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Sunday, September 02, 2018

चेख़व के हास्य कहानी - 3. क्लर्क के मौत


3.  क्लर्क के मौत
(मूल रूसी - Смерть чиновника)
एगो निम्मन शाम के इवान द्मित्रिच चिर्याकोव, जे कोय कम निम्मन ऑफिस मैनेजर नयँ हलइ, स्टॉल के दोसरा कतार में बैठल हलइ आउ ऑपरा (गीति-नाट्य) ग्लास से "कोर्नेविल के घंटा" [फ्रेंच संगीतकार रोबेर प्लांकेत (Robert Planquette, 1843-1903) के एगो लोकप्रिय ऑपरा (गीति-नाट्य) - अनु॰] देख रहले हल। ऊ देख रहले हल आउ परमानंद के अनुभव कर रहले हल । लेकिन अचानक ... कहनियन में अकसर ई "अचानक" से पाला पड़ऽ हइ । लेखक लोग सहिए कहऽ हथिनः जिनगी आकस्मिकता से भरल हइ ! लेकिन अचानक ओकर चेहरा पर झुर्री पड़ गेलइ, आँख लुढ़क गेलइ, साँस रुक गेलइ ... आँख पर से ऊ ऑपरा ग्लास उतरलकइ, जरी झुक गेलइ आउ ... आक्-छी !!! छींक देलकइ, जइसन कि देखऽ हथिन । छींक केकरो लगी कहूँ परी मनाही नयँ हइ । देहाती लोग भी छिंक्कऽ हइ आउ पुलिस सुपरिंटेंडेंट लोग भी, आउ कभी-कभी निजी सलाहकार (प्रिवी काउंसिलर) लोग भी । सब लोग छिंकते जा हइ । चिर्याकोव के कोय घबराहट नयँ होलइ, रूमाल से अपन चेहरा पोछलकइ, आउ एगो नम्र व्यक्ति नियन अपन अगल-बगल देखलकइ कि कहीं ऊ अपन छींक से केकरो परेशान तो नयँ कर देलकइ । लेकिन अब ओकरा घबराय पड़लइ । ऊ देखलकइ कि ओकर आगू में स्टॉल के पहिला कतार में बैठल एगो वृद्ध सज्जन अपन चांदिल माथा आउ गरदन के दस्ताना से सावधानीपूर्वक पोछब करऽ हथिन आउ कुछ बुदबुदाब करऽ हथिन । ऊ वृद्ध सज्जन के चिर्याकोव पछान लेलकइ कि ऊ सिविल जेनरल ब्रिज़झालोव हथिन, जे यातायात विभाग (Department of Transport) में सेवा में हथिन ।
"हम उनका पर छिंट्टा डाल देलिअइ !" चिर्याकोव सोचलकइ । "ऊ हम्मर विभाग के हेड नयँ हथिन, बल्कि दोसर के, तइयो ई ठीक नयँ हइ । हमरा माफी माँगे के चाही ।"
चिर्याकोव खोंखलकइ, अपन समुच्चे देह के आगू झुकइलकइ आउ जेनरल के कान में फुसफुसइलइ -
"माफ करथिन, महामहिम, हमरा से छिंट्टा पड़ गेलइ ... हम अनजान में ..."
"कोय बात नयँ, कोय बात नयँ ..."
"भगमान खातिर, माफ करथिन । हम वास्तव में ... अइसन नयँ चाहऽ हलिअइ !"
"ओह, बैठ जाथिन, मेहबानी करके ! हमरा सुन्ने देथिन !"
चिर्याकोव सकपका गेलइ, मूरख नियन मुसकइलइ आउ स्टेज दने देखे लगलइ । ऊ देख रहले हल, लेकिन अब कोय परमानंद के अनुभव नयँ करब करऽ हलइ । ओकरा बेचैनी होवे लगलइ । मध्यान्तर (इंटर्वल) के दौरान ऊ ब्रिज़झालोव दने बढ़लइ, उनकर बगल में चलके अइलइ आउ अपन शरमिंदगी पर काबू करके बुदबुदइलइ-
"हम अपने पर छींक के छिंट्टा डाल देलिअइ, महामहिम ... माफ करथिन ... हम वास्तव में ... नयँ चाहऽ हलिअइ कि ..."
"आह, बहुत हो गेलो ... हम तो भूल गेलियो हल, लेकिन तूँ हमेशे ओहे के ओहे बात !" जेनरल कहलथिन आउ अधीरतापूर्वक अपन निचला होंठ हिलइलथिन ।
"भूल गेलथिन, लेकिन आँख में खटास (खट्टापन) हइए हइ", चिर्याकोव सोचलकइ, जेनरल तरफ शंका से तकते। "आउ बोले लगी नयँ चाहऽ हथिन । उनका समझावे पड़तइ कि हम बिलकुल नयँ चाहऽ हलिअइ ... कि ई तो प्रकृति के नियम हइ, नयँ त ऊ सोचथिन कि हम वास्तव में थुक्के लगी चाहऽ हलिअइ । अभी नयँ सोचथिन, त बाद में सोचथिन ! ..."
घर आके चिर्याकोव अपन अनाड़ीपन के बारे घरवली के बतइलकइ । ओकरा लगलइ कि घरवली ई घटना के हलके में लेलकइ; ओकर घरवली जरी डर गेलइ, लेकिन बाद में जब जनलकइ कि ब्रिज़झालोव "दोसर विभाग के" हथिन, त शांत पड़ गेलइ ।
"तइयो, तूँ जाहो, माफी माँग लेहो", ऊ कहलकइ । "नयँ त सोचथिन कि तूँ खुद्दे पब्लिक के बीच ठीक से आचरण करे लगी नयँ जानऽ हो !"
"एहे तो बात हइ ! हम माफी मँगलिअइ, लेकिन ऊ त अजीब ढंग से पेश अइलथिन ... ऊ एक्को शब्द निम्मन नयँ बोललथिन । आउ ठीक से बात करे के मोक्को नयँ मिललइ ।"
दोसरा दिन चिर्याकोव नयका वरदी पेन्हलकइ, बाल छँटवइलकइ आउ ब्रिज़झालोव भिर स्पष्टीकरण खातिर रवाना होलइ ... जेनरल के स्वागतकक्ष में प्रवेश कइला पर हुआँ परी ऊ कइएक याचिकाकर्ता (petitioners) के देखलकइ, आउ याचिकाकर्ता के बीच खुद जेनरल के भी, जे याचिका के स्वीकार करे लगी शुरू कर चुकलथिन हल । कुछ याचिकाकर्ता के साथ पूछताछ कर चुकला के बाद ऊ आँख उपरे दने कइलथिन आउ चिर्याकोव दने देखलथिन ।
"कल्हे ‘अर्कादिया’ में, अगर अपने के आद पड़ऽ हइ, महामहिम", ऑफिस मैनेजर बात शुरू कइलकइ, "हम जी छींक देलिए हल आउ ... जाने-अनजाने अपने पर छिंट्टा पड़ गेले हल ... माफ ..."
"कइसन बकवास ... भगमान जाने ! तोरा की चाही ?" जेनरल अगला याचिकाकर्ता के संबोधित कइलथिन ।
"बोले लगी तैयार नयँ हथिन !" चिर्याकोव सोचलकइ आउ ओकर चेहरा पीयर पड़ गेलइ । "लगऽ हइ, गोसाल हथिन ... नयँ, ई बात के अइसे नयँ छोड़े के चाही ... हम उनका समझइबइ ..."
जब जेनरल आखरी याचिकार्ता के साथ बात खतम कर चुकलथिन आउ फ्लैट के अंदरूनी हिस्सा दने जाय लगलथिन, त चिर्याकोव उनका दने पग बढ़इलकइ आउ बुदबुदइलइ -
"महामहिम ! अगर हम महामहिम के कष्ट देवे के जुर्रत कर सकऽ हिअइ, त ई बस खेद के अहसास के साथ कह सकऽ हिअइ ! ... जान-बूझके नयँ, खुद अपने जी जानऽ हथिन !"
जेनरल के चेहरा रुआँसा हो गेलइ आउ ऊ हाथ लहरइलथिन ।
"तूँ बस हमर मजाक उड़ाब करऽ ह, सर जी !" दरवाजा के पीछू गायब होते ऊ कहलथिन ।
"एकरा में हम की मजाक करब करऽ हिअइ ?" चिर्याकोव सोचलकइ । "एकरा में कइसनो मजाक नयँ हइ ! जेनरल हका, लेकिन समझ में नयँ आवऽ हइ ! अगर अइसन बात हइ त हम ई अहंकारी के सामने माफी नयँ माँगबइ ! भाड़ में जइता ! हम इनका एगो चिट्ठी लिखबइ, लेकिन पास नयँ जइबइ ! भगमान कसम, नयँ जइबइ !"
घर जइते-जइते चिर्याकोब अइसन सोचब करऽ हलइ । चिट्ठी तो जेनरल के ऊ नयँ लिखलकइ । सोचलकइ, सोचलकइ, आउ ई चिट्ठी के बारे नयँ सोच पइलकइ ।  दोसरा दिन समझावे लगी ओकरा खुद जाय पड़लइ ।
"हम कल्हे अपने के कष्ट देवे लगी अइलिए हल, महामहिम", ऊ बुदबुदइलइ, जब जेनरल ओकरा दने सवालिया नजर से देखलथिन, "त हम मजाक नयँ कइलिए हल, जइसन कि अपने कहे के कृपा कइलथिन । हम माफी ई बात लगी मँगलिअइ कि छींकते बखत जी अपने के उपरे छिंट्टा पड़ गेलइ ..., आउ हम तो मजाक के बात सोचवो नयँ कइलिअइ । की हम मजाक करे के जुर्रत कर सकऽ हिअइ ? अगर हमन्हीं मजाक करे लगबइ, त एकर मतलब हइ कि लोग के प्रति कोय आदर ... नयँ रह जइतइ ... "
"चल निकस !" काँपते जेनरल चिल्लइलथिन, जिनकर चेहरा नीला पड़ गेले हल ।
"जी कीऽ ?" भय से मूर्छित होल फुसफुसाहट में चिर्याकोव पुछलकइ ।
"चल निकस !!" गोड़ पटकते जेनरल दोहरइलथिन ।
चिर्याकोव के पेट में कुछ तो चटक गेलइ । बिन कुछ देखले, बिन कुछ सुनले, ऊ दरवाजा दने मुड़ गेलइ, बाहर निकस गेलइ आउ खुद के कइसूँ घसीटले चल गेलइ ... यांत्रिक रूप से (mechanically) घर आके, बिन अपन वरदी बदलले, सोफा पर पड़ गेलइ आउ ... मर गेलइ ।
1883

