विजेट आपके ब्लॉग पर

Friday, February 28, 2020

भूदासत्व से मुक्ति तक - अध्याय 4


4. हमर बचपन के प्रारम्भिक वर्ष
हलाँकि हमरा अपन खुद के बारे बुतरुए के समय से आद पड़ऽ हइ, लेकिन हमर स्मृति में, निस्सन्देह, लोग के खाली बिलकुल स्पष्ट नाक-नक्शा आउ अपन बचपन के प्रारम्भिक काल के घटना सुरक्षित हइ। लेकिन ई स्मृति बिलकुल सजीव आउ मनोहर हइ - चेहरा, घटना, वातावरण अभियो हमरा एतना स्पष्ट आउ निश्चित (distinct) हइ मानुँ सब कुछ हमर अँखिया के सामने होवे। ई दौरान, ऊ सब के जानकारी (स्मृति) हमर तीन साल आउ हियाँ तक कि दू साल के उमर तक के हइ। पहिलौका स्मृति [*15] हमर कथा के सबसे दूर के प्राचीनता के हइ, चाहे हमर सबसे कम उमर के समय के हइ - ई स्मृति हइ हमरा लगी बहुत कष्टदायक चेचक के बारे आउ त्रेत्याक नाम के एगो कुबड़ा लड़का के बारे, जेकरा से हम कोय कारण से डेराऽ हलिअइ - शायद, ओकर दयनीय सूरत के कारण, हलाँकि ओकरा (अर्थात् ऊ सूरत) में कुच्छो भयंकर चाहे घृणास्पद नञ् हलइ। चेचक से ग्रसित हमरा बाग में ठेलागाड़ी में घुमावल जा हलइ।
हम अपन माता-पिता के दोसर संतान हलिअइ। उनकर पहिलौकी बेटी दू बरिस पूरा करे के पहिलहीं मर गेलइ। हम मार्च महिन्ना में पैदा होलिअइ, शायद 12 तारीख के, जेकरा हमर पिताजी मंगलसूचक समझलथिन - ई हमन्हीं हीं प्रकृति के पुनर्जीवन (revival) के पल होवऽ हइ। ई समय के आसपास वसन्त ऋतु शुरू होवऽ हइ - बरफ पिघलऽ हइ, नद्दी बरफ के आच्छादन से मुक्त हो जा हइ, पर्वत से जल के धार बहे लगऽ हइ, गड्ढा आउ दर्रा (ravines) में जल शोर मचावऽ हइ, मोसकिल से दृष्टिगोचर होवे वला रोएँदार हरियाली पेड़ पर फूटऽ हइ, खेत में पहिलौका नीला फूल - मनोहर ब्लूबेल (नीला रंग के घंटीनुमा फूल), देखाय दे हइ, भरल (उड़ते बखत गावे वला एगो छोटका पक्षी, skylark) के गान से हावा गूँजे लगऽ हइ आउ फ्रेंच हॉर्न (फूँक मारके बजावे वला एगो बाजा) नियन अवाज करे वला बगुला सब, जे हमन्हीं तरफ सुदूर दक्षिण से खुशहाल पूरब दने एगो कोनेदार (angular) पंक्ति में बढ़ते आवऽ हइ।
हमर बपतिस्मा के बखत हमर बपतिस्मा-दाता हलथिन - जमींदारिन अलिक्सान्द्रोवा आउ राजकुमार झिवाख़ोव, घुड़सवार सेना के कप्तान या फ़स्ट लेफ़्टेनेंट, जे हमर पिताजी के बहुत मानऽ हलथिन। हमर माय के कहना हलइ कि हम एगो हट्ठा-कट्ठा बुतरू हलिअइ, ओहे से हमर अकसर प्रशंसा कइल जा हलइ। हमर धर्ममाता हमर बहुत दुलार करऽ हलइ आउ मिठाय खिलावऽ हलइ। हम जल्दीए बुल्ले-चले आउ बोले लगलिअइ। हमर शारीरिक विकास साधारणतः ठीक तरह से आउ सफलतापूर्वक होलइ।
