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Sunday, August 28, 2016

रूसी उपन्यास "आझकल के हीरो" ; भाग-2 ; 2. राजकुमारी मेरी ; अध्याय-1



रूसी उपन्यास – “आझकल के हीरो”
भाग-2
2. राजकुमारी मेरी ; अध्याय-1

11 मई

कल हम पितिगोर्स्क [1] पहुँचलिअइ, शहर के अंतिम छोर पर, माशूका पर्वतशिखर के तलहटी में, सबसे उँचगर जगह पर क्वाटर किराया पर लेलिअइ - गरजवाला तूफान के बखत बादर हमर छत तक निच्चे उतर जइतइ । आझ पाँच बजे सुबह, जब हम खिड़की खोललिअइ, त हमर कमरा फूल के खुशबू से भर गेलइ, जे सामने के (वाड़ा लगल) एगो छुटकुन्ना बाग में फुला हइ । फुलाल चिरेश्न्या (चेरी) के डाली हमरा खिड़की से देखऽ हइ, आउ हावा कभी-कभी ओकर उजरका पंखुड़ी के हमर लिक्खे वला टेबुल पर लाके बिखेर दे हइ । तीन तरफ से दृश्य अत्यंत मनोहर हइ । पच्छिम तरफ पाँच शिखर वला बेश्तू (पर्वत) नीला देखाय दे हइ, "मंद पड़ गेल तूफान के आखरी बादर" [2] नियन; उत्तर में रोएँदार फारसी टोपी नियन माशूक पर्वत हइ, आउ ई पूरे भाग के क्षितिज के व्याप्त करऽ हइ; पूरब तरफ के दृश्य अधिक मनोरम हइ - निच्चे हमरा सामने साफ-सुथरा, नयका छोटकुन्ना शहर कइएक रंग में देखाय दे हइ, स्वास्थ्यप्रद झरना के शोर सुनाय दे हइ, बहुभाषी लोग के भीड़ के शोर सुनाय दे हइ - आउ हुआँ, आउ आगू, अधिकाधिक नीला आउ कुहरा से आच्छादित पर्वत के रंगभूमि (amphitheatre) हइ, आउ क्षितिज के छोर पर बरफ के शिखर के रजत शृंखला हइ, जे कज़बेक से प्रारंभ होके द्विशिखर एलबोरूस (Elbrus) से अंत होवऽ हइ ... अइसन प्रदेश में रहना केतना आनंद के बात हइ ! एक प्रकार के आनंदमय संवेदना हमर नस-नस में पसरल हइ । हावा स्वच्छ आउ ताजा हइ, एगो फोहबा के चुंबन नियन; सूरज चमक रहले ह, आकाश नीला हइ - त लगऽ हइ, आउ की चाही ? - काहे लगी हियाँ भावावेश, कामना, खेद चाही ? ... लेकिन अभी समय हो चुकले ह । हम एलिज़ावेतिन्स्की झरना भिर जइबइ - हुआँ, कहल जा हइ, सुबह में पूरा स्पा [सखनिज झरना (के स्थान)] समाज जामा होवऽ हइ ।
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शहर के बीच में उतरके हम बुलवार लगी रवाना हो गेलिअइ, जाहाँ परी हमरा कइएक उदास समूह से भेंट होलइ, जे धीरे-धीरे पर्वत पर चढ़ रहले हल; ई अधिकतर स्तेप के जमींदार-कुलीन (landed-gentry) लोग के परिवार हलइ; ई बात के तुरतम्मे अंदाज लगावल जा सकऽ हलइ - पति लोग के फट्टल-फुट्टल, पुरनका फैशन के फ्रॉक-कोट आउ पत्नी आउ पुत्री लोग के परिष्कृत पोशाक से; ई बात साफ हलइ, कि ओकन्हीं में से स्पा तरुण लोग के संख्या गिन्नल-गोथल हलइ, काहेकि ओकन्हीं हमरा स्नेहमय उत्सुकता से देख रहले हल - हमर पितिरबुर्ग कट फ्रॉक-कोट से ओकन्हीं के गलतफहमी होलइ, लेकिन, जल्दीए हमर सैन्य स्कंधिका (military epaulettes) पछानके, घृणा से ओकन्हीं मुँह मोड़ लेते गेलइ ।

स्थानीय प्राधिकारी लोग के पत्नी, तथाकथित स्पा के मालकिन, अनुकूल प्रवृत्ति के हलइ; ओकन्हीं के पास लॉर्न्येत (lorgnette - चश्मा, दूरबीन) रहऽ हइ, ओकन्हीं वरदी पर कम ध्यान दे हइ, काकेशिया में ओकन्हीं नंबर वला बोताम में संवेदनशील हृदय आउ उज्जर मिलिट्री टोपी में सुसंस्कृत बुद्धि वला से मिल्ले के आदी हो चुकले ह । ई महिला सब बहुत मनमोहक होवऽ हका; आउ लम्मा समय तक मनमोहक रहऽ हका ! हरेक साल उनकन्हीं के प्रशंसक सब नावा-नावा होवऽ हका, आउ एकरे में तो, शायद, उनकन्हीं के अथक शिष्टाचार के रहस्य हइ । सँकरा रस्ता से होके एलिज़ावेतिन्स्की झरना तरफ चढ़ते, हम मरद लोग के भीड़ के आगू हो गेलिअइ, जेकरा में सिविल आउ मिलिट्री लोग हला, जेकन्हीं, जइसन कि बाद में मालूम चललइ, अइसन विशेष वर्ग के लोग होवऽ हथिन, जे स्पा के औषधीय लाभ के इच्छुक होवऽ हथिन । उनकन्हीं पीयऽ हका - लेकिन पानी नयँ, टहलऽ हका कम, इश्कबाजी (देखावटी प्रेम-प्रदर्शन) विरले करऽ हका; (ताश से जुआ) खेलऽ हका आउ ऊब (boredom) के शिकायत करऽ हका । उनकन्हीं छैला हका - अपन बेंत के मूठ लगल गिलास के गंधकयुक्त पानी में डुबइते विद्वत्ता के मुद्रा धारण करऽ हका - सिविल लोग हलका नीला टाई लगावऽ हका, मिलिट्री वलन अपन कोट के कॉलर में से झालर बाहर प्रदर्शित करऽ हका । उनकन्हीं के प्रांतीय घर के प्रति बहुत घृणा होवऽ हइ आउ राजधानी के अभिजात-वर्गीय बैठकखाना (aristocratic drawing rooms) के कामना करऽ हका, जाहाँ परी उनका प्रवेश के अनुमति नयँ मिल्लऽ हइ ।

