"कप्तान के बिटिया" में क्रमांकानुसार टिप्पणी
संकेताक्षरः
ओक्समान॰
-
यू॰ गे॰ ओक्समान (सं॰): "आ॰एस॰ पुश्किन: कपितान्स्कयऽ दोच्का", इज़्दातेल्स्त्वो
"नऊका", मस्क्वा, 1964; 285 पृष्ठ; टिप्पणी - पृ॰245-260; ई रूसी उपन्यास
के विभिन्न भाषा में अनुवाद के विवरण - पृ॰261-282 ।
नोविकोव॰ - एन॰ नोविकोव (प्रकाशक):
"Новое и полное собрание российских песен” (नोवए इ पोल्नए सब्रानिए रसिस्किख़
पेसिन), 4 भाग में, मास्को, प्रकाशन वर्ष - 1780; भाग-1: х+208 पृष्ठ (पृष्ठ 191 के
बाद पृष्ठ 192-208 के स्थान पर 182-198 छप्पल हइ, हलाँकि पाठ सब ठीक हइ); भाग-2:
х+208 पृष्ठ; भाग-3: х+202 पृष्ठ; भाग-4: х+184 पृष्ठ; भाग-5: х+174 पृष्ठ ।
प्राच॰ - इवान प्राच (संकलनकर्ता):
"Собрание народных русских песен (सब्रानिए नरोदनिख़ रूसकिख़ पेसिन), 1790;
xviii+192 पृष्ठ ।
बिल्यायेव॰ - इवान प्राच (संकलनकर्ता):
"Собрание народных русских песен (सब्रानिए नरोदनिख़ रूसकिख़ पेसिन), 1790;
xviii+192 पृष्ठ; В.М. Беляев (वे॰एम॰ बिल्यायेव) द्वारा भूमिका सहित पुनः संपादित,
मास्को, 1955; कुल 350 पृष्ठ ।
‘**********************************************************************************
अध्याय-1
[1]
क्न्याझनिन - ई उद्धरण याकोव बोरिसोविच क्न्याज़निन (1742-1791) के प्रहसन Хвастун
(शेखीबाज) (1786) से लेल गेले ह (अंक 3, दृश्य 6) । ई नाटक के पात्र वेर्ख़ोलेत आउ चेस्तोन
के ई डायलॉग 1830 में भी बड़गो प्रचार में हलइ आउ एकर पुनः प्रकाशन कइल गेले हल - दे॰:
एन॰ ई॰ ग्रेच - "रूसी साहित्य के पाठ्य पुस्तक" (Учебная книга русской
словесности), भाग-4, द्वितीय संस्करण, पितिरबुर्ग, पृ॰67-68
। महारानी एकातेरिना महान (1729-1796) के शासन (1762-1796) के दौरान क्न्याज़निन एगो
प्रसिद्ध नाटककार हलथिन ।
[2]
काउंट म्यूनिख़ - बुर्खार्द क्रिस्टोफ़ फ़ॉन म्यूनिख़ (1683-1767), एगो जर्मन परिवार में
जन्म लेल मिलिट्री अफसर आउ इंजीनियर । सन् 1721 में रूस अइलइ आउ रूसी सेना में प्योत्र
महान द्वारा नियुक्त कइल गेलइ । फ़ील्ड मार्शल आउ काउंट के पद तक ऊँचा उठलइ । रूसी मिलिट्री
आउ राजनैतिक मामले में कइएक सम्राट् के अधीन बड़गो भूमिका अदा कइलकइ । एकातेरिना द्वितीय
(बाद में "एकातेरिना महान" से प्रसिद्ध) के सत्ता-परिवर्तन के दौरान एकर
पति सम्राट् प्योत्र तृतीय के प्रति निष्ठावान रहलइ ।
[3]
फ़स्ट मेजर (First Major) = लेफ़्टेनेंट कर्नल
[4]
सिम्योनोव्स्की रेजिमेंट - प्योत्र महान द्वारा 1683 में स्थापित । ई रूस के दू गो
प्राचीनतम आउ सबसे विख्यात गार्ड रेजिमेंट में से एक हलइ ।
[5]
बोर्ज़्वा (borzoi) - एगो बड़गर नसल के रूसी कुत्ता, जेकर प्रयोग मूल रूप से भेड़िया के
