विजेट आपके ब्लॉग पर

Saturday, July 30, 2011

60. मगही महोत्सव, राजगीर (17-18 जुलाई 2011)


मगही महोत्सव की तैयारी में जुटे साहित्यकार

हिसुआ (नवादा) : राजगीर में 17 और 18 जुलाई को होनेवाले मगही महोत्सव की तैयारी जोर-शोर से की जा रही है. आयोजन के लिए आमंत्रण समेत पंडाल,ध्वनि विस्तार योजना,आवास आदि की व्यवस्था की तैयारी अंतिम चरण में हैं.

दिल्ली से प्रकाशित मगही पत्रिका परिवार की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम के लिए हिसुआ क्षेत्र के साहित्यकारों को अधिकाधिक भार सौंपा गया है. स्वागत अध्यक्ष एवं मीडिया का प्रभार हिसुआ के साहित्यकारों को दिया गया है. मगही के वरिष्ठ कवि दीनबंधु ने बताया कि आयोजन काफी भव्य होगा. देश भर के मगही साहित्यकारों का राजगीर में जुटान होगा.

मगही की दशा-दिशा एवं मगही को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग में मगधवासियों को शामिल रहने का आग्रह किया जायेगा. दो दिनों तक चलनेवाले कार्यक्रमों को छह सत्रों में पूरा किया जायेगा. 16 जुलाई से ही राजगीर में अतिथियों का जुटान शुरू हो जायेगा.

दो दिवसीय मगही महोत्सव शुरू
17 Jul 2011, 10:24 pm

राजगीर (नालंदा), निज प्रतिनिधि : राजगीर में रविवार से दो दिवसीय मगही महोत्सव शुरू हुआ। इस महोत्सव का उद्घाटन पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री सुरेन्द्र प्र. तरुण ने किया। उन्होंने कहा कि मगही मातृभाषा है। इस भाषा का सम्मान देना सभी का धर्म है। उन्होंने कहा कि विश्व में सबसे ज्यादा भाषाएं हिन्दुस्तान में हैं। मगही भाषा की गरिमा बढ़ाने के उद्देश्य से मगही महोत्सव का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर मगही अकादमी के अध्यक्ष उदय शंकर शर्मा उर्फ कवि जी ने कहा कि मगही भाषा के विकास के लिए अकादमी हर संभव प्रयास कर रही है। इसके अलावा मगही पत्रिका में मगही कवियों की कविता प्रकाशित कर सम्मान दिया जा रहा है। इस अवसर पर डा. ब्रजमोहन पाण्डेय नलिन, ई. नारायण प्रसाद, उदय कुमार भारती, धनंजय श्रोत्रिय, गोव‌र्द्धन प्रसाद सदय, रामरतन सिंह रत्‍‌नाकर, सच्चिदानंद कुमार प्रेमी, धनमंती राम, सुमन्त, शोभा कुमारी, रीना कुमारी, प्रो. प्रवीण कुमार प्रेम, मो. अनिकुर रहमान, अशोक समदर्शी, शंभू विश्वकर्मा सहित अन्य कवियों ने कविता पाठ किया।

मुकाम हासिल करेगी मगही
18 Jul 2011, 07:50 pm

राजगीर (नालंदा), निज प्रतिनिधि : राजगीर में चल रहे दो दिवसीय मगही महोत्सव सोमवार को सम्पन्न हो गया। समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए हरिश्चन्द्र प्रियदर्शी ने कहा कि मगही भाषा मीठी बोली है। इस भाषा का मान-सम्मान बढ़ाना सभी मगही भाषी का धर्म है। उन्होंने कहा कि कोई भी भाषा कभी खत्म नहीं होती। भाषा की अपनी एक यात्रा होती है। मगही भाषा धीरे-धीरे अपनी मंजिल तक पहुंचने वाली है। मगही साहित्य भी समृद्ध है। इस मौके पर डा. इन्द्रदेव द्वारा लिखित पुस्तक 'लोरिक चन्दा' एवं कृष्ण कुमार भट्ट द्वारा लिखित पुस्तक 'दुल्हीन बड़ की दहेज' 'एक रात और' का विमोचन किया गया। इस अवसर पर नरेन्द्र प्रसाद, दीनबंधु, जयराम देवसपुरी, उदय कुमार भारती, डा. ब्रजमोहन पाण्डेय नलिन, ई. नारायण प्रसाद, उदय कुमार भारती, धनंजय श्रोत्रिय, रामरतन सिंह रत्‍‌नाकर, धनमंती राम, प्रो. प्रवीण कुमार, अशोक समदर्शी, शंभू विश्वकर्मा सहित अन्य कवियों ने कविता पाठ किया।

No comments: