मार्को पोलो के साहसिक विश्व-यात्रा - भाग
2
[From Chandamama (Hindi), Jun 1960, pp.49-52]
[49] फारस बहुत बड़गो देश हइ। ओकरा में आठ राज्य हलइ - कास्विन,
कुर्दिस्तान, लुरिस्तान, घलिस्तान, इस्फहान, शिराज, शबनकारा, तूनकैसल।
ई देश में निम्मन नस्ल के घोड़ा होवऽ हलइ।
ओकरा भारत भी भेजल जा हलइ। हियाँ परी गदहो के काफी उपयोग हलइ, काहेकि बिन कुछ खइलहूँ
ऊ वजन उठावऽ हलइ, जे घोड़ा आउ खच्चर नञ् ले जा पावऽ हलइ। ई ऊ सब व्यापारी लगी बहुत उपयोग
में आवऽ हलइ जे एक देश से दोसर देश रेगिस्तान में से जाल करऽ हलइ। ई सब राज्य में रहे
वला दुष्ट आउ निर्दय होवऽ हलइ। व्यापारी लोग के ई सब से नुकसान नञ् होवे, खतरा नञ्
होवे, ओहे से तातार राजा सब बहुत सारा इंतजाम कर रखलके हल। तइयो ओकन्हीं के हथकंडा
जारी रहलइ।
फारस के मुख्य शहरवन में से याज्द एक हलइ।
ई बहुत सुन्दर शहर हलइ आउ व्यापार के केन्द्र भी हलइ। हियाँ से सात रोज के सफर के बाद
कर्मान राज्य आवऽ हलइ। ई फारस के सीमा पर हइ। हियाँ पहड़वन के खोदला से हीरा मिल्लऽ
हलइ। हियाँ अइसनो कारीगर हलइ जे लोहा से निम्मन हथियार बनावऽ हलइ। कर्मान राज्य के
बारे एगो विचित्र कथा [50] हइ। हुआँ के लोग शान्त, परोपकारी आउ सीधा-सादा हइ। एक तुरी कर्मान के राजा
अपन राज्य के बड़गर बुजुर्ग लोग के एकत्र करके कहलकइ - "हमर समीपवर्ती फारस में
लोग धूर्त, दुष्ट आउ हत्यारा हइ, जबकि हमर लोग सीधा-सादा आउ भोला-भाला हइ। एकर कारण
कीऽ हइ? ई सन्देह हमरा बहुत सता रहल ह।
बुजुर्ग लोग कहते गेलइ कि ई भेद मट्टी में
हइ। सुन्नल जा हइ, तुरते राजा इस्फहान आदमी दौड़इलकइ। आउ हुआँ से सात जहाज भरके अपन
देश में मट्टी मँगइलकइ। ऊ मट्टी के कइएक कमरा में डालके ओकरा पर कालीन बिछाके हुआँ
परी लोग के ऊ दावत देल करइ। दावत खतम होवे से पहिलहीं ओकन्हीं तूँ-तूँ हम-हम करे लगइ,
झगड़इ। कहे के मतलब ई कि बुजुर्ग के कहना सही निकसलइ।
कर्मान शहर से नो दिन के सफर के फासला पर
रुद्बार नामक देश हलइ। हियाँ करौना जाति के डाकू लोग के गिरोह रहऽ हलइ। करौना मिश्रित
जाति के हलइ यानी ओकन्हीं के पिता तातार हलइ आउ माता भारतीय।
निप्रादार नाम के तातार दस हजार सैनिक के
साथ लेके अर्मेनिया से बदखशान, पाशाय, कश्मीर आदि होते दिलवार राज्य में अइलइ। हुआँ
के सुलतान के, जेकर नाम असिदीन हलइ, हराके ऊ खुद राजा हो गेलइ। ओकरा साथ जे तातार सब
अइले हल, ओकन्हीं के भारतीय स्त्री के सन्तान हीं ई सब करौना हलइ। कहल जा हइ, ई मलाबार
से मन्त्र-शक्ति सीखके अइले हल। दिन-दहाड़े ई सब अन्हेरा कर दे हलइ। व्यापारी सब के
लूट ले हलइ। जे मुकाबला करइ ओकन्हीं के मार देते जाय। छोटकन के पकड़के गुलाम बनाके बेच
देइ। रुद्बार के मैदान उपजाऊ हलइ। होर्मूज बन्दरगाह पहुँचके भारतीय लोग [51] के इन्तजार करइ।
अपन ऊँट आउ खच्चर सब के ई सब मैदान में चरे