शिकार में कइल जा हइ।
[6]
मौँस्य [Monsieur (फ्रेंच)] - अंग्रेजी के "मिस्टर" के पर्यायवाची ।
[7]
कोर्ट कैलेंडर - (प्रकाशन वर्ष 1735-1917) कैलेंडर आउ अन्य सूचना के अलावे एकरा में
सीनियर मिलिट्री आउ सिविल रैंक के सूची, राजमहल के स्वागत-समारोह के पेंटिंग आदि रहऽ
हलइ ।
[8]
पासपोर्ट – रूसी लोग
के रूस के अंदर यात्रा के दौरान भी "आंतरिक पासपोर्ट" साथ में रक्खे पड़ऽ
हलइ ।
[9]
ओरेनबुर्ग – मास्को से 1478 कि.मी. दक्षिण-पूरब,
दक्षिणी यूराल क्षेत्र में यूराल नदी के किनारे अवस्थित, एगो शहर (51°46'22" उ॰,
55°5'56" पू॰) । सन् 1743 में खानाबदोश कज़ाख़ लोग के क्षेत्र के सिमाना पर सीमा
चौकी के रूप में स्थापित ।
[11]
क्वास - एगो रूसी पेय, जेकर स्वाद कुछ-कुछ कोका-कोला नियन होवऽ हइ ।
[12]
'हमर पैसा, कपड़ा-लत्ता, सब मामला के बड़ी ध्यान से देखभाल करे वला' – रूसी कवि देनिस
फ़ोनविज़िन के कविता "हमर नौकर शुमिलोव, वानका आउ पित्रुश्का के नाम पत्र"
(1769) नामक कविता से उद्धृत ।
अध्याय-2
[13]
अपन पीठ तरफ से एगो कुल्हाड़ी लेलकइ - रूसी किसान साधारणतः कुल्हाड़ी अपन पीठ दने टाँगले
रहऽ हइ ।
[14]
याइक कज़ाक – यूराल नदी के पुराना नाम याइक हलइ । याइक आउ दोन नदी के किनारे बसल कज़ाक
लोग, कुछ स्वतंत्रता के बदले में, रूस के सरहदी गार्ड के रूप में कार्यरत हलइ । पुगाचोव
विद्रोह के समर्थन के बाद याइक कज़ाक लोउ अपन विशेषाधिकार खो देलकइ, आउ नदी के नाम के
साथ-साथ ओकन्हिंयों के नाम बदलके यूराल कज़ाक कर देल गेलइ ।
[15]
पोलाती – - अंग्रेजी में साधारणतः "स्टोव" शब्द से अनूदित । रूसी पोलाती
बड़गो आउ विस्तृत संरचना होवऽ हलइ, जेकर प्रयोग खाना बनावे, वस्त्र धुलाई, स्नान, सोवे
आउ गरम करे में कइल जा हलइ ।
[16]
अर्म्याक – पुराना जमाना में कृषक लोग द्वार प्रयुक्त जैकेट, जे मोटगर कपड़ा के सीधा
आउ लंबा गरदन वला कफ़्तान के रूप में बिन कोय अस्तर के होवऽ हलइ ।
[17]
समोवार (samovar) - समोवार (शाब्दिक अर्थ "स्वयं उबले वला",
self-boiler) पूरे रूस में प्रचलन में धातु के अइसन कलश होवऽ हइ जेकरा में पानी उबालल
जा सकऽ हइ आउ बाद में बिना कोय आग जलइले गरम रक्खल जा सकऽ हइ । साधारणतः एकर प्रयोग
चाय बनावे लगी होवऽ हइ । पुराना जमाना में गरम करे लगी कोयला चाहे चारकोल के प्रयोग
कइल जा हलइ, लेकिन आजकल के समोवार में बिजली के प्रयोग होवऽ हइ ।
[18]
“चर्चा याइक सेना के बारे चल रहले हल, जेकरा सन् 1772 के विद्रोह के बाद ऊ जमाना में
अभी-अभी शांत कइल गेले हल” – एकर विस्तृत चर्चा पुश्किन के अन्य रचना "पुगाचोव
के इतिहास" (1833), अध्याय-1, में कइल गेले ह ।
[19]
