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Tuesday, January 26, 2010

30. मगही कवि मिथलेश को मिला सजल शिखर का पहला सम्मान

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_6130021.html

24 Jan 2010, 10:22 pm

नवादा: अखिल भारतीय मगही मंडप जिला शाखा नवादा द्वारा आरंभ किये गये विशुनदेव प्रसाद सजल शिखर सम्मान का प्रथम पुरस्कार प्रख्यात मगही कवि वारिसलीगंज के मिथलेश को शनिवार की रात प्रदान किया गया। पुरस्कार स्व. सजल की पत्नी शांति देवी ने प्रदान की।

पुरस्कार वितरण के पूर्व स्व. सजल के निवास स्थान शांति बसेरा में मगही कवियों द्वारा सगर रात दिया जरे कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शेखपुरा जिले के वरिष्ठ मगही कवि रामचंद्र प्रसाद तथा संचालन के एन पाठक ने किया। तीन चरणों में आयोजित कार्यक्रम में पहले चरण की विचार गोष्ठी में डा. भरत, मिथलेश, उमेश सिंह, अशोक समदर्शी आदि ने अपने-अपने विचारों का आदान-प्रदान किया। दूसरे चरण के लिये आयोजित कवि गोष्ठी में नवादा, गया, शेखपुरा, लखीसराय व नालंदा जिले के कवियों ने अपनी-अपनी कविताओं का पाठ किया। जबकि तीसरे चरण में मगही के रचनाकारों ने अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ किया। मौके पर दीन बंधु, शफी जानी नादा, दिनेश कुमार अकेला, रामबली ब्यास, किरण कुमारी, उदय भारती, परमेश्वरी, जयराम देवसपुरी समेत कई मगही कवि रचनाकार उपस्थित थे। शंभू विश्वकर्मा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

Monday, January 25, 2010

13. मासिक पत्रिका "अलका मागधी" (1995) में प्रयुक्त मगही शब्द

अमा॰ = मगही मासिक पत्रिका "अलका मागधी"; सम्पादक - डॉ॰ अभिमन्यु मौर्य, पटना ।

ई सन्दर्भ में पहिला संख्या संचित (cumulative) अंक संख्या; दोसर पृष्ठ संख्या, तेसर कॉलम संख्या आउ चौठा (बिन्दु के बाद) पंक्ति संख्या दर्शावऽ हइ । उदाहरण -

जुलाई 1995 खातिर संचित अंक संख्या = 1;

दिसम्बर 1995 खातिर संचित अंक संख्या = 6;
दिसम्बर 1996 खातिर संचित अंक संख्या = 6 + 12 = 18;

दिसम्बर 2007 खातिर संचित अंक संख्या = 6 + (2007-1995) X 12 = 6 + 12 X 12 = 150;
दिसम्बर 2009 खातिर संचित अंक संख्या = 6 + (2009-1995) X 12 = 6 + 14 X 12 = 174;

जनवरी 2009 खातिर संचित अंक संख्या = 6 + (2008-1995) X 12 + 1 = 6 + 13 X 12 + 1 = 163.
अप्रैल 2009 खातिर संचित अंक संख्या = 6 + (2008-1995) X 12 + 4 = 6 + 13 X 12 + 4 = 166.


