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Monday, August 26, 2019

पितिरबुर्ग से मास्को के यात्रा ; अध्याय 13. वलदाई


[*204]                                                 वलदाई
नयका ई छोटका शहर, कहल जा हइ, सम्राट् अलिक्सेय मिख़ाइलोविच के शासनकाल में पॉलिश युद्धबन्दी लोग द्वारा बसावल गेले हल।[1] ई शहर एकर वासी के आउ विशेष रूप से अविवाहित औरतियन के कामुक प्रवृत्ति लगी प्रसिद्ध हइ।
केऽ वलदाई नञ् गेले ह, केऽ नञ् जानऽ हइ वलदाई के बरानका[2] आउ वलदाई के पावडर लगाके लाल होल छोकड़ियन के? ढीठ आउ बेशरम वलदाई के छोकड़ियन हरेक यात्री के रोक ले हइ, आउ यात्री के कामुकता जगावे के प्रयास करऽ हइ, अपन कौमार्य के कीमत पर ओकर उदारता के लाभ उठावे लगी। शहर के दर्जा प्राप्त कर लेल ई गाम के निवासी के नैतिकता के दोसर शहर के निवासी के नैतिकता से तुलना करते बखत सोचभो कि ई (शहर) सबसे जादे पुराना हइ आउ लम्पटता [*205] एकर प्राचीनता के एकमात्र अवशेष हइ। लेकिन सो साल से कुच्छे अधिक समय पहिले ई शहर बसावल गेले हल, त कल्पना कइल जा सकऽ हइ, एकर पहिलौकन निवासी लोग केतना लम्पट रहले होत।
बान्या[3] हमेशे प्रेम महोत्सव के स्थान रहले ह आउ अभियो हइ। यात्री अपन ठहराव खातिर सेवापरायण बुढ़िया या युवक के साथ तय करके प्रांगण (सहन) में रुक जा हइ, जाहाँ परी ओकरा सार्वत्रिक पूजनीय लादा[4] के खातिर नैवेद्य लावे के इरादा हइ। रात हो गेलइ। बान्या ओकरा लगी तैयार हइ। यात्री अपन कपड़ा उतारऽ हइ, बान्या में जा हइ, जाहाँ परी ओकरा से स्वागत करऽ हइ मालकिन, अगर ऊ युवती हइ, चाहे ओकर बेटी, ओकर नजदीकी रिश्तेदार, या पड़ोसी लड़की। ओकन्हीं ओकर थक्कल देह के अंग के रगड़ऽ हइ; देह पर के धूरी वगैरह धोवऽ हइ। अइसन ओकन्हीं अपन देह पर के कपड़ा उतारके करते जा हइ, ओकरा में कामुकता के अग्नि प्रज्वलित करऽ हइ, आउ ऊ अपन रात हुएँ गुजारऽ हइ, अपन पैसा, सेहत आउ यात्रा के कीमती समय बरबाद करके। लोग के कहना हइ कि अइसनो होले ह कि लापरवाह आउ प्यार [*206] आउ शराब में मग्न यात्री के ई कामुक राक्षसी हत्या कर देलकइ ताकि ओकर सब्भे पैसा कौड़ी हथिया ले। हमरा मालुम नञ्, ई सही हइ कि नञ्, लेकिन वलदाई के लड़कियन के ढिठाई कमती हो गेले ह। आउ हलाँकि ओकन्हीं अभियो यात्री के इच्छा के संतुष्ट करे से इनकार नञ् करऽ हइ, लेकिन ओकन्हीं में पहिलौका ढिठाई नञ् देखाय दे हइ।
वलदाई झील, जेकरा पर ई शहर बस्सल हइ, कहानी में प्रसिद्ध रहतइ, ऊ मठवासी (monk) के चलते जे अपन प्रेमिका के प्यार में अपन जीवन के बलिदान कर देलकइ। शहर से लगभग डेढ़ विर्स्ता दूरी पर, झील के बीच में, एगो टापू पर, ईबेरियन मठ हइ, जेकर स्थापना प्रसिद्ध निकोन[5] प्राधिधर्माध्यक्ष (Patriarch) द्वारा कइल गेले हल। ई मठ के एगो मठवासी वलदाई अइला पर ई शहर के एगो वासी के लड़की से प्यार में पड़ गेलइ। जल्दीए ओकन्हीं के प्यार पारस्परिक (mutual) हो गेलइ, जल्दीए ओकन्हीं एकरा पूरा करे के प्रयास करते गेलइ। एक दिन प्रेम के आनन्द में, [*207] ओकन्हीं एकर प्रयास में खुद के रोक नञ् पइलकइ। लेकिन ओकन्हीं के परिस्थिति एकरा लगी बाधा हलइ। प्रेमी के अकसर अपन मठ से बाहर जाना नञ् होवऽ हलइ; प्रेमिका के अपन प्रेमी के मठ के कक्ष में भेंट देना संभव नञ् हलइ। लेकिन ओकन्हीं के प्यार सब बाधा पर विजय पा लेलकइ; प्यार में पागल मठवासी ई ओकरा एगो निर्भय व्यक्ति बना देलकइ, आउ ओकरा लगभग अलौकिक शक्ति दे देलकइ। ई नयका लेआन्द्रो[6] (Leandro) रोज दिन अपन प्रेमिका के आलिंगन के आनन्द लेवे लगी, जइसीं रात पूरे आकाश के अपन काला चादर से ढँक लेय, अपन कक्ष से चुपके से निकसइ  आउ अपन चोगा उतारके, झील के पैरके सामने के तट पर जाय, जाहाँ परी ओकरा अपन प्रेमिका के आलिंगन स्वागत करइ। बान्या आउ ओकरा में प्यार के आनन्द ओकरा लगी तैयार रहऽ हलइ; आउ ऊ ओकरा में झील के पैरके पार करे में खतरा आउ कठिनाई के बारे भूल जाय, आउ ई भय के भी कि अगर ओकर अनुपस्थिति लोग के मालुम हो जाय। सुबह होवे के कुछ घंटा पहिले ऊ अपन कक्ष में वापिस आ जाय। [*208] ई तरह से अइसन खतरनाक तैराकी अभियान में ऊ लमगर अवधि गुजारऽ हलइ, दिन के एकांत के उकताहट के, रात के आनन्द से क्षतिपूर्ति कर ले हलइ। लेकिन भाग्य ओकर प्रेम के साहसिक कार्य के अंत कर देलकइ। एक रात जब ई निडर प्रेमी अपन प्रेमिका के दर्शन खातिर लहर के बीच प्रस्थान कइलकइ, त अचानक ओकर विपरीत दिशा में हावा उठलइ जब ऊ आधा रस्ता में हलइ। ओकर पूरा शक्ति क्रोधित लहर के सामना करे लगी काफी नञ् हलइ। व्यर्थ में ऊ अपन मांसपेशी पर जोर डालके थक गेलइ; व्यर्थ में ऊ अपन अवाज उँचगर कइलकइ ताकि खतरा में ओकर अवाज सुनाय दे। तट पर पहुँचना असंभव समझके ऊ अपन मठ वापिस लौटे के इरादा कर लेलकइ, ताकि अनुकूल हावा में ओकरा लगी पहुँचना आसान होतइ। लेकिन मोसकिल से ऊ वापिस मुड़ले हल कि लहर ओकर थक्कल मांसपेशी पर काबू पा लेलकइ आउ ओकरा निच्चे डुबा देलकइ। सुबह में ओकर देह दूर के तट पर पावल गेलइ। अगर हम एकरा पर कविता लिखतिए हल [*209] , त हम पाठक खातिर ओकर प्रेमिका के निराशा प्रस्तुत करतिए हल। लेकिन ई हियाँ परी फालतू होतइ। हर कोय जानऽ हइ कि प्रेमिका के, बल्कि पहिले पल में, अपन प्रेमी के मौत जानके कष्ट होतइ। हमरा एहो नञ् मालुम, कि ई नयकी हेरो झील में कूदके जान दे देलकइ कि नञ्; चाहे अगला रात में यात्री लगी फेर बान्या गरम कइलकइ कि नञ्। प्रेम के वर्षवृत्तान्त कहऽ हइ कि वलदाई के सुन्दरी प्रेम में नञ् मरऽ हलइ ... सिवाय अस्पताल में। वलदाई के रिवाज नगीच के डाक स्टेशन, ज़िम्नोगोर्ये, में भी फैल गेले ह। हियों परी यात्री के ओइसने स्वागत कइल जा हइ, जइसे वलदाई में। सबसे पहिले तोहरा नजर अइतो बरानका लेले पावडर लगाके सज्जल-धज्जल छोकड़ियन। लेकिन चूँकि हमर जवानी के दिन गुजर चुकल ह, हम शीघ्रतापूर्वक वलदाई आउ ज़िम्नोगोर्ये के पेंट कइल साइरन से दूर चल गेलिअइ।



[1] अलिक्सेय मिख़ाइलोविच (1629-1676), रूस के सम्राट् (1645-1676), पोलैंड के विरुद्ध 1654-1667 ई॰ के बीच युद्ध जारी रखलथिन हल। वलदाई के शहर के दर्जा 1772 में मिललइ।
[2] बरानका - वलयाकार (ring-shaped) मालपुआ।
[3] बान्या - भाफ स्नानघर। विस्तृत विवरण खातिर दे॰ (1) A.G. Cross, The Russian Banya in the Descriptions of Foreign Travellers and the Depictions of Foreign and Russian Artists, in "Oxford Slavonic Papers", 1991, XXIV, pp.34-59. (2) G. Kabakova and A. Stroev, Les voyageurs aux bains russes, in “Revue des études slaves”, 1997 (4), pp. 505-518.