Saturday, August 25, 2018

चेख़व के हास्य कहानी - 2. मोटका आउ पतरका


1.  मोटका आउ पतरका
(मूल रूसी - Толстый и тонкий)

निकोलायेव्स्की रेलवे स्टेशन पर दू गो दोस्त के अचानक आपस में मोलकात हो गेलइ - एगो हलइ मोटका आउ दोसरा पतरका। मोटका अभिए टीसन पर भोजन कइलके हल, आउ मक्खन लगल ओकर होंठ पक्कल चेरी (फल) नियन चमकब करऽ हलइ। ओकरा से शेरी शराब आउ नारंगी के उज्जर फूल (fleur d’orange, orange blossom) के महँक आब करऽ हलइ। आउ पतरका रेलगाड़ी के डिब्बा से अभिए बहरसी निकसले हल आउ बक्सा, बंडल आउ गत्ता (कार्डबोर्ड) के बक्सा लादले हलइ। ओकरा से हैम (ham, सूअर के रान के मांस) आउ कॉफ़ी के प्याली आदि में जामा होल तलछट (coffee grounds) के गंध आब करऽ हलइ। ओकर पीठिया के पीछू देखाय देलकइ लमगर ठुड्डी वली ओकर घरवली, आउ एगो लमछड़ इस्कुलिया डेढ़-अँक्खा (भेंगा, squint-eyed) लड़का - ओकर बेटा।
"पोरफ़िरी!" मोटका चिल्लइलइ, पतरका के देखके।  "ई तूँ हकऽ? हमर प्यारे! केतना जाड़ा, केतना गरमी गुजर गेल!"
"हे भगमान!" पतरका अचरज से चिल्लइलइ। "मीशा! बचपन के दोस्त! अरे काहाँ से टपक पड़लऽ?"
दुन्नु दोस्त तीन तुरी एक दोसरा के गले लगइते गेलइ आउ लोराल आँख से एक दोसरा दने एकटक देखे लगलइ। दुन्नु खुशी-खुशी हक्का-बक्का होल हलइ।
"प्यारे!" गले मिलला के बाद पतरका शुरू कइलकइ। "ई तो हम आशा नयँ कइलियो हल! ई तो बिलकुल अप्रत्याशित (unexpected) हको! अच्छऽ, हमरा दने ठीक से देखऽ! ठीक ओइसने सुंदर, जइसन हलियो! ओइसने दुलारा आउ छैला! आउ तूँ, हे भगमान! आउ तूँ कइसन हकऽ? धनवान? शादी-शुदा? हम तो शादी-शुदा हकियो, जइसन कि देख रहलहो ह ... अइकी ई हमर घरवली, लुइज़ा, विवाहपूर्व नाम वान्त्सेबाख़ ... एगो लूथेरान [अर्थात् जर्मन प्रोटेस्टेंट धर्मवेत्ता मार्टिन लूथर (1483–1546) के अनुयायी] ... आउ ई हमर बेटा, नफ़नाइल, तेसरा कक्षा के छात्र। आउ ई, नफ़ान्या, हमर बचपन के दोस्त! स्कूल में साथहीं पढ़ऽ हलिअइ!"
नफ़नाइल जरी सोचलकइ आउ टोपी उतार लेलकइ।
"हमन्हीं स्कूल में साथे पढ़ऽ हलिअइ!" पतरका बात जारी रखलकइ। "आद हको, तोरा लोग कइसे चिढ़ावऽ हलो? तोरा हेरोस्त्रातुस [Herostrasus] कहके पुकारऽ हलो, ई कारण से कि तूँ एगो स्कूल के किताब के सिगरेट से जलाके छेद बना देलहो हल, आउ हमरा एफ़ियालतेस [Ephialtes], ई कारण से कि हम चुगलखोरी करना पसीन करऽ हलिअइ। हो-हो ... हमन्हीं बुतरू हलिअइ ! डर मत, नफ़ान्या ! उनका भिर आउ जरी नगीच जो ... आउ ई हमर घरवली, विवाहपूर्व नाम बान्त्सेनबाख़ ... एगो लूथेरान ।
नफ़नाइल जरी सोचलकइ आउ अपन बाऊ के पीठिया दने नुक गेलइ ।
"अच्छऽ, कइसन हकऽ, दोस्त ?" मोटका पुछलकइ, हर्षावेग में अपन दोस्त दने एकटक देखते बोललइ । "सर्विस काहाँ करऽ ह ? कोय प्रोमोशन (प्रोन्नति) वगैरह मिललो ?"
"हाँ, सर्विस करऽ हियो, प्यारे दोस्त ! कॉलेजिएट असेसर (collegiate assessor) के पद पर दू साल से काम कर रहलियो ह आउ हमरा सेंट स्तानिस्लाव मेडल मिललो ह । वेतन बहुत कम हको ... खैर, छोड़ऽ ई बात के! घरवली संगीत सिखावऽ हथुन, हम प्राइवेट रूप से सिगरेट के लकड़ी के डिबिया बनावऽ हियो । बहुत निम्मन सिगरेट के डिबिया (cigarette cases)! ओरा एक रूबल फी डिबिया के हिसाब से बेचऽ हियो । अगर कोय दस ठो चाहे जादे ले हइ, त ओकरा कुछ कमीशन दे दे हिअइ । कइसूँ जिनगी चल रहलो ह । मंत्रालय के एगो विभाग में सर्विस करऽ हलियो, आउ अब हियाँ परी हेड क्लर्क के पद पर तबादला कइल गेलो ह, ओहे विभाग में ... हिएँ परी सर्विस करबो । अच्छऽ, तोर की हाल-चाल हको? शायद, स्टेट काउंसिलर (state councillor) हो चुकलऽ होत ? कीऽ ?"
"नयँ, प्यारे दोस्त, जरी आउ उपरे उठाहो", मोटका कहलकइ । "हम निजी सलाहकार (privy councillor) के पद तक पहुँच गेलियो ह ... हमरा पास दू सितारा (stars) हको ।"
पतरका अचानक पीयर पड़ गेलइ, स्तब्ध रह गेलइ, लेकिन जल्दीए एगो बहुत बड़गर मुस्कान के साथ ओकर चेहरा सब्भे दिशा में ऐंठ गेलइ; लगलइ कि ओकर चेहरा आउ आँख से चिनगारी बरस रहले ह । खुद ऊ शरम से संकुचित हो गेलइ, झुक गेलइ, छोटगर हो गेलइ ... ओकर बक्सा, बंडल आउ गत्ता के बक्सा सब संकुचित हो गेलइ, सिकुड़ गेलइ ... ओकर घरवली के लमगर ठुड्डी आउ जादे लमगर हो गेलइ; नफ़नाइल तनके सवधान हो गेलइ आउ अपन यूनिफ़ॉर्म के सब्भे बोताम लगा लेलकइ ...
"जी, महामहिम (Your Excellency) ... हमरा बड़ी खुशी होलइ! दोस्त, कहल जा सकऽ हइ, बचपन के आउ अचानक एतना बड़गो हो गेलथिन ! ही-ही-ही !"
"अच्छऽ, बहुत हो गेलो !" मोटका नाक-भौं सिकोड़ देलकइ । "काहे लगी अइसन सुर ? हम आउ तूँ तो बचपन के दोस्त हिअइ - त हियाँ परी काहे लगी पद के अइसन औपचारिकता !"
"हे भगमान ... जी, अपने की कह रहलथिन हँ ...", पतरका दब्बल हँसी में ही-ही कइलकइ, आउ जादे संकुचित हो गेलइ । "महामहिम के अनुग्रहपूर्ण ध्यान ... मानूँ जीवनदायक अमृत हइ ... ई, महामहिम, हमर बेटा नफ़नाइल हइ  ... पत्नी लुइज़ा, एक तरह से लूथेरान ..."
मोटका कुछ तो एतराज करे जा रहले हल, लेकिन पतरका के चेहरा पर कुछ एतना श्रद्धा, मधुरता आउ सम्मान के अम्लता के झलक हलइ कि निजी सलाहकार (प्रिवी काउंसिलर) के मन खट्टा हो गेलइ । ऊ पतरका के सामने से अपन मुँह मोड़ लेलकइ आउ विदा होवे लगी अपन हाथ आगू बढ़इलकइ ।
पतरका तीन अँगुरी दबइलकइ, समुच्चे शरीर के झुकाके सम्मान प्रकट कइलकइ आउ दब्बल हँसी हँसलइ, एगो चीनी अदमी नियन - "ही-ही-ही" । ओकर घरवली मुसकइलइ । नफ़नाइल अपन गोड़ रगड़लकइ आउ ओकर टोपी निच्चे गिर गेलइ । तीनो खुशी के मारे स्तब्ध हलइ ।
   
