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Tuesday, January 20, 2015

अपराध आउ दंड - भाग – 2 ; अध्याय – 3



अपराध आउ दंड

भाग – 2

अध्याय – 3

तइयो अइसन बात नयँ हलइ कि बेमारी के पूरे समय ऊ बिलकुल बेहोश हलइ - ई बोखार के अवस्था हलइ, बड़बड़ाहट (delirium) आउ आधा बेहोशी के साथ । बहुत कुछ ओकरा बाद में आद आ गेलइ । कभी ओकरा लगइ, कि कइएक अदमी ओकरा भिर जामा हइ आउ पकड़के कहीं दूर ले जाय ल चाहऽ हकइ, ओकरा बारे बहुत वाद-विवाद करऽ हइ आउ झगड़ते जा हइ । कभी अचानक ओकरा लगइ कि ऊ कमरा में एकसरे हइ, सब कोय चल गेलइ आउ ओकरा से डरऽ हइ, आउ खाली बीच-बीच में ओकरा तरफ देखे लगी जरी सन दरवाजा खोलऽ हइ, ओकरा धमकावऽ हइ, आपस में कुछ तो बतियाके तय करऽ हइ, हँस्सऽ हइ आउ ओकरा चिढ़ावऽ हइ। अपन बगल में रहते नस्तास्या के ऊ अकसर पछान ले हलइ; एगो आउ अदमी के ऊ पछानऽ हलइ, जे ओकरा बहुत परिचित लगऽ हलइ, लेकिन पक्का ऊ के हलइ, ऊ कइसूँ अंदाज नयँ लगा पावऽ हलइ आउ उदास हो जा हलइ, कनियो जा हलइ । कभी ओकरा लगइ, कि ऊ एक महिन्ना से पड़ल हइ; कभी लगे लगइ, कि ओहे दिन चल रहले ह । लेकिन ओकरा बारे, ओकरा बारे ऊ बिलकुल भूल गेले हल; लेकिन ओकरा हरेक मिनट आद रहऽ हलइ, कि ऊ कुछ तो भूल गेले ह, जेकरा कभियो भुल्ले के नयँ चाही - दुखी होवऽ हलइ, तड़पऽ हलइ, आद करे के कोशिश में कराहऽ हलइ, झुंझला उठऽ हलइ, चाहे ओकरा भयानक असहनीय डर सतावे लगऽ हलइ । तब ऊ अपन जगह से उट्ठे के कोशिश करऽ हलइ, भाग जाय लगी चाहऽ हलइ, लेकिन हमेशे कोय न कोय ओकरा जबरदस्ती रोक ले हलइ, आउ ऊ फेर से कमजोरी आउ बेहोशी के शिकार हो जा हलइ । आखिरकार, ऊ बिलकुल होश में आ गेलइ ।

अइसन सुबह में घटलइ, दस बजे । सुबह के ई बखत, साफ दिन में, रौदा हमेशे एगो लमगर पट्टी के रूप में ओकर दहिना देवाल पर आवऽ हलइ आउ दरवाजा के पास के कोना में रोशनी भर दे हलइ । ओकर बिछौना के पास खड़ी हलइ नस्तास्या आउ एगो आउ अदमी, जे बहुत उत्सुकतापूर्वक ओकरा तरफ तक रहले हल आउ जे ओकरा लगी बिलकुल अपरिचित हलइ । ई कफ्तान [1] में एगो नौजवान हलइ, छोटगर दाढ़ी वला, आउ चेहरा से सहकारी संघ (artel) के सदस्य मालूम पड़ऽ हलइ । आधा खुल्लल दरवाजा से मकान-मालकिन हुलक रहले हल। रस्कोलनिकोव उठके बइठ गेलइ ।

"ई के हइ, नस्तास्या ?" ऊ नौजवान तरफ इशारा करते पुछलकइ ।
"अरे देखऽ, होश में आ गेला !" ऊ बोललइ ।
"होश में आ गेलथिन !" नौजवान बात दोहरइलकइ ।

ई अंदाज लगाके, कि ऊ अब होश में आ गेलइ, मकान-मालकिन, जे दरवजवा से हुलक रहले हल, तुरते ओकरा बन कर लेलकइ आउ गायब हो गेलइ । ऊ हमेशे से शर्मीली हलइ आउ मोसकिल से बातचीत आउ बहस सहन कर पावऽ हलइ; ऊ करीब चालीस साल के हलइ, आउ मोटी-तगड़ी, भौं आउ आँख कार, मोटापा आउ आलस्य के चलते दयालु; आउ सलोनी भी । जरूरत से जादे लजालु ।

"अपने ... केऽ ?" ऊ पुछते रहलइ, सीधे सहकारी संघ के सदस्य के संबोधित करके । लेकिन एतने में फेर से दरवाजा धड़ से खुललइ, आउ, थोड़े से झुकके, काहेकि उँचगर हलइ, रज़ुमिख़िन अन्दर घुसलइ ।
"ई कइसन जहाज के केबिन हइ !" अन्दर घुसते ऊ चिल्लइलइ, "हमेशे हमर सिर टकरा जा हके; तइयो एकरा क्वाटर कहल जा हइ ! आ तूँ भाय, होश में आ गेलऽ ? अभिये पाशेन्का से सुनलियो ।
"अभिये होश में अइला ह", नस्तास्या बोललइ ।
"अभिये होश मे अइलथिन हँ", फेर से ऊ नौजवान मुसकइते दोहरइलकइ ।
"आउ खुद अपने के हथिन, बता सकऽ हथिन, महोदय ?" अचानक ओकरा संबोधित करते रज़ुमिख़िन पुछलकइ।

"हम हकिअइ, अपने के सूचनार्थ, व्रज़ुमिख़िन; रज़ुमिख़िन नयँ, जइसन कि सब कोय पुकारऽ हका, बल्कि व्रज़ुमिख़िन, एगो छात्र आउ कुलीन घराना के बेटा, आउ ऊ हमर मित्र । अच्छऽ, महोदय, आउ अपने केऽ हथिन?"
"आ हम हकिअइ सहकारी संघ के दफ्तर के एगो सदस्य, व्यापारी शेलोपायेव के हियाँ से, श्रीमान, आउ हियाँ काम के सिलसिले में अइलिए ह, श्रीमान ।"
"ई कुरसी पर तशरीफ रखथिन", खुद रज़ुमिख़िन दोसरा कुरसी पर बइठलइ, टेबुल के दोसरा तरफ । "आउ तूँ, भाय, अच्छा होलो कि होश में आ गेलऽ", ऊ आगू बोललइ, रस्कोलनिकोव के संबोधित करते । "ई चौठा दिन हको, कि मोसकिल से तूँ कुछ खा ह आउ पीयऽ ह । वस्तुतः, तोरा चम्मच से चाय देल गेलो । हम तोरा भिर ज़ोसिमोव के दू तुरी लइलियो हल । आद हको ज़ोसिमोव के बारे? तोरा ध्यान से जँचलको आउ तुरते बता देलको, कि घबराय के कोय बात नयँ हइ - सिर में कुछ तो कइसूँ आघात कइलकइ । एक प्रकार के स्नायु (nervous) संबंधी बकवास, राशन खराब हलइ, ओकर कहना हइ कि तोरा काफी बियर आउ मूली नयँ देल गेलो, ओहे से ई बेमारी, लेकिन कोय बात नयँ, ई दूर हो जइतो आउ सब कुछ ठीक हो जइतो । नौजवान ज़ोसिमोव ! ओकर डगडरी बढ़ियाँ से चल पड़ले ह । अच्छऽ जी, हम अपने के जादे देर नयँ रोकके रखबइ ।", ऊ फेर से संघ के नौजवान के संबोधित कइलकइ, "अपने बता सकऽ हथिन, कि अपने के की काम हइ ? ई ध्यान में रख रोद्या, कि ओकन्हीं के दफ्तर से ई दोसरा तुरी केकरो भेजल गेलो ह; खाली पहिले ई नयँ अइला, बल्कि दोसर कोय, आउ हम ओकरा से बातचीत कइलियो हल । ई पहिले तुरी तोरा पास केऽ अइलो हल ?"