1 अँगा-धोती (खादी के ~ पहिनले) (अमा॰2:5:2.18)
2 अंच-पंच (~ फैसला करे न आवत) (अमा॰2:19:1.5)
3 अइसन (अमा॰1:4:2.14, 7:2.1)
4 अकुचाना (जी अकुचा हे) (अमा॰3:17:1.1)
5 अखरना (ओइसहीं मगही पत्रिका में 'सुजाता' आउ 'सरहलोक' के उल्लेख न होना भी अखर जाहे) (अमा॰5:2:1.29)
6 अगुआ (जाके ~ से कह दऽ कि कल्लू शादी न करत) (अमा॰2:14:2.7)
7 अछते (= छइते) (ऊ तीन बेटा के अछते भुखमरी आउ निरादर सहऽ हे) (अमा॰6:9:1.15)
8 अजगुत (अमा॰1:15:1.15)
9 अड़ंगा (अमा॰4:15:1.19)
10 अनकट्ठल (= अनकथल, अकथित) (अमा॰5:8:2.10)
11 अनगरे (कभी-कभी खूब ~ ताड़ के पेड़ से ताड़ी चोराके पी ले हल) (अमा॰6:15:1.4)
12 अनगिनती (= अनगिनत) (अमा॰5:4:1.14)
13 अनजानल (जानल-अनजानल सभे) (अमा॰2:5:1.16)
14 अमानत (अमा॰3:13:2.10)
15 अमाना (भइंस अमायल) (अमा॰6:19:1.21)
16 असरा (अमा॰3:11:1.22)
17 आन्ही (अमा॰1:9:2.5)
18 आन्ही-पानी (अमा॰1:9:2.9)
19 आवे-जाय (~ में दिक्कत) (अमा॰4:16:2.14)
20 इनकर (अमा॰3:6:1.13)
21 इन्जोर (अमा॰2:9:2.6)
22 इरखा (= ईर्ष्या) (अमा॰1:12:1.7)
23 इसकूल (= स्कूल) (तोहनी दुन्नो एक्के इसकूल के एक्के कलास में पढऽ ह) (अमा॰1:6:2.28)
24 ई (अमा॰4:4:1.16)
25 उकटना (अमा॰1:14:1.28, 29)
26 उताहुल (अमा॰6:16:2.17)
27 उदबस (दिन करइत उदबस हे रात मोसमात हे) (अमा॰1:17:1.7)
28 उधार-पुधार (अमा॰3:12:1.2)
29 उपन्यास (हम्मर कामना हे कि 'रजकण' जी के जस ई उपन्यास के जरिये मगही भासा आउ साहित्य के क्षेत्र में करमी के लत्तर जइसन फैले) (अमा॰1:15:2.18)
30 उमकना (माकल निनिया बहकल चैन, उमकल बिन्दिया चसकल सैन) (अमा॰6:19:1.25)
31 उहँइ (अमा॰1:6:2.24)
32 उहँई (अमा॰2:4:1.28, 7:2.7)
33 उहाँ (अमा॰4:16:1.9)
34 एकर (लोग के बोल-चाल में तो मगही के खूबे प्रयोग होवऽ हे, बाकि लिखा-पढ़ी में एकर ~ नऽ होवे) (अमा॰1:7:2.11)
35 एकरा (एकरे अभाव में) (अमा॰1:7:2.2, 15:1.11)
36 एतना (एतने न, ...) (अमा॰2:12:2.28)
37 एतवर (= एतवड़, इतना बड़ा) (का हम एतना निसा में ही कि हमरा ~ गो पत्थर न बुझा हे) (अमा॰4:11:2.16)
38 एमेले (= एम॰एल॰ए॰) (अबकी ऊ ~ के बोटा-बोटी में खड़ा होवे ले चाहऽ हे) (अमा॰6:16:1.10)
39 ओकर (अमा॰1:15:1.18, 2.4)
40 ओकरा (अमा॰1:15:1.18)
41 ओजै (= ओजय, ओजे, ओज्जे, वहीं) (अमा॰6:15:2.11)
42 ओजो (= ओज्जो, वहाँ भी) (अमा॰6:15:2.22)
43 ओतना (जेतना ... ओतना) (अमा॰6:10:2.15)
44 ओदमानी (गइया-बछिया तोड़इ किला पगहा, गोरखिया सुतइ तान-वितान । खटिया के ओदमानी मचकइ, लचकइ पनगर जान ।) (अमा॰3:19:2.28)
45 ओनहीं (= उधर ही) (अमा॰4:11:2.25, 26)
46 ओरहाना (~ देना) (लेन-देन ला सासू-ससुरवा नित उठ मारइ ताना भइया, लाख देइ ओरहाना) (अमा॰5:10:1.15)
47 ओरी (तुहूँ खींच के लावऽ ~ तर के खरई; ओरियन से चूअ हइ कनकन पनिया, कि बिरहिन के अँखियन से लोर; ~ चूके गोठहुल भींगल, जरना हो गेल बोथा । काट-काट के सुखा के घर में, धरली हल जे मोथा ।।) (अमा॰1:14:2.18; 2:9:2.11; 172:20:1.7)
48 औंठी-पौंठी (अमा॰1:14:1.6)
49 औसर (= अवसर) (ई ~ पर जे गीत गावल जाहे..) (अमा॰1:12:2.12)
50 ककरी (हरियर हरियर ककरी) (अमा॰2:10:1.17)
51 कटकुट (~ के चिन्ह) (जदि जतरा के समय बिलाई राह काट के भाग जाय, तब तुरते रहता पर कटकुट के चिन्ह (X) लगा देवे के चाही) (अमा॰1:9:1.29)
52 कटहर (अमा॰3:18:2.27)
53 कट्ठा (पीपर तर अब पाँचे कट्ठा खेत न बचइत हे ?) (अमा॰3:11:2.23)
54 कत्तेक (कत्तेक नेता, समाजसेवी आउ विद्वान ओहनी के जीवन-दर्शन पर लम्मा-चौड़ा भासन देलन) (अमा॰2:5:1.9)
55 कनकन (ओरियन से चूअ हइ ~ पनिया, कि बिरहिन के अँखियन से लोर) (अमा॰2:9:2.11; 6:8:2.4)
56 कनकनी (सीतलहरी के कनकनी से रात भी न कटऽ हे आउ बिहने सउँसे देह कनकन सोरा हो जाहे) (अमा॰6:8:2.3)
57 कनिआइ (सावित्री अइसन समझदार कनिआइन के कमी आज भी घर-घर में खटक रहल हे) (अमा॰2:13:2.16)
58 कर-कचहरी (लोग दूरा-दलान, ~ पर तिरंगा फहरयलन) (अमा॰2:6:2.13)
59 करताहर (अमा॰2:5:1.8, 6:1.19)
60 करमी (हम्मर कामना हे कि 'रजकण' जी के जस ई उपन्यास के जरिये मगही भासा आउ साहित्य के क्षेत्र में करमी के लत्तर जइसन फैले) (अमा॰1:15:2.19)
61 करिया (अमा॰1:18:2.4; 5:4:2.17)
62 कलट्टर (अमा॰5:19:1.20)
63 कलास (= क्लास) (तोहनी दुन्नो एक्के इसकूल के एक्के कलास में पढऽ ह) (अमा॰1:6:2.28)
64 कलौआ (तेसरकी मौगी सुरसतिया के जनमल चउदह बरिस के छौड़ी बसन्ती सुबह-शाम ओकरा ~ पहुँचा दे हल) (अमा॰6:15:2.27)
65 कहिना (= कहिया) (अमा॰4:20:2.15)
66 का जानि (अमा॰2:10:2.18)
67 कालीथान (अमा॰6:15:2.7)
68 कि-कि (न जाने देश-विदेश से ऊ ~ सामान एन्ने-ओन्ने करो हलथिन कि उनका लोग बड़का स्मगलर कहो हलन) (अमा॰6:15:1.16)
69 किच-किच (~ भेलइ अंगनमा सगरो) (अमा॰3:19:1.21)
70 किरीन (छिटकल ~) (अमा॰4:7:2.3)
71 किला (= किल्ला) (गइया-बछिया तोड़इ ~ पगहा) (अमा॰3:19:2.26)
72 किल्लाठोक (~ स्थान बनाना) (अमा॰3:6:1.12)
73 कुकुरौंधा (~ के पत्ता आउ फूल से ओकरा बड़ी सजइली हल) (अमा॰2:10:2.16)
74 कुच-कुच (~ अन्हरिया) (अमा॰2:9:2.1)
75 कुपुत्तर (अमा॰3:8:1.4)
76 कुमार (चुनमुनिया के कुमार थोड़े रखम) (अमा॰3:11:2.24)
77 कुरहनी (सास-ससुर, पति के न सेवा करत, ऊ तो औरत ~ कहेबे करत) (अमा॰3:8:1.6)
78 कुह-कुह (~ मरना) (अमा॰5:10:2.18)
79 कुहा (~ फटना) (अमा॰5:13:1.15)
80 कूटना-कपटना (कूट-कपट के) (अमा॰5:12:2.10)
81 केकरा (अमा॰1:18:1.7)
82 केकरो (अमा॰2:4:1.21)
83 केराई (अमा॰3:18:2.21)
84 कोठिला (अमा॰1:14:1.30)