1883
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Table of Ranks in the Russian Empire

Forms of address in the Russian Empire


Friday, August 24, 2018

चेख़व के हास्य कहानी - 1. खुशी


1.  खुशी
(मूल रूसी - Радость )
रात के बारह बज रहले हल ।
मित्या कुलदारोव, जेकर बाल उझरल हलइ, जोश में अपन माय-बाप के फ्लैट में गेलइ आउ तेजी से सब्भे कमरा में घुम्मे लगलइ । ओकर माय-बाप सुत चुकले हल । बहिन बिछौना पर पड़ल हलइ आउ उपन्यास के अंतिम पृष्ठ पढ़ रहले हल । स्कूल जाय वलन ओकर भाय सब सुत्तल हलइ ।
"काहाँ से आब करऽ हीं ?" अचरज से ओकर माय-बाप पुछलकइ । "तोरा की हो गेलो ह ?"
"ओह, नयँ पुच्छऽ ! हमरा बिलकुल आशा नयँ हले ! नयँ, हम बिलकुल आशा नयँ करऽ हलिअइ ! ई ... ई तो विश्वास के लायक नयँ हइ !"
मित्या जोर से हँस्से लगलइ आउ अराम कुरसी में बैठ गेलइ, खुशी के मारे ऊ अपन गोड़ पर स्थिर खड़ी नयँ रह पा रहले हल ।
"ई तो बिलकुल अविश्वसनीय हइ ! तोहन्हीं तो कल्पनो नयँ कर सकऽ हो ! देखहो !"
ओकर बहिन बिस्तर पर से उछल पड़लइ आउ कंबल ओढ़के भइवा भिर अइलइ । स्कूल जाय वला भइवन जग गेलइ ।
"तोरा की हो गेलो ह ? तोर चेहरा तो पीयर पड़ गेलो ह !"
"अइसन तो हमरा खुशी के मारे हो गेले ह, माय ! अब तो हमरा समुच्चे रूस जानऽ हइ ! समुच्चे ! पहिले खाली तोहन्हिंएँ जन्नऽ हलहो कि ई दुनियाँ में एगो कॉलेज रजिस्ट्रार द्मित्री कुलदारोव हइ, लेकिन अब तो एकरा बारे समुच्चे रूस जन्नऽ हइ ! प्यारी माय ! हे भगमान !"
मित्या उछल पड़लइ, सब्भे कमरा में दौड़ल गेलइ आउ फेर से बैठ गेलइ ।
"अरे तोरा की हो गेलो ह ? साफ-साफ बता न !"
"तोहन्हीं तो जंगली जनावर नियन रहऽ हो, अखबार-उखबार नयँ पढ़ऽ हो, प्रकाशित सामग्री पर कोय ध्यान नयँ दे हो, लेकिन अखबार में केतना सारा रोमांचक चीज होवऽ हइ ! अगर कुछ होवऽ हइ, त अब सब कुछ मालुम पड़ जा हइ, कुच्छो छिप्पल नयँ रहऽ हइ ! हम केतना भगसाली (भाग्यशाली) हकूँ ! हे भगमान ! अखबार में तो नामी-गिरामी लोग के बारे छापल जा हइ, आउ हियाँ परी हम्मर बात लेते गेलइ आउ हमरा बारे छापते गेलइ !"
"की बोलब करऽ हीं ? काहाँ परी ?"
ओकर प्यारा बाप तो पीयर पड़ गेलइ । प्यारी मइया प्रतिमा (image) दने तकलकइ आउ क्रॉस कइलकइ । इस्कुलिया भइवन उछल पड़ते गेलइ, आउ जइसन हलइ - रात के छोटका कमीज में - ओइसीं अपन बड़का भइवा बिजुन अइते गेलइ ।
"जी हाँ ! हमरा बारे छपले ह ! अब हमरा बारे समुच्चे रूस जानऽ हइ ! तूँ, माय, (अखबार के) ई अंक के आदगार के रूप में नुकाके रख ! कभी पढ़ते जइबइ । देखहीं !"
मित्या अपन जेभी से अखबार के अंक निसलकइ, बाऊजी के देलकइ आउ नीला पेंसिल से घेरल जगहा भिर अँगुरी से इशारा कइलकइ ।
"पढ़हो !"
ओकर बाप चश्मा चढ़इलकइ ।
"पढ़हो तो !"
मइया प्रतिमा दने तकलकइ आउ क्रॉस कइलकइ । बाऊ खोंखलकइ आउ पढ़े लगलइ -
"29 दिसंबर, रात के एगारऽ बजे कॉलेज रजिस्ट्रार द्मित्री कुलदारोव ..."
"देखलहो, देखऽ हो ? आगू !"
"... कॉलेज रजिस्ट्रार द्मित्री कुलदारोव, मालयऽ ब्रोन्नयऽ स्ट्रीट में कोज़िख़िन के घर में बीयर के कलाली से निकसते बखत आउ पीके नीसा में धुत्त ..."
"ई हम्मे हलिअइ, सिम्योन पित्रोविच के साथ ... सब कुछ, छोट्टे से छोट्टे बात, के विस्तृत विवरण देल हइ ! जारी रखहो ! आगू ! सुनहो !"
"... आउ पीके नीसा में धुत्त, फिसल गेलइ आउ हियाँ परी खड़ी घोड़वा के निच्चे गिर पड़लइ, जेकर मालिक हइ कोचवान इवान द्रोतोव, जे दुरिकिना गाम, यूख़नोव्स्की जिला के एगो किसान हइ । भयभीत होल घोड़वा, कुलदारोव के उपरे से छलाँग लगाके आउ बरफगाड़ी (sleigh) के ओकरा पर से होते घसीटते स्ट्रीट पर तेजी से चल गेलइ । ऊ बरफगाड़ी में दोसरका गिल्ड (guild) के मास्को के बेपारी स्तेपान लुकोव हलइ । ई गाड़ी के दरबान लोग रोकलकइ । कुलदारोव के, जे शुरूआत में बेहोशी के हालत में हलइ, थाना ले जाल गेलइ आउ डागडर ओकरा जाँच कइलकइ । जे चोट ओकर माथा के पीछू लगले हल ... "
"ई चोट हमरा गाड़ी के बम से लगले हल, बाऊजी । आगू ! आगू पढ़हो !" (बम - गाड़ी के आगू दने निकसल लकड़ी आदि के लट्ठा जेकरा से घोड़ा के जोतल जा हइ)
"... जे चोट ओकर माथा के पीछू लगले हल, ऊ हलका हलइ । ई घटना के बारे रपट तैयार कइल गेलइ । दुर्घटनाग्रस्त के चिकित्सा सहायता देल गेलइ ..."
"हमर माथा के पिछला हिस्सा पर ठंढा पानी से भिंगावे के औडर कइल गेलइ । पढ़लहो न अभी ? अयँ ? त ई बात हलइ ! त ई समाचार समुच्चे रूस में फैल गेलइ ! हियाँ द हमरा !"
मित्या अखबार धर लेलकइ, एकरा मोड़के तह कइलकइ आउ जेभी में रख लेलकइ ।
"दौड़ल मकरोव हियाँ जइबइ आउ ओकरा देखइबइ ... हमरा इवानित्स्की के भी देखावे के हइ, नताल्या इवानोव्ना, अनिसीम वसिल्यिच के ... दौड़ल जा हियो ! अलविदा !"
मित्या बैज लगल टोपी पेन्हलकइ, आउ विजयी, प्रफुल्लित होल स्ट्रीट पर दौड़ल चल गेलइ ।
                                                             प्रथम प्रकाशित – 1883

Monday, July 09, 2018

"त हमन्हीं के आखिर कीऽ करे के चाही ?" - अध्याय-02


2.

