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Wednesday, March 11, 2020

भूदासत्व से मुक्ति तक - अध्याय 6


6. फेर से मातृभूमि में
पिताजी के मातृभूमि में वापसी उनका लगी एगो वास्तविक विजय हलइ। उनकर दुश्मन लोग उदास हो गेते गेलइ, आउ बस्ती के बाकी सब उच्च स्वर से अपन प्रसन्नता अभिव्यक्त करते गेलइ। लघु रूसी, जइसन कि प्रसिद्ध हइ, कविहृदय लोग हथिन आउ प्रत्येक घटना के, चाहे ऊ केतनो कम रोचक रहे, गीत में रेकर्ड कर लेना पसीन करते जा हथिन। हमन्हीं के अभी-अभी मालुम चललइ कि हमन्हीं के निर्वासन पर भी [*24] एगो विशेष गीत के रचना कइल गेले हल। ओकरा में से खाली पहिला दू लाइन हमर स्मृति में रहल -
ओय, नयका फैशन अइले ह
कि निर्वासित कइल गेलइ वसिल्का[1] ठंढा पानी में ...
आउ अइकी हमन्हीं वापिस अइलिअइ, आउ ई गीत के स्थान ले लेलकइ बधाई आउ अभिवादन, जेकर सगरो से बौछार हो रहले हल। बस्ती में प्रवेश कइला पर हमन्हीं से मिल्ले वला हलथिन फ़ादर पेत्री, पिताजी के सबसे निम्मन दोस्त में से एक। ऊ तो शुरू-शुरू में अचरज से स्तंभित हो गेलथिन, फेर घोड़वन के रोकलथिन, हम सब के चुम्मे लगी लपकलथिन, लगातार जोर-जोर से भगमान के प्रशंसा करते। हम सब के जबरदस्ती उनकर आलिंगन से पृथक् होवे पड़लइ। थोड़े देर अराम करके, पिताजी नयका यात्रा के तैयारी में लग गेलथिन - पितिरबुर्ग के। काउंट के कार्यालय के औडर देल गेले हल उनकर रस्ता के खर्चा के पैसा देवे के, लेकिन कइसूँ जल्दीबाजी करे लगी नञ् आउ उनकर अजादी के कइसनो हालत में सीमित नञ् करे के। ऊ वसन्त में जाय के निर्णय कइलथिन। ई स्थगन पिताजी के खराब स्वास्थ्य के कारण आवश्यक हलइ। निम्मन शारीरिक गठन आउ अपन सताइस साल के उमर के बावजूद, ऊ, निर्वासन के चिंता आउ चुरिलोव्का के खराब जलवायु के प्रभाव के कारण, अकसर बेमार पड़े लगलथिन, जे उनकर अब से आगू के जिनगी खातिर अंतिम जहर नञ् हलइ। पितिरबुर्ग के यात्रा, ऊ जमाना के दूर-दराज के प्रादेशिक लोग के दृष्टि में,  पृथ्वी के अंतिम छोर के यात्रा के बराबर हलइ। सब कोय पिताजी के ई तरह बिदा कर रहले हल, मानुँ ई हमेशे लगी (अंतिम) बिदाई होवे।
माय, शायद, अपन गुजारा लगी बिन कोय साधन के रह गेले हल। ई दौरान, ओकरा तीन बुतरू के देखभाल करे के हलइ - ओकर तेसरा बेटा, सिम्योन, पिताजी के ठीक प्रस्थान के पहिले पैदा होलइ। हमरा आद पड़ऽ हइ, कि हम सब उनकर अनुपस्थिति में जिनगी खातिर जरूरी चीज के पूरा कमी से गुजरलिअइ, मोसकिल से रोज के खाना मिल पावऽ हलइ। निर्वासन में चुरिलोव्का भेजते बखत जे सम्पत्ति आउ सर-समान जब्त कर लेल गेले हल, ऊ कुच्छो हमन्हीं के वापिस नञ् कइल गेलइ। हमर घर, जे अनजान लोग के हाथ में दे देल गेले हल, आखिर बरबाद हो चुकले हल, आउ बाग के, जेकरा पिताजी एतना प्रेम से स्थापित कइलथिन हल, तोड़-फोड़ देल गेले हल आउ सर करके मैदान में बदल देल गेले हल। अभियो एगो मिल के आमदनी के आंशिक हिस्सेदारी के हक हलइ, जे पिताजी अपन निर्वासन के पहिले अपन हिस्सेदार के साथ प्राप्त कर लेलथिन हल। अब ई हक विवादास्पद हो गेलइ - मोकदमा चालू हो गेलइ, जेकर फैसला ओहे हमन्हीं के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करे वला काउंट के दफ्तर हलइ।