[4] लादा - प्रेम, विवाह आउ सुख के स्लाविक देवी।
[5] निकोन (लगभग 1610-1681); मास्को के प्राधिधर्माध्यक्ष (1652-1666); इबेरियन मठ के स्थापना 1653 में कइलकइ। एकर नाम के व्युत्पत्ति इवेरिया से हइ, जे रूसी जॉर्जिया के पुरनका नाम हलइ।
[6] रादिषेव शायद अलेक्ज़ेंड्रिया स्रोत के लेआन्द्रो आउ हेरो (Leandro and Hero) से संबंध जोड़ऽ हथिन। लेआन्द्रो, आबिदोस के एगो जवान, आउ हेरो, सेस्तोस में एफ़्रोडाइट के कुमारी पुरोहित, एक दोसरा के प्रेम में पड़ गेला हल। लेआन्द्रो हेलेस्पोन्तो जलडमरूमध्य (strait) के रोज रात में पैरके अपन प्रेमिका से मिल्ले लगी जा हलइ, जे मार्गदर्शक के रूप में आग जलाके रक्खऽ हलइ। एक रात लेआन्द्रो जलडमरूमध्य पैरके पार करे में डूबके मर गेलइ। ओकरा अगला सुबह देखके हेरो समुद्र में छलाँग लगाके जान दे देलकइ।

Friday, August 23, 2019

पितिरबुर्ग से मास्को के यात्रा ; अध्याय 12. याझेलबित्सी


[*197]                                                 याझेलबित्सी
भाग्य निश्चित कइलक हल ई दिन हमर परीक्षा लगी। हम एगो पिता ही, हमरा अपन बुतरुअन के प्रति कोमल हृदय हके। ओहे से तो क्रेस्तित्सी के कुलीन के शब्द हमरा एतना स्पर्श कइलक। लेकिन ऊ हमर दिल के अन्दर तक कँपाके एक प्रकार के आशा के सान्त्वनाकारक भावना भर देलक कि हम सब के अपन बुतरुअन के संबंध में खुशी बहुत कुछ हमन्हीं खुद पर निर्भर हइ। लेकिन याझेलबित्सी में हमरा एगो अइसन दृश्य के साक्षी होवे के बद्दल हले, जे हमर हृदय में शोक के एगो गहरा जड़ जमा देलक आउ ओकर उन्मूलन के कोय आशा नञ् देखाय दे हके। ओ जवानी! हमर कहानी सुन; अपन भूल के पछान; अपन अनियंत्रित नाश से खुद के दूर रख; आउ भावी पछतावा के रस्ता पर मत जो।
हम एगो कब्रिस्तान भिर से गुजर रहलिए हल। अपन बाल नोच रहल अदमी के असाधारण क्रन्दन हमरा रुक्के कगी बाध्य कर देलक। [*198] नगीच जइते हम देखलिअइ कि हुआँ परी एगो लाश के दफनावल जा रहले हल। अब ताबूत के कब्र में गिरावे के समय आ चुकले हल, लेकिन ऊ, जेकरा हम दूर से अपन बाल नोचते देखलिए हल, ताबूत पर टूट पड़लइ आउ ओकरा से बहुत कसके लिपट गेलइ, ओकर जमीन के निच्चे गिरावे नञ् देब करऽ हलइ। बहुत कठिनाई से ओकरा ताबूत से अलगे कइल गेलइ, आउ ताबूत के कब्र में डालके जल्दी-जल्दी ओकरा मट्टी से भर देल गेलइ। तब शोकग्रस्त उपस्थित लोग के कहे लगलइ - "तोहन्हीं काहे ओकरा हमरा से अलगे कर देते गेलऽ, काहे नञ् हमरा ओकरे साथ जिन्दा गड़ देलऽ, आउ हमर कष्ट आउ पश्चात्ताप के समाप्त कर देलऽ? जान लऽ, जान लऽ, कि हम अपन दुलारा बेटा के हत्यारा हिअइ, जेकर मृत देह के तोहन्हीं कब्र में डाल देते गेलऽ। एकरा लगी अचरज मत करऽ। हम ओकर उमर न तो तलवार चाहे न तो जहर से कम कर देलिअइ। नञ्, एकरो से हम जादे कर देलिअइ। ओकरा पैदा लेवे के पहिलहीं हम ओकर मौत के तैयारी कइलिए हल, ओकरा जहरीला जिनगी देके। हम हत्यारा हिअइ, जइसन कइएक हइ, लेकिन दोसर हत्यारा सब के अपेक्षा सबसे अधिक भयानक। हम अपन बेटा के हत्या ओकर जन्म के पहिलहीं कर देलिअइ। [*199] हमहीं, खाली हमहीं अकेल्ले, ओकर जिनगी के दिन कम कर देलिअइ, ओकर प्रारंभिक समय में धीमा जहर देके। एकरा से ओकर शारीरिक विकास में बाधा अइलइ। अपन समुच्चे जिनगी में ऊ एक्को दिन स्वास्थ्य के आनन्द नञ् उठा पइलकइ; आउ ओकर अपन शक्ति के पिपासा में जहर के फैलाव ओकर जिनगी के बहाव के काट देलकइ। कोय नञ्, कोय नञ् हमरा हमर दुष्कर्म लगी दंडित करतइ!" निराशा ओकर चेहरा पर उभर अइलइ, आउ लोग ओकरा लगभग निर्जीव नियन ऊ जगह से दूर ले गेते गेलइ।
हमर नस में एगो अचानक शीतलहर दौड़ गेलइ। हमर शरीर सुन्न पड़ गेल। हमरा लगलइ जइसे हम अपन दंड सुनलिअइ। हमरा अपन जवानी के लंपट दिन आद पड़ गेलइ। हमरा ऊ सब घटना के आद पड़ गेलइ, जब इन्द्रिय द्वारा प्रेरित हमर आत्मा ओकर संतुष्टि के पीछू दौड़ऽ हलइ, कामुक संतुष्टि खातिर किराया पर लेल सहभागिनी के प्यार के वास्तविक वस्तु समझलकइ। हमरा आद पड़ गेलइ कि अनियंत्रित कामवासना के कारण हमर शरीर घृणास्पद रोग से ग्रस्त हो गेलइ। ओह, काश ऊ अपन जड़ आउ नञ् फैलइते हल! [*200] ओह, काश ई कामवासना के शांत होवे के साथ समाप्त हो जइते हल! आनन्द लेवे में ई जहर के प्राप्त करके नञ् खाली हम खुद के अंदर एकरा गरमावऽ हिअइ, बल्कि एकरा अपन वंशज लोग के भी विरासत में दे हिअइ। ओ हमर प्रिय मित्र लोग, ओ हमर आत्मा के बुतरू लोग! तोहन्हीं नञ् जानऽ ह कि तोहन्हीं सामने हम कइसन पाप कइलियो ह। तोहर पीयर भौं हमरा लगी सजा हको। हम तोहरा रोग के बारे बतावे में डरऽ हियो, जेकरा कभी-कभार तोहन्हीं महसूस करऽ हो। शायद तूँ हमरा से नफरत करबऽ, आउ तोहर नफरत वाजिब होतो। केऽ तोहरा आउ हमरा विश्वास देलइतइ कि तूँ अपन खून में गुप्त दंश नञ् वहन कर रहलहो ह, जे तोर अकाल मौत के कारण हो सकऽ हको? ई घृणास्पद विष हम अपन शरीर में बिलकुल प्रौढ़ावस्था में प्राप्त करके हमर शरीर के अंग सब के दृढ़ता ओकर फैलाव के प्रतिरोध कइलकइ आउ एकर मारक प्रभाव के विरुद्ध संघर्ष करऽ हइ। लेकिन तूँ अपन जन्म से एकरा प्राप्त करके, अपन काठी के अभिन्न अंग के रूप में खुद एकरा वहन करते, कइसे तूँ एकर विनाशक जलन के रोक सकऽ हो? [*201] तोर सब्भे रोग एहे जहर के नतीजा हको। ओ हमर प्रिय लोग! हमर जवानी के गलती पर रोवऽ, चिकित्सकीय कला के सहायता लगी अपील करऽ, आउ हो सको त हमरा से नफरत नञ् करऽ।
लेकिन अब हमर आँख के सामने खुल्लऽ हइ ई कामवासनात्मक अपराध के पूरा विस्तार। हम खुद के नजर में पाप कइलूँ हँ, युवावस्था में हीं अकालिक बुढ़ापा आउ जीर्णता पैदा करके। तोहर नजर में हम पाप कइलूँ हँ, तोहर सजीव रस (vital fluids) के तोहर जन्म के पहिलहीं विषाक्त करके, आउ एकरे चलते तोहर खराब सेहत के कारण होलियो, आउ शायद अकाल मृत्यु के। हम पाप कइलूँ, आउ एहे हमर दंड होवे, हम अपन प्यार में पाप कइलूँ, तोहर माय से विवाह करके। केऽ हमरा गारंटी दे सकऽ हइ कि हम ओकर मौत के कारण नञ् हलिअइ? मारक विष, आनन्द में फैलते, ओकर पवित्र शरीर में स्थापित हो गेलइ, आउ ओकर सब निष्पाप अंग के विषाक्त कर देलकइ। ई आउ जादे मारक हलइ, [*202] काहेकि ई जादे गुप्त हलइ। मिथ्या लज्जा हमरा ओकरा पूर्वसूचना देवे से रोकलकइ; ऊ तो अपन विषदाता से ओकरा प्रति प्यार में कोय सावधानी नञ् बरतलकइ। सूजन, जे ओकरा दूर कर देलकइ, शायद ऊ विष के फल हइ, जे हम ओकरा देलिअइ ... ओ हमर प्रिय लोग, केतना तोहन्हीं के हमरा से घृणा करे के चाही!
लेकिन केऽ दोषी हइ ई लगी कि ई घृणास्पद रोग सब्भे देश में एतना बड़गर विनाश करऽ हइ, नञ् खाली वर्तमान पीढ़ी के नाश करते, बल्कि भावी लोग के दिन भी कम करते? केऽ दोषी हइ, अगर सरकार नञ् हइ? वेश्यावृत्ति के अनुमोदन करके ई (सरकार) नञ् खाली कइएक दुराचार के रस्ता खोल दे हइ, बल्कि नागरिक लोग के जीवन विषाक्त कर दे हइ। सार्वजनिक औरत लोग अपन रक्षक खोजते जा हइ आउ कुछ देश में तो प्राधिकारी (authorities) के संरक्षण में रहऽ हइ। कुछ लोग के कहना हइ कि अगर कामुकता के किराया वला संतुष्टि पर रोक लगा देल गेलइ [*203] त समाज में अकसर प्रचंड कायापलट (violent upheavals) अनुभव कइल जइतइ। अपहरण, बलात्कार आउ हत्या के स्रोत अकसर कामुकता में होतइ। एकरा से समाज के बुनियादे हिल जइतइ। आउ ओहे से तूँ बेहतर शांति चाहऽ हो आउ एकरे साथ थकान आउ शोक, बजाय आशंका (खतरा) आउ एकरे साथ स्वास्थ्य आउ पुरुषत्व (मरदानगी) के। चुप रह नीच शिक्षक लोग, तोहन्हीं अत्याचार हेतु भाड़ा के टट्टू हकँऽ; हमेशे शांति के पाठ पढ़इते ई (अत्याचार) चाटुकारिता से सम्मोहित लोग के बेड़ी में जकड़ ले हइ। एकरा दोसरा में हंगामा के भी भय रहऽ हइ। एहो चाहतइ कि सगरो लोग एकर विचार से सहमत रहइ आउ अराम से अपन महानता के आनन्द उठावइ आउ कामुकता में डुब्बल रहइ ... हम तोर बात से अचंभित नञ् हियो। दास लोग स्वाभाविक रूप से सब कोय के बेड़ी में देखे लगी चाहऽ हइ। एक नियन भाग्य ओकन्हीं के किस्मत के हलका कर दे हइ, जबकि केकरो श्रेष्ठता ओकन्हीं के दिल आउ दिमाग पर भार डाल दे हइ।


Wednesday, August 21, 2019

पितिरबुर्ग से मास्को के यात्रा ; अध्याय 11. क्रेस्तित्सी


[*154]                                                             क्रेस्तित्सी
क्रेस्तित्सी में हम एगो पिता के अपन बुतरुअन से बिछुड़ते देखलिअइ, जे हमरा लगी कुछ जादहीं मर्मस्पर्शी हलइ, कि हमहूँ एगो पिता ही आउ जल्दीए शायद अपन बाल-बुतरू से बिछुड़े पड़त। कुलीनता के दुर्भाग्यपूर्ण पूर्वाग्रह ओकन्हीं के सर्विस में जाय के आदेश दे हइ। ई एक्के शब्द के उल्लेख से हमर पूरा खून के असाधारण रूप से आन्दोलित कर दे हइ! एक के विरुद्ध हजार के बाजी लगावल जा सकऽ हइ कि 100 कुलीन लोग में से, जे सर्विस में जा हइ, 98 लोग लम्पट हो जा हइ, आउ दू गो बुढ़ारी में, चाहे बेहतर कहल जाय, सठिया गेला पर, हलाँकि बुढ़ारी में नञ्, निम्मन अदमी बन्नऽ हइ। बाकी लोग रैंक में आगू जा हइ, अपव्ययी हो जा हइ चाहे जायदाद बना ले हइ, इत्यादि, इत्यादि। कभी-कभी अपन बड़का बेटवा दने देखऽ हिअइ आउ सोचऽ हिअइ कि ऊ जल्दीए सर्विस में प्रवेश करतइ, या दोसर शब्द में कहल जाय, [*155] कि छोटका चिरईं खोंथा से उड़ जइतइ, त हमर रोंगटा खड़ी हो जा हइ। ई कारण से नञ् कि सर्विस खुद आचरण के बिगाड़ दे हइ; बल्कि ई कारण से कि आचरण परिपक्व हो गेले पर सर्विस शुरू करे के चाही। कोय कहतइ, "लेकिन केऽ अइसन दुधपिलुआ लोग के एकरा में ठेलऽ हइ?" - "केऽ? सामान्य उदाहरण। स्टाफ अफसर सतरह साल के उमर में; कर्नल बीस के उमर में; जेनरल (सेनापति) बीस में; कामेरहेर[1], सिनेटर, नमेस्त्निक[2], सेना के कमांडर।[3] आउ कउन बाप के नञ् मन करतइ कि ओकर बाल-बुतरू, बल्कि बचपने में रहलो पर, उच्च रैंक प्राप्त करे, जेकरा चलते सम्पत्ति, इज्जत आउ बुद्धि आवऽ हइ?" - जब हम अपन बेटा के देखऽ हिअइ त हमर मन में चित्र प्रस्तुत होवऽ हइ - ओकर सर्विस शुरू हो गेलइ, ऊ परिचित हो गेलइ अपव्ययी, लम्पट, जुआड़ी, छैला लोग से। ऊ सीख लेलकइ निम्मन से पोशाक पहनके सज्जे-धज्जे लगी, ताश खेले लगी, ताश खेलके जीविका चलावे लगी, बिन कुछ सोचले-समझले सब कुछ बोले लगी, लड़कियन के पीछू दौड़े लगी, [*156] चाहे नवाबजादी लोग के साथ बकवास करे लगी। कइसूँ भाग्य मुर्गी के टाँग[4] पर घूमते ओकरा पुचकारे लगलइ; आउ हमर दुलारा बेटा अभी दाढ़ियो बनावे लगी शुरू नञ् कर पइलके ह कि प्रसिद्ध बयार (जागीरदार) हो गेलइ। ऊ कल्पना करे लगले ह कि ई संसार में सब्भे से जादे बुद्धिमान हइ। अइसन मिलिट्री कमांडर चाहे शहर के मेयर से कइसन निम्मन के आशा कइल जा सकऽ हइ? - हमरा सच बतावऽ अपन बुतरू के प्यार करे वला पिता, बतावऽ, ओ निष्ठावान नागरिक! कीऽ तोरा मन नञ् करतो कि अपन दुलारा बेटा के सर्विस में ढकेले के अपेक्षा ओकरा गला घोंटके मार दऽ? की तोर हृदय में टीस नञ् उट्ठऽ हको कि तोर दुलारा बेटा, एगो प्रसिद्ध व्यक्ति, मेधा आउ गुण से घृणा करऽ हको, ई कारण से कि बेईमानी से घृणा करे वला मेधा आउ गुण के भाग्य में उच्च रैंक तक पहुँचे के रस्ता में रेंगके चल्ले पड़ऽ हइ? तोरा अम्मोढेकार रोना नञ् होवऽ हको कि तोर प्यारा दुलारा बेटा, जेकर चेहरा पर मनोहर मुसकान हइ, लोग के जायदाद, प्रतिष्ठा से वंचित कर देतइ, लोग के जहर दे देतइ आउ गला रेत देतइ, हमेशे अपन बड़गर हस्ती वला हाथ से नञ्, बल्कि अपन चहेता लोग के पंजा से?