85 कोनिया (कोनिया घर) (अमा॰3:11:1.16)
86 कोहबर (अमा॰1:13:2.18, 20, 22, 31)
87 खखाना (भूख से खखायल पेट में ऊ लोग के ई न बुझायल कि पियास बुझावेला हम जे पिया जाइत ही से अमरित हे कि जहर) (अमा॰3:14:1.25)
88 खटना (साँढ़ जन्ने पावे ओन्ने खाय, अंतड़ी सटल बैल दिन भर खटऽ ही) (अमा॰5:10:2.17)
89 खतरा (अमा॰4:4:1.12)
90 खमौनी (खल्ली के मुँह में ~ जब जाहे, छुछुन्दर के सिर में चमेली तेल लगऽ हे) (अमा॰2:8:1.5)
91 खर (खर चुने के विधि में दुलहा के सास दुआरी से मड़वा तक गेहूँ के डाँठ छींट दे हे जेकरा दुलहा के चुने पड़ऽ हे) (अमा॰1:12:2.1)
92 खरई (तुहूँ खींच के लावऽ ~ तर के खरई) (अमा॰1:14:2.18)
93 खरही (ले खरही हरि टटर बिनैबो, देतन तोर मइया दोकान) (अमा॰1:12:2.5)
94 खरिहानी (हो जतवऽ परुआ मरखंडा कहावल) (अमा॰3:16:1.29)
95 खाँटी (अमा॰2:15:1.6)
96 खाड़ (= खड़ा) (अमा॰2:12:1.22, 14:1.20)
97 खिच्चा (उमर अभी ~ हल) (अमा॰2:10:1.15)
98 खिसोरना (अमा॰5:11:2.10)
99 खेतमजूरनी (अमा॰5:8:1.24)
100 खेती बाड़ी (बहरी आमदनी रुक जाय से खेती बाड़ी में दिक्कत होवे लगल) (अमा॰5:15:2.24)
101 गजगजाना (अमा॰5:11:1.31)
102 गजनौटा (मट्टी कोड़े गेलऽ छिनरो तूहूँ गंगा पार हे । गजनौटा में चोरयले अयलऽ सोलह गो भतार हे ।) (अमा॰1:12:1.30)
103 गड़ेरी (अमा॰4:15:1.10)
104 गरवैया (अमा॰5:12:2.23)
105 गरहन (= ग्रहण) (~ लगना) (अमा॰5:4:2.10)
106 गरीब-गुरबा (अमा॰2:6:1.3)
107 गामे-गाम (समाज में विसमता, आतंक आउ जातिवाद के जहर ~ फैल गेल) (अमा॰6:9:1.3)
108 गीतहारिन (अमा॰1:12:2.29, 13:1.29)
109 गुटबइगन (अमा॰3:18:2.15)
110 गुदगुदी (अमा॰2:2:2.4)
111 गुरहथी, गुरहँथी (बियाह के अनुष्ठान में कन्यादान आउ सेनूरदान के पहिले गुरहथी नामक विधि होवऽ हे, जेकरा में दुलहिन के कपड़ा आउ गहना दुलहा के बड़का भाई समरपित करऽ हथ) (अमा॰1:12:2.10, 16, 17)
112 गे (मइया गे !) (अमा॰4:10:1.9)
113 गेंदरा (जाड़ा अयलो कोट सिलयबऽ, कि गेंदरे से काम चलयबऽ ?) (अमा॰4:20:2.27)
114 गोइठा (चुल्हा-चाकी सेउदल हकइ, मेहुदल हइ सब गोइठा) (अमा॰3:19:1.28)
115 गोतिया (अमा॰4:18:2.19)
116 गोरकी (अमा॰2:9:2.5)
117 गोला (बैला एक देखली सिउजी, गोला रे बरधवा) (अमा॰1:14:2.3)
118 गोहार (अमा॰5:10:2.5)
119 घँटाई (गोतिया के देबई भात भतखहिया, गोतनी के हलुआ घँटाई ।) (अमा॰1:12:1.13)
120 घउद (परतिनिधि कथा घउद) (अमा॰6:7:1.21)
121 घर-दुआर (अमा॰4:16:2.4)
122 चकाचक (मगही कहानी के लोक ~ आउ मजबूत हे) (अमा॰2:15:2.14)
123 चकोलवा (चरकठवा ~ खेत) (साधु सिंह, जे पी-पा के अप्पन सभे जमीन-जायदाद बेच-बाच के उड़ा देलकन हे उनकरे रोड पर के चरकठवा चकोलवा खेत पूरा दाम दे के कलेसरा खरीद लेलक हे) (अमा॰6:15:2.2)
124 चद्दर (करिया बदरिया के ओढ़ले चदरिया) (अमा॰2:9:2.3)
125 चमचमाना (अमा॰2:15:2.15)
126 चमोरना (अनगढ़ रीत चमोरल पैन, पोसल पोआ छानल छैन) (अमा॰6:19:2.20)
127 चरकठवा (~ चकोलवा खेत) (साधु सिंह, जे पी-पा के अप्पन सभे जमीन-जायदाद बेच-बाच के उड़ा देलकन हे उनकरे रोड पर के चरकठवा चकोलवा खेत पूरा दाम दे के कलेसरा खरीद लेलक हे) (अमा॰6:15:2.1)
128 चरचा (अमा॰4:4:1.14)
129 चल-चलंती (देख बेट ! हम्मर ~ के बेरा हे । हमरा बाद घर चलावे के सब भार तोरे ऊपर हो ।) (अमा॰1:8:1.1)
130 चलनी (ओझा के पास दउड़ते-दउड़ते ओकर पैर चलनी नियन हो गेल हल; चलनी दुसलक बढ़नी के) (अमा॰3:12:1.1; 4:5:2.12; 6:18:1.1)
131 चसकना (माकल निनिया बहकल चैन, उमकल बिन्दिया चसकल सैन) (अमा॰6:19:1.26)
132 चारकहारी (अमा॰5:12:2.15-16)
133 चाल-चहट (अमा॰6:15:1.12)
134 चाह-पानी (झलकू के कुरसी पर बइठा के ~ मँगैलन) (अमा॰4:17:2.28)
135 चिक्कन (~ राह) (अमा॰2:8:2.12)
136 चिट्ठी-चपाती (कोई ~ भी मगही में लिखे के परम्परा नऽ हे) (अमा॰1:7:2.12-13)
137 चिन्दी (चिन्दी-चिन्दी छाँव) (अमा॰1:18:1.6)
138 चिरइ (अमा॰5:4:2.5)
139 चीन्हना (पति परदेस से भेस बदल के आयल हे । मेहरारू अप्पन मरद के न चीन्हऽ हे ।) (अमा॰1:11:1.24)
140 चुका (= चुक्का) (अमा॰1:11:2.5)
141 चुक्कड़ (~ में पानी भरइत अप्पन मेहरारू के देख के पति ठिठोली करऽ हे) (अमा॰1:11:1.24)
142 चुभुर-चुभुर (~ करना) (कभी-कभी खूब अनगरे ताड़ के पेड़ से ताड़ी चोराके पी ले हल आउ नगरपालिका के नाली में ~ करते रहऽ हल) (अमा॰6:15:1.5)
143 चुल्हा-चाकी (चुल्हा-चाकी सेउदल हकइ, मेहुदल हइ सब गोइठा) (अमा॰3:19:1.27)
144 चोली (मलमल के ~) (अमा॰5:10:1.12)
145 छउड़ा (अमा॰5:19:1.7)
146 छछनना (छछन-छछन के मरना) (अमा॰2:8:2.21; 5:11:2.30)
147 छछनाहु (घनस्याम बिना घन जे घहरे घन पसरे घन ~ रहे हे) (अमा॰3:17:1.8)
148 छठी (जिनगी में जेतना संस्कार होहे जेकरा में जनम, छठी, मुड़ना, जनेऊ, बियाह, मरन, सराध आउ परब-तेवहार, पूजा-पाठ सब समय के रीत-रेवाज के बारे में लिखल हो) (अमा॰1:8:2.24)
149 छप्पड़-छानी (छप्पड़-छानी कोंहड़ा-भतुआ खूब अगरौलक, नेनुआ झींगी लटकल बोरा गीत गौलक) (अमा॰3:18:2.11)
150 छरदेवाली (ओकरा में चारो बगल से छरदेवाली दे करके दूमहला मकान बना लेलक हे) (अमा॰6:15:2.3)
151 छानी (छनिया एक देखली सिउजी, ओहो तितलउका) (अमा॰1:14:1.32)
152 छार (अमा॰3:5:1.24)
153 छिनरी (झलही के बिदा करूँ, रूसनिया के बिदा करूँ । छिनरिया के बिदा करूँ, सतभतरी के बिदा करूँ ।) (अमा॰1:12:1.23)
154 छिनारी (अमा॰1:13:1.3)
155 छीलन-पछोर (एक मन देलिअइ झल-झल धनवा, तइयो में ~) (अमा॰5:11:2.11)
156 छुट्टा (~ चरे ला छोड़ देना) (अमा॰2:8:2.15)