शुरुआत में बस्ती के एगो चर्च के डीकन (रैंक में पादरी से नीचे के अधिकारी) हमन्हीं के शरण देलथिन। ऊ हमन्हीं के सकेत, परन्तु साफ-सुथरा कमरा देलथिन, लेकिन हमन्हीं फर्निचर के मामले में अत्यंत दीन हलिअइ। ऊ सब कुछ, जे हमन्हीं हीं निम्मन हलइ, जे हमन्हीं के ग्झात्स्क के पोमेषिक लोग से उपहार में मिलले हल, धीरे-धीरे करके गायब हो गेलइ - मइया हमन्हीं के भरण-पोषण खातिर ऊ सब के बेच देलकइ।
अब हम अइसन पोशाक पेन्हऽ हलिअइ, जे बाकी किसान के बुतरुअन के पोशाक से बेहतर नञ् हलइ - मोटगर कमीज, जे अकसर बदलल नञ् जा हलइ, आउ ऊनी कमरबन्द (फुदना) से बान्हल पेजामा। खाली विशेष अवसर पर नैनकीन वास्कट (जैकेट) भी पेन्हावल जा हलइ, ई कठोर औडर के साथ कि एकरा में कइसूँ दाग नञ् लगे, चाहे फट्टे-उट्टे नञ्। गरमी में हम नंगे गोड़ बुल्लऽ-चल्लऽ हलिअइ, जेकरा चलते हमर गोड़ में कइएक तरह के घाव आउ खरोंच के निशान पड़ गेले हल। चुरिलोव्का में लाप्ती (छाल के जुत्ता) बनावे लगी सीख गेला पर, हियों परी हम खुशी से पेन्ह सकऽ हलिअइ। लेकिन लघु रूसी लोग अइसन जुत्ता से एतना [*25] घृणा करऽ हलइ कि अगर एकरा में हम बाहर गल्ली में जइतिए हल, त बुतरुअन शायद हमरा दने पत्थर फेंकते हल।
हमर पिताजी के उपस्थिति के दौरान कइसूँ हमर शिक्षा-दीक्षा कइसनो न कइसनो प्रणाली के अंतर्गत जारी हलइ। पढ़ाई खातिर, चाहे कम से कम पुस्तक भिर बैठे के समय निर्धारित कइल हलइ। बाद में हम या तो छोटका भाय के देखभाल करऽ हलिअइ, चाहे घरेलू काम में माय के मदत करऽ हलिअइ। पढ़े-लिक्खे के मामले में कउनो भूल, चाहे निर्दोष शरारत काहे नञ् होवे, हमरा कठोर दंड इंतजार करऽ हलइ। पिताजी कउनो मामला में रियायत नञ् बरतऽ हलथिन। उनका पास हमेशे हमरा लगी बेंत रहऽ हलइ आउ बहुत विरले दुलार के अवसर। एकर ई मतलब नञ् हलइ कि ऊ हमरा नञ् प्यार करऽ हलथिन, चाहे सामान्य रूप से अपन सब बुतरुअन के। नञ्, लेकिन ऊ दुर्भाग्य उनका कठोर बना देलके हल, आउ ई उनका नियमनिष्ठ (strict), कठोर आउ अधीर बना देलके हल, जेकरा लगी, निस्संदेह, आंशिक रूप से उनकर जन्मजात जोश सहयोग करऽ हलइ।
उनकर अन्तर्जगत् चिंता से भरल हलइ। विचार उनका लगातार सर्वोत्तम आउ उच्चतम तरफ आकृष्ट करऽ हलइ, आउ कटु सत्य उनका निम्नतम लोग आउ तुच्छतम आवश्यकता पर निर्भर करके रक्खऽ हलइ। ओहे से उनकर आचरण में अनियमितता; लोग, घटना आउ खुद के साथ असंतुष्टि हलइ। पारिवारिक जीवन, स्पष्टतः,  उनका संतुष्टि नञ् दे हलइ। खाली रोज के आवश्यक रोटी लगी परिश्रम आउ काम करे के इच्छा उनकर नञ् रहऽ हलइ, बल्कि जिनगी के उच्चतम लक्ष्य भी प्राप्त करे के। लेकिन अइसन भूमिका उनका लगी नञ् हलइ, आउ ऊ बिना काम के आउ लगभग बिन रोटी के रह गेलथिन हल। ई अंदरूनी अव्यवस्था, निस्संदेह, हमर पिताजी के पारिवारिक व्यवहार पर असर करे बेगर नञ् रह सकऽ हलइ, आउ एकरा में हमरा सबसे अकसर उनकर कष्टकारक चिड़चिड़ाहट के शिकार होवे पड़ऽ हलइ। लेकिन एकर साथ-साथ, ऊ हमरा पर गर्व करऽ हलथिन आउ हमरा से बड़गो आशा करऽ हलथिन।