जब हम ई शहरी गरीबी के बारे शहर के लोग से बात कइलिअइ त हमरा हमेशे कहल गेलइ - "ओ ! जे अपने देखलथिन ई सब तो कुच्छो नयँ हइ । अपने ख़ित्रोव बजार आउ हुआँ के लोकल रैनबसेरा (doss-houses) में घुमके देखथिन । हुआँ परी अपने के वास्तविक "सुनहरा कंपनी" (अर्थात् बिलकुल कंगाल लोग के जमघट) देखे लगी मिलतइ । एगो विदूषक हमरा से बोललइ कि ई तो अभी कंपनी नयँ रह गेले ह, बल्कि एगो सुनहरा रेजिमेंट बन चुकले ह - काहेकि ओकन्हीं के संख्या एतना जादे हइ । विदूषक के कहना सच हलइ, लेकिन ऊ आउ अधिक सच होते हल अगर ऊ कहते हल कि अइसनकन लोग के मास्को में अभी न कंपनी हइ, न रेजिमेंट, बल्कि एकन्हीं के पूरा सेना हइ, हमरा लगऽ हइ कि लगभग 50 हजार होतइ । शहर के पुरनकन वाशिंदा लोग जब हमरा शहरी गरीबी के बारे बतइते जा हलथिन, त हमेशे ई बात के कुछ खुशी के साथ बतवऽ हलथिन, मानूँ हमरा सामने गौरव महसूस करऽ हलथिन कि उनकन्हीं के ई बात के जनकारी हइ । हमरा आद पड़ऽ हइ जब हम लंदन गेलिए हल त हुआँ के बूढ़ा-पुरनियाँ लंदन के गरीबी के बारे बोलते बखत मानूँ गौरव अनुभव करऽ हलथिन । जइसे उनकन्हीं कहे लगी चाहऽ हलथिन, देखहो, हमरा हीं कइसन हालत हइ ।
आउ हमरा ई सब गरीबी के देखे के मन कइलकइ, जेकरा बारे हमरा बतावल गेलइ । कइएक तुरी हम ख़ित्रोव मार्केट दने जाय लगी रवानो होलिअइ, लेकिन हरेक तुरी हमरा भयंकर आउ शरमनाक अनुभव होलइ । "काहे लगी हम लोग के दुख-दर्द देखे लगी जइअइ, जेकन्हीं के हम मदत नयँ कर सकऽ हिअइ ?" एक अवाज कहलकइ। "नयँ, अगर तूँ हियाँ रहऽ हीं आउ शहरी जीवन के सब सुख-सुविधा देखऽ हीं, त जाहीं, आउ एहो देखहीं", दोसर अवाज कहलकइ ।
आउ अइकी तेसरा साल के दिसंबर महिन्ना में, कनकन्नी आउ तूफानी दिन में, हम शहरी गरीबी के ई केन्द्र, ख़ित्रोव मार्केट, दने चल पड़लिअइ । ई कामकाजी दिन हलइ, चार बजे के लगभग । जब सोल्यान्का स्ट्रीट से गुजरब करऽ हलिअइ, त हम अधिकाधिक लोग के विचित्र बस्तर में, जे ओकन्हीं के अप्पन बस्तर नयँ हलइ, आउ आउ अधिक विचित्र जुत्ता में, विशेष ढंग के रोगियाहा रूप-रंग आउ मुख्य रूप से, पूरे वातावरण के तरफ ओकन्हीं सब्भे के सामान्य रूप से उदासीनता (indifference)  नोटिस करे लगलिअइ । सबसे विचित्र, कउनो से नयँ मेल खाय वला बस्तर में एगो अदमी बिलकुल निफिक्किर होल जाब करऽ हलइ, स्पष्टतः ई बात के ओकरा कोय विचार दिमाग में नयँ हलइ कि ऊ दोसरा लोग के देखे में कइसन लगतइ । अइसनकन सब्भे लोग एक्के दिशा में जाब करऽ हलइ । रस्ता के बारे बिन पुछले, जे हम नयँ जानऽ हलिअइ, हम ओकन्हीं के पीछू-पीछू चल पड़लिअइ आउ बाहर ख़ित्रोव मार्केट में अइलिअइ । मार्केट में ओइसने औरतियन छेदे-छेद होल कपोत (house-coat), सलोप (women's coat), जैकेट, जुत्ता आउ गलोश (रबर के जलसह लमगर जुत्ता) आउ अपन पोशाक के भद्दापन के बावजूद ओतने स्वच्छंद, बूढ़ी आउ जवान, बैठल हलइ, कुछ तो बेचब करऽ हलइ, एन्ने-ओन्ने घुम्मब करऽ हलइ आउ गरियाब करऽ हलइ । मार्केट में बहुत कम लोग हलइ । स्पष्टतः मार्केट के समय खतम हो चुकले हल, आउ अधिकतर लोग मार्केट से होके पहाड़ी पर चढ़के जाब करऽ हलइ, सब कोय एक्के दिशा में । हम ओकन्हीं के पीछू-पीछू गेलिअइ । जेतने दूर आगू हम जइअइ, ओतने जादे ओइसनकन लोग एक्के रस्ता पर चलते नजर आवइ । मार्केट से होके गुजरते आउ स्ट्रीट से उपरे जइते, हम दू गो औरतियन तक पहुँच गेलिअइः एगो बूढ़ी आउ एगो जवान । दुन्नु कइसनो फट्टल-फुट्टल आउ हलका भूरा रंग के बस्तर में। ओकन्हीं चलते-चलते कुछ तो काम के बारे बतिआब करऽ हलइ ।
हरेक आवश्यक शब्द के बाद एगो चाहे दू गो अनावश्यक, अत्यंत अनुचित शब्द बोलल जा रहले हल । ओकन्हीं पीयल तो नयँ हलइ, कोय बात से चिंतित हलइ, आउ ओकन्हीं से भेंट हो जाय वलन, आउ ओकन्हीं से पीछू आउ आगू के मरद लोग, हमरा लगी ओकन्हीं के ई विचित्र बात दने कोय ध्यान नयँ देब करऽ हलइ । ई सब जगह में स्पष्टतः हमेशे अइसन बात करते जा हलइ । बामा करगी प्राइवेट रैनबसेरा हलइ, आउ कुछ लोग हियाँ रुक गेते गेलइ, जबकि दोसर लोग आगू बढ़ गेते गेलइ । पहाड़ी पर चढ़ते जइते बखत हमन्हीं कोना पर के एगो बड़गो घर भिर पहुँचते गेलिअइ । हमरा साथ जाय वला लोग में से अधिकतर ई घर भिर रुक गेते गेलइ । ई घर के समुच्चे फुटपाथ पर आउ स्ट्रीट के बरफ पर सब्भे ओइसनके लोग खड़ी आउ बैठल हलइ । प्रवेश-द्वार के दहिना दने - औरतानी, बामा दने - मरदानी । हम औरतियन भिर से गुजरलिअइ, मरद लोग भिर से गुजरलिअइ (कुल ओकन्हीं कइएक सो हलइ) आउ हुआँ रुक गेलिअइ, जाहाँ परी ओकन्हीं के कतार खतम होवऽ हलइ । ऊ घर, जाहाँ परी ई सब लोग इंतजार करब करऽ हलइ, हलइ ल्यापिन निःशुल्क रैनबसेरा। लोग के भीड़ रैनबसेरा में रात गुजारे वला हलइ आउ अंदर जाय देवे के इंतजार में हलइ । 5 बजे साँझ के दरवाजा खुल्लऽ हइ आउ लोग के अंदर जाय देवल जा हइ । लगभग ऊ सब्भे लोग, जेकन्हीं तक पीछू-पीछू अइलिए हल, हिएँ परी आब करऽ हलइ ।
हम हुआँ रुकलिअइ, जाहाँ परी मरद लोग के कतार खतम होवऽ हलइ । हमर सबसे नगीच वला लोग हमरा दने तक्के लगलइ आउ अपन नजर से हमरा घिंच्चे लगलइ । ई सब के देह के ढँक्के वला फट्टल-फुट्टल बस्तर कइएक तरह के हलइ । लेकिन ई सब लोग के हमरा दने निर्दिष्ट नजर के अभिव्यक्ति बिलकुल एक्के नियन हलइ । सब्भे नजर में ई प्रश्न के अभिव्यक्ति हलइ - "काहे लगी, दोसर दुनियाँ वला अदमी, तूँ हियाँ हमन्हीं भिर आके रुकलहीं? तूँ केऽ हकहीं? कहीं तूँ ऊ स्वयं-संतुष्ट धनी व्यक्ति तो नयँ, जे हमन्हीं के गरीबी पर खुशी मनावे लगी चाहऽ हइ, जे अपन उकताहट से ध्यान हटावे लगी चाहऽ हइ आउ हमन्हीं के सतावे लगी चाहऽ हइ ? चाहे कहीं तूँ ऊ हीं, जेकर न तो अस्तित्व हइ आउ न हो सकऽ हइ - अदमी जेकरा हमन्हीं पर तरस आवऽ हइ?" सब के चेहरा पर ई सवाल हलइ। हमरा दने तक्कइ, नजर मिलावइ आउ मुड़ जाय। हमरा केकरो साथ बतियाय के मन कर रहले हल, आउ हम देर तक निर्णय नयँ कर पा रहलिए हल। लेकिन जबकि हमन्हीं चुप हलिअइ, हमन्हीं के नजर हमन्हीं के नगीच ला चुकले हल। जिनगी हमन्हीं के चाहे केतनो अलगे कइले रहइ, दू-तीन नजर मिलला पर हमन्हीं अनुभव कइलिअइ कि हमन्हीं दुन्नु अदमी हिअइ आउ एक दोसरा से डरना भूल गेते गेलिअइ। हमर सबसे नगीच खड़ी हलइ सुज्जल चेहरा आउ लाल दाढ़ी वला एगो मुझीक, जे फट्टल-फुट्टल कफ्तान में आउ अपन नंगा गोड़ में फट्टल गलोश (galoshes) पेन्हले हलइ। तापमान -80 रोमर (-100 सेंटीग्रेड) हलइ । हमर ओकरा साथ तेसर या चौठा बेरी नजर मिललइ आउ हम ओकरा साथ अइसन नगीची अनुभव कइलिअइ कि ओकरा साथ बातचीत शुरू करे में शरम के बात नयँ हलइ, बल्कि ओकरा साथ कुछ नयँ बोलना शरम के बात हलइ । हम पुछलिअइ कि ऊ काहाँ से अइले ह । ऊ खुशी से जवाब देलकइ आउ बातचीत करे लगलइ; दोसर लोग आउ नगीच चल अइते गेलइ । ऊ स्मोलेन्स्क के हलइ, काम के खोज में अइले हल ताकि अपन रोजी-रोटी कमा सकइ आउ टैक्स चुका सकइ । "कोय रोजगार नयँ", ऊ बोलऽ हइ, "सैनिक लोग आझकल सब्भे काम ले लेते गेलइ । ओहे से अइकी हम मारल-फिरल बुलऽ हिअइ । भगमान कसम, दू दिन से हम कुछ नयँ खइलिए ह", ऊ सतर्कतापूर्वक बोललइ, मुसकाय के प्रयास करते । स्बितेन (sbiten - पानी, मध आउ मसाला से बन्नल एगो गरम पेय) के बिक्रेता, एगो पुरनका सैनिक हिएँ परी खड़ी हलइ । हम ओकरा बोलइलिअइ। ऊ एक गिलास स्बितेन ढरलकइ । मुझीक गरम गिलास अपन हाथ में लेलकइ आउ पीए के पहिले, एकर गरमी कहीं बेकार में बरबाद नयँ हो जाय, एकरा से अपन हाथ गरम कइलकइ । हाथ गरम करते-करते ऊ अपन साहसिक कार्य के बारे बतइलकइ । साहसिक कार्य या साहसिक कार्य से संबंधित कहानी लगभग सब्भे एक्के ढंग के होवऽ हलइ - एगो छोटगर काम हलइ, फेर समाप्त हो गेलइ, आउ हियाँ रैनबसेरा में पैसा आउ टिकट (पासपोर्ट) सहित बटुआ चोरी हो गेलइ । अब मास्को से बाहर जाल नयँ जा सकऽ हलइ । ऊ कहलकइ कि दिन में ऊ कलाली में खुद के गरम करऽ हइ, कलाली में जे कुछ ब्रेड के टुकड़ा मिल जा हइ ओहे खाके रहऽ हइ; कभी दे देते जा हइ, कभी भगा देते जा हइ । हियाँ ल्यापिन रैनबसेरा में फोकट में रात गुजारऽ हइ । इंतजार करब करऽ हइ पुलिस के छापा के, जे पासपोर्ट नयँ रहे के कारण ओकरा पकड़के जेल में डाल देतइ आउ एताप पर (etape - मार्गरक्षक के अधीन बाकी लोग के साथ पैदल) ओकरा अपन गाँव भेज देतइ। "लोग के कहना हइ कि छापा बेहस्पत के होतइ", ऊ कहलकइ, "तखने पुलिस पकड़ लेतइ । त खाली बेहस्पत के पहिले तक हियाँ रहना हो सकतइ ।" [जेल आउ एताप ओकरा लगी प्रतिज्ञात भूमि (Promised Land) हइ ।]