हमरा मालुम नञ् कि हमरा चेचक के टीका काहे नञ् देल गेलइ - शायद ई कारण से कि चेचक के टीका ऊ जमाना में दूरवर्ती इलाका में ओतना प्रचलित नञ् हलइ, जेतना कि आझ। ई परिस्थिति के कीमत लगभग हमरा अपन जिनगी से चुकावे पड़ल, काहेकि हम एगो असाधारण प्रचंड प्राकृतिक चेचक से ग्रसित हो गेलूँ। लेकिन, दोसर तरफ से हम, शायद, एकरा लगी अपन वर्तमान उत्तम स्वास्थ्य के ऋणी हकूँ। हमर चेहरा पर ई रोग के मोसकिल से स्पष्ट (noticeable) निशान अभियो तक बरकरार हके, लेकिन ई रोग हमर जिनगी के बिलकुल शुरुआते में हमर शरीर के सब्भे हानिकारक आउ तीक्ष्ण रस से एक्के तुरी में मुक्त कर देलक।
हमरा ठीक-ठीक मालुम नञ् कि केतना अवधि तक हमर पिताजी जमींदारिन अलिक्सान्द्रोवा के हियाँ रहलथिन - लगऽ हइ, तीन या चार साल। उनकर हुआँ के जिनगी काफी शांतिपूर्ण ढंग से गुजरलइ। उनका सब कोय मानऽ हलइ, जमींदारिन आउ ओकर बुतरुअन से लेके घर के अंतिम नौकर-चाकर तक। हम बाद में दुन्नु नवजवान अलिक्सान्द्रोव से परिचित होलिअइ - उदारोव्का के मालकिन के बेटा आउ बेटी के साथ। उनकन्हीं कृतज्ञतापूर्वक हमर पिताजी के बारे एगो अइसन व्यक्ति के रूप में आद करऽ हलथिन, जिनका प्रति ऋणी हलथिन अपन विकास आउ ऊ ज्ञान के छोटका भंडार लगी, जे उनकन्हीं के मर्यादित (modest) शिक्षा प्रदान कइलके हल। हमर पिताजी के ई दुन्नु शिष्य के स्वभाव उनकर प्रचंड आउ क्रूर माय से बिलकुल भिन्न हलइ। उनकन्हीं सरल आउ उदार लोग हलथिन, बिन कोय मालिकाना चाहे सामंती आचार-व्यवहार के।
हमर पिताजी के जमींदारिन अलिक्सान्द्रोवा के साथ दायित्व समाप्त होलइ। ऊ अपन वेतन से एगो छोटगर रकम बचालेलथिन हल, जेकरा से ऊ अपन मातृभूमि के बस्ती में एगो (देहाती) घर खरीद लेलथिन। हमरा बचपन के ई सरल आश्रय बहुत निम्मन से आद आवऽ हइ - एगो उत्तम लघु रूसी कुटीर, दू गो [*16] साफ-सुथरा कमरा, रसोई घर आउ भंडारकक्ष (स्टोररूम) के साथ। एकर छप्पर चोटी के निच्च सरपत से छारल हलइ, जे कुछ विलासिता के निशानी के काम करऽ हलइ, काहेकि दोसर कृषक लोग के घर पोवार के निच्चे सरल रूप से छिप्पल रहऽ हलइ। प्रांगण (yard) में हलइ - एगो बड़गर अनाज के भंडार, अस्तबल, गाय आउ भेड़ लगी छप्पर (शेड) के साथ छरदेवाली आउ मुर्गीखाना। लेकिन हमर ध्यान विशेष रूप से आकृष्ट करऽ हलइ गेट। एकर उपरे, लघु रूसी प्रथा के अनुसार, एगो कबूतरखाना बन्नल हलइ, जाहाँ परी ढेर मनी कबूतर रहऽ हलइ, खोंथा बनावऽ हलइ आउ अंडा-बच्चा दे हलइ। ई प्रिय सुन्दर जीव हमरा बहुत व्यस्त रक्खऽ हलइ, लेकिन ऊ सब अपना तरफ से हमरा से किनारा नञ् करऽ हलइ। हम जब कबूतरखाना भिर जा हलिअइ, त नञ् खाली ऊ सब हमरा से नञ् डेराऽ हलइ, बल्कि एकर विपरीत, ओकरा खुशी होवऽ हलइ - आउ हमहुँ ओकरा भिर कभी खाली हाथ नञ् आवऽ हलिअइ। ऊ सब एधिर-ओधिर फड़फड़ा हलइ आउ हमर चारो दने जामा हो जा हलइ - जइसन कि मिष्टान्न प्रिय बुतरू सब रसोई बनावे वली औरत के चारो तरफ, जब ऊ अन्नभंडार से केक, गिरीदार फल (nuts), आउ दोसर मिठाय लेके बहरसी आवऽ हइ - आउ हमर हाथ से दाना चुग्गऽ हलइ।