"हमरा लगऽ हइ, कि ई तेसरा दिन हइ जी, बिलकुल सही जी । ई अलिक्सेय सिम्योनविच हलथिन; हमन्हिएँ के दफ्तर में काम करऽ हथिन जी ।"
"आउ ऊ अपने से जादे समझदार लगऽ हका, अपने के की कहना हइ ?"
"जी हाँ; ऊ जरी जादे तगड़ा हथिन जी ।"
"बहुत अच्छा; अच्छऽ जी, आगे बोलथिन ।"

"आ ई अफ़नासी इवानोविच वख़रूशिन के तरफ से, जिनका बारे, हम समझऽ हिअइ, कइएक तुरी सुनलथिन होत जी, अपने के माताजी के निवेदन पे, हमर दफ्तर से अपने खातिर मनीआडर हइ जी", नौजवान कहे ल शुरू कइलकइ, रस्कोलनिकोव के सीधे संबोधित करके । "अगर अपने समझे के हालत में हथिन, श्रीमान, त हमरा अपने के पैंतीस रूबल देवे के हइ, काहेकि पहिलहीं जइसन, अपने के माताजी के निवेदन पे, अफ़नासी इवानोविच से सिम्योन सिम्योनविच के ई संबंध में नोटिस मिल चुकले ह । अपने उनका जानऽ हथिन, श्रीमान?"

"हाँ ... आद हइ ... वख़रूशिन ...", रस्कोलनिकोव ध्यानमग्न हालत में बोललइ ।
"सुन्नऽ हो - व्यापारी वख़रूशिन के जानऽ हका !" रज़ुमिख़िन चिल्लइलइ । "ऊ कइसे नयँ होश में हका ? बल्कि, हम अब नोटिस करऽ ही कि अपनहूँ समझदार व्यक्ति हथिन । अच्छऽ जी ! अकलमंदी के बात सुने में खुशी होवऽ हइ ।"
"जी श्रीमान, ओहे वख़रूशिन, अफ़नासी इवानोविच, आउ अपने के माताजी के निवेदन के अनुसार, जे उनकर माध्यम से ओइसीं एक तुरी अपने के रकम भेज चुकलथिन हँ, ऊ अबरियो इनकार नयँ कइलथिन श्रीमान, आउ सिम्योन सिम्योनविच के ओहे दिन अपना तरफ से नोटिस देलथिन, कि अपने के पैंतीस रूबल अदा कर देल जाय श्रीमान, आउ बेहतर के आशा में, श्रीमान ।

"अपने के मुँह से 'आउ बेहतर के आशा में' - ई सबसे निम्मन बात निकसलइ; आउ 'अपने के माताजी' के मामले में भी कुछ खराब नयँ हलइ । अच्छऽ, त अपने के मत में - ऊ पूरा तरह से, या कि पूरा तरह से नयँ, होश में हका? अयँ?"
"हम्मर मत में की रक्खल हइ, श्रीमान । बस, खाली दसखत हो जइते हल, श्रीमान ।"
"हाँ, कइसूँ घसीट तो देवे करता ! अपने के पास किताब हइ न ?"
"अइकी हइ कितब्बा, श्रीमान ।"

"एद्धिर देथिन । अच्छऽ, रोद्या, जरी उठ के बइठऽ । हम तोरा सहारा देले रहबो; ओकरा लगी 'रस्कोलनिकोव' रगड़के लिख देहो, कलम ले ल, काहेकि, भाय, पइसा हमन्हीं के अभी मध से जादे जरूरत हको ।"
"जरूरत नयँ", रस्कोलनिकोव कहलकइ, कलम के ढकेलके दूर करते ।
"काहे नयँ जरूरत हइ ?"
"हम दसखत नयँ करम ।"
"अरे, शैतान कहीं के, त दसखत के बगैर कइसे काम चलतउ ?"
"नयँ चाही ... पइसा ..."

"ई पइसा नयँ चाही ! अच्छऽ, भाय, ई तो झूठ हउ, हम गोवाह हकिअउ ! किरपा करके, फिकिर नयँ करथिन, ई अइसीं ... फेर से घुम्मब करऽ हइ । ओकरो साथ तो जगलो पर अइसन होवऽ हइ ... अपने बुद्धिमान हथिन, आउ हमन्हीं ओकरा मार्गदर्शन करते जइबइ, मतलब ओकर हाथ के मामूली तौर से रखबइवइ, आउ ऊ दसखत करतइ । चालू कइल जाय ..."
"लेकिन हम फेर आ जइबइ, श्रीमान ।"
"नयँ, नयँ; अपने के तकलीफ काहे लगी देबइ । अपने बुद्धिमान व्यक्ति हथिन ... अच्छऽ, रोद्या, मेहमान के रोकके मत रख ... देखऽ हीं, इंतजार कर रहलथिन हँ ।" आउ ऊ गंभीरतापूर्वक रस्कोलनिकोव के हाथ के दसखत खातिर तैयार कइलकइ ।
"रहे दे, हम खुद्दे ...", ऊ बोललइ, कलम लेलकइ आउ किताब में दसखत कर देलकइ ।
संघ के अदमी पइसा दे देलकइ आउ चल गेलइ ।

"चाबस ! आउ अब, भाय, खाय के मन करऽ हउ ?"
"हाँ", रस्कोलनिकोव जवाब देलकइ ।
"तोरा पास शोरबा (सूप) हको ?"
"कल्हे वला", नस्तास्या जवाब देलकइ, जे अभी तक ओज्जे खड़ी हलइ ।
"आलू आउ चावल के साथ ?"
"आलू आउ चावल के साथ ।"
"हमरा मुँहजबानी आद हके । सूप लेके आव, आउ चइयो दे दे ।"
"लावऽ हियो ।"

रस्कोलनिकोव ई सब कुछ बड़ी अचरज आउ जरी व्यर्थ के डर से देखब करऽ हलइ । ऊ चुपचाप रहे आउ इंतजार करे के फैसला कर लेलकइ - "आगू की होतइ ? लगऽ हइ, हम सरसाम (delirium) में नयँ हकूँ ।", ऊ सोचलकइ, "शायद, ई वास्तव में ..."

