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Tuesday, April 28, 2020

भूदासत्व से मुक्ति तक - अध्याय 12


12. हमर वोरोनेझ (हाई स्कूल) के सीट
हम वोरोनेझ में पुरनका फ्लैट में पहुँचलिअइ, बिन पैसा-कौड़ी के, पिताजी के हियाँ से पत्र के साथ, जेकर माध्यम से गृहस्वामी से हमरा स्वीकार करे के निवेदन कइलथिन हल आउ थोड़हीं समय में उनका सब चुकावे के वचन देलथिन हल, जे हमरा रहे-सहे में खर्चा होतइ। कलिना दविदोविच क्लिषारेव के त्योरी चढ़ गेलइ, लेकिन, उदार आउ विश्वासी, हमरा बिछावन खातिर एक कोना देवे लगी आउ अपना साथ भोजन करे लगी टेबुल भिर बैठावे लगी सहमत हो गेलथिन।
जिमनैसियम में हमर दाखला, जइसन कि प्रत्याशा कइल जा हलइ, नञ् होलइ। भीरुता हमरा निदेशक के साथ अनुनय-विनयकर्ता के रूप में भेंट करे से रोक रहले हल, आउ ओकरो में अइसन पोशाक में, जेकरा में, जइसन कि कहावत हइ, कभियो स्वागत नञ् कइल जा हइ। रिवाज भी एहे माँग करऽ हलइ कि निदेशक के पास खाली हाथ नञ् हाजिर होवे के चाही, लेकिन हम कउन उपहार ले जा सकऽ हलिअइ? ई तरह, हम दिन प्रतिदिन उनका हीं भेंट के स्थगित करते जा हलिअइ। आउ हियाँ परी एक अन्य माध्यम से पता चललइ कि हमर हितैषी लोग में से कोय तो हमरा तरफ से निदेशक से मिल्ले के प्रयास कइलके हल आउ विफलता हाथ लगले हल। आखिर हम निराश हो गेलिअइ।
उदास होल हम लड़कन, अपन पूर्व सहपाठी, तरफ देखऽ हलिअइ, जे अब हाई स्कूल के छात्र हलइ, आउ शान से मार्च करते जिमनैसियम जा हलइ, अपन काँख में नयका पुस्तक दबइले। हमरा ओकन्हीं भाग्य द्वारा एतना हद तक अनुग्रह-प्राप्त प्रतीत होवऽ हलइ, कि हमर दृष्टि में उच्चतम जीव हलइ, आउ द्वर्यास्कयऽ स्ट्रीट पर के छोटका पियरका घर, जाहाँ जिमनैसियम हलइ, हमरा लगी राजमहल प्रतीत होवऽ हलइ जेकर दरवाजा सब खाली हमरा लगी कसके बंद कइल हलइ।
[*65] हम घर के कोना में बैठऽ हलिअइ, स्कूल के नोटबुक के पन्ना पलटते आउ पहिलहीं नियन उत्कट अभिलाषा के साथ सब मुद्रित पुस्तक के पढ़ऽ हलिअइ, जे हमरा हाथ लगऽ हलइ। हमरा पास पुस्तक के कमी नञ् हलइ। ओकर सप्लाय हमर एगो नयका दोस्त करऽ हलइ, जे हियाँ हमरा मिललइ। हलइ हमर गृहस्वामी के दमाद, संगीत के शिक्षक, मिख़ाइल ग्रिगोर्येविच अख़तिर्स्की।
छोटगर, दुब्बर-पातर, पीयर चेहरा वला व्यक्ति, अपन बचपन प्रचंड उल्लास के साथ गुजरलके हल, लेकिन शादी के बाद स्थिर रूप से बस गेले हल। ओकर बेडौल आकृति ओकर बुद्धि आउ शिक्षा के मामले में गलत छाप प्रस्तुत करऽ हलइ - दुन्नु में से कोय विलक्षण नञ् हलइ। एकरा अलावे, ऊ वोरोनेझ में संगीत के उत्कृष्ट शिक्षक के रूप में प्रसिद्ध हलइ, आउ खुद वायलिन आउ पियानो निम्मन से बजावऽ हलइ।
कइएक सन्दूक पुस्तक के मालिक होला के कारण ओकरा पास हमरा लगी विशेष रूप से आकर्षक बल हलइ - खास करके ई वजह से कि ऊ हमर उत्सुकता में दिलचस्पी लेके हमरा बिन कोय बाधा के ऊ सब के उलट-पलट के देखे लगी अनुमति देलकइ। साधारणतः ऊ हमरा साथ रहऽ हलइ, आउ अपन शक्ति आउ संभावना के अनुसार, हमर भाग्य में कइसनो विलक्षण बदलाव के प्रतीक्षा में समय काटे में सहायता करऽ हलइ। अकसर ऊ हमर कोना पर नजर डालऽ हलइ, बिछौना पर बैठऽ हलइ, आउ पाइप पीते, जेकरा ऊ कभी खुद से अलगे नञ् करऽ हलइ, बहुत देर तक हमरा से गपशप करते रहऽ हलइ।