जब ऊ ई बात बता रहले हल, त भीड़ में से तीन अदमी ओकर बात के पुष्टि कइलकइ आउ कहलकइ कि ओकन्हिंयों के हालत बिलकुल एहे हइ ।
एगो दुब्बर-पातर युवक, पीयर, लमगर नाक वला, शरीर के बाहरी हिस्सा पर खाली एगो कमीज में, जे कन्हा पर फट्टल हलइ, आउ बिन छज्जा वला टोपी में, भीड़ के चीरते हमरा दने अइलइ । ऊ ठंढी के चलते लगातार जोर-जोर से काँप रहले हल, लेकिन मुझीक के बात पर घृणापूर्वक मुसकाय के प्रयास कइलकइ, ई तरह से हमर टोन में आवे के आशा करते आउ हमरा दने तकते रहलइ । हम ओकरो एक गिलास स्बितेन पेश कइलिअइ। ओहो गिलास लेके ओकरा से हाथ सेंकलकइ आउ कुछ बोलहीं लगी शुरू कइलकइ कि ओकरा बगल में ढकेल देलकइ एगो लमछड़, कार, हुकदार नाक वला अदमी, जे छींट के कमीज आउ वेस्टकोट में, लेकिन बिन टोपी के हलइ । हुकदार नाक वला अदमी भी स्बितेन मँगलकइ । फेनु अइलइ कमर बिजुन रस्सी से बान्हल ओवरकोट में, छाल के जुत्ता पेन्हले, नीसा में धुत्त, फानाकार (wedge-shaped) दाढ़ी वला एगो लमछड़ बुढ़उ । फेनु अइलइ सुज्जल चेहरा आउ पनियाल आँख वला एगो छोटगर अदमी, जे भूरा रंग के नानकीन जैकेट में हलइ आउ ओकर ग्रीष्मकालीन पतलून के भुड़वन से देखाय देब कर रहल दुन्नु टेहुना ठंढी से दलदलइते एक दोसरा से टकरा रहले हल । कँपकँपाहट के चलते ऊ गिलास के स्थिर नयँ रख पइलकइ आउ खुद पर छलका लेलकइ। लोग ओकरा बुरा-भला कहे लगलइ । ऊ खाली करुणापूर्वक मुसकइलइ आउ कँपते रहलइ । फेर अइलइ टुट्टल-फुट्टल जुत्ता पेन्हले चिथड़ा में एगो कुबड़ा अपाहिज, फेनु अइसन अदमी जे देखे में अफसर नियन लगऽ हलइ, फेनु अइसन अदमी जे पादरी नियन हलइ, फेनु एगो विचित्र नकटा अदमी - ई सब्भे भुक्खल आउ ठंठी से ठिठुरल, मिन्नत करते नम्रतापूर्वक हमरा चारो दने से घेर लेलकइ आउ स्बितेन लगी हमर आउ नगीच आ गेते गेलइ । ओकन्हीं स्बितेन पीके ओरिया देते गेलइ । एक अदमी पैसा मँगलकइ, हम दे देलिअइ । फेर दोसरा मँगलकइ, तेसरा आउ पूरा भीड़ हमरा घेर लेलकइ । अव्यवस्था आउ धक्कामुक्की चालू हो गेलइ । पड़ोस के घर के दरबान भीड़ पर चिल्लइलइ कि ओकर घर के सामने के फुटपाथ खाली कर देते जाय आउ भीड़ ओकर औडर के तुरते मान लेते गेलइ । भीड़ में से संचालक लोग आगू अइते गेलइ आउ हमरा अपन संरक्षण में ले लेते गेलइ - हमरा धक्कामुक्की से बाहर लावे लगी चहलकइ, लेकिन भीड़, जे पहिले फुटपाथ के किनारे-किनारे फैल गेते गेले हल, अब पूरा अव्यवस्थित हो गेलइ आउ हमरा दने जौर होवे लगलइ । सब कोय हमरा दने तक्के लगलइ आउ भीख माँगे लगलइ; आउ एक चेहरा दोसरा से अधिक दयनीय, निढाल आउ दीन-हीन हलइ । हमरा हीं जे कुछ हलइ ऊ सब दे देलिअइ । हमरा हीं पैसा थोड़हीं हलइ - एहे लगभग 20 रूबल, आउ हम भीड़ के साथ रैनबसेरा में प्रवेश कइलिअइ । रैनबसेरा अच्छा बड़गर हइ । एकरा में चार भाग हइ । उपरौका तल्ला पर मरदानी, आउ निचलौका पर औरतानी के । सबसे पहिले हम औरतानी वला भाग में प्रवेश कइलिअइ; बड़गर कमरा हइ जे पूरा बिछौना से भरल हइ, तेसरा दर्जा के रेलगाड़ी के डिब्बा नियन । बिछौना सब दू तल्ला करके सजावल हइ - उपरे आउ निच्चे । विचित्र, एक्के चिथड़ा बस्तर में, बूढ़ी आउ नौजवान औरतियन अंदर प्रवेश करते गेलइ आउ अपन-अपन जगह पर गेते गेलइ, कुछ निच्चे आउ कुछ उपरे । कुछ बुढ़ियन क्रॉस के चिह्न बनइते गेलइ आउ ई अनाथाश्रम बनावे वला लगी प्रार्थना करते गेलइ, जबकि कुछ लोग हँसलइ आउ बुरा-भला कहलकइ । हम उपरौला तल्ला पर गेलिअइ । हुओं परी मरद लोग अपन-अपन जगह पर गेते गेलइ; ओकन्हीं बीच एगो ओकरो देखलिअइ जेकरा हम पैसा देलिए हल । ओकरा देखके हमरा अचानक बहुत शरमिंदगी महसूस होलइ, आउ हम बाहर निकस जाय लगी जल्दीबाजी कइलिअइ । आउ एगो पक्का अपराध के अनुभव करते हम ई घर से बाहर निकस गेलिअइ आउ घर रवाना हो गेलिअइ । घर पर दरी लग्गल जीना से होके ड्योढ़ी में प्रवेश कइलिअइ, जेकर फर्श कपड़ा से आच्छादित हलइ, आउ फ़र-कोट उतारके पाँच कोर्स वला डिनर लगी बैठ गेलिअइ, जेकरा में दू गो नौकर ड्रेस कोट, उज्जर टाई आउ उज्जर दस्ताना में भोजन परोसे वला हलइ ।
तीस साल पहिले हम पेरिस में देखलिअइ कि कइसे हजारो दर्शक के बीच एगो अदमी के सिर गिलटिन (guillotine) से काट देवल गेलइ । हम जानऽ हलिअइ कि ई अदमी एगो भयंकर अपराधी हइ; हम ऊ सब तर्क के बारे जानऽ हलिअइ जे एतना शताब्दी से अइसन अपराध लगी ई तरह के कार्रवाई करे के पक्ष में लोग लिख रहते गेले ह; हम जानऽ हलिअइ कि ई जानबूझके आउ सोद्देश्य कइल जा रहले ह; लेकिन ऊ पल, जब सिर आउ शरीर अलगे हो गेलइ आउ बक्सा में गिर गेलइ, तब हमरा आह निकस गेलइ आउ विवेक से चाहे हृदय से नयँ, बल्कि अपन पूरे अस्तित्व (being) से अनुभव कइलिअइ कि ऊ सब्भे तर्क, जे हम मृत्यु दंड के बारे सुन रहलिए हल, निर्दय बकवास हइ; कि ई हत्या करे खातिर चाहे केतनो लोग एक जगुन जामा होते गेले होत, चाहे खुद के कुच्छो कहते जाय, हत्या संसार में सबसे घोर अपराध हइ; कि ई पाप हमर आँख के सामने कइल गेलइ । हम अपन उपस्थिति से आउ दखल नयँ देवे के चलते हम ई पाप के अनुमोदन कइलिअइ आउ एकरा में भाग लेलिअइ । ओइसीं अभी, ई भूख, ठंढी आउ हजारो लोग के अपमान के सामने, हम विवेक से चाहे हृदय से नयँ, बल्कि अपन पूरे अस्तित्व से अनुभव कइलिअइ कि मास्को में दसो हजार अइसन लोग के अस्तित्व - तब जबकि अन्य हजारो लोग के साथ हम फ़िलेट आउ स्टर्जन (fillet and sturgeon) के मांस रज-रजके खइते जा हिअइ आउ अपन घोड़वन के आउ फर्श के कपड़ा से चाहे दरी से आच्छादित करते जा हिअइ, तब चाहे दुनियाँ के सब्भे विद्वान लोग हमरा एकर अनिवार्यता के बारे कुच्छो बोलइ - एगो अपराध हइ, एक तुरी कइल नयँ, बल्कि लगातार कइल जा रहल अपराध, कि हम अपन ठाट-बाट के साथ एकर अनदेखी करते जा हिअइ बल्कि एकरा में सीधे भागीदार हकिअइ । हमरा लगी मस्तिष्क पर पड़ल ई दुन्नु छाप में भेद बस एतने हलइ कि हुआँ परी हम खाली एतने कर सकऽ हलिअइ कि हत्या के प्रबंध कइले गिलटिन भिर खड़ी ऊ हत्यारा लोग के तरफ चिल्लइतिए हल कि ओकन्हीं गलत काम करब करऽ हइ आउ यथासंभव दखल देवे के प्रयास करतिए हल । लेकिन अइसन करतहूँ हमरा पहिलहीं से ई पता होते हल कि हमर ई हरक्कत से हत्या रुक नयँ सकतइ । आउ हियाँ परी हम खाली स्बितेन आउ खाली ऊ नगण्य पैसा नयँ दे सकऽ हलिअइ, जे हमरा पास हलइ, बल्कि अपन ओढ़ले ओवरकोट आउ ऊ सब कुछ जे हमर घर में हइ  । लेकिन हम अइसन नयँ कइलिअइ आउ ओहे से अनुभव कइलिअइ, अनुभव करऽ हिअइ, आउ तब तक लगातार कइल जा रहल अपराध के भागीदारी अनुभव करना नयँ बंद करबइ, जब तक हमरा पास अतिरिक्त भोजन रहतइ आउ दोसरा के पास बिलकुल कुछ नयँ रहतइ, हमरा हीं दू पोशाक रहतइ आउ केकरो पास एक्को नयँ रहतइ ।