दू मिनट के बाद नस्तास्या सूप लेके वापिस अइलइ आउ बतइलकइ, कि चाय अभिये तैयार हो जइतइ । सूप के साथ अइलइ दू गो सम्मच, दू गो प्लेट, आउ पूरा सेट - नीमक, गोलकी, गोमांस खातिर सरसों, वगैरह-वगैरह, जे पहिले ई तरह से लम्बा समय से नयँ सजावल गेले हल । मेजपोश (टेबुल-क्लॉथ) साफ-सुथरा हलइ ।

"बेजाय नयँ होतइ, नस्तस्यूश्का (नस्तास्या), अगर प्रस्कोव्या पावलोव्ना दू बोतल बियर भेज देतइ । हमन्हीं पी जइबइ जी।"
"अरे, तूँ भी बड़ी तेज ह !", नस्तास्या बड़बड़इलइ आउ हुक्म के पालन करे खातिर चल पड़लइ ।

रस्कोलनिकोव बेहूदा आउ तनावपूर्ण ढंग से घूरते रहलइ । एहे दौरान रज़ुमिख़िन सोफा पर ओकर बगल में बइठ गेलइ, अनाड़ी नियन, भालू जइसे; आउ ओकर सिर के बामा हथवा से पकड़ लेलकइ, हलाँकि ऊ खुद बइठ सकऽ हलइ, आउ दहिना हथवा से एक चम्मच सूप ओकर मुँहमा भिर लइलकइ, लेकिन पहिले ओकरा कुछ तुरी मुँहाँ से फूँक मार ले हलइ, ताकि ओकर मुँह नयँ जल जाय । लेकिन सूप खाली हलका गरम हलइ । रस्कोलनिकोव तरसल नियन एक चम्मच गटक गेलइ, बाद में दोसर, तेसर । लेकिन कुछ चम्मच देला के बाद, रज़ुमिख़िन अचानक रुक गेलइ आउ बोललइ, कि आउ अधिक देवे के संबंध में ज़ोसिमोव से सलाह लेवे के चाही।

दू बोतल बियर लेले नस्तास्या घुसलइ ।
"आ चाय चाही ?"
"हाँ, चाही ।"
"जल्दी से जाके चइयो ले आ, नस्तास्या, काहेकि जाहाँ तक चाय के बात हइ, हमरा लगऽ हइ, कि बिन डागडर के सलाह लेलहूँ पीयल जा सकऽ हइ । लेकिन हियाँ तो बियर भी हइ !" ऊ अपन कुरसी पर बइठ गेलइ, अपना तरफ सूप आउ बीफ़ (गोमांस) घींच लेलकइ, आउ अइसे खाय लगलइ, जइसे तीन दिन से भुक्खल होवे ।

"हम तो भाय, रोद्या, अब तोरा पास रोज अइसीं खाना खइबो", ऊ बड़बड़इलइ जाहाँ तक बीफ़ से भरल ओकर मुँह से बन पइलइ, "आउ ई सब तोर प्यारी मकान-मलकिन पाशेन्का के मेहरबानी हको, जे हमरा बिलकुल दिल से इज्जत करऽ हको । जाहिर बात हइ, एकरा लगी हम कोय जोर नयँ दे हिअइ, लेकिन हम विरोधो नयँ करऽ हिअइ । आउ अइकी नस्तास्या भी चाय लेके आ गेलइ । केतना फुरतीली हकइ ! नस्तेन्का (नस्तास्या), तोरा बियर चाही ?"
"अरे, करबऽ हमरा से हुलचुल्ली !"
"आ चाय ?"
"चाय, अच्छऽ ।"
"ढार दे । ठहर, हम तोरा लगी खुद्दे ढार दे हिअउ; टेबुल के पास बइठ जो ।"

ऊ तुरते सब कुछ सजइलकइ, चाय ढरलकइ, फेर आउ दोसर कप ढरलकइ, अपन खाना छोड़ देलकइ आउ फेर से सोफा पर बइठ गेलइ । पहिलहीं नियन ऊ अपन बामा हाथ से रोगी के सिर पकड़लकइ, ओकरा उठइलकइ आउ चम्मच से ओकरा चाय पिलावे लगलइ, फेर से लगातार आउ खास लगन के साथ चम्मच पर फूँक मारते, मानूँ फूँक मारे के ई प्रक्रिया में ही रोगी के चंगा होवे के सबसे मुख्य आउ रक्षक बिन्दु होवे । रस्कोलनिकोव चुपचाप रहलइ आउ कोय विरोध नयँ कइलकइ, हलाँकि ऊ अपना में एतना यथेष्ट सामर्थ्य अनुभव कर रहले हल, कि बिन कोय बाहरी सहारा के उठ आउ सोफा पर बइठ सकऽ हलइ, खाली हाथ से चमचवे, चाहे कपवे पकड़ नयँ सकऽ हलइ, बल्कि शायद चलियो-फिर सकऽ हलइ । लेकिन कोय विचित्र, लगभग जानवर के धूर्तता नियन ओकरा अचानक दिमाग में विचार अइलइ कि अभी खातिर अपन सामर्थ्य के छिपइले रहे, चुप्पी साधले रहे, अगर जरूरत पड़े तो ई ढोंग करते रहे, कि अभियो तक ओकर होश पूरा तरह से ठीक नयँ होले ह, आउ ई दौरान सुन्ने आउ जाने, कि हियाँ की-की हो रहले ह । लेकिन, ऊ अपन घृणा पर नियंत्रण नयँ कर पइलकइ - दस चम्मच चाय घोंट गेला पर, ऊ अचानक अपन सिर छोड़ा लेलकइ, सनकी नियन चम्मच के ढकेलके दूर कर देलकइ, आउ फेर से तकिया पर लुढ़क गेलइ । अब ओकर सिर के निच्चे वास्तविक तकिया पड़ल हलइ - चिरईं के रोएँदार पंख से भरल आउ साफ-सुथरा तकिया के खोल के साथ; एहो ऊ देखलकइ आउ ध्यान में रखलकइ । "पाशेन्का के आझ हमन्हीं हीं रसभरी के जाम (raspberry jam) भेजे के चाही, ओकरा लगी पेय (drink) बनावे खातिर", रज़ुमिख़िन बोललइ, अपन जगह पर बइठते आउ फेर से सूप आउ बियर पीये में लगते । "आउ ऊ तोहरा खातिर रसभरी काहाँ से लइता ?", नस्तास्या पुछलकइ, कश्तरी के अपन पाँचो अंगुरी फैलाके पकड़ले आउ शक्कर के डला (lump) मुँह में रखले चाय पीते [2] ।

"रसभरी, हमर यार, ऊ दोकान से लेतइ । देखऽ हीं, रोद्या, हियाँ पूरा खिस्सा तोर गैरहाजिरी में होलो ह । जब तूँ ओइसन धोखेबाज तरीका से हमरा हीं से भाग गेलहीं आउ अपन डेरा के पतो नयँ देलहीं, तब हमरा अइसन गोस्सा अइलउ, कि हम तोरा खोजके दंड देवे के फैसला कर लेलिअउ । ओहे दिन हम काम पे लग गेलिअउ । हम तोरा खोजे खातिर चक्कर लगइते रहलिअउ, चक्कर लगइते रहलिअउ, लोग से पुछते रहलिअउ, पुछते रहलिअउ । ई अभी वला फ्लैट के बारे तो हम भूलिए गेलिअउ; बल्कि एकरा बारे हमरा कभियो आद नयँ हल, काहेकि एकरा बारे हम जानवे नयँ करऽ हलूँ । हूँ, आउ पहिलौका फ्लैट के बारे - हमरा एतने आद हउ, कि पंचकोण [3] में ख़र्लामोव के मकान हलउ । ई ख़र्लामोव के घर हम ढूँढ़ते रहलूँ, ढूँढ़ते रहलूँ - लेकिन बाद में पता चलल, कि वास्तव में ई ख़र्लामोव के घर नयँ, बल्कि बुख़ के घर हकइ - कभी-कभी ध्वनि से कइसन भ्रम हो जा हइ ! त हमहूँ गोसा गेलूँ । गोसइलूँ आउ चलियो पड़लूँ, जे होवे से होवे, दोसर दिन पता वला दफ्तर (address bureau), आउ मालूम हउ - दुइए मिनट में तोर पता ढूँढ़के दे देवल गेल । तोर नाम हुआँ दर्ज कइल हकउ ।"

"दर्ज कइल !"
"बिलकुल ! आउ अउकी हमर सामनहीं सेनापति कोबेलेव के नाम कइसूँ ओकन्हीं ढूँढ़ नयँ पइलका ! अच्छऽ जी, ई एगो लम्मा खिस्सा हइ । हियाँ हमर कदम रखतहीं तुरते हम तोर सब किरिया-करम से परिचित हो गेलूँ; सब कुछ, भाय, सब कुछ, सब कुछ जन्नऽ हिअउ; अइकी एहो (नस्तास्या) देखलको ह - आउ निकोदिम फ़ोमिच से परिचय होलउ, इल्या पित्रोविच से परिचय करावल गेल, आउ दरबान से, मिस्टर ज़म्योतोव से, अलिक्सान्द्र ग्रिगोरयेविच, ई दफ्तर के मैनेजर से, आउ आखिरकार पाशेन्का से - ई तो ताज मिले जइसन बात हल; अइकी एहो जन्नऽ हउ ..."

