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Saturday, November 29, 2008

14. भाषाई अकादमियों के दिन बहुरेंगे

भाषाई अकादमियों के दिन बहुरेंगे
29 Nov 2008, 11:59 pm
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_5031271.html
पटना : भाषाई अकादमियों के दिन बहुरेंगे। राज्य सरकार द्वारा अकादमियों को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। मानव संसाधन विकास ने जो 'ब्लू-प्रिंट' तैयार किया है, उस कार्य योजना में भाषाई अकादमियों में शोध से लेकर पाण्डुलिपियों के प्रकाशन और फिर उसकी बिक्री तक की व्यवस्था शामिल की गयी है। लोक भाषाओं से जुड़ी संस्थानों में शोध और प्रकाशन पर जोर दिया गया है। अकादमियों में खाली पदों को भरा भी जाएगा। यहां तक कि भोजपुरी अकादमी, मगही अकादमी, संस्कृत अकादमी, मैथिली अकादमी, अंगिका अकादमी और बज्जिका अकादमी जैसी संस्थाओं को एक ही परिसर में निर्मित भवन में 'शिफ्ट' किया जाएगा, जिसके लिए सैदपुर में स्थल निरीक्षण तक हो चुका है। फिलहाल वर्षो से भाषाई अकादमियां किराये के मकान में संचालित हैं।
आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार ने भाषाई अकादमियों को उनके उद्देश्य प्राप्ति तक ले जाना चाहती है। कई अकादमियां तो जर्जर हालत में हैं। अकादमियों का कायाकल्प करना पहली प्राथमिकता तय की गयी है। अकादमियों में आधारभूत संरचना निर्माण पर बल दिया जा रहा है। अकादमियों के उद्देश्य लोक भाषा की समृद्धि और उनपर शोध तथा पाण्डुलिपियों का प्रकाशन करना है, जिसे बढ़ावा दिया जाएगा। प्रकाशित कृतियों की बिक्री की व्यवस्था करायी जाएगी। अनुसंधान कर्ता समेत अन्य खाली पदों को भरा जाएगा। यहां तक कि मानव संसाधन विकास विभाग ने भाषाई अकादमियों को बिहार राष्ट्रभाषा परिषद के परिसर में शिफ्ट करने की योजना बनायी है। बिहार राष्ट्रभाषा परिषद और उससे सटे संस्कृत विद्यालय की खाली भूखंड का चयन किया गया है, जहां भाषाई अकादमियों हेतु भवन निर्माण कराया जाएगा। भवन निर्माण के बाद किराये के मकान में संचालित भाषाई अकादमियों को उनमें शिफ्ट कराया जाएगा।

Saturday, November 22, 2008

13. कंप्यूटरवा त जंखियाइये गेलै, सिखबै कहिया

http://www.hindustandainik.com/news/2031_2221017,0060.htm
कंप्यूटरवा त जंखियाइये गेलै, सिखबै कहिया
शनिवार, 22 नवम्बर 2008 01:09
मदन
भागलपुर, 22 नवंबर

निम्न मध्य वर्गीय बच्चों के लिए कंप्यूटर की पढ़ाई किसी ख्वाब की मानिंद है। अंग्रेजी स्कूलों के बच्चे एक ओर जहां कंप्यूटर के साथ खेलते हैं वहीं सरकारी स्कूल के बच्चों ने अब तक कम्प्यूटर को छुआ तक नहीं है। ठीक पांच साल पहले बच्चों को तकनीकी शिक्षा से जोड़ने के लिए जिला स्कूल में कंप्यूटर सोसाइटी केन्द्र खोला गया लेकिन कक्षाएं आज तक शुरू नहीं हो सकी हैं। इस केन्द्र में 50 कंप्यूटर लगाए गए थे। इनमें से 20 डीआरडीए भवन में तो 2 डीईओ कार्यालय में हैं। शेष 28 में से महज 13 ही ठीक हैं।

उपयोग में नहीं लाने के कारण शेष खराब हो चुके हैं। इस केन्द्र को चलाने के लिए निर्मित भवन के दरवाजे और खिड़कियां भी जर्जर हो चुके हैं। दरवाजे टूटे चुके हैं तो खिड़कियों के शीशे चटख गए हैं। ढाल होने के बावजूद भवन की छत से बारिश का पानी टपकता है। भवन में कंप्यूटर असुरक्षित होने के कारण इसे स्कूल के एक कमरे में रखा गया है। केन्द्र में आठवीं से दसवीं कक्षा के निम्न मध्य वर्गीय लड़के-लड़कियों को न्यूनतम शुल्क पर कंप्यूटर ट्रेनिंग देने की योजना थी। इसके लिए स्कूल के ही तीन शिक्षक चमकलाल यादव, कपिलदेव प्रसाद यादव और भूम बाबू चौधरी ने कंप्यूटर की ट्रेनिंग भी ली। इसके तहत 50 लड़कों का एक बैच बनना था और 5 बैच चलाने की बात थी। लेकिन इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई। पिछले जनवरी महीने में कुछ पहल हुई लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आ सका।

केन्द्र के कमेटी अध्यक्ष जिलाधिकारी हैं। एनआईसी के पदाधिकारी, स्कूल के प्राचार्य और डीईओ सदस्य हैं। इस बाबत स्कूल के प्राचार्य नीतीश चंद्र मंडल बताते हैं कि जब तक विभाग से कोई दिशा निर्देश नहीं आता है तब तक इस संबंध में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। डीईओ मधुसूदन पासवान भी इस संबंध में कुछ कहने से अपने को असमर्थ बताते हैं।

Wednesday, November 05, 2008

12. आगामी लोस चुनाव में मगही मंडप मगही भाषा को मुद्दा बनायेगा

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_4937734_1.html

आगामी लोस चुनाव में मगही मंडप मगही भाषा को मुद्दा बनायेगा

24 Oct 2008, 08:39 pm


शेखपुरा आसन्न लोकसभा चुनाव में मगही मंडप मगही भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किये जाने को प्रमुख मुद्दा बनाया जायेगा। इसके लेकर मगही मंडप में छठ पूजा के बाद इस पूरे क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इसकी जानकारी मगही मंडप के जिलाध्यक्ष रामचन्द्र ने दी। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक साजिश के तहत मगही भाषा की उपेक्षा की जा रही है तथा मगही को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मगही भाषा-भाषी 40 लाख मतदाता बिहार के सात लोकसभा क्षेत्रों के चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की स्थिति में है। इनमें जमुई, मुंगेर, नवादा, नालंदा, जहानाबाद, पटना तथा औरंगाबाद, गया का लोकसभा क्षेत्र शामिल है। रामचन्द्र ने बताया कि मगही मतदाताओं तथा आम लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया जायेगा कि लोकसभा चुनाव के लिए वोट मांगने वाले प्रत्याशी से पहले यह शपथ लिया गया कि वह सांसद चुने जाने के बाद संसद में मगही भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की बात उठायेगा। रामचन्द्र ने कहा कि मगही भाषा की उपेक्षा करने वाले लोस प्रत्याशी को वोट नहीं दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि करीब 5 करोड़ लोग मगही भाषा का उपयोग अपनी बोलचाल में करते है, मगर इसे अभी तक उपेक्षित रखा गया है जबकि लाख की संख्या में बोली जाने वाली भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है।