ओकर पत्नी, क्लिषारेव के बेटी, नताल्या कलिनिश्ना, जे रूप में भी काफी साधारण हलइ, पुस्तक के प्रति बुद्धि आउ लगाव रक्खऽ हलइ। ऊ बहुत सारा पुस्तक पढ़लके हल - विशेष करके उपन्यास - आउ शायद पढ़े के रुचि खातिर ऊ परिष्कार (refinement) आउ बौद्धिक परिपक्वता के ऋणी हलइ। ई कहना काफी होतइ कि खुद के प्रति मजबूती आउ दृढ़ता से अख़तिर्स्की के बान्हे रक्खे में सफल होलइ, एगो अइसन व्यक्ति के, जेकर मन बहुत चंचल हलइ, जेकरा पर अंतिम क्षण तक अपन हितकारी प्रभाव डललकइ।
लगभग हमेशे गंभीर, ऊ खुद के अलगे रहऽ हलइ आउ अपन मंडली के महिला लोग से जरी कुछ नाक-भौं सिकोड़ले रहऽ हलइ, आउ सब के अपेक्षा अपन पति के संगत के जादे पसीन करऽ हलइ। आउ दोसरा कोय एतना सारा ढेर के ढेर उपन्यास पढ़ल भ्रमित हो जइते हल; लेकिन ऊ उपन्यास सब के विष के  स्वाद बिन कोय प्रभाव के लेलके हल - त ई सब एगो नयका प्रमाण दे हइ कि हम सब के नैतिक आउ बौद्धिक विकास में मुख्य भूमिका ऊ खमीर (yeast) के हइ, जे हम सब में प्रकृति डालऽ हइ। बाह्य परिस्थिति के प्रभाव - गौण हइ आउ हम सब के स्वाभाविक योग्यता आउ प्रवृत्ति के अधीन हइ।
दिन, सप्ताह, महिन्ना गुजर गेलइ - हमर परिस्थिति में परिवर्तन नञ् होलइ। हम अपन सनक आउ संयोग के कृपा पर छोड़ल रहलिअइ, पिताजी से बहुत समय से अभियो तक कोय पत्र नञ् प्राप्त होले हल। हमरा खाली एतने मालुम हलइ कि ऊ दन्त्सेव्का, आउ सामान्य रूप से बोगुचार जिला के छोड़के ओस्त्रोगोझ्स्क में बस गेलथिन हल। गृहस्वामी, स्पष्टतः, बिन कोय किराया के हमरा रक्खे में दिक्कत महसूस कर रहलथिन हल। हमर पोशाक फट-फूट गेले हल, जुत्ता पेन्हे लायक नञ् रह गेले हल। जिमनैसियम (हाई स्कूल) के मिठगर सपना से आखिर दूर होके घर जाय पड़लइ।
लेकिन सो विर्स्ता, ओहो जाड़ा में, बिन पैसा के, बिन जुत्ता के आउ बिन फ़र-कोट के कइसे यात्रा कइल जाय? अख़तिर्स्की हमर सहायता लगी सामने अइलइ। ऊ हमरा भेड़ के खाल के एगो पुरनका कोट, फ़ेल्ट-बूट, गोल फ़र-टोपी आउ साढ़े पाँच रूबल देलकइ। एकरा खातिर हम अपन बिस्तर के ओकर अधीन कर देलिअइ।
[*66] ई तरह से लैस होके, हम साहसपूर्वक यात्रा पर निकस जाय लगी तैयारी कर सकलिअइ। रह गेलइ खाली खोजे के एगो कोचवान के, लेकिन ऊ जल्दीए मिल गेलइ। ओस्त्रोगोझ्स्क जा रहले हल एगो कृषक, जे अढ़ाय रूबल में हमरा हुआँ तक ले जाय लगी सहमत हो गेलइ।


Monday, April 27, 2020

भूदासत्व से मुक्ति तक - अध्याय 11


11. भाग्य के नयका प्रहार
स्कूल में हमर निवास के अंतिम दौर में अस्पष्ट रूप से हमरा सुन्ने में अइलइ कि पिताजी पर नयका विपत्ति पड़ले हल। पत्र में एकरा बारे कुछ नञ् उल्लेख कइलथिन हल, लेकिन हम जानऽ हलिअइ कि अब पिसारेव्का में नञ् हथिन, बल्कि बोगुचार जिला के राज्य जागीर दन्त्सेव्का में रह रहलथिन हँ।
जब हम स्कूले में हलिअइ, हम एक तुरी आउ आश्वस्त हो गेलिअइ कि हमर पिताजी के भाग्य साधारणतः अस्थायी आउ अवांछनीय हलइ। वोरोनेझ में उनका साथ कोय केस होले हल। ऊ हियाँ परी अपन व्यक्तिगत सफाई देवे खातिर अइलथिन हल गवर्नर के सामने, चाहे बेहतर कहल जाय कि सिनेटर ख़ित्रोवो के सामने, जे ऊ समय प्रांत के निरीक्षण [*58] करब करऽ हलथिन। उनका साथ कीऽ होलइ, हमरा नञ् मालुम। बाद में खाली सुन्ने में अइलइ कि गवर्नर के साथ उनकर लमगर बातचीत चलले हल। पिताजी चिड़चिड़ा स्वभाव के हलथिन, आउ पहिलौका अनुभव के बावजूद, अभियो तक विश्वास करऽ हलथिन कि कानून ओकरे पक्ष में होवे के चाही, जे एकरा सामने ईमानदार हइ, आउ साधारणतः अपन अधिकार के रक्षा में प्राधिकारी के सामने नञ् घबरा हलथिन। नञ् जाने लगी चाहऽ हलथिन कि नौकरशाही के मनमानी वला देश में रहऽ हथिन, कि उनका नियन गरीब के हुआँ परी अधिकार पर निर्भर करना, जाहाँ वस्तुतः केकरो पास नञ् हइ, आउ उनका  लगी तो सबसे कम।