लगी भेजल करइ। ओहे से करौना ई प्रदेश में जादे घुम्मऽ-फिरऽ हलइ। मार्को पोलो एकन्हीं
के हाथ में बिन अइले जइसे-तइसे निकस गेलइ। ओकरा साथ जे सब हलइ, ओकन्हीं में से कइएक
पकड़ा गेलइ और जान मार डालल गेलइ।
हियाँ से होर्मुज बन्दरगाह तक दू दिन के सफर
हलइ। ई बहुत मशहूर बन्दरगाह हलइ। व्यापार के बड़गो केन्द्र भी हलइ। हियाँ बहुत गरमी
पड़ऽ हलइ। कभी-कभी गरमी में रेगिस्तान के तरफ से जबरदस्त लूक (लू) चलऽ हलइ। ई लूक के
चलते लोग खटमल के तरह छिटपिटाके मरइ।
जे कर्मान से उत्तर तरफ जाय, ओकन्हीं के सफर
बहुत खतरनाक रहइ। तीन दिन तक रस्ता में पनिए नञ् मिल्लइ। ओकर बाद एगो गुप्त नदी मिल्लऽ
हलइ। फेर चार दिन बिन पानी के सफर कइला के बाद कूबतान नाम के शहर आवइ। हियाँ से तूनकैन
राज्य सब के तरफ आठ दिन के रस्ता हलइ। ई सब राज्य फारस के उत्तर के सरहद पर हलइ। हियाँ
परी एगो बड़गो मैदान हलइ। ओकरा में "एकाकी वृक्ष" हलइ। ई वृक्ष से एक तरफ
दस मील तक आउ तीन तरफ सो मील तक कोय पेड़ नञ् हलइ। ओहे से एकरा "एकाकी वृक्ष"
कहल जा हलइ।
ओकर बाद तुलहत नाम के देश आवऽ हलइ। हियाँ
कभी एगो "पहाड़ी राजा" रहऽ हलइ। ओकर नाम हलइ अल्लाउद्दीन। ऊ दू पहाड़ के बीच
के घाटी में बड़गो-बड़गो बाग बनवइलकइ आउ बड़ी आलीशान मकानो बनवइलकइ। ऊ सब मकान में ऊ बड़ी
सुन्दर-सुन्दर औरत रखले हलइ। ऊ प्रान्त के देखके स्वर्ग के भ्रान्ति होवऽ हलइ। जइसे
मोहम्मद [52] स्वर्ग के कल्पना कइलथिन हल, ओइसहीं हियाँ परी दूध, पानी, शराब के नदी बहल
करइ।
अगर ऊ अपन कोय दुश्मन के हत्या करवावे लगी
चाहइ, त ऊ ओकरा कइसूँ अपन किला में ले आवइ। ओकरा नशा के चीज देके बेहोशी के समय ओकरा
बाग में औरतियन भिर पहुँचवा देइ। होश में अइला पर ओकरा लगइ, जइसे ऊ स्वर्ग में हइ।
जब ओकरा हत्या लगी भेजल जाय, त ओकरा नशा के
चीज देके फेर से किला में लावल जाय। होश में अइतहीं ओकरा लगइ, जइसे स्वर्ग से दूर हो
गेलइ।
"अगर तूँ फेर से स्वर्ग जाय लगी चाहऽ
हँऽ, त फलना राजा के मार। फेर तोरा स्वर्ग में भेज देबउ।" केकरा-केकरा मारे लगी केकरा भेजल जाय के जरूरत रहऽ
हलइ, ई "पहाड़ी राजा" बड़ी होशियारी से निश्चित करइ। जब ओकन्हीं अपन काम करके
वापिस आवइ, त ओकन्हीं लगी बड़गो-बड़गो दावत देइ। जब ऊ ओकन्हीं के हत्या करे लगी भेजइ,
त पीछू से अपन दूत भेजइ, ई देखे लगी कि ओकन्हीं आज्ञापालन कर रहले ह कि नञ्। ओकन्हीं
बेचारा, जे सोचऽ हलइ कि ओकन्हीं स्वर्ग हो अइले ह, मृत्यु के परवाह नञ् करइ।
छोटगर ख़ान लोग में से एक, जेकर नाम हुकाग
हलइ, ई पहाड़ी राजा के बारे सुनलकइ। ओकरा मारे लगी 1262 ई॰ में ऊ एगो बड़गो सेना भेजलकइ।
ऊ सेना आके तीन साल तक ओकर किला के घेरा डालले रहलइ। जब खाय-पीए के चीज किला में समाप्त
हो गेलइ, त पहाड़ी राजा हथियार डाल देलकइ। तातार ख़ान पहाड़ी राजा आउ ओकर हत्यारा सब के
मरवा देलकइ। ई तरह से ऊ लोग के उपकार कइलकइ।
(क्रमशः)