"शक्कर लगाके बोलला", शरारत से मुसकइते नस्तास्या बड़बड़इलइ ।
"ओकरा चइया में डाल द, नस्तास्या निकिफ़ोरोव्ना ।"
"अरे, कुत्ता कहीं के !" अचानक नस्तास्या चिल्लइलइ आउ खिलखिला उठलइ । "आ हम पित्रोव्ना हकूँ, निकिफ़ोरोव्ना नयँ", ऊ अचानक आगे बोललइ, जब हँसना बन कर देलकइ ।

"ध्यान में रखबो जी । अच्छऽ, भाय, फालतू बात छोड़ देल जाय, पहिले हम चाहऽ हलिअइ कि हियाँ सगरो बिजली के करंट (धारा) लगा दिअइ, ताकि हियाँ के सब्भे स्थानीय (लोकल) अंधविश्वास एक्के तुरी में जड़ से उखड़ जाय, लेकिन पाशेन्का जीत गेलइ । हमरा तो भाय बिलकुल आशा नयँ हल, कि ऊ अइसन हकइ ... दिल के खींच लेवे वली ... की ? तोरा की कहना हइ ?"
रस्कोलनिकोव चुप रहलइ, हलाँकि एक्को मिनट लगी ऊ अपन चिंताग्रस्त आँख के ओकरा से अलगे नयँ कइलकइ, आउ अब लगातार ओकरा एकटक देखना जारी रखलकइ ।
"आउ बहुत", रज़ुमिख़िन बात जारी रखलकइ, ओकर चुप्पी से बिन कोय परेशानी के आउ मानूँ प्राप्त उत्तर से सहमत होते, "आ बहुत ठीके-ठाक हइ, सब्भे हालत में ।"
"अरे नीच !" नस्तास्या फेर चिल्लइलइ, जेकरा ई बातचीत शायद वर्णनातीत आनन्द दे रहले हल ।
"ई खराब बात हउ, भाय, कि तूँ शुरुए से ई बात पे ध्यान नयँ दे पइलहीं । ओकरा साथ अइसन नयँ होवे के चाही हल । वास्तव में ऊ, तथाकथित, बिलकुल अप्रत्याशित स्वभाव के हइ ! खैर, ओकर स्वभाव के बारे बाद में देखल जइतइ ... खाली एहे बात लेल जाय, मसलन, तूँ नौबत कइसे हियाँ तक पहुँचे देलहीं कि ऊ तोरा खानो भेजना बन कर देलकउ ? चाहे, मसलन, करजा के ई वचनपत्र ? तूँ पागल हो गेलहीं हल की, कि करजा के वचनपत्र पे दसखत कइलहीं ! चाहे, मसलन, ई प्रस्तावित विवाह, जब ओकर बेटी, नताल्या येगोरोव्ना, जिन्दे हलइ ... हमरा सब कुछ मालूम हकउ ! बल्कि हम देखऽ हिअउ, कि ई बहुत नाजुक मामला हकउ आउ हम गदहा हकूँ; तूँ हमरा माफ कर । लेकिन अब जब बात बेवकूफी के निकस गेलउ, त तूँ जइसन सोचऽ हीं, प्रस्कोव्या पाव्लोव्ना बिलकुल, भाय, ओतना बेवकूफ नयँ हइ, जेतना पहिले नजर में देखे में लगऽ हइ, की ?"

"हाँ ...", रस्कोलनिकोव दाँत भींचके बोललइ, बगल तरफ देखते, लेकिन ई जानके, कि बातचीत जारी रखना ओकर जादे फयदा में रहतइ ।

"सच हइ न ?", रज़ुमिख़िन चिल्ला पड़लइ, स्पष्टतया, ई बात से खुश होके कि ओकरा जवाब मिललइ, "लेकिन वस्तुतः बुद्धिमान नयँ, की ? बिलकुल, बिलकुल अप्रत्याशित स्वभाव वली ! हम, भाय, जरी भ्रमित हिअउ, तोरा हम विश्वास देलावऽ हिअउ ... ऊ चालीस के तो पक्का होतइ । ऊ बतावऽ हइ - छत्तीस आउ ई बात के ओकरा पूरा हक हइ । लेकिन हम विश्वास देलावऽ हिअउ कि ओकरा हम जादे बौद्धिकता के कसौटी पर परखऽ हिअउ, खाली आध्यात्मिक दृष्टिकोण से; भाय, हियाँ पर हमन्हीं बीच अइसन प्रतीक शुरू होले ह, कि तोर बीजगणित की हउ ! हमरा कुछ समझ में नयँ आवऽ हउ ! खैर, ई सब तो बकवास हइ, लेकिन खाली ऊ ई देखके, कि तूँ अब छात्र नयँ रह चुकलहीं हँ, तोर टीसनी करे के काम छूट गेलो ह आउ ढंग के पोशाक तक नयँ रहलउ, कि ओकर रईसजादी (बेटी) के मौत के बाद ओकरा कोय तरह से तोरा रिश्तेदार जइसन व्यवहार करे के जरूरत नयँ रह गेले ह, त ऊ अचानक डर गेलइ;  आउ चूँकि तूँ अपना तरफ से कोना में दुबकल रहलहीं आउ पहिले जइसन कुच्छो संबंध बनइले नयँ रखलहीं, त ऊ तोरा अपन फ्लैट से निकास बाहर करे के सोच लेलकउ । आउ ई इरादा बहुत पहिले से कइले हलउ, लेकिन ओकरा करजा के वचनपत्र के अफसोस हलइ (अर्थात् पइसा डुब्बे के अफसोस) । एकरा बारे तूँ खुद्दे विश्वास देलइलहीं हल, कि तोर माय भुगतान करथुन ..."