उनकर (पितिरबुर्ग के) प्रस्थान के साथ, जइसन कि कहल जा हइ, हम स्वेच्छाचारी हो गेलिअइ। पिताजी (मइया के) हमरा बस्ती के स्कूल में भेजे के औडर नञ् देलथिन। बिन कोय आधार के उनका ई विश्वास नञ् हलइ कि हम हुआँ परी कुछ सार्थक चीज सिक्खे के अपेक्षा असानी से खराब आदत पकड़ लेबइ। आउ सच कहल जाय, त हुआँ हमरा सिक्खे लायक कुछ नञ् हलइ - हम स्कूल के शिक्षक के तुलना में बत्तर नञ् लिक्खऽ आउ पढ़ऽ हलिअइ, आउ बस्ती के स्कूल में खाली एहे सिखावल जा हलइ। आउ ई कहे के जरूरत नञ् हइ कि माय हमरा आउ आगू पढ़ा नञ् सकलइ।
लेकिन एहे समय के लगभग हमरा स्वाध्याय के धुन सवार होवे लगलइ। पिताजी के पास पुस्तक के बड़गो संग्रह हलइ, आउ बिन कोय बाधा के हम अपन धुन के अनुसार चल सकऽ हलिअइ। निस्संदेह, हमरा जे हाथ लगऽ हलइ, ऊ सब कुछ, बिन कोय चुनाव कइले, पढ़ऽ हलिअइ - आउ पाठ्य पुस्तक के अपेक्षा जादे परीकथा आउ लघु उपन्यास। लेकिन ई, हर हालत में, हमर समकालिक लोग के अशिष्ट खेल से हमरा दूर रक्खऽ हलइ आउ एगो वास्तविक गली के लड़का बन्ने से रोक दे हलइ। साथे-साथ हमरा में एगो दोसरा प्रवृत्ति पैदा होवे लगलइ - लेखक बन्ने के। कागज के जे कुछ टुकड़ा हमरा हाथ लगऽ हलइ, ओकरा में अपन विचार आउ भावना उँड़ेल दे हलिअइ। एकरा हम पत्र के रूप दे हलिअइ, अपन दोस्त लोग के नाम, जेकन्हीं के, निस्संदेह, कभियो ई नञ् मिल्लऽ हलइ, आउ मिलियो जइते हल, त ओकरा पढ़ नञ् पइते हल, काहेकि ओकन्हीं के ठीक से, चाहे बिलकुल नञ् पढ़े आवऽ हलइ।
ई तरह से, हलाँकि अनजाने में सही, हम अपन अन्दरूनी जिनगी जीये लगलिअइ आउ ओकरा में ऊ सब बदलाव खोजे लगलिअइ, जे हमरा बाहरी जिनगी में नञ् मिल्लऽ हलइ। ऊ सब लड़कन के टोली में, जेकरा से हमरा [*26] मिलना-जुलना होवऽ हलइ, हमरा एक प्रकार के आदर प्राप्त होवऽ हलइ। हमन्हीं बीच ओतना नगीची नञ् हलइ, आउ ओकन्हीं, कम से कम बचपन के ऊ काल में, हमर कोय इच्छा चाहे प्रयास के बेगर, असानी से हमरा से प्रभावित हो जइते जा हलइ। ई दौरान, हमरा न तो साहसी आउ न चालबाज समझल जा हलइ। हम ओकन्हीं के खेल चाहे शरारत के नेता नञ् हलिअइ, बल्कि ओकन्हीं बीच हम एगो सबसे जादे "विद्वान" के रूप में जानल जा हलिअइ। एकरा चलते हमरा प्रौढ़ लोग के बीच भी आदर प्राप्त होलइ, आउ ओकन्हीं में से कुछ लोग अपन बुतरुअन के पढ़ावे-लिखावे लगी हमरा सौंपते गेलइ, जेकरा में हमर मकान मालिक, डीकन, भी शामिल हलथिन। हमर मइया के खुशी नञ् होलइ, ई सोचके कि ई तरह से हमर काम एक प्रकार से हमन्हीं के देल गेल आश्रय खातिर पुरस्कार (पारिश्रमिक) हलइ।
