http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_4911891.html
मगही लोक संस्कृति का साक्षात्कार है कौमुदी महोत्सव
15 Oct 2008 10:28 pm
बोधगया (गया)। कौमुदी महोत्सव लोक कलाओं को भाषा, साहित्य और संस्कृति के जीवन मूल्यों को संरक्षित कर रहा है। आज जब जीवन मूल्य बाजारवादी अपसंस्कृति में तब्दील होते जा रहे हैं। वैसे समय में कौमुदी महोत्सव हमे अपने जड़ों से जुड़े रखने का कार्य कर रहा है। मंगलवार को आश्विन पूर्णिमा की रात आजाद पार्क परिसर लोकप्रिय गीत, मगही नाटिका, एकांकी, अंधविश्वास पर आधारित जनगीतों और कविता से गुजांयमान रहा। महोत्सव का उद्घाटन बिहार प्रगतिशील लेखक संघ के उपाध्यक्ष त्रिवेणी शर्मा सुधाकर ने क्रांतिकारी शायर मखदूम मोहिउद्दीन के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। कार्यक्रम में शहर के विभिन्न स्कूलों के छात्रों, नवादा की कला संस्था सृष्टि के अलावा पटना, हिसुआ, कोच, गुरारू, बराचट्टी और मानपुर के ग्रामीण कलाकारों की प्रस्तुति ने दर्शकों को प्रभावित किया। आगत कलाकारों व कलाप्रेमियों का स्वागत उत्सव के संयोजक सुरेन्द्र सिंह सुरेन्द्र ने की। इस अवसर पर जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री डा. राधानंद सिंह ने स्मारिका का लोकार्पण किया। उत्सव का समापन हम होंगे कामयाब एक दिन..गीत से किया गया।
मगही लोक संस्कृति का साक्षात्कार है कौमुदी महोत्सव
15 Oct 2008 10:28 pm
बोधगया (गया)। कौमुदी महोत्सव लोक कलाओं को भाषा, साहित्य और संस्कृति के जीवन मूल्यों को संरक्षित कर रहा है। आज जब जीवन मूल्य बाजारवादी अपसंस्कृति में तब्दील होते जा रहे हैं। वैसे समय में कौमुदी महोत्सव हमे अपने जड़ों से जुड़े रखने का कार्य कर रहा है। मंगलवार को आश्विन पूर्णिमा की रात आजाद पार्क परिसर लोकप्रिय गीत, मगही नाटिका, एकांकी, अंधविश्वास पर आधारित जनगीतों और कविता से गुजांयमान रहा। महोत्सव का उद्घाटन बिहार प्रगतिशील लेखक संघ के उपाध्यक्ष त्रिवेणी शर्मा सुधाकर ने क्रांतिकारी शायर मखदूम मोहिउद्दीन के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। कार्यक्रम में शहर के विभिन्न स्कूलों के छात्रों, नवादा की कला संस्था सृष्टि के अलावा पटना, हिसुआ, कोच, गुरारू, बराचट्टी और मानपुर के ग्रामीण कलाकारों की प्रस्तुति ने दर्शकों को प्रभावित किया। आगत कलाकारों व कलाप्रेमियों का स्वागत उत्सव के संयोजक सुरेन्द्र सिंह सुरेन्द्र ने की। इस अवसर पर जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री डा. राधानंद सिंह ने स्मारिका का लोकार्पण किया। उत्सव का समापन हम होंगे कामयाब एक दिन..गीत से किया गया।
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