[*157] क्रेस्तित्सी कुलीन, हमरा लगलइ, लगभग पचास साल के हलइ। ओकर सिर में सुनहरा बाल के बीच विरले कुछ सफेद धारी हलइ। ओकर ठीक-ठाक चेहरा ओकर आत्मा के शांति दर्शावऽ हलइ, जेकरा में व्यसन के पहुँच नञ् हो सकऽ हलइ। शांत प्रसन्नता के मृदु मुसकान, जे दयालुता से उत्पन्न होवऽ हइ, ओकर गाल पर गुल (dimples)  पैदा करऽ हलइ, जे स्त्री लोग में एतना मनोहर होवऽ हइ; ओकर नजर, जब हम ऊ कमरा में घुसलिअइ जाहाँ ऊ बैठल हलइ, ओकर दुन्नु बेटवा पर लगल हलइ। ओकर आँख, अनुकूल तर्क के आँख, उदासी के हलकी झिल्ली से आवृत्त लगऽ हलइ; लेकिन ओकरा से दृढ़ता आउ आशा के चिनगारी निकस रहले हल। ओकरा सामने दू गो युवक खड़ी हलइ, लगभग एक्के उमर के, जन्म के समय के हिसाब से बस एक साल के अंतर हलइ, लेकिन बुद्धि आउ हृदय के परिपक्वता में दुन्नु के बीच अंतर नञ् हलइ। काहेकि पिता के गरमजोशी छोटका के बुद्धि विकास त्वरित गति से होलइ, जबकि भ्रातृत्व प्रेम बड़का के शिक्षा के गति जरी परिमित रखलकइ। [*158] वस्तु सब के बारे समझ ओकन्हीं के एक नियन हलइ, जिनगी के नियम ओकन्हीं बराबरे जानऽ हलइ, लेकिन बुद्धि के स्तर आउ हृदय के गति के ओकन्हीं में प्रकृति अलग-घलग देलके हल। बड़का में दृष्टि आउ चेहरा-मोहरा दृढ़ हलइ, जे कोय उद्यम में ओकर आत्मा के निर्भयता आउ दृढ़ता दर्शावऽ हलइ। छोटका के दृष्टि तीक्ष्ण, चेहरा-मोहरा चंचल आउ अस्थिर हलइ। लेकिन ओकन्हीं के मृदु चाल ओकन्हीं के पिता के कल्याणकारी परामर्श के पक्का चिह्न हलइ। अपन पिता के तरफ ओकन्हीं अस्वाभाविक भीरुता से देखब करऽ हलइ, जे आसन्न अलगाव के शोक के चलते हलइ, न कि खुद पर कोय बल चाहे आधिपत्य के चलते। कभी-कभार ओकन्हीं के आँख से लोर ढरक जा हलइ। "हमर मित्र", पिता कहलकइ, "आझ हम सब अलग हो जइते जइबइ", आउ ओकन्हीं के आलिंगन करके सिसकते लड़कवन के अपन छाती से दबा लेलकइ। दरवजवा बिजुन स्थिर होल हम कुछ मिनट तक के ई दृश्य के साक्षी रह चुकलिए हल, जब पिता हमरा दने मुड़के बोललइ -
[*159] “हमर गवाह होवऽ, दयालु राहगीर, हमरा लगी संसार के सामने साक्षी होवऽ, हमर हृ्दय लगी केतना कठिन हकइ प्रथा के शक्तिशाली इच्छा के अनुपालन करना। अपन बुतरुअन के पिता के सतर्क दृष्टि से दूर करते हमरा एक्के अभिलाषा हइ कि एकन्हीं अनुभव पावे, कि मानव के ओकर कर्म से पहचाने, आउ ई सांसारिक जीवन के शोर-गुल से ऊब गेला पर खुशी से एकरा छोड़ देते जाय; लेकिन अत्याचार के हालत में शरण पावे, आउ गरीबी में दैनिक रोटी। आउ एहे लगी तो हम अपन खेती पर रहऽ ही। सबसे दयालु प्रभो, एकन्हीं के बड़गर लोग से भीख माँगे लगी आउ ओकन्हीं में सान्त्वना पावे लगी भटके नञ् दीहो! एकन्हीं के हृदय एकन्हीं के सान्त्वना दे; एकन्हीं के विवेक एकन्हीं के भिक्षा देवे वला होवे! बैठ जइते जा आउ हमर बात ध्यान देके सुनते जा, जे तोहन्हीं के आत्मा के अंदर रहतो। तोहन्हीं से हम फेर से दोहरावऽ हियो, आझ हमन्हीं अलगे हो जइते जइबइ। अनिर्वचनीय (inexpressible) प्रसन्नता से [*160] हम तोहन्हीं के अश्रु देखऽ हियो, जे तोहन्हीं के गाल के सींच रहलो ह। तोहर आत्मा के ई कंपन हमर परामर्श के ओकर (अर्थात् आत्मा के) गहराई तक ले जाय, हमर स्मरण कइला पर ऊ उत्तेजित हो जाय, आउ हम अपन अनुपस्थिति में तोहन्हीं खातिर बुराई आउ दुख के विरुद्ध छरदेवाली के काम करियो!
“माय के गर्भ से पैदा होला पर तोहरा हम आलिंगन में लेके हम ई नञ् चहलियो कि (हमरा छोड़के) आउ कोय तोहर देखभाल के काम सँभारे। कभियो कोय किराया पर लेल नर्स तोहर देह के छूलको, आउ न कभी किराया पर लेल प्रशिक्षक तोहर हृदय आउ बुद्धि के स्पर्श कइलको। हमर कभी नञ् थक्के वला उत्साही आँख तोहरा दिन-रात देख-भाल कइलको ताकि कोय हानिकारक चीज तोहर नगीच नञ् आ पावे; आउ हम खुद के भाग्यशाली समझऽ ही कि अभी बिदा होवे के समय तक तोहरा मार्गदर्शन कइलियो ह। लेकिन अइसन कल्पना नञ् करिहऽ कि हम तोहर होंठ से हम तोहर कइल देखभाल लगी कोय कृतज्ञता, चाहे तोहरा खातिर हमरा से कुच्छो कइल काम खातिर स्वीकारोक्ति, बल्कि ऊ केतनो हलका होवे, व्यक्त करवावे लगी नञ् चाहऽ हियो। अपन खुद के लाभ से प्रेरित होके [*161] जे कुछ हम तोरा लगी कइलियो ह, हमेशे हम अपन संतुष्टि के ध्यान में रखके कइलियो ह। ओहे से अपन दिमाग से ई विचार निकास देते जा कि तोहन्हीं हमर वश में हकऽ। तोहन्हीं कोय बात लगी कर्तव्यबद्ध हकऽ। न विवेक में, आउ आउ कमती कानून में, हमन्हीं सब के मिलन के दृढ़ता चाहऽ ही। ई तो तोहन्हीं के हृदय में स्थापित हको। तोरा शोक होवे अगर ई कभी भूल जइबऽ! हमर छाया हमन्हीं के मित्रता के बंधन के तोड़े वला के पीछा करते ओकरा ओकर छिप्पल जगह में ढूँढ़ लेतइ, आउ ओकरा बरदास के बाहर तकलीफ देतइ जब तक कि ऊ बंधन में वापिस नञ् आ जइतइ। हम फेर से कहऽ हियो, तोहन्हीं हमरा कुच्छो नञ् धारऽ ह। हमरा दने देखऽ, एगो अनजान राहगीर के रूप में, आउ अगर तोहन्हीं के हृदय हमरा लगी कइसनो स्नेहमय आकर्षण अनुभव करे, त हम सब मित्रता में जीते जइबइ, पृथ्वी पर के एगो सबसे बड़गो वरदान के रूप में। अगर ओकरा में कोय संवेदना नञ् होवे - त हम सब एक दोसरा के भूल जइते जाँव, मानूँ हमन्हीं पैदे नञ् होलूँ हल। हे सर्वदयालु, अइसन दिन हमरा देखे के अवसर नञ् मिल्ले, [*162] ओकर पहिले तूँ हमरा अपन गोदी में ले लिहऽ! तूँ हमरा लगी कुछ नञ् धारऽ ह, न तो खिलावे-पिलावे लगी, न उपदेश लगी, आउ सबसे कम तो तोर पैदाइश लगी। - जन्म खातिर? - की तोहन्हीं एकरा में भागीदार हलहो? कीऽ तोहन्हीं के पुच्छल गेलो हल कि तोहन्हीं जन्म लेवे लगी चाहभो? पैदा होला से तोरा फयदा होतो, कि नुकसान? कीऽ बाप-माय के अपन बेटा के पैदा करे बखत मालुम रहऽ हइ कि ऊ जिनगी में सुखी रहतइ, कि दुखी? केऽ कहतइ कि विवाह के बंधन में बंधते बखत ऊ उत्तराधिकारी आउ वंशज लोग के बारे में सोचलके हल; आउ अगर ओकर दिमाग में अइसन इरादा हलइ, त कीऽ ऊ ओकन्हीं के खुशी लगी ओकन्हीं के पैदा करे लगी चाहऽ हलइ, कि अपन नाम के कायम रक्खे लगी? ओकरा लगी भलाई के बात कइसे सोचे के, जेकरा अभी जानऽ नञ् हिअइ, आउ ई की हइ? कीऽ अनिश्चित इच्छा के, जे अज्ञानता में झूल रहले ह, निम्मन कहल जा सकऽ हइ? विवाह के अभिलाषा जन्म के कारण भी दर्शइतइ। तोहर माय के चेहरा के सुन्दरता के अपेक्षा आध्यात्मिक सुन्दरता से कहीं अधिक आकर्षित होके हम परस्पर गरमजोशी, वास्तविक प्रेम, के विश्वसनीय तरीका के उपयोग कइलिअइ। [*163] हम तोहर माय के पत्नी के रूप में पइलियो। लेकिन हमन्हीं के प्रेम के कारण की हलइ? परस्पर कामना; शारीरिक आउ आध्यात्मिक संतुष्टि। प्रकृति द्वारा आदिष्ट आनन्द के स्वाद लेते बखत हमन्हीं तोहरा बारे नञ् सोचलते गेलिअइ। तोहर जन्म