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Wednesday, November 19, 2014

अपराध आउ दंड - भाग – 1 ; अध्याय – 4



अपराध आउ दंड

भाग – 1

अध्याय – 4

मइया के चिट्ठी से ओकरा तकलीफ होले हल । लेकिन जाहाँ तक ओकरा में कहल गेल मुख्य मुद्दा के बात हलइ, ओकरा बारे एक्को पल खातिर ओकरा कोय सन्देह नयँ होलइ, ओहो समय नयँ जब कि ऊ चिठिया पढ़ रहले हल । मुख्य बात के फैसला ओकर दिमाग में हो चुकले हल आउ ई फैसला आखिरी हलइ - "ई शादी तब तक नयँ हो सकऽ हइ, जब तक हम जित्ता हिअइ, आउ भाड़ में जाय मिस्टर लुझिन ! काहेकि बात बिलकुल साफ हकइ ।", अपन फैसला के पूर्वानुमान जीत पर मुस्कुरइते आउ द्वेषपूर्ण रूप से खुशी मनइते ऊ मने मन बड़बड़इलइ ।

"नयँ माय, नयँ दुन्या, तोहन्हीं हमरा धोखा नयँ दे सकऽ हँ ! ... आउ तइयो ई बात के माफी माँगऽ हका कि हमर सलाह नयँ लेल गेलइ आउ हमरा बेगर फैसला कर लेल गेलइ ! ओकन्हीं करियो की सकऽ हला ! सोचऽ हका कि अब तय कइल शादी तोड़ल नयँ जा सकऽ हइ; लेकिन हम देखबइ कि ई संभव हइ कि असंभव ! केतना अच्छा बहाना हकइ – ‘कहऽ हका, प्योत्र पित्रोविच एतना व्यस्त अदमी हइ, अइसन कारोबारी अदमी हइ, कि ऊ शादियो आउ दोसर तरह से नयँ कर सकऽ हइ, बल्कि डाकगाड़ी के रफ्तार से, लगभग रेलगाड़ी में ।’ नयँ, दुनेच्का, हम सब कुछ देखऽ आउ जानऽ हिअउ, कि तोरा हमरा साथ कउची बहुत सारा बतियाय के हकउ; आउ एहो जानऽ हिअउ, कि रात भर कमरा में शतपथ करते तूँ की सोचब करऽ हलँऽ, आउ मइया के सुत्ते वला भित्तर में स्थापित कज़ान के देवी-माता [1] के सामने तूँ की प्रार्थना कइलँऽ होत । गोलगोथा [2] के चढ़ाई बड़ी कठिन हइ । हूँ ... त, एकर मतलब हइ, कि सब कुछ पक्का हो गेलो ह - कारोबारी आउ समझदार अदमी से शादी करे जा रहलहो ह, अवदोत्या रोमानोव्ना, जिनकर खुद के बड़गर संपत्ति हकइ (पहिलहीं से खुद के बड़गर संपत्ति हकइ; ई तो जादे ठोस आउ असरदार हइ !), दू-दू सरकारी पद पर काम करऽ हका आउ हमन्हीं के बिलकुल नयका पीढ़ी के विचारधारा से सहमत हका (जइसन कि मइया लिक्खऽ हइ), आउ "सुभाव के अच्छा मालूम पड़ऽ हका", जइसन कि खुद्दे दुनेच्का के राय हइ । ई "मालूम पड़ऽ हका" सबसे जादे शानदार हकइ ! आउ एहे दुनेच्का एहे "मालूम पड़ऽ हका" के खातिर शादी करे जा रहल ह ! ... शानदार ! शानदार ! ...