157 छोकरी (छोकरियो हाथ से निकल गेल आउ सिपाही जी के डण्डो पड़त) (अमा॰4:10:1.10)
158 छौ (~ फीट) (अमा॰4:15:1.21)
159 जइसन (अमा॰4:4:1.7)
160 जउन (जउन ... तउन; जउन-जउन) (अमा॰2:4:1.7, 17:2.3)
161 जतन (बड़ी ~ से) (अमा॰1:1:1.9)
162 जतरा (जदि जतरा के समय बिलाई राह काट के भाग जाय, तब तुरते रहता पर कटकुट के चिन्ह (X) लगा देवे के चाही) (अमा॰1:9:1.29)
163 जदि (जदि जतरा के समय बिलाई राह काट के भाग जाय, तब तुरते रहता पर कटकुट के चिन्ह (X) लगा देवे के चाही) (अमा॰1:9:1.29)
164 जबरदस्ती (अमा॰4:16:1.25)
165 जस (= यश) (हम्मर कामना हे कि 'रजकण' जी के जस ई उपन्यास के जरिये मगही भासा आउ साहित्य के क्षेत्र में करमी के लत्तर जइसन फैले) (अमा॰1:15:2.17)
166 जहिया (अमा॰2:14:2.9; 3:13:2.26)
167 जात-बेरादरी (अमा॰4:18:2.19-20)
168 जादेतर (अमा॰1:11:1.20)
169 जानल (जानल-अनजानल सभे) (अमा॰2:5:1.16)
170 जिनका (= जिन्हें, जिनको) (कई लोग .... विचार करे लगऽ हथिन कि मगही में ~ चिट्ठी लिखम, ऊ का सोचतन) (अमा॰1:2:1.23; 2:5:1.4)
171 जिला-जेवार (जिला-जेवार से लेके प्रांत, देश आउ दुनिया तक; जिले जेवार के हलथिन राधेश्याम बाबू) (अमा॰6:4:1.18, 15:1.14))
172 जेकरा (अमा॰1:15:1.16, 2.5, 20)
173 जेकरा चलते (अमा॰6:10:2.17)
174 जेतना (अमा॰1:7:2.3)
175 जेतना ... ओतना (अमा॰6:10:2.14-15)
176 जेतने (जेतने ... ओतने) (जेतने मुँह ओतने बात इनका बारे में होवे लगल) (अमा॰2:6:1.15)
177 जोगाड़ (अमा॰4:15:1.6)
178 जोर-जुलुम (जमींदार के ~) (अमा॰2:5:2.14)
179 जोलहा (घर वके भतार पूछे कउन-कउन जात हे । चार गो तो जोलहा-धुनिया, चार गो चमार हे ।) (अमा॰1:12:1.32)
180 जौरहीं (उनका ~ उनकर मेहरारू आउ लइकन सब भी रहऽ हथ) (अमा॰6:11:1.3)
181 झंडाबरदार (मगही के ~) (अमा॰4:5:1.25)
182 झकाझक (~ झलकना) (ओकरा में चारो बगल से छरदेवाली दे करके दूमहला मकान बना लेलक हे, जे दूरे से ~ झलके हे) (अमा॰6:15:2.4)
183 झमाना (तुलसी झा जब एकरा पढ़ऽ हथ तब झमा के गिर जा हथ) (अमा॰6:8:2.13)
184 झलकना (ओकरा में चारो बगल से छरदेवाली दे करके दूमहला मकान बना लेलक हे, जे दूरे से झकाझक झलके हे) (अमा॰6:15:2.5)
185 झलही (झलही के बिदा करूँ, रूसनिया के बिदा करूँ । छिनरिया के बिदा करूँ, सतभतरी के बिदा करूँ ।) (अमा॰1:12:1.22)
186 झिटकी (~ जइसन धूरी में छितराना) (अमा॰6:10:2.18)
187 झुलुआ (अमा॰2:10:1.10)
188 झोंकरना (तिसिया के फूलवा झोंकर गेल लहरवा से) (अमा॰1:17:2.3)
189 झोंकाना, झोंका जाना (सब पइसा ओइसहिं झोंका गेल) (अमा॰3:12:1.6)
190 झोंटा (फेदवा के झोंटवा जइसन) (अमा॰1:13:1.26)
191 टँगरी (अमा॰1:9:2.5)
192 टंट-घंट (~ पसारना) (अमा॰5:15:1.2)
193 टघरना (बरफ के टघरे से बाढ़ बरसात हे) (अमा॰1:17:1.19)
194 टटर (ले खरही हरि टटर बिनैबो, देतन तोर मइया दोकान) (अमा॰1:12:2.5)
195 टप-टप (~ लोर चूना) (अमा॰1:9:1.9)
196 टिटकी (एगो टोटमा हे कि टिटकी लगे से बादर खतम हो जायत आउ मौसम साफ हो जायत) (अमा॰2:16:1.13, 14)
197 टिपोर (ननदोसिया के देबई चढ़े के घोड़वा, ननदी के गदहा टिपोर) (अमा॰1:12:1.15)
198 टुअरघेट (अमा॰2:17:1.22)
199 टूटल (~ पेटी) (अमा॰1:8:1.13)
200 टेढ़ियाना (टेढ़िया के चलना) (अबहियों ऊ ओइसहीं टेढ़िया के चलइत हे) (अमा॰4:18:1.2)
201 टोटमा (एगो टोटमा हे कि टिटकी लगे से बादर खतम हो जायत आउ मौसम साफ हो जायत) (अमा॰2:16:1.13)
202 टोना-टोटका (अमा॰5:16:1.16)
203 ठीका-वीका (जेतना भी ठीका-वीका होवऽ हय, कलेसरे ले हय । रुपइया के तो ऊ ठेक बाँध देलक हे ।) (अमा॰6:16:1.9)
204 ठेक (~ बाँधना) (जेतना भी ठीका-वीका होवऽ हय, कलेसरे ले हय । रुपइया के तो ऊ ठेक बाँध देलक हे ।) (अमा॰6:16:1.10)
205 ठौर-ठेकाना (अमा॰1:18:1.8)
206 डबडबाना (डबडबाएल आँख) (अमा॰2:12:1.27)
207 डाँठ (खर चुने के विधि में दुलहा के सास दुआरी से मड़वा तक गेहूँ के डाँठ छींट दे हे जेकरा दुलहा के चुने पड़ऽ हे) (अमा॰1:12:2.2)
208 डाकडर (= डागडर) (अमा॰5:19:1.20)
209 डागडर (हम तोरा बड़का डागडर से इलाज करयबो) (अमा॰1:10:1.8; 166:9:2.30)
210 ढेंकी (ढेंकिया में कूटे कोई) (अमा॰1:17:2.13)
211 ढेर (ढेर मनी) (अमा॰1:9:2.13, 27; 3:5:1.12; 5:19:2.15; 6:13:1.24)
212 ढोल (लेकिन जब उनकर गला में ढोल टंग गेल हल तब तो उनका बजावहीं पड़ऽ हल) (अमा॰2:18:2.23)
213 तइयाना (दुन्नो पक्ष एक-दूसरा के माने ला तइयाय न हथ) (अमा॰4:4:1.9)
214 तउन (जउन ... तउन) (अमा॰2:4:1.8)
215 तकलीफ (अमा॰1:8:2.12)
216 तगड़ा (मुकाबला तगड़ा हो गेल) (अमा॰4:18:1.15)
217 तनि ("छोटू बाबू ! छोटू बाबू ! तनि केवाड़ी तो खोलूँ", रधिया पुकारे लगल) (अमा॰3:11:1.11)
218 तनिको (अमा॰2:17:1.20)
219 तनि-मनि (बुझा हे कि ~ निसा में ही) (अमा॰4:11:2.22; 6:11:2.8)
220 तबड़ाक (गाल पर अइसन ~ मारलन जइसे कसाई बिना ममता के जानवर के मार देहे) (अमा॰3:14:1.20, 28)
221 तहिना (जहिना ... तहिना) (अमा॰3:5:1.11)
222 तान-वितान (गइया-बछिया तोड़इ किला पगहा, गोरखिया सुतइ तान-वितान । खटिया के ओदमानी मचकइ, लचकइ पनगर जान ।) (अमा॰3:19:2.27)
223 तितलउका (छनिया एक देखली सिउजी, ओहो तितलउका) (अमा॰1:14:1.32)
224 तीसी (तिसिया के फूलवा झोंकर गेल लहरवा से) (अमा॰1:17:2.3)
225 तुरते (अमा॰1:1:1.7)
226 तूफान (अमा॰4:4:1.11)
227 तेसरकी (~ मौगी) (अमा॰6:15:2.26)
228 तेसरकी (नयकी तेसरकी मौगी) (अमा॰6:15:1.7)
229 तोपना (= ढँकना) (मड़वा के दिन एगो रुखी के बच्चा मार के सूप से तोप देवे के चाही । ई बात लिखल नऽ हे, बाकि खानदान में पहिलहीं से चलल आवइत हे ।) (अमा॰1:9:2.18, 10:2.5, 7)