हमन्हीं लगी प्रसन्नता के बात हलइ, लेकिन तोहरा लगी नञ्। ई सृजन हमन्हीं के अहंकार के प्रोत्साहित कइलकइ; तोहर जन्म एगो नयका आउ कामुक, अइसन कहल जाय, मेल, हृदय के जोड़े वला मेल। ई हइ माता-पिता के अपन बुतरुअन के प्रति पहिलौका प्यार के स्रोत; जे आदत से दृढ़ होवऽ हइ, (अनुशासन कायम रक्खे के) अपन शक्ति के अनुभव से, बुतरुअन के पिता के प्रति प्रशंसा के प्रतिबिंब से। तोहर माय हमर विचार से सहमत हलथुन - तोहरा जन्म देला के चलते तोहर कइसनो कर्तव्यनिष्ठता के शून्यता के बारे। उनका तोहन्हीं के सामने कोय गौरव नञ् हलइ कि ऊ अपन गर्भ में तोहन्हीं के रखलथुन, तोहन्हीं के अपन खून से पालन-पोषण करते बखत कभी मान्यता देवे के माँग नञ् कइलथुन; तोहन्हीं के जन्म के खातिर प्रसव-वेदना सहे लगी कोय आदर नञ् चहलथुन, आउ न अपन स्तन से पान करावे के उकताहट लगी। [*164] ऊ तोहन्हीं के अइसन आत्मा देवे के प्रयास कइलथुन हल, जइसन कि उनकर अपनहीं हलइ, आउ ऊ ओकरा में मित्रता रोपे लगी चाहऽ हलथुन, नञ् कि कर्तव्य, कर्तव्यनिष्ठा, चाहे दासोचित अनुपालन (servile obedience)। उनकर भाग्य उनका अपन वृक्षारोपण के फल देखे नञ् देलकइ। ऊ हलाँकि दृढ़ उत्साह के साथ हमन्हीं के साथ छोड़ देलका, लेकिन ऊ अपन अन्त नञ् चाहऽ हला, तोहर कम उमर आउ हमर प्यार के देखके। उनकर अनुकरण कइला से हम सब उनका बिलकुल नञ् खोते जइबइ। ऊ हमन्हीं साथ रहथुन, जब तक कि हम सब (ई दुनिया छोड़के) उनका से मिल नञ् जा हिअइ। ई जान लऽ कि तोहरा साथ सबसे प्रिय बातचीत हको ओहे जे तोहरा जन्म देलथुन। तब लगऽ हको कि उनकर आत्मा हम सब से बात कर रहलो ह, तब ऊ हम सब के साथ उपस्थित हथुन, तब ऊ हम सब के अंदर हथुन, तब ऊ अभियो जीवित हथुन।" - आउ ऊ अब तक अपन आत्मा में रोकल अश्रुकण के पोंछ लेलकइ।
जेतना कम तोहन्हीं जन्म के कारण हमरा प्रति कर्तव्यबद्ध हकहो, ओतने पालन-पोषण के कारण कर्तव्यबद्ध हकहो। जब हम एगो राहगीर के सत्कार करऽ हिअइ, जब हम छोटकन पंछी के दाना दे हिअइ, [*165] जब हमर हाथ के चाट रहल कुत्ता के हम खाना दे हिअइ, त कीऽ ई हम ओकन्हीं खातिर करऽ हिअइ? ओकरा में हमरा खुद के खुशी, मनोरंजन, चाहे फयदा मिल्लऽ हइ। अइसने प्रेरणा से लोग अपन बुतरुअन के लालन-पालन करते जा हइ। ई संसार में जन्म लेके तोहन्हीं ऊ समाज के नागरिक हो गेते गेलहो, जेकरा में तोहन्हीं रहऽ हो। तोहन्हीं के लालन-पालन करना हमर कर्तव्य हलइ; काहेकि अगर तोहन्हीं के हम अकाल अन्त लगी छोड़ देतियो हल, त हम तोहन्हीं के हत्यारा हो जइतियो हल। कइएक लोग जइसन करते जा हइ ओकर अपेक्षा अगर हम तोहन्हीं के अधिक उत्साह से लालन-पालन कइलियो, त ई वजह से कि हम अपन हृदय के भावना के अनुसरण कइलियो हल। ई हमर वश में हलइ कि हम तोहर लालन-पालन ध्यान से करियो चाहे बेपरवाही से; आउ तोहर जिनगी के दिन बचइयो चाहे ओकरा में हम अपव्ययी (फिजूलखर्ची) होइयो; तोहरा जिन्दा रखियो, चाहे अकाल मृत्यु से मरे लगी लगी छोड़ दियो; त ई स्पष्ट प्रमाण हइ कि जब तोहन्हीं जीवित हकहो त एकरा लगी तोहन्हीं कर्तव्यबद्ध नञ् हकहो। अगर हमर लापरवाही से तोहन्हीं मर जइतहो हल, जइसन कि कइएक लोग मर जा हइ, तइयो हमरा पर कोय कानूनी कार्रवाई नञ् कइल जइते हल। लेकिन लोग कहथुन कि तोहन्हीं के पढ़ावे-लिखावे के कारण तोहन्हीं हमरा प्रति कर्तव्यबद्ध [*166] हकहो। कीऽ हम ओकरा में अपने फयदा नञ् खोजऽ हलिअइ कि तोहन्हीं निम्मन व्यक्ति बनबऽ? तोहर निम्मन आचरण, निर्णय, ज्ञान, तोहर योग्यता के प्राप्त प्रशंसा तोहन्हीं पर से होके हमरा पर परावर्तित (reflected) होवऽ हइ, जइसे कि सूरज के किरण दर्पण से। तोहन्हीं के प्रशंसा के माध्यम से लोग हमर प्रशंसा करते जा हथिन। हमरा कीऽ फयदा होते हल अगर तोहन्हीं पापकर्म में लिप्त हो जइतहो हल, पढ़-लिख नञ् पइतहो हल, सोच-विचार में मंद होतहो हल, द्वेषी आउ नीच होतहो हल, भावुकता नञ् होतो हल? तोहरा पथभ्रष्ट हो गेला से हमरो नञ् खाली सहानुभूति होतो हल, बल्कि तोहर निर्दयता के शायद हम शिकार हो जइतियो हल। लेकिन अभी हम तोहरा से अलगे होते बखत शांति अनुभव करऽ हियो; तोहर बुद्धि ठीक-ठाक, तोहर हृदय मजबूत हको, आउ हम ओकरा में जीवित हियो। हे हमर मित्र, हमर हृदय के बेटे! तोहन्हीं के जन्म देला पर तोहन्हीं के प्रति हमरा कइएक कर्तव्य हलो, लेकिन तोहन्हीं हमरा कुछ नञ् धारऽ ह; हम तोहर दोस्ती आउ प्यार चाहऽ हियो; अगर तोहन्हीं हमरा ई देबऽ, त हम आनन्दपूर्वक जिनगी के स्रोत तरफ वापिस चल जइबो, आउ मरते बखत तोहन्हीं के हमेशे लगी छोड़े में हम बेचैन नञ् होबो, [*167] काहेकि हम तोहन्हीं के स्मृति में जीबो।
लेकिन अगर हम तोहर लालन-पालन आउ शिक्षा-दीक्षा के कर्तव्य निभइलियो, त हमरा तोहरा अभी एकर कारण बतावे के चाही कि तोहरा अइसे  लालन-पालन कइलियो आउ कोय दोसरा तरह से नञ्, आउ तोहरा काहे ई सिखइलियो आउ दोसर चीज नञ्; आउ ओहे से अपन लालन-पालन के कहानी सुन्नऽ, आउ जे सब कुछ तोहरा लगी कइलियो ह ओकर कारण जान लऽ।
अपन बचपन से तूँ कोय लचारी के अनुभव नञ् कइलऽ। हलाँकि तोहर क्रिया-कलाप में हमर हाथ के मार्गदर्शन रहऽ हलो, लेकिन कभियो तोहरा एकर निर्देशन के अनुभव नञ् होवऽ हलो। तोहर कार्यकलाप पहिले से जानल आउ प्रत्याशित रहऽ हलो; हम नञ् चाहऽ हलियो कि हमर अँगुरी के भार लेशमात्र भी तोहरा में भीरुता चाहे आज्ञाकारिता के अनुभव नञ् होवे दे। आउ ओहे से तोहर आत्मा, जे कइसनो अविवेकी आज्ञा के बरदास नञ् करऽ हइ, मित्रता के परामर्श के प्रति नम्र हको। अगर तोहर बचपन में हम तोहरा निश्चित कइल गेल पथ से कोय आकस्मिक प्रहार के चलते भ्रष्ट होते पइलियो, [*168] त हम तोहर अग्रगमन के रोक देलियो, चाहे बेहतर कहल जाय, अगोचर रूप से (imperceptibly) तोहरा पहिलौका रस्ता पर वापिस लइलियो, जइसे बाँध के तोड़ के बह जाय वला धारा के एक दक्ष हाथ द्वारा अपन किनारा के अंदर मोड़ देल जा हइ।
हमरा में भीरु स्नेहशीलता नञ् हलइ, जब हमरा लगलइ कि हम तोहरा प्राकृतिक शक्ति आउ मौसम के प्रतिकूलता से सुरक्षा प्रदान नञ् कर पइलियो। हम ई बेहतर समझलिअइ कि क्षणिक कष्ट से तोहर शरीर पल भर लगी कठोर हो जाय, बजाय प्रौढ़ अवस्था में मोटाय के। आउ ओहे से तोहन्हीं अकसर खाली गोड़ आउ नंगा सिर चललऽ; आउ अराम करे लगी पड़ गेलऽ धूरी में आउ गंदगी में, बेंच पर चाहे पत्थल पर। हम कम प्रयास नञ् कइलियो तोहन्हीं के मारक भोजन आउ पेय से दूर रक्खे लगी। परिश्रम ही हमन्हीं के भोजन खातिर सबसे निम्मन मसाला हलइ। आद करहो, केतना आनन्द से हमन्हीं एगो अनजान गाम में भोजन करते गेलिए हल, जब हमन्हीं घर के रस्ता ढूँढ़ नञ् पइलिए हल। [*169] केतना सवदगर लगले हल तखने, राइ के रोटी (rye-bread) आउ गाम के क्वास!