आउ अइकी हियाँ आखिर में कुआँ हइ ... ओकर नगीच के छोटका चौक (square) में एगो छोटगर घर बन्नल हइ जेकरा में स्नानगृह के उपरे लाल छत हइ, आउ ओकरा से थोड़े सनी आगू गैलरी हइ, जाहाँ परी बारिश के बखत लोग टहलते जा हइ । कुछ घायल अफसर, अपन बैसाखी उपरे तरफ कइले, बेंच पर बैठल हला - पीयर, उदास । कुछ महिला तेज गति से छोटका चौक पर आगू-पीछू चहलकदमी कर रहले हल, पानी के प्रभाव के प्रतीक्षा में । ओकन्हीं बीच दु-तीन गो सुत्थर चेहरा वली हलइ । माशूक पर्वत के ढलान पर अंगूर के लत्तर से आच्छादित उद्यानपथ (alley) में कभी-कभार दूगो के एकांत पसीन करे वलन के रंग-बिरंगा (चितकबरा) टोपी के झलक मिल जा हलइ, काहेकि अइसन टोपी के नगीच हमेशे हम या तो मिलिट्री टोपी, चाहे कुरूप गोल-गाल टोपी नोटिस कइलिअइ । उच्च ढलान के चट्टान पर, जाहाँ परी "एओलियन हार्प" नामक पविलियन (ग्रीष्मगृह, सज्जल-धज्जल आश्रयस्थल) बन्नल हइ, प्राकृतिक दृष्य के प्रेमी लोग जामा होल हलइ आउ अपन दूरबीन के एलबोरूस पर निर्दिष्ट कइले हलइ; ओकन्हीं में अपन-अपन शिष्य के साथ दूगो निजी शिक्षक हलइ, जे घेघा (कंठमाला, scrofula) के इलाज लगी अइते गेले हल । उपरदम होल हम पहाड़ के किनारे पर रुक गेलिअइ, आउ घरवा के कोनमा से थोड़े झुकके आसपास के वातावरण के देखे लगलिअइ, कि अचानक हम अपन पीछू में जानल-पछानल अवाज सुन्नऽ हिअइ –
"पिचोरिन ! हियाँ अइला बहुत दिन हो गेलो की ?"
हम घुमके देखऽ हिअइ - ग्रुशनित्स्की ! हमन्हीं दुन्नु गले-गले मिललिअइ । हमन्हीं के जान-पछान तैनात टुकड़ी (active service detachment) में होले हल । ओकर गोड़ में गोली लगे से ऊ जखमी हो गेले हल आउ हमरा से एक सप्ताह पहिलहीं हियाँ लगी रवाना हो चुकले हल ।  

ग्रुशनित्स्की कैडेट हइ । सैन्य सेवा में रहला ओकरा एक्के साल होले ह, लेकिन एगो खास फैशन के रूप में एगो मोटगर ओवरकोट पेन्हऽ हइ । ओकरा पास सैनिक के सेंट जॉर्ज क्रॉस हइ । ऊ निम्मन काठी के, सामर आउ कार केश वला हइ; देखे से ओकर उमर पचीस साल बतावल जा सकऽ हइ, हलाँकि मोसकिल से ऊ एकइस साल के हइ। ऊ जब बोलऽ हइ, त अपन सिर पीछू तरफ कर ले हइ, आउ मिनट-मिनट अपन बामा हाथ से मोंछ पर ताव दे हइ, काहेकि सहारा लेवे खातिर दहिना हाथ से बैसाखी के पकड़ले रहऽ हइ । ऊ तेजी से आउ शब्दाडंबर के साथ बोलऽ हइ - ऊ ओइसन लोग में से हइ, जेकर जिनगी के हरेक अवसर लगी लच्छेदार शब्दावली तैयार रहऽ हइ, जेकरा सरल सौंदर्य स्पर्श नयँ करऽ हइ आउ जे असाधारण भावना, उँचगर जोश आउ अपवादात्मक पीड़ा के धूमधाम से प्रदर्शन करऽ हइ । प्रभाव उत्पन्न करना ओकन्हीं लगी आनंद के बात हइ; प्रांतीय रोमांटिक लड़कियन के ओकन्हीं पागलपन के हद तक पसीन पड़ऽ हइ । बुढ़ारी तक ओकन्हीं या तो शांतिप्रिय जमींदार बन जा हइ, चाहे पियक्कड़ - कभी-कभी दुनहूँ । ओकर आत्मा में अकसर बहुत कुछ निम्मन गुण होवऽ हइ, लेकिन  एक अद्धी भर के काव्य के नयँ । ग्रुशनित्स्की के शौक हलइ अपन विचार दोसरा के सुनावे के - जइसीं बातचीत सामान्य विचार के क्षेत्र से बाहर निकसलइ कि ऊ अपने के ऊपर शब्द के बौछार कर देतइ; ओकरा साथ हम कभियो बहस नयँ कर सकलिअइ । ऊ अपने के आपत्ति (एतराज) के जवाब नयँ दे हइ, ऊ अपने के बात नयँ सुन्नऽ हइ । जइसीं अपने रुक्कऽ हथिन, कि ऊ एगो लम्मा भाषण शुरू कर दे हइ, देखे में लगऽ हइ कि अपने जे कुछ कहलथिन ओकरा से एकर कोय संबंध हइ, लेकिन जे वास्तव में खाली ओकर अपन भाषण के निरंतरता (continuation) होवऽ हइ। ऊ काफी तेज हइ - ओकर चुटकुला अकसर मनोरंजक होवऽ हइ, लेकिन कभियो सही आउ कड़वा नयँ होवऽ हइ - ऊ कभियो केकरो एक शब्द से नयँ मारतइ; ऊ लोग के आउ ओकर कमजोर नस के नयँ जानऽ हइ, काहेकि सारी जिनगी ऊ अपने में व्यस्त रहले ह । ओकर लक्ष्य हइ - कोय उपन्यास के हीरो बनना । ऊ संसार लगी सृष्ट कइल जीव नयँ हइ, जेकरा कइसनो रहस्यमय यंत्रणा से मरे के लिक्खल हइ - ई बात के ऊ एतना अकसर दोसरा सब के विश्वास देलावे के प्रयास कइलकइ, कि ऊ खुद एकरा में लगभग आश्वस्त हो गेलइ । ओहे से तो ऊ एतना शान से अपन मोटगर सैनिक ओवरकोट पेन्हऽ हइ । हम ओकरा समझ गेलिए ह, आउ एहे से ऊ हमरा पसीन नयँ करऽ हइ, हलाँकि हमन्हीं बीच बाहर से बहुत दोस्ताना रिश्ता हइ । ग्रुशनित्स्की के श्रेष्ठ शूर-वीर के रूप में नाम हइ; हम ओकरा प्रत्यक्ष युद्ध के दौरान देखलिए ह; ऊ तलवार भाँजऽ हइ, चिल्ला हइ आउ आँख मूनके आगू लपकके जा हइ। ई तो कइसनो रूसी शूरता नयँ हइ ! ...

हमहूँ ओकरा नयँ पसीन करऽ हिअइ - हमरा लगऽ हइ, कि हमन्हीं दुन्नु कभी कोय सकेत (सँकरा) रोड पर टकरा जइते जइबइ, आउ हमन्हीं में से एगो लगी अच्छा नयँ होतइ ।

काकेशिया में ओकर आगमन भी ओकर रोमांटिक सनक के नतीजा हलइ । हमरा विश्वास हइ, कि ऊ अपन पैतृक गाँव से रवाना होवे के पूर्वसंध्या पर पड़ोस के कोय तो सुत्थर लड़की से उदास मुद्रा में बोलले हल, कि ऊ खाली सैन्य सेवा लगी नयँ जा रहले ह, बल्कि ऊ अपन मौत खोजऽ हइ, काहेकि ... हियाँ परी शायद ऊ अपन हाथ से आँख बन कर लेलकइ आउ ई तरह बात जारी रखलकइ - "नयँ, अपने के (चाहे तोरा) ई नयँ जाने के चाही ! अपने के साफ दिल काँप उठतइ ! आउ काहे लगी ? हम अपने के केऽ लगऽ हिअइ ! समझऽ हथिन न हमर बात ?" – इत्यादि, इत्यादि ।

ऊ हमरा खुद्दे बोलले हल, कि ओकरा के॰ (K) रेजिमेंट में योगदान करे लगी प्रेरित करे वला कारण, ओकरा आउ भगमान के बीच हमेशे लगी एगो रहस्य रहतइ ।
लेकिन ऊ पल में, जब ऊ शोकात्मक चोला उतार दे हइ, ग्रुशनित्स्की काफी प्यारा आउ मनोरंजक होवऽ हइ । ओकरा औरतियन के साथ देखे के हमरा उत्सुकता हइ - अइसने अवसर पर तो ऊ, हमरा लगऽ हइ, पूरा प्रयास करऽ हइ !