स्टोव - रूस में स्टोव अकसर उपरे में समतल बनावल जा हइ, आउ कभी-कभी एतना बड़गर कि ओकरा
पर सुत्तल जा सकऽ हइ, आउ एकर प्रयोग ऊ लोग करते जा हइ जेकरा गरम जगह चाही ।
[20]
आन्ना इओआन्नोव्ना – आन्ना इओआन्नोव्ना (1693-1740) प्योत्र महान के शारीरिक आउ मानसिक
रूप से अपंग भाई इवान पंचम के बेटी हलइ । सन् 1730 में ऊ रूस के साम्राज्ञी बनलइ ।
अध्याय-3
[21]
नादान (Недоросль) - रूसी कवि देनिस इवानोविच फ़ोन्विज़िन (1744-1792) दू गो प्रहसन लिखलथिन
हल, जे रूसी थियेटर लगी पहिला क्लासिक हो गेले हल । एकरा में दोसरका प्रहसन 'नादान'
उनकर उत्कृष्ट रचना समझल जा हइ, जेकर मंचन 1782 में होले हल ।
[22]
क्यूस्त्रिन आउ ओचाकोव पर कब्जा - तुर्की किला ओचाकोव आस्ट्रिया-रूसी-तुर्की युद्ध
के दौरान सन् 1737 में रूसी के कब्जा में अइलइ; प्रुशिया के (Prussian) किला क्यूस्त्रिन
(Küstrin) के रूसी लोग सप्तवर्षीय युद्ध के दौरान सन् 1758 में नाकाबंदी कइलकइ, लेकिन
एकरा पर कब्जा नयँ हो पइलइ ।
[23]
बश्कीर - तुर्की लोग जे ओरेनबुर्ग के उत्तर में यूराल के दुन्नु तरफ बस्सल हलइ । ओकन्हीं
ओरेनबुर्ग के किला के बिल्डिंग के मामले में रूसी लोग के विरुद्ध युद्ध करते गेले हल
आउ बाद में पुगाचोव के विद्रोह में साथ देते गेले हल ।
अध्याय-4
[24]
क्न्याज़निन - ई उद्धरण याकोव बोरिसोविच क्न्याज़निन (1742-1791) के प्रहसन
"Чудаки" (सनकी) से उद्धृत हइ (अंक 4, दृश्य 12) । महारानी कतेरिना महान
(1729-1796) के शासन के दौरान क्न्याज़निन एगो प्रसिद्ध नाटककार हलथिन ।
[25]
दे॰ नोविकोव॰ - भाग-1, पृ॰41, गीत संख्या-34.
[26]
ई गीत पुश्किन द्वारा निम्नलिखित पुस्तक से उद्धृत कइल गेले ह - इवान प्राच (संकलनकर्ता):
"Собрание народных русских песен (सब्रानिए रूसकिख़ नरोदनिख़ पेसिन), 1790, पृ॰85,
नृत्य लोकगीत संख्या-10.
मूल
रूसी में गीत ई प्रकार हइ -
Капитанская дочь,
Не ходи гулять в полночь.
(कपितान्स्कयऽ दोच,
नि ख़जी गुल्याच् व् पोल्नच् ।)
[27]
एक आत्मा आउ एक शरीर – एक आत्मा आउ एक शरीर - पारंपरिक विवाह सेवा में पुरोहित भगमान
से निवेदन करऽ हइ - "दुन्नु के एक आत्मा में जोड़ देथिन; दुन्नु के एक शरीर में
विवाह कर देथिन ।" बाइबिल के ओल्ड टेस्टामेंट में उत्पत्ति (Genesis) 2:22-24
से शुरू करके कइएक पाठ में "पति आउ पत्नी एक आत्मा आउ एक शरीर" हइ - ई धारणा
दोहरावल गेले ह ।
अध्याय-5
[28]
दे॰ नोविकोव॰ - भाग-1, पृ॰182, गीत संख्या-176 के अंतिम छो पंक्ति; इवान प्राच (संकलनकर्ता):
"Собрание народных русских песен” (सब्रानिए रूसकिख़ नरोदनिख़ पेसिन), 1790, पृ॰29,
गीत संख्या-15; В.М. Беляев (वे॰एम॰ बिल्यायेव) द्वारा भूमिका सहित पुनः संपादित, मास्को,
1955, पृ॰80, गीत संख्या-15.