"ई हमर कमीनापन हलइ कि हम अइसे बोललिअइ ... हमर माय खुद्दे लगभग भिखारिन हकइ ... आउ हम झूठ बोललिए हल, ताकि हमरा फ्लैट में रहे दे आउ ... खाना देते रहे", रस्कोलनिकोव उच्च स्वर से आउ साफ-साफ बोललइ ।

"हाँ, ई तो तोर समझदारी हलउ । खाली बड़गर मामला हइ ई, कि ओहे बखत टपक जा हका मिस्टर चेबारोव, कोर्ट काउंसिलर आउ व्यापारी अदमी । पाशेन्का ओकरा बिन कुच्छो सोच नयँ सकऽ हलइ, ऊ हइए हइ जादे शर्मीली; लेकिन एगो व्यापारी अदमी तो लजालु नयँ होवऽ हइ, आउ जाहिर हइ, ऊ सबसे पहिले प्रश्न कइलकइ - वचनपत्र के मोताबिक वसूली के कोय आशा हइ ? उत्तर – ‘हइ, काहेकि माय अइसन हइ, कि अपन एक सो पचीस रूबल के पेंशन से, चाहे भुखले काहे नयँ रहे, लेकिन रोदिन्का के जरूर बचइतइ, आउ बहिनी अइसन हइ, कि अपन भाय खातिर बंधुआ मजूरनी बन जइतइ । एहे बात पर तो ऊ दिलजमई हलइ ...’ तूँ कसमसा हीं काहे ? हम तो, भाय, तोर सब असलियत जन गेलियो ह, ई बेकार के बात नयँ हलइ, कि तूँ पाशेन्का के सामने सब कुछ दिल खोलके बता दे हलहीं, जब ओकरा साथ रिश्तेदारी के स्तर पर हलहीं, आउ अब हम प्यार से कह रहलियो ह ... असली बात तो ई हइ - ईमनदार आउ कोमलहृदय व्यक्ति खुल्लल दिल से बात करऽ हइ, लेकिन एगो व्यापारी अदमी सुनते रहऽ हइ आउ खइते रहऽ हइ, आ बाद में पूरा खा जा हइ । त ऊ ई वचनपत्र के चेबारोव के कोय भुगतान के रूप में लेवे देलकइ, आ ऊ औपचारिक रूप से भुगतान के तगादा कइलकइ, आउ एकरा में ओकरा कोय शरम नयँ बुझइलइ । जइसीं हमरा ई सब पता चललइ, हमरा मन कइलकइ, कि अपन अंतःकरण के सफाई खातिर ओकरो खाल घींच लिअइ, लेकिन ऊ समय तक हमर पाशेन्का के साथ तालमेल बइठ गेले हल, आउ हम ई सब खिस्सा के समाप्त कर देवे ल कहलिअइ, मतलब कि बिलकुल जड़ से, ई गारंटी देके कि तूँ भुगतान कर देमहीं । हम तो, भाय, तोरा खातिर गारंटी देलिअउ, समझलहीं ? चेबारोव के बोलावल गेलइ, चानी के दस रूबल ओकर चेहरा पर बिग देलिअइ, आउ कागज वापस ले लेलिअइ, आउ एकरा हम तोर खिदमत में पेश कर रहलियो ह - अब तोर बात पर लोग विश्वास करते जा हका - अइकी, ले ल, आऊ हम थोड़े सन एकरा फाड़ देलियो ह, जइसन कि साधारणतः कइल जा हइ ।

रज़ुमिख़िन करजा के वचनपत्र टेबुल पर रख देलकइ; रस्कोलनिकोव ओकरा तरफ देखलकइ, आउ बिन एक्को शब्द बोलले, अपन मुँह देवाल तरफ फेर लेलकइ । रज़ुमिख़िन के भी जरी बुरा लगलइ ।

"हम देख रहलियो ह, भाय,", ऊ एक मिनट के बाद बोललइ, "कि फेर से हम बेवकूफी कइलूँ हँ । हम तोर ध्यान हटावे आउ अपन बकबक से दिल बहलावे लगी सोचब करऽ हलूँ, लेकिन लगऽ हउ, कि हम खाली तोर पित्त छेड़ देलिअउ ।"
"ई की तूँ हलहीं जेकरा हम सरसामी हालत में पछान नयँ पइलूँ हल ?" रस्कोलनिकोव पुछलकइ, एक मिनट तक चुप्पी साधला के बाद आउ अपन सिर बिन घुमइले ।
"हाँ हमहीं हलिअउ, आउ तूँ ऊ बखत उखड़ गेलहीं हल, खास करके जब हम एक तुरी ज़म्योतोव के लइलियो हल ।"
"ज़म्योतोव ? ... किरानी ? ... काहे लगी ?" रस्कोलनिकोव तेजी से अपन सिर घुमइलकइ आउ अपन दृष्टि रज़ुमिख़िन पर जमइलकइ ।

"लेकिन तूँ अइसे काहे बरत रहलँऽ हँ ... परेशान काहे हकँऽ ? ऊ तोरा साथ परिचय करे ल चाहऽ हलइ; ऊ खुद चाहऽ हलइ, काहेकि ओकरा साथ हम तोरा बारे बहुत कुछ बात कइलिए हल ... नयँ तो तोरा बारे एतना जनकारी हमरा केकरा से मिल्लत हल ? भाय, ऊ निम्मन अदमी हकइ, बहुत करामाती ... जाहिर हइ, अपन ढंग के । अभी हमन्हीं दोस्त हकिअइ; लगभग रोज दिन मिल्लऽ हिअइ । हम एहे इलाका में आ गेलियो ह । तोरा अभी तक नयँ मालूम ? अभी-अभी अइलियो ह । ओकरा साथ दू तुरी लविज़ा के पास होके अइलिए ह । लविज़ा के तो आद आवऽ हउ न, लविज़ा इवानोव्ना ?"

"बड़बड़ा रहलिए हल हम कुच्छो ?"
"बिलकुल ! तूँ अपने आप के नयँ हलऽ, जी ।"
"हम कउची के बारे बड़बड़ा रहलिए हल ?"
"बाप रे ! कउची के बारे बड़बड़ा रहलहीं हल ? ई जाहिर हइ कि सब कउन चीज के बारे बड़बड़ा हइ ... अच्छऽ, भाय, अब हम समय बरबाद नयँ कर सकऽ हूँ, काम हके ।"
ऊ कुरसी से उठ खड़ी होलइ आउ अपन टोपी धर लेलकइ ।
"अरे, हम कउची के बारे बड़बड़ाब करऽ हलिअइ ?"

"कइसन रट लगइले हके ! कहीं कोय भेद खातिर तो डरल नयँ हकऽ ? फिकिर नयँ करऽ - कोय शहजादी के बारे तोर मुँह से कुछ नयँ निकसलो । बल्कि कोय बुलडॉग के बारे, आउ कनबाली के बारे, आउ केकरो चेन (सिकरी) के बारे, आउ क्रेस्तोव्स्की टापू के बारे, आउ कोय दरबान के बारे, आउ निकोदिम फ़ोमिच के बारे, आउ इल्या पित्रोविच, पुलिस चीफ के सहायक, के बारे, बहुत कुछ बक गेलऽ । आउ एकरा अलावे, अपन पेताबा लगी भी तोरा बहुत दिलचस्पी हलो, बहुत ! शिकायत कर रहलऽ हल - 'हमरा दे दऽ, बस' । ज़म्योतोव खुद्दे तोर पेताबा खातिर सब्भे कोना छान मरलको, आउ अपन इत्र से महँकते आउ अंगूठी से सज्जल हाथ से तोरा ई चिथड़ा देलको । तब तोरा चैन अइलो, आउ पूरे चोबीस घंटे ई चिथड़ा के हथवा में दबइले रहलऽ; तोर हाथ से एकरा निकासना संभव नयँ होल । शायद अभियो कहीं पे तोर रजाय के अन्दर पड़ल होतो । आउ फेर पतलून के फुचड़ो मँग रहलऽ हल, आउ ओहो केतना लोर बहइते ! आउ हमन्हीं तो ई समझे के कोरसिस कर रहलियो हल - हुआँ आउ कइसन फुचड़ा होतइ ? लेकिन कुच्छो समझ में नयँ आ रहलो हल ... अच्छऽ, अब काम के बात हो जाय ! अइकी पाँच रूबल हको; ओकरा में से दस ले ले हकियो, आउ लगभग दू घंटा के बाद ऊ सब के हिसाब दे देबो । एहे दौरान हम ज़ोसिमोव के भी बता देबो, हलाँकि एकरा बगैर ओकरा बहुत पहिलहीं आ जाय के चाही हल, काहेकि एगारऽ से जादे बज गेलइ । आउ तूँ नस्तेन्का (नस्तास्या), हमर गैरहाजिरी में जेतना जादे हो सके ओतना तुरी बीच-बीच में जरी देख लिहो हल, कि इनका कुछ पीये लगी, चाहे आउ कुछ चाही ... आउ पाशेन्का के खुद्दे जे कुछ जरूरत हइ ऊ बता दे हिअइ । फेर भेंट होतइ !"

