल । ऊ बेहद बौखलाल हलइ ।

"मुख्य बात तो ई हइ, कि ओकन्हीं छिपइवो नयँ करऽ हका, आउ औपचारिकता भी बरते ल नयँ चाहऽ हका ! अगर तूँ हमरा बारे कुच्छो नयँ जानऽ हकऽ, त कउन अधार पर हमरा बारे निकोदिम फ़ोमिच से बात कइलऽ ? मतलब, कि ओकन्हीं ई बात छिपावे लगी भी नयँ चाहऽ हका, कि ओकन्हीं हमर पीछू लग्गल हका, कुत्ता के झुंड के तरह ! ई तरह से खुले रूप से हमर थोपड़ा पर थूकियो रहला ह !" ऊ गोस्सा से काँप रहले हल । "आथिन, सीधा प्रहार करथिन, आउ खेलवाड़ नयँ करथिन, जइसे बिलाय चूहा के साथ करऽ हइ । ई अशिष्टता हइ, पोरफ़िरी पित्रोविच, आउ हम शायद अब इजाजत भी नयँ देबइ, महोदय ! ... हम उठके अपने सब के मुँह पे सब सच बता देबइ; आउ तब देखथिन, कि केतना हम अपने से घृणा करऽ हिअइ ! ..." ऊ मोसकिल से साँस लेब करऽ हलइ । "आउ अगर हमरा ई सब खाली प्रतीत होवइ ? अगर ई सब मृगमरीचिका होवइ, आउ अगर हमरा बिलकुल गलतफहमी होवइ, अपन अनुभवहीनता के चलते नराजगी देखा रहलिए होत, अपन नीच भूमिका के नियंत्रण में नयँ रख पावऽ होतिअइ ? हो सकऽ हइ, कि ई सब कुछ अनभिप्रेत (unintentional) होवइ ? ओकन्हीं के सब्भे शब्द सामान्य हइ, लेकिन कुछ तो ओकन्हीं में हइ ... ई सब कुछ हमेशे कहल जा सकऽ हइ, लेकिन कुछ तो हइ । काहे ऊ कहलकइ सीधे "ओकरा (औरतिया) हियाँ" ? ज़म्योतोव काहे ई बात जोड़लका, कि हम होशियारी के बात कर रहलिए हल ? काहे ओकन्हीं अइसन लहजा (tone) में बात करऽ हका ? हाँ ... लहजा ... रज़ुमिख़िन हिएँ बइठल हला, उनका काहे कुच्छो नयँ देखाय दे (प्रतीत होवऽ) हइ ? ई निर्दोष घनचक्कर के कभियो कुछ नयँ देखाय दे हइ ! फेर से बोखार ! ... पोरफ़िरी थोड़े देर पहिले हमरा दने आँख मालका कि नयँ ? शायद, ई बकवास हइ; ऊ काहे लगी आँख मारता ? ओकन्हीं कहीं हमर स्नायु (nerves) के उत्तेजित करे लगी तो नयँ चाहऽ हका, कि हमरा चिढ़ा रहला ह ? चाहे ई सब मृगमरीचिका रहइ, चाहे ओकन्हीं के मालूम हइ ! ... ज़म्योतोव भी ढीठ हइ ... की ज़म्योतोव ढीठ हइ ? ज़म्योतोव राते भर में अपन विचार बदल लेलकइ । हमरा आभासो हो रहल हल, कि ऊ अपन राय बदल लेतइ ! ऊ हियाँ बिलकुल सहज अनुभव करऽ हइ, लेकिन खुद हम पहिले तुरी अइलूँ हँ । पोरफ़िरी ओकरा अतिथि नयँ मानऽ हका, ऊ उनका तरफ पीठ करके बइठऽ हइ । एक दोसरा के सूँघिए के पछान लेलका ! पक्का हमरे कारण दुन्नु में मिलीभगत हकइ! पक्का हमन्हीं के पहुँचे के पहिले हमरे बारे बात कर रहला होत ! ... की ओकन्हीं के फ्लैट के बारे जनकारी हइ ? अच्छा होतइ कि जल्दी से जल्दी ई बात के निपटा लेल जाय ! ... जब हम कहलिअइ, कि फ्लैट किराया पर लेवे खातिर कल्हे हम भाग गेलूँ हल, त ऊ ई बात पर ध्यान नयँ देलकइ, ई बात के नयँ उठइलकइ ... आउ ई फ्लैट के बात हम चलाकी से कहलिअइ - बाद में काम अइतइ ! ... सरसाम में, हम कहलिअइ ! ... हा-हा-हा! ऊ कल्हे के पूरा साँझ के बारे जानऽ हइ ! लेकिन ओकरा हमर माय के आवे के बात मालूम नयँ हलइ ! ... आउ चुड़ैल तारीख भी पेंसिल से लिख लेलके हल ! ... झूठ, हमरा नयँ पकड़ सकबऽ ! ई सब तथ्य नयँ हइ, ई खाली मृगमरीचिका हइ ! नयँ, तथ्य प्रस्तुत करऽ ! आउ फ्लैट भी तथ्य नयँ हइ, बल्कि सरसाम हइ; हमरा मालूम हइ, कि ओकन्हीं के हमरा की बोले के चाही ... ओकन्हीं के फ्लैट के बारे पता हइ ? बिन जानले हम चल जाय वला नयँ ! काहे लगी हम अइलिए ह ? आउ अइकी हम गरमाल हकिअइ, ई बात शायद तथ्य हइ ! उफ, हम केतना चिड़चिड़ा होल हकूँ ! आ शायद निमने हइ; एगो रोगी के भूमिका ... ऊ हमर थाह ले रहले ह । हमरा पटके के प्रयास करतइ । हम काहे लगी अइलूँ ?"

ई सब बात ओकर दिमाग में बिजली के तरह कौंध गेलइ ।
पोरफ़िरी पित्रोविच पल भर में वापस आ गेलइ । ऊ अचानक कइसूँ हँसमुख देखाय देवे लगलइ ।
"कल के तोर पार्टी के बाद से, भाय, हमर सिर ... बल्कि समुच्चे देह हम्मर जइसे शिथिल पड़ गेल ह", ऊ बिलकुल दोसरहीं लहजा में हँसते-हँसते रज़ुमुख़िन से बात शुरू कइलकइ ।
"की सचमुच दिलचस्प रहलइ ? की वास्तव में तोरा कल्हे हम बहुत दिलचस्प बिन्दु पर छोड़लियो हल ? के जीतलइ ?"
"निस्संदेह, कोय नयँ । शाश्वत प्रश्न पर बात चलते रहलइ, खाली हवा के बात हलइ ।"
"कल्पना करऽ, रोद्या, कल्हे की बात के बहस होब करऽ हलइ - अपराध नाम के कोय चीज हइ कि नयँ ? ऊ कहलकइ, कि ओकन्हीं सब झूठ बोल-बोलके अपन-अपन माथा खराब कर लेते गेलइ !"
"एकरा में अचरज के की बात हइ ? ई सामान्य सामाजिक प्रश्न हइ", लपरवाही से रस्कोलनिकोव उत्तर देलकइ।
"प्रश्न ई ढंग से नयँ प्रस्तुत कइल गेले हल ।" पोरफ़िरी टिप्पणी कइलकइ ।
"बिलकुल ई ढंग से तो नयँ, ई सच हइ", हमेशे के तरह ऊ जल्दीबाजी में आउ जोश में आके रज़ुमिख़िन तुरते अपन सहमति प्रकट कइलकइ ।