हमन्हीं पुरनका दोस्त नियन मिलते गेलिअइ । हम ओकरा स्पा भिर के जिनगी आउ हियाँ के विशिष्ट चेहरा (व्यक्ति) के बारे पूछताछ करे लगलिअइ ।

"हमन्हीं काफी नीरस जिनगी गुजारऽ हिअइ", एगो उच्छ्वास लेके ऊ कहलकइ, "सुबह में पानी पीए वलन, सब्भे रोगी नियन सुस्त रहऽ हइ, आउ शाम के दारू पीए वलन, सब्भे नीरोग नियन असहनीय होवऽ हइ । महिला समाज हइ; लेकिन ओकरा से बहुत कम सांत्वना मिल्लऽ हइ - ओकन्हीं विस्ट (whist) खेलते जा हइ, अनाड़ी नियन बस्तर पेन्हऽ हइ आउ भयानक रूप के फ्रेंच बोलऽ हइ । इमसाल मास्को से खाली राजकुमारी लिगोव्स्काया अपन बेटी के साथ हका; लेकिन हमरा उनकन्हीं से परिचय नयँ हइ । हमर सैनिक ओवरकोट हइ - मानूँ अस्वीकृति के ठप्पा हइ । ई जे सहानुभूति उत्पन्न करऽ हइ, ऊ खैरात नियन दर्दनाक होवऽ हइ ।"

एहे क्षण कुआँ बिजुन हमन्हीं भिर से गुजरते दूगो महिला गेलथिन - एगो वइसगर, आउ दोसरकी एगो सुग्घड़ नवयुवती । उनकन्हीं के टोप के पीछू चेहरा हम देख नयँ पइलिअइ, लेकिन उनकन्हीं के पोशाक कठोर नियम के अनुसार सबसे निम्मन ढंग के हलइ - कुच्छो फालतू नयँ हलइ ! दोसरकी के बंद गला (high-necked) के मुक्ताधूसर (pearl-grey) पोशाक हलइ, ओकर लचीला गरदन के चारो तरफ एगो हलका रेशमी दुपट्टा लपेटल हलइ । गाढ़ा-भूरा रंग के जुत्ती घुट्ठी भिर ओकर पतरगर गोड़ में एतना सुंदर ढंग से चुस्त बैठल हलइ, कि सौंदर्य के रहस्य से अपरिचित के मुँह से भी निस्संदेह "आह !" निकस पड़ते हल, बल्कि चाहे ई आश्चर्य से होवइ । ओकर सहज, लेकिन कुलीन चाल में कुछ तो अपने आप में कौमार्यदर्शक हलइ, जेकरा परिभाषित नयँ कइल जा सकऽ हलइ, लेकिन जेकरा नजर से समझल जा सकऽ हलइ । जब ऊ हमन्हीं भिर से गुजरलइ, त ओकरा से अवर्णनीय सुगंध अइलइ, जे कभी-कभी प्रिय स्त्री के नोट (पत्र) से निकसऽ हइ ।
"ई हथिन राजकुमारी लिगोव्स्काया", ग्रुशनित्स्की कहलकइ, "आउ उनका साथ उनकर पुत्री मेरी, जइसन कि ऊ उनका अंग्रेजी शैली में पुकारऽ हथिन । उनकन्हीं के हियाँ अइला खाली तीन दिन होले ह ।"  
"लेकिन तूँ उनकर नाम पहिलहीं से जानऽ हो ?"
"हाँ, हम संयोग से सुनलिअइ", तमतमाल चेहरा के साथ ऊ जवाब देलकइ, "हम स्वीकार करऽ हिअइ, कि उनकन्हीं के साथ परिचित होवे के हमर इच्छा नयँ हइ । ई अभिमानी अभिजात वर्ग (aristocrats) हमन्हीं सैनिक लोग के जंगली (आदिम) नियन देखऽ हइ । आउ ओकन्हीं के ई बात से की मतलब हइ, कि ई नंबर वला मिलिट्री टोपी के अंदर बुद्धि आउ ई मोटगर ओवरकोट के अंदर दिल हइ कि नयँ ?"
"बेचारा ओवरकोट !" हम हँसते कहलिअइ, "आउ ई कउन महाशय हथिन, जे उनकन्हीं भिर आ रहलथिन हँ आउ एतना सेवापरायणता से उनकन्हीं के गिलास थमा रहलथिन हँ ?"
"ओह ! ई मास्कोवासी छैला रायेविच हइ ! ऊ एगो जुआड़ी हइ - ई तो तुरतम्मे ओकर नीला वास्कट (वेस्टकोट) से लटकल बड़गो सोना के चेन से समझल जा सकऽ हइ । आउ कइसन मोटगर छड़ी हइ - बिलकुल रॉबिन्सन क्रुसो वला नियन ! आउ ओकरो पर संयोग से दाढ़ी, आउ मुझीक (किसान, देहाती) के स्टाइल के केश ।"
"तूँ त पूरे मानवता के विरुद्ध द्वेषी हकहो ।"
"आउ एकर कारण हइ ..."
"ओह, वास्तव में ?"
एतने समय में दुन्नु महिला कुआँ भिर से चल अइते गेलथिन आउ हमन्हीं के नगीच पहुँच गेते गेलथिन । ग्रुशनित्स्की के अपन बैसाखी के सहायता से एगो नाटकीय मुद्रा धारण कर लेवे के समय मिल गेलइ आउ जोर अवाज में हमरा फ्रेंच में जवाब देलकइ -
"Mon cher, je haïs les hommes pour ne pas les mépriser, car autrement la vie serait une farce trop dégoûtante" [मौँ शेर, ज आय लेज़ौम पुर न पा ले मेप्रिज़े, कार ओत्रमाँ ला वी सेरे यून फ़ार्स त्रो देगुताँत – हमर प्यारे, हम पुरुष लोग से घृणा करऽ हिअइ, ओकन्हीं के नापसंद करे लगी नयँ, अन्यथा जिनगी एगो बड़गो घृणित तमाशा बन जइतइ] ।