[29]
दे॰ नोविकोव॰ - भाग-1, पृ॰165, गीत संख्या-153 के अंतिम चार पंक्ति में से पहिला दू
पंक्ति ।
[30] 1 विर्शोक = 4.44 सें॰मी॰
= 1.75 इंच
डेढ़ विर्शोक = 4.44 x 1.5 = 6.66 सें॰मी॰
= 2.62 इंच ।
अध्याय-6
[31]
दे॰ नोविकोव॰ - भाग-1, पृ॰141, कज़ान पर कब्जा से संबंधित गीत संख्या-125 के पहिला दू
पंक्ति ।
[32]
मेजर जेनरल त्राउबेनबेर्ग - मेजर जेनरल मिख़ाइल मिख़ाइलोविच त्राउबेनबेर्ग
(1719-1772) - दे॰ नोट सं॰18.
[33]
सम्राट् प्योत्र तृतीय – प्योत्र तृतीय (1728-1762), प्योत्र महान (1672-1725) के ज्येष्ठ
पुत्री के एकमात्र संतान, केवल छो महिन्ना शासन कर पइलका [शासनकाल (25 दिसंबर 1761
- 6 जुलाई 1762)] । एगो षड्यंत्र में उनकर हत्या हो गेलइ, जेकर अध्यक्षता कहल जा हइ
कि उनकर पत्नी द्वारा कइल गेले हल, जे एगो जर्मन राजकुमारी हलइ, आउ जे आगू कतेरिना
महान [1729-1796] के नाम से प्रसिद्ध होलइ । उनकर निधन के बाद चार नकली प्योत्र तृतीय
प्रकट होले हल, जेकर प्रजा सब विद्रोह के साथ समर्थन करते गेले हल । प्रजा के विश्वास
हलइ कि प्योत्र तृतीय के निधन नयँ होले हल, बल्कि उनका अपन पत्नी कतेरिना द्वारा गुप्त
रूप से कारागार में डाल देवल गेले हल । ई नकली सम्राट् में सबसे प्रसिद्ध कज़ाक इमिल्यान
पुगाचोव हलइ । ई वेष में ऊ जे विद्रोह के नेतृत्व कइलकइ, ओकरा 1774 के पुगाचोव विद्रोह
के नाम से जानल जा हइ, जेकरा कतेरिना के सेना द्वारा कुचल देल गेलइ ।
[34]
यातना ... समाप्त कर देल गेले हल - यातना के रूस में 1740 के दशक से नियंत्रित कइल
गेले हल; कतेरिना द्वितीय के आदेशपत्र द्वारा सन् 1768 में यातना के समाप्त कर देवल
गेले हल; लेकिन वास्तव में एकरा से ई दूर नयँ हो पइले हल; औपचारिक रूप से एकर उन्मूलन
सम्राट् अलिक्सान्द्र प्रथम के आदेशपत्र द्वारा सन् 1801 में कइल गेलइ ।
[35]
सन् 1741 में दंडित एगो विद्रोही के पछानके - सन् 1741 में ओरेनबुर्ग किला निर्माण
के विरुद्ध बश्कीर लोग के पहिला विद्रोह होले हल, जेकरा ज़ारशाही प्रशासन द्वारा क्रूरतापूर्वक
कुचल देल गेले हल । कइएक विद्रोही के दंडित करे बखत नाक आउ कान काट देवल गेले हल ।
[36]
याक्शी - ठीक हउ (तातार भाषा) ।
[37]
सम्राट् अलिक्सांद्र के नम्र शासनकाल - सम्राट् अलिक्सांद्र प्रथम (1777-1825), कतेरिना
महान के पौत्र, अपन शासनकाल (1801-1825) में शुरुआत तो नम्र मनोभाव से कइलका हल, लेकिन
नैपोलियन के युद्ध (1812) के बाद अधिक रूढ़िवादी हो गेला हल । सम्राट् अलिक्सांद्र प्रथम