Monday, June 04, 2018

"त हमन्हीं के आखिर कीऽ करे के चाही ?" - अध्याय-01


त हमन्हीं के आखिर कीऽ करे के चाही ?
आउ लोग ओकरा पुछलकइ, त हमन्हीं के कीऽ करे के चाही ? आउ ऊ जवाब में कहलकइ - जेकरा पास दू पोशाक हइ, ऊ ओकरा देइ जेकरा पास नयँ हइ; आउ जेकरा पास भोजन हइ, ओहो ओहे करइ । (ल्यूक, 3.10-11)
अपना लगी पृथ्वी पर खजाना जामा नयँ करऽ, जाहाँ परी फटिंगा आउ जंग बरबाद कर दे हइ आउ जाहाँ परी चोर सब सेंध लगाके चोरा लेते जा हइ ।
बल्कि अपना लगी स्वर्ग में खजाना जामा करऽ, जाहाँ परी न फटिंगा आउ न जंग बरबाद करऽ हइ आउ जाहाँ परी चोर सब सेंध लगाके चोरा नयँ पावऽ हइ । काहेकि जाहाँ परी तोहर खजाना हको, हुएँ परी तोहर मन रहतो ।
शरीर के दीपक आँख होवऽ हइ । ओहे से अगर तोहर आँख साफ रहतो, त तोहर पूरा शरीर प्रकाशित रहतो ।
लेकिन अगर तोहर आँख खराब होतो, त पूरा शरीर अन्हार रहतो । ओहे से, अगर प्रकाश जे तोहरा में हको, अगर अन्हार होतो त कइसन अन्हार ?
(एक्के साथ) दू मालिक के कोय नयँ सेवा कर सकऽ हइ; काहेकि या तो एगो से नफरत करतइ, आउ दोसरा के प्यार, चाहे एगो लगी समर्पित रहतइ, आउ दोसरा के खियाल नयँ कर पइतइ ।  भगमान आउ धन दुन्नु के एक साथ सेवा नयँ कर सकऽ हो ।
ओहे से हम तोहरा से कहऽ हियो - अपन आत्मा के चिंतन छोड़ऽ कि तोहरा कीऽ खाय के हको आउ कीऽ पीए के, आउ न अपन देह के फिकिर करऽ कि कीऽ पेन्हे के चाही । कीऽ आत्मा भोजन से अधिक महत्त्वपूर्ण नयँ हइ आउ शरीर पोशाक से?
ओहे से चिंता मत करऽ आउ ई मत बोलऽ - हम कीऽ खाम ? चाहे हम कीऽ पीयम ? चाहे हम कीऽ पेन्हम ?
काहेकि विधर्मी लोग ई सब खोजऽ हइ; आउ काहेकि स्वर्ग में रहे वला तोहर पिता जानऽ हथुन कि तोहरा ई सब के जरूरत हको ।
ओहे से सबसे पहिले भगमान के राज्य आउ उनकर सत्य के खोज करऽ, आउ ई सब चीज तो तोरा अइसीं दे देल जइतो । (मैथ्यू, 6.19-25, 31-34)
काहेकि एगो ऊँट के सूई के छेद से होके गुजर जाना कहीं अधिक असान हइ, बनिस्पत एगो धनमान के भगमान के राज्य में प्रवेश करे के । (मैथ्यू, 19.24; ल्यूक, 18.25; मार्क, 10.25)


1.