"देखऽ, रोदियोन - सुनऽ आउ अपन राय बतावऽ । हमर ई इच्छा हको । हम ओकन्हीं साथ कल्हे बहस में भिड़ल हलूँ आउ तोहर राह देख रहलियो हल; हम ओकन्हीं के तोरा दिका बतइलियो हल, कि तूँ अइबहो ... बहस शुरू होले हल समजवादी सिद्धान्त से । ओकन्हीं के विचार लोग के अच्छा से मालूम हइ - अपराध समाज संरचना में असामान्यता (abnormality) के खिलाफ विरोध हइ - खाली एहे, आउ कुछ अधिक नयँ, आउ दोसर कोय कारण स्वीकार नयँ कइल जा हइ, आउ कुछ नयँ ! ..."
"ई तो झूठ हइ !" पोरफ़िरी पित्रोविच चिल्लइलइ । प्रत्यक्ष रूप से ऊ जोश में लगऽ हलइ आउ रज़ुमिख़िन के देखते बीच-बीच में हँसते रहलइ, जेकरा चलते ऊ आउ जादे उत्तेजित हो जा हलइ ।

"आ-उ कु-च्छो स्वीकार नयँ कइल जा हइ !" जोश में आके रज़ुमिख़िन बात काटते बोललइ, "हम झूठ नयँ कह रहलियो ह ! ... हम ओकन्हीं के पुस्तक देखा सकऽ हकियो - ओकन्हीं हीं सब कोय ‘परिस्थिति के शिकार’ होवऽ हइ, बस आउ कुछ नयँ ! प्यारा मुहावरा ! एकरा से ई सीधे निष्कर्ष निकसऽ हइ कि अगर समाज के गठन सामान्य रूप से कइल जाय, त तुरतम्मे सब्भे अपराध खतम हो जाय, काहेकि विरोध करे के कोय बात नयँ रह जइतइ, आउ सब्भे एक क्षण में धर्मनिष्ठ हो जइतइ । अदमी के स्वभाव पे कोय विचार नयँ कइल जा हइ, स्वभाव के निकासके बाहर कर देल जा हइ, अइसन समझले नयँ जा हइ कि स्वभाव नाम के कोय चीज हइ ! ओकन्हीं ई बात के नयँ मानऽ हइ, कि मानवता ऐतिहासिक सजीव प्रकार से आखिरकार अपने आप अन्त में एगो सामान्य समाज में परिवर्तित हो जइतइ, बल्कि एकर विपरीत, ई समझते जा हइ, कि समाज-व्यवस्था एक प्रकार के गणितीय मस्तिष्क से निकसके, तुरतम्मे समुच्चे मानवता के संगठित कर देतइ आउ एक्के पल में ओकरा सच्चा आउ पापहीन बना देतइ, कोय भी सजीव प्रक्रिया से पहिले, बिन कोय ऐतिहासिक आउ सजीव रस्ता के ! ओहे से ऊ सब सहज रूप से इतिहास के पसीन नयँ करऽ हइ – ‘एकरा में खाली विकृति आउ मूर्खता हइ’ - आउ सब कुछ खाली मूर्खता से व्याख्या कइल जा हइ ! ओहे से ऊ सब जिनगी के सजीव प्रक्रिया के पसीन नयँ करऽ हइ - सजीव आत्मा के आवश्यकता नयँ ! सजीव आत्मा जीवन के माँग करतइ, सजीव आत्मा गतिकी (mechanics) के नियम के परवाह नयँ करतइ, सजीव आत्मा संदेहजनक हइ, सजीव आत्मा वक्री हइ ! जबकि हियाँ भले मौत के बदबू आवइ, आउ रबर से बनावल जा सकऽ हइ - लेकिन ई सजीव तो नयँ हइ, एकरा में कोय इच्छा-शक्ति नयँ हइ, आज्ञाकारी होवऽ हइ, विद्रोह नयँ करऽ हइ ! आउ एकर आखिर नतीजा होवऽ हइ, कि सब कुछ के घटाके खाली ईंट-चिनाई (brickwork) आउ फ़ैलैंस्तरी (phalanstery) [1] में गलियारा आउ कमरा के विन्यास तक सीमित कर देते गेले ह । फ़ैलैंस्तरी तो तैयार हइ, लेकिन तोर स्वभाव तो फ़ैलैंस्तरी लगी अभी तक तैयार नयँ, ई जीवन चाहऽ हइ, ई अभी जीवन के प्रक्रिया अभियो तक पूरा नयँ कइलके ह, कब्रिस्तान जाय लगी अभी बहुत समय हकइ ! खाली एगो तर्क के सहारे स्वभाव के लाँघल नयँ जा सकऽ हइ ! तर्क खाली तीन संभावना के पूर्वानुमान लगावऽ हइ, लेकिन ई तो करोड़ों में हइ ! ऊ करोड़ों संभावना के काटके सब कुछ के एक्के गो प्रश्न खाली सुख-सुविधा तक सीमित करना !  समस्या के सबसे असान समाधान ! लुभावनेदार तरह से स्पष्ट, आउ सोचहूँ के जरूरत नयँ ! मुख्य बात हइ - सोचे के जरूरते नयँ ! जीवन के पूरा रहस्य खाली दू गो छप्पल पन्ना में समा जा हइ !"

"ल, ई तो अब चालू हो गेला, ढोल पीट रहला ह ! दुन्नु हाथ से पकड़ लेवे के चाही", पोरफ़िरी हँसलइ । "कल्पना करहो", ऊ रस्कोलनिकोव के संबोधित कइलकइ, "अइसीं कल्हे साँझ के, एक्के कमरा में, छो अदमी, आउ साथे-साथ पंच (punch - शराब में पानी, फल के रस, मसाला आदि मिलावल पेय) के प्रारंभिक दौर - की एकर अंदाजा लगा सकऽ हथिन ? नयँ, भाय, तूँ गलतफहमी में हकऽ - 'परिस्थिति' के अपराध में बहुत कुछ मतलब होवऽ हइ; हम एकर अकीन देलावऽ हियो ।"
"हमहूँ जानऽ ही, कि बहुत कुछ होवऽ हइ, लेकिन अइकी हमरा बतावऽ - एगो चालीस साल के अदमी एगो दस साल के लड़की के साथ बलात्कार करऽ हइ - त की परिस्थिति चाहे माहौल ओकरा अइसन करावऽ हइ ?"

"एकरा में की हइ, सच पुच्छल जाय तो, शायद परिस्थिति ही", पोरफ़िरी आश्चर्यजनक गंभीरता के स्वर में टिप्पणी कइलकइ, "लड़की पर कइल अपराध के 'परिस्थिति' से बहुत-बहुत अच्छा से स्पष्टीकरण देल जा सकऽ हइ ।"
रज़ुमिख़िन लगभग क्रोधित हो गेलइ ।

"आउ अगर तूँ चाहऽ ह, त अभी हम साबित करके देखा देबो", ऊ हँकरलइ, "कि तोहर उजरका पिपनी बिलकुल एहे कारण से हको, कि इवान महान [2] के ऊँचाई पैंतीस साझेन (= 245 फुट) [3] हइ, आउ एकरा हम स्पष्ट रूप से, ठीक-ठीक, प्रगत्यात्मक रीति से आउ उदार रंगत के साथ दर्शा देबो । हम अइसन कर सकऽ हियो ! अगर चाहऽ ह तो बाजी लगा ल !"
"हमरा स्वीकार हको ! किरपा करके सुन्नल जाय, कि ऊ कइसे एकरा सिद्ध करऽ हइ !"