"उनका पाशेन्का कहके पुकारऽ हइ ! बदमाश कहीं के !" ओकर पीछू में नस्तास्या बोललइ; फेर दरवाजा खोललकइ आउ कान देके सुन्ने लगलइ, लेकिन ओकरा बरदास नयँ होलइ आउ खुद ज़ीना से उतरते निच्चे दौड़ल गेलइ । ओकरा बहुत उत्सुकता हलइ ई जाने के, कि हुआँ ऊ मकान-मालकिन से कउची बारे बात करऽ हइ; आउ कुल मिलाके ई साफ लगऽ हलइ, कि ऊ रज़ुमिख़िन पर बिलकुल मोहित हो गेले हल ।

जइसीं ओकर पीछू दरवाजा बन होलइ, ओइसीं रोगी रजाय अपने ऊपर से हटा लेलकइ आउ अधपगला नियन बिछौना पर से उछल खड़ी होलइ । जलते झटकदार उजलत से ऊ इंतजार कर रहले हल, कि केतना जल्दी ओकन्हीं हियाँ से घसके, कि ओकन्हीं के गैरहाजिरी में अपन काम में जल्दी से लग जाय । लेकिन काहे लगी, कउन काम लगी ? - मानूँ अब ओकरा चिढ़ावे खातिर, सब कुछ भुला गेलइ । "हे भगमान ! हमरा खाली एक बात बता दे - ओकन्हीं के सब कुछ मालूम हकइ, कि अभियो कुछ मालूम नयँ हइ ? आउ कि जान गेते गेला ह आउ खाली ढोंग करऽ हका, चिढ़ावऽ हका, जब हम पड़ल रहऽ हकूँ, आउ अइकी अन्दर घुसता आउ कहता, कि सब कुछ तो पहिलहीं मालूम चल चुकलो हल आउ खाली अइसीं ... अब की करूँ ? अइकी हम भूल गेलूँ, मानूँ जान-बूझके; अचानक भूल गेलूँ, अभी-अभी तो आद हले ! ..."

ऊ कमरा के बिच्चे में खड़ी हलइ आउ कष्टदायक विस्मय से चारो तरफ देखते रहलइ; फेर दरवाजा भिर गेलइ, एकरा खोललकइ, ध्यान देके सुनलकइ; लेकिन ई ऊऽ नयँ हलइ । अचानक, मानूँ ओकरा कुछ आद आ गेल होवे, लपकके ऊ कोनमा में गेलइ, जाहाँ देवाल के कागज में भूड़ हलइ, आउ सब कुछ जाँचे लगलइ, भुड़वा में हाथ नइलकइ, टटोललकइ, लेकिन एहो ऊ नयँ हलइ । ऊ स्टोव के पास अइलइ, एकरा खोललकइ, आउ राख में टटोले लगलइ - पतलून के फुचड़ा आउ जेभी में से नोचल चिथड़ा अइसीं पड़ल हलइ, जइसे कि ऊ तखनी फेंकलके हल, मतलब कि कोय नयँ देखलके हल ! तभिये ओकरा पेताबा के बारे आद पड़लइ, जेकरा बारे रज़ुमिख़िन अभी ओकरा बतइलके हल । सच में, अइकी ऊ सोफा पर पड़ल हइ, रजाय के निच्चे, लेकिन अब तक ऊ एतना घिस चुकले हल आउ गंदा हो गेले हल, कि ज़म्योतोव कुछ नयँ देख पइलके हल ।

"अरे, ज़म्योतोव ! ... दफ्तर ! ... आ काहे लगी हमरा दफ्तर में बोलावल जा हइ ? नोटिस काहाँ हइ ? अरे ! ... हम सब कुछ मिला देलिअइ - एकर ऊ बखत जरूरत हलइ ! हम ऊ बखत पेताबा जाँच रहलिए हल, लेकिन अब ... अब तो हम बेमार हलिअइ । लेकिन ज़म्योतोव काहे लगी अइले हल ? काहे लगी लइलके हल ओकरा रज़ुमिख़िन ? ...", ऊ कमजोरी में बड़बड़ा रहले हल, फेर से सोफा पर बइठते । "ई की हइ ? हम अभियो सरसाम में हकूँ, कि ई सब वास्तव में हो रहल ह ? लगऽ हइ, ई सच हइ ... आह, हमरा आद पड़ल - भाग ! जल्दी से भाग, जरूर, जरूर भाग ! हाँ ... लेकिन काहाँ ? आउ हमर पोशाक काहाँ हके ? बूट नयँ ! लेके चल गेते गेलइ ! नुका देते गेलइ ! हम समझऽ ही ! आह, अइकी हमर पोशाक हके - ओकन्हीं के नजर से चूक गेलइ ! अइकी टेबुल पर पइसवो हइ, भगमान के किरपा से ! अइकी वचनपत्र भी हकइ ... हम पइसवा ले लेम आउ दूर चल जाम, आउ दोसर फ्लैट किराया पर ले लेम, ओकन्हीं ढूँढ़ नयँ पइता ! ... हाँ, लेकिन पता वला दफ्तर (address bureau)? हमरा खोज लेवल जात ! रज़ुमिख़िन तो खोजिए लेत । सबसे अच्छा बिलकुल भाग जाय के ... दूर ... अमेरिका में, आउ ओकन्हीं सब पर थूक देवे के ! आउ वचनपत्र ले लेवे के ... ई हुआँ काम देत। आउ कउची लेवे के ? ओकन्हीं सोचतइ, कि हम बेमार हकिअइ ! ओकन्हीं ई जानवो नयँ करतइ, कि हम चलियो-फिर सकऽ हिअइ, हे हे हे ! ... ओकन्हीं के अँखिया से हम अन्दाज लगइलिअइ, कि ओकन्हीं के सब कुछ मालूम हइ ! बस कहीं ज़ीना से उतर पाऊँ ! आउ अगर ओकन्हीं के पहरेदार हुआँ खड़ी रहइ - पुलिसवला ! ई की हइ - चाय ? आउ, अइकी बियर भी बच्चल हइ, आधा बोतल, ठंढका !"

