मगही के क्रियारूप में "व" और "ब" के प्रयोग
(1)
क्रियारूप में भविष्यत्काल निरूपित करने के लिए "ब" का ही प्रयोग किया जाना
चाहिए। जैसे - जइबइ, खइबइ, पढ़बइ, जइबो, खइबो, खइबऽ इत्यादि।
(2)
ऊ जाब करऽ हइ, खाब करऽ हइ, आदि में बकार का ही प्रयोग किया जाना चाहिए।
(3)
मगहीभाषी साधारणतः "व" का भी उच्चारण "ब" जैसा ही करते हैं और
इसलिए मगही में लिखते वक्त जहाँ "व" का प्रयोग होना चाहिए, वहाँ "ब"
ही लिख देते हैं। परन्तु मानकता के लिए वहाँ "व" का ही प्रयोग किया जाना
चाहिए।
निम्नलिखित
उदाहरणों पर ध्यान दें।
(i) पढ़े के चाही, करे के चाही, लिक्खे के चाही आदि में
पढ़, लिख, कर आदि धातु में "ए" प्रत्यय जोड़ा जाता है।
अतः
होना क्रिया से हो+ए के चाही। यहाँ उच्चारण सौकर्य के लिए हो+व्+ए = होवे के चाही।
यहाँ
वकार के बदले बकार का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
(ii) करवाना, लिखवाना, सुनवाना, आदि
में व के बदले ब का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि हिन्दी जैसा ही वकार का प्रयोग
करना चाहिए।
उपर्युक्त
आगम संबंधी नियम लगाने पर करवावे के चाही, लिखवावे के चाही।
अपवादः
खाना
- खाय के चाही। (खावे के चाही x )
जाना
- जाय के चाही। (जावे के चाही x )
नहाना
- इसका प्रयोग सकर्मक ( = नहलाना) और अकर्मक (खुद स्नान करना) दोनों में होता है।
नहाय के चाही (खुद), लेकिन नहावे (अर्थात् नहलावे)
के चाही (जैसे बच्चे को)।
(4)
धातु से इच्छा, आदेश, आदि में "अ" प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे - करऽ, पढ़ऽ,
लिक्खऽ, आदि।
परन्तु धातु अगर आकारान्त या ओकारान्त हो तो
"अ" प्रत्यय जोड़ते वक्त उच्चारण सौकर्य हेतु "व्" का आगम होगा।
जैसे - अपनाना --> अपना+अ = अपना+व्+अ =
अपनावऽ
सजाना --> सजा+अ = सजा+व्+अ = सजावऽ
पाना --> पा+अ = पा+व्+अ = पावऽ
खोना --> खो+अ = खो+व्+अ = खोवऽ
अपवाद - खाना --> खा ; जाना --> जा
("खावऽ", "जावऽ" x )
नोट: (i) सुतना
--> सुत+अ = सुत्तऽ, सुनना --> सुन+अ = सुन्नऽ
(ii) भूतकृदन्त में भी दो अक्षर वाले धातुओं
के अन्तिम व्यंजन का द्वित्व –
सुतना
--> सुत्तल, सुनना --> सुन्नल।