साधारणतः हमरा सब्भे दैवी जीव में बहुत रुचि हलइ। ओहे से हमरा, प्रसंगवश (by the way), एगो आदरणीय बूढ़ा कुत्ता, गार्सोन, के साथ बड़गो दोस्ती हलइ, जे हमर दुआरी के ईमानदारी से रखवाली करऽ हलइ, आउ एगो बड़गर उज्जर बिलाय के साथ, जे बाहर से देखे में बहुत सुन्दर हलइ, लेकिन बड़गो धूर्त आउ चोर हलइ। खाना बनावे वली आउ हमर माय ओकरा से तंग आ चुकले हल।  भनसा घर (रसोई घर) आउ भंडार में जब न तब ओकर आक्रमण होवऽ हलइ - ऊ खाना-दाना तो चोराऽ ले हलइ, लेकिन चुहवन पर कोय ध्यान नञ् दे हलइ। खाली हमन्हिंएँ नञ्, बल्कि पड़ोसी लोग भी ओकर चोरी के अभियान से त्रस्त हलइ। एगो पड़ोसी अपन घर में अटारी पर एगो बैग में उत्सव खातिर तैयार कइल सूअर के चरबी (pork lard) लटकाके रखलके हल। धूर्त बिलाय बैग के काटे के उपाय ढूँढ़ लेलकइ। ऊ ओकरा में दरवाजा नियन एगो छेद कर लेलकइ आउ खुद लगी एगो घर बना लेलकइ, तैयार टेबुल के साथ। चरबी धीरे-धीरे गायब हो गेलइ, आउ बिलइया बहुत जादे मोटाऽ गेलइ। जल्दीए चरबी में खाली एगो खोखला देवाल रह गेलइ। उत्सव के पूर्वसंध्या आ गेलइ। घर के मालिक अटारी पर पहुँचलइ, ई सोचके कि अगला दिन एकर मजेदार स्वाद खुद लेतइ आउ अपन परिवार के भी चखइतइ। ऊ बैग तक अइलइ - हुआँ से बिलइया उछलके निच्चे अइलइ, आउ चरबी तो नञ् हलइ। ई चोर के शिकायत सगरो से आवे लगलइ। आखिर, ओकरा लटका देवे के फैसला कइल गेलइ - आउ लटकाइयो देते गेलइ। लेकिन बात साफ हइ कि या तो फंदा ठीक से कस्सल नञ् गेलइ, चाहे जल्दीए बिलइया के फंदवा से मुक्त कर देते गेलइ, काहेकि ऊ बच गेलइ; बड़गो आउ धूर्त चोरवन के, जइसन कि सबके मालुम हइ, सगरो सफलता मिल्लऽ हइ। कुछ उदार लोग अइते गेलथिन आउ (पड़ोसी लोग से) बिलइया खातिर माफी देवे लगी निवेदन करते गेलथिन, ई आशा में, कि ओकर लेल सबक बेकार नञ् जइतइ। वास्तव में, ओकर तीन-चार सप्ताह बाद तक बिलइया ठीक से रहलइ, लेकिन आउ आगू ओकरा से बरदास नञ् होलइ आउ पहिलौका रस्ता पर चल अइलइ। ओकरा दोसरा तुरी फाँसी पर लटकावल गेलइ आउ अबरी ओकरा पूरे दिन तक रस्सी से लटकल रहे देल गेलइ। हमरा अपन प्रिय दोस्त के ई सब शरारत के बारे मालुम नञ् हलइ आउ ओकरा खो देला पर हम अमोढेकार कनलिअइ - ऊ हमेशे हमरा साथ मन से खेलऽ हलइ!