लेकिन तइयो ई उत्सुकता के बात हइ कि मइया काहे लगी "आझकल के उभरते पीढ़ी" के उल्लेख कइलक ह ? खाली ई बतावे लगी कि ई अदमी कइसन हइ, आ कि आउ आगे के उद्देश्य से - पहिलहीं से मिस्टर लुझिन के बारे में हमर दिमाग में निम्मन खियाल पैदा करे खातिर ? ओह, कुटिल लोग ! एगो आउ परिस्थिति के स्पष्टीकरण उत्सुकता के बात होतइ - ओहे दिन आउ ऊ रात के आउ ओकर बाद के सब समय ओकन्हीं दुन्नु आपस में केतना हद तक खुलके बात कइलका हल ? ओकन्हीं बीच सब्भे शब्द के प्रयोग सीधे कइल गेलइ, आ कि दुन्नु समझते गेला कि एकर चाहे ओकर दिमाग आउ विचार में एक्के बात हइ, ताकि सुनाय देवे लायक अवाज में कुच्छो बतावे के, चाहे मुहमा से बेकार के बात निकासे के जरूरत नयँ हलइ ? जादे संभावना हइ, कि आंशिक रूप से एहे बात हलइ; जइसन कि चिट्ठी से जाहिर हइ - मइया के ऊ जरी तीक्ष्ण लगलइ, आउ सीधगर मइया अपन राय दुन्या तक घसीटके ले गेलइ । आउ ऊ, जाहिर हइ, गोसा गेलइ आउ "चिढ़के जवाब देलकइ" । वास्तव में एहे बात हइ ! केकरा गोस्सा नयँ अइतइ, जब सीधा-सादा सवाल के बेगर बात साफ हइ आउ जब पहिलहीं ई बात के फैसला कर लेल गेले ह कि बात करे लगी कुछ नयँ हकइ । आउ हमरा ई कउची लिक्खऽ हइ - "दुन्या के प्यार करिहँऽ, रोद्या, काहेकि ऊ अपने आप से जादे तोरा प्यार करऽ हउ"; कहीं ई बात तो नयँ हइ कि ओकर अंतःकरण ओकरा अंदरे अंदर धिक्कार रहले ह कि अपन बेटा के खातिर अपन बेटी के बलि चढ़ावे लगी सहमत हो गेलइ ? "तूहीं हमर आशा हकँऽ, तूहीं हमर सब कुछ हँ !" अगे माय ! ... ओकरा में कटुता लगातार बढ़तहीं गेलइ, आउ अगर अभी मिस्टर लुझिन के ओकरा साथ भेंट हो जइते हल, त लगऽ हइ कि ओकरा जाने मार देते हल ! "हूँ, ई सच हइ", अपन दिमाग में विचार के चक्कर मारते विंडोबा के पीछा करते ऊ अपन सोच के सिलसिला जारी रखलकइ, “ई सच हइ कि ‘कोय अदमी के जाने खातिर ओकरा तरफ धीरे-धीरे आउ सवधानी से अपन डेग बढ़ावे’ के चाही; लेकिन मिस्टर लुझिन के ममला बिलकुल स्पष्ट हइ ।” मुख्य बात हइ, "अदमी कारोबारी हका आउ भला मालूम पड़ऽ हका" - ई कोय मजाक थोड़े हइ कि ऊ समान अपने उपर लेलका, बड़का सन्दूक अपन खरचा से पहुँचावऽ हका ! त ऊ भला अदमी कइसे नयँ हका ? आउ ओकन्हीं दुन्नु, दुलहिन आउ ओकर माय, एगो किसान के हियाँ से किराया पर ले हका छाल के चटय से ढँक्कल गाड़ी, जेकरा में ऊ सफर करता (हमहूँ तो अइसे सफर कइलूँ हँ) ! खैर, कोय बात नयँ हइ ! खाली नब्बे विर्स्ता के बात हइ न ! आउ हुआँ से हजार विर्स्ता "अराम से तेसरा दर्जा में सफर कर लेते जइबइ" ! ठीके हइ न - "तेते पाँव पसारिए, जेती लाम्बी सौर" ! लेकिन तूँ मिस्टर लुझिन, तोरा बारे की कहल जाय ? ई तोहर दुलहिन हको ... आउ एहो तोरा मालूम नयँ पड़लो कि ओकर माय के अपन पेंशन के गिरवी रखके ई सफर के खरचा जुटावे पड़तइ ? जाहिर हइ कि ई व्यापार के ममला हइ, अइसन सझेदारी हइ जेकरा में दुन्नु के फयदा होवे आउ दुन्नु के हिस्सा बराबर होवे आउ खरचो दुन्नु मिलके उठावे – ‘खाय-पीये ल मिलतो, लेकिन तमाकू के इंतजाम खुद करे पड़तो’, जइसन कि कहावत हकइ । त हियों ई कारोबारी अदमी ओकन्हीं के थोड़े गच्चा दे गेलइ - समान के खरचा तो ओकन्हीं के सफर के खरचा से कमती होतइ, आ शायद फोकटो में चल जइतइ । ई बात ओकन्हीं के देखाय नयँ दे हइ, आ कि जान-बूझके देखे लगी नयँ चाहऽ हइ ? आउ ओकन्हीं ई बात से खुश हइ, खुश हइ ! आउ एहो तो सोचे के चाही कि ई अभी कली लगले ह, आ असली फल तो आगे मिले वला हइ ! हियाँ असल बात तो ई हइ कि ई कंजूसी के बात नयँ हइ, कमीनापन के बात नयँ हइ, बल्कि तेवर के बात हइ । जाहिर हइ कि शादी के बाद एहे तेवर होतइ, ई पूर्वानुमान हकइ । ... आउ मइया लेकिन काहे लगी रंगरेली मचाब करऽ हइ ? पितिरबुर्ग पहुँचे तक ओकरा पास की बच जइतइ ? चानी के तीन रूबल, चाहे दू गो "नोट", जइसन कि ऊ ... बुढ़िया .. कहऽ हइ ... हूँ ! बाद में पितिरबुर्ग में ऊ कउची के सहारे रहे के आशा करऽ हइ ? कोय कारण से ओकरा तो अभिए से अंदाजा हइ कि शादी के बाद दुन्या के साथ रहना ओकरा लगी संभव नयँ होतइ, शुरुआतो में नयँ । ऊ भला अदमी, शायद, कइसूँ पहिलहीं टुभक देलके होत, अपन मन के बात जना देलके होत, हलाँकि मइया एकरा बारे अपन दुन्नु हाथ लहरा दे हइ - "हम खुद्दे इनकार कर देबइ" अइसन ओकर कहना हइ । फेर आखिर कउची के असरा ऊ लगइले हके - पेंशन के एक सो बीस रूबल, जेकरा में अफ़नासी इवानोविच के करजा चुकावे से जे बचतइ ओकरा पर ? ठंढी खातिर सिर के ओढ़नी बुन-बुनके, कफ़ के कशीदा काढ़-काढ़के, अपन बूढ़ी आँख के खराब करऽ हके । लेकिन ई सब ओढ़नी-वोढ़नी त ओकर साल के एक सो बीस रूबल में खाली कुल्लम बीस रूबल जोड़ऽ हइ, ई हमरा मालूम हकइ । मतलब कि तइयो ऊ मिस्टर लुझिन के उदारता पर उमीद बान्हले रहऽ हका - बोलऽ हका "ऊ खुद्दे प्रस्ताव रखता, निवेदन करता ।" मनहीं मन पूआ पकइते रहिहऽ ! आउ अइसीं हमेशे शिलर के सब नेकदिल पात्र [3] के साथ होवऽ हइ - अन्तिम पल तक अदमी के मोर के पंख से सजावऽ हका, अन्तिम पल तक खाली अच्छा के आशा रक्खऽ हका, कभी खराब के नयँ; आउ हलाँकि सिक्का के दोसरा पहलू के पूर्वाभास रहऽ हइ, लेकिन कउनो हालत में वास्तविक शब्द मुँह से निकासे वला नयँ; एकर विचारे से असहज महसूस करऽ हका; दुन्नु हाथ लहरइते सच्चाई के ढकेलते रहऽ हका, ऊ पल तक, जब तक कि ऊ अदमी, जेकरा ऊ सजइते-सँवारते रहऽ हका, खुद्दे अपन हाथ से नाक नयँ चिपका दे हइ । आउ ई उत्सुकता के बात हइ कि की मिस्टर लुझिन के पास कोय सम्मानजनक पदक (ऑर्डर) हकइ; हम बाजी लगा सकऽ हिअइ कि निश्चित तौर पे ओकरा पास आन्ना के पट्टी [4] हइ आउ ऊ ठेकेदार आउ व्यापारी सब के हियाँ खाना पे निमंत्रण मिलला पर एकरा लगाके जा हइ । शायद, ऊ अपन शदियो पर पेन्ह के अइतइ ! खैर, भाड़ में जाय ऊ ! ...

