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Friday, December 20, 2019

पितिरबुर्ग से मास्को के यात्रा ; अध्याय 26. लोमोनोसोव के गुणगान


[*419]                         लोमोनोसोव के गुणगान

गरमी के झरक के दिन के बाद मनोहर शाम हमरा हमर कोठरी से बाहर हाँक देलकइ। हम अपन कदम नेव्स्की मठ (Nevsky Monastery) दने बढ़इलिअइ, आउ बहुत देर तक ओकर पीछू के उपवन (grove) में चहलकदमी करते रहलिअइ[1] (*)। सूरज अपन चेहरा छिपा चुकले हल, लेकिन रात के हलका परदा मोसकिल से नीला मेहराब (अर्थात् आकाश) पर अनुभव कइल जा सकऽ हलइ[2] (**)। घर वापिस आते बखत, हम नेव्स्की कब्रगाह से होके गुजरलिअइ। गेट खुल्ला हलइ। हम अन्दर घुस गेलिअइ ... ई शाश्वत शान्ति के स्थान पर, जाहाँ परी अत्यन्त कठोर भृकुटी में भी निस्सन्देह शिकन आ जइतइ, ई सोचके कि हियाँ परी सब्भे उत्कृष्ट उपलब्धि के अन्त हो जाय के चाही; ई स्थिर शांति आउ अटल विरक्ति के स्थान पर, लग सकऽ हलइ कि शेखीबाजी, अहंकार आउ दम्भ लगी कोय जगह नञ् होतइ। लेकिन शानदार मकबरा? [*420] ई सब निस्सन्देह मानव अहंकार के चिह्न हइ; लेकिन हमेशे लगी जीए के ओकर कामना के चिह्न हइ। लेकिन कीऽ ई शाश्वतता (eternity) हइ, जेकरा लगी मानव एतना लालायित रहऽ हइ? ... तोर सड़न के उपरे खड़ी कइल ई स्तम्भ तोर स्मृति के अत्यन्त दूर के पीढ़ी लगी संरक्षित नञ् रखतो। तोर नाम उत्कीर्ण कइल पत्थल, भावी शताब्दी में तोर गौरव के नञ् वहन करे वला हको। तोर शब्द हमेशे आउ शताब्दी-शताब्दी तक तोर रचनावली में, रूसी जनजाति के शब्द, हमन्हीं के भाषा में तोहरा से नवीनीकृत होल, शताब्दी-शताब्दी के अनन्त क्षितिज पर, लोग के होंठ पर उड़तो। प्राकृतिक शक्ति सब एकजुट होके पृथ्वी के फोड़के गहरा खाई पैदा करे, आउ ई भव्य शहर के निगल जाय, जाहाँ से तोर उच्च स्वर के गान विस्तृत रूस के सब्भे कोना में सुनाय दे; कोय क्रुद्ध विजेता तोर प्रिय पितृभूमि के नामो नष्ट कर दे - लेकिन जब तक रूसी शब्द कान पर पड़तइ, तूँ जिन्दा रहबऽ आउ मरबऽ नञ्। जब ई सुनाय देतो, [*421] तब तोर गौरव भी समाप्त हो जइतो। ई तरह से मरना तो गौरव के बात हइ। लेकिन अगर कोय गणना कर सकइ कि ई गौरव कब तक जारी रहतइ, अगर भविष्यवाणी के अँगुरी तोर नाम के सीमा बता सकइ, त कीऽ ई शाश्वतता नञ् हइ? ... ई बात भावावेश में हमर मुँह से तब उद्गार के रूप में निकस पड़लइ, जब हम ऊ स्तम्भ के सामने खड़ी हलिअइ, जेकरा लोमोनोसोव के शव के ऊपर बनावल गेले हल। - नञ्, ई भावशून्य (cold) पत्थल नञ् बतइतो कि तूँ रूसी नाम के गौरव पर जियलहो, ई नञ् बता सकऽ हको कि तूँ केऽ हलहो। तोर रचनावली (कारनामा), हमन्हीं के एकरा बारे बतइतो, तोहर जिनगी बतइतो कि तूँ काहे प्रसिद्ध हकहो।
काहाँ हकऽ तूँ, ऐ! हमर प्रिय मित्र[3]! काहाँ हकऽ तूँ? आवऽ आउ हमरा साथ ई महान पुरुष के बारे में चर्चा करऽ। आवऽ आउ रूसी शब्द के संस्थापक के माला अर्पित कइल जाय। दोसर लोग, जे शक्ति के चापलूस हइ, शक्ति आउ बल के प्रशंसा करे। हमन्हीं, समाज के सेवा खातिर गीत गइबइ।
मिख़ाइल वसील्येविच लोमोनोसोव[4] के जन्म ख़ोल्मोगोरी में होले हल ... अइसन पिता के पुत्र [*422], जे उनका शिक्षा नञ् दे पइलथिन हल, जेकर माध्यम से, उनकर समझ उपयोगी आउ मनोहर जानकारी से तेज आउ पल्लवित होते हल; अपन परिस्थिति से निर्धारित कइल, अइसन लोग के बीच अपन दिन गुजारे पड़लइ, जेकन्हीं के सोचे-विचारे के सीमा ओकन्हीं के अपन पेशा से बाहर नञ् जा हइ; माहीगिरी (fishing) के काम आउ अपन काम लगी मजूरी पावे लगी प्रयास के बीच, अपन समय के बाँटे लगी लचार; युवा लोमोनोसोव के मस्तिष्क ऊ विशालता के प्राप्त नञ् कर सकऽ हलइ, जे ऊ प्रकृति के परिश्रमपूर्वक अध्ययन करके उपलब्ध कर सकऽ हलथिन, आउ न गला के ऊ मधुरता, जे विद्या के पवित्र देवी (Muses) के सान्निध्य में मिलते हल। अपन पिता के घर में शिक्षा के नाम पर जे कुछ प्राप्त कइलथिन, ऊ हलइ नगण्य, लेकिन सिक्खे के कुंजी - पढ़े आउ लिक्खे के ज्ञान, आउ प्रकृति से - उत्सुकता। आउ प्रकृति! एहे तो तोर विजय हउ। तीव्र उत्सुकता, तोर देल हमन्हीं के आत्मा में, वस्तु सब के ज्ञान प्राप्त करे के प्रयास करऽ हइ; आउ महत्त्वाकांक्षा से उबल रहल [*423] हृदय, रोक रहल बेड़ी के सहन नञ् कर सकऽ हइ। ई गरजऽ हइ, खदबदा हइ, कराहऽ हइ, पल भर में बन्धन के तोड़के सीधे उड़ जा हइ, (बिन कोय बाधा के) अपन लक्ष्य दने। सब कुछ भूल जा हइ, खाली एक्के लक्ष्य मस्तिष्क में रहऽ हइ; एकरे से हम साँस ले हिअइ, एकरे से जीयऽ हिअइ।
अपन वांछित वस्तु के अपन आँख से ओझल नञ् होवे देके, समाज के सबसे निचला तबका के ज्ञान के स्रोत से बह रहल सबसे छोटगर सोता से, युवक वस्तु सब के जानकारी संग्रह करऽ हइ। बिन कोय मार्गदर्शन के, जे केतना आवश्यक होवऽ हइ समझ के तीव्र बनावे में, ऊ अपन मस्तिष्क के पहिला शक्ति, स्मृति, के तीव्र आउ अलंकृत करऽ हइ, जे ओकर विवेक के तीव्र करते हल। ज्ञान के ई संकीर्ण दायरा, जे ऊ अपन जन्म स्थान में प्राप्त कर सकलइ, ओकर ज्ञान पिपासा के शांत नञ् कर सकलइ, बल्कि एकर विपरीत, युवक में आउ सिक्खे के अदम्य प्रयास करे लगी प्रोत्साहित कइलकइ। ऊ भाग्यशाली हलइ! कि अइसन उमर में, जब कामवासना उत्तेजित होला पर पहिले तुरी हमन्हीं के असंवेदनशीलता से बाहर लावऽ हइ, [*424] जब प्रौढ़ावस्था के नगीच पहुँचते जा हिअइ, तखने ओकर प्रयास वस्तु सब के जानकारी प्राप्त करे तरफ मुड़ गेलइ।