230 तोरा (अमा॰3:2:1.24)
231 तोहनी (अमा॰1:6:2.28)
232 थकल-माँदल (अमा॰6:11:2.7)
233 थारी (ऊ थरिया के पटक देलक) (अमा॰3:12:2.15)
234 थुराना (छोड़के राह बेराह जे कोई चलत, चोट अंगुरी में लग के थुरैबे करत) (अमा॰3:8:1.2)
235 दनदनाना (अमा॰2:15:2.15)
236 दप-दप (~ दमकना) (अमा॰2:9:2.5)
237 दमघोंटू (अमा॰2:14:2.17)
238 दरखास्त (= दरखास) (अमा॰4:16:1.14)
239 दस्तखत (= दसखत) (अमा॰4:16:1.15)
240 दस्तूर (अमा॰4:20:2.9)
241 दिरिस (= दृश्य) (सोनमतिया काकी ई दिरिस देख के पछाड़ खाके वीरचन पर गिर पड़ल आउ अचेत हो गेल) (अमा॰5:17:1.17)
242 दीया (~ लेके ढूँढ़ना) (अमा॰2:11:1.7)
243 दुन्नो (अमा॰2:12:2.20; 4:4:1.9)
244 दुबराना (दुबरा के आधा हो जाना) (अमा॰6:11:1.16)
245 देखनिहार (अमा॰3:14:1.4)
246 दोवाह (विजय बाबू के माध्यम से हमरा पता हल कि हम्मर शादी दोवाह मरद से हो रहल हे आउ ऊ मरद के तीन गो लड़कन हे) (अमा॰2:17:2.5)
247 दोसर (अगर कोई भासा के आदर, सम्मान, ओकर उचित स्थान ओकरा बोलेवाला बेकती न देत, तब का दोसर भासा-भासी देतन ?) (अमा॰1:5:1.9, 16)
248 धकियाना (अमा॰1:12:2.30)
249 धमधम (~ धनिया) (अमा॰3:18:2.28)
250 धराना, धरा जाना (अमा॰4:18:1.21)
251 धुधकारना (तिलक-दहेज आउ टी॰भी॰ लागी सइयाँ रोज धुधकारइ भइया, ससुरा हमें जरावइ) (अमा॰5:10:1.16)
252 धुनिया (घर वके भतार पूछे कउन-कउन जात हे । चार गो तो जोलहा-धुनिया, चार गो चमार हे ।) (अमा॰1:12:1.32)
253 ननदी (ननदोसिया के देबई चढ़े के घोड़वा, ननदी के गदहा टिपोर) (अमा॰1:12:1.15, 20, 21, 17:2.11)
254 ननदोसी (ननदोसिया के देबई चढ़े के घोड़वा, ननदी के गदहा टिपोर) (अमा॰1:12:1.14)
255 नन्हका (~ आउ नन्हकी) (अमा॰6:17:1.4)
256 नन्हकी (नन्हका आउ ~) (अमा॰6:17:1.4)
257 नयकी (नयकी तेसरकी मौगी) (अमा॰6:15:1.7)
258 निकचाना (अमा॰3:17:1.3)
259 निफिकिर (चुपचाप खा आउ ~ होके पड़ल रहऽ) (अमा॰2:6:1.6)
260 निबदरा (सउँसे अकास भेल अइसन निबदरा, कइसे के जंगल में मोर करे नाच हे) (अमा॰1:17:1.2)
261 नियन (अमा॰3:12:2.15)
262 नियर (अमा॰2:8:1.14)
263 निसपिटर (अमा॰5:19:1.20)
264 निसपीट्टर (दरोगा-निसपीट्टर, सीओ-बीडियो तो ओकरा सलामे ठोकऽ हथिन) (अमा॰6:15:2.20)
265 नीन (अमा॰2:14:2.10)
266 नीपना (गोबरा से नीपलूँ अँगनवा) (अमा॰1:13:2.3)
267 नीमक-मिचाई (अमा॰3:12:2.12)
268 नुकना (= छिपना) (पिछवती में नुकल) (अमा॰6:15:1.9)
269 नेवतल (मटकोर के विधि में घर आउ बाहर के नेवतल औरत गीत गा-गा के गाँव से बाहर खेत में मट्टी कोड़े जा हथ) (अमा॰1:12:1.26)
270 नोख (अमा॰1:13:1.24)
271 नौ छौ करना (अमा॰5:7:2.23)
272 पक्कल (कच्चा हे इया पक्कल हे फल, हमरा एकर परवाह न हल) (अमा॰2:10:2.8)
273 पगहा (गइया-बछिया तोड़इ किला पगहा) (अमा॰3:19:2.26)
274 पटकुनिये (~ ऊ लेटल हथ) (अमा॰1:19:1.8)
275 पड़री (बघवा के देखि जइसे सिहरइ बकरिया हे । रच्छक के भच्छल नारी, कुँहरइ पड़रिया हे ।) (अमा॰5:13:2.15)
276 पड़ोसिन (अमा॰1:18:2.6)
277 पढ़ल (अप्पन संस्कृति के बारे में जानेला संस्कृत पढ़ल भी ठीक हे । बाकि अप्पन मातृभासा मगही में बोलल खराब काहे हे ?) (अमा॰1:7:1.11)
278 परचलन (= प्रचलन) (अमा॰4:5:1.1-2)
279 परझोबा (सासू करथिन उदवास परझोबा तकरार हो बादल !) (अमा॰3:19:2.24)
280 परब-तेवहार (जिनगी में जेतना संस्कार होहे जेकरा में जनम, छठी, मुड़ना, जनेऊ, बियाह, मरन, सराध आउ परब-तेवहार, पूजा-पाठ सब समय के रीत-रेवाज के बारे में लिखल हो) (अमा॰1:9:1.1)
281 परभाव (= प्रभाव) (अमा॰4:5:1.2)
282 परवह (= प्रवह) (जउन दिन हम्मर भाई डागडर बन के आयल, ओही दिन टूटल पेटी के उठौलक आउ ले जाके नदी के धारा में परवह कर देलक) (अमा॰1:10:1.10)
283 परसन (= प्रसन्न) (मन ~ हो गेल) (अमा॰4:9:1.29)
284 परिछावन (एक तरफ रधिया बेटा के ~ करे ला हमेशा व्याकुल रहऽ हल आउ दूसर तरफ चुनमुनिया के चढ़ल जवानी भी ओकरा से न देखल जाइत हल) (अमा॰3:12:1.28)
285 परुआ (हो जतवऽ परुआ मरखंडा कहावल) (अमा॰3:16:1.24)
286 परोगराम (= प्रोग्राम) (कत्ते बार पुलिस उनका के पकड़े ले ~ बनैलक, मुदा ऊ हरदम आँख में धूरी झोंक के भागिए जा हला) (अमा॰6:15:1.14)
287 पसिन (= पसन्द) (एकरा में छपल सभे रचना हमरा खूब पसिन पड़ल) (अमा॰3:19:2.11)
288 पसेना (अमा॰1:9:2.12)
289 पिछवती (= पिछुत्ती) (~ में नुकल) (अमा॰6:15:1.9)
290 पियराना (पनवाँ के पात पियराय रे बलमुआ) (अमा॰1:17:2.8)
291 पीछू (पेड़वा के ~ से) (अमा॰4:8:1.25)
292 पीपर (पीपर तर अब पाँचे कट्ठा खेत न बचइत हे ?) (अमा॰3:11:2.23)
293 पी-पा के (साधु सिंह, जे पी-पा के अप्पन सभे जमीन-जायदाद बेच-बाच के उड़ा देलकन हे उनकरे रोड पर के चरकठवा चकोलवा खेत पूरा दाम दे के कलेसरा खरीद लेलक हे) (अमा॰6:15:1.24)
294 पुलिस-उलिस (अमा॰4:10:1.3)
295 पोखरी (अमा॰5:12:2.24)
296 पोथानी (औंठी-पौंठी सुतल सारी, सरहजवा, पोथानी सुतल नीचे सास हे ।) (अमा॰1:14:1.7)
297 फटीचर (अमा॰6:15:1.2)
298 फानना (हम बिना गोड़ के फानऽ ही) (अमा॰4:20:2.24)
299 फारम (= फॉर्म) (अमा॰3:12:1.3)
300 फिनो (= फिर) (अमा॰1:8:2.22, 10:2.6)
301 फिफिहिया (अमा॰2:6:2.26)
302 फुतुंगी (हमरा लगल कि टूटल पेटी के भूर से लोकइत सूप से तोपल रुखी के बच्चा किलकारी मारइत गली के झमठगर पेड़ के फुतुंगी पर चढ़ गेल जहाँ से फिनो ओकरा पकड़ के सूप से तोपना सहज नऽ हे) (अमा॰1:10:2.6)
303 फुलवाड़ी (अमा॰1:11:1.8)