चाहे जे होवे, गवर्नर क्रोधित हो गेलइ आउ पिताजी के जेल में डाले के औडर देलकइ - आधार पर कि वोरोनेझ में गैर-कानूनी रूप से अइलथिन हल, हलाँकि एकर (अर्थात् कानूनी दस्तावेज के) जरूरत नञ् हलइ, काहेकि हमर माता-पिता ओहे प्रान्त में रहऽ हलथिन।
हमरा आद पड़ऽ हइ कि कइसे हम थरथराय लगलिए हल, जब हमर आवास पर एगो सैनिक पहुँचलइ, जेकरा हमर पिताजी द्वारा जेल से हमरा लगी भेजल गेले हल। भारी दिल के साथ हम ओकर पीछू-पीछू गेलिअइ आउ अपन ईमानदार, उदार पिताजी के जेल के ओहे कोठरी में बंद देखलिअइ, जेकरा में चोर, दगाबाज आउ हर तरह के धूर्त्त लोग भी हलइ।
पिताजी लल्लो-चप्पो पसीन नञ् करऽ हलथिन आउ परिवार में दिल के बात उगले के अनुमति नञ् दे हलथिन। हम पटरा के बिछौना पर एक कोना में चुपचाप बैठल हलिअइ, बगल में लाल केश वला एगो मुझीक (कृषक) हलइ, लेकिन आखिर हमरा से बरदास नञ् होलइ आउ हम जोर-जोर से कन्ने लगलिअइ। हमर लोर हुएँ परी के एगो औरत के हृदय के स्पर्श कर गेलइ, आउ सरलहृदय सहानुभूति के साथ हमरा सान्त्वना देवे लगलइ।
"कन्नऽ मत, बेटे", बोललइ, "मत रोवऽ, प्यारे! तूँ अभी छोटगर हकऽ, सब कुछ ठीक हो जइतो।"
पटरा के बिछौना के सबसे उपरे एगो उज्जर दाढ़ी वला बूढ़ा बैठल खुद से कुछ तो बड़बड़ा रहले हल। एगो जॉर्जियन पुरोहित हलइ, जेकरा तिफ़लिस (त्बिलिसी) से हियाँ लावल गेले हल, कोय तो विद्रोह अथवा षड्यंत्र में भाग लेवे के कारण। चिड़चिड़ाहट में, टुट्टल-फुट्टल (रूसी) भाषा में, हमरा सान्त्वना देलकइ कि कनिअइ नञ्, विश्वास देलइते कि सब कुछ बकवास हइ आउ हमरा आउ हमर पिताजी के दुखी नञ् होवे के चाही।
सब कुछ घटलइ एगो अन्हार, गंदा, दुर्गंध वला कोठरी में। हमर पिताजी के कमजोर स्वास्थ्य के कारण हियाँ परी जादे समय तक रहना खतरा से खाली नञ् हलइ। हमरा एक रूबल देलथिन आउ सर्जेंट के पास जाय लगी औडर देलथिन, निवेदन करे लगी कि उनका अइसन जगह पर स्थानान्तरित कर देल जाय जाहाँ परी "भद्र लोग" के रक्खल गेले हल।
बचपन में पुलिस के वरदी पर एक नजर पड़ला पर हमर चेहरा पर उदासी छा जा हलइ। हमरा ओकरा में कुछ तो अपशकुनसूचक देखाय दे हलइ आउ जब रोड पर कोय पुलिस के सिपाही चाहे सर्जेंट ड्यूटी पर देखाय दे जा हलइ, हमेशे हम झट से भाग जा हलिअइ। कोय भी कल्पना कर सकऽ हइ कि केतना भयभीत होल हम अब पिताजी के निर्देश के साथ व्यवस्था के रक्षक लोग में से एक के पास रवाना होलिअइ, जे सब, भाग्यवश, आझ के अपेक्षा दूरस्थ समय में, वस्तुतः मनमानी आउ अत्याचार के प्रतिनिधि हलइ।
लेकिन अबरी हमर भय बेकार प्रतीत होलइ - सर्जेंट रूबल ले लेलकइ आउ निवेदन के पूरा करे के वचन देलकइ। पिताजी के तुरते बाद काफी रोशनीदार आउ साफ-सुथरा कमरा में पहुँचा देवल गेलइ, जेकरा में एक्के कैदी हलइ - एगो प्रांतीय सरकारी अफसर, जेकरा पर कोय फाइल चोरावे के इलजाम हलइ। हुआँ परी बिस्तर के भी सुविधा हलइ, जेकरा पर हमर पिताजी के जगह देल गेलइ।
[*59] हम उनका से रोज भेंट करे जा हलिअइ। लगभग एक सप्ताह गुजर गेलइ। हमरा दोसर काम सौंपलथिन - अबरी सिनेटर ख़ित्रोवो के हियाँ, जेकरा हीं हमरा एगो व्यक्तिगत रूप से एगो पत्र पहुँचावे के हलइ।
फेर से हम कल्पना सागर में डूब गेलिअइ आउ कइएक तस्वीर हमर दिमाग में उभरे लगलइ - सिनेटर हमरा पर चिल्ला हइ, अपन गोड़ पटकऽ हइ, नौकरवन के हमरा बाहर निकास देवे के औडर दे हइ, आउ अन्त में - हमरो जेल भेजवा दे हइ ... आखिर तो हमरा नियन बुतरू, नगण्य जीव के साथ कुच्छो हो सकऽ हइ!