हम जिनगी भर शहर में नयँ रहलूँ हल । जब हम सन् 1881 में मास्को में रहे लगी अइलूँ, त हमरा शहर के गरीबी अचरज में डाल देलक । गाँव के गरीबी से हम परिचित हकूँ; लेकिन  शहर के गरीबी हमरा लगी नावा आउ अनजान हल । मास्को में अइसन कोय रोड से नयँ गुजरल जा सकऽ हइ, जेकरा पर भिखारी से भेंट नयँ होवइ, आउ खास करके ऊ भिखारी, जे ग्रामीण भिखारी नियन नयँ रहइ । ई सब भिखारी - झोला के साथ आउ क्राइस्ट के नाम पर भीख माँगे वला भिखारी नयँ हइ, जइसन कि ग्रामीण भिखारी लोग खुद के बतइते जा हइ, बल्कि बिन झोला आउ बिन क्राइस्ट के नाम वला भिखारी हइ । मास्को के भिखारी सब न तो झोला रक्खऽ हइ आउ न भीख माँगऽ हइ । अधिकांश में ओकन्हीं, भेंट होवे बखत चाहे खुद भिर से अपने के गुजरे देवे बखत, खाली अपने के साथ आँख से आँख मिलाके भेंट करे के प्रयास करऽ हइ । आउ अपने के नजर के आधार पर ओकन्हीं माँगतइ चाहे नयँ । भद्रजन (gentry) में से अइसन एगो भिखारी के बारे हमरा मालुम हइ । बुढ़उ धीरे-धीरे चल्लऽ हइ, हरेक कदम पर झुकते । जब ओकरा अपने साथ भेंट होतइ, त ऊ अपन एक गोड़ पर झुक जइतइ आउ लगतइ कि ऊ अपने के सलाम कर रहले ह । अगर अपने रुक जा हथिन, त ऊ कॉकेड टोपी (cockaded cap) उतार लेतइ, सलाम करतइ आउ भीख माँगतइ; आउ अगर अपने नयँ रुक्कऽ हथिन, त ऊ अइसन ढोंग करतइ कि अइसन ओकर चाले हइ, आउ ऊ आगू बढ़ जइतइ, ओइसीं दोसरा कदम पर झुकते। ई मास्को के एगो पढ़ल-लिक्खल वास्तविक भिखारी हइ । पहिले हमरा नयँ मालुम हलइ कि भिखरियन सब सीधे भीख काहे नयँ माँगऽ हइ, लेकिन बाद में समझ में अइलइ कि काहे ओकन्हीं नयँ माँगऽ हइ, लेकिन तइयो ओकन्हीं के परिस्थिति के बारे हम समझ नयँ पइलिअइ ।
एक तुरी, अफ़नास्येव गली से जइते बखत हम देखलिअइ कि एगो पुलिस के सिपाही, जलोदर से सुज्जल आउ चिथड़ा पेन्हले एगो मुझीक (देहाती/ किसान) के गाड़ी में बैठाब करऽ हइ ।  हम पुछलिअइ - "काहे लगी ?"
सिपाही हमरा उत्तर देलकइ - "भीख माँगे के कारण ।"
"की वास्तव में एकर निषेध हइ ?"
"लगऽ तो हइ कि निषेध हइ", सिपाही उत्तर देलकइ ।
जलोदर पीड़ित के गाड़ी में लेके चल गेते गेलइ । हम दोसर गाड़ी कइलिअइ आउ ओकन्हीं के पिछुअइलिअइ। हमरा जाने के मन कर रहले हल कि कीऽ ई बात सच हइ कि भीख माँगना वर्जित हइ, आउ हइ त कइसे ? हम कइसूँ समझ नयँ पइलिअइ कि एगो अदमी के दोसरा से कुछ माँगे के निषेध कइसे कइल जा सकऽ हइ, आउ एकरा अलावे, ई बात के विश्वास नयँ हो रहले हल कि भीख माँगे के निषेध हलइ, ओइसन हालत में जबकि मास्को भिखारी से भरल हइ ।
हम थाना में प्रवेश कइलिअइ, जाहाँ भिखरिया के ले जाल गेले हल । थाना में तलवार आउ पिस्तौल के साथ एगो अदमी टेबुल के पीछू बैठल हलइ । हम पुछलिअइ - "ई मुझीक के काहे लगी गिरफ्तार कइल गेलइ ?"
तलवार आउ पिस्तौल वला अदमी हमरा दने कठोरतापूर्वक देखलकइ आउ बोललइ - "अपने के एकरा से कीऽ मतलब हइ ?" तइयो, ई अनुभव करते कि हमरा कुछ न कुछ स्पष्टीकरण देहीं के चाही, ऊ आगू बोललइ - "प्राधिकारी अइसन लोग के गिरफ्तार करे के ऑडर दे हथिन; मतलब, अइसन करना जरूरी हइ ।"
हम चल गेलिअइ । ऊ सिपाही, जे भिखरिया के लइलके हल, प्रवेश-कक्ष के खिड़की के तलशिला (windowsill) पर बैठल उदास मुद्रा में एगो नोटबुक देखब करऽ हलइ । हम ओकरा पुछलिअइ - "कीऽ ई बात सच हइ कि क्राइस्ट के नाम पर भिखमंगवन के भीख माँगे के निषेध कइल हइ ?"
सिपाही होश में अइलइ, हमरा दने तकलकइ, फेर नाक-भौं त नयँ सिकुड़लइकइ, लेकिन फेर से निनारू होवे के ढोंग कइलकइ, आउ खिड़की के तलशिला पर बैठल-बैठल कहलकइ - "प्राधिकारी के ऑडर हइ - मतलब कि ई जरूरी हइ ।" आउ ऊ फेर से अपन नोटबुक में लीन हो गेलइ ।
हम बाहर ड्योढ़ी में कोचवान के पास गेलिअइ ।
"अच्छऽ, कीऽ होलइ ? की ओकरा गिरफ्तार कइल गेलइ ?" कोचवान के भी, लगऽ हइ, ई बात में रुचि हलइ।
"हाँ, गिरफ्तार कइल गेलइ", हम जवाब देलिअइ ।
कोचवान सिर हिलइलकइ ।
"कइसे ई तोहन्हीं हीं, मास्को में, क्राइस्ट के नाम पे भीख माँगना निषेध हइ ?" हम पुछलिअइ ।
"केऽ ओकन्हीं के जानऽ हइ !" कोचवान कहलकइ ।
"ई कइसन बात हइ", हम कहलिअइ, "कंगाल तो क्राइस्ट के लोग होवऽ हइ, आउ ओकरा थाना ले जाल जा हइ ?"
"अभी तो ई बात के रोक देवल गेले ह, इजाजत नयँ देल जा हइ", कोचवान कहलकइ ।
एकर बाद हम आउ कइएक बेरी देखलिअइ कि कइसे पुलिस भिखारी सब के थाना ले जा हइ आउ बाद में यूसुपोव दरिद्रालय (workhouse) । एक तुरी म्यास्नित्स्की स्ट्रीट पर अइसन भिखारी सब के भीड़ देखलिअइ, कोय तीस लोग के । आगू आउ पीछू पुलिस जा रहले हल । हम पुछलिअइ - "काहे लगी ?"
"भीख माँगे के चलते ।"
पता चललइ कि कानून के मोताबिक मास्को में ऊ सब्भे भिखारी लगी भीख माँगना निषिद्ध हइ, जेकन्हीं में से मास्को के हरेक स्ट्रीट में कइएक लोग से भेंट होवऽ हइ आउ हरेक चर्च के पास जेकन्हीं के कतार के कतार धार्मिक कृत्य (सर्विस) के दौरान आउ खास करके दफन के दौरान खड़ी रहऽ हइ ।
लेकिन काहे कुछ लोग के पकड़ल जा हइ आउ कहीं परी बंद कर देल जा हइ, जबकि दोसर लोग के छोड़ देल जा हइ? ई बात हम समझ नयँ पइलिअइ । या तो ओकन्हीं बीच कानूनी आउ गैरकानूनी भिखारी हइ, चाहे ओकन्हीं के संख्या एतना जादे हइ कि सबके पकड़ना असंभव हइ, चाहे जइसीं कुछ लोग के पकड़ल जा हइ कि दोसर सब फेर से पैदा हो जा हइ ? मास्को में भिखारी के कइएक प्रकार हइ - अइसनो हइ जे एकरे पर जीयऽ हइ; अइसनो वास्तविक भिखारी हइ, जे कोय कारण से मास्को चल अइलइ आउ वास्तव में कंगाल हइ।
ई सब भिखारी में से अकसर सरल किसान होते जा हइ, औरत आउ मरद दुन्नु, कृषक पोशाक में । अइसन लोग से हमरा अकसर भेंट होले ह ।  ओकन्हीं में से कुछ लोग हियाँ परी बेमार पड़ गेते गेलइ आउ अस्पताल से बाहर अइला पर न तो अपन पेट पाल सकऽ हइ आउ न मास्को से निकसके बाहर जा सकऽ हइ । एकरा अलावे, ओकन्हीं में से कुछ लोग रंगरेली मनावे लगलइ (अइसने हलइ शायद ऊ जलोदर पीड़ित अदमी) । कुछ लोग बेमार तो नयँ हलइ, लेकिन जेकर सब कुछ आग में जल गेलइ, चाहे बुढ़वन हइ, या बुतरू सब के साथ में औरतियन; जबकि कुछ लोग बिलकुल स्वस्थ हलइ, काम करे में सक्षम । ई सब बिलकुल स्वस्थ मुझीक, जे भीख माँगे वला हलइ, खास करके हमर ध्यान आकृष्ट कइलकइ । ई सब स्वस्थ, काम में सक्षम मुझीक-भिखारी हमर ध्यान आउ एहो कारण से आकृष्ट कइलकइ कि मास्को आवे के बखत से कसरत खातिर गोरैया पहाड़ी (Sparrow Hills) पर ऊ दू कृषक के साथ काम करे लगी जाय के हम आदत बना लेलिअइ, जे हुआँ परी आरा से लकड़ी चीरऽ हलइ । ई दुन्नु मुझीक बिलकुल ओइसने कंगाल हलइ, जइसन कि ओकन्हीं, जेकन्हीं से स्ट्रीट सब में हमरा भेंट होवऽ हलइ । एगो तो हलइ प्योत्र, सैनिक, कलुगा से, आउ दोसरा - मुझीक, सिम्योन, व्लादिमिर से । ओकन्हीं के पास कुछ नयँ हलइ, सिवाय तन पर कपड़ा आउ हाथ के । आउ ई हाथ से ओकन्हीं बहुत कठिन काम करके रोज 40 से 45 कोपेक अर्जित करऽ हलइ, जेकरा में से दुन्नु कुछ बचा लेते जा हलइ - कलुगा के प्योत्र भेड़ के खाल के कोट खातिर बचावऽ हलइ, आउ व्लादिमिर के सिम्योन ई लगी कि गाँव वापिस जाय खातिर पैसा जामा हो जाय । ओहे से अइसनकन लोग से स्ट्रीट में भेंट होला पर हम खास करके दिलचस्पी ले हलिअइ ।
काहे ओकन्हीं काम करते जा हइ, जबकि एकन्हीं भीख माँगऽ हइ ?
अइसन मुझीक से भेंट होला पर हम साधारणतः पुच्छऽ हलिअइ कि ऊ कइसे अइसन हालत में आ गेलइ । एक तुरी हमरा एगो स्वस्थ मुझीक से भेंट होवऽ हइ जेकर दाढ़ी उज्जर होवे लगले ह । ऊ भीख माँगऽ हइ; ओकरा पुच्छऽ हिअइ कि ऊ केऽ हइ, काहाँ से हइ । ऊ बोलऽ हइ कि ऊ कलुगा से काम लगी अइलइ । शुरू में काम मिललइ - पुराना लकड़ी के जलावन खातिर चीरे के काम । एक मालिक हीं एगो साथी के साथ लकड़ी चीरे के काम पूरा कर लेलकइ; फेर दोसर काम खोजलकइ, नयँ मिललइ, साथी ओकरा छोड़ देलकइ, आउ अब अइसीं दोसरा सप्ताह संघर्ष करब करऽ हइ, जे कुछ हलइ ऊ सब खा चुकले ह - अब न तो आरा आउ न कुल्हाड़ी खरदे लगी कुछ हइ । हम आरा खरदे लगी ओकरा पैसा दे हिअइ आउ ओकरा ऊ जगह के इशारा से बतावऽ हिअइ, जाहाँ परी काम पर आवे के चाही । हम पहिलहीं प्योत्र आउ सिम्योन के साथ बात पक्का कर लेलिए हल कि ओकन्हीं एगो आउ साथी के काम पर ले लेइ आउ ओकरा लगी एगो जोड़ी खोज देइ ।
"देखिहँऽ, आ जइहँऽ । हुआँ परी बहुत काम हउ ।"
"आ जइबइ, कइसे नयँ अइबइ ! की हमरा मन करतइ कि भीख माँगिअइ । हम काम कर सकऽ हिअइ ।" ऊ बोलऽ हइ।
मुझीक कसम खा हइ कि अइतइ, आउ हमरा लगऽ हइ कि ऊ धोखा नयँ देतइ आउ आवे के ओकर इरादा हइ।
दोसरा दिन हम दुन्नु परिचित मुझीक भिर आवऽ हिअइ । पुच्छऽ हिअइ, कीऽ ऊ मुझीक अइलइ । नयँ अइलइ। आउ ई तरह से कइएक लोग हमरा धोखा देलकइ । हमरा ओइसनो लोग धोखा दे हलइ, जे बोलऽ हलइ कि ओकरा खाली टिकट लगी पैसा के जरूरत हइ ताकि घर वापिस जा सकइ, आउ एक सप्ताह के बाद फेर से स्ट्रीट में मिल जा हलइ । ओकन्हीं में से कइए गो के हम पछान लेलिअइ आउ ओकन्हिंयों हमरा पछनलकइ आउ कभी-कभी, हमरा भुला चुकला पर, ओहे धोखा फेर दोहरइलकइ, आउ कभी-कभी हमरा देखके मुड़के चल गेलइ । त हम देखलिअइ कि एहो प्रकार के कइएक धोखेबाज हइ; लेकिन एहो सब धोखेबाज पर हमरा तरस आवऽ हलइ; ई सब हलइ - अर्द्धनग्न, निर्धन, दुब्बर-पातर, रोगियाहा लोग; ई ठीक ओहे सब हलइ जे वास्तव में ठिठुरके मर जा हइ चाहे फाँसी लगा ले हइ, जइसन कि हमन्हीं के अखबार से मालुम पड़ऽ हइ ।