हमरा पर असंतोष नञ् प्रकट करऽ, अगर कभी-कभार तोहरा पर मजाक उड़ावल जाय कि तोहर चाल सुन्दर नञ् हको, कि तूँ खड़ी होवऽ ह ओइसन ढंग से जेकरा में तोहर शरीर के आरामदेह लगे, न कि जइसन फैशन चाहे रिवाज नियत करऽ हइ; कि तोर पहनावा फैशनदार नञ् हको, कि तोहर केश प्रकृति के हाथ से सँवारल जा हको, न कि कोय केशप्रसाधक (हेअरड्रेसर) के हाथ से। असंतोष प्रकट मत करिहऽ, अगर सभा में तोहरा उपेक्षा कइल जइतो, आउ विशेष करके महिला लोग के तरफ से, ई कारण से कि तोहरा उनकन्हीं के सौन्दर्य के प्रशंसा करे नञ् आवऽ हको; लेकिन आद रखिहऽ कि तूँ तेजी से दौड़ऽ ह, कि बिन थकावट के पैरऽ ह, कि बिन प्रयास के भार उठा ले ह, कि तोरा हर (हल) चलावे  आउ बाग के जोताई करे आवऽ हको, गँड़ासा आउ कुल्हाड़ी, रन्दा आउ रुखानी (plane and chisel) के प्रयोग करे आवऽ हको; घुड़सवारी करे आउ गोली चलावे आवऽ हको। दुखी मत होवऽ कि स्कोमोरोख़ (घुमक्कड़ कलाबाज आउ विदूषक) नियन तोरा उछले नञ् आवऽ हको। ई जान लऽ कि उत्तम नृत्य भी कउनो भव्यता नञ् हइ; आउ अगर कभी ओकरा देखके प्रभावित हो जइबऽ, त कामुकता [*170] ओकर जड़ होतो, बाकी दोसर सब कुछ वाहियात होतो। लेकिन तोहन्हीं सजीव आउ निर्जीव के चित्रित करे लगी जानऽ हऽ, आउ प्रकृति के राजा, मानव, के वैशिष्ट्य के चित्रित करे लगी। पेंटिंग में तोहरा वास्तविक आनन्द मिलतो, नञ् खाली भावनात्मक, बल्कि बुद्धि खातिर भी। हम तोहरा संगीत सिखइलियो, ताकि तोहर स्नायु (nerves) के तालमेल में झंकार रहल तार तोहर निद्रालु हृदय के जागृत करे; काहेकि संगीत अंतःकरण के गतिमान करके हम सब के सहृदयता के आदत बना दे हइ। हम तोहरा तलवार से लड़े के बर्बर कला भी सिखइलियो। लेकिन ई कला तोहरा में प्रसुप्त (dormant) अवस्था में रहे, जब तक कि आत्म-सुरक्षा तोहरा नञ् उकसावे। हमरा आशा हको कि ऊ तोहरा ढीठ नञ् बनइतो; काहेकि तोहर मन दृढ़ हको, आउ अपमान नञ् अनुभव करबऽ, अगर कोय गदहा तोरा लताड़ी मारे, चाहे कोय सूअर अपन बदबूदार थूथन से तोहरा स्पर्श करे। केकरो से ई कहे में डरिहऽ नञ् कि तोहरा गाय के दूध दूहे आवऽ हको, कि तोहरा शी[5] आउ काशा[6] तैयार करे (पकावे) आवऽ हको, चाहे मांस के तोहर झौंसल टुकड़ा [*171] सवदगर होतइ। जे कोय काम खुद करे लगी जानऽ हइ, ऊ दोसरो से काम करवा सकऽ हइ, आउ दोसरा के गलती कइला पर ओकरा प्रति उदारता बरततइ, काहेकि ऊ काम के निष्पादन में कठिनाई से पूरा परिचित रहऽ हइ।
बचपन आउ किशोरावस्था में हम तोहर मस्तिष्क पर पूर्वकल्पित विचार (preconceived ideas) चाहे दोसर के विचार के भार नञ् डललियो, तोहर स्मृति पर फालतू चीज के भार नञ् डललियो। लेकिन हम तोहरा ज्ञान के रस्ता देखा देलियो हल, त ऊ समय से, जब तूँ अपन बुद्धि से तर्क करे के शक्ति के अनुभव करे लगलऽ, त खुद अपन खुल्लल रस्ता पर बढ़ रहलऽ ह। तोहर ज्ञान आउ अधिक पक्का हको, काहेकि एकरा तूँ घोंकके नञ् प्राप्त कइलऽ ह, जइसन कि कहावत हइ, याकोव के मुटरी (Jacob's magpie) नियन। ई सिद्धान्त के अनुकरण करते जब तक तोहर तर्कशक्ति काम नञ् कर रहलो हल, तब तक तोहरा सामने हम सर्वशक्तिमान के संकल्पना (concept)  , आउ एकरो से कम प्रकाशना (Revelation)के बात, प्रस्तुत नञ् कइलियो। काहेकि जे तूँ पहिले जान लेतऽ हल, तर्कशक्ति परिपक्व होवे के पहिले, त तोहरा में ऊ पूर्वाग्रह के रूप में रहतो हल, जे तोहर स्वतंत्र विचार में बाधा डालतो हल। [*172] जब हम देखलियो कि तोहन्हीं अपन निर्णय में तर्क से मार्गदर्शन ले रहलऽ ह, त हम तोहन्हीं के सामने संबंधित संकल्पना (concepts) प्रस्तुत कइलियो, जेकरा से ईश्वर के अनुभूति (ज्ञान) तक पहुँचल जा सकऽ हइ; हम अपन हृदय के अंतरतम से आश्वस्त हलियो कि सबसे दयालु पिता के अधिक प्रिय हलइ दू निष्पाप आत्मा के देखना, जेकरा में ज्ञान के दीपक पूर्वाग्रह से नञ् प्रज्वलित होले ह, बल्कि प्रज्वलित करे खातिर ओकन्हीं खुद्दे अग्नि के मूल स्रोत तक पहुँचते गेला ह। तखने हम तोहन्हीं के सामने प्रकाशना के नियम प्रस्तुत कइलियो, बिन कुछ तोहन्हीं से ऊ सब कुछ छिपइले, जे कइएक लोग द्वारा ओकर प्रत्याख्यान (खंडन) में कहल गेले ह। काहेकि हम चाहऽ हलियो कि तोहन्हीं खुद्दे दूध आउ पित्त (bile) के बीच चयन कर सकऽ, आउ हम आनन्दपूर्वक देखलियो कि तोहन्हीं निस्संकोच सान्त्वना के पात्र उठा लेते गेलऽ।
विभिन्न ज्ञान-विज्ञान के सूचना देते बखत हम तोहन्हीं के विभिन्न देश के परिचय देना नञ् भुलइलियो, आउ तोहन्हीं के कइएक विदेशी भाषा सिखइलियो। लेकिन सबसे जादे चिंता हमरा हलो कि तोहन्हीं अप्पन भाषा सिक्खऽ आउ ओकरा में अपन विचार के मौखिक आउ लिखित रूप में अभिव्यक्त करे के क्षमता प्राप्त कर सकऽ, [*173] ताकि ई अभिव्यक्ति बिन कोय कठिनाई के हो सके आउ तोहर चेहरा पर पसीना के बून नञ् छलछलाय। पहिले अंग्रेजी, आउ फेर लैटिन भाषा तोहन्हीं के बाकी सब भाषा के अपेक्षा जादे निम्मन से परिचित करावे के प्रयास कइलियो। काहेकि स्वतंत्रता के मनोबल के लचीलापन, वाणी के प्रतिनिधित्व से गुजरते, मस्तिष्क के दृढ़ संकल्पना लगी प्रशिक्षित करऽ हइ, जे हरेक तरह के प्रशासन में केतना आवश्यक होवऽ हइ। लेकिन अगर तोहर तर्क के ज्ञानार्जन के पथ में तोहर कदम के मार्गदर्शन करे लगी छोड़ देलियो, त ओकरो से अधिक सावधानी हम तोहर नैतिकता में बरते के प्रयास कइलियो। हम तोहरा में क्षणिक क्रोध के शांत करे के प्रयास कइलियो, दीर्घकालिक क्रोध के तर्क के अधीन करते (subjecting to reason), जे बदला के कारण बन्नऽ हइ। बदला! ... तोहर आत्मा ओकरा से घृणा करऽ हको। भावुक जीव लोग के ई प्राकृतिक आवेश में से तोहन्हीं खाली आत्म-रक्षा के सुरक्षित रखलऽ ह, बदले में घाव देवे के इच्छा के दूर कर देलऽ ह।
[*174] अब समय गेलो जब तोहर इन्द्रिय सब उत्तेजना के सम्पूर्णता तक पहुँच चुकलो , लेकिन अभियो ओतना सम्पूर्णता तक नञ् कि उत्तेजित कइल जा रहल बात पूरा-पूरा समझ में जाय; हरेक बाह्य उद्दीपक (stimulus) से व्याकुल होवे लगऽ हको, आउ तोहन्हीं के अंतःकरण में खतरनाक लहर पैदा करऽ हको। अभी तोहन्हीं अइसन अवस्था में पहुँचलऽ ह, जब कहल जा हइ, तर्क निर्धारित करऽ हइ कि कीऽ कइल जाय के चाही आउ कीऽ नञ्; आउ बेहतर कहल जाय, जब बचपना के अवधि तक शान्त रहल इन्द्रिय कंपन अनुभव करे लगऽ हइ, चाहे जब सजीव रस (vital fluids) जवानी के पात्र के लबालब भरके ओकर किनारा से बाहर निकसे लगऽ हइ आउ अपन बहाव लगी रस्ता खोजे लगऽ हइ। हम तोहरा अभी तक चंचल इन्द्रिय के कंपन से रक्षा कइलियो, लेकिन तोहरा से अज्ञानता के परदा से, इन्द्रिय सुख में संयम के रस्ता से अलग होवे के विनाशक परिणाम के नञ् छिपइलियो। तोहन्हीं साक्षी रहलऽ ह, कि इन्द्रिय सुख के आधिक्य केतना घिनौना होवऽ हइ, [*175] आउ तोहन्हीं खुद घृणा से मुँह मोड़ लेते गेलऽ; तोहन्हीं साक्षी रहलऽ ह अपन स्वाभाविक धारा के किनारा से उपरे बह गेल कामुकता के भयंकर तूफान के;  तोहन्हीं ओकर भयंकर विनाश के देखके आतंकित हो गेते गेलऽ। हमर अनुभव तोहन्हीं के उपरे मँड़रइते एगो नयका ईजिस[7] (Aegis) जइसन तोहन्हीं के अशुभ आघात से बचइलको। अब तोहन्हीं खुद्दे अपन नेता होबऽ, आउ हलाँकि हमर परामर्श तोहन्हीं के उद्यम खातिर हमेशे प्रकाश के काम करतो, काहेकि तोहर हृदय आउ आत्मा हमरा लगी खुल्लल हको; लेकिन प्रकाश, वस्तु से जइसे-जइसे दूर जा हइ, ओकरा न्यूनतर आउ न्यूनतर प्रकाशित करऽ हइ, ओइसीं तोहन्हिंयों, हमर उपस्थिति से वंचित, हमर मित्रता के उष्णता मंद अनुभव करबऽ। आउ ओहे से हम तोरा व्यक्तिगत आउ सामाजिक जीवन के नियम सिखइबो, ताकि अपन व्यसन के वश में कइला पर ओकरा में कुछ कइल बात पर तोहरा घृणा नञ् होवो, आउ ई नञ् जान पावऽ कि पछतावा कीऽ होवऽ हइ।