खैर, मइया के बात जाल देल जाय, भगमान ओकरा सुखी रक्खे, ऊ तो हइए हइ अइसन, लेकिन दुन्या के बारे की कहल जाय ? दुनेच्का, प्यारी बहन, हम तो तोहरा जानऽ हियो ! तूँ तो ऊ बखत बीस बरस के हो चुकलऽ हल, जब हमन्हीं दुन्नु के पिछला तुरी मोलकात होल हल - तोहर सुभाव तो हम ओहे बखत समझ लेलूँ हल । अइका मइया लिक्खऽ हइ, कि "दुनेच्का बहुत कुछ बरदास कर सकऽ हइ ।" ई बात तो हम जानऽ हलूँ जी । ई बात तो हम अढ़ाय साल पहिले जानऽ हलूँ आउ तब से ई अढ़ाय साल एकरा बारे सोच रहलूँ हल, ठीक एहे बात कि "दुनेच्का बहुत कुछ बरदास कर सकऽ हइ ।" जबकि ऊ मिस्टर स्विद्रिगाइलोव के  आउ साथ-साथ बाद के नतीजन के बरदास कर सकऽ हका, त जाहिर हइ कि ऊ वास्तव में बहुत कुछ बरदास कर सकऽ हका । आउ अइका मइया आउ ऊ, दुन्नु कल्पना कर लेलका ह कि मिस्टर लुझिन के भी बरदास कर सकऽ हका, जे अइसन घरवली सब के श्रेष्ठता के सिद्धान्त के बखान करऽ हइ, जेकन्हीं के पति द्वारा कंगाली से उबारल गेले ह आउ  जेकन्हीं पर किरपा कइल गेले ह, आउ जे ई सिद्धान्त के बखान लगभग पहिलहीं मोलकात में करऽ हइ । अच्छऽ, मान लेल जाय कि ओकर मुँह से "ई बात निकस गेलइ", हलाँकि ऊ समझदार अदमी हइ (त फेर शायद, ओकर मुँह से बिलकुल अइसीं निकस नयँ गेलइ, बल्कि चाहवे ई करऽ हलइ कि जल्दी से जल्दी ई बात साफ-साफ बता देवल जाय), लेकिन दुन्या, दुन्या के बारे की कहल जाय ? उनका लगी तो ऊ अदमी खुला सुभाव के हइ, लेकिन ई जाहिर हइ कि रहे तो ओहे अदमी के साथ पड़तइ । ऊ खाली करका रोटी खाके आउ पानी पीके रह जइता, लेकिन अपन आत्मा के नयँ बेचता, आ सुख-सुविधा खातिर अपन नैतिक स्वतंत्रता के तो कभी नयँ बेचता; मिस्टर लुझिन के तो बाते दूर, श्लेसविग-होल्शटाइन [5] के समुच्चे जागीर खातिर भी नयँ बेचता । नयँ, दुन्या तो अइसन नयँ हला, जेतना कि हमरा मालूम हल, आउ ... आउ अभियो तक तो ऊ नयँ बदलला ह ! ... एकरा में बोले लायक हइए की हइ ! स्विद्रिगाइलोव-परिवार दुखदायक हकइ ! दू सो रूबल खातिर सारी जिनगी गवर्नेस के रूप में सभे गुबेर्निया (प्रान्त) में भटकते रहना दुखदायक हइ, लेकिन तइयो हम जानऽ ही कि हमर बहिन भले असानी से बगान में एगो हब्शी मजूरनी [6] जइसन काम कर लेतइ, चाहे कोय बाल्टिक जर्मन के हियाँ लातवियन [7] के रूप में, लेकिन अपन एक व्यक्तिगत लाभ खातिर हमेशे लगी अपन आत्मा के आउ नैतिक भावना के ऊ अदमी से बान्हके निच्चे नयँ गिरइतइ, जेकरा ऊ आदर नयँ करऽ हइ, आउ न जेकरा से कुछ लेना-देना हइ ! आउ चाहे मिस्टर लुझिन बिलकुल खरा सोना, चाहे पूरा हीरा होवे, तइयो ऊ मिस्टर लुझिन के कानूनी रखैल बने लगी राजी नयँ होतइ ! फेर अभी काहे लगी राजी हो गेला ? बात की हइ ? सुराग की हइ ? बात साफ हइ - अपना खातिर, अपन सुख-सुविधा खातिर, मौत से खुद के बचावहूँ खातिर, खुद के नयँ बेचता; त ऊ दोसरा के खातिर बेच रहला ह ! बेच देता ऊ अदमी खातिर, जेकरा ऊ प्यार करऽ हका, आदर करऽ हका ! त ई हइ असली बात - भाय के खातिर, माय के खातिर खुद के बेच देता ! सब कुछ बेच देता ! ओह, जरूरत पड़े पर हम सब अपन नैतिक भावना के भी दबा देते जा हिअइ - स्वतंत्रता, शान्ति, हियाँ तक कि अंतःकरण, सब कुछ, सब कुछ भीड़-भाड़ वला बजार में ले अइते जा हिअइ । हमर जिनगी बर्बाद हो जाय त हो जाय ! खाली हमर प्रियजन सब के खुश रहे के चाही । आउ एकरा से बढ़के, अपन धर्म-अधर्म के मीमांसा करे लगऽ हिअइ, जेशुइट लोग [8] से सीख लेवे लगऽ हिअइ, आउ कुछ समय खातिर शायद खुद के तसल्ली दे हिअइ, खुद के विश्वास देलावऽ हिअइ, कि अइसन जरूरत हइ, अच्छा उद्देश्य खातिर ई वास्तव में जरूरी हइ । अइसने हइए हिअइ हम सब, आउ ई सब कुछ, दिन नियन साफ हकइ । स्पष्ट हइ कि हियाँ आउ कोय दोसरा नयँ, बल्कि रोदियोन रोमानोविच रस्कोलनिकोव के नाम आवऽ हइ, जे ई प्लान में सबसे पहिला हइ । ओ हाँ जी, ऊ ओकर खुशी पक्का कर सकऽ हइ, यूनिवर्सिटी में बनल रहे दे सकऽ हइ, कम्पनी में पार्टनर बनवा सकऽ हइ, ओकर सब भाग्य सुनिश्चित कर सकऽ हइ; शायद, बाद में धनी भी हो जइतइ, आदर-प्रतिष्ठा पइतइ, आ शायद अपन जिनगी के अन्तिम पड़ाव में एगो मशहूर अदमी के रूप में मरतइ ! लेकिन मइया ? हाँ, वास्तव में इ रोद्या, अनमोल रोद्या, पहिला औलाद ! त अइसनका पहिला औलाद खातिर अइसनकी बेटी के बलि काहे नयँ चढ़ा देल जाय ! ओ प्यारे आउ पक्षपाती हृदय ! एकरा खातिर तो शायद सोनेच्का (सोनिया) जइसन जिनगी अपनावे में भी हम संकोच नयँ करे वला ! सोनेच्का, सोनेच्का मरमेलादोवा, शाश्वत बलि सोनेच्का, जब तक ई दुनियाँ रहे ! की तोहन्हीं दुन्नु ई बलिदान के पूरा-पूरा थाह लेते गेलँऽ हँ ? की ई सही हउ ? की बरदास होतउ ? की कोय फयदा हउ ? की एकरा में कोय तुक हउ ? तोहरा मालूम हको, दुनेच्का, कि मिस्टर लुझिन के साथ तोहर जिनगी जइसन होतो ओकरा से सोनेच्का के जिनगी बत्तर नयँ हकइ ? "हियाँ प्रेम के सवाल नयँ हो सकऽ हइ", मइया लिक्खऽ हइ । आउ की कहल जाय, अगर प्रेम के साथ-साथ आदर भी नयँ मिलइ, बल्कि एकर ठीक विपरीत, नफरत, तिरस्कार, घृणा मिलइ, तब की होतइ ? त एकर मतलब ई होलइ कि फेर शायद तोहरा "सज-धजके रहे पड़तो" । अइसन बात नयँ हइ की ? ई समझ में आवऽ हको, समझऽ हकहो कि ई सज-धज के की मतलब होवऽ हइ ? तोहरा समझ में आवऽ हको, कि लुझिन वला सज-धज बिलकुल सोनेच्का के सज-धज नियन हइ, आ हो सकऽ हइ कि आउ बत्तर, निकृष्ट आउ घृणास्पद होवे, काहेकि तोहर ममला में, दुनेच्का, कुछ अतिरिक्त ऐश-अराम के सौदा हको, लेकिन हुआँ ओकरा तो बिलकुल भूखे मरे के सवाल हकइ ! "मँहग, मँहग पड़ऽ हइ, दुनेच्का, ई सज-धज !" आउ अगर बाद में बरदास के बाहर हो जइतो, त की, पछतइबऽ ? ई सोचऽ कि केतना शोक, उदासी, अभिशाप झेले पड़तो, आउ आँसू जेकरा सब्भे से छिपावे पड़तो, काहेकि तूँ मारफा पित्रोव्ना नयँ हकऽ ? आउ तब मइया पर की बीततो ? वास्तव में ऊ तो अभिये से बेचैन हकइ, चिन्तित हकइ; आउ तब की होतइ, जब ओकरा सब कुछ साफ-साफ देखाय देतइ ? आउ हमरा साथ की होत ? ... तूँ हमरा बारे वास्तव में की सोच लेलऽ ह ? हमरा तोर बलिदान नयँ चाही, दुनेच्का, नयँ चाही, माय ! जब तक हम जिन्दा हकिअउ, अइसन कभी नयँ होतउ ! नयँ होतउ, नयँ होतउ ! हम अइसन नयँ होवे देबउ !"