नञ् जाना असंभव हलइ। साहस कइलिअइ आउ रवाना हो गेलिअइ। हम सिनेटर के हियाँ अतिथि-कक्ष में प्रवेश करऽ हिअइ, हुआँ परी सर्जेंट हइ, जेकरा से हम आंशिक रूप से पहिलहीं से परिचित हलिअइ। हम जाने-अनजाने पीछू हट गेलिअइ। लेकिन सर्जेंट भी सब एक नियन नञ् होवऽ हइ। - जइसन कि हमरा पाछू पता चललइ, खुद एगो लमगर परिवार के पिता हइ - हमर दयनीय, भयभीत चेहरा देखके द्रवित हो गेलइ। ऊ हमर हौसला बढ़ावे में शीघ्रता कइलकइ, हमरा देखके मुसकइलइ, हमर सिर सहलइलकइ; आउ जब सिनेटर के ऑफिस में जाय के हमर बारी अइलइ, त हमरा चलाकी से दरवाजा के अंदर घुसाके तुरते हमर हिचकिचाहट दूर कर देलकइ।
सिनेटर हमर पिताजी के पत्र पढ़लकइ आउ उदासी के साथ बोललइ -
" जइसे जानऽ हइ ओइसीं ओकरा उत्तर देवे देल जाय।"
बस एतने पर बात समाप्त हो गेलइ। शब्द से हमरा जादे कुछ समझ में नञ् अइलइ, आउ पिताजी के। लेकिन, लगभग दस दिन बाद, गवर्नर उनका फेर से बोगुचार वापिस भेजे के औडर देलकइ - तइयो मानुँ जान-बूझके फेर नजर नञ् अइलइ, लेकिन आगू आउ कुछ तकलीफ नञ् देलकइ।
लेकिन अब ऊ समय आ गेले ह, जब ई विस्तार से बतावल जाय कि कइसे हमर पिताजी के पिसारेव्का से दन्त्सेव्का स्थानान्तरित कइल गेलइ आउ स्कूल छोड़ला के बाद हम अपन परिवार के दयनीय स्थिति में देखे के कीऽ कारण हलइ।
मारिया फ़्योदोरोव्ना बेद्रियागा चर्च में अपन कइल गेल प्रतिज्ञा के जादे समय तक आद नञ् रख पइलकइ - ई प्रतिज्ञा कि हमर पिताजी द्वारा कइल गेल सेवा के हमेशे आद रखतइ। सत्तालोलुप जमिंदारिन के ई बरदास के बाहर हलइ कि कोय ओकर पास में रहे वला अपन मन मोताबिक कोय काम कर सकइ, बल्कि ई ओकरे हित में काहे नञ् रहइ। ओकरा ई विचार यातना देब करऽ हलइ कि ओकर मैनेजर बहुत स्वतंत्रतापूर्वक काम करऽ हइ, आउ ओकरा खुश करे के परवाह नञ् करऽ हइ।
हमर पिताजी में, अपना तरफ से, दब्बूपन नञ् हलइ, खास करके ओइसन हालत में, जब उनका अपन अधिकार के मामले में निश्चय रहऽ हलइ चाहे उनकर अपन प्रतिष्ठा के बात होवऽ हलइ। ऊ पिसारेव्का के स्थिति के सुधारे के काम एक शर्त पर लेलथिन हल कि जमिंदारिन, जे अपन जायदाद के प्रबन्धन के एतना घाल-मेल कर देलके हल, आगू कोय मामले में दखल नञ् देतइ। आउ परिणाम उनकर शर्त के समर्थन करऽ हलइ। मारिया फ़्योदोरोव्ना के आमदनी दोगना हो गेलइ, कृषक लोग के हालत सुधर गेलइ; जायदाद के पतन के मुख्य कारण - दुरुपयोग या घोटाला - के बहुत हद तक उन्मूलन कर देल गेलइ।
मारिया फ़्योदोरोव्ना के घेरले रहल परजीवी लोग, जे निर्लज्जतापूर्वक ओकर दुष्प्रवृत्ति के दोहन करऽ हलइ, निस्संदेह, नयका व्यवस्था के बरदास नञ् कर पइलकइ, आउ विश्वसनीय आउ निःस्वार्थ नौकर के विरुद्ध जमिंदारिन के उसकावे के कोय मौका नञ् छोड़ऽ हलइ।
ई मामले में खास करके यहूदिन फ़्योदोस्या, जे बड़गो चालबाज हलइ, सबसे तेज हलइ, जेकर उल्लेख हम उपरे कर चुकलिए ह। पिताजी, अपन चिड़चिड़ाहट में, मारिया फ़्योदोरोव्ना के साथ चर्चा के दौरान हमेशे खुद के नियंत्रित नञ् कर पावऽ हलथिन। अपन अफवाह फैलावे खातिर फ़्योदोसिया ई बात के लाभ उठावे में कोय कसर नञ् छोड़ऽ हलइ। जमिंदारिन [*60] गौण भूमिका के प्रति, जे परिस्थिति आउ ओकर खुद के अनुशासनहीनता के चलते ओकर पल्ले में पड़ रहले हल, अधिकाधिक अधीरता बरत रहले हल। अधिकाधिक ऊ अपन अप्रसन्नता व्यक्त कर रहले हल आउ असंभव माँग रख रहले हल।
पिताजी दीर्घ अवधि तक कलेजा थामके रहलथिन, आखिर उनका बरदास नञ् होलइ आउ निश्चय कइलथिन कि ई लाभदायक पदवी के छोड़ देना कहीं बेहतर होत, बनिस्पत मैडम बेद्रियागा के स्वेच्छाचार के आउ अधिक समय तक सहन करे आउ ओकर खुशामदी टट्टू के शिकार के वस्तु बन्ने के। एक सुहावना दिन के ऊ मारिया फ़्योदोरव्ना के सामने हाजिर होलथिन, एगो मोटगर रजिस्टर के साथ, आउ कहलथिन - "ई हकइ अपने के जायदाद के हमर प्रबन्धन के सम्पूर्ण अवधि के रेकर्ड (लेखा-जोखा)। अब से हम अपने के नौकर नञ्। हमर अपने से निवेदन हइ कि हमरा मुक्त कइल जाय आउ हमरा निम्नलिखित वेतन के भुगतान कइल जाय।"
मारिया फ़्योदोरोव्ना घबरा गेलइ। हमर पिताजी के ओकर आवश्यकता अभियो समाप्त नञ् होले हल, आउ ऊ एक तुरी आउ उनका साथ समझौता करे के प्रयास कइलकइ - काम के प्रबन्धन अइसे करे के चाही कि ओहो रह जाथिन, आउ ओकर (जमिंदारिन के) इच्छा भी पूरा हो जाय। लेकिन पिताजी अब बहुत निम्मन से जान चुकलथिन हल कि ई जमिंदारिन के प्रतिज्ञा पर केतना कम विश्वास कइल जा सकऽ हलइ। ऊ अपन बात पर दृढ़ रहलथिन आउ मुक्ति के माँग कइलथिन। जमिंदारिन, अपन तरफ से, अड़ल रहलइ। पिताजी अब झुँझलाहट के साथ ओकरा से अलग होवे के अपन अन्तिम निर्णय पर अड़ल रहलथिन, आउ अगला कउनो एतराज पर बिन ध्यान देले, कमरा से बाहर हो गेलथिन। मारिया फ़्योदोरोव्ना क्रोधित हो गेलइ आउ विद्रोही (मैनेजर) से बदला लेवे के ठान लेलकइ।
दोसरा दिन भोर में सब कोय अभियो तक सुत्तल हलइ। अचानक उनका उठावल जा हइ - "उट्ठऽ", लोग बोलऽ हइ, "देखऽ, प्रांगण में कीऽ हो रहलो ह!"