ज्ञानपिपासा से प्रेरित होके, लोमोनोसोव पैतृक घर छोड़ दे हका; राजधानी शहर चल जा हका, विद्यादेवी के मठ[5] (monastery of the Muses) में आ जा हका, आउ ओइसन युवक में अपन नाम लिखा ले हका, जे खुद के कला या सामान्य ज्ञान के विषय (liberal arts) आउ भगमान के शब्द के अध्ययन खातिर समर्पित कर दे हइ।
प्रारंभिक शिक्षा हइ - कइएक भाषा के ज्ञान; लेकिन प्रतीत होवऽ हइ मानुँ ई एगो काँटेदार मैदान हइ, आउ मानुँ नोकीला पत्थल से भरल पहाड़ हइ। आँख के हियाँ परी कोय मनोहर परिदृश्य (landscape)  नञ् देखाय दे हइ, यात्री के चरण लगी अराम खातिर कोय शांत जगह नञ्, थक्कल-माँदल खातिर हियाँ परी कोय हरियाली भरल शरण-स्थल नञ्। ई तरह से छात्र, कोय अपरिचित भाषा के अध्ययन प्रारम्भ करते बखत, ध्वनि के विविधता से हक्का-बक्का हो जा हइ। ओकर गला, वायु के निकसल अनजान सरसराहट से थक जा हइ, आउ ओकर जीभ, नयका तरह से हिलावे लगी [*425] लचार होल, अशक्त हो जा हइ। हियाँ परी मस्तिष्क सुन्न पड़ जा हइ, विवेक बिन काम के दुर्बल हो जा हइ, कल्पना अपन डैना के खो दे हइ; खाली स्मृति जागृत रहऽ हइ आउ तेज हो जा हइ, आउ अपन सब मोड़ आउ छिद्र के अब तक के अनजान ध्वनि से भर ले हइ। भाषा सिक्खे के दौरान सब कुछ घृणास्पद आउ भारी लगऽ हइ। अगर ई आशा के सुदृढ़ नञ् कइल गेलइ, कि अपन कान के असामान्य ध्वनि के अभ्यस्त कर लेला पर, आउ विदेशी उच्चारण के सीख लेला पर, बाद में सबसे मनोहर रस्ता ओकरा सामने खुल जइतइ, तब निस्सन्देह कोय अइसन कठिन रस्ता पर जाय लगी नञ् चाहतइ। लेकिन ई कठिनाई पर काबू पा लेला के बाद, आगू कठिनाई झेले में दृढ़ता लगी केतना गुना बड़गर पुरस्कार मिल जा हइ! प्रकृति के नयका-नयका पहलू आउ कल्पना के नयका शृंखला अवतरित हो जा हइ। विदेशी भाषा के जानकारी प्राप्त कर लेला से हम सब ऊ क्षेत्र के नागरिक बन जा हिअइ, जाहाँ परी एकर प्रयोग होवऽ हइ, कइएक सहस्र शताब्दी पूर्व तक रहे वला लोग के साथ बातचीत करते जा हिअइ, ओकन्हीं के विचार के [*426] अपनाऽ लेते जा हिअइ; आउ सब लोग आउ सब शताब्दी के आविष्कार आउ विचार के जोड़ देते जा हिअइ आउ सबके एक्के समुच्चय में ले आवऽ हिअइ।
भाषा के अध्ययन में दृढ़ परिश्रमशीलता, लोमोनोसोव के एथेंस आउ रोम के सह-नागरिक (fellow citizen) बना देलकइ। आउ उनकर ई दृढ़ता पुरस्कृत होलइ। एगो आन्हर अदमी नियन, जे अपन माय के गर्भ से बाहर अइला के बाद प्रकाश नञ् देखलकइ, जब दक्ष नेत्र चिकित्सक अपन हाथ से ओकर दृष्टि के अचानक ठीक कर दे हइ त दिन के उजाला के गौरव ओकरा लगी चमक उठऽ हइ; त्वरित दृष्टि से ऊ प्रकृति के सब सौन्दर्य के निहारऽ हइ, एकर विविधता आउ सरलता पर आश्चर्यचकित हो जा हइ। सब कुछ ओकरा मुग्ध कर दे हइ, सब कुछ ओकरा अचरज में डाल दे हइ। जे हमेशे आँख के दृष्टि से देखे के अभ्यस्त लोग से कहीं अधिक सजीवता से ओकर सौन्दर्य के अनुभव करऽ हइ, ओकर प्रशंसा करऽ हइ आउ भावोन्मत्त हो जाइ। अइसहीं लोमोनोसोव लैटिन आउ ग्रीक भाषा के ज्ञान प्राप्त करके, प्राचीन वक्ता आउ कवि के सौन्दर्य के निगल गेलथिन। उनकन्हीं से ऊ प्रकृति के सौन्दर्य के अनुभव करे लगी सिखलथिन; उनकन्हीं से ऊ कला के सब्भे नियम समझे लगी सिखलथिन, जे हमेशे काव्य के रूप में [*427] निहित रहऽ हइ, उनकन्हीं से ऊ सिखलथिन अपन भावना के अभिव्यक्त करे लगी, विचार के मूर्त रूप देवे लगी आउ निर्जीव के आत्मा प्रदान करे लगी।
अगर हमरा यथेष्ट शक्ति होते हल, त हम देखा देतिए हल कि कइसे महान पुरुष चरणबद्ध क्रम से अपन विचार में अनजान विचार के अपनाऽ लेलथिन, जे उनकर आत्मा आउ बुद्धि में रूपान्तरित होके एगो नयका रूप में उनकर रचना में अवतरित होलइ, अथवा बिलकुल दोसरे चीज के रूप में उत्पन्न होलइ, जे मानव मस्तिष्क लगी अब तक अनजान हलइ। हम ओकरा अपन विचारधारा के प्राचीन हस्तलेख में जानकारी खोजे के प्रस्ताव रखतिए हल, आउ ज्ञान के जउन रूप में भी कहीं सुरक्षित रहे के ओकरा आशंका लगे, ओद्धिर सगरो ढूँढ़े के। अकसर ओकर प्रत्याशा के विपरीत घटलइ, लेकिन चर्च के पुस्तक अकसर पढ़े के चलते ऊ अपन शैली के लालित्य (elegance) के स्थापना कइलकइ; आउ ओहे से ऊ अइसन अध्ययन के सुझाव ऊ सब लोग के दे हइ, जे रूसी शब्द (साहित्य) में  पटुता प्राप्त करे लगी चाहऽ हइ[6]
[*428] जल्दीए उनकर उत्सुकता एगो बड़गो संतुष्टि पइलकइ। ऊ प्रसिद्ध वोल्फ़[7] (Wolff) के शिष्य बन गेलथिन। मध्यकाल-दर्शन (वितण्डावाद, scholasticism), चाहे बेहतर कहल जाय, भ्रान्ति के नियम, जे उनका मठ के विद्यालय (monastic schools) में पढ़ावल गेले हल, के त्यागके, ऊ दर्शनशास्त्र के मन्दिर में प्रवेश खातिर दृढ़ आउ स्पष्ट चरण के प्रतिपादन कइलथिन। तर्कशास्त्र उनका सोचे-विचारे आउ तर्क-वितर्क करे लगी सिखइलकइ; गणित विश्वसनीय निष्कर्ष निकासे लगी आउ खाली प्रमाण पर विश्वास करे लगी; तत्त्वमीमांसा (metaphysics) उनका सिखइलकइ ऊहात्मक (conjectural, speculative) सत्य, जेकरा से अकसर भ्रान्ति होवऽ हइ; भौतिकी आउ रासायनिकी, जेकरा में शायद अपन कल्पनाशक्ति के लालित्य के कारण अत्यन्त समर्पण से अध्ययन कइलथिन, उनका प्रकृति के बेदी पर पहुँचइलकइ आउ ई दुन्नु विषय उनका लगी ओकर (अर्थात् प्रकृति के) रहस्य खोल देलकइ; धातुकी आउ खनिजिकी (metallurgy and mineralogy), पूर्ववर्ती विषय के उपपरिणाम (corollaries) के रूप में, उनकर ध्यान आकृष्ट कइलकइ; आउ लोमोनोसोव उत्साहपूर्वक ओकर नियम के जाने लगी चहलथिन, जे ई विज्ञान के नियंत्रित करऽ हइ।
