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Tuesday, June 21, 2011

16. अप्पन अप्पन समझ


लघुकथाकार - डॉ॰ सी॰ रा॰ प्रसाद, प्रा॰ शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, मसौढ़ी (पटना)

औरत-मरद अप्पन दुन्नो लइकन के साथे पटना जादूघर के मुरती देखइत हलन । एकबैक लमहर यक्षिणी के मुरती के पास ठहर गेलन, जे दीदारगंज, पटना सिटी से मिलल हल । मरद यक्षिणी के स्तन के तरफ इशारा करके अप्पन औरत के तकौलक । औरतिया लजा के आगे बढ़ गेल ।

तनिके देरी के बाद उनकर चार बरस के बेटा अप्पन दीदी जौरे मुरती भिर पहुँचल । ऊ स्तन के तरफ इशारा करइत चिल्ला के बोललक - 'दीदी-दीदी ! देख नऽ । केतना बड़का दूधू हई !'

[मगही मासिक पत्रिका "अलका मागधी", बरिस-८, अंक-५, मई २००२, पृ॰१७ से साभार ]

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