घबराल पिताजी बाहर प्रवेश द्वार भिर अइलथिन - घर के चारो तरफ से कृषक लोग घेरले हलइ। पूरा परिवार गार्ड के अधीन हलइ।
मारिया फ़्योदोरोव्ना के जानते, पिताजी के कोय शंका नञ् होलइ कि एक तुरी जबकि ऊ हिंसा पर उतर गेलइ त ऊ झुकतइ नञ्। परिस्थिति कठिन हलइ। काहाँ से मदत मिलतइ? ओकर राज में - एकरा बारे सोचलो नञ् जा सकऽ हइ, त ओकन्हीं से छुटकारा कइसे पाल जाय? सब्भे निकास पर गार्ड (पहरेदार) हलइ। भाग्यवश, ई सब कृषक लोग में से हलइ, जे पिताजी के वफादार हलइ आउ जमिंदारिन से घृणा करऽ हलइ - ओकन्हीं उनका निकस जाय में सहायता करते गेलइ। पाक वाटिका आउ बाग सब से होते ऊ ज़ायर्स्कयऽ पिसारेव्का पहुँच गेलथिन आउ अपन मित्र ग्रिगोरी फ़्योदोरोविच ततारचुकोव के हियाँ शरण लेलथिन।
अब मुक्त रहला पर पिताजी अपन परिवार के मुक्त करे आउ लज्जाजनक बल के प्रयोग करे वली दोषी के जवाब देवे खातिर उचित प्राधिकारी के निवेदन कइलथिन। ई हलइ ऊ मुकदमा के शुरुआत, जे पूरे सूबा में तहलका मचा देलकइ आउ पिताजी खातिर एगो नञ् अन्त होवे वला चिंता के स्रोत, लेकिन उनकर प्रतिद्वन्द्वी लगी भी कम परेशानी के कारण नञ् बनलइ। बाद में ऊ खुद स्वीकार कइलकइ कि तहिना से ओकर सब्भे दिन अप्रिय दस्तावेज के इंतजार में आउ ओकर औपचारिक उत्तर देवे के आवश्यकता से जहरीला बन गेले हल।
विचित्र हलइ ई केस (मोकदमा)! एक तरफ से - दू हजार आत्मा के मालकिन, धन-दौलत आउ विस्तृत संपर्क से बरियार, अहंकार आउ मनमानी के मूर्ति, जीत के बारे में निश्चिंत; त दोसरा तरफ से - बिन कोय सामाजिक हैसियत के अदमी आउ एकरा से संबंधित विशेषाधिकार, खाली अपन सच्चाई पर आधारित, आउ एतना हद तक गरीब कि अकसर कोर्ट में शिकायत अथवा याचिका दायर करे खातिर मुहरदार कागज (स्टैंप पेपर) खरीदे के पैसा भी नञ् रहऽ हलइ। लेकिन दृढ़ता दुन्नु तरफ से समान (same) हलइ।
[*61] हमर पिताजी के कानून आउ कानूनी दस्तावेज लिक्खे के उनकर दक्षता के सब्भे ज्ञान आवश्यक हलइ, ताकि अपन साहस आउ धृष्टता के तत्काल शिकार नञ् बन जाल जाय, बल्कि एकर विपरीत, अइसन विषम परिस्थिति में लमगर अवधि तक आउ अपन प्रकार के सफलता के साथ मोकदमा लड़ल जाय। न्याय, जेकर ऊ जमाना में हमेशे बरियार पक्ष तरफ झुक जाय के प्रवृत्ति हलइ, अबरी अनिश्चितता में डाँवाडोल हो रहले हल। खुद जज लोग भी किंकर्तव्यविमूढ़ होल हलइ कि काहे केस धनी आउ नामी जमिंदारिन के इच्छा के अनुसार नञ् चल रहले ह, लेकिन कुछ नञ् कर पइते गेलइ आउ खाली अन्तहीन ढंग से ओकरा आगू बढ़इते रहलइ। पिताजी के मृत्यु के बाद हम कइएक तुरी सिविल कोर्ट के अधिकारी लोग से सुनलिअइ कि वादी के तरफ से ओकन्हीं हीं प्राप्त हरेक याचिका, उनकर हरेक स्पष्टीकरण नोट ओकन्हीं बीच सनसनी पैदा कर दे हलइ - ओकन्हीं एगो घेरा बनाके जामा हो जा हलइ आउ ओकरा जोर-जोर से पढ़ते जा हलइ, आउ तर्क दक्षता आउ प्रस्तुतीकरण के स्पष्टता के प्रशंसा करते जा हलइ। आउ तइयो पिताजी गुजर गेलथिन, मोकदमा के अन्तिम फैसला के आवे के बिन इंतजार कइले।
कइएक साल बाद - हम तब पितिरबुर्ग में हलिअइ - बेद्रियागा द्वारा जब्त कइल धन, जेकरा बाद में कोर्ट में सुरक्षित रख देल गेले हल, हमर मइया हीं वापिस कर देल गेलइ। सब सन्दूक वापिस कर देल गेले हल, लेकिन ऊ सब में पिताजी के खाली कुछ तो गुदड़ी आउ कागज के गट्ठर हलइ - बाकी सब कुछ बिन कोय सुराग के गायब हो गेले हल।