सुंदर (अविवाहित) राजकुमारी (मेरी) अपन सिर घुमा लेलथिन आउ वक्ता दने एगो लमगर उत्सुकतापूर्ण दृष्टि डललथिन । ई दृष्टि के मुद्रा बहुत अनिश्चित हलइ, लेकिन व्यंग्यात्मक नयँ, जेकरा चलते हम मने मन दिल से ओकरा बधाई देलिअइ ।
"ई राजकुमारी मेरी अत्यंत सुंदर हथिन", हम ओकरा कहलिअइ । "उनकर आँख केतना मखमली हइ - बिलकुल मखमली । हम तोरा सलाह दे हियो कि उनखर आँख के बारे बोलते बखत ई अभिव्यक्ति के ध्यान में रखिहो; निचलौका आउ उपरला पिपनी एतना लमगर हइ, कि सूरज के किरण उनकर आँख के पुतली में प्रतिबिंबित नयँ होवऽ हइ । हमरा बिन चमक वला अइसन आँख पसीन हइ - ई एतना कोमल होवऽ हइ, मानूँ तोरा सहलावऽ हको ... लेकिन, लगऽ हइ, उनकर चेहरा में खाली एहे एगो निम्मन विशेषता हइ ... आउ, की उनकर दाँत उज्जर हइ ? ई बहुत महत्त्वपूर्ण हइ ! खेद हको, कि ऊ तोर भव्य वाक्य पर मुसकइलथुन नयँ ।"

"तूँ सुत्थर औरत के बात करऽ हो, एगो अंग्रेजी घोड़ी नियन", गोस्सा से ग्रुशनित्स्की कहलकइ ।
हम ओकर तान (tone) के नकल करते ओकरा उत्तर देलिअइ, "Mon cher, je méprise les femmes, pour ne pas les aimer, car autrement la vie serait un mélodrame trop ridicule" [मौँ शेर, ज मेप्रिज़ ले फ़म, पुर न पा ले एमे, कार ओत्रमाँ ला वी सेरे अँ मेलोद्राम त्रो रिदिक्यूल – हमर प्यारे, हम औरत लोग के नापसंद करऽ हिअइ, ओकन्हीं के प्यार करे लगी नयँ, अन्यथा जिनगी एगो अत्यधिक हास्यास्पद अतिनाटक (melodrama) हो जइतइ] ।
हम मुड़ गेलिअइ आउ ओकरा भिर से सीधे चल गेलिअइ । आध घंटा हम अंगूर के लत्तर वला उद्यानपथ से,  चूना-पत्थर के खड़ा चट्टान (limestone cliffs) आउ ओकर बीच लटकते झाड़ी से होके टहलते रहलिअइ । झरक (झुलसावे वला गरमी) चले लगलइ, आउ हम तेजी से घर लगी रवाना हो गेलिअइ । गंधक के सोता भिर से गुजरते बखत, हम आच्छादित गैलरी बिजुन रुक गेलिअइ, ओकर छाया में जरी दम लेवे खातिर, जे हमरा एगो काफी कौतूहल दृश्य के दर्शक बने के अवसर देलकइ । (ई दृश्य के) पात्र अइकी अइसन हालत में होते जा हलइ । राजकुमारी, मास्को छैला के साथ, आच्छादित गैलरी में बेंच पर बैठल हलथिन, आउ दुन्नु, शायद, गंभीर बातचीत में व्यस्त हलथिन । राजकुमारी, अपन आखिरी गिलास के पानी पीना खतम करके विचारमग्न होल कुआँ बिजुन चहलकदमी कर रहलथिन हल । ग्रुशनित्स्की ठीक कुआँ बिजुन खड़ी हलइ; छोटका चौक पर आउ कोय नयँ हलइ ।

हम आउ नगीच अइलिअइ आउ गैलरी के कोना में छिप गेलिअइ । एतने में ग्रुशनित्स्की के हाथ से गिलास बालू पर गिर गेलइ आउ ओकरा उठावे खातिर पूरा जोर लगाके झुकलइ - ओकर घायल गोड़ से बाधा आ रहले हल । बेचारा ! ऊ अपन बैसाखी के सहारा लेते केतना प्रयास कइलकइ, लेकिन सब बेकार । ओकर भावदर्शी (expressive) चेहरा वास्तव में ओकर वेदना प्रकट कर रहले हल ।  

राजकुमारी ई सब घटना के हमरा से बेहतर देखलथिन ।

पंछी से भी अधिक फुरती से ऊ ओकरा भिर लपकके गेलथिन, झुक गेलथिन, गिलास उठइलथिन आउ अनिर्वचनीय रमणीयता भरल अपन शरीर के हलचल के साथ ओकरा दे देलथिन; फेर भयंकर रूप से उनकर चेहरा पर लाली छा गेलइ, गैलरी के चारो दने नजर फेरलथिन, आउ ई आश्वस्त होके, कि उनकर माताजी कुछ नयँ देखलका, लगऽ हइ, तुरतम्मे चैन के साँस लेलथिन । जब तक ग्रुशनित्स्की उनका धन्यवाद देवे लगी मुँह खोललकइ, तब तक ऊ दूर जा चुकलथिन हल । एक मिनट के बाद ऊ अपन माताजी आउ छैला के साथ बाहर निकस गेलथिन, लेकिन, ग्रुशनित्स्की भिर से गुजरते बखत, ऊ औपचारिक आउ गंभीर मुद्रा धारण कर लेलथिन - मुड़के देखवो नयँ कइलथिन, ओकर भावाकुल दृष्टि पर ध्यान नयँ देलथिन, जेकरा से ऊ देर तक उनकर पीछा करते रहले हल, जब तक कि पहाड़ से निच्चे उतरके बुलवार के लिंडेन वृक्ष के पीछू ऊ आड़ नयँ हो गेलथिन ... । लेकिन उनका रस्ता पर चलते बखत हमरा उनकर टोपी झलकते रहलइ; पितिगोर्स्क के कइएक शानदार घरवन में से एगो के गेट के अंदर ऊ लपकते घुस गेलथिन, उनकर पीछू-पीछू बड़की राजकुमारी गेलथिन आउ गेट बिजुन रायेविच के साथ विदाई के रूप में सिर झुकाके अभिवादन के आदान-प्रदान होलइ ।  