"अरे, हमेशे ढोंग करते रहऽ हइ, शैतान कहीं के !" रज़ुमिख़िन चिल्लइलइ, उछलके खड़ी हो गेलइ आउ हाथ लहरइलकइ । "तोरा से बात करे में कुछ फयदा हइ ! ऊ जानबूझके हमेशे अइसीं करते रहऽ हइ, तूँ अभियो नयँ जानऽ ह ओकरा, रोदियोन ! आउ कल्हे ओकन्हीं के पक्ष लेलकइ, खाली सब्भे के बेवकूफ बनावे खातिर । आउ कल्हे की-की बकलइ, हे भगमान ! आउ ओकन्हीं तो ओकरा से खुश हलइ ! ... वास्तव में ऊ दू-दू सप्ताह तक अइसीं करते रह सकऽ हइ । परसाल ऊ हमन्हीं के विश्वास देलइलके हल, कि ऊ मठ जा रहले ह - दू महिन्ना तक अपन बात पर अड़ल रहलइ ! हाल में ऊ अकीन देलावे लगलइ कि ऊ शादी करे जा रहले ह, आउ शादी के सब तैयारी कइल जा चुकले ह । ऊ एगो नया पोशाको सिलवा लेलकइ । हमन्हीं ओकरा बधाइयो देवे लगलिअइ । कोय दुलहन नयँ हलइ, कुछ नयँ होलइ - सब कुछ मृगमरीचिका हलइ !"

"ई तूँ झूठ कहलऽ ! हम पोशाक पहिलहीं बनवइलूँ हल । नयका पोशाक के आधारे पर हमर दिमाग में तोहन्हीं सब के उल्लू बनावे के बात सूझल ।"
"त की वास्तव में तूँ एतना ढोंगी हकऽ ?" लपरवाही से रस्कोलनिकोव पुछलकइ ।
"आ तूँ सोच रहलऽ हल, नयँ ? जरी ठहरऽ, हम तोरो देखइबो - हा-हा-हा ! नयँ, देखऽ, हम तोरा सब सच-सच बता देबो । ई सब प्रश्न, अपराध, परिस्थिति, छोट्टे उमर के लड़कियन के बारे हमरा अभी आद पड़ल - बल्कि, ई सब में हमेशे हमरा रुचि रहऽ हले - एगो तोहर लेख 'अपराध के बारे में' ... अथवा अइसीं कुछ तोर लेख, शीर्षक के नाम भूल गेलूँ, अभी आद नयँ । हमरा दू महिन्ना पहिले 'सामयिक समीक्षा' में पढ़े के मौका मिल्लल हल ।"

"हमर लेख ? 'सामयिक समीक्षा' में ?" रस्कोलनिकोव आश्चर्यचकित होके पुछलकइ, "हम वस्तुतः लिखलिए हल, आधा साल पहिले, जब विश्विद्यालय छोड़ देलिए हल, एगो पुस्तक से संबंधित, एगो लेख, लेकिन ऊ बखत हम एकरा 'साप्ताहिक समीक्षा' में देलिए हल, नयँ कि 'सामयिक' में ।
"लेकिन ई पहुँच गेलो 'सामयिक' में ।"
"जी, ई बात तो सही हइ; लेकिन 'साप्ताहिक समीक्षा' बन हो गेला पर एकरा 'सामयिक समीक्षा' में मिला देवल गेलइ, आ ओहे से तोहर लघु लेख दू महिन्ना पहिले प्रकाशित होलइ । आ तोहरा नयँ मालूम हलो ?"

रस्कोलनिकोव के वास्तव में कुछ नयँ मालूम हलइ ।
"अरे, तूँ तो अपन लेख खातिर पइसा के माँग कर सकऽ ह ! तूहूँ कइसन अदमी हकऽ ! तूँ अइसन एकाकी जीवन जीयऽ ह, कि अइसनो बात, जेकर तोरा से सीधा संबंध हको, तोरा मालूम नयँ हको । ई तो तथ्य हको जी ।"
"शाबाश, रोदका ! आउ हमरो नयँ मालूम हलो !" रज़ुमिख़िन चिल्लइलइ । "हम आझे वाचनालय में रुकबो आउ ऊ अंक के बारे में पूछबो ! दू महिन्ना पहिले न ? कउन तारीख ? खैर, कोय बात नयँ, हम मालूम कर लेबो! एहे तो बात हइ ! आउ बतइवो नयँ करता !"

"आ तोहरा कइसे मालूम चललो, कि ऊ लेख हम्मर हलइ ? एकरा में तो हम खाली अपन आद्यक्षर (initials) से दसखत कइलिए हल ।"
"संयोगवश, एक-दू दिन पहिले । संपादक के माध्यम से; हमर परिचित हका ... हमरा बहुत दिलचस्प लगलइ ऊ लेख ।"
"जइसन कि हमरा आद पड़ऽ हइ, हम अपराधी के अपराध करे के पूरे अवधि के दौरान ओकर मनोदशा के विश्लेषण कर रहलिए हल ।"

"जी हाँ, आउ ई बात तोहर जोर देके कहना हको, कि अपराध कर लेला के बाद हमेशे कोय बेमारी हो जा हइ । बहुत, बहुत मौलिक बात, लेकिन ... ई लेख के ई अंश में हमरा खुद के कोय रुचि नयँ हल, बल्कि कोय विचार, जे लेख के अंतिम अंश में हलइ, लेकिन दुर्भाग्यवश तूँ एकर खाली इशारा करके छोड़ देलहो ह, अस्पष्ट ... एक शब्द में, अगर तोहरा आद पड़ऽ हको, ई बात के इशारा कइल गेले ह, कि दुनियाँ में अइसनो लोग हकइ, जे कर सकऽ हकइ ... मतलब, ई बात नयँ कि ओकन्हीं कर सकऽ हइ, बल्कि ओकन्हीं के पूरा अधिकार हइ हरेक तरह के हुल्लड़बाजी आउ अपराध करे के, आउ ओकन्हीं लगी मानूँ कोय लिक्खल कानून नयँ हइ ।"

जबरदस्ती आउ जानबूझके विकृत कइल अपन विचार पर रस्कोलनिकोव मुसका देलकइ ।

"की ? ई कइसे ? अपराध करे के अधिकार ? लेकिन वास्तव में 'परिस्थिति' के कारण से नयँ ?" एक प्रकार के डरो से रज़ुमिख़िन पुछलकइ ।
"नयँ, नयँ, बिलकुल ऊ वजह से नयँ", पोरफ़िरी जवाब देलकइ, "कहे के मतलब ई हइ, कि उनकर लेख में सब्भे लोग के कइसूँ दू भाग में बाँटल गेले ह - 'सामान्य' आउ 'असामान्य' । सामान्य लोग के आज्ञाकारी बनके रहे के चाही, जेकरा कानून के उल्लंघन करे के कोय अधिकार नयँ होवऽ हइ, काहेकि ऊ लोग, जइसन कि देखवे करऽ हथिन, आखिर सामान्य लोग हइ । जबकि असामान्य लोग के हर तरह के अपराध करे के अधिकार होवऽ हइ आउ हर तरह से कानून के उल्लंघन करे के, बस खाली ई वजह से, कि ओकन्हीं आखिर असामान्य हइ । लगऽ हइ, एहे न अपने के कहे के मतलब हइ, अगर हमरा गलतफहमी नयँ हइ ?"
"लेकिन ई कइसे हो सकऽ हइ ? अइसन नयँ हो सकऽ हइ !" भौंचक होके रज़ुमिख़िन बड़बड़इलइ ।