फल आउ उत्पादन के प्रचुरता लोग के अइसन चीज के विनिमय करे लगी विवश कर देलकइ, [*429] जेकर कमी हलइ। एकरा से व्यापार विकसित होलइ। विनिमय में बड़गो कठिनाई के चलते हर तरह के धन आउ सम्पत्ति के द्योतक चिह्न या बिल्ला (tokens) के विचार करे के प्रेरणा देलकइ। मुद्रा के आविष्कार कइल गेलइ। सोना आउ चानी अपन उत्कृष्टता के कारण सबसे बहुमूल्य धातु के रूप में, आउ अब तक आभूषण के रूप में प्रयुक्त, हर तरह के उपलब्धि खातिर बिल्ला के रूप में परिवर्तित कइल गेलइ। आउ तभिए वास्तव में, मानव हृदय में ई अतोषणीय आउ घृणास्पद धन के प्रति शौक, सब कुछ निगल जाय वला ज्वाला नियन, भोजन प्राप्त करके बढ़ते चल जा हइ। तब अपन आदिम सरलता, आउ अपन स्वाभाविक पेशा, कृषि कार्य, के त्याग करके, मानव अपन जिनगी के भयंकर लहर के समर्पित कर देलकइ, अथवा भूख आउ मरुभूमि के गरमी के परवाह नञ् करके, ओकरा पार करके अनजान देश में चल गेलइ, धन-दौलत आउ खजाना के खोज में। तब सूरज के रोशनी के परवाह नञ् करके, जिंदा मानव [*430] कब्र के निच्चे गेलइ, आउ भूमि के गर्भ के फाड़के खुद लगी एगो बिल ढूँढ़ खोद लेलकइ, भूमि के सरीसृप नियन, जे रात में अपन भोजन खोजऽ हइ। ई तरह से मानव भूमि के गहराई में छिपके चमकइत धातु के खोज करऽ हलइ आउ अपन जिनगी के आधा अवधि कम कर ले हलइ, जहरीला भाफ के साँस लेवे से, जे भूमि के अंदर से निकसऽ हलइ। लेकिन जहर के भी कभी-कभी लत लग गेला पर, मानव लगी एकर प्रयोग एगो आवश्यक वस्तु हो जा हइ, ओइसीं खान में काम करे वला लोग के धातु निष्कर्षण भी हलाँकि जिनगी कम कर दे हइ, तइयो एकर घातकता के कारण एकर त्याग नञ् कइल गेलइ; एकर विपरीत, यथासंभव आसान से आसान तरीका से जादे से जादे धातु निष्कर्षण के युक्ति निकासल गेलइ।
ठीक एहे लोमोनोसोव सक्रिय रूप से जाने लगी चाहऽ हलथिन, आउ अपन इरादा के पूरा करे खातिर फ़्रायबुर्ग गेलथिन। हमरा लगऽ हइ कि हम उनका ऊ छिद्र के पास अइते देखऽ हिअइ, जेकरा से होके भूगर्भ से निष्कर्षित धातु [*431] बाहर निकसऽ हइ। एगो मद्धिम लालटेन ले हथिन, ऊ वांछित गहराई में प्रकाश खातिर, जाहाँ परी सूरज के किरण कभी नञ् पहुँचऽ हइ। पहिला कदम बढ़इलथिन; तर्क उनका चीखते पुच्छऽ हइ, "ई तूँ कीऽ करऽ हीं? कीऽ प्रकृति तोरा अपन उपहार से पुरस्कृत ई लगी कइलको ह, कि तूँ ओकर प्रयोग अपन बन्धु लोग के हानि पहुँचावे लगी करम्हीं? ई रसातल में उतरते बखत कउची सोचब करऽ हीं? कीऽ तूँ चानी आउ सोना के निष्कर्षण लगी आउ बेहतर कला प्राप्त करे लगी चाहऽ हीं? कि तूँ ई नञ् जानऽ हीं कि संसार में ऊ केतना हानि पहुँचइलके ह? कि तूँ अमेरिका पर विजय के भूल गेलहीं? ... लेकिन नञ्, निच्चे जो, भूगर्भ के मानवीय चालबाजी जान ले, आउ जब तूँ वापिस पितृभूमि आहीं, त आत्मा के यथेष्ट रूप से दृढ़ रखहीं ताकि ई सब कब्र के भरके सपाट करे के सलाह दे सकहीं, जाहाँ परी हजारों लोग जिन्दा दफन हइ।"
काँपते-काँपते ऊ छेद में घुस्सऽ हथिन, आउ तुरतम्मे जीवन प्रदान करे वला प्रकाश (सूरज) उनकर दृष्टि से ओझल हो जा हइ। हमरा उनकर भूमिगत यात्रा में पीछू-पीछू जाय के मन करते हल, [*432] उनकर मन में उत्पन्न होल विचार के संग्रह करे के, आउ ऊ सब के ओहे संबंध में आउ ओहे क्रम में प्रस्तुत करे के, जे उनकर मस्तिष्क में उत्पन्न हो रहले हल। उनकर विचार के तस्वीर हमन्हीं लगी मनोरंजक आउ शिक्षाप्रद हो सकऽ हलइ। पृथ्वी के पहिला परत से गुजरते बखत, सब तरह के वनस्पति के स्रोत के, भूमिगत यात्री अगला सब परत से भिन्न पइलकइ, जेकर विशेषता सबसे अधिक एकर उर्वरक शक्ति में निहित हइ। एकरा से ऊ शायद निष्कर्ष निकसलकइ कि पृथ्वी के सतह आउ कुछ नञ् हइ, बल्कि प्राणी आउ वनस्पति के अपघटन (decomposition) से बन्नल हइ, कि एक्कर उर्वरकता, पोषक आउ पुनरुत्पादक शक्ति के उद्गम, हरेक अस्तित्व के अविनाशी आउ मौलिक भाग में निहित हइ, जे अपन अस्तित्व के बिना बदले, खाली अपन स्वरूप बदलऽ हइ, जे आकस्मिक निर्माण के कारण होवऽ हइ। आगू बढ़ते, भूमिगत यात्री पृथ्वी के लगातार कइएक परत से निर्मित देखलकइ। ई परत सब में ऊ कभी-कभी [*433] समुद्री जीव के अवशेष पइलकइ, वनस्पति के अवशेष पइलकइ, आउ निष्कर्ष निकास सकलइ कि पृथ्वी के स्तरण (stratification) के उद्गम, पानी के प्रवाहमय दशा में निहित हइ, कि पानी के, पृथ्वी के एक क्षेत्र से दोसरा क्षेत्र में, बहाव होवऽ हलइ, पानी के ई बहाव पृथ्वी के ऊ रूप देलकइ, जे ओकर गर्भ में हइ। विभिन्न परत के ई समरूपता, ओकर दृष्टि से लोप होके, कभी-कभी ओकरा कइएक विभिन्न परत के मिश्रण देखाय देलकइ। एकरा से ऊ निष्कर्ष निकसलकइ कि भयंकर तत्त्व अग्नि, पृथ्वी के गर्भ में प्रविष्ट होके, आउ खुद के विरुद्ध काम करे वला आर्द्रता के पाके, ऊ सब कुछ के जे अपन क्रिया-कलाप में विरोधी पइलकइ, प्रकोप में उत्तेजित कर देलकइ, हिला देलकइ, उलट-पलट देलकइ आउ फेंक देलकइ। विभिन्न तरह के तत्त्व के विलोडित आउ मिश्रित करके, अपन गरम साँस से धातु सब के मौलिक रूप में आकर्षण शक्ति उत्पन्न कइलकइ आउ ऊ सब के एकीकृत कर देलकइ। हियाँ परी लोमोनोसोव ई मृत कोष के [*434] ओकर प्राकृतिक रूप में देखलथिन, मानव के लोभ आउ दयनीय दशा के स्मरण अइलइ, आउ संकुचित हृदय से मानव अतृप्तता के ई निराशाजनक आवास के त्याग कर देलथिन।