खाली तखनिएँ जाके बेचारा कैडेट के हमर उपस्थिति के भान होलइ ।
"तूँ देखलहो ?" कसके हमर हाथ दबइते ऊ कहलकइ, "ऊ तो बस देवदूत हथिन !"
"काहे ?" हम बिलकुल सरलहृदय के मुद्रा में पुछलिअइ ।
"की वास्तव में तूँ नयँ देखलहो ?"
"नयँ, देखलिअइ - ऊ तोर गिलास उठइलथुन । अगर हुआँ परी कोय संतरी रहते हल, त ओहो ओहे करते हल, आउ बल्कि आउ फुरती से, वोदका खातिर बख्शिश के आशा में । लेकिन, ई बात बिलकुल साफ हलइ, कि उनका तोरा पर तरस अइलो - तूँ अपन चेहरा के केतना भयंकर विकृत मुद्रा बनइलहो, जब अपन पूरा भार गोली से घायल होल गोड़ पर डाल लेलहो ..."
"आउ ऊ पल उनका दने तकते बखत तूँ बिलकुल द्रवीभूत नयँ होलहो, जब उनकर आत्मा उनकर चेहरा पर चमक रहले हल ? ..."
"नयँ ।"
हम झूठ बोललिअइ; लेकिन हमरा ओकरा जरी चिढ़ावे के मन कइलकइ । विरोध करे के हमरा जन्मजात मनोवृत्ति हइ; हमर पूरा जिनगी, हृदय चाहे विवेक खातिर, खाली उदास आउ विफल विरोध के शृंखला रहले ह । उत्साही मनुष्य के उपस्थिति हमरा तीव्र जाड़ा के ठंढक दे हइ, आउ हमरा लगऽ हइ, कि उदासीन आउ मुर्दादिल अदमी के साथ अकसर मेलजोल से हम एगो भावाकुल स्वप्नद्रष्टा बन जइतिए हल । हम एहो कबूल करऽ हिअइ, कि ई क्षण में हमर हृदय में एगो अप्रिय लेकिन परिचित भावना हलके से दौड़ रहले हल; ई भावना ईर्ष्या हलइ । हम बिलकुल स्पष्ट रूप से "ईर्ष्या" बोलऽ हिअइ, काहेकि हमरा सब कुछ खुद के कबूल कर लेवे के आदत हो गेले ह । आउ शायदे अइसन नवयुवक मिलतइ, जे अइसन एगो सुत्थर औरत से मिलला पर, जे ओकरा पर निरर्थक ध्यान में जकड़ चुकले हल, आउ अचानक ऊ नवयुवक के सामनहीं स्पष्ट रूप से कोय अइसन दोसरा नवयुवक पर ध्यान देवे लगऽ हइ, जे ऊ औरतिया लगी समान रूप से अनजान हइ, त शायदे, हम दोबारा कहऽ हिअइ, अइसन नवयुवक (जाहिर हइ, ई बड़गो संसार में रहे वला आउ अपन आत्मसम्मान से प्यार करे वला अभ्यस्त) मिलतइ, जे अइसन हालत में अप्रिय तरह से अचंभित नयँ होतइ ।

चुपचाप हम आउ ग्रुशनित्स्की पहाड़ पर से उतरते गेलिअइ आउ ऊ घर के खिड़की बिजुन वला बुलवार से होके टहलते गेलिअइ, जाहाँ हमन्हीं के सुंदरी गायब हो गेला हल । ऊ खिड़की भिर बइठल हला । ग्रुशनित्स्की, हमर बाँह के धकियाके, उनका पर एगो अइसन धुँधला-नाजुक नजर डललकइ, जे औरतियन पर बहुत कम असर डालऽ हइ । हम लॉर्न्येत (lorgnette - चश्मा, दूरबीन) उनका दने सीधिअइलिअइ (निर्दिष्ट कइलिअइ) आउ देखलिअइ, कि ऊ ओक्कर नजर से तो मुसकइला, लेकिन हमर ढीठ लॉर्न्येत से बहुत नराज होला । आउ कइसे, वास्तव में, एगो काकेशियाई सैन्य अफसर एगो मास्कोवासी राजकुमारी दने लॉर्न्येत सीधिआवे के जुर्रत करऽ हइ ? ...

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Friday, August 12, 2016

रूसी उपन्यास "आझकल के हीरो" ; भाग-1 ; 3. पिचोरिन के डायरी – 1. तमान ; अध्याय-2



रूसी उपन्यास – “आझकल के हीरो”
भाग-1
3. पिचोरिन के डायरी – 1. तमान ; अध्याय-2

हम नमदा के चोगा (felt cloak) से खुद के लपटलिअइ, आउ छरदेवाली भिर एगो पत्थल पर बैठ गेलिअइ, दूर में अपन नजर गड़इते; हमरा सामने रात के आँधी से क्षुब्ध समुद्र फैलल हलइ, आउ शहर में लोग के नीन आवे घड़ी के भुनभुनाहट जइसन एकर एकरस ध्वनि, हमरा पुरनका अतीत वर्ष के आद देला देलकइ, आउ हमर विचार के उत्तर तरफ, हमन्हीं के ठंढगर रजधानी में पहुँचा देलकइ । स्मृति से क्षुब्ध होके हम सब कुछ विसर गेलइ ... अइसीं करीब एक घंटा गुजर गेलइ, हो सकऽ हइ जादहूँ ... अचानक कुछ तो एगो गीत के सदृश हमर कान में पड़लइ । ई गीते हलइ, आउ औरतानी साफ गला - लेकिन काहाँ से ? ... कान देके सुन्नऽ हिअइ - धुन विचित्र हलइ, कभी मंद आउ करुण, त कभी तीव्र आउ सजीव । सगरो नजर फेरऽ हिअइ - चारो दने कोय नयँ; फेर से ध्यान से सुन्नऽ हिअइ - अवाज मानूँ असमान से आवऽ हइ । हम नजर उपरे कइलिअइ - हमर झोपड़ी के छत पर एगो लड़की धारीदार पोशाक में खुल्लल केश के साथ खड़ी हलइ, एगो असली जलपरी (mermaid) लगऽ हलइ । सूरज के किरण से अपन आँख के हथेली से बचइते, ऊ एकटक दूर में देख रहले हल, कभी हँस्सइ आउ खुद से कुछ बात करइ, त कभी फेर से गावे लगइ ।

ई गीत के एक-एक शब्द हमरा आद हइ –

मानूँ अपन मरजी से
हरियर समुद्र से होके
सब्भे जहाज चल्लऽ हइ
उज्जर पाल वला ।

ऊ सब जहाज के बीच
हम्मर प्यारा नाय,
नाय बिन पाल के,
दूगो चप्पू वला ।

आँधी आवऽ हइ -
पुरनकन जहाज
पाल जरी सुन उठावऽ हइ,
समुद्र में एन्ने-ओन्ने जा हइ ।

समुद्र के प्रार्थना करबइ
हम बहुत निच्चे झुकके –
"छू मत तूँ, निर्दयी समुन्दर,
हमर प्यारा नाय के -
ढोके ले जा हइ नइया हम्मर
चीज सब बेशकीमती ।
खेवऽ हइ एकरा अन्हरिया रात में
दुस्साहसी नाविक ।"

अनजाने में हमर दिमाग में विचार अइलइ, कि रात में हम एहे अवाज सुनलिए हल; हम एक मिनट लगी विचारमग्न हो गेलिअइ, आउ जब फेर से छत पर देखलिअइ, त लड़किया हुआँ परी नयँ हलइ । अचानक ऊ हमर पास से दौड़के गेलइ, कुछ तो दोसर चीज गइते, अपन अँगुरी तोड़ते, बुढ़िया भिर दौड़के अंदर गेलइ, आउ हियाँ परी ओकन्हीं बीच विवाद चालू होलइ । बुढ़िया नराज हो गेलइ, जबकि ऊ लड़किया जोर से हँस पड़लइ । आउ अइकी देखऽ हिअइ, हमर उन्दिना (जलपरी) फेर से उदकते भागऽ हइ - हमरा भिर आवऽ हइ, ऊ रुक गेलइ आउ हमरा एकटक आँख में आँख मिलाके देखे लगलइ, मानूँ हमरा हुआँ देखके अचंभित हलइ; फेर लपरवाही के साथ मुड़ गेलइ आउ शांति से घाट (बंदरगाह) दने चल गेलइ । बात हिएँ खतम नयँ होलइ - पूरे दिन ऊ हमर क्वाटर के आसपास मँड़रइते रहलइ; गाना आउ उदकना एक्को मिनट बन नयँ होलइ । विचित्र जीव हलइ ! ओकर चेहरा पर पागलपन के कोय लक्षण नयँ हलइ; एकर विपरीत, ओकर आँख तीक्ष्ण सूक्ष्मदर्शिता से हमरा पर टिक्कल हलइ, आउ ई आँख, लगऽ हलइ, एक तरह के चुंबकीय शक्ति से संपन्न हलइ, आउ हर तुरी मानूँ कोय प्रश्न के प्रतीक्षा में हलइ । लेकिन जइसीं हम बोले लगी शुरू कइलिअइ, कि ऊ धूर्ततापूर्वक मुसकइते भाग गेलइ ।