रस्कोलनिकोव फेर से मुसकइलइ । ऊ तुरते समझ गेलइ, कि बात की हइ आउ कउन बिंदु पर ओकन्हीं ओकरा ढकेले लगी चाहऽ हइ; ओकरा अपन लेख के आद पड़ गेलइ । ऊ चुनौती स्वीकार कर लेवे के फैसला कइलकइ ।
"ई तो हमर कहे के मतलब बिलकुल नयँ हलइ", ऊ सीधे-सादे ढंग से आउ विनम्रतापूर्वक कहे ल शुरू कइलकइ, "बल्कि, हम स्वीकार करऽ हिअइ, कि अपने सब लगभग पूरा तरह से सही-सही प्रस्तुत करते गेलथिन हँ, आउ अगर चाहऽ हथिन, तो बिलकुल सही-सही ..." (ओकरा मानूँ सहमत होवे में खुशी हलइ, कि ई बिलकुल सही हलइ ।) खाली अंतर ई बात में हइ, कि हम ई बात के आग्रह नयँ करऽ हिअइ, कि असामान्य लोग के आवश्यक रूप से आउ फर्ज में बन्हल जइसन हमेशे हर तरह से हुल्लड़बाजी करे के चाही, जइसन कि अपने सब के कहना हइ । हमरा एहो लगऽ हइ, कि अइसन लेख के छापे लगी अनुमति भी नयँ मिलतइ । हम तो खाली एगो इशारा कइलिए हल, कि 'असामान्य' अदमी के अधिकार हइ ... मतलब, कार्यालयीन अधिकार नयँ, बल्कि स्वयं के अधिकार हइ कि अपन अंतःकरण के अनुमति दे कि कुछ बाधा के ... पार करके आगे जा सके, आउ खाली केवल ऊ हालत में, जब ओकर विचार के पूरा करे में (कभी शायद संपूर्ण मानवता लगी रक्षा हेतु) अइसन आवश्यक हो जाय । अपने ई कहे के किरपा कइलथिन हँ, कि हमर लेख अस्पष्ट हइ; हम यथासंभव समझावे लगी तैयार हिअइ । हमरा ई माने में शायद गलतफहमी नयँ हइ, कि लगऽ हइ, कि अपनहूँ ओहे चाहऽ हथिन; किरपा करके अनुमति देथिन, महोदय । हमर विचार में, अगर कुछ प्रकार के संचय (combinations) के परिणाम के कारण केपलर आउ न्यूटन के आविष्कार, आउ कोय दोसरा तरीका से लोग के बीच प्रसिद्ध नयँ हो पइते हल, सिवाय एकरा के, कि एगो, दस गो, सो गो इत्यादि अदमी के बलिदान के बगैर, जे ई आविष्कार में बाधा डालते हल, चाहे आविष्कार के रस्ता में बाधा के रूप में खड़ी रहते हल, तब न्यूटन के ई अधिकार होते हल, आउ उनकर कर्तव्यो होते हल ... कि ई दस, चाहे सो लोग के रस्ता से हटा देल जाय, ताकि समुच्चे मानवता के अपन आविष्कार से परिचित करावल जा सकइ । एकरा से लेकिन ई मतलब नयँ निकसऽ हइ, कि न्यूटन के ई अधिकार हलइ कि उनकर दिमाग में जेकर विचार अइते हल, जे मिल जइते हल, आउ सामने से जे गुजरते हल, ओकरा जान मार देथिन हल; चाहे बजार से रोज दिन चोरी करथिन हल । आउ आगे, हमरा आद पड़ऽ हइ, हम अपन लेख में ई बात के विस्तार करऽ हिअइ, कि सब्भे ... अच्छऽ, उदाहरणार्थ, कानून बनावे वलन आउ मानवता के प्रवर्तक, प्राचीनतम समय से लेके आगू तक जारी रखते लिकुर्गुस, सोलोन, मुहम्मद, नैपोलियन, इत्यादि [4] सब्भे एक तरह से अपराधी हला, एहे एक बात से कि नयका कानून देके साथे-साथ पुरनका कानून के तोड़ देते गेला, जेकरा समाज पवित्र मानऽ हलइ आउ जे पुरखन से आ रहले हल, आउ निश्चित रूप से जेकरा लगी खून-खराबा करे से भी नयँ झिझकला, अगर खाली ई खून (कभी-कभी बिलकुल निर्दोष आउ बहादुरीपूर्वक पुरनका कानून लगी बहावल) लक्ष्य तक पहुँचे में ओकन्हीं के मदद कर सकऽ हलइ । अद्भुत बात तो एहो हइ, कि मानवता के ई सब उपकारकर्ता आउ प्रवर्तक में से अधिकतर विशेष रूप से भयंकर रक्तपात के दोषी हला । एक शब्द में, हम ई निष्कर्ष पर पहुँचऽ ही, कि सब्भे, खाली महान पुरुष ही नयँ, बल्कि लीक से जरी हटके रहे  वलन लोग, मतलब जे लगभग कुछ तो नया कहे में सक्षम हका, ओहो अपन स्वभाव के कारण आवश्यक रूप से अपराधी होवऽ हका - कम चाहे अधिक, ई जाहिर हइ । नयँ तो उनकन्हीं के लीक से बाहर आना मोसकिल हो जइतइ, आउ लीक पर बनल रहे लगी, वस्तुतः, उनकन्हीं सहमत नयँ हो सकऽ हका, फेर अपन स्वभावे के अनुसार, आउ हमर विचार में, उनकन्हीं के सहमत नयँ होवे के कर्तव्यो हकइ । एक शब्द में, देखऽ हथिन, कि अभी तक एकरा में कुच्छो विशेष नया नयँ हइ ।  ई हजारो तुरी छापल आउ पढ़ल गेले ह । जाहाँ तक लोग के 'सामान्य' आउ 'असामान्य' ई दू भाग में हम वर्गीकरण कइलिए ह, त हम ई बात से सहमत हकिअइ, कि ई कुछ अंश में विवेकाधीन (arbitrary) हइ, लेकिन वस्तुतः ठीक-ठीक संख्या के मामले में हमर कोय हठ नयँ हइ । हम खाली अपन मुख्य विचार में विश्वास करऽ ही । ई ठीक ई बात पर निर्भर हइ, कि लोग प्रकृति के नियम के अनुसार सामान्यतः दू प्रकार में विभाजित हकइ - निम्न (सामान्य), मतलब, अइसे कहल जाय, कि सामग्री, जे अपनहीं प्रकार के लोग उत्पन्न करे के काम करऽ हइ, आउ वास्तविक लोग, मतलब जे अपन वातावरण में नयका शब्द कहे के सामर्थ्य या प्रतिभा रक्खऽ हइ । जाहिर हइ, कि हियाँ पर उप-विभाजन (subdivisions) अनगिनत हइ, लेकिन दुन्नु प्रकार के लोग के सुस्पष्ट विशिष्टता (distinctive features) यथेष्ट रूप से साफ हइ - पहिला प्रकार, मतलब सामग्री, सामान्य रूप से कहल जा सकऽ हइ, कि ऊ लोग हइ, जे स्वभाव से रूढ़िवादी, नियम-कानून के अनुसार चल्ले वला, अनुशासन में रहे वला आउ अनुशासनप्रिय होवऽ हइ । हमर विचार में, अइसन लोग के कर्तव्य भी हइ अनुशासन में रहना, काहेकि ई ओकन्हीं के उद्देश्य हइ, आउ ओकन्हीं लगी एकरा में कुच्छो अपमानजनक नयँ हइ । दोसरा प्रकार के सब्भे लोग कानून के उल्लंघन करऽ हइ, क्षमता के अनुसार या तो विनाशक होवऽ हइ, चाहे विनाश करे के प्रवृत्ति वला होवऽ हइ । अइसन लोग के अपराध, जाहिर हइ, सापेक्ष (relative) आउ रंगबिरंग के होवऽ हइ;  जादेतर ऊ लोग तरह-तरह के वक्तव्य में, बेहतर के नाम पर वर्तमान के नाश करे के माँग करऽ हइ । लेकिन अगर ओकरा अपन विचार के खातिर चाहे लाशो पर से, या खून पर से भी होके गुजरे पड़इ, तब, हमर विचार में, ऊ अपन अंदर, अपन अंतःकरण में, शायद खून के भी पार करे के अनुमोदन दे देतइ - जे विचार आउ ओकर आयाम (dimension) पर निर्भर हइ - ई बात के नोट करथिन । एहे अर्थ में हम अपन लेख में हम ओकन्हीं के अपराध के अधिकार के बात कइलिए ह । (आद रखथिन, कि हमन्हीं बीच बहस कानूनी सवाल से शुरू होले हल ।) लेकिन जादे चिंता करे के जरूरत नयँ हइ - आम लोग कभियो ओकन्हीं के अइसन अधिकार के लगभग माने वला नयँ; आम लोग ओकन्हीं के दंडित करऽ हइ, चाहे फाँसी पर लटका दे हइ (कमोबेश) आउ एकरा साथ बिलकुल सही रूप में अपन रूढ़िवादी उद्देश्य के पूरा कर ले हइ; तइयो, ई सब खातिर अगला पीढ़ी में एहे सब आम लोग, दंडित सब के बेदी पर खड़ी कर दे हइ आउ ओकन्हीं के पूजा करऽ हइ (कमोबेश) । पहिला प्रकार के लोग हमेशे वर्तमान के अदमी हइ, जबकि दोसरका प्रकार के लोग भविष्य के अदमी । पहिलौका प्रकार के लोग, संसार के संरक्षित करऽ हइ आउ अबादी बढ़ावऽ हइ; दोसरका प्रकार के लोग संसार के आगू बढ़ावऽ हइ आउ एकरा लक्ष्य तरफ ले जा हइ । पहिलौका आउ दोसरका में से हरेक वर्ग के बिलकुल एक्के समान अस्तित्व में रहे के अधिकार हइ । एक शब्द में, हमरा साथ सब्भे कोय के समान अधिकार हइ, आउ - vive la guerre éternelle [ विव ला गेर एतेरनेल (फ्रेंच) – शाश्वत युद्ध अमर रहे] - जाहिर हइ, जब तक फेर कोय नयका मसीहा येरूशलम में नयँ आवे !" [5]