प्रकृति के अध्ययन में व्यस्त ऊ अपन प्रिय काव्यरचना के काम के त्याग नञ् कइलथिन। जब ऊ अपन पितृभूमि में हीं हलथिन, संयोग उनका देखइलकइ कि प्रकृति उनका महानता लगी निर्धारित कर चुकले हल, कि ऊ मानव जीवन के सामान्य रस्ता पर घुम्मे वला नञ् हलथिन। स्तोत्रसंहिता (Psalter), सिमियोन पोलोत्स्की[8] द्वारा पद्य में अनूदित, उनकर प्रकृति के रहस्य के उनका लगी प्रकट कइलकइ, देखइलकइ कि ओहो एगो कवि हथिन। होरेस, विर्गिल आउ अन्य प्राचीन लेखक के साथ बातचीत करते ऊ बहुत पहिलहीं आश्वस्त हो चुकलथिन हल कि रूसी काव्यरचना हमन्हीं के भाषा के सुरीलापन आउ महत्ता (harmony and grandeur) लगी बिलकुल अपर्याप्त हइ। जर्मन कवि के अध्ययन करते, ऊ पइलथिन कि उनकन्हीं के शैली रूसी के अपेक्षा अधिक लचीला (प्रवाही, fluent) हइ, कि काव्य में छंद [*435] उनकन्हीं के भाषा के वैशिष्ट्य के अनुरूप हइ। आउ ई तरह से ऊ नयका तरह के काव्यरचना करे के इरादा कर लेलथिन, आउ सबसे पहिले हमन्हीं के भाषा के सुरीलापन (harmony) के आधार पर रूसी काव्यरचना के नियम स्थापित कइलथिन। एकर निष्पादन ऊ, रूसी सेना द्वारा तुर्क आउ तातार पर प्राप्त विजय आउ ख़ोतिन पर कब्जा[9], पर एगो प्रशस्ति-गीत (ode) लिखके कइलथिन, जे ऊ मार्बुर्ग से विज्ञान अकादमी (Academy of Sciences) के भेजलथिन[10]। शैली के विलक्षणता, अभिव्यक्ति के शक्ति, लगभग सजीव चित्रण - पाठक लोग के ई नयका रचना अचरज में डाल देलकइ। आउ ई पहिला पैदा होल बुतरू, अगत-पथ (untrodden path) पर चल्ले के प्रयास करे के कल्पना करे वला, आउ दोसर-दोसर चीज के साथ प्रमाण के रूप में काम कइलकइ कि जब एक देश एक तुरी सुसंस्कृतीकरण (perfection) तरफ  बढ़ऽ हइ, त ऊ गौरव के तरफ जा हइ, खाली एक्के पगडंडी पर नञ्, बल्कि एक्के साथ कइएक रस्ता पर।
कल्पनाशक्ति आउ सजीव भावना विस्तृत विवरण के खोज के वर्जित नञ् करऽ हइ। लोमोनोसोव सुरीलापन के उदाहरण देते [*436] बखत जानऽ हलथिन कि शैली के लालित्य, भाषा के प्रकृति पर आधारित नियम पर निर्भर हइ। ऊ ओकरा शब्द से हीं निकासे लगी चाहऽ हलथिन, बिन ई बात के भुलइले कि प्रथा (रिवाज) शब्द समुच्चय में हमेशे पहिला उदाहरण प्रदान करऽ हइ, आउ नियम पर आधारित अभिव्यक्ति प्रथा से सही ठहरऽ हइ। भाषा के सब्भे अवयव (all the parts of speech) के पृथक् करके आउ ऊ सब के प्रयोग के अनुसार समन्वय स्थापित करके, लोमोनोसोव अपन व्याकरण के रचना कइलथिन[11]। लेकिन रूसी शब्द के खाली नियम नञ् बताके, ऊ सामान्य रूप से मानवीय शब्द के बारे संकल्पना (idea, concept)  दे हथिन, मानव के अपन विचार के अभिव्यक्ति लगी भगमान द्वारा देल सबसे बहुमूल्य उपहार के रूप में। उनकर सामान्य व्याकरण के सारांश ई हइ - शब्द निरूपित करऽ हइ विचार के; शब्द के उपकरण हइ ध्वनि; ध्वनि परिवर्तित होवऽ हइ शिक्षा अथवा बातचीत से; ध्वनि के विभिन्न प्रकार के परिवर्तन विचार के विभिन्नता निरूपित करऽ हइ; आउ ई तरह से शब्द हइ - हमन्हीं के विचार के अभिव्यक्ति, [*437] जे ध्वनि प्रकट करे लगी बनावल अवयव के माध्यम से कइल जा हइ। ई आधार पर आगू बढ़ते, लोमोनोसोव शब्द के अविभाज्य भाग निर्धारित करऽ हथिन, जेकरा चित्रण के रूप में वर्ण (letter) कहल जा हइ। शब्द के अविभाज्य भाग के संयोग से अक्षर (syllable) बन्नऽ हइ, जेकरा में ध्वनि के रचनात्मक भेद के अलावे, एगो आउ अंतर होवऽ हइ स्वर (accent) के, जेकरा पर काव्यरचना (छन्द) आधारित होवऽ हइ। कइएक अक्षर के संयोग से शब्द बन्नऽ हइ, अथवा भाषा के सार्थक अवयव (significant parts of speech)। ई निरूपित करऽ हइ कोय वस्तु अथवा एकर कार्य (action)। कोय वस्तु के निरूपित करे वला शब्द के "संज्ञा" कहल जा हइ; कार्य के निरूपित करे वला शब्द के "क्रिया"। वस्तु सब के बीच के आपस में संबंध के निरूपण लगी आउ ऊ सब के समुच्चय के वाक्य में निरूपण लगी दोसर-दोसर शब्द के अवयव कार्य करऽ हइ। लेकिन पहिलौका अनिवार्य हइ आउ ओकरा शब्द के मुख्य अवयव कहल जा सकऽ हइ, जबकि बाकी के सहायक। शब्द के विभिन्न अवयव के बारे चर्चा करते, लोमोनोसोव पावऽ हथिन कि ऊ सब के बीच कुछ में परिवर्तन होवऽ हइ। [*438] एक वस्तु के दोसर-दोसर वस्तु के साथ विभिन्न तरह के संबंध हो सकऽ हइ। अइसन स्थिति आउ संबंध के निरूपण के "कारक" कहल जा हइ। हरेक कार्य काल के अनुसार होवऽ हइ; ओहे से क्रिया के भी काल के अनुसार रूपावली होवऽ हइ, ई निरूपित करे लगी कि कउन काल में ऊ होवऽ हइ। आखिर लोमोनोसोव शब्द के सार्थक अवयव के संयोग के बारे बात करऽ हथिन, जेकरा से वाक्य बन्नऽ हइ।
भाषा के मामले में अइसन सामान्य रूप से दार्शनिक चर्चा प्रस्तुत कइला के बाद, हम सब के बिलकुल प्राकृतिक शारीरिक संरचना पर आधारित, लोमोनोसोव रूसी भाषा के नियम के शिक्षा दे हथिन। आउ कीऽ ऊ सब (नियम) औसत दर्जा के हो सकऽ हइ, जबकि जे मस्तिष्क ओकर खाका खिंचलकइ, ऊ व्याकरणिक कंटक में कुशाग्रता के दीपक से मार्गदर्शन पइते रहलइ? महान पुरुष, ई प्रशस्ति से तूँ पल्ला नञ् झाड़ऽ। सह-नागरिक (fellow citizens) लोग के बीच खाली तोर एगो व्याकरण हीं प्रसिद्धि स्थापित नञ् कइलको। रूसी भाषा के मामले में तोहर सेवा [*439] बहुविध हइ; आउ तोहर ई विनम्र रचना में तोहरा हम सब के भाषा के वास्तविक नियम के पहिला संस्थापक, आउ हरेक भाषा के प्राकृतिक व्यवस्था (natural order)  के आविष्कारक मानल जा हइ। तोहर व्याकरण तोहर अलंकारशास्त्र[12] (rhetoric) के अध्ययन लगी दहलीज हइ, आउ ई दुन्नु तोहर रचनावली के अभिव्यक्ति के सौन्दर्य के अनुभव करे खातिर मार्गदर्शक (guides)  हइ। नियम के उपदेश करे लगी प्रारंभ करते बखत, लोमोनोसोव अपन सह-नागरिक लोग के हेलिकन (Helicon) के कंटकाकीर्ण पथ में मार्गदर्शन करे के इरादा कइलथिन, ऊ सब के वाक्पटुता के रस्ता देखाके आउ अलंकारशास्त्र आउ छंदशास्त्र के नियम के खाका खींचके।