हमन्हीं के घर के प्रांगण के पिछुआनी में जमीन के एगो बड़गो प्लॉट हलइ, जेकरा हमर पिताजी एगो बाग में बदले के शीघ्रता कइलथिन। ऊ चेरी, सेब, बेर्गामोत (नाशपाती के आकार के नारंगी) आउ नाशपाती के पेड़ लगइलथिन, क्रैब चेरी, आउ बलूत आउ मैपिल (maples) भी। ऊ अइसन कलात्मक ढंग से एकर प्लान कइलथिन कि पड़ोसी लोग विस्मित हो गेलइ आउ ईर्ष्या करे लगलइ। प्रसंगवश, बाग में एगो गोल प्लॉट में एगो छोटगर शाद्वल टिल्हा (turf mound) खड़ी कर देल गेलइ - एकरा [*17] एगो विशेष विलक्षण आविष्कार समझल जा हलइ। लेकिन, बाग अभियो बहुत नया हलइ, आउ बेचारे पिताजी एकर फल के मजा लेवे खातिर काफी समय तक जीवित नञ् रह पइलथिन।
शिक्षण हीं अभियो उनकर आय के मुख्य स्रोत हलइ। एहे (दक्षता) बाद में उनका हर तुरी विपत्ति से बचावऽ हलइ, जब कभी ऊ विशेष कठिन परिस्थिति में पड़ जा हलथिन। लघु रूसी (Little Russians), कम से कम, ऊ जमाना में बृहद् रूसी (Great Russians) के अपेक्षा शिक्षा के प्रति बहुत अधिक प्रवृत्ति प्रदर्शित करते जा हलइ, आउ ई अचरज के बात नञ् हइ कि लघु रूस, अभी के अपेक्षा, रूस के साथ एकीकरण के पहिले अधिक शिक्षित हलइ। हमर जमाना में हरेक यथेष्ट आकार के गाम में स्कूल हलइ, मुख्य रूप से पादरीगण द्वारा सम्पोषित (maintained) - सबसे अकसर गिरजादार (sextons)  द्वारा।
ई सब स्कूल के पाठ्यक्रम (course) के चार भाग में विभाजित कइल जा हलइ। ई शुरू होवऽ हलइ वर्णमाला से, जेकरा में वर्णमाला के उच्चारण प्राचीन विधि से कइजा हलइ - आज़, बूकी, वेदी, इत्यादि। शब्दांश (syllables)  से छात्र सब प्रार्थना-पुस्तक में जा हलइ, फेर स्तोत्रसंहिता (Psalter) तरफ आउ अंत में लिखावट तरफ। कुछ स्कूल खाली वाचन (reading) तक सीमित हलइ। पाठ्यक्रम के हरेक भाग के समाप्ति पर विद्यार्थी शिक्षक खातिर एक कटोरा दूध के खीर, आउ विद्यार्थी के माता-पिता, वचन के अनुसार फीस के अलावे उनका पुरस्कार रूप में देते जा हलइ बुबलीक (छल्लानुमा केक), चाहे क्निश (सेंकल उज्जर ब्रेड), आउ जे कुछ अधिक धनगर हलइ - ऊ मेमना, एक बोरा आटा चाहे गोहूम, इत्यादि।
ई सब स्कूल में सब्भे शैक्षणिक विधि के अनुसार नंगे हथेली पर बेल्ट से तीन-चार सटका लगावल जा हलइ। स्कूल के जिनगी में शनिवार सबसे महत्त्वपूर्ण दिन होवऽ हलइ। सप्ताह में कइल शरारत खातिर साधारणतः शनिवार के शनिवार नटखट छात्र सब के दंड देल जा हलइ, आउ ओहो सब छात्र के, जे कोय शरारत नञ् कइलके हल, लेकिन जे शायद आगू कइल जा सकऽ हलइ।