ई जमाना के ऊ लोग में से, जे हमरा सामने कौंधऽ हथिन (flash in mind), हमरा वृद्ध पादरी, फ़ादर स्तेपान, के निम्मन से आद पड़ऽ हइ, जे एगो बड़गो सनकी आउ निम्मन, लेकिन उपद्रवी आउ जिद्दी स्वभाव के हलइ। ऊ एक दिन चर्च में डीकन से लड़ पड़लइ, जेकरा चलते ओकरा पर मोकदमा चललइ, लेकिन परिषद् (consistory) में समय पर देल गेल घूस ओकरा असानी से विपत्ति से बचा लेलकइ। ऊ हँसमुख आउ लम्पट हलइ, अकसर हमन्हीं हीं भेंट दे हलइ - कहऽ हलइ कि हमन्हीं के मनोरंजन करे खातिर आवऽ हलइ।
हमर प्रिय कार्य ऊ बखत हलइ चर्च में दैवी सेवा के दौरान सेवा करना। केतना गौरव के साथ हम पैरिशवासी लोग (parishioners) के सामने, हाथ में मोमबत्ती लेले, हाजिर होवऽ हलिअइ,  गोस्पेल समारोह के दौरान, चाहे डीकन के धूपदान अर्पित करऽ हलिअइ; केतना खुशी से हम घंटाघर में घंटा बजावे के काम करऽ हलिअइ! हमरा बेगर न तो प्रार्थना सेवा, न शांति-प्रार्थना (requiem), न नामकरण (बपतिस्मा संस्कार) पूरा होवऽ हलइ - ई सब अनुष्ठान के बखत हमर काम रहऽ हलइ स्तोत्र-पाठ चाहे अइसने कोय काम। कभी-कभी अइसन काम लगी हमरा दू-तीन आधा कोपेक के सिक्का, चाहे छल्लानुमा केक के बंडल पुरस्कार रूप में मिल जा हलइ, आउ ई हमर स्वाभिमान  के अवर्णनीय आनंद प्रदान करऽ हलइ। ई मानुँ हमरा डीकन, गिरजादार (sextons), पाठक आउ घंटा वादक के समान दर्जा देल जा हलइ, जे ऊ जमाना में हमरा लगी बहुत महत्त्वपूर्ण लोग हलथिन।
लेकिन ऊ सब खुशी ओकर बराबरी नञ् कर पावऽ हलइ, जे हम पाक वाटिका, बाग चाहे जंगल में अनुभव करऽ हलिअइ। हमर नानी के हियाँ, जइसन कि हम पहिले उल्लेख कर चुकलिए ह, भाग्यवश, पाक वाटिका आउ सोसना नदी के पार में चेरी के बाग हलइ। हमर नानी आउ मम्मा (दादी) दुन्नु हमरा प्रति दुलार खातिर प्रतिस्पर्द्धा करऽ हलइ। हमर नानी, नम्रतापूर्वक, पहिला स्थान के मामले में हमर मम्मा के सामने आत्मसमर्पण कर दे हलइ, जेकर बस्ती में पुरोहित आउ व्यापारी लोग के लुगाई सब से हिल्लत-मिल्लत रक्खे से जादे उँचगर हैसियत हलइ।
इमिल्यनोव्ना नम्रतापूर्वक हमरा प्रति स्नेह व्यक्त करऽ हलइ, ई मानके, कि हम "एतना पढ़ल-लिक्खल, एतना निम्मन बुतरू" हकिअइ, एतवार के वास्कट पेन्हे वला, आउ कभी-कभार बूट भी, गिरजादार आउ डीकन के बीच आदरणीय हिअइ, लगभग "पानिच" (भद्रजन, gentleman) हिअइ, कि हम ओकर रिश्तेदार के दावा के ऊपर हिअइ, कि खाली दादी स्तेपानोव्ना के हक हइ हमरा दुलार दर्शावे के आउ हमर प्राप्त करे के। सीधी-सादी "नानी" के संदेहो नञ् हलइ, कि हमर नजर में ओकर पक्ष में बड़गो वरीयता (advantage) हलइ - मटर के साथ पाक वाटिका आउ चेरी के साथ बाग। स्तेपानोव्ना कुच्छो देहाती के प्रति उपेक्षा करऽ हलइ। ऊ शहरी जीवन जीए वली हलइ, आउ अपन पाक वाटिका में घास-पात बढ़े देलकइ आउ सगरो बेलाडोना (nightshade) के झाड़ी के पसरे के हालत हो गेलइ। ओकरा हीं प्रांगण उपेक्षा के शिकार हलइ; एकर विपरीत, इमिल्यानोव्ना के हियाँ ऊ जीवन आउ गति से भरल-पूरल हलइ। [*27] हुआँ परी पगहा से बन्हल गाय रँभा हलइ, मुरगियन बीच एगो बाँका मुरगा शान से गला फाड़के चिल्ला हलइ, हंस अपन शावक के साथ अराम से घूम रहले हल, बत्तख के शावक सब पोखरी में मौज-मस्ती कर रहले हल, एगो चंचल बकरी कुछ लकड़ी के कुंदा भिर घूम-फिर रहले हल।