ऊ बोतल उठा लेलकइ, जेकरा में एक पूरा गिलास बियर बच्चल हलइ, आउ बड़ी चाव से एक साँस में गटक गेलइ, मानूँ अपन सीना के आग बुझा रहल होवे । लेकिन एक्को मिनट नयँ होलइ, कि बियर ओक्कर सिर में चढ़ गेलइ, आउ ओकर रीढ़ से एगो हलका आउ सुखद भी सिहरन दौड़ गेलइ । ऊ पड़ गेलइ आउ रजाय तानके ओढ़ लेलकइ। ओकर बेमार आउ बिखरल विचार अधिकाधिक उलझे लगलइ, आउ जल्दीए हलका आउ सुखद नीन ओकरा धर लेलकइ । अराम के साथ ऊ अपन सिर तकिया के अन्दर जमा लेलकइ, आउ नरम रजाय, जे अब ओकर चिथड़ा होल पहिलौका ओवरकोट के जगह ले लेलके हल, ऊ कसके खुद पर लपेट लेलकइ, अराम से उच्छ्वास लेलकइ आउ गहरा, गाढ़ा, सेहतगर (स्वास्थ्यप्रद) नीन में सुत गेलइ ।

ऊ जग गेलइ, ई सुनके कि कोय तो ओकर कमरा में घुसलइ, आँख खोललकइ आउ रज़ुमिख़िन के देखलकइ, जे दरवाजा पूरा खोलके चौखट भिजुन खड़ी हलइ, ई संकोच में, कि अन्दर जाय कि नयँ । रस्कोलनिकोव तेजी से उठके सोफा पर बइठ गेलइ आउ ओकरा तरफ देखे लगलइ, मानूँ कुछ तो आद करे के प्रयास कर रहल होवे ।

"अच्छऽ, त तूँ सुत्तल नयँ हकऽ, ल हम पहुँच गेलियो ! नस्तास्या, बंडल घसीटके हियाँ ले आव !" रज़ुमिख़िन निच्चे तरफ चिल्लइलइ । "अभिये हिसाब मिल जइतो ..."
"केतना बजले ह ?" रस्कोलनिकोव पुछलकइ, बेचैनी से चारो तरफ देखते ।
"तूँ तो अच्छा नीन लेलऽ, भाय - बाहर तो साँझ हो गेलो ह, लगभग छो बजलो होत । तूँ छो घंटा से जादहीं सुतलऽ ह ..."
"हे भगमान ! हमरा की हो गेल ह ! ..."

"आ ओकरा से की ? ई तो सेहत लगी अच्छे हको ! काहाँ के जल्दी हको ? केकरो से मिल्ले के हको की ? हमन्हीं के पास बखते बखत हइ । हम तोर तीन घंटा से इंतजार कर रहलियो ह; दू तुरी हम हियाँ अइलियो हल, तूँ सुत्तल हलऽ । ज़ोसिमोव के हियाँ दू तुरी गेलिअइ - जब देखऽ त घरे पर नयँ ! खैर, कोय बात नयँ, आ जइतइ!... अपन छोट-मोट कामो खातिर हम कुछ देर लगी बाहर गेलूँ हल । हम आझे घर बदललूँ, बिलकुल बदल लेलूँ, अपन चाचा के साथ । अब हमरा साथ चाचा रहऽ हका ... खैर, ई सब बात के छोड़ऽ, काम के बात पर आवल जाय ! ... बंडल हियाँ पर लाव, नस्तेन्का । त काम शुरू कइल जाय ... आउ भाय, कइसन हकऽ ?"

"हम ठीक हकूँ; हम बेमार नयँ हकूँ ... रज़ुमिख़िन, तूँ हियाँ पर लम्मा समय से हकऽ ?"
"कहलियो न, तीन घंटा इंतजार कइलियो ।"
"नयँ, लेकिन पहिले ?"
"पहिले की ?"
"तूँ कबसे हियाँ अइते रहलऽ ह ?"
"ई तो हम तोरा सुबहीं बता चुकलियो ह; कि तोरा आद नयँ ?"

रस्कोलनिकोव सोचे लगलइ । सुबह के बात ओकरा सपना नियन लग रहले हल । ऊ खुद्दे आद नयँ कर पइलकइ आउ प्रश्नात्मक ढंग से रज़ुमिख़िन तरफ देखे लगलइ ।
"हूँ !" ऊ बोललइ, "भूल गेलऽ ! हमरा सुबहे के लग रहऽ हल, कि तूँ अभियो पूरा होश में नयँ हकऽ ... अब सुतला से तो कुछ बेहतर लगऽ हकऽ ... सच में, बिलकुल बेहतर देखाय दे ह । नौजवान ! खैर, अब काम के बात! अइकी तोरा अब आद आ जइतो । एन्ने देखऽ, प्यारे दोस्त ।"

ऊ बंडल खोले लगलइ, आउ साफ लगऽ हलइ कि जे ओकरा बड़ी दिलचस्प लग रहले हल ।
"जन्नऽ हो, भाय, ई हम खास करके हम अपन दिल में ले लेलियो ह । काहेकि, हमरा तोरा में से इंसान बनावे के चाही । चलऽ - उपरे से शुरू कइल जाय । ई टोपी देखऽ हो ?" ऊ शुरू कइलकइ, बंडल से एगो काफी निम्मन लेकिन मामूली सन आउ सस्ता टोपी निकासते । "पेहनाके देखे द ।"
"थोड़े देर में, बाद में", चिड़चिड़ाल रस्कोलनिकोव ओकरा दूर हटइते बोललइ ।

"नयँ नयँ, भाय रोद्या, विरोध मत करऽ, बाद में बहुत देर हो जइतो; आउ हमरो रात भर नीन नयँ आत, काहेकि बिन नाप के अन्दाज से हम खरीदलूँ हँ । बिलकुल ठीक !" टोपी पेहनाके ऊ विजय के लहजा में चिल्ला उठलइ - "नाप में बिलकुल ठीक ! सिर के टोपी, भाय - ई पहनावा में सबसे पहिला चीज होवऽ हइ, अपने तरह के एगो अनुशंसा (सिफारिश) । हमर दोस्त तल्सत्याकोव हर तुरी अपन ढक्कन उतारे खातिर लचार हो जा हइ, जब कभी कहीं अइसन सार्वजनिक स्थान पे जा हइ, जाहाँ सब्भे दोसर कोय टोप आउ टोपी में रहऽ हइ । सब कोय सोचऽ हइ, कि ऊ दास जइसन विनम्रता के कारण अइसन करऽ हइ, लेकिन ऊ खाली ई कारण से अइसन करऽ हइ, कि ओकरा अपन चिड़ियाँ के खोंथा से शरम आवऽ हइ -  अइसन शर्मीला अदमी हइ ! अच्छऽ नस्तास्या, ई दू तरह के सिर के टोपी हको - ई पलमेर्स्तोन (ऊ कोनमा से रस्कोलनिकोव के फट्टल-चिट्टल गोलगाल टोपी निकसलकइ, जेकरा नयँ मालूम काहे ऊ 'पलमेर्स्तोन' कहऽ हलइ), अथवा ई जेवर के छोटगर चीज ? एकर कीमत आँकऽ, रोद्या, की सोचऽ हो, हम केतना चुकइलिए होत ? नस्तस्यूश्का ?" ऊ ओकरा (नस्तास्या) तरफ मुड़लइ, ई देखके कि ऊ (रस्कोलनिकोव) चुप हकइ ।