" मतलब अपने अभियो नयका येरूशलम में विश्वास करऽ हथिन ?"
"विश्वास करऽ ही", रस्कोलनिकोव दृढ़ स्वर में उत्तर देलकइ; ई कहते समय आउ अपन समुच्चा लम्मा प्रवचन के दौरान ऊ जमीन तरफ तकते रहलइ, दरी के एक बिंदु पर अपन ध्यान केंद्रित कइले ।
"आउ-आउ-आउ भगमानो में विश्वास करऽ हथिन ? हमरा क्षमा करथिन, कि अइसन उत्सुकतापूर्वक पूछ रहलिए ह ।"
"विश्वास करऽ ही", पोरफ़िरी दने नजर उठइते रस्कोलनिकोव दोहरइलकइ ।
"आउ लज़ारुस के पुनर्जीवन में भी विश्वास करऽ हथिन ?" [6]
"वि-विश्वास करऽ ही । अपने ई सब काहे लगी पूछ रहलथिन हँ ?"
"शाब्दिक रूप से विश्वास करऽ हथिन ?"
"शाब्दिक रूप से ।"              
"हम तो जी अइसीं ... जाने के बहुत उत्सुकता हलइ । जी, क्षमा करथिन । लेकिन अनुमति देथिन - हम पहिलौका बिंदु पर वापिस आवऽ हिअइ - ओकन्हीं के हमेशे दंडित नयँ कइल जा हइ; कुछ एकर विपरीत ...."
"अपन जिनगी के दौराने विजय प्राप्त कर लेते जा हका ? ओ हाँ, कुछ लोग अपन जिनगिए में कामयाब हो जा हका, आउ तब ..."
"खुद्दे दोसरा सब के दंडित करे ल शुरू कर दे हका ?"
"अगर आवश्यक होवे, आउ ई जानऽ हथिन, जादेतर अइसीं होवऽ हइ । सामान्यतः अपने के टिप्पणी हाजिरजवाब के रूप में होवऽ हइ ।"

"जी, धन्यवाद । लेकिन ई बताथिन - 'सामान्य' आउ 'असामान्य' लोग के बीच अन्तर कइसे कइल जाय ? कि जनम के बखत कोय अइसन चिन्हा होवऽ हइ ? हमर कहे के मतलब हइ, कि हियाँ आउ अधिक शुद्धता होवे के चाही, अइसे कहल जाय, कि अधिक बाह्य निश्चितता - एगो व्यावहारिक आउ निष्ठावान व्यक्ति के हैसियत से  हमरा में स्वाभाविक बेचैनी के क्षमा करथिन, लेकिन ई मामला में, उदाहरणस्वरूप, की कोय विशेष पोशाक के प्रयोग कइल जा सकऽ हइ, ओकरा पर कोय तरह के छाप ? ... काहेकि, अपने ई बात के स्वीकार करथिन, कि अगर कोय भ्रम हो जाय आउ एक वर्ग के कोय एगो अदमी अगर ई समझ लेइ, कि ऊ दोसर वर्ग के अदमी हइ, आउ 'सब्भे बाधा के पार करना' चालू कर देइ, जइसन कि अपने बहुत खुशी से प्रस्तुत कइलथिन, तब तो हियाँ..."
"ओ, ई तो बहुत अकसर होवऽ हइ ! अपने के ई टिप्पणी में तो पहिले वला से भी अधिक चतुराई हइ ..."

"जी, धन्यवाद ..."
"जी, धन्यवाद के कोय बात नयँ हइ; लेकिन ई विचार करथिन, कि गलती के संभावना खाली पहिला वर्ग के तरफ से हो सकऽ हइ, मतलब 'सामान्य' लोग (जइसन कि हम, शायद बहुत नाकामयाबी में, ओकन्हीं के कहलिए ह) । अनुशासन के प्रति ओकन्हीं के जन्मजात प्रवृत्ति के वावजूद, प्रकृति के कोय शरारत के कारण, जे गाय लगी भी वंचित नयँ कइल जा हइ, ओकन्हीं बहुत सारा लोग खुद के प्रगतिशील व्यक्ति के रूप में कल्पना करे लगऽ हइ, 'विनाशक' समझे लगऽ हइ, आउ 'नयका शब्द' में सरकके चल जा हइ, आउ ई बिलकुल ईमनदारी से करऽ हइ, जी । आउ साथे-साथ ओकन्हीं बहुत अकसर वास्तविक नयकन सब के नोटिस करे में विफल हो जा हइ, आउ ओकन्हीं के घृणा भी करऽ हइ - पिछड़ा आउ नीच विचार के लोग के रूप में । लेकिन हमर विचार में, एकरा से कोय बड़गर खतरा नयँ हो सकऽ हइ, आ अपने के वास्तव में परेशान होवे के के कोय बात नयँ हइ, काहेकि ओकन्हीं कभियो दूर तक नयँ जा हइ । ओकन्हीं के अइसन जोश खातिर, निस्संदेह, ओकन्हीं के कभी-कभी दंडित कइल जा सकऽ हइ, ताकि ओकन्हीं के अपन हैसियत के आद हो जाय, लेकिन एकरा से जादे नयँ; अइसन परिस्थिति में कोय दंडाधिकारी के भी जरूरत नयँ - ओकन्हीं खुद अपना के दंडित कर लेतइ, काहेकि ओकन्हीं बहुत ईमनदार होवऽ हइ; कुछ लोग ई सेवा एक दोसरा खातिर कर लेते जा हइ, आ कुछ लोग खुद अपनहीं हाथ से अपने आप के ... एकन्हीं रंगबिरंग के सार्वजनिक प्रायश्चित्त एकर साथ अपने ऊपर लगावऽ हइ - जेकर परिणाम बहुत सुंदर आउ उपदेशात्मक होवऽ हइ; एक शब्द में, अपने के एकरा खातिर परेशान होवे के कोय बात नयँ हइ ... अइसन नियम हइ ।"