ऊ अचानक होश में अइलइ आउ रुक गेलइ ।

"अइसन नयँ होतइ ? आ तूँ की करमहीं, ताकि अइसन नयँ होबइ ? एकरा रोक देमहीं ? एकरा में तोर की अधिकार हउ ? अइसन अधिकार खातिर ओकन्हीं के कइसन वादा कर सकऽ हीं ? जब तूँ अपन पढ़ाई खतम कर लेमहीं आउ तोरा नौकरी मिल जइतउ, त की अपन समुच्चा भाग्य, अपन समुच्चा भविष्य ओकन्हीं के अर्पित कर देमहीं ? अरे, ई सब हम सुन चुकलिए ह, ई सब खियाली पुलाव हउ, लेकिन ई बखत ? अभिये कुछ करे के चाही, ई समझ में आवऽ हउ ? लेकिन अभी तूँ की कर रहलहीं हँ ? ओकन्हीं के सहारे जी रहलहीं हँ । ओकन्हीं के सो रूबल के पेंशन के गिरवी पर मिस्टर स्विद्रिगाइलोव से पइसा लेवे पड़ऽ हइ ! ओकन्हीं के स्विद्रिगालोव-पतिवार से, अफ़नासी इवानोविच वखरूशिन से कइसे बचइम्हीं, ए भावी लखपति, ओकन्हीं के भाग्य-विधाता ज़ियस ? अगला दस साल में ? आ दस बरस में मइया ओढ़नी-वोढ़नी के चलते आन्हर हो जइतउ, आउ शायद लोर गिरइते भी; उपवास कर-करके सुखके लकड़ी हो जइतउ, आउ बहिनी ? जरी सोच कि तोर बहिनी के ई दस बरस के बाद, चाहे ई दस बरस के दौरान की होतउ ? कुछ अंदाज लगइलहीं हँ ?"

ई तरह से ऊ अपने आप के यातना दे रहले हल आउ ई सब सवाल से खुद के मानूँ चिढ़ा रहले हल, आउ ई सब में ओकरा कुछ खुशी भी हो रहले हल । तइयो, ई सब सवाल कोय नया, चाहे अचानक नयँ हलइ, बल्कि बहुत पुराना आउ दर्दनाक हलइ । बहुत पहिलहीं से ओकरा ई सब ओकरा सताब करऽ हलइ आउ ओकर दिल के चीर रहले हल । ई सब परेशानी ओकरा में बहुत बहुत पहिलहीं पैदा होले हल, आउ बढ़-बढ़के, जमा होते-होते हाल में पकके केन्द्रित हो चुकले हल, जे अब एगो भयंकर, अनियंत्रित आउ सनकी सवाल के रूप ग्रहण कर लेलके हल, आउ ओकर दिल आउ दिमाग के यातना दे रहले हल, जे बिना कोय प्रतिरोध आउ बहाना के समाधान के माँग कर रहले हल । आउ अब तो ओकर मइया के अचानक मिल्लल चिट्ठी मानूँ ओकरा पर बज्जड़ जइसन प्रहार कइलकइ । जाहिर हलइ कि अब परेशान होवे के बखत नयँ हलइ, न चुपचाप तकलीफ झेलते रहे के, आउ न खाली ई तर्क देते रहे के कि अइसन सवाल के कोय समाधान नयँ हइ, बल्कि अपरिहार्य रूप से कुछ तो करे के हलइ, आउ ओहो अभिये, आउ जेतना जल्दी हो सकइ ओतना जल्दी । चाहे जे कुछ हो जाय, फैसला लेना जरूरी हलइ, चाहे कुच्छो के, नयँ तो ...

"नयँ तो जिनगी से बिलकुल नाता तोड़ ले !", ऊ आवेश में चिल्ला उठलइ, "चुपचाप एक तुरी हमेशे लगी अपन किस्मत के, जइसन हउ ओइसने रूप में, स्वीकार कर ले, आउ अपन अंदर के हर चीज के गला घोंट दे - कुछ करे, जीये आउ प्यार करे के हर अधिकार के त्याग करके !"
"समझऽ हथिन, की अपने समझऽ हथिन, आदरणीय महोदय, कि कीऽ मतलब होवऽ हइ, जब आउ कहीं जाय के कोय ठेकाना नयँ होवऽ हइ ?" अचानक ओकरा मरमेलादोव के कल वला सवाल आद पड़ गेलइ, "काहेकि हरेक अदमी के कहीं न कहीं जाय के ठेकाना होवे के चाही ..."