व्यक्तिगत जीवन, जाहाँ तक तोरा खुद से संबंध रख सकऽ हको, तोहर शरीर आउ [*176] नैतिकता से संबंधित होवे के चाही। अपन शारीरिक बल आउ भावना के प्रयोग करना कभियो नञ् भूलिहऽ। ओकर संयमित अभ्यास बिन ओकरा बिन खपइले मजबूत बनइतो आउ तोहरा स्वस्थ बनइतो, लमगर आयु देतो। आउ एकरा लगी तूँ अपन सिक्खल कौशल, कला आउ शिल्प के रियाज (अभ्यास) करते रहिहऽ। ओकरा में दक्षता कभी-कभी आवश्यक हो जा सकऽ हो। भविष्य हमन्हीं लगी अज्ञात होवऽ हइ। अगर अप्रिय भाग्य तोहरा हीं से सब कुछ ले लेतो जे ऊ तोहरा देलको ह, त तोहन्हीं अपन इच्छा के संयमित करके धनी बन्नल रह सकऽ ह, काम से अपन हाथ के पोषण करके। लेकिन अगर सुख के दिन में सब कुछ के उपेक्षा कर देबऽ त दुख के दिन में ओकरा बारे सोचे लगी बहुत देर हो चुकल होतो। ऐशो-आराम, आलस्य आउ असंयमित इन्द्रिय सुख शरीर आउ आत्मा दुन्नु के नाश कर दे हइ। काहेकि जे शरीर के असंयम से दुर्बल कर दे हइ, ऊ अपन आत्मा के दृढ़ता के भी शिथिल कर दे हइ। लेकिन शक्ति के प्रयोग शरीर के आउ एकरे साथ स्फूर्ति के भी दृढ़ करऽ हइ। अगर भोजन के प्रति घृणा अनुभव करऽ ह, आउ रोग दरवाजा पर दस्तक दे हको, तब तूँ अपन बिछावन पर से उछल पड़ऽ, [*177] जेकरा पर तूँ अपन इन्द्रिय सब के पुचकारऽ हऽ, सुन्न होल अंग के कसरत करके सक्रिय करऽ, आउ तूँ तत्काल शक्ति के पुनर्जीवन अनुभव करबऽ; स्वास्थ्य खातिर आवश्यक भोजन से खुद के दूर रक्खऽ, आउ भूख तोहर भोजन के मिठगर बना देतो, जे संतृप्ति के चलते कड़वा हो गेलो हल। हमेशे आद रक्खऽ कि भूख बुझावे लगी खाली एक टुकरी रोटी आउ एक गिलास पानी के जरूरत होवऽ हइ। अगर बाहरी संवेदना के लाभदायक हानि, नीन, तोहर तकिया से दूर हो जाय, आउ मानसिक एवं शारीरिक शक्ति के नवीकरण नञ् कर पावऽ ह, त अपन राजमहल से भाग जा, आउ सब अंग के थकाके फेर अपन बिछावन पर पड़ जा, त तोरा गहरा नीन अइतो आउ स्वस्थ अनुभव करबऽ।
अपन पोशाक में साफ-सुथरा रहऽ; अपन शरीर के साफ रक्खऽ; काहेकि सफाई से स्वास्थ्य ठीक रहऽ हइ, जबकि शरीर के गंदगी आउ बदबू अकसर अगोचर दोष के घृणास्पद रस्ता खोल दे हइ। लेकिन तूँ एकरो में असंयमी नञ् रहिहऽ। कादो वला गड्ढा में गिरल गाड़ी के उठावे में मदत करे में घृणा नञ् करिहऽ, [*178] आउ गिरल अदमी के तकलीफ कम करिहऽ; अइसन कइला से हाथ, गोड़ आउ शरीर गंदा हो जइतो, लेकिन तोहर हृदय साफ होतो। दलित लोग के झोपड़ी में जा; गरीबी से पीड़ित व्यक्ति के सान्त्वना दऽ; ओकर साथ भोजन करऽ, आउ शोकग्रस्त के खुशी देला से तोर हृदय खुश हो जइतो।
हम दोहरावऽ हियो कि तोहन्हीं ऊ खतरनाक समय आउ घड़ी में पहुँच गेलऽ ह, जब कामवासना (जोश) उद्दीप्त होवे लगऽ हइ, लेकिन विवेक ऊ उद्दीपन खातिर अभियो दुर्बल रहऽ हइ। काहेकि इच्छाशक्ति के तराजू पर बिन अनुभव वला विवेक के पलड़ा उपरे उठ जा हइ, जबकि कामवासना के पलड़ा एकाएक निच्चे चल जा हइ। आउ ई तरह, साम्यावस्था (equipoise) के नगीच आउ कोय तरह से नञ् पहुँचल जा सकऽ हइ, सिवाय परिश्रमशीलता (परिश्रम के प्रति प्रेम) के। शरीर से परिश्रम करऽ; तोहर कामुकता (passions) ओतना उत्तेजित नञ् होतो; सहजहृदयता, संवेदनशीलता, सहानुभूति, उदारता, क्षमा के साथ अभ्यास करते हृदय से काम करऽ, आउ तोहर कामुकता एगो निम्मन अंत तरफ बढ़तो। विवेक से परिश्रम करऽ, [*179] अध्ययन करे, चिंतन करे, सत्य चाहे घटना के खोज करे में अभ्यास (रियाज) करते; आउ विवेक तोहर इच्छा आउ कामुकता पर नियंत्रण रखतो। लेकिन विवेक के भावातिरेक में ई नञ् कल्पना करिहऽ कि कामुकता के जड़ से उखाड़ देबहो, कि कामुकता से बिलकुल रहित होवे के चाही। कामुकता के जड़ एगो वरदान हइ आउ खुद प्रकृति द्वारा हम सब के संवेदनशीलता में स्थापित कइल हइ। जब हम सब के बाहरी आउ आंतरिक इन्द्रिय दुर्बल आउ शिथिल हो जा हइ, तब कामुकता भी दुर्बल पड़ जा हइ। ई मानव में कल्याणकारी आशंका उत्पन्न करऽ हइ, जेकरा बिना ऊ अकर्मण्यता के नीन में पड़ जइतइ। बिलकुल बिन कामुकता वला व्यक्ति मूर्ख होवऽ हइ आउ बेढंगा पत्थर के मूर्ति हइ, जे न कुछ निम्मन कर सकऽ हइ आउ न खराब। खराब विचार से दूर रहना कोय गुण नञ् हइ, अगर ओकरा कार्यान्वित करे में असमर्थ हइ। बिन हाथ वला केकरो घायल नञ् कर सकऽ हइ, लेकिन ऊ कोय डूब रहल अदमी के भी नञ् बचा सकऽ हइ, आउ न तो गरज रहल समुद्र में छलाँग लगावे वला के तट पर रोक सकऽ हइ। आउ ओहे से कामुकता में [*180] संयम कल्याणकारी हइ; रस्ता के बीच से जाना विश्वसनीय होवऽ हइ। कामुकता में आधिक्य मौत हइ; कामुकताहीनता नैतिक मौत हइ। जइसे कि राहगीर रस्ता के बीच से दूर रहला पर कोय न कोय खाई में गिरे के खतरा उठावऽ हइ, ओइसीं नैतिकता के पथ में होवऽ हइ। लेकिन अगर तोर कामुकता अनुभव, विवेक आउ हृदय से कल्याणकारी अंत के तरफ निर्दिष्ट हको, त ओकरा से शिथिल करे वला विचारशीलता के लगाम हटा लऽ, ओकर उड़ान में बाधा नञ् डालऽ; ओकर परिणाम हमेशे गरिमा होतो; आउ खाली ओकरे पर ऊ स्थिर रहतो।
हलाँकि हम तोहरा कामुकताहीन रहे लगी नञ् प्रेरित करऽ हियो, लेकिन सबसे जादे जरूरत हको तोहर जवानी में आसक्त कामुकता में संयम के। एकरा हमन्हीं के हृदय में प्रकृति द्वारा हम सब के कल्याण लगी रोपित (implanted) कइल गेले ह। ओहे से एकर अपन पुनरुत्थान में कोय गलती नञ् हो सकऽ हइ, बल्कि एकर अपन उद्देश्य आउ असंयम में। ओहे से ध्यान रक्खऽ कि तोहर प्रेम के उद्देश्य में गलती नञ् होवो, [*181] आउ एकर प्रतिबिंब के पारस्परिक प्रेम समझे के गलती नञ् होवो। प्रेम के कल्याणकारी उद्देश्य के साथ ई कामुकता के असंयम तोहरा लगी अनजान होतो। प्रेम के बात करते बखत, विवाह के बात करना भी स्वाभाविक होतइ, जे  समाज के पवित्र संगठन हइ, जेकर नियम हृदय में स्वाभाविक रूप से अंकित नञ् हकइ, लेकिन जेकर पवित्रता समाज के बुनियादी सिद्धान्त पर उत्पन्न होवऽ हइ। तोहर बुद्धि, जे अभी खुद के बल पर चलना चालू कइलको ह, ई समझ में नञ् अइतो, आउ तोहर हृदय के भी, जे अभी तक समाज में प्रेम के स्वार्थी आसक्ति के अनुभव नञ् कइलको ह - एकर कहानी तोहरा लगी बोधगम्य नञ् होतो, आउ ओहे से व्यर्थ होतो। अगर तूँ विवाह के बारे संकल्पना (concept) करे लगी चाहऽ ह, त ओकरा आद करऽ जे तोरा पैदा कइलको। हमरा ओकरा आउ खुद के साथ कल्पना करऽ, हमन्हीं के शब्द आउ पारस्परिक दुलार-पुचकार के तोहन्हीं अपन कान में नवीनीकरण करऽ, आउ ई चित्र के अपन हृदय में रखके देखऽ। तब तूँ ओकरा में एक तरह के मनोहर कंपन अनुभव करबऽ। [*182] ई कीऽ हइ? समय के साथ तोरा समझ में अइतो; अभी लगी ओकर संवेदना से संतुष्ट रहऽ।
अब संक्षेप में सामाजिक जीवन के नियम पर विचार कइल जाय। एकरा ठीक-ठीक निर्दिष्ट नञ् कइल जा सकऽ हइ; काहेकि ई अकसर तात्कालिक परिस्थिति पर निर्भर हइ। लेकिन यथासंभव न्यूनतम गलती होवे, हरेक काम करे के पहिले अपन दिल से पुच्छऽ; ई कल्याणकारी होवऽ हइ, आउ तोहरा धोखा नञ् देतो। ई तोहरा जे कहे, ओहे करऽ। जवानी में हृदय के बात मानला पर तोरा से गलती नञ् होतो अगर तोर हृदय निम्मन हको। लेकिन जेकरा अभी दाढ़ी नञ् अइले ह, जे ओकर परिपक्वता दर्शावऽ हइ, आउ ऊ व्यक्ति विवेक के अनुसार चल्ले के ढोंग करऽ हइ, त ऊ मूर्ख हइ।
सामाजिक जीवन के नियम के मतलब हइ लौकिक रस्म-रिवाज के अनुपालन, चाहे कानून के अनुपालन, चाहे सदाचार के अनुपालन करना। अगर समाज में रस्म-रिवाज कानून के विरुद्ध नञ् हइ, अगर कानून गुण के विकास में बाधा नञ् होवऽ हइ, [*183] त सामाजिक जीवन के नियम के अनुपालन आसान हइ। लेकिन अइसन समाज के अस्तित्व काहाँ हइ?  हम सब के जानल-पछानल समाज के तौर-तरीका, रस्म-रिवाज, नियम-कानून आउ सदाचार में कइएक तरह के अन्तर्विरोध हइ। एकरा चलते एगो व्यक्ति आउ नागरिक के कर्तव्य के अनुपालन कठिन होवऽ हइ, काहेकि अकसर ऊ सब बिलकुल परस्पर विरोधी पावल जा हइ। चूँकि गुण मानवीय क्रिया-कलाप के पराकाष्ठा हइ, त एकर अनुपालन कइसूँ बाधित नञ् होवे के चाही। तौर-तरीका, रस्म-रिवाज, सिविल आउ धार्मिक नियन-कानून के उपेक्षा कर दऽ, चाहे ऊ समाज में केतनो पवित्तर होवे, अगर ओकर अनुपालन गुण से तोहरा अलगे कर दे हको। कभी विवेक के संकोच से एकर उल्लंघन के छिपावे के साहस नञ् करऽ। एकरा (अर्थात् गुण के) बिना बाह्य रूप से तूँ समृद्ध होबऽ, लेकिन कभियो खुश नञ् रहबऽ। हम सब पर थोपल गेल रस्म-रिवाज आउ तौर-तरीका के अनुसरण करके हम सब ऊ लोग के अनुग्रह पइते जइबइ, [*184] जेकन्हीं बीच हमन्हीं रहऽ हिअइ। कानून के आदेश के पालन करके हम सब एगो ईमानदार व्यक्ति के नाम पा सकऽ हिअइ। लेकिन सदाचार के पालन करके तो हम सब सार्वत्रिक विश्वास, आदर आउ प्रशंसा पइबइ, ओकन्हियों के बीच जे खुद अपन आत्मा में अइसन भावना रक्खे लगी नञ् चाहतइ। एथेंस के धोखेबाज सिनेट सुकरात के विष के प्याला देते बखत ओकर सदाचार के सामने अपन हृदय के अंदर से थरथरा रहले हल।