के वास्तविक छवि पुश्किन द्वारा काव्य उपन्यास "इव्गेनी अनिगिन" (Eugene
Onegin) के अध्याय-10
के पहिला चतुष्पदी छन्द में निम्मन से अभिव्यक्त कइल गेले ह -
शासक हइ कमजोर आउ
धूर्त्त,
चांदिल छैला, दुश्मन
मजदूर के,
संयोगवश गरमाल कीर्ति
से,
हमन्हीं पर शासन
करऽ हलइ तहिया ।
अध्याय-7
[38]
ई उद्धरण स्त्रिलेत्स (strelets) के सरदार के फाँसी से संबंधित गीत से लेल गेले ह ।
दे॰ नोविकोव॰ - भाग-2, पृ॰146-147, गीत संख्या-130 के प्रारंभिक 12 पंक्ति । स्त्रिलेत्स
- (रूस में सोलहमी शताब्दी के शुरुआत से अठारहमी शताब्दी तक) युद्ध में स्थायी रूप
से सेवा करे वला विशेष सेना ।
[39]
सम्राट् के शहर में आगमन पर स्वागत आउ आत्मसमर्पण स्वरूप पारंपरिक भेंट ।
[40]
सम्राट् प्योत्र फ़्योदरोविच - अर्थात् सम्राट् प्योत्र तृतीय । दे॰ नोट 33.
[41]
कंपनी के दर्जी अपन भोथर कैंची से ओकन्हीं के चोटी काटब करऽ हलइ – अठारहमी शताब्दी
में सैनिक लोग कसके गूँथल चोटी में नकली केश धारण करते जा हलइ । पुगाचोववादी सब सैनिक
लोग के चोटी काट दे हलइ, जे ज़ारशाही सेना में सेवा से मुक्ति के निशानी हलइ ।
अध्याय-8
[42]
चुमाकोव - याइक कज़ाक, फ़्योदर फ़िदोतोविच चुमाकोव (1729-1786), पुगाचोव के गोलंदाज फौज
(artillery) के कमांडर हलइ । लेकिन सन् 1775 में ऊ पुगाचोव के पकड़के रूसी लोग के समर्पित
कर देलकइ - ई वचन पर कि ओकरा क्षमा कर देल जइतइ आउ एक लाख रूबल पुरस्कार के रूप में
देल जइतइ ।
[43]
दे॰ नोविकोव॰ - भाग-1, पृ॰147; गीत संख्या-131, जेकर पहिला दू पंक्ति पुश्किन के उपन्यास
"दुब्रोव्सकी", अध्याय-19, में भी उद्धृत हइ ।
[44]
ग्रिश्का ओत्रेप्येव - ग्रिगोरी (ग्रीशा, ग्रिश्का) ओत्रेप्येव, जे एगो भगोड़ा साधु
हलइ, ई दावा कइलके हल कि ऊ सम्राट् इवान रौद्र (Ivan the Terrible) के पुत्र द्मित्री
इवानोविच आउ रूसी सिंहासन के उत्तराधिकारी हइ । वास्तविक सम्राट्-पुत्र द्मित्री के
नो बरस के उमर में सन् 1591 में हत्या कर देल गेले हल । ओत्रेप्येव सम्राट् बन्ने में
सफल हो गेले हल आउ दस महिन्ना (1605-1606) तक शासन कइलके हल ।
अध्याय-9
[45]
पुश्किन द्वारा ई उद्धरण मिख़ाइल ख़ेरास्कोव (1733-1807) के सन् 1796 में प्रकाशित छो
चतुष्पदी छंद के गीत में से दोसरका चतुष्पदी छंद (quatrain) हइ ।
अध्याय-10
[46]
ई उद्धरण, रूसी सम्राट् इवान रौद्र (Ivan the Terrible) द्वारा सन् 1552 में कज़ान शहर