लेकिन उनकर जीवन के लघुता उनकर हाथ में लेल कार्य के खाली आधे पूरा करे के अनुमति देलकइ। व्यक्ति कोमल भावना के साथ पैदा होल, शक्तिशाली कल्पना से संपन्न, महत्त्वाकांक्षा से प्रेरित, सामान्य लोग के बीच से फूट पड़ऽ हइ। प्राणदंड स्थल पर सवार होवऽ हइ। सब [*440] आँख ओकरा पर टिक्कल हइ, सब लोग अधीरता से ओकर बोले के इंतजार में हइ। ओकरा इंतजार कर रहले ह ताली, चाहे उपहास, जे मौत से भी अधिक कटु हइ। ऊ कइसे औसत व्यक्ति हो सकऽ हइ? अइसने हलइ देमोस्थिनीस (Demosthenes), अइसने हलइ सिसेरो (Cicero); अइसने हलइ पीट (Pitt); आउ अइसने अभी हथिन बुर्क, फ़ॉक्स, मिराबो (Burke, Fox, Mirabeau), आउ अन्य लोग।[13] ओकर वाक्पटुता के नियम परिस्थिति से लेल गेले ह, जबकि ओकर भावना से वाक्पटुता के मिठास, ओकर बुद्धि के कुशाग्रता से तर्कशक्ति । अइसन उत्कृष्ट पुरुष के शब्द (भाषण) से अचंभित होके, आउ उनकन्हीं के भाषण के विश्लेषण करके, शांतचित्त आलोचक लोग सोचते गेलइ कि कुशाग्रबुद्धि आउ कल्पना लगी नियम के रूपरेखा बनावल जा सकऽ हइ, सोचते गेलइ कि सौन्दर्य के पथ के निर्माण अल्प अनुदेश (meager prescriptions) से कइल जा सकऽ हइ। ई अलंकारशास्त्र के प्रारंभ हइ। लोमोनोसोव, बिन अहसास के अपन कल्पना के अनुकरण करते, प्राचीन लेखक के साथ वार्तालाप से ओकरा संशोधित करते, एहो सोचलथिन कि अपन सह-नागरिक लोग के साथ अपन आत्मा में भर रहल उत्साह के बाँट सकऽ हथिन। [*441] आउ हलाँकि जे काम समर्पित होके कइलथिन, व्यर्थ गेलइ, लेकिन जे नियम के पुष्टीकरण आउ व्याख्या लगी उदाहरण देलथिन, ऊ निस्सन्देह साहित्यिक क्षेत्र में यश के खोज करे वला के मार्गदर्शन कर सकऽ हइ।
लेकिन अगर उनकर कइल परिश्रम व्यर्थ भी गेलइ ऊ नियम स्थापित करे में, जेकरा सिक्खे के अपेक्षा जादे अनुभव करे के चाही, तइयो ऊ अपन रचनावली में रूसी साहित्य प्रेमी खातिर विश्वसनीय उदाहरण छोड़ गेलथिन हँ। ओकरा में होंठ द्वारा सिसेरो आउ देमोस्थिनीस के माधुर्य के कइल गेल रसास्वादन वाक्पटुता के रूप में प्रकट होवऽ हइ। ओकरा में हरेक पंक्ति में, हरेक यति पर, हरेक अक्षर में, काहे नञ् कहिअइ कि हरेक वर्ण में, सुनाय दे हइ लयबद्ध आउ सामंजस्यपूर्ण ध्वनि, जेकरा में हइ एतना विरल, एतना कम अनुकरणीय, उनका लगी स्वाभाविक वाणी के लालित्य।
अपन समकालीन लोग के प्रभावित करे के प्रकृति से अमूल्य उपहार प्राप्त करके, [*442] एकरा से रचनात्मक शक्ति प्राप्त करके, लोग के भीड़ में साष्टांग प्रणत (prostrate), महान पुरुष एकरा प्रभावित करे लगऽ हइ, लेकिन हमेशे एक्के दिशा में नञ्। केन्द्रबिन्दु से कार्य करे वला नैसर्गिक शक्ति नियन, जे वृत्त के परिधि पर के हरेक बिन्दु पर अपन क्रिया के फैलाके, अपन प्रभाव के हमेशे सगरो अनुभव करा दे हइ। ओइसीं लोमोनोसोव भी अपन सह-नागरिक लोग पर विभिन्न प्रकार से प्रभाव डालके, सामान्य मस्तिष्क लगी ज्ञान के विभिन्न प्रकार के रस्ता खोल देलथिन। ओकरा अपन पीछू आकृष्ट करके, उलझल भाषा के खोलके वाक्पटुता आउ लालित्य में परिवर्तित करके, विचारहीन साहित्य के मरियल स्रोत बन्नल रहे से उद्धार कइलथिन। कल्पना के कहलथिन - "स्वप्न आउ संभावना के असीमता (boundlessness) में उड़, जीवन्त के चटकदार फूल जमा कर, आउ निम्मन स्वाद से मार्गदर्शन पाके बिलकुल अगोचर के भी ओकरा से अलंकृत कर।" आउ ई फेर से, ओलिंपिक खेल में बज रहल पिंडार के तूरही, (बाइबिल के) स्तोत्रकार[14] (Psalmist) के अनुसार सर्वोच्च के स्तुतिगान के [*443] उद्घोषणा कइलकइ। एकरा से लोमोनोसोव महानता के उद्घोषणा कइलथिन शाश्वत (ईश्वर) के, जे वायु के डैना पर सवार हथिन, जे गर्जन आउ विद्युत् के पहिले के हथिन, आउ सूरज में मर्त्य लोग के सामने अपन अस्तित्व, जीवन, के प्रकट करऽ हथिन। पिंडार के तूरही के अवाज के जरी कम करके, ऊ मानव के क्षणभंगुरता के गायन भी प्रस्तुत कइलथिन आउ ओकर समझ के संकीर्ण दायरा के भी। असीम संसार सब के रसातल में, समुद्री लहर में बालू के एगो सबसे छोटगर कण नियन, कभी नञ् पिघले वला बरफ में मोसकिल से चमके वला चिनगारी नियन, अत्यन्त भयंकर चक्रवात में एगो अत्यन्त महीन कण नियन, मानव बुद्धि कीऽ हकइ? एहे हकऽ तूँ ऐ लोमोनोसोव, हमर ओवरकोट तोरा नञ् छिपइतो।