अचानक ऊ चौंक पड़लइ - कल्हीं वला एगो आउ विचार ओकर दिमाग में फेर से तेजी से गुजरलइ । लेकिन ऊ बात से नयँ चौंकलइ कि ई विचार तेजी से गुजरलइ । वास्तव में ऊ जानऽ हलइ, एकर आभास ओकरा होब करऽ हलइ, कि ई विचार ओकर दिमाग से जरूर "तेजी से गुजरतइ", आउ ऊ एकर इंतजारो कर रहले हल; आउ ई विचारो कल्हे के बिलकुल नयँ हलइ । लेकिन अन्तर ई हलइ कि एक महिन्ना पहिले, आउ कल्हूओं, ई खाली एगो सपना हलइ, लेकिन अब ... लेकिन अब अचानक सपना नियन नयँ अइलइ, बल्कि एगो नयका, भयंकर आउ बिलकुल अपरिचित रूप में, आउ ऊ अचानक खुद्दे एकरा अनुभव कर लेलकइ ... ई ओकर दिमाग में प्रहार कइलकइ, आउ ओकर आँख के सामने अन्हेरा छा गेलइ । ऊ तेजी से चारो तरफ नजर दौड़इलकइ, ऊ कुछ ढूँढ़ रहले हल । ओकरा बइठ जाय के मन कर रहले हल, आउ ऊ बेंच खोज रहले हल; आउ तब ऊ के॰ बुलवार (वृक्ष-वीथि) होके जाब करऽ हलइ । करीब सो डेग पर एगो बेंच देखाय देलकइ । ऊ यथाशीघ्र ओद्धिर लपके लगलइ; लेकिन रस्तावा में ओकरा साथ एगो छोटगर आकस्मिक घटना हो गेलइ, जे कुछ मिनट लगी ओकर सब ध्यान अपना तरफ खींच लेलकइ । बेंच खोजते बखत ऊ अपन आगे कोय बीस डेग पर एगो औरत के जइते देखलकइ, लेकिन शुरू में ओकरा पर कोय ध्यान नयँ देलकइ, जइसन कि अभी तक नजर में आब कइल बाकी चीज पर ध्यान नयँ दे हलइ । ओकरा साथ कइएक तुरी पैदल जइते बखत, उदाहरणस्वरूप घर तरफ, अइसन हो चुकले हल, आउ ओकरा कुछ आद नयँ रहऽ हलइ कि ऊ कउन रस्ता से अइलइ, आउ ऊ अइसन चल्ले के आदी हो गेले हल । लेकिन ओकर आँख में पड़ल पहिलहीं नजर में ऊ जा रहल औरत में कुछ तो अइसन विचित्र लगलइ कि धीरे-धीरे करके ओकरा पर ध्यान जमे लगलइ - शुरू-शुरू में हलाँकि मानूँ अनमनेपन से, लेकिन बाद में आउ अधिक अधिक एकाग्रता के साथ । ऊ अचानक जाने लगी चहलकइ कि ई औरत में की खास विचित्र बात हकइ । सबसे पहिले तो ऊ शायद बहुत नवजवान लड़की लग रहले हल, अइसन गरमी में नंगे सिर जाब करऽ हलइ, बिन कोय छाता आउ बिन दस्ताना के, अपन हाथ कइसूँ बेढंगा तरह से झुलइते । ऊ हलका रेशमी कपड़ा के बन्नल पोशाक पेन्हले हलइ, लेकिन कोय तरह बहुत अजीब ढंग से पेन्हल, जेकरा में मोसकिल से बोताम लगल हलइ आउ पीछू में कमर के पास, स्कर्ट के शुरू में फट्टल हलइ; एगो पूरा टुकड़ा बाहर निकस गेले हल आउ टंगल झुल रहले हल । ओकर नंगे गरदन में एगो छोटगर ओढ़नी डालल हलइ, लेकिन कइसूँ टेढ़ा आउ एक बगल हो गेले हल । एकर अलावे, लड़किया स्थिर रूप से नयँ, बल्कि लड़खड़इते आउ चारो बगली झूलते चल रहले हल । ई आकस्मिक भेंट आखिर रस्कोलनिकोव के पूरा ध्यान खींच लेलकइ । बेंच तक ऊ आउ लड़किया एक्के साथ पहुँचलइ, लेकिन बेंच तक पहुँचके ऊ अइसीं ओकर एक छोर पर पटा गेलइ, बेंच के पिछला सिरा पर अपन सिर टेका देलकइ आउ आँख बन कर लेलकइ, शायद बहुत जादे थकावट के चलते । ओकरा तरफ निहारके देखला पर ऊ तुरते समझ गेलइ कि ऊ निसा में धुत्त हकइ । ई एगो विचित्र आउ भयानक दृश्य हलइ । ऊ एहो सोचे लगलइ कि कहीं हमरा कोय गलती तो नयँ हो रहल ह । ओकर सामने एगो बहुत कमसिन चेहरा हलइ, कोय सोलह साल के, एहो हो सकऽ हइ कि पनरहे बरस के - छोटगर, सुनहरा केश वली, सुन्नर, लेकिन बिलकुल तमतमाल आउ जरी सुज्जल जइसन । लगऽ हलइ कि लड़किया के बहुत कम समझ में आ रहले हल; एक टाँग के दोसरा पर चढ़ा लेलके हल, आउ जेतना चाही हल ओकर अपेक्षा बहुत जादे उघार लेलके हल, आउ सब तरह के लक्षण से लग रहले हल कि ओकरा एहो होश नयँ हलइ कि ऊ सड़क पर हकइ ।

रस्कोलनिकोव बइठलइ नयँ आउ न चल जाय ल चहलकइ, बल्कि ओकरा सामने किंकर्तव्यविमूढ़ होके खड़ी रहलइ । ई बुलवार तो हमेशे वीरान रहऽ हइ, आउ अभी तो, जबकि एक से उपरे बज चुकले ह आउ अइसन गरमी में, लगभग कोय नयँ हलइ । तइयो करीब पनरह डेग दूर बुलवार के छोर पे एगो श्रीमान रुक्कल हला, जिनका सब कुछ देखाय देब करऽ हलइ, आउ जिनका कोय काम से ई लड़किया बिजुन आवहूँ के बहुत मन कर रहले हल । ऊ शायद ओकरा दूरहीं से देखलका हल आउ ओकर पीछा करब करऽ हला, लेकिन रस्कोलनिकोव ओकर आड़े आ गेले हल । ऊ ओकरा गोस्सा के नजर से देखलका, लेकिन ई कोशिश करते कि उनका पर ओकर नजर नयँ पड़े, आउ अधीरतापूर्वक अपन मौका के इंतजार में रहला कि कब ई चिथड़ा वला कबाब में हड्डी हियाँ से टलत । बात बिलकुल स्पष्ट हलइ । ई श्रीमान हला - करीब तीस बरस के, मोटा-तगड़ा, गुलाबी ठोर आउ मोंछ रखले, आउ फैशनदार पोशाक पेन्हले । रस्कोलनिकोव बहुत गोसा गेलइ; ओकरा अचानक बहुत मन कइलकइ कि ई मोटका छैला के गरियावूँ । ऊ कुछ पल खातिर लड़किया के छोड़ देलकइ आउ ऊ श्रीमान के तरफ बढ़लइ ।

"ए स्विद्रिगाइलोव [9] ! तोहरा हियाँ की चाही ?" ऊ चिल्ला उठलइ, अपन मुट्ठी भींचते आउ हँसते; गोस्सा से ओकर ठोर पे झाग आ गेले हल ।
"की मतलब ?" श्रीमान अचरज में आके अपन त्योरी पर बल देते आउ घमंड से कड़ाई से पुछलका ।
"हियाँ से चल जा, बस !"
"तोर हिम्मत कइसे होलउ अइसन बात करे के, नीच कहीं के ! ..."