"बीस कोपेक देलऽ होत", नस्तास्या जवाब देलकइ ।

"बीस कोपेक ? मूरख कहीं के !" ऊ नराज होके चिल्लइलइ, "आझकल तो तोरो बीस कोपेक में कोय खरीद नयँ पइतइ - आठ ग्रिव्ना [4] ! ओहो ई कारण से, कि ई पुराना हकइ । आउ सच में एकरा ई शर्त पर, कि पेन्हला के बाद अगर फट जइतो, त अगले साल दोसर फोकट में दे देतो, भगमान कसम ! अच्छऽ जी, अब 'संयुक्त राज्य अमेरिका' पर बात शुरू कइल जाय, जइसन कि हमन्हीं के इस्कूल में ई नाम से पुकारल जा हलइ । हम आगाह करऽ हियो - हमरा ई फुलपैंट पर नाज हके !" आउ ऊ रस्कोलनिकोव के सामने सिलेटी रंग के हलका ऊनी कपड़ा के गरमी में पहने वला पतलून देखइलकइ । "न तो कोय भूड़, न कोय धब्बा, आउ साथे-साथ पुराना होलो पर काफी अच्छा हइ, आउ ओइसने वास्कट, एक्के रंग के (मैचिंग), जइसन कि फैशन के मोताबिक जरूरत हइ । आउ जे पुराना हइ, त वास्तव में आउ बेहतर हइ - जादे कोमल, जादे मोलायम ... देखऽ, रोद्या, संसार में जीविका बनावे के हको, त हमर विचार से, ई काफी हइ कि ऋतु के अनुसार रहन-सहन रक्खे के चाही; अगर जनवरी में शतावर (asparagus) के इस्तेमाल नयँ करऽ ह, त अपन बटुआ (पर्स) में कुछ रूबल बचा लेबऽ; एहे बात लागू होवऽ हइ ई खरीदारी के मामले में । अभी ग्रीष्म ऋतु हइ, आउ हम ग्रीष्म खातिर ही खरीदारी कइलूँ, काहेकि पतझड़ ऋतु तक तो कइसूँ आउ जादे गरम सामग्री के जरूरत होत, आउ एकरा फेंक देवे पड़त ... खास करके ई वजह से, कि ई सब कुछ उ बखत तक खुद्दे बरबाद हो जइतइ, अगर ऐशो-आराम के स्तर उँचगर हो गेला के वजह से नयँ, त अन्दरूनी अव्यवस्था के चलते । अच्छऽ, त एकर कीमत आँकऽ ! तोहर विचार में केतना होतइ ? दू रूबल पचीस कोपेक ! आउ आद रहे, फेर ओहे पहिलौका शर्त के साथ - अगर पेहन-पेहनके कहीं फट जाय, त अगले साल दोसर फोकट के मिल जइतो ! फ़ेद्यायेव के दोकान पर आउ दोसरा तरह से कारोबार नयँ होवऽ हइ - एक तुरी भुगतान कइलऽ, आउ सारी जिनगी लगी काफी हो जा हइ, काहेकि दोसरा तुरी खुद्दे नयँ जइबऽ । अच्छऽ जी, अब बूट के बारे बात कइल जाय - ई कइसन लगऽ हको ? ई साफ झलकऽ हइ, कि ई पुराना हइ, लेकिन दू महिन्ना तो चलिए जइतइ, काहेकि ई विदेशी काम हइ आउ विदेशी माल से बन्नल हइ - अंगरेजी दूतावास के सचिव पिछले सप्ताह फुटपाथ पर के हाट में डाल देलके हल; ऊ एकरा खाली छो दिन पेन्हलके हल, लेकिन ओकरा पइसा के बहुत जरूरत हलइ । कीमत एक रूबल पचास कोपेक । हइ न बढ़ियाँ सौदा ?"

"लेकिन हो सकऽ हइ, ई उनका फिट नयँ होबइ !" नस्तास्या टिप्पणी कइलकइ ।

"फिट नयँ होतइ ? आ एकरा में की रक्खल हइ ?" आउ ऊ झोला से रस्कोलनिकोव के पुरनका, रूखड़ा, सुक्खल कीचड़ से सन्नल, भूड़े-भूड़ होल, बूट निकसलकइ । "हम तैयार होके गेलिए हल, हमर ई भीमकाय बूट के मोताबिक असली नाप मालूम कर लेलकइ । ई सब काम दिल से कइल गेले ह । जाहाँ तक छालटी (linen, सन या पटसन के रेशा से बन्नल कपड़ा) के बात हइ, त एकरा बारे मकान-मालकिन से बात पक्का करके लइलिए ह । अइकी, सबसे पहिले तो सन के (hempen) तीन गो कमीज,  लेकिन उपरे से फैशनदार ... अच्छऽ जी, त ई तरह से - आठ ग्रिव्ना (अस्सी कोपेक) के टोपी, दू रूबल पचीस कोपेक के दोसर-दोसर कपड़ा, कुल मिलाके तीन रूबल पाँच कोपेक; एक रूबल पचास कोपेक के बूट, काहेकि ई बहुत निम्मन हइ, कुल्लम चार रूबल पचपन कोपेक, आउ पाँच रूबल कुल छालटी के - थोक में मोलजोल कइल - सब कुछ मिलाके नो रूबल पचपन कोपेक। (मतलब, दस रूबल में से बच्चल) पैंतालीस कोपेक रेजकी, तामा के पँच-पँच कोपेक के सिक्का, अइकी जी, स्वीकार करऽ । त ई तरह से, रोद्या, तूँ अब पूरे सूट-बूट में हकऽ, काहेकि हमर विचार से, तोर ओवरकोट अभियो काम देतो, बल्कि देखे में अपने आप में विशेष शानदार लगतो - एहे मतलब होवऽ हइ शार्मेर [5] से खरीदारी करे के ! जाहाँ तक पेताबा आउ बाकी चीज के बात हइ, ई हम तोरे ऊपर छोड़ दे हियो; हमन्हीं के पास पैंतीस रूबल बच जात, आउ पाशेन्का के बारे आउ फ्लैट के किराया के भुगतान के बारे फिकिर मत करऽ; हम कहलियो - मतलब बिन सीमा के उधार । आउ अब, भाय, अपन छालटी बदले द, काहेकि शायद तोर कमीजिए में खाली अब रोग बइठल हको ... "

"रहे दऽ ! नयँ चाही !" रस्कोलनिकोव झटकके हटा देलकइ, जे अनिच्छा से पोशाक के खरीदी के रज़ुमिख़िन के तनावपूर्ण ओछा रिपोर्ट सुन रहले हल ...

"ई तो, भाय, असंभव हको; त हम काहे लगी एतना जुत्ता घिसलूँ !" रज़ुमिख़िन जिद कइलकइ । "नस्तस्यूश्का, शरमाऽ मत, आ मदत करऽ, अइकी अइसे !" आउ रस्कोलनिकोव केतनो विरोध कइलकइ, तइयो ऊ ओकरा छालटी बदलिए देलकइ । ऊ (रस्कोलनिकोव) तकिया पर पड़ गेलइ आउ करीब दू मिनट तक एक्को शब्द नयँ बोललइ ।

"ओकन्हीं से लम्मा समय तक छुटकारा नयँ मिल्लत !" ऊ सोचलकइ । "कउन पइसा से ई सब खरीदल गेले ह ?" देवाल तरफ नजर कइले आखिर ऊ पुछलकइ ।
"पइसा ? अच्छऽ, त ई बात हइ ! ई तोरे खुद के पइसा से । आझ सुबहे सहायक संघ से वख़रूशिन के तरफ से नौजवान अइलो हल, माय भेजवइलथुन हल; एहो तूँ भूल गेलऽ की ?"
"अब आद आल ...", रस्कोलनिकोव बोललइ, लम्मा उदासी भरल सोच के बाद । रज़ुमिख़िन, त्योरी चढ़इते, बेचैनी से ओकरा तरफ देखते रहलइ ।

दरवाजा खुललइ, आउ एगो लमगर तगड़ा अदमी अन्दर घुसलइ, जे रस्कोलनिकोव के मानूँ पहिले से कुछ जानल-पछानल भी लग रहले हल ।
"ज़ोसिमोव ! आखिरकार !" खुशी से रज़ुमिख़िन चिल्ला उठलइ ।


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