हम तोहरा से नफरत नञ् करऽ हियो, कि राजा सब के चाटुकारी करे के सामान्य प्रथा के अनुसार, जे अकसर नञ् खाली प्रशंसा के लयदार गीत के काबिल नञ् होवऽ हइ, बल्कि गुदोक[15] के झंझकार से गली के गीत के भी काबिल नञ् होवऽ हइ; तूँ एलिज़ाबेथ के प्रशंसा के गीत से चाटुकारी कइलहो[16]। आउ अगर सत्य आउ भावी पीढ़ी के बिन ठेस पहुँचइले संभव होतो हल, त हम तोहरा क्षमा कर देतियो हल [*444] ई कारण से कि अनुग्रह प्राप्त कइला खातिर अपन आत्मा के कृतज्ञता प्रकट कइलहो। लेकिन तोहरा से ईर्ष्या करतो, तोहर अनुकरण नञ् करे वला प्रशस्ति-गीत के लेखक, ऊ ईर्ष्या करतो लोक शान्ति आउ निस्तब्धता के तोहर भव्य चित्र (तस्वीर) पर; शहर आउ गाम, राज्य आउ राजा लोग के सान्त्वना खातिर ई मजबूत देवाल के (भव्य चित्र पर); ऊ ईर्ष्या करतो तोहर शब्द के अनगिनत सौन्दर्य पर; हलाँकि चाहे कविता में तोहर अबाधित लालित्य कभी केकरो लगी प्राप्त करना काहे नञ् संभव हो जाय, लेकिन जे केकरो लगी अभी संभव नञ् होले ह। आउ हरेक कोय के अपन गीत के माधुर्य में तोहरा से आगू बढ़ जाय देहो, हमन्हीं के भावी पीढ़ी के लोग के तूँ अपन विचार में अव्यवस्थित देखाय देहो, आउ अपन कविता के मामले में त्रुटिपूर्ण! ... लेकिन एक दृष्टि डालहो - विस्तृत स्टेडियम में, जेकर ओर-छोर आँख के पता नञ् चल्लऽ हइ, बढ़ रहल भीड़ के बीच, सिरहाना में, सब कोय के आगू, स्टेडियम तरफ के ई गेट खोल रहल व्यक्ति के - ई तूँ हकहो। अपन उपलब्धि से हरेक कोय प्रसिद्ध हो सकऽ हइ, लेकिन तूँ पहिला हलहो। सर्वशक्तिमान [*445] भी तोहरा से ऊ नञ् ले सकऽ हथिन, जे तोहरा देलथुन हँ। ऊ बाकी लोग के अपेक्षा पहिले पैदा कइलथुन, तोहरा नेता के रूप में पैदा कइलथुन, आउ तोहर प्रसिद्धि एगो नेता के प्रसिद्धि हइ। ओह! अपने अभी तक व्यर्थ में परिश्रम कइलथिन आत्मा के अस्तित्व के बारे समझे लगी, आउ ई कइसे हमन्हीं के शरीर पर प्रभाव डालऽ हइ, ई एगो कठिन समस्या हको तोहरा सामने एकर समाधान निकासे खातिर। बताथिन, कइसे एक आत्मा दोसर आत्मा के प्रभावित करऽ हइ, विभिन्न मस्तिष्क के बीच कइसन संबंध हइ? अगर हमन्हीं के मालुम हइ कि एक शरीर दोसरा शरीर पर संपर्क से कइसे प्रभावित करऽ हइ, त बताथिन कि कइसे एगो स्पर्शातीत दोसरका स्पर्शातीत पर काम करऽ हइ, आउ पदार्थ के निर्माण करऽ हइ; चाहे कइसे दू गो अस्तित्वहीन के बीच संपर्क होवऽ हइ। कि एकर अस्तित्व हइ, ई अपने जानऽ हथिन। लेकिन अगर जानऽ हथिन कि कइसन प्रभाव एगो महान पुरुष के मस्तिष्क के सामान्य जनता के मस्तिष्क पर पड़ऽ हइ, त एहो जानऽ होथिन कि एगो महान पुरुष दोसर महान पुरुष के उत्पन्न कर सकऽ हइ; आउ ई तोहर विजय के माला हको। ओह! लोमोनोसोव, तूँ सुमारोकोव[17] के उत्पन्न कइलहो।
[*446] लेकिन अगर लोमोनोसोव के काव्य के प्रभाव उनकर समकालीन लोग के काव्य संकल्पना के निर्माण में एगो लंबा कदम उठा सकलइ, त उनकर वाक्पटुता कोय संवेदनशील चाहे प्रत्यक्ष छाप नञ् छोड़लकइ। एथेंस आउ रोम में उनकर एकत्र कइल फूल, आउ एतना सफलतापूर्वक अपन शब्द में प्रतिरोपित (transplanted), देमोस्थिनीस के अभिव्यक्ति के शक्ति, सिसेरो के वक्तृत्व के माधुर्य, के कइल प्रयोग व्यर्थ सिद्ध होलइ आउ ओकर प्रभाव भविष्य के अंधकार में हइ। आउ केऽ? ऊ तो तोहर प्रशस्ति-गीत के प्रचुर वाक्पटुता से संतृप्त (oversaturated) होल, हलाँकि तोहर शब्द से नञ् गरजतइ, लेकिन तइयो तोहर शिष्य होतइ। ऊ समय दूर रहइ चाहे पास, भटकइत दृष्टि भविष्य के अनिश्चितता में ठहरे के कोय तलहटी नञ् देखऽ हइ। हलाँकि हम सब के लोमोनोसोव के वाक्पटुता के कोय सीधा संतान नञ् मिल्लऽ हइ, लेकिन उनकर गद्य के लालित्य आउ मधुर संरचना के प्रभाव तइयो सार्वत्रिक हलइ। हलाँकि जनता के संबोधन कला में उनकर कोय उत्तराधिकारी नञ् हलइ, [*447] लेकिन सामान्य लेखन के तरीका में एकर प्रचार होलइ। तुलना करहो ओक्कर, जे लोमोनोसोव से पहिले लिक्खल गेले हल, ओकरा से जे उनकर बाद लिक्खल गेलइ, - त उनकर गद्य के प्रभाव सब्भे के स्पष्ट हो जइतइ।
लेकिन कीऽ हम सब के अपन निष्कर्ष में गलतफहमी नञ् हइ? लोमोनोसोव के बहुत पहिले हम सब रूस में चर्च के वाक्पटु गरेड़िया लोग के पावऽ हिअइ, जे भगमान के शब्द के अपन रेवड़ (flock) के उद्घोषित करके उपदेश दे हलइ, आउ अपन शब्द शैली से हीं प्रसिद्ध होले हल। सच हइ कि अइसन लोग हलइ; लेकिन ओकन्हीं के शैली रूसी शैली नञ् हलइ। ओकन्हीं लिखते जा हलइ, तातार लोग के आक्रमण से पहिले, यूरोपियन लोग के साथ रूसी लोग के सम्पर्क में आवे के पहिले। ओकन्हीं लिखते जा हलइ (प्राचीन चर्च) स्लावोनिक में। लेकिन तूँ, जे लोमोनोसोव के हीं देखलहो आउ उनकर रचनावली में शायद वाक्पटुता के अध्ययन कइलहो, हमरा से भुलावल नञ् जइबहो। जब रूसी सेना अभिमानी ओटोमान (तुर्क) लोग के पराजित करके सब कोय के आशा से कहीं बढ़-चढ़के अपन कारनामा देखइलकइ, जेकन्हीं ओकर कारनामा के उदासीन [*448] चाहे ईष्यालु आँख से देखते जा हलइ, आउ तूँ, युद्ध के देवता, शक्ति के देवता के विजयोत्सव के धन्यवाद-ज्ञापन सेवा खातिर बोलावल गेला पर, ओ! तूँ, अपन आत्मा के हर्षातिरेक में प्योत्र (Peter) के मकबरा के पास, उनका बोलइलहो ताकि ऊ आके अपन रोपल पेड़ के फल देखथिन - "उठऽ प्योत्र, उठऽ!"; जब तोहरा से सम्मोहित कइल कान, अपन तरफ से आँख के सम्मोहित कइलकइ, जब सब के लगलइ कि कब्र में पड़ल प्योत्र के तूँ उठावे लगी चाहऽ हो, ऊपर के वरदान से प्राप्त शक्ति से; त हम लोमोनोसोव से कहतिए हल, "देखऽ, देखऽ, हियों परी तोहर रोपल पेड़ के फल!" लेकिन अगर ऊ तोहरा शब्द सिखइवो सकलथुन होत ... प्लातोन (Platon) में प्लेटो (Plato) के आत्मा हइ, आउ ऊ उद्गार प्रकट करतइ आउ हम सब के देखतइ, ओकर हृदय एहे ओकरा सिखइलकइ।[18]