आउ ऊ कोड़ा उठइलकइ । रस्कोलनिकोव ओकरा पर दुन्नु मुक्का बान्हके ओकरा पर टूट पड़लइ, एहो ऊ नयँ सोचलकइ कि ऊ तगड़ा अदमी एकरा नियन दू गो के अकेल्ले देख लेतइ । लेकिन ओहे पल ओकरा पीछू से कोय कसके पकड़ लेलकइ, ओकन्हीं के बीच में एगो पुलिस वला खड़ी हलइ ।
"बस, बस, बहुत हो गेलो, साहब, सार्वजनिक स्थान पर लड़ाय-झगड़ा नयँ । तोहन्हीं के की चाही ? के हकऽ ?" रस्कोलनिकोव के ऊ सख्ती से पुछलकइ, ओकर चिथड़ा पोशाक देखके ।

रस्कोलनिकोव ओकरा तरफ ध्यान से देखलकइ । ई एगो तगड़ा सैनिक नियन चेहरा हलइ - उज्जर मोंछ आउ पारखी नजर ।
"हमरा तो तोहरे जरूरत हको", ऊ चिल्लइलइ, ओकर हाथ के धरते । "हम भूतपूर्व छात्र, रस्कोलनिकोव ... ई तो तूहूँ जान सकऽ ह", ऊ श्रीमान तरफ मुड़लइ, " आ तूँ आवऽ, हम तोहरा कुछ देखइबो ..."
आउ पुलिस वला के हाथ पकड़के खींचके बेंच तरफ लइलकइ ।

"अइकी, देखहो, बिलकुल निसा में धुत्त, अभी बुलवार से होके जाब करऽ हलइ - के जानऽ हइ कि ई के हइ, की करऽ हइ, लेकिन देखे से तो नयँ लगऽ हइ कि ई पेशेवर हकइ । जादे संभावना तो ई लगऽ हइ कि एकरा कहीं पिला देवल गेले ह आउ धोखा देल गेले ह ... पहिले तुरी ... समझऽ हो ? आउ अइसीं रोड पर छोड़ देल गेले ह । देखहो, पोशाक कइसन फट्टल हकइ, देखहो, कइसे ई पेन्हल हकइ - वस्तुतः ओकरा पेन्हावल गेले ह, न कि ऊ खुद पेन्हलके ह, आउ ई अनगढ़ हाथ से पेन्हावल गेले ह, कोई मरद के हाथ से । ई तो साफ झलकऽ हइ । आउ अइकी अब एद्धिर देखहो - ई छैला, जेकरा साथ अभी लड़े जा रहलिए हल, हमरा लगी अपरिचित हकइ, पहिले तुरी देख रहलिए ह; लेकिन ऊ ओकरो रस्तावा में देखलके हल, अभिये, निसा में धुत्त, जेकरा अपना बारे समझे-बुझे के होश नयँ हकइ, आउ ऊ छैला ओकरा पास आके ओकरा कब्जावे के धुन में हइ - चूँकि ऊ अइसन हालत में हइ, - त ओकरा कहीं ले जाय के ... ई बिलकुल पक्का बात हकइ, विश्वास करऽ कि हमरा एकरा में कोय गलतफहमी नयँ हइ । हम खुद देखलिअइ, कि ऊ कइसे ओकरा तरफ घूर रहले हल आउ ओकर पीछा करब करऽ हलइ, खाली हम ओकर बीच में आ गेलिअइ, आउ ऊ अब ई इंतजार में हइ कि कब हम हियाँ से खिसक जइअइ । अउकी ऊ अब थोड़े सन दूर चल गेलइ, आउ खड़ी हकइ, ई देखावा करते, मानूँ ऊ सिगरेट बना रहले ह [9] ... कइसे एकरा ओकर चंगुल से बचावल जाय ? कइसे एकरा घर भेजावल जाय ? जरी सोचहो !"
पुलिस वला तुरत सब कुछ समझ गेलइ । ऊ तगड़ा श्रीमान के इरादा तो वस्तुतः स्पष्ट हलइ, लेकिन रह गेलइ ई लड़की के बात । पुलिस वला ओकरा आउ नगीच से देखे खातिर थोड़े झुक गेलइ, आउ ओकर चेहरा पर वास्तविक सहानुभूति के भाव उभर अइलइ ।

"आह, केतना अफसोस के बात हइ !" ऊ सिर हिलइते बोललइ, "अभी तो बिलकुल बच्ची हकइ । एकरा धोखा देल गेले ह, ई तुरते समझल जा सकऽ हइ ।"
"सुनऽ, मिस", ऊ ओकरा संबोधित कइलकइ, "काहाँ रहऽ ह ?"

लड़किया अपन थकल निनारू नियन आँख खोललकइ, सवाल करे वला के शून्य भाव से देखलकइ आउ अपन हाथ हावा में लहरइलकइ ।

"सुनऽ", रस्कोलनिकोव कहलकइ, "ई (ऊ अपन जेभी में हाथ नइलकइ आउ बीस कोपेक निकसलकइ, जे ओकरा में से मिललइ), इकी ले ल आउ एगो गाड़ी वला के बोलाके ओकरा एकर पता पर पहुँचावे लगी कह देहो । खाली हमन्हीं के ई मालूम करे के चाही कि एकर घर के पता की हइ !"

"मिस, ए मिस !", पइसा लेके पुलिस वला फेर शुरू कइलकइ, "हम अभिये गाड़ीवला के बोलावऽ हियो आउ खुद्दे तोरा घर पहुँचा दे हियो । काहाँ ले चलियो ? अयँ ? तूँ काहाँ रहऽ ह ?"
"श्श् ... ! ... हमर पीछे पड़ जइते जा हका ! ...", लड़किया बड़बड़इलइ, आउ फेर से हथवा हावा में लहरइलकइ ।
"छि छि, कइसन खराब बात हइ ! कइसन शरम के बात हइ, मिस, कइसन शरम के बात !" ऊ फेर से खेद, सहानुभूति आउ क्रोध के मिल्लल-जुल्लल भाव से सिर हिलइलकइ ।
"ई तो वास्तव में एगो मोसकिल काम हइ !" ऊ रस्कोलनिकोव तरफ मुड़के बोललइ आउ पल भर में ओकरा सिर से पाँव तक सरसरी निगाह से देखलकइ । ओहो ओकरा, जाहिर हइ, बिलकुल विचित्र अदमी लगलइ - अइसन चिथड़ा में, आउ खुद पइसा दे रहल ह !

"तूँ एकरा हियाँ से बहुत दुरहीं से देखलऽ हल ?" ऊ ओकरा से पुछलकइ ।
"हम कहलियो हल न कि हिएँ बुलवार में हमरा सामनहीं लड़खड़इते जा रहले हल । कइसूँ ई बेंच तक पहुँचलइ आउ धम से एकरा पर पटा गेलइ ।"
"ओह, ई दुनियाँ में आझकल कइसन-कइसन शरमनाक काम होवऽ हइ ! हे भगमान ! अइसन सधारण लड़की, आउ पीयल ! धोखा देल गेले ह, ई तो साफ हइ ! अइकी एकर पोशाक फट्टल हइ ... आझकल अदमी केतना गिर गेले ह ! ... आउ शायद, कोय अच्छा घराना के होतइ, कोय गरीबो घर के ... आझकल अइसन बहुत्ते लड़की हकइ । देखे में तो सुकुमार लगऽ हइ, बिलकुल ठकुराइन ।" आउ ऊ फेर से ओकरा तरफ झुकलइ ।

"शायद ओकरो बेटियन अइसहीं बड़गर होले होत - 'बिलकुल ठकुराइन नियन आउ सुकुमार', निम्मन से लालन-पालन होल आउ शिष्टाचार वली, आउ फैशनदार चाल-चलन अपनावे वली ..."
"मुख्य बात तो ई हइ", रस्कोलनिकोव अपने बात कहलकइ, "कि ऊ नीच के चंगुल से एकरा कइसूँ दूर रखल जाय ! की मालूम, एकरा साथ फेर ऊ बलात्कार कर सकऽ हइ ! ई तो बिलकुल साफ हइ, कि ओकरा की चाही; अरे, ऊ नीच तो खिसकवो नयँ करऽ हइ !"