304 फेदा (फेदवा के झोंटवा जइसन) (अमा॰1:13:1.26)
305 फैल (हम्मर घर के सामने कम से कम बीस फीट ~ रस्ता रहे) (अमा॰4:15:2.2)
306 बइर (= बैर) (कोई कोई के पेड़ से ~ के चोरावल) (अमा॰2:10:1.12, 14)
307 बकबकाना (बकबका के बोल उठना) (अमा॰1:14:1.17)
308 बड़ (= बर, बरगद) (अमा॰1:9:2.3)
309 बथान (अमा॰6:17:1.5)
310 बदलल (अब समय के मोताबिक बदलल माहौल में सब काम होयत) (अमा॰1:10:2.3)
311 बपउती (अमा॰5:13:2.4)
312 बपहर (अमा॰1:14:1.29)
313 बरखा (अमा॰2:9:2.2)
314 बरदास्त (= बरदास) (अमा॰4:17:1.11)
315 बर-बटइया (सरकार से करजा लेके बैल के जोड़ी लग गेल । बर-बटइया जोताय लगल ।) (अमा॰5:16:2.1)
316 बहकना (माकल निनिया बहकल चैन, उमकल बिन्दिया चसकल सैन) (अमा॰6:19:1.24)
317 बह-बोदिल (ओकर सास जवाब देहे - "ललना हँसि-हँसि बोलथिन सासुजी, तुहूँ बह-बोदिल हे ..") (अमा॰1:11:2.17)
318 बहरी (बहरी आमदनी रुक जाय से खेती बाड़ी में दिक्कत होवे लगल) (अमा॰5:15:2.23)
319 बाँधल (अमा॰1:11:2.20)
320 बाउर (दुनिया में कोई भी भासा अपने आप में न तो नीमन होवऽ हे, न ~ । ऊ तो बोलेवला पर निर्भर हे ।) (अमा॰1:5:1.2)
321 बाग-बगइचा (अमा॰1:11:1.8)
322 बाछा (अमा॰5:19:2.21)
323 बाता-बाती (~ से लड़ाई बढ़ के हाथापाई पर आ गेल) (अमा॰4:16:1.1)
324 बिगहा (चार ~ जमीन) (अमा॰2:18:1.13)
325 बिछा (= बिच्छू) (अमा॰1:13:2.4, 6, 10)
326 बिझना (आधा मन लेलिअइ बिझल खेसरिया, दिन भर दँतिया खिसोर) (अमा॰5:11:2.9)
327 बिधुकल (~ चान) (अमा॰6:19:1.17)
328 बिलाई (= बिलाय, बिल्ली) (अमा॰1:9:1.28)
329 बिहनिया (बिहनिया से संझिया तक) (अमा॰3:4:1.4)
330 बिहान (१९७२ से ८२ के बीच में के माहिर एकांकीकार मुरली मनोहर के ढेर एकांकी 'बिहान' में नबिहान लयलक) (अमा॰4:5:2.23)
331 बुरबकहा (अमा॰5:9:1.11)
332 बूँट-खेसारी (अमा॰3:18:2.21)
333 बेअग्गर (= व्यग्र) (अमा॰2:5:2.2, 6:2.15)
334 बेच-बाच के (साधु सिंह, जे पी-पा के अप्पन सभे जमीन-जायदाद बेच-बाच के उड़ा देलकन हे उनकरे रोड पर के चरकठवा चकोलवा खेत पूरा दाम दे के कलेसरा खरीद लेलक हे) (अमा॰6:15:1.24)
335 बेलदार (~ लेखा कमाना) (अमा॰2:18:2.13)
336 बेवहार (= व्यवहार) (अमा॰1:11:1.14)
337 बोतु (अमा॰1:13:1.22)
338 बोरा (छप्पड़-छानी कोंहड़ा-भतुआ खूब अगरौलक, नेनुआ झींगी लटकल बोरा गीत गौलक) (अमा॰3:18:2.12)
339 बोलल (अप्पन संस्कृति के बारे में जानेला संस्कृत पढ़ल भी ठीक हे । बाकि अप्पन मातृभासा मगही में बोलल खराब काहे हे ?) (अमा॰1:7:1.12)
340 बोलेवला (दुनिया में कोई भी भासा अपने आप में न तो नीमन होवऽ हे, न बाउर । ऊ तो ~ पर निर्भर हे ।) (अमा॰1:5:1.2)
341 बोलेवाला (अगर कोई भासा के आदर, सम्मान, ओकर उचित स्थान ओकरा बोलेवाला बेकती न देत, तब का दोसर भासा-भासी देतन ?) (अमा॰1:5:1.10)
342 भँड़ुआ (अमा॰1:13:1.18)
343 भतखही (= भतखई) (गोतिया के देबई भात भतखहिया, गोतनी के हलुआ घँटाई ।) (अमा॰1:12:1.12)
344 भतार (मट्टी कोड़े गेलऽ छिनरो तूहूँ गंगा पार हे । गजनौटा में चोरयले अयलऽ सोलह गो भतार हे ।) (अमा॰1:12:1.30)
345 भरम (= भ्रम) (अमा॰4:4:1.9)
346 भासा (अगर कोई भासा के आदर, सम्मान, ओकर उचित स्थान ओकरा बोलेवाला बेकती न देत, तब का दोसर भासा-भासी देतन ?; भारत के अन्य भासाभासी के मुकाबला में मगहियन लोग सबसे जादे अप्पन भासा के हीन समझऽ हथ आउ ओकरा उपेक्षा के नजर से देखऽ हथ ।) (अमा॰1:5:1.9, 11, 6:2.4, 10:1.15)
347 भासा-भासी (अगर कोई भासा के आदर, सम्मान, ओकर उचित स्थान ओकरा बोलेवाला बेकती न देत, तब का दोसर भासा-भासी देतन ?; भारत के अन्य भासाभासी के मुकाबला में मगहियन लोग सबसे जादे अप्पन भासा के हीन समझऽ हथ आउ ओकरा उपेक्षा के नजर से देखऽ हथ ।) (अमा॰1:5:1.11, 6:2.3, 10:1.17)
348 भौंरी (अमा॰5:12:2.28)
349 मंगड़ा (= मंगरा) (अमा॰6:17:1.1)
350 मकय (= मकई) (अमा॰6:15:1.8)
351 मगह (~ के सपूत) (अमा॰2:4:2.19, 15:1.5)
352 मगहिया (= मगहीभाषी) (मगहियन के मानसिकता में; ~ भाई /बहिन) (अमा॰1:2:1.16, 20, 4:2.16, 17:1.30)
353 मगही (~ भासा में लिखे बोले के परम्परा के पुनः स्थापना 'अलका मागधी' के एकमात्र उद्देश्य रहत (अमा॰1:1:1.4, 2:1.21, 29, 32, 4:2.14)
354 मजूरनी (खेतमजूरनी) (अमा॰5:8:1.24)
355 मजूरी (अमा॰3:13:1.19)
356 मटकोर (मटकोर के विधि में घर आउ बाहर के नेवतल औरत गीत गा-गा के गाँव से बाहर खेत में मट्टी कोड़े जा हथ) (अमा॰1:12:1.25)
357 मट्टी (मटकोर के विधि में घर आउ बाहर के नेवतल औरत गीत गा-गा के गाँव से बाहर खेत में ~ कोड़े जा हथ; ~ के माधो महादेव तब बनऽ हे) (अमा॰1:12:1.27, 29; 2:8:1.15)
358 मड़वा (~ के दिन एगो रुखी के बच्चा मार के सूप से तोप देवे के चाही । ई बात लिखल नऽ हे, बाकि खानदान में पहिलहीं से चलल आवइत हे ।) (अमा॰1:9:2.17; 3:13:2.29)
359 मनि (तनि-मनि) (बुझा हे कि ~ निसा में ही) (अमा॰4:11:2.22)
360 मनी (ढेर मनी) (अमा॰1:9:2.13, 27; 3:5:1.12; 5:19:2.15; 6:13:1.24)
361 मरखंडा (हो जतवऽ परुआ मरखंडा कहावल) (अमा॰3:16:1.24)
362 मरना-हरना (कुच्छो रहथ, हलखिन बेचारा गरीब ले भगमाने । शादी-बियाह, मरला-हरला में सबके सहायता कर दे हलथिन ।) (अमा॰6:15:1.17)
363 मलहोरी (अमा॰1:14:1.10)
364 मलारना (बड़ी मलार के हाथ लफाथिन) (अमा॰3:19:2.30)
365 मसकना (मसकल) (अमा॰6:19:1.20)
366 महत (= महत्त्व) (एकरा में कउची हे जे खानदान ला बड़ा जरूरी हे आउ ~ रखऽ हे ?) (अमा॰1:8:1.22)
367 मांजना-खंघारना (मांज-खंघार के) (अमा॰3:11:1.15-16)