चापलूसी के मामले में अनजान नञ् खाली ई बात में कि हमन्हीं के श्रद्धा जागृत कर सकऽ हइ, बल्कि हमन्हीं के प्रेम में भी, महान पुरुष के साथ न्याय करते, उनका सर्वसृजनकर्ता भगमान बनावे के कल्पना नञ् कइल जाय, उनकर मूर्ति नञ् स्थापित कइल जाय कि समाज उनका पूजे [*449], आउ कोय पूर्वाग्रह चाहे झूठ निष्कर्ष के स्थापना में सहापराधी (accomplice) नञ् बन्नल जाय। सत्य हम सब लगी सर्वोत्तम देवता हइ, आउ अगर सर्वशक्तिमान ओकर रूप बदले लगी चाहतइ, ओकरा में बिन अपन अस्तित्व के, त हम सब घृणा से ओकरा तरफ से मुँह फेर लेबइ।
सत्य के पालन करते, लोमोनोसोव में हम सब कोय महान इतिहासकार नञ् खोजते जइबइ, उनका टैसिटस (Tacitus), रेनाल, चाहे रॉबर्ट्सन[19] से तुलना नञ् करते जइबइ; आउ न तो उनका मार्गग्राफ़ चाहे रिउडिगर (Rüdiger)[20] के स्तर पर रखते जइबइ, खाली ई वजह से कि ऊ रसायनशास्त्र पर काम कइलथिन। यद्यपि ई शास्त्र उनका लगी प्रिय हलइ, यद्यपि ऊ अपन जिनगी के कइएक दिन प्रकृति के सत्य के जाँच में गुजरलथिन, लेकिन तइयो उनकर गति (progress, movement) एगो अनुयायी के गति हलइ। ऊ पहिलहीं से बन्नल रस्ता पर से गेलथिन, आउ प्रकृति के असीम सम्पदा में, ऊ एक्को जरिक्को गो तिनका तक नञ् पइलथिन, जे उनका से पहिले के निम्मन से निम्मन आँख वला नञ् देखलके हल, आउ न पदार्थ के कोय मूल स्रोत उनका देखाय देलकइ, [*450] जेकरा उनकर पूर्ववर्ती लोग नञ् खोजलथिन हल।
कीऽ उनका, सबसे अधिक चाटुकारिता भरल शिलालेख के योग्य मानल गेल व्यक्ति के नगीच रक्खल जाय, जेकरा कोय अदमी अपन चित्र के निच्चे देख सकइ? एगो अइसन शिलालेख, जे चाटुकारिता से उत्कीर्ण नञ् कइल गेलइ, बल्कि शक्ति पर आक्रमण करे वला सच्चाई से - "ऊ आसमान से विद्युत् आउ शासक लोग के हाथ से राजदण्ड (scepter) छिनके लइलके ह।"[21] त कीऽ लोमोनोसोव के उनकर पास रक्खल जाय ई वजह से कि ऊ विद्युत् शक्ति के ओकर कार्य (action) में परीक्षण कइलथिन; कि एकर अध्ययन से ऊ मुँह नञ् फेरलथिन, ई देखके भी कि एकर शक्ति से उनकर शिक्षक जान से हाथ धो बइठलथिन हल?[22] लोमोनोसोव के मालुम हलइ कि बिजली कइसे पैदा कइल जा हइ, जानऽ हलथिन कि ठनका (thunderbolt) से कइसे बच्चल जा सकऽ हइ, लेकिन फ़्रैंकलिन ई विज्ञान में वास्तुकार (स्थपति, architect) हथिन, आउ लोमोनोसोव शिल्पी।
हलाँकि लोमोनोसोव प्रकृति के परीक्षण में महानता नञ् प्राप्त कर पइलथिन, तइयो ऊ एकर चमत्कारी कार्य के वर्णन सरल आउ स्पष्ट शैली में कइलथिन हँ। [*451] आउ हलाँकि हम सब उनकर प्रकृति विज्ञान से संबंधित रचनावली में उनका प्रकृति के एगो श्रेष्ठ शिक्षक नञ् पावऽ हिअइ, लेकिन तइयो उनका अभिव्यक्ति के शिक्षक पावऽ हिअइ, आउ हमेशे एगो अनुकरणीय उदाहरण के योग्य।
आउ ई तरह से, एगो महान पुरुष के साथ न्याय करके, लोमोनोसोव के नाम उनकर योग्य प्रकाश में स्थापित करके, हम सब उनका कोय अइसन सम्मान के श्रेय देवे के प्रयास नञ् करऽ हिअइ, जे ऊ नञ् कइलथिन चाहे जे प्रभाव नञ् डललथिन; चाहे खाली आवेशपूर्ण शब्द के माध्यम से उन्माद आउ पूर्वाग्रह उत्पन्न करे के प्रयास नञ् करऽ हिअइ। हम सब के उद्देश्य ई नञ् हइ। हम ई देखावे लगी चाहऽ हिअइ कि रूसी साहित्य के मामले में, ऊ, जे गौरव के मंदिर के रस्ता बनइलकइ, गौरव के उपलब्धि में पहिला कारक हइ, यद्यपि ऊ मंदिर के अंदर प्रवेश नञ् कर पइलकइ। कीऽ वेरुलाम के बेकन (Bacon of Verulam) वास्तव में आद करे के योग्य नञ् हथिन, काहेकि ऊ खाली एतने बता सकलथिन कि विज्ञान के कइसे विकसित कइल जा सकऽ हइ?[23] कीऽ ऊ सब साहसी लेखक कृतज्ञता के योग्य [*452] नञ् हथिन, जे हत्या आउ सर्वशक्तिमत्ता के विरुद्ध अवाज उठइलथिन, ई वजह से कि उनकन्हीं मानवता के बेड़ी आउ कारावास से मुक्ति नञ् देला सकलथिन? आउ हम सब लोमोनोसोव के आदर नञ् करऽ हिअइ, ई वजह से कि ऊ नाट्य काव्य के नियम नञ् समझ पइलथिन आउ महाकाव्य लिक्खे में संघर्ष कइलथिन, कि काव्य में भावुकता से ऊ अनजान हलथिन, कि हमेशे निर्णय में उनका सूक्ष्मदृष्टि नञ् हलइ, कि अपन प्रशस्ति-गीत में भी कभी-कभी विचार के अपेक्षा अधिक शब्द के प्रयोग कर दे हलथिन। लेकिन ध्यान देहो! समय के शुरुआत के पहिले, जब अस्तित्व के कोय सहारा नञ् हलइ, आउ सब कुछ शाश्वतता आउ अपरिमेयता (eternity and infinity) में खो गेले हल; शक्ति के स्रोत लगी सब कुछ संभव हलइ, विश्व के सब सौन्दर्य के अस्तित्व ओकर विचार में हलइ, लेकिन कोय क्रिया-कलाप नञ् हलइ, कोय शुरुआत नञ्। आउ सर्वशक्तिमान के ई हाथ, अन्तरिक्ष में पदार्थ के ढकेलके, ओकरा गति देलकइ। सूरज चमके लगलइ, चन्द्रमा प्रकाश पइलकइ, आउ चक्कर लगा रहल आकाशीय पिंड के निर्माण होलइ। सृजन में पहिला आवेग (impulse) सर्वशक्तिमान हलइ; संसार के सब चमत्कार, ओकर सब [*453] सौन्दर्य केवल एकर परिणाम हइ। त अइकी अइसे हम समझऽ हिअइ एगो महान आत्मा के समकालीन लोग आउ वंशज लोग के आत्मा पर प्रभाव के; अइसे समझऽ हिअइ एक मस्तिष्क के दोसर मस्तिष्क पर प्रभाव के। रूसी साहित्य के राह पर, लोमोनोसोव पहिला हथिन। भाग, ऐ ईर्ष्यालु भीड़! ई भावी पीढ़ी उनका बारे निर्णय करतइ, जे ढोंगी नञ् हइ।
लेकिन प्रिय पाठक, तोहरा साथ बहुत गप हाँक लेलियो ... अइकी व्स्येस्वितास्कए पहुँच चुकलइ ... अगर हम तोरा बोर नञ् कइलियो, त हमर इंतजार करिहऽ चौराहा भिर, वापसी यात्रा में हम सब के फेर मोलकात होतइ। अभी लगी अलविदा! - कोचवान, गाड़ी बढ़ाव!

मास्को! मास्को!!! ...