पक्का हम कभी अइसन औरत नयँ देखलूँ हल । ऊ ओतना सुंदर नयँ हलइ, लेकिन सौंदर्य के मामले में भी हमर खुद के पूर्वाग्रह हइ । ओकरा में बहुत कुछ कुलीनता हलइ ... औरत लोग में कुलीनता, जइसन कि घोड़वन के नसल में होवऽ हइ, बड़गो बात हइ; ई खोज तरुण फ्रांस [1] के कइल हइ । ऊ (मतलब कुलीनता, तरुण फ्रांस नयँ) अधिकांश में प्रकट होवऽ हइ चाल-ढाल में, हाथ-गोड़ में; खास करके नाक के बहुत महत्त्व हइ । सीधा नाक रूस में छोटगर गोड़ के अपेक्षा अधिक विरल हइ । हमर गायिका अठारह बरस से जादे के नयँ लगऽ हलइ । ओकर काठी के असाधारण लचीलापन, ओकर विशेष रूप से खुद के सिर के मोड़े के ढंग, लमगर सुनहरा केश, ओकर जरी धूपताम्र (sun-tanned) गरदन आउ कन्हा के त्वचा के एक प्रकार के सुनहरा झलक (tint) आउ विशेष करके सीधा नाक - ई सब कुछ हमरा लगी आकर्षक हलइ । हलाँकि ओकर कनखी में कुछ तो वहशी आउ संदेहजनक पढ़े में अइलइ, हलाँकि ओकर मुसकान में कुछ तो अनिश्चित हलइ, लेकिन पूर्वाग्रह में अइसन शक्ति हइ - सीधगर नाक हमरा पागल बना देलकइ; हम कल्पना कइलिअइ, कि ग्योटऽ के मिन्योन (Goethe’s Mignon) [2] खोज लेलिअइ, उनकर जर्मन कल्पनाशक्ति के ई विलक्षण सृजन - आउ ओकन्हीं दुन्नु में बहुत साम्य हलइ - ओहे अत्यधिक चंचलता से पूर्ण स्तब्धता में तीव्र संक्रमण (transitions), ओहे रहस्यमय वाणी, ओहे उछल-कूद, विचित्र गीत …

साँझ नगीच अइला पर, ओकरा दरवजवा भिर रोकके, ओकरा साथ निम्नलिखित बातचीत कइलिअइ ।
"हमरा बताव तो, सुंदरी", हम पुछलिअइ, "तूँ आझ छत पर की कर रहलहीं हल ?"
"ओह, देख रहलिए हल, कि कन्ने से हावा बह रहले ह ।"
"तोरा की जरूरत हलउ ?"
"जद्धिर से हावा आवऽ हइ, ओधरे से खुशी भी ।"
"की ? वास्तव में तूँ गीत से सुख के आमंत्रित कर रहलहीं हल ?"
"जाहाँ गीत गावल जा हइ, हुएँ सुख आवऽ हइ ।"
"आउ कहीं गलती से गाके खुद लगी शोक लइलहीं तब ?"
"त एकरा से की ? जाहाँ बेहतर नयँ होतइ, हुआँ बत्तर होतइ, लेकिन खराब से निम्मन फेर जादे दूर नयँ होवऽ हइ।"
"केऽ तोरा ई गीत सिखइलको हल ?"
"कोय नयँ सिखइलक हल; दिमाग में आवऽ हइ - आउ गावऽ हिअइ; जेकरा सुन्ने के हइ, ऊ सुनतइ; आउ जेकरा नयँ सुन्ने के चाही, ओकरा समझ में नयँ अइतइ ।"
"आउ तोर नाम की हउ, हमर गायिके ?"
"जे बपतिस्मा कइलका, ऊ जानऽ हका ।"
"आउ केऽ बपतिस्मा कइलथुन ?"
"हमरा की मालूम ?"
"कइसन धूर्त ! आउ अइकी तोरा बारे कुछ तो जान गेलियो ह ।"
(ओकर चेहरा में कोय बदलाव नयँ अइलइ, न अपन होंठ हिलइलकइ, मानूँ एकरा से ओकर कोय संबंध नयँ हलइ।)
"हमरा मालूम हो गेलो ह, कि तूँ कल्हे रात के समुद्र तट पर गेलहीं हल ।"

आउ हियाँ परी हम बहुत महत्त्वपूर्ण (अर्थात् गंभीर) मुद्रा में ओकरा सब कुछ बता देलिअइ, जे देखलिए हल, ई सोचके कि ऊ परेशान हो जइतइ - लेकिन कुछ नयँ ! ऊ तो ठठाके हँस पड़लइ ।
"बहुत कुछ देखलथिन, लेकिन बहुत कम जानऽ हथिन, ओहे से ताला-कुंजी में बन रखले रहथिन ।"
"आउ अगर हम, मसलन, कमांडेंट के रिपोर्ट करे के बारे सोचलिअइ तब ?"
आउ हियाँ परी हम बहुत गंभीर, बल्कि कठोर भी, मुद्रा बना लेलिअइ । ऊ एकदम से उछल पड़लइ, गावे लगलइ आउ नुक गेलइ, झाड़ी में से एगो भयभीत चिरईं नियन । हमर अंतिम शब्द बिलकुल अनुचित हलइ, तखने हम ओकर महत्त्व के शंका नयँ कइलिअइ, लेकिन बाद में हमरा एकरा बारे पछतावा करे के मौका आ गेलइ ।  