"खैर, कम से कम ई मामला में तो अपने हमर कुछ तो परेशानी दूर कर देलथिन; लेकिन अइकी आउ एगो फिकिर हइ - किरपा करके बताथिन, की अइसन लोग बहुत जादे होवऽ हइ, जे दोसर लोग के गला रेत देवे के अधिकार रक्खऽ हइ, कहे के मतलब ई 'असामान्य' लोग ? हम, निस्संदेह, झुक जाय लगी तैयार हिअइ, लेकिन वस्तुतः ई बात के स्वीकार करथिन, कि अगर अइसन लोग बहुत जादे होवइ, तब तो, जी, ई बात सोचिए के दिल दहल जा हइ, हइ कि नयँ ?"

"ओ, एकरो बारे परेशान होवे के जरूरत नयँ", रस्कोलनिकोव ओहे लहजा में बात जारी रखलकइ । "सामान्यतः नयका विचार वलन लोग, आउ अइसनको लोग भी जेकरा में नयका शब्द कहे के जरिक्को सन क्षमता होवऽ हइ, असाधारण रूप से कम पैदा होवऽ हइ, बल्कि विचित्र रूप से बहुत कम । एक बात खाली स्पष्ट हइ, कि लोग के अस्तित्व के क्रम, ई सब्भे वर्ग आउ उप-विभाजन, के निश्चय बिलकुल सही-सही आउ शुद्धता के साथ कोय न कोय प्रकृति के नियम के अनुसार होवे के चाही । ई नियम, जाहिर हइ, कि अभी अज्ञात हइ, लेकिन हमरा विश्वास हइ, कि एकर अस्तित्व हइ आउ बाद में ई ज्ञात हो जा सकऽ हइ । लोग के विशाल समुदाय तो खाली एगो सामग्री हइ, आउ ई संसार में खाली एहे लगी अस्तित्व में हइ, कि आखिरकार, कोय प्रयास से, अभी तक कइसनो रहस्यमय प्रक्रिया से, नसल आउ जाति के संकरण (interbreeding) से, बड़गर मशक्कत से आखिरकार संसार में, हजार में कम से कम एगो कुछ स्वतंत्र व्यक्ति पैदा कर सकऽ हइ । आउ अधिक व्यापक स्वतंत्रता के साथ, शायद, दस हजार में कोय एगो पैदा होवऽ हइ (ई हम मोटा-मोटी, दृष्टांतवत् बता रहलिए ह) । एकरो से आउ अधिक व्यापक - लाख में से एगो । प्रतिभाशाली लोग - करोड़ो में एगो; आउ महान प्रतिभाशाली, मानवता के उच्च प्रवर्तक - शायद पृथ्वी पर अरबो-खरबो लोग के गुजर गेला के बाद । एक शब्द में, हम तो ऊ भभका (retort) में हुलकके नयँ देखलिए ह, जेकरा में ई सब प्रक्रिया होवऽ हइ । लेकिन अइसन एगो निश्चित नियम अवश्य हकइ, आउ होवहूँ के चाही; ई संयोग के बात नयँ हो सकऽ हइ ।"

"तोहन्हीं दुन्नु मजाक तो नयँ कर रहलऽ ह न ?" आखिरकार रज़ुमिख़िन चिल्लइलइ । "दुन्नु एक दोसरा के बेवकूफ तो नयँ बना रहलऽ ह न ? बइठल हका आउ एक दोसरा पर मजाक उड़ा रहला ह ! तूँ गंभीर तो हकऽ, रोद्या ?"
रस्कोलनिकोव चुपचाप अपन पीयर आउ उदास चेहरा उपरे उठाके ओकरा तरफ देखलकइ आउ कोय जवाब नयँ देलकइ । आउ ई शांत आउ उदास चेहरा के साथ-साथ पोरफ़िरी के अगोपनीय, हठी, चिड़चिड़ा आउ अशिष्ट कटाक्ष रज़ुमिख़िन के विचित्र लगलइ ।

"खैर, भाय, अगर वास्तव में ई गंभीर बात हइ, तो ... तोर कहना, निस्संदेह, सही हको, कि ई कोय नयका बात नयँ हइ, आउ ऊ सब कुछ से मेल खा हइ, जे हमन्हीं हजारो तुरी पढ़ आउ सुन चुकलिए ह; लेकिन ई सब कुछ में वस्तुतः मौलिक बात हइ - आउ वस्तुतः, हम तो सोचके भयभीत हो जा ही, कि ई विचार बिलकुल खाली तोरे हको - कि अपन अंतःकरण से, आउ हमरा माफ करिहऽ, एतना कट्टरपन के साथ भी, खून-खराबा के सही ठहरावऽ हो ... मतलब कि एहे तोर लेख के मुख्य विचार हको । वस्तुतः अंतःकरण से ई खून-खराबा के उचित ठहराना, ई ... ई, हमर विचार में, जादे भयंकर हइ, बनिस्पत कि खून-खराबा के कार्यालयीन तौर पे, कानूनन उचित ठहरावल जाय ..."

"बिलकुल सच बात हइ; आउ जादे भयंकर हइ, जी", पोरफ़िरी सहमति प्रकट कइलकइ ।
"नयँ, तूँ कइसूँ बात के बढ़ा-चढ़ाके कहलऽ होत ! एकरा में गलती हइ । हम पढ़बो ... तूँ भावना में बह गेलऽ ह ! तूँ अइसन नयँ सोच सकऽ ह ... हम पढ़बो ।"
"लेख में ई सब नयँ हइ, ओकरा में खाली इशारा कइल गेले ह", रस्कोलनिकोव बोललइ ।

"जी हाँ, जी हाँ", पोरफ़िरी से शांत नयँ बइठल गेलइ, "महोदय, हमरा अभी लगभग स्पष्ट हो गेलइ, कि अपने अपराध के कइसे देखऽ हथिन, लेकिन ... हमर दुराग्रह लगी हमरा क्षमा करथिन (हम अपने के परेशान कर रहलिए ह, हम बहुत लज्जित हिअइ !) - जी, देखवे करऽ हथिन, अपने तो दुन्नु किसिम के लोग के आपस में सम्मिश्रण के मामला के बारे गलतफहमी के संबंध में बहुत कुछ परेशानी दूर कर देलथिन हँ, जी, लेकिन ... हमरा कइएक तरह के व्यावहारिक मामला फेर से परेशान करते रहऽ हइ ! मान लेल जाय कि कोय अदमी, चाहे नौजवान, कल्पना करऽ हइ, कि ऊ लिकुर्गुस या मुहम्मद हइ ... भावी, जाहिर हइ - आउ सब्भे बाधा के हटावे लगी चालू कर दे हइ ... ओकरा पास बड़गो अभियान हइ, आउ अभियान में पइसा के जरूरत होवऽ हइ ... आउ ई अभियान खातिर एकरा प्राप्त करे ल शुरू कर दे हइ ... तब की होतइ, जानऽ हथिन ?"