लोक शिष्टाचार विभाग के अनुमति से



[1] ओज़िर्की। [लेखक रादिषेव के टिप्पणी]

[2] जून के महिन्ना हलइ। [लेखक रादिषेव के टिप्पणी]
[3] कुतुज़ोव।
[4] लोमोनोसोव (1711-1765) - रूसी से अंग्रेजी में अनूदित उनकर जीवनी उपलब्ध हइ, दे॰ "Mikhail Vasilievich Lomonosov: His Life and Works", by G.E. Pavlova and A.S. Fedorov; Translated by Arthur Aksenov, Translation edited by Richard Hainsworth; Mir Publishers, 1984; 312 pp.
[5] सन्दर्भ हइ मास्को के स्लाविक-रोमन-ग्रीक अकादमी, जे एगो प्रसिद्ध शैक्षणिक केन्द्र हलइ, जाहाँ परी शताब्दी-शताब्दी तक रूसी बुद्धिजीवी-वर्ग के अधिकांश के निर्माण होवऽ हलइ।
[6] लोमोनोसेव के लेख - "प्रेदिस्लोविए आ पोल्ज़े क्नीग त्सेर्कवनिख़ व रसिस्कम यिज़िके" (रूसी भाषा में चर्च के पुस्तक के प्रयोग के बारे में भूमिका), 1757. चयनित रचनावली, सितम्बर 1758; पृ॰473-477 (रूसी में).
https://rvb.ru/18vek/lomonosov/01text/02addenda/11addenda/138.htm
[7] वोल्फ़ (Wolff) - लोमोनोसोव मार्बुर्ग यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर क्रिश्चियन वोल्फ़ (1679-1754) के अधीन दर्शनशास्त्र आउ पदार्थ विज्ञान (भौतिकी) के अध्ययन कइलथिन।
[8] सिमियोन इमिल्यानोविच पित्रोव्स्की-सित्नियानोविच (1629-1680), मास्को में सिमियोन पोलोत्स्की से मशहूर, बेलारूसिया के पोलोत्सक से अइला हल। स्तोत्रसंहिता के उनकर अनुवाद 1680 में प्रकाशित होले हल। सम्राट् अलिक्सेय मिख़ाइलोविच अपन पहिलौकी पत्नी से अपन पुत्री सोफ़िया, मार्था, मारिया, आउ अपन पुत्र, बाद में सम्राट्, फ़्योदर अलिक्सेयेविच, के प्रशिक्षक बना देलथिन।
[9] म्यूनिख़ (1683-1767) के अधीनस्थ रूसी सेना तुर्क आउ तातार के स्तावुचानी के लड़ाई में 18 अगस्त 1739 के पराजित कर देलकइ आउ 19 अगस्त के ख़ोतिन के किला पर कब्जा कर लेलकइ। लोमोनोसोव फ़्रायबुर्ग से राजकीय विज्ञान अकादमी, सांक्त-पितिरबुर्ग, के अपन ई रचना भेजलथिन - "ओदा गसुदारिन्ये इम्पिरात्रित्से आन्ने इयोन्नोव्ने ना पबेदु नाद तुर्कमी इ तातारमी इ ना व्ज़्यातिए ख़ोतिना 1739 गोदा" (वर्ष 1739 में तुर्क आउ तातार पर विजय आउ ख़ोतिन पर कब्जा पर महारानी साम्राज्ञी आन्ना इयोन्नाव्ना के प्रशस्ति-गीत)।
[10] मार्बुर्ग से नञ्, बल्कि फ़्रायबुर्ग से। दे॰ पूर्व पाद-टिप्पणी।
[11] लोमोनोसोव द्वारा "रसिस्कयऽ ग्रमातिका" (रूसी व्याकरण) लिक्खल गेलइ 1755 में, लेकिन एकर प्रकाशन होलइ 1757 में; लमगर अवधि तक, अगला सब व्याकरण लगी ई नमूना बन्नल रहलइ; लोमोनोसोव के जीवन में आउ उनकर निधन के बाद एकर 11 तुरी प्रकाशन होलइ;  जर्मन, फ्रेंच आउ ग्रीक भाषा में एकर अनुवाद भी कइल गेलइ।
[12] लोमोनोसोव के "क्रात्कए रुकऽवोद्स्त्वा क् क्रस्नारेचियु, क्निगा पेर्वयऽ, व् कतोरय् सजेरझित्सा रितोरिका, पकाज़ुयुषयऽ ओब्षिए प्राविला अबऽयेवऽ क्रसनारेचिया, तो एस्च् अरातोरिइ इ पयेज़िइ सचिनेन्नयऽ व् पोल्ज़ु ल्युब्याशिख़् स्लऽवेस्निये नऊकि" (वाक्पटुता के लघु मार्गदर्शक, प्रथम पुस्तक, जेकरा में हइ अलंकारशास्त्र, जे दर्शावऽ हइ दुन्नु तरह के वाक्पटुता, अर्थात् वक्तृत्व आउ काव्य के सामान्य नियम, साहित्य में रुचि रक्खे वला लोग के प्रयोग खातिर रचित), 1748.
[13] रादिषेव ग्रीस, रोम, इंग्लैंड आउ फ्रांस के नामी-गिरामी वक्ता के नाम के उल्लेख करऽ हथिन - प्राचीन ग्रीस के देमोस्थिनीस (384-322 ई॰पू॰), प्राचीन रोम के सिसेरो (106-43 ई॰पू॰), इंग्लैंड के विलियम पीट (1708-1778), बुर्क (1730-1797), फ़ॉक्स (1749-1806), फ्रांस के मिराबो (1749-1791)। दे॰ साम्राज्ञी कैथेरिन (एकातेरिना) के टिप्पणी भी, पृ॰418 आउ एकर आगू।
[14] रादिषेव के इशारा राजा डैविड के तरफ हइ।
[15] तीन तार वला क्लासिक रूसी संगीत वाद्य, जेकरा से प्राचीन काल में भाट लोग गली में पौराणिक कविता गावऽ हलइ।
[16] साम्राज्ञी एलिज़ाबेथ के सिंहासनारूढ़ होवे के तारीख हलइ 25 नवम्बर 1741, आउ राज्याभिषेक (coronation) होले हल 25 अप्रैल 1742 के। ई दुन्नु के वार्षिकोत्सव पर लोमोनोसोव साम्राज्ञी के प्रशंसा में कइएक प्रशस्ति-गीत (odes) के रचना कइलथिन हल।
[17] दे॰ अध्याय 'त्वेर', नोट 191.
[18] The “you” in this paragraph is Platon (1737-1812), son of Georgy Levshin, and Metropolitan of Moscow, 1787-1812. On August 29/September 9, 1772 he gave a solemn oration at the tomb of Peter the Great, calling him, as father of the Russian Navy, to come and see the fruit of his planting, the Russian naval victories of 1770 (cf. “Chudovo,” n. j). Catherine II sent a French translation of the speech to Voltaire.
[19] William Robertson (1721-1793), historiographer to George III for Scotland, wrote histories of Scotland, the Emperor Charles V, and America. See “Vydropusk,” n. 2.
[20] Andreas Sigismund Marggraf (1709-1782), German chemist, chiefly famous as one of the discoverers of beetroot sugar, ca. 1747. Johann Andreas Rüdiger (1673-1731), German physician and chemist, wrote on the pituitary gland, on the circulation of blood, on the use and abuse of technical terms in philosophy, etc. 
[21] Turgot’s famous epigram (1778) on Franklin: “Eripuit caelo fulmen sceptrumque tyrannis” (Seized the lightning, and the scepter from tyrants). See Carl Van Doren, Benjamin Franklin (New York, 1966), p. 609.
[22] Lomonosov’s teacher and fellow member of the Academy of Sciences, Professor Georg Wilhelm Richmann (1711-1753), was killed in St. Petersburg on July 26 (August 6), 1753, while experimenting with lightning.
[23] Sir Francis Bacon (1561-1626), Baron Verulam, Viscount St. Albans, Lord High Chancellor of England, published The Advancement of Learning in 1605. A Latin translation, De Augmentis Scientiarum, appeared in 1623.