अइसन रिवाज के पालन करे के कभियो साहस नञ् करऽ, जे कानून के निंदा करऽ हइ। कानून, चाहे केतनो खराब रहइ, समाज के बंधन हइ। आउ अगर सम्राट् खुद कानून के उल्लंघन करे के आज्ञा दे, त ओकर आज्ञा के पालन नञ् करऽ, काहेकि ऊ गलती में हइ, खुद के आउ समाज लगी क्षति करतइ। ओकरा कानून के निरस्त करे देहो, जेकर ऊ उल्लंघन करे के आज्ञा दे हको, त फेर ओकर आज्ञापालन करहो, काहेकि रूस में सम्राट् कानून के स्रोत हइ।
लेकिन अगर कानून चाहे सम्राट्, चाहे पृथ्वी पर के कोय शक्ति, तोहरा असत्य आउ सदाचार के उल्लंघन तरफ प्रेरित करे, [*185] त एकरा में दृढ़ रहऽ। भयभीत नञ् होवऽ उपहास, यातना, रोग, कारावास, हियाँ तक कि मौत से भी। तूँ अपन आत्मा में दृढ़ रहऽ, जइसे कि प्रचण्ड लेकिन बलहीन लहर के सामने पत्थल। तोरा यातना देवे वला के क्रोध तोहर दृढ़ता के सामने टूट जइतइ; आउ अगर तोरा मौत देते जा हको, त ओकन्हीं के उपहास उड़ावल जइतइ, जबकि तूँ उदार आत्मा के आदगारी में शताब्दी-शताब्दी तक जीवऽ। अपन क्रिया-कलाप में कमजोरी के तूँ जल्दीबाजी में विवेक नाम देवे के गलती नञ् करिहऽ, जे गुण के पहिला शत्रु हइ। आझ एकर आदर करना बंद कर देबहो कोय कारण से, बिहान तोरा एकर नाश बिलकुल गुण प्रतीत होतो; आउ ई तरह पाप तोहर हृदय में राज करे लगतो, आउ तोहर आत्मा में आउ चेहरा पर निर्दोषता के विशेषता के विकृत कर देतो।
गुण व्यक्तिगत चाहे सामाजिक होवऽ हइ। पहिलौका के प्रेरणा हमेशे होवऽ हइ सरलहृदयता, दया, सहानुभूति, आउ ऊ सब के मूल हमेशे निम्मन होवऽ हइ। सामाजिक गुण के प्रेरणा [*186] के उत्पत्ति अकसर अहंकार आउ महत्त्वाकांक्षा से होवऽ हइ। लेकिन एकरा लगी ओकर अनुपालन में संकोच करे के नञ् चाही। जे धूरी (axis) पर ई सब (गुण) घुम्मऽ हइ, ओकरा महत्त्वपूर्ण बनावऽ हइ। कुर्तिउस[8] (Curtius) में, जे मारक अनर्थ से अपन पितृभूमि के रक्षा कइलकइ, कोय भी न अहंकारी, न जिनगी से निराश चाहे तंग आल अदमी के देखऽ हइ, बल्कि एगो नायक (हीरो) के। अगर सामाजिक गुण खातिर प्रेरणा के अपन उद्गम मानवप्रेम से संबंधित आत्मा के दृढ़ता में हइ, त ओकर चमक कहीं अधिक बड़गर होतइ। हमेशे व्यक्तिगत गुण के अभ्यास (रियाज) करऽ ताकि सामाजिक गुण के अभ्यास करे के योग्य बन सकऽ। जीवन के आउ कुछ धाकड़ नियम हम तोहन्हीं के सिखइबो। सबसे पहिले अपन सब्भे क्रिया-कलाप में अपन आत्म-सम्मान बनइले रक्खे के प्रयास करिहऽ ताकि एकान्त में जब खुद के अंदर देखऽ, त जे कुछ कइलऽ ह ओकरा लगी कभी तोरा पछतावा करे नञ् पड़े, [*187] बल्कि खुद में सम्मान के साथ देख सकऽ।
ई नियम के पालन करते बखत लेशमात्र भी चाटुकारिता पैदा होवे से यथासंभव दूर रहिहऽ। ई दुनियाँ में आ गेला पर तोहरा तुरते पता चल जइतो कि समाज में रस्म-रिवाज होवऽ हइ। छुट्टी के दिन सुबह में बड़गर अदमी लोग के हियाँ भेंट देना एगो घिनौना, बिलकुल बकवास रिवाज हइ, जे भेंटकर्ता लोग के आत्मा के कायरता दर्शावऽ हइ, आउ भेंट कइल जाय वला व्यक्तिविशेष में नीचता आउ दुर्बल विवेक। रोमन लोग के बीच अइसने रिवाज हलइ, जेकरा ओकन्हीं अम्बितियो (ambitio) कहते जा हलइ, अर्थात् प्राप्ति चाहे परिक्रमा; आउ हुआँ से सम्मान प्रेम के अम्बितियो कहल जाय लगलइ, काहेकि बड़गो व्यक्तिविशेष लोग के हियाँ भेंट देवे में युवा लोग के खुद लगी पदवी आउ सम्मान प्राप्त करे के रस्ता देखाय दे हलइ। एहे कइल जा हइ आझो। लेकिन अगर ई रिवाज ई लगी चालू कइल जइते हल कि युवा लोग अनुभवी लोग के संपर्क से कुछ सीखते जाय, त हमरा शंका हइ कि ई रिवाज के उद्देश्य हमेशे लगी सम्मानपूर्वक [*188] कायम रक्खल जइते हल। हमन्हीं के समय में बड़गो व्यक्तिविशेष के हियाँ भेंट देवे में केकरो सिक्खे के उद्देश्य नञ् रहऽ हइ, बल्कि ओकन्हीं के अनुग्रह प्राप्त करे के। ओहे से तोहर गोड़ ऊ दहलीज के पार नञ् करे जे चाटुकारिता के कर्तव्य पालन से पृथक् करऽ हइ। कभियो ऊ बड़गर व्यक्तिविशेष के चौकठ भिर नञ् जइहऽ, सिवाय अपन कर्तव्य पालन के। तब घृणास्पद भीड़ के बीच, ओहो, जेकरा पर ऊ (भीड़) चाटुकारिता के साथ पेश आवऽ हइ, अपन हृदय में तोहरा, बल्कि गोस्से से काहे नञ् होवे, ओकरा से अलग पहचान करतो। अगर अइसन होवे कि तोहन्हीं के सदाचार के रस्ता पर परिपक्व होवे के पहिलहीं मौत हमर दिन काट दे, आउ जवानी में कामुकता लुभाके तोहन्हीं के विवेक के रस्ता से भटकावे, त निराश नञ् होइहऽ अगर कभी-कभी तोहरा अपन गलत कदम पकड़ में आ जाय। अपन भ्रम में, खुद के विस्मृति में, सदाचार से प्रेम करे लगबऽ। लंपट जीवन, अपरिमित महत्त्वाकांक्षा, ढिठाई आउ जवानी के हर तरह के बुराई लगी सुधार के आशा रहऽ हइ; काहेकि ई सब (बुराई) [*189] हृदय के सतह पर से सरकऽ हइ, ओकरा बिन कोय चोट पहुँचइले। बेहतर हम ई चाहबो कि तूँ जवानी के प्रारंभिक वर्ष में धन के लोभी, चाहे बहुत जादे कंजूस होवे के बजाय लंपट, अपव्ययी, ढीठ होवऽ; फैशनदार, आउ दोसरा के अपेक्षा अधिक बाहरी सजावट होवे। फैशन में, तथाकथित, क्रमबद्ध (systematic) रुझान हमेशे संकीर्ण विवेक निर्देशित करऽ हइ। लोग कहते जा हइ कि जुलियस सीज़र छैला हलइ; लेकिन ओकर छैलापन के एगो उद्देश्य हलइ। जवानी में ओकरा औरत के तरफ अत्यंत आकर्षण एकरा लगी प्रेरणा हलइ। लेकिन ऊ छैला के पोशाक से पल भर में बदबूदार चिथड़ा में आकर्षित हो जा सकऽ हलइ, अगर एकरा से ओकर इच्छा के पूर्ति हो जाय में मदत मिलते हल। युवक में नञ् खाली क्षणिक छैलापन, बल्कि लगभग हर तरह के बेवकूफी भी क्षम्य हइ। अगर जीवन के सर्वोत्तम कार्य से मक्कारी, झूठ, विश्वासघात, धन के लोभ, अभिमान, [*190] बदला के भावना, पाशविकता के छिपइबहो, त हलाँकि बाहरी चमक-दमक के प्रकाश से अपन समकालिक लोग के आँख में धूल झोकबहो, हलाँकि तोरा ओतना प्यार करे वला नञ् मिलतो कि तोरा भिर सत्य के दर्पण रख सको, लेकिन ई नञ् सोचिहऽ कि तूँ दूरदर्शी के आँख चौंधिया देबहो। ई तोर मक्कारी के चमकदार पोशाक के छेदके घुस जइतो, आउ सद्गुण तोर आत्मा के कालापन के प्रकट कर देतो। तोर हृदय एकरा घृणा करतो, आउ एगो संवेदनशील पौधा (लाजवन्ती) नियन तोर स्पर्श से सिकुड़ जइतो, लेकिन पल भर खातिर, परन्तु एकर तीर दूरहीं से तोरा घायल करे आउ यातना देवे लगतो।
अलविदा, हमर प्यारे, हमर आत्मा के मित्र अलविदा; आझ अनुकूल हावा में, पहिले तुरी तट से अपन नाव के साथ प्रस्थान करबऽ; मानव जीवन के लहर पर द्रुत गति से चल पड़ऽ, आउ खुद के नियंत्रित करे लगी सिक्खऽ। बिन कोय दुर्घटना के तोहन्हीं आश्रयस्थल (बंदरगाह) तक पहुँच जइते जा, जइसने हम सब चाहऽ हिअइ, आउ खुशहाल रहऽ। एहे हमर हार्दिक कामना हको। [*191] हमर प्राकृतिक शक्ति, क्रिया-कलाप आउ जीवन से थकके अशक्त हो जइतो आउ समाप्त हो जइतो; तोहन्हीं के हमेशे लगी छोड़ जइबो; लेकिन ई तोरा लगी हमर वसीयतनामा हको। अगर घृणित भाग्य तोहरा पर अपन सब्भे तीर छोड़तो, अगर तोहर सदाचार खातिर पृथ्वी पर कोय आश्रयस्थल नञ् रह जइतो, अगर तोहरा पराकाष्ठा तक ढकेल देवल जाय, दबाव से तोरा कोय सुरक्षा नञ् मिले; त आद रक्खऽ कि तूँ मानव हकऽ, अपन मानवता के स्मरण करऽ, परमानंद के ताज के हथिया लऽ, जेकरा तोहरा से छिन्नल जा रहलो ह। - मौत के गले लगा लऽ। विरासत के रूप में हम मर रहल कातो[9] (Cato) के शब्द छोड़ रहलियो ह। लेकिन अगर सदाचार में तोरा मौत के आलिंगन करे आवऽ हको, त तोरा कदाचार में भी मरना जाने के चाही, आउ बिलकुल बुराई में भी, अइसन कहल जाय, सदाचारी रहऽ। अगर हमर सलाह के भूलके तूँ बुरा काम के तरफ दौड़बऽ, त तोहर आत्मा, जे सदाचार के अभ्यस्त हको, चिंतित हो जइतो; आउ हम तोहर सपना में देखाय देबो। अपन बिछावन पर से उठ जा, हमर प्रकट होल आत्मा के अनुसरण करऽ। अगरऊ बखत तोहर आँख से अश्रु टपके, [*192] त फेर से सुत्ते चल जा; जब उठबऽ तब तक ठीक होल रहबऽ। लेकिन अगर तोर बुरा काम के बीच हमर आद अइला पर तोर आत्मा में कंपन नञ् होवऽ हको, आउ तोर आँख सुक्खल रहऽ हको ... (मतलब तोर हृदय) इस्पात  हको, ई जहर हको। हमरा दुख से बचावऽ; पृथ्वी के घृणास्पद भार से बचावऽ। तइयो हमर बेटा रहऽ। सदाचार खातिर मौत के गले लगावऽ!