368 माकना (माकल निनिया बहकल चैन, उमकल बिन्दिया चसकल सैन) (अमा॰6:19:1.23)
369 मारल-फिरल चलना (अमा॰6:15:1.2)
370 माहिर (~ एकांकीकार) (अमा॰4:5:2.22; 6:11:1.8)
371 माहौल (अब समय के मोताबिक बदलल माहौल में सब काम होयत) (अमा॰1:10:2.3)
372 मिंझना (दबयला पर भी अजादी के आग न मिंझल) (अमा॰2:6:2.10)
373 मुकाबला (मुकाबला तगड़ा हो गेल) (अमा॰4:18:1.14-15)
374 मुड़वा मूसन (अमा॰4:5:2.13)
375 मेठ (हम अप्पन साथी में हली सबसे ~) (अमा॰2:10:1.20)
376 मेहठा (१९५५ से एगो पत्रिका 'मगही' के प्रकाशन शुरू भेल । ठाकुर रामबालक सिंह एकर ~ हलन ।) (अमा॰3:5:2.21)
377 मेहरारू (अमा॰2:4:1.14)
378 मेहुदना (चुल्हा-चाकी सेउदल हकइ, मेहुदल हइ सब गोइठा) (अमा॰3:19:1.28)
379 मेहुदल (चुल्हा-चाकी सेउदल हकइ, मेहुदल हइ सब गोइठा) (अमा॰3:19:1.28)
380 मोलायम (अमा॰4:16:2.23)
381 मोसकिल (अमा॰1:8:1.17)
382 मौगी (नयकी तेसरकी मौगी) (अमा॰6:15:1.7)
383 रकटुआ (अमा॰4:7:1.30)
384 रक्खल (सुरक्षित ~ जाना) (अमा॰1:5:1.26)
385 रड (भाई पर लोहा के रड लेके टूट पड़लन । ... रड के चोट से कपार से खून के फव्वारा फूट पड़ल ।) (अमा॰5:17:1.13, 15)
386 रभसना (रभसि रभसि पारे गारी हे) (अमा॰1:14:1.19)
387 ररैठा (अमा॰3:19:2.23)
388 रसगर (~ गारी) (अमा॰1:13:1.30)
389 रहता (= रास्ता) (जदि जतरा के समय बिलाई राह काट के भाग जाय, तब तुरते रहता पर कटकुट के चिन्ह (X) लगा देवे के चाही) (अमा॰1:9:1.29)
390 रीत-रसम (अमा॰1:9:1.2)
391 रुखी (= रुक्खी, गिलहरी) (मड़वा के दिन एगो ~ के बच्चा मार के सूप से तोप देवे के चाही । ई बात लिखल नऽ हे, बाकि खानदान में पहिलहीं से चलल आवइत हे ।) (अमा॰1:9:2.17, 10:2.5)
392 रुसना (रुसल) (अमा॰6:19:1.19)
393 रुह-चुह (~ बगिया) (अमा॰6:19:1.21)
394 रूसना, रूस जाना (अमा॰2:10:2.4; 5:11:2.18)
395 रूसनी (झलही के बिदा करूँ, रूसनिया के बिदा करूँ । छिनरिया के बिदा करूँ, सतभतरी के बिदा करूँ ।) (अमा॰1:12:1.22)
396 रोबाई (अमा॰2:17:1.6)
397 लठैत (अमा॰4:17:1.22)
398 लफाना (बड़ी मलार के हाथ लफाथिन) (अमा॰3:19:2.30)
399 लम्मर (दू ~ के कमाई) (अमा॰2:11:2.2)
400 लम्मा (लम्मा-चौड़ा भासन) (कत्तेक नेता, समाजसेवी आउ विद्वान ओहनी के जीवन-दर्शन पर लम्मा-चौड़ा भासन देलन) (अमा॰2:5:1.11)
401 ललसा (= लालसा) (अमा॰6:8:2.1)
402 लहँगा (अमा॰1:13:2.10)
403 लिखल (कागज पर ~ हे) (अमा॰1:9:1.27)
404 लुकवारी (आग के ~) (अमा॰2:16:1.21, 2.14)
405 लुगा-झुला (दसहरा आउ होली में कुटनी दादी के लुगा-झुला आउ साटन जरूरे मिलत) (अमा॰5:16:1.10)
406 लूर (used here as a Bhojpuri word, but it's a Magahi word as well) (अमा॰4:13:2.21)
407 लेंदरा (हमरो हे ~, तोरा दोसाला हे) (अमा॰5:11:1.4)
408 लेहुआना (सिमरा के फूल लेहुआय रे बलमुआ) (अमा॰1:17:2.10)
409 लोहचुटी (अमा॰3:6:1.3)
410 विधना (~ के विचित्र लेखा) (अमा॰3:15:1.4)
411 संझिया (बिहनिया से संझिया तक) (अमा॰3:4:1.5)
412 सउरी (डर कउन बात के ? जेकर सउरी होहे ओकर सारा भी होयत ।) (अमा॰2:6:2.5)
413 सकुचाना (अमा॰3:17:1.2)
414 सतभतरी (झलही के बिदा करूँ, रूसनिया के बिदा करूँ । छिनरिया के बिदा करूँ, सतभतरी के बिदा करूँ ।) (अमा॰1:12:1.23)
415 सधुक्कड़ी (~ भासा) (अमा॰6:4:2.4)
416 सनसनाना (अमा॰2:15:2.16)
417 सनेसा (= सन्देश) (अमा॰2:5:2.23)
418 समुंदर (अमा॰2:12:1.26)
419 सरधा (= श्रद्धा) (~ से सिर झुकाना) (अमा॰2:4:2.15; 5:12:2.9)
420 सरहज (अमा॰1:13:2.23, 14:1.6)
421 सरासर (~ अन्याय) (अमा॰4:16:2.27)
422 सरोता (= श्रोता) (ई रस में आश्रय जादेतर पढ़ताहर इया सरोता होवऽ हे) (अमा॰1:11:1.21)
423 सले-सले (अमा॰2:6:1.18)
424 सवाद (= स्वाद) (अमा॰2:15:2.3)
425 साटन (दसहरा आउ होली में कुटनी दादी के लुगा-झुला आउ साटन जरूरे मिलत) (अमा॰5:16:1.10)
426 सानी (गइया के कुट्टी सानी आउ पानी दे) (अमा॰6:17:1.3)
427 सारी (= साली) (अमा॰1:14:1.6)
428 साहित (भासा आउ ~; शिष्ट ~) (अमा॰2:11:1.6; 4:5:1.20)
429 सिन्धोरा (सरयू बाबू चुनमुनिया के माँग में सेनुर करके ~ रखलन भी न हल कि छोटू बाबू के गरजइत बादल के भाँति सुनाई देलक -) (अमा॰3:14:1.9)
430 सिहरन (अमा॰5:4:2.3)
431 सुखाड़ (अमा॰5:12:2.21)
432 सुतले-सुतले (अमा॰3:4:2.3)
433 सूता (देस के एक सूता में बाँधना) (अमा॰1:5:2.7)
434 सेउदना (चुल्हा-चाकी सेउदल हकइ, मेहुदल हइ सब गोइठा) (अमा॰3:19:1.27)
435 सेउदल (चुल्हा-चाकी सेउदल हकइ, मेहुदल हइ सब गोइठा) (अमा॰3:19:1.27)
436 सोमार (= सोमवार) (अमा॰5:5:2.3)
437 सोर (= जड़) (मगही के सोर पताल में हे) (अमा॰3:5:2.7)
438 सोरही (अमा॰6:7:1.20, 2.3)
439 सोरा (कनकन सोरा) (सीतलहरी के कनकनी से रात भी न कटऽ हे आउ बिहने सउँसे देह कनकन सोरा हो जाहे) (अमा॰6:8:2.4)
440 हजमटोली (अमा॰2:16:2.7)
441 हड़होड़ (~ मचाना) (अमा॰3:6:1.4)
442 हबकुरिये (~ गिर-गिर के सपना चूर-चूर होवऽ हे) (अमा॰1:19:1.7)
443 हम्मर (अमा॰1:10:1.5)
444 हम्मर (हम्मर कामना हे कि 'रजकण' जी के जस ई उपन्यास के जरिये मगही भासा आउ साहित्य के क्षेत्र में करमी के लत्तर जइसन फैले) (अमा॰1:15:2.17)
445 हिच्छा (बाबूजी के अवाज आउ धीम हो गेल हल, बाकि कहे के उनकर ~ जबरदस्त हल । से ऊ कहे लगलन -) (अमा॰1:8:2.18)
446 हिफाजत (ई टूटल पेटी के रतन जवाहिर के तरह ~ से रखिहें) (अमा॰1:9:2.24)
447 हिम्मत (अमा॰4:16:1.23)
448 हुँचकी (अमा॰1:9:2.13, 10:1.1)
449 हुराँड़ (= हुँड़ार) (अमा॰5:13:2.9)
450 हुवा (अब हमरा बोले के हुवा नऽ हो) (अमा॰1:9:2.21)