हम मम्मा आउ नानी दुन्नु के मानऽ हलिअइ, लेकिन ओकन्हीं में से हम जादे पसीन करऽ हलिअइ, खास करके गरमी में, कम धनी लेकिन घर के बेहतर प्रबंधक नानी के हियाँ भेंट देना। गरीब बुढ़िया बहुत खुश हो जा हलिअइ, जब हम ओकरा हीं आवऽ हलिअइ। आउ हम, अपन तरफ से, ओकरा साथ जेतना सहज आउ मुक्त अनुभव करऽ हलिअइ, ओतना कहीं आउ जगह नञ्। ओकर झोपड़ी में अइसन कोय कोना नञ् हलइ, जाहाँ हम जाके कुछ नञ् देख सकऽ हलिअइ। आउ मटर आउ फूल से भरल पाक वाटिका मानुँ हमर सम्पत्ति हलइ। चेरी पक रहले हल। हम प्यारी नानी के साथ नाव में बैठ जा हलिअइ आउ नद्दी के पार ल जा हलिअइ - बाग में। इमिल्यानोव्ना अपन कमर में एगो गाँजा (टोकरा) बान्ह ले हलइ आउ ओकरा में ताजा आउ रसदार चेरी जामा कर ले हलइ, आउ हम कउनो पेड़ पर चढ़ जा हलिअइ आउ एगो डाढ़ पर बैठके, भगमान के चिरईं नियन, दिल खोलके आनंद मनावऽ हलिअइ। कभी-कभी बूढ़ी बोली हमरा सतर्क कर दे हलइ कि डाढ़ नञ् तोड़ दिअइ, आउ सबसे मुख्य बात ई कि कहीं अपन गरदन नञ् तोड़ लिअइ, आउ नयका अबसालोम[2] नियन, कहीं पेड़ से नञ् अटक जइअइ। बीच-बीच में झुनझुन्ना के अवाज सुनाय दे हलइ, जेकरा से पहरेदार चेरी के निर्दय चोर, मैना, के भगावऽ हलइ। ई पक्षी बादल नियन बाग में उड़के आ जा हइ, आउ अगर ओकन्हीं के छुट्टा छोड़ देल जाय, त पेड़ के सब्भे निम्मन से पक्कल चेरी के साफ कर दे हइ। झुनझुन्ना कुछ हद तक ओकन्हीं के आक्रमण के सीमित कर दे हइ।
झरक के दिन हइ। पत्ता तक नञ् हिल्लऽ हइ। हम सब दुपहर के भोजन लगी बैठऽ हिअइ, कभी फलदार पेड़ के छाया में, त कभी पहरेदार के आश्रयस्थल में, खट्टा क्रीम, सूअर के चरबी, भेड़ के मांस में वरेनिक (दही, फल आदि भरल समोसा) खा हिअइ। साँझ के परिवार जामा होवऽ हइ नदी में मछली आउ किकुड़ा पकड़े लगी। किनारहीं पर आग जलावल जा हइ, हुएँ परी, जगह पर, पकड़ल मछली से रात्रि भोजन तैयार कइल जा हइ, जेकर बाद पुरनका फैशन वला (patriarchal ) मौज-मस्ती होवऽ हइ। खास करके नानी इमिल्यानोव्ना के बड़का बेटा के घरवली, गाल्या, या आन्ना, जे एगो फुरतीली आउ सुन्दर नवयुवती हइ, ई शांतिमय पारिवारिक भोजन के सजीव बना दे हलइ। घर-बार के काम के मामले में आउ खाना बनावे में ऊ दक्ष हलइ, लेकिन जरी हाव-भाव देखावे, हँसी करे आउ सनकी व्यवहार में नञ् हिचकऽ हलइ। हमरा ऊ कभी चिढ़ावइ, त कभी दुलारइ, जेकरा से हम ओकरा साथ कभी दोस्ती से झगड़ा पर उतर जइअइ, त कभी एकर विपरीत।