केस के शुरुआत में पिताजी के अनुरोध पर, मारिया फ़्योदोरोव्ना के सामने प्रश्न कइल गेलइ - कउन आधार पर ऊ उनकर परिवार आउ संपत्ति के रोकके रखले हइ? जवाब मैडम बेद्रियागा के योग्य हलइ। "अमुक-अमुक (फलना-फलना)", ऊ जवाब में लिखलकइ, "ओकर मैनेजर के हैसियत से काम कर रहल, ओकर जायदाद के बरबाद कर देलके हल, आउ ऊ माल-असबाब, जे ऊ अभी रोकले हइ, मैनेजर द्वारा ओकर पैसा से खरीदल हइ। ओकरा हीं से कइसनो सबूत, निस्संदेह, नञ् माँगल गेलइ - ओकर बात पर विश्वास कर लेल गेलइ, आउ पिताजी के शिकायत पहिले तुरी बिन कोय नतीजा के छोड़ देल गेलइ। तब ऊ गवर्नर से अपील कइलथिन, कि उनका, आखिर, कम से कम परिवार तो वापिस कर देल जाय।
पत्नी आउ बाल-बुतरू से मिल गेला पर, हमर पिताजी लघु रूसी गाम दन्त्सेव्का में बस गेलथिन, बोगुचार से बीस विर्स्ता दूर, जाहाँ परी उनकर केस के सुनवाई होवऽ हलइ।
हियाँ परी फेर से ज्वलंत प्रश्न उठलइ - जीयल कइसे जाय? हमर माता-पिता, आग से सब कुछ जल गेला के बाद नियन, अत्यावश्यक वस्तु के बेगर रह गेलथिन हल। पिताजी, निस्संदेह, असानी से काम खोज ले सकऽ हलथिन, लेकिन ऊ अभी केस में बहुत व्यस्त हलथिन। ई दौरान केस बहुत लम्बा घिंचा गेलइ आउ बड़गो आकार ले लेलकइ। पिताजी, हमेशे नियन उत्साह में, खाली अपन माल-असबाब के ही वापिस आउ सहल घाटा के हरजाना के ही नञ् माँग कइलथिन, बल्कि जमिंदारिन द्वारा कानून के अपन हाथ में लेके मनमानी करे के जुर्म में कानूनी कार्रवाई के भी। शुरुआत में उनका ग्रिगोरी फ़्योदोरोविच ततारचुकोव मदत कइलथिन, आउ बाद में अकसर उनका पर छोट-बड़ विभिन्न तरह के अनुग्रह कइलथिन।
ई तरह कइएक महिन्ना गुजर गेलइ। पिताजी के एगो दोन गाम (Don village) में कोय काम के व्यवस्थित करे लगी आमंत्रित कइल गेलइ। निम्मन पारिश्रमिक प्रस्तावित कइल गेलइ। ऊ स्वीकार कर लेलथिन, अपन परिवार के दन्त्सेव्का में रहे देलथिन आउ रवाना हो गेलथिन। लेकिन मारिया फ़्योदोरोव्ना के एकर भनक लग गेलइ आउ ऊ शोर मचा देलकइ। झूठ आउ तोहमत (चुगली) ओकरा पास हमेशा तैयार रहऽ हलइ। बोगुचार कोर्ट से ऊ दोन गाम के प्राधिकारी से संपर्क कइलकइ, जाहाँ पिताजी जा रहलथिन हल, आउ बतइलकइ कि जाँच के अधीन रहला से, अपन निवास स्थान से दूर जाय के ओकर अधिकार नञ् हइ - ओकरा गिरफ्तार करके [*62] जेल में डाल देवे के चाही। गाम के प्राधिकारी, केस पर बिन कोय जाँच कइले, बोगुचार कोर्ट के माँग के अक्षरशः पालन कइलकइ। ई तरह हमर बेचारे पिताजी, ईमानदारी आउ उपयोगी काम लगी बोलावल, ओकर बदले फेर से जेल चल गेलथिन।
त हम वोरोनेझ से वापिस अइला पर परिवार के अइसन परिस्थिति में पइलिअइ। माय बहुत बदल गेले हल - बूढ़ी हो गेले हल आउ दुबरा गेले हल। हमरा साथ मिलन के खुशी में ओकरा लगी पति से वियोग के विष घुल गेले हल, जिनका से मलगर अवधि से कोय समाचार नञ् मिलले हल। ऊ अपन बुतरुअन के साथ एगो धनी लघु रूसी के कच्चा मकान के दू गो छोटगर लेकिन साफ-सुथरा रोशनीदार कमरा में रहऽ हलइ; उदार गवरिलिच कुछ महिन्ना से बिन कोय किराया के ओकरा रहे दे रहलथिन हल।
लेकिन अगर, जइसन कि कहल जा हइ, विपत्ति कभी अकेल्ले नञ् आवऽ हइ, त ई बात खुशी के बारे में भी कहल जाय के चाही। हमर आगमन ओकन्हीं लगी शुभ पूर्वलक्षण प्रतीत होलइ। तइयो ऊ दिन के सुबह हमर मइया लगी उदासी भरल गुजरलइ। ई एगो घटना के साथ परिलक्षित होलइ, जे वस्तुतः बिलकुल सामान्य हलइ, लेकिन जे ओकरा पर प्रभावशाली छाप छोड़लकइ।
घर के कामकाज लगी दौड़-धूप में मइया के अचानक ध्यान में अइलइ कि ओकर अँगुरी से शादी के अँगूठी गायब हइ। स्पष्टतः, ओकर दुबराल हाथ से ऊ बखत ससरके गिर गेले होत, जब ऊ कमरा साफ कर रहले हल, जलावन के लकड़ी ढो रहले हल आउ उदास विचार में लीन होवे के चलते ओकर गायब होवे के नोटिस नञ् कर पइलकइ। अभागल लोग अंधविश्वासी होवऽ हइ। मइया शादी के अँगूठी के गुम हो जाय के अपशकुन मान लेलकइ आउ उदास हो गेलइ। शोक में ऊ घर के सब सर-समान में जाँच कइलकइ, आउ सब कोना में खोजलकइ - अँगूठी कहूँ नञ् मिललइ।