रस्कोलनिकोव उँचगर अवाज में बोललइ आउ हाथ से सीधे ओकरा तरफ इशारा कइलकइ । ऊ सुन लेलकइ आउ फेर से अपन गोस्सा देखावे ल चहलकइ, लेकिन ऊ एकरा बारे सोचलकइ आउ खाली तिस्कार भरल नजर से देखलकइ । बाद में धीरे-धीरे कोय दस डेग आउ दूर चल गेलइ, फेर रुक गेलइ ।

"ओकर चंगुल से बचा तो सकऽ हिअइ जी", अनधिकृत अधिकारी (non-commissioned officer) विचारमग्न होके उत्तर देलकइ । "लेकिन ई बतइता तब तो कि इनका काहाँ पहुँचावल जाय, नयँ तो ... मिस, ए मिस !" ऊ फेर झुक गेलइ ।
ऊ अचानक आँखिया खोल देलकइ, ध्यान से देखलकइ, मानूँ कुछ अइसन-ओइसन समझ लेलकइ, बेंच पर से उठ गेलइ आउ वापिस ओहे तरफ रवाना हो गेलइ, जद्धिर से अइले हल ।
 
"अरे हट, बेशरम सब, हमर पीछे नयँ छोड़ते जा हइ !" ऊ बड़बड़इलइ, एक तुरी फेर अपन हाथ हावा में लहरइते । ऊ फुरती-फुरती जाब करऽ हलइ, आउ पहिलहीं नियन जोर से एन्ने-ओन्ने टगते । ऊ छैला ओकरा पिछुअइले जा रहले हल, लेकिन बुलवार के दोसरा बगल से आउ ओकरा पर से बिना नजर हटइले ।

"चिंता नयँ करऽ, ओकरा कइसूँ हम हाथ नयँ लगे देबइ जी", मोछैल पुलिसवला दृढ़ स्वर में बोललइ आउ ओकन्हीं के पीछू-पीछू रवाना होलइ ।
"ओह, आझकल कइसन-कइसन शरमनाक काम होवऽ हइ !" आह भरते ऊ सुनाय देवे लायक अवाज में दोहरइलकइ ।

एहे पल मानूँ कुछ तो रस्कोलनिकोव के डंक मालकइ; एक क्षण मानूँ ओकरा मोड़ देलकइ ।
"सुनऽ, ए महोदय !" ऊ मोछैल के पीछू से चिल्लाके बोललइ ।

ऊ मुड़ गेलइ ।

"रहे देहो ! तोहरा की मतलब ? छोड़ऽ ! ओकरा फिकिर करे देल जाय (ऊ छैला तरफ इशारा कइलकइ) । तोहरा की लेना-देना ?"
पुलिसवला के कुछ समझ में नयँ अइलइ आउ ऊ एकटक देखते रहलइ । रस्कोलनिकोव हँस पड़लइ ।
"ओहो !" पुलिसवला बोललइ, हाथ लहराके आउ ऊ छैला आउ लड़की के पीछू-पीछू चल पड़लइ । शायद रस्कोलनिकोव के ऊ पगला समझ लेलकइ, चाहे एकरा से आउ कुछ बत्तर ।

"बीस कोपेक हमर ले गेल", अकेल्ले रह गेला पर रस्कोलनिकोव गोसाके बड़बड़इलइ । "खैर, जाय दे ई बात, ओकरो से पैसा ऐंठतइ आउ लड़किया के ओकरा साथ जाय देतइ, आउ एकरे साथ बात खतम ... आउ हम ई मदत करे के चक्कर में काहे लगी फँस गेलूँ ! की हमरा मदत करे के चाही हल ? हमरा मदत करे के कोय हक हकइ ? ओकन्हीं बल्कि एक दोसरा के निंगल जाय त निंगल जाय - हमरा एकरा में की लगऽ हइ ? आउ हम बीस कोपेक देवे के जुर्रत कइसे कइलिअइ ? की ई पइसा हम्मर हलइ ?"

ई सब विचित्र बात बोले के बावजूद ओकरा तकलीफ हो रहले हल । ऊ बिलकुल खाली होल बेंच पर बइठ गेलइ । ओकर विचार सब बिखरल हलइ ... आउ सधारण रूप से ऊ क्षण ओकरा कउनो चीज पर अपन ध्यान के केन्द्रित करे में कठिनाई हो रहले हल । ओकरा लग रहले हल कि खुद के बिलकुल भूल जाय, सब कुछ भूल जाय, बाद में फेर जग्गे त बिलकुल नाया तरह से शुरू करे ...

"बेचारी लड़की !" ऊ बेंच के अब खाली कोना देखके बोललइ । "ऊ होश में अइतइ, त रोतइ, बाद में मइया के मालूम पड़ जइतइ ... शुरू में पिटतइ, कष्टदायक आउ शरमनाक रूप से, फेर शायद बाहर निकास देतइ ... आउ अगर नयँ निकासतइ, त दार्या फ्रांत्सेव्ना जइसन औरतियन के भनक तो लगिये जइतइ, आउ चोरी-छिपे ई लड़की एने-ओने निकसे लगतइ ... फेर सीधे अस्पताल (आउ अइसन ऊ सब लड़कियन के साथ होवऽ हइ, जेकर मइयन ईमानदार रहऽ हइ आउ ओकन्हीं से चुपके-चोरी अइसन गुल खिलावऽ हइ), हूँ, आउ तब ... आउ तब फेर से अस्पताल ... दारू ... कलाली ... आउ फेर अस्पताल ... दू-तीन साल में - अपंग, आउ नतीजा ई होतइ कि पैदा होवे से कुल मिलाके अठारह-उनइस बरस के जिनगी जीतइ, बस ... की हम अइसनकन के नयँ देखलूँ हँ ? आ ओकन्हीं कइसे अइसन हो गेलइ ? वास्तव में बिलकुल अइसने हालत में अइसन हो गेते गेलइ ... उफ ! लेकिन जाय द ! लोग के कहना हइ कि अइसन तो होवे करऽ हइ । लोग के विचार से, एतना प्रतिशत तो हर साल जाने चाही ... केधरो ... नरक में, ताकि बाकी अछूती रहे आउ ओकन्हीं के साथ कोय छेड़छाड़ नयँ करे । [10] कुछ प्रतिशत ! सच में केतना शानदार शब्द हकइ ओकन्हीं के पास - तसल्ली देवेवला आउ विज्ञान के कसौटी पर खरा उतरेवला ! एक तुरी कह देल गेलइ - कुछ प्रतिशत, मतलब कि चिन्ता करे के कोय बात नयँ हइ । अगर कोय दोसर शब्द होते हल, तब तो ... शायद अधिक चिन्ता के बात होते हल ... लेकिन तब की, जब दुन्या कइसूँ ई प्रतिशत में पड़ जाय ! ... अगर एकरा में नयँ, तब कोय दोसरा में ? ...”