 ई ग्रामीण दृश्य के आद करते बखत, हम फेर से ऊ दूर समय में पूरा तरह से पहुँच जा हिअइ, जब हमरो भाग्य में बिलकुल मुक्त खुशी के पल प्राप्त होले हल। कइएक साल गुजर गेला के बाद, अब (होमर द्वारा रचित यूनानी महाकाव्य) "ओडिसी" (Odyssey) पढ़ऽ हिअइ, त हम दिमागी तौर पर अपन प्रिय किसान लोग के बीच रहऽ हिअइ। ओकन्हीं बीच, कम से कम हमर बचपन काल में, कुछ विशिष्टता (features ) हलइ जेकरा में आदिम सरलता आउ होमर के हीरो सब के अदूषित स्वभाव से समानता हलइ। यूमीयुस, वृद्ध लाएर्ता, तेलेमाख़ुस आउ वृद्धा नर्स के आकृति हमरा अधिक सार्थक प्रतीत होवऽ हइ, जब हम ओकन्हीं के अपन स्वदेशी लघु रूसी के रीति-रिवाज के माध्यम से देखऽ हिअइ। ई स्लाविक जनजाति, अधिकतर स्लाविक जनजाति नियन, अपन स्वतंत्र अस्तित्व नञ् बना सकलइ, चाहे बनावे लगी नञ् जान सकलइ, हलाँकि कम से कम ख़्मेलनित्स्की के जमाना में एकरा लगी जोरदार प्रयास करते गेलइ[3]। लेकिन ओकन्हीं में, उत्तरी स्लाव लोग के अपेक्षा, स्वदेशी स्लाविक गुण अधिक सुरक्षित हइ - प्रकृति के प्रति प्रेम आउ पारिवारिक तथा कृषि संबंधी जीवन के शांतिमय रीति-रिवाज। ओकन्हीं बिलकुल ओहे प्राचीन (दक्षिण स्लाविक) जनजाति हइ, जेकरा बारे नेस्तोर[4] एतना आकर्षक रीति से वर्णन करऽ हइ।



[1] वसिल्का = "वसिली" (Vasily) के ऊनार्थक रूप, अलिक्सान्द्र निकितेन्को के पिता के नाम।

[2] अबसालोम [Absalom (Hebrew: Avshalom, "father of peace")] - According to the Hebrew Bible, was the third son of David, King of Israel. Absalom's sister, Tamar, was raped by Amnon, who was their half-brother. Amnon was also David's eldest son. After the rape, Absalom waited two years, and then avenged Tamar by sending his servants to murder a drunken Amnon at a feast, to which Absalom had invited all the king's sons. A fateful battle was fought in the Wood of Ephraim (the name suggests a locality west of the Jordan) and Absalom's army was completely routed. Absalom's head was caught in the boughs of an oak tree as the mule he was riding ran beneath it [2 Samuel 18:9-10]. He was discovered there still alive by one of David's men, who reported this to Joab, the king's commander. Joab, accustomed to avenging himself, took this opportunity to even the score with Absalom. Absalom had once set Joab's field on fire and then made Amasa Captain of the Host instead of Joab. Killing Absalom was against David's explicit command, "Beware that none touch the young man Absalom". Joab killed Absalom with three darts through the heart while he was still alive in the tree [2 Samuel 18:14].
[3] Khmelnitsky, Zinoviy Bogdan Mikhailovich (c.1595-1657) – hetman of the Ukraine, leading statesman, who headed the war of liberation against Poland in 1648-1654, initiator and architect of the alliance between the Ukraine and Russia (1654).
[4] नेस्तोर - होमर रचित यूनानी महाकाव्य "ओडिसी" में पाइलोस के एक चतुर राजा। सन् 1939 में उत्खनन से ओकर राजमहल प्रकट होले हल।

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