लेकिन अइसनो स्कूल हलइ, जाहाँ परी अइसन दंड अपरिहार्य नञ् हलइ। ऊ स्कूल, जे हमर पिताजी स्थापित कइलथिन हल, ओइसनके में से एक हलइ आउ शैक्षणिक विधि आउ माहौल दोसर हलइ। हुआँ परी बुतरुअन (प्राचीन चर्च स्लावोनिक में प्रकाशित) प्रार्थना-पुस्तक आउ स्तोत्रसंहिता से नञ् पढ़ाय करऽ हलइ, बल्कि लौकिक लिपि (रूसी) में प्रकाशित पुस्तक से। एकरा अलावे, सब कोय के लिखना आउ अंकगणित पढ़ावल जा हलइ। भूर्ज के छड़ी के बदले कोड़ा के प्रयोग कइल जा हलइ, लेकिन विरले एकर सहारा लेल जा हलइ, बहुत जरूरी हो गेला पर। ओहे से हमर स्कूल में बस्ती के उच्च वर्ग के बुतरुअन आवऽ हलइ - मध्यवर्गीय आउ साधारणतः ऊ सब रहवासी के, जे अपन बाल-बुतरू के शिक्षा-दीक्षा में विशेष रूप से आनंदित होते जा हलइ। हमरा हीं दूर-दूर के गाम के आवासीय छात्र भी हलइ, हियाँ तक कि बिर्यूच (Biryuch) शहर से भी।
बुतरुअन के पढ़ावे खातिर पिताजी द्वारा लेल गेल फीस कम हलइ, लेकिन ई कमी के पूर्ति ऊ जमीन के आय से कर ले हलथिन, जेकर खेती खुद करऽ हलथिन। एकरा अलावे, अस्तित्व लगी हमन्हीं के इलाका में सब्भे आवश्यक वस्तु बहुत सस्ता हलइ। ई हमन्हीं के घरेलू जीवन के नञ् खाली सुविधा दे हलइ, बल्कि एक प्रकार के परिष्करण (refinements), जे बस्ती के बाकी लोग लगी अनजान हलइ। हम सब चाय पीयऽ हलिअइ।[1] हमन्हीं के भोजन खातिर कुछ अइसन व्यंजन बनावल जा हलइ आउ टेबुल पर परसल जा हलइ, जे शहर में प्रचलित हलइ। पिताजी फ्रॉक-कोट आउ औपचारिक कोट धारण करऽ हलथिन। माय, लघु रूसी सुन्दर रंगीन टोपी के बदले, अपन सिर पर शहरी महिला नियन स्कार्फ (ओढ़नी) धारण करऽ हलइ, आउ प्लाख़्ता[2] आउ कॉर्सेट के बदले ऊ काफी हास्यास्पद जर्मन कट, चाहे तथाकथित लमगर पोशाक धारण करऽ हलइ। हमरो फ्रॉक-कोट पेन्हावऽ हलइ। पिताजी घरवो में पहनावा के मामले में पेडेंटिज़्म (pedantism) के हद तक स्वच्छता पसीन करऽ हलथिन, [*18] जेकर हमर मइयो स्वेच्छा से अनुपालन करऽ हलइ। एतने नञ्, ठाट-बाट के प्रति उनकर झुकाव हलइ आउ साधारणतः उनका एहो बात के चिंता नञ् रहऽ हलइ कि कइसे दुर्दिन खातिर एक-एक पैसा बचावल जाय। जइसीं आर्थिक हालत कुछ सुधर जाय कि घर में अइसन-अइसन चीज आवे लगइ जेकरा बेगर बिलकुल काम चलावल जा सकऽ हलइ, आउ "निम्मन लोग" के मेहमाननवाजी, जे लघु रूसी के सामान्य आवभगत के प्रतीक समझल जा हलइ, अधिक से अधिक होवे लगइ। निस्संदेह, एकरा से परिवार के हालत आउ बेहतर नञ् होवऽ हलइ, लेकिन हमर माय के बुद्धिमानी आउ बचत पिताजी के फिजूलखर्ची के एगो काफी असरदार प्रतिभार (counterweight) के काम करऽ हलइ। लेकिन अपन सब अदूरदर्शिता के बावजूद, व्यक्तिगत जिनगी में बहुत संयमी हलथिन। ऊ दारू नञ् पीयऽ हलथिन आउ कउनो प्रकार के तेज पेय (strong drink) पसीन नञ् करऽ हलथिन, खाली भोजन के पहिले एगो छोटगर गिलास के ब्रांडी से संतुष्ट रहऽ हलथिन। लेकिन उनका मिठाय, फल, जाम, विभिन्न प्रकार के