बुढ़उ के एतना कहला पर ओकर झुर्रीदार गाल पर युवा लालिमा (youthful blush) आच्छादित हो गेलइ; ओकर आँख आशापूर्ण आनन्द के किरण विकरित कर रहले हल, चेहरा एगो अलौकिक चमक से उद्दीप्त हो रहले हल। ऊ अपन बुतरुअन के चुमलकइ, आउ गाड़ी तक ओकन्हीं के साथ जाके अन्तिम बिदाई खातिर दृढ़ हो गेलइ। लेकिन मोसकिल से डाकगाड़ी के घंटी के अवाज ओकरा सूचित कइलकइ कि ओकन्हीं ओकरा से दूर होवे लगलइ, ओकर लचकदार आत्मा कोमल हो गेलइ। ओकर आँख से अश्रु बहे लगलइ, ओकर छाती फुल्ले लगलइ; ऊ अपन बाँह के दूर जा रहल बेटवन के पीछू फैलइलकइ; लगऽ हलइ जइसे घोड़वन के आगू के गति रोके लगी चाह रहले हल। (दुन्नु) युवक अपन पिता के दूरहीं से [*193]  ओइसन दुख में देखके एतना जोर से क्रन्दन कर उठलइ कि हावा ओकन्हीं के करुण क्रन्दन के हमन्हीं के कान तक पहुँचा देलकइ। ओकन्हिंयों अपन बाँह अपन पिता के सामने फैलइलकइ; आउ लगलइ जइसे कि ओकरा अपना दने बोलाब करऽ हलइ। बुढ़उ ई दृश्य के सहन नञ् कर पइलकइ; ओकर शक्ति जवाब दे देलकइ, आउ ऊ हमर बाँह पर गिर पड़लइ। एहे दौरान, एगो पहाड़ी दूर हो रहल युवक के हमन्हीं के नजर से ओझल कर लेलकइ। होश में अइला पर बुढ़उ अपन टेहुना के बल बैठ गेलइ आउ अपन बाँह आउ आँख आकाश दने उठाके चिल्लइलइ – “"हे भगमान, हम तोहरा प्रार्थना करऽ हियो, ओकन्हीं के सदाचार के रस्ता मजबूत करहो, प्रार्थना करऽ हियो, ओकन्हीं के खुश रखहो। तूँ जानऽ हो, हे सबसे दयालु पिता, हम कभी तोरा बेकार प्रार्थना से तंग नञ् कइलियो ह। हमरा पक्का विश्वास हइ कि तूँ अच्छा आउ न्यायी हकहो। हमन्हीं बीच तोहर सबसे प्रिय हको सदाचार; पवित्र हृदय के क्रिया-कलाप तोहरा लगी सर्वोत्तम अर्पण (offering) हको ... आझ हम अपन बेटा लोग से बिदा हो गेलूँ ... हे भगमान, तोहर आशीर्वाद ओकन्हीं के मिले!" [*194] चिंतित, लेकिन आशा से भरल ऊ अपन घर चल गेलइ।
क्रेस्तित्सी के कुलीन के शब्द हमर दिमाग से निकस नञ् पइलइ। माता-पिता के अपन बुतरुअन पर के शक्ति (वश) के नगण्यता के ओकर प्रमाण हमरा अकाट्य लगलइ। लेकिन अगर सुव्यवस्थित समाज में ई आवश्यक हइ कि युवा लोग वृद्धजन के आदर करे, आउ अनुभवहीनता उत्कृष्टता (perfection) के, त ई आवश्यक नञ् प्रतीत होवऽ हइ कि माता-पिता के शक्ति के असीमित कइल जाय। अगर पिता आउ पुत्र के बीच संबंध, हृदय के कोमल भावना पर आधारित नञ् हइ, त ई वस्तुतः दुर्बल हइ; आउ सब तरह के कानूनी प्रावधान के बावजूद दुर्बल रहतइ। अगर पिता अपन पुत्र में एगो दास देखऽ हइ, आउ अपन शक्ति कानूनी प्रावधान में खोजऽ हइ; अगर पुत्र अपन पिता के उत्तराधिकार खातिर आदर करऽ हइ; त एकरा से समाज के कइसन कल्याण होवे वला हइ? एकर मतलब हइ, या तो पहिलहीं से अस्तित्व में कइएक दास के अलावे एगो आउ दास, चाहे छाती पर एगो साँप ... [*195] पिता कर्तव्यबद्ध हइ अपन पुत्र के पालन-पोषण करे लगी आउ ओकरा पढ़ावे लगी, आउ बेटवा के सब कसूर लगी ओकरे दंडित होवे पड़तइ, जब तक कि ऊ परिपक्व नञ् हो जा हइ; आउ बेटवा अपन कर्तव्य के अपन दिल में अनुभव करतइ। अगर ऊ कुच्छो अनुभव नञ् करऽ हइ, त पिता दोषी हइ, काहेकि ओकरा कुच्छो संस्कार नञ् देलकइ। पुत्र के अधिकार हइ पिता से सहायता माँगे के, जब तक कि ऊ लचार हइ आउ कम उमर के हइ; लेकिन परिपक्व हो गेला पर ई स्वाभाविक संबंध टूट जा हइ। पंछी के बच्चा अपन माता-पिता से सहायता नञ् माँगऽ हइ, जब ऊ खुद भोजन खोजे लगऽ हइ। नर आउ मादा पक्षी अपन चूजा के बारे भूल जइते जा हइ, जब ई सब बड़गो हो जा हइ। ई प्रकृति के नियम हइ। अगर सिविल कानून ओकरा से दूर हो जा हइ, त हमेशे विकृत जीव पैदा करऽ हइ। बच्चा अपन पिता, माता, चाहे शिक्षक के प्यार करऽ हइ, जब तक कि ओकर प्यार कोय दोसर तरफ नञ् मुड़ जा हइ। बुतरुअन के प्यार करे वला पिता, तोर दिल एकरा से दुखी नञ् होवे; [*196] प्रकृति के एकर माँग हइ। एकरा में तोहर एक्के सान्त्वना रहे कि तोहर पुत्र के पुत्र अपन पिता के प्यार करतइ, ठीक प्रौढ़ होवे तक। तभिए तोहरे पर निर्भर होतो कि ओकर प्यार तूँ खुद तरफ आकृष्ट करऽ।  अगर तूँ एकरा में सफल होवऽ ह, त तूँ भाग्यशाली आउ आदर के योग्य होबऽ। अइसने विचार के साथ हम अगला डाकस्टेशन पहुँच गेलिअइ।




[1] कामेरहेर - [Kammerherr (जर्मन) - chamberlain] कंचुकी (रनिवास के रक्षक), शाही गृह-प्रबन्धक।
[2] नमेस्त्निक - दे॰ स्पास्कयऽ पोलेस्त, नोट 19.
[3] प्योत्र प्रथम अथवा प्योत्र महान (1672-1725) के 1722 के आदेश के अनुसार कुलीन वर्ग के 15 बरिस के उमर से गार्ड सेना में सेवा करना कर्तव्यबद्धता हलइ। एकरा बिना ओकरा रैंक आउ पदवी के अधिकार नञ् मिल्लऽ हलइ, जे  "रैंक के तालिका" (Table of Ranks) से निर्धारित कइल जा हलइ। प्योत्र के उत्तराधिकारी सब के अधीन बुतरुअन के शैशवावस्था में हीं "सर्विस में" रेकर्ड कर लेल जा हलइ। घर में रहे तक ओकरा अगला रैंक में प्रस्तुत कइल जा हलइ आउ 15 बरिस के उमर में अफसर बन जा हलइ। ओहे से प्रसिद्ध रूसी कवि अलिक्सांद्र पुश्किन (1799-1837) के उपन्यास "कप्तान के बिटिया" में, "प्योत्र ग्रिनेव जब माय के पेटे में हलइ कि नजदीकी रिश्तेदार राजकुमार बी॰ के मेहरबानी से, जे गार्ड सेना में मेजर हलथिन, ओकरा सिम्योनोव्स्की रेजिमेंट में सर्जेंट के रूप में दर्ज कर लेल गेलइ। अगर हरेक आशा के विपरीत ओकर माय लड़की के जन्म देते हल, त ओकर पिताजी ड्यूटी पर रिपोर्ट नञ् करे वला सर्जेंट के मौत के बारे सूचना उचित स्थान पर दे देथिन हल, आउ मामला हुएँ खतम हो जइते हल। पढ़ाई समाप्त होवे तक ओकरा छुट्टी पर मानल गेलइ।"
[4] सुख के रोमन देवी, फ़ोर्तुना (भाग्य), अकसर गोला चाहे चक्र (सुख के परिवर्तनीयता के चिह्न) पर बैठल चित्रित कइल जा हलइ। रादिषेव ई चित्र के रूसीकरण करके चक्र के बदलके मुर्गी के टाँग में बदल देलथिन हँ, जेकरा पर परीकथा में "बाबा याग" (डायन) के झोपड़ी घुम्मऽ हइ। दे॰ - Ralston W.R.S. (1873): "Russian Folk-Tales", Story "Baba Yaga", p.144.
[5] शी - पत्तागोभी के शोरबा।
[6] काशा - पानी चाहे दूध में उबालल अन्न, दलिया।
[7] ईजिस (Aegis)- ग्रीक मिथक शास्त्र के अनुसार ईजिस ज़्यूस (Zeus, देवराज) के ढाल के नाम हलइ।
[8] कुर्तिउस - परम्परा के अनुसार, 362 ई॰पू॰ में मार्कुस कुर्तिउस (Marcus Curtius) पूरे तरह से हथियार से लैस आउ घोड़ा पर सवार होल भूकम्प से निर्मित एगो विशाल खाई में कूद गेले हल। कूदते बखत ऊ बोलले हल कि हथियार आउ वीरता से अधिक वास्तविक रोमन कोय भी आशीर्वाद नञ् हइ। खाई ओकर शरीर के चारो तरफ बन्द हो गेलइ, आउ बाकी लोग बच गेते गेलइ। दे॰ रोमन इतिहासकार Titus Livius [64 या 59 ई॰पू॰ - 12 या 17 ई॰] के "रोम के इतिहास" (Ab Urbe Condita Libri), VII, vi, 1-6.
[9] कातो - दे॰ ब्रोन्नित्सी, नोट-3. कातो आत्महत्या करते बखत बोलले हल - "अब हम खुद के मालिक हिअइ।" दे॰ प्लुटार्च - "कातो के जीवन" (The Life of Cato the Younger), LXX, 1. आउ ओहे से, 12 सितम्बर 1802 के रादिषेव आत्महत्या करके खुद के मालिक हो गेलथिन।