"त हमन्हीं के आखिर कीऽ करे के चाही ?" - अनुवादक के भूमिका


त हमन्हीं के आखिर कीऽ करे के चाही ?




अनुवादक के भूमिका

"युद्ध आउ शान्ति" (1863-1868) आउ "आन्ना करेनिना" (1873-1877) जइसन विश्वप्रसिद्ध उपन्यास आउ अनेक लोकप्रिय कहानी के लेखक लेव तल्सतोय (1828-1910) के कथेतर रचना "Так что же нам делать ?" (1886) ["ताक श्त्वो झे नाम जेलच्" अर्थात् "त हमन्हीं के आखिर कीऽ करे के चाही ?"] के अंग्रेजी अनुवाद "What then must we do?" (1935) में अपन सम्पादकीय में ऐलिमर मोड (Aylmer Maude) कहलथिन हँ - "It was the first of Tolstoy's works to grip my attention, and it caused me to seek his acquaintance, which in turn led to the work I have now been engaged on for many years, namely, the preparation of the 'World's Classics' series and the Centenary Edition of his works."

त प्रस्तुत हइ कुल 40 अध्याय के उनकर ई कथेतर रचना के मगही अनुवाद "त हमन्हीं के आखिर कीऽ करे के चाही?"

5.1 रूसी कथेतर रचना: “त हमन्हीं के आखिर कीऽ करे के चाही ?”

सूची

5.1 रूसी कथेतर रचना (non-fiction): “त हमन्हीं के आखिर कीऽ करे के चाही ?”
मूल रूसी शीर्षकः Так что же нам делать ?
मूल रूसी लेखक: लेव तल्सतोय (28.8.1828 – 9.11.1910)
प्रथम प्रकाशन वर्षः 1886
मगही अनुवाद: नारायण प्रसाद


त हमन्हीं के आखिर कीऽ करे के चाही ?

            अध्याय-01
            अध्याय-02
            अध्याय-03
            अध्याय-04
            अध्याय-05
            अध्याय-06
            अध्याय-07
            अध्याय-08
            अध्याय-09
            अध्याय-10
            अध्याय-11
            अध्याय-12
            अध्याय-13
            अध्याय-14
            अध्याय-15
            अध्याय-16
            अध्याय-17
            अध्याय-18
            अध्याय-19
            अध्याय-20
            अध्याय-21
            अध्याय-22
            अध्याय-23
            अध्याय-24
            अध्याय-25
            अध्याय-26
            अध्याय-27
            अध्याय-28
            अध्याय-29
            अध्याय-30
            अध्याय-31
            अध्याय-32
            अध्याय-33
            अध्याय-34
            अध्याय-35
            अध्याय-36
            अध्याय-37
            अध्याय-38
            अध्याय-39
            अध्याय-40

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