ज़म्योतोव अचानक अपन कोना से मुँह बन करके हँसलइ । रस्कोलनिकोव भी ओकरा दने आँख उठाके नयँ देखलकइ ।
"हम स्वीकार करऽ हिअइ", ऊ शांत भाव से उत्तर देलकइ, "कि अइसन घटना हो सकऽ हइ । बेवकूफ आउ मिथ्याभिमानी लोग विशेष करके ई जाल में फँस सकऽ हइ; नौजवान लोग खास करके ।"
"तब देखवे करऽ हथिन, महोदय । तब आखिर अइसन हालत में की होतइ, महोदय ?"

"तइयो अइसहीं", रस्कोलनिकोव मुसकइलइ, "एकरा में हमर कोय कसूर नयँ । ओइसन हकइ आउ हमेशे रहतइ। अइकी ऊ (ऊ रज़ुमिख़िन तरफ सिर हिलाके इशारा कइलकइ) अभी बोलला, कि हम खून-खराबा के अनुमोदन करऽ हिअइ । एकरा से की ? समाज में वस्तुतः बहुत कुछ के प्रावधान कइल हइ - निर्वासन (देशनिकाला), जेल, न्यायालय अन्वेषक (court investigators), कालापानी - फेर चिंता कउन बात के ? बस, चोर के पता लगाथिन ! ..."

"खैर, अगर हम पता लगा लिअइ ?"
"हुएँ ओकरा लगी रस्ता हइ ।"
"अपने तो बस तर्क दे हथिन । अच्छऽ महोदय, ओकर अंतःकरण के संबंध में ?"
"लेकिन अपने के ओकरा से की मतलब हइ ?"
"जी, बस मानवता के अधार पर ।"
"जेकरा ऊ हकइ, ऊ भुगततइ, अगर अपन गलती मान ले हइ । आउ एहे ओकर सजा होतइ - एकरा अलावे कालापानी ।"
"अच्छऽ, लेकिन जे वास्तविक प्रतिभाशाली लोग हइ", नाक-भौं सिकोड़ते रज़ुमिख़िन पुछलकइ, "एकन्हीं तो ऊ लोग हइ, जेकरा केकरो गला रेत देवे के अधिकार देल हइ, त की ओकन्हीं के बिलकुल नयँ भुगते के चाही, खून बहइला के बादो ?"

"हियाँ काहे लगी ई शब्द - 'चाही' ? हियाँ न तो अनुमति के बात हइ, आउ न मनाही के । ओकरा भुगते देल जाय, अगर ओकरा पीड़ित खातिर अफसोस हइ ... कष्ट भुगतना आउ पीड़ा हमेशे व्यापक चेतना आउ गम्भीर हृदय खातिर अनिवार्य हइ । वास्तविक महान लोग के, हमरा लगऽ हइ, ई संसार में भयंकर दुख के अनुभव करे के चाही ।" ऊ अचानक विचारमग्न मुद्रा में बोललइ, वार्तालाप के लहजा में भी नयँ ।

ऊ आँख उठइलकइ, विचारमग्न भाव से सबके तरफ देखलकइ, मुसकइलइ, आउ अपन टोपी लेलकइ । जब ऊ अंदर अइले हल, ओकर तुलना में बहुत शांत हलइ, आउ ऊ ई बात के महसूस कइलकइ । सब कोय उठ गेते गेलइ ।

"अच्छऽ जी, अपने अगर चाहथिन त हमरा डाँट सकऽ हथिन, गोस्सा कर सकऽ हथिन, लेकिन हम एक बात अपन मन में नियंत्रित कइले नयँ रख सकऽ हिअइ", पोरफ़िरी पित्रोविच फेर बोललइ, "हमरा एगो छोट्टे गो सवाल करे के अनुमति देथिन (हम अपने के बहुत परेशान कर रहलिए ह, जी !), खाली एगो छोटगर विचार प्रस्तुत करे लगी चाहऽ हलिअइ, खाली एहे गुनी कि हम कहीं भूल नयँ जइअइ, जी ..."
"ठीक हइ, अपन विचार बताथिन", पीयर आउ गंभीर होल इंतजार में रस्कोलनिकोव ओकरा सामने खड़ी रहलइ ।

"वस्तुतः बात ई हइ, जी ... सचमुच हमरा समझ में नयँ आवऽ हइ, कि अपन बात के कइसे निम्मन से प्रस्तुत करिअइ ... ई छोटगर विचार तो बहुत शरारत भरल ... मनोवैज्ञानिक ढंग के हइ, जी ... अइकी बात ई हइ जी, जब अपने अपन लेख लिख रहलथिन हल - त ई नयँ हो सकऽ हइ, हे-हे ! कि अपने खुद के भी नयँ मान रहलथिन हल, चाहे केतनो छोटगर - 'असामान्य' व्यक्ति आउ नयका शब्द कहे वला - मतलब अपनहीं अर्थ में, जी ... हइ न ई बात, जी ?"
"बहुत मुमकिन हइ", तिरस्कारपूर्वक रस्कोलनिकोव जवाब देलकइ ।
रज़ुमिख़िन कुछ कसमसइलइ ।

"आ अगर अइसन हइ, त की वास्तव में अपनहूँ खुद अइसन निर्णय ले ले सकऽ हथिन - कोय सांसारिक विफलता आउ बाधा, चाहे कइसूँ संपूर्ण मानव जाति के प्रगति लगी - बाधा के पार करे खातिर ? ... मसलन, केकरो हत्या कर देवे आउ लूट लेवे के ? ..."
आउ ऊ कइसूँ अचानक फेर से बामा अँखिया से ओकरा तरफ मटकी मालकइ आउ अश्रव्य (inaudible) हँसी हँसलकइ - ठीक पहिलहीं नियन ।
"अगर हम पार करवो करतिए हल, तो निस्संदेह, हम अपने के नयँ बतइतिए हल", रस्कोलनिकोव चुनौती आउ दंभ से भरल तिरस्कार से जवाब देलकइ ।
"नयँ, महोदय, हमरा खाली अइसीं रुचि हइ, विशेष करके, अपने के लेख के समझे खातिर, खाली साहित्यिक अर्थ के संबंध में, महोदय ..."
"उफ, ई केतना स्पष्ट आउ ढीठ हइ !" रस्कोलनिकोव नफरत के साथ सोचलकइ ।
"हमरा ई बतावे के अनुमति देथिन", ऊ रुखाई से जवाब देलकइ, "कि हम अपना के न तो मुहम्मद समझऽ हिअइ, न नैपोलियन ... आउ न दोसरा कउनो अइसन व्यक्तित्व, ओहे से, उनकन्हीं जइसन कोय व्यक्ति नयँ होवे के कारण, अपने के ओकरा बारे कोय संतोषजनक स्पष्टीकरण नयँ दे सकऽ हिअइ, कि हम की करतिए हल ।"
"खैर, छोड़थिन भी, रूस में हमन्हीं सब में आझकल केऽ नयँ अपना के नैपोलियन समझऽ हइ ?" अचानक पोरफ़िरी भयंकर परिचयात्मकता के लहजा में बोललइ ।
ओकर अवाज के स्वर-शैली में भी अबरी कुछ तो विशेष रूप से स्पष्ट हलइ ।
"त कहीं कोय भावी नैपोलियने हमर अल्योना इवानोव्ना के तो पिछले सप्ताह कुल्हाड़ी से ठिकाने नयँ लगा देलकइ ?" कोना से ज़म्योतोव अचानक बकलकइ ।