खाली एक्के जगह ढूँढ़े के रह गेले हल - शेड, जे पोवार से भरल हलइ, जाहाँ से हाल में कुछ पोवार चुल्हा जलावे खातिर लइलके हल। लेकिन एगो छोटगर चीज, अँगूठी, के पोवार के ढेर में से ढूँढ़ना, जे अँगूठिए के रंग के हलइ, एगो बिलकुल असाध्य काम हलइ। तइयो मइया शेड में गेलइ। रस्ता में ऊ मन में निर्णय कइलकइ - अगर अँगूठी मिल जा हइ, त एकर मतलब हइ कि पिताजी जीवित हथिन आउ घर लगी रवाना हो चुकलथिन हँ, नञ् तो - ऊ अब जिन्दा नञ् हथिन।
डरते-डरते ऊ पुरनका दहलीज पार कइलकइ आउ देर तक ऊ नजर उठावे के हिम्मत नञ् कर पइलकइ, आखिर, भारी दिल से कोना में नजर डललकइ, जाहाँ से पोवार लइलके हल - हुआँ परी उपरे एगो लमगर पोवार चिपकल हलइ, आउ ओकरा में अँटकल हलइ अँगूठी! मइया चिल्ला उठलइ, क्रॉस कइलकइ आउ ओकरा पर चुंबन के झड़ी लगा देलकइ। ऊ खुशी से फूला नञ् समइलइ; उदास विचार अब बिलकुल गायब हो गेलइ।
कइएक घंटा गुजर गेलइ। गोधूलि वेला आ गेलइ। झोपड़ी के दरवाजा पर हलचल होवऽ हइ, दरवाजा खुल्लऽ हइ - आउ दहलीज पर पिताजी, स्फूर्तिमान, प्रसन्नचित्त, उपहार से लद्दल आउ जेभी में कुछ पैसा के साथ।
दोसरा दिन हमन्हीं हीं बड़गो भोज होलइ - उनकर आउ हमर वापिसी के उत्सव मनावल गेलइ। लमगर अवधि से हमन्हीं में से कोय नञ् भेड़ के मांस के साथ अइसन बोर्ष (रूसी शोरबा) निंगललके हल आउ न अइसन मालपूआ खइलके हल, जइसन कि खुशी में मइया हमन्हीं के खिलइलके हल। हमन्हीं बुतरुअन के बड़गो खुशी के बात हलइ कि भोजन के बाद, पिताजी द्वारा लावल आलूबुखारा (prunes)   आउ किशमिश के मिष्टान्न भी परसल गेलइ। आउ हमन्हीं के खुशी, आउ अबरी के प्रचुर भोजन के उत्साहपूर्वक साथ देलथिन हमन्हीं के उदार मालिक-मालकिन - गवरिलिच, उनकर पत्नी आउ सुन्दर बेटी, जेकर चमकदार गहरा-भूरा आँख हमरा मोहित करे में देरी नञ् कइलकइ।
[*63] लेकिन कइसे हमर पिताजी के अचानक जेल से अपन परिवार के बीच भेजल गेलइ, आउ ओहो स्पष्टतः बदलल बेहतर परिस्थिति में? समुच्चा मानव जीवन संयोग से बुन्नल हइ। प्रतिकूल संयोग उनका धकेलके टकरा देलके हल जमिंदारिन बेद्रियागा से आउ बोगुचार जज से, जे उनका जेल में डाल देलके हल। अनुकूल संयोग उनका कज़ाक कर्नल पोपोव से मिला देलकइ, जे उनका विपत्ति से छुटकारा देला देलथिन।
कर्नल पोपोव एगो प्रभावशाली व्यक्ति हलथिन ऊ दोन गाम में, जाहाँ परी हमर पिताजी कैद हलथिन। ऊ उनकर केस के जाँच के खुद कष्ट उठइलथिन आउ अन्त में नञ् खाली पिताजी के मुक्त करे के आज्ञा देलथिन, बल्कि अपना हीं आश्रय देलथिन, अपन जायदाद के सुव्यवस्थित करे के काम सौंपलथिन, आउ बहुत पुरस्कार देके शांति से घर जाय देलथिन।
आखिर हमन्हीं चैन के साँस लेलिअइ। ओकर बाद लगभग दू महिन्ना हम सब शांति आउ चैन से गुजरलिअइ, बेफिकिर होके भी। दन्त्सेव्का प्राकृतिक रूप से सुंदर नञ् हलइ। लेकिन पूरा प्रदेश रूस में सबसे उपजाऊ क्षेत्र में एक हइ। हुआँ के जलवायु उष्ण हइ, आउ जीवन निर्वाह-व्यय (cost of living) - कम से कम जमाना में - बहुत सस्ता हलइ। पहिला दर्जा के फल - चेरी, सेब, नाशपाती, तारबूज - लगभग नगण्य कीमत पर खरीदल जा सकऽ हलइ। गाम दन्त्सेवका में पचास झोपड़ी हलइ - उज्जर, साफ-सुथरा, चेरी बाग के हरियाली में डुब्बल। ई छोटगर बस्ती बोगुचार नद्दी के तट पर फैलल हलइ। अब, हमरा सुन्ने में अइलइ, एकर बहुत विस्तार हो गेले ह आउ एगो धनगर बस्ती में बदल गेले ह, जेकरा में पत्थल के चर्च भी हइ। लेकिन हमन्हीं के समय में ई गाम त्विर्दोख़्लिबोव्का बस्ती के पल्ली (parish) के हलइ, बोगुचार से छो विर्स्ता दूर, जे रूस के सब्भे जिला शहर में से लगभग सबसे दयनीय शहर हइ।