आयातित स्वादिष्ट भोज्य पदार्थ पसीन परऽ हलइ, परन्तु ऊ सब के प्रयोग संयमित रूप से करऽ हलथिन, ऊ सब के परिमाण के अपेक्षा गुणवत्ता पर जादे मजा लेते। सिदोर्का नाम के एगो व्यक्ति के "मधुर प्रतिमा" हमर स्मृति में अंकित रह गेलइ, जे हर साल मास्को के शीतकालीन रस्ता से होके ढेर के ढेर जिंजरब्रेड, चूष (pastille) , किशमिश आउ साधारणतः अइसन तरह के सब चीज गाड़ी से लावऽ हलइ। मध्यमवर्गीय लोग के हियाँ जाय के बखत बीच में हमन्हीं हीं जरूर भेंट कर ले हलइ, आउ अगर पिताजी के पास पैसा रहऽ हलइ त ऊ आगू के यात्रा जरी आउ हलका स्लेज (बर्फगाड़ी) से करऽ हलइ।
बचपन के ई अवधि के हमर स्मृति, निस्सन्देह, अधूरा आउ खंडात्मक (fragmentary) हइ। हमरा आद पड़ऽ हइ कि हम पिताजी के छात्र लोग के साथ-साथ पढ़े-लिक्खे लगी सिखलिअइ; अकसर मम्मा (दादी) स्तेपानव्ना हीं जा हलिअइ, जे ऊ बखत हमरा नानी, लघु रूसी के अनुसार, "बाबुसा" इमिल्यानोव्ना, से हमर ध्यान हटावे में बिलकुल सफल हो गेलइ; हम चाची एलिज़ावेता के साथ खेल-कूद करऽ हलिअइ, जेकरा में कलहंस (geese), बत्तख आउ मुरगा के भूमिका अदा करऽ हलिअइ; लेकिन सबसे जादे हमरा पसीन परऽ हलइ पिताजी के साथ शिकार पर जाना। अकसर हमन्हीं पूरा परिवार सहित नगीच के जंगल में जा हलिअइ, जाहाँ परी पिताजी एगो सुंदर जगह खोजलथिन हल, जेकरा हमन्हीं "क्रिवायऽ पल्याना" (वक्र मैदान) के संज्ञा देलिए हल। हुआँ परी एगो झमेठगर बलूत के छाया में हम सब चाय पीयऽ हलिअइ आउ जड़ी-बूटी के संग्रह करऽ हलिअइ - पिताजी, जिनका चिकित्साशास्त्र के कुछ ज्ञान हलइ, ओकरा सुखाके दवाय के रूप में प्रयोग करऽ हलथिन।
ई सब सैर हमरा वर्णनातीत आनन्द प्रदान करऽ हलइ। हम, निस्सन्देह, उम्र के हिसाब से एतना बड़गो नञ् हलिअइ कि अभिज्ञतापूर्वक (consciously) प्रकृति के प्रशंसा करतिए हल, लेकिन हम एकरा तरफ नैसर्गिक रूप से (instinctively) आकृष्ट होवऽ हलिअइ। हम मैदान आउ जंगल में बिलकुल खुश रहऽ हलिअइ, आउ मानवीय निवास स्थान से दूर, हमेशे दोसर बुतरुअन के साथ इच्छानुसार एकान्त सैर खातिर खेल के अदला-बदली करते जा हलिअइ। साधारणतः हमरा बुतरुअन के भीड़ पसीन नञ् परऽ हलइ, लेकिन गरमजोशी के साथ एगो चाहे दू गो लड़कन के साथ दोस्ती बनइले रक्खऽ हलिअइ, जेकरा से हमरा दिली लगाव हलइ। कभी-कभी हमरा साहसी कार्य करे के धुन सवार हो जा हलइ, लेकिन ई, स्पष्टतः, जन्मजात साहस से नञ् आवऽ हलइ, बल्कि खतरा के समझ नञ् होवे से। एक दिन हम दाढ़ी बनावे लगी शुरू कइलिअइ आउ अपन हाथ काट लेलिअइ; एक्को तुरी आउ अभियो तक हमर विफल प्रयास के निशान गायब नञ् होलइ।