जइसीं अन्हेरा छा गेलइ, हम कज़ाक के अभियान (campaign) पर नियन केतली गरम करे लगी औडर देलिअइ, मोमबत्ती जलइलिअइ आउ टेबुल भिर बैठ गेलिअइ, प्रवास के पाइप से धूम्रपान करे लगलिअइ । हम चाय के दोसरे गिलास खतम कइलिअइ, कि अचानक दरवाजा चरचरइलइ, हमर पीछू में पोशाक के हलका सरसराहट आउ कदम के आहट सुनाय देलकइ; हम चौंक गेलिअइ आउ मुड़ गेलिअइ - ई ऊ हलइ, हमर उन्दिना (जलपरी) !
ऊ हमरा सामने शांति से आउ बिन एक्को शब्द बोलले बैठ गेलइ आउ अपन नजर हमरा पर टिका देलकइ, आउ मालूम नयँ काहे, लेकिन ई नजर हमरा चमत्कारिक रूप से नाजुक लगलइ; ई हमरा ओइसनकन नजर में से एक के आद देला देलकइ, जे पुरनकन साल में हमर जिनगी के साथ स्वेच्छाचारिता के साथ खेलले हल । ऊ, लगऽ हलइ, कोय प्रश्न के प्रतीक्षा करब करऽ हलइ, लेकिन पूर्ण अबोधगम्य उधेड़-बुन (inexplicable confusion) में हम चुप रहलिअइ । ओकर चेहरा पर पसरल हलका पीलापन ओकर मन में मच रहल खलबली के द्योतक हलइ;  ओकर हाथ बिन कोय उद्देश्य के टेबुल पर हलचल कर रहले हल, आउ हम ओकरा में हलका कंपन नोटिस कइलिअइ; ओकर छाती कभी उँच्चा उठ जाय, त कभी, लगइ, ऊ साँस रोकले हइ । ई नाटक हमरा बोर करे लगलइ, आउ हम ई चुप्पी के सबसे अरोचक (prosaic) ढंग से तोड़े लगी तैयार हो गेलिअइ, मतलब ओकरा सामने एक गिलास चाय पीए लगी प्रस्ताव रक्खे के, कि अचानक ऊ उछलके खड़ी हो गेलइ, हमर गरदन में अपन बाँह डाल देलकइ, आउ हमर होंठ पर आर्द्र, आग्नेय (moist, fiery) चुंबन ध्वनित होलइ । हमर आँख के आगू अन्हेरा छा गेल, सिर चकराय लगल, अपन जवानी के जोश में पूरा जोर लगाके ओकरा हम अपन आलिंगन में कस लेलिअइ, लेकिन ऊ, साँप नियन, हमर हाथ के बीच से छिटक गेलइ, हमरा कान में फुसफुसइते - "आझ रात, जब सब कोय सुत जाय, समुद्र तट पर आ जा", आउ तीर नियन कमरा से दौड़के भाग गेलइ । (भागते-भागते) ड्योढ़ी में केतली आउ फर्श पर पड़ल मोमबत्ती के उलट देलकइ । "ई कइसन शैतान लड़की हइ !" कज़ाक चिल्लइलइ, जे पुआल पर अराम कर रहले हल आउ बाकी बच्चल चाय से खुद के गरमावे के मनसूबा बनइले हलइ । तभिए हमरा होश अइलइ ।

लगभग दू घंटा के बाद, जब सब कुछ घाट पर शांत हो गेलइ, हम अपन कज़ाक के उठइलिअइ । "अगर हम पिस्तौल से फायर करिअउ", हम ओकरा कहलिअइ, "त दौड़के समुद्र तट पर आ जइहँऽ ।" ऊ आँख फाड़के हमरा तरफ देखलकइ आउ यंत्रवत् उत्तर देलकइ - "जी, महामहिम ।" हम अपन बेल्ट में पिस्तौल रखलिअइ आउ बहरसी निकस गेलिअइ । ऊ खड़ी चट्टान के किनारे पे हमर इंतजार कर रहले हल; ओकर पोशाक जरूरत से जादहीं हलका हलइ, ओकर लचीला कमर में एगो ओढ़नी लपेटल हलइ ।

"हम्मर पीछू-पीछू आथिन !" हमर हाथ पकड़के ऊ कहलकइ, आउ हमन्हीं उतरे लगलिअइ । हमरा समझ में नयँ आवऽ हइ, कि हमर गरदन कइसे नयँ टुटलइ; निच्चे हमन्हीं दहिना दने मुड़लिअइ आउ ओहे रस्ता से आगू बढ़लिअइ, जाहाँ परी हम अन्हरा के पीछा कइलिए हल । चान अभी नयँ उगले हल, आउ खाली दुइए गो छोटगर तरिंगन, दूगो रक्षक मार्गदर्शक नियन, गढ़गर नीला मेहराब (आकाश) में टिमटिमा रहले हल । भारी लहर एक के बाद दोसर तालबद्ध आउ नियमित रूप से उठ रहले हल, मोसकिल से एकमात्र नाय के जरी उपरे उठइते, जेकर तट पर लंगर डालल हलइ । "नाय में चढ़ल जाय", हमर सहगामिनी कहलकइ; हम हिचकिचइलिअइ, हम समुद्र में भावुक सैर-सपाटा के शौखीन नयँ हिअइ; लेकिन पीछू हट्टे के समय नयँ हलइ । ऊ उछलके नाय में चल गेलइ, हम ओकर पीछू, आउ हम होशो नयँ सम्हाल पइलिअइ, एकर पहिले कि हम नोटिस कइलिअइ कि हमन्हीं नौका-विहार करब करऽ हिअइ ।
"एकर की मतलब हइ ?" हम गोसाल कहलिअइ ।
"एकर मतलब हइ", ऊ जवाब देलकइ, हमरा बेंच पर बैठइते आउ हमर कमर के अपन बाँह में लपेटते, "एकर मतलब हइ, कि हम तोरा से प्रेम करऽ हियो ..."
आउ ओकर गाल हमर गाल से चिपटल हलइ, आउ हम अपन चेहरा पर ओकर अग्निमय साँस (burning breath) के महसूस कर रहलिए हल । अचानक कुछ तो जोर के अवाज के साथ पानी में गिरलइ - हम अपन बेल्ट (चमोटी) पर हाथ ले गेलिअइ - पिस्तौल नयँ । ओह, हियाँ परी एगो भयंकर शक्का हमर मन में घुस गेलइ, खून तेजी से हमर सिर में चढ़ गेलइ ! ... हम चारो तरफ नजर डालऽ हिअइ - हमन्हीं तट से लगभग पचास साझेन (100 मीटर) दूर हिअइ, आउ हम पैर नयँ सकऽ हिअइ ! हम ओकरा खुद से ढकेलके अलगे करे लगी चाहऽ हूँ - ऊ बिलाय नियन हमर पोशाक के कसके धर लेलकइ, आउ अचानक ओकर एगो जोरदार धक्का लगभग हमरा समुद्र में फेंक देलकइ । नाय डोले लगलइ, लेकिन हम खुद के सम्हार लेलिअइ, आउ हमन्हीं दुन्नु के बीच भीषण संघर्ष चालू हो गेलइ; क्रोध हमरा शक्ति देलकइ, लेकिन हम जल्दीए नोटिस कर लेलिअइ, कि हम अपन प्रतियोगी के सामने कुशलता आउ चालबाजी में बराबरी नयँ कर पा रहलूँ हँ ... "आखिर तूँ की चाहँऽ हँ ?" हम चिल्लइलिअइ, कसके ओकर छोटकुन्ना हाथ के पकड़ले; ओकर अँगुरी कड़कड़इलइ, लेकिन ऊ ओह-आह नयँ कइलकइ - ओकर साँप नियन प्रकृति ई यातना के सहन कर गेलइ ।

"तूँ देख लेलहीं", ऊ जवाब देलकइ, "तूँ रिपोर्ट कर देमहीं !" आउ अलौकिक शक्ति से हमरा नाय में उलट देलकइ; नाय के किनारे हमन्हीं दुन्नु कमर से लटकल हलिअइ, ओकर केश पानी के स्पर्श कर रहले हल - ई निर्णायक क्षण हलइ । हम अपन टेहुना के नाय के तल में टिका देलिअइ, एक हाथ से ओकर जूरा धर लेलिअइ, दोसर से गला, ऊ हमर पोशाक के पकड़ छोड़ देलकइ, आउ हम पल भर में ओकरा लहर में फेंक देलिअइ ।

काफी अन्हेरा हो चुकले हल; समुद्री फेन में ओकर सिर दू तुरी पल भर लगी देखाय देलकइ, आउ फेर हमरा कुछ नयँ नजर अइलइ ।