रस्कोलनिकोव चुप्पी साधले रहलइ आउ एकटक, दृढ़तापूर्वक पोरफ़िरी तरफ देखलकइ । रज़ुमिख़िन उदास नाक-भौं सिकोड़ले हलइ । ओकरा मानूँ पहिलहीं से कुछ लगे लगले हल । ऊ गोस्सा से चारो तरफ देखलकइ । मिनट भर उदासी भरल खामोशी छाल रहलइ । रस्कोलनिकोव चल देवे खातिर मुड़लइ ।

"अपने जा रहलथिन हँ !" शिष्टतापूर्वक अपन हाथ बढ़इते पोरफ़िरी नम्रतापूर्वक बोललइ । "अपने से मिलके बहुत बहुत खुशी होलइ । आउ अपन निवेदन के संबंध में कोय शंका नयँ करथिन । जइसन हम बतइलिअइ, ओइसीं लिख देथिन । आउ सबसे बेहतर ई होतइ कि अपने हमरा हीं हुआँ खुद्दे आ जाथिन ...  कइसूँ एक-दो दिन में ... बल्कि हो सकइ त बिहान । हम करीब एगारह बजे हुआँ पक्का रहबइ । सब कुछ के निपटारा कर लेते जइबइ ... आउ कुछ देर बातचीत करते जइबइ ... चूँकि अपने हुआँ अंतिम समय में भेंट करे वलन में से एक हलथिन, त शायद हमन्हीं के कुछ बता सकथिन ..." ऊ बड़ी सहृदय भाव से बोललइ ।

"अपने हमरा बाकायदा सरकारी तौर पर, पूरे विवरण के साथ, पूछताछ करे लगी चाहऽ हथिन ?" तीक्ष्ण स्वर में रस्कोलनिकोव पुछलकइ ।
"काहे लगी, महोदय ? अभी तो एकर बिलकुल जरूरत नयँ हइ । अपने के गलतफहमी हइ । जइसन कि देखवे करऽ हथिन, हम कोय मौका छोड़े लगी नयँ चाहऽ हिअइ आउ ... आउ सब्भे गिरवी रक्खे वलन से पहिलहीं बातचीत कर चुकलिए ह ... कुछ से गोवाही ले चुकलिए ह ... आउ अपने, अंतिम भेंटकर्ता के रूप में ... अरे हाँ, एहे सिलसिले में !" कोय कारणवश अचानक खुश होके ऊ बोललइ, "प्रसंगवश हमरा आद अइलइ, की सोच रहलिए हल हम ! ..." ऊ रज़ुमिख़िन तरफ मुड़लइ, "तूँ ऊ निकोलाश्का के बारे तखने हमर कान खइते रहऽ हलऽ ... खैर, ई तो हम खुद्दे जानऽ हिअइ, खुद जानऽ हिअइ", ऊ रस्कोलनिकोव तरफ मुड़लइ, "कि ऊ लड़का निर्दोष हइ, लेकिन की कइल जाय, मित्का के भी परेशान करे पड़लइ ... बात ई हइ, जी, बस कुल्लम एतने, जी - ज़ीना पर से ऊ बखत जइते ... माफ करथिन - सात बजे के बाद अपने हुआँ होके अइलथिन हल, जी ?"

"सात बजे के बाद", रस्कोलनिकोव उत्तर देलकइ, लेकिन ओहे पल ओकरा ई बात खटकलइ कि ई बात नयँ बोले के चाही हल ।
"त, जी, सात आउ आठ के बीच, ज़ीना से जइते, की अपने दोसरा मंजिल पर एगो खुललका फ्लैट में नयँ देखलथिन हल - आद हइ ? - दू गो मजूर, चाहे दुन्नु में से कोय एगो के ? ओकन्हीं हुआँ देवाल के पोताय कर रहले हल, की नोटिस कइलथिन हल ? ई बात ओकन्हीं लगी बहुत बहुत महत्त्व रक्खऽ हइ ! ..."

"पोताय करे वला मजूर ? नयँ, नयँ देखलिअइ ...", धीरे-धीरे आउ मानूँ आद करे लगी अपन सिर खुजलइते रस्कोलनिकोव उत्तर देलकइ, आउ ओहे पल अपन पूरा दिमाग लगइते आउ चिंता से जम गेल जइसे तुरते ई अंदाज लगावे के कोशिश कइलक, कि फंदा काहाँ पर हके, आउ कइसे कोय बात चूक नयँ पावे । "नयँ, नयँ देखलिअइ, आउ कोय खुल्लल फ्लैट तो नयँ देखलिअइ ... लेकिन चौठा मंजिल पर (अब तक पूरा तरह से फंदा पकड़ लेलके हल आउ जीत पर खुश हो रहले हल) - हमरा आद हइ, कि एगो अफसर फ्लैट छोड़के जा रहले हल ... अल्योना इवानोव्ना के ठीक सामने वला फ्लैट ... आद हकइ ... ई हमरा साफ-साफ आद हइ ... सैनिक सब एक प्रकार के सोफा बाहर निकासब करऽ हलइ आउ हमरा देवलिया तरफ दाब देलके हल ... लेकिन पोताय करे वला मजूरवन के - नयँ, हमरा आद नयँ हइ, कि मजूरवन हलइ ... लेकिन लगऽ हइ कि कहीं पर कोय खुल्लल फ्लैट नयँ हलइ । हाँ; नयँ हलइ ..."

"तोहर कहे के की मतलब हको ?" अचानक रज़ुमिख़िन चिल्लइलइ, मानूँ कुछ आद आ गेला पर मामला समझ में आ गेल होवे, "पोताय करे वलन तो ठीक हत्या होला के दिन काम कर रहले हल, आउ ई तो ओकर तीन दिन पहिले हुआँ गेला हल ? तूँ उनका से की पूछ रहलहो ह ?"

"उफ ! सब कुछ उलझा देलिअइ !" पोरफ़िरी अपन निरार ठोंकते बोललइ । "लानत हइ ! ई काम से तो हमर दिमाग खराब हो गेल ह !" ऊ मानूँ माफी भी माँगते रस्कोलनिकोव तरफ मुड़लइ, "हमरा लगी वास्तव में ई जानना बहुत माने रक्खऽ हइ, कि ओकन्हीं के कोय देखलके हल, सात आउ आठ के बीच, फ्लैट में; एहे बात अभी हमर दिमाग में हलइ, कि अपने भी कुछ बतला सकथिन ... सब बात उलझा देलिअइ !"

"मतलब आउ जादे सवधानी बरते के चाही", खिन्न होते रज़ुमिख़िन टिप्पणी कइलकइ ।
ई अंतिम शब्द प्रवेशकक्ष में पहुँच गेला पर कहल गेले हल । पोरफ़िरी पित्रोविच अत्यधिक शिष्टाचार से ओकन्हीं के दरवाजा तक छोड़े लगी अइलइ । दुन्नु बाहर रोड पर उदास आउ चिड़चिड़ा होल निकसलइ आउ कुछ डेग तक एक्को शाब्द नयँ बोलते गेलइ । रस्कोलनिकोव उच्छ्वास लेलकइ ...

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