Saturday, January 23, 2010

29. 'सरधा के दू फूल' मगही संवाद का विमोचन

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_6092788.html

10 Jan 2010, 10:06 pm

वारिसलीगंज (नवादा): स्थानीय सूर्य मंदिर स्थित शांतिपुरम् में रविवार को बिहार मगही मंडप का 74 वाँ कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस दौरान मंडप के अध्यक्ष राम रतन प्रसाद सिंह रत्नाकर द्वारा संपादित मगही संवाद 'सरधा के दू फूल' का लोकार्पण लिमिका बुक में नाम दर्ज करवा चुके कृष्ण मुरारी सिंह ने किया। किसानों के लिए रूस, चीन सहित कई देशों की यात्रा कर चुके शेखपुरा जिला निवासी कृष्ण मुरारी सिंह किसान द्वारा लोकार्पण पश्चात् तीन दर्जन से अधिक मगही कवियों व साहित्यकारों ने अपनी रचना का भावपूर्ण पाठ कर उपस्थित लोगों की वाहवाही लूटी। इस भदसेनी ग्रामीण मगही कवि राजेन्द्र सिंह ने अपनी कविता के माध्यम से क्षेत्र में सुखाड़ का चित्रण किया। सम सामायिक कविता के तहत श्री सिंह ने चूड़ा व तिलसकरात पर्व पर से जुड़े भावपूर्ण प्रस्तुति कर कृषकों के दर्द को रखा। कार्यक्रम में नवादा, नालंदा, गया तथा शेखपुरा जिले के कवियों ने सामाजिक जड़ता, बिखरते रिश्ते और महंगाई की मार के बीच भागो नहीं दुनिया को बदलो का संदेश दिया। श्री रत्नाकर ने कहा कि मगही भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान दिलवाने के लिये मंडप प्रयत्नशील है। राज्य सरकार राजनीतिक तौर पर संकोच में है। उन्होंने कहा की साहित्य समाज को जोड़ता है और जोड़ने का काम सभी साहित्य साधक कर रहे हैं।

इस मौके पर मंडप के सचिव डा. गोविन्द जी तिवारी समेत मगही कवि दीनबंधु, लालमुनि विक्रांत, जयराम देवसपुरी, कारू गोप, कृष्ण कुमार भट्ठा, प्रो. धीरेन्द्र कुमार धीरू, डा. संजय, सचिदानंद सितारे हिन्द, डा. शालिग्राम मिश्र निराला, रामवृक्ष महाजन, डा. सुनील समेत अन्य कवियों ने अपनी-अपनी रचना का पाठ किया।

Sunday, January 10, 2010

28. मगही महोत्सव संपन्न

http://maithilionline.blogspot.com/2010/01/blog-post_9830.html

घमंडी राम की कविताओं के संग्रह का लोकार्पण

हिन्दुस्तान दैनिक, पटना संस्करण, दिनांक 10 जनवरी 2010, पृष्ठ 6.

जनवादी लेखक संघ की ओर से शनिवार को पुस्तक लोकार्पण सह मगही महोत्सव का आयोजन किया गया । इसकी अध्यक्षता बिहार राष्ट्रभाषा परिषद के निदेशक प्रो॰ रामबुझावन सिंह ने की । इस अवसर पर घमंडी राम की कविताओं का संग्रह 'विश्व बाजार में आदमी' और 'बाघ बन्हायल रसरी में' के अलावा डॉ॰ सीमा रानी की कविताओं का संग्रह 'अमरलता' का लोकार्पण किया गया । कार्यक्रम का आयोजन अनिल सुलभ ने किया । कार्यक्रम में पूर्व गृह सचिव जियालाल आर्य, डॉ॰ रामवचन राय, नृपेन्द्र नाथ गुप्त, डॉ॰ रामप्रसाद सिंह, डॉ॰ सत्येन्द्र कुमार सुमन, चन्द्रप्रकाश माया, श्रीकान्त व्यास, सुनील कुमार, जगदीश प्रसाद, दयानिधि, लखनलाल आरोही, मेदन राम, अभिमन्यु प्रसाद मौर्य, आनन्द किशोर शास्त्री आदि ने विचार रखे ।

Wednesday, January 06, 2010

27. मगही भाषा संघर्ष समिति ने दिया धरना

http://maithilionline.blogspot.com/2009/12/blog-post_19.html

हिन्दुस्तान दैनिक, पटना संस्करण, दिनांक 19 दिसम्बर 2009.

तेरह सूत्री मांगों के समर्थन में अखिल भारतीय मगही भाषा संघर्ष समिति ने शुक्रवार को आर ब्लॉक चौराहा पर धरना दिया । इस मौके पर चन्द्रावती चंदन ने कहा कि राज्य सरकार मगही भाषा में स्नातकोत्तर उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को शिक्षक में बहाली करे । उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में मगही की पढ़ाई शुरू करने की मांग की । साथ ही बिहार लोक सेवा आयोग में मगही को शामिल करने की भी बात कही । उन्होंने कहा कि सरकार अगर उनकी मांगें पूरी नहीं करेगी, तो आंदोलन जारी रखा जाएगा । धरने की अध्यक्षता घमंडी राम ने की । इस मौके पर प्रो॰ भरत सिंह, शंभूशरण, हरीन्द्र विद्यार्थी, जनार्दन प्रसाद सिंह, पप्पू कुमार, वीरेन्द्र भारद्वाज, विक्की कुमार, कविता वर्मा आदि मौजूद थे ।