पर कब्जा करे के स्मृति में मिख़ाइल ख़ेरास्कोव (1733-1807) द्वारा रचित महाकाव्य
"रोसियादा" के गीत संख्या 11, पंक्ति सं॰83-86 से लेल गेले ह, जेकरा में
पंक्ति सं॰83 के पहिला चरण "एहे दौरान रूसी सम्राट्" के उद्धरण में छोड़ देवल
गेले ह । ई उद्धरण में "ऊ" सर्वनाम इवान रौद्र के निरूपित करऽ हइ ।
[47]
लिज़ावेता ख़ार्लोवा - निझ्निओज़ेर्नाया किला के कमांडर मेजर ख़ार्लोव हलइ, जेकरा ई किला
के कब्जा कइला के बाद पुगाचोव हत्या कर देलके हल । एकर विधवा पत्नी लिज़ावेता ख़ार्लोवा
के पुगाचोव अपन रखैल बना लेलके हल, आउ जेकरा ओकर साथी सब बाद में हत्या कर देते गेले
हल । विस्तृत विवरण खातिर देखल जाय "पुगाचोव के इतिहास", अध्याय-2 आउ 3 ।
अध्याय-11
[48] अ॰ सुमारोकोव - अलिक्सांद्र पित्रोविच सुमारोकोव
(1717-1777), रूसी कवि, नाटककार आउ साहित्य आलोचक; अठारहमी शताब्दी के रूसी साहित्य
के सबसे बड़गो प्रतिनिधि; रूसी साहित्य के पहिला व्यावसायिक (professional) लेखक ।
पुश्किन
द्वारा उद्धृत ई पद्यांश सुमारोकोव के कोय रचना में नयँ मिल्लऽ हइ । रूसी विद्वज्जन
के मत हइ कि एकर रचना स्वयं पुश्किन सुमारोकोव के भाषा आउ शैली में कइलथिन हँ, जे उनकर
रफ़ पांडुलिपि से स्पष्ट होवऽ हइ । विस्तृत सूचना खातिर दे॰ – ओक्समान॰, पृ॰254.
[49]
प्रतिमा सब के निच्चे बैठल - प्रतिमा सब (क्राइस्ट, माँ मेरी, आउ संत सब के प्रतिमा)
परंपरागत रूप से कमरा के दहिना तरफ के अंतिम छोर पर टाँगल रहऽ हइ, जेकरा आदरसूचक स्थान
मानल जा हइ ।
[50]
अर्म्याक - दे॰ अध्याय-2, नोट-16.
[51]
कन्हा पर डालल नीला रिब्बन - संत अन्द्रेय के और्डर (पदक), जे प्योत्र महान द्वारा
1698 में स्थापित, रूस में शौर्य के उच्चतम पदक हलइ, जे कन्हा के दहिना दने हलका नीला
रिब्बन पर लगावल जा हलइ ।
[52]
युज़ेयेवो के लड़ाई – ओरेनबुर्ग से उत्तर-पश्चिम लगभग 125 कि.मी. दूर युज़ेयेवो गाँव हइ,
जाहाँ 8 नवंबर 1773 के पुगाचोव से किला के मुक्त करे लगी रूसी सेना भेजल गेले हल, जेकरा
पुगाचोव पराजित कर देलके हल ।
[53]
फ़्रेड्रिक – - अर्थात् प्रुशिया के राजा फ़्रेड्रिक द्वितीय (1712-1786), जेकरा मिलिट्री,
राजनैतिक आउ सांस्कृतिक उपलब्धि के चलते "महान" के उपाधि प्राप्त होले हल
। पुगाचोव रूसी कृषक रीति-रिवाज के अनुसार ओकरा रूसी नाम (फ़्योदर) आउ पैतृक नाम (फ़्योदरोविच)
से पुकारऽ हइ ।
[54]
फ़्योदर फ़्योदरोविच – दे॰ उपर्युक्त नोट-53.
[55]
ग्रिश्का
ओत्रेप्येव - दे॰
अध्याय-8, नोट-44.