नाय के तल में हमरा पुरनका पतवार के आधा हिस्सा मिललइ आउ कइसूँ, लमगर प्रयास के बाद, नाय के घाट लगइलिअइ । समुद्री तट पर से होते अपन झोपड़ी तरफ चुपके जइते बखत, हमर नजर अनजाने में ऊ दिशा में चल गेलइ, जाहाँ पिछलौका रतिया के अन्हरा रात्रि वला पैराक (नाविक) के इंतजार करब करऽ हलइ; चान आकाश पर चढ़ चुकले हल, आउ हमरा लगलइ, कि कोय तो उज्जर पोशाक में तट पर बैठल हइ; उत्सुकता से उत्तेजित होल, हम चुपके से सरकते गेलिअइ, आउ खड़ी चट्टान के उपरे घास में पड़ गेलिअइ; जरी सुन सिर के आगू निकासके, हमरा चट्टान पर से ऊ सब कुछ देखाय देब करऽ हलइ, जे निच्चे होब करऽ हलइ, आउ बहुत अचरज नयँ होलइ, बल्कि लगभग खुशी होलइ, जब हम अपन जलपरी के पछनलिअइ । ऊ अपन लमका केश से समुद्री फेन के गारके निकास रहले हल; भिंगल कमीज के चलते ओकर लचीला कमर आउ उन्नत वक्षस्थल के उभार देखाय देब करऽ हलइ । जल्दीए दूर में नाय नजर अइलइ, तेजी से ऊ नगीच आब करऽ हलइ; ओकरा से, पहिलौका रोज नियन, तातार टोपी में एगो अदमी उतरलइ, लेकिन ओकर केश कज़ाक नियन काटल हलइ, आउ ओकर चमोटी से एगो बड़गर छूरा लटकल हलइ ।
"यान्को", ऊ कहलकइ, "सब कुछ खतम हो गेलो !"
बाद में ओकन्हीं के बातचीत एतना धीमे जारी रहलइ, कि हमरा कुच्छो सुन्ने में नयँ अइलइ ।
"आउ अन्हरा काहाँ हइ ?" अपन गला जरी उँचगर करके आखिरकार यान्को कहलकइ ।
"हम ओकरा बोलवा भेजइलिए ह", जवाब हलइ ।
कुछ मिनट के बाद अन्हरो आ गेलइ, अपन पीठ पर एगो बोरिया लेले, जेकरा नाय में रख देते गेलइ ।

"सुन अन्हरा !" यान्को कहलकइ, "तूँ ऊ जगह के देखभाल करिहँऽ ...समझलहीं ? हुआँ परी बेशकीमती समान हइ ... (नाम हम नयँ सुन पइलिअइ) के बता दिहीं, कि हम ओकर अब नौकर नयँ हिअइ; मामला सब बिगड़ गेलइ, ऊ हमरा अब देख नयँ पइतइ; अब मामला खतरनाक हइ; काम खोजे लगी दोसर जगह जाय वला हिअइ, आउ ओकरा अइसन दुस्साहसी अदमी मिल्ले वला नयँ । हाँ कह दिहीं, कि अगर ऊ कुछ बेहतर पैसा देते हल, त यान्को ओकरा नयँ छोड़ते हल; आउ हमरा लगी सगरो रस्ता हइ, जाहाँ खाली हावा बहऽ हइ आउ समुद्र गरजऽ हइ !" कुछ देर के चुप्पी के बाद यान्को बात जारी रखलकइ - "ई (लड़की) हमरा साथ अइतइ; एकरा हियाँ रहना असंभव हइ; आउ बुढ़िया के कह दिहीं, कि ओकरा मरे के टैम आ गेलइ, बहुत लमगर उमर तक जी लेलकइ, मामला के खतम करे के समय आ गेलइ । हमन्हीं के आउ नयँ देख पइतइ ।"

"आउ हम ?" अन्हरा करुण स्वर में बोललइ ।
"तोरा से हमरा की मतलब ?" जवाब हलइ ।
एहे दौरान हमर जलपरी नाय में उछलके चढ़ चुकले हल आउ अपन साथी के हाथ लहरा रहले हल; ऊ कुछ तो अन्हरा के हाथ में रखलकइ, ई कहते - "ले, अपना लगी केक खरीद लिहँऽ ।"
"बस ?" अन्हरा कहलकइ ।
"अच्छऽ, अइकी तोरा लगी आउ कुछ हउ", आउ गिरल पैसा पत्थर पर टकराके झनझना उठलइ ।

अन्हरा ओकरा नयँ उठइलकइ । यान्को नाय में बैठ गेलइ, हावा तट तरफ से बह रहले हल, ओकन्हीं छोटगर पाल चढ़इलकइ आउ तेजी से चल पड़लइ । चाँदनी में करिया लहर के बीच देर तक पाल कौंधते रहलइ; अन्हरा लड़कावा बस कनते रहलइ, देर तक, बहुत देर तक ... हम उदास हो गेलूँ । काहे लगी भाग्य हमरा ई ईमानदार तस्कर (स्मगलर) लोग के शांत मंडली में फेंक देलक हल ? प्रवाहमय सोता में फेंकल पत्थल नियन, हम ओकन्हीं के शांति भंग कर देलिए हल, आउ पत्थल नियन, हम खुद्दे लगभग तल में चल गेलूँ हल !

हम घर लौट गेलिअइ । ड्योढ़ी में लकड़ी के मोमबत्ती के स्टैंड में लगभग जल चुकल मोमबत्ती चर-चर कर रहले हल, आउ हमर कज़ाक, औडर के बावजूद, गहरा नीन में सुत्तल हलइ, अपन राइफल दुन्नु हाथ से पकड़ले । हम ओकरा शांत छोड़ देलिअइ, मोमबत्ती लेलिअइ आउ झोपड़ी में चल गेलिअइ । अरे ! हमर बक्सा, चानी के फ्रेम वला हमर तलवार, दागेस्तानी खंजर - जे सब हमर दोस्त के देल उपहार हले - सब के सब गायब हले । हिएँ परी हम अंदाज लगा लेलिअइ, कि ऊ अभिशप्त अन्हरा कइसन समान घींचके लइलके हल । यथेष्ट अविनम्र धक्का के साथ कज़ाक के जगाके, हम ओकरा डँटलिअइ, गोस्सा कइलिअइ, लेकिन कुछ नयँ कइल जा सकऽ हलइ ! आउ की प्राधिकारी (authorities) के ई शिकायत करना हास्यास्पद नयँ होते हल, कि एगो आन्हर लड़का हमर समान के चोरी कर लेलक, आउ एगो अठारह साल के लड़की हमरा लगभग डुबा देलक ?

भगमान के किरपा से, सुबह में प्रस्थान करे के अवसर आ गेल, आउ हम तमान छोड़ देलूँ । बुढ़िया के साथ आउ बेचारा अन्हरा के साथ की होलइ - हमरा मालूम नयँ । आउ हमरा नियन भ्रमणशील अफसर के, आउ ओकरो में डाक घोड़ागाड़ी के प्रयोग करे के अधिकार वला दस्तावेज के साथ सरकारी काम-काज लगी जाय वला के, मानवीय सुख आउ दुख से कीऽ लेना-देना हलइ ! ...

- पहिला भाग समाप्त –
अनूदित साहित्य             सूची            पिछला                     अगला