दोसरा तुरी, चुपके से घर से निकसके, हम नद्दी तरफ दौड़ पड़लिअइ। हुआँ घाट पर एगो नाव हलइ, जे रस्सा से बान्हल नञ् हइ। पल भर में हम ओकरा में बैठ गेलिअइ। नइया किनारा छोड़के धारा में बहे लगलइ। भाग्यवश, हमर मइया नगीचे में हलइ, पाकशाला के शाकवाटिका (kitchen garden) में। ऊ हमरा खुशी से हाथ लहराब करऽ हलइ, लेकिन हमरा सँकरा परन्तु गहरा नद्दी के बीच देखलकइ त बहुत भयभीत हो गेलइ। कइसूँ [*19] ऊ हमरा शांति से बैठल रहे लगी समझइलकइ आउ एगो कार्मिक (worker) के बोलइलकइ। ऊ पैरके नइया भिर पहुँचलइ आउ सही-सलामत किनारे लइलकइ। लेकिन सबसे भव्य उपलब्धि हलइ ऊ, जब हम लगभग अपन झोपड़ी जला देलिए हल, आउ एकरा साथ, शायद, पूरे गाम के। हमर पिताजी एगो बड़गो उत्साही शिकारी हलथिन। उनका देखके, हमरो पक्षी के शिकार करे के धुन सवार होलइ। एक दिन ऊ घर पर नञ् हलथिन; हमरा ई मोक्का देखके बड़ी खुशी होलइ।, देवाल पर से बन्दूक लेलिअइ, गोली बोजलिअइ आउ बाहर निकसके प्रांगण में अइलिअइ। हुआँ परी, पूसी-विलो (pussy-willow) के पेड़ पर गरवैया चिरईं के झुंड खुशी से चहचहा रहले हल -  आउ ऊ सब हमर इच्छा के पात्र हो गेलइ। निम्मन निशाना खातिर हम अपन घर के छत पर चढ़ गेलिअइ आउ हुआँ से फ़ायर कइलिअइ। बन्दूक से निकसल चिनगारी सरपत (सरकंडा) के छत पर गिरलइ - आउ अगर प्रांगण में कार्मिक लोग नञ् रहते हल, त बड़गो आपदा घट सकऽ हलइ। हम जे कुछ कइलिए हल, ऊ देखके ओकन्हीं छत पर तेजी से अइते गेलइ आउ अगिया फैले के पहिलहीं ओकरा बुता देते गेलइ। पिताजी लौटलथिन, हमर शरारत (हरक्कत) के बारे जनलथिन आउ हमरा अइसन दंड देवे लगी निश्चय कइलथिन कि हमरा हमेशे लगी आद रहइ - ऊ अपन इरादा के बिलकुल ठीक तरह से पूरा कइलथिन।
ई नञ् कहल जा सकऽ हइ कि हम साधारणतः शरारती हलिअइ। एकरा खातिर हमरा न तो साहस हलइ, आउ न निस्संकोचता। एकर विपरीत, हम भीरु आउ शर्मीला हलिअइ, शायद, पिताजी के हमरा प्रति कठोर व्यवहार से। लेकिन हम असानी से बहक जा हलिअइ, आउ जोश चाहे कइसनो धुन के प्रभाव से हम अइसन चीज कर दे हलिअइ, जे हमर हमउम्र लोग के द्वारा अकसर कइल शरारत के अपेक्षा अधिक साहसपूर्ण होवऽ हलइ।


[1] ऊ जमाना में चाय के प्रचलन खाली अभिजात वर्ग में हलइ आउ ई प्रतिष्ठा के बात समझल जा हलइ। एकर विस्तृत विवरण खातिर देखल जाय - फ़्योदर दस्तयेव्स्की रचित "कालापानी" (1860-1862), भाग 1, अध्याय 3; विशेष रूप से, गाज़िन के साथ लेखक के मुठभेड़, पृ॰47-48, जब गाज़िन बोलऽ हइ - "अपने कइसन अमदनी के बल पर चाय पीयऽ हथिन ... मतलब , अपने के पास बहुत पैसा हइ, हइ न? त वास्तव में अपने ई जेल में ई लगी अइलथिन हँ कि चाय पीथिन?"
[2] प्लाख़्ता – (In Ukraine) a thick woolen or cotton fabric with patterns of squares, stripes, stars, etc., made in a handicraft way.