"लेकिन हम जा काहाँ रहलूँ हँ ?" ओकरा अचानक ध्यान में आ गेलइ । "अजीब बात हइ । वास्तव में हम तो कोय काम से निकसलिये हल । जइसहीं चिट्ठी पढ़ना समाप्त कइलूँ, ओइसहीं हम रवाना हो गेलूँ ... वसिलेव्स्की टापू के तरफ, रज़ुमिख़िन के हियाँ जाय लगी प्रस्थान कइलूँ हल, हाँ हिएँ, अब ... आद पड़ गेल । लेकिन काहे लगी, आखिर ? लेकिन रज़ुमिख़िन के पास जाय के हमर दिमाग में विचारे अभी कइसे आल ? ई तो विचित्र बात हइ !"  

ओकरा अपने आप पर अचरज होलइ । रज़ुमिख़िन ओकर यूनिवर्सिटी के पूर्व मित्र लोग में से एक हलइ । कमाल के बात हलइ कि यूनिवर्सिटी में रहते बखत रस्कोलनिकोव के शायदे कोय मित्र हलइ, ऊ सबसे दूर रहऽ हलइ, केकरो से भेंट करे नयँ जा हलइ आउ केकरो स्वागत करना ओकरा भारी पड़ऽ हलइ । बल्कि, ओकरा से सब कोय किनारा कर लेलकइ । कोय सामान्य सभा, बातचीत, चाहे मनोरंजन कार्यक्रम में ऊ कोय हिस्सा नयँ ले हलइ । ऊ तन-मन के सुध बिसराके लगन से काम करऽ हलइ, जेकरा चलते ओकरा सब आदर करऽ हलइ, लेकिन कोय ओकरा पसीन नयँ करऽ हलइ । ऊ बहुत गरीब हलइ आउ एक प्रकार से अभिमानी आउ गैरमिलनसार; मानूँ ऊ कुछ अपने में छिपाके रक्खऽ हलइ । ओकर कुछ साथी के अइसन लगऽ हलइ कि ऊ ओकन्हीं सब के बुतरू नियन समझऽ हइ; ऊपर से ई, मानूँ विकास, ज्ञान आउ आस्था के मामले में ऊ सबसे बढ़-चढ़के होवे; आउ लगइ कि ओकन्हीं सब के आस्था आउ रुचि के ऊ कुछ हेय दृष्टि से देखऽ हइ ।

रज़ुमिख़िन के साथ तो ऊ कोय कारण से हिल-मिल गेले हल, मतलब हिल-मिल गेले हल अइसन तो नयँ कहल जा सकऽ हइ, लेकिन, हाँ, ओकरा साथ जरी अधिक मिलनसार हलइ, थोड़े अधिक खुलके बात करऽ हलइ । शायद रज़ुमिख़िन के साथ आउ दोसर मामला में कोय संबंध रखना असंभव हलइ । ऊ बहुत जादे खुशमिजाज आउ मिलनसार छोकड़ा हलइ, भोलापन के हद तक अच्छा सुभाव के । शायद एहे भोलापन में गहराई आउ खूबी छिप्पल हलइ । ओकर उत्तम मित्र सब ओकरा समझऽ हलइ, सब्भे ओकरा मानऽ हलइ । ऊ बहुत तेज हलइ, हलाँकि कभी-कभी ऊ वास्तव में सीधगर लगऽ हलइ । ओकर रंगरूप भावपूर्ण हलइ - उँचगर कद, छरहरा बदन, हमेशे बिन दाढ़ी बनइले, केश कार-कार । कभी-कभी ऊ हुड़दंग मचावऽ हलइ आउ बहादुर अदमी के रूप में मशहूर हलइ । एक रात अपन मंडली के साथ बाहर जइते बखत एगो करीब बारह विर्शोक कद वला (अर्थात् करीब साढ़े छो फुट के) [11] पुलिसवला के एक्के मुक्का में धराशायी कर देलके हल । पीये में तो ओकर कोय सीमा नयँ हलइ, लेकिन ऊ बिलकुल बिन पीलहूँ रह सकऽ हलइ; कभी-कभी तो बहुत जादे शरारत कर बइठऽ हलइ, लेकिन ऊ बिन शरारत कइलहूँ रह सकऽ हलइ । रज़ुमिख़िन एहो बात लगी मशहूर हलइ कि कइसनो विफलता से ऊ हताश नयँ होवऽ हइ आउ प्रतीत होवऽ हलइ कि कइसनो खराब परिस्थिति ओकर मनोबल के तोड़ नयँ सकऽ हइ । ऊ छत के उपरे भी रह सकऽ हलइ, जोरगर से जोरगर भूख आउ तीव्र से तीव्र ठंढक बरदास कर सकऽ हलइ । ऊ बहुत गरीब हलइ आउ ऊ खुद अकेल्ले दृढ़संकल्प होके अपने आपके सम्हारऽ हलइ, कइसनो काम करके पइसा कमाके । ऊ बेहिसाब तरकीब जानऽ हलइ, जाहाँ से ओकरा पइसा मिल सकऽ हलइ, मगर निश्चित रूप से कमाइए के । एक तुरी पूरा जाड़ा ऊ अपन कमरा के बिलकुल गरम नयँ कइलके हल आउ ई जोर देके बोलऽ हलइ कि ओकरा ई आउ जादहीं अच्छा लगऽ हइ, काहेकि ठंढी में नीन बेहतर आवऽ हइ । ई बखत ओकरो यूनिवर्सिटी छोड़ देवे पड़लइ, लेकिन थोड़े समय खातिर, आउ पूरा जोर लगाके परिस्थिति के जल्दी से जल्दी सुधारे के कोशिश कइलकइ, ताकि ऊ अपन पढ़ाय जारी रख सकइ । रस्कोलनिकोव करीब चार महिन्ना से ओकरा से भेंट नयँ कइलके हल, आ रज़ुमिख़िन तो ओकर डेरा के पतो नयँ जानऽ हलइ । एक तुरी कइसूँ, कोय दू महिन्ना पहिले, ओकन्हीं दुन्नु के रोड पर आमना-सामना होहीं वला हलइ, लेकिन रस्कोलनिकोव मुड़ गेलइ आउ रोडवा पार करके दोसरा बगल चल गेलइ, ताकि ऊ ओकरा नयँ देख सकइ । लेकिन रज़ुमिख़िन के नजर तो ओकरा पर पड़ गेले हल, परन्तु ऊ अनजान नियन आगे बढ़ गेले हल, काहेकि ऊ अपन दोस्त के उलझन में डाले लगी नयँ चाहऽ हलइ ।



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