अध्याय-13
[56] ई पद्यांश क्न्याझनिन के कोय रचना में नयँ मिल्लऽ
हइ । लेकिन लगऽ हइ कि एकर अंतिम दू पंक्ति क्न्याझनिन के प्रहसन (कॉमेडी) "ख़्वास्तून"
के अंक-5, दृष्य-6 में पात्र प्रोस्तादूम के वक्तव्य "Так должен был мое он
кончить дело прежде. Ты можешь потерпеть и быть дотоль в надежде..." के आधार
पर पुश्किन द्वारा खुद रचल गेले ह ।
[57]
दे॰ "पुगाचोव के इतिहास", अध्याय-5.
[58]
ई वाक्य पहिला संस्करण में सेंसर द्वारा हटा देल गेले हल ।
[59]
इवान इवानोविच मिख़ेलसोन - मिख़ेलसोन (1740-1807) रूसी सेना के एगो सर्वोत्कृष्ट कमांडर
हलइ । जब ऊ लेफ़्टेनेंट कर्नल हलइ, त कज़ान शहर पर पुगाचोव के कब्जा से सफलतापूर्वक मुक्त
कर देलके हल आउ ओकर पीछा करके त्सारीत्सिन आउ चोर्नी यार के बीच 25 अगस्त 1774 के होल
लड़ाई में ओकरा पूरा तरह से पराजित कइलके हल । विस्तृत विवरण खातिर दे॰ "पुगाचोव
के इतिहास", अध्याय-6 आउ 8.
अध्याय-14
[60] वोलिन्स्की आउ ख़्रुश्शेव - अर्तेमी पित्रोविच
वोलिन्स्की (1689-1740) प्योत्र महान के शारीरिक आउ मानसिक रूप से अपंग भाई इवान पंचम
के बेटी आउ क्रूर एवं स्वेच्छाचारी साम्राज्ञी आन्ना इओआनोव्ना (1693-1740) के शासनकाल
(1730-1740) में एगो मन्त्री हलइ । ऊ, आउ ओकर मित्र आउ सहयोगी अन्द्रेय फ़्योदरोविच
ख़्रुश्शेव (1691-1740) पर आन्ना के प्योत्र महान के बेटी एलिज़ावेता से प्रतिस्थापित
करे के षड्यंत्र के अभियोग लगावल गेले हल, आउ दुन्नु के प्राणदंड देल गेले हल ।
[61]
त्सार्स्कए सेलो (Tsarskoe Selo) - शाब्दिक अर्थ "त्सार (सम्राट्) के गाँव",
जे पितिरबुर्ग से 24 कि.मी. दक्षिण में अवस्थित हइ । मूलतः ई एगो जायदाद (estate) हलइ,
जे प्योत्र महान द्वारा अपन पत्नी के 1708 में देल गेले हल, जे समय के साथ शाही परिवार
आउ कुलीन वर्ग के एगो प्रिय ग्रामीण निवास के रूप में विकसित हो गेलइ आउ आखिरकार एगो
शहर में । सोफ़िया, जे एगो पड़ोसी शहर हलइ, सन् 1808 में त्सार्स्कए सेलो में शामिल कर
लेल गेलइ। सम्राट् अलिक्सांद्र प्रथम द्वारा त्सार्स्कए सेलो में सन् 1811 में स्थापित
लिसे ( lycée - उच्च विद्यालय) के पहिला ग्रेजुएट बनके निकसे वलन में राष्ट्रकवि पुश्किन
हलथिन । सन् 1937 में उनकर निधन के शताब्दी सम्मान में ई शहर के नाम बदलके पुश्किन
रख देवल गेलइ ।
[62]
रुम्यान्त्सेव के हाल के विजय - काउंट प्योत्र अलिक्सांद्रोविच रुम्यान्त्सेव
(1725-1796) एगो प्रतिभाशाली जेनरल हलइ आउ बाद में फ़ील्ड मार्शल, जे मुख्य रूप से रूसी-तुर्की
युद्ध में शामिल होले हल । 1768-1774 के रूसी-तुर्की युद्ध में ओकर विजय सुलतान अब्दुल
हमीद प्रथम के 1774 में शांति समझौता करे पर बाध्य कर देलकइ ।