दन्त्सेवका के वासी सरकारी लघु रूसी लोग हलइ, या तथाकथित मिलिट्री उपनिवेशी (settlers)।[1] ओकन्हीं सब लघु रूसी के रीति-रिवाज के पूर्ण शुद्ध रूप में सहेज के रखते गेलइ आउ जमींदार लोग के कृषक के अपेक्षा अधिक फललइ-फुललइ। लेकिन तइयो ओकन्हीं पूर्ण अज्ञानता में रहऽ हलइ। ओकन्हीं पास कोय स्कूल नञ् हलइ। ओकन्हीं बीच "पढ़ल-लिक्खल लोग" विरले हलइ। नयका सभ्यता के कोय नवीनतम विचार ओकन्हीं बीच प्रवेश नञ् कइलके हल। बिलकुल सादगी आउ रीति-रिवाज में शुद्धता लगी ओकन्हीं जानल जा हलइ। चोर आउ पियक्कड़ के बारे ओकन्हीं खाली कहानी में सुन्नऽ हलइ। लड़ाय-झगड़ा अगर होवो करऽ हलइ, त ओकरा बारे बात करे में लजा हलइ। दुर्भाग्यवश, अइसन होवऽ हइ, कि जब व्यक्ति सभ्य होके, नयका गुण प्राप्त करके ऊ खो दे हइ, जे ओकरा पास पहिले हलइ, आउ अइसन बुराई से संक्रमित हो जा हइ, जेकरा बारे अब तक ओकरा कोय बोध नञ् हलइ। मानव विकास के नियम, स्पष्टतः, कोय निश्चित परिणाम प्राप्त करे खातिर कोय स्थापित योजना के अनुसरण नञ् करऽ हइ, बल्कि परिस्थिति के अनिवार्य पथ के अनुसरण करऽ हइ, जेकरा चलते ऊ सब कुछ जे व्यक्ति में अन्तर्निहित होवऽ हइ, अपन समय में अवश्य प्रकट होतइ आउ कोय निश्चित विकास पर पहुँचतइ - जे बाद में या तो हमेशे लगी बिन कोय सुराग छोड़ले लुप्त हो जा सकऽ हइ, चाहे आउ अधिक विकास आउ सम्पूर्णता खातिर सामान्य सामंजस्य के साथ मिल जा सकऽ हइ।
हम सब सहजहृदय दन्त्सेवका लोग के बीच निम्मन तरह से आउ मुक्त रूप से रहऽ हलिअइ। ओकन्हीं कुछ समय तक हमन्हीं के नवागन्तुक नियन देखलकइ, लेकिन खुशी-खुशी अपन समाज में स्वीकार कर लेते गेलइ आउ हमर माता-पिता के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करते जा हलइ। आउ हमन्हीं के उदार [*64] गृहस्वामी, गवरिलिच, बड़गो व्यावहारिक ज्ञान से सम्पन्न, हमर पिताजी के बुद्धि-विवेक के भी आकलन कर सकऽ हलथिन।
आराम कर लेला के बाद, पिताजी सोचे लगलथिन कि हमरा साथ कीऽ कइल जाय। उनका बड़ी मन हलइ कि हम अपन अध्ययन जारी रखिअइ। हम पूर्ण रूप से उनकर इच्छा के समर्थन करऽ हलिअइ आउ उनका ग्रबोव्स्की के पत्र देखइलिअइ। हमन्हीं हीं के कानून आउ प्रशासनिक व्यवस्था से निम्मन से परिचित, ऊ निस्संदेह समझ गेलथिन कि कइसन अस्थिर आधार पर हमर उदार शिक्षक लोग हमर भावी शिक्षा के महल खड़ी करे लगी चाहऽ हलथिन। ऊ एहो समझ गेलथिन कि उनकन्हीं के उदार जालसाजी के प्रकट हो गेला पर उनकन्हीं कइसन खतरा में पड़ जइथिन हल, आउ उनकन्हीं के प्रस्ताव के सीधे इनकार कर देलथिन।
जिला स्कूल में हमर उपलब्धि उनका में अव्यवहार्य आशा (unrealizable hopes) जागृत कइलकइ कि हमरा लगी अपवाद कइल जइतइ, कि हमरा, अइसे चाहे ओइसे, अवश्य जिमनैसियम (हाई स्कूल) में दाखला मिल जइतइ। ई विलक्षण स्वप्न में एतना हद तक मग्न हो गेलथिन कि ऊ एहो भूल गेलथिन कि वोरोनेझ के स्कूल में अध्ययन के खर्चा उठाना उनका लगी असंभव हइ। उनका सामने मृगतृष्णा के चकाचौंध हलइ आउ ऊ एकरा तरफ लपकलथिन, हमेशे नियन ई भूल गेलथिन कि वास्तविकता में जाग गेला पर हमेशे उनका केतना महँगा पड़ले हल।
खैर, जे होवे, हमरा फेर से सज्जित कइलथिन, मौका देखलथिन आउ वोरोनेझ रवाना कइलथिन।



[1] मिलिट्री उपनिवेशी (militry settlers) – See, (1) Jerome Blum (1961): “Lord and Peasant in Russia: From the Ninth to the Nineteenth Century”, Princeton: Princeton University Press, pp.475-503. (2) Hugh Seton-Watson (1988): “The Russian Empire, 1801-1917”, Oxford